24.3.23

लौकी का जूस से वजन कैसे कम करें:louki juice weight loss

 

बढ़ता वजन मोटापे की समस्या को जन्म दे सकता है, जो आगे चलकर कई गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है। उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, मधुमेह, कोलेस्ट्रॉल की अधिकता और कैंसर जैसी कई बीमारियां हैं, जिनका मुख्य कारण मोटापा ही है इन बीमारियों के जोखिम को कम करने के लिए वजन को नियंत्रित रखना जरूरी है। ऐसे में वजन को संतुलित रखने के लिए एक सामान्य सी सब्जी ‘लौकी’ उपयोगी हो सकती है। इस लेख में हम आपके लिए लौकी का जूस फॉर वेट लॉस लेकर आए हैं।


लौकी में भरपूर मात्रा में विटामिन बी व फाइबर

लौकी में भरपूर पानी के साथ फाइबर व विटामिन बी होता है। इसके सेवन से शरीर को मेटाबॉलिक मिलता है, जिससे मनुष्य का पाचन तंत्र मजबूत हो जाता है। लौकी के सेवन से भूख बढ़ता है उससे भूख नियंत्रित भी होता है। इसको खाने से मनुष्य का कब्ज व पेट की समस्याएं भी नहीं होती है। यह स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है।

लॉकी का जूस पीने से कम होगा वजन

नियमित रूप से लौकी का जूस पीने से वजन तेजी से कम होता है। लौकी मे विटामिन बी व पानी अच्छी मात्रा में पाया जाता है जो मनुश्य के शरीर को गंठिया व सुदृढ़ करने में भी मदद करता है। इसके सेवन से सैचुरेटेड फैट व कोलेस्ट्रॉल बहुत कम होता है, जिससे रक्तचाप व मुधमेह बढ़ने का खतरा नहीं रहता है। लौकी मे विटामिन बी, प्रचुर मात्रा में पानी के अलावा विटामिन ई, फोलेट,पोटैशियम आदि पदार्थ पाए जाते हैं जो वजन कम करने में मदद करते हैं। लौकी का जूस नियमित रूप से सेवन करने से वजन कम होना तय है। इसको सुबह में पीने से पूरे दिन इनर्जी बना रहता है।

कैलोरी


बॉटल गॉर्ड जूस फॉर वेट लॉस इसलिए भी कारगर माना जा सकता है, क्योंकि इसमें कैलोरी बेहद कम होती है। इससे संबंधित एक शोध से जानकारी मिलती है कि पकी हुई लौकी में बहुत कम कैलोरी होती है। यही वजह है कि जो लोग डाइटिंग करते हैं उनके लिए यह एक शानदार भोजन माना जाता है। बताया जाता है कि आधा कप या 58 ग्राम लौकी में केवल आठ कैलोरी होती है । वहीं, लौकी का जूस भी उसे उबाल कर ही बनाया जाता है। इस आधार पर कह सकते हैं कि लौकी का जूस वजन घटाने के लिए फायदेमंद हो सकता

जाने लौकी का जूस बनाने का क्या है तरीका

लौकी का जूस बनाने के लिए एक या दो किलो लौकी लेंगे
फिर उसे छोटे-छोट टुकड़ों में काटेंगे
जूसर ग्राइंडर में लौकी के टुकड़ों को पिस कर उसका जूस निकालेंगे
फिर जूस को एक ग्लास में निकालकर उसमें एक चम्मच दालचीनी का पाउडर डालेंगे
स्वाद के मुताबिक उस जूस में नींबू का रस या काल नमक मिलाकर सेवन कर सकते हैं।

मोटापा कम करने के लिए लौकी का जूस का उपयोग कैसे करें?

वजन कम करने के लिए लौकी का जूस का उपयोग कैसे करें, इसके लिए यहां हम कुछ रेसिपी बता रहे हैं। इन्हें घर में आसानी से बनाया जा सकता है। इसके अलावा हम यह भी बताएंगे कि लौकी का जूस कब पीना चाहिए।

वजन घटाने के लिए लौकी का जूस

सामग्री:उबली हुई आधी लौकी के छोटे टुकड़े
2 छोटे चम्मच ताजा कटा हरा धनिया
2 छाेटे चम्मच पुदीना
अदरक का एक छोटा टुकड़ा
नमक स्वादानुसार
चुटकीभर काला नमक
आधा चम्मच नींबू का रस
1 कप पानी
जूस बनाने की विधि:सबसे पहले ब्लेंडिंग जार में सभी सामग्रियों को डाल दें।
ऊपर से पानी डाल दें।
इसके बाद सभी सामग्रियों को 3 से 4 मिनट तक ब्लेंड करें।
लौकी का जूस तैयार है।
इस जूस को गिलास में डालकर सर्व करें।
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23.3.23

1 दिन में 1 किलो वजन कैसे कम करें : How to Lose 1 Kg of Weight in a Day




१ दिन में वजन कम करने के लिए आपको आगे कुछ तरीके बताये जा रहे है। इनका उपयोग करके आप आसानी से अपना वजन कम कर सकते है।

१. रोज व्यायाम करे

आहार पर नियंत्रण करने के अलावा आपको रोज एक्सरसाइज भी करनी होगी। यह शरीर में मौजूद अतिरिक्त वसा को जलाने का काम करती है। इसके लिए आपको सिर्फ जिम जाने की ही जरूरत नहीं है। आप पैदल चलकर, रनिंग करके या सीढ़ियां भी चढ़ सकते है। फैट कम करने के लिए एक्सरसाइज बहुत जरुरी है।

२. गर्म पानी जरूर पिएं

गर्म पानी पीने से शरीर में जमा चर्बी को कम करने में मदद मिलती है। गर्म पानी शरीर को डिटॉक्स करने में भी मदद करता है। जब आप इसे डिटॉक्सीफाई करते हैं तो शरीर का मेटाबॉलिक रेट बढ़ने लगता है। मेटाबॉलिज्म बेहतर होगा तो आपको अधिक वजन कम करने में मदद मिलेगी।

३. चीनी का सेवन बंद या बिल्कुल कम कर दे


चीनी शरीर की चयापचय दर को धीमा कर देती है और इससे आपका वजन आसानी से कम नहीं होता है बल्कि और बढ़ने लगता है जल्दी वजन कम करने के लिए आपको मीठा खाना बंद कर देना चाहिए। जिन खाद्य पदार्थों में चीनी है आपको उनसे बचने की कोशिश करना चाहिए। अगर फिर भी शुगर की क्रेविंग हो रही है तो गुड़ और शहद जैसे विकल्पों का सेवन कर सकते है।

४. प्रत्येक भोजन में प्रोटीन खाएं

प्रोटीन आपको तृप्त रखता है जिससे आपको भूख कम लगती है और आप भरा हुआ महसूस करते है। प्रोटीन युक्त आहार लेने से भूख को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। शाकाहारी लोग राजमा, दालें, दही और पनीर जैसे खाद्य पदार्थों का सेवन करके अपने आहार में प्रोटीन को शामिल कर सकते हैं।

