20.7.21

बेसन की रोटी के फायदे:Besan ki roti




बेसन भारत में प्रमुख खाद्य पदार्थ के रूप में उपयोग किया जाता है। चना दाल के पिसे आटे को बेसन कहते हैं। लेकिन क्‍या आप बेसन खाने के फायदे और नुकसान जानते हैं। बेसन को ग्राम फ्लौर या छोले का आटा  भी कहा जाता है। बेसन ऐसा खाद्य पदार्थ है जो आमतौर सभी रसोई घरों में उपलब्‍ध होता है। बेसन का उपयोग हम       विभिन्‍न प्रकार के स्‍वादिष्‍ट व्‍यंजनों को बनाने के लिए करते हैं। बेसन खाने के फायदे जानकर आप हैरान हो जाएगें। बेसन खाने के फायदे मधुमेह का इलाज करने, मोटापा कम करने, हृदय को स्‍वस्‍थ रखने, हड्डियों को मजबूत करने, एनीमिया का उपचार करने और कोलेरेक्‍टल कैंसर जैसी गंभीर समस्‍याओं को दूर करने में होते हैं।

बेसन की रोटी सेहत के लिए फायदेमंद होती है, यह बात हम सभी जानते हैं. बेसन की रोटी के फायदे के तौर पर यह देखा जाता है कि इसमें कितने पोषक तत्व पाये जाते हैं. बेसन की रोटी फॉर वेट लॉस सबसे अधिक सर्च किया जाता है. इसका मुख्य कारण यह है कि बेसन की रोटी में फाइबर और प्रोटीन की मात्रा बहुत ज्यादा होती है. प्रोटीन और फाइबर युक्त फूड वेट लॉस के लिए सबसे ज्यादा कारगर होते हैं. बेसन की रोटी डायबिटीज रोगियों के लिए भी फायदेमंद होती है. आइए जानते हैं बेसन की रोटी के फायदे के बारे में..

बेसन की रोटी के फायदे

हेल्द के हिसाब से देखा जाए तो बेसन की रोटी के फायदे अनेक हैं. डायबिटीज में ब्लड शुगर कंट्रोल करने में बेसन की रोटी फायदे मंद होती है. शरीर में अगर आयरन की कमी से ब्लड सेल्स कम हैं तो बेसन की रोटी के फायदे मिलते हैं. इसके अलाव बेसन की रोटी वेट लॉस में काफी मददगार होती है. आइए जानते हैं अन्य फायदों के बारे में.

वजन कम करने के लिए 

डाइट में बेसन की रोटी शामिल करना लाभ देने वाला होता है. जब बेसन की रोटी फॉर वेट लॉस के लिए उपयोग की जाती है, तो इसमें प्रोटीन और फाइबर की मात्रा के कारण ऐसा किया जाता है. डाइट एक्पर्ट्स की मानें तो इसमें प्रोटीन और फाइबर की मात्रा के साथ बहुत कम कैलोरी होती है जो वजन कम करने में मदद करती है.जो लोग अपना वजन कम करने का प्रयास कर रहे हैं उन्‍हें अपने आहार में बेसन को शामिल करना चाहिए। क्‍योंकि बेसन खाने के लाभ वजन कम करने में प्रभावी पाए गए हैं। चूंकि बेसन में ग्‍लाइसेमिक इंडेक्‍स कम होता है इसलिए इसमें कैलौरी की मात्रा भी कम होती है। यही कारण है कि बहुत से फिटनेस सलाहकार बेसन को प्रमुख आहार के रूप में खाने की सलाह देते हैं। भारत में बेसन का उपयोग सत्‍तू के रूप में भी किया जाता है। इसमें कार्बोहाइड्रेट की मात्रा भी कम होती है जो प्रोटीन से भरपूर होता है। इसके अलावा बेसन में फाइबर भी अच्‍छी मात्रा में होता है जो अधिक वजन को नियंत्रित करने में सहायक होता है। इस तरह से बेसन के फायदे वजन कम करने के लिए भी जाने जाते हैं।

डायबिटीज में बेसन की रोटी के फायदे

मधुमेह के रोगियों के लिए बेसन की रोटी फायदेमंद होती है. बेसन की रोटी में ग्‍लाइसेमिक इंडेक्स बहुत कम होता है, जो ब्लड शुगर कंट्रोल करने में मददगार होता है. मधुमेह के रोगी अन्य रोटियों का सेवन बहुत ज्यादा नहीं कर सकते हैं. डायबिटीज रोगियों के लिए बेसन की रोटी के फायदे अनेक हैं.हम अपने आहार में बेसन का कई प्रकार से उपयोग कर सकते हैं। बेसन खाने के फायदे रक्‍त शर्करा के स्‍तर को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। बेसन को बहुत ही कम ग्‍लाइसेमिक स्‍तर के लिए जाना जाता है जो उच्‍च मधुमेह वाले लोगों के लिए फायदेमंद होता है। ऐसा माना जाता है बेसन की रोटी खाने के फायदे मधुमेह रोगी के लिए बहुत अधिक होते हैं। आप बेसन के पराठे भी खा सकते हैं। आप बेसन के कुछ आटे को भून सकते हैं और इसमें मसालों के साथ फ्राई करके उपभोग कर सकते हैं। यह आपके शरीर में रक्‍त शर्करा के स्‍तर को कम करने का सबसे अच्‍छा और पौष्टिक तरीका हो सकता है।

बैड कोलेस्टॉल को कम करने में बेसन की रोटी के फायदे

शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल की अधिक होने की वजह से हृदय रोग होने का खतरा बढ़ जाता है. बैड कोलेस्ट्रॉल की वजह से दिल की बीमारी होने की संभावना बहुत अधिक हो जाती है. बेसन की रोटी के फायदे में यह भी एक बहुत बढ़ा फायदा है.

बेसन खाने के फायदे बेहतर नींद के लिए

क्‍या आप अनिद्रा या नींद की समस्‍या से परेशान हैं। यदि ऐसा है तो बेसन को अपने आहार में शामिल कर लाभ प्राप्‍त किया जा सकता है। अच्‍छी नींद को बढ़ावा देने में बेसन महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाता है। बेसन के फायदे इसमें मौजूद 3 प्रमुख घटकों के कारण होते हैं। ये घटक हैं अमीनो एसिड, ट्रिप्टोफैन और सेरोटोनिन। ट्रिप्टोफैन आपके मस्तिष्‍क को शांत करने में सहायक होते हैं। इसके अलावा सेरोटोनिन नींद को उत्‍तेजित करने में सहायक होते हैं। इसलिए ही बेसन खाने के फायदे आपकी नींद को बेहतर बनाने और आपके मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य को बढ़ावा देने के लिए जाने जाते हैं।

बेसन की रोटी बेनिफिट्स फॉर हार्ट

आप अपने दिल को स्‍वस्‍थ रखने के लिए बेसन का उपयोग कर सकते हैं। बेसन में घुलनशील फाइबर होता है जो आपके हृदय स्‍वास्‍थ्‍य को लंबे समय तक बनाए रखता है। इसलिए कहा जाता है कि बेसन की रोटी बेनिफिट्स फॉर हार्ट। बेसन में ऐसे बहुत से घटक होते हैं तो रक्‍त वाहिकाओं को आराम दिलाने के साथ ही आपके हृदय की कार्य क्षमता को बढ़ाने में सहायक होते हैं। बहुत से हार्ट सर्जन रोगी को बेसन का सेवन करने की सलाह भी देते हैं। हृदय रोगियों के लिए बेसन खाने के फायदे उनके जीवन को बढ़ाने में सहायक होते हैं।

बेसन की रोटी के फायदे खून बढ़ाने के लिए

चने के आटे या बेसन की रोटी के फायदे एनीमिया के लक्षणों को कम करने में सहायक होते हैं। बेसन शरीर की थकान, अधिक वजन और लोहे की कमी जैसी समस्‍याओं का प्रभावी ढंग से इलाज कर सकता है। जानकारों के अनुसार नियमित रूप से बेसन की अनुशंसित मात्रा का सेवन करने से एनीमिया या खून की कमी जैसे लक्षणों को दूर किया जा सकता है। बेसन थियामिन का अच्‍छा स्रोत होता है जिसके कारण यह आपको पर्याप्‍त मात्रा में ऊर्जा दिलाने में सक्षम है।

बेसन के गुण कमजोरी दूर करे

चने को पीसकर बेसन प्राप्‍त किया जाता है जिसमें आयरन की अच्‍छी मात्रा होती है। इस तरह से बेसन का नियमित सेवन कर शरीर में आयरन की कमी को दूर किया जा सकता है। इसके अलावा बेसन में फोलेट भी होता है जो शारीरिक कमजोरी  को दूर करने में प्रभावी होता है। यदि आप भी अपने शरीर को कमजोर महसूस कर रहे हैं तो अपने नियमित आहार में शामिल कर बेसन के फायदे प्राप्‍त कर सकते हैं।

