25.2.21

दस जड़ी बूटियाँ से सेहत की समस्याओं के समाधान //Das jadi butiyon se sehat banayen

 आयुर्वेद में स्वास्थ्य संबंधी हर समस्या का इलाज मौजूद है, जो समस्या से राहत ही नहीं देता बल्कि समस्या को जड़ से समाप्त करता है। जानिए 10 ऐसी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां, जो आपको बिना किसी साइड इफेक्ट के स्वास्थ्य लाभ देंगी और सेहत समस्याओं से निजात दिलाएंगी - 


1 पुदीना - 
पुदीने की पत्तियां खून साफ करती हैं, सिरदर्द ठीक करती हैं, खराब गले को राहत पहुंचाती हैं, उल्टियों को रोकती हैं और दांतों की दिक्कतों से भी निजात दिलाती हैं। पुदीना ऐंटी-बैक्टीरियल भी होता है जो शरीर में बैक्टीरिया पैदा होने से रोकता है।

 2 हल्दी - हल्दी का इस्तेमाल हम लगभग सभी हिन्दुस्तानी सब्जियों या खाद्य पदार्थों में करते हैं। इसकी जड़ों और पत्तियों में औषधीय गुण होते हैं। इसमें सबसे अच्छे ऐंटी-बैक्टीरियल गुण हैं।इससे जोड़ों के दर्द, आर्थराइटिस, पाचन विकार, दिल और लिवर की बीमारियों से लड़ने की क्षमता है। यहां तक कि यह कैंसर सेलों को खत्म करती है और स्किन के लिए भी अच्छी होती है।
3- सफेद कमल - सफेद कमल की पत्तियां, फूल, बीज और जड़ों से हैजा, पेट की बीमारियों, कब्ज और आंखों के इन्फेक्शन का इलाज किया जाता है। सफेद कमल के बीजों को भी कामोत्तेजक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।

4- दालचीनी - 
भारतीय मसालों में दालचीनी अहम है। इसके सेवन से दर्द कम होता है और अकड़न दूर होती है। यह किडनी को डि‍टॉक्स करता है और सांस संबंधी दिक्कतें दूर कर ब्लड सर्कुलेशन बढ़ाता है।
5- कपूर -  इस पौधे के अनगिनत फायदे हैं। इसकी छाल से बैक्टीरिया और फंगस से निजात मिलती है, दर्द से आराम मिलता है, यह कामोत्तेजक का भी काम करता है और मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ाता है।कपूर के तेल से खांसी, दमा, हिचकी, लिवर की दिक्कतों और दांत के दर्द का इलाज किया जाता है। इसे मांसपेशियों या नसों का दर्द ठीक करने और डिप्रेशन का इलाज करने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है।

6- गुलाब - 
गुलाब की पत्तियां खाने से दिल की सेहत बनती है, सूजन घटती है, ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है और ब्लड प्रेशर कम होता है। गुलाब की पत्तियों से भी स्ट्रेस, मासिक पीड़ा, अपच और अनिद्रा से निजात मिलती है।
7- मेहंदी की पत्तियां - मेहंदी की पत्तियां मूत्रवर्धक होती हैं। वे दर्द को कम करती हैं और शरीर को डीटॉक्स करती हैं। कब्ज के इलाज में भी इनका इस्तेमाल हो सकता है। छाले, अल्सर, चोट, बुखार, हैमरेज और मासिक दर्द से भी मेहंदी की पत्तियां छुटकारा दिलाती हैं।
 
8- सब्जा - सब्जा को फालूदा में कूलिंग एजेंट के तौर पर डाला जाता है। इसमें ओमेगा-3 फैटी एसिड पाया जाता है। इनके सेवन से इम्युनिटी बढ़ती है, ब्लड प्रेशर कम होता है और दिल की सेहत बनती है। इन्हें खाने से स्किन अच्छी होती है और सूजन घटती है।
9-लेमन ग्रास - यह आमतौर पर उत्तर भारत में उगाया जाता है। इसे चाय में डालकर पीने का चलन है। लेमन ग्रास शरीर, जोड़ों, सिर और मांसपेशियों के दर्द से निजात दिलाती है और स्ट्रेस से भी बचाती है।
10- इसबगोल - इसबगोल की भूसी कब्ज का अचूक इलाज है। यह एक तरह की घुट्टी है जो आंतों को रिलैक्स करती है। इसे पीसकर जोड़ों पर लगाने से जोड़ों के दर्द से भी आराम मिलता है।
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9.2.21

