14.2.20

थकान मिटाने के आयुर्वेदिक उपाय


थकान लगना एक आम समस्या है। आजकल काम का बढ़ना और अत्यधिक प्रेशर के होने से थकान ज्यादा लगने लगती है। एैसे में शरीर पर ध्यान देना मुश्किल हो जाता है। थकान की समस्या का सही समय पर यदि उपचार किया जाए तो आप इससे होने वाली गंभीर बीमारीयों से बच सकते हो। आपको बस अपने डेली रूटीन में कुछ बदलाव करने है इसके अलावा ज्यादा थकान को दूर करने के लिए कुछ खाद्य पदार्थ आपको फायदा दे सकते हैं।
थकान दूर करने के लिए आज के समय में लोग सिगरेट का सहारा लेते हैं। तो कुछ चाय या काफी का सहारा लेते हैं। इतना ही नहीं थकान की वजह से होने वाले दर्द को दूर करने के लिए पेनकिलर तक भी लेने लगते हैं। पर इनसे थकान नहीं दूर होती है बल्कि दूसरी गंभीर बीमारियां शरीर को लगने लगती हैं। आपको इन का सहारा बिलकुल नहीं लेना है |
सभी के काम एक समान नहीं होते। किसी को बैठकर काम करना होता है तो किसी को खड़े रहकर तो किसी को चल फिर कर। किसी को शारीरिक श्रम करना पड़ता है तो किसी को मानसिक। पर एक बात तय है, थकान सभी को होती है। यदि सही समय और सही ढंग से आराम न मिले तो अगला दिन भी मुश्किल से गुजरता है। पेश है, थकान दूर करने के आसान नुस्खे-
*विनोदप्रिय होना, अपने विचारों को सकारात्मक रूप देना, अच्छे पलों को याद रखना, सदा प्रसन्न रहना, हंसने-हंसाने का गुण अपनाना आदि थकान से बचने के सही उपाय हैं। औरों सेर् ईष्या करने वो, अपने खुद अतीत से चिपके रहने वाले स्वयं को तुच्छ व लाचार समझने वाले, अकसर क्रोध करने वाले लोग अपना अमूल्य समय तो बरबाद करे ही हैं, मानसिक व शारीरिक थकान को भी न्यौता देते हैं। इन बातों से बचना ही चाहिए, तभी थकान कम होगी।
*समस्याएं सभी के जीवन में आती हैं, उसके समाधान के लिए हर संभव प्रयास करें। व्यर्थ की चिंताएं पाल कर अपना मानसिक स्वास्थ्य चौपट न करें। चिंता करने से, तनाव में रहने से मन और तन शीघ्र ही थकान से भर जाते हैं।
*काम के बीच ठंडे पानी से हाथ मुंह धोएं व आंखों में पानी के छींटे मारें। काम करने की अवधि में आराम का अवसर न मिले तो आंखें बंद कर के उन पर अपनी हथेलियां रखकर ढंक लें। इससे आप को बहुत आराम मिलेगा और थकान भी कम होगी।
* ध्यान रहे जब भी आप आराम करें तो सिर्फ आराम के बाद आप स्वयं को तरोताजा और चुस्त अनुभव करें। लगातार काम के बीच कुछ समय का अंतराल दे कर मौसम और अपनी पसंद के अनुसार कोई पेय पदार्थ आदि ले सकते हैं।
*बैठे-बैठे या काम करते हुए कमर में दर्द होने लगे या अधिक थकान हो जाए तो सुविधानुसार लेट जाएं, चिंतामुक्त होकर शरीर को ढीला छोड़ दें। आंखें बंद रखें। कुछ ही समय में आप तरोताजा महसूस करेंगे।
*सौंफ खाएंसौंफ आपकी रसोई में होता ही है। सौंफ में सोडियम, आयरन, कैल्शियम और पोटेशियम होता है। जो शरीर को फ्रेश रखता है। सौंफ का नियमित सेवन से पेट भी साफ रहता है और यह थकान को शरीर पर हावी नहीं होने देती है।
*अधिक समय तक खड़े रहने और चलने से पैर व एडियों में दर्द होने लगता है। इसके लिए गरम पानी में थोड़ा नमक डाल कर अपने पैरों को उसमें कुछ समय डुबो कर रखें।
*थकान दूर करने में पानी की भूमिका महत्वपूर्ण है। गरम पानी की बोतल से सिंकाई करने से प्रभावित अंग के दर्द में आराम मिलेगा और थकान भी दूर होती है।
*नाश्ता जरूर लें सुबह का नाशता शरीर को पूरे दिन के लिए यह थकान से लड़ने में शरीर को मजबूत बनाता है। इसलिए सुबह का नाशता लेना न भूलें। सुबह का नाशता शरीर को एनर्जी देता है। इसलिए नाशते में फल, स्प्राउट और फाइबर की मात्रा अधिक लेनी चाहिए। शूगर और वसा की मात्रा कम से कम लें।
*हर्बल ड्रिंक्स लें
हर्बल डिंक्स को पीने से शरीर में ताकत बनी रहती है। इसलिए ग्रीन-टी, एलोवेरा का जूस और आंवला आदि का सेवन करना चाहिए। यह थकान से लड़ने में शरीर की मदद करते हैं। और इन हर्बल ड्रिंक्स को लेने से वजन भी नियंत्रित रहता है। साथ ही नसों में होने वाले दर्द से भी राहत मिलती है।
चाकलेट-
चाकलेट के बारे में कहा जाता है कि यह शरीर के एनर्जी के स्तर को बढ़ा देती है। चाकलेट में कोको तत्व होता है जो तनाव को कम करता है। नए शोध के अनुसार 1 चाकलेट दिन में खाने से तनाव व थकान को 20 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है।

*पानी का फायदा-

पानी में हर तरह के गुण होते हैं जो शरीर की थकान को दूर करते हैं। शरीर पानी की कमी की वजह से ज्यादा थकता है। इसलिए पानी को हमेशा पीते रहें। इसके अलावा गर्म पानी को बोतल में भरकर उसे दर्द वाले स्थान पर सिंकाई करने से आराम मिलता है।

