8.2.20

पेट और कमर की चर्बी कम करने के उपाय और उपचार,pet kamar ki charbi



कमर और पेट के आसपास जरूरत से ज्यादा चर्बी का जमना लोगों के लिए चिंता का विषय बनता जा रहा है, पेट की चर्बी दूसरों को ना सिर्फ देखने में खराब लगती है बल्कि यदि यह जरूरत से ज्यादा बढ़ जाए तो इससे कई तरह की बीमारियां होने का खतरा भी अधिक हो जाता है। पेट के चारों ओर जमा हो रही चर्बी के कारण ब्लड प्रेशर, हृदय रोग और शुगर जैसी बीमारियां हो सकती हैं। यदि आप भी अपने पेट और कमर के चारों ओर बढ़ रही चर्बी से परेशान हैं तो आज हम हेल्थअनबॉक्स के इस लेख में जानेंगे कि कैसे आप पेट और कमर की चर्बी कम करने के घरेलू उपाय और तरीकों को अपनाकर अपने पेट और कमर की चर्बी को कम कर सकते हैं और पेट और कमर कम करने के तरीके अपनाकर उसे बढ़ने से भी रोक सकते हैं।
पेट पर जमे अतिरिक्त फैट को कम करना थोड़ा मुश्किल जरूर है लेकिन नामुमकिन नहीं है। सही समय पर संतुलित आहार और व्यायाम कर आसानी से घर पर ही पेट और कमर की चर्बी को कम किया जा सकता है। क्या आप जानते हैं? मोटापे के भी दो प्रकार होते हैं, जी हां… कुछ लोग सिर से लेकर पांव तक मोटे होते हैं, कहने का मतलब उनका पूरा शरीर ही वजनदार और मोटापा से ग्रस्त होता हैं। लेकिन कुछ लोग केवल अपने मोटापे का कारण अपने टमी फैट को मानतें हैं मतलब इनका मोटापा केवल इनके पेट पर दिखता है। जिसका मुख्य कारण उनका खानपान और लाइफस्टाइल होती है जिसे वह चाहकर भी छोड़ नहीं पाते हैं।
बेल्ली फैट कम करने के उपाय अनेक हैं आपने टीवी पर पेट और कमर की चर्बी घटाने और मोटापा कम करने के एड जरूर देखें होगें। जिसमें खाने पीने से लेकर कई तरह की एक्सरसाइजया स्वेट स्लिम बेल्ट  के बारे में दिखाया जाता है। लेकिन पेट और कमर की चर्बी कम करने के ये सारे उपाय काफी मंहगे होते हैं और कुछ सही से काम नहीं करते या किसी के साइड इफेक्ट्स होते हैं। ऐसे में अगर आप बिना पैसे खर्च किये पेट और कमर कम करने के तरीके खोज रहें हैं तो हम आपको घर में ही कुछ आसान उपायों से पेट की चर्बी घटाने मोटापा कम करने और कमर की चर्बी कम करने के घरेलू उपाय  बता रहे हैं।


जब भी बात पेट और कमर पर जमा चर्बी को कम करने की आती है तो लोग इसके लिए इंटरनेट पर घरेलू उपाय ढूंढने लगते हैं, लेकिन कमर और पेट कम कैसे करें में केवल घरेलू उपाय ही कारगर नहीं हैं इसके लिए आपको कुछ कारगर पेट और कमर कम करने के तरीके अपनाने होंगे जिनमें योग व्यायाम और सही डाइट शामिल है। आज हम आपको इन्हीं चीजों के बारे में बताएंगे यदि आप सच में अपने बड़े हुए पेट को कम करना चाहते हैं और अपनी कमर का साइज घटाना चाहते हैं तो इन्हें नियमित रूप से करें, केवल एक-दो दिन इन्हें कर लेने से आपको मनचाहे परिणाम प्राप्त नहीं होंगे।
यह तो आपको पता है कि मोटापा दिन-ब-दिन बढ़ती एक समस्या बनती जा रही है। कमर और पेट कम कैसे करें इसे जानने से पहले हमें यह जानना होगा की आखिर पेट और कमर के आसपास चर्बी का जमाव क्यों होता है। इसलिए हम कमर और पेट कम करने के उपायों को जानने से पहले यह जान लेते हैं कि आखिर यह समस्या होती क्यों है और इसके मुख्य कारण क्या है।
यदि कमर और पेट के आसपास थोड़ी मात्रा में चर्बी एकत्रित हो जाती है तो इससे कोई घाटा नहीं है, क्योंकि एक निश्चित मात्रा में जमा हुई चर्बी (वसा) हमारे शरीर के लिए कुशन की तरह कार्य करती है। जिससे हमारी हड्डियां सुरक्षित रहती हैं, साथ ही यह हमारे शरीर के अंदरूनी अंगों को भी सुरक्षा प्रदान करती है। लेकिन जब यही चर्बी जरूरत से ज्यादा बढ़ने लगती है तो कई बीमारियां हमें होने लगती हैं। इसलिए हम सबसे पहले इसी बात पर चर्चा करने वाले हैं कि आखिर हमारे शरीर में अतिरिक्त चर्बी के जमने के मुख्य कारण कौन से हैं।

खराब पाचन तंत्र

जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती जाती है हमारा पाचन तंत्र धीरे-धीरे कमजोर होता जाता है, इससे हमारे शरीर में गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सिस्टम भी प्रभावित होने लगता है जिसके कारण पेट और कमर के आसपास चर्बी बढ़ने लगती है |

अनुवांशिकता

कई वैज्ञानिक शोधों से यह जानकारी प्राप्त हुई है कि शरीर में कुछ फेट सेल का डेवलपमेंट अनुवांशिक तौर पर होता है, कहने का मतलब यह है कि यदि आपके परिवार में किसी को मोटापे की परेशानी है या कोई शरीर में अधिक चर्बी जमने की समस्या का शिकार है, तो अधिक चांस है कि आपको भी इस तरह की समस्या का सामना करना पड़े । लेकिन यह हर जगह लागू नहीं होता एक अच्छी लाइफ स्टाइल और डाइट के साथ आप इसे बदल भी सकते हैं।

हार्मोनल असंतुलन

पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में हार्मोनल बदलाव अधिक देखे जाते हैं। महिलाओं के जीवन में ऐसी कई स्थितियां आती हैं जब उन्हें अपने शरीर में हार्मोन में बदलाव देखने को मिलते हैं। इस तरह के बदलाव मुख्यतः प्रेग्नेंसी के समय और किसी महिला के जीवनकाल के मध्य पड़ाव लगभग 40 साल के आसपास पहुंच चुकी महिलाओं में देखे जाते हैं। इस समय उनके शरीर का वजन तेजी से बढ़ने लगता है और कमर और पेट के आसपास की चर्बी भी उतनी ही तेजी से जमा होने लगती है । यह स्थिति रजोनिवृत्ति के दौरान देखने को मिलती है जिसका कारण एस्ट्रोजन हार्मोन के स्तर में कमी या बढ़ोतरी मानी जाती है। यही कारण है कि महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन के कारण कमर और पेट के आस-पास अतिरिक्त चर्बी जमा हो जाती है।

अधिक तनाव

आज के समय में तनाव होना बड़ी ही आम बात है तनावग्रस्त व्यक्ति एक के बाद एक बहुत सारी बीमारियों से घिरता चला जाता है और उन्हें बीमारियों में से एक है चर्बी का बढ़ना जिसके कारण ही उसे और कई बीमारियां घेर लेती है। अधिक तनाव के कारण हमारे ब्लड में कॉर्टिसोल नामक हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है। कोर्टिसोल हार्मोन शरीर में अतिरिक्त वसा को जमा करने का भी कारण हो सकता है, क्योंकि यह शरीर में बसा के स्तर को बढ़ा देता है, जिससे वसा कोशिकाएं बड़ी हो जाती है। इसलिए अधिक तनाव लेने के कारण व्यक्तियों में धीरे-धीरे पेट के आसपास और अन्य जगहों पर चर्बी एकत्रित होने लगती है | अगर आपके खानपान की आदतें सही नहीं हैं तो तनाव और भी बुरा परिणाम दे सकता है। क्योंकि आमतौर पर लोग तनाव में होने पर कुछ न कुछ खाते रहते हैं। जिससे उनके पेट पर चर्बी जमा होने लगती है।

मांसपेशियों में कमजोरी

जब हमारे पेट के आसपास की मांसपेशियां ढीली और कमजोर होने लगती हैं तो इस जगह चर्बी बढ़ना शुरू हो जाती है।

अधिक समय तक बैठकर काम करने की आदत


आज के आधुनिक दौर में हर चीज को बैठे-बैठे किया जा सकता है, इससे हमारा जीवन तो आसान हो गया है लेकिन हमारी शारीरिक गतिविधियां बहुत ही कम हो गई है, जिसका परिणाम हम अपने शरीर पर चर्बी को एकत्रित होता देख सकते हैं। आप चाहे घर में हो या फिर ऑफिस में हो अधिक देर तक एक ही जगह बैठे रहना और काम करते रहना कहीं ना कहीं पेट और कमर पर जम रही अतिरिक्त चर्बी का कारण हो सकता है। कंप्यूटर पर बैठकर अधिक देर काम करना भी शरीर में चर्बी बढ़ने का एक कारण हो सकता है। पेट की चर्बी बढ़ने के कारण में हमारे बैठने का तरीका भी बहुत असर डालता है। हमेशा कमर झुकाकर या पेट बाहर निकाल कर बैठना पेट और कमर पर चर्बी (फैट) के जमा होने का कारण बन सकता है।

