11.3.22

अमरूद के पेड़ और फल के स्वस्थ्य लाभ : Amrud ke fayde

 



अमरूद हमारे देश का एक प्रमुख फल है. हल्के हरे रंग का अमरूद खाने में मीठा होता है. इसके अंदर सौकड़ों की संख्या में छोटे-छोटे बीज होते हैं. अमरूद बेहद आसानी से मिल जाने वाला फल है. लोग घरों में भी इसका पेड़ लगाते हैं. पर बेहद सामान्य फल होने के कारण ज्यादातर लोगों को पता ही नहीं होता है कि ये स्वास्थ्य के लिहाज से कितना फायदेमंद होता है.

अमरूद की तासीर ठंडी होती है. ये पेट की बहुत सी बीमारियों को दूर करने का रामबाण इलाज है. अमरूद के सेवन से कब्ज की समस्या दूर हो जाती है. इसके बीजों का सेवन करना भी स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होता है. अमरूद में विटामिन सी की पर्याप्त मात्रा होती है जिससे अनेक बीमारियों में फायदा होता है.

अमरूद के औषधीय प्रयोग : 

*बवासीर (पाइल्स) :-

*सुबह खाली पेट 200-300 ग्राम अमरूद नियमित रूप से सेवन करने से बवासीर में लाभ मिलता है।
*पके अमरुद खाने से पेट का कब्ज खत्म होता है, जिससे बवासीर रोग दूर हो जाता है।
*कुछ दिनों तक रोजाना सुबह खाली पेट 250 ग्राम अमरूद खाने से बवासीर ठीक हो जाती है। बवासीर को दूर करने के लिए सुबह खाली पेट अमरूद खाना उत्तम है। 
*मल-त्याग करते समय बांयें पैर पर जोर देकर बैठें। इस प्रयोग से बवासीर नहीं होती है और मल साफ आता है।"

*सूखी खांसी :-

 *गर्म रेत में अमरूद को भूनकर खाने से सूखी, कफयुक्त और  काली खांसी में आराम मिलता है। यह प्रयोग दिन में तीन बार करें।
*एक बड़ा अमरूद लेकर उसके गूदे को निकालकर अमरूद के अंदर थोड़ी-सी जगह बनाकर अमरूद में पिसी हुई अजवायन तथा पिसा हुआ कालानमक 6-6 ग्राम की मात्रा में भर देते हैं। इसके बाद अमरूद में कपड़ा भरकर ऊपर से मिट्टी चढ़ाकर तेज गर्म उपले की राख में भूने, अमरूद के भुन जाने पर मिट्टी और कपड़ा हटाकर अमरूद पीसकर छान लेते हैं। इसे आधा-आधा ग्राम शहद में मिलाकर सुबह-शाम मिलाकर चाटने से सूखी खांसी में लाभ होता है।"



* दांतों का दर्द :- 

*अमरूद की कोमल पत्तियों को चबाने से दांतों की पीड़ा (दर्द) नष्ट हो जाती है।
*अमरूद के पत्तों को दांतों से चबाने से आराम मिलेगा।
*अमरूद के पत्तों को जल में उबाल लें। इसे जल में फिटकरी घोलकर कुल्ले करने से दांतों की पीड़ा (दर्द) नष्ट हो जाती है।

*आधाशीशी आधे सिर का दर्द) :-

 *अमरूद के पत्तों को चबाने से दांतों की पीड़ा दूर होती है। मसूढ़ों में दर्द, सूजन और आंतों में दर्द होने पर अमरूद के पत्तों को उबालकर गुनगुने पानी से कुल्ले करें।"
*आधे सिर के दर्द में कच्चे अमरूद को सुबह पीसकर लेप बनाएं और उसे मस्तक पर लगाएं।
*सूर्योदय के पूर्व ही सवेरे हरे कच्चे अमरूद को पत्थर पर घिसकर जहां दर्द होता है, वहां खूब अच्छी तरह लेप कर देने से सिर दर्द नहीं उठने पाता, अगर दर्द शुरू हो गया हो तो शांत हो जाता है। यह प्रयोग दिन में 3-4 बार करना चाहिए।"

