25.1.19

मोटापा छूमंतर मूंग दाल के पानी से / Obesity ends with moong dal water

                                        

मूंग की दाल हर कोई चाव से खाना पसंद करता है। घरों में मूंग की दाल की कई तरह की वरायटी बनाई जाती है। मूंग की दाल हमारी सेहत के लिए भी काफी फायदेमंद है क्योंकि इसमें काफी मात्रा में पौष्टिक तत्व होते हैं। इसके सेवन से अनीमिया दूर करने के साथ ही वजन कम करने में भी मदद मिलती है।  मूंग की दाल में भारी मात्रा में कैल्शियम, मैग्नेशियम, पोटैशियम और सोडियम होता है। इसमें अच्छी मात्रा में विटमिन-सी, कार्ब्स और प्रोटीन के साथ डायटरी फाइबर भी है। मूंग की दाल के फायदों पर डालें एक नजर-


बच्चों के लिए हेल्दी 

मूंग की दाल का पानी छोटे बच्चों के लिए भी काफी स्वास्थयवर्धक होता है। दाल का पानी आसानी से पच जाता है। इसे पीने से शिशु की इम्यून पावर यानी रोगों से लड़ने की क्षमता भी बढ़ती है। 
मूंग दाल का सेवन करने से हमारे शरीर को काफी फायदे मिलते हैं। इसके लिए हमें अपने दिन की शुरुआत गुनगुने पानी से करनी चाहिए। गुनगुने पानी को धीरे-धीरे पीने से शरीर का टॉक्सिन निकलने के साथ ही बॉडी हाइड्रेटेड बनी रहती है। इसके बाद एक्सरसाइज करें और फिर मूंग की दाल का सूप बना लें। जो हमारे शरीर के लिए काफी सही रहता है। मूंग की दाल में अदरक, नमक, लहसुन, हींग, हरी मिर्च, जीरा, धनिया और सौंफ को डालकर उबाल लें, लेकिन ध्यान रहे कि किसी भी चीज का तड़का ना लगाएं।इसके बाद इस सूप को दिन में 6 बार और लगातार 3 दिन तक पीने से शरीर को कई तरह के लाभ मिलते हैं, और ये हमारे मोटापे को कम करने में काफी मदद करता है। इस बात का भी ध्यान देना चाहिए कि मूंग दाल सूप का सेवन करते समय तेल, घी और खट्टी चीजें जैसे-दही, टमाटर, नींबू आदि चीजों का सेवन न करें। ऐसा करने से ही शरीर को पूर्ण तरीके से लाभ मिल पाएंगे। 
 मूंग दाल में काफी मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है। साथ ही इसमें फैट नहीं होता है।मूंग के सूप के साथ ही सब्जियों से बने सलाद का भी सेवन कर सकते हैं। इनका उपयोग उबालकर या फिर भाप में पकाकर भी किया जा सकता है। इस सलाद में चुकंदर, गाजर, शलगम, खीरा, प्याज, मूली, लौकी, गोभी, ककड़ी को शामिल कर सकते हैं। मूंग की दाल के इस सूप को लेने के बाद अगर आपको पहले दिन कमोजरी का एहसास हो, तो अगले दिन से सूप पीने की मात्रा को बढ़ा लें। साथ ही हो सकता है कि आपके सिर में हल्का दर्द या आपका मन भी मचला सकता है, लेकिन इससे घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि ये डिटॉक्स की प्रक्रिया के कारण होता है।
  अगर आप मूंग की दाल खाकर बोर हो गए हैं या इस दौरान आपको रिफ्रेश होना है, तो इसमें आपकी मदद चाय और कॉफी कर सकते हैं। साथ ही आप 8 से 10 गिलास पानी पीकर भी खुद को रिफ्रेश कर सकते हैं। वहीं, जब आपकी इस डाइट के आखिरी 2 दिन हों तो आप मूंग की दाल का चीला बनाकर भी खा सकते हैं। दिन में तीन बार एक-एक चीला आप खा सकते हैं। इस डाइट को फॉलो करने के बाद आपको वजन कम करने में काफी मदद मिल सकती है।

हल्की होती है दाल 

कई बार होता है कि शरीर से काफी मात्रा में पसीना बह जाने के कारण इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है। मूंग की दाल का पानी पीने से शरीर में एनर्जी की पूर्ति होती है। ये शरीर और मस्तिष्क के लिए भी काफी फायदेमंद होती है। 

वजन होता है कम 

अगर आप वजन घटाने को लेकर परेशान हैं तो मूंग दाल का पानी आपकी हर चिंता का हल है। ये न सिर्फ आपकी कैलरी कम करती है बल्कि इसका पानी पीने से लंबे वक्त तक भूख का भी अहसास नहीं होता है। इसे पीने से न सिर्फ आप एनर्जेटिक फील करते हैं बल्कि आसानी से वजन भी कम कर सकते हैं।

दस्त होने पर 

अगर आपको दस्त या डायरिया की समस्या हो गई है तो इसके लिए आप एक कटोरी मूंग दाल का पानी पी लीजिए। ये न सिर्फ आपके शरीर में पानी की आपूर्ति को पूरा करेगा बल्कि मूंग दाल का पानी पीने से दस्त की समस्या भी कम हो जाएगी।
***********

16.1.19

बाल फिर से उगाने के अनुपम उपाय Unique ways to regrow hair

                          

बाल जल्दी उगाने के लिए आपको सबसे पहले बालों की देखभाल करनी होगी। यदि आप बालों की सफाई नहीं रखेंगे, और उन तक पोषक तत्व नहीं पहुंचाएंगे, तब तक बाल जल्दी नहीं बढ़ेंगे।

  यह आम धारणा है कि बालों के झड़ना शुरु होने के बाद बाल दोबारा नहीं उगते हैं। जबकि ऐसा नहीं है। आपको यदि कोई गंभीर बीमारी है या फिर किमोथेरेपी या दवा की साइड इफेक्ट की वजह से बाल झड़ रहें हैं तो बालों का झड़ना नहीं रुक सकता और हेयर रिग्रोथ  की संभावना कम होती है।
लेकिन यदि इनमें से कोई भी कारण नहीं है, आप अंदर से सेहतमंद हैं और बालों की उचित देखभाल कर रहे हैं तो हेयर रिग्रोथ निश्चित रुप से होगी। हेयर रिग्रोथ तभी संभव है जब बालों की जड़ और उनकी कोशिकाओं को पोषण मिल रही हो।
बालों की जड़ों को पोषण में सबसे असरदार है - कुदरती उपाय। कुदरती जड़ी-बूटियों से बने तेल, पत्ते और औषधियों में ऐसे नायाब गुण होते हैं जो हेयर रिग्रोथ  regrow hair में काफी मदद करते हैं।
हालांकि मेडिकल साइंस अब इतना विकसित कर गया है कि गंजे सिर में भी स्टेम शेल थेरेपी से बाल उगाए जा रहे हैं। बालों का प्रत्यारोपण भी किया जा रहा है, लेकिन यह उपाय काफी महंगे हैं और यह सब जगह आसानी से उपलब्ध भी नहीं है।
यही कारण है कि हेयर रिग्रोथ के लिए कुदरती और आयुर्वेदिक उपाय सबसे ज्यादा प्रचलन में है। 

बाल जल्दी उगाने के लिए सबसे उत्तम उपाय पर्याप्त जल पीना है। प्रतिदिन 4 से 5 लीटर पानी पीना अनिवार्य होता है जोकि हमारे शरीर में जल के स्तर को संतुलित करता है। जल हमारे बालों को नमी प्रदान करता है जिससे कि बाल घने और मज़बूत बनते हैं।
जल शरीर में मौजूद हानिकारक तत्वों को नष्ट करने में सहायक होता है और एक स्वस्थ शरीर का निर्माण करता है। पर्याप्त जल 
स्वस्थ बाल उगाने में  regrow hair मदद करता है|

अरंडी का तेल  और बायोटिन थेरेपी 

बालों के झड़ने की बड़ी वजह तनाव, अवसाद (Dejection) और विटामिन बी-7 (बायोटिन) की कमी होती है। इस समस्या को खत्म करने के लिए बालों की जड़ (Scalp) में अरंडी का तेल लगाएं और बायोटिन की गोलियां खाना जरुरी है। यह सबसे आसान थेरेपी है।
पहली बार इसे आजमाने वाले अरंडी के तेल में नारियल तेल, जैतून का तेल या फिर कोई ऐसा तेल मिला लें जो आसानी से अरंडी के तेल में मिल जाए। अरंडी का तेल थोड़ी मोटा और गाढ़ा होता है और इसे पतला बनाने के लिए अन्य तेलों को मिलाना जरुरी होता है। जब तेल तैयार हो जाए तो इससे बालों की जड़ों की मालिश करें।
अरंडी के तेल की मालिश के साथ-साथ विटामिन बी7 या बायोटिन  की गोलियां भी नियमित रुप से खाते रहेंगे तो 3 से 6 महीने के अंदर बेहतर नतीजे आएंगे। बालों का बढ़ना शुरु हो जाएगा। ध्यान रहे विटामिन बी7 की गोलियां 5 एमजी से ज्यादा एक दिन में नहीं खाएं। ओवरडोज से साइड इफेक्ट भी हो सकते हैं।