कम प्रोटीन और ज्यादा कार्बोहाइड्रेट लेना

हर व्यक्ति दिन भर कुछ ना कुछ खाता रहता है लेकिन हम अपने खाने के बारे में ज्यादा सोचते नहीं हैं। कभी-कभी हम काम के प्रेशर में या फिर किसी स्ट्रेस में जरूरत से ज्यादा खा लेते हैं या फिर किसी पार्टी या खास समय में बाहर खाने जाने पर हम बिना सोचे समझे कुछ भी खा लेते हैं। जब हम खाने में मौजूद पोषक तत्वों पर ध्यान नहीं देते तो कहीं ना कहीं यह चीजें हमें नुकसान पहुंचाती हैं यदि हमारे खाने में प्रोटीन कम होगा और कार्बोहाइड्रेट और फैट की मात्रा अधिक होगी तो यह आगे चलकर कमर व पेट के आसपास चर्बी बढ़ाने का काम करेगा।

अन्य बीमारियां

कुछ ऐसी बीमारियां होती हैं जिनके कारण मोटापा बढ़ने लगता है यदि व्यक्ति इन बीमारियों की चपेट में आता है तो उसके शरीर में चर्बी का स्तर बढ़ने लगता है महिलाओं में इस प्रकार की समस्या ज्यादा होती है इन बीमारियों में मुख्यतः शुगर, ब्रेस्ट कैंसर या ह्रदय से जुड़ी बीमारियां होती हैं। थायराइड और उच्च रक्तचाप भी कभी-कभी पेट के आसपास चर्बी बढ़ने की आशंका बढ़ा सकता है।

कम नींद लेना

मोटापा बढ़ें का एक कारण नींद में कमी हो सकती है। पर्याप्त नींद (7-8 घंटे) न लेने से भूख बढ़ाने वाले हार्मोन (ghrelin) का उत्पादन बढ़ जाता है। जो शरीर में शर्करा और फैट बढ़ाने वाले भोजन का संरक्षण करता है। रात में पूरी नींद न लेने से कॉर्टिसोल हार्मोन का स्तर भी बढ़ जाता है जो पेट और कमर की चर्बी बढ़ने का कारण हो सकता है।

संतुलित मात्रा में खाएं

दिनभर में केवन तीन बार खाने से हमारा पाचन तंत्र ठीक तरह से से काम नहीं कर पाता है। इसलिए, पेट और कमर की चर्बी कम करने के लिए पूरे दिन भर में 5 से 6 बार में थोड़ा-थोड़ा खाते रहें।

नींबू पानी से करें दिन की शुरुआत

पेट की चर्बी कम करने के लिए सुबह खाली पेट एक ग्लास गुनगुने पानी में आधा नींबू निचोड़कर पिएं। इसमें शहद मिलाकर पीने से अधिक फायदा होगा। ऐसा करने से मेटाबॉलिजम तेज होता है और फैट्स जल्दी बर्न होता है।

अधिक फल व सब्जियां खाएं

दिनभर में थोड़ी-थोड़ी मात्रा में फल व सब्जियों का सेवन करते रहना चाहिए। इससे भूख कम लगेगी और पेट और कमर की चर्बी कम करने में मदद मिलेगी।

अधिक पानी पिएं

दिनभर में 8 से 10 गिलास पानी पीना सेहत के लिए जरूरी है। यदि आप पेट और कमर की चर्बी कम करना चाहते हैं तो 2-3 लीटर पानी पीना शुरू कर दें। दिनभर में तय समय पर थोड़ा-थोड़ा पानी पीते रहें। पानी पीने से ज्यादा खाने की आदत कम हो सकती है।

नाश्ता करना न भूलें

दिनभर एनर्जी बनाये रखने के लिए हेल्दी नाश्ता जरूरी है। पेट की चर्बी को कम करने के लिए नाश्ता करना न भूलें। कुछ लोग मानते हैं कि नाश्ता नहीं करने से वजन कम होता है, जबकि ऐसा नहीं है। होता इससे उल्टा है, नाश्ता न करने से हमारी भूख बढ़ती है और हम लंच में ज्यादा खा लेते हैं, जिससे इसे पचाने में दिक्कत होती है और वजन बढ़ने की समस्या होने लगती है।

 पूरी नींद सोना 

पेट और कमर की चर्बी को कम करने के लिए पूरी नींद सोना भी जरूरी है। हर किसी को चाहे वह वजन कम करना चाहता हो या फिट रहना सभी को सात से आठ घंटे की नींद लेनी ही चाहिए। कम नींद के साथ ही ज्यादा सोना भी वजन बढ़ने का अहम कारण हैं। जब आप पूरी नींद सोते हैं, तो आपका पाचन तंत्र ठीक से काम करता है और भोजन सही से पचाता है।
  • पायरिया के घरेलू इलाज
  • चेहरे के तिल और मस्से इलाज
  • लाल मिर्च के औषधीय गुण
  • लाल प्याज से थायराईड का इलाज
  • जमालगोटा के औषधीय प्रयोग
  • एसिडिटी के घरेलू उपचार
  • नींबू व जीरा से वजन घटाएँ
  • सांस फूलने के उपचार
  • कत्था के चिकित्सा लाभ
  • गांठ गलाने के उपचार
  • चौलाई ,चंदलोई,खाटीभाजी सब्जी के स्वास्थ्य लाभ
  • मसूड़ों के सूजन के घरेलू उपचार
  • अनार खाने के स्वास्थ्य लाभ
  • इसबगोल के औषधीय उपयोग
  • अश्वगंधा के फायदे
  • लकवा की चमत्कारी आयुर्वेदिक औषधि वृहत वात चिंतामणि रस
  • मर्द को लंबी रेस का घोडा बनाने के अद्भुत नुस्खे
  • सदाबहार पौधे के चिकित्सा लाभ
  • कान बहने की समस्या के उपचार
  • पेट की सूजन गेस्ट्राईटिस के घरेलू उपचार
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  • लकवा (पक्षाघात) के आयुर्वेदिक घरेलू नुस्खे
  • डेंगूबुखार के आयुर्वेदिक नुस्खे
  • काला नमक और सेंधा नमक मे अंतर और फायदे
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  • पाइल्स (बवासीर) के घरेलू आयुर्वेदिक नुस्खे
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  • चिरायता के चिकित्सा -लाभ
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  • 30.1.20

    बाहर निकली तोंद को 30 दिन मे अंदर करने के उपचार



    पेट की चर्बी लोगों की सबसे बड़ी समस्या है। कुछ लोग तुरंत स्लिम होने के लिए दवाओं का सहारा लेते हैं। ये दवाएं कुछ समय के लिए तो फायदा पहुंचाती हैं, लेकिन बाद में इसके ढेरों साइड इफेक्ट भी देखने को मिलते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार पेट पर जमा चर्बी न सिर्फ आपकी सुंदरता को बिगाड़ती है, बल्कि कई बीमारियों को बुलावा भी देती है। इसलिए चर्बी कम करके खुद को फिट रखना बेहद जरूरी है। फिट रहने के लिए घर में किए जाने वाले कुछ उपाय आपकी मदद कर सकते हैं।
    व्यस्तता और बिगड़ते खान-पान के कारण, लोगों का शरीर बेडोल होता जा रहा है। इससे कई बार उन्हें शर्मिन्दगी भी उठानी पड़ती है। ऐसे में वे सोचते हैं, कि ऐसा कोई तरीका मिल जाए, जिसे अपनाकर वह एक महीने में ही फिट हो जाएं और उनका फिगर शेप में आ जाए।
    व्यायाम जल्फिदी फिट होने और स्वस्थ शरीर को प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण तरीका है। हालांकि, प्रमुख परिणाम देखने के लिए 30 दिन पर्याप्त समय नहीं है।
    कई लोग फैट को कम करने के लिए जिम जाते हैं, वहीं कुछ दवाईयों का सहारा लेते हैं। जिनके बहुत से साइड इफैक्ट होते हैं। अपनी बॉडी को अच्छा शेप देने के लिए शरीर के किसी एक हिस्से पर नहीं, बल्कि पूरे शरीर पर मेहनत करनी होगी।

    कार्डियोवैस्कुलर एक्टिविटी
    अच्छे परिणामों के लिए, अपनी दैनिक एक्सरसाइज में कार्डियोवैस्कुलर एक्टिविटी शामिल करें। इसमें 30 मिनट की जॉगिंग, साइकिल चलाना, लंबी पैदल यात्रा, तैराकी या खेल खेलना शामिल हो सकता है। अपने पसंदीदा कार्डियोवैस्कुलर एक्टिविटी के साथ कसरत करें या हर दिन कुछ अलग करने की कोशिश करें। फिटनेस के लिए अपने समय में एक विशिष्ट समय निर्धारित करने से आपको प्रतिबद्ध रहने में मदद मिलेगी।

    स्ट्रेंथ ट्रेनिंग 
    इसके अलावा, प्रत्येक सप्ताह कम से कम दो दिन की स्ट्रेंथ ट्रेनिंग को शामिल करें। आप वेट का उपयोग कर सकते हैं – जैसे डम्बल या एक बारबेल – या बस अपने शरीर के वजन को इस्तेमाल करने दें। बॉडी-वेट स्ट्रेंथ ट्रेनिंग के कुछ उदाहरणों में पुश-अप्स, पुल-अप्स, चेयर डिप्स, प्लांक, क्रंचेज, स्क्वेट्स, लंग्स और वॉल-सिट्स शामिल हैं। एक साथ में, ये एक्सरसाइज एक पूर्ण शरीर की कसरत का प्रोग्राम बनाती हैं जो आप कहीं भी कर सकते हैं।
    कुछ ऐसी एक्सरसाइज हैं, जो आपको फैट से फिट बनाने में मदद करेंगी। नीचे जानिए वजन घटाने वाली कुछ ऐसी ही एक्सरसाइज के बारे में।
    कोबरा एक्सरसाइज 
    कोबरा एक्सरसाइज को आप कमर को पतली करने के लिए कर सकते हैं। एक महीने लगातार इसे करने से आपका बैली फैट घट जाएगा, जिसके बाद आप स्लिम-ट्रिम नजर आएंगे।
    कोबरा एक्सरसाइज करने के लिए अपने पैरों को जोड़कर पेट के बल लेट जाएं।
    अब कोहनी से अपनी बाहों को मोड़ें और एक सीधे कोण पर अपने हाथों के साथ अपना बैलेंस बनाने की कोशिश करें।
    अब सांस लेते हुए कमर को झुकाएं और सिर को होल्ड करते हुए धड़ को खींचें। सैकंड के लिए इसी स्थिति में रहें।
    इसके बाद धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए शरीर को ढीला छोड़ें और नीचे ले आएं। इस एक्सरसाइज को लगातार एक महीने तक करने से आप फैट से फिट होते दिखाई देंगे।
    कैंडलस्टिक एक्सरसाइज 