कड़ी पत्ते के फायदे //kadi patte ke upyog



कड़ी पत्ते सुगंधित और बहुमुखी छोटे पत्ते हैं, जो की एक साधारण से व्यंजन जैसे उपमा या पोहा को खाने के शौकीन लोगो के लिए अत्यंत स्वादिष्ट बना देते हैं। कड़ी / कढ़ी पत्ते अपने विशिष्ट स्वाद और रूप से भोजन में विशेष प्रभाव डालते हैं और भारतीय भोजन का एक प्रमुख हिस्सा हैं। कड़ी पत्तों का उपयोग चटनी और चूर्ण बनाने में भी किया जाता है। कड़ी पत्तों को मुख्यतः चावल, डोसा और इडली जैसे व्यंजनों में भी इस्तेमाल किया जाता है।

करी पत्ता (कड़ी पत्ता) का वैकल्पिक नाम
कड़ी पत्ते का वानस्पतिक नाम: Murraya Koenigii
कड़ी पत्ते का अंग्रेजी नाम: Curry Leaf
कड़ी पत्ते का संस्कृत नाम: कृष्णा निंबा
करी पत्ता (कड़ी पत्ता) के फायदे
पौष्टिक मूल्यों से भरपूर कड़ी पत्तों में औषधीय, निरोधक और सौंदर्य गुण भी हैं। यह रोगाणु को नष्ट करता है, बुखार और गर्मी से राहत प्रदान करता है, भूख में सुधार लाता है, मल को नरम करता है और पेट फूलने से राहत देता है। कच्चे और मुलायम कड़ी पत्ते पके हुए पत्तों की अपेछा अधिक मूल्यवान हैं। यह आंख और बालों के लिए लाभदायक हैंI इसके जड़ और तना का भी आयुर्वेदिक प्रयोग और उपचार में विशेष महत्व है।
पाचन विकार के लिए
स्वस्थ बाल
अन्य स्वास्थ्य लाभ|
पाचन विकार के लिए
कब्ज: सूखी कड़ी पत्तियों का चूर्ण बना लें। एक चम्मच चूर्ण में थोड़ा शहद मिलाकर दिन में दो बार सेवन करें।
अपच: सूखे कड़ी पत्ते, मेथी और काली मिर्च का चूर्ण बना लें, इसमें थोड़ा घी मिलाकर प्रतिदिन सेवन करें।
दस्त: कड़ी पत्तों का रस बना कर दिन में दो बार दो बार चम्मच रस का सेवन करें।
जी मचलना और उल्टी: एक मुट्ठी कड़ी पत्ते को चार कप पानी डालकर उबालें और इसे एक कप बना लें। इसे दिन में चार से छः बार पियें।
अम्लता-प्रेरित उल्टी: तने और टहनियों के चूर्ण को ठंडे पानी के साथ मिला कर उपयोग करें।
स्वस्थ बाल
रूसी: नींबू के छिल्कों, कड़ी पत्ते, मेथी और रीठा के चूर्ण का मिश्रण बनायें। बालों को धोने के लिए साबुन या शैम्पू के स्थान पर इस मिश्रण का उपयोग करें।
स्वस्थ बाल: नारियल के तेल में कड़ी पत्तों को गहरे भूरे होने तक उबाल लें। पत्तियों को इससे बाहर निकाल लें और प्रतिदिन सर में इस तेल का प्रयोग करें।
बालों का पकना: कच्चे पत्तों का चबाकर सेवन करने से बालों का झड़ना कम होता है। कड़ी पत्ते डालकर उबाला हुआ तेल बालों के असमय पकने को रोकता है।
अन्य स्वास्थ्य लाभ
जलने पर: जले हुए जगह पर कड़ी पत्तों का पेस्ट बना कर लगायें।
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7.2.21

