1.4.24

सफ़ेद दाग से मुक्ति के उपचार ,Vitiligo upchar

  

  कई लोगों को स्किन इंफेक्शन के तौर पर शरीर के अलग-अलग हिस्सों सफेद दाग की समस्या होती है. अगर समय रहते इसका ट्रीटमेंट शुरू नहीं किया गया, तो यह रोग शरीर के बाकी हिस्सों में भी फैलने लगता है. आगे चलकर सफेद दागो के जड़ पकड़ने पर इसे नियंत्रित करना कठिन हो सकता है. यूं तो सफेद दाग के कई कारण होते हैं, लेकिन कई बार कई बार दिमाग पर अधिक बोझ पड़ने पर भी यह रोग हो जाता है.
सफेद दाग को अंग्रेजी भाषा में विटिलिगो कहा जाता है। आपने भी शायद अपनी जिंदगी में एक न एक बार विटिलिगो से पीड़ित व्यक्ति को जरूर देखा होगा। ऐसा देखा जाता है कि उनके शरीर के लगभग सभी अंगों पर सफेद धब्बे होते हैं, जो ज्यादातर पैरों, चेहरे, और हाथों पर दिखते हैं।
विटिलिगो यानी सफेद दाग स्किन से संबंधित बीमारियों में से एक बीमारी है, जो खून से संबंधित एलर्जी, गलत खाना-पीना और स्किन इन्फेक्शन के कारण होता है।

सफेद दाग के लक्षण

जब भी किसी व्यक्ति को सफेद दागहोने शुरू होते हैं तो उसकी शुरुआत एक हल्के पीले या गुलाबी रंग के धब्बे से होती है। फिर यह धीरे धीरे सफेद होना शुरू होते हैं। गुलाबी रंग के इस धब्बे का आकार शुरुआत में तो बहुत छोटा होता है लेकिन आगे चलकर यह कितना बढ़ेगा य​ह निश्चित नहीं होता है। हालांकि डॉक्टर से संपर्क कर आप वक्त रहते इस पर काबू पा सकते हैं। सिर्फ यही नहीं स्किन के सफेद होने के साथ ही विटिलिगो में सिर, भौंहो, दाढ़ी और पलकों के बाल भी समय से पहले सफेद होने लगते हैं।

कारण-

इम्युन सिस्टम का कमजोर होना विटिलिगो की चपेट में आने का सबसे आम कारण माना जाता है।
. जिन लोगों को फंगल इंफेक्शन की समस्याहोती हैं उनके शरीर में भी सफेद दाग होने की संभावना काफी बढ़ जाती है।
ल्यूकोडरमा भी विटिलिगो होने का एक बड़ा कारण माना गया है।
  विटिलिगो (vitiligo in hindi) या सफेद दाग एक ऑटो इम्यून कंडीशन है। ऑटो इम्यून का मतलब है कि हमारी इम्युनिटी हमारी अपनी त्वचा की कोशिकाओं को टारगेट करती है और उसे नष्ट कर देती है। विटिलिगो में, शरीर को रंग देने वाली कोशिकाएं (pigment cells) नष्ट हो जाती हैं जिससे त्वचा या बालों पर सफेद धब्बे हो जाते हैं।
विटिलिगो एक त्वचा की स्थिति है जिसमें शरीर पर सफेद धब्बे हो सकते हैं। इसकी शुरुआत की बात करें तो विटिलिगो शरीर के किसी भी अंग से शुरू हो सकता है या इसे शरीर के कई हिस्सों में फैलाया जा सकता है। जैसे कुछ सामान्य क्षेत्र आंखों के आसपास, मुंह के आसपास, कोहनी, घुटने, पैर, हाथों के पीछे और हाथ में। साथ हीसफेद धब्बे एक पैच या एकाधिक पैच हो सकते हैं। ये किसी एक क्षेत्र को प्रभावित कर सकता है या पूरे शरीर में हो सकता है। जैसे

-चेहरे

हाथ

-पैर

-छाती आदि पर हो सकते हैं।
साथ ही ये खोपड़ी, भौंहों, पलकों आदि पर और बालों को भी समय से पहले सफेद बना सकता है। साथ ही ये मुंह और नाक के अंदर तक भी हो सकता है और इसे बदरंग कर सकता है।

सफेद दाग क्या होता है?

आयुर्वेद के अनुसार वात, पित्त और कफ यानि त्रिदोषज के कारण ही सभी प्रकार के त्वचा के रोग होते हैं फिर भी दोषों के अपने निजी लक्षणों से उनकी सबलता तथा निर्बलता की समीक्षा (diagnosis) कर उसके अनुसार चिकित्सा की जाती है। जिस दोष के लक्षण को विशेष रूप से बढ़े हुए नजर आते हैं उसकी चिकित्सा पहले की जाती है। ये वात, कफ की प्रधानता होने पर होते हैं।

सफेद दाग क्यों होता है-

सफेद दाग का सबसे आम कारण आनुवंशिक या वंशानुगत है। अगर परिवार में किसी को विशेष रूप से माता-पिता को सफेद दाग है, तो बच्चे में भी विटिलिगो विकसित होने की संभावना होती है। इसके अलावा अन्य ऑटोइम्यून बीमारियों का पारिवारिक इतिहास है या फिर आप किसी अन्य ऑटो इम्यून स्थितियों से पीड़ित हैं, तो विटिलिगो विकसित होने की संभावना है। इसके अलावा कुछ घटनाओं को भी विटिलिगो का कारण माना जाता है जैसे कि
-बच्चे के जन्म के दौरान तनाव
-प्रेगनेंसी के दौरान कैमिकल्स के संपर्क में रहना जिससे कि त्वचा को नुकसान हो
-कट और घाव जो विटिलिगो का कारण बन सकते हैं। जब एक कट, खरोंच या घाव से विटिलिगो होता है इसे कोबनेर की घटना ( koebner’s phenomenon) कहते हैं।
4. खाने में पोषक तत्वों की कमी खासकर के प्रोटीन की कमी भी सफेद दाग होने का एक कारण है।
5. यह रोग पूरी तरह से जेनेटिक नहीं है, महज 1 प्रतिशत मामलों में ऐसा देखा गया है कि जिन बच्चों के माता पिता को विटिलिगो की समस्या होती है उनके बच्चों को भी इससे जूझना पड़ता है।

सफेद दाग का इलाज क्या है

ऐसा कतई नहीं है कि सफेद दाग का कोई इलाज नहीं है। आज के समय में विटिलिगो को पूरी तरह से सही करने के लिए तमाम तरह के इलाज और थेरेपी उपलब्ध हैं। लेजर तकनीक की मदद से डॉक्टर प्रभावित हिस्से से सफेद दाग को दूर करते हैं और उस स्थान पर व्यक्ति की स्किन का जैसा रंग होता है वैसे ही रंगों की कोशिकाओं को छोड़ते हैं। करीब 5 से 6 हफ्ते बाद इसे हटा दिया जाता है। डॉक्टर कहते हैं कि 3 से 4 महीने में स्किन का रंग काफी हद तक सामान्य हो जाता है।

सफेद दाग के शुरूआती लक्षण

सफेद दाग की पहचान में सबसे शुरुआती लक्षण है, त्वचा का रंग फीका पड़ना और उस जगह पर बाल भी सफेद होना। शरीर पर अगर सफेद दाग हो जाये और उसके बाद कहीं चोट लगे और वो जगह भी सफेद हो जाये तब आपको समझ जाना चाहिए कि ये समस्या तेजी से शरीर में बढ़ रही है। ल्यूकोडर्मा का रोग कोई सरलता से ठीक होने वाला रोग नहीं है और न ही ये छूने से फैलता है। आयुर्वेदिक तरीके से उपाय करके इस समस्या को ठीक कर सकते हैं।

एप्पल साइडर विनेगर की लें मदद

बरसात के दिनों में शरीर पर हुए सफेद दाग की परेशानी से निपटने के लिए आप एप्पल साइडर विनेगर का प्रयोग कर सकते हैं. बता दें कि, इसमें एंटी-फंगल गुण होते हैं, जो इन दागों से छुटकारा दिला सकते हैं. इसके लिए आप 1 गिलास गर्म पानी लें. अब इसमें 2 बड़े चम्मच एप्पल साइडर विनेगर मिक्स करें. इसके बाद इसमें रुई डुबोकर संक्रमण प्रभावित जगह पर लगाएं. ऐसा करने से आपकी परेशानी धीरे-धीरे कम हो सकती है.