    कैंडलस्टिक एक्सरसाइज पेट को शेप में लाने के लिए की जाती है। एक महीने में फैट से फिट होने के लिए ये शानदार एक्सरसाइज है, जिसके बारे में अभी बहुत कम लोग जानते हैं।
    इसे करने के लिए सबसे पहले पीठ के बल लेट जाएं।
    अब अपनी टांगों को घुटनों से मोड़ते हुए छाती पर रखें।
    अब धीरे-धीरे अपने दोनों पैरों को ऊपर की ओर उठाते हुए अपनी कमर को दोनों हाथों से सहारा दें। इस स्थिति में 30-50 सैकंड रहें और फिर पहले की स्थिति में आ जाएं। इस प्रक्रिया को कुछ मिनट तक बार-बार दोहराते रहें।
    बर्ड डॉग एक्सरसाइज

    बर्ड डॉग एक्सरसाइज आपके कमर के पीछे वाले हिस्से को टारगेट करती है। इससे आपकी कमर के पीछे और साइड वाली चर्बी कम होती है। कमर को पतला करने के लिए यह जरूरी होता है, कि पेट की चर्बी को कम करने के साथ
    कमर के पीछे वाले फैट को भी कम किया जाए। इस लिहाज से यह एक्सरसाइज बहुत फायदेमंद है।
    इस एक्सरसाइज को करने के लिए सबसे पहले डॉग की पोशिशन ले लें।
    इसके बाद अपनी दाएं बाजू को सीधा करें और बाएं पैर को सीधा करें।
    दो सैंकड तक इसी स्थिति में रहें और फिर वापस पहले वाली पोजीशन में आ जाएं।
    इसी तरह अब दाएं बाजू को सीधा करें और दाएं पैर को सीधा करें और फिर नॉर्मल पोजीशन में आ जाएं। आपको ऐसा 20 बार करना है।
    अगले हफ्ते बाजू और पैर को सीधा करने के बाद रूकने वाले समय को चार सैकंड के लिए बढ़ा दें। ऐसे करते हुए चौथे हफ्ते में 8 सैकंड तक रूकें।
    यह एक्सरसाइज आपके पेट के लिए बहुत अच्छी है। ये आपके पेट के साइड और सामने वाले हिस्से को टारगेट करती है। एक महीने तक रशियन ट्विस्ट एक्सरसाइज करने से आपके पूरे पेट पर जम रही चर्बी कम हो जाती है और पेट की सभी मांसपेशियां मजबूत हो जाती हैं।
    इस एक्सरसाइज को करने के लिए सबसे पहले दोनों पैरों को आगे करके सीधे बैठ जाएं।
    अब टांगों को घुटनों से थोड़ा सा मोड़ लें और पैरों को हवा में उठा लें।
    अब अपने हाथों में कोई चीज पकड़ लें, जैसे कि बोतल।
    अपने पैरों को इसी स्थिति में रखें और जो चीज आपने अपने हाथ में पकड़ी है, उसे एक बार लेफ्ट और दूसरी बार राइट में ले जाएं।
    एक बार लेफ्ट और एक बार राइट ले जाकर एक गिनें। ऐसा 12 बार करें। इसके बाद थोड़ा रेस्ट करें और एक बार फिर इस एक्सरसाइज को दोहराएं। पहली बार इस एक्सरसाइज के तीन राउंड करें।

    चेस्ट प्रेस एक्सरसाइज 


    फिट रहने के लिए चेस्ट को भी शेप में लाना बहुत जरूरी है। इसके लिए आप चेस्ट प्रेस एक्सरसाइज कर सकते हैं। यह एक्सरसाइज चेस्ट के सामने मांसपेशियों को मजूबत करने के लिए की जाती है। इसे करने के लिए अपने दोनों हाथों में
    डंबल पकड़कर पीठ के बल लेट जाएं और घुटनों को मोड़ लें।
    अब अपर आर्म को शरीर के साथ सीधा और फोरआम्र्स को फर्श के साथ सीधा करें।
    धीरे-धीरे अपने ऊपर वजन डालें, तब तक जब की आपकी कोहनी सीधी रहे। चेस्ट को शेप देने के लिए यह एक्सरसाइज बेस्ट है।
    एक महीने में वजन कम करने वाले लोगों के लिए ग्रीन टी
    सबसे अच्छा घरेलू उपाय है। ग्रीन टी के नियमित सेवन से वजन को मेंटेन करने में मदद मिलती है। दरअसल, ग्रीन टी में पॉलीफेनाल्स पाए जाते हैं, जो फैट बर्न करने में सहायक हैं। इसे बनाने के लिए एक कप गर्म पानी में एक चम्मच ग्रीन टी मिलाएं। इसमें शक्कर नहीं डालनी है, इसलिए मिठास लाने के लिए चाहें, तो थोड़ा सा शहद मिला सकते हैं। एक महीने तक दिन में दो से तीन बार ग्रीन टी पीने से आपका वजन तेजी से कम होगा और आप बन जाएंगे एकदम फिट एंड फाइन।
    तेजी से स्लिम होने वाले लोगों के लिए काली मिर्च बेहतर घरेलू नुस्खा है। इसमें पेपरिन नामक यौगिक होता है, जिससे इसे तीखा स्वाद मिलता है। पेपरीन में वसा को कम करने वाले गुण होते हैं, जो वजन कम करने में आपकी मदद कर सकते हैं। आप रोजाना अपनी चाय में या खाने में एक चम्मच काली मिर्च का इस्तेमाल कर सकते हैं। एक महीने के अंदर आपका पेट तुरंत अंदर हो जाएगा और आप फिट दिखने लगेंगे।
    दालचीनी का उपयोग वजन कम करने के लिए किया जाता है। इसका उपयोग करने के लिए एक गिलास गर्म पानी में दो चम्मच दालचीनी का पाउडर मिलाएं। इसमें आधे नींबू
    का रस मिलाएं और फिर इस मिश्रण में थोड़ा सा शहद मिलाएं और पी जाएं। एक महीने में फैट से फिट होने का यह बहुत शानदार घरेलू तरीका है। हर दिन सुबह खाली पेट इस मिश्रण को पीने से आपको बहुत फायदा होगा।
    लहसुन एक जड़ी -बूटी है, जो आपको प्राकृतिक रूप से वजन कम करने में मदद करती है। इसमें पाई जाने वाली नेचुरल एंटी ओबेसिटी प्रॉपर्टी के कारण तेजी से वजन घटाया जा सकता है। इसके लिए आपको हर दिन अपने सब्जी या किसी डिश में एक से दो चम्मच किसा हुआ लहसुन मिलाना होगा। आप चाहें, तो लहसुन की कलियों को सीधे चबा भी सकते हैं। दिन में तीन बार ऐसा करने से फैट बहुत जल्दी कम हो जाएगा और आप एक फ्लैट टमी पा सकेंगे।
    कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो बिना डाइटिंग और कड़ी मेहनत के एकदम फिट बने रहते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार दुबले लोग हर दिन कुछ ऐसी आदतें अपनाते हैं, जिसकी वजह से उनकी बॉडी में एकस्ट्रा फैट या तो जमा नहीं होता या होता भी है, तो जल्दी घुल जाता है। नीचे हम आपको कुछ ऐसे ही टिप्स बता रहे हैं, जिसे अपनी लाइफस्टाइल में अपनाकर आप एक महीने में फैट से फिट बन सकते हैं।
    फिट रहने के लिए सुबह उठकर एक गिलास पानी पीएं। इससे बॉडी डिटॉक्स होती है, डाइजेशन अच्छा होता है और मेटाबॉलिज्म ठीक रहता है, जिससे मोटापा नहीं बढ़ता।
    स्लिम बॉडी पाने के लिए रोजाना एक्सरसाइज करना अच्छा विकल्प है। इससे ब्लड सकुर्लेशन अच्छा होता है। इतना ही नहीं लगातार एक महने तक एक्सराइज करने से मसल्स टाइट होने के साथ एक्स्ट्रा फैट और कैलोरी बर्न होती है, जिससे बॉडी फिट होती है।
    नियमित रूप से ब्रेकफास्ट करने से आपकी बॉडी हमेशा फिट रहेगी। सुबह उठने के आधे घंटे के भीतर ब्रेकफास्ट ले लेना चाहिए। हेल्दी ब्रेकफास्ट करने से दिन की हेल्दी शुरूआत होती है, जिससे लंच में ज्यादा कैलोरी लेने की जरूरत नहीं पड़ती।
    रोजाना अपनी डाइट में प्रोटीन और अनाज शामिल करें। इससे पेट ज्यादा देर तक भरा रहता है, जिससे बार-बार भूख लगने की संभावना कम हो जाती है।
    एक महीने मीठा खाने से परहेज करें। शक्कर में फ्रुक्टोज होता है, जो बॉडी में फैट बढ़ाता है।
    अपने दिनभर की डाइट में फल-सब्जियों को शामिल करें। इससे पेट की सफाई होती है, कैलोरी इंटेक कम होता है और डाइजेशन भी अच्छा रहता है।
    एक महीने में फैट से फिट होने के लिए लिफ्ट का इस्तेमाल न करें। इसके बजाए सीढ़ियों से चढ़ें-उतरें। ऐसा करने से एक महीने के अंदर आप खुद में एक अलग बदलाव पाएंगे।
    चबा-चबाकर खाना खाएं। हर बाइट को कम से कम तीस सैकंड तक चबाएं। इससे खाना अच्छे से पचता है और बॉडी में फैट जमा होने की संभावना बहुत कम हो जाती है।
    रोजाना छह से आठ घंटे की नींद लेने से भी फिट बना जा सकता है। इससे भूख नियंत्रित रहती है और हाई कैलोरी फूड खाने की इच्छा भी कम हो जाती है।
    अपनी लाइफस्टाइल में इन छोटी-छोटी आदतों को सिर्फ एक महीने अपनाकर देखें। इन टिप्स या आदतों को अपनाने से कैलोरी बर्न होगी, बॉडी में फैट जमा नहीं होगा और आप सफलतापूर्वक फैट से फिट बन जाएंगे।
    फिटनेस का एक महीना आपमें स्वस्थ आदतों का निर्माण करेगा, जो लंबे समय तक रहेगा। हो सकता है कि 30 दिनों में शरीर में होने वाले परिवर्तन मामूली हों, हालांकि ये सबके अलग-अलग बॉडी टाइप पर निर्भर करता है, लेकिन मन और शरीर को मजबूत बनाने में आप सफल होंगे। कार्डियोवस्कुलर एक्सरसाइज और स्वस्थ भोजन की आदतों को अपनाकर आप 30 दिनों के भीतर ज्यादा से ज्यादा एनर्जी, कम तनाव, मजबूत हड्डियों के साथ आत्मविश्वास में मजबूती ला सकते हैं। शारीरिक परिवर्तनों के लिए हर व्यक्ति और शरीर अलग होता है, जो लोग फिटनेस के लिए नए हैं, खासतौर से उन्हें अधिक वजन घटाने की तुलना में शारीरिक बदलाव ज्यादा देखने को मिलेंगे।





