16.2.20

एलोवेरा से बढ़ाएँ ब्रेस्ट साईज़




अच्छी ब्रेस्‍ट पाने की इच्छा महिलाओं को पुरातन काल से रही है, क्‍योंकि किसी भी महिला के चेहरे के बाद उसके ब्रेस्‍ट ही सौंदर्य का गुणगान करते हैं। जीं हां ब्रेस्‍ट उनकी सुंदरता में चार चांद लगाती हैं और पुरूषों के लिए तो ये हमेशा से ही आकर्षण का केंद्र रहे हैं। यदि ब्रेस्‍ट स्‍वस्‍थ और पूरी तरह विकसित हैं, तो यह मान लिया जाता है कि स्‍त्री सुंदर है।

एलोवेरा के फायदों के बारे में हम भली भांति जानते है बहुत सारी प्रोब्लेम्स को दूर करने के लिए एलोवेरा का प्रयोग किया जाता है लेकिन ज्यादातर लोग एलोवेरा का इस्तेमाल स्किन की प्रॉबल्म को दूर करने के लिए ही करते है क्योंकि एलोवेरा के साथ सनबर्न और दाग-धब्बें दूर होते है
लेकिन क्या आपको पता है एलोवेरा केवल ब्यूटी सोलूशन के रूप में ही नही बल्कि इसकी मदद से आप अपना ब्रैस्ट की ग्रोथ या साइज को भी बढ़ा सकते है। अगर आप भी अपनी बैस्ट की ग्रोथ को बढ़ाना चाहते है तो एलोवेरा का उपयोग करें और वो भी बिना किसी साइड इफ़ेक्ट के | 
पहिले एलोवेरा के फायदे पर बात करते हैं-

 एलोवेरा के फायदे

* ब्लड सर्कुलेशन बढ़ाए
एलोवेरा जैल को त्‍वचा पर लगाने से ब्‍लड सर्कुलेशन बढ़ता है इसी तरह यह ब्रेस्‍ट को ऑक्‍सीजन पहुंचाने में मदद करता है जिससे बैस्ट की ग्रोथ बढ़ती है।
* विटामिन्‍स का खजाना
एलोवेरा में बहुत सारे विटामिन ए, बी, सी और ई के साथ-साथ ढेर सारे मिनरल्‍स पाए जाते है जो ब्रैस्‍ट की शेप को बढाते हैं।

*.एलोवेरा का जूस

एलोवेरा का जूस आपको आसानी से किसी भी लोकल स्‍टोर के पास मिल जायेगा। आप चाहे तो अपने घर में भी इसका पौधा लगाकर उसका जूस भी बना सकते हैं। आपको करना बस इतना है कि एलोवेरा को लेकर उसे बीच में से काटकर उसका जैल निकालकर इस्‍तेमाल करना है। आप इसे पानी में मिलाकर पी सकते हैं|

* हार्मोन बैलेंस करे 

एलोवेरा की पत्‍तियों में मौजूद फाइटोएस्‍ट्रोजन शरीर में एस्‍ट्रोजेन की मात्रा बढा कर ब्रैस्‍ट के साइज को बढाने में मदद करता है।

* अमीनो एसिड

एलोवेरा में मौजूद अमीनो एसिड शरीर और ब्रैस्‍ट का शेप बढाने में काफी अहम भूमिका निभाते हैं इसलिए रोज एलोवेरा का जूस पीएं।
जानते है एलोवेरा के प्रयोग से कैसे आप अपने ब्रेस्ट साइज को बढ़ा सकते है |

* ब्रेस्‍ट बढ़ाने के लिए एलोवेरा पैक


ब्रेस्ट साइज को बढ़ाने के लिए एलोवेरा पैक एक कारगर उपाय है एलोवेरा पैक को बनाना भी बहुत ही आसान है एलोवेरा पैक बनाने के लिए आपको एलोवेरा पल्‍प और एक चम्‍मच हल्‍दी की जरूरत होती है। एलोवेरा पैक बनाने के लिए सबसे पहले एलोवेरा पल्‍प को कम से कम सात बार धो लें और अब इसमें एक चम्‍मच हल्‍दी पाउडर मिलाकर बारीक पेस्‍ट बना लें। पेस्‍ट को किसी कॉटन की मदद से निप्‍पल को छोड़कर पूरी ब्रेस्‍ट पर अच्छी तरह से लगा लें और ऊपर से ब्रा पहन लें। इसे 15 मिनट के लिए छोड़ दें। इसके बाद इसे पहले गर्म पानी और बाद में ठन्डे पानी से धो लें। कुछ ही दिनों में आपकी ब्रेस्‍ट टाइट और साइज में बढ़ने लगेगी।

* एलोवेरा जेल का प्रयोग

आप ताजे एलोवेरा जेल का प्रयोग करके अपनी ब्रेस्‍ट पर करीब 10 मिनट तक गोलाकार मुद्रा में मालिश करें। इसे 10 मिनट के लिए छोड़ दें और फिर गुनगुने पानी से धो लें। एलोवेरा में एंटीऑक्सीडेंटस पाए जाते हैं, जो फ्री रेडिकल्स के फलस्वरूप तंतुओं को हुए नुकसान को रोकने में सक्षम होते हैं।लोग एलोवेरा को ऊपरी तौर से लगाते है लेकिन आप अपनी बैस्ट की ग्रोथ को बढ़ाने के लिए इसका का सेवन भी कर सकते है । इसको खाने से भी लाभ मिलता है।
************
वीर्य जल्दी निकलने की समस्या के उपचार

सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस(गर्दन का दर्द) के उपचार

वजन कम करने के लिए कितना पानी कैसे पीएं?