बथुआ सफेद दाग में फायदेमंद 

सफेद दाग से ग्रस्त व्यक्ति को रोज बथुआ की सब्जी खानी चाहिए। बथुआ उबाल कर उसके पानी से सफेद दाग वाली जगह को दिन में तीन से चार बार धोयें। कच्चे बथुआ का रस दो कप निकालकर उसमें आधा कप तिल का तेल मिलाकर धीमी आंच पर पकायें जब सिर्फ तेल रह जाये तो उसे उतारकर शीशी में भर लें। इसे लगातार लगाते रहें।


नारियल तेल का करें प्रयोग

नारियल तेल में मौजूद एंटी-फंगल गुण शरीर से सफेद दाग की परेशानी को कुछ ही दिनों में दूर करने में असरदार माने जाते हैं. इसके साथ ही यह स्कैल्प दाद के लिए भी उपयोगी माना जाता है. इसका प्रयोग फंगल संक्रमण वाले स्थान पर आप दिन में 4-5 बार करें. ऐसा करने से कुछ ही दिनों में सफेद दाग की समस्या से निजात मिलनी शुरू हो जाएगी.

ताम्बे के बर्तन का पानी पियें

जिस व्यक्ति या महिला को सफेद दाग की समस्या हो जाए तो वह तांबे के बर्तन में रात को पानी भरकर उसका सुबह उठकर सेवन करें। गाजर, लौकी और दालें अधिक से अधिक सेवन करना चाहिए, जिससे कि शरीर में पोषक तत्वों की कमी न हो। दो से चार बादाम का प्रतिदिन सेवन करें।

नीम से हटाएं सफेद

चेहरे से सफेद दाग की समस्या को दूर करने के लिए नीम की पत्तियों का इस्तेमाल किया जा सकता है. नीम की पत्तियों में एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-फंगल और एंटी-संक्रमण गुण पाया जाता है जो सफेद दाग की परेशानी को कम करने में असरदार होती है. इसका इस्तेमाल करने के लिए नीम की पत्तियों को सूखा लें. अब इसे पाउडर के रूप में तैयार कर लें. इसके बाद इसमें थोड़ा सा पानी मिक्स करके इसका पेस्ट तैयार कर लें. इसके बाद इसे आप चेहरे पर लगाएं. नियमित रूप से इस मिश्रण को चेहरे पर लगाने से आपकी खूबसूरती बढ़ेगी.

नीम की पत्ती और शहद सफेद दाग में फायदेमंद

नीम की ताजी कोपल का पेस्ट बनाकर उसे छलनी में डालकर उसका रस निकाल लें। एक बड़ी चम्मच नीम के रस में एक चम्मच शहद मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करें। इस मिश्रण का सेवन आप उम्रभर भी कर सकते हैं। इसके अलावा दो चम्मच अखरोट पाउडर में थोड़ा-सा पानी मिलाकर इसका पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को दाग वाली जगह पर 20 मिनट तक लगाकर रखें। ऐसा दिन में तीन से चार बार करें।

हल्दी और सरसों का तेल सफेद दाग में फायदेमंद

जिस व्यक्ति या महिला को सफेद दाग की समस्या हो जाए तो वह तांबे के बर्तन में रात को पानी भरकर उसका सुबह उठकर सेवन करें। गाजर, लौकी और दालें अधिक से अधिक सेवन करना चाहिए, जिससे कि शरीर में पोषक तत्वों की कमी न हो। दो से चार बादाम का प्रतिदिन सेवन करें। दाग वाली जगह लगाने से दाग कम होने लगता है। इसके लिए आप एक चम्मच हल्दी पाउडर लें। अब इसे दो चम्मच सरसों के तेल में मिलाए। अब इस पेस्ट को सफेद चकतों वाली जगह पर लगाएं और 15 मिनट तक रखने के बाद उस जगह को गुनगुने पानी से धो लें। ऐसा दिन में तीन से चार बार करें। इससे आराम मिलेगा।

दही का करें सेवन

शरीर में सफेद जैसे लक्षण दिखने लगें तो आप दही का इस्तेमाल कर सकते हैं. बता दें कि, दही और प्रोबायोटिक्स में अच्छे बैक्टीरिया की मौजूदगी होती है, जो कई फंगल संक्रमणों को दूर रखने में मदद कर सकते हैं. ये उन रोगाणुओं से लड़ते हैं, जो इन संक्रमणों का कारण बन सकते हैं. यदि किसी को इस तरह की दिक्कत है तो दही का सेवन कर सकते हैं.

ग्रीन टी स्किन पर लाए निखार

सफेद दाग की समस्या से छुटकारा पाने के लिए ग्रीन टी का इस्तेमाल करें. ग्रीन टी में मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण स्किन को हील कर सकता है. इसका इस्तेमाल करने के लिए ग्रीन टी बैग को काटकर इसकी पत्तियां निकाल लें. अब इसमें थोड़ा सा शहद मिक्स करके इसे चेहरे पर क्लींजर की तरह लगाएं. इसके बाद कॉटन से पोछ लें. इस तरह कुछ दिनों तक ग्रीन टी और शहद चेहरे पर लगाने से स्किन ग्लो करेगा.
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31.3.24

पैरों के तलवों में पसीना आने के कारण और उपचार




पैरों के तलवों का स्वस्थ होना भी बहुत जरूरी होता है। क्योंकि जब पैरों के तलवों में कोई दिक्कत आती है, तो व्यक्ति को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। पैरों के तलवों से जुड़ी कई समस्याएं हो सकती हैं। इसमें तलवों में जलन, दर्द या फिर पसीना आना हो सकता है। अगर आपको भी पैरों के तलवों में जलन होता है, तो यह कई कारणों की वजह से हो सकता है। आपको बता दें कि शरीर के अंगों में पसीना आने को मेडिकल टर्म में हाइपरहाइड्रोसिस कहा जाता है। इसमें शरीर में अत्यधिक पसीना आता है, यह गर्मी से संबंधित पसीना नहीं होता है।

दिल से जुड़ी बीमारियों में

हमारा दिल हमारे शरीर का आधार है और अगर आपका दिल सही तरीके से काम करता रहेगा तो आप भी पूरी तरीके से फिट रहेंगे। लेकिन जब आपका दिल कमजोर हो जाता है तो आप दिल की कई गंभीर बीमारियों का शिकार हो सकते हैं, जिसमें अचानक तेज पसीना आना आपके लिए एक खतरनाक संकेत साबित हो सकता है। दिल से जुड़े रोगों का शिकार होने पर आपके तलवे पसीने से भीग सकते हैं और ये स्थिति आपको आगे चलकर परेशान कर सकती है।

तलवों में पसीने के कारण

ऊपर लिखी 4 स्वास्थ्य समस्याओं के अलावा कई अन्य कारण भी ऐसे हैं, जिनकी वजह से तलवे में पसीना आने लगता है। अगर आपको इंफेक्शन हुआ है तो भी आपको ये परेशानी हो सकती है। कई बार फंगल इंफेक्शन की वजह से भी तलवों पर पसीना आने लगता है। अगर आपको सांस लेने में दिकक्त है या फिर आप दवा का ज्यादा सेवन करते हैं तो भी आपरे तलवों में पसीना आ सकता है।

थायरॉइड

थायरॉइड की समस्या तब होती है, जब थायरॉइड ग्रंथि शरीर में हार्मोन्स का उत्पादन सही तरीके से नहीं कर पाती है। इस स्थिति में थायरॉइड ग्रंथि हार्मोन का कम या अधिक उत्पादन कर सकती है। थायरॉइड होने पर हार्मोन असंतुलित हो जाते हैं। वैसे तो थायरॉइड महिलाओं और पुरुषों दोनों को हो सकता है। लेकिन महिलाओं में थायरॉइड होने की संभावना अधिक होती है।
थायराड हमारे शरीर में मौजूद एक ग्रंथि है, जो कि हमारे गले में पीछे की तरफ होती है। ये थायराइड हार्मोन को रिलीज करती है लेकिन इसमें किसी भी प्रकार की दिक्कत आपके लिए मुश्किलें बढ़ा सकती है। शरीर में थायराइड का लेवल बढ़ने पर अक्सर आपके तलवों परक पसीना आने लगता है। इस स्थिति को नजरअंदाज किया जाए तो आपको अपने रोजमर्रा के काम में तो दिक्कत आती ही है साथ ही आपको खाना निगलने से लेकर बोलने में भी परेशानी हो सकती है।

संक्रमण

संक्रमण भी पैरों के तलवों में आने वाले पसीना का एक मुख्य कारण हो सकता है। अगर आपको कोई इंफेक्शन या संक्रमण है, तो आपको तलवों में पसीना आ सकता है। यह संक्रमण अलग-अलग प्रकार के हो सकते हैं। लेकिन सभी प्रकार के संक्रमण तलवों में पसीना आने का कारण नहीं बनते हैं।

डायबिटीज

डायबिटीज यानी मधुमेह पैर के तलवों में पसीना आने का एक मुख्य कारण हो सकता है। क्योंकि डायबिटीज में ब्लड शुगर का स्तर बढ़ जाता है। इस वजह से व्यक्ति के नसों को भी नुकसान पहुंचता है। डायबिटीज रोगियों को तलवों में पसीना आने की दिक्कत हो सकती है। इसलिए अगर आपको डायबिटीज है, तो पैरों के तलवों में पसीना आना आपने के लिए आम हो सकता है।
हाई ब्लड शुगर आपके लिए ढेर सारी परेशानियां लेकर आता है, जिसमें आपकी नसों के कमजोर होने के साथ-साथ किड़नी की दिक्कत भी शामिल है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हाई ब्लड शुगर की शुरुआत के दौरान आपके तलवों में बहुत तेज पसीना आता है, जो कि एक सामान्य लक्षण है। खाना खाने के बाद आपके तलवे अगर पसीने से भीग जाते हैं तो आपको डायबिटीज हो सकती है।