    नीम के पानी से नहाने के लाभ



    अक्सर लोग ये जानना चाहते हैं कि नीम के पानी से नहाने से क्या होता है तो आपको बता दें की आयुर्वेद में नीम के पानी से नहाने का अपना एक अलग ही महत्‍व है। ऐसा माना जाता है नीम के पानी में नहाने के फायदे हमारे स्‍वास्‍थ्‍य से जुड़े हुए हैं। ऐसा हो भी क्‍यों ना क्‍योंकि नीम में औषधीय गुण होते हैं जो हमें विभिन्‍न प्रकार के संक्रमण से बचाते हैं। प्राचीन समय से ही नीम के पानी का उपयोग नहाने के लिए किया जा रहा है। नीम में मौजूद एंटी-बैक्‍टीरियल गुण के कारण यह हमारी बहुत सी त्‍वचा समस्‍याओं को दूर करने में मदद करता है।
    नीम के पानी के लाभ इतने हैं कि जिन्‍हें जानकर आप भी नीम का उपयोग किये बिना नहीं रह पाएगें। आइए जाने नीम के पानी से नहाने के लाभ क्‍या हैं।


     त्वचा समस्या-
    नीम का पानी त्वचा समस्याओं के लिए लाभकारी होता है। आपको यह जान कर आश्‍चर्य हो सकता है कि नीम के विभिन्न हिस्‍सों में 140 से अधिक सक्रिय यौगिक होते हैं। जिनके कारण नीम पानी के फायदे हमारी त्‍वचा समस्‍याओं को दूर करने में मदद करते हैं। नीम के पानी का एक और फायदा यह है कि इसमें एंटीमिक्राबियल गुण भी उच्‍च मात्रा में होते हैं। इसका तात्‍पर्य यह है कि नीम के पानी से नहाने के फायदे आपको त्‍वचा संक्रमण से बचा सकते हैं। नीम के पानी का उपयोग विशेष रूप से चिकनपॉक्‍स (छोटी माता) से ग्रसित लोगों के लिए फायदेमंद होता है। यदि आप सोरायसिस या एक्जिमा (Psoriasis vs Eczema) जैसी समस्‍याओं से परेशान हैं तो नीम के पानी से नहाना आपके लिए फायदेमंद हो सकता है।


    तन की बदबू को हटाना
    नीम के उपयोग तन की बदबू को हटाने में किया जा सकता है। यदि आपको या आपके किसी परिचित को इस प्रकार की समस्‍या है तो उन्‍हें नीम के पानी से नहाने की सलाह दी जा सकती है। नीम के पानी से स्‍नान करने से आप शरीर की बदबू को दूर कर सकते हैं। अक्‍सर शरीर के गर्म और नमी युक्‍त भाग जैसे जननांग क्षेत्र या बगल में बैक्‍टीरिया की उपस्थिति के कारण शरीर से बदबू आने लगती है। नीम के पानी में मौजूद एंटी-बैक्‍टीरियल गुण उन बैक्‍टीरिया को नष्‍ट करने और उनके प्रभाव को कम करने में मदद करते हैं। इस तरह से नीम के पानी का इस्‍तेमाल कर आप शरीर की दुर्गंध को दूर कर सकते हैं।


     बालों की समस्‍या -
    जो लोग बालों की समस्‍या से परेशान हैं वे नीम के पानी का उपयोग कर सकते हैं। नीम में पानी में मौजूद औषधीय गुण न केवल आपके बालों को स्‍वस्‍थ्‍य रखता है बल्कि उन्‍हें डैंड्रफ मुक्‍त भी रखता है। यदि आपको भी डैंड्रफ से छुटकारा चाहिए तो नियमित रूप से सप्‍ताह में 2 बार नीम के पानी से स्‍नान करें। यह आपके बालों को प्राकृतिक चमक दिलाने में भी सहायक होता है।

    आंखों की समस्‍याएं-
    आप नीम के पानी का उपयोग अपनी आंखों की समस्‍याएं जैसे आंख की खुजली, आंख आना इत्यादि के लिए कर सकते हैं। नीम के पानी से स्‍नान के दौरान नीम का पानी आपकी आंखों में मौजूद बैक्‍टीरिया को नष्‍ट करने में मदद कर सकता है। ऐसा इसलिए है क्‍योंकि नीम के पानी में एंटी-बैक्‍टीरियल गुण अच्‍छी मात्रा में होते हैं। इस तरह से यह स्‍पष्‍ट होता है कि नीम की पत्तियों को उबाल कर स्‍नान करना आंखों के लिए लाभकारी होता है।


    एंटी-एजिंग गुण-
    आप नीम के पानी का इस्‍तेमाल उम्र बढ़ने संबंधी लक्षणों को कम करने के लिए कर सकते हैं। नीम के पानी में एंटी-एजिंग गुण भरपूर मात्रा में होते हैं। नियमित रूप में नीम के पानी का नहाने के लिए उपयोग करना आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। क्‍योंकि नीम आपकी त्‍वचा को पोषण देने के साथ ही झुर्रियों और डार्क सर्कल्‍स को हटाने में भी सहायक होता है। जिससे आपकी त्‍वचा को पर्याप्‍त मॉइस्‍चराइजिंग और प्राकृतिक चमक मिलती है।
     

    बालों को मजबूत करता है -
    नीम का पानी बाज़ार में उपलब्ध रासायनिक उत्‍पाद जिनका उपयोग आप बालों के लिए करते हैं, उनसे कहीं बेहतर है। नीम का पानी बालों के स्‍वास्‍थ्‍य को बढ़ावा देने वाला प्राकृतिक उत्‍पाद है। इसका उपयोग करने से बालों में किसी प्रकार के दुष्‍प्रभाव नहीं होते हैं। नीम का पानी बालों को मजबूत करता है और इन्‍हें गिरने से बचाता है। इसके अलावा नीम में मौजूद औषधीय गुण रोम छिद्रों को साफ करने और नए बालों को उगाने में मदद करते हैं। इसके लिए आप कुछ नीम की पत्तियों को पानी में उबालें और पानी को ठंडा करने के बाद अपने बालों को धोलें। नीम का पानी सिर की जूँ और लीख को हटाने में भी मदद करता है।

    मांसपेशीय दर्द-
    आप नीम के पानी का उपयोग मांसपेशीय दर्द को कम करने में कर सकते हैं। यह एक आम समस्‍या है जिससे सभी लोग प्रभावित रहते हैं। लेकिन अध्‍ययनों से पता चलता है कि मांसपेशीयों के दर्द को कम करने में गर्म पानी मदद करता है। इसलिए आप नीम की पत्तियों को उबाल कर इस पानी का उपयोग स्‍नान के लिए कर सकते हैं। दर्द को कम करने के लिए नीम का उपयोग कई प्रकार से किया जा सकता है। आप अपने नहाने के पानी में नीम तेल का भी उपयोग कर सकते हैं। नीम का पानी दर्द को कम करने के साथ ही त्‍वचा के लिए भी फायदेमंद होता है।


    गठिया की सूजन -
    कुछ अध्‍ययनों से पता चला है कि नीम के पानी से स्‍नान करने पर गठिया की सूजन को कम किया जा सकता है। नीम का पानी न केवल गठिया की सूजन बल्कि दर्द को भी कम करता है। क्‍योंकि नीम के औषधीय गुणों में दर्दनाशक गुण भी शामिल हैं। नीम शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत और संतुलित बनाने में मदद करता है। इस तरह से नीम का पानी सीधे ही गठिया के प्रभाव और विकास को रोकने में सहायक होता है।

