27.4.23

घुटनों के दर्द की रामबाण हर्बल औषधि ,Knee pain herbal Medicine

 



घुटना शरीर का भार सहता है,उसे सपोर्ट करता है और चलायमान बनाता है| लेकिन घुटनों में विकार आने पर रोजमर्रा के काम करने में कठिनाई महसूस होने लगती है| जीवन में कभी न कभी घुटनों के दर्द की समस्या से सभी स्त्री-पुरुषों को रूबरू होना ही पड़ता है| कुछ लोग जवानी में ही इस दर्द की चपेट में आ जाते हैं और बुढापा तो घुटनों की पीड़ा के लिए खास तौर पर जाना जाता है| घुटनों के अंदरूनी या मध्य भाग में दर्द छोटी मोटी चोंटों या आर्थराईटीज के कारण हो सकता है| लेकिन घुटनों के पीछे का दर्द उस जगह द्रव संचय होने से होता है इसे बेकर्स सिस्ट कहते हैं| सीढ़ियों से नीचे उतरते वक्त अगर घुटनों में दर्द होता है तो इसे नी केप समस्या जाननी चाहिए | यह लक्षण कोंट्रोमलेशिया का भी हो सकता है| सुबह के वक्त उठने पर अगर आपके घुटनों में दर्द होता है तो इसे आर्थराई टीज की शुरू आत समझनी चाहिए\ चलने फिरने से यह दर्द धीरे-धीरे कम हो जाता है| बिना किसी चोंट या जख्म के अगर घुटनों में सूजन दिखे तो यह ओस्टियो आर्थ रा ईटीज,गाऊट अथवा जोड़ों का संक्रमण की वजह से होता है| घुटनों में दर्द को कम करने के लिए गरम या ठंडे पेड से सिकाई की जरूरत हो सकती है| घुटनों में तीव्र पीड़ा होने पर आराम की सलाह डी जाती है ताकि दर्द और सूजन कम हो सके\ फिजियो थेरपी में चिकित्सक विभिन्न प्रक्रियाओं के द्वारा घुटनों के दर्द और सूजन को कम करने का प्रयास करते हैं.
*मैथी के बीज संधिवात की पीड़ा निवारण करते हैं| एक चम्मच मैथी बीज रात भर साफ़ पानी में गलने दें | सुबह पानी निकाल दें और मैथी के बीज अच्छी तरह चबाकर खाएं| शुरू में तो कुछ कड़वा लगेगा लेकिन बाद में कुछ मिठास प्रतीत होगी| भारतीय चिकित्सा में मैथी बीज की गर्म तासीर मानी गयी है| यह गुण जोड़ों के दर्द दूर करने में मदद करता है|


herbal remedies for knee pain

*भोजन द्वारा इलाज के अंतर्गत रोजाना ३-४ खारक खाते रहने से घुटनों की शक्ति को बढ़ाया जा सकता है| *अस्थियों को मजबूत बनाए रखने के लिए केल्शियम का सेवन करना उपकारी है| केल्शियम की ५०० एम् जी की गोली सुबह शाम लेते रहें| | दूध ,दही,ब्रोकली और मछली में पर्याप्त केल्शियम होता है|
*घुटनों के लचीलेपन को बढाने के लिए दाल चीनी,जीरा,अदरक और हल्दी का उपयोग उत्तम फलकारी है| इन पदार्थों में ऐसे तत्त्व पाए जाते हैं जो घुटनों की सूजन और दर्द का निवारण करते हैं|
*गाजर में जोड़ों में दर्द को दूर करने के गुण मौजूद हैं |चीन में सैंकडों वर्षों से गाजर का इस्तेमाल संधिवात पीड़ा के लिए किया जाता रहा है| गाजर को पीस लीजिए और इसमें थोड़ा सा नीम्बू का रस मिलाकर रोजाना खाना उचित है| यह घुटनों के लिगामेंट्स का पोषण कर दर्द निवारण का काम करता है|*प्याज अपने सूजन विरोधी गुणों के कारण घुटनों की पीड़ा में लाभकारी हैं| दर असल प्याज में फायटोकेमीकल्स पाए जाते हैं जो हमारे इम्यून सिस्टम को ताकतवर बनाते हैं| प्याज में पाया जाने वाला गंधक जोड़ों में दर्द पैदा करने वाले एन्जाईम्स की उत्पत्ति रोकता है| एक ताजा रिसर्च में पाया गया है कि प्याज में मोरफीन की तरह के पीड़ा नाशक गुण होते हैं|


herbal remedies for knee pain

*गरम तेल से हल्की मालिश करना घुटनों के दर्द में बेहद उपयोगी है| एक बड़ा चम्मच सरसों के तेल में लहसुन की २ कुली पीसकर डाल दें | इसे गरम करें कि लहसुन भली प्रकार पक जाए| आच से उतारकर मामूली गरम हालत में इस तेल से घुटनों या जोड़ों की मालिश करने से दर्द में तुरंत राहत मिल जाती है| इस तेल में संधिवात की सूजन दूर करने के गुण हैं| घुटनों की पीड़ा निवारण की यह असरदार चिकित्सा है|
जोड़ों की पीड़ा दूर करने के लिये तेल निर्माण करने का एक बेहद असरदार फार्मूला नीचे लिख रहा हूँ ,जरूर प्रयोग करें-
*काला उड़द १० ग्राम ,बारीक पीसा हुआ अदरक ५ ग्राम ,पीसा हुआ कर्पूर २ ग्राम लें| ये तीनों पदार्थ ५0 ग्राम सरसों के तेल में ५ मिनिट तक गरम करें और आंच से उतारकर छानकर बोतल में भर लें| मामूली गरम इस तेल से जोड़ों की मालिश करने से दर्द में आराम मिलता है| दिन में २-३ बार मालिश करना उचित है| यह तेल आर्थ्रराईटीज जैसे दर्दनाक रोगों में भी गजब का असर दिखाता है|


herbal remedies for knee pain

नीचे बताई गयी सामग्री को मिला कर हल्दी का एक दर्द निवारक पेस्ट बना लीजिये.
1 छोटा चम्मच हल्दी पाउडर
1 छोटा चम्मच पीसी हुई चीनी, या बूरा या शहद
1 चुटकी चूना (जो पान में लगा कर खाया जाता है)
आवश्यकतानुसार पानी
इन सभी को अच्छी तरह मिला लीजिये. एक लाल रंग का गाढ़ा पेस्ट बन जाएगा.

यह पेस्ट कैसे प्रयोग करें:-

सोने से पहले यह पेस्ट अपने घुटनों पे लगाइए. इसे सारी रात घुटनों पे लगा रहने दीजिये.
सुबह साधारण पानी से धो लीजिये.
कुछ दिनों तक प्रतिदिन इसका इस्तेमाल करने से सूजन, खिंचाव, चोट आदि के कारण होने वाला घुटनों का दर्द पूरी तरह ठीक हो जाएगा.

घुटनों का दर्द – उपाय 2

1 छोटा चम्मच सोंठ का पाउडर लीजिये और इसमें थोडा सरसों का तेल मिलाइए.
इसे अच्छी तरह मिला कर गाड़ा पेस्ट बना लीजिये.
इसे अपने घुटनों पर मलिए. इसका प्रयोग आप दिन या रात कभी भी कर सकते हैं.
कुछ घंटों बाद इसे धो लीजिये. यह प्रयोग करने से आपको घुटनों के दर्द में बहुत जल्दी आराम मिलेगा.घुटनों का दर्द – उपाय 3

नीचे बताई गयी सामग्री लीजिये:-
4-5 बादाम
5-6 साबुत काली मिर्च
10 मुनक्का
6-7 अखरोट
प्रयोग:
इन सभी चीज़ों को एक साथ मिलाकर खाएं और साथ में गर्म दूध पीयें.
कुछ दिन तक यह प्रयोग रोजाना करने से आपको घुटनों के दर्द में आराम मिलेगा.

घुटनों का दर्द – उपाय 4

खजूर विटामिन ए, बी, सी, आयरन व फोस्फोरस का एक अच्छा प्राकृतिक स्रोत है. इसलिए, खजूर घुटनों के दर्द सहित सभी प्रकार के जोड़ों के दर्द के लिए बहुत असरकारक है.