मेनोपॉज

मेनोपॉज वह अवस्था होती है, जिसमें महिलाओं को मासिक धर्म आना बंद हो जाते हैं। इस दौरान महिलाओं को कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है। पीरियड्स बंद होना, हॉट फ्लैशेज आदि मेनोपॉज के आम लक्षण होते हैं। इसके अलावा मेनोपॉज होने पर महिलाओं को पसीना भी अधिक आ सकता है। यानी पैर के तलवों में पसीना मेनोपॉज के कारण भी आ सकता है। इसलिए इसे सामान्य माना जा सकता है।
बड़ी सौंफ: कहते हैं कि सौंफ शरीर के टेंपरेचर को नॉर्मल रखती है. ब्लेंडर में एक चम्मच बड़ी सौंफ और एक चम्मच चीनी डालें और इसे पीस लें. अब इसे पानी में घोलकर पी जाएं. ऐसा रोजाना करें और आप कुछ दिनों में फर्क देख पाएंगे.

बेकिंग सोडा पेस्ट

पबमेड सेंट्रल द्वारा प्रकाशित 2008 के एक अध्ययन में कहा गया है कि बेकिंग सोडा अपने प्राकृतिक सुखाने वाले गुणों के लिए जाना जाता है, जो पसीने के उत्पादन को कम करने और आपके हाथों और पैरों को सूखा रखने में मदद कर सकता है। यह पीएच स्तर को संतुलित करने और पसीना कम करने में मदद कर सकता है। बेकिंग सोडा को पानी में मिलाकर पेस्ट बनाएं और इसे अपने हाथों और पैरों पर लगाएं। उत्पाद को धोने से पहले 15 से 20 मिनट तक लगा रहने दें।

एप्पल साइडर सिरका

एप्पल साइडर विनेगर (एसीवी) लंबे समय से एक रोगाणुरोधी के रूप में स्थापित है जो आपके शरीर को साफ रखने और पसीने या दुर्गंध को रोकने में मदद कर सकता है। अपने हाथों या पैरों को सेब के सिरके और पानी के मिश्रण में रोजाना 15-20 मिनट तक भिगोने से त्वचा के पीएच को संतुलित करने और पसीना कम करने में मदद मिल सकती है
पैरों के पसीने से छुटकारा पाने के लिए आप नमक के पानी का इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके लिए 1 टब गुनगुने पानी में 5-7 चम्मच नमक एड करें. अब पैरों को टब में डालें. 30 मिनट बाद पैरों को टब से निकाल कर पानी को सूखने दें. ऐसे में मोजा पहनने के बाद पैसों में पसीना कम आएगा और आपके पैरों से बदबू भी नहीं आएगी.

तेज पत्ता यूज करें

तेज पत्ते का इस्तेमाल करके भी आप पैरों के पसीने से निजात पा सकते हैं. इसके लिए पैन में पानी गर्म करें. अब इसमें तेज पत्ता डालकर उबालें. कुछ देर तक उबालने के बाद गैस बंद कर दें और पानी को ठंडा होने के लिए रख दें. अब इस पानी को पैरों में अप्लाई करें. हर रोज ये नुस्खा अपनाने से पैरों का पसीना कम होने लगेगा.

नींबू का रस

नींबू का रस अपने कसैले गुणों के लिए जाना जाता है, जो अत्यधिक पसीने को कम करने में मदद कर सकता है। ताजा नींबू का रस अपनी हथेलियों और तलवों पर लगाएं या इसे पानी में मिलाकर कुल्ला करें। इसे प्राकृतिक रूप से सूखने दें और सर्वोत्तम परिणामों के लिए इसे रोजाना दोहराएं।

चंदन पाउडर

चंदन पाउडर में प्राकृतिक शीतलता और कसैले गुण होते हैं जो पसीने को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं। चंदन पाउडर को पानी में मिलाकर पेस्ट बनाएं और इसे अपने हाथों और पैरों पर लगाएं। इसे धोने से पहले पदार्थ को 20 से 30 मिनट तक अपनी त्वचा पर लगा रहने दें। इस उपचार को प्रति सप्ताह कुछ बार दोहराने की सलाह दी जाती है।

कपूर

कपूर की तासीर ठंडी होती है और यह पसीना कम करने में मदद कर सकता है। गर्म पानी में थोड़ी मात्रा में कपूर घोलें और उसमें अपने हाथों और पैरों को 15-20 मिनट तक भिगोकर रखें। वैकल्पिक रूप से, आप कपूर पाउडर को टैल्कम पाउडर या नारियल तेल के साथ मिलाकर अपने हाथों और पैरों पर लगा सकते हैं। इस उपाय को हफ्ते में कुछ बार दोहराएं।

हाथों और पैरों को काली चाय में भिगोएँ


रोजाना 20-30 मिनट तक अपने हाथों या पैरों को काली चाय में भिगोने से पसीना कम करने में मदद मिल सकती है। अध्ययन से पता चलता है कि यह टैनिन की उपस्थिति के कारण मदद करता है, जिसका प्राकृतिक कसैला प्रभाव होता है।
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30.3.24

गर्मी में दही सेवन के फायदे और नुकसान




  गर्मियों में अक्सर लोग वही चीजें खाते हैं, जिससे पेट की गर्मी दूर हो सके और शरीर का तापमान मेंटेन रहे. ऐसी ही एक चीज है दही. गर्मी में दही खाना काफी फायदेमंद (Dahi Benefits) होता है. इसमें पाया जाने वाला प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, शुगर, कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, पोटेशियम, विटामिन सी, विटामिन B6, विटामिन A, विटामिन B जैसे पोषक तत्व सेहत को जबरदस्त बेनिफिट्स पहुंचाते हैं. 
दही को सेहत के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है. दही एक डेयरी प्रोडक्ट है और डेयरी प्रोडक्ट को सेहत के लिए लाभदायक माना जाता है. रोजाना डाइट में दही को शामिल कर शरीर को कई लाभ मिल सकते हैं. आपको बता दें दही में विटामिन सी मौजूद होने से ये इम्यूनिटी (Immunity) को बढ़ाने में मदद कर सकता है. इतना ही नहीं दही स्किन लिए काफी लाभदायक है. असल में दही में प्रोटीन, कैल्शियम, राइबोफ्लेविन, विटामिन बी6 और विटामिन बी12 जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर को कई स्वास्थ्य समस्याओं से बचाने में मदद कर सकते हैं. तो चलिए जानते हैं दही खाने से होने वाले फायदे.


पर्याप्त न्यूट्रिशन 

दही पोषक तत्वों से भरपूर एक खास तरह का फूड है, जिसका सेवन करना बेहद फायदेमंद होता है। सुबह के समय इसका सेवन करनेसे शरीर को सभी पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में मिल जाते हैं। प्रोटीन और कैल्शियम के अलावा अन्य कई प्रकार के ऐसे तत्व इसमें पाए जाते हैं, जो फायदेमंद माने गए हैं। 

 इम्यूनिटी-

दही विटामिन सी का अच्छा सोर्स है, जो इम्यूनिटी को बढ़ाने में मदद कर सकता है.

 मुंह के छाले-

अगर आपको भी बार-बार हो रहे हैं मुंह में छाले तो खाना शुरू कर दें एक कटोरी दही. दही के सेवन से मुंह के छाले को दूर कर सकते हैं.

सुबह दही खाने का बेस्ट तरीका

दही का सेवन आप सुबह के खाने के साथ कर सकते हैं। इसके अलावा सुबह के समय एक कटोरी दही में आधा कटोरी चीनी मिलाकर उसका सेवन किया जा सकता है। इसके अलावा फ्रूट या वेजिटेबल सलाद, दलिया और ब्राउन ब्रेड के साथ दही का सेवन करना भी अच्छा ऑप्शन हो सकता है।

वेट लॉस में फायदा

यदि आप अपने बढ़ते वजन पर कंट्रोल पाना चाहते हैं, तो सुबह के समय डाइट में दही को शामिल करना काफी फायदेमंद हो सकता है। वेट लॉस के साथ-साथ मसल बिल्डिंग में भी यह आपके लिए काफी फायदेमंद हो सकती है।

हार्ट-

हार्ट को हेल्दी रखने में हमारी हेल्दी डाइट अहम मानी जाती है. अगर आप भी हार्ट को हेल्दी रखना चाहते हैं, तो दही का सेवन कर सकते हैं.