* जुकाम :- 

रुके हुए जुकाम को दूर करने के लिए बीज निकला हुआ अमरूद खाएं और ऊपर से नाक बंदकर 1 गिलास पानी पी लें। जब 2-3 दिन के प्रयोग से स्राव (बहाव) बढ़ जाए, तो उसे रोकने के लिए 50-100 ग्राम गुड़ खा लें। ध्यान रहे- कि बाद में पानी न पिएं। सिर्फ 3 दिन तक लगातार अमरूद खाने से पुरानी सर्दी और जुकाम दूर हो जाती है।
लंबे समय से रुके हुए जुकाम में रोगी को एक अच्छा बड़ा अमरूद के अंदर से बीजों को निकालकर रोगी को खिला दें और ऊपर से ताजा पानी नाक बंद करके पीने को दें। 2-3 दिन में ही रुका हुआ जुकाम बहार साफ हो जायेगा। 2-3 दिन बाद अगर नाक का बहना रोकना हो तो 50 ग्राम गुड़ रात में बिना पानी पीयें खा लें"

 :-*रक्तविकार के कारण फोड़े-फुन्सियों का होना

 4 सप्ताह तक नित्य प्रति दोपहर में 250 ग्राम अमरूद खाएं। इससे पेट साफ होगा, बढ़ी हुई गर्मी दूर होगी, रक्त साफ होगा और फोड़े-फुन्सी, खाज-खुजली ठीक हो जाएगी।

* पुरानी सर्दी :-

3 दिनों तक केवल अमरूद खाकर रहने से बहुत पुरानी सर्दी की शिकायत दूर हो जाती है।
*शक्ति (ताकत) और वीर्य की वृद्धि के लिए :- अच्छी तरह पके नरम, मीठे अमरूदों को मसलकर दूध में फेंट लें और फिर छानकर इनके बीज निकाल लें। आवश्यकतानुसार शक्कर मिलाकर सुबह नियमित रूप से 21 दिन सेवन करना धातुवर्द्धक होता है।

* पेट दर्द :- 


*नमक के साथ पके अमरूद खाने से आराम मिलता है।
*अमरूद के पेड़ के कोमल 50 ग्राम पत्तों को पीसकर पानी में मिलाकर छानकर पीने से लाभ होगा।
*अमरूद के पेड़ की पत्तियों को बारीक पीसकर काले नमक के साथ चाटने से लाभ होता है।
*अमरूद के फल की फुगनी (अमरूद के फल के नीचे वाले छोटे पत्ते) में थोड़ा-सी मात्रा में सेंधानमक को मिलाकर गुनगुने पानी के साथ पीने से पेट में दर्द समाप्त होता है।
*यदि पेट दर्द की शिकायत हो तो अमरूद की कोमल पततियों को पीसकर पानी में मिलाकर पीने से आराम होता है। अपच, अग्निमान्द्य और अफारा के लिए अमरूद बहुत ही उत्तम औषधि है। इन रोगों से पीड़ित व्यक्तियों को 250 ग्राम अमरूद भोजन करने के बाद खाना चाहिए। जिन लोगों को कब्ज न हो तो उन्हें खाना खाने से पहले खाना चाहिए।"


* पुराने दस्त :-
 अमरूद की कोमल पित्तयां उबालकर पीने से पुराने दस्तों का रोग ठीक हो जाता है। दस्तों में आंव आती रहे, आंतों में सूजन आ जाए, घाव हो जाए तो 2-3 महीने लगातार 250 ग्राम अमरूद रोजाना खाते रहने से दस्तों में लाभ होता है। अमरूद में-टैनिक एसिड होता है, जिसका प्रधान काम घाव भरना है। इससे आंतों के घाव भरकर आंते स्वस्थ हो जाती हैं।

* मलेरिया :- 

*मलेरिया बुखार में अमरूद का सेवन लाभकारी है। नियमित सेवन से तिजारा और चौथिया ज्वर में भी आराम मिलता है।
*अमरूद और सेब का रस पीने से बुखार उतर जाता है।
*अमरूद को खाने से मलेरिया में लाभ होता है।"

*भांग का नशा :-

 2-4 अमरूद खाने से अथवा अमरूद के पत्तों का 25 ग्राम रस पीने से भांग का नशा उतर जाता है।