अशोकारिष्ट के फायदे:Ashokarisht ke laabh




अशोकारिष्ट (जिसे विथानिया सोम्निफेरा के नाम से भी जाना जाता है) एक आयुर्वेदिक दवा है जिसका उपयोग व्यापक रूप से कई स्त्री रोगों और मासिक धर्म की समस्याओं के इलाज के लिए किया जाता है। इसमें लगभग 5% से 10% अल्कोहल होती है जो इसका एक्टिव कंपाउंड है। अशोकारिष्ट मुख्य रूप से ओवेरी के रोगों और गर्भाशय के विकारों में फायदा करता है। यह अशोक, मुस्ता, विभिताकी, जीरका, वासा, धाताकी आदि औषधीय चीज़ों से बना है जो मासिक धर्म के समय के दर्द को कम करने में मदद करते हैं।

अशोकारिष्ट के स्वास्थ्य लाभ
यह महिला प्रजनन प्रणाली पर केंद्रित है। अशोकारिष्ट ओवरी के रोगों और गर्भाशय के विकारों में फायदा करता है। यह शरीर में हार्मोन के स्तर को संतुलित करता है| इसके कई अन्य लाभ हैं:
श्रोणि की सूजन की बीमारियां
अशोकारिष्ट श्रोणि की सूजन संबंधी बीमारियों का प्रबंधन करने में मदद करता है। इसमें मौजूद जड़ी-बूटियां एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रभाव पैदा करती हैं जो गर्भाशय, अंडाशय और अन्य प्रजनन अंगों को नुकसान से बचाने में मदद करती है।
मेनोरेजिया, मेट्रोरेजिया और मेनोमेट्रोरेजिया में एड्स
मेनोरेजिया असामान्य रूप से भारी या लंबे समय तक मासिक धर्म को संदर्भित करता है।
मेट्रोरेजिया लंबे समय तक और गर्भाशय के अत्यधिक रक्तस्राव को संदर्भित करता है जो मासिक धर्म से शुरू नहीं होता। यह आम तौर पर अन्य गर्भाशय रोगों का सूचक है।
मेनोमेट्रोरेजिया, मेनोरेजिया और मेट्रोरेजिया का मेल है। इस मामले में, मासिक धर्म की परवाह किए बिना भारी रक्तस्राव होता है।
दर्दनाक पीरियड्स में मदद करता है
जब अन्य जड़ी बूटियों के साथ मिलाया जाता है तो यह गर्भाशय के कामों में सुधार करता है और गर्भाशय को ताकत देने वाले संकुचन को नियंत्रित करता है। यह प्रीमेंस्ट्रुअल सिरदर्द, कमर दर्द और मतली को भी कम करता है। इसलिए यह दर्दनाक पीरियड्स के दौरान अशोकारिष्ट लाभ करता है।
पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम
इस मामले में अशोकारिष्ट का उपयोग बहुत अलग है, इसलिए इसका उपयोग सावधानी से किया जाना चाहिए।
ऑस्टियोपोरोसिस
मेनोपाज के दौरान अशोकारिष्ट लाभ करता है। यह हड्डियों के खनिज के नुकसान को रोकने में मदद करता है जो मेनोपाज के दौरान शुरू होता है।
स्वास्थ्य में सुधार करे
अशोकारिष्ट स्वास्थ्य की स्थिति को सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके अवयवों में आवश्यक तत्व होते हैं जैसे अजाजी, गुड्डा, चंदना, अमरस्थी आदि आपको सकारात्मक स्वास्थ्य प्राप्त करने में मदद करते हैं।
फोस्टर स्टैमिना और थकान को खत्म करता है
इसके 100% आयुर्वेदिक फार्मूला की अच्छाई महिलाओं में सहनशक्ति के स्तर को उत्तेजित करती है।
पाचन तंत्र को बेहतर बनाता है
अशोकारिष्ट पाचन तंत्र को बढ़ाने में सहायक है। यह मेटाबोलिज्म में सुधार करता है और भूख की कमी से लड़ने में योगदान देता है।
अशोकारिष्ट के उपयोग
अशोकारिष्ट स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का समाधान है। सबसे अच्छे ज्ञात उपयोगों में से कुछ नीचे बताये गये हैं:
स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं का इलाज: अशोकारिष्ट मासिक धर्म के दर्द, भारी पीरियड्स, बुखार, रक्तस्राव, अपच जैसी कुछ स्वास्थ्य संबंधी बीमारियों को ठीक करने में सहायक है।
पेट दर्द से राहत दिलाये: यह महिलाओं के लिए परेशान दिनों में दर्द को दूर करने के लिए एक बेहतरीन स्रोत के रूप में काम करता है।
महिलाओं के अनुकूल जड़ी-बूटी: अशोकारिष्ट को महिलाओं के अनुकूल जड़ी-बूटी से बनाया जाता है जिसे कई स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं के लिए प्रयोग किया जाता है।
मल त्याग में सुधार: अशोकारिष्ट फाइबर के एक महान स्रोत के रूप में काम करता है जो बदले में मल त्याग को आसान बनाता है।
इम्युनिटी को बढ़ाता है: यह प्रतिरक्षा में सुधार करता है और मलेरिया, गठिया के दर्द, बैक्टीरियल इन्फेक्शन, मधुमेह, दस्त जैसी बीमारियों को रोकने के लिए उपयोगी है।
अल्सर से बचाव: अशोकारिष्ट प्रकृति में एंटी-इंफ्लेमेटरी है जो अल्सर की घटना के खतरे को कम करने में मदद करता है।
क्या अशोकारिष्ट का सेवन भोजन से पहले या बाद में किया जा सकता है?
अशोकारिष्ट  का सेवन हमेशा भोजन के बाद करना चाहिए। खाली पेट इसका सेवन करना प्रभावी नहीं है।
क्या अशोकारिष्ट का सेवन खाली पेट किया जा सकता है?
आयुर्वेदिक डॉक्टर बताते हैं कि अशोकारिष्ट का सेवन भोजन के बाद करना चाहिए। इसे खाली पेट लेने से फायदा नहीं होता।
विशिष्ट परामर्श -
    