बेसन का उपयोग स्‍वस्‍थ गर्भावस्‍था के लिए

उन महिलाओं के लिए भी बेसन के फायदे होते हैं जो गर्भवती हैं। क्‍योंकि बेसन में फोलेट और आयरन दोनों की उच्‍च मात्रा होती है जो गर्भवती महिलाओं के लिए बहुत ही आवश्‍यक हैं। गर्भावस्‍था के दौरान बेसन का सेवन करने से यह महिलाओं की कमजोरी को भी दूर करने में सहायक होता है। इसके अलावा इसमें मौजूद फोलेट बच्‍चे के तंत्रिका विकास में सहायक होता है। बेसन में कैल्शियम भी होता है जो गर्भावस्‍था के दौरान महिलाओं की हड्डियों को मजबूत रखने का अच्‍छा विकल्‍प है। इस तरह से गर्भावस्‍था के दौरान महिलाओं के लिए बेसन खाने के फायदे होते हैं।

बेसन के फायदे स्‍तन कैंसर से बचाये

स्‍वास्‍थ्‍य लाभ दिलाने के लिए बेसन में विभिन्‍न प्रकार के औषधीय गुण होते हैं। इन्‍हीं गुणों में कैंसर रोधी गुण भी शामिल है। इसलिए बेसन के फायदे स्‍तन कैंसर जैसी गंभीर समस्‍या के लक्षणों को कम करने में सहायक होते हैं। हालांकि बेसन में कैंसर रोधी गुण आंशिक रूप से होते हैं। बेसन में सैपोनिन्‍स नामक फाइटोकेमिल होते हैं जो कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोकने में सहायक होते हैं। इसके अलावा यह ट्यूमर के विकास की संभावना को भी कम करते हैं। नियमित रूप से महिलाओं द्वारा बेसन का सेवन करने से यह ऑस्टियोपोरोसिस से रक्षा करता है। रजोनिवृत्ति के बाद महिलाओं में स्‍तन कैंसर को रोकने वाले हार्मोन को उत्‍तेजित करने में भी बेसन के पोषक तत्‍व अहम भूमिका निभाते हैं।

रक्‍तचाप को नियंत्रित करने में सहायक

जानकारों का मानना है कि बेसन का सेवन करने के फायदे रक्‍तचाप को नियंत्रित करने में सहायक होते हैं। ऐसा इसलिए है क्‍योंकि बेसन में मैग्‍नीशियम की अच्‍छी मात्रा होती है। यह आपके रक्‍तचाप को नियंत्रित करने और बहुत सी हृदय संबंधी समस्‍याओं को रोकने में प्रभावी होता है। जो लोग हृदय रोग से ग्रसित हैं उन्‍हें नियमित रूप से बेसन का सेवन करना चाहिए क्‍योंक‍ि बेसन के गुण हृदय स्‍वास्‍थ्‍य को बढ़ावा देते हैं।

बेसन का इस्‍तेमाल सूजन को कम करे

एक अध्‍ययन के अनुसार बेसन में सूजन रोधी गुण होते हैं। इसलिए बेसन का इस्‍तेमाल सूजन को कम करने के लिए किया जा सकता है। बेसन में सेलेनियम, पोटेशियम, विटामिन ए और और विटामिन बी भी होते हैं। ये सभी घटक सूजन संबंधी समस्‍याओं को दूर करने में प्रभावी होते हैं। यदि आप भी सूजन संबंधी समस्‍याओं से परेशान हैं तो सबसे पहले डॉक्‍टर से संपर्क करें साथ ही विकल्‍प के रूप से बेसन का सेवन कर सकते हैं।

बेसन के नुकसान-

बेसन बहुत सी स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं को दूर कर सकता है। लेकिन विशेष परिस्थितियों और शारीरिक क्षमता के अनुसार बेसन खाने नुकसान भी हो सकते हैं। जो एलर्जी का कारण बन सकते हैं।
बहुत से लोगों को चने के बेसन या चने से बने उत्‍पादों का सेवन करने से पाचन संबंधी समस्‍याएं हो सकती हैं। जिनमें पेट की ऐंठन, दस्‍त, आंतों की गैस आदि समस्‍या हो सकती है। इसके अलावा अधिक मात्रा में बेसन का सेवन करने से दस्‍त, कब्‍ज और पेट दर्द आदि भी हो सकता है।
बहुत से लोग बेसन और च
ने के प्रति संवेदनशील होते हैं। ऐसे लोगों को बेसन का सेवन करने से बचना चाहिए।

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रबड़ी बनाने की विधि और फायदे




रबड़ी एक प्रकार का पकवान है जो दूध को खूब उबाल कर व उसे गाढ़ा करके बनाया जाता है। भावप्रकाशनिघण्टु के अनुसार बिना जल छोड़े दूध को जितना ही अधिक औटाया जाये वह उतना ही अधिक गुणकारी, स्निग्ध (तरावट देने वाला), बल एवं वीर्य को बढ़ाने वाला हो जाता है।
रबड़ी उत्तर भारत की एक मशहूर स्वादिष्ट मिठाई है. कम सामग्री और कम समय में बंननेवाली यह डिश उत्तर भारत की पारम्परिक डिश है. मथुरा - आगरा की रबड़ी बहुत फेमस है. बच्चों की मनपसंद मिठाई है.
अक्सर लोग इसे रात के खाने के बाद खाना पसंद करते है. लेकिन इसे किसी भी अवसरपर खाया जा सकता है. इसे जिलेबी और मालपुआ के साथ भी खाया जाता है. आप मेरी इस रबड़ी रेसिपी - रबरी रेसिपी को फॉलो करके इसे घरपर आसानीसे बना सकते है..
रबड़ी बनाने की सामग्री-
फुलक्रीम दूध – 1 लीटर

चीनी -50 ग्राम

पिस्ते – 4-5

बादाम – 2

छोटी इलाइची – 2-3
रबड़ी बनाने की विधि: –
रबड़ी ताकि सरलता से बने इसके लिए इसे तीन चरणों में बॉट देते है और जल्दी जल्दी जुट जाते है इसे बनाने में ताकि इसका स्वाद भी जल्दी ले सके……
पहला चरण
रबड़ी के लिये कढ़ाई ऊपर से अधिक चौड़ी होनी चाहिए लेकिन आप अपनी सामान्य कढ़ाही में भी इसे बना सकते हैं परंतु कढ़ाही भारे तले की होनी चाहिये ताकि तली में दूध न लगे दूध को कढ़ाही में डालकर गरम करने रखिये, दूध में उबाल आने पर गैस धीमी कर दीजिये।
दूसरा चरण
जैसे ही दूध पर मलाई की हल्की परत आये कलछी से उठाकर, कढ़ाही के किनारे लगा दीजिये थोड़ी देर बाद फिर से दूध के ऊपरी सतह पर मलाई आये, इसे भी उठाइये और किनारे कर दीजिये दूध को धीमी गैस पर उबलने दीजिये और इसमें मलाई की परत को कढ़ाही के किनारे लगाते रहिये।
तीसरा चरण
इसी तरह मलाई की परत जमाते जाईये कढ़ाही के किनारे जमी मलाई की परत सूख कर शुष्क होती रहेगी, बार बार यही करना है, जब मलाई कढ़ाही के चारों ओर इकठ्ठी हो जाय और कढाई में दूध गाड़ा होकर एक तिहाई ही बचे तो बचे दूध में चीनी और कतरे हुये पिस्ते बादाम और इलाइची मिलाइये और गैस बन्द कर दीजिये और बचे दूध में चीनी डाल दीजिये इसके बाद कलछी से कढ़ाही के किनारों से मलाई खुरचकर निकालिये और उस गाड़े दूध में ही मिला दीजिये और खुरची हुई मलाई की परत (खुरचन) को दूध में मिलाते समय अधिक मत चलाईये ताकि रबड़ी में खुरचन की गांठे पड़ी रहें।
और फ्रिज में रख कर ठंडा कीजिये, खाना खाने के बाद ठंडी ठंडी रबड़ी (Rabri) फ्रिज से निकालिये, परोसिये और खाइये।
सावधानियाँ –
रबड़ी बनाते समय ध्यान रहे कि चमचे से मलाई निकालने के बाद चमचे दूध को भी तले तक ले जाते हुये चला दीजिये, दूध कढ़ाई के तले में नहीं लगना चाहिये।
गैस को धीमा रखे, नहीं तो जो मलाई किनारे पर लगा कर रखी है वह जल जायेगी।
ध्यान रहे चीनी ज्यादा न प्रयोग करे चूकि क्रीमी दूध ज्यादा पकने पर स्वं काफी मीठा हो जाता है।
स्वास्थ्य लाभ-
प्रतिदिन रबड़ी का सेवन ब्रह्ममूर्त में करने से अर्धशीशी के दर्द में शीघ्र लाभ होता है।
ये सिर में रक्त प्रवाह सही बनाने में मदद करता है।
शिराओ को खोल कर रक्त संचार दुरुस्त करता है।