विटामिन ई थेरेपी 

विटामिन बी7 के अलावां विटामिन ई भी बालों की वृद्धि  regrow hair में काफी पोषण देती है। पुरुष और स्त्री दोनों के बालों के पोषण के लिए विटामिन ई थेरेपी जरुरी है। यह बालों के झड़ने की बीमारी को भी रोकता है। विटामिन ई की गोलियां खाने या विटामिन ई युक्त तेल बालों की जड़ में लगाने से बालों की जड़ में रक्त संचार की गति तेज होती है और बाल फिर से ग्रोथ होने लगते हैं।

गंजेपन को दूर करने और हेयर रिग्रोथ  regrow hair के लिए कुछ जरुरी दवाएं 

पुरुषों के गंजेपन को दूर करने से लिए एलोपैथ में अब दवाएं भी बनने लगी हैं। इन दवाओं को फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन से मान्यता भी मिल चुकी है। गंजेपन के इलाज और हेयर रिग्रोथ के लिए तीन दवाएं मुख्य रुप से प्रचलन में हैं।
Dutasteride – इसे पुरुषों के गंजेपन के इलाज में इस्तेमाल किया जाता है। यह बालों की जड़ों की वृद्धि में काफी मदद करता है।
Finasteride – यह भी पुरुषों के गंजेपन के इलाज में खाया जाता है।
Minoxidil – यह क्रीम के रुप में आता है और इसे सिर पर लगाई जाती है।
नोट: किसी भी दवा को लेने से पहले योग चिकित्सक से परामर्श आवश्यक है।



हेयर रिग्रोथ के कुछ घरेलू और कुदरती उपाय


एलोवेरा मास्क और नारियल तेल 

एलोवेरा के जूस और नारियल तेल का मिश्रण हेयर रिग्रोथ regrow hair  में काफी असरदार होता है। दोनों को कुछ इस तरह मिलाएं कि यह पेस्ट की तरह बन जाए। फिर इस पेस्ट को हेयर मास्क की तरह लगाएं। मास्क लगाने के बाद बालों की जड़ की मसाज भी करें। काफी फायदा दिखेगा।


आयुर्वेदिक हेयर वाश

आधा किलो शिकाकाई, मेथी एक पाव, करी पत्ता, तुलसी पत्ता और रीठा 100 ग्राम लें। इस सभी को मिला कर बालों को धोने लायक शैंपू बनाएं। इससे बालों की कई परेशानी दूर होने के साथ बालों में वृद्धि भी होगी।


भृंगराज

भृंगराज के तेल से बालों की मालिश करें। इससे बहुत जल्दी बाल आने लगेंगे।

जटामांसी 


इस जड़ी-बूटी का इस्तेमाल आयुर्वेद में हेयर ग्रोथ के दवा के रुप में किया जाता है। इसे आप कैप्सूल की तरह खा भी सकते हैं और इसे सीधे बालों की जड़ में लगा भी सकते हैं।


प्याज और लहसुन 

प्याज और लहसुन में सल्फर की मात्रा पाई जाती है जो हेयर रिग्रोथ में काफी मदद करती है। इसके लिए कुछ ख़ास नहीं करना है, बस प्याज को काटकर जूस निकाल लेना है और इस जूस से बालों के जड़ की मालिश 15 मिनट तक करनी है।
दूसरी तरफ आपको कुछ लहसुन के दाने के जूस निकाल कर उसे नारियल तेल में मिला देना है। फिर उसे कुछ देर तक उबालना है। जब यह ठंढा हो जाए तो इससे बालों के जड़ की मालिश करनी है।
*********************


15.1.19

हृदय रोगियों के लिए उपकारी है पोटेशियम युक्त आहार

                                        


उच्च-पोटेशियम वाले खाद्य पदार्थ किसी भी संतुलित आहार का एक अनिवार्य हिस्सा हैं। खनिज आपके शरीर के द्रव स्तर, मांसपेशियों के कार्य में सहायक और अपशिष्ट को हटाने में मदद करता है और आपके तंत्रिका तंत्र को ठीक से काम करने के लिए प्रेरित करता है। रिसर्च से पता चलता है कि उच्च रक्तचाप वाले लोगों में पोटेशियम युक्‍त फूड रक्तचाप और स्ट्रोक के जोखिम को कम कर सकता है। यहां हम आपको ऐसे ही कुछ पोटैशियम युक्‍त फूड के बारे में बता रहे हैं जिनका सेवन करना आपके लिए पूरी तरह से सुरक्षित है और स्‍वास्‍थ्‍य के लिए फायदेमंद भी है।
पोटैशियम युक्‍त  आहार 

आलू 

आलू में केले से ज्यादा पोटैशियम होता है। हैरान रह गए न आप? जी हां! एक मीडियम साइज के उबले हुए आलू में 941 मिलीग्राम पोटैशियम होता है। ये दैनिक जरूरत का लगभग 20 प्रतिशत है। लेकिन इसके लिए आलू को उबलने के बाद थोड़ा थंडा हो जाने दीजिए। आलू में मौजूद स्टार्च गठिया रोग में भी फायदेमंद होता है। आलू के अलावा शकरकंद में भी भरपूर पोटैशियम होता है।

पालक

पालक गुणों की खान है और इसमें ढेर सारे मिनरल्स औैर विटामिन्स होते हैं। पालक में पोटैशियम की मात्रा भी भरपूर होती है। एक कप पालक में लगभग 540 मिलीग्राम पोटैशियम होता है। इसके अलावा पालक आयरन और फाइबर का भी महत्वपूर्ण स्रोत है। इसलिए इसके सेवन से शरीर को कई स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं। एनीमिया में पालक के सेवन से लाभ मिलता है।

चुकंदर

चुकंदर में शरीर को फायदा पहुंचाने वाले ढेर सारे तत्व होते हैं। चुकंदर में पोटैशियम भी भरपूर पाया जाता है। एक कप चुकंदर में लगभग 518 मिलीग्राम पोटैशियम होता है जो आपकी दैनिक जरूरत का लगभग 11 प्रतिशत है। चुकंदर में आयरन भी भरपूर होता है इसलिए ये ब्लड में हीमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ाता है और एनीमिया जैसे खून की कमी वाली बीमारियों से बचाता है। 




केला 

यदि आपने किसी पोटेशियम युक्त खाद्य पदार्थ के बारे में सुना है, तो आप शायद जानते होंगे कि केले एक अच्छा स्रोत हैं, जिसमें लगभग 400 मिलीग्राम से अधिक पोटेशियम होता है। केले एक हेल्‍दी और एनर्जी स्नैक हैं। यह विटामिन बी 6 में उच्च होता है और फाइबर और विटामिन सी का एक अच्छा स्रोत है।

शकरकंद

शकरकंद में भरपूर मात्रा में पोटेशियम होता है। एक सामान्‍य आकार की शकरकंद में 694 मिलीग्राम तक पोटेशियम होता है। यह हमारी रोजमर्रा की जरूरत का 15 फीसदी होता है। इसके साथ ही इसमें कैलोरी की मात्रा भी कम होती है। एक शकरकंद में केवल 131 कैलोरी होती हैं। यानी शकरकंद का सेवन हमारी सेहत पर दोतरफा सकारात्‍मक प्रभाव डालता है। इतना ही नहीं शकरकंद में बीटा कोरटेन और विटामिन ए भी भरपूर मात्रा में होता है। इन खूबियों के कारण आप इसे सुपरफूड भी कह सकते हैं। 

संतरे का जूस

संतरे का जूस नाश्‍ते में बेहद फायदेमंद होता है। संतरे को विटामिन सी से भरपूर माना जाता है। लेकिन, इसके साथ ही इसमें भरपूर मात्रा में पोटेशियम भी होता है। इसकी सबसे अच्‍छा बात यह है कि इसे बनाना भी बेहद आसान है। और साथ ही अगर आपको संतरे को यूं ही खाना चाहें तो भी कोई दिक्‍कत नहीं। 

पत्‍तेदार सब्जियां 

यह पत्‍तेदार सब्जी न केवल विटामिन ए और विटामिन 'के' से भरपूर होती है, बल्कि साथ ही इसमें पोटेशियम भी काफी मात्रा में होता है। इसके महज आधे कप में 655 मिलीग्राम पोटेशियम होता है। इसका सेवन करने से पोषण संबंधी आपकी काफी आवश्‍यकतायें पूरी हो सकती हैं। यह सुपरफूड वीटा कोर‍टेन और विटामिन ए से भी भरपूर होता है।

खजूर

अपनी गर्म तासीर के लिए खजूर सर्दियों का खास ड्राई फूट होता है। मूल रूप से मध्‍य एशिया का खजूर स्‍वाद में तो लाजवाब होता ही है साथ ही इसके कई स्‍वास्‍थ्‍य लाभ भी होते हैं। आधा कप खजूर में 584 मिलीग्राम पोटेशियम होता है। खजूर को आप दूध के साथ भी खा सकते हैं। 