श्री दामोदर 9826795656 विनिर्मित " दामोदर नारी कल्याण " हर्बल औषधि स्त्रियों के सभी रोगों खासकर गर्भाशय संबन्धित रोगों मे परम उपकारी साबित हुई है | ल्यूकोरिया,पीरियड्स संबन्धित अनियमितताएँ,बांझपन ,रक्ताल्पता आदि लक्षणों मे व्यवहार करने योग्य रामबाण औषधि है|नारी के लिए  ऊर्जावान यौवन  प्राप्ति मे सहायक | 




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3.2.21

मेदोहर गुग्गुल वटी के फायदे:medohar guggul vati




मेदोहर गुग्गुल अथवा मेदोहर वटी एक आयुर्वेदिक औषधि है जिसका मुख्य कार्य पेट की चर्बी को कम करना तथा पाचन संस्थान की अनेक प्रकार की समस्याओं को दूर करना होता है । आइए इस औषधि के बारे में विस्तार से बात करते हैं ।

उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
दवाई का प्रकार: आयुर्वेदिक हर्बल दवा
मुख्य उपयोग: मोटापा कम करना Weight Loss
मुख्य गुण: मेदोहर, कृमिघ्न, विरेचक
मेदोहर गूगल  में ऐसे औषधीय गुण पाए जाते हैं जो मोटापे को कम करते हैं । मेदोहर गूगल का मुख्य औषधीय घटक त्रिफला एवं गूगल है । यह दोनों दवाएं मोटापे एवं सूजन को कम करने के लिए सुप्रसिद्ध हैं । इस दवा का नियमित सेवन करने मात्र से ही मोटापा काफी हद तक कम हो जाता है । यदि आप केवल त्रिफला ही सुबह खाली पेट प्रयोग करेंगे तो शरीर में एक्स्ट्रा फैट कम होगी तथा मोटापा भी कम हो जाता है ।
आजकल ज्यादातर लोगों का रहन सहन और खानपान इस प्रकार का हो गया है कि वह अपने भोजन में कैलोरी की मात्रा तो अधिक लेते हैं, लेकिन उस हिसाब से उसे खर्च बहुत कम करते हैं अर्थात शारीरिक श्रम बहुत कर्म करते हैं । जिस कारण इस बिगड़ी हुई दिनचर्या के कारण उनके शरीर में अतिरिक्त चर्बी एवं कोलेस्ट्रोल की मात्रा बहुत ज्यादा हो जाती है, और इस अवस्था को ही मोटापा कहा जाता है ।
यदि आप चाहते हैं कि आप मोटापे का शिकार ना हो तो आपको सबसे पहले अपनी दिनचर्या को ही ठीक करना होगा । इसके लिए अपना खानपान संतुलित रखें तथा उसी हिसाब से योग और व्यायाम भी अवश्य करें ताकि आप बिल्कुल फिट रहे । लेकिन यदि आपने इन बातों का ध्यान नहीं रखा है और आप मोटापे का शिकार हो चुके हैं तो भी घबराने की जरूरत नहीं है । क्योंकि आयुर्वेद ने हमें मेदोहर गूगल के रूप में एक आयुर्वेदिक औषधि दी हैं जो मोटापे को दूर करने के लिए रामबाण सिद्ध होती है ।
यदि आप सही समय पर मोटापे का इलाज नहीं करेंगे तो यह मोटापा अपने साथ अनेकों बीमारियों जैसे डायबिटीज, उच्च रक्तचाप एवं हृदय की समस्याओं को भी लेकर आ जाएगा । इसलिए सही समय पर ही मोटापे का इलाज करके अपने आप को स्वस्थ कर लेना चाहिए । आइए जानते हैं मेदोहर गुग्गुल में कौन-कौन से औषधीय घटक प्रयोग किए जाते हैं ।
मेदोहर गूगल के औषधीय घटक 
गुग्गुल
त्रिकटु
अदरक
मरीच या मरीचा
पिपली
चित्रकमूल
त्रिफला
नागरमोथा
वायविडंग
गुग्गुल
अरंड का तेल