५. ग्रीन टी पिएं

रोजाना तीन कप ग्रीन टी पीकर आप अपने शरीर का मेटाबॉलिज्म बढ़ा सकते हैं। ग्रीन टी से शरीर की चर्बी जल्दी जलने लगती है। ग्रीन टी एंटीऑक्सिडेंट से भरी होती है जो आपके लिए स्वस्थ भी है। इसे आप नियमित रूप से पीते है तो यह आपको दुबला होने में मदद मिलती है।

घर बैठे वजन कैसे कम करें -

यहाँ आपको वजन कम करने के कुछ तरीके बताये गए है इन तरीकों से आप घर बैठे ही वजन कम कर सकते है।

१. संपूर्ण एकल-घटक खाद्य पदार्थ खाएं


अपने आहार में संपूर्ण एकल-घटक खाद्य पदार्थों को शामिल करे। संपूर्ण खाद्य पदार्थ बहुत भरने वाले होते हैं।

२. रिफाइंड कार्ब्स का सेवन सीमित करें


रिफाइंड कार्ब्स वह होते हैं जिनमें से लाभकारी पोषक तत्व और फाइबर हटा दिए जाते हैं। रिफाइंड कार्ब्स के मुख्य आहार स्रोत सफेद चावल, सफेद ब्रेड, सोडा, सफेद आटा, स्नैक्स, पेस्ट्री, मिठाई, पास्ता, नाश्ता अनाज और अतिरिक्त चीनी हैं।

३. अधिक फल और सब्जियां खाएं

यह पानी, पोषक तत्वों और फाइबर में उच्च होने के अलावा आमतौर पर बहुत कम ऊर्जा घनत्व वाले होते है। कई अध्ययनों से पता चला है कि जो लोग अधिक फल और सब्जियां खाते हैं उनका वजन कम होता है।

४. प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों से बचें

प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ अतिरिक्त शर्करा, अतिरिक्त वसा और कैलोरी में उच्च होते हैं। प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ से आपको बार - बार खाने की इच्छा होती है भूख ज्यादा लगती है असंसाधित खाद्य पदार्थों की तुलना में नशे की लत जैसे खाने की अधिक संभावना रखते हैं।

५. कैलोरी गिनें



वजन कम करने की कोशिश करते समय आप क्या खा रहे हैं, इसके बारे में जानना जरुरी है। कैलोरी गिनने के कई तरीके है जैसे खाने की डायरी रखना, उसकी तस्वीरें लेना, किसी ऐप या किसी अन्य इलेक्ट्रॉनिक टूल का उपयोग करना।

६. लो-कार्ब डाइट ट्राई करें

वजन घटाने के लिए लो-कार्ब डाइट बहुत कारगर होती है। कार्बोस सीमित करना और अधिक वसा और प्रोटीन खाने से आपकी भूख कम हो जाती है और आपको कम कैलोरी खाने में मदद मिलती है।

७. छोटी प्लेटों में खाएं


छोटी प्लेटों में खाने से आपको कम खाने में मदद मिलती है। बड़ी प्लेट में खाने से आकार की परवाह किए बिना लोग अपनी प्लेटों को समान रूप से भरते हैं, इसलिए वे छोटी प्लेटों की तुलना में बड़ी प्लेटों पर अधिक भोजन डालते हैं।

८. धीरे खाओ

यदि आप बहुत तेजी से खाते हैं, तो आप बहुत अधिक कैलोरी खा सकते हैं धीरे-धीरे चबाने से आपको कम कैलोरी खाने और वजन घटाने से जुड़े हार्मोन के उत्पादन में वृद्धि करने में मदद मिल सकती है।

९. प्रतिरोध व्यायाम जोड़ें

यदि आप बहुत अधिक मांसपेशियों को खो देते हैं, तो आपका शरीर पहले की तुलना में कम कैलोरी बर्न करना शुरू कर देगा। नियमित रूप से वज़न उठाकर, आप मांसपेशियों में होने वाले इस नुकसान को रोकने में सक्षम होंगे।

वजन घटाने के लिए प्रो टिप्स

बहुत से लोगों के लिए १ दिन में १ किलो वजन कम करना मुश्किल हो सकता है लेकिन कुछ टिप्स आपको वजन घटाने में मदद कर सकती हैं।

१. प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों का सेवन कम करें


अध्ययनों से पता चलता है कि नियमित रूप से प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ खाने से वजन बढ़ता है और यह मोटापे के उच्च जोखिम से जोड़ा जा सकता है।

२. भरपूर मात्रा में पानी पिएं

भरपूर पानी पीने से आपको भूख कम लगेगी और आपका पेट भरा हुआ महसूस होगा। पानी ज्यादा पीना आपको स्वस्थ और हाइड्रेटेड रखने में मदद करता है।

३. फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ


खाद्य पदार्थ जो फाइबर से भरपूर होते हैं उनका सेवन करे। इसके लिए फल, सब्जियां, साबुत अनाज और फलियां खा सकते है यह पेट को खाली करने की गति को धीमा कर सकते हैं इस प्रकार भूख को कम करने और वजन घटाने को बढ़ावा देने में मदद करते हैं।

४. प्रोटीन का अधिक सेवन


अगर आप अधिक प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ खाते है तो इससे भूख नियंत्रण में होती है भोजन की लालसा कम हो सकती है और परिपूर्णता की भावना बढ़ सकती है।

निष्कर्ष :

वजन कम करना इतना भी कठिन नहीं है जितना की आप सोच लेते है। यदि आप कड़े प्रयास करते है और वह सभी चीजें जो वजन कम करने में सबसे महत्वपूर्ण है, जैसे: आपको क्या खाना है, क्या नहीं खाना है और कैसे खाना है यह सभी चीजें बहुत महत्वपूर्ण है।
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28.2.23

कनेर के फुल के आयुर्वेदिक उपयोग :Uses of kaner flowers




  कनेर जिसे कई लोग कनैल के नाम से भी जानते है, बता दे की इसका पौधा सम्पूर्ण भारत में करीब हर जगहों पर पाया जाता है। आपने अगर ध्यान दिया होगा तो देखा होगा की कनेर का पौधा लगभग हर मंदिरों में, उद्यान में, घर और राष्ट्रीय राजमार्गों के किनारों पर दिख जाते होंगे। आपको बता दे की कनेर का पौधा तीन अलग अलग प्रजाति होती है जिसमे लाल, सफेद और पीले रंग के कनेर के फूल होते हैं।
यह एक सदाबहार फूल है मगर इसके साथ ही इस पौधे में बहुत से औषधीय गुण भी पाये जाते है जिसकी जानकारी बहुत कम ही लोगों को होती है। जैसे आपको बता दे की यदि आपको कोई विषैला जीव जैसे बिच्छू काट ले तो उस स्थिति में सफेद कनेर के फूल की जड़ को घिसकर डंक के स्थान पर लेप करने या इसके पत्तों का रस पिलाने से सांप या बिच्छू का जहर उतर जाता है।
 जिनके शरीर के घाव जल्दी नहीं भरते हैं, बता दे की इसके लिए कनेर के सूखे हुए पत्तों का चूरन बनाकर घाव पर लगाने से काफी आराम मिलता है। इसके साथ ही आपको बता दे की यदि आप फोड़े फुंसियां से परेशान हैं तो कनेर के लाल फूलों को पीसकर उसका लेप बना लें और इस लेप को फोड़े-फुंसियों पर कम से कम 2-3 बार रोजाना लगाएं। ऐसा करने से आप देखेंगे कि आपकी फोड़े और फुंसियां ठीक हो जाएंगी।