शुगर से जुड़ी बीमारियाँ रोके

अगर आपको शुगर से जुड़ी कोई बीमारी है तो आपको रबड़ी का सेवन करना चाहिए। ये बात हैरान कर सकती है कि शुगर का मरीज भला कोई मीठी चीज कैसे खा सकता है। अगर आप चाहें तो इसमें बाजरा मिला सकते हैं। बाजरा मिलाने से आपकी सेहत भी अच्छी रहती है और आपको बेहतर महसूस होता है।

ब्लड प्रेशर को करे ठीक

ब्लड प्रेशर में परेशानी आपकी सेहत को खराब करने के लिए काफी है। अगर आप ब्लड प्रेशर से जुड़ी परेशानी से बचना चाहते हैं तो आपको रबड़ी का सेवन करना चाहिए। ये सेहत को ठीक रखती है और आपको ब्लड प्रेशर से जुड़ी परेशानी नहीं होने देती है जो एक बेहद अच्छी बात है।
इसका सेवन एक सीमित मात्रा में किया जाए तो फायदा होता है। मलाई में लैक्टिक फर्मेंटेशन प्रोबायोटिक होता है जो आंतो से जुड़े रोगों को दूर करता है। साथ ही मलाई खाने से शरीर डिटॉक्स होता है। कई बार जोड़ो में होने वाले दर्द से भी निजात मिलती है।
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13.7.21

बड़ी इलायची के फायदे और नुकसान :badi ilaychi



  आुयर्वेद के अनुसार, बड़ी इलायची पित्त शांत करने वाली, नींद लाने वाली, भोजन में रूचि पैदा करने काम करती है। यह हृदय एवं लीवर को स्वस्थ बनाती है। बड़ी इलायची भूख बढ़ाती है, भोजन को पचाती है, मुँह के बदबू को दूर करती है। यह पेट की गैस को खत्म करती है, उल्टी बंद करती है, घावों को भरती है। इसके प्रयोग से पेशाब खुल कर आता है, बुखार उतर जाता है।

बड़ी इलायची एक मसाला है जो सब्जियों में बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है। वैसे चाहे छोटी इलायची हो या बड़ी इलायची दोनों में बहुत से औषधीय गुण पाया जाता है। शायद बहुत से लोगो को इसके बारे में पता नहीं होगा। बड़ी इलायची बहुत से आयुर्वेदिक उपचारो के लिए उपयोग में लाया जाता है इसके साथ इसके बीज से तेल निकाला जाता है जो स्वास्थ्य की परेशानियों को कम करने में मदद करता हैं। बड़ी इलायची के फायदे की बात करे तो यह बालो की समस्या, त्वचा की समस्या, रक्तचाप व हृदय रोग के लिए फायदेमंद होते हैं। चलिए आपको बड़ी इलायची के फायदे के बारे में विस्तार से बताते हैं।
बड़ी इलायची एक बेहतरीन मसाला है जो सभी मसालों से अलग होता है। सब्जियों के स्वाद को बढ़ाने के लिए बड़ी इलायची बहुत फायदेमंद होता है। भारत को बड़ी इलायची या काली इलायची के नाम से जाना जाता है। बड़ी इलायची का उपयोग आज से नहीं बल्कि प्रचीन समय से किया जाता रहा है। बड़ी इलायची का उपयोग औषधीय बनाने के लिए किया जाता है।
बड़ी इलायची के निम्नलिखित फायदे हैं।

बालो के लिए बड़ी इलायची के फायदे –

इलायची बालो के लिए फायदेमंद होता है। नियमित रूप से बड़ी इलायची का उपयोग करने से बालो के डैंड्रफ व बालो की अन्य समस्या को ठीक करने में मदद करता है। इलायची का तेल बालो में लगाने से डैंड्रफ की समस्या दूर करते है। इसके तेल में एंटी-कवक और एंटी बैक्टीरिया का गुण मौजूद होता है। आप चाहे तो मिश्रण कर बालो में लगा सकते है जैसे दालचीनी, लौंग, नारंगी का तेल मिलाकर लगा ले। यह तेल बालो को पोषक तत्व प्रदान करता है इससे डैंड्रफ कम होने लगता हैं। 

कैंसर को रोकने के लिए – 

बड़ी इलायची में एंटी-ऑक्सीडेंट गुण पाया जाता है जो मुक्त कणो को नष्ट करने में मदद करता है। इस वजह से कैंसर रोग का जोखिम कम होने लगता है। कैंसर की समस्या न हो इसके लिए बड़ी इलायची बहुत लाभदायक होता है। आपको अपने भोजन में बड़ी इलायची का उपयोग करना चाहिए।

अवसाद का उपचार करने में – 

हर व्यक्ति को अवसाद की समस्या हो सकती है जिसे कम करने के लिए बड़ी इलायची का उपयोग बहुत फायदेमंद माना जाता है। बड़ी इलायची के तेल में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और ओक्सिजेन तनाव को कम करने में मदद करता है। इसके अलावा बड़ी इलायची के साथ शहद का सेवन कर सकते है। यह तेल तनाव को बढ़ने नहीं देता है बल्कि प्रभाव को कम करता है।

दांतो के लिए – 

बड़ी इलायची में कैल्शियम की अच्छी मात्रा होती है जो दांत को मजबूत करने में मदद करता है। यह मसूड़ों के संक्रमण को दूर करने में मदद करता है और दांत को कमजोर होने नहीं देता है। इसलिए नियमित रूप से बड़ी इलायची का उपयोग करना चाहिए। 

ऑस्टियोपोरोसीस को दूर करने में बड़ी इलायची के फायदे – 

हड्डियों को मजबूत करने में बड़ी इलायची बहुत फायदेमंद होता है। इसमें कैल्शियम की अच्छी मात्रा होती है जो हड्डियों को कमजोर होने से बचाव करती है। बड़ी इलायची में बहुत से पोषक तत्व मौजूद होते है जो हड्डी को मजबूत करते है। भोजन में नियमित रूप से बड़ी इलायची का उपयोग करे इससे ऑस्टियोपोरोसीस की समस्या नहीं होती हैं।
बड़ी इलायची के फायदे तो बहुत है किंतु अत्यधिक उपयोग करने से नुकसान हो सकता है। 

नुकसान-

गर्भवती महिला को बहुत कम बड़ी इलायची का सेवन करना चाहिए। अगर आप पहली बार माँ बनने वाली है तो बड़े इलायची का सेवन करने से पहले चिकिस्तक की सलाह ले। 
जिन लोगो को पेट में गैस की समस्या अधिक रहती है उनको बड़ी इलायची का सेवन नहीं करनी चाहिए। यदि ये लोग सेवन करते है तो शरीर पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा मुंह में छाला निकल सकता है। अगर कोई 
व्यक्ति किसी तरह की दवा का सेवन करता है तो उनको बड़ी इलायची का सेवन करने से पहले चिकित्सक से संपर्क करें।
बार-बार होने वाली घबराहट की समस्या से परेशान रहती हैं, तो ऐसे में दिन में 2-3 बार या घबराहट होन पर इलायची का सेवन करना फायदेमंद रहता है. इलायची का एंटीऑक्सिडेंट तत्व ब्लड सर्कुलेशन को सामान्य बनाती है जिससे मूड स्विंग्स में भी राहत मिलती है
दांत दर्द में फायदेमंद बड़ी इलायची का सेवन हिचकी को बंद करने के लिए करें बड़ी इलायची का सेवन i

बड़ी इलायची के इस्तेमाल से पेट के रोग का इलाज

बड़ी इलायची के 5 ग्राम बीज चूर्ण को काले नमक के साथ सेवन करने से पेट दर्द और पेट की गैस में लाभ होता है।
0.5-1 ग्राम बड़ी एला चूर्ण को 15-25 मिली कांजी के सेवन करने से पेशाब बंद होने से होने वाले गैस में लाभ होता है।
5 ग्राम बड़ी इलायची चूर्ण को शहद के साथ मिलाकर खाने से पेट दर्द में लाभ होता है।
1-2 बड़ी इलायची के चूर्ण को दिन में तीन बार नियमित सेवन करने से पेट के दर्द में आराम होता है।
एक कप पानी में दो बड़ी इलायची पीसकर उबालें। आधा बच जाने पर छानकर ठंडा होने दें। इसे पिलाने से हिचकी में तुरंत लाभ होता है।
बड़ी इलायची और लौंग तेल को बराबर-बराबर मात्रा में लेें। इसे दांतों पर मलने से दांत का दर्द ठीक होता है।
4-5 बड़ी इलायची के फल को 400 मिली पानी में उबाल लें। इस काढ़ा से कुल्ला करने से दांत दर्द ठीक होता है।
2-3 बड़ी इलायची के छिलकों को पीसकर खाने से दांत की बीमारियों तथा मुँह के सूजन में लाभ होता है।
बीज के काढ़े का कुल्ला एवं गरारा करने से दांत और मसूड़ों की तकलीफ ठीक होती है।