आलू से वजन कम करने के तरीके

प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ने से पेशाब रुकावट की कारगर हर्बल औषधि

सेक्स का महारथी बनाने वाले आयुर्वेदिक नुस्खे

आर्थराइटिस(संधिवात),गठियावात ,सायटिका की तुरंत असर हर्बल औषधि

खीरा ककड़ी खाने के जबर्दस्त फायदे

शाबर मंत्र से रोग निवारण

उड़द की दाल के जबर्दस्त फायदे

किडनी फेल (गुर्दे खराब ) की रामबाण औषधि

किडनी फेल रोगी का डाईट चार्ट और इलाज

प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ने से पेशाब रुकावट की कारगर हर्बल औषधि

सिर्फ आपरेशन नहीं ,किडनी की पथरी की १००% सफल हर्बल औषधि

मिश्री के सेहत के लिए कमाल के फायदे

महिलाओं मे कामेच्छा बढ़ाने के उपाय

गिलोय के जबर्दस्त फायदे

कान मे तरह तरह की आवाज आने की बीमारी

छाती मे दर्द Chest Pain के उपचार

सिर्फ आपरेशन नहीं ,किडनी की पथरी की १००% सफल हर्बल औषधि

बाहर निकले पेट को अंदर करने के उपाय

किडनी फेल रोगी का डाईट चार्ट और इलाज

थायरायड समस्या का जड़ से इलाज

तिल्ली बढ़ जाने के आयुर्वेदिक नुस्खे

यौन शक्ति बढ़ाने के अचूक घरेलू उपाय/sex power

 कई बीमारियों से मुक्ति द‍िलाने वाला है गिलोय

किडनी स्टोन के अचूक हर्बल उपचार

स्तनों की कसावट और सुडौल बनाने के उपाय

लीवर रोगों के अचूक हर्बल इलाज

सफ़ेद मूसली के आयुर्वेदिक उपयोग

दामोदर चिकित्सालय शामगढ़ के आशु लाभकारी उत्पाद

तुलसी है कई रोगों मे उपयोगी औषधि


14.2.20

थकान मिटाने के आयुर्वेदिक उपाय


थकान लगना एक आम समस्या है। आजकल काम का बढ़ना और अत्यधिक प्रेशर के होने से थकान ज्यादा लगने लगती है। एैसे में शरीर पर ध्यान देना मुश्किल हो जाता है। थकान की समस्या का सही समय पर यदि उपचार किया जाए तो आप इससे होने वाली गंभीर बीमारीयों से बच सकते हो। आपको बस अपने डेली रूटीन में कुछ बदलाव करने है इसके अलावा ज्यादा थकान को दूर करने के लिए कुछ खाद्य पदार्थ आपको फायदा दे सकते हैं।
थकान दूर करने के लिए आज के समय में लोग सिगरेट का सहारा लेते हैं। तो कुछ चाय या काफी का सहारा लेते हैं। इतना ही नहीं थकान की वजह से होने वाले दर्द को दूर करने के लिए पेनकिलर तक भी लेने लगते हैं। पर इनसे थकान नहीं दूर होती है बल्कि दूसरी गंभीर बीमारियां शरीर को लगने लगती हैं। आपको इन का सहारा बिलकुल नहीं लेना है |
सभी के काम एक समान नहीं होते। किसी को बैठकर काम करना होता है तो किसी को खड़े रहकर तो किसी को चल फिर कर। किसी को शारीरिक श्रम करना पड़ता है तो किसी को मानसिक। पर एक बात तय है, थकान सभी को होती है। यदि सही समय और सही ढंग से आराम न मिले तो अगला दिन भी मुश्किल से गुजरता है। पेश है, थकान दूर करने के आसान नुस्खे-
*विनोदप्रिय होना, अपने विचारों को सकारात्मक रूप देना, अच्छे पलों को याद रखना, सदा प्रसन्न रहना, हंसने-हंसाने का गुण अपनाना आदि थकान से बचने के सही उपाय हैं। औरों सेर् ईष्या करने वो, अपने खुद अतीत से चिपके रहने वाले स्वयं को तुच्छ व लाचार समझने वाले, अकसर क्रोध करने वाले लोग अपना अमूल्य समय तो बरबाद करे ही हैं, मानसिक व शारीरिक थकान को भी न्यौता देते हैं। इन बातों से बचना ही चाहिए, तभी थकान कम होगी।
*समस्याएं सभी के जीवन में आती हैं, उसके समाधान के लिए हर संभव प्रयास करें। व्यर्थ की चिंताएं पाल कर अपना मानसिक स्वास्थ्य चौपट न करें। चिंता करने से, तनाव में रहने से मन और तन शीघ्र ही थकान से भर जाते हैं।
*काम के बीच ठंडे पानी से हाथ मुंह धोएं व आंखों में पानी के छींटे मारें। काम करने की अवधि में आराम का अवसर न मिले तो आंखें बंद कर के उन पर अपनी हथेलियां रखकर ढंक लें। इससे आप को बहुत आराम मिलेगा और थकान भी कम होगी।
* ध्यान रहे जब भी आप आराम करें तो सिर्फ आराम के बाद आप स्वयं को तरोताजा और चुस्त अनुभव करें। लगातार काम के बीच कुछ समय का अंतराल दे कर मौसम और अपनी पसंद के अनुसार कोई पेय पदार्थ आदि ले सकते हैं।
*बैठे-बैठे या काम करते हुए कमर में दर्द होने लगे या अधिक थकान हो जाए तो सुविधानुसार लेट जाएं, चिंतामुक्त होकर शरीर को ढीला छोड़ दें। आंखें बंद रखें। कुछ ही समय में आप तरोताजा महसूस करेंगे।
*सौंफ खाएंसौंफ आपकी रसोई में होता ही है। सौंफ में सोडियम, आयरन, कैल्शियम और पोटेशियम होता है। जो शरीर को फ्रेश रखता है। सौंफ का नियमित सेवन से पेट भी साफ रहता है और यह थकान को शरीर पर हावी नहीं होने देती है।
*अधिक समय तक खड़े रहने और चलने से पैर व एडियों में दर्द होने लगता है। इसके लिए गरम पानी में थोड़ा नमक डाल कर अपने पैरों को उसमें कुछ समय डुबो कर रखें।
*थकान दूर करने में पानी की भूमिका महत्वपूर्ण है। गरम पानी की बोतल से सिंकाई करने से प्रभावित अंग के दर्द में आराम मिलेगा और थकान भी दूर होती है।
*नाश्ता जरूर लें सुबह का नाशता शरीर को पूरे दिन के लिए यह थकान से लड़ने में शरीर को मजबूत बनाता है। इसलिए सुबह का नाशता लेना न भूलें। सुबह का नाशता शरीर को एनर्जी देता है। इसलिए नाशते में फल, स्प्राउट और फाइबर की मात्रा अधिक लेनी चाहिए। शूगर और वसा की मात्रा कम से कम लें।
*हर्बल ड्रिंक्स लें
हर्बल डिंक्स को पीने से शरीर में ताकत बनी रहती है। इसलिए ग्रीन-टी, एलोवेरा का जूस और आंवला आदि का सेवन करना चाहिए। यह थकान से लड़ने में शरीर की मदद करते हैं। और इन हर्बल ड्रिंक्स को लेने से वजन भी नियंत्रित रहता है। साथ ही नसों में होने वाले दर्द से भी राहत मिलती है।
चाकलेट-
चाकलेट के बारे में कहा जाता है कि यह शरीर के एनर्जी के स्तर को बढ़ा देती है। चाकलेट में कोको तत्व होता है जो तनाव को कम करता है। नए शोध के अनुसार 1 चाकलेट दिन में खाने से तनाव व थकान को 20 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है।