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    25.1.20

    गुर्दे की पथरी की हर्बल औषधि बताओ :kidney stone herbal medicine



    किडनी स्टोन या किडनी में पथरी होना एक आम समस्या है। गुर्दे की पथरी से बहुत से लोग पीड़ित होते हैं। किडनी की पथरी की समस्या किसी भी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकती है। यह महिला और पुरुष दोनों पर समान प्रभाव डालती है। किडनी की पथरी अगर छोटी हो तो यह अपने आप बाहर निकल आती है लेकिन मध्यम या बड़ी आकार की पथरी होने पर इलाज की जरुरत पड़ती है। पथरी के दर्द को कम करने के लिए कई घरेलू उपचार मौजूद है। इसके साथ ही किडनी की पथरी को कई घरेलू नुस्खे की मदद से भी तोड़ा भी जा सकता है। अगर गुर्दे की पथरी शुरूआती स्टेज में है तो पथरी के घरेलू उपायों से इसके लक्षणों को दूर किया जा सकता है। आइये जानते हैं किन घरेलू उपायों से अपने आप निकल जाएगी किडनी की पथरी।
    गुर्दे की पथरी या किडनी स्टोन क्रिस्टलयुक्त खनिज और लवण होते हैं जो डिहाइड्रेशन (पानी की कमी) के कारण बनते हैं। गुर्दे में पथरी तब बनती है जब मिनरल और साल्ट जैसे कैल्सियम ऑक्जलैट किडनी में क्रिस्टलीकृत होकर जमने लगते हैं और कठोर होकर जमा हो जाते हैं। हालांकि पथरी किडनी में ही बनती है लेकिन यह यूरिनरी ट्रैक्ट को भी प्रभावित करती है। किडनी स्टोन को कैल्कुली (calculi) या यूरोलिथियासिस भी कहते हैं।

    पथरी होने के कारण

    गुर्दे में पथरी या किडनी स्टोन आमतौर पर एक नहीं बल्कि कई कारणों से होती है। गुर्दे की पथरी तब होती है जब यूरिन में कैल्शियम, ऑक्जलेट और यूरिक एसिड जैसे पदार्थ जमा होकर अधिक मात्रा में क्रिस्टल का निर्माण करते हैं और यूरिन के फ्लुइड को पतला कर देते हैं। इस दौरान यूरिन में क्रिस्टल को एक दूसरे से जोड़ने से रोकने वाले पदार्थों की कमी हो जाती है जिससे किडनी में पथरी बन जाती है। इसके अलावा यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन, रिनल ट्यूबुलर एसिडोसिस, हाइपरथायरॉयडिज्म सहित कई बीमारियों के कारण किडनी की पथरी हो सकती है।

    पथरी के लक्षण 

    आमतौर पर किडनी स्टोन के लक्षण तब तक पता नहीं चल पाते हैं जब तक पथरी किडनी के चारों ओर घूमने नहीं लगती या किडनी और ब्लैडर के बीच स्थित मूत्रवाहिनी में नहीं आ जाती है। उसके बाद किडनी की पथरी के ये लक्षण सामने आते हैं:
    पसलियों के नीचे और पीठ में तेज दर्द
    पेशाब के दौरान दर्द
    गुलाबी, लाल या भूरे रंग की यूरिन
    पेशाब से तीक्ष्ण दुर्गंध आना
    मितली और उल्टी होना
    इस विडिओ मे जानें पथरी के बारे मे अचूक इलाज 



    बार-बार पेशाब लगना
    सामान्य से अधिक पेशाब होना
    इंफेक्शन
    ठंड लगना और बुखार
    कम मात्रा में पेशाब होना
    इसके साथ ही किडनी स्टोन के कारण शरीर के विभिन्न हिस्सों में हल्का और गंभीर दर्द भी होता रहता है।
    गुर्दे की पथरी एक आम समस्या है जिसे घरेलू उपचार से भी काफी हद तक ठीक किया जा सकता है। घर में ऐसी कई चीजें मौजूद होती हैं जिनमें भरपूर मात्रा में औषधीय गुण पाये जाते हैं और ये वस्तुएं किडनी की पथरी को बढ़ने से रोकने के साथ ही दर्द में भी राहत देती हैं।

    पथरी का घरेलू इलाज पानी

    किडनी की पथरी का सबसे आसान घरेलू उपचार है पानी। किडनी स्टोन होने पर रोजाना सामान्य रुप से 8 गिलास पानी पीने की बजाय 12 गिलास पानी पीने से पथरी का ग्रोथ रुक जाता है। वास्तव में गुर्दे की पथरी का एक बड़ा कारण डिहाइड्रेशन (पानी की कमी) है। शरीर में पानी की कमी होने पर यह बीमारी उत्पन्न होती है।
    पानी किसी भी बीमारी को दूर करने में कितना मददगार साबित हो सकता है, इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं की केवल पानी पीने से ही पथरी को बाहर किया जा सकता है। इसलिए अधिक से अधिक पानी पीने के साथ ही यूरिन के रंग पर भी ध्यान देना चाहिए। आपके यूरिन का रंग लाइट और कम पीला होना चाहिए। यदि आपका यूरिन का रंग गहरा पीला है तो इसका मतलब यह है कि आपके शरीर में पानी की कमी हो गई है। अगर गुर्दे की पथरी का आकर छोटा है तो इसे अधिक मात्रा में पानी पीकर बाहर निकाला जा सकता है।
    नींबू से पथरी का इलाज किया जा सकता है। नींबू से पथरी का इलाज भी बहुत आसान है और इस घरेलू उपाय को बहुत से लोग आजमाते हैं। नींबू में साइट्रेट नामक रसायन पाया जाता है जो गुर्दे में कैल्शियम स्टोन बनने से रोकता है। इसके साथ ही साइट्रेट किडनी की पथरी को छोटी-छोटी पथरी में ब्रेक करता है और उन्हें बढ़ने से रोकता है। किडनी स्टोन के घरेलू इलाज के रुप में सबसे पहले एक बार सुबह खाली पेट नींबू पानी और रात के खाने के कुछ घंटे पहले नींबू पानी का सेवन करना चाहिए। यह घरेलू उपाय करने से कई बार किडनी स्टोन को निकालने के लिए ऑपरेशन की जरुरत भी नहीं पड़ती है। अगर आप बिना सर्जरी के किडनी स्टोन को ठीक करना चाहते हैं (Remove Kidney Stones Without Surgery), तो आपको यह नुस्खा रोज करना होगा।

    तुलसी का  रस 

    पथरी तोड़ने की दवा के रुप में तुलसी के रस का इस्तेमाल भी किया जाता है। यह किडनी की पथरी निकालने का घरेलू नुस्खा माना जाता है। जिससे किडनी स्टोन से राहत पाने में मदद मिलती है। तुलसी में एसिटिक एसिड पाया जाता है जो गुर्दे की पथरी को तोड़ता है और दर्द कम करने में मदद करता है। इसके साथ ही तुलसी पोषक तत्वों से भरपूर है।
    आमतौर पर तुलसी को पाचन और सूजन की समस्याओं को दूर करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। एंटीऑक्सीडेंट और एंटीइंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर होने के कारण तुलसी का रस किडनी की पथरी के घरेलू उपचार में मदद करता है। किडनी की पथरी निकालने के लिए तुलसी की ताजी पत्तियों की चाय दिन में कई बार सेवन करें। इसके साथ ही तुलसी की पत्तियों का जूस पीने से भी गुर्दे की पथरी ठीक हो जाती है। हालांकि छह सप्ताह से ज्यादा तुलसी के रस का सेवन नहीं करना चाहिए। 

    सेब का सिरका

    किडनी की पथरी का देसी इलाज है सेब का सिरका। इसमें पर्याप्त मात्रा में एसिटिक एसिड पाया जाता है जो गुर्दे की पथरी को गलाने में मदद करता है। इसके साथ ही यह पथरी के कारण होने वाले दर्द को भी कम करता है। किडनी स्टोन को गलाने के लिए एक गिलास पानी में एक चम्मच एपल साइडर विनेगर मिलाकर दिन में कई बार सेवन करें। सेब के सिरके का इस्तेमाल सलाद में भी किया जा सकता है। हालांकि यदि आपको डायबिटीज है या आप इंसुलिन, डिगॉक्सिन या कोई डाइयूरेटिक दवा ले रहे हों तो आपको सेब के सिरके का सेवन नहीं करना चाहिए।

     अजवाइन का रस

    किडनी की पथरी के लिए अजवाइन का रस बेहद फायदेमंद है। यह विषाक्त पदार्थों को दूर करके किडनी स्टोन बनने से रोकने में मदद करती है। अजवाइन में एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है जो पेशाब की मात्रा को बढ़ाता है और किडनी स्टोन को पेशाब के माध्यम से बाहर निकालने में प्रभावी तरीके से कार्य करता है। अजवाइन के रस को पानी में मिलाएं और पूरे दिन में कई पानी सेवन करें। लेकिन यदि आपको किसी तरह की ब्लीडिंग होती हो या लो ब्लड प्रेशर से पीड़ित हों एवं दवाओं का सेवन कर रहे हों तो डॉक्टर से परामर्श लेकर ही अजवाइन के रस का सेवन करना चाहिए।


    व्हीटग्रास जूस 

    व्हीटग्रास जूस पथरी के घरेलू इलाज के काम आता है। व्हीटग्रास जूस में कई तरह के पोषक तत्व पाये जाते हैं जो यूरिन को बढ़ाते हैं और पेशाब के माध्यम से किडनी स्टोन को बाहर निकालने में मदद करते हैं। किडनी स्टोन को निकालने के लिए रोजाना दिन में कई बार व्हीटग्रास जूस का सेवन करना चाहिए। इससे गुर्दे की पथरी बढ़ती भी नहीं है और उससे होने वाले दर्द में भी आराम मिलता है।