*मानसिक उन्माद (पागलपन) :- 

*सुबह खाली पेट पके अमरूद चबा-चबाकर खाने से मानसिक चिंताओं का भार कम होकर धीरे-धीरे पागलपन के लक्षण दूर हो जाते हैं और शरीर की गर्मी निकल जाती है।
*250 ग्राम इलाहाबादी मीठे अमरूद को रोजाना सुबह और शाम को 5 बजे नींबू, कालीमिर्च और नमक स्वाद के अनुसार अमरूद पर डालकर खा सकते हैं। इस तरह खाने से दिमाग की मांस-पेशियों को शक्ति मिलती है, गर्मी निकल जाती है, और पागलपन दूर हो जाता है। दिमागी चिंताएं अमरूद खाने से खत्म हो जाती हैं।"

*पेट में गड़-बड़ी होने पर :-

 अमरूद की कोंपलों को पीसकर पिलाना चाहिए।

* अमरूद का मुरब्बा :-

 अच्छी किस्म के तरोताजा बड़े-बड़े अमरूद लेकर उसके छिलकों को निकालकर टुकड़े कर लें और धीमी आग पर पानी में उबालें। जब अमरूद आधे पककर नरम हो जाएं, तब नीचे उतारकर कपड़े में डालकर पानी निकाल लें। उसके बाद उससे 3 गुना शक्कर लेकर उसकी चासनी बनायें और अमरूद के टुकड़े उसमें डाल दें। फिर उसमें इलायची के दानों का चूर्ण और केसर इच्छानुसार डालकर मुरब्बा बनायें। ठंडा होने पर इस मुरब्बे को चीनी-मिट्टी के बर्तन में भरकर, उसका मुंह बंद करके थोड़े दिन तक रख छोड़े। यह मुरब्बा 20-25 ग्राम की मात्रा में रोजाना खाने से कोष्ठबद्धता (कब्जियत) दूर होती है।

*आंखों के लिए :- 

*अमरूद के पत्तों की पोटली बनाकर रात को सोते समय आंख पर बांधने से आंखों का दर्द ठीक हो जाता है। आंखों की लालिमा, आंख की सूजन और वेदना तुरंत मिट जाती है।
*अमरूद के पत्तों की पुल्टिस (पोटली) बनाकर आंखों पर बांधने से आंखों की सूजन, आंखे लाल होना और आंखों में दर्द करना आदि रोग दूर होते हैं।"

आंखों के नीचे काले घेरे में अमरूद के फायदे.

ऐसे तो आपने अमरूद के पत्ते के फायदे कई सारी सुनी होंगी, लेकिन आप जानते है अमरूद के पत्तो का इस्तेमाल करके आंखों के नीचे काले घेरे को ठीक किया जा सकता है. इसके लिए अमरूद की पत्त‍ियों को पीसकर उसका पेस्ट बना लें और फिर इस पेस्ट को आंखों के नीचे काले घेरे पर लगाए, इससे आंखों के नीचे काले घेरे के साथ सूजन भी ठीक हो जाते है.

Aamrud ke fayde 

*कब्ज :- 

*250 ग्राम अमरूद खाकर ऊपर से गर्म दूध पीने से कब्ज दूर होती है।
*अमरूद के कोमल पत्तों के 10 ग्राम रस में थोड़ी शक्कर मिलाकर प्रतिदिन केवल एक बार सुबह सेवन करने से 7 दिन में अजीर्ण (पुरानी कब्ज) में लाभ होता है।
*अमरूद को नाश्ते के समय कालीमिर्च, कालानमक, अदरक के साथ खाने से अजीर्ण, गैस, अफारा (पेट फूलना) की तकलीफ दूर होकर भूख बढ़ जाएगी। नाश्ते में अमरूद का सेवन करें। सख्त कब्ज में सुबह-शाम अमरूद खाएं।
*अमरूद को कुछ दिनों तक नियमित सेवन करने से 3-4 दिन में ही मलशुद्धि होने लग जाती है। कोष्ठबद्धता मिटती है एवं कब्जियत के कारण होने वाला आंखों की जलन और सिर दर्द भी दूर होता है।
*अमरूद खाने से आंतों में तरावट आती है और कब्ज दूर हो जाता है। इसे खाना खाने से पहले ही खाना चाहिए, क्योंकि खाना खाने के बाद खाने से कब्ज करता है। कब्ज वालों को सुबह के समय नाश्ते में अमरूद लेना चाहिए। पुरानी कब्ज के रोगियों को सुबह और शाम अमरूद खाना चाहिए। इससे पेट साफ हो जाता है।
*अमरूद खाने से या अमरूद के साथ किशमिश के खाने से कब्ज़ की शिकायत नहीं रहती है।"