*पानी का फायदा-

पानी में हर तरह के गुण होते हैं जो शरीर की थकान को दूर करते हैं। शरीर पानी की कमी की वजह से ज्यादा थकता है। इसलिए पानी को हमेशा पीते रहें। इसके अलावा गर्म पानी को बोतल में भरकर उसे दर्द वाले स्थान पर सिंकाई करने से आराम मिलता है।

*संतरा और पपीता-

सतरा और पपीता खाने से पूरे दिन की थकान कम हो जाती है। ये दोनों फल विटामिन बी 6 और फालिक एसिड युक्त होते हैं। संतरे का जूस पीने से शरीर में तरावट रहती है। सुबह-सुबह खाली पेट पपीता खाने से शरीर पर कोई बीमारी नहीं लगती है।

*हरी चीजें

अपने खाने में हरे रंग के खाद्य पदार्थों का इस्तेमाल जरूर करें। जैसे पालक, हरी मूंग की दाल, और मटर आदि। दिनभर की थकान और टेंशन को शरीर के अंदर जाकर ये हरे पदार्थ उन्हें खत्म करते हैं। इन हरी चीजों में विटामिन बी पाया जाता है जो थकावट और तनाव को शांत कर देता है।

*आयरन लें

थकान और तनाव का सबसे बड़ा कारण है एनीमिया। हीमोग्लोबिन का स्तर ही शरीर की ताकत को प्रभावित करता है। जिस वजह से इंसान को थकान अधिक लगती है। अपने शरीर में आयरन को बढ़ाने के लिए हरी पत्तेदार सब्जियां और मांस को शामिल करें।

*अदरका का कमाल

अदरक एंटीबायोटिक्स दवा का काम करती है। अदरक की चाय पीने से थकान दूर होती है। तुलसी और अदरक को चाय में मिलाकर पीने से तनाव और थकान तुरंत कम हो जाती है। साथ ही अदरक आर्थराइटिज के दर्द में भी आराम देता है।

*मालिश

थकावट को दूर करने का सबसे अच्छा उपाय है मालिश। यह शरीर की मांसपेशियों की एक्सरसाइज है। मालिश से शरीर में चुस्ती और ताकत आती है साथ ही साथ इससे शरीर की त्वचा भी मुलायम हो जाती है। थकान और तनावको दूर करने का सबसे सरल उपाय है मालिश। इतना ही नहीं मालिश से मोटापा, उच्च रक्तचाप आदि रोगों में भी फायदा मिलता है।

*ध्यान और योग-

जब शरीर में तनाव होता है तब हार्मोन कार्टिसोल का स्तर बढ़ता है। इससे इंसान थका हुआ महसूस करने लगता है। इसलिए योग, गहरी सांस वाली एक्सरसाइज और ध्यान करें|