अगर आप हर रोज कनेर के सफेद फूल वाले पौधे की डंठल से 2 बार दातुन करते है तो आपके डाटों में हो रहा दर्द ठीक हो जाता है साथ ही आपके दांत भी मजबूत रहते हैं। इसके अलावा आपको बता दे की सफेद और लाल कनेर के फूल या पीले रंग वाले कनेर के फूल के पौधे के पत्ते को दूध में पीसकर सिर में लगाने से बालों का सफेद होना एकदम से रुक सा जाता है और बाल काफी स्वस्थय भी हो जाते है।

नेत्र रोग

आँखों के रोग को दूर करने के लिए पीले कनेर के पौधे की जड़ को सौंफ और करंज के साथ मिलाकर बारीक़ पीसकर एक लेप बनाएं | इस लेप को आँखों पर लगाने से पलकों की मुटाई जाला फूली और नजला आदि बीमारी ठीक हो जाती है |


सिर दर्द

कनेर के फूल और आंवले को कांजी में पीसकर लेप बनाएं | इस लेप को अपने सिर पर लगायें | इस प्रयोग से सिर का दर्द ठीक हो जाता है |

सफेद कनेर के पौधे के पीले पत्तों को अच्छी तरह सुखाकर बारीक़ पीस लें | इस पिसे हुए पत्ते को नाक से सूंघे | इससे आपको छीक आने लगेगी जिससे आपका सिर का दर्द ठीक हो जायेगा |

उपदंश

यदि किसी व्यक्ति को घाव हो जाते है तो सफेद कनेर के पौधे की जड़ को पानी में पीसकर लगाने से उपदंश के घाव ठीक हो जाते है |
पक्षघात के रोग में
सफेद कनेर के पौधे की जड़ की छाल , सफेद गूंजा की दाल तथा काले धतूरे के पौधे के पत्ते आदि को एक समान मात्रा में लेकर इनका कल्क तैयार कर लें | इसके बाद चार गुना पानी में कल्क के बराबर तेल मिलाकर किसी बर्तन में धीमी आंच पर पकाएं | जब केवल तेल रह जाये तो किसी सूती कपड़े से छानकर मालिश करें | इससे पक्षाघात का रोग ठीक हो जाता है |
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22.2.23

अफारा वायु विकार का घरेलू इलाज:Afara Vayu vikar ilaj




  गलत खान-पान और लापरवाही के कारण पेट में दूषित वायु इकट्ठा हो जाती है, जो अफारा पैदा करती है। अफारा होने पर पेट भारी हो जाता है इससे पेट दर्द बेचैनी और कभी-कभी मितली आने लगती है। पेट में भारीपन महसूस होता है, एसिडिटी एवं वमन आदि की शिकायत हो जाती है। पेट से जुड़ी कई समस्याओं को घरेलू उपचार के जरिए ठीक किया जा सकता है। पहले जानिए क्यों होती है खाना खाने के बाद ब्लोटिंग? एक्सपर्ट के मुताबिक, पेट के एब्डोमिनल एरिया में सूजन आने के कारण गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट में बड़ी मात्रा में हवा या गैस जमा हो जाती है। इसके अलावा भोजन के बाद जब शरीर भोजन को पचाता है, तब अत्यधिक मात्रा में गैस पैदा होती है।
वायु विकार का प्रमुख कारण अधिक मात्रा में गरिष्ठ भोजन है। इसके अतिरिक्त भोजन को भली-भांति न चबाकर जल्दी-जल्दी खाने से भोजन के पाचन में समय लगता है तथा भोजन आंतों में पड़ा रहकर वायु विकार उत्पन्न करता है। बार-बार बदबूदार वायु का निष्कासन व पेट व पेट में दर्द होना वायु विकार के प्रमुख लक्षण है।

अफारा का उपचार

वायु-विकार में छाछ में पिसी हल्दी मिलाकर पीने से भी लाभ होता है। पानी में हल्दी मिलाकर पीने से भी अफारा दूर होता। यदि अफारा का कारण कब्ज है तो रोगी को हिन्गुत्रिगुल तेल नामक औषधि का सेवन दिन में एक बार खाली पेट में एक प्याला गर्म जल के साथ करना चाहिए। 9 भोजन में दही छाछ का प्रयोग करना अत्यन्त लाभदायक है।

जिन्हें गैस या एसिडिटी की समस्या बार-बार होती है उन्हें पानी का भरपूर सेवन करना चाहिए। खासकर गुनगुना पानी पीने से सिर्फ पाचन क्रिया ही ठीक नहीं होती बल्कि, गैस भी नहीं बनती।

आहार में फाइबर को शामिल करें

पेट संबंधी समस्या होने पर अपने आहार में फाइबर को शामिल करना चाहिए। इससे कब्ज, पेट का भारीपन जैसी समस्याओं की शिकायत खत्म हो जाती है। कब्ज और अफारा की शिकायत दूर करने के लिए फाइबर से भरपूर आहार लें। लगभग एक इंच ताजा कच्चे अदरक को कद्दूकस कर लें और इसे खाने के बाद एक चम्मच नींबू के रस के साथ लें. अदरक पेट फूलने की समस्या में बहुत कारगर है. गैस की समस्या से राहत पाने के लिए अदरक की चाय पीना भी एक अच्छा घरेलू उपचार है. एप्पल साइडर विनेगर- रोज सुबह खाली पेट एक ग्लास पानी में एप्पल साइडर विनेगर मिला कर अफरा मरीज़ जरूर लें.
सोंठ, काली मिर्च व सेंधा नमक 2-2 ग्राम तथा थोड़ी-सी हींग को पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण की एक से 2 ग्राम मात्रा लेने पर पेट दर्द एवं अफारे में लाभ होता है।
• एक या डेढ़ चम्मच आंवले का चूर्ण पानी के साथ लेने से एसिडिटी से छुटकारा मिलता है।
• पेट दर्द और अफारा में हींग का लेप टुंडी (नाभि) पर करने से आराम मिलता है।
• जिन्हें पेट दर्द, अफारा, गैस या फिर डाइजेशन की समस्या है उन्हें 10 ग्राम शहद में 3 ग्राम अजवाइन (बारीक पीसकर मिला दें) मिलाकर पीना चाहिए। ऐसा करने से कुछ ही देर में इस समस्या में राहत मिलती है।
• हींग, सेंधा नमक, पीपल का चूर्ण, काली मिर्च का चूर्ण और सोंठ का चूर्ण लें और सभी को समान भाग में मिलाकर लेप तैयार करें और पेट पर लगाएं। ये पेट दर्द और अफारा का उत्तम इलाज है।

फूलना कौन सी बीमारी का लक्षण है?