डायबिटीज को करे नियंत्रित

जिस तरह से अमरूद का फल डायबिटीज वालों के लिए फायदेमंद होता है, उसी तरह इसके पत्तों का पानी डायबिटीज कंट्रोल करने में मदद कर सकती हैं
एक अमरूद को आग में भूनकर खाने से कफयुक्त खांसी में लाभ होता है।


सर्दी-खांसी में राहत में असरदार

चूंकि अमरूद की पत्तियों में विटामिन सी और आयरन की मात्रा अधिक होती है, इसलिए अमरूद की पत्तियों का काढ़ा खांसी और सर्दी को दूर करने में मददगार होता है. अमरूद का जूस फेफड़े और गले को साफ करने में मदद करता है.

* मस्तिष्क विकार :-

 अमरूद के पत्तों का फांट मस्तिष्क विकार, वृक्क प्रवाह और शारीरिक एवं मानसिक विकारों में प्रयोग किया जाता है।

*आक्षेपरोग :- 

अमरूद के पत्तों के रस या टिंचर को बच्चों की रीढ़ की हड्डी पर मालिश करने से उनका आक्षेप का रोग दूर हो जाता है।

* हृदय :-

 अमरूद के फलों के बीज निकालकर बारीक-बारीक काटकर शक्कर के साथ धीमी आंच पर बनाई हुई चटनी हृदय के लिए अत्यंत हितकारी होती है तथा कब्ज को भी दूर करती है।

Aamrud ke fayde 

*कुकर खांसी, काली खांसी (हूपिंग कफ) :- 

*एक अमरूद को भूभल (गर्म रेत या राख) में सेंककर खाने से कुकर खांसी में लाभ होता है। छोटे बच्चों को अमरूद पीसकर अथवा पानी में घोलकर पिलाना चाहिए। अमरूद पर नमक और कालीमिर्च लगाकर खाने से कफ निकल जाती है। 100 ग्राम अमरूद में विटामिन-सी लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लगभग आधा ग्राम तक होता है। यह हृदय को बल देता है। अमरूद खाने से आंतों में तरावट आती है। कब्ज से ग्रस्त रोगियों को नाश्ते में अमरूद लेना चाहिए। पुरानी कब्ज के रोगियों को सुबह-शाम अमरूद खाना चाहिए। इससे दस्त साफ आएगा, अजीर्ण और गैस दूर होगी। अमरूद को सेंधानमक के साथ खाने से पाचन शक्ति बढ़ती है।
 *एक कच्चे अमरूद को लेकर चाकू से कुरेदकर उसका थोड़ा-सा गूदा निकाल लेते हैं। फिर इस अमरूद में पिसी हुई अजवायन तथा पिसा हुआ कालानमक 6-6 ग्राम की मात्रा में लेकर भर देते हैं। इसके बाद अमरूद पर कपड़ा लपेटकर उसमें गीली मिट्टी का लेप चढ़ाकर आग में भून लेते हैं पकने के बाद इसके ऊपर से मिट्टी और कपड़ा हटाकर अमरूद को पीस लेते हैं। इसे आधा-आधा ग्राम की मात्रा में शहद के साथ मिलाकर सुबह-शाम रोगी को चटाने से काली खांसी में लाभ होता है।

बालों झड़ने की समस्या को करे दूर

अमरूद की पत्तियां बालों का झड़ना कम कर सकती हैं या स्थिति को खराब होने से रोक सकती हैं. इसके लिए अमरूद की पत्तियां लेकर लगभग 20 मिनट के लिए पानी में उबाल लें, बाद में इसे ठंडा होने के लिए छोड़ दें. सबसे पहले, अपने बालों को पानी से धो लें और फिर बालों की जड़ों पर अमरूद की पत्तियों के मिश्रण को लगाएं. *एक अमरूद को गर्म बालू या राख में सेंककर सुबह-शाम 2 बार खाने से काली खांसी ठीक हो जाती है।"

शक्ति और वीर्य वृद्धि :

अच्छी तरह पके नरम, मीठे अमरूदों को मसलकर दूध में फेंट लें और फिर छानकर इनके बीज निकाल लें। आवश्यकतानुसार शक्कर मिलाकर प्रात: नियमित रूप से 21 दिन सेवन करें। इसके सेवन से शरीर की शक्ति बढ़ती है और पुरुषों के वीर्य में वृधि होती है |