मूंग की दाल के स्वास्थ्य लाभ







मूंग दाल को अक्सर लोग हरी दाल कहते हैं। कुछ लोगों को लगता है कि मूंग दाल बीमारी में खाने के लिए होती है जबकि मूंग दाल में इतने पौष्टिक तत्व होते हैं कि हमें अपनी डाइट में उसे अक्सर शामिल करना चाहिए। एक कटोरी पकी हुई मूंग दाल में 100 से भी कम कैलोरी होती है।हर दाल के अपने पौष्ट‍िक गुण होते हैं. वैसे दाल में प्रोटीन की भरपूर मात्रा पाई जाती है. यही वजह है कि बढ़ रहे बच्चों को दाल का अधि‍क से अधि‍क सेवन करने की सलाह दी जाती है. हालांकि तमाम दालों के बीच मूंग की दाल को स्वास्थ्य के लिए सबसे ज्यादा फायदेमंद माना जाता है.
*आमतौर पर इसे रोगियों के भोजन के तौर पर देखा जाता है क्योंकि ये बहुत जल्दी पच जाती है. लेकिन इसका यह बिल्कुल भी मतलब नहीं है कि यह स्वाद में फीकी होती है. मूंग की दाल को तरीके से बनाया जाए तो यह भी किसी भी अन्य दाल की ही तरह स्वादिष्ट लगती है.

*वज़न घटाने में मददगार-

बहुत से लोग इन दिनों वज़न घटाने को लेकर परेशान रहते हैं। इसके लिए आसान और असरदार उपाय है मूंग। ये न सिर्फ आपकी कैलोरी इनटेक घटाती है बल्कि आपको लंबे वक्त तक भूख नहीं लगने देती। रात के खाने में आप चपाती के साथ एक कटोरी मूंग दाल खाएं, और बस, आपको भरपूर पोषण मिल जाएगा। कैलोरी इनटेक कम हो जाने से आप जल्दी वज़न घटा पाएंगे।
*मूंग की दाल से कई चीजें बनती हैं. कुछ लोग इससे पापड़ बनाते हैं, कुछ बड़ियां तो कुछ लोग इसका लड्डू खाना पसंद करते हैं. पर मूंग दाल का हलवा भारतीय व्यजंनों का एक प्रमुख हिस्सा है. मूंग दाल की सबसे बड़ी खासियत ये है कि यह सुपाच्य होती है और ठंडक प्रदान करती है.
*टायफाइड होने पर इसके सेवन से रोगी को बहुत राहत मिलती है लेकिन सादी मूंग की दाल का सेवन फायदेमंद रहता है.

*ब्लड प्रेशर पर कंट्रोल

ग्रीन ग्राम यानी मूंग की मदद से आप आसानी से अपना ब्लड प्रेशर नियंत्रण में और कोलेस्ट्रॉल लेवल कम कर सकते हैं। ये सोडियम के प्रभाव को कम कर देता है, जिससे की ब्लड प्रेशर बढ़ता नहीं है। ऐसे में आपको हेल्दी और एक्टिव जिंदगी जीने में आसानी होती है।
*मूंग की छिलके वाली दाल को दो घंटे के लिए पानी में भिगो दें| इसके बाद इसे पीसकर गाढ़ा लेप दाद और खुजली युक्त स्थान पर लगाएं,लाभ होगा |
*किसी भी बीमारी के बाद शरीर कमजोर हो जाता है. मूंग की दाल खाने से शरीर को ताकत मिलती है.
* मूंग को हल्का गर्म करके पीस ले. फिर इस पाउडर में कुछ मात्रा पानी की मिलाकर लेप की तरह पूरे शरीर पर मसाज करें. अगर आपको बहुत अधिक पसीना आने की शि‍कायत है तो इस लेप से वह दूर हो जाएगी.
*अगर आपको दाद, खाज-खुजली की समस्या है तो मूंग की दाल को छिलके सहित पीस लें. इस लेप को प्रभावित जगह पर लगाने से फायदा होगा.
*मूंग को छिलके सहित खाना चाहिए | बुखार होने पर मूंग की दाल में सूखे आंवले को डालकर पकाएं | इसे रोज़ दिन में दो बार खाने से बुखार ठीक होता है और दस्त भी साफ़ होता है |

*आयरन का अच्छा स्रोत

अगर आपको आयरन की कमी है, तो अपने खाने में मूंग शामिल करें। आमतौर पर, वेजिटेरियन लोग अपने खाने में कम आयरन लेते हैं। अपनी डायट में ये छोटा सा बदलाव करके आप आयरन की कमी दूर कर सकते हैं जिससे आपका एनीमिया का जोखिम भी कम हो जाएगा।
*मूंग की दाल खाने में शीतल व पचने में हलकी होती है |
*मूंग दाल की खिचड़ी खाने से कब्ज की समस्या दूर हो जाती है.



आर्थराइटिस(संधिवात),गठियावात की तुरंत असर हर्बल औषधि




भूलने की बीमारी के आयुर्वेदिक नुस्खे :घरेलू आयुर्वेद






आमतौर पर हम सभी के घरों में किचन में पाई जाने वाली हल्दी अपने आप में किसी डॉक्टर से कम नहीं है। तभी तो आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा से संबंधित ग्रंथों में घरेलू हल्दी को चमत्कारी औषधि का दर्जा दिया गया है। जिस बात को आयुर्वेद में हजारों साल पहले कह दिया था, उसकी सच्चाई और प्रामाणिकता पर आज विज्ञान जगत भी मुहर लगा रहा है।





