केसर एक अत्युत्तम औषधि है। आयुर्वेद शास्त्र के अनुसार रोजाना थोड़ी मात्रा में केसर लेने से शरीर में कई प्रकार के रोग नहीं होते हैं। इसका स्वभाव गर्म होता है। इसलिए औषधि के रूप में 250 मिलिग्राम व खाद्य के रूप में 100 मिलिग्राम से अधिक मात्रा में इसके सेवन की सलाह नहीं दी जाती।
यह एक कामशक्ति बढ़ाने वाला रसायन है। महिलाओं की कुछ बीमारियों में यह रामबाण साबित होता है। बच्चे के जन्म के बाद गर्भाशय की सफाई के लिए कुछ दिनों तक इसका नियमित सेवन करना बहुत अच्छा रहता है। माहवारी के दौरान दर्द, अनियमितता व गड़बड़ी से निजात के लिए यह एक अच्छी औषधि है। मासिक धर्म साफ लाने वाली, गर्भाशय व योनि संकोचन जैसे रोगों को भी दूर करती है।
केसर त्वचा को सुंदर व निखरा बनाती है। यह शरीर को मजबूत बनाती है। लो ब्लडप्रेशर में ये एक बेहतरीन दवा है। अगर ज्यादा सर्दी-खांसी हो रही हो तो केसर दी जाती है क्योंकि ये कफ का नाश करने वाली औषधि है। मन को प्रसन्न करने वाली रंगीन और सुगन्धित करने वाली होती है।
शिशुओं को अगर सर्दी जकड़ ले और नाक बंद हो जाये तो मां के दूध में केसर मिलाकर उसके माथे और नाक पर मला जाये तो सर्दी का प्रकोप कम होता है और उसे आराम मिलता है।
गंजे लोगों के लिए तो यह संजीवनी बूटी की तरह कारगर है।
जिनके बाल बीच से उड़ जाते हैं, उन्हें थोड़ी सी मुलहठी को दूध में पीस लेना चाहिए। उसमें चुटकी भर केसर डाल कर उसका पेस्ट बनाकर सोते समय सिर में लगाने से गंजेपन की समस्या दूर होती है।
रूसी की समस्या हो या फिर बाल झड़ रहे हों, ऎसी स्थिति में भी उपरोक्त फार्मूला अपनाना चाहिए। पुरूषों में वीर्य शक्ति बढ़ाने हेतु शहद, बादाम और केसर लेने से फायदा होता है। पेट संबंधित बीमारियों के इलाज में केसर बहुत फायदेमंद है।
बदहजमी, पेट-दर्द व पेट में मरोड़ आदि हाजमे से संबंधित शिकायतों में केसर का सेवन करने से फायदा होता है।सिर दर्द को दूर करने के लिए केसर का उपयोग किया जा सकता है। सिर दर्द होने पर चंदन और केसर को मिलाकर सिर पर इसका लेप लगाने से सिर दर्द में राहत मिलती है।
खाने का स्वाद बढ़ाने के साथ-साथ केसर का उपयोग कई तरह के आयुर्वेदिक उपचार में भी किया जाता है। हल्के और अपने सुनहरे लाल रंगों के साथ यह पदार्थ कमल की भीनी खुशबू लिए होता है। केसर को संस्कृत में कुमकुम के नाम से पुकारा जाता है। भारत में यह केवल जम्मू तथा कश्मीर के सीमित क्षेत्रों में पैदा होती हैं। केसर विश्व का सबसे कीमती पौधा है।
*केसर उपयोग की जाने वाली एक अत्युत्तम दवा है। आयुर्वेद शास्त्र के अनुसार रोजाना थोड़ी मात्रा में केसर लेने से शरीर में कई प्रकार के रोग नहीं होते हैं। इसका स्वभाव गर्म होता है। इसलिए औषधि के रूप में 250 मिलिग्राम व खाद्य के रूप में 100 मिलिग्राम से अधिक मात्रा में इसके सेवन की सलाह नहीं दी जाती।
*यह एक कामशक्ति बढ़ाने वाला रसायन है। महिलाओं की कुछ बीमारियों में यह रामबाण साबित होता है। बच्चे के जन्म के बाद गर्भाशय की सफाई के लिए कुछ दिनों तक इसका नियमित सेवन करना बहुत अच्छा रहता है। माहवारी के दौरान दर्द, अनियमितता व गड़बड़ी से निजात के लिए यह एक अच्छी औषधि है। मासिक धर्म साफ लाने वाली, गर्भाशय व योनि संकोचन जैसे रोगों को भी दूर करती है।
*केसर त्वचा को सुंदर व निखरा बनाती है। यह शरीर को मजबूत बनाती है। लो ब्लडप्रेशर में ये एक बेहतरीन दवा है। अगर ज्यादा सर्दी-खांसी हो रही हो तो केसर दी जाती है क्योंकि ये कफ का नाश करने वाली औषधि है। मन को प्रसन्न करने वाली रंगीन और सुगन्धित करने वाली होती है।