पाचनशक्ति बढ़ाने के लिए बड़ी इलायची का सेवन फायदेमंद

दो ग्राम सौंफ के साथ बड़ी इलायची के 8-10 बीजों का सेवन करने से पाचन-शक्ति बढ़ती है।
अधिक केले खाने पर यदि अजीर्ण हो जाए तो 1-2 बड़ी इलायची खाने से पाचन ठीक हो जाता है।
बड़ी इलायची बीज के चूर्ण और सोंठ के चूर्ण को समान मात्रा में मिला लें। इसे 5 ग्राम मात्रा में सेवन करने से पाचन शक्ति बढ़ती है।
एक ग्राम बड़ी इलायची बीज चूर्ण में 4 ग्राम मिश्री मिलाकर 1 ग्राम सुबह और शाम सेवन करने से गर्भवती स्त्री को भूख ना लगने की परेशानी में लाभ होता है।

बड़ी इलायची से नपुंसकता का इलाज

बड़ी इलायची के बीज के चूर्ण, सफेद मूसली और मिश्री को मिलाकर 2-3 ग्राम की मात्रा में नियमित सुबह और शाम सेवन करने से नपुंसकता में लाभ होता है।

मूत्र रोग में फायदेमंद बड़ी इलायची

बड़ी इलायची के बीज के चूर्ण में समान भाग मिश्री मिला लें। इसे 2-3 ग्राम की मात्रा में रोज सुबह और शाम सेवन करने से पेशाब खुल कर आने लगता है।
10 नग छिलकों सहित बड़ी इलायची को लेकर मोटा-मोटा कूट कर 250 मि.ली. दूध और 250 मि.ली. जल के साथ पकाएं। आधा बचने पर छानकर उसमें थोड़ी मिश्री मिलाकर दिन में चार बार पिलाएं। इससे पेशाब की जलन व पेशाब ना आने की समस्या दूर होती है।

बड़ी इलायची के सेवन से स्वप्नदोष का इलाज

आँवले के 20 मि.ली. रस में एक ग्राम बड़ी इलायची के दाने और इसबगोल बराबर मात्रा में मिला लें। इसे 1-1 चम्मच सुबह-शाम सेवन करें। इसे स्वप्नदोष में लाभ होता है।

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बेकिंग सोडा के फायदे और नुकसान:Baking soda ke upyog




सेहत और त्वचा के लिए कई फायदेमंद पदार्थ हमारे किचन में ही मौजूद होते हैं, लेकिन जानकारी के अभाव में हम उसका लाभ नहीं उठा पाते। ऐसी ही एक सामग्री है बेकिंग सोडा। सफेद रंग-सा दिखना वाला बेकिंग सोडा चेहरे और सेहत के लिए जादुई पाउडर साबित हो सकता है। बशर्ते इसका इस्तेमाल सही तरीके और सही मात्रा में किया जाए। स्टाइलक्रेज के इस आर्टिकल में हम बेकिंग सोडा के फेसपैक से लेकर खाने के लिए उपयोग करने के ऐसे तरीकों के बारे बता रहे हैं, जिससे स्किन ग्लोइंग और सेहत माइंड ब्लोइंग हो जाएगी। चलिए, जानते हैं बेकिंग सोडा के फायदे और इससे जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण बातों के बारे में।

बेकिंग सोडा क्या है?

बेकिंग सोडा सफेद रंग का पाउडर होता है, जिसका रासायनिक नाम सोडियम बाइकार्बोनेट (NaHCO3) है। इसे अंग्रेजी और हिंदी दोनों में बेकिंग सोडा ही कहा जाता है। कई लोग बेकिंग सोडा और पाउडर को एक ही समझ लेते हैं, लेकिन दोनों अलग हैं। बेकिंग सोडा हल्का दरदरा होता है, जबकि बेकिंग पाउडर मैदा जैसा मुलायम होता है। बेकिंग पाउडर को बेकिंग सोडा और एसिड को मिलाकर बनाया जाता है। कुछ लोग आटा व मैदा गूंथने के लिए खासतौर पर बेकिंग सोडा का इस्तेमाल करते हैं।

1. निखरी त्वचा के लिए बेकिंग सोडा

सामग्री:

2 बड़े चम्मच संतरे का छिलका
1 बड़ा चम्मच बेकिंग सोडा

उपयोग करने का तरीका:

बेकिंग सोडा और संतरे के छिलके को मिक्स करके पेस्ट बना लें।
अब साफ चेहरे पर फेस मास्क की तरह इस मिश्रण को लगाएं।
15 मिनट बाद चेहरे पर पानी की छीटें डालकर एक मिनट तक हल्के-हल्के हाथों से मसाज करें।
अब ठंडे पानी से चेहरे को धो लें और तौलिये से चेहरा साफ कर लें।
अंत में चेहरे पर मॉइस्चराइजर जरूर लगाएं।
कैसे लाभदायक है:
बेकिंग सोडा में एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो चेहरे को जीवाणुओं से बचाते हैं (1)। बेकिंग सोडा के साथ इस पैक में इस्तेमाल होने वाले संतरे का छिलके में सूरज की पराबैंगनी किरणों से त्वचा को बचाने का गुण होता है (2)। इसमें एंजी-एजिंग गुण भी होते हैं, जो त्वचा के एजिंग साइन्स जैसे खोई चमक, ढीली और झुर्रिदार त्वचा को कुछ हद तक ठीक कर सकते हैं (3)। इसके अलावा, संतरे में मौजूद विटामिन-सी में डीपिगमेंटिंग प्रभाव होता है, जो मेलेनिन की मात्रा को कम करके काले दाग-धब्बों को ठीक कर सकता है (4) (5)। इसी वजह से चमकदार स्किन के लिए बेकिंग सोडा का इस्तेमाल किया जाता है

2. एक्ने व पिंपल

सामग्री:
1 चम्मच बेकिंग सोडा
1 चम्मच पानी

उपयोग करने का तरीका:

बेकिंग सोडा और पानी को मिलाकर पेस्ट तैयार कर लें।
अपने हाथों व चेहरे को धो लें और तौलिये से चेहरे की नमी को साफ कर लें।
कील-मुंहासों से प्रभावित त्वचा पर बेकिंग सोडा का पेस्ट लगाएं और कुछ मिनटों तक उंगलियों की मदद से धीरे-धीरे त्वचा की मसाज करें।
मसाज के दो-तीन मिनट बाद गुनगुने पानी से चेहरा धो लें।
अब अपने चेहरे पर मॉइस्चराइजर का उपयोग करें।
कैसे लाभदायक है:
स्किन के लिए बेकिंग सोडा का उपयोग एक्ने और पिंपल को भी दूर कर सकता है। दरअसल, बेकिंग सोडा में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं । वहीं, एक्ने भी जीवाणुओं की वजह से होते हैं । ऐसे में माना जाता है कि बेकिंग सोडा में मौजूद यह गुण मुंहासे व एक्ने को पैदा होने व पनपने से रोक सकता है। । फिलहाल, इस संबंध में और वैज्ञानिक शोध की जरूरत है।

3. सनबर्न के लिए बेकिंग सोडा

सामग्री:
एक कप बेकिंग सोडा
दो-चार कप ओट्स पाउडर
नहाने योग्य पानी
उपयोग करने का तरीका:
टब को पानी से भर दें।
अब उसमें बेकिंग सोडा और ओट्स पाउडर डाल दें।
लगभग 20 मिनट तक इस पानी में बैठें।
टब न हो तो बाल्टी में इन सामग्रियों को डालकर मग की मदद से नहा सकते हैं।
कैसे लाभदायक है:
सोडियम बाइकार्बोनेट लाभ में सनबर्न से राहत पाना भी शामिल है। माना जाता है कि बेकिंग सोडा एंटीइंफ्लेमेटरी गुण से समृद्ध होता है, जो सनबर्न से प्रभावित त्वचा को आराम पहुंचाने का काम कर सकता है (7) (8)
4. हार्ट बर्न
सामग्री:
1 गिलास साधारण पानी
एक चम्मच बेकिंग सोडा
उपयोग करने का तरीका:
पानी में बेकिंग सोडा को डालें।
अब अच्छे से इसे चम्मच की मदद से घोल लें।
फिर इसे पी लें।
कैसे लाभदायक है:
बेकिंग सोडा पीने के फायदे में हार्ट बर्न भी शामिल है। सोडियम बाइकार्बोनेट एक प्रकार का एंटासिड है, जिसका उपयोग हार्टबर्न से राहत दिला सकता है। हालांकि, बेकिंग सोडा में सोडियम की मात्रा ज्यादा होती है, इसलिए इसका इस्तेमाल सीमित मात्रा में ही करनी चाहिए। वैसे इसका इस्तेमाल डॉक्टर की सलाह पर ही किया जाए, तो बेहतर होगा