सिर दर्द :

आधे सिर के दर्द में कच्चे अमरूद को सुबह पीसकर लेप बनाएं और उसे मस्तक पर लगाएं।

बवासीर (पाइल्स ) का इलाज :

सुबह खाली पेट 200-300 ग्राम अमरूद नियमित रूप से सेवन करें। ऐसा करने से बवासीर में फायदा होता है

अमरुद खाने के नुकसान

जिन लोगो की प्रकृति शीत होती है या जिनका पाचन कमजोर है वे लोग अमरुद कम खाएं. ऐसे लोगों को यह सही तरीके से नहीं पचता और नुकसान करता है | आपने अक्सर देखा होगा कि बारिश के मौसम में अमरूद के छोटे – छोटे कीड़े पद जाते हैं, ये कीड़े यदि पेट में चले जाते है तो पेट दर्द, अफारा, हैजा जैसी परेशानियाँ हो सकती हैं। इसके बीज सख्त होते हैं और इस कारण से इनका पचना कठिन हो जाता है | जिन लोगो को इसके बीज नहीं पचते हैं उनको एपेन्डिसाइटिस रोग हो सकता है । अत: इनके बीजों के सेवन से बचना चाहिए।

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10.3.22

कई रोगों की रामबाण औषधि है धतूरा:Dhatura ke chikitsa upyog

 



धतूरा शिव जी को चढाने से मनचाहा फल मिलता है लेकिन क्या आपको पता है धतूरे में कई औषधीय गुण होते है धतूरे फूल से लेकर जड़ तक ओषधि से भरा हुआ है |

जड़ से लेकर फूल तक धतूरे की हर एक चीज़ है बेहद गुणकारी,इन बीमारियों का भी कर देता है चुटकियो में इलाज 
इसके उपयोग से बुखार, सायटिका, गठिया, पेट रोग आदि तमाम रोगों में छुटकारा मिलता है धतूरे के उपयोग से किन बीमारियों को दूर भगाया जा सकता है ?

पुरुषों की शारीरिक क्षमता के लिए वरदान

पुरुषों के लिए धतूरे (Dhatura) का सेवन करना किसी वरदान से कम नहीं है. इससे उनकी शारीरिक क्षमता (Physical Power) बढ़ती है. इसके सेवन के लिए लौंग और धूतरे के बीज को बराबर मात्रा में पीस लें. फिर इसके बाद इसमे शहद मिलाकर छोटी गोलियां बना लें. अब रोजाना सुबह इसकी एक गोली खाएं, बदलाव आप खुद महसूस करेंगे.

मलेरिया की बुखार में 

धतूरे के पत्तो को काली मिर्च बराबर मात्रा में गिनकर पीस ले और इस चूर्ण की छोटी छोटी गोलियाँ बना ले और दिन में दो बार 1 -1 गोली का सेवन करे मलेरिया की बुखार में फायदा मिलेगा |

रामबाण औषधि है धतूरा इन बीमारियों में है फायदेमंद,

dhatura ke fayde

दांत के का दर्द-

अगर दांत के दर्द से परेशां है तो धतूरे को बीज को पीस कर उसे थोड़ी मात्रा में दाढ़ की खाली जगह में भर ले इससे दांत के कीड़े खतम हो जायेंगे और दांत के दर्द से राहत मिलेगी |


धतूरा गठिया के रोग में लाभदायी है इसके लिए धतूरे के पंचाग का रस निकालकर उसे तिल के तेल में पका ले | फिर उस तेल से मालिश करके धतूरे के पत्ते को बाँध ले गठिया रोग की समस्या से छुटकारा मिलेगा |
यदि पैरो की सूजन से परेशां है तो धतूरे के पत्ते को पीस कर सूजन वाली जगह पर लगाने से सूजन में आराम मिलता है |


गंजेपन से परेशान लोग इसके रस को प्रभावित जगह पर लगा सकते हैं। इसके रस में ऐसे विशेष गुण होते हैं, जो सीबम को स्वस्थ करते हैं और गंजेपन की समस्या को रोक देते हैं।
*जोड़ों के दर्द से राहत देता है धतूरा -इससे आपको तत्काल आराम मिलेगा, क्योंकि गर्म तासीर का होने के कारण मांसपेशियों की प्राकृतिक सिकाई होती है और मांसपेशियां नरम पड़ जाती है। जिससे मरीज को तत्काल आराम मिलता है। धतूरे के रस को तिल के तेल के साथ मिलाकर लगाने से भी मरीज को फायदा होता है।