टमाटर

टमाटर सलाद से लेकर सब्‍जी तक में इस्‍तेमाल किया जाता है। लाल टमाटर भारत के सतरंगी भोजन का अहम हिस्‍सा है। चौथाई कप टमाटर पेस्‍ट में 2.8 मिलीग्राम विटामिन ई होता है। यह हमारी रोजमर्रा की जरूरत का पांचवां हिस्‍सा होता है। इसके साथ ही इसमें 664 मिलीग्राम पोटेशियम, 34 मिलीग्राम लिकोपिन और 54 कैलोरी होती हैं। अपनी इन खूबियों के कारण इसे सुपरफूड भी कहा जा सकता है। 

दही

दही में कई पोषक तत्‍व होते हैं। इसमें कैल्श्यिम भी भरपूर मात्रा में होता है, जो हमारी हड्डियों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। लेकिन, शायद आपको यह न पता हो कि दही में पोटेशियम भी प्रचुर मात्रा में होता है। करीब 220 ग्राम नॉन-फैट दही में 579 मिलीग्राम तक पोटेशियम होता है।
  • पायरिया के घरेलू इलाज
  • चेहरे के तिल और मस्से इलाज
  • लाल मिर्च के औषधीय गुण
  • लाल प्याज से थायराईड का इलाज
  • जमालगोटा के औषधीय प्रयोग
  • एसिडिटी के घरेलू उपचार
  • नींबू व जीरा से वजन घटाएँ
  • सांस फूलने के उपचार
  • कत्था के चिकित्सा लाभ
  • गांठ गलाने के उपचार
  • चौलाई ,चंदलोई,खाटीभाजी सब्जी के स्वास्थ्य लाभ
  • मसूड़ों के सूजन के घरेलू उपचार
  • अनार खाने के स्वास्थ्य लाभ
  • इसबगोल के औषधीय उपयोग
  • अश्वगंधा के फायदे
  • लकवा की चमत्कारी आयुर्वेदिक औषधि वृहत वात चिंतामणि रस
  • मर्द को लंबी रेस का घोडा बनाने के अद्भुत नुस्खे
  • सदाबहार पौधे के चिकित्सा लाभ
  • कान बहने की समस्या के उपचार
  • पेट की सूजन गेस्ट्राईटिस के घरेलू उपचार
  • पैर के तलवों में जलन को दूर करने के घरेलू आयुर्वेदिक उपचार
  • लकवा (पक्षाघात) के आयुर्वेदिक घरेलू नुस्खे
  • डेंगूबुखार के आयुर्वेदिक नुस्खे
  • काला नमक और सेंधा नमक मे अंतर और फायदे
  • हर्निया, आंत उतरना ,आंत्रवृद्धि के आयुर्वेदिक उपचार
  • पाइल्स (बवासीर) के घरेलू आयुर्वेदिक नुस्खे
  • चिकनगुनिया के घरेलू उपचार
  • चिरायता के चिकित्सा -लाभ
  • ज्यादा पसीना होने के के घरेलू आयुर्वेदिक उपचार
  • पायरिया रोग के आयुर्वेदिक उपचार
  • व्हीटग्रास (गेहूं के जवारे) के रस और पाउडर के फायदे
  • घुटनों के दर्द को दूर करने के रामबाण उपाय
  • चेहरे के तिल और मस्से हटाने के उपचार
  • अस्थमा के कारण, लक्षण, उपचार और घरेलू नुस्खे
  • वृक्क अकर्मण्यता(kidney Failure) की रामबाण हर्बल औषधि
  • शहद के इतने सारे फायदे नहीं जानते होंगे आप!
  • वजन कम करने के उपचार
  • केले के स्वास्थ्य लाभ



  • 29.12.18

    तुलसी है अनेक रोगों मे उपयोगी पौधा/Tulsi ke fayde

                                                 


    तुलसी अत्यंत महत्वपूर्ण एवं उपयोगी पौधा है। इसके सभी भाग अलौकिक शक्ति और तत्वों से परिपूर्ण माने गए हैं। तुलसी के पौधे से निकलने वाली सुगंध वातावरण को शुध्द रखने में तो अति महत्वपूर्ण भूमिका निभाती ही है, भारत में आयुर्वेद चिकित्सा पध्दति में भी तुलसी का बहुत महत्वपूर्ण स्थान रहा है। तुलसी का सदियों में औषधीय रूप में प्रयोग होता चला आ रहा है। तुलसी दल का प्रयोग खांसी, विष, श्वांस, कफ, बात, हिचकी और भोज्य पदार्थों की दुर्गन्ध को दूर करता है। इसके अलावा तुलसी बलवर्ध्दक होती है तथा सिरदर्द स्मरण शक्ति, आंखों में जलन, मुंह में छाले, दमा, ज्वर, पेशाब में जलन व विभिन्न प्रकार के रक्त व हृदय संबंधी बीमारियों को दूर करने में भी सहायक है।

    तुलसी में छोटे-छोटे रोगों से लेकर असाध्य रोगों को भी जड़ में खत्म कर देने की अद्भुत क्षमता है। इसके गुणों को जानकर और तुलसी का उचित उपयोग कर हमें अत्यधिक लाभ मिल सकता है। तो लीजिए डाल लेते है 

    तुलसी के महत्वपूर्ण औषधीय उपयोगी एवं गुणों पर एक नजरः

    श्वेत तुलसी बच्चों के कफ विकार, सर्दी, खांसी इत्यादि में लाभदायक है। कफ निवारणार्थ तुलसी को काली मिर्च पाउडर के साथ लेने से बहुत लाभ होता है। गले में सूजन तथा गले की खराश दूर करने के लिए तुलसी के बीज का सेवन शक्कर के साथ करने से बहुत राहत मिलती। तुलसी के पत्तों को काली मिर्च, सौंठ तथा चीनी के साथ पानी में उबालकर पीने में खांसी, जुकाम, फ्लू और बुखार में फायदा पहुंचता है। पेट में दर्द होने पर तुलसी रस और अदरक का रस समान मात्रा में लेने से दर्द में राहत मिलती है। इसके उपयोग से पाचन क्रिया में भी सुधार होता है। कान के साधारण दर्द में तुलसी की पत्तियों का रस गुनगुना करके डाले। नित्य प्रति तुलसी की पत्तियां चबाकर खाने से रक्त साफ होता है।