5. काले होठों के लिए बेकिंग सोडा

सामग्री:
1 चम्मच शहद
नींबू के रस की कुछ बूंदें
1 चम्मच बेकिंग सोडा
उपयोग करने का तरीका:
तीनों सामग्रियों को मिलाकर पेस्ट तैयार करें।
अब इस मिश्रण को होठों पर लगाएं और लगभग 2 मिनट के लिए छोड़ दें।
अब धीरे-धीरे उंगलियों की मदद से होठों को रगड़ें।
कैसे लाभदायक है:
बेकिंग सोडा एक्सफोलिएटिंग गुण से समृद्ध होता है, जो त्वचा की मृत कोशिकाओं को हटाने का काम कर सकता है। साथ ही शहद और नींबू दोनों में विटामिन-सी पाया जाता है । विटामिन-सी को एस्कोरबिक एसिड भी कहा जाता है, जो बतौर ब्लीचिंग एजेंट हमारी स्किन पर काम करता है । काले होठों से बचाव व प्राकृतिक रंग पाने के लिए आप इस मिश्रण को अपना सकते हैं। हालांकि, इस संबंध में अभी और शोध की जरूरत है।

6. त्वचा के अनचाहे बाल

सामग्री:
1 बड़ा चम्मच बेकिंग सोडा
200 ml गर्म पानी
उपयोग करने का तरीका:
गर्म पानी में बेकिंग सोडा मिलाएं और घोल को ठंडा होने दें।
अब एक पट्टी को घोल में भिगोकर हल्का निचोड़ लें।
पट्टी को त्वचा पर लगाकर छोड़ दें।
फिर कुछ देर बाद बेकिंग पाउडर से हल्की मसाज करें।
इसके बाद त्वचा को साफ पानी से धो लें।
धोने के बाद चेहरे को तौलिये से पोंछकर मॉइस्चराइजर लगाएं।
कैसे लाभदायक है:
माना जाता है कि बेकिंग सोडा अनचाहे बालों को हटाने में मदद करता है। लोग इसका पेस्ट बनाकर अनचाहे बाल हटाने के लिए बेकिंग सोडा को उपयोग में लाते हैं। हालांकि, इसके संबंध में किसी तरह का शोध उपलब्ध नहीं है, लेकिन कई लोग इस नुस्खे को अपनाते हैं। बस ध्यान दें कि संवेदनशील त्वचा पर बेकिंग सोडा जलन पैदा कर सकता है, इसलिए उपयोग से पहले पैच टेस्ट जरूर कर लें।

7. दांतों को सफेद करने के लिए

सामग्री:
आधा चम्मच बेकिंग सोडा
पानी की कुछ बूंदें
उपयोग करने का तरीका:
पानी की कुछ बूंदों के साथ बेकिंग सोडा मिलाकर पेस्ट बना लें।
अपने टूथब्रश पर बेकिंग सोडा पेस्ट लगाएं और धीरे-धीरे दांतों को ब्रश करें।
तीन-चार मिनट अच्छी तरह ब्रश करने के बाद पानी से कुल्ला कर लें।
कैसे लाभदायक है:
बेकिंग सोडा को हमेशा से ही जिद्दी दाग साफ करने वाला प्रभावी उपाय माना गया है। ओरल हेल्थ में सुधार करने के साथ ही बेकिंग सोडा दांतों के पीले धब्बों को कम करने में मदद कर सकता है। इसके अलावा, इसमें मौजूद व्हाइटनिंग प्रभाव दांतों को सफेद चमक दे सकता है

8. अंडर आर्म्स

सामग्री:
एक बड़ा चम्मच कुचला हुआ खीरा
दो बड़े चम्मच जैतून का तेल
एक बड़ा चम्मच बेकिंग सोडा
तीन चम्मच नींबू का रस
उपयोग करने का तरीका:
एक कटोरी में सभी सामग्रियों को मिलाकर मिश्रण तैयार कर लें।
अब इस मिश्रण को 10 मिनट के लिए अपने अंडरआर्म्स पर लगाएं।
अब गुनगुने पानी से अंडरआर्म्स को धो लें और साफ तौलिये से पोंछ लें।
कैसे लाभदायक है:
बेकिंग सोडा का इस्तेमाल बगल की सफाई के लिए भी किया जा सकता है। बेकिंग सोडा एंटीबैक्टीरियल गुणों से समृद्ध होता है, जो गंदगी और तन की दुर्गंध बढ़ाने वाले जीवाणुओं को दूर भगाने का काम कर सकता है । तन से आने वाली दुर्गंध को कम करने की वजह से बेकिंग सोडा को डियोडरेंट का विकल्प भी माना जाता है । साथ ही कुछ लोग बेकिंग सोडा को काले होते बगल के रंग को हल्का करने में भी प्रभावी मानते हैं, लेकिन इस संबंध में किसी तरह का शोध मौजूद नहीं है।

9. नेल फंगस

सामग्री:
चार-पांच चम्मच बेकिंग सोडा
एक नॉर्मल सिरका या सेब का सिरका
पानी
पेपर टॉवल (आवश्यकतानुसार)
एक तिहाई बाल्टी पानी
उपयोग करने का तरीका:
बाल्टी को एक तिहाई पानी से भरें और इसमें सिरका मिलाएं।
अपने पैरों को लगभग 15 मिनट के लिए सिरके के पानी में डुबोकर रखें।
अब पैरों को पेपर टॉवल से सुखाएं।
बाल्टी से सिरके का पानी निकाल दें और उसमें फिर से एक-तिहाई साफ पानी भरें।
इसमें बेकिंग सोडा मिलाएं और अपने पैरों को 15 मिनट के लिए डुबोकर रखें।
अब पैरों को पेपर टॉवल से सुखाएं।
कैसे लाभदायक है:
सिरका और बेकिंग सोडा दोनों एंटीफंगल गुण से समृद्ध है। इसी वजह से माना जाता है कि फंगस की वजह से होने वाले नेल इंफेक्शन से इनका मिश्रण राहत दिला सकता है। एनसीबीआई की वेबसाइट पर मौजूद एक अध्ययन की बात करें, तो उसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि बेकिंग सोडा नेल फंगस की वजह बनने वाले फंगस से लड़ सकता है

10. माउथ अल्सर

सामग्री:
एक बड़ा चम्मच बेकिंग सोडा
एक चम्मच पानी
उपयोग करने का तरीका:
बेकिंग सोडा और पानी को मिलाकर पेस्ट तैयार कर लें।
इस पेस्ट को मुंह के अल्सर पर लगाएं और सूखने के लिए छोड़ दें।
एक बार सूख जाने पर बेकिंग सोडा पेस्ट हटा दें और पानी से कुल्ला कर लें।
वैकल्पिक रूप से आप सिर्फ पानी में बेकिंग सोडा डालकर कुल्ला भी कर सकते हैं।
कैसे लाभदायक है:
माउथ अल्सर में छोटे, दर्दनाक घाव मुंह या मसूड़ों पर पनपने लगते हैं। खाना, पीना और बातें करना इस वजह से असहज हो जाता है। इस समस्या को कम करने में बेकिंग सोडा मदद कर सकता है। बेकिंड सोडा एंटीइंफ्लेमेटरी और एंटीबैक्टीरियल गुणों से समृद्ध होता है। यह प्रभाव माउथ अल्सर से होने वाले दर्द को कम करने और मुंह में बैक्टीरिया को पनपने से रोक सकता है। इसी वजह से इसे माउथ अल्सर के लक्षण को कम करने में लाभदायक माना जाता है।

11. डैंड्रफ

सामग्री:
एक बड़ा चम्मच बेकिंग सोडा
उपयोग करने का तरीका:
अपने बालों को हल्का गीला कर लें और बेकिंग सोडे को सीधा स्कैल्प पर लगाएं।
फिर उंगलियों की मदद से धीरे-धीरे कुछ सेकंड तक स्कैल्प की मालिश करें।
अब अपने बालों को कंडीशन करें।
कैसे लाभदायक है:
डैंड्रफ होने के पीछे मुख्य कारण मालसिजिया (Malassezia) नामक फंगस को माना गया है । वहीं, बेकिंग सोडा में एंटीफंगल गुण होते हैं, जिस वजह से माना जाता है कि यह डैंड्रफ को दूर कर सकता है। एक स्टडी में भी पाया गया है कि बेकिंग सोडा में मौजूद एंटी-फंगल प्रभाव त्वचा पर होने वाले इंफेक्शन से बचा सकता है । इस तथ्य को अच्छी तरह से प्रमाणित करने के लिए वैज्ञानिक और अध्ययन कर रहे हैं।