  यह हेपेटाइटिस, अत्यधि‍क अल्कोहल का सेवन, दवाईयां या फिर लिवर कैंसर के परिणामस्वरूप भी हो सकता है। 
आंत की समस्या - अगर पेट फूलने के साथ ही कठोर भी हो और आप उल्टी, जी मचलाना, कब्जियत जैसी समस्याओं का भी सामना कर रहे हैं, तो यह आंत की गड़बड़ी या आंत में ट्यूमर के कारण भी हो सकता है।
अफारा, पेट दर्द एवं अम्लपित्त का रामबाण आयुर्वेदिक इलाज –
 आलू को नियमित रूप से कुछ दिनों तक खाने से पेट की अम्लीयता मे लाभ होता है।प्याज की एक गाँठ महीन काटकर दही के साथ लेने से अमलपित में आराम मिलता है। इसका सेवन 1 सप्ताह तक करना चाहिए।1 ग्राम सोंठ का चूर्ण और चौथाई ग्राम हींग को सेंधा नमक के पानी के साथ सेवन करने से पेट दर्द दूर हो जाता है।सोंठ, काली मिर्च व सेंधा नमक 2-2 ग्राम तथा थोड़ी-सी हींग को पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण की एक से 2 ग्राम की मात्रा लेने पर पेट दर्द एवं अफारे में लाभ होता है।
  एक या डेढ़ चम्मच आंवले का चूर्ण पानी के साथ लेने से पेट में बनने वाले तेजाब (एसिडिटी) से मुक्त पाई जा सकती है।पेट के सभी रोगों विशेषकर पित्त विकार एवं पेट दर्द में काला नमक, अजवाइन, काला जीरा व शोधित हींग मिलाकर चूर्ण के रूप में चाटना चाहिए। इसे हिंग्वाष्टक चूर्ण कहा जाता है।पेट दर्द और अफारा में हींग का लेप टुंडी (नाभि) पर करने से आराम मिलता है।10 ग्राम शहद में 3 ग्राम अजवाइन बारीक करके मिला दे और उसे पेट के रोगी को खिलाएं। 15 मिनट में पेट का दर्द, अफारा, गैस एवं बदहजमी दूर हो जाएगी।अगर पेट में पीड़ा अथवा अफारा हो तो उत्तम हींग, सेंधा नमक, पीपल का चूर्ण, काली मिर्च का चूर्ण और सोंठ का चूर्ण.. सभी का समान भाग लेकर उसमें जल मिलाकर पेट पर लेप कर दें। इस उपाय से पेट का अफारा एवं पीड़ा निश्चित ही शांत हो जाएगी।असली की पतली पुल्टिस में जरा-सा कपूर मिलाकर पेट पर बांधने से पेट दर्द, अफारा और जलन शांत हो जाती है।बड़ी इलायची को पीसकर उसमें आवश्यकतानुसार मिर्च मिला लें। फिर उसे 3-3 माशे की खुराक बनाकर सुबह-शाम भोजन के बाद प्रयोग करें। पेट दर्द बदहजमी और पीत का प्रकोप नष्ट हो जाएगा।यदि भोजन के बाद अफ़रा एवं जलन महसूस हो तो मुनक्का, मिश्री तथा शहद के साथ हरड़ का सेवन करना चाहिए।
  गुड के साथ पीसी हुई लाल मिर्च खाने से पेट दर्द में आराम मिलता है।मूली का नियमित सेवन कब्ज दूर करके पेट साफ करता है और एसिडिटी, खट्टी डकारे, एवं अफरे से छुटकारा मिलता है।पेट में दर्द होने और जी मिचलाने पर तुलसी और अदरक का रस मिलाकर, एक-एक चम्मच 2-2 घंटे बाद दिन में तीन-चार बार लें। इस रस को हल्का गुनगुना करके लेने से तत्काल लाभ होता है।
  अमलपित होने पर तुलसी की मंजरी, नीम की छाल, कालीमिर्च और पीपल को बराबर मात्रा मे लेकर चूर्ण बना लें। 3 ग्राम सुबह फाँककर ताजा पानी पिए। मल-मूत्र के रास्ते अम्लता और पित्त साथ-साथ निकल जाएंगे।ढाई सौ ग्राम नींबू का रस, ढाई सौ ग्राम अदरक का रस, ढाई सौ ग्राम ग्वारपाठे का रस, एवं 2-2 तोले पांचों नमक पीसकर मिला दे। इस रस को किसी सफेद कांच की बोतल या स्टील के बर्तन में 15 दिन धूप में रखें। तत्पश्चात इसकी एक-एक चम्मच खुराक सुबह-शाम लेने से अफ़रा, पेट दर्द, गैस प्रकोप, अपच एवं कब्ज आदि खत्म हो जाएगा। यदि यह पीने में तेज लगे तो थोड़ा सा पानी मिला लें।दो चम्मच नींबू के रस और एक चम्मच अदरक के रस में थोड़ी-सी शक्कर मिलाकर पीने से पेट दर्द एवं उदरशूल नष्ट हो जाएगा।
 पुदिने और नींबू का रस एक-एक चम्मच लें। अब इसमें आधा चम्मच अदरक का रस और थोडा सा काला नमक मिलाकर उपयोग करें। दिन में 3 बार इस्तेमाल करें, पेट दर्द में आराम मिलेगा।
 इसबगोल के बीज दूध में 4 घंटे भिगोएं। रात को सोते समय लेते रहने से पेट में मरोड का दर्द और पेचिश ठीक होती है।छाछ के स्वाद के अनुसार काला नमक और अजवायन का चूर्ण मिलाकर पीने से वायु विकार दूर होता है।‘कुमारी आसव’ भी लाभदायक औषधि है।
 इसे भोजन के बाद दिन में दो बार 2-2 चम्मच की मात्रा में समान भाग जल मिलाकर रोगी को पिलाना चाहिए।
इमली का गूदा छानकर हींग-जीरे के पानी में मिलाएं और सेवन करें। यह भूख बढ़ाता है।
इसमें दालचीनी, लौंग और कपूर मिश्रित कर स्वादिष्ट पेय भी बनाया जा सकता हैं ।
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6.2.23

आक का पौधा औषधीय गुणों का खजाना :Aak plant Ayurvedic upyog

 