गुग्गुल एक ऐसी जड़ी बूटी है जो शरीर में मोटापे को कम करती हैं तथा शरीर में आई हुई किसी भी प्रकार की सूजन को कम करने में सहायक होती हैं । गूगल शरीर की वसा को कम करती है तथा कोलेस्ट्रोल को भी नियंत्रित रखती है ।
त्रिकटु अर्थात पिपली, काली मिर्च एवं सोंठ को बराबर बराबर मात्रा में मिलाकर बनाया गया मिश्रण । यह मिश्रण पाचन संस्थान एवं स्वास्थ संबंधी समस्याओं में फायदा करता है ।
अदरक जिसके सूखे हुए रूप को सोंठ कहा जाता है । यह ज्वरनाशक एवं ब्लड शुगर को नियंत्रित करता है । इसके अतिरिक्त अनेक प्रकार की समस्याओं में फायदा करता है ।
मरीच या मरीचा काली मिर्च का ही दूसरा नाम है, जिसे अंग्रेजी में ब्लैक पेपर भी कहा जाता है । इसकी तासीर गर्म होती है । यह पाचन संस्थान एवं श्वसन संस्थान पर सकारात्मक प्रभाव डालती है । इसके अतिरिक्त यह ज्वरनाशक एवं कृमि नाशक भी होती हैं ।
पिपली यह खांसी, गला बैठना, दम्मा तथा पाचन संस्थान में फायदा करती है । इसकी तासीर भी गर्म होती है ।
त्रिफला अर्थात हरड़, बहेड़ा, आंवले का मिश्रण पाचन संस्थान पर अपना सकारात्मक प्रभाव डालती है ।
चित्रकमूल वात नाशक एवं कफ नाशक होती है, साथ ही पाचन संस्थान पर अपना सकारात्मक प्रभाव भी डालती है ।
नागरमोथा यह दवा रक्तचाप को नियंत्रित रखती है, तंत्रिका तंत्र को संतुलित रखती है, तथा शरीर से सभी प्रकार की सूजन को दूर करती है ।
बायविडंग यह कृमि नाशक तथा कफ रोगों को दूर करने वाली होती है ।
इन सभी औषधियों से संयुक्त होने के कारण मेदोहर गूगल मोटापे के अतिरिक्त अन्य बीमारियों में भी फायदा करती हैं ।
मेदोहर गुग्गुल के फायदे
मोटापा कम करने में सहायक मेदोहर गुग्गुल
मेदोहर गूगल का सबसे प्रमुख कार्य मोटापे को दूर करना होता है । इस दवा के नियमित सेवन से पेट की चर्बी धीरे-धीरे कम हो जाती है, जिससे मोटापा एवं वजन दोनों ही धीरे-धीरे कम हो जाते हैं ।
पाचन संस्थान के लिए लाभकारी मेदोहर गूगल
यद्यपि मेदोहर गूगल का प्रमुख कार्य मोटापा एवं वजन कम करना होता है, लेकिन जैसा कि हमने ऊपर पड़ा है कि मेदोहर गूगल में त्रिफला, त्रिकटु एवं अन्य ऐसी औषधियां होती हैं जो हमारे पाचन संस्थान के लिए भी बहुत ही फायदेमंद होती हैं । इसलिए मेदोहर गूगल का सेवन करने से पाचन संस्थान दुरुस्त हो जाता है । भूख लगने लगती है तथा अपच, पेट गैस, खट्टी डकार आना आदि जैसी समस्याएं भी दूर हो जाती हैं ।
ब्लड प्रेशर नियंत्रित रखने में लाभकारी मेदोहर गूगल
मेदोहर गूगल में बायबिडिंग होने के कारण यह ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखती है, साथ ही इस दवा के सेवन करने से कोलेस्ट्रोल भी नियंत्रित रहता है ।
मेदोहर गूगल की मात्रा एवं सेवन विधि
इस दवा की दो-दो गोली दिन में दो बार सुबह नाश्ते के बाद एवं रात को खाना खाने के पश्चात गर्म पानी के साथ ली जानी चाहिए । इस दवा को गर्म पानी के साथ ही सेवन करना चाहिए ।