*संतरा और पपीता-

सतरा और पपीता खाने से पूरे दिन की थकान कम हो जाती है। ये दोनों फल विटामिन बी 6 और फालिक एसिड युक्त होते हैं। संतरे का जूस पीने से शरीर में तरावट रहती है। सुबह-सुबह खाली पेट पपीता खाने से शरीर पर कोई बीमारी नहीं लगती है।

*हरी चीजें

अपने खाने में हरे रंग के खाद्य पदार्थों का इस्तेमाल जरूर करें। जैसे पालक, हरी मूंग की दाल, और मटर आदि। दिनभर की थकान और टेंशन को शरीर के अंदर जाकर ये हरे पदार्थ उन्हें खत्म करते हैं। इन हरी चीजों में विटामिन बी पाया जाता है जो थकावट और तनाव को शांत कर देता है।

*आयरन लें

थकान और तनाव का सबसे बड़ा कारण है एनीमिया। हीमोग्लोबिन का स्तर ही शरीर की ताकत को प्रभावित करता है। जिस वजह से इंसान को थकान अधिक लगती है। अपने शरीर में आयरन को बढ़ाने के लिए हरी पत्तेदार सब्जियां और मांस को शामिल करें।

*अदरका का कमाल

अदरक एंटीबायोटिक्स दवा का काम करती है। अदरक की चाय पीने से थकान दूर होती है। तुलसी और अदरक को चाय में मिलाकर पीने से तनाव और थकान तुरंत कम हो जाती है। साथ ही अदरक आर्थराइटिज के दर्द में भी आराम देता है।

*मालिश

थकावट को दूर करने का सबसे अच्छा उपाय है मालिश। यह शरीर की मांसपेशियों की एक्सरसाइज है। मालिश से शरीर में चुस्ती और ताकत आती है साथ ही साथ इससे शरीर की त्वचा भी मुलायम हो जाती है। थकान और तनावको दूर करने का सबसे सरल उपाय है मालिश। इतना ही नहीं मालिश से मोटापा, उच्च रक्तचाप आदि रोगों में भी फायदा मिलता है।

*ध्यान और योग-

जब शरीर में तनाव होता है तब हार्मोन कार्टिसोल का स्तर बढ़ता है। इससे इंसान थका हुआ महसूस करने लगता है। इसलिए योग, गहरी सांस वाली एक्सरसाइज और ध्यान करें|









मूंग की दाल के स्वास्थ्य लाभ







मूंग दाल को अक्सर लोग हरी दाल कहते हैं। कुछ लोगों को लगता है कि मूंग दाल बीमारी में खाने के लिए होती है जबकि मूंग दाल में इतने पौष्टिक तत्व होते हैं कि हमें अपनी डाइट में उसे अक्सर शामिल करना चाहिए। एक कटोरी पकी हुई मूंग दाल में 100 से भी कम कैलोरी होती है।हर दाल के अपने पौष्ट‍िक गुण होते हैं. वैसे दाल में प्रोटीन की भरपूर मात्रा पाई जाती है. यही वजह है कि बढ़ रहे बच्चों को दाल का अधि‍क से अधि‍क सेवन करने की सलाह दी जाती है. हालांकि तमाम दालों के बीच मूंग की दाल को स्वास्थ्य के लिए सबसे ज्यादा फायदेमंद माना जाता है.
*आमतौर पर इसे रोगियों के भोजन के तौर पर देखा जाता है क्योंकि ये बहुत जल्दी पच जाती है. लेकिन इसका यह बिल्कुल भी मतलब नहीं है कि यह स्वाद में फीकी होती है. मूंग की दाल को तरीके से बनाया जाए तो यह भी किसी भी अन्य दाल की ही तरह स्वादिष्ट लगती है.

*वज़न घटाने में मददगार-

बहुत से लोग इन दिनों वज़न घटाने को लेकर परेशान रहते हैं। इसके लिए आसान और असरदार उपाय है मूंग। ये न सिर्फ आपकी कैलोरी इनटेक घटाती है बल्कि आपको लंबे वक्त तक भूख नहीं लगने देती। रात के खाने में आप चपाती के साथ एक कटोरी मूंग दाल खाएं, और बस, आपको भरपूर पोषण मिल जाएगा। कैलोरी इनटेक कम हो जाने से आप जल्दी वज़न घटा पाएंगे।
*मूंग की दाल से कई चीजें बनती हैं. कुछ लोग इससे पापड़ बनाते हैं, कुछ बड़ियां तो कुछ लोग इसका लड्डू खाना पसंद करते हैं. पर मूंग दाल का हलवा भारतीय व्यजंनों का एक प्रमुख हिस्सा है. मूंग दाल की सबसे बड़ी खासियत ये है कि यह सुपाच्य होती है और ठंडक प्रदान करती है.
*टायफाइड होने पर इसके सेवन से रोगी को बहुत राहत मिलती है लेकिन सादी मूंग की दाल का सेवन फायदेमंद रहता है.

*ब्लड प्रेशर पर कंट्रोल

ग्रीन ग्राम यानी मूंग की मदद से आप आसानी से अपना ब्लड प्रेशर नियंत्रण में और कोलेस्ट्रॉल लेवल कम कर सकते हैं। ये सोडियम के प्रभाव को कम कर देता है, जिससे की ब्लड प्रेशर बढ़ता नहीं है। ऐसे में आपको हेल्दी और एक्टिव जिंदगी जीने में आसानी होती है।
*मूंग की छिलके वाली दाल को दो घंटे के लिए पानी में भिगो दें| इसके बाद इसे पीसकर गाढ़ा लेप दाद और खुजली युक्त स्थान पर लगाएं,लाभ होगा |
*किसी भी बीमारी के बाद शरीर कमजोर हो जाता है. मूंग की दाल खाने से शरीर को ताकत मिलती है.
* मूंग को हल्का गर्म करके पीस ले. फिर इस पाउडर में कुछ मात्रा पानी की मिलाकर लेप की तरह पूरे शरीर पर मसाज करें. अगर आपको बहुत अधिक पसीना आने की शि‍कायत है तो इस लेप से वह दूर हो जाएगी.
*अगर आपको दाद, खाज-खुजली की समस्या है तो मूंग की दाल को छिलके सहित पीस लें. इस लेप को प्रभावित जगह पर लगाने से फायदा होगा.
*मूंग को छिलके सहित खाना चाहिए | बुखार होने पर मूंग की दाल में सूखे आंवले को डालकर पकाएं | इसे रोज़ दिन में दो बार खाने से बुखार ठीक होता है और दस्त भी साफ़ होता है |

*आयरन का अच्छा स्रोत

अगर आपको आयरन की कमी है, तो अपने खाने में मूंग शामिल करें। आमतौर पर, वेजिटेरियन लोग अपने खाने में कम आयरन लेते हैं। अपनी डायट में ये छोटा सा बदलाव करके आप आयरन की कमी दूर कर सकते हैं जिससे आपका एनीमिया का जोखिम भी कम हो जाएगा।
*मूंग की दाल खाने में शीतल व पचने में हलकी होती है |
*मूंग दाल की खिचड़ी खाने से कब्ज की समस्या दूर हो जाती है.