आक के पत्ते, फूल, दूध, तेल तथा जड़ के बेहतरीन औषधीय गुण जानिए । महर्षि चरक ने लिखा है, “आक में ऐसी आग है जो व्यक्ति के रोग को जलाती नहीं सुखाती है। आक किसी भी जगह अपने आप उगने वाली औषधीय वनस्पति है। इस वनस्पति को पशु पक्षी भी नहीं खाते हैं। आक के गुणों से बहुत कम व्यक्ति परिचित हैं। जनसाधारण में आक को मदार, अकौआ के नाम से जाना जाता है। आक का पेड़ गर्मियों में हरा-भरा दिखाई देता है, जबकि वर्षा होते ही सूखने लगता है। इसमें से सफेद मुलायम रूई निकलती है। 
आक के पत्तों का उपयोग एक पुराना घरेलू उपचार है, लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि आक के पेड़ के सभी भागों में औषधीय गुण होते हैं।
जंगलों-झाड़ियों के बीच आक का पौधा आपको बहुत ही आसानी से नजर आ जाएगा। यह बहुत ही विषैला होता है। आयुर्वेद में आक के पौधे का विशेष महत्व है। इसका इस्तेमाल दवा के रूप में भी किया जाता है। अंग्रेजी में इसे Calotropis gigantea कहते हैं। जहरीला होने के कारण ये जानवरों द्वारा भी नहीं खाया जाता, लेकिन ये हमारी कई स्वास्थ्य समस्याओं को ठीक कर सकता है। वहीं इसके पत्तों का इस्तेमाल ऑयल या फिर औषधी के रूप में भी किया जाता है। डायबिटीज को कंट्रोल करने के लिए आप आक के पौधे का इस्तेमाल कर सकते हैं। आइए जानते हैं आक के पौधे का इस्तेमाल कैसे किया जाता है-

आक का पौधा डायबिटीज में कैसे है लाभकारी-

आक के पेड़ को मदार, अर्क के अलावा अकोवा नाम से भी जाना जाता है। इस पेड़ के पत्तियों, दूध के साथ-साथ फूल का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें भरपूर मात्रा में एंटी-डिसेंट्रिक, एंटी-सिफिलिटिक, एंटी-रूमेटिक, एंटीफंगल के साथ-साथ ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो आपको कुष्ठ रोग, डायबिटीज के अलावा कई स्किन संबंधी समस्याओं, अस्थमा आदि से निजात दिला सकता है।

कैसे करें सेवन-



इसके लिए आक की पत्तियों को अचछी तरह सुखाकर पाउडर बना लें। अब रोजाना 10 एमएल आक की पत्तियों का पाउडर पानी में मिलाकर सेवन करें। इसके सेवन से ब्लड शुगर कंट्रोल में रहता है। हालांकि, सेवन करने से पहले एकबार डॉक्टर से जरूर सलाह लें। इसके अलावा रात में सोते वक्त आक के पत्ते को पैर के तलवे पर रखकर मोजे पहन लें और अगली सुबह को पत्तों को हटा दें। इस प्रक्रिया से भी ब्लड शुगर कंट्रोल में रहता है।

आक के अन्य लाभ-


जोड़ों के दर्द में लाभकारी-


अगर आपको जोड़ों में काफी दर्द हैं तो इसके पत्तों को तवा में हल्का गर्म करके जोड़ों में लगा लें। इससे आराम मिलेगा।
सोते समय मात्र तलवे पर इस पौधे की पत्तियों को रख लेने से डायबिटीज हो जाएगी कंट्रोल


घाव भरने में लाभकारी-

पौधे का दूध निकालकर इसमें हल्दी मिलाकर घाव में लगा लें। इससे आपका घाव जल्दी भर जाएगा।


पांव के छाले पड़ने पर-

अगर आपके पैरों में छाले पड़ जाए तो आक के पौधे के दूध को निकाल छालों के ऊपर लगा लें। इससे तुरंत लाभ मिलेगा।


बवासीर-

आक का पत्ता और डंठल को पानी में बिगो जें। इसके बाद इसे पीने से बवासीर की समस्या से निजात मिलेगा।
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4.1.23

करेले के जूस के क्या फायदे हैं :karele ke juice ke fayde

 




 करेले को इंग्लिश में बिटर गॉर्ड कहते है। यह एक चिकित्सकीय औषधि है जिसका इस्तेमाल बहुत सी दवाइयों में किया जाता है| हालांकि यह टेस्ट में कड़वा होता है और हमारी जुबान को नहीं सुहाता है| लेकिन अगर आप इसके औषधीय गुणों के बारे में जान लेंगे तो इसका सेवन जरूर करेंगे|

करेला खाएं रोग को दूर भगाएं 

करेले में विटामिन्स और एंटी ओक्सिडेन्ट्स मौजूद होते है| रोजाना एक गिलास करेले का जूस पीने से बहुत सी स्वास्थ्य की समस्याएं दूर होती हैं| । इसमें विटामिन A,B और C पाया जाता हैं इसके अलावा करेले में कैरोटीन, पोटैशियम, बीटाकैरोटीन, आइरन, मैग्नीशियम, जिंक और मैगनीज जैसे गुणकारी तत्व भी होते हैं । हमारे शरीर को इन सभी चीजो की बराबर मात्रा में जरुरत होती हैं| करेला रक्त शोधन में भी बहुत आवश्यक हैं। इसके लिए करेले के रस karele ka ras का सेवन किया जाता हैं चाहे तो इसमें काली मिर्च पाउडर और नींबू का रस मिलाकर भी पी सकते है

करेला ब्लड शुगर madhumeh के लेवल को कम करता है -

 अपने शुगर को नियंत्रित करने के लिए आप तीन दिन तक खाली पेट सुबह करेले का जूस ले सकते हैं| मोमर्सिडीन और चैराटिन जैसे एंटी-हाइपर ग्लेसेमिक तत्वों के कारण करेले का जूस ब्लड शुगर लेवल को मांसपेशियों में संचारित करने में मदद करता है| इसके बीजों में भी पॉलीपेप्टाइड-पी होता है जो कि इन्सुलिन को काम में लेकर मधुमेह रोगी  में शुगर लेवल को कम करता है
भूख बढ़ाता है भूख नहीं लगने से शरीर को पूरा पोषण नहीं मिल पाता है जिससे कि स्वास्थ्य से सम्बंधित परेशानियां होती हैं| इसलिए करेले के जूस को रोजाना पीने से पाचन क्रिया सही रहती है जिससे भूख बढ़ती है|

प्रतिरक्षा तंत्र मजबूत करे

जिन लोगो का प्रतिरक्षा तंत्र कमज़ोर है उन्हें करेले के जूस का नियमित रूप से सेवन करना चाहिए| इसमें विटामिन B1, B2, B3, जिंक, मैग्नीशियम पाया जाता है जो शरीर के लिए बहुत आवश्यक तत्व हैं|

अग्नाशय के कैंसर के उपचार में उपयोगी -

 रोजाना एक गिलास करेले का जूस पीने से अग्नाशय का कैंसर पैदा करने वाली कोशिकाएं नष्ट होती हैं| ऐसा इसलिए होता हैं क्यों कि करेले में मौजूद एंटी- कैंसर कॉम्पोनेंट्स अग्नाशय का कैंसर पैदा करने वाली कोशिकाओं में ग्लूकोस का पाचन रोक देते हैं जिससे इन कोशिकाओं की शक्ति ख़त्म हो जाती हैं और ये ख़त्म हो जाती हैं|