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कुटजघन वटी के फायदे, खुराक और उपयोग:kutaj ghan vati

 


कुटजघन वटी एक आयुर्वेदिक औषधि है जो कुटज नामक जड़ी बूटी से बनाई जाती है । कुटजघन वटी का प्रमुख घटक द्रव्य कुटजघन नामक पेड़ की छाल होती है । इसके अलावा कुटजघन वटी में अतीश या अतिविशा औषधि का प्रयोग भी किया जाता है । कुटजघन वटी का वर्णन सिद्ध योग संग्रह नामक ग्रंथ में अतिसार प्रवाहिका ग्रहणी रोग अधिकार में किया गया है ।

कुटजघन वटी मुख्य रूप से बड़ी आत से संबंधित रोगों में प्रयोग की जाती है । इस औषधि का सेवन करने से कोलाइटिस, पतले दस्त, आंतों का इन्फेक्शन, इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम, डायरिया आदि समस्याओं में बहुत अच्छा फायदा मिलता है । इसके अलावा कुटजघन वटी अन्य कुछ बीमारियों में भी पैदा करती है । तो आइए जानते हैं कुटजघन वटी के बारे में ।

कुटजघन वटी से पेट संबंधी रोगों का उपचार किया जाता है। कुटजघटवटी का प्रयोग कर कोलायाटिस, पतले दस्त, आंव आना, आँतों के सभी प्रकार के रोग ठीक किए जा सकते हैं।सके अलावा भी आप कुटज घन वटी का प्रयोग अन्य बीमारियों में कर सकते हैं। 

कुटजघन वटी, कुटज तथा अतिविषा के प्रयोग से बनी एक महत्वपूर्ण औषधि (kutajghan vati in hindi) है जो पेट के रोगों में बहुत काम आती है। कोलायाटिस, पतले दस्त, आंव आना, आँतों के सभी प्रकार के दोष, बवासीर, गैस्ट्रिक अल्सर इत्यादि पेट के रोगों में काम आती है। 

पेचिश को ठीक  करने के लिए कुटजघन वटी बहुत फायदेमंद होती है। जिन लोगों को दस्त के साथ खून आने की शिकायत है वे कुटजघन वटी का इस्तेमाल कर पेचिश से छुटकारा पा सकते हैं।

कब्ज में कुटजघन वटी के फायदे

खान-पान में असंतुलन और अनियमित दिनचर्या के कारण कब्ज की समस्या से ग्रस्त हो जाना बहुत आम है। लगभग सभी लोग कब्ज से परेशान रहते हैं। कब्ज को ठीक करने के लिए कुटजघन वटी का प्रयोग बहुत लाभदायक होता है। कुटजघन वटी के सेवन से कब्ज ठीक  होती है।

कुटजघन वटी के सेवन से दस्त पर रोक


आप दस्त की समस्या में भी कुटजघन वटी का उपयोग कर सकते हैं। इसके सेवन से दस्त पर रोक लगती है।


अपच की समस्या में कुटजघन वटी के सेवन से लाभ


अनेक लोग पाचनतंत्र विकार से ग्रस्त होते है। कुटजघन वटी के सेवन से अपच की परेशानी ठीक हो जाती है। पाचनतंत्र विकार से परेशान लोग कुटजघन वटी का सेवन करें। यह फायदेमंद  होता है।