प्रयोग:
एक कप पानी में 7-8 खजूर रात भर भिगोयें.
सुबह खाली पेट ये खजूर खाएं और जिस पानी में खजूर भिगोये थे, वो पानी भी पीयें. ऐसा करने से घुटनों की मांसपेशियां मजबूत होती हैं, और घुटनों के दर्द में बहुत लाभ मिलता है.
घुटनों का दर्द – उपाय 5

नारियल भी घुटनों के दर्द के लिए बहुत अच्छी औषधी है.
नारियल का प्रयोग:
रोजाना सूखा नारियल खाएं.
नारियल का दूध पीयें.
घुटनों पर दिन में दो बार नारियल के तेल की मालिश करें.
इससे घुटनों के दर्द में अद्भुत लाभ होता है.
आशा है आपको इन आसान घरेलू उपायों की मदद से घुटनों के दर्द से छुटकारा मिलेगा और आपकी ज़िंदगी बेहतर हो सकेगी
प्रतिदिन नारियल की गिरी का सेवन करें|इससे घुटनों को ताकत आती है|
लगातार 20 दिनों तक अखरोट की गिरी खाने से घुटनों का दर्द समाप्त होता है।
बिना कुछ खाए प्रतिदिन प्रात: एक लहसन कली, दही के साथ दो महीने तक लेने से घुटनों के दर्द में चमत्कारिक लाभ होता है।

विशिष्ट परामर्श-  


संधिवात,कमरदर्द,गठिया, साईटिका ,घुटनो का दर्द आदि वात जन्य रोगों में जड़ी - बूटी निर्मित हर्बल औषधि ही अधिकतम प्रभावकारी सिद्ध होती है| रोग को जड़ से निर्मूलन करती है| औषधि से बिस्तर पकड़े पुराने रोगी भी दर्द मुक्त गतिशीलता हासिल करते हैं| बड़े अस्पतालों के महंगे इलाज़ के बावजूद निराश रोगी इस औषधि से आरोग्य हुए हैं|  त्वरित असर औषधि के लिए वैध्य श्री दामोदर से 98267-95656 पर संपर्क कर सकते हैं|















24.4.23

हड्डियों के जोड़ मजबूत कैसे करें?Haddiyon ko kaise majbut banayen

 




अगर आप सोंचते हैं कि आप जवान हैं और आपकी हड्डी अभी कमजोर नहीं हो सकती, तो आप बिल्कुल गलत हैं। जाने माने हड्डी के सर्जन का कहना है कि आज कल लोगों को कम ही उम्र में ऑस्टियोपोरोसिस (हड्डी विकार) होने का खतरा पहले की तुलना में ज्यादा बढ गया है।
अगर आप अपने भोजन में कैल्शियम युक्त भोजन नहीं लेते तो आपके घुटने कुछ ही दिनों में कमजोर हो जाएंगे। अगर घुटना किसी भी प्रकार से क्षतिग्रस्त हो गया तो उसे ठीक करना बहुत मुश्किल है।अच्छा है कि आप अपने भोजन में कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ शामिल करें, जो आपके घुटनों के लिये अच्छे हों।

हमारी हड्डियां कैल्शियम, फॉस्फोरस, प्रोटीन व अन्य कई प्रकार के मिनरल से मिलकर बनी होती हैं। किंतु अनियमित जीवनशैली, खान-पान व शारीरिक निष्क्रीयता की वजह से ये मिनरल खत्म होने लगते हैं, जिससे हड्डियों का घनत्व (बोन डेंसिटी) कम होने लगता है और धीरे-धीरे वो घिसने और कमजोर होने लगती हैं। कई बार हड्डीयों में यह कमजोरी इतनी हो जाती है कि मामूली सी चोट लगने पर भी फ्रैक्चर हो जाता है।
जॉइंट्स यानी हड्डियों का जोड़ हमें मजबूती देने के साथ-साथ ईजी मोबिलिटी में भी मदद करते हैं। ऐसे में अगर जॉइंट्स स्मूथली काम न करे तो हमें कई तरह की परेशानियों और दर्द का सामना करना पड़ सकता है। लिहाजा ये बेहद जरूरी है कि जॉइंट्स के साथ हमारा अच्छा रिश्ता बना रहे।
भारत मे आज कल हड्डियों से जुड़ी समस्या बहुत आम बात हो गई है। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जाती है, हड्डी, जोड़ और कमर का दर्द जीवन का अभिन्न अंग बन जाता है। आज हर दस में से लगभग चार स्त्रियों और चार में से एक पुरुष को हड्डी से जुड़ी कोई न कोई समस्या घेरे रहती है। पर ध्यान रहे, हड्डियां रातों-रात कमजोर नहीं होतीं। यह प्रक्रिया सालों-साल चलती है। डॉक्टरों का मानना है कि 15-25 वर्ष तक की उम्र में हड्डियों का मास यानी द्रव्यमान पूर्ण रूप से विकसित हो जाता है। ऐसे में बचपन और युवावस्था के समय का खान-पान, पोषण, जीवनशैली और व्यायाम आगे चल कर हड्डियों की सेहत को निर्धारित करने वाले कारक बनते हैं।हड्डियों कमजोर होने के कारण और हड्डियों का खोखलापन होने से सिल्पडिकस, थोड़ी सी चोट से टुट जाना, हड्डियों का दर्द होना, हड्डी भूरभरी होना आदि|

हड्डियों से जुड़ी समस्या के उपचार -

पिस्ता, अखरोट और बादाम-

ये कुछ ऐसे ड्राई फ्रूट्स हैं जिनमें कैल्शियम, मैग्नीशियम, विटमिन ई, प्रोटीन और अल्फा-लिनोलेनिक भरपूर मात्रा में पाया जाता है जो हमारे इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने में मदद करता है। खासकर अखरोट में ओमेगा 3 फैटी ऐसिड भरपूर मात्रा में पाया जाता है जो ऑस्टियोआर्थराइटिस और रूमेटाइड आर्थराइटिस से छुटकारा पाने में मदद करता है।


पालक

ऐंटिऑक्सिडेंट्स से भरपूर पालक ऑस्टियोआर्थराइटिस को कम करने में मदद करने के साथ ही सूजन, जलन और दर्द को भी कम करता है। आप चाहें तो पालक का सूप, जूस, पालक की सब्जी या फिर कई अलग-अलग तरीकों से पालक को अपनी डायट में शामिल कर सकते हैं।

पपीता : 

पपीते में ढेर सारा विटामिन सी होता है। रिसर्च में पाया गया है कि जिन लोगों के अदंर विटामिन सी की कमी होती है उनमें जोड़ो का दर्द आम बात है।

*ब्रॉकली

*ब्रॉकली मे सल्फोराफेन पाया जाता है जो जोड़ों के दर्द की तकलीफ को कम करने के साथ ही रूमेटाइड आर्थराइटिस के लक्षणों को भी कम करने में मदद करता है। ब्रॉकली खाने का ढेरों फायदा आपको मिले इसके लिए इसे अपने सलाद या फिर स्टर-फ्राई सब्जी में यूज करें।

मछली

साल्मन, ट्यूना और ट्रॉट जैसी मछलियों की वरायटी में ओमेगा 3 फैटी ऐसिड भरपूर मात्रा में होता है जो सूजन-जलन और उत्तेजना से लड़कर जोड़ों के दर्द को तुरंत कम करने में मदद करता है। इन मछलियों में विटमिन डी की मात्रा भी काफी अधिक होती है जो आर्थराइटिस और उस जैसी कई बीमारियों के लक्षणों को कम करता है।

गुड़ और तिल :

20 ग्राम तिल थोडे से गुड के साथ मिक्सर में चलाकर तिलकुट्टा बनालें। रोजाना सुबह उपयोग करने से अस्थि मृदुता निवारण में मदद मिलती है।

