डेंगू एक ऐसी बीमारी हैं जो सामान्य तौर पर एडीज इजिप्टी मच्छरों के काटने से होता है। इस बीमारी में मरीज को तेज बुखार के साथ शरीर पर चकत्ते बनने लग जाते हैं। जिस भी स्थान पर यह महामारी के रूप मे फैलता है उस स्थान पर अनेक प्रकार के विषाणु सक्रिय हो सकते है। डेंगू बुखार बहुत ही दर्दनाक और खतरनाक बीमारी है। इसमें रोगी के शरीर में दर्द बहुत ज्यादा होता है, इसलिए इसे हड्डी तोड़ बुखार कहना गलत नहीं होगा।
यह बीमारी सामान्य तौर पर बारिश के सीजन में होती है। क्योंकि इस मौसम में ज्यादा गंदगी होने की वजह से मछर उत्पन हो जाते हैं। विषाणु से फैलने वाले इस रोग को एंटीबायोटिक दवाइयों से ठीक नहीं किया जा सकता है। इसी कारण कई बार यह बीमारी एक भयंकर रूप भी धारण कर लेती है।
लक्षण-
dengue fever के कई सारे अलग अलग लक्षण होते हैं जिससे की आप इसकी पहचान कर सकते है
आंखों का पिछला हिस्सा, जोड़ो, पीठ, पेट, मांसपेशी, एवं हड्डियों आदि मे दर्द होना
पूरे शरीर में ठंड लगना, थकान, बुखार आदि की शिकायत रहना
उल्टी मतली व भुख ना लगना
त्वचा पर लाल चकते व धब्बे होना
शरीर पर खरोंच के निशान व सिरदर्द की समस्या होना
साधारणतः डेंगू बुखार के लक्षण संक्रमण होने के 3 से 14 दिनों के बाद ही दिखता हैं और इस बात पर भी निर्भर करता हैं कि बुख़ार किस प्रकार है।
ब्लड प्रेशर का सामान्य से बहुत कम हो जाना।
खून में प्लेटलेटस की संख्या कम होना।
अचानक ठंड व कपकंपी के साथ तेज बुखार आ जाना।
मिचली, उल्टी जैसा महसूस होना और शरीर पर लाल-गुलाबी चकत्ते आ जाना।
भूख न लगना, कुछ भी खाने की इच्छा न होना, मुंह का स्वाद या पेट खराब हो जाना, अचानक नींद न आना या नींद में कमी महसूस होना।
सामान्य तौर पर रोगी को हॉस्पिटल में दाखिल करवाने की जरुरत नहीं होती परन्तु अगर स्थिति ज्यादा गंभीर है तो तुरंत उसे चिकित्सक के पास लेकर जाए हालांकि डेंगू की गंभीरता न होने की स्थिति में घर पर रह कर ही उपचार किया जा सकता है। और सामान्य पीडि़त व्यक्ति को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत नहीं होती। इस रोग में रोगी को तरल पदार्थ का सेवन कराते रहें। जैसे नींबू पानी, नारयण पानी और जूस आदि। डेंगू वाइरल इंफेक्शन है। इस रोग में कोई भी एंटीबॉयटिक देने की आवश्यकता नहीं है। बुखार आने पर रोगी को पैरासीटामॉल टैबलेट दें।
अगर आप चाहे तो जरुरत के अनुसार ठंडे पानी की पट्टी माथे पर रख सकते हैं। मान लिजिये अगर मरीज को रक्तस्राव हो रहा है तो उसे प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरुरत पड़ सकती है। सामान्य तौर पर डेंगू होने पर बुखार 3 से 5 दिन रह सकता है। जैसे ही बुखार काम होने लगता है रोगी की प्लेटलेट्स अपने आप बढ़ने लगती है। जैसे ही डेंगू के लक्षण आपको नजर आये तुरंत डॉक्टर से संपर्क करे।
सावधानियां-
1. डेंगू से बचाव के लिए जितना हो सके सावधानी रखें। इसके लिए हमेशा ध्यान रखें की पानी में गंदगी न होने पाए। लंबे समय तक किसी बर्तन में पानी भरकर न रखें। इससे मच्छर पनपने का खतरा रहता है।
2. पानी को हमेशा ढंककर रखें और हर दिन बदलते रहें, अन्यथा इसमें मच्छर आसानी से अपनी वंशवृद्धि कर सकते हैं।
3. कूलर का पानी हर दिन बदलते रहें।
4. खिड़की और दरवाजे पर मच्छर से बचने के लिए जाली लगाएं, जिससे मच्छर अंदर न आ सकें।
5. पूरी बांह के कपड़े पहनें या फिर शरीर को जितना हो सके ढंक कर रखें।
इसके अलावा अगर आप डेंगू की चपेट में आ गए हैं, तो क्या करें उपाय, आइए जानते हैं-
डेंगू का घरेलू उपचार