बीमारी कंट्रोल करे

शरीर की कई क्रोनिक बीमारियों कंट्रोल करने के लिए भी गर्मियों की सुबह दही का सेवन करना काफी फायदेमंद रहता है। डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर जैसी क्रोनिक बीमारियों को कंट्रोल करने के लिए रोजाना सुबह के समय दही का सेवन जरूर करें।

 हड्डियों-

कैल्शियम से भरपूर दही का रोजाना सेवन कर हड्डियों को मजबूत बना सकते हैं. दही हड्डियों को कमजोर होने से बचाने में मददगार है.

 पेट की गर्मी-

दही की तासीर ठंडी होती है. अगर आपके पेट में गर्मी बढ़ गई है तो आप दही के सेवन से पेट की गर्मी को दूर कर सकते हैं.

 इंफेक्शन-

दही में कई ऐसे तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर में होने वाले इंफेक्शन से बचाने में मदद कर सकते हैं.

. पाचन-

दही में पाए जाने वाले पोषक तत्व पेट को सही रखने और पाचनतंत्र को मजबूत बनाने में मदद कर सकते हैं.

 स्किन-

स्किन को हेल्दी रखने में मददगार है दही. दही के सेवन से स्किन को हेल्दी रखा जा सकता है.

सावधानी बरतें- 

कब्ज : 

से लोग जिनका पाचन तंत्र कमजोर है उन्हें रोजाना दही खाने से बचना चाहिए. पाचन तंत्र के ठीक से काम न करने की स्थिति में दही खाना कब्ज की परेशानी पैदा कर सकता है. ऐसे में आप परेशान हो सकते हैं.
यूरिक एसिड : यूरिक एसिड की समस्या से परेशान हैं तो दही का ज्यादा सेवन करने से बचें. दही में प्रोटीन पाया जाता है और यूरिक एसिड की समस्या से परेशान लोगों को प्रोटीन से बचने की सलाह दी जाती है. दही खाने से शरीर का यूरिक एसिड बढ़ सकता है. जिसकी वजह से गठिया का दर्द और सूजन की समस्या हो सकती है.

अर्थराइटिस :

अर्थराइटिस की समस्या से जूझ रहे लोगों को भी दही से परहेज करना चाहिए. दही में सैचुरेटेड फैट की मात्रा अच्छी खासी होती है. एडवांस ग्लाइकेशन भी भरपूर मात्रा में मिल जाता है. इस वजह से हड्डियों का धनत्व कम हो सकता है.अर्थराइटिस के मरीज जब इसका सेवन करते हैं तो उनके घुटनो के दर्द और सूजन बढ़ सकता है.

 अस्थमा :

अस्थमा के मरीजों को तो गलती से भी दही नहीं खाना चाहिए. दरअसल, दही की तासीर ठंडी है. जब अस्थमा मरीज इसका सेवन करते हैं तो उन्हें सर्दी-जुकाम जैसी समस्याएं हो सकती हैं. इससे उनकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं.

पेट फूलने की प्रॉब्लम: 

दही का प्रोबायोटिक्स पेट की गर्मी को कम करता है लेकिन कई बार ये गैस और ब्लोटिंग भी बना सकता है. चूंकि पचने में दही भारी होती है, इसलिए ऐसे लोगों को इसके सेवन से बचना चाहिए, जिन्हें गैस या ब्लॉटिंग की समस्या है.
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29.3.24

जानिए हल्दी के चमत्कारी गुण और फायदे ,Turmeric Benefits

 



भारतीय मसालों में हल्दी (Haldi) का एक अलग ही महत्व है। यही कारण है कि आपको हर घर की रसोई में हल्दी ज़रूर मिलेगी। हल्दी खाने का स्वाद और रंग रूप तो बढ़ाती ही है साथ ही यह कई तरह के रोगों से भी रक्षा करती है। प्राचीन काल से ही हल्दी को जड़ी बूटी के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। आयुर्वेद में हल्दी के फायदे के बारे में विस्तृत उल्लेख है।
हल्दी हमारे रोज के मासलों में शामिल करने के पीछे कोई परंपरा नहीं है बल्कि इसके पीछे साइंस है। दरअसल, हल्दी में करक्यूमिन (curcumin) होता है जो कि बायोएक्टिव कंपाउंड है। ये एक ऐसा तत्व है जो एक साथ कई प्रकार से काम करता है। जैसे कि कभी एंटीऑक्सीडेंट की तरह तो कभी एंटीइंफ्लेमेटरी जड़ीबूटी की तरह तो कभी एंटीबैक्टीरियल हर्ब के रूप में। इस तरह हल्दी अपने अलग-अलग गुणों के कारण अलग-अलग समस्याओं में इस्तेमाल किया जा सकता है।

हल्दी के फायदे-

आज हम आपको बताएँगे हल्दी के चमत्कारी फायदे। जिससे आप स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से छुटकारा पा सकते हैं।

डायबिटीज में

डायबिटीज में हल्दी कई परेशानियों को एक साथ कम कर सकती है। जैसे कि पहले तो करक्यूमिन इंसुलिन प्रोडक्शन को एक्टिवेट करती है और शुगर के स्पाइक्स को रोकती है। दूसरा इसके एंटीऑक्सीडेंट्स डायबिटीज न्यूरोपैथी के लक्षणों को रोकते हैं और नसों को हेल्दी रखने में मदद करती है। तीसरा डायबिटीज के मरीजों में कोई भी चोट, घाव या फंगल इंफेक्शन बहुत धीमे-धीमे सही होती है और हल्दी का हीलिंग गुण इसे जल्दी ठीक करने में मदद करती है।

गले की खराश के लिए-

गले की खराश होना एक आम समस्या है। गले की खराश होने पर हल्दी के इस्तेमाल से आप जल्द ही अपने गले की खराश को दूर कर सकते हैं। हल्दी को अजमोदा चूर्ण और शहद के साथ मिलाकर सेवन करने से गले की खराश में आराम मिलता है।

जोड़ों के दर्द में

जोड़ों का दर्द अक्सर बहुत से लोगों को परेशान करता है। ऐसे में इस समस्या में हल्दी का सेवन (turmeric benefits) फायदेमंद हो सकता है। हालांकि, अगर आप कच्ची हल्का का पानी पिएं तो ये ज्यादा प्रभावी होगा। दरअसल, करक्यूमिन एंटीइंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर है और इसलिए ये पुरानी सूजन और जोड़ों के दर्द में असरदार तरीके से काम कर सकती है। इसलिए गठिया जैसी स्थितियों के इलाज में भी हल्दी मदद कर सकती है।

हल्दी पाउडर हड्डी रोग के रोगियों के लिए अच्छा है

करक्यूमिन वह प्राकृतिक पदार्थ है जो हल्दी को पीला बनाता है। हल्दी पाउडर का उपयोग कभी-कभी कपड़ों को रंगने के लिए किया जाता है। करक्यूमिन आपके जोड़ों के लिए भी अच्छा है और आपके शरीर को सूजन पर अच्छी प्रतिक्रिया देने में मदद करता है। आप हमारे हल्दी कैप्सूल लेकर अपना दैनिक करक्यूमिन प्राप्त कर सकते हैं।

एक्ने और पिगमेंटेशन होने पर-

पिगमेंटेशन होने पर हल्दी इसे हल्का करने में आपकी मदद कर सकती है। साथ ही इसका बायोएक्टिव गुण स्किन व्हाइटनिंग (turmeric benefits for skin lightening) में भी मदद करती है। इसके अलावा एक्ने की समस्या में भी हल्दी का इस्तेमाल बहुत ही फायदेमंद है। दरअसल,इसका एंटीबैक्टीरियल गुण एक्ने को कम करती है और फिर चेहरे को साफ रखने और खूबसूरती बढ़ाने में मदद करती है।

डिप्रेशन में-

डिप्रेशन की शुरुआत मूड डिसऑर्डर के साथ शुरू होती है। ऐसे में हल्दी सेवन आपके लिए बहुत फायदेमंद है। दरअसल, ये एंटीडिप्रेशेंट की तरह काम करती है। इसके अलावा इसके बायोएक्टिव गुण दिमाग के काम काज को बेहतर बनाने में मदद करते हैं और मूड को बेहतर बनाते हैं। इससे डिप्रेशन के लक्षण कम होने लगते हैं।

अल्जाइमर होने पर-

अल्जाइमर उम्र बढ़ने से जुड़ी हुई एक बीमारी है। हल्दी आपके मस्तिष्क को अल्जाइमर जैसी सामान्य बीमारियों से बचाने में भी मदद कर सकती है। ये मस्तिष्क-व्युत्पन्न न्यूरोट्रॉफिक कारक (BDNF) के स्तर को बढ़ाती है। दरअसल, यह मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी में पाया जाने वाला एक प्रोटीन है जो तंत्रिका कोशिकाओं (न्यूरॉन्स) को स्वस्थ रखने के साथ-साथ तंत्रिका कोशिकाओं के बीच संचार को विनियमित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस तरह ये ब्रेन डिजेनरेशन को रोकती है और अल्जाइमर को ठीक करने में मदद करती है।