जोड़ मजबूत करने के निम्न उपाय भी बहुत महत्व पूर्ण है-

१) रिफाईनड तेल खाना छोड दें । रिफाइंड तेल में ज्यादा लाईपो कैमिकल होता है और यह शरीर के केल्सियम को मूत्र के जरिये बाहर निकालता है। केल्शियम अल्पता से अस्थि-भंगुरता होती है। रिफाइंड की बजाय कच्ची घाणी का तेल प्रचुरता से उपयोग करें।
२) प्रतिदिन बाजरा और तिल का तेल उपयोग करें। यह ओस्टियो पोरोसिस( अस्थि मृदुता) का उम्दा इलाज है।खोखली और कमजोर अस्थि-रोगी को यह उपचार अति उपादेय है।
३) एक चम्मच शहद नियमित तौर पर लेते रहें। यह आपको अस्थि भंगुरता से बचाने का बेहद उपयोगी नुस्खा है।
४) दूध केल्सियम की आपूर्ति के लिये श्रेष्ठ है। इससे हड्डिया ताकतवर बनती हैं। गाय या बकरी का दूध भी लाभकारी है।
५) विटामिन “डी ” अस्थि मृदुता में परम उपकारी माना गया है। विटामिन डी की प्राप्ति सुबह के समय धूपमें बैठने से हो सकती है। विटामिन ’डी” शरीर में केल्सियम संश्लेशित करने में सहायक होता है।शरीर का २५ प्रतिशत भाग खुला रखकर २० मिनिट धूपमें बैठने की आदत डालें।
६) एक गेहूं के दाने के समान चूना तरल पदार्थ में मिलाकर खाये, यह कैल्शियम का अच्छा स्रोत हैं ।(पथरी का रोगी चुना ना खाये)
७) तिल के उत्पाद अस्थि मृदुता निवारण में महत्वपूर्ण हैं। इससे औरतों में एस्ट्रोजिन हार्मोन का संतुलन बना रहता है। एस्ट्रोजिन हार्मोन की कमी महिलाओं में अस्थि मृदुता पैदा करती है।तिल का तेल उत्तम फ़लकारक होता है।
८) केफ़िन तत्व की अधिकता वाले पदार्थ के उपयोग में सावधानी बरतें। चाय और काफ़ी में अधिक केफ़िन तत्व होता है। दिन में बस एक या दो बार चाय या काफ़ी ले सकते हैं।
९) बादाम अस्थि मृदुता निवारण में उपयोगी है। ११ बादाम रात को पानी में गलादें। छिलके उतारकर गाय के २५० मिलि दूध के साथ मिक्सर या ब्लेन्डर में चलावें। नियमित उपयोग से हड्डियों को भरपूर केल्शियम मिलेगा और अस्थि भंगुरता का निवारण करने में मदद मिलेगी।
१०) बन्द गोभी में बोरोन तत्व पाया जाता है। हड्डियों की मजबूती में इसका अहम योगदान होता है। इससे खून में एस्ट्रोजीन का स्तर बढता है जो महिलाओं मे अस्थियों की मजबूती बढाता है। पत्ता गोभी की सलाद और सब्जी प्रचुरता से इस्तेमाल करें।
११) नये अनुसंधान में जानकारी मिली है कि मेंगनीज तत्व अस्थि मृदुता में अति उपयोगी है। यह तत्व साबुत गेहूं,पालक,अनानास,तिल और सूखे मेवों में पाया जाता है। इन्हें भोजन में शामिल करें।
१२) विटामिन “के” रोजाना ५० मायक्रोग्राम की मात्रा में लेना हितकर है। यह अस्थि भंगुरता में लाभकारी है।
१३) सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि हड्डियों की मजबूती के लिये नियमित व्यायाम करें और स्वयं को घर के कामों में लगाये रखें।
१४) भोजन में नमक की मात्रा कम कर दें। भोजन में नमक ज्यादा होने से सोडियम अधिक मात्रा मे उत्सर्जित होगा और इसके साथ ही केल्शियम भी बाहर निकलेगा।
१५) २० ग्राम तिल थोडे से गुड के साथ मिक्सर में चलाकर तिलकुट्टा बनालें। रोजाना सुबह उपयोग करने से अस्थि मृदुता निवारण में मदद मिलती है।
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23.4.23

शीघ्र पतन क्यों होता है ,रतिक्रिया का समय कैसे बढ़ाएं?




आमतौर पर यौन समस्याएं महिला और पुरुष दोनों को होती है, लेकिन वीर्य जल्दी बाहर निकल आना या शीघ्रपतन एक ऐसी समस्या है जो पुरुषों में बहुत सामान्य है। अक्सर पाया गया है कि ज्यादातर पुरुष जोश में जल्दी वीर्य गिरने की समस्या से परेशान रहते हैं। चूंकि जल्दी स्खलित हो जाने से पत्नी या पार्टनर को बेहतर शारीरिक सुख प्राप्त नहीं हो पाता है, इसलिए यह समस्या पुरुषों की मर्दानगी पर भी सवाल उठाती है। अगर आप भी जल्दी स्खलित हो जाते हैं तो इस लेख में हम आपको वीर्य को जल्दी निकलने से रोकने के घरेलू उपायों के बारे में बताने जा रहे हैं।
वीर्य का जल्दी बाहर निकल आना या शीघ्रपतन एक ऐसी समस्या है आप अपने साथी के साथ संभोग करते समय एक मिनट से भी कम समय में या बहुत जल्दी स्खलित हो जाते हैं और अपने साथी को यौन संतुष्टि प्रदान नहीं कर पाते और वह सेक्स का आनंद नहीं ले पाती है। जल्दी स्खलित होने की समस्या काफी शर्मनाक मानी जाती है और यह शादीशुदा जीवन को भी प्रभावित करती है।
वास्तव में सेक्स के दौरान वीर्य बाहर निकलने का कोई सटीक समय नहीं है और अब तक जल्दी स्खलन होने का वास्तविक कारण भी ज्ञात नहीं हो पाया है। लेकिन सेक्सोलॉजिस्ट मानते हैं कि यह पुरुषों के मस्तिष्क से जुड़ा होता है। इसका अर्थ यह है कि यदि किसी पुरुष के मस्तिष्क में सेरोटोनिन (serotonin) नामक रसायन का स्तर कम है तो उसे सेक्स के दौरान जल्दी वीर्य बाहर आने की समस्या हो सकती है। इसके अलावा यह समस्या अन्य कई कारणों से होती है।पर्याप्त उत्तेजना न होने के कारण
सेक्स का दर्दनाक अनुभव होने के कारण
डायबिटीज या प्रोस्टेट रोग होने के कारणअधिक तनाव और डिप्रेशन के कारण
सेक्स करने का पर्याप्त अनुभव न होने के कारण
पार्टनर के साथ संबंध अच्छे न होने के कारण
संभोग के दौरान वीर्य का जल्दी बाहर निकल आना कोई गंभीर समस्या नहीं है। आमतौर पर यह खराब जीवनशैली और गलत खानपान की आदतों के कारण होता है। इसलिए यदि आप अपनी जीवनशैली सुधार लें तो यह समस्या काफी हद तक ठीक हो सकती है। संबंध बनाते समय वीर्य का जल्दी गिरना एक आम समस्या है। आइये जानतें हैं वीर्य को अधिक देर तक गिरने से रोकने के लिए कारगर उपाय और वीर्य को जल्दी बाहर निकलने से रोकने के रामबाण उपाय क्या है।
प्याज -
माना जाता है कि हरे प्याज के बीज में कामोत्तेजक गुण पाया जाता है जो पुरुषों में वीर्य को जल्दी निकलने से रोकता है। हरा प्याज पुरुषों की यौन शक्ति की बढ़ाता है जिससे पुरुष अपने पार्टनर का बिस्तर पर लंबे समय तक साथ देता है। अगर आपको शीघ्रपतन जैसी यौन समस्या है तो हरे प्याज के बीज को कुचलकर पानी में अच्छी तरह मिला लें। इस औषधीय पानी को भोजन करने से ठीक पहले दिन में दो बार पीएं। आप चाहें तो सफेद प्याज का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। यह वास्तव में प्रजनन अंगों को मजबूत करने का काम करता है जिससे वीर्य जल्दी बाहर नहीं निकलता है।
अश्वगंधा-
यह औषधीय जड़ी बूटी पुरुषों में यौन समस्याओं के इलाज के लिए एक प्रभावी उपाय है। अश्वगंधा दिमागी शक्ति में सुधार करता है और शरीर में कामेच्छा को भी बढ़ाता है। इससे पुरुष अपने स्खलन को बेहतर तरीके से नियंत्रित कर सकते पाते हैं और संभोग को लम्बा खींच सकते हैं। यह जड़ी बूटी सहनशक्ति को भी बढ़ाती है, और यह स्तंभन दोष के इलाज में भी प्रभावी है। वीर्य को जल्दी निकलने से रोकने के लिए आप सीधे अश्वगंधा जड़ी बूटी का पाउडर या इसके सप्लिमेंट्स का उपयोग कर सकते हैं।
शतावरी-
शतावरी की जड़ों में पाया जाने वाला कामोत्तेजक गुण पुरुषों में शीघ्रपतन की समस्या को कम करने में मदद करता है। इसलिए वीर्य जल्दी निकलने की समस्या से परेशान पुरुषों को 3 से 4 चम्मच शतावरी पाउडर को एक गिलास दूध के साथ मिलाकर सेवन करना चाहिए। इसके अलावा आप शतावरी की जड़ों को दूध में उबालने के बाद छानकर भी पी सकते हैं। पुरुषों में ताकत बढ़ाने और अन्य यौन समस्याओं को दूर करने के लिए के शतावरी और दूध का सेवन दिन में दो बार करें, आपको शीघ्रपतन नहीं होगा।
भिन्डी-
जल्दी स्खलित हो जाने या वीर्य निकलने की समस्या को दूर करने के लिए भिंडी एक प्रभावी उपाय है। यदि आप इस समस्या से पीड़ित हैं तो आपको भिंडी को सब्जी के रूप में अपने रोजमर्रा के आहार में शामिल करना चाहिए या भिंडी के पाउडर का सेवन करना चाहिए। आयुर्वेदाचार्यों का मानना है कि नियमित रूप से भिंडी पाउडर या चूर्ण का सेवन कुछ हफ्तों तक करने से इंटरकोर्स के दौरान जल्दी वीर्य बाहर नहीं निकलता है और शीघ्रपतन की समस्या नियंत्रित हो जाती है।
शहद और अदरक-
सेक्सोलॉजिस्ट का मानना है कि अदरक का सेवन करने से शरीर में ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है और यह विशेष रूप से पेनिस की मांसपेशियों में रक्त के प्रवाह को बढ़ाता है। इससे पुरुष अपने स्खलन पर अधिक नियंत्रण करने में सक्षम हो पाता है। इसके अलावा अदरक इरेक्शन को बनाए रखने में सहायक होता है क्योंकि यह शरीर को गर्म करता है, जिससे रक्त प्रवाह तेज होता है। शहद के साथ अदरक को मिलाकर खाने से यौन शक्ति बढ़ती है और इंटरकोर्स करते समय वीर्य जल्दी बाहर नहीं निकलता है। आधा चम्मच अदरक को शहद के साथ मिलाएं और सोने से पहले इसका सेवन करें। जल्द ही आपकी जल्दी झड़ जाने की समस्या दूर हो जाएगी।
लहसुन-
लहसुन में कामोत्तेजक (aphrodisiac) गुण होता है और यह समय से पहले वीर्य को गिरने से रोकता है और संभोग की अवधि को बढ़ाने में काफी मददगार साबित होता है। लहसुन का एंटीबैक्टीरियल और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण शरीर में रक्त परिसंचरण में सुधार करता है और शरीर को गर्म भी रखता है। यदि आप जल्दी स्खलित हो जाते हैं या आपका वीर्य जल्दी बाहर निकल आता है तो आप सुबह शाम लहसुन की कलियां चबाएं या लहसुन को घी में उबालकर खाएं, इससे आपकी समस्या दूर हो जाएगी। आप चाहें तो खाली पेट भी लहसुन खा सकते हैं|
विशिष्ट परामर्श- 