आर्थराइटिस(संधिवात),गठियावात की तुरंत असर हर्बल औषधि




भूलने की बीमारी के आयुर्वेदिक नुस्खे :घरेलू आयुर्वेद






आमतौर पर हम सभी के घरों में किचन में पाई जाने वाली हल्दी अपने आप में किसी डॉक्टर से कम नहीं है। तभी तो आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा से संबंधित ग्रंथों में घरेलू हल्दी को चमत्कारी औषधि का दर्जा दिया गया है। जिस बात को आयुर्वेद में हजारों साल पहले कह दिया था, उसकी सच्चाई और प्रामाणिकता पर आज विज्ञान जगत भी मुहर लगा रहा है।





हल्दी के औषधीय गुणों पर किये जा रहे शोध बताते हैं कि हल्दी में कैंसर कोशिकाओं को मारने की क्षमता होती है। भारतीय लोग तो हल्दी के फायदों से परिचित हैं ही लेकिन अब वैज्ञानिकों ने भी साबित कर दिया है कि हल्दी में न केवल कैंसर कोशिकाओं को मारने की क्षमता होती है, बल्कि डिमेंशिया यानी भूलने की बीमारी जिसमें रोगी को मतिभ्रम हो जाता है और वह जरूरी बातें भी भूल जाता है, को भी नियंत्रित करने की क्षमता होती है।



डिमेंशिया में भी अचूक-

हल्दी में पाए जाने वाले रसायन 'करक्यूमिन' में रोगहारी शक्ति होती है, जो गठिया और मनोभ्रंश या डिमेंशिया यानी भूलने की बीमारी जैसी बीमारियों के इलाज में प्रभावी सिद्ध हो चुकी है। 

कैंसर की रोकथाम- 

ब्रिटेन के कॉर्क कैंसर रिसर्च सेंटर में किए गए परीक्षण दिखाते हैं कि प्रयोगशाला में जब करक्यूमिन का प्रयोग किया गया तो उसने गले की कैंसर कोशिकाओं को नष्ट कर दिया|



डॉ शैरन मैक्केना और उनके दल ने पाया कि करक्यूमिन ने 24 घंटों के भीतर कैंसर की कोशिकाओं को मारना शुरु कर दिया। कैंसर विशेषज्ञों का कहना है कि ब्रिटिश जरनल ऑफ़ कैंसर में प्रकाशित यह खोज कैंसर के नए इलाज विकसित करने में सहायक हो सकती है।


डेंगू ज्वर :कारण और निवारण के उपाय




प्रत्येक वर्ष जुलाई से अक्टूबर के मध्य डेंगू बुखार का प्रकोप फैलता है। सामान्यत: डेंगू वायरस शरीर में पहुंचने के 3-5 दिन बाद अपना असर दिखाता है, लेकिन कभी-कभी ये अवधि 3-10 दिन की भी होती है। यह एक वायरस से फैलने वाला रोग है जो एक संक्रमित मच्छर एडिस एजीप्टि के काटने से मनुष्यों में फैलता है। यह डेंगू बुखार के तौर पर जाना जाता है।










यह एक ऐसा वायरल रोग है जिसका मेडिकल चिकित्सा पद्धति में कोई इलाज नहीं है परन्तु आयुर्वेद में इसका इलाज है और वो इतना सरल और सस्ता है की उसे कोई भी कर सकता है l
तीव्र ज्वर, सर में तेज़ दर्द, आँखों के पीछे दर्द होना, उल्टियाँ लगना, त्वचा का सुखना तथा खून के प्लेटलेट की मात्रा का तेज़ी से कम होना डेंगू के कुछ लक्षण हैं जिनका यदि समय रहते इलाज न किया जाए तो रोगी की मृत्यु भी सकती है l
डेंगू हिमोरेजिक बुखार (डीएचएफ)/डेंगू आघात संलक्षण (डीएसएस) डेंगू बुखार फ्लेवी वायरस नामक जीनस के वायरस से होता है। इस वायरस के 4 सिरोटाइप होते हैं (डीईएन 1, डीईएन 2, डीईएन 3 और डीईएन 4) और ये चारों प्रकार भारत में पाए जाते हैं। किसी भी सिरोटाइप से पहला संक्रमण स्वयं सीमाकारक रोग (क्लासिकल डेंगू) उत्पन्न करता है जो लगभग 1 सप्ताह तक रोग का प्रभाव बनाए रखता है। संक्रमण के लिए उत्तरदायी विशिष्ट सिरोटाइप की तुलना में इसकी प्रतिरक्षा लम्बे समय तक चलती है। जबकि इसके बाद होने वाले संक्रमण में भिन्न प्रकार के सिरोटाइप क्लासिकल डेंगू उत्पन्न कर सकते हैं अथवा कई बार कुछ व्यक्तियों में रोग का गंभीर रूप बन जाता है ।


तरह-तरह के डेंगू और उनके लक्षण-

डेंगू बुखार मुख्य रूप से तीन प्रकार का होता है- साधारण डेंगू बुखार, डेंगू हैमरेजिक बुखार और डेंगू शॉक सिंड्रोम। साधारण डेंगू बुखार, जिसे क्लासिकल डेंगू भी कहते हैं, सामान्यत: 5-7 दिन तक रहता है। इसमें ठंड लगने के बाद तेज बुखार चढऩा, सिर, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होना आंखों के पिछले हिस्से में दर्द होना, जो आंखों को दबाने या हिलाने से और बढ़ता है, बहुत अधिक कमजोरी लगना, भूख न लगना, जी मिचलाना, मुंह का स्वाद खराब होना, गले में हल्का-हल्का दर्द होना, शरीर विशेषकर चेहरे, गर्दन और सीने पर लाल/गुलाबी रंग के रैशेज के लक्षण नजर आते हैं।