पाचन शक्ति बढ़ाये

करेले का जूस  karele ka ras कमजोर पाचन तंत्र को सुधारता है और अपच को भी दूर करता है| ऐसा इसलिए होता है क्यों कि यह एसिड के स्त्राव को बढ़ाता है जिससे पाचन शक्ति बढ़ती है| इसलिए अच्छी पाचन क्षमता के लिए सप्ताह में एक बार सुबह करेले का जूस जरूर पिए|

करेले का जूस शरीर में खून को साफ़ करता है| यह जहरीले तत्वों को शरीर से बाहर निकालता है और फ्री रेडिकल्स से हुए नुकसान से भी बचाता है| इसलिए ब्लड को साफ़ करने और मुहासों जैसी समस्याओं को दूर करने के लिए एक गिलास करेले का जूस अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में शामिल कर ले।

एक कप करेले के जूस karele ka ras में एक चम्मच नींबू का जूस मिला लें इस मिश्रण का खली पेट सेवन करें| 3 से 6 महीनें तक इसका सेवन करने से त्वचा पर सोराइसिस के लक्षण दूर होते हैं| यह आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है और सोराइसिस  charm rog  को प्राकृतिक रूप से ठीक करने में मदद करता है|

यह लिवर से विषैले पदार्थों को निकालता है - >रोजाना एक गिलास करेले का जूस पीने से लिवर मजबूत होता है क्यों कि यह पीलिया जैसी बिमारियों को दूर रखता है| साथ ही यह लिवर से जहरीले पदार्थों को निकालता है और पोषण प्रदान करता है जिसे लिवर सही काम करता है और लिवर की बीमारियां दूर रहती हैं|

हैजा एक बहुत ही खतरनाक बीमारी है जो किसी भी आयु के व्यक्ति को हो सकती है| करेले का जूस इसमें मदद कर सकता है | इसके लिए दो चम्मच करेले के जूस को बराबर मात्रा में सफ़ेद प्याज के रस के साथ प्रतिदिन स्वस्थ हो जाने तक लिया जाना चाहिए|

यह आँखों की नजर बढ़ाता है najar tej 

लगातार करेले के जूस का सेवन कर आप विभिन्न दृष्टि दोषों को दूर कर सकते हैं| करेले में बीटा- कैरोटीन और विटामिन ए की अधिकता होती है जिससे दृष्टि ठीक  najar tej  होती है| इसके अलावा इसमें उपस्थित विटामिन सी और एंटी-ऑक्सीडेंट्स, ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस से होने वाली नजरों की कमजोरी से बचाता है|

करेले के रस के सेवन से रक्त साफ होता हैं और त्वचा के रोग  charm rog  ठीक हो जाते है | करेले से पाचन क्रिया ठीक होती हैं इस कारण भी चेहरे पर मुंहासे जैसे  charm rog नहीं होते | करेला पेट साफ़ करने में भी सहायक होता हैं जिससे चर्म रोग नहीं होते| करेले की पत्तियों में भी विशेष गुण होते हैं आप चाहे तो इसका लैप भी बना के लगा सकते है।
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20.12.22

बवासीर का आसान घरेलू ,आयुर्वेदिक,होम्योपैथिक उपचार:Bawasir ke ghareu upchar/



• बवासीर के आकार भिन्न हो सकते हैं और गुदा के अंदर या बाहर पाए जाते हैं। पाइल्स गंभीर कब्ज, क्रोनिक डायरिया, भारी वजन उठाने, गर्भावस्था या तनाव के कारण उत्पन्न होते हैं| डॉक्टर आम तौर पर देख कर(परीक्षा करके) पता लगा सकते हैं| ग्रेड 3 या 4 बवासीर के लिए सर्जरी आवश्यक हो सकती है
• बढ़ती उम्र के कारण, अधिक देर तक बैठेने के वजह से बवासीर तीव्र हो सकता है और शौचालय दौरान तनाव के कारण बाहरी बवासीर हो सकते हैं।
• अगर कब्ज ना होतो, पहले और दूसरे डिग्री बवासीर आमतौर पर अपने आप ढल जाते हैं, लेकिन आपका डॉक्टर लक्षणों को दूर करने के लिए हार्मोराइड क्रीम का एक छोटा कोर्स लिख सकते है। तीसरे डिग्री के ढेर भी खुद से दूर हो सकते हैं, लेकिन यदि वे जारी रहें, तो उन्हें उपचार की आवश्यकता हो सकती है|
पाइल्स बवासीर में दर्द और खुजली को कम करने के लिए उपयोगी उपाय Ayurvedic remedies for piles
• गर्म स्नान, 15 मिनट के लिए गर्म पानी में भिगोएँ
• राहत के लिए लगाए विच-हजेल या अन्य होम्योपैथिक क्रीम (जैसे टोपी एस्कुलुस) या ओवर-द-काउंटर वाइप या क्रीम जो कोई साइड इफेक्ट के साथ दर्द और खुजली दूर कर सकते हैं।

दर्द निवारक गोलियाँ लो (पेन किलर्स)
• प्रभावित भागों को खरोंचना नही
• कपास का इस्तेमाल करें
• तरल पदार्थ का खूब सेवन करें
• अधिक फाइबर खाएं
• उन खाद्य पदार्थों से बचें जो बवासीर को बदतर बनाते है
• बहुत आसान फिटिंग जांघिया पहने
• रसायनों से गुदा क्षेत्र को सुरक्षित रखें

बवासीर का इलाज होम्योपैथी से

एसिड नाइट्रिकम :

आँतों में घोंपने का अहसास, काँटा चुभने जैसा दर्द, मलत्याग के दौरान संकुचन की अनुभूति के साथ में मलत्याग के बाद बनी रहने वाली पीड़ा ।

ऐस्क्युलस हिप. :

गुदा से बाहर की ओर लटकते हुए बबासीरी मस्सों (गहरे लाल रंग के झूलते अर्श) की श्लैष्मिक झिल्ली का सूखापन तथा जलन । त्रिकास्थि (Sacral) भाग में हल्का-हल्का दर्द, शिरा सम्बन्धी स्थिरता ।

कॉलिन्सोनिया कैन :

गोणिका (Pelvis) में शिरा सम्बन्धी संकुलन, कब्ज़ियत, पेट फूलना, खूनी बवासीर

ग्रेफाइट्स :

कब्ज़ियत, चिपचिपा पिंड जैसा मल, पेट फूलना, मलद्वार सम्बन्धी एक्ज़िमा,खुजली

हेमामेलिस :

शिराओं का फूलना, बवासीर में से रक्तस्राव (Bleeding) ।

कालियम कार्ब :

पीठ दर्द, पेट-फूलना, । कठोर मल, मलद्वार के मस्सों में जलन ।

लाइकोपोडियम :

अफारा, पेट फूलना, सूखे मल के साथ, अपूर्ण मलत्याग । रक्त जनित बवासीर साथ में गुदाभ्रंश तथा मलद्वार में ऐंठन । सामान्य रोगभ्रम (Hypochondria) तथा मंदाग्नि (dyspepsia), कब्ज़, पेट में रक्त का अधिक प्रवाह
पीयोनिया :
गीली बवासीर, पीड़ा-प्रद मलद्वार की फटन । बवासीर में खुजली और पीड़ा, साथ में रक्त स्राव की प्रवत्ति । गुदाद्वार की फटन (Rhagades or fissures) । मल त्याग के बाद बना रहने वाला दर्द ।