सूजन की समस्या में कुटजघन वटी के फायदे 


सूजन की समस्या शरीर के किसी भी अंग में हो सकती है। कुटजघन वटी सूजन को ठीक करने का काम भी करती है। आप त्वचा में होने वाली सूजन में भी कुटजघन वटी का प्रयोग कर सकते हैं। यह लाभदायक होती है।


बहुत पसीना आने पर कुटजघन वटी से लाभ


  • कई लोगों को शरीर से बहुत पसीना निकलता है। ऐसी परेशानी में भी कुटजघन वटी का इस्तेमाल लाभ पहुंचाता है।
  • इसके अलावा कुटजघन वटी का इस्तेमाल जीवाणु के संक्रमण, डिहाइड्रेशन सहित अन्य रोगों में भी किया जाता है।
  • इन लोगों को कुटजघन वटी का प्रयोग नहीं करनी चाहिएः-

    • सिर की गंभीर चोट वाले लोग
    • फेफड़े में ट्यूमर वाले रोगी
    • मानसिक विकार से ग्रस्त मरीज
    • एलर्जी से पीड़ित होने पर

    इन समस्याओं की स्थिति में कुटजघन वटी का सेवन नहीं करना चाहिए।

  • कुटजघन वटी का सेवन इतनी मात्रा में करना चाहिएः-

    250-500 मि.ग्रा.

  • कुटजघन वटी की दो गोली से चार गोली दिन में तीन से चार बार गुनगुने पानी से ली जा सकती है ।

    बच्चों एवं वृद्धों को एक से दो गोली दिन में दो से तीन बार दी जा सकती है ।


  • कुटजघन वटी के बारे में ‘सिद्ध योग संग्रह’ नामक आयुर्वेदिक ग्रंथ के अतिसार-प्रवाहिका–ग्रहणी रोग संबंधित अध्याय में उल्लेख मिलता है।

अन्य रोगों में लाभकारी कुटजघन वटी 

  1. कुटजघन वटी का सेवन करने से शारीरिक सूजन (सर्वांग शोथ) दूर होता है ।
  2. कुछ लोगों को बहुत ज्यादा पसीना आता है । बहुत ज्यादा पसीना आने की समस्या को दूर करने के लिए कुटजघन वटी का सेवन किया जा सकता है ।
  3. कुटजघन वटी में एंटीबैक्टीरियल गुण मौजूद होते हैं जिस कारण यह बैक्टीरिया से होने वाले संक्रमण को दूर करने में लाभदायक होती है ।
  4. कुटजघन वटी मल में आव या म्यूकस को बनने से रोकती है 
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29.1.21

नागफनी पौधे के गुण और फायदे:Nagfani plant


 नागफनी एक ऐसा पौधा है जिसका तना पत्ते के सामान लेकिन गूदेदार होता है. जबकि इसकी पत्तियां काँटों के रूप में बदल गई होती हैं. इसे वज्रकंटका के नाम से भी जाना जाता है. यह एक कैक्टेस है जो सूखी बंजर जगह पर उगता है. इसके पौधे को बहुत ही कम पानी की आवाश्यकता होती है. यह पौधा सबसे पहले मैक्सिको में उगाया गया था है और अब यह भारत में भी बहुत आसानी से उपलब्ध है. नागफनी स्वाद में कड़वी और प्रकृति में बहुत उष्ण होती है. नागफनी में राइबोफ़्लिविन, विटामिन बी 6, तांबा, आयरन, फाइबर, विटामिन ए, विटामिन सी, विटामिन K, कैल्शियम, पोटेशियम, मैग्नीशियम और मैंगनीज शामिल हैं. यह कुछ जैविक यौगिकों जैसे फाइटोकेमिकल्स और कुछ पॉलीसेकेराइड्स का एक महत्वपूर्ण स्रोत है.नागफनी कैलोरी में कम, अच्छी वसा से भरपूर और कोलेस्ट्रॉल में कम होने के साथ साथ कई महत्वपूर्ण पोषक तत्वों का स्रोत है.

1. हड्डियों के लिए


हड्डियों के लिए इसमें कैल्शियम के अलावा कई उपयोगी तत्व मौजूद होते हैं. जो क्षतिग्रस्त होने के बाद मजबूत हड्डियों के निर्माण और हड्डियों की रिपेयर का एक अनिवार्य हिस्सा है.