हल्दी के औषधीय गुणों पर किये जा रहे शोध बताते हैं कि हल्दी में कैंसर कोशिकाओं को मारने की क्षमता होती है। भारतीय लोग तो हल्दी के फायदों से परिचित हैं ही लेकिन अब वैज्ञानिकों ने भी साबित कर दिया है कि हल्दी में न केवल कैंसर कोशिकाओं को मारने की क्षमता होती है, बल्कि डिमेंशिया यानी भूलने की बीमारी जिसमें रोगी को मतिभ्रम हो जाता है और वह जरूरी बातें भी भूल जाता है, को भी नियंत्रित करने की क्षमता होती है।



डिमेंशिया में भी अचूक-

हल्दी में पाए जाने वाले रसायन 'करक्यूमिन' में रोगहारी शक्ति होती है, जो गठिया और मनोभ्रंश या डिमेंशिया यानी भूलने की बीमारी जैसी बीमारियों के इलाज में प्रभावी सिद्ध हो चुकी है। 

कैंसर की रोकथाम- 

ब्रिटेन के कॉर्क कैंसर रिसर्च सेंटर में किए गए परीक्षण दिखाते हैं कि प्रयोगशाला में जब करक्यूमिन का प्रयोग किया गया तो उसने गले की कैंसर कोशिकाओं को नष्ट कर दिया|



डॉ शैरन मैक्केना और उनके दल ने पाया कि करक्यूमिन ने 24 घंटों के भीतर कैंसर की कोशिकाओं को मारना शुरु कर दिया। कैंसर विशेषज्ञों का कहना है कि ब्रिटिश जरनल ऑफ़ कैंसर में प्रकाशित यह खोज कैंसर के नए इलाज विकसित करने में सहायक हो सकती है।


डेंगू ज्वर :कारण और निवारण के उपाय




प्रत्येक वर्ष जुलाई से अक्टूबर के मध्य डेंगू बुखार का प्रकोप फैलता है। सामान्यत: डेंगू वायरस शरीर में पहुंचने के 3-5 दिन बाद अपना असर दिखाता है, लेकिन कभी-कभी ये अवधि 3-10 दिन की भी होती है। यह एक वायरस से फैलने वाला रोग है जो एक संक्रमित मच्छर एडिस एजीप्टि के काटने से मनुष्यों में फैलता है। यह डेंगू बुखार के तौर पर जाना जाता है।










यह एक ऐसा वायरल रोग है जिसका मेडिकल चिकित्सा पद्धति में कोई इलाज नहीं है परन्तु आयुर्वेद में इसका इलाज है और वो इतना सरल और सस्ता है की उसे कोई भी कर सकता है l
तीव्र ज्वर, सर में तेज़ दर्द, आँखों के पीछे दर्द होना, उल्टियाँ लगना, त्वचा का सुखना तथा खून के प्लेटलेट की मात्रा का तेज़ी से कम होना डेंगू के कुछ लक्षण हैं जिनका यदि समय रहते इलाज न किया जाए तो रोगी की मृत्यु भी सकती है l
डेंगू हिमोरेजिक बुखार (डीएचएफ)/डेंगू आघात संलक्षण (डीएसएस) डेंगू बुखार फ्लेवी वायरस नामक जीनस के वायरस से होता है। इस वायरस के 4 सिरोटाइप होते हैं (डीईएन 1, डीईएन 2, डीईएन 3 और डीईएन 4) और ये चारों प्रकार भारत में पाए जाते हैं। किसी भी सिरोटाइप से पहला संक्रमण स्वयं सीमाकारक रोग (क्लासिकल डेंगू) उत्पन्न करता है जो लगभग 1 सप्ताह तक रोग का प्रभाव बनाए रखता है। संक्रमण के लिए उत्तरदायी विशिष्ट सिरोटाइप की तुलना में इसकी प्रतिरक्षा लम्बे समय तक चलती है। जबकि इसके बाद होने वाले संक्रमण में भिन्न प्रकार के सिरोटाइप क्लासिकल डेंगू उत्पन्न कर सकते हैं अथवा कई बार कुछ व्यक्तियों में रोग का गंभीर रूप बन जाता है ।


तरह-तरह के डेंगू और उनके लक्षण-

डेंगू बुखार मुख्य रूप से तीन प्रकार का होता है- साधारण डेंगू बुखार, डेंगू हैमरेजिक बुखार और डेंगू शॉक सिंड्रोम। साधारण डेंगू बुखार, जिसे क्लासिकल डेंगू भी कहते हैं, सामान्यत: 5-7 दिन तक रहता है। इसमें ठंड लगने के बाद तेज बुखार चढऩा, सिर, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होना आंखों के पिछले हिस्से में दर्द होना, जो आंखों को दबाने या हिलाने से और बढ़ता है, बहुत अधिक कमजोरी लगना, भूख न लगना, जी मिचलाना, मुंह का स्वाद खराब होना, गले में हल्का-हल्का दर्द होना, शरीर विशेषकर चेहरे, गर्दन और सीने पर लाल/गुलाबी रंग के रैशेज के लक्षण नजर आते हैं।





अगर ऊपर बताये गये साधारण डेंगू बुखार के लक्षणों के साथ-साथ पीडित में नाक और मसूढ़ों से खून आना, शौच या उल्टी में खून आना, त्वचा पर नीले/काले रंग के कत्ते पड़ जाना जैसे लक्षण प्रकट हों, तो उसे डेंगू हैमरेजिक बुखार हो सकता है। इसकी पड़ताल से रक्त की जांच आवश्यक होती है।
इसके विपरीत डेंगू शॉक सिंड्रोम के मरीजों में साधारण डेंगू बुखार और डेंगू हैमरेजिक बुखार के लक्षणें के साथ-साथ बेचैनी महसूस हो, तेज बुखार के बावजूद उसकी त्वचा ठंडी हो, मरीज पर बेहोशी हावी हो, नाड़ी कभी तेज और कभी धीरे चलने लगे और ब्लड प्रेशर एकदम लो हो जाए, तो डेंगू शॉक सिंड्रोम का मामला बनता है। डेंगू की यह अवस्था बेहद खतरनाक होती है, जिसमें मरीज को अस्पताल में भर्ती कराना आवश्यक होता है.