नपुंसकता एक ऐसी समस्या है जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता. किसी भी पुरुष के एक पिता बनने में असमर्थ होने को पुरुष बांझपन या नपुंसकता कहा जाता है।यह तब होता है जब कोई पुरुष संभोग के लिए पर्याप्त इरेक्शन प्राप्त नहीं कर पाता या उसे मजबूत नहीं रख पाता. दामोदर चिकित्सालय एवं अनुसंधान केंद्र 
9826795656 द्वारा विकसित "नपुंसकता नाशक हर्बल औषधि" से सैंकड़ों व्यक्ति लाभान्वित हुए हैं। स्तंभन दोष दूर करने मे यह औषधि रामबाण सिद्ध होती है।

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20.4.23

लम्बी उम्र तक हड्डियों की मजबूती के उपाय ,Haddiyon ko kaise majbut banayen?




एक मजबूत शरीर के लिए, बाकी अंगों के साथ हड्डियों का मजबूत (Strong Bones) होना भी ज़रूरी होता है। हमारी हडियां कैल्शियम (Calcium), प्रोटीन (Protein), फॉस्फोरस (Phosphorus) के अलावा अन्य मिनरल (Other Minerals) से बानी हुई होती हैं। खराब लाइफस्टाइल, पोषण की कमी से यह मिनरल ख़तम होने लगते हैं और धीरे-धीरे हडियों कमजोर हो जाती हैं। इसी कारण से चोट या एक्सीडेंट होने पर फ्रैक्चर (Fracture) हो जाता है। स्‍वाभाविक है कि हमारे शरीर को पोषण और ताकत केवल आहार के माध्‍यम से ही प्राप्‍त हो सकता है। लेकिन जब हड्डीयों की बात आती है तो दो प्रमुख पोषक तत्‍व कैल्शियम और विटामिन D बहुत ही आवश्‍यक होते हैं। यदि आप अपनी हड्डियों को मजबूत रखना चाहते हैं तो कैल्शियम और विटामिन-D आधारित खाद्य पदार्थों पर ध्‍यान दें। इस लेख में बुढ़ापे तक साथ निभाने वाली हड्डियों को मजबूत कैसे बनाए रखने के उपाय बताए गए हैं।

दूध-

दूध कैल्शियम का हाई सोर्स है जिससे आपकी हड्डियों को सेहतमंद रखने में काफी मदद मिलती है। यदि आप रोज एक कप दूध (250-300 Ml) पीते हैं तो उससे रोजाना कैल्शियम की जरुरत का एक तिहाई हिस्सा मिल जाता है।
दूध में पोटेशियम (Potassium), विटामिन बी (Vitamin B), विटामिन ए (Vitamin A) और प्रोटीन (Protein) काफी मात्रा में होता है। यदि आप लो कैलोरी चाहते हैं तो लो या बिना-फैट वाले दूध (Low Or Non-Fat Milk) का उपयोग कर सकते हैं।

बाजरा (Bajra)

रोज़ाना बाजरा और तिलके तेल का उपयोग करेने से यह हड्डियों की बिमारी से बचाएगा जैसे ऑस्टियोपोरोसिस।

काजू-

काजू काफी टेस्टी और हेल्दी ड्रायफ्रूट है। इसमें मौजूद मैग्नीशियम (Magnesium) और खनिज (Minerals) हड्डियों को मजबूती प्रदान करते हैं।
साथ ही साथ इसमें हाई मात्रा में कॉपर (Copper) होता है। काजू के एक औंस (28.34 Gm) में 622 Mg कॉपर होता है। 19 वर्ष और उससे अधिक आयु के वयस्कों के लिए रोजाना 900 Mg कॉपर की जरुरत होती है।(3)

कच्ची घानी तेल (Kacchi ghani ka tel)

रिफाइंड तेल का सेवन करना छोड़ दें, इसमें मौजूद लिपो केमिकल हड्डियों को शांति पहुंचता हैं। यह शरीर के कैल्शियम को मूत्र के जरिए बाहर निकालता हैं। रिफाइंड तेल के स्थान पर कच्ची घानी तेल का उपयोग करें।

टमाटर का जूस-

टमाटर का जूस मिटामिन और मिनरल्स में काफी हाई होता है। इसमें मैग्नीशियम, विटामिन ए (Vitamins A ), विटामिन सी (Vitamins C) काफी मात्रा में पाया जाता है। साथ ही साथ कैल्शियम और विटामिन के (Vitamins K) भी कुछ मात्रा में पाया जाता है।
इसलिए ताजे टमाटर का जूस पीना हड्डियों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।

सूरज से मिलने वाली धुप (Having Sunlight Or Sunbathing)

विटामिन D की प्राप्ति सुबह के समय धूप में बैठने से हो सकती हैं। विटामिन D शरीर में कैल्शियम संष्लेशित करने में सहायक होता है। शरीर का 25% भाग खुला रखकर 20 मिनट धुप में बैठने की आदत डालें।

चुना (Chuna)

गेहूं के दाने के समान चुना तरल पदार्थ में मिलाकर खाए, यह कैल्शियम का अच्छा स्रोत है। (पथरी में चुना ना खाएं)

अखरोट-


अखरोट टेस्ट के साथ-साथ गुणों में भी काफी अच्छा होता है। ये कैल्शियम, प्रोटीन और मैग्नीशियममें काफी हाई होता है। साथ ही साथ ये ओमेगा-3 (Omega-3) फैटी एसिड का भी मुख्य सोर्स होता है।
ये कॉपर का अच्छा सोर्स है और ये बात तो आप जानते ही हैं कि कॉपर की कमी से बोन डेंसिटी कम होने और ऑस्टियोपोरोसिस का जोखिम बढ़ सकता है।
सभी नट्स की तरह इसमें भी अधिक कैलोरी होती है। लेकिन इसकी कुछ मात्रा खाने से आपको काफी लंबे समय तक भूख नहीं लगती।