2. त्वचा के लिए


इसमें मौजूद फाइटोकैमिकल और एंटीऑक्सिडेंट गुण समय से पहले उम्र के लक्षणों के खिलाफ एक अच्छा रक्षात्मक तंत्र है. सेलुलर चयापचय के बाद मुक्त कण त्वचा पर रह जाते हैं जो आपकी त्वचा को प्रभावित कर सकते हैं.

3. सूजन कम करने में


नागफनी की पत्तियों से निकाले जाने वाले रस सूजन को कम करने वाले प्रभाव देखे गए हैं जिनमें गठिया, जोड़ों के दर्द और मांसपेशियों के तनाव से जुड़े लक्षण भी शामिल हैं. इसके रस को प्रभावित क्षेत्र पर लगाएं या अधिक लाभों का आनंद लेने के लिए सब्जी के रूप में उपयोग करें.

4. पाचन प्रक्रिया में


इसमें बहुत अधिक आहार फाइबर होता है. पाचन प्रक्रिया में आहार फाइबर बहुत आवश्यक होता है क्योंकि यह आँतों के कार्यों के लिए बल्क जोड़ता है. यह दस्त और कब्ज के लक्षणों को कम करता है. इसके अलावा, शरीर में अतिरिक्त फाइबर सक्रिय रूप से कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को कम कर सकते हैं.

5. अल्सर के लिए


नाकपेशियों में तरल पदार्थ और रेशेदार पदार्थ गैस्ट्रिक अल्सर के विकास को रोकते हैं और अल्कोहल के अत्यधिक खपत के कारण विकसित होते हैं, इसलिए ऐसे लोगों के लिए जो नियमित रूप से अल्सर से ग्रस्त हैं उनको इस शक्तिशाली जड़ी बूटी को अपने आहार में शामिल करना चाहिए.
6. उपापचय के लिए


नागफनी में थायामिन, राइबोफ़्लिविन, नियासिन और विटामिन बी 6 शामिल हैं, जो सभी सेलुलर चयापचय के महत्वपूर्ण घटक होते हैं जो पूरे शरीर में एंजाइम कार्यों को विनियमित करते हैं. एक स्वस्थ अंग प्रणाली और हार्मोनल संतुलन आसानी से वजन कम करता है, स्वस्थ मांसपेशियों को बढ़ावा देता है.

7. वजन घटाने में


नागफनी में फाइबर शरीर को पूर्ण महसूस करा सकता है और घ्रालिन को रिलीज़ करने से रोकता है, यह एक भूख को बढ़ाने वाला हार्मोन है. इसके अलावा यह संतृप्त वसा और कोलेस्ट्रॉल में बहुत कम है. यह चयापचय की क्षमता से भरपूर है. इसमें मौजूद विटामिन बी 6, थियामीन, और रिबोफ़्लिविन की उपस्थिति भी चयापचयी कार्य को जल्दी से करती है.

8. मधुमेह के उपचार में


नागफनी के पत्तों से तैयार अर्क शरीर के भीतर ग्लूकोज के स्तर के लिए शक्तिशाली नियामक हो सकता है. टाइप 2 डायबिटीज़ वाले मरीजों के लिए, यह ग्लूकोज के स्तर में कम स्पाइक पैदा कर सकता है जिससे मधुमेह को मैनेज करना आसान हो जाता है.
9. कैंसर मे लाभ 


इसमें पाए जाने वाले फाइटोकेमिकल्स, फ्लेवोनोइड यौगिकों, विटामिन सी और अन्य एंटीऑक्सिडेंट की विविधता संपूर्ण प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए बेहद फायदेमंद होती है, खासकर जब विभिन्न कैंसर की बात आती है. एंटीऑक्सिडेंट फायदेमंद यौगिक हैं जो शरीर में मुक्त कणों की तलाश करते हैं और कैंसर कोशिकाओं में स्वस्थ कोशिकाओं के डीएनए को उत्परिवर्तित करने से पहले उन्हें समाप्त कर देते हैं.

10. अनिद्रा के उपचार में


इसमें मैग्नीशियम भी होता है जो अनिद्रा, चिंता या बेचैनी से ग्रस्त लोगों में नींद पैदा करने के लिए एक उपयोगी खनिज है. यह शरीर में सेरोटोनिन को रिलीज़ करता है, जिसके परिणामस्वरूप मेलाटोनिन का स्तर बढ़ जाता है.

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