डेंगूं का इलाज-

साधारण डेंगू बुखार में आमतौर से पैरासिटामोल (क्रोसिन आदि) से काम चल सकता है। लेकिन ऐसे रोगियों को एस्प्रिन (डिस्प्रिन आदि) बिल्कुल नहीं देनी चाहिए। क्योंकि इससे प्लेटलेट्स कम होने का खतरा रहता है।
किसी भी अन्य मर्ज की भांति ही डेंगू के रोगी को भी अच्छे डॉक्टर के दिखाना जरूरी होता है। लेकिन इसके साथ ही साथ यह भी जानना जरूरी है कि डेंगू कोई असाध्य रोग नहीं है। इसलिए यदि सही समय पर इलाज शुरू कर दिया जाए तो डेंगू बुखार का पूरा इलाज सम्भव है।



बचाव के घरेलू इलाज-

**विटामिन-सी की अधिकता वाली चीजें जैसे आंवला, संतरा या मौसमी पर्याप्त मात्रा में लें, इससे शरीर का सुरक्षा चक्र मजबूत होता है।
**खाने में हल्दी का अधिकाधिक प्रयोग करें। इसे सुबह आधा चम्मच पानी के साथ या रात को दूध के साथ लिया जा सकता है। किन्तु यदि पीडित को नजला/जुकाम हो, तो दूध का प्रयोग न करें।
**तुलसी के पत्ते पानी में उबालें फिर मामूली गरम हालत में उसमे शहद मिलाकर पियें| इससे इम्यून सिस्टम बेहतर बनता है।
**नाक के अंदर की ओर सरसों का तेल लगाएं। तेल की चिकनाहट बाहर से बैक्टीरिया को नाक के भीतर जाने से रोकती है।

यदि किसी को डेंगू रोग हुआ हो और खून में प्लेटलेट की संख्या कम होती जा रही हो तो निम्न चार चीज़ें रोगी को दें :
१) अनार जूस
२) गेहूं के जवारे का रस
३) पपीते के पत्तों का रस
४) गिलोय का रस
** अनार जूस तथा गेहूं घास रस नया खून बनाने तथा रोगी की रोग से लड़ने की शक्ति प्रदान करने के लिए है, अनार जूस आसानी से उपलब्ध है यदि गेहूं घास रस ना मिले तो रोगी को सेब का रस भी दिया जा सकता है l

**पपीते के पत्तों का रस सबसे महत्वपूर्ण है, पपीते का पेड़ आसानी से मिल जाता है उसकी ताज़ी पत्तियों का रस निकाल कर मरीज़ को दिन में २ से ३ बार दें , एक दिन की खुराक के बाद ही प्लेटलेट की संक्या बढ़ने लगेगी l** गिलोय की बेल का सत्व मरीज़ को दिन में २-३ बार दें, इससे खून में प्लेटलेट की संख्या बढती है, रोग से लड़ने की शक्ति बढती है तथा कई रोगों का नाश होता है |
ध्यान देने योग्य है कि मानव शरीर में 1 मिलीलीटर ख़ून में 30-40 हजार प्लेटलेट होते हैं. इतने प्लेटलेट रोज़ाने मरते हैं, और बनते भी रहते हैं.
डेंगू में शरीर का काम आंशिक रूप से बंद हो जाता है जिसके कारण प्लेटलेट
बनने की गति धीमी हो जाती है.
ऐसे में डॉक्टर मरीज़ के शरीर में पानी की सप्लाई बनाए रखते हैं और ब्लड प्रेशर देखते हैं.
उनकी कोशिश होती है कि शरीर में इम्यूनिटी बढ़े और मरीज़ का शरीर जल्द ठीक हो जाए.








डेंगू को रोकने के उपाय- 

**चूंकि डेंगू एडीज मच्छरों से उत्पन्न होता है, इसलिए सर्वप्रथम यह प्रयास करें कि इन मच्छरों की पैदावार पर लगाम लगई जाए। इसके लिए अपने घर के आसपास पानी न जमा होने दें। यदि आसपास कोई गड्ढा हो, तो उसे मिट्टी से भर दें और नालियों की सफाई करवा दें। जिससे उनमें पानी न रूके और मच्छरों को पनपने का अवसर न मिले। यदि आसपास भरे पानी को हटावा सम्भव न हो, तो उसमें उसमें केरोसिन/मिट्टी का तेल अथवा पेट्रोल डाल दें।
**डेंगू के मच्छर साफ पानी में उत्पन्न होते हैं, इसलिए कूलर और पक्षियों को पानी देने के बर्तनों का पानी प्रत्येक दिन बदलें। पानी की टंकी को अच्छी तरह बंद करके रखें। यदि घर में छत वगैरहपर पुराने डिब्बे, बर्तन, टायर आदि रखे हों, तो उन्हें हटा दें या फिर देखलें कि उनमें पानी न भरा हुआ हो।
**ऐसे कपड़ों का उपयोग करें, जिनसे शरीर का अधिकाधिक भाग ढ़का रहे। घरों की खिड़कियों, रोशनदानों आदि में मच्छर जाली का उपयोग करें। यथासम्भव मच्छर रोधी क्वाएल/क्रीम का उपयोग करें। और सबसे बेहतर तो यही है कि रात में सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें।
**यदि किसी व्यक्ति को डेंगू हो गया है तो उसे मच्छरदानी में ही लिटाएं, जिससे मच्छर उसे काटकर दूसरों में बीमारी न फैला सकें।