पायरिया के लिए-

पायरिया की समस्या के लिए हल्दी को सरसों के तेल में मिलाकर मसूड़ों में लगाने से आराम मिलता है। इसके बाद गर्म पानी से कुल्ला करने से मसूड़ों से जुड़ी सभी प्रकार की समस्या दूर हो जाती है। मसूड़ों के दर्द में आराम मिलता है।

ओरल हेल्थ से जुड़ी समस्याओं में-

ओरल हेल्थ से जुड़ी समस्याएं जैसे कि मुंह से बदबू आने पर या फिर दांतों मे कीड़े लग जाने पर हल्दी इन समस्याओं में रामबाण इलाज के रूप में काम कर सकती है। इसका एंटीबैक्टीरियल गुण दांतों मे कीड़े को कम करने में मदद करती है। साथ ही ये मुंह में दुर्गंध पैदा करने वाले बैक्टीरिया को मारती है और मुंह की बदबू को कम करती है।

पीलिया में बहुत लाभकारी है

पीलिया बहुत ही गंभीर रोग है। यह स्थिति किडनी और लिवर को बहुत नुकसान पहुंचाती है। इस दौरानशरीर में खून की भारी कमी हो जाती है। साथ ही पूरे शरीर और आंखे में पीली पड़ जाती हैं। आयुर्वेद के अनुसार अगर आप दही में 5-10 ग्राम हल्दी पाउडर मिलाकर इसका सेवन करते हैं, तो यह मिश्रण पीलिया के उपचार में बहुत प्रभावी साबित हो सकता है।

एलर्जी में-

हल्दी का एक खास गुण ये है कि यह एंटीएलर्जिक है। इसलिए तो, एलर्जी होने पर अक्सर लोग काढ़ा पीते हैं जिसमें हल्दी होती है। दरअसल, हल्दी का एंटीबैक्टीरियल और एंटीएलर्जिक गुण एलर्जी को कम करती है और इसके लक्षणों से छुटकारा दिलाती है।

खांसी और जुकाम के लिए-

खांसी और जुकाम एक ऐसी बीमारी है । जो मौसम के परिवर्तन के साथ ही चली आती है। यह समस्या बहुत ही ज्यादा आम समस्या है। हल्दी के उपयोग से बहुत कम समय में इस समस्या का समाधान पा सकते हैं। हल्दी की तासीर को गर्म माना जाता है। इसलिए हल्दी की भाप लेने से जुकाम की परेशानी दूर हो जाती है। हल्दी की भाप लेने के पश्चात पानी को नहीं पीना चाहिए।

हाई बीपी की समस्या में-

हाई बीपी की समस्या आपको दिल की बीमारियों का शिकार बना सकती है। ऐसे में हल्दी का सेवन दिल के लिए बहुत फायदेमंद है। दरअसल, हल्दी में पाए जाने वाले करक्यूमिन बैड कोलेस्ट्ऱॉल को कम करने में मदद करती है। इसके अलावा हल्दी का पानी इन्हें ब्लड वेसेल्स से चिपने और ब्लॉकेज पैदा करने से रोकती है। इससे आपका ब्लड सर्कुलेशन सही रहता है, बीपा सही रहता है, दिल पर जोड़ नहीं पड़ता और आप दिल की बीमारियों से बचे रहते हैं।
हल्दी के हजारों फायदे हैं, तो इसके सेवन में कंजूसी मत करें। उचित मात्रा में इसका उपयोग अपने भोजन में जरूर करें। क्योंकि अधिकतम मात्रा में भी हल्दी का सेवन, जिन्हें हल्दी से एलर्जी है उनको छोड़कर, सामान्य रूप से सुरक्षित ही होता है।

हल्दी से होने वाले नुकसान-

अधिक मात्रा हल्दी की ग्रहण करने पर गुर्दे में पथरी का खतरा बढ़ जाता है।
हल्दी को सही मात्रा में सेवन करेंगे तो आप इस खतरे से बचे रहेंगे।
हल्दी के अधिक सेवन से आप दस्त के भी शिकार हो सकते हैं।
शरीर में आयरन का होना बहुत जरुरी होता है।
हमारे शरीर में आयरन होने से खून की कमी नहीं होती है।
हल्दी को अधिक खाने से ये आयरन के अवशोषण को रोक देती है।
अगर आपको किसी भी चीज़ से एलर्जी है तो आपको हल्दी का अधिक मात्रा में सेवन नहीं करना चाहिए।
इससे आपके स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है।
हल्दी की तासीर को गर्म माना जाता है।
इसलिए इसे एक चम्मच से अधिक नहीं खाना चाहिए। यह आपके पेट को भी नुकसान पहुंचा सकती है।
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28.3.24

अश्वगंधा, ,कौंच के बीज, शतावरी,सफ़ेद मूसली के पाउडर मिलाकर लेने से यौन स्वास्थ्य में जबरदस्त फायदा




आयुर्वेद में किसी भी बीमारी का इलाज करने के लिए जड़ी-बूटियों का उपयोग किया जाता है। इन्हीं में अश्वगंधा, सफेद मूसली, शतावरी और कौंच के बीज भी शामिल हैं। वैसे तो इन सभी के अपने-अपने औषधीय गुण होते हैं, जो बीमारियों का इलाज करने में मदद करते हैं। लेकिन आप चाहें तो अपनी स्वास्थ्य समस्याओं का इलाज करने के लिए अश्वगंधा, सफेद मूसली, शतावरी और कौंच को एक साथ मिलाकर भी ले सकते हैं। आप इन सभी को पाउडर के रूप में ले सकते हैं। इससे आपको काफी लाभ मिल सकता है।
अश्वगंधा, सफेद मूसली, शतावरी और कौंच बीज पाउडर के फायदे

. पौरुष स्वास्थ्य में सुधार करे


जिन पुरुषों को यौन स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं हैं, उनके लिए अश्वगंधा, सफेद मूसली, शतावरी और कौंच के बीज फायदेमंद हो सकते हैं। इन सभी को एक साथ मिलाकर लेने से पुरुषों के स्पर्म काउंट में वृद्धि हो सकती है, साथ ही उनकी गुणवत्ता में भी सुधार हो सकता है। इसके अलावा अगर आपको यौन स्वास्थ्य से जुड़ी कोई अन्य समस्या है, तो भी रात को अश्वगंधा शतावरी सफेद मूसली और कौंच के बीजों का सेवन कर सकते हैं।

तनाव कम करे

अश्वगंधा, शतावरी, सफेद मूसली और कौंच के बीजों का मिश्रण तनाव को भी कम करने में मदद कर सकता है। दरअसल, अश्वगंधा में एंटीऑक्सीडेंट्स गुण पाए जाते हैं। ये ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करने में मदद कर सकते हैं और सेलुलर डैमेज को रोकते हैं। इससे कोर्टिसोल हार्मोन का स्तर कम होता है और तनाव को कम करने में मदद मिलती है। अगर आप तनाव या चिंता में रहते हैं, तो इस मिश्रण को दूध के साथ ले सकते हैं। इससे आपको रिलैक्स महसूस होगा और नींद भी अच्छी आएगी।

वजन बढ़ाने में फायदेमंद

जो लोग दुबले-पतले और कमजोर हैं, उनके लिए भी अश्वगंधा, सफेद मूसली, शतावरी और कौंच के बीजों का पाउडर काफी फायदेमंद हो सकता है। इन कॉम्बिनेशन को रात को सोते समय दूध के साथ लेने से आपकी मांसपेशियों का तेजी से विकास हो सकता है। इससे मसल्स गेन होती है और वजन बढ़ाने में भी मदद मिल सकती है।
शारीरिक कमजोरी दूर करे

अगर आपको हर समय थकान और कमजोरी महसूस होती है, तो आप अश्वगंधा, सफेद मूसली, शतावरी और कौंच के बीजों का पाउडर ले सकते हैं। रोजाना इस मिश्रण को लेने से आपको पूरी ताकत मिलेगी। कमजोरी और थकान दूर होगी। इसके लिए आप इसका सेवन लगातार एक महीने तक कर सकते हैं।
अश्वगंधा सफेद मूसली शतावरी कौंच के बीज का सेवन कैसे करें?आप अश्वगंधा, सफेद मूसली, शतावरी और कौंच के बीजों का एक साथ सेवन कर सकते हैं।
इसके लिए आप इन सभी का अलग-अलग पाउडर बना लें।
अब आधा-आधा चम्मच सभी को दूध में डालें और पी लें।
 आप अश्वगंधा, सफेद मूसली, शतावरी और कौंच के बीजों के पाउडर को रात को सोते समय ले सकते हैं।
अश्वगंधा, शतावरी, सफेद मूसली और कौंच के बीजों की तासीर गर्म होती है। इसलिए आपको इनका सेवन कम मात्रा में ही करना चाहिए। अगर आपकी पित्त प्रकृति है, तो इनका सेवन करने से बचना चाहिए। वहीं गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को भी इनका सेवन आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह पर ही करना चाहिए।
कौंच के बीजों को पौरुषता वृद्धि करने के लिए आयुर्वेद में विशेष स्थान प्राप्त है , यह शत प्रतिशत परिणाम देने वाली औषधि है। यह पुरुष जननांगों को बचपन में हस्तमैथुन से होने वाली कमजोरी को ही दूर नहीं करता बल्कि सीमन को मजबूत , उसमें शुक्राणुओं की वृद्धि , नसों की कमजोरियों आदि में पौरुषटा संबंधी प्रत्येक असंतुलित समस्याओं को जड़ से समाप्त करने में सहायक हैं। किसी जानकार वैध जी की रेखदेख में इलाज हो तो कौंच बीजों के साथ अन्य रसायनों के मिश्रण से और असरदार दवा बनाई जाती है
 आयुर्वेद अनुसार कौंच बीज पौष्टिक, उत्तेजक, वाजीकरण एवं वातशामक होते हैं। इस का मुख्य उपयोग पुरुषों में वाजीकर और शुक्रवर्धक के रूप में होता है। वातव्याधि जैसे कंपवात, शरीरिक कमजोरी, मधुमेह में भी यह उपयुक्त है।
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11.3.24