बादाम (Almonds)

4-5 बादाम रात को पानी में भिगो के रख दें। छिलके उतारकर गाय के 240 ml दूध के साथ मिक्सर में ब्लेंड करके सेवन करे। यह अस्थि मृदुता निवारण में उपयोगी है।

गोभी (Gobhi)

गोभी में बोरोन तत्व पाया जाता है। हड्डियों की मजबूती में इसका अहम योगदान होता है। इससे खून में एस्ट्रोजीन का स्तर बढ़ता है जो महिलाओं में अस्थियों की मजबूती बढ़ता है। पत्ता गोभी की सलाद और सब्ज़ी प्रचुरता से इस्तेमाल करें।

दही -

दही में हाई मात्रा में कैल्शियम और प्रोटीन पाया जाता है। एक कप दही से आपको 450 Mg कैल्शियम और 12 Gm प्रोटीन मिल सकता है।
साथ ही साथ इसमें हड्डियों की हेल्थ के लिए कुछ महत्वपूर्ण पोषक तत्व पाए जाते हैं, जैसे: कैल्शियम (Calcium), प्रोटीन (Protein), पोटेशियम (Potassium), फॉस्फोरस (Phosphorus) और विटामिन डी (vitamin D)।

अनाज (Whole Grains)

मेंगनीज तत्व अस्थि मृदुता में अति उपयोगी है। यह तत्व साबुत गेहूं, पालक, अनानास, टिल और सूखे मेवों में पाया जाता है।

व्यायाम (Exercise)

सबसे ज़रूरी बात यह है की हड्डियों की मजबूती की मजबूती के लिए नियमित व्यायाम करें और स्वयं को घर के कामों में लगाए रखें।
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19.4.23

क्या है घरेलु आयुर्वेदिक इलाज सेफ दाग का?safed dag kaise theek karen?



 

इस रोग को सफेद दाग, शिव्त्र , किलास, फुलबहरी, वर्स तथा Lucoderma और Vitiligo आदि नामों से भी जाना जाता है। इस रोग से पीड़ित रोगी की त्वचा पर सफेद, गुलाबी, तांबे के रंग के समान अथवा लाल रंग के दाग (Spots) पड़ जाते हैं। शुरू शुरू में ये दाग छोटे-छोटे धब्बो के रूप में दिखाई पड़ते हैं और जब रोग बढ़ने लगता है तब वही धब्बे बड़े होकर आपस में मिल जाते हैं। इस तरह से ये दाग बड़े आकार के हो जाते हैं। जब रोग काफी बढ़ जाता है तब दाग इतना फ़ैल जाता है कि त्वचा का स्वाभाविक रंग भी चला जाता है। आखिर में दाग पर उगे हुए काले बाल भी सफेद हो जाते हैं। जहाँ तक इस रोग के इलाज का सम्बंध है, सफेद दाग के घरेलू उपचार और अन्य चिकित्सा पद्धति के उपचार दोनों ही काफी प्रभावी है |

 यह दाग शरीर के किसी भी अंग और किसी भी उम्र में स्त्री या पुरुष को हो सकता है। जहां पर भी दाग होता है, ज्यादातर उस जगह या उस अंग में किसी भी प्रकार का कोई दर्द या पानीन महसूस नहीं होती है। किसी-किसी रोगी को थोड़ी-बहुत खुजली की शिकायत होती है। जो कारण कुष्ट रोग की उत्पति के होते हैं, वही कारण सफेद दाग के भी हैं। (हालांकि आधुनिक चिकित्सक इस रोग को कुष्ठ नहीं मानते हैं और आयुर्वेद के भी किसी भी आचार्य ने इस रोग को कुष्ठ की श्रेणी में नही रखा है। हालांकि आयुर्वेदाचार्यों ने 18 तरह के कुष्ठ रोग बताए हैं, लेकिन इनमें सफेद दाग शामिल नहीं है।
कुछ खाने पीने की चीजे ऐसी होती है जो अकेले खाने से कोई नुकसान नहीं पहुंचाते हैं, लेकिन एक साथ खाने से आपस में मिलकर रिएक्शन या Food Poisoning का कारण बन जाते हैं और शरीर में अनेक प्रकार की बीमारियाँ पैदा करते हैं। जैसे-खट्टे पदार्थ, नमक या नमक से बने पदार्थ, मांस-मछली, शराब, बैंगन, मूली इन पदार्थों को खाकर दूध पीना, नमकीन और मीठा एक साथ खाना, ठंडे खाने को कई बार गर्म करके खाना ये सब विरुद्ध ‘आहार’ माने जाते है | इसके आलावा आजकल तेल, घी, दूध, आटा व मसालों आदि में मिलावट हो रही है यह मिलावटी भोजन पेट में जाकर बाद में आंतों में खराबी पैदा करता है, जिससे लीवर भी खराब हो जाता है। पेट खराब होने से पित्त (बाइल) भी खराब होने लगता है ,सफेद दाग होने का यह भी एक कारण हो सकता है। कभी-कभी यह रोग अंग्रेजी दवाइयों के Reaction से भी होता है। सफेद दाग के घरेलू उपचार और आयुर्वेदिक के लिए मुख्य रूप से बावची, बकुची, आंवला, नीम, चित्रक और चंदन आदि हर्ब्स का प्रयोग किया जाता है |सफेद दाग (lukoskin) के घरेलू उपचार सिर्फ दवाइयों के भरोसे ठीक नहीं किया जा सकता है। इसके साथ खाने पीने और व्यायाम का पालन भी बहुत जरुरी होता है। 
कृपया नोट करें ये सभी उपाय एक साथ नही करने है , एक समय में इनमे से किसी एक उपाय को ही अजमाए