*अगर सर्दी लग गई हो तो रात्रि में एक गिलास दूध में एक चुटकी केसर और एक चम्मच शहद डालकर यदि मरीज को पिलाया जाए तो उसे अच्छी नींद आती है। त्वचा रोग होने पर खरोंच और जख्मों पर केसर लगाने से जख्म जल्दी भरते हैं।
*शिशुओं को अगर सर्दी जकड़ ले और नाक बंद हो जाये तो मां के दूध में केसर मिलाकर उसके माथे और नाक पर मला जाये तो सर्दी का प्रकोप कम होता है और उसे आराम मिलता है।
*गंजे लोगों के लिए तो यह संजीवनी बूटी की तरह कारगर है। जिनके बाल बीच से उड़ जाते हैं, उन्हें थोड़ी सी मुलहठी को दूध में पीस लेना चाहिए। उसमें चुटकी भर केसर डाल कर उसका पेस्ट बनाकर सोते समय सिर में लगाने से गंजेपन की समस्या दूर होती है।
*रूसी की समस्या हो या फिर बाल झड़ रहे हों, ऎसी स्थिति में भी उपरोक्त फार्मूला अपनाना चाहिए। पुरूषों में वीर्य शक्ति बढ़ाने हेतु शहद, बादाम और केसर लेने से फायदा होता है। पेट संबंधित बीमारियों के इलाज में केसर बहुत फायदेमंद है।
*बदहजमी, पेट-दर्द व पेट में मरोड़ आदि हाजमे से संबंधित शिकायतों में केसर का सेवन करने से फायदा होता है।सिर दर्द को दूर करने के लिए केसर का उपयोग किया जा सकता है। सिर दर्द होने पर चंदन और केसर को मिलाकर सिर पर इसका लेप लगाने से सिर दर्द में राहत मिलती है।
*शुद्ध केसर तेज लाल व नारंगी रंग के रेशों की तरह होते हैं। ये 'क्रॉकस सेट्टिवम' नामक पौधे के फूलों की नाजुक पंखुडिय़ां होती हैं। इस पौधे की ऊंचाई 30 सेंटीमीटर (लगभग 1 फीट) से भी कम होती है, जिसकी पत्तियां पतली व लंबी होती हैं। इसके फूल बैंगनी रंग के होते हैं। मादा फूलों के अंदर तेज लाल रंग की दो से ढाई सेंटीमीटर (लगभग 1 ईंच) लंबी तीन पंखुडिय़ां होती हैं। इन पंखुडिय़ों को सावधानी से निकालकर सुखा लिया जाता है और इस प्रकार केसर तैयार हो जाता है।
*शुद्ध केसर काफी महंगा होता है, क्योंकि इसके पौधे की रोपाई से लेकर इसे तैयार करने में काफी मेहनत, देखभाल व धैर्य की जरूरत पड़ती है। इस कार्य में काफी वक्त भी लगता है। खाद्य व औषघि के रूप में इसकी अल्प मात्रा की ही जरूरत रहती है। इसके पौधे दक्षिणी यूरोपीय देशों में बहुतायत में मिलते हैं। स्पेन, इटली, ग्रीस व फ्रांस में इसकी खेती सबसे ज्यादा होती है और इन्हीं देशों से इसे दुनियाभर में निर्यात किया जाता है। भारत में इसकी खेती जम्मू-कश्मीर में की जाती है। फ्रांस व स्पेन से भी इसका निर्यात भारत में होता है।
आयुर्वेद शास्त्र के अनुसार नियमित रूप से, अल्प मात्रा में ग्रहण करने पर यह त्रि-दोषों (वात, पित्त व कफ) से निजात दिलाता है। इसका स्वभाव गर्म होता है। अत: औषधि के रूप में 250 मिलिग्राम व खाद्य के रूप में 100 मिलिग्राम से अधिक मात्रा में इसके सेवन की सलाह नहीं दी जाती। यह एक कामोद्दीपक रसायन है। अत: इसका उपयोग बाजीकरण के लिए भी किया जाता है। कई अन्य बीमारियों के इलाज में भी इसका उपयोग किया जाता है। महिलाओं की कुछ बीमारियों में यह रामबाण साबित होता है। बच्चे के जन्म के बाद गर्भाशय की सफाई के लिए कुछ दिनों तक इसका नियमित सेवन करना बहुत अच्छा रहता है। माहवारी के दौरान दर्द, अनियमितता व गड़बड़ी से निजात के लिए यह एक अच्छी औषधि है।
*सावधानी-