    चर्म रोग होने पर तुलसी के पत्तों के रस के नींबू के रस में मिलाकर लगाने से फायदा होता है। तुलसी के पत्तों का रस पीने से शरीर में ताकत और स्मरण शक्ति में वृध्दि होती है। प्रसव के समय स्त्रियों को तुलसी के पत्तों का रस देन से प्रसव पीड़ा कम होती है। तुलसी की जड़ का चूर्ण पान में रखकर खिलाने से स्त्रियों का अनावश्यक रक्तस्राव बंद होता है। जहरीले कीड़े या सांप के काटने पर तुलसी की जड़ पीसकर काटे गए स्थान पर लगाने से दर्द में राहत मिलती है। फोड़े फुंसी आदि पर तुलसी के पत्तो का लेप लाभदायक होता है। तुलसी की मंजरी और अजवायन देने से चेचक का प्रभाव कम होता है। सफेद दाग, झाईयां, कील, मुंहासे आदि हो जाने पर तुलसी के रस में समान भाग नींबू का रस मिलाकर 24 घंट तक धूप में रखे। थोड़ा गाढ़ा होने पर चेहरे पर लगाएं। इसके नियमित प्रयोग से झाईयां, काले दाग, कीले आदि नष्ट होकर चेहरा बेदाग हो जाता है।
    तुलसी के बीजों का सेवन दूध के साथ करने से पुरुषों में बल, वीर्य और संतोनोत्पति की क्षमता में वृध्दि होती है। तुलसी का प्रयोग मलेरिया बुखार के प्रकोप को भी कम करता है। तुलसी का शर्बत, अबलेह इत्यादि बनाकर पीने से मन शांत रहता है। आलस्य निराशा, कफ, सिरदर्द, जुकाम, खांसी, शरीर की ऐठन, अकड़न इत्यादि बीमारियों को दूर करने के लिए तुलसी की जाय का सेवन करें। क्या आपने कभी इस बात पर ध्यान दिया कि आपके घर, परिवार या आप पर कोई मुसीबत आने वाली होती है तो उसका असर सबसे पहले आपके घर में स्थित तुलसी के पौधे पर होता है। आप उस पौधे का कितना भी ध्यान रखें धीरे-धीरे वो पौधा सूखने लगता है। तुलसी का पौधा ऐसा है जो आपको पहले ही बता देगा कि आप पर या आपके घर परिवार को किसी मुसीबत का सामना करना पड़ सकता है।
      पुराणों और शास्त्रों के अनुसार माना जाए तो ऐसा इसलिए होता है कि जिस घर पर मुसीबत आने वाली होती है उस घर से सबसे पहले लक्ष्मी यानी तुलसी चली जाती है। क्योंकि दरिद्रता, अशांति या क्लेश जहां होता है वहां लक्ष्मी जी का निवास नही होता। अगर ज्योतिष की माने तो ऐसा बुध के कारण होता है। बुध का प्रभाव हरे रंग पर होता है और बुध को पेड़ पौधों का कारक ग्रह माना जाता है। बुध ऐसा ग्रह है जो अन्य ग्रहों के अच्छे और बुरे प्रभाव जातक तक पहुंचाता है। अगर कोई ग्रह अशुभ फल देगा तो उसका अशुभ प्रभाव बुध के कारक वस्तुओं पर भी होता है। अगर कोई ग्रह शुभ फल देता है तो उसके शुभ प्रभाव से तुलसी का पौधा उत्तरोत्तर बढ़ता रहता है।
    बुध के प्रभाव से पौधे में फल फूल लगने लगते हैं।प्रतिदिन चार पत्तियां तुलसी की सुबह खाली पेट ग्रहण करने से मधुमेह, रक्त विकार, वात, पित्त आदि दोष दूर होने लगते है मां तुलसी के समीप आसन लगा कर यदि कुछ समय हेतु प्रतिदिन बैठा जाये तो श्वास के रोग अस्थमा आदि से जल्दी छुटकारा मिलता है। घर में तुलसी के पौधे की उपस्थिति एक वैद्य समान तो है ही यह वास्तु के दोष भी दूर करने में सक्षम है हमारें शास्त्र इस के गुणों से भरे पड़े है जन्म से लेकर मृत्यु तक काम आती है यह तुलसी. कभी सोचा है कि मामूली सी दिखने वाली यह तुलसी हमारे घर या भवन के समस्त दोष को दूर कर हमारे जीवन को निरोग एवम सुखमय बनाने में सक्षम है माता के समान सुख प्रदान करने वाली तुलसी का वास्तु शास्त्र में विशेष स्थान है हम ऐसे समाज में निवास करते है कि सस्ती वस्तुएं एवम सुलभ सामग्री को शान के विपरीत समझने लगे है महंगी चीजों को हम अपनी प्रतिष्ठा मानते है कुछ भी हो तुलसी का स्थान हमारे शास्त्रों में पूज्यनीय देवी के रूप में है तुलसी को मां शब्द से अलंकृत कर हम नित्य इसकी पूजा आराधना भी करते है इसके गुणों को आधुनिक रसायन शास्त्र भी मानता है इसकी हवा तथा स्पर्श एवम इसका भोग दीर्घ आयु तथा स्वास्थ्य विशेष रूप से वातावरण को शुद्ध करने में सक्षम होता है शास्त्रानुसार तुलसी के विभिन्न प्रकार के पौधे मिलते है उनमें श्रीकृष्ण तुलसी, लक्ष्मी तुलसी, राम तुलसी, भू तुलसी, नील तुलसी, श्वेत तुलसी, रक्त तुलसी, वन तुलसी, ज्ञान तुलसी मुख्य रूप से विद्यमान है सबके गुण अलग अलग है शरीर में नाक कान वायु कफ ज्वर खांसी और दिल की बिमारिओं पर खास प्रभाव डालती है द्य वास्तु दोष को दूर करने के लिए तुलसी के पौधे अग्नि कोण अर्थात दक्षिण-पूर्व से लेकर वायव्य उत्तर-पश्चिम तक के खाली स्थान में लगा सकते है यदि खाली जमीन ना हो तो गमलों में भी तुलसी को स्थान दे कर सम्मानित किया जा सकता है।
      तुलसी का गमला रसोई के पास रखने से पारिवारिक कलह समाप्त होती है पूर्व दिशा की खिडकी के पास रखने से पुत्र यदि जिद्दी हो तो उसका हठ दूर होता है यदि घर की कोई सन्तान अपनी मर्यादा से बाहर है अर्थात नियंत्रण में नहीं है तो पूर्व दिशा मंग रखे तुलसी के पौधे में से तीन पत्ते किसी ना किसी रूप में सन्तान को खिलाने से सन्तान आज्ञानुसार व्यवहार करने लगती है। कन्या के विवाह में विलम्ब हो रहा हो तो अग्नि कोण में तुलसी के पौधे को कन्या नित्य जल अर्पण कर एक प्रदक्षिणा करने से विवाह जल्दी और अनुकूल स्थान में होता है सारी बाधाए दूर होती है। यदि कारोबार ठीक नहीं चल रहा तो दक्षिण-पश्चिम में रखे तुलसी कि गमले पर प्रति शुक्रवार को सुबह कच्चा दूध अर्पण करे व मिठाई का भोग रख कर किसी सुहागिन स्त्री को मीठी वस्तु देने से व्यवसाय में सफलता मिलती है।
      नौकरी में यदि उच्चाधिकारी की वजह से परेशानी हो तो ऑफिस में खाली जमीन या किसी गमले आदि जहाँ पर भी मिटटी हो वहां पर सोमवार को तुलसी के सोलह बीज किसी सफेद कपडे में बाँध कर सुबह दबा दे इससे सम्मान की वृद्धि होगी. नित्य पंचामृत बना कर यदि घर कि महिला शालिग्राम जी का अभिषेक करती है तो घर में वास्तु दोष हो ही नहीं सकता। कुछ मित्रो ने इसे अन्ध विश्वास करार दिया है सो ये उनकी सोच हो सकती है। इसमें किसी को बाध्य भी नहीं किया गया है। तुलसी की देखभाल, उपाय के बारे में जानकारी दी गई है। ये तो पुराणों में भी लिखा हुआ है कि तुलसी का महत्व क्या है।


    तुलसी का प्रयोग-Tulsi ke fayde 

    मलेरिया पर :- 

    मलेरिया की तो तुलसी शत्रु है। तुलसी मलेरिया के कीटाणुओं को भगाती है। मलेरिया के मरीज को जितनी हो सके (अधिक से अधिक 50 या 60 तुलसी की पत्तियाँ प्रतिदिन खानी चाहिए तथा काली मिर्च पीसकर तुलसी के रस के साथ पीनी चाहिए। इससे ज्वर जड़ से नष्ट हो जायेगा।

    ज्वर पर :- Tulsi ke fayde 

    तुलसी का काढ़ा बनाकर रोगी को पिलाना चाहिए, इसके बाद रजाई ओढ़कर कुछ देर सो रहिए, पसीना आकर बुखार उतर जायगा।

    खाँसी पर :- Tulsi ke fayde 

    तुलसी और अडूसा के पत्तों को बराबर मात्रा में घोट कर पीजिए।

    जी घबड़ाने पर :- Tulsi ke fayde 

    तुलसी की पत्तियाँ 1 तोला और काली मिर्च 1 मासा पीसकर शहद के साथ चाटिए। आपका जी नहीं घबड़ायेगा तथा चित्त प्रसन्न रहेगा।

    कान के दर्द पर :- 

    तुलसी की पत्तियों को पीसकर उनके रस में रुई को भिगोकर कान पर रखे रहिए। दर्द फौरन बन्द हो जायगा।

    दांतों के दर्द पर :-Tulsi ke fayde 

    तुलसी और काली मिर्च पीसकर उसकी गोलियाँ बनाकर पीड़ा के स्थान पर रखने से दर्द बन्द हो जायगा।

    गले के दर्द पर :- Tulsi ke fayde 

    तुलसी की पत्तियों को पीसकर शहद में चाटने से गले का दर्द बन्द हो जावेगा।

    जुकाम पर :- 

    तुलसी का रस पीजिए और तुलसी की सूखी पत्तियाँ खाइए। अगर हो सके तो तुलसी की चाय भी पीजिये। जुकाम नष्ट हो जायेगा।

    फोड़ो पर :-Tulsi ke fayde 

    तुलसी की एक छटाँक पत्तियों को औटा लीजिए और उसके पानी को छानकर फोड़ो को धोइये, दर्द बन्द हो जायेगा तथा विष भी नष्ट हो जावेगा।

    सिर दर्द पर :- 

    तुलसी की पत्तियों के रस को और कपूर को चन्दन में घिसिये। खूब गाढ़ा करके उसे सिर पर लगाइये। सिर दर्द बंद हो जाएगा।

    जल जाने पर :- 

    तुलसी का लेप बनाकर उसमें गोले का तेल मिलाकर जले हुए स्थान पर लगाइये।

    आंखों के रोग पर :-Tulsi ke fayde  


    तुलसी का लेप बनाकर आंखों के आस-पास रखना चाहिए। इससे आँख ठीक हो जाती है। अगर हो सके तो तुलसी के रस में रुई को भागो कर पलक के ऊपर रखिए। इससे आँखों की रोशनी बढ़ती है।

    पित्ती निकलने पर :- 
    तुलसी के बीजों को पीसकर आँवले के मुरब्बे के साथ खाने से पित्ती दूर हो जाती है।

    जहर खा लेने पर :- 

    तुलसी की पत्तियों को पीस कर उनको मक्खन के साथ खाने से विष दूर होता है।

    बाल झड़ने पर अथवा सफेदी होने पर :-

     तुलसी की पत्तियों के साथ आँवले से सिर धोने पर बाल न तो सफेद होते है और न झड़ते हैं।