गर्भधारण के लिए-

जिन औरतो को गर्भधारण करने में दिक्कत आती है |धतूरे के फल का 2.5 ग्राम चूर्ण लेकर उसमें आधा चम्‍मच गाय का दूध मिला कर रोज शहद के साथ चाटना चाहिए इससे जल्द गर्भधारण करने में मदद मिलेगी |
रामबाण औषधि है धतूरा इन बीमारियों में है फायदेमंद,

dhatura ke fayde

कान के दर्द को दूर करने के लिए सरसो के तेल और गंधक के साथ थोड़े से धतूरे के पत्ते का रस मिलाये फिर इसे धीमी आंच पर पकाले और कान में दो बुँदे डाले |

धतूरे के फल में एंटीइन्फ्लेट्री गुण पाया जाता है, जिसके कारण से यह चोट की या सामान्य रूप से हुई सूजन को कम कर देता है। चोट की सूजन को दूर करने के लिए इसके फलों को खूब अच्छी तरह कूट लें। पेस्ट बनाकर इसे सूजन वाली जगह पर लगाकर राहत पाई जा सकती है। प्राइवेट पार्ट में क्रिकेट आदि खेलने के दौरान होने वाली सूजन को दूर करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।

हड्डियों की मजबूती के लिए-

हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए भी धतूरे का उपयोग किया जाता है। धतूरे में कैल्शियम की अच्छी मात्रा पाई जाती है। इसका रस निकालकर हड्डियों के जोड़ पर मालिश करने से यह स्किन पोर से सोख लिया जाता है। जिससे हड्डियों को मजबूती मिलती है।

जख्म या घाव को किया जा सकता है ठीक


अगर आपके शरीर पर किसी तरह का कोई जख्म या घाव है तो आप धतूरे की मदद से उसे ठीक कर सकते हैं. हालांकि, एक बात ध्यान देने वाली है कि ज्यादा गहरे जख्मों पर इसका इस्तेमाल न किया जाए, क्योंकि इसका इस्तेमाल हमारी त्वचा की ऊपरी स्किन पर ही किया जा सकता है.

दर्द से मुक्ति-

अगर आपको किसी प्रकार का दर्द है तो आप इसके जरिए उसे चुटकियों में दूर कर सकते हैं। धतूरे को पीसकर इसका पेस्ट बना लें और इसमें दो चार बूंद शहद की मिला लें। अब इसे दर्द वाले स्थान पर लगा लें। एंटीसेप्टिक गुण होने के कारण इसका पेस्ट आपके दर्द को ठीक कर देगा।

जोड़ों के दर्द और सूजन में फायदेमंद

धतूरे का प्रयोग जोड़ों के दर्द में भी किया जा सकता है. साथ ही पैरों में सूजन या भारीपन के लिए भी धतूरे का प्रयोग कर सकते हैं. इसके लिए धतूरे की पत्तियों को पीसकर लेप करना चाहिए. इससे आपको तत्काल आराम मिलेगा, क्योंकि गर्म तासीर का होने के कारण मांसपेशियों की प्राकृतिक सिकाई होती है और मांसपेशियां नरम पड़ जाती हैं. जिससे मरीज को तत्काल आराम मिलता है.
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8.3.22

त्रिफला चूर्ण के चिकित्सा-लाभ:Trifla curn ke fayde

 



  त्रिफला आयुर्वेद में कई रोगों का सटीक इलाज करता है। यह 3 औषधियों से बनता है। बेहड, आंवला और हरड इन तीनों के मिश्रण से बना चूर्ण त्रिफला कहा जाता है। ये प्रकृति का इंसान के लिए रोगनाशक और आरोग्य देने वाली महत्वपूर्ण दवाई है। जिसके बारे में हर इंसान को पता होना चाहिए। ये एक तरह की एन्टिबायोटिक है। त्रिफला आपको किसी भी आयुर्वेदिक दुकान पर मिल सकता है। लेकिन आपको त्रिफला का सेवन कैसे करना है और कितनी मात्रा में करना है ये भी आपको पता होना चाहिए। हाल में हुए एक नए शोध में इस बात का खुलासा हुआ है की त्रिफला के सेवन से कैंसर के सेल नहीं बढ़ते । त्रिफला के नियमित सेवन से चर्म रोग, मूत्र रोग और सिर से संबन्धित बीमारियां जड़ से ख़त्म करती है।