फोड़े -फुंसी ,खरोंच, घाव के लिए ये घरेलु मलहम किसी औषधि से कम नहीं





  फोड़े आमतौर पर त्वचा पर एक कोमल, गुलाबी-लाल गांठ के रूप में शुरू होते हैं। जैसे-जैसे समय बीतता है, वे बड़े और अधिक दर्दनाक होते जाते हैं और सफेद या पीले मवाद से भरे केंद्र का निर्माण करते हैं। प्रभावित क्षेत्र सूज जाता है, जिससे वह बड़ा और अधिक सूजा हुआ दिखता है। फोड़े बेहद दर्दनाक हो सकते हैं, खासकर अगर छुआ जाए या कपड़ों से दबाया जाए। फोड़े के आसपास की त्वचा अक्सर लाल हो जाती है और सूजन के कारण गर्म महसूस होती है। अधिक गंभीर मामलों में, व्यक्ति को हल्का बुखार हो सकता है।
जबकि फोड़े शरीर पर विभिन्न स्थानों पर निकल सकते हैं, वे चेहरे, गर्दन, बगल, नितंब और जांघों जैसे बालों के रोम वाले क्षेत्रों में सबसे आम हैं।
प्रदूषण और धूल-मिट्टी की वजह से चेहरे पर फोड़े-फुंसी होना सामान्य है. चेहरे या फिर शरीर के किसी भी हिस्से पर फोड़े-फुंसी की परेशानी होने पर काफी ज्यादा दर्द, जलन और खुजली की समस्या होने लगती हैं. स्किन पर फोड़ा या फुंसी होने पर स्किन पर गांठ की तरह दिखता है. फोड़े-फुंसी का इलाज करने के लिए आप कई तरह के घरेलू उपचार अपना सकते हैं. आइए जानते हैं इन घरेलू उपचार के बारे में-

फुंसी हो तो क्या लगाना चाहिए?

नारियल का तेल और टी ट्री ऑयल

फोड़े-फुंसी से छुटकारा पाने के लिए नारियल का तेल इस्तेमाल कर सकते हैं. इस तेल में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाया जाता है, जो फुंसी का इलाज करने में प्रभावी माना जाता है. अगर आप फोड़े और फुंसी से राहत पाना चाहते हैं तो नारियल के तेल में टी ट्री ऑयल मिक्स करके इसे प्रभावित हिस्से पर लगाएं. इससे आपको काफी लाभ मिलेगा.

एलोवेरा और हल्दी से पाएं राहत

फोड़े-फुंसी का इलाज करने के लिए एलोवेरा जेल काफी प्रभावी हो सकता है. इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाया जाता है, जो फोड़े-फुंसी में होने वाली सूजन को कम कर सकता है. इसका इस्तेमाल करने के लिए एलोवेरा जेल में हल्दी मिक्स करके पीस लें. इससे फोड़े-फुंसी का इलाज किया जा सकता है.

तुलसी फुंसी का करें इलाज

फोड़े-फुंसी की परेशानी से छुटकारा पाने के लिए तुलसी का इस्तेमाल कर सकते हैं. इसमें एंटीबैक्टीरियल गुण पाया जाता है जो इससे आप फोड़े-फुंसी से छुटकारा दिलाने में आपकी मदद कर सकता है. इसका इस्तेमाल करने के लिए तुलसी की पत्तियों को पील लें. अब इस लेप को फोड़े-फुंसियों पर लगाएं. इससे आपको काफी लाभ मिलेगा.

नीम से फुंसी से पाएं राहत

फोड़े-फुंसी का इलाज करने के लिए नीम काफी गुणकारी हो सकता है. इसका इस्तेमाल करने के लिए नीम की पत्तियों को पीसकर इसका पेस्ट तैयार कर लें. अब इस पेस्ट को फुंसी पर लगा लें. करीब 20 मिनट बाद इसे धो लें. इससे आपको कुछ ही दिनों में राहत मिल सकता है.


फोड़े-फुन्सियों का आयुर्वेदिक उपचार:

फोड़े का प्राकृतिक और जोखिम-मुक्त तरीके से इलाज करने के लिए बहुत सारे हर्बल पेस्ट और दवाएं उपलब्ध हैं। फोड़े-फुन्सियों के लिए सबसे अच्छा आयुर्वेदिक उपाय हल्दी का लेप लगाना है। हल्दी में सूजन-रोधी गुण होते हैं। हल्दी से सूजे हुए फोड़े मुलायम हो जाते हैं और जल्दी ठीक भी हो जाते हैं।
अरोमाथेरेपी एक और प्रभावी उपचार है जो फोड़े को ठीक करने में मदद करता है। यह संक्रमण और फोड़े-फुंसियों से भी छुटकारा दिलाने में कारगर है। अरोमापेथी चाय के पेड़ या लैवेंडर या अन्य औषधीय पौधों के तेल से प्राप्त प्राकृतिक तेलों का उपयोग करती है। विशेष रूप से, चाय के पेड़ का तेल स्टैफिलोकोकस को प्रभावी ढंग से मारता है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि औषधीय तेल फोड़े को सूखा देता है और इस प्रकार तेजी से ठीक होने में मदद करता है।

ममीरा या पीलाजड़ी का पत्ता पीसकर लगाएं

ममीरा को कुछ क्षेत्रों में पियारांगा पीलाजड़ी भी कहते हैं। इसके पत्तों में एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं जो कफ और वात रोगों को कम कर सकते हैं। बरसाती घाव होने पर आप इसके पत्तों को पीसकर घाव पर लेप की तरह लगा सकते हैं। इसके अलावा इसमें एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो कि घाव की लालिमा और सूजन को कम करते हैं। इसके लिए ममीरा या पीलाजड़ी के पत्ते को धोकर उबाल कर इसका पानी निकाल कर रख लें। फिर इसे पानी से कुछ दिनों तक लगातार घाव धोएं। यह घाव को गायब कर देगा।

करी पत्ता पीसकर लगाएं

करी पत्ते में कई औषधीय गुण होते हैं। यह एंटी डायबिटिक होने के साथ बरसात में निकलने वाले फोड़े-फुंसियों को भी ठीक करता है। करी पत्ते में एंटी एलर्जिक, एंटी बैक्टीरियल और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। साथ ही ये घाव की जलन को कम कर सकता है और इसे ठीक भी करता है। इसके लिए करी पत्ते को रोज सुबह चबा-चबाकर खाएं। इसके अलावा करी पत्ते में लौंग पीसकर और नारियल तेल मिलाएं। अब इस लेप को अपने घाव पर दिनभर में कई बार लगाएं। ये आसानी से घाव भरने में मददगार होगा।

कदम के पत्ते-छाल का पानी है कारगर

कदम के पत्तों या छाल बड़े ही काम की चीज है। इसे सूजन पर लगा सकते हैं। इसका इस्तेमाल मोच आने पर भी किया जा सकता है। लेकिन बरसाती घाव के लिए ये बहुत ही कारगर है। कदम के पत्तों या छाल के अर्क में एंटीबैक्टीरियल और हीलिंग गुण होते हैं। ये पहले तो घाव के बैक्टीरिया को मारकर इसे फैलने से रोकता है, इसके बाद घाव ठीक करता है। कदम के पत्तों या छाल को पीस कर उसका अर्क निकाल लें और इसे अपने घाव पर दिन में तीन बार लगाएं।