    तपैदिक होने पर :- 

    तपैदिक के मरीज को किसी तुलसी के बगीचे में रहना चाहिये और अधिक से अधिक तुलसी खानी चाहिये इससे वह शीघ्र ही स्वस्थ हो जावेगा। तुलसी की आव-हवा का तपैदिक के मरीज पर बड़ा प्रभाव पड़ता है। तुलसी की गन्ध से तपैदिक के कीटाणु मर जाते है। रोगी शीघ्र स्वस्थ होकर स्वास्थ्य लाभ भी प्राप्त करेगा।
    इसी तरह साँप के विष को दूर करने के लिये भी तुलसी एक अमूल्य औषधि है। साँप के काट लेने पर तुरन्त ही रोगी को तुलसी की पत्तियाँ खिलानी चाहिये। इसके बाद जहाँ साँप ने काटा है उस जगह को शीघ्र ही चाकू से काट देना चाहिये तथा घाव के ऊपर एक कपड़ा बड़ी मजबूती से कसकर बाँध दीजिये। इसके पश्चात जहां साँप ने काटा है वहाँ तुलसी की सुखी जड़ को घिस कर मक्खन मिलाकर उसकी पट्टी बाँधनी चाहिए। पट्टी विष को अपनी तरफ खींचेगी। जिससे उसका रंग काला पड़ जायेगा। रंग काला पड़ते ही दूसरी पट्टी बाँधनी चाहिये। जब तक पट्टी का रंग बिलकुल सफेद ही न रहे यह क्रम जारी रखना चाहिये। शीघ्र ही साँप का विष उतर जायगा।

    शिरो रोग :-

    - तुलसी की छाया शुष्क मंजरी के 1-2 ग्राम चूर्ण को मधु के साथ खाने से शिरो रोग से लाभ होता है।
    - तुलसी के 5 पत्रों को प्रतिदिन पानी के साथ निगलने से बुद्धि, मेधा तथा मस्तिष्क की शक्ति बढ़ती है।
    - तुलसी तेल को 1-2 बूंद नाक में टपकाने से पुराना स्मि दर्द तथा अन्य सिर संबंध्ी रोग दूर होते हैं।
    - तुलसी के तेल को सिर में लगाने से जुएं व लीखें मर जाती हैं। तेल को मुंह पर मलने से चेहरे का रंग सापफ हो जाता है।

    कर्ण रोग :-

    - कर्णशाल - तुलसी पत्रा स्वरस को गर्म करके 2-2 बूंद कान में टपकाने से कर्णशूल का शमन होता है।

    - तुलसी के पत्ते, एरंड की कॉपले और चुटकी भर नमक को पीसकर कान पर उसका गुनगुना लेप करने से कान के पीछे (कर्णशूल) की सूजन नष्ट होती है।

    मुख रोग :-

    - दंतशूल- काली मिर्च और तुलसी के पत्तों की गोली बनाकर दांत के नीचे रखने से दंतशूल दूर होता है।
    - तुलसी के रस को हल्के गुनगुने पानी में मिलाकर कुल्ला करने से कंठ के रोगों में लाभ होता है।
    - तुलसी रस युक्त जल में हल्दी और संेध नमक मिलाकर कुल्ला करने से मुख, दांत तथा गले के विकार दूर हाते हैं।

    वक्ष रोग :-

    - सर्दी, खांसी, प्रतिश्चाय एवं जुकाम-तुलसी पत्रा (मंजरी सहित) 50 ग्राम, अदरक 25 ग्राम तथा काली मिर्च 15 ग्राम को 500 मिली जल में मिलाकर क्वाथ करें। चौथाई शेष रहने पर छाने तथा इसमें 10 ग्राम छोटी इलायची के बीजों को महीन चूर्ण डालें व 200 ग्राम चीनी डालकर पकायें और एक बार की चाशनी हो जाने पर छानकर रख लें।
    - इस शर्बत का आधे से डेढ़ चम्मच की मात्रा में बच्चों को तथा 2 से चार चम्मच तक बड़ों को सेवन कराने से खांसी, श्वास, काली खांसी, कुक्कर खांसी, गले की खराश आदि से फायदा होता है।
    - इस शर्बत में गर्म पानी मिलाकर लेने से जुकाम तथा दमा में बहुत लाभ होता है।
    - तुलसी की मंजरी, सोंठ, प्याज का रस और शहद मिलाकर चटाने से सूखी खांसी और बच्चे के दमें में लाभ होता है।

    उदर रोग :-

    - वमन: 

    10 मिली तुलसी पत्रा स्वरस में समभाग अदरक स्वरस तथा 500 मिग्रा इलायची चूर्ण मिलाकर लेने से आराम मिलता है।

    - अग्निमांद्य-

    तुलसी पत्रा के स्वरस अथवा पफाण्ट को दिन में तीन बार भोजन से पहले पिलाने से अजीर्ण अग्निमांद्य, बालकों की वकृत प्लीहा की विकृतियों में लाभ होता है।

    - अपच-

    -तुलसी की 2 ग्राम मंजरी को पीसकर काले नमक के साथ दिन में 3 से 4 बार देने से लाभ होता है।

    अस्थिसंधि रोग :-

    - वातव्याधि - 2 से 4 ग्राम तुलसी पन्चाड चूर्ण का सुबह-शाम दूध के साथ सेवन करने से संधिशोथ एवं गठिया के दर्द में लाभ होता है।

    बाल रोग:

    - छोटे बच्चों को सर्दी जुकाम होने पर तुलसी व 5-7 बूंद अदरक रस को शहद में मिलाकर चटाने से बच्चों का कफ, सर्दी, जुकाम ठीक हो जाता है पर नवजात शिशु को यह मिश्रण अल्प मात्रा में ही दें।इन सब गुणों के अतिरिक्त तुलसी और बहुत से रोगों को दूर करती है। तुलसी की पत्तियों को सुखाकर उनको कूटकर छान लेना चाहिये और फिर नहाते समय दूध अथवा दही के साथ शरीर पर मलना चाहिये। इस प्रकार तुलसी साबुन का काम भी दे सकती है। तुलसी की पत्तियाँ और काली मिर्च सुबह नहा धोकर खानी चाहिये इससे दिन भर चित्त प्रसन्न रहता है, दिनभर शरीर में स्फूर्ति रहती है और मन शान्त रहता है। तभी तो शास्त्रों में भी लिखा है :-
    “महा प्रसाद जननी, सर्व सौभाग्य वर्दिधुनी। आदि व्याधि हरि निर्त्य, तुलसित्वं नमोस्तुते॥”
    ********************

    1.10.18

    कबाबचीनी (शीतल चीनी ) के फायदे / Benefits of Kebabchini (soft sugar)





    यह काली मिर्ची जैसी होती है। इसे कच्ची अवस्था में तोड़कर सुखा लेते हैं। इसे मुंह में रखने पर जीभ पर ठंडक मालूम होती है, इसीलिए इसे शीतलचीनी भी कहते हैं।
    इसका प्रचलित नाम कबाबचीनी है। यह सुगंधयुक्त होती है, अतः इसे मुंह में रखकर चबाने और चूसने से मुंह सुगन्धित हो जाता है।
    यह भारत में मैसूर प्रान्त में और विदेशों में जावा, सुमात्रा, श्रीलंका आदि देशों में पैदा होती है। इसका तेल निकाला जाता है जो उड़नशील और सुगंधित होता है। यह बाजार में पंसारी या जड़ी-बूटी बेचने वाली दुकान पर आसानी से मिल जाती है।
    विभिन्न भाषाओं में नाम : संस्कृत- कंकोलं। हिन्दी- शीतलचीनी, कबाबचीनी। मराठी- कंकोल। गुजराती- तड़मिरे, चणकबात। बंगला- कोकला, शीतलचीनी। तेलुगू- टोकामिरियालू, कबाबचीनी। तमिल- वलमिलाकू। मलयालम- चीनीमुलक। कन्नड़- गंधमेणसु, बालमेणस। फारसी- कबाबचीनी। इंग्लिश- क्यूबेब। लैटिन- पाइपर क्यूबेबा।
    गुण : यह स्वाद में चरपरी, तीक्ष्ण, कड़वी, रुचिकर, मूत्रल, दीपन, पाचन, हल्की, वृष्य, ऊष्णवीर्य और हृदयरोग, कफ वात तथा अंधत्व को दूर करने वाली होती है।
    उपयोग : सुगंधित मसाले के रूप में, औषधि के रूप में, मुखलेप, उबटन में सुगंध के लिए इसका उपयोग होता है।