     अनार का रस

    किडनी स्टोन के असहनीय दर्द के इलाज के लिए अनार का रस उपयोगी होता है। किडनी से जुड़ी सभी समस्याओं के लिए अनार के रस का इस्तेमाल सदियों से होता आ रहा है। यह सिस्टम से पथरी और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। अनार के रस में एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है जो यूरिन के एसिडिक लेवल को कम करता है और गुर्दे की पथरी को बढ़ने से रोकता है। दिन में कई बार अनार का जूस पीने से किडनी स्टोन के असहनीय दर्द से राहत पाया जा सकता है।

    ऑलिव ऑयल

    एक्स्ट्रा वर्जिन ऑलिव ऑयल किडनी स्टोन का घरेलू इलाज है। यह ऑयल काभी गाढ़ा और पोषक तत्वों से समृद्ध होता है जो मूत्रमार्ग को चिकना करके किडनी स्टोन को बाहर निकालने में मदद करता है। एक गिलास पानी में वर्जिन ऑलिव ऑयल की कुछ बूंदे मिलाकर सुबह दोपहर और शाम को सेवन करने से किडनी स्टोन टूट जाता है और दर्द एवं बेचैनी भी कम हो जाती है।

    किडनी स्टोन का होना आपकी सेहत पर बुरा असर डाल सकता हैं। इसलिए यह जरूरी हो जाता है कि आप गुर्दे की पथरी के लक्षण को पहचान कर समय रहते ही इसके लिए इलाज तलाश लें। अक्सर लोग किडनी स्टोन के घरेलू उपाय आजमाते हैं, जो इस्तेमाल में आसान और किडनी स्टोन को घोलकर पेशाब के माध्यम से बाहर निकालने में मददगार होते हैं। यदि आप भी किडनी स्टोन की बीमारी से जूझ रहें है तो इस लेख में बताये गए किडनी स्टोन को निकालने के लिए घरेलू इलाज को आजमा सकते हैं। हालांकि यह थोड़ा असुविधाजनक हो सकता है, लेकिन अपने दम पर गुर्दे की पथरी को बाहर करना संभव है।
    पथरी ठीक होने तक उपचार जारी रखना सुनिश्चित करें, और शराब न पियें।
    आप इन उपायों को अपने सामान्य आहार में शामिल कर सकते हैं और पथरी की बीमारी ठीक होने के बाद भी इनका उपयोग जारी रख सकते हैं। यह फिर से पथरी बनने से रोकने में मदद कर सकते है।
    विशिष्ट परामर्श-




    पथरी के भयंकर दर्द को तुरंत समाप्त करने मे हर्बल औषधि सर्वाधिक कारगर साबित होती है,जो पथरी- पीड़ा बड़े अस्पतालों के महंगे इलाज से भी बमुश्किल काबू मे आती है इस औषधि की 2-3 खुराक से आराम लग जाता है| वैध्य श्री दामोदर 9826795656 की जड़ी बूटी - निर्मित दवा से 30 एम एम तक के आकार की बड़ी पथरी भी आसानी से नष्ट हो जाती है|
    गुर्दे की सूजन ,पेशाब मे जलन ,मूत्रकष्ट मे यह औषधि रामबाण की तरह असरदार है| आपरेशन की जरूरत ही नहीं पड़ती|  पथरी न गले तो औषधि  मनीबेक गारंटी युक्त है|
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    4.1.20

    समस्त वात रोग नाशक नुस्खे


    वात रोग लक्षण एवं परेशानी


    इस रोग के कारण शरीर के सभी छोटे-बडे जोडो व मांसपेशियों में दर्द व सूजन हो जाती है। गठिया में शरीर के एकाध जोड़ में प्रचण्ड पीड़ा के साथ लालिमायुक्त सूजन एवं बुखार तक आ जाता है। यह रोग शराब व मांस प्रेमियों को सामान्य व्यक्तियों की अपेक्षा जल्दी पकड़ता है। यह धीरे-धीरे शरीर के सभी जोड़ों तक पहुँचता है। संधिवात उम्र बढ़ने के साथ मुख्यतः घुटनों एवं पैरों के मुख्य जोड़ों को क्रमशः अपनी गिरफ्त में लेता हैं।
    वात रोग की शुरूआत धीरे-धीरे होती है। शुरू में सुबह उठने पर हाथ पैरों के जोडा में कड़ापन महसूस होता है और अंगुलियाँ चलाने में परेशानी होती है। फिर इनमें सूजन व दर्द होने लगता है और अंग-अंग दर्द से ऐंठने लगता है जिससे शरीर में थकावट व कमजोरी महसूस होती है। साथ ही रोगी चिड़चिड़ा हो जाता है। इस रोग की वजह सेे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम पड़ जाती है। इसी के साथ छाती में इन्फेक्शन, खांसी, बुखार तथा अन्य समस्यायें उत्पन्न हो जाती है। साथ ही चलना फिरना रुक जाता है।


    इन सबसे खतरनाक कुलंग वात होता है। यह रोग कुल्हे, जंघा प्रदेश एवं समस्त कमर को पकड़ता है एवं रीढ़ की हड्डी को प्रभावित करता है। इस रोग में तीव्र चिलकन (फाटन) जैसा तीव्र दर्द होता है और रोगी बेचैन हो जाता है, यहाँ तक कि इसमें मृत्यु तुल्य कष्ट होता है। यह रोग की सबसे खतरनाक स्टेज होती है ।इस का रोगी दिन-रात दर्द से तड़पता रहता है और कुछ समय पश्चात् चलने-फिरने के काबिल भी नहीं रह जाता है। वह पूर्णतया बिस्तर पकड़ लेता है और चिड़चिड़ा हो जाता है।
    भले ही आपको यकीन न हो, लेकिन सिर्फ एक दवा का प्रयोग कर आप 80 प्रकार के वात रोगों से बच सकते हैं। जी हां, इस दवा का सेवन करने से आप कठिन से कठिन बीमारियों से पूरी तरह से निजात पा सकते हैं। अगर आपको भी होते हैं वात रोग, तो पहले जानिए इस चमत्कारिक दवा और इसकी प्रयोग विधि के बारे में...
    विधिः
    200 ग्राम लहसुन छीलकर पीस लें। अब लगभग 4 लीटर दूध में लहसुन व 50 ग्राम गाय का घी मिलाकर गाढ़ा होने तक उबालें। फिर इसमें 400 ग्राम मिश्री, 400 ग्राम गाय का घी तथा सौंठ, काली मिर्च, पीपर, दालचीनी, इलायची, तमालपात्र, नागकेशर, पीपरामूल, वायविडंग, अजवायन, लौंग, च्यवक, चित्रक, हल्दी, दारूहल्दी, पुष्करमूल, रास्ना, देवदार, पुनर्नवा, गोखरू, अश्वगंधा, शतावरी, विधारा, नीम, सुआ व कौंच के बीज का चूर्ण प्रत्येक 3-3 ग्राम मिलाकर धीमी आंच पर हिलाते रहें। जब मिश्रण घी छोड़ने लगे लगे और गाढ़ा मावा बन जाए, तब ठंडा करके इसे कांच की बरनी में भरकर रखें।
    प्रयोग :
    प्रतिदिन इस दवा को 10 से 20 ग्राम की मात्रा में, सुबह गाय के दूध के साथ लें (पाचनशक्ति उत्तम हो तो शाम को पुनः ले सकते हैं।)परंतु ध्यान रखें, इसका सेवन कर रहे हैं तो भोजन में मूली, अधिक तेल व घी तथा खट्टे पदार्थों का सेवन न करें और स्नान व पीने के लिए गुनगुने पानी का प्रयोग करें।
    इससे पक्षाघात (लकवा), अर्दित (मुंह का लकवा), दर्द, गर्दन व कमर का दर्द,अस्थिच्युत (डिसलोकेशन), अस्थिभग्न (फ्रेक्चर) एवं अन्य अस्थिरोग, गृध्रसी (सायटिका), जोड़ों का दर्द, स्पांडिलोसिस आदि तथा दमा, पुरानी खांसी,हाथ पैरों में सुन्नता अथवा जकड़न, कंपन्न आदि के साथ 80 वात रोगों में लाभ होता है और शारीरिक विकास होता है।
    दवा के प्रयोग से पूर्व, अपनी प्रकृति के अनुसार किसी उत्तम वैद्य की सलाह अवश्य लें।

    वातान्तक बटीः-
    सोंठ,सुहागा,सोंचर गांधी,सहिजन के संग गोली बांधी।
    80वात 84बाय कहै धनवन्तरि जड़  से जाये।।
    विधि: सोंठ 50 ग्राम, सुहागा 50 ग्राम, सोंचर (काला नमक) 50 ग्राम, गांधी(हींग) 50 ग्राम, सहिजन (मुनगा) की छाल का रस आवश्यकतानुसार, सबसे पहले कच्चे सुहागे को पीसकर आग में लोहे के तवे पर डालकर उसे भून लें। वह लाई की तरह फूल जायेगा, फूला हुआ सुहागा ही काम में लें। सोंठ, सुहागा एवं काला नमक को कूट-पीसकर एक थाली में डाल लें। फिर दूसरे बर्तन में सहिजन की छाल का रस लें हींग घोल लें। और उसमें जब हींग घुल जाये तो सहिजन की छाल का रस कुछ दूधिया हो जायेगा। उसमें कुटा-पिसा, सोंठ, काला नमक व सुहागा का पाउडर मिला लें। फिर उसकी चने के आकार की गोली बना लें और छाया में सुखाकर बन्द डिब्बे में रख लें। फिर सुबह-दोपहर-शाम दो-दो गोली नाश्ते या खाने के बाद सादा पानी से लें। आपको आराम 10 दिन में ही मिलने लगेगा। कम से कम 30 दिन यह गोलियां लगातार अवश्य खायें तभी पूर्ण लाभ हो पायेगा। यह नुस्खा कई बार का परीक्षित है। इस दवा के द्वारा बवासीर के रोगी को भी अवश्य लाभ मिलता है।