12. घने बाल

सामग्री:
तीन कप पानी
एक कप बेकिंग सोडा
अरंडी का तेल (आवश्कतानुसार)
उपयोग करने का तरीका:
सभी सामग्रियों को मिलाएं और किसी बोतल में स्टोर कर लें।
बालों को हल्का गीला कर लें और बेकिंग सोडा के घोल को सीधा स्कैल्प पर लगाएं।
इसके बाद धीरे-धीरे बालों की मालिश करें।
कैसे लाभदायक है:
सोडियम बायोकार्बोनेट यानी बेकिंग सोडा का इस्तेमाल बालों से संबंधित हेयर प्रोडक्ट्स में किया जाता है । कई लोगों का मानना है कि इसका घोल बोलों को घना बना सकता है, लेकिन इससे संबंधित किसी तरह का शोध उपलब्ध नहीं है।
बेकिंग सोडा खाने के फायदे, पीने व लगाने के लाभ के बाद अब सोडियम बाइकार्बोनेट के उपयोग का तरीका जानते हैं।

बेकिंग सोडा का उपयोग

वजन कम करें: जैसा आप जानते है सोडा के फायदे और नुकसान दोनों है। सोडा के फायदे में वजन कम करना भी शामिल है। जब आप चीनी से समृद्ध पेय पदार्थों को कम कर देते है, तब कैलोरी लेने की मात्रा अपने आप कम हो जाती है। अगर आप रोजाना बिना कैलोरी वाला स्पार्कलिंग वाटर कुछ मात्रा में पिएंगे, तो इस तरह आप कैलोरी का सेवन कम कर पाएंगे और वजन भी धीरे-धीरे कम होने लगेगा।

शरीर से विषाक्त पदार्थ निकालें: 

अगर आप जानते है कि नल का पानी साफ व फिल्टर किया हुआ है, तो आपके लिए यह पानी पीना सुरक्षित है। अगर आप नल के पानी की जगह सोडा वॉटर पीते है तो उसकी फिल्टर करने की संभावना अधिक होती है क्योंकि कार्बन मिलाने से पहले ज्यादातर इसे साफ किया जाता है। इसी वजह से आप नल का गंदा पानी पीने से बच जाते है।
पेट भरा हुआ लगे: खाने से पहले ज्यादा से ज्यादा पानी पीना चाहिए, जिससे आप जरूरत से अधिक खाना ना खा पाएं लेकिन सामान्य पानी के मुकाबले सोडा पानी पीने से आपको ज्यादा देर तक अपना पेट भरा हुआ महसूस होता है। एक स्टडी का कहना है कि सोडा वॉटर की वजह से खाना पेट में ज्यादा देर तक रहता है, जिससे आपका पेट जल्द ही भरा हुआ महसूस होता है।

मोशन सिकनेस नहीं होने दे: 

सोडा वॉटर पीने से मतली और उल्टी और मोशन सिकनेस की समस्या नहीं होती। मोशन सिकनेस को कम करने के लिए सोडा वॉटर फायदेमंद होता है।
कब्ज नहीं होने दे: कब्ज ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति को मल बहुत कम आता है। जो लोग कब्ज की समस्या से परेशान होते है उन्हें पेट में गैस, पेट फूलने और मल त्याग करते समय दर्द महसूस होता है। एक स्टडी के अनुसार, सोडा पानी कब्ज का इलाज करने में मदद करता है। सोडा वॉटर पीने से मल त्याग करने में आसानी होती है और अन्य समस्याएं भी कम हो जाती है।

शरीर में पानी की कमी नहीं होती: 

कई लोग ऐसा सोचते है कि सोडा पीने से शरीर में पानी की कमी हो जाती है, लेकिन ऐसा नहीं है। सामान्य पानी की तरह सोडा भी पानी की कमी नहीं होने देता। सोडा शरीर से सारे विषाक्त पदार्थ निकालने में मदद करता है और आपको पूरा दिन हाइड्रेट रखते है।

ह्रदय रोग का जोखिम कम करें: 

एक स्टडी में पाया गया कि गर्भवती महिलाओं को सोडा पानी देने से उनमें ह्रदय रोग का खतरा कम होता है। इसके अलावा जो लोग सोडा पीते है, उन्हें पाचन से संबंधित परेशानी नहीं होती। सोडा पीने से पेट साफ रहता है। जो महिलाऐं सोडियम से भरपूर सोडा पानी पीती है, उनके शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम हो जाता है और गुड कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ता है।बेकिंग सोडा खाने के फायदे पाने के लिए इसे किस तरह से इस्तेमाल किया जाना चाहिए, आइए क्रमवार तरीके से जानते हैं।
बेकिंग सोडा का उपयोग केक बनाने के लिए भी किया जा सकता है।
बेकिंग सोडा को आटा गूंथते हुए किण्वित (fermentation) करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
बालों को धोने के लिए बेकिंग सोडा का उपयोग कर सकते हैं।
बेक करके बनाने वाली सामग्रियों में इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।
बेकिंग सोडा पीने के फायदे भी होते हैं, इसलिए इसे पानी में मिलाकर पी सकते हैं।
बेकिंग सोडा का उपयोग फेसपैक के रूप में किया जा सकता है।
बेकिंग सोडा को एक क्लीन्जर की तरह भी उपयोग किया जा सकता है। फलों और सब्जियों को धोने के लिए या दाग ​​धब्बे को साफ करने के लिए बेकिंग सोडा उपयोगी हो सकता है।
अब जानते हैं कि किस प्रकार बेकिंग सोडा लंबे समय तक खराब नहीं हो सकता।

बेकिंग सोडा को लंबे समय तक सुरक्षित कैसे रखें

बेकिंग सोडा को सुरक्षित रखने के लिए सूखी जगह को चुनें। अगर पैकेट वाला बेकिंग सोडा खरीदा है, तो उसे एयर टाइट डिब्बे में बंद करके रखें। इसके अलावा, हर बार इस्तेमाल करने के बाद डिब्बे का ढक्कन अच्छे से बंद करें, वरना उसमें नमी आ जाएगी और वो खराब हो जाएगा।
बेकिंग सोडा के नुकसान 
शरीर के लिए बेकिंग सोडा खाने के फायदे कई हो सकते हैं, लेकिन इसके कई दुष्परिणाम भी हो सकते हैं। नीचे जानिए बेकिंग सोडा के नुकसान के बारे में :
प्यास बढ़ सकती है।
पेट में ऐंठन हो सकती है।
गैस जैसी समस्या का सामना करना पड़ सकता है।
सिरदर्द हो सकता है।
जी-मिचलाना जैसी परेशानी हो सकती है।
उल्टी शुरू हाे सकती है।
भूख में कमी आ सकती है।
चिड़चिड़ापन जैसा महसूस हो सकता है।
कमजोरी महसूस हो सकती है।
बार-बार पेशाब आने जैसी समस्या का सामना करना पड़ सकता है।
धीमी गति से सांस लेना भी इसके नुकसान में शामिल है।
पैरों में सूजन आ सकती है।
खूनी व काला मल जैसी समस्या हो सकती है।
पेशाब में रक्त आना भी इसके नुकसान के लक्षणों में शामिल है।
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खिसकी हुई नाभि को सही जगह पर लाने के उपाय

घबराहट दूर करने के आयुर्वेदिक उपाय

खून में कोलेस्ट्रोल कम करने के असरदार उपाय

दस जड़ी बूटियाँ से सेहत की समस्याओं के समाधान

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इमली की पतियों से बढ़ता है ब्रेस्ट मिल्क

जीरा के ये फायदे जानते हैं आप ?