    * कबाबचीनी का उपयोग कुछ उत्तम आयुर्वेदिक योगों में भी किया जाता है, जैसे अश्वगंधा पाक, कौंच पाक, मकरध्वज वटी, सालम पाक आदि।पुराना सुजाक : कबाबचीनी का चूर्ण 100 ग्राम और सोडा बाईकार्ब 100 ग्राम या पिसी फिटकरी 50 ग्राम मिलाकर इस मिश्रण को 1-1 चम्मच सुबह-शाम दूध-पानी की लस्सी के साथ सेवन करना चाहिए। एक कप उबलता पानी लेकर एक चम्मच कबाबचीनी का चूर्ण डालकर ढंक दें। 15-20 मिनट बाद छानकर ठंडा कर लें। इसमें 5 बूंद चंदन तेल डालकर पीने से पेशाब खुलकर होता है और वेदना मिटती है। चाहे तो इसमें आधा चम्मच पिसी मिश्री भी डालकर पी सकते हैं।
    *कबाबचीनी,चोटी इलायची,वंशलोचन,पिपली  10 ग्राम प्रत्येक लेकर महीन चूर्ण बनाएँ|इसमे 40 ग्राम मिश्री मिलाके आधा चम्मच सुबह शाम एक कप दूध के साथ लेने से स्वप्न दोष समाप्त होकर वीर्य गाढ़ा होता है|
    *पुराना सुजाक : कबाबचीनी का चूर्ण 100 ग्राम और सोडा बाईकार्ब 100 ग्राम या पिसी फिटकरी 50 ग्राम मिलाकर इस मिश्रण को 1-1 चम्मच सुबह-शाम दूध-पानी की लस्सी के साथ सेवन करना चाहिए। एक कप उबलता पानी लेकर एक चम्मच कबाबचीनी का चूर्ण डालकर ढंक दें। 15-20 मिनट बाद छानकर ठंडा कर लें। इसमें 5 बूंद चंदन तेल डालकर पीने से पेशाब खुलकर होता है और वेदना मिटती है। चाहे तो इसमें आधा चम्मच पिसी मिश्री भी डालकर पी सकते हैं।
    *********


    16.9.18

    जावित्री मसाले के औषधीय गुण / benefits of mace spice

                                                                        



    जावित्री (Mace Spice – javitri) एक मसाला है जिसका वैज्ञानिक नाम मिरिस्टिका फ्रेग्रेंस (Myristicafragrans) है। इसे जायफल की जुड़वां बहन के नाम से भी पुकारा जाता है। यह एक सुनहरे रंग का मसाला है जो कड़े छिल्‍के (hard shell) से जायफल को ढकता है। इस मसाले का आयुर्वेद नाम जतिसास्‍य या जतिफाला है और यह कई पोषक तत्‍वों से भरपूर होता है। जावित्री के फायदे अनिद्रा, खून का जमना (congestion), अस्‍थमा आदि के लिए हैं। जावित्री को पाउडर बनाकर मसाले के रूप में उपयोग किया जाता है जो कई प्रकार के स्‍वास्‍थ्‍य लाभ प्रदान करने में मदद करता है।

    *अपने पोषक तत्‍वों के कारण जावित्री को आयुर्वेदिक औषधी के रूप में जाना जाता है। जावित्री में तांबा और आयरन बहुत अच्‍छी मात्रा में होते हैं। जावित्री में विटामिन ए, विटामिन बी 1 , विटामिन सी, विटामिन बी 2 और कैल्शियम(Calcium), मैग्‍नीशियम, फॉस्‍फोरस, मैंगनीज और जस्‍ता जैसे खनिजों जैसे कई विटामिन अच्‍छी मात्रा में उपलब्‍ध होते हैं। जावित्री में कई आवश्‍यक शीघ्रवाष्‍पशील तेल (essential volatile oils) होते हैं जैसे कि सफ्रोल, मैरिस्टिकिन, एमिमिसिन, युजीनॉल और फिक्स्ड तेल ट्रिमिरीस्‍टीन (fixed oil trimyristine) बहुत ही स्‍वस्‍थ्‍य मसाले के रूप में होता है।

    तनाव करें छूमंतर:benefits of mace spice

    आजकल की जीवनशैली के चलते हर दूसरा व्‍यक्ति तनाव से ग्रस्‍त हैं। ऐसे में आपकी रसोई में मौजूद ये मसाला तनाव को दूर भगाता हैं। यह प्रभावशाली तरीके से तनाव और चिन्ता को दूर कर आपको शांत महसूस कराता है। तनाव दूर करने के साथ-साथ यह आपके मस्तिष्‍क को तेज करने में भी मदद करता है।
    *मैस मसाले का एक और स्‍वास्‍थ्‍य लाभ रक्‍त परिसं‍चरण (blood circulation) को बढ़ावा देने की क्षमता है। जावित्री आपकी त्‍वचा और बालों को स्‍वस्‍थ रखने में मदद करता है और आपको अन्‍य संक्रमण और खतरों से बचाता है। रक्‍त परिसंचरण अच्‍छा होने से मधुमेह (diabetes) और अन्‍य दिल से संबंधित बीमारियों के खतरे को कम करता है।

    अर्थराइटिस का दर्द दूर करें:benefits of mace spice

    जावित्री में मौजूद एंटी-इंफ्लेमेंटरी गुणों के कारण यह जोड़ों में दर्द और सूजन को दूर करने में मदद करता है। अगर आप भी अर्थराइटिस से परेशान रहते हैं तो 2 ग्राम जावित्री और थोड़ी सी सोंठ मिलाकर गर्म पानी के साथ खाने से अर्थराइटिस का दर्द दूर हो जाता है।
    *इस मसाले में पोटेशियम (potassium) की अच्‍छी मात्रा होती है जो हृदय को स्‍वस्‍थ्‍य बनाए रखने में मदद करती हैं। सभी प्रकार की कार्डियोवैस्‍कुलर समस्‍याओं को दूर करने के लिए यह सबसे अच्‍छा विकल्‍प है। यह मसाला वासोडिलेटर (vasodilator) के रूप में कार्य करता है और रक्‍त वाहिकाओं को आराम दिलाने में सहायक होता है। जावित्री के फायदे उच्‍च रक्‍तचाप को नियंत्रित करने के लिए भी होते हैं जो पूरे शरीर में स्‍वस्‍थ्‍य रक्‍त *परिसंचरण (blood circulation) बनाए रखता है। यदि आप उच्‍च रक्‍तचाप की समस्‍या से जूझ रहे हैं तो आप जावित्री का उपयोग कर सकते हैं।

    सर्दी जुकाम का इलाज:benefits of mace spice

    इस मसाले से आप अपनी सर्दी और जुकाम का इलाज भी कर सकते हैं। यह आपको फ्लू और वायरल रोगों से बचाता है और आपके शरीर को रोगों से सुरक्षित रखता है। इसका उपयोग खांसी के सिरप को तैयार करने के लिए भी किया जाता है। जावित्री अस्थमा के रोगियों के लिए बहुत अच्छा होता है।
    *दांतों को स्‍वस्‍थ्‍य (Healthy Teeth) बनाने के लिए जावित्री का उपयोग बहुत ही फायदेमंद होता है। इसके साथ आप अपने मुंह की बदबू के उपचार के लिए भी इसका उपयोग कर सकते हैं। जावित्री के फायदे सभी प्रकार की दांत समस्‍याओं को दूर करने में मदद करते हैं। जावित्री मसाला दांतों और मसूढ़ों के दर्द को दूर करने का प्राकृतिक उपाय है और बहुत से दंत मंजनों में इसका उपयोग किया जाता है।


    *आजकल की भाग दोड़ भरी जिन्दंगी में मानसिक तनाव एक ऐसे बीमारी है जो किसी को बक्श नहीं रही है| तनाव एक ऐसा शब्द बन गया है जो सुबह से उठते ही हर कोई महसूस करता है| आज हम जानेंगे तनाव के कारण, लक्षण एवं तनाव से बचने के उपाय| तनाव मुख्या रूप से दो प्रकार के होते है| अच्छा तनाव और बुरा तनाव, दोनों मे अंतर इतना है की एक तनाव तरक्की की तरफ ले जाता है और दूसरा समय और जिन्दंगी नष्ट करता है| अच्चा तनाव के कारण हम अपने काम को सही तरीके से और समय पर कर पाते है| वही दूसरी ओर बुरे तनाव के कारण हम अपनी सेहत को नुकसान पंहुचाते है और मानसिक बीमारियों को बुलाते है|
    *मस्तिष्‍क स्‍वास्‍थ्‍य (Brain health) को बढ़ावा देने और मस्तिष्‍क के कार्यों को उत्‍तेजित करना जावित्री के प्रमुख स्‍वास्‍थ्‍य लाभों में से एक है। मस्तिष्‍क स्‍वास्‍थ्‍य के लिए जावित्री के फायदे सिर्फ इतने ही नहीं है, बल्कि यह तंत्रिका मार्गों को भी स्‍वस्‍थ्‍य बनाता हैं क्‍योंकि इसमें माइरिस्टिन और मेकेलिग्‍न (myristicin and macelignan) होते हैं। साथ ही यह आपके संज्ञानात्‍मक कार्यों को बढ़ाने वाले तत्‍व होते हैं। इन्‍ही उपयोगिताओं के कारण जावित्री मस्तिष्कि के लिए बहुत अधिक फायदेमंद होती है।

    मुंह स्वास्थ्य के लिए अच्‍छा:benefits of mace spice

    जावित्री में एंटीबैक्‍टीरियल और एंटिफंगल गुण होते हैं। जो बैक्‍टीरिया के विकास को रोकते है जिससे सांसों की बदबू दूर होती है और मसूड़े स्वस्थ रहते है। युजनोल की उपस्थिति के कारण दांत दर्द कम करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। यहां तक कि बहुत सारे टूथपेस्ट्स और ओरल केयर उत्पादों में एक जावित्री एक आम घटक है।
    *मानसिक तनाव आजकल लोगो पर इतना हावी हो चुका है की लोगो को मनोचिकित्सक का सहारा लेना पड़ रहा है| यह एक भयंकर बीमारी का रूप ले रही है जिसका इलाज काफी कठिन है|
    *इस मसाले का सेवन करने का एक और फायदा यह है‍ कि यह सर्दी और खांसी (Cold and Cough) से आपकी रक्षा करता है। इस मसाले का सेवन करने से यह फ्लू और वायरल बीमारियों से आपको बचाता है। इस मसाले में मौजूद गुणों के कारण यह आपके मस्ति‍ष्‍क, अस्‍थमा (asthma) और अन्‍य श्वसन संबंधी समस्‍याओं का उपचार करने में मदद करता है। यदि आप जावित्री के फायदे नहीं जानते थे, तो अब आप इसका उपयोग कर लाभ प्राप्‍त कर सकते हैं।