अगर ऊपर बताये गये साधारण डेंगू बुखार के लक्षणों के साथ-साथ पीडित में नाक और मसूढ़ों से खून आना, शौच या उल्टी में खून आना, त्वचा पर नीले/काले रंग के कत्ते पड़ जाना जैसे लक्षण प्रकट हों, तो उसे डेंगू हैमरेजिक बुखार हो सकता है। इसकी पड़ताल से रक्त की जांच आवश्यक होती है।
इसके विपरीत डेंगू शॉक सिंड्रोम के मरीजों में साधारण डेंगू बुखार और डेंगू हैमरेजिक बुखार के लक्षणें के साथ-साथ बेचैनी महसूस हो, तेज बुखार के बावजूद उसकी त्वचा ठंडी हो, मरीज पर बेहोशी हावी हो, नाड़ी कभी तेज और कभी धीरे चलने लगे और ब्लड प्रेशर एकदम लो हो जाए, तो डेंगू शॉक सिंड्रोम का मामला बनता है। डेंगू की यह अवस्था बेहद खतरनाक होती है, जिसमें मरीज को अस्पताल में भर्ती कराना आवश्यक होता है.

डेंगूं का इलाज-

साधारण डेंगू बुखार में आमतौर से पैरासिटामोल (क्रोसिन आदि) से काम चल सकता है। लेकिन ऐसे रोगियों को एस्प्रिन (डिस्प्रिन आदि) बिल्कुल नहीं देनी चाहिए। क्योंकि इससे प्लेटलेट्स कम होने का खतरा रहता है।
किसी भी अन्य मर्ज की भांति ही डेंगू के रोगी को भी अच्छे डॉक्टर के दिखाना जरूरी होता है। लेकिन इसके साथ ही साथ यह भी जानना जरूरी है कि डेंगू कोई असाध्य रोग नहीं है। इसलिए यदि सही समय पर इलाज शुरू कर दिया जाए तो डेंगू बुखार का पूरा इलाज सम्भव है।



बचाव के घरेलू इलाज-

**विटामिन-सी की अधिकता वाली चीजें जैसे आंवला, संतरा या मौसमी पर्याप्त मात्रा में लें, इससे शरीर का सुरक्षा चक्र मजबूत होता है।
**खाने में हल्दी का अधिकाधिक प्रयोग करें। इसे सुबह आधा चम्मच पानी के साथ या रात को दूध के साथ लिया जा सकता है। किन्तु यदि पीडित को नजला/जुकाम हो, तो दूध का प्रयोग न करें।
**तुलसी के पत्ते पानी में उबालें फिर मामूली गरम हालत में उसमे शहद मिलाकर पियें| इससे इम्यून सिस्टम बेहतर बनता है।
**नाक के अंदर की ओर सरसों का तेल लगाएं। तेल की चिकनाहट बाहर से बैक्टीरिया को नाक के भीतर जाने से रोकती है।

यदि किसी को डेंगू रोग हुआ हो और खून में प्लेटलेट की संख्या कम होती जा रही हो तो निम्न चार चीज़ें रोगी को दें :
१) अनार जूस
२) गेहूं के जवारे का रस
३) पपीते के पत्तों का रस
४) गिलोय का रस
** अनार जूस तथा गेहूं घास रस नया खून बनाने तथा रोगी की रोग से लड़ने की शक्ति प्रदान करने के लिए है, अनार जूस आसानी से उपलब्ध है यदि गेहूं घास रस ना मिले तो रोगी को सेब का रस भी दिया जा सकता है l

**पपीते के पत्तों का रस सबसे महत्वपूर्ण है, पपीते का पेड़ आसानी से मिल जाता है उसकी ताज़ी पत्तियों का रस निकाल कर मरीज़ को दिन में २ से ३ बार दें , एक दिन की खुराक के बाद ही प्लेटलेट की संक्या बढ़ने लगेगी l** गिलोय की बेल का सत्व मरीज़ को दिन में २-३ बार दें, इससे खून में प्लेटलेट की संख्या बढती है, रोग से लड़ने की शक्ति बढती है तथा कई रोगों का नाश होता है |
ध्यान देने योग्य है कि मानव शरीर में 1 मिलीलीटर ख़ून में 30-40 हजार प्लेटलेट होते हैं. इतने प्लेटलेट रोज़ाने मरते हैं, और बनते भी रहते हैं.
डेंगू में शरीर का काम आंशिक रूप से बंद हो जाता है जिसके कारण प्लेटलेट
बनने की गति धीमी हो जाती है.
ऐसे में डॉक्टर मरीज़ के शरीर में पानी की सप्लाई बनाए रखते हैं और ब्लड प्रेशर देखते हैं.
उनकी कोशिश होती है कि शरीर में इम्यूनिटी बढ़े और मरीज़ का शरीर जल्द ठीक हो जाए.








डेंगू को रोकने के उपाय- 

**चूंकि डेंगू एडीज मच्छरों से उत्पन्न होता है, इसलिए सर्वप्रथम यह प्रयास करें कि इन मच्छरों की पैदावार पर लगाम लगई जाए। इसके लिए अपने घर के आसपास पानी न जमा होने दें। यदि आसपास कोई गड्ढा हो, तो उसे मिट्टी से भर दें और नालियों की सफाई करवा दें। जिससे उनमें पानी न रूके और मच्छरों को पनपने का अवसर न मिले। यदि आसपास भरे पानी को हटावा सम्भव न हो, तो उसमें उसमें केरोसिन/मिट्टी का तेल अथवा पेट्रोल डाल दें।
**डेंगू के मच्छर साफ पानी में उत्पन्न होते हैं, इसलिए कूलर और पक्षियों को पानी देने के बर्तनों का पानी प्रत्येक दिन बदलें। पानी की टंकी को अच्छी तरह बंद करके रखें। यदि घर में छत वगैरहपर पुराने डिब्बे, बर्तन, टायर आदि रखे हों, तो उन्हें हटा दें या फिर देखलें कि उनमें पानी न भरा हुआ हो।
**ऐसे कपड़ों का उपयोग करें, जिनसे शरीर का अधिकाधिक भाग ढ़का रहे। घरों की खिड़कियों, रोशनदानों आदि में मच्छर जाली का उपयोग करें। यथासम्भव मच्छर रोधी क्वाएल/क्रीम का उपयोग करें। और सबसे बेहतर तो यही है कि रात में सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें।
**यदि किसी व्यक्ति को डेंगू हो गया है तो उसे मच्छरदानी में ही लिटाएं, जिससे मच्छर उसे काटकर दूसरों में बीमारी न फैला सकें।