 सफेद दाग के उपचार

शहद या मीठे तेल में नौसादर मिलाकर लगाने से सफेद दागो से जल्द ही छुटकारा मिलता है |
सिरस के बीजों का तेल बनाकर लगाने से सफेद दाग ठीक हो जाते है।
बावची सफेद दाग को ठीक करने की सबसे अच्छी औषधि होती है और बावची का तेल भी सफेद दाग के इलाज के लिए अच्छा विकल्प होता है |
बावची, सफेद मूसली और चित्रक तीनों बराबर मात्रा में लेकर पीसकर बारीक पाउडर बनाकर, 3 ग्राम पाउडर सुबह-शाम शहद में मिलाकर लेने से सफेद दाग धीरे-धीरे ठीक हो जाता है।
नीम से सफेद दाग के घरेलू उपचार के लिए नीम के ताजे कोमल 5 पत्ते , हरा आंवला 10 ग्राम दोनों को पीसकर 50 ग्राम पानी में मिलाकर, छानकर पीने से सफेद दाग में बहुत लाभ होता है।
आंवले से सफेद दाग के घरेलू उपचार के लिए कत्था और आंवले का पाउडर (12-12 ग्राम) का 250 मि.ली. पानी में उबालकर काढ़ा बनाएं। जब 30 मि.ली. पानी बचे तो इसे छानकर इसमें 12 ग्राम बावची पाउडर मिलाकर (ऐसी 1-1 मात्रा) सुबह शाम पीनी चाहिए |
सफेद दाग के घरेलू उपचार के लिए लाल चंदन 10 ग्राम, अनारदाना 10 ग्राम दोनों को पीसकर सहदेवी के रस में घोंटकर गोलियां बना लें और सुखा कर रख लें | इन गोलियों को पानी में घिसकर लेप करने से सफेद दाग दूर होते है।
मूली के 10 ग्राम बीजों को 20 ग्राम खट्टे दही में डालकर रखें। 4 घंटे बाद बीजों को पीसकर लेप करने से सफेद दाग के धब्बे ठीक हो जाते हैं। यह भी
चालमोगरा, बावची और चंदन का तेल तीनों की 20-20 ग्राम लेकर एक शीशी में मिलाकर रखें, फिर इस तेल को दिन में तीन बार लगाने से लाभ होता है। यह भी सफेद दाग का अचूक इलाज होता है |
सफेद दाग के घरेलू उपचार के लिए बावची और शुद्ध गंधक को बराबर मात्रा में लेकर पीसकर पाउडर बनाकर रोजाना सुबह 10 ग्राम पाउडर 50 मिली पानी में डालकर रखें और शाम को थोड़ा-सा मसलकर, छानकर रोगी को पिलाएं।
बावची से सफेद दाग के घरेलू उपचार के लिए बावची का 3 ग्राम पाउडर और तिल 3 ग्राम पीसकर प्रतिदिन सुबह-शाम सेवन करने से सफेद दागमें लाभ होता है। रोगी को कई महीने सेवन करना चाहिए।
नारियल के 10 ग्राम तेल में 1 ग्राम नौसादर डालकर अच्छी तरह मिलाकर कर लेप बना लें। सोते समय इस लेप को सफेद दागों पर लगाएं।
बेल के कोमल पत्तों को बाकुची के कोमल पत्तों के साथ जल में उबालकर नहाने से श्वेत कुष्ठ की बीमारी से बचाव होता है।
बेल की गिरी (गूदे) को सुखाकर चूर्ण बनाएं। फिर उस चूर्ण में बाकुची का चूर्ण बराबर-बराबर मात्रा में मिलाकर रखें। सुबह-शाम 5-5 ग्राम चूर्ण जल के साथ सेवन करने से धीरे-धीरे सफेद दाग का निवारण होता है।
ज्योतिष्मती (मालकंगनी) और बावची का तेल 20-20 मि.ली लीटर शीशी में भर लें। इस मिश्रण को दिन में 3-4 बार सफेद दागों पर लगाने से सफेद दागके दाग नष्ट होने लगते हैं। सफेद दाग के घरेलू उपचार के लिए यह तेल भी रामबाण इलाज का काम करता है |
सुबह के समय अंजीर 2-3 भाग पानी में भिगो दें और रात्रि में सोते समय उन्हें खूब चबाकर प्रतिदिन सेवन करना इस रोग में बहुत ही लाभकर है।
सफेद दाग का आयुर्वेदिक उपचार :सफेद दाग के घरेलू उपचार में बाकुची का भी बहुत महत्त्व हैं इसके लिए आप बाकुची के साफ़ अच्छे बीजों को लगभग 450 ग्राम लेकर पाउडर बना लें। उसके बाद उस पाउडर के समान मात्रा में जैतून का तेल (ओलिव ऑयल) मिलाकर रात-भर रखा रहने दें और दूसरे दिन Tincture Press मशीन से तेल निकलवा लें। इस विधि से निकाला गया तेल सफेद दाग के इलाज के लिए बहुत ही उपयोगी माना गया है। इस तेल को लगाने से त्वचा में रंजक द्रव्य बनकर फैल जाता है। लेकिन यह तेल लगाकर रोगी को धूप नही जाना चाहिए क्योंकि कई बार इससे त्वचा पर दाने पड़ जाते हैं, लेकिन इसमें घबराने की कोई बात नहीं है। दाने पड़ जाने पर बाकुची का प्रयोग बंद करके इन दानो पर गाय का मक्खन और कपूर मिलाकर लगाना चाहिए।
अलसी से सफेद दाग के घरेलू उपचार के लिए हल्दी, आक, बाकुची, अलसी इन सबको समान मात्रा में लेकर पानी या सिरके के साथ बारीक पीसकर लेप करने से सफेद दागों में बहुत लाभ होता है |
बाकुची पाउडर, चित्रक मूलत्वक पाउडर, चकवड़ के बीज, नीला थोथा, कड़वा कूठ, आमलासार गंधक और पीली सरसों इन सबको एक समान मात्रा में लेकर पीसकर टिकिया बनाकर सुखा लें। इस टिकिया को थोड़े से पानी में पेस्ट बनाकर सफेद दागों पर लेप करें। लेकिन यह याद रखे की कोई भी लेप त्वचा पर 3 घंटे से अधिक न लगा रहे।
अपामार्ग भस्म और मेनसिल (प्रत्येक 12-12 ग्राम) मिलाकर पानी के साथ पीसकर दागों पर दिन में 2 बार लेप करें।
चित्रक और बावची से सफेद दाग के घरेलू उपचार के लिए चित्रक की जड़ की ताजी छाल की छाया में सुखाकर 10 ग्राम मात्रा में और बावची 100 ग्राम पीसकर पाउडर बना लें। प्रतिदिन सुबह-शाम 2 ग्राम पानी के साथ सेवन करने पर सफेद दागमें लाभ होता है। यह पोस्ट जरुर पढ़ें सफेद दाग होने के कारण, लक्षण और बचाव के उपाय |

बवासीर कैसे ठीक करें? Bawasir kaise theek karen




Bawasir ka ilaaj: बवासीर बीमारी के बारे में आप सब परिचित होंगे. यह एक बहुत ही कष्ट-पीड़ा वाला गंभीर बीमारी है. जिसको बवासीर की बीमारी हो जाती है वो बहुत ही परेशान हो जाता है. उठने बैठने और टहलने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. आज इस पोस्ट में बवासीर के लक्षण और बवासीर का इलाज ( Bawasir ka ilaaj ) के बारे में जानेंगे. इसके साथ ही बवासीर के कारण और इससे बचाव भी जानेंगे.
बवासीर क्या है
बवासीर एक बीमारी है जो लोगों के मल द्वार के रास्ते में मांसपेशियों के बढ़ने के कारण होता है. ये बढ़े हुए मांसपेशियां मल द्वार के रक्त वाहिकाओं और उत्तकों से जुड़े रहते हैं जिसके कारण इस बीमारी में पीड़ित व्यक्ति को मल द्वार से खून भी निकलता है और दर्द भी होता है. बहुत से लोगों को बवासीर होता है, लेकिन लक्षण हमेशा स्पष्ट नहीं होते हैं. बवासीर गुदा क्षेत्र यानी मल द्वार में ऊतक में सूजन है. इनके कई आकार हो सकते हैं, और ये गुदा के आंतरिक या बाहरी हो सकते हैं. आंतरिक बवासीर आम तौर पर गुदा के ऊपर 2 और 4 सेंटीमीटर (सेमी) के बीच स्थित होते हैं, और वे अधिक सामान्य प्रकार के होते हैं. जबकि बाहरी बवासीर गुदा के बाहरी किनारे पर होती है.

बवासीर के लक्षण

Symptoms of Piles: आपको बता दें कि ज्यादातर मामलों में, बवासीर के लक्षण गंभीर नहीं होते हैं. बवासीर से पीड़ित व्यक्ति निम्नलिखित लक्षणों का अनुभव कर सकता है…गुदा के आसपास एक कठोर दर्दनाक गांठ महसूस की जा सकती है. इसमें जमा हुआ रक्त हो सकता है. बवासीर जिसमें रक्त होता है, उसे थ्रोम्बोस्ड बाहरी बवासीर कहा जाता है.
मॉल त्यागने के बाद, बवासीर वाले व्यक्ति को अनुभव हो सकता है कि आंत्र अभी भी भरा हुआ है.
मल त्याग के बाद चमकदार लाल रक्त दिखाई देता है.
गुदा के आसपास का क्षेत्र खुजली, लाल और गिला होता है.
मल त्यागने के दौरान दर्द महसूस होता है.

बवासीर होने के कारण

Cause of Piles: बवासीर बीमारी होने के कई कारण है. दिन भर कठोर कुर्सी या बिस्तर पर बैठने या ज्यादा प्रेशर के साथ मॉल त्याग से बवासीर होता है. बवासीर के कारण ( Bawasir ke karan ) ये भी है कि जब निचले मलाशय में बढ़ते दबाव बढ़ता है तो पाइल्स होता है. गुदा के आसपास और मलाशय में रक्त वाहिकाएं दबाव में खिंचाव करेंगी और बवासीर का कारण बन सकती हैं. इसकी वजह यह हो सकती है…पुराना कब्ज
पुरानी डायरिया
भारी वजन उठाना
लम्बी देर तक कठोर वस्तुओं या बिस्तर पर बैठना
गर्भावस्था
मल त्याग करते समय तनाव
उम्र के साथ बवासीर बढ़ जाती है.