    *वात नाशक चूर्णः-
    चन्दसूर 50 ग्राम, मेथी 50 ग्राम, करैल 50 ग्राम, अचमोद 50 ग्राम, इन चारों दवाओं को कूट-पीसकर ढक्कन वाले डिब्बे में रखें। सुबह नाश्ते के बाद एक चम्मच चूर्ण गुनगुने पानी के साथ लें एवं रात्रि में भोजन के बाद गुनगुने दूध के साथ एक चम्मच लें। यह दवा भी कम से कम 60 दिन लें। निश्चय ही आराम मिलता है।

    वातनाशक काढ़ाः-
    हरसिंगार के हरे पत्ते 20 नग को अधकुचला कर 300 ग्राम पानी में डालकर धीमी आँच में पकायें। जब पानी 50 ग्राम रह जाये, तो आग से उतार लें और कपड़े से छानकर दो खुराक बनायें एक खुराक सुबह नास्ता के पहले गरम-गरम पी लें एवं दूसरी खुराक शाम को आग में हल्का गरम कर पी लें। प्रतिदिन नया काढ़ा ऊपर लिखी विधि से बनायें और सुबह शाम पियें। यह क्रिया 30 दिन लगातार करें। वात रोग में निश्चय ही आराम होगा।

    *गठिया(संधिवात) :-
    आँवला चूर्ण 20 ग्राम, हल्दी चूर्ण 20 ग्राम, असंगध चूर्ण 10 ग्राम, गुड़ 20 ग्राम इन चारों औषधियों को 500 ग्राम पानी में डालकर धीमी आँच में पकाये, जब पानी 100 ग्राम रह जाये तो उसे आग से उतार कर कपड़े या छन्नी से छान लें एवं इस काढ़े की तीन खुराक बनायें। सुबह, दोपहर एवं रात्रि में खाने के बाद पियें। इस प्रकार प्रतिदिन सुबह यह दवा बनायें, लगातार 30 दिन पीने पर गठिया में निश्चित रूप से आराम होता है।
    परहेज-ज्यादा तली हुईं, खट्टी, गरिष्ठ चीजें व चावल आदि दवा सेवन के समय न लंे।

    *गठिया की दवाः-
    सुरंजान 30ग्राम, चोवचीनी 30ग्राम, सोठ 30ग्राम, पीपर मूल 30ग्राम, हल्दी 30ग्राम, आँवला 50ग्राम, इन सब को कूट-पीसकर चूर्ण बनायें और उसमें 100ग्राम गुड़ मिलाकर रख लें। प्रतिदिन सुबह एवं शाम को 10ग्राम दवा में 10ग्राम शहद मिलाकर खायें। सुबह हल्का नाश्ता करने एवं राात्रि में खाना खाने के बाद ही दवा लें। यह दवा लगातार 30दिन लेने से गठिया वात जरूर सही होगा।
    परहेज-खट्टी चीजें, गरिष्ठ चीजें, चावल आदि न लें।

    * वातनाशक तेलः-
    100ग्राम तारपीन का तेल, 30ग्राम कपूर, 10ग्राम पिपरमिण्ट, इन सबको मिलाकर धूप में एक दिन रखें। जब यह सब तारपीन में मिल जाये, तो दवा तैयार हो गई। जिन गाठों में दर्द हो, वहां पर यह दवा लगाकर धीरे-धीरे 15मिनट तक मालिश करें और इसके बाद कपड़ा गरम करके उस स्थान की सिकाई कर दें। एक सप्ताह में ही दर्द में आराम मिलने लगेगा।
    विशिष्ट परामर्श-

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    आई पिल (गर्भ निरोधक गोली) के फायदे व नुकसान//I pill ke fayade nuksan





     आज कल आपातकालीन गर्भ निरोधक गोली जैसे आई पिल का इस्तेमाल काफी बढ़ गया है, पर क्या आपको पता हैं इसके साइड इफेक्ट्स भी होते हैं। आसानी से मिलने वाली यह गोली असुरक्षित सेक्स के बाद अनचाहे गर्भ को रोकने का कारगर उपाय हो सकती है, लेकिन इसका नियमित इस्तेमाल किसी भी लड़की या महिला के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है। जिंदगी को बिंदास अंदाज से जीने वाली लड़कियों के लिए अनचाही प्रेगनेंसी से बचने के लिए आइ-पिल मानो ईश्वर का वरदान है। क्योंकि उन्हें फिर इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता जिस पुरुष के साथ वह संबंध बना रही हैं, उसने कंडोम पहना है या नहीं। अगर आपके पास उस समय गोली न भी हो तो इसे लेने के लिए आपके पास पूरे 72 घंटे होते हैं।