पौषक तत्वों से परिपूर्ण है चुकंदर




इसके रस को पीने से न केवल शरीर में रक्त में हीमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ती है बल्कि कई अन्य स्वास्थ्य लाभ भी होते हैं। यदि आप इस सब्जी से नफरत करते हैं तो जरा एक बार इसके फायदों के बारे में जरूर पढ़ लें। शायद कम लोग ही जानते हैं कि चुकंदर में लौह तत्व की मात्रा अधिक नहीं होती है, किंतु इससे प्राप्त होने वाला लौह तत्व उच्च गुणवत्ता का होता है, जो रक्त निर्माण के लिए विशेष महत्वपूर्ण है। यही कारण है कि चुकंदर का सेवन शरीर से अनेक हानिकारक पदार्थों को बाहर निकालने में बेहद लाभदायी है। ऐसा समझा जाता है कि चुकंदर का गहरा लाल रंग इसमें लौह तत्व की प्रचुरता के कारण है, बल्कि सच यह है कि चुकंदर का गहरा लाल रंग इसमें पाए जाने वाले एक रंगकण (बीटा सायनिन) के कारण होता है। एंटी ऑक्सीडेंट गुणों के कारण ये रंगकण स्वास्थ्य के लिए अच्छे माने जाते हैं।

एनर्जी बढ़ाये : यदि आपको आलस महसूस हो रही हो या फिर थकान लगे तो चुकंदर का जूस पी लीजिये। इसमें कार्बोहाइड्रेट होता है जो शरीर यह पानी फोड़े, जलन और मुहांसों के लिए काफी उपयोगी होता है। खसरा और बुखार में भी त्वचा को साफ करने में इसका उपयोग किया जा सकता है।

पौष्टिकता से भरपूर : यह प्राकृतिक शर्करा का स्रोत होता है। इसमें कैल्शियम, मिनरल, मैग्नीशियम, आयरन, सोडियम, पोटेशियम, फॉस्फोरस, क्लोरीन, आयोडीन, और अन्य महत्वपूर्ण विटामिन पाये जाते हैं। इसलिए घर पर इसकी सब्जी बना कर अपने बच्चों को जरूर से खिलाएं।


हृदय के लिए : चुकंदर का रस हाइपरटेंशन और हृदय संबंधी समस्याओं को दूर रखता है। खासकर के चुंकदर के रस का सेवन करने से व्यक्ति में रक्त संचार काफी बढ़ जाता है। रक्त की धमनियों में जमी हुई चर्बी को भी इसमें मौजूद बेटेन नामक तत्व जमने से रोकता है।






स्वास्थ्यवर्धक पेय :
 
जो लोग जिम में जी तोड़ कर वर्कआउट करते हैं उनके लिये चुकंदर का जूस बहुत फायदेमंद है। इसको पीने से शरीर में एनर्जी बढ़ती है और थकान दूर होती है। साथ ही अगर हाई बीपी हो गया हो तो इसे पीने से केवल 1 घंटे में शरीर नार्मल हो जाता है
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वीर्य जल्दी निकलने की समस्या के उपचार

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शाबर मंत्र से रोग निवारण

उड़द की दाल के जबर्दस्त फायदे

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किडनी फेल रोगी का डाईट चार्ट और इलाज

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मिश्री के सेहत के लिए कमाल के फायदे

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गिलोय के जबर्दस्त फायदे

कान मे तरह तरह की आवाज आने की बीमारी

छाती मे दर्द Chest Pain के उपचार

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बाहर निकले पेट को अंदर करने के उपाय

किडनी फेल रोगी का डाईट चार्ट और इलाज

थायरायड समस्या का जड़ से इलाज

तिल्ली बढ़ जाने के आयुर्वेदिक नुस्खे

यौन शक्ति बढ़ाने के अचूक घरेलू उपाय/sex power

 कई बीमारियों से मुक्ति द‍िलाने वाला है गिलोय

किडनी स्टोन के अचूक हर्बल उपचार

स्तनों की कसावट और सुडौल बनाने के उपाय

लीवर रोगों के अचूक हर्बल इलाज

सफ़ेद मूसली के आयुर्वेदिक उपयोग

दामोदर चिकित्सालय शामगढ़ के आशु लाभकारी उत्पाद

तुलसी है कई रोगों मे उपयोगी औषधि

जामुन के सिरके के फायदे और बनाने की विधि

  
                               


कब्ज और उदर रोग में जामुन का सिरका उपयोग करें। जामुन का सिरका गुणकारी और स्वादिष्ट होता है, इसे घर पर ही आसानी से बनाया जा सकता है और कई दिनों तक उपयोग में लाया जा सकता है।

जामुन का सिरका जितना पुराना होता है यह खाने में उतना ही स्वादिष्ट और पेट सम्बंधित रोगों के लिए उतना ही अधिक लाभकारी होता है। जामुन के सिरके के सेवन से भूख बढ़ती है, पेट की वायु निकलती है और कब्ज की समस्या दूर होती है
जामुन की तासीर ठंडी होती है और इसकी कई देसी विदेशी किस्मे होती हैं | लेकिन सबके धर्म, गुण समान हैं। जामुन का अंग्रेजी नाम – Java Plum और Blackberry है | जामुन से भूख बढती है और भोजन पचाती है, शरीर से गंदगी बाहर निकलती है। जामुन नहीं होने पर इसका सिरका काम में ले सकते हैं। यह मोटी और पकी हुई अच्छी होती है। इसका खट्टापन और अम्लीय गुण रक्त-दोषों को दूर करते है।