तुलसी की खुशबू से डेंगू फैलने वाले मच्छर दूर भागते हैं इसलिए हो सके तो तुलसी का पौधा अपने घर में जरूर लगाकर रखे घर व घर के आसपास किसी भी जगह पर पानी इकट्ठा ना होने दें। इस बात का पूरा ध्यान रखें कि डेंगू मच्छर अधिकतर साफ पानी में ही होते है इसलिए सभी चीजो को ढककर रखे ।
संतरे का जूस पीना मरीज के लिए हितकारी होता है। क्योंकि यह पाचन में मदद करता है और एंटीबॉडी को बढ़ने में भी मदद करता है
पपीता के पत्तो का रस पीने से पलटलेट्स बढ़ने लग जाती है।
गिलोय का रस मरीज को समय समय पर पिलाते रहे। यह मरीज के घटे हुए प्लेटलेट्स को बढाने में अहम भूमिका निभाता है।
उपचार-
1 अगर आप डेंगू बुखार की चपेट में आ गए हैं, तो जितना हो सके आराम करने पर ध्यान दें और शरीर में पानी की कमी न होने दें। समय समय पर पानी लगातार पीते रहें।
2 मच्छरों से बचाव करना बेहद आवश्यक है। इसके लिए सोते समय मच्छरदानी लगाकर सोएं और दिन में भी पूरी बांह के कपड़े पहनें, ताकि मच्छर न काट सके।
3 घर में पानी का किसी प्रकार जमाव न होने दें। घर के आसपास भी कहीं जलजमाव न होने दें, ऐसा होने पर मच्छर तेजी से फैलेंगे।
4 बुखार बढ़ने पर कुछ घंटों में पैरासिटामॉल लेकर, बुखार पर नियंत्रण रखें। किसी भी स्थिति में डिस्प्रिन या एस्प्रिन जैसी दवाइयां बिल्कुल न लें।
5 जल चिकित्सा के माध्यम से भी शरीर का तापमान किया जा सकता है। इससे बुखार नियंत्रण में रहेगा।
डेंगू बुखार में प्लेटलेट्स की भूमिका
आमतौर पर तंदुरुस्त आदमी के शरीर में डेढ़ से दो लाख प्लेटलेट्स होते हैं। प्लेटलेट्स बॉडी की ब्लीडिंग रोकने का काम करती हैं। अगर प्लेटलेट्स एक लाख से कम हो जाएं तो उसकी वजह डेंगू हो सकता है। हालांकि यह जरूरी नहीं है कि जिसे डेंगू हो, उसकी प्लेटलेट्स नीचे ही जाएं। प्लेटलेट्स अगर एक लाख से कम हैं तो मरीज को फौरन हॉस्पिटल में भर्ती कराना चाहिए। अगर प्लेटलेट्स गिरकर 20 हजार तक या उससे नीचे पहुंच जाएं तो प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत पड़ती है। 40-50 हजार प्लेटलेट्स तक ब्लीडिंग नहीं होती। डेंगू का वायरस आमतौर पर प्लेटलेट्स कम कर देता है, जिससे बॉडी में ब्लीडिंग शुरू हो जाती है। अगर प्लेटलेट्स तेजी से गिर रहे हैं, मसलन सुबह एक लाख थे और दोपहर तक 50-60 हजार हो गए तो शाम तक गिरकर 20 हजार पर पहुंच सकते हैं। ऐसे में डॉक्टर प्लेटलेट्स का इंतजाम करने लगते हैं ताकि जरूरत पड़ते ही मरीज को प्लेटलेट्स चढ़ाए जा सकें। प्लेटलेट्स निकालने में तीन-चार घंटे लगते हैं।
डेंगू बुखार से बच्चों में खतरा ज्यादा
बच्चों का इम्युन सिस्टम ज्यादा कमजोर होता है और वे खुले में ज्यादा रहते हैं इसलिए उनके प्रति सचेत होने की ज्यादा जरूरत है। पैरंट्स ध्यान दें कि बच्चे घर से बाहर पूरे कपड़े पहनकर जाएं। जहां खेलते हों, वहां आसपास गंदा पानी न जमा हो। स्कूल प्रशासन इस बात का ध्यान रखे कि स्कूलों में मच्छर न पनप पाएं। बहुत छोटे बच्चे खुलकर बीमारी के बारे में बता भी नहीं पाते इसलिए अगर बच्चा बहुत ज्यादा रो रहा हो, लगातार सोए जा रहा हो, बेचैन हो, उसे तेज बुखार हो, शरीर पर रैशेज हों, उलटी हो या इनमें से कोई भी लक्षण हो तो फौरन डॉक्टर को दिखाएं। बच्चों को डेंगू हो तो उन्हें अस्पताल में रखकर ही इलाज कराना चाहिए क्योंकि बच्चों में प्लेटलेट्स जल्दी गिरते हैं और उनमें डीहाइड्रेशन (पानी की कमी) भी जल्दी होता है।
डेंगू बुखार का इलाज
-अगर मरीज को साधारण डेंगू बुखार है तो उसका इलाज व देखभाल घर पर की जा सकती है।
-डॉक्टर की सलाह लेकर पैरासिटामोल (क्रोसिन आदि) ले सकते हैं।
-एस्प्रिन (डिस्प्रिन आदि) बिल्कुल न लें। इनसे प्लेटलेट्स कम हो सकते हैं।