    आपातकालीन गर्भनिरोधक गोली को आम बोल-चाल की भाषा में हम इसे इमरजेंसी कॉनट्रासेप्टिव पिल भी कहते हैं। आई पिल और अन्य इमरजेंसी गर्भनिरोधक गोलियां किसी भी दवाईयों की दुकान से आसानी से खरीदी जा सकती है।” आइये जानतें हैं आई पिल गोली लेने से पहले आपको दो बार क्यों सोचना चहिये? और यौन सबंध के बाद इमरजेंसी गर्भनिरोधक गोली लेना कितना सही है? हर वो बात जो आप और आपके पार्टनर को जाननी चाहिए।
    आई पिल क्या है?
    आई पिल कैप्सूल एक मौखिक गर्भनिरोधक गोली है।
    इसमें लिवोनारजेस्ट्रल इसके मुख्य घटक के रूप में शामिल है।
    असुरक्षित यौन संबंध के बाद अवांछित गर्भावस्था से बचने के लिए आम तौर पर महिलाओं द्वारा पिल का उपयोग किया जाता है।
    यह गर्भावस्था को रोकने की एक समर्थन विधि है और नियमित उपयोग के लिए नहीं है।
    आई पिल से जुड़े मुख्य तथ्य
    आई-पिल एक आपातकालीन गर्भनिरोधक है; यह गर्भपात की गोली नहीं।
    यह एक अनियोजित गर्भावस्था को रोकने में मदद करती है।
    सेक्सुअल रिलेशन बनाने के 72 घंटे के भीतर आई-पिल लेनी चाहिए। असुरक्षित यौन संबंध के 12 घंटे के भीतर लेने पर यह सबसे प्रभावी रूप से काम करती है।
    किशोरों (teenagers) के लिए आई-पिल उपयुक्त नहीं है।
    यदि आप आई-पिल लेने के बारे में सोच रहीं हैं तो आपकी उम्र 25 वर्ष से अधिक होनी चाहिए।
    आपातकालीन गर्भनिरोधक गोलियों की बढ़ती लोकप्रियता और इसके इस्तेमाल के पीछे का कारण प्रभावी विज्ञापन का नतीजा हो सकता है, जिसमें कंडोम का फटना या अनियमित बर्थ कंट्रोल जैसी समस्याओं ने इस गोली को इतना खास बना दिया है। लेकिन इसके इस्तेमाल से होने वाले नुकसान की जानकारी आपको जरूर होनी चहिये।
    आई-पिल की रूपरेखा और उपयोग
    आई-पिल गर्भावस्था को रोक सकती है लेकिन अगर कोई महिला पहले से ही गर्भवती है तो उसकी मदद नहीं हो सकती है
    24 घंटे के भीतर असुरक्षित यौन संबंध रखने के तुरंत बाद गोली लेनी चाहिए।
    यदि कोई लंबी अवधि की दवा चल रही है, तो आई-पिल लेने से पहले डॉक्टर से परामर्श करना सबसे अच्छा है।
    आई-पिल यौन संक्रमित बीमारियों के खिलाफ सुरक्षा नहीं करता है।
    कोई भी जो लिवोनारजेस्ट्रल (गर्भ निरोधक गोलियों) के लिए एलर्जी है, इन गोलियों को लेने की कोशिश करने से पहले एक डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।
    ये पिल काम कैसे करती है?
    “संयुक्त गर्भनिरोधक गोली तीन तरीकों से गर्भधारण को रोकती है, जिससे यह एक बहुत प्रभावी गर्भनिरोधक विकल्प बन जाती है। यह ओव्यूलेशन को रोकती है, शुक्राणु के प्रवेश को रोकने के लिए गर्भ के द्वार पर बलगम को गाढ़ा करती है, और एक अंडे को रोकने के लिए गर्भ के अस्तर को बदल देती है जहाँ वह बढ़ रहा है। ”
    आपातकालीन गर्भनिरोधक गोलियां गर्भावस्था को अवरुद्ध करने वाले हार्मोन का उपयोग करती हैं। इसमें अधिकांश वही हार्मोन का उपयोग किया जाता है जो नियमित गर्भनिरोधक गोलियों में होते हैं।
    ये शरीर में होने वाले फ़र्टिलाइजेशन को रोक देता है। आपातकालीन गर्भनिरोधक गोलियां मुख्य रूप से अंडे बनाने की क्रिया या ओव्यूलेशन की रिहाई में देरी करने का काम करती हैं। गर्भाशय के निचले हिस्से से एक फ्लूइड निकलता है। जिसे सर्विकल म्यूकस कहते हैं. यह कुछ हद तक अंडे की सफ़ेदी जैसा होता है। इमरजेंसी पिल की वजह से यह बहुत गाढ़ा बनने लगता है। जिसकी वजह से स्पर्म वहां मौजूद अंडों तक नहीं पहंच पता है। इसके साथ ही यह अंडों को ओवरीज़ से जल्दी निकलने नहीं देता है। लेकिन एक बार आरोपण (implantation) हो जाने के बाद, आपातकालीन गर्भनिरोधक अब प्रभावी नहीं है। यदि आप पहले से ही गर्भवती हैं, तो इन गोलियों का गर्भनिरोधक विधि के रूप में कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
    क्या इमरजेंसी पिल हर बार काम करती है?
    आपातकालीन गर्भनिरोधक गोलियां जैसे आई पिल अच्छी तरह से काम करती है। लेकिन आपको इसे जल्दी से लेना चाहिए – अधिमानतः सेक्स के 24 घंटों के भीतर। जितनी जल्दी आप इसे लेंगीं, उतनी ही अधिक यह प्रभावी होगी। अध्ययनों से पता चलता है कि यदि आप सेक्स के 72 घंटों के भीतर आपातकालीन गर्भनिरोधक गोली लेती हैं, तो आपके गर्भवती होने की केवल 1% से 2% संभावना ही होती है।
    ये तो हुई बात कि आई पिल कब ली जाती है और यह कैसे काम करती है। अब आते हैं सबसे ज़रूरी मुद्दे पर।
    आपको आई-पिल के इन साइड इफेक्ट्स का पता होना चाहिए
    जी मिचलाना
    सरदर्द
    पेट के निचले हिस्से में दर्द
    स्तन में कोमलता
    योनि स्राव
    कई दिनों के लिए अतिरिक्त रक्तस्राव
    लंबे समय तक मासिक धर्म चक्र का न आना (3 से 6 महीने)
    कामेच्छा में कमी (सेक्स ड्राइव) प्रजनन क्षमता को प्रभावित करता है
    पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (औरतों में डिंबग्रंथि संबंधी विकार) की अधिक संभावना
    आई-पिल का पीरियड पर कैसा असर पड़ता है?
    क्योंकि ये पिल्स आपके हॉर्मोन्स के साथ छेड़छाड़ करती हैं इसलिए इसके बार बार इस्तेमाल करने पर आपके पीरियड्स में गड़बड़ी आ सकती है। इससे आपको पीरियड्स वक़्त से पहले हो सकते हैं या काफ़ी लेट हो सकते हैं। और पीरियड्स के दौरान दर्द हर बार से कई गुना ज़्यादा हो सकता है। आई-पिल का पीरियड पर कैसा असर पड़ता है की बात यहीं ख़त्म नहीं होती इसे लेने के बाद बीच-बीच में हल्की स्पॉटिंग भी हो सकती है। मतलब हल्का सा खून आएगा जिससे आपको लगेगा कि फिर से पीरियड्स शुरू हो गए हैं, पर ऐसा होगा नहीं।
    ऐसी स्थति में आपके पीरियड्स को नॉर्मल होने में कुछ समय लग सकता है। इससे आपको बहुत ज़्यादा परेशान होने की ज़रुरत नहीं है। लेकिन यदि लम्बे समय तक ऐसा हो तो तुरंत स्त्री रोग विशेषज्ञ से मिलें और उन्हें सारी बात सच-सच बताएं।
    आई पिल लेने के बाद क्या होता है?
    जिन महिलाओं ने आई पिल गोली ली थी उन्होंने इसे लेने के बाद मतली, उल्टी, निचले पेट में दर्द, सिरदर्द, थकावट और स्तन कोमलता की शिकायत की है। आप आपातकालीन गर्भनिरोधक लेने के बाद ” पीरियड्स के पहले दिन जैसा दर्द दर्द ” या कुछ रक्तस्राव का भी अनुभव भी कर सकतीं हैं।
    क्या मैं गोली लेने के बाद भी गर्भवती हो सकती हूं?
    हां, गर्भवती होना संभव है। आई पिल – मॉर्निंग आफ्टर पिल – असुरक्षित यौन संबंध के बाद गर्भधारण को रोकने में मदद कर सकती है। लेकिन यह गोलियों को लेने के बाद किये जाने वाले किसी भी सेक्स के लिए गर्भावस्था को नहीं रोकेगी।
    आई-पिल की सामान्य खुराक
    मैं असुरक्षित संभोग के एक प्रकरण के बाद इसे जितनी जल्दी लेती हूं उतना बेहतर काम करता है।
    जितनी जल्दी हो सके पहले टैबलेट को लें लेकिन असुरक्षित संभोग के 72 घंटे बाद नहीं।
    12 घंटे बाद दूसरा टैबलेट लें।
    क्या आई पिल खतरनाक है?
    भले ही जन्म नियंत्रण की गोलियाँ बहुत सुरक्षित हैं, आई पिल की तरह ही अन्य आपातकालीन गर्भनिरोधक गोली का उपयोग स्वास्थ्य समस्याओं के आपके जोखिम को थोड़ा बढ़ा सकता है। जटिलताओं में इनका होना दुर्लभ हैं, लेकिन वे गंभीर हो सकते हैं। इनमें हार्ट अटैक, स्ट्रोक, ब्लड क्लॉट और लिवर ट्यूमर शामिल हैं।
    क्या गोली लेने के बाद पीरियड्स आ सकता हैं?
    आपातकालीन गर्भनिरोधक गोली लेने के बाद मैं अपने अगले मासिक धर्म की उम्मीद कब कर सकती हूं? आपातकालीन गर्भनिरोधक गोली लेने के 3 सप्ताह के भीतर आपका पीरियड्स शुरू होना चाहिए। आपका अगला पीरियड्स सामान्य से थोड़ा जल्दी या कुछ दिनों बाद शुरू हो सकता है। यदि आपके अगले पीरियड में देर हो रही है, तो अपने स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता से संपर्क करें और गर्भावस्था परीक्षण करायें।
    क्या गोली पीरियड्स रोकती है?
    गर्भनिरोधक गोलियां लेना गर्भावस्था को रोकने और कई चिकित्सा स्थितियों का इलाज करने का एक प्रभावी तरीका है। चूंकि गोली आपके सिस्टम में विभिन्न हार्मोनों को कम और ज्यादा करके काम करती है, इसलिए यह आपके मासिक धर्म चक्र को प्रभावित कर सकती है। कुछ महिलाओं को हल्का रक्तस्राव हो सकता है, और अन्य के पीरियड्स पूरी तरह से रूक सकते हैं।
    आई पिल के इस्तेमाल से जुड़ी बहुत महत्वपूर्ण बात
    I-pill में 10% विफलता दर है।
    आई-पिल को 6 महीने के भीतर दोहराना नहीं चाहिए। मतलब 6 महीने में केवल एक बार आई-पिल को लिया जाना चाहिए। न की हर बार सेक्स करने के बाद रेगुलर गर्भनिरोधक गोलियों की तरह।
    अगर इसका बार-बार इस्तेमाल किया जाए तो इससे शरीर के नेचुरल हार्मोन पैटर्न के बदलने का खतरा होता है, जो बाद में उस महिला के प्रेग्नेंट होने की राह में मुश्किलें पैदा कर सकता है।
    आई-पिल HIV / एड्स और यौन संचारित रोगों से सुरक्षा प्रदान नहीं करती है।
    इसके बजाय आपके पार्टनर को कंडोम जैसे सुरक्षित गर्भनिरोधक विकल्प का उपयोग करना चाहिए। क्योंकि यह अवांछित गर्भावस्था, एचआईवी और यौन संचारित रोगों से सुरक्षा प्रदान करता है।
    लोगों के बीच में इमरजेंसी कन्ट्रासेप्टिव पिल्स को लेकर कोई विरोध नहीं है, न ही इसपर कोई बहस उठती है। हर छोटी दवा की दुकानों पर इनका आसानी से उपलब्ध होना, हर साल नए-नए ब्रांड का बाजार में आना इस ओर इशारा कर रहा है कि भारत के बड़े शहरों से लेकर अब छोटे शहरों तक की युवतियों के बीच ये गोलियां तेजी से अपनी जगह बनाती जा रही हैं। यदि आपकी कोई दोस्त इसका इस्तेमाल करती हैं तो उसे इसके नुकसान के बारे में अवश्य बताएं और उन्हें ये भी बताएं कि आपातकालीन गर्भनिरोधक गोली का इस्तेमाल इमरजेंसी में ही करें।
    - आई-पिल से कब बचें
    एलर्जी से लेवोनोर्जेस्ट्रेल के मामले में आई पिल से बचना चाहिए।
    आई-पिल नियमित रूप से जन्म नियंत्रण विधि के रूप में उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।
    यदि आप पहले से गर्भवती हैं तो आई -पिल का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।
    अगर ट्यूबल गर्भावस्था की प्रवृत्ति से पीड़ित हैं तो आई पिल का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।
    मधुमेह के मामलों में।
    योनि से असामान्य रक्तस्राव के इतिहास वाले मरीजों में।
    यदि आपको स्तन कैंसर है तो आई पिल का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।
    यदि आप स्ट्रोक से पीड़ित हैं तो आई पिल का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।
    यदि आपको खून बह रहा है या क्लोटिंग डिसऑर्डर है तो आई पिल का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए
    यदि आप पोर्फ्रिया (रक्त और लिम्फैटिक प्रणाली के अनुवांशिक विकार) से पीड़ित हैं तो आईपिल का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।
    सोलह वर्ष से कम उम्र की महिलाओं में आई पिल का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।
    यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि आई पिल एचआईवी या अन्य यौन संक्रमित बीमारियों से रक्षा नहीं करता है।
    जिगर में ट्यूमर वाले मरीजों में पिल का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।
    आई पिल संभवतः थायराइड फंक्शनिंग परीक्षण में हस्तक्षेप कर सकता हूं और गलत रिर्पोट देता है। थायरॉइड फ़ंक्शन टेस्ट से गुजरने से पहले इस दवा का उपयोग करने पर डॉक्टर को रिपोर्ट करें।
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