केसर खरीदते वक्त यह सुनिश्चित करें वह मिलावटी न हो और उसकी गुणवत्ता अच्छी है। औषधीय उपयोग के लिए कश्मीरी केसर सबसे अच्छा माना जाता है। एक ग्राम केसर लगभग 100 रुपये की आती है। इसे कश्मीर एम्पोरियम या आयुर्वेदिक औषधियों की भरोसेमंद दुकानों से खरीदें व सड़क किनारे स्थित दुकानों से कदापि न लें, क्योंकि यह मिलावट वाली हो सकती है।
*पहचान-
केसर की सुगंध बेहद तेज होती है। यहां तक कि यदि इसे प्लास्टिक की दो थैलियों में बंद करके भी रख दिया जाए, तो भी इसकी सुगंध चारों ओर फैल जाती है।
*कुछ खाद्य व औषधीय नुस्खे-
केसर दूध-
केसर दूध ठंडा व गर्म दोनों प्रकार से तैयार किया जाता है। जाड़े के दिनों में गर्म व गर्मी के दिनों में ठंडे दूध का उपयोग करने की सलाह दी जाती है।
*आवश्यक सामग्री- दो लोगों के लिए-
दूध- आधा लीटर (ढाई कप), मिश्री या शक्कर- दो चम्मच या स्वाद के अनुसार, केसर- दो सौ मिलिग्राम (एक चुटकी) और कटे हुए बादाम दो चम्मच।
*गर्म दूध के लिए-
दूध को गर्म कर लें और इसमें उपरोक्त सभी सामग्री डालकर चम्मच से तब तक मिलाएं, जब तक उसमें केसर पूरी तरह से घुल न जाए। शुद्ध केसर आहिस्ता-आहिस्ता घुलता है और दूध को एकदम से रंगीन नहीं बनाता, जैसा कि सिंथेटिक केसर करते हैं।
*ठंडे दूध के लिए-
थोड़ी सी दूध लेकर इसे गर्म कर लें और इसमें उपरोक्त सभी पदार्थों को अच्छी तरह से घुला लें। अब इसे ठंडा होने दें, फिर शेष दूध मिलाकर फ्रिज में रख दें। आप चाहें तो इसमें बर्फ के कुछ टुकड़े भी डाल सकते हैं, हालांकि इससे दूध का स्वाद कुछ बदल सकता है।"
*औषधीय नुस्खा-
आवश्यक सामग्री- केसर 25 ग्राम, घी 50 ग्राम और मिश्री या शक्कर 50 ग्राम
सबसे पहले मिश्री को अच्छी तरह पीस लें। इसके बाद घी को गर्म कर लें और उसमें केसर को डालकर धीरे-धीरे चलाएं। फिर इसमें पीसी मिश्री मिला लें और कुछ देर तक इसे चलाएं। इसके बाद इसे ठंडा होने के लिए छोड़ दें।
खुराक- चौथाई चम्मच गर्म दूध, गर्म पानी या गर्म चाय के साथ सेवन करें। यदि आपकी इच्छा इसके साथ कुछ पीने का न हो, तो इसका सेवन ऐसे भी कर सकते हैं,
*चिंता दूर करे केसर में कुछ क्रियाशील तत्व पाए जाते हैं जिससे दिमाग में डिप्रेशन नहीं पैदा होता। यह दिमाग को शांत करती है और चिंता को दूर भगाती है। पेट के लिये इसे भोजन या दूध में लेने से पाचन क्रिया बेहतरीन होती है।
*खूबसूरत त्वचा पुराने जमाने से ही हमारी दादी-नानी खूबसूरत त्वचा पाने के लिये केसर का प्रयोग किया करती थीं। केसर ना केवल चेहरे से दाग-धब्बे हटा कर चहरे को चमकदार बनाता है बल्कि यह आयुर्वेदिक तेल में भी प्रयोग किया जाता है। चेहरे के दाग हटाने के लिये पानी और केसर को मिश्रण कर के चेहरे पर लगाएं। गोरा बनाएं इस पेस पैक को बनाने के लिये एक चुटकी केसर, दूध और जैतून का तेल मिश्रण कर के चेहरे पर लगाइये। जब पैक सूख जाए तब इसे स्क्रब कर के साफ कर लीजिये और चेहरा धो लीजिये।
*मूत्र विकार यह एक मूत्रवर्धक औषधी भी है। घर पर रात को पानी में थोड़ी सी केसर भिगो कर सुबह उसे शहद या चीनी के साथ सेवन करें। इससे मूत्र विकार दूर होगा।
*दिमाग बनाए तेज केसर दिमाग और नाड़ीमंडल के लिये किसी वरदान से कम नहीं। रोज रात को सोने से पहले दूध में केसर के कुछ रेशे डालना ना भूलें। बीमारियां भगाए केसर में रासायनिक घटकों की मौजूदगी की वहज से इसे भोजन में प्रयोग करने से बीमारियों से छुटकारा मिलता है। इसमें कैल्शियम, विटामिन और प्रोटीन पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है जिससे पूरा शरीर निरोग रहता है।
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