    त्‍वचा के लिए उत्‍कृष्‍ट:benefits of mace spice

    सेहत के साथ-साथ जावित्री त्‍वचा के लिए भी बहुत अच्‍छा होता है। जी हां जावित्री मसाले का इस्‍तेमाल पुराने समय से ही त्‍वचा देखभाल के लिए किया जाता है। इसमें मौजूद एंटी-बैक्‍टीरियल, एंटी-इंफ्लेमेटरी और सुखदायक गुण त्‍वचा की अच्‍छे से देखभाल करते हैं। यह जलन को कम और त्‍वचा को अच्‍छे से हाइड्रेट्स करता है। साथ ही जावित्री मुंहासे के निशान और ब्लैकहैड्स को दूर करता है। यह पोर्स को साफ और मृत त्वचा को निकालने में मदद करता है।
    *आप अपने गुर्दे को स्‍वस्‍थ्‍य रखने के लिए जावित्री का उपभोग कर सकते हैं। इसमें गुर्दे की रक्षा करने की क्षमता होती है। यह आपके शरीर में गुर्दे के पत्‍थरों के विकास को रोकने में मदद करता है, और यदि आपको गुर्दे की पथरी(kidney stone) है तो यह उन्‍हें दूर करने में भी मदद करता है। गुर्दे के संक्रमण और अन्‍य संबंधित समस्‍याओं को दूर करने का जावित्री एक प्राकृतिक उपाय है। 
    *******************

    9.9.18

    कंधे के दर्द,सूजन से मुक्ति पाने के उपाय

                                                           


    मनुष्य के शरीर में सभी हिस्से टीम की तरह काम करते हैं। ऐसे में किसी भी एक हिस्से में होने वाली तकलीफ पूरे शरीर को पीड़ा से भर देती है। कंधे का डिसलोकेट हो जाना भी ऐसी ही एक तकलीफ है। जब यह तकलीफ बढ़ जाती है तो गंभीर रूप ले सकती है। समय पर होने वाला इलाज इसमें काफी राहत मिल सकती है।
    हमारे शरीर में कंधे सबसे ज्यादा मूव करने वाले जोड़ के रूप में उपस्थित होते हैं। ये खुद कई दिशाओं में घूमने के साथ ही बांहों को घुमा सकता है, उन्हें सिर तक ऊंचा कर सकता है और आस-पास फैलाने में मदद कर सकता है। ऐसे में कंधे के डिसलोकेट होने से कई सारी गतिविधियों पर रोक लग सकती है। साथ ही तेज दर्द भी हो सकता है। ऐसा कई कारणों से हो सकता है, लेकिन त्वरित उपचार और सही तरीकों से इसे कंट्रोल में किया जा सकता है।
    हमारे कंधे तीन हड्डियों से मिलकर बने होते हैं। ऊपरी बांहों की हड्डी यानी ह्यूमरस, शोल्डर ब्लेड स्कैप्युला तथा कॉलरबोन क्लेविकल। ह्यूमरस का बॉलनुमा सिर, शोल्डर ब्लेड के एक खांचे जैसे सॉकेट 'ग्लेनॉइड' में फिट हो जाता है और इसके आस-पास मौजूद टिशूज इस बॉल को खांचे में फिट बनाए रखने में मदद करते हैं। जब किसी कारण से यह बॉल, सॉकेट से बाहर निकल आती है तो शोल्डर डिसलोकेट हो जाता है और ऐसी हालत में वह अपनी पकड़ स्थाई नहीं रख पाता और बार-बार डिसलोकेट होने लगता है।
    इस स्थिति को क्रॉनिक शोल्डर इनस्टेबिलिटी कहते हैं। ज्यादातर मामलों में इसके पीछे कोई चोट या लगातार कंधों पर पड़ने वाला दबाव जिम्मेदार होता है। कुछ केसेस में मसल्स के कमजोर होने या शोल्डर सॉकेट के सही आकार में न होने पर भी यह तकलीफ पनपती है, तब इसे एट्रॉमेटिक शोल्डर इनस्टेबिलिटी कहा जाता है।
    पीड़ादाई लक्षण-

    शोल्डर के इस स्थिति में आ जाने से उसकी कार्यप्रणाली बाधित हो जाती है और समस्या खड़ी हो जाती है। इसके अलावा अन्य लक्षण जो क्रॉनिक शोल्डर इनस्टेबिलिटी में नजर आते हैं, वे हैं-
    शोल्डर का कुछ विशेष स्थितियों में बार-बार अपनी जगह से खिसक जाना या ढीला महसूस होना। जैसे हाथों को सिर के ऊपर ले जाते हुए ऐसा महसूस होना



    , चिमटी काटने जैसा अहसास

    तेज दर्द
    बांहों में किसी जगह पर सुन्न् होने का अहसास होना
    कमजोर मूवमेंट और मसल्स में कमजोरी, आदि।
    उपचार से मिलती राहत
    सामान्य मामलों में कंधे का खिसक जाना कभी-कभार की घटना हो सकती है लेकिन इसका बार-बार खिसकना गंभीर समस्या का कारण बन सकता है। ऐसे में उपचार जरूरी हो जाता है। इसके लिए सर्जिकल और नॉनसर्जिकल दोनों ही तरह की उपचार पद्धतियां अपनाई जा सकती हैं। नॉनसर्जिकल तरीकों में सबसे पहले सूजन कम करने वाली दवाओं और दर्दनिवारकों के जरिए तकलीफ कम करने का लक्ष्य रखा जाता है। कई बार दर्द के काबू में आने पर कुछ विशेष इंजेक्शन भी दिए जा सकते हैं।
    साथ ही फिजियोथैरेपी की भी नियमित मदद ली जा सकती है। थैरेपीज लगभग 6-8 हफ्तों तक जारी रखी जा सकती है। सर्जरी के जरिए टूटे या खिंचे हुए लिगामेंट्स को रिपेयर करने का प्रयास किया जाता है। साथ ही सॉकेट के हिस्से को भी सुधारने की कोशिश की जाती है। सर्जरी के बाद बताए गए व्यायामों को नियमित करना फायदे को बढ़ाने में मदद करता है।
    कंधे का दर्द काफी समय तक बना रहने पर रोगी को आमतौर पर कंधे के कुछ प्रकार के व्यायाम करने की सलाह दी जाती है। और इस काम में कुछ प्रभावी थेरेपी एक्सरसाइज बेहद मददगार होती हैं।



    कंधे के थेरेपी व्यायाम-


    कंधे का दर्द काफी समय तक बना रहने पर रोगी को आमतौर पर कंधे के कुछ प्रकार के व्यायाम करने की सलाह दी जाती है। इसका उद्देश्य जितना संभव हो, कंधे को जकड़न से मुक्त करना और उसकी गतिशीलता बनाये रखना है। कुछ जटिल मामलों में जब इन सबसे फायदा नहीं होता है, तो डॉक्टर सर्जरी की सलाह भी दे सकते हैं। हालांकि सर्जरी की सलाह केवल कुछ गंभीर मामलों में ही दी जाती है। आमतौर पर तो निम्न प्रभावी थेरेपी एक्सरसाइज की मदद से ही कंधे के दर्द का उपचार हो जाता है।

    फ्रोजन शोल्डर है बड़ा कारण-

    आमतौर पर फ्रोजन शोल्डर के तीन चरण होते हैं। पहले चरण में व्यक्ति को कंधे में दर्द होने लगता है। दूसरे में उसे कंधे को हिलाने-डुलाने या कोई काम करने में परेशानी होती है। वहीं तीसरे चरण में कंधे की मूवमेंट बिल्कुल रुक जाती है। अधिकांश वृद्ध लोगों कोतो बालों में कंघी करने या कपड़े पहनने तक में परेशानी महसूस होती है। ऐसे में कप को उठाने जैसी दैनिक गतिविधियों में भी कंधे में दर्द होता है।