पौषक तत्वों से परिपूर्ण है चुकंदर




इसके रस को पीने से न केवल शरीर में रक्त में हीमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ती है बल्कि कई अन्य स्वास्थ्य लाभ भी होते हैं। यदि आप इस सब्जी से नफरत करते हैं तो जरा एक बार इसके फायदों के बारे में जरूर पढ़ लें। शायद कम लोग ही जानते हैं कि चुकंदर में लौह तत्व की मात्रा अधिक नहीं होती है, किंतु इससे प्राप्त होने वाला लौह तत्व उच्च गुणवत्ता का होता है, जो रक्त निर्माण के लिए विशेष महत्वपूर्ण है। यही कारण है कि चुकंदर का सेवन शरीर से अनेक हानिकारक पदार्थों को बाहर निकालने में बेहद लाभदायी है। ऐसा समझा जाता है कि चुकंदर का गहरा लाल रंग इसमें लौह तत्व की प्रचुरता के कारण है, बल्कि सच यह है कि चुकंदर का गहरा लाल रंग इसमें पाए जाने वाले एक रंगकण (बीटा सायनिन) के कारण होता है। एंटी ऑक्सीडेंट गुणों के कारण ये रंगकण स्वास्थ्य के लिए अच्छे माने जाते हैं।

एनर्जी बढ़ाये : यदि आपको आलस महसूस हो रही हो या फिर थकान लगे तो चुकंदर का जूस पी लीजिये। इसमें कार्बोहाइड्रेट होता है जो शरीर यह पानी फोड़े, जलन और मुहांसों के लिए काफी उपयोगी होता है। खसरा और बुखार में भी त्वचा को साफ करने में इसका उपयोग किया जा सकता है।

पौष्टिकता से भरपूर : यह प्राकृतिक शर्करा का स्रोत होता है। इसमें कैल्शियम, मिनरल, मैग्नीशियम, आयरन, सोडियम, पोटेशियम, फॉस्फोरस, क्लोरीन, आयोडीन, और अन्य महत्वपूर्ण विटामिन पाये जाते हैं। इसलिए घर पर इसकी सब्जी बना कर अपने बच्चों को जरूर से खिलाएं।


हृदय के लिए : चुकंदर का रस हाइपरटेंशन और हृदय संबंधी समस्याओं को दूर रखता है। खासकर के चुंकदर के रस का सेवन करने से व्यक्ति में रक्त संचार काफी बढ़ जाता है। रक्त की धमनियों में जमी हुई चर्बी को भी इसमें मौजूद बेटेन नामक तत्व जमने से रोकता है।






स्वास्थ्यवर्धक पेय :
 
जो लोग जिम में जी तोड़ कर वर्कआउट करते हैं उनके लिये चुकंदर का जूस बहुत फायदेमंद है। इसको पीने से शरीर में एनर्जी बढ़ती है और थकान दूर होती है। साथ ही अगर हाई बीपी हो गया हो तो इसे पीने से केवल 1 घंटे में शरीर नार्मल हो जाता है
*************
वीर्य जल्दी निकलने की समस्या के उपचार

सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस(गर्दन का दर्द) के उपचार

वजन कम करने के लिए कितना पानी कैसे पीएं?

पित्ताशय(Gall stone) की पथरी की औषधि बताओ 

प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ने से पेशाब रुकावट की कारगर हर्बल औषधि

सेक्स का महारथी बनाने वाले आयुर्वेदिक नुस्खे

आर्थराइटिस(संधिवात),गठियावात ,सायटिका की तुरंत असर हर्बल औषधि

खीरा ककड़ी खाने के जबर्दस्त फायदे

शाबर मंत्र से रोग निवारण

उड़द की दाल के जबर्दस्त फायदे

किडनी फेल (गुर्दे खराब ) की रामबाण औषधि

किडनी फेल रोगी का डाईट चार्ट और इलाज

प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ने से पेशाब रुकावट की कारगर हर्बल औषधि

सिर्फ आपरेशन नहीं ,किडनी की पथरी की १००% सफल हर्बल औषधि

मिश्री के सेहत के लिए कमाल के फायदे

महिलाओं मे कामेच्छा बढ़ाने के उपाय

गिलोय के जबर्दस्त फायदे

कान मे तरह तरह की आवाज आने की बीमारी

छाती मे दर्द Chest Pain के उपचार

सिर्फ आपरेशन नहीं ,किडनी की पथरी की १००% सफल हर्बल औषधि

बाहर निकले पेट को अंदर करने के उपाय

किडनी फेल रोगी का डाईट चार्ट और इलाज

थायरायड समस्या का जड़ से इलाज

तिल्ली बढ़ जाने के आयुर्वेदिक नुस्खे

यौन शक्ति बढ़ाने के अचूक घरेलू उपाय/sex power

 कई बीमारियों से मुक्ति द‍िलाने वाला है गिलोय

किडनी स्टोन के अचूक हर्बल उपचार

स्तनों की कसावट और सुडौल बनाने के उपाय

लीवर रोगों के अचूक हर्बल इलाज

सफ़ेद मूसली के आयुर्वेदिक उपयोग

दामोदर चिकित्सालय शामगढ़ के आशु लाभकारी उत्पाद

तुलसी है कई रोगों मे उपयोगी औषधि

जामुन के सिरके के फायदे और बनाने की विधि

  
                               