शरीर को विषैले पदार्थ से मुक्त करने का सुपर ड्रिंक

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अस्थि भंग (हड्डी टूटना)के प्रकार और उपचार

पेट के रोगों की अनमोल औषधि (उदरामृत योग )

सायनस ,नाक की हड्डी बढ़ने के उपचार

किडनी फेल (गुर्दे खराब ) की रामबाण औषधि

किडनी फेल रोगी का डाईट चार्ट और इलाज

प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ने से पेशाब रुकावट की कारगर हर्बल औषधि

सिर्फ आपरेशन नहीं ,किडनी की पथरी की १००% सफल हर्बल औषधि

सायटिका रोग की रामबाण हर्बल औषधि



9.7.21

गले की खराश और दर्द में राहत दिलाएंगे ये आयुर्वेदिक नुस्खे: Gale ki kharash



गले में इन्फेक्शन और खराश सबसे आम स्वास्थ्य बीमारियों में से एक है, खासकर सर्दियों में। वे आम तौर पर कॉमन कोल्ड और फ्लू के संक्रमण के कारण होते हैं और काफी दर्दनाक होते हैं, हालांकि एक सप्ताह के भीतर चले भी जाते हैं। दर्द को कम करने के लिए आपको सबसे पहले यह समझने की आवश्यकता होती है कि आपके गले में खराश की वजह क्या हो सकती है: ड्राई एयर, धूम्रपान, एसिड रिफ्लक्स, फ्लू या सामान्य सर्दी की तरह वायरल संक्रमण और स्ट्रेप जैसे जीवाणु संक्रमण - ये सभी गले में इन्फेक्शन की वजह हो सकते हैं।

सामान्य तौर पर एक वायरल संक्रमण गले में खराश के साथ अन्य लक्षणों, जैसे मांसपेशियों में दर्द और थकान, के साथ आता है। वहीँ दूसरी ओर बैक्टीरियल इन्फेक्शन के केस में दर्द आमतौर पर आपके गले पर अधिक केंद्रित होता है और संक्रमण बहुत गंभीर हो जाता है। तेज बुखार के साथ साथ आपको कुछ भी निगलने पर तेज दर्द भी हो सकता है। यहाँ कुछ ऐसे घरेलू उपचार बताये जा रहे हैं जो आपके गले के दर्द को कम कर सकते हैं। यदि आप वास्तव में गले में खराश से छुटकारा पाना चाहते हैं, तो इन सर्वोत्तम उपचारों को अवश्य अपनाएं।

1. नमक का पानी

नमक का पानी गले की खराश का एक बेहतरीन घरेलू उपाय है, क्योंकि यह सूजन और जलन को कम करता है। हालांकि नमक का पानी आपको तत्काल राहत नहीं दे सकता है, लेकिन यह बलगम को ढीला और दर्द को कम करते हुए बैक्टीरिया को मारने के लिए एक प्रभावी उपाय है। बस आधा चम्मच नमक को 1 गिलास गर्म पानी में मिलाएं और गार्गिल करें।

2. शहद

हनी अपने नेचुरल एंटीबैक्टेरियल गुणों के कारण गले में खराश के लिए सबसे अच्छे उपचारों में से एक है, जो घाव को कम करने में मदद करता है और सूजन को कम करके दर्द से तुरंत राहत देता है। हनी बैक्टीरिया को भी मार सकता है और वायरल संक्रमणों से लड़ने में मदद कर सकता है। यदि आप गले में खराश के अलावा खांसी से बुरी तरह से पीड़ित हैं तो शहद बहुत प्रभावी रूप में कार्य कर सकता है। एक गर्म गिलास पानी या चाय के साथ शहद के दो बड़े चम्मच मिलाएं और इसे अच्छी तरह से हिलाएं। आवश्यकतानुसार दिन में कई बार पिएं।

3. नींबू

नमक पानी और शहद के समान नींबू भी गले में खराश के लिए बहुत अच्छा होता है, क्योंकि वे बलगम को भगाने और दर्द से राहत प्रदान करने में मदद कर सकते हैं। नींबू विटामिन सी से भरा होता है जो प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने और संक्रमण से लड़ने के लिए इसे और अधिक शक्ति देने में मदद कर सकता है। एक गिलास गर्म पानी में एक चम्मच नींबू का रस मिलाएं और जल्दी राहत के लिए पिएं।

4. गर्म सॉस

संक्रमित गले को राहत देने के लिए गर्म सॉस का उपयोग करना अजीब लग सकता है, लेकिन यह मसाला वास्तव में गले में खराश के लिए राहत प्रदान करने के लिए काफी सिद्ध साबित हुआ है। हॉट सॉस का उपयोग सूजन से लड़ने और दर्द से राहत प्रदान करने के लिए किया जा सकता है। गर्म सॉस की कुछ बूंदों को गर्म पानी के गिलास में मिलाकर गरारा करने से आपके गले की खराश को काफी हद तक ठीक किया जा सकता है।

5. चाय

ऐसे कई प्रकार के हर्बल चाय होते हैं जिसे आप गले में राहत के लिए कोशिश कर सकते हैं। लौंग की चाय और ग्रीन टी दोनों में संक्रमण से लड़ने के लिए एंटी बैक्टिरियल और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। रास्पबेरी, कैमोमाइल, और पेपरमिंट चाय दर्द से राहत और सूजन को कम करने के लिए बढ़िया विकल्प हैं। कैमोमाइल चाय एक प्राकृतिक लुब्रिकेंट के रूप में भी काम करती है, इसलिए यदि आपको बोलने में कठिनाई हो रही है तो यह आपका सबसे अच्छा विकल्प हो सकता है। इसके अलावा, पेपरमिंट चाय स्वाभाविक रूप से आपके गले को आराम पहुंचा सकती है और दर्द को कम कर सकती है।
6. गले को आराम देने का सबसे सही समय होता है रात का वक्त। रात को सोते समय दूध में आधी मात्रा में पानी मिलाकर पिएं। इससे गले की खराब कम होगी। साथ ही गर्म हल्दी वाला दूध भी बहुत फायदेमंद होगा
7.  एक कप पानी में 4 से 5 कालीमिर्च एवं तुलसी की 5 पत्तियों को उबालकर काढ़ा बना लें और इस काढ़े को पिएं। यह रात को सोते समय पीने पर लाभ होगा। इसके अलावा भोजन में आप साधारण चीजें ही खाएं तो बेहतर होगा।
8.  गले में खराश होने पर गुनगुना पानी पिएं। गुनगुने पानी में सिरका डालकर गरारे करने से गले की खराश दूर होगी और गले का संक्रमण भी ठीक हो जाएगा। इसके अलावा गुनगुने पानी में नमक डालकर गरारे करना एक अच्छा इलाज है।
9.पालक के पत्तों को पीसकर इसकी पट्टी बनाकर गले में बांधे और 15 से 20 मिनट तक इसे बांधे रखने के बाद खोल लें। इसके अलावा धनिया के दानों को पीसकर उसका पाउडर बनाएं और उसमें गुलाब जल मिलाकर गले पर लगाएं। इससे भी आराम होगा।
10.गले की खराश के लिए कालीमिर्च को पीसकर घी या बताशे के साथ चाटने से भी लाभ होता है। साथ ही कालीमिर्च को 2 बादाम के साथ पीसकर सेवन करने से गले के रोग दूर हो सकते हैं।
गले की खराश या फिर अन्य समस्या होने पर मांसाहार, रूखा भोजन, सुपारी, खटाई, मछली, उड़द इन चीजों से परहेज ही रखें, ताकि गला जल्दी ठीक हो सके।
खाना निगलते वक्त गले में दर्द होना आम बात नहीं है, यह ग्रासनली में सूजन हो सकती है। इस स्थिति में गले में खराश, दर्द होता है। मेडि‍कल भाषा में फैरिन्जाइटिस कहते हैं, जो खास तौर से सर्दियों में आपको जकड़ सकती है।

कारण, लक्षण और उपाय -

कारण - फैरिन्जाइटिस का मुख्य कारण वायरस है, लेकिन कभी-कभी बैक्टीरियल इन्फेक्शन की वजह से भी यह समस्या हो सकती है। इसके अलावा सेकेंड-हैंड स्मोक और साइनस इन्फेक्शन के कारण भी य‍ह बीमारी हो सकती है।
लक्षण - गले में दर्द होना, खाना निगलने में दर्द, सूजन और गले में खराश होना फैरिन्जाइटिस के प्रमुख लक्षण हैं।
उपाय - 
1 पानी को गुनगुना कर लें और इसमें नमक मिलाकर गरारे करें। इसे दिन में 3 बार करने से गले की सूजन कम होगी और दर्द में राहत मिलेगी।
2 अदरक का प्रयोग करें। आप चाहें तो पानी में अदरक को उबालकर पी सकते हैं या फिर अदरक के टुकड़े को चूसना भी फायदेमंद होगा। चाय में अदरक का प्रयोग जरूर करें।
3 हल्के गर्म पानी में नींबू की कुछ बूंदे निचोड़कर इस पानी को पिएं। यह काफी आराम देगा। आप चाहें तो इसमें शहद भी मिलाकर पी सकते हैं।
4 मुलहठी और दालचीनी को चूसना भी गले की इस प्रॉब्लम में आपको आराम दे सकता है। चाहें तो गर्म पानी या चाय के साथ भी इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।
5 गुनगुने पानी में हल्दी डालकर पीने से भी लाभ मिल सकता है। इसके अलावा लहसुन का प्रयोग भी आपके गले की सूजन और दर्द को कम कर सकता है।