-अगर बुखार 102 डिग्री फॉरेनहाइट से ज्यादा है तो मरीज के शरीर पर पानी की पट्टियां रखें।
-सामान्य रूप से खाना देना जारी रखें। बुखार की हालत में शरीर को और ज्यादा खाने की जरूरत होती है।
-मरीज को आराम करने दें।
डेंगू बुखार का आयुर्वेद में इलाज
आयुवेर्द में इसकी कोई पेटेंट दवा नहीं है। लेकिन डेंगू न हो, इसके लिए यह नुस्खा अपना सकते हैं। एक कप पानी में एक चम्मच गिलोय का रस (अगर इसकी डंडी मिलती है तो चार इंच की डंडी लें। उस बेल से लें, जो नीम के पेड़ पर चढ़ी हो), दो काली मिर्च, तुलसी के पांच पत्ते और अदरक को मिलाकर पानी में उबालकर काढ़ा बनाए और 5 दिन तक लें। अगर चाहे तो इसमें थोड़ा-सा नमक और चीनी भी मिला सकते हैं। दिन में दो बार, सुबह नाश्ते के बाद और रात में डिनर से पहले लें।
डेंगू बुखार से बचने के लिए एहतियात बरतें
-ठंडा पानी न पीएं, मैदा और बासी खाना न खाएं।
-खाने में हल्दी, अजवाइन, अदरक, हींग का ज्यादा-से-ज्यादा इस्तेमाल करें।
-इस मौसम में पत्ते वाली सब्जियां, अरबी, फूलगोभी न खाएं।
-हल्का खाना खाएं, जो आसानी से पच सके।
-पूरी नींद लें, खूब पानी पीएं और पानी को उबालकर पीएं।
-मिर्च मसाले और तला हुआ खाना न खाएं, भूख से कम खाएं, पेट भर न खाएं।
-खूब पानी पीएं। छाछ, नारियल पानी, नीबू पानी आदि खूब पिएं।
डेंगू मच्छर से बचाव भी इलाज
-बीमारी से बचने के लिए फिजिकली फिट, मेंटली स्ट्रॉन्ग और इमोशनली बैलेंस रहें।
-अच्छा खाएं, अच्छा पीएं और अच्छी नींद ले।
-नाक के अंदर की तरफ सरसों का तेल लगाकर रखें। इससे तेल की चिकनाहट बाहर से बैक्टीरिया को नाक के अंदर जाने से रोकती है।
-खाने में हल्दी का इस्तेमाल ज्यादा करें। सुबह आधा चम्मच हल्दी पानी के साथ या रात को आधा चम्मच हल्दी एक गिलास दूध या के साथ लें। लेकिन अगर आपको -नजला, जुकाम या कफ आदि है तो दूध न लें। तब आप हल्दी को पानी के साथ ले सकते हैं।
-आठ-दस तुलसी के पत्तों का रस शहद के साथ मिलाकर लें या तुलसी के 10 पत्तों को पौने गिलास पानी में उबालें, जब वह आधा रह जाए तब उस पानी को पीएं।
-विटामिन-सी से भरपूर चीजों का ज्यादा सेवन करें जैसे : एक दिन में दो आंवले, संतरे या मौसमी ले सकते हैं। यह हमारे इम्यून सिस्टम को सही रखता है।
अपनी मर्जी से कोई भी एंटी-बायोटिक या कोई और दवा न लें। अगर बुखार ज्यादा है तो डॉक्टर के पास जाएं और उसकी सलाह से ही दवाई ले।
इन दिनों के बुखार में सिर्फ पैरासिटामोल ले सकते हैं। एस्प्रिन बिल्कुल न लें क्योंकि अगर डेंगू है तो एस्प्रिन या ब्रूफिन आदि लेने से प्लेटलेट्स कम हो सकती हैं।
मामूली खांसी आदि होने पर भी अपने आप कोई दवाई न लें।
Dexamethasone (जेनरिक नाम) का इंजेक्शन और टैब्लेट तो बिल्कुल न लें।
इन दिनों के बुखार में सिर्फ पैरासिटामोल ले सकते हैं। एस्प्रिन बिल्कुल न लें क्योंकि अगर डेंगू है तो एस्प्रिन या ब्रूफिन आदि लेने से प्लेटलेट्स कम हो सकती हैं।
मामूली खांसी आदि होने पर भी अपने आप कोई दवाई न लें।
Dexamethasone (जेनरिक नाम) का इंजेक्शन और टैब्लेट तो बिल्कुल न लें।
डेंगू बुखार का एलोपैथी में इलाज
इसकी दवाई लक्षण देखकर और प्लेटलेट्स का ब्लड टेस्ट कराने के बाद ही दी जाती है। लेकिन किसी भी तरह के डेंगू में मरीज के शरीर में पानी की कमी नहीं आने देनी चाहिए। उसे खूब पानी और बाकी तरल पदार्थ (नीबू पानी, छाछ, नारियल पानी आदि) पिलाएं ताकि ब्लड गाढ़ा न हो और जमे नहीं। साथ ही, मरीज को पूरा आराम करना चाहिए। आराम भी डेंगू की दवा ही है।
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