जामुन का सिरका रेसपी 

काले जामुन – 1/2 किलो
सूखी मिर्च – 3
नमक – आवश्यकतानुसार
पानी – आवश्यकतानुसार
सहायक सामग्री
सूती कपड़ा – जामुन बांधने के लिए
मिट्टी का बर्तन – जामुन रखने के लिए
कांच की बोतल – सिरका रखने के लिए
जामुन का सिरका बनाने का तरीका
– काले जामुन को साफ पानी से धो कर पोछ लें।
– फिर इसे मिट्टी के बर्तन में डालकर नमक मिलाकर साफ कपड़े से बांध कर धूप में रख दें।
– लगभग एक महीनों तक धूप में रखने के बाद इसके रस को किसी साफ सूती कपड़े से छानकर कांच के बोतल में भर कर रख लें।
– अब इसमें 3 सूखी लाल मिर्च डाल दें और कांच की बोतल का मुंह बंद कर दें।


बच्चों और बूढों को ब्राह्मी और शंख पुष्पी का शरबत दें//Brahmi shankhpushpi




शंख पुष्पी और ब्राह्मी आयुर्वेद में ऐसी दो जड़ी बूटिया हैं जो मस्तिष्क बहुत ताकतवर बनाती है| इन दोनों जड़ी बूटियों में ऐसे तत्त्व मौजूद हैं जो मस्तिष्क के अंदर तक अपना असर डालते हैं| यही कारण है कि ये जड़ी बूटियाँ न केवल स्मरण शक्ति बढाती हैं बल्कि व्यक्ति को मानसिक रूप से बलवान भी बनाती हैं| न केवल भारत अपितु सारे विश्व में इनके ऊपर अनुसंधान कार्य चल रहे हैं \ऐसा माना जा रहा है कि ये जड़ी-बूटियाँ अल्जाईमर्स,डिमेंशिया, और पार्किन्सन जैसी बीमारियों को ठीक करने में उपयोगी होंगी| यह इसलिए कि इनमें दिमाग को ठीक करने की ताकत है| भारत में मेधा शक्ति बढाने के लिए इन जड़ी बूटियाँ का प्राचीन काल से उपयोग होता आया है| इससे नींद अच्छी आती है| मस्तिष्क में ताजगी लाती है| मस्तिष्क का तनाव कम करती हैं| ये दोनों जड़ी - बूटियाँ खोई हुई स्मरण शक्ति वापस लौटाने की ताकत रखती हैं| ब्राह्मी और शंख पुष्पी का सेवन भी बहुत आसान है|







बच्चों की मेमोरी पावर बढाने के लिए सोते वक्त एक गिलास गरम दूध में एक चम्मच ब्राह्मी का चूर्ण मिलाकर लेना कर्त्तव्य है| कुछ ही महीनों में इसका असर दिखने लगेगा| ऐसे लोग जिन्हें अनिद्रा रोग है| नींद कम लेने से शरीर में कई तरह के विकार पैदा हो जाते हैं|
ऐसी स्थिति से निपटने के लिए रोज रात को सोते वक्त गरम दूध में एक चम्मच ब्राह्मी का चूर्ण मिलाकर पीया जाए तो बहुत लाभ होगा | इसे और अधिक स्वादिष्ट और गुणकारी बनाने के लिए रात को ७ नग बादाम के गला दें |सुबह ब्राह्मी या शंख पुष्पी के दूध में मिले मिश्रण को छानकर उसमें बादाम और ५ नाग काली मिर्च पीसकर मिला दें इसमें मिश्री भी अंदाजन मिला दें| दवा तैयार है | यह एक खुराक है | यह स्मरण शक्ति बढाने का बेहतरीन नुस्खा है\ कुछ दिन तक नियमित लेते रहें|





ब्राह्मी और शंख पुष्पी मिर्गी रोग में काफी लाभ दायक साबित होती है| ये जड़ी बूटियाँ मस्तिष्क में विद्युत प्रस्फुरण को कम करती है| इससे मिर्गी के दौरों की आवृती कम हो जाती है और बीमार को शान्ति मिलती है|
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8.2.20

पेट और कमर की चर्बी कम करने के उपाय और उपचार,pet kamar ki charbi



कमर और पेट के आसपास जरूरत से ज्यादा चर्बी का जमना लोगों के लिए चिंता का विषय बनता जा रहा है, पेट की चर्बी दूसरों को ना सिर्फ देखने में खराब लगती है बल्कि यदि यह जरूरत से ज्यादा बढ़ जाए तो इससे कई तरह की बीमारियां होने का खतरा भी अधिक हो जाता है। पेट के चारों ओर जमा हो रही चर्बी के कारण ब्लड प्रेशर, हृदय रोग और शुगर जैसी बीमारियां हो सकती हैं। यदि आप भी अपने पेट और कमर के चारों ओर बढ़ रही चर्बी से परेशान हैं तो आज हम हेल्थअनबॉक्स के इस लेख में जानेंगे कि कैसे आप पेट और कमर की चर्बी कम करने के घरेलू उपाय और तरीकों को अपनाकर अपने पेट और कमर की चर्बी को कम कर सकते हैं और पेट और कमर कम करने के तरीके अपनाकर उसे बढ़ने से भी रोक सकते हैं।
पेट पर जमे अतिरिक्त फैट को कम करना थोड़ा मुश्किल जरूर है लेकिन नामुमकिन नहीं है। सही समय पर संतुलित आहार और व्यायाम कर आसानी से घर पर ही पेट और कमर की चर्बी को कम किया जा सकता है। क्या आप जानते हैं? मोटापे के भी दो प्रकार होते हैं, जी हां… कुछ लोग सिर से लेकर पांव तक मोटे होते हैं, कहने का मतलब उनका पूरा शरीर ही वजनदार और मोटापा से ग्रस्त होता हैं। लेकिन कुछ लोग केवल अपने मोटापे का कारण अपने टमी फैट को मानतें हैं मतलब इनका मोटापा केवल इनके पेट पर दिखता है। जिसका मुख्य कारण उनका खानपान और लाइफस्टाइल होती है जिसे वह चाहकर भी छोड़ नहीं पाते हैं।
बेल्ली फैट कम करने के उपाय अनेक हैं आपने टीवी पर पेट और कमर की चर्बी घटाने और मोटापा कम करने के एड जरूर देखें होगें। जिसमें खाने पीने से लेकर कई तरह की एक्सरसाइजया स्वेट स्लिम बेल्ट  के बारे में दिखाया जाता है। लेकिन पेट और कमर की चर्बी कम करने के ये सारे उपाय काफी मंहगे होते हैं और कुछ सही से काम नहीं करते या किसी के साइड इफेक्ट्स होते हैं। ऐसे में अगर आप बिना पैसे खर्च किये पेट और कमर कम करने के तरीके खोज रहें हैं तो हम आपको घर में ही कुछ आसान उपायों से पेट की चर्बी घटाने मोटापा कम करने और कमर की चर्बी कम करने के घरेलू उपाय  बता रहे हैं।