क्या अवॉयड करें?
हालांकि इन सभी उपायों से गले में दर्द से काफी राहत मिल सकती है, लेकिन ऐसे कई आइटम हैं जिनसे आपको बचना चाहिए। जैसे, यदि आपके गले में खराश है तो किसी भी ऐसे खाद्य पदार्थ का सेवन न करें जिन्हें निगलने में मुश्किल हो। जब तक गले में दर्द का समाधान नहीं हो जाता, तब तक सूप और नरम खाद्य पदार्थों का ही सेवन करना चाहिए। यदि आपने ये सारे घरेलू उपचार को आजमा लिया है और वे मदद नहीं करते हैं तो अपने डॉक्टर से ज़रूर मिलें। यदि आपको बुखार, ठंड लगना, निगलने में कठिनाई, यहाँ तक कि तरल पदार्थ पीने में दिक्कत हो रही है तो आपको डॉक्टर से तुरंत उपचार लेना चाहिए, क्योंकि यह अधिक गंभीर बीमारी का संकेत हो सकता है।
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7.7.21

आंतों में सूजन और पेट मे संक्रमण के हर्बल उपचार :bowel infection



  आंतों में सूजन एक गंभीर समस्‍या है जिसका इलाज करना जरूरी है। दवाओं के साथ-साथ घरेलू तरीकों की मदद से भी आप इस स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍या को कम या नियंत्रित कर सकते हैं।

आंतों में सूजन को अल्‍सरेटिव कोलाइटिस कहा जाता है। ये इंफ्लामेट्री बाउल डिजीज का सबसे सामान्‍य प्रकार है। आंतों में सूजन की समस्‍या का घरेलू नुस्‍खों से इलाज तो नहीं किया जा सकता, लेकिन लक्षणों से राहत पाने और इसे बढ़ने से रोका जरूर जा सकता है। अगर किसी व्‍यक्‍ति की आंतों में सूजन आ गई है तो वह कुछ घरेलू नुस्‍खों की मदद से इस समस्‍या को कम या बढ़ने से रोक सकता है।

​आंतों में सूजन के लक्षण

मल में खून आना, बुखार, भूख में कमी, एनीमिया, दिल की धड़कन तेज होना और पाचन संबंधी समस्‍याएं आंतों में सूजन के लक्षणों में शामिल हैं। अगर समय पर इस समस्‍या का इलाज न किया गया तो व्‍यक्‍ति को फैट, प्रोटीन, विटामिन और मिनरल की कमी हो सकती है। 10 साल या इससे ज्‍यादा समय तक अल्‍सरेटिव कोलाइटिस होने पर आम लोगों की तुलना में आंत के कैंसर का खतरा 200 गुना बढ़ जाता है।
तो चलिए जानते हैं कि आंतों में सूजन आने पर किन घरेलू तरीकों से इसे कम या कंट्रोल किया जा सकता है।

​कार्बोहाइड्रेट कम लें

अल्‍सरेटिव कोलाइटिस को नियंत्रित करने के लिए आपको सबसे पहले अपने आहार से रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट को हटाना है। इसकी वजह से आंतों में सूजन के कारण होने वाली दिक्‍कतें बढ़ जाती हैं।

एलर्जी वाले खद्य पदार्थों से दूर रहें

कुछ मामलों में किसी खाद्य पदार्थ से एलर्जी के कारण अल्‍सरेटिव कोलाइटिस हो सकता है। अगर आपको किसी फूड की वजह से आंतों में सूजन हुई है तो आंतों में सूजन के इलाज के तौर पर आपको इन चीजों को अपने आहार से हटा देना चाहिए। इसमें मक्‍का, गेहूं और दूध से बने उत्‍पाद आ सकते हैं।

आंतों में सूजन का घरेलू उपचार है अलसी का तेल

आंतों में सूजन के घरेलू उपचार के तौर पर ओमेगा-3 फैटी एसिड युक्‍त तेलों का सेवन बढ़ा दें। मछली के तेल और अलसी के तेल में ओमेगा-3 ज्‍यादा पाया जाता है। ये तेल इंफ्लामेट्री प्रक्रिया को कम करने में मदद करते हैं। रोज एक से दो चम्‍मच अलसी का तेल लेना बेहतर रहता है।

​आंतों में सूजन का इलाज हैं प्रोबायोटिक्‍स

माना जाता है कि प्रोबायोटिक्‍स अल्‍सरेटिव कोलाइटिस को नियंत्रिम करने में लाभकारी हैं। प्रोबायोटिक्‍स सूजन को कम करने के दौरान हानिकारक बैक्‍टीरिया को कंट्रोल करने में मदद करते हैं और पेट की म्‍यूकस लाइनिंग को सुरक्षा प्रदान करते हैं।

​आंत में सूजन का देसी इलाज है एलोवेरा जैल

शुद्ध एलोवेरा जैल को अल्‍सरेटिव कोलाइटिस से ग्रस्‍त लोगों में सूजन-रोधी प्रभाव देने वाला पाया गया है। हालांकि, एलोवेरा रेचक प्रभाव भी रखता है इसलिए दस्‍त की स्थिति में एलोवेरा का सेवन नहीं करना चाहिए।

​आंतों में सूजन का घरेलू इलाज हर्बल टी

आंतों में सूजन के घरेलू उपचार में हर्बल-टी भी बहुत फायदेमंद होती हैं। आपको चाय और कॉफी के सेवन की बजाय अदरक की चाय और ग्रीन टी पीना शुरू कर देना चाहिए। इसमें मौजूद एंटी-इंफ्लामेट्री और एंटी-माइक्रोबियल गुण इर्रिटेबल बाउल डिजीज जैसे आंतों से संंबंधित रोगों के लिए फायदेमंद होते हैं।

आंतों में सूजन होने पर इन बातों का रखें ध्‍यान

दस्‍त, पेट में दर्द और गैस को कम करने के लिए डेयरी प्रोडक्‍ट्स का सेवन कम या बंद कर दें।
उच्‍च फाइबर युक्‍त चीजों जैसे कि ताजी फल और सब्जियों एवं साबुत अनाज से लक्षण और बढ़ सकते हैं। ब्रोकली और फूलगोभी से ज्‍यादा दिक्‍कत हो सकती है इसलिए इन चीजों को खाने से बचें।
ओमेगा-3 फैटी एसिड में हेल्‍दी फैट होते हैं जो कि सैल्‍मन और मैकरेल मछली में पाए जाते हैं। ये सूजन को दूर कर अल्‍सरेटिव कोलाइटिस के लक्षणों को कम करती है। अपने आहार में फैटी फिश को शामिल करें।
मसालेदार खाना, शराब और कैफीन न लें। इसकी वजह से लक्षण और गंभीर रूप ले सकते हैं।
दिन में दो या तीन बार ज्‍यादा खाने की बजाय पांच या छह बार कम मात्रा में खाना खाएं। इससे खाना आसानी से पच जाता है।

आंतों में सूजन होने पर इन बातों का रखें ध्‍यान-

दस्‍त, पेट में दर्द और गैस को कम करने के लिए डेयरी प्रोडक्‍ट्स का सेवन कम या बंद कर दें। उच्‍च फाइबर युक्‍त चीजों जैसे कि ताजी फल और सब्जियों एवं साबुत अनाज से लक्षण और बढ़ सकते हैं। ब्रोकली और फूलगोभी से ज्‍यादा दिक्‍कत हो सकती है इसलिए इन चीजों को खाने से बचें।
छोटी आंत में मौजूद छोटे तंतु भोजन में से पोषक तत्वों को सोखने में मदद करते हैं। अगर ये तंतु नष्ट हो जाते हैं तो पोषक तत्व सोखने की क्षमता खत्म हो जाती है और पीड़ित कुपोषण का शिकार हो जाता है, जिससे उसका वजन गिरने लगता है, थकावट रहने लगती है और खून की कमी यानी एनीमिया हो जाता है।
  लासा-मुक्त (gluten free)भोजन उन मरीजों को भी लेने की सलाह दी जाती है, जिन्हें गेहूं से एलर्जी, प्रतिरोधक क्षमता में गड़बड़ी, त्वचाशोथ या सूजन, छाल, मल्टीपल सलेरॉसिस, ऑस्टिन स्पैक्टरम डिसऑर्डर, अटैंशन-डैफिसिट हाईपरएक्टिविटी डिसऑडर और चिड़चिड़ापन आदि की समस्याएं होती हैं। गेहूं के आटे की बजाय बेसन का प्रयोग सबसे बेहतर विकल्प है।
  लासा gluten)गेहूं, जौ और राई जैसे अनाजों तथा गेहूं के अन्य उत्पाद दलिया, सूजी, सिवइयां, नूडल, पास्ता और मैकरॉनी भी शामिल हैं, में पाया जाता है। इसके साथ ही लासा का प्रयोग स्वादवर्धक और गाढ़ा करने वाले पदार्थ के तौर पर भी किया जाता है।
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