सल्फर :

बहुप्रयुक्त एवं प्रभावशाली औषधि, मलद्वार में लाली, खुजली, एक्ज़िमा, अस्वस्थ त्वचा

खुराक की मात्रा :

सामान्यतः प्रतिदिन 3 बार थोड़े पानी में 10-15 बूँदें ।तीक्ष्ण पीड़ा होने पर, उपचार के प्रारंभ में, दिन में 4-6 बार 10-15 बूँदें । रोग के पूरी तरह समाप्त हो जाने पर , कुछ लंबे समय तक प्रतिदिन एक या दो बार 10-15 बूँदें देते हुए उपचार जारी रखें ।
*कब्ज़ होने पर, साथ ही साथ मलत्याग को नियमित करना बहुत अधिक महत्वपूर्ण है । अतएव, नाश्ते और रात के खाने में रेचक आहार (fibrous food) लेने चाहिए, जैसे : पके फल, अलसी, हरी मटर, rye ब्रेड, खमीर, दही आदि । मैदे की रोटी, चॉकलेट, स्टार्च जैसे कब्ज़ करने वाले भोज्य पदार्थ न लें ।

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18.12.22

फैटी लिवर का इलाज घरेलू आयुर्वेदिक नुस्खों से :Fatty Liver ayurvedic ilaj



आज कल हर व्यक्ति को पेट से सम्बंधित कुछ न कुछ परेशानी लगी रहती है. यह परेशानी लीवर में गड़बड़ी की वजह से अधिक होती हैं. खान पान पर विशष ध्यान नहीं दे पाते हैं, जिसकी वजह से लीवर ख़राब हो जाता है. इसमें लीवर का फैटी होना, सूजन आ जाना और लीवर में इन्फेक्शन हो जाना शामिल है. यदि हमारा खाना ठीक प्रकार सेनहीं पच रहा है या हमे पेट में किसी प्रकार की परेशानी आ रही हैं तो हमे समझ जाना चाहिए की ये लीवर की खराबी के लक्षण हैं.
 लीवर हमारे शरीर का एक प्रमुख अंग है। यह हमारे शरीर में भोजन पचाने से लेकर पित्त बनाने तक का काम करता है। लीवर शरीर को संक्रमण से लड़ने, रक्त शर्करा या ब्लड शुगर को नियंत्रित रखने, शरीर से विषैले पदार्थो को निकालने, फैट को कम करने तथा प्रोटीन बनाने में अहम भूमिका अदा करता है। अत्यधिक मात्रा में खाने, शराब पीने एवं अनुचित मात्रा में फैट युक्त भोजन करने से फैटी लीवर जैसे रोग होने की संभावना रहती है। आप घर पर ही फैटी लीवर का इलाज कर सकते हैं।

फैटी लीवर होने के कारण

  आपको फैटी लीवर का इलाज करना है फैटी लीवर होने कारण का पता होना जरूरी है। इसलिए फैटी लीवर को होने से रोकने के लिए सबसे पहले आम कारणों के जान लेना जरूरी है जिससे वयस्कों के साथ बच्चों में होने के संभावनाओं को रोका जा सकता है, साथ ही घरेलू उपायों को शारीरिक अवस्था को संभाला जा सकता है।
फैटी लीवर होने के आम कारण निम्नलिखित है-

अत्यधिक शराब पीना
आनुवांशिकता
मोटापा
फैटी फूड और मसालेदार खाने का सेवन
रक्त में वसा का स्तर ज्यादा होना
मधुमेह या डायबिटीज
स्टेरॉयड, एस्पिरीन या ट्रेटासिलीन जैसी दवाइयों का लम्बे समय तक सेवन
पीने के पानी में क्लोरीन की अत्यधिक मात्रा
वायरल हेपाटाइटिस

फैटी लिवर के अन्य उपाय

लिवर को रोग व फैटी लिवर से बचाव करने के लिए निम्न उपाय अपना सकते है।
जैसे – अपने आहार में विटामिन ई का सेवन करना चाहिए।
शरीर के वजन को संतुलित करने के लिए योगा, व्यायाम करना चाहिए।
अत्यधिक चीनी का सेवन नहीं करना चाहिए।
उच्च कोलेस्ट्रॉल को कम करे।
शराब का सेवन नहीं करना चाहिए।
फैटी लिवर की समस्या होने पर कैफीन यानि चाय व कॉफी नहीं पीना चाहिए।
अपने जीवनशैली में सुधार करने की आवश्कयता होती है।

लिवर में खराबी के लक्षण

लिवर की खराबी के कई लक्षण हो सकते हैं। कुछ आम लक्षण हैं जैसे –
मुंह से स्‍मैल आना।
आंखों के नीचे काले धब्बे पड़ना।
पेट में हमेशा दर्द रहना।
भोजन का सही ढंग से नहीं पचना।
 त्वचा पर सफ़ेद धब्बे पड़ना।

यूरीन या स्‍टूल का गहरा रंग।
लिवर की खराबी के कुछ अन्य भी लक्षण हो सकते हैं, जो टेस्‍ट के बाद ही पता चल पाते हैं।

घरेलू आयुर्वेदिक उपचार 

  रात को सोने से पहले दूध में हल्दी मिला कर पीयें क्योंकि हल्दी इम्‍यूनिटी बूस्‍टर होती हैं और यह हेपेटाइटिस बी व सी के कारण होने वाले वायरस को बढ़ने से रोकता हैं। इसके अलावा यह डायबिटीज, फैटी लिवर, इंसुलिन और मोटापे जैसी खतरनाक बीमारियों से भी आपकी हेल्‍प करती है।

  एक गिलास पानी में एक चम्मच एप्‍पल साइडर सिरका एवं शहद मिला कर दिन में दो से तीन बार लें। यह बॉडी में मौजूद टॉक्सिन को निकालने में हेल्‍प करता हैं। जिससे आपका लिवर हेल्‍दी रहता है। खाना खाने से पहले सेब का सिरका पीने से फॅट कम होती है।

 हल्दी एक तरह की आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है जिसका उपयोग फैटी लिवर के उपचार में किया जाता है। हल्दी में एंटीसेप्टिक गुण और एंटीऑक्सीडेंट उच्च मात्रा में होता है। यदि रोजाना हल्दी का उपयोग भोजन में करते है तो फैटी लिवर का जोखिम कम होता है। इसके अलावा हेपेटाइटिस बी व सी वायरस से खतरा कम रहता है। इसलिए दूध में हल्दी मिलाकर सेवन कर सकते है। आप चाहे तो एक ग्लास गुनगुने पानी में चुटकी भर हल्दी मिलाकर सेवन करना चाहिए।