सेमल के फूल और कांटे सूजन घटाएं

सेमल के फूल और कांटों के कई फायदे हैं। अगर इन दोनों का अर्क निकाल कर रख लें तो ये बहुत काम आते हैं। इसमें मौजूद एंटी इंफ्लेमेटरी गुण शरीर की सूजन दूर करते हैं और इसका एंटी बैक्टीरियल गुण घाव के बैक्टीरिया को मारता है और घाव को फैलने से रोकता है। साथ ही इसका अर्क घाव की खुजली और जलन को भी कम करने में मददगार है।
*एलोवेरा के गूदे का सेवन करना या इसे बाहरी रूप से लगाना भी प्रभावी है। अप्रत्याशित जटिलताओं के कारण आमतौर पर गर्भवती महिलाओं को फोड़े के लिए इस आयुर्वेदिक उपचार की सलाह नहीं दी जाती है।
*इसके अलावा, एक पान के पत्ते को नरम होने तक हल्का गर्म कर लीजिए. फिर, इसे शुद्ध अरंडी के तेल से लेप करें और प्रभावित त्वचा क्षेत्र पर धीरे से लगाएं। इससे फोड़ा फूट जाता है और जल्दी ठीक होने में भी मदद मिलती है। बेहतर परिणाम के लिए इसे दिन में कम से कम तीन बार तब तक करें जब तक फोड़ा घुल न जाए।
आयुरहीलिंग के पास बैंगलोर में सर्वश्रेष्ठ आयुर्वेद डॉक्टर हैं और कोई भी उनसे उपरोक्त हर्बल दवाएं प्राप्त कर सकता है।

गर्मी के फोड़े के लिए सरल आयुर्वेदिक घरेलू उपचार:

– ब्रेड के एक टुकड़े को उबलते पानी में डुबोएं और फिर कमरे के तापमान पर ठंडा करें. इसे फोड़े पर रखने से मवाद कम हो जाता है और अंततः ठीक हो जाता है।
– प्याज और लहसुन का अर्क भी फोड़े को ठीक करता है। इन्हें बाहरी रूप से लगाने से फोड़े को पकने और मवाद बाहर निकालने में मदद मिलती है।
– जीरे को पानी के साथ पीसकर गाढ़ा पेस्ट बना लें. संक्रमण के आधार पर इसे दिन में दो या तीन बार फोड़े पर लगाने से यह प्राकृतिक रूप से पक जाता है और मवाद निकल जाता है।
– अरंडी की छाल फोड़े-फुंसियों को ठीक करने में भी कारगर है. अरंडी की छाल को पीसकर पानी के साथ गाढ़ा पेस्ट बनाएं और संक्रमण पर बाहरी रूप से लगाएं।
बैंगलोर में अपने सर्वश्रेष्ठ आयुर्वेद डॉक्टरों के साथ आयुरहीलिंग सर्वोत्तम आयुर्वेदिक दवाओं का घर भी है।

फोड़े से छुटकारा पाने के लिए सामान्य सुझाव:

- फोड़े को अपने आप न दबाएं, न निचोड़ें या न ही सुखाएं। इससे संक्रमण फैल सकता है या फोड़े का द्वितीयक संक्रमण हो सकता है।
- फोड़े से संक्रमित त्वचा पर दिन में कई बार गीला, गर्म कपड़ा रखें।
- ऊपर दी गई टिप का उपयोग करते समय थोड़ा दबाव डालें। लेकिन, सुनिश्चित करें कि आप फोड़े को छेद न दें।
- जब फोड़ा फूटकर साफ हो जाए तो उसे साफ और ताजी पट्टी से ढककर रखें। इससे संक्रमण को अन्य स्थानों पर फैलने से रोका जा सकता है।
- फोड़े की देखभाल के बाद हमेशा अपने हाथ ठीक से धोना सुनिश्चित करें। इससे इसे फैलने से रोका जा सकेगा.
- जब फोड़ा सूखने लगे तो उसे नियमित रूप से किसी जीवाणुरोधी साबुन से साफ करें। ऐसा तब तक करें जब तक सारा मवाद निकल न जाए और फिर रबिंग अल्कोहल से उस क्षेत्र को साफ कर लें। इसे फैलने से बचाने के लिए औषधीय मलहम भी लगा सकते हैं और पट्टी से ढक सकते हैं।
इसके अलावा, संक्रमित क्षेत्र को दिन में 2 से 3 बार धोना जारी रखें। घाव ठीक होने तक फोड़े पर गर्म सेक का प्रयोग करें।

फोड़े-फुन्सियों को होने से कैसे रोकें?

नीचे दिए गए दिशानिर्देशों का पालन करके फोड़े-फुन्सियों को होने से रोका जा सकता है:
-फोड़े-फुन्सियों से संक्रमित व्यक्ति के कपड़े, बिस्तर और तौलिये को मिलाकर न धोएं। उनके कपड़े अलग और दूसरे कपड़े अलग रखें। इससे फोड़े-फुन्सियों को फैलने से रोका जा सकेगा।
-त्वचा के छोटे-मोटे घावों को हमेशा साफ करें और उनका तुरंत इलाज करें। यदि ऐसा न किया जाए तो ये घाव आपको बिना बताए और अधिक संक्रमण का कारण बन सकते हैं।
-घर के सभी लोगों के लिए अच्छी और स्वस्थ स्वच्छता का अभ्यास सुनिश्चित करें।
-फोड़े-फुन्सियों को होने से रोकने के लिए सही और स्वस्थ भोजन खाना भी महत्वपूर्ण है।
- किसी भी संक्रमण या फोड़े को सुई जैसी किसी नुकीली चीज से न फोड़ें। इससे संक्रमण बदतर हो सकता है और खतरनाक संक्रमण भी हो सकता है।

परामर्श-


दामोदर चर्म रोग हर्बल औषधि
त्वचा के विभिन्न रोगों में रामबाण औषधि की तरह उपयोगी है. रक्त की गन्दगी दूर कर चमड़ी की बीमारियों -दाद खाज,खुजली,एक्जीमा ,सोरायसिस,फोड़े फुंसी को जड़ मूल से खत्म करने के लिए जानी मानी दवा के रूप में व्यवहार होती है.
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गुर्दे की पथरी की अचूक हर्बल औषधि

हार सिंगार का पत्ता गठिया और सायटिका का रामबाण उपचार

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डिप्रेशन अवसाद से कैसे निजात पाएं

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यकृत( Liver) के रोग (Ailments) और निष्क्रियता के लक्षण और रामबाण हर्बल औषधि

हल्दी और सरसों के तेल का ये मिश्रण किसी चमत्कार से कम नहीं , haldi and sarson ka tel fayde





  भारतीय किचन में अधिकतर लोग हल्दी और सरसों के तेल का इस्तेमाल करते हैं। आमतौर पर इसका इस्तेमाल खाना तैयार करने में किया जाता है। इनमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्, एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल गुण स्वास्थ्य के जुड़ी कई समस्याओं को दूर कर सकता है। रोजाना हल्दी और सरसों के तेल का इस्तेमाल करने से कई तरह की बीमारियों को दूर किया जा सकता है। यह स्किन संबंधी परेशानियों को दूर कर सकता है। साथ ही मोटापा भी कंट्रोल करने में प्रभावी है. इतना ही नहीं, हल्दी और सरसों तेल का इस्तेमाल करने से शरीर की सूजन को कम की जा सकती है।


दर्द और सूजन करे कम

दर्द और सूजन को कम करने के लिए हल्दी और सरसों का तेल इस्तेमाल करना बहुत ही फायदेमंद माना जाता है। क्योंकि हल्दी में एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट्स के गुण पाए जाते हैं, जो शरीर की सूजन को कम करने में मदद करते हैं। साथ ही हल्दी में करक्यूमिन गुण पाए जाते हैं, जो शरीर के दर्द से राहत दिलाने में मदद करते हैं। इसलिए हल्दी और सरसों के तेल का इस्तेमाल करने से शरीर में दर्द और सूजन की समस्या दूर रहती है।

स्किन को बनाए हेल्दी

हल्दी और सरसों का तेल इस्तेमाल करने से स्किन को स्वस्थ रखा जा सकता है। नियमित रूप से चेहरे पर हल्दी और सरसों का तेल लगाने से स्किन इंफेक्शन, एक्ने और पिंपल्स से जुड़ी परेशानियों को दूर किया जा सकता है। यह आपकी स्किन पर निखार लाने में भी प्रभावी है। इसे आप अपने चेहरे पर डायरेक्ट एप्लाई कर सकते हैं।

हार्ट हेल्थ के लिए फायदेमंद

हल्दी और सरसों तेल का सेवन करने से आपके ब्लड में मौजूद विषाक्त पदार्थ बाहर निकलते हैं। इससे ब्लड सर्कुलेशन में सुधार किया जा सकता है, जो हार्ट डिजीज के खतरे को कम करने में असरदार है।
हार्ट को स्वस्थ बनाए रखने के लिए हल्दी और सरसों के तेल का एक साथ सेवन करना बहुत ही फायदेमंद माना जाता है। क्योंकि हल्दी और सरसों के तेल एक साथ मिलाकर खाने से ब्लड प्यूरीफाय होता है और क्लॉटिंग की आशंका कम होती है। जिससे ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है और हार्ट डिजीज का खतरा भी कम होता है।