त्रिफला के फायदे

* त्रिफला चूर्ण को पानी में डालकर कुल्ला करने से मुंह के छाले दूर होते है।
*सुबह शाम 5-5 ग्राम त्रिफला चूर्ण को लेने से दाद, खाज, खुजली और चर्म रोग में लाभ मिलता है।
* नियमित त्रिफला खाने से आखों की ज्योति बढ़ती है।
* कब्ज दूर करने के लिए ईसबगोल की 2 चम्मच को त्रिफला के चूर्ण के साथ मिलाकर गुनगुने पानी में डालकर सेवन करें या फिर सोने से पहले 5 ग्राम त्रिफला के चूर्ण को गुनगुने पानी या गरम दूध के साथ लेने से भी कब्ज से राहत मिलती है।
*त्रिफला का काढा बनाकर पीने से चोट के घाव जल्दी भर जातें हैं क्योंकी त्रिफला एंटिसेप्टिक होता है।
* मोटापा कम करने के लिए त्रिफला बेहद असरकारी होता है। गुनगुने पानी में त्रिफला और शहद को मिलाकर सेवन करने से पेट की चर्बी कम होती है।
*जिन लोगों को अजीर्ण की दिक्कत होती हो वे 5 ग्राम त्रिफला का सेवन करें।
* शहद में त्रिफला का चूर्ण मिक्स करके इसका सेवन करने से त्वचा संबंधी रोग जैसे चकते पड़ना आदि ठीक हो जातें हैं।
*त्रिफला के पानी से  गरारे करने से टॉन्सिल्स से राहत मिलती है
* त्रिफला के चूर्ण को पानी में डालकर आखों को धोने से आखों की परेशानी दूर होती है। मोतियाबिंद, आखों की जलन, आखों का दोष और लंबे समय तक आखों की रोशनी को बढ़ाए रखने के लिए 10 ग्राम गाय के घी में 1 चम्मच त्रिफला का चूर्ण और 5 ग्राम शहद को मिलाकर सेवन करें।

त्रिफला बनाने का आयुर्वेदिक  नियम

त्रिफला बनाने के लिए हरड़, बहेड़ा और आंवले को इस अनुपात में लें
1:2:3
यानि कि एक हरड दो बहेड़ा और तीन आंवला।
त्रिफला लेने के आयुवेर्दिक नियम क्या हैं?
हमेशा कभी भी रात के समय में त्रिफला चूर्ण को गर्म दूध के साथ ही लेना चाहिए।
सुबह के समय में गुड के साथ त्रिफला का सेवन करना चाहिए।
दोपहर के खाने के बाद दो से तीन ग्राम की मात्रा में गुनगुने पानी के साथ त्रिफला का सेवन करें।
डायबिटीज और पेशाब संबधी रोगों में त्रिफला को गुनगुने पानी के साथ रात के समय में सेवन करें।
रेडिएशन के खतरे से भी त्रिफला बचाता है।
*त्रिफला प्राकृति और आयुर्वेद का ऐसा वरदान है जिसे यदि आप नियमित सेवन करते हो तो आप जीवन भर स्वस्थ और जंवान बने रहोगे।
*सुबह पानी में 5 ग्राम त्रिफला चूर्ण भिगो कर रख दें, शाम को छानकर पी लें। शाम को उसी त्रिफला चूर्ण में पानी मिलाकर रखें, और सुबह उसी पानी से आँखो पर छींटे लगाए ऐसा करने से मुँह के छाले और आंखों की जलन, कुछ ही समय में ठीक हो जायेंगे
*रात को सोते वक्त 5 ग्राम त्रिफला चुर्ण हल्के गर्म दूध अथवा गर्म पानी के साथ लेने से कब्ज में बहुत फायदा होता है
*एक चम्मच त्रिफला को एक गिलास पानी में दो- तीन घंटे के लिए भिगो दें, फिर इसके निकाले हुए पानी को छानकर मुँह में भरकर थोड़ी देर घुमाए इससे आप के मुँह के छाले ठीक हो जायेंगे
*ईसबगोल की भूसी व त्रिफला को बराबर मात्रा में मिलाकर गुनगुने पानी से लेने से भी कब्ज में राहत मिलती है
*त्रिफला के सेवन से बालों को भी बहुत फायदा होता है जिन लोगो के बाल जरुरत से ज्यादा झड़ते है वह अगर सुबह शाम एक -एक चमच त्रिफला का सेवन करे तो ये समस्या बहुत कम हो जाती है
त्रिफला के सेवन से बाल मजबूत, घने व मुलायम व लम्बे हो जाते है
*अगर आप को ज्यादा थकान महसूस होती है तो त्रिफला का चूर्ण लेने से यह समस्या समाप्त हो जाती है और आप अपने आप को पहले से ज्यादा फुर्तीला महसूस करेंगे