बवासीर का इलाज

आपको बता दें कि ज्यादातर मामलों में बवासीर का इलाज ( Bawasir Ka ilaaj ) की आवश्यकता नहीं होती. ये अपने आप ठीक हो सकती है. लेकिन बवासीर का घरेलु उपचार ( Bawasir ka gharelu upay ) अपना कर इसे कम किया जा सकता है. हालांकि, बवासीर के उपचार ( Bawasir ke Upchar ) से दर्द-पीड़ा और खुजली को कम करने में मदद कर सकते हैं. बवासीर को ख़त्म करने में निम्नलिखित उपचार अपना सकते हैं…

जीवन शैली में परिवर्तन:



उच्च फाइबर आहार खाने से स्थिति को रोकने और इलाज करने में मदद मिल सकती है. एक डॉक्टर शुरू में बवासीर के इलाज ( Bawasir ke ilaaj ) जीवन शैली में बदलाव की करने की हिदायत देती है.
आहार: मल त्याग के दौरान तनाव के कारण पाइल्स हो सकता है. अत्यधिक तनाव कब्ज का परिणाम है. आहार में बदलाव मल को नियमित और नरम रखने में मदद कर सकता है. इसमें अधिक फाइबर खाना शामिल है, जैसे कि फल और सब्जियां, या मुख्य रूप से चोकर आधारित नाश्ता अनाज. ज्यादा से ज्यादा पानी पीना और कैफीन से बचना बवासीर के इलाज में सहायक है.

शरीर का वजन:

अगर आपका वजन बढ़ गया है तो वजन कम करने से बवासीर की घटनाओं और गंभीरता को कम करने में मदद मिल सकती है. बवासीर को रोकने के लिए, डॉक्टर मल को पास करने के लिए व्यायाम करने और तनाव से बचने की सलाह भी देते हैं। बवासीर के लिए व्यायाम मुख्य उपचारों में से एक है।
जुलाब: यदि बवासीर से पीड़ित व्यक्ति कब्ज से पीड़ित हो तो डॉक्टर जुलाब लिख सकता है. ये व्यक्ति को अधिक आसानी से मल पास करने में मदद कर सकते हैं और निचले कोलन पर दबाव कम कर सकते हैं.

बवासीर के प्रकार

Types of Pilesग्रेड I: इस तरह की बवासीर छोटे सूजन होते हैं, आमतौर पर गुदा के अस्तर के अंदर होते हैं जो दिखाई नहीं देते हैं.
ग्रेड II: यह ग्रेड I बवासीर से बड़े होते हैं, लेकिन गुदा के अंदर भी रहते हैं. मल के गुजरने के दौरान उन्हें धक्का लग सकता है, लेकिन वे बिना रुके वापस लौट आएंगे.
ग्रेड III: इन्हें प्रोलैप्सड बवासीर के रूप में भी जाना जाता है, और गुदा के बाहर दिखाई देता है. व्यक्ति उन्हें मलाशय से लटका हुआ महसूस कर सकता है, लेकिन उन्हें आसानी से डाला जा सकता है.
ग्रेड IV: बवासीर की यह सबसे गंभीर अवस्था होती है. इन्हें वापस नहीं धकेला जा सकता है और उपचार की आवश्यकता होती है. ये बड़े होते हैं और गुदा के बाहर रहते हैं.

बवासीर के उपचार

खुनी बवासीर होने पर दही या लस्सी के साथ कच्चा प्याज खाने से फायदा मिलता है।
कैसी भी बवासीर हो कच्ची मूली खाने या उसका रस पीना चाहिए। एक बार में मूली का रस 25 से 50 ग्राम तक ही ले।
आम और जामुन की गुठली के अंदर वाले हिस्से को सुख कर पीस लें और इसका चूर्ण बना ले। रोजाना 1 चम्मच चूर्ण पानी या लस्सी के साथ लेने से खुनी बवासीर में आराम मिलता है।
शरीर में कब्ज़ रहती हो और पेट ठीक से साफ़ न होता हो तो इसबगोल की भूसी का प्रयोग करे।
50 से 60 ग्राम बड़ी इलायची तवे पर भून ले और ठंडी होने के बाद इसे पीस कर चूर्ण बना ले। रोजाना सुबह खाली पेट इस चूर्ण को पानी के साथ लेने से पाइल्स ठीक होती है।
100 ग्राम किशमिश रात को सोने से पहले पानी में भिगो कर रखे और सुबह उस पानी में किशमिश को मसल कर इस पानी का सेवन करें। कुछ दिन निरंतर इस उपाय को करने से बवासीर ठीक होने लगती है।
10 से 12 ग्राम धुले हुए काले तिल ताजा मक्खन के साथ खाने से खूनी बवासीर में खून का आना बंद होता है। एक चौथाई चम्मच दालचीनी 1 चम्मच शहद में मिला कर खाने से भी पाइल्स में राहत मिलती है।
अगर आप को बवासीर बार बार होती है तो दोपहर के खाने के बाद लस्सी (छाछ) का सेवन करे। लस्सी में थोड़ा सा सेंधा नमक और अजवाइन मिला कर पिये।

बवासीर की अचूक दवा- हल्दी

हल्दी एक आयुर्वेदिक औषधि है जिसका इस्तेमाल रसोई घर में मसालों के रूप में किया जाता है. हल्दी में कईं तरह के एंटीसेप्टिक गुण मौजूद होते हैं जो जख्मों को ठीक करते हैं. ऐसे में यदि आप बवासीर से पीड़ित हैं तो हल्दी आपके लिए रामबाण साबित हो सकती है. इसके लिए आप एक चम्मच देसी घी में आधा चम्मच हल्दी मिला लें और मस्सों पर मलहम की तरह लगा लें. आप इसमें घी की जगह एलोवेरा जेल का इस्तेमाल भी कर सकते हैं. हल्दी से बवासीर के मस्से की दवा के रूप मैं भी इस्तेमाल की जाती है

बवासीर की अचूक दवा- केला

केले में कईं तरह के पौषक तत्व मौजूद होते हैं जो कब्ज़ और बवासीर के लिए उपयोगी साबित होते हैं. इसके लिए आप एक पका हुआ केला लें और उसको बीच से काट लें. अब इस पर थोड़ी मात्रा में कत्था छिडकें अर रात भर इसे खुले आसमान के नीचे पड़ा रहने दें. अगली सुबह इस केले को खाने के 5 से 7 दिन तक आपको बवासीर से राहत मिलेगी.

बवासीर के मस्सों का रामबाण इलाज

80 ग्राम अरंडी के तेल को गरम कर ले फिर इसमें 10 ग्राम कपूर मिला कर रखे। मस्सों को साफ़ पानी से धो कर इसे किसी कपड़े से पोंछ ले और अरंडी के इस तेल से मस्सों पर हलके हाथों से मालिश करे। इस देसी नुस्खे को दिन में 2 बार करने से मस्सों की सूजन, दर्द, खारिश और जलन में आराम मिलता है।
थोड़ी सी हल्दी को सेहुंड के दूध में मिलाकर इसकी 1 बूंद मस्से पर लगाने से मस्सा ठीक हो जाता है। .
सहजन के पत्ते और आक के पत्तों का लेप लगाने से भी मस्सों से जल्दी छुटकारा मिलता है।
कड़वी तोरई के रस में हल्दी और नीम का तेल मिला कर एक लेप बना ले और मस्सों पर लगाये। इस उपाय के निरंतर प्रयोग से हर तरह के मस्से ख़तम हो जाते है।
खूनी और बादी बवासीर का आयुर्वेदिक उपायअंजीर का सेवन पाइल्स के इलाज में बेहद लाभकारी है। रात को सोने से पहले 2 सूखे अंजीर पानी में भिगो कर रखे और सुबह खाएं और 2 अंजीर सुबह भिगो कर रख दे जिसे आप शाम को खाये। अंजीर खाने के आधे से पौना घंटा पहले और बाद में कुछ खाये पिये नहीं। 10 से 12 दिन लगातार इस नुस्खे को करने से खुनी और बादी हर तरीके की बवासीर से राहत मिलती है।

बवासीर की अचूक दवा- लहसुन

लहसुन पेट के लिए बहुत लाभकारी माना जाता है. यह भोजन पचाने में सहायक है और पेट के रोगों से राहत दिलाता है. इसके इलावा यदि आपको पाइल्स की समस्या है तो आप रात में सोने से पहले लहसुन की एक कली को चील कर गुदा के रास्ते से अंदर डाले. हालाँकि यह उपाय शुरू में आपको थोडा दर्द दे सकता है लेकिन इससे आपको जल्दी ही राहत मिलेगी.

बवासीर की अचूक दवा- छाछ

मस्सों वाली बवासीर की अचूक दवा के रूप में छाछ के सेवन का विशेष महत्व है. दरअसल, छाछ की तासीर ठंडी होती है इसलिए इसके सेवन से बवासीर के मस्से जल्दी ठीक होने लगते हैं. इसके सेवन के लिए आप दो लीटर छाछ में 50 ग्राम पिसा हुआ जीरा व नमक मिला कर रख दें और जब भी प्यास लगे तो पानी की जगह इसे पी लें. लगातार एक हफ्ते तक इसके सेवन से आपके मस्से ठीक हो जाएंगे और बवासीर से आपको हमेशा के लिए छुटकारा मिल जाएगा.