जब भी बात पेट और कमर पर जमा चर्बी को कम करने की आती है तो लोग इसके लिए इंटरनेट पर घरेलू उपाय ढूंढने लगते हैं, लेकिन कमर और पेट कम कैसे करें में केवल घरेलू उपाय ही कारगर नहीं हैं इसके लिए आपको कुछ कारगर पेट और कमर कम करने के तरीके अपनाने होंगे जिनमें योग व्यायाम और सही डाइट शामिल है। आज हम आपको इन्हीं चीजों के बारे में बताएंगे यदि आप सच में अपने बड़े हुए पेट को कम करना चाहते हैं और अपनी कमर का साइज घटाना चाहते हैं तो इन्हें नियमित रूप से करें, केवल एक-दो दिन इन्हें कर लेने से आपको मनचाहे परिणाम प्राप्त नहीं होंगे।
यह तो आपको पता है कि मोटापा दिन-ब-दिन बढ़ती एक समस्या बनती जा रही है। कमर और पेट कम कैसे करें इसे जानने से पहले हमें यह जानना होगा की आखिर पेट और कमर के आसपास चर्बी का जमाव क्यों होता है। इसलिए हम कमर और पेट कम करने के उपायों को जानने से पहले यह जान लेते हैं कि आखिर यह समस्या होती क्यों है और इसके मुख्य कारण क्या है।
यदि कमर और पेट के आसपास थोड़ी मात्रा में चर्बी एकत्रित हो जाती है तो इससे कोई घाटा नहीं है, क्योंकि एक निश्चित मात्रा में जमा हुई चर्बी (वसा) हमारे शरीर के लिए कुशन की तरह कार्य करती है। जिससे हमारी हड्डियां सुरक्षित रहती हैं, साथ ही यह हमारे शरीर के अंदरूनी अंगों को भी सुरक्षा प्रदान करती है। लेकिन जब यही चर्बी जरूरत से ज्यादा बढ़ने लगती है तो कई बीमारियां हमें होने लगती हैं। इसलिए हम सबसे पहले इसी बात पर चर्चा करने वाले हैं कि आखिर हमारे शरीर में अतिरिक्त चर्बी के जमने के मुख्य कारण कौन से हैं।

खराब पाचन तंत्र

जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती जाती है हमारा पाचन तंत्र धीरे-धीरे कमजोर होता जाता है, इससे हमारे शरीर में गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सिस्टम भी प्रभावित होने लगता है जिसके कारण पेट और कमर के आसपास चर्बी बढ़ने लगती है |

अनुवांशिकता

कई वैज्ञानिक शोधों से यह जानकारी प्राप्त हुई है कि शरीर में कुछ फेट सेल का डेवलपमेंट अनुवांशिक तौर पर होता है, कहने का मतलब यह है कि यदि आपके परिवार में किसी को मोटापे की परेशानी है या कोई शरीर में अधिक चर्बी जमने की समस्या का शिकार है, तो अधिक चांस है कि आपको भी इस तरह की समस्या का सामना करना पड़े । लेकिन यह हर जगह लागू नहीं होता एक अच्छी लाइफ स्टाइल और डाइट के साथ आप इसे बदल भी सकते हैं।

हार्मोनल असंतुलन

पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में हार्मोनल बदलाव अधिक देखे जाते हैं। महिलाओं के जीवन में ऐसी कई स्थितियां आती हैं जब उन्हें अपने शरीर में हार्मोन में बदलाव देखने को मिलते हैं। इस तरह के बदलाव मुख्यतः प्रेग्नेंसी के समय और किसी महिला के जीवनकाल के मध्य पड़ाव लगभग 40 साल के आसपास पहुंच चुकी महिलाओं में देखे जाते हैं। इस समय उनके शरीर का वजन तेजी से बढ़ने लगता है और कमर और पेट के आसपास की चर्बी भी उतनी ही तेजी से जमा होने लगती है । यह स्थिति रजोनिवृत्ति के दौरान देखने को मिलती है जिसका कारण एस्ट्रोजन हार्मोन के स्तर में कमी या बढ़ोतरी मानी जाती है। यही कारण है कि महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन के कारण कमर और पेट के आस-पास अतिरिक्त चर्बी जमा हो जाती है।

अधिक तनाव

आज के समय में तनाव होना बड़ी ही आम बात है तनावग्रस्त व्यक्ति एक के बाद एक बहुत सारी बीमारियों से घिरता चला जाता है और उन्हें बीमारियों में से एक है चर्बी का बढ़ना जिसके कारण ही उसे और कई बीमारियां घेर लेती है। अधिक तनाव के कारण हमारे ब्लड में कॉर्टिसोल नामक हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है। कोर्टिसोल हार्मोन शरीर में अतिरिक्त वसा को जमा करने का भी कारण हो सकता है, क्योंकि यह शरीर में बसा के स्तर को बढ़ा देता है, जिससे वसा कोशिकाएं बड़ी हो जाती है। इसलिए अधिक तनाव लेने के कारण व्यक्तियों में धीरे-धीरे पेट के आसपास और अन्य जगहों पर चर्बी एकत्रित होने लगती है | अगर आपके खानपान की आदतें सही नहीं हैं तो तनाव और भी बुरा परिणाम दे सकता है। क्योंकि आमतौर पर लोग तनाव में होने पर कुछ न कुछ खाते रहते हैं। जिससे उनके पेट पर चर्बी जमा होने लगती है।