लिवर को स्वस्थ बनाए रखने में फायदेमंद

लिवर को स्वस्थ बनाए रखने के लिए हल्दी और सरसों के तेल का एक साथ सेवन करना बहुत ही फायदेमंद माना जाता है। क्योंकि हल्दी और सरसों के तेल का सेवन करने से शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद मिलती है। जिससे शरीर के संक्रमण को भी दूर करने में मदद मिलती है।

कब्ज से राहत

कब्ज की परेशानी को दूर करने के लिए हल्दी और सरसों तेल का इस्तेमाल करें। यह आपके पाचन के लिए हेल्दी हो सकता है। इसके सेवन से आप गैस, कब्ज जैसी परेशानियों को कम कर सकते हैं।
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8.3.24

पुरुषों के लिए किसी औषधि से कम नहीं हैं मखाना , Benefits of Makhana




मखाना और दूध सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है। इसे खाने से शरीर की कई समस्याएं दूर होती हैं। जिन लोगों को पाचन संबंधी समस्या है उनके लिए मखाना और दूध काफी गुणकारी माना जाता है। यह दिल से जुड़ी बीमारियों से बचाने में मदद करता है। इसके अलावा दूध और मखाना खाने के और भी कई फायदे हैं।
सभी की कोशिश होती है कि उनका शरीर चुस्त और दुरुस्त रह सके. जब सेहत अच्छी नहीं रहती तो जीवन का कोई भी सुख असल में सुख जैसा प्रतीत नहीं होता है. इस चलते लोग अपने खानपान में खासकर उन चीजों को शामिल करते हैं जो सेहत को फायदे देती हैं. इसी तरह की एक खाने की चीज है मखाना. बहुत से लोग मखाने को खीर में डालकर खाते हैं, कई इसे नमकीन में डालकर खाते हैं तो कई इसे स्नैक्स की तरह खाना पसंद करते हैं. मखाने (Makhana) को इनके पोषक तत्वों को देखते हुए सुपरफूड भी कहा जाता है. इनमें प्रोटीन और फाइबर होता है और यह लो फैट स्नैक्स होते हैं. मखाने में कैल्शियम और मैग्नीशियम की भी अच्छी मात्रा पाई जाती है.
मखाने में आयरन प्रोटीन कार्बोहाइड्रेट फैट मिनरल फास्फोरस सोडियम मैग्नीशियम आदि आवश्यक पोषक तत्व पाए जाते हैं जो सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं। हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो रोजाना मखाने के सेवन से मोटापा मधुमेह हाई ब्लड प्रेशर और हृदय संबंधी बीमारियों में फायदा मिलता है। पुरुषों के लिए यह किसी दवा से कम नहीं है। इसके सेवन से यौन स्वास्थ्य पर अनुकूल प्रभाव पड़ता है।

डायबिटीज के मरीज

मखाने डायबिटीज में खाने के लिए अच्छे स्नैक्स हैं. इनमें गुड फैट्स पाए जाते हैं और इनमें सैचुरेटेड फैट्स की मात्रा कम होती है. इस चलते डायबिटीज (Diabetes) में मखाने खाए जा सकते हैं. डायबिटीज में मखाने खाने पर हार्ट हेल्थ भी अच्छी रहती है.

वजन कम करता है मखाना

वजन घटाने की कोशिश कर रहे लोग भी खानपान में मखानों को शामिल कर सकते हैं. इनमें फाइबर की अत्यधिक मात्रा पाई जाती है और कॉलेस्ट्रोल कम करने वाले गुण भी. इनमें प्रोटीन की भी अच्छी मात्रा होती है. इस चलते वजन घटाने (Weight Loss) के लिए सुबह या शाम कभी भी मखाने खाए जा सकते हैं.
हाई कोलेस्ट्रॉल के लिए फायदेमंद

मखाने में सोडियम और सैचुरेटेड फैट कम और फाइबर उच्च मात्रा में पाया जाता है। फाइबर युक्त चीजों के सेवन से बार-बार खाने की समस्या से निजात निजात मिलता है। साथ ही हाई कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने में भी मदद मिलती है। अगर आप बढ़ते कोलेस्ट्रोल को कंट्रोल करना चाहते हैं, तो डाइट में मखाने को जरूर शामिल करें।

हड्डियों और दांतों को स्वस्थ रखने में

हड्डियों और दांतों को स्वस्थ रखने में मखाना वाला दूध आपकी मदद कर सकता है। हड्डियों को स्वस्थ रखने में मखाने वाले दूध में कैल्शियम की मात्रा होती है, जो हड्डियों को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। इससे आपके दांतों को मजबूती मिलती है। जिन लोगों को गठिया की समस्या है, वो अपनी डाइट में मखाना और दूध शामिल कर सकते हैं

कब्ज दूर करता है मखाना

फाइबर की अत्यधिक मात्रा होने के चलते मखाने खाने पर कब्ज की दिक्कत से राहत मिलती है. मखाने मल का भार बढ़ाने में सहायक होते हैं जिससे पेट अच्छी तरह साफ हो जाता है. इसलिए कब्ज से राहत पाने में मखाने मददगार साबित हो सकते हैं.

मानसिक तनाव को दूर करने में

सेहत विशेषज्ञों की मानें तो मानसिक तनाव को दूर करने में भी मखाना फायदेमंद साबित होता है। अगर आप मानसिक तनाव से परेशान हैं, तो निजात पाने के लिए रोजाना रात में सोने से पहले एक गिलास दूध के साथ एक मुठ्ठी मखाने का सेवन करें।

शरीर में हों अगर टॉक्सिन

शरीर में टॉक्सिंस बढ़ जाने पर सेहत और स्किन पर भी इसका असर होता है. बीमार तो महसूस होता ही है साथ ही पेट भारी-भारी लगने लगता है और ज्यादातर फूला रहता है. ऐसे में शरीर से टॉक्सिन निकालने के लिए मखाने खाए जा सकते हैं क्योंकि मखाने डिटॉक्सिफाइंग गुणों से भरपूर होते हैं.
अत्यधिक मखाने खाने से शरीर को झेलने पड़ सकते हैं कुछ नुकसान

अगर आपका पेट है कमजोर-Weak stomach

अगर आपका पेट कमजोर हैं तो आपको मखाना खाने से बचना चाहिए। दरअसल, ये मखाना पेट के लिए भारी है और इसे पचाना आसान नहीं होता है। इसके फाइबर को पचाने के लिए ज्यादा से ज्यादा पानी की जरुरत होती है और जब आप इसे खाते हैं तो ये पेट का पानी सोखने लगता है। ऐसे में ज्यादा मात्रा में इसका सेवन कब्ज की समस्या का कारण बन सकता है। इसके अलावा पेट दर्द और ब्लोटिंग आदि भी हो सकती है। इसलिए, कमजोर पाचन तंत्र वाले मखाना खाने से बचें।

डायरिया में इसके सेवन से बचें

फाइबर रिच मखानों का सेवन अधिक मात्रा में करने से जहां एक तरफ भूख शांत हो जाती है। वहीं शरीर को पोषण भी मिलता है। अगर आप डायरिया या पाचन संबधी किसी समस्या से जूझ रहे हैं, तो उस स्थिति में मखानों का सेवन करने से बचें। पौष्टिक तत्वों से भरपूर मखानों को अगर आप अत्यधिक मात्रा में खाते हैं, तो वे ब्लोटिंग का कारण बन सकता है

किडनी स्टोन की दिक्कत में-Kidney stone

किडनी स्टोन की दिक्कत में मखाना खाना, कई समस्याओं का कारण बन सकता है। दरअसल, किडनी स्टोन की दिक्कत शरीर में कैल्शियम की अधिकता होने की वजह से होती है और और ऐसे में कैल्शियम से भरपूर मखाने का सेवन, इस समस्या को और तेजी से बढ़ा सकता है। इसलिए अगर आपको किडनी स्टोन की समस्या है तो मखाना खाने से बचें।

एलर्जी होने की संभावना


एंटीबैक्टीरियल गुणों से परिपूर्ण मखानों को आप रोसटिड या कैरेमल फॉर्म में खा सकते हैं। इसके अलावा लोग इसकी खीर भी खाते हैं। अगर आप नियमित तौर पर मखानों को अलग अलग तरह से खा रहे हैं, तो इसका आपके स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव भी दिखने लगता है। इससे स्किन पर रैशेज और खांसी जुकाम भी होने लगता है। अलग अलग लोगों को शरीर के मुताबिक कई प्रकार की एलर्जी का सामना करना पड़ सकता है। अगर आपको मखाने खाने के दौरान डिसकंफर्ट महसूस होने लगता है, तो ऐसे में उसे तुरंत खाना बंद कर दें।

हाइपरटेंशन

न्यूट्रिएंट्स से भरपूर मखानों को खाने से हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से भी सामना करना पड़ सकता है। लो कैलोरी और सोडियम से रहित इस सुपरफूड को बनाने के दौरान इस्तेमाल किए जाने वाले नमक से शरीर में ब्लड प्रेशर रेज़ होने लगता है। इसके चलते हाइपर टेंशन समेत हार्ट संबधी समस्याओं का भी खतरा बना रहता है।
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