फैटी लिवर के लिए ऐसे करें अश्वगंधा का इस्तेमाल

एक गिलास पानी में एक चम्मच अश्वगंधा पाउडर को डालकर 12 घंटे के लिए रख दें। 12 घंटे बाद अश्वगंधा वाले पानी को अच्छे से उबालें।
 लहसुन एक बेहतरीन जड़ीबूटी है जो फैट को कम करने में फायदेमंद होता है। लिवर में फैट बढ़ने पर लहसुन का सेवन करना चाहिए। लहसुन में ऐसा यौगिक होता है जो नॉन एल्कोहलिक फैटी लिवर रोग से सुरक्षा प्रदान करता है। शरीर के अतिरिक्त चर्बी को कम करने में लहसुन उपयोगी होता है। लहसुन का उपयोग सुप व सलाद के रूप में कर सकते है। इसके अलावा सुबह खाली पेट लहसुन की कालिया का सेवन कर सकते हैं।

गाजर

गाजर में मौजूद विटमिन ए लिवर की बीमारी को रोकता है। इसका जूस लीवर की गर्मी और सूजन को भी कम करता है। लीवर सिरोसिस में पालक व गाजर का मिश्रित रस फायदेमंद साबित होता है। गाजर में इनप्लांट
फ्लेवोनॉयड्स और बीटा-कैरोटीन नामक तत्व भी पाए जाते हैं जो लीवर के सुचारू संचालन में सहयोग करते हैं।

ग्रीन टी आयुर्वेदिक उपचार में बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है। कुछ अध्ययन के अनुसार ग्रीन टी में कैटेचीन नामक एंटीऑक्सीडेंट होता है। यह लिवर में सूजन की समस्या को ठीक करता है। शरीर में वसा को कम करने के लिए ग्रीन टी का सेवन करना चाहिए। यदि लिवर को रोगो से बचाना है तो चाय की जगह ग्रीन टी लेना शुरू कर दे।
फैटी लिवर का इलाज प्याज – प्याज एक सब्जी है जिसमे कई तरह के पोषक तत्व होता है जो स्वास्थ्य समस्या को कम करता है। आयुर्वेदिक उपचार मे प्याज के उपयोग से फैटी लिवर का उपचार किया जाता है। प्याज में एलियम और एलिल डाइसल्फाइड यौगिक होता है यह संक्रमण दूर करने में मदद करता है। कच्ची प्याज का सेवन कर फैटी लिवर को कम किया जा सकता है।

नींबू व संतरे करे फैटी लिवर का औषधी – 

नींबू और संतरे में उच्च मात्रा में विटामिन सी होता है जो शरीर रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ावा देता है। आयुर्वेदिक उपचार में नींबू व संतरे का उपयोग फैटी लिवर की समस्या ठीक करने में किया जाता है। लिवर को मजबूत करने के लिए खाली पेट नींबू के रस का सेवन कर सकते है। इसके अलावा संतरे का सेवन कर सकते है। यह शरीर से हानिकारक पदार्थ को बाहर निकालता है और फैटी लिवर की समस्या को कम करता है।




लहसुन

लहसुन लिवर में मौजूद विषैले पदार्थों या टॉक्सिंस को हटाने में मदद करता है। वह उन एंजाइम को सक्रिय करता है जो टॉक्सिंस को हटाते हैं। इसके अलावा इसमें एलिसिन का उच्च स्तर होता है जिसमें एंटीऑक्सिडेंट, एंटीबायोटिक और एंटिफंगल गुण होते हैं। इसके अलावा इसमें सेलेनियम भी होता है जो एंटीऑक्सिडेंट की प्रक्रिया को और प्रभावी बनाता है। ये लिवर को साफ करने में सहायता करते हैं।

एवोकाडो करे फैटी लिवर का औषधी –

 आयुर्वेद के अनुसार एवोकाडो को रोजाना अपने फलो में शामिल करना चाहिए। इसमें भरपूर मात्रा में पोषक तत्व और खनिज होता है जो स्वास्थ्य की अनगिनत समस्या को दूर करता है। यह लिवर के सूजन को कम करता है साथ ही कोलेस्ट्रॉल के स्तर को सामान्य करता है। अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है और बुरे कोलेस्ट्रॉल को कम करता है। एवोकाडो को नाश्ते में शामिल करे व फैटी लिवर को कम करें।
*आंवला विटामिन सी का सबसे अच्छा स्रोत हैं यह liver को कार्यशील बनाने में हेल्प करता हैं। हेल्दी लिवर के लिए दिन में 4-5 आंवले का सेवन जरूर करना चाहिए।

 
पपीता

पपीता में मौजूद बीटा कैरोटीन, कोलीन, फाइबर, फोलेट, पोटैशियम, विटामिन-ए, विटामिन-बी और विटामिन-सी शरीर के लिए एक नहीं बल्कि कई दृष्टिकोण से लाभकारी होते हैं। वहीं कच्चे पपीते में लेटेक्स (latex) और पपाइन (papain) की मौजूदगी इसे पौष्टिक बनाता है। इसलिए लिवर रोग का आयुर्वेदिक इलाज पपीते से किया जाता है।
*सेब और हरी पत्तेदार सब्जियां डाइजेस्टिव में उपस्थित टॉक्सिन को बाहर निकलने में और लिवर को हेल्दी रखने में हेल्प करता हैं।

प्याज से फैटी लिवर का इलाज


आयुर्वेद में फैटी लिवर का उपचार प्याज से करने को कहा जाता है. आयुर्वेद मानता है कि फैटी लिवर के रोगी को प्याज का सेवन करना चाहिए. फैटी लिवर डिजीज के मरीज को दिन में 2 बार प्याज खाना चाहिए. कच्चे प्याज का सेवन फैटी लिवर में फायदेमंद होता है.
  *आंवले के बारे में तो आपने सुना ही हैं लेकिन क्या भुई – आंवला के बारे में जानती हैं, शायद नहीं लेकिन यह एक ऐसी औषधि हैं जो हमारे लिवर को संपूर्ण सुरक्षा देती हैं। इसका प्रतिदिन सेवन करना चाहिए।

छाछ से फैटी लिवर का आयुर्वेदिक उपचार


संतुलित भोजन के साथ छाछ का सेवन फैटी लिवर की बीमारी में फायदेमंद होता है. भारतीय खान-पान में छाछ का विशेष स्थान है. फैटी लिवर के आयुर्वेदिक इलाज में छाछ के सेवन की सलाह दी जाती है.


 

 यकृत,प्लीहा,आंतों के रोगों मे अचूक असर हर्बल औषधि "दामोदर उदर रोग हर्बल " अपने चिकित्सकीय  गुणों  के लिए प्रसिद्ध है|पेट के रोग,लीवर ,तिल्ली की बीमारियाँ ,पीलिया रोग,कब्ज  और गैस होना,सायटिका रोग ,मोटापा,भूख न लगना,मिचली होना ,जी घबराना ज्यादा शराब पीने से लीवर खराब होना इत्यादि रोगों मे अत्यंत प्रभावशाली  है|
बड़े अस्पतालों के महंगे इलाज के बाद भी  निराश रोगी  इस औषधि से ठीक हुए हैं| औषधि के लिए वैध्य दामोदर से 98267-95656 पर संपर्क करें|
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