बवासीर की अचूक दवा- त्रिफला चूर्ण

आयुर्वेद ग्रंथ में त्रिफला चूर्ण को रामबाण औषधि माना गया है. त्रिफला चूर्ण कईं रोगों में असरदायक माना गया है. वहीँ बवासीर की अचूक दवा के रूप में त्रिफला चूर्ण का इस्तेमाल सदियों से किया जा रहा है. इसके लिए आप रात में सोने से पहले एक चम्मच त्रिफला चूर्ण का सेवन करें. इससे आपको बहुत जल्द बवासीर के दर्द व मस्सों से राहत मिलेगी. त्रिफला चूर्ण बवासीर के मस्से की दवा के रूप मैं इस्तेमाल किया जाता है.

बवासीर में क्या खाये

करेले का रस, लस्सी, पानी।
दलिया, दही चावल, मूंग दाल की खिचड़ी, देशी घी।
खाना खाने के बाद अमरूद खाना भी फायदेमंद है।
फलों में केला, कच्चा नारियल, आंवला, अंजीर, अनार, पपीता खाये।
सब्जियों में पालक, गाजर, चुकंदर, टमाटर, तोरई, जिमीकंद, मूली खाये।

बवासीर में परहेज क्या करे


बवासीर का उपचार में जितना जरूरी ये जानना है की क्या खाये उससे जादा जरुरी इस बात की जानकारी होना है कि क्या नहीं खाये।तेज मिर्च मसालेदार चटपटे खाने से परहेज करें।
मांस मछली, उड़द की दाल, बासी खाना, खटाई न खाएं।
डिब्बा बंद भोजन, आलू, बैंगन।
शराब, तम्बाकू।
जादा चाय और कॉफ़ी के सेवन से भी बचे।

बवासीर से बचने के उपाय

दोस्तों बहुत से लोग इस बीमारी से प्रभावित है पर हम कुछ बातों का ध्यान रख कर इससे बच सकते है।खाने पीने की बुरी आदतों से परहेज करे जैसे धूम्रपान और शराब।
खाने में मसालेदार और तेज मिर्च वाली चीजें न खाये।
पेट से जुड़ी बीमारियों से बचे।
कब्ज़ की समस्या बवासीर का प्रमुख कारण है इसलिए शरीर में कब्ज़ न होने दे।
गर्मियों के मौसम में दोपहर को पानी की टंकी का पानी गर्म हो जाता है, उसे पानी से गुदा को धोने से बचें।
चिकित्सा परामर्श-


बवासीर में मलाशय और गुदा की नसों में सूजन आ जाती है, जिसकी वजह से असुविधा होता है और खून भी बहता है।तकलीफ  खास तौर पर बैठते समय या मल त्याग के दौरान होती है|दूसरे लक्षणों में खुजली और खून बहना शामिल है।बवासीर रोग को जड़ से नष्ट करने मे हर्बल चिकित्सा सर्वोत्तम प्रभावकारी सिद्ध हुई है "दामोदर चिकित्सा एवं अनुसंधान केंद्र"  9826795656 निर्मित " दामोदर अर्श कल्याण" औषधि खूनी और बादी  दोनों तरह की बवासीर  मे आशातीत लाभकारी सिद्ध हुई है। 


18.4.23

अनिद्रा की समस्या से निजात पायें जड़ी बूटियों से :Anidra ki jadi butiyan




नींद न आना एक बीमारी है जिसे मेडिकल भाषा में अनिद्रा (Insomnia) कहा जाता है। नींद आपके सेहत के लिए बहुत जरूरी है, इसलिए जब आप डॉक्टर के पास जाते हैं इसके उपचार के लिए जाते हैं तो वह दवा देते हैं। नींद के दवा के कई साइड इफेक्ट्स होते हैं। इसलिए जहां तक हो सके नींद न आने की समस्या का आयुर्वेदिक उपाय ही करना चाहिए।

नींद न आने की गंभीर है लेकिन आज के समय में बहुत आम होते जा रही है। अनिद्रा अचानक से शुरू होने वाली समस्या नहीं होती है, यह आपके असमय सोने, खराब खान-पान, जरूरत से ज्यादा चिंता, गतिहीन दिनचर्या का परिणाम होती है।
नींद न आने या खराब नींद की घटनाओं के कारण कुछ सबसे गंभीर संभावित समस्याएं उच्च रक्तचाप (High BP), मधुमेह (Diabetes), दिल का दौरा (Heart Attack), हार्ट फेल या स्ट्रोक हो सकती है। इसके अलावा मोटापा, अवसाद, कमजोर इम्यूनिटी और कम सेक्स ड्राइव का जोखिम भी होता है। ऐसे में नींद न आने की समस्या का वक्त पर उपचार करना जरूरी होता है।
अनिद्रा को ठीक करने के लिए आयुर्वेद में आसन और असरदार जड़ी-बूटियों को बताया गया है जिसके सेवन से कुछ ही दिन में बेड पर जाते ही झट से नींद आ जाएगी। चलिए जानते हैं क्या है नींद की आयुर्वेदिक दवाएं।

अनिद्रा की आयुर्वेदिक दवा

नींद की जरूरत व्यक्ति को उम्र के अनुसार अलग-अलग होती है। ऐसे में सबसे ज्यादा नवजात को 1 साल तक 12-16 घंटे नींद की जरूरत होती है। इसके अलावा 1-2 साल के बच्चे को 11-14 घंटे नींद, 3-5 साल के बच्चे को 10-13 घंटे नींद, 6-12 साले के बच्चे को 9-12 घंटे नींद, 13-18 साल के बच्चे को 8-10 घंटे नींद, और 18 से ज्यादा उम्र के वयस्क को 7-8 घंटे की नींद की आवश्यकता होती है।

अनिद्रा में फायदेमंद है शंखपुष्पी

शंखपुष्पी अपने वात संतुलन और मेध्य गुणों के कारण मन को शांत करने का काम करता है। साथ ही इसमें अनिद्रा को ठीक करने की भी क्षमता होती है।

​नींद न आने पर करें ब्राह्मी का सेवन

ब्राह्मी को बकोपा के नाम से भी जाना जाता है। यह रात की अच्छी नींद लाने के लिए बेहतरीन जड़ी बूटी है। यह न केवल आरामदायक नींद को बढ़ावा देता है बल्कि दिमाग को शांत करने में मदद करता है और आपकी एकाग्रता, सतर्कता को बेहतर बनाने का भी काम करता है। आयुर्वेद में ब्राह्मी को ब्रेन टॉनिक माना गया है।
​अनिद्रा की आयुर्वेदिक दवाई है जटामांसी
कई अध्ययनों से पता चला है कि जटामांसी अनिद्रा के इलाज में कारगर है। यह जड़ी बूटी मन और शरीर को शांत करने का काम करती है। जिससे आपकी नींद की गुणवत्ता में सुधार होता है। जटामांसी का उपयोग अवसाद के लक्षणों को कम करने के लिए भी किया जाता है।

आपको अच्छी नींद लाने में मददगार यहां कुछ प्राकृतिक सुझाव दिए गए हैं।

▪रात को सोने से पहले गर्म दूध पीना नींद आने का आसान उपाय है। बादाम का दूध कैल्शियम का एक उत्कृष्ट स्रोत है, जिससे मस्तिष्क को मेलाटोनिन (वह हार्मोन जो निद्रावस्था /जागृतवस्था चक्र को नियंत्रित करने में मदद करता है) के निर्माण में मदद मिलती है।
▪कोल्ड प्रेस्सेड कार्बनिक तिल के तेल को अपने पैरों के तलवों पर लगा कर रगड़े , इससे पहले कि आप आराम से सुखपूर्वक चादर ओड़ कर आराम करने जाएं (सूती मोज़े पैरों पर चढ़ा लें, ताकि आपकी चादर पर तेल न लगे)।
▪3 ग्राम ताजा पोदीने के पत्ते या 1.5 ग्राम पोदीने के सूखे पाउडर को 1 कप पानी में 15-20 मिनट के लिए उबालें।
रात को सोते समय 1 चम्मच शहद के साथ गुनगुना लें।
▪एक कटे हुए केले पर 1 चम्मच जीरा छिड़कें। रात को नियमित रूप से खाएं।
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