कब्ज और उदर रोग में जामुन का सिरका उपयोग करें। जामुन का सिरका गुणकारी और स्वादिष्ट होता है, इसे घर पर ही आसानी से बनाया जा सकता है और कई दिनों तक उपयोग में लाया जा सकता है।

जामुन का सिरका जितना पुराना होता है यह खाने में उतना ही स्वादिष्ट और पेट सम्बंधित रोगों के लिए उतना ही अधिक लाभकारी होता है। जामुन के सिरके के सेवन से भूख बढ़ती है, पेट की वायु निकलती है और कब्ज की समस्या दूर होती है
जामुन की तासीर ठंडी होती है और इसकी कई देसी विदेशी किस्मे होती हैं | लेकिन सबके धर्म, गुण समान हैं। जामुन का अंग्रेजी नाम – Java Plum और Blackberry है | जामुन से भूख बढती है और भोजन पचाती है, शरीर से गंदगी बाहर निकलती है। जामुन नहीं होने पर इसका सिरका काम में ले सकते हैं। यह मोटी और पकी हुई अच्छी होती है। इसका खट्टापन और अम्लीय गुण रक्त-दोषों को दूर करते है।




जामुन का सिरका रेसपी 

काले जामुन – 1/2 किलो
सूखी मिर्च – 3
नमक – आवश्यकतानुसार
पानी – आवश्यकतानुसार
सहायक सामग्री
सूती कपड़ा – जामुन बांधने के लिए
मिट्टी का बर्तन – जामुन रखने के लिए
कांच की बोतल – सिरका रखने के लिए
जामुन का सिरका बनाने का तरीका
– काले जामुन को साफ पानी से धो कर पोछ लें।
– फिर इसे मिट्टी के बर्तन में डालकर नमक मिलाकर साफ कपड़े से बांध कर धूप में रख दें।
– लगभग एक महीनों तक धूप में रखने के बाद इसके रस को किसी साफ सूती कपड़े से छानकर कांच के बोतल में भर कर रख लें।
– अब इसमें 3 सूखी लाल मिर्च डाल दें और कांच की बोतल का मुंह बंद कर दें।


बच्चों और बूढों को ब्राह्मी और शंख पुष्पी का शरबत दें//Brahmi shankhpushpi




शंख पुष्पी और ब्राह्मी आयुर्वेद में ऐसी दो जड़ी बूटिया हैं जो मस्तिष्क बहुत ताकतवर बनाती है| इन दोनों जड़ी बूटियों में ऐसे तत्त्व मौजूद हैं जो मस्तिष्क के अंदर तक अपना असर डालते हैं| यही कारण है कि ये जड़ी बूटियाँ न केवल स्मरण शक्ति बढाती हैं बल्कि व्यक्ति को मानसिक रूप से बलवान भी बनाती हैं| न केवल भारत अपितु सारे विश्व में इनके ऊपर अनुसंधान कार्य चल रहे हैं \ऐसा माना जा रहा है कि ये जड़ी-बूटियाँ अल्जाईमर्स,डिमेंशिया, और पार्किन्सन जैसी बीमारियों को ठीक करने में उपयोगी होंगी| यह इसलिए कि इनमें दिमाग को ठीक करने की ताकत है| भारत में मेधा शक्ति बढाने के लिए इन जड़ी बूटियाँ का प्राचीन काल से उपयोग होता आया है| इससे नींद अच्छी आती है| मस्तिष्क में ताजगी लाती है| मस्तिष्क का तनाव कम करती हैं| ये दोनों जड़ी - बूटियाँ खोई हुई स्मरण शक्ति वापस लौटाने की ताकत रखती हैं| ब्राह्मी और शंख पुष्पी का सेवन भी बहुत आसान है|







बच्चों की मेमोरी पावर बढाने के लिए सोते वक्त एक गिलास गरम दूध में एक चम्मच ब्राह्मी का चूर्ण मिलाकर लेना कर्त्तव्य है| कुछ ही महीनों में इसका असर दिखने लगेगा| ऐसे लोग जिन्हें अनिद्रा रोग है| नींद कम लेने से शरीर में कई तरह के विकार पैदा हो जाते हैं|
ऐसी स्थिति से निपटने के लिए रोज रात को सोते वक्त गरम दूध में एक चम्मच ब्राह्मी का चूर्ण मिलाकर पीया जाए तो बहुत लाभ होगा | इसे और अधिक स्वादिष्ट और गुणकारी बनाने के लिए रात को ७ नग बादाम के गला दें |सुबह ब्राह्मी या शंख पुष्पी के दूध में मिले मिश्रण को छानकर उसमें बादाम और ५ नाग काली मिर्च पीसकर मिला दें इसमें मिश्री भी अंदाजन मिला दें| दवा तैयार है | यह एक खुराक है | यह स्मरण शक्ति बढाने का बेहतरीन नुस्खा है\ कुछ दिन तक नियमित लेते रहें|





ब्राह्मी और शंख पुष्पी मिर्गी रोग में काफी लाभ दायक साबित होती है| ये जड़ी बूटियाँ मस्तिष्क में विद्युत प्रस्फुरण को कम करती है| इससे मिर्गी के दौरों की आवृती कम हो जाती है और बीमार को शान्ति मिलती है|
*************