मांसपेशियों में कमजोरी

जब हमारे पेट के आसपास की मांसपेशियां ढीली और कमजोर होने लगती हैं तो इस जगह चर्बी बढ़ना शुरू हो जाती है।

अधिक समय तक बैठकर काम करने की आदत


आज के आधुनिक दौर में हर चीज को बैठे-बैठे किया जा सकता है, इससे हमारा जीवन तो आसान हो गया है लेकिन हमारी शारीरिक गतिविधियां बहुत ही कम हो गई है, जिसका परिणाम हम अपने शरीर पर चर्बी को एकत्रित होता देख सकते हैं। आप चाहे घर में हो या फिर ऑफिस में हो अधिक देर तक एक ही जगह बैठे रहना और काम करते रहना कहीं ना कहीं पेट और कमर पर जम रही अतिरिक्त चर्बी का कारण हो सकता है। कंप्यूटर पर बैठकर अधिक देर काम करना भी शरीर में चर्बी बढ़ने का एक कारण हो सकता है। पेट की चर्बी बढ़ने के कारण में हमारे बैठने का तरीका भी बहुत असर डालता है। हमेशा कमर झुकाकर या पेट बाहर निकाल कर बैठना पेट और कमर पर चर्बी (फैट) के जमा होने का कारण बन सकता है।

कम प्रोटीन और ज्यादा कार्बोहाइड्रेट लेना

हर व्यक्ति दिन भर कुछ ना कुछ खाता रहता है लेकिन हम अपने खाने के बारे में ज्यादा सोचते नहीं हैं। कभी-कभी हम काम के प्रेशर में या फिर किसी स्ट्रेस में जरूरत से ज्यादा खा लेते हैं या फिर किसी पार्टी या खास समय में बाहर खाने जाने पर हम बिना सोचे समझे कुछ भी खा लेते हैं। जब हम खाने में मौजूद पोषक तत्वों पर ध्यान नहीं देते तो कहीं ना कहीं यह चीजें हमें नुकसान पहुंचाती हैं यदि हमारे खाने में प्रोटीन कम होगा और कार्बोहाइड्रेट और फैट की मात्रा अधिक होगी तो यह आगे चलकर कमर व पेट के आसपास चर्बी बढ़ाने का काम करेगा।

अन्य बीमारियां

कुछ ऐसी बीमारियां होती हैं जिनके कारण मोटापा बढ़ने लगता है यदि व्यक्ति इन बीमारियों की चपेट में आता है तो उसके शरीर में चर्बी का स्तर बढ़ने लगता है महिलाओं में इस प्रकार की समस्या ज्यादा होती है इन बीमारियों में मुख्यतः शुगर, ब्रेस्ट कैंसर या ह्रदय से जुड़ी बीमारियां होती हैं। थायराइड और उच्च रक्तचाप भी कभी-कभी पेट के आसपास चर्बी बढ़ने की आशंका बढ़ा सकता है।

कम नींद लेना

मोटापा बढ़ें का एक कारण नींद में कमी हो सकती है। पर्याप्त नींद (7-8 घंटे) न लेने से भूख बढ़ाने वाले हार्मोन (ghrelin) का उत्पादन बढ़ जाता है। जो शरीर में शर्करा और फैट बढ़ाने वाले भोजन का संरक्षण करता है। रात में पूरी नींद न लेने से कॉर्टिसोल हार्मोन का स्तर भी बढ़ जाता है जो पेट और कमर की चर्बी बढ़ने का कारण हो सकता है।

संतुलित मात्रा में खाएं

दिनभर में केवन तीन बार खाने से हमारा पाचन तंत्र ठीक तरह से से काम नहीं कर पाता है। इसलिए, पेट और कमर की चर्बी कम करने के लिए पूरे दिन भर में 5 से 6 बार में थोड़ा-थोड़ा खाते रहें।

नींबू पानी से करें दिन की शुरुआत

पेट की चर्बी कम करने के लिए सुबह खाली पेट एक ग्लास गुनगुने पानी में आधा नींबू निचोड़कर पिएं। इसमें शहद मिलाकर पीने से अधिक फायदा होगा। ऐसा करने से मेटाबॉलिजम तेज होता है और फैट्स जल्दी बर्न होता है।

अधिक फल व सब्जियां खाएं

दिनभर में थोड़ी-थोड़ी मात्रा में फल व सब्जियों का सेवन करते रहना चाहिए। इससे भूख कम लगेगी और पेट और कमर की चर्बी कम करने में मदद मिलेगी।

अधिक पानी पिएं

दिनभर में 8 से 10 गिलास पानी पीना सेहत के लिए जरूरी है। यदि आप पेट और कमर की चर्बी कम करना चाहते हैं तो 2-3 लीटर पानी पीना शुरू कर दें। दिनभर में तय समय पर थोड़ा-थोड़ा पानी पीते रहें। पानी पीने से ज्यादा खाने की आदत कम हो सकती है।

नाश्ता करना न भूलें

दिनभर एनर्जी बनाये रखने के लिए हेल्दी नाश्ता जरूरी है। पेट की चर्बी को कम करने के लिए नाश्ता करना न भूलें। कुछ लोग मानते हैं कि नाश्ता नहीं करने से वजन कम होता है, जबकि ऐसा नहीं है। होता इससे उल्टा है, नाश्ता न करने से हमारी भूख बढ़ती है और हम लंच में ज्यादा खा लेते हैं, जिससे इसे पचाने में दिक्कत होती है और वजन बढ़ने की समस्या होने लगती है।

 पूरी नींद सोना 

पेट और कमर की चर्बी को कम करने के लिए पूरी नींद सोना भी जरूरी है। हर किसी को चाहे वह वजन कम करना चाहता हो या फिट रहना सभी को सात से आठ घंटे की नींद लेनी ही चाहिए। कम नींद के साथ ही ज्यादा सोना भी वजन बढ़ने का अहम कारण हैं। जब आप पूरी नींद सोते हैं, तो आपका पाचन तंत्र ठीक से काम करता है और भोजन सही से पचाता है।
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