    आइसोमेट्रिक नेक एंड शोल्डर एक्सरसाइज-

    आइसोमेट्रिक नेक एंड शोल्डर एक्सरसाइज घर पर ही दिन में 3 से 4 बार किया जा सकता है। इसे करने के लिये सिर और गर्दन को सीधा करके बैठ जाएं। हाथों को कान के ऊपर रखें और हथेली से सिर पर दबाव डालें। सिर को हिलाए बिना ही इस प्रक्रिया को कम से कम दोनों हाथों से आठ से दस बार करें। इससे अलावा कंधों को मजबूत करने के लिए दोनों हाथों को सामने की ओर दीवार पर रखकर दीवार पर दबाव डालें। पांच से दस सेकेंड के बाद हाथों को वहां से हटा दें। आठ से दस बार इस प्रक्रिया को करें, लाभ होगा।
    समय रहते अगर इस पर ध्‍यान न दिया जाए तो कुछ समय बाद कंधे का दर्द नियमित होता जाता है। ऐसे में दर्द से तो जुझने के साथ ही साथ आपके काम में भी बाधा पहुंचने लगती है।
    कहा जाता है कि ज्यादा नमक खाना सेहत के लिए नुकसानदायक है, लेकिन यह नमक हो सकता है आपके लिए बेहद फायदेमंद। जी हां, आयुर्वेद के अनुसार सेंधा नमक स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद है, इसलिए इसे सर्वोत्तम नमक कहा गया है। सेंधा नमक में लगभग 65 प्रकार के खनिज लवण पाए जाते हैं, जो कई तरह की बीमारियों से बचाने में मददगार होते हैं।
    वहीं इसका एक बढ़ि‍या फायदा यह है कि यह पाचन के लिए फायदेमंद है। चूंकि यह पाचक रसों का निर्माण करता है, इसलिए कब्ज भी दूर करने में सहायक है। यह कोलेस्ट्रॉल कम करने में सहायक है, जिससे दिल के दौरे की संभावना को भी कम करता है। इसके अलावा हाई ब्लडप्रेशर को कंट्रोल करने में भी सेंधा नमक फायदेमंद होता है।
    तनाव अधिक होने पर सेंधा नमक का सेवन करना लाभकारी होगा, यह सेरोटोनिन और मेलाटोनिन हार्मोन्स का स्तर शरीर में बनाए रखता है, जो तनाव से लड़ने में आपकी मदद करते हैं। बढ़ती उम्र में अक्सर ही लोगों को जोड़ों में दर्द की समस्या से जुझना पड़ता है। इन जोड़ों के दर्द में सबसे ज्यादा परेशानी कंधो के दर्द को लेकर होती है।
    कई बार तो अचानक ही कंधे में असहनीय दर्द होने लगता है। लेकिन कुछ समय बाद आप पाते हैं कि कंधे का दर्द नियमित होता जा रहा है। ऐसे में दर्द से तो जुझने के साथ ही साथ आपके काम में भी बाधा पहुंचने लगती है। यह बात भी सही है कि हर किसी के लिए मंहगी डॉक्टरी इलाज का बोझ उठा पाना संभव नहीं होता है। इसलिए यहां पर हम आपको कुछ ऐसे ही आसान तरीके बता रहे हैं जिन्हें अपनाकर आप बढ़ती उम्र में होने वाले कंधे के दर्द से निजात पा सकते हैं।
    सेंधा नमक का इस्तेमाल भी कंधे के दर्द से निपटने का एक आसान सा तरीका है। पिछले काफी समय से लोग इसे उपयोग में ला रहे हैं। लेकिन यह विधि ऊपर दी गई विधियों से काफी अलग है। इसके लिए आप एक टब में हल्का गर्म पानी लेकर उसमें एक या दो कप सेंधा नमक डालें। इसके बाद उसी पानी में पंद्रह मिनट के आस-पास के लिए बैठ जायें। ध्यान रहे कि आपका कंधा भी पानी में डुबा होना चाहिए। सेंधा नमक में मैग्नीशियम सल्फेट पाया जाता है। जो प्राकृतिक रूप से दर्द को कम करके आपकी मांसपेशियों को आराम पहुंचाता है।
    कंधे में दर्द किसी भी उम्र में हो सकता है. लेकिन जो लोग लैपटॉप, टैबलेट और स्मार्टफोन पर अधिक समय बिताते हैं उन्हें कंधे में दर्द की समस्या अधिक रहती है. कुछ घरेलू नुस्खों को अपनाकर आप आसानी से कंधे के दर्द से छुटकारा पा सकते हैं.
    *कंधे के दर्द से छुटकारा पाने के लिए ठंडे पानी से सिंकाई करनी चाहिए. ये दर्द से राहत देने के लिए बहुत फायदेमंद है. एक प्लास्टिक बैग में बर्फ के टुकड़े रखकर बैग को तौलिए में लपेट लो और दर्द की जगह पर 10 से 15 मिनट तक रखों. दिनभर में कई बार और कुछ दिनों तक लगातार ऐसा ही करें. आप तौलिए को ठंडे पानी में भिगोकर भी ऐसा कर सकते हैं. ध्यान रहे, बर्फ को सीधे दर्द की जगह पर ना लगाएं.
    * ठंडे पानी से सिंकाई की तरह ही गर्म सिंकाई भी कंधे के दर्द और सूजन से राहत देती है. कंधे में यदि चोट लग जाए तो 48 घंटे बाद गर्म सेंक का इस्तेमाल करना चाहिए. इससे मसल्स का तनाव भी दूर होगा और मांसपेशियों के तनाव को दूर करने में भी मदद मिलेगी. एक बैग में गर्म पानी भरकर 10 से 15 मिनट दर्द की जगह पर लगाएं. दिनभर में कई बार और कुछ दिनों तक लगातार इसी प्रक्रिया को दोहराएं जब तक दर्द से राहत नहीं मिलती.


    * कंधे में दर्द की जगह पर दबाव बनाएं इससे कंधे की सूजन कम होगी. इलास्टिक बैन्डेज या गर्म पट्टी से कंधे पर दबाव बनाया जा सकता है. दर्द की जगह पर बैन्डेज तब तक बांधें जब तक सूजन और दर्द कम ना हो जाएं. इसके अलावा तकिए की मदद से भी कंधे को सपोर्ट किया जा सकता है. ध्यान रहे, बैन्डेज बहुत टाइट ना बांधें.

    * सेंधा नमक के पानी में नहाने से कंधे के दर्द में आराम मिलेगा. इससे मांसपेशियों का तनाव भी दूर होगा और ब्लड सरकुलेशन भी बढ़ेगा. साथ ही शरीर को भी आराम मिलेगा. बाथटब को गुनगुने पानी से भर लें. इसमें 2 चम्मच सेंधा नमक अच्छे से मिलाएं. 20 से 25 मिनट तक इस पानी में कंधे को डूबोए रखें. सप्ताह में तीन बार ऐसा करें.
    * कंधे के दर्द से राहत पाने के लिए मसाज भी की जा सकती है. मसाज के जरिए कंधे की मांसपेशियों का तनाव कम किया जा सकता है. इससे ब्लड सरकुलेशन भी ठीक रहता है और सूजन भी आसानी से कम हो जाती है. आपको किसी ऐसे व्यक्ति से मसाज करवानी चाहिए जो अच्छी मसाज कर सकें. मसाज के लिए जैतून का तेल, नारियल तेल या सरसों के तेल का इस्तेमाल किया जा सकता है. तेल को हल्का सा गर्म कर लें. इसके बाद हल्के दबाव के साथ मसाज शुरू करें. 10 मिनट मसाज के बाद गर्म तौलिये को दर्द की जगह पर रखें, इससे आपको बेहतर रिजल्ट मिलेगा. इस प्रक्रिया को दिन में कई बार, कई दिन तक दोहराएं.
    * कई बार कंधें में दर्द, मांसपेशियों की कमजोरी की वजह से होने लगता है. ऐसे में आप दर्द को दूर करने के लिए प्रोटीन, कैल्‍शियम और विटामिन का ओरली सेवन करें. इससे राहत मिलेगी.
    * दर्द होने पर भी कई लोग लगातार काम करते रहते हैं, वो काम नहीं करते हैं बल्कि अपने लिए मुसीबत खड़ी कर रहे हैं. जब भी दर्द हो, तो आराम करें. आराम करने से शरीर को राहत मिलेगी.
    * कई बार गलत तकिया लगाने से भी दर्द होने लगता है. कंधे में दर्द होने पर तकिया न लगाएं या फिर सॉफ्ट तकिया लगाएं.
    * अगर आप धूम्रपान करते हैं तो करना छोड़ दें. ऐसा करने से शरीर में रक्‍त का संचार अच्‍छी तरह होगा और दर्द जैसी कई समस्‍याओं से छुटकारा मिल जाएगा.
    * रोजमेरी का ह फूल, कंधे के दर्द में बहुत फायदा करता है. इसे उबाल कर इसका काढ़ा पीने से काफी लाभ मिलता है.
    * कंधें में दर्द होने स्‍ट्रेचिंग करें. इससे आपको दर्द में राहत महसूस होगी. लेकिन भारी वजह उठाने से बचें.

    विशिष्ट परामर्श-  

    संधिवात,कमरदर्द,गठिया, साईटिका ,घुटनो का दर्द,  कंधे का दर्द   आदि वात     जन्य रोगों में जड़ी - बूटी निर्मित हर्बल औषधि ही अधिकतम प्रभावकारी सिद्ध होती है| रोग को जड़ से निर्मूलन करती है|औषधि से बिस्तर पकड़े पुराने रोगी भी दर्द मुक्त गतिशीलता हासिल करते हैं| औषधि के लिए वैध्य श्री दामोदर से 98267-95656 पर संपर्क कर सकते हैं|