साथ ही त्रिफला भूख बढानें और ब्लड सर्कुलेशन सही करने तथा खून बढ़ाने में भी सहायक होता है
*त्रिफला, शरीर में एंटीबॉडी के उत्पादन को बढ़ावा देता है जो शरीर में एंटीजन के खिलाफ लड़ते है और शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है
*त्रिफला में भरपूर मात्रा में एंटी ऑक्सीडेंट होते है जो कि सेल्स के मेटाबोल्जिम को नियमित रखते है और उनकी प्रक्रिया को बनाएं रखते है। त्रिफला से उम्र बढ़ाने वाले कारक भी कम होते है, इसी कारण त्रिफला का सेवन करने वाले लोगो की उम्र कम दिखाई देती है

त्रिफला के नुकसान

ब्लड प्रेशर

त्रिफला का अधिक सेवन से ब्लड प्रेशर में उतार-चढ़ाव होने लगता है। और ब्लड प्रेशर के मरीजों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

दस्त-

यदि आप त्रिफला का प्रयोग बिना डाक्टर के परामर्श के करते हैं तो इससे डायरिया हो सकता है। क्योंकि यह शरीर में पानी की कमी करता है। और इंसान को डायरिया हो जाता है।

अनिंद्रा और बेचैनी-

कई बार कुछ लोग पेट साफ करने के लिए त्रिफला का सेवन करने लगते हैं लेकिन ऐसे में वे नियमित रूप से त्रिफला का सेवन करने लगते हैं जिस वजह से उन्हें अनिंद्राऔर बेचैनी की समस्या हो सकती है।
इसमें कोइे दो राय नहीं है कि त्रिफला सेहत के लिए बेहद असरकारी और फायदेमंद दवा है। लेकिन इसके लिए इस बात का ध्यान रखना भी जरूरी है की कितनी मात्रा में त्रिफला का सेवन करना चाहिए।
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वीर्य जल्दी निकलने की समस्या के उपचार

सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस(गर्दन का दर्द) के उपचार

किडनी फेल ,गुर्दे ख़राब की अनुपम औषधि

वजन कम करने के लिए कितना पानी कैसे पीएं?

प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ने से पेशाब रुकावट की कारगर हर्बल औषधि

सेक्स का महारथी बनाने वाले आयुर्वेदिक नुस्खे


आर्थराइटिस(संधिवात),गठियावात ,सायटिका की तुरंत असर हर्बल औषधि

खीरा ककड़ी खाने के जबर्दस्त फायदे

महिलाओं मे कामेच्छा बढ़ाने के उपाय

मुँह सूखने की समस्या के उपचार

गिलोय के जबर्दस्त फायदे

इसब गोल की भूसी के हैं अनगिनत फ़ायदे

कान मे तरह तरह की आवाज आने की बीमारी

छाती मे दर्द Chest Pain के उपचार

सिर्फ आपरेशन नहीं ,किडनी की पथरी की १००% सफल हर्बल औषधि

किडनी फेल रोगी का डाईट चार्ट और इलाज

तिल्ली बढ़ जाने के आयुर्वेदिक नुस्खे

यौन शक्ति बढ़ाने के अचूक घरेलू उपाय/sex power

कई बीमारियों से मुक्ति द‍िलाने वाला है गिलोय


किडनी स्टोन के अचूक हर्बल उपचार

स्तनों की कसावट और सुडौल बनाने के उपाय

लीवर रोगों के अचूक हर्बल इलाज

सफ़ेद मूसली के आयुर्वेदिक उपयोग

दामोदर चिकित्सालय शामगढ़ के आशु लाभकारी उत्पाद

मेथी का पानी पीने के जबर्दस्त फायदे

4.3.22

एलोवेरा के नुस्खे और फायदे:Alovera ke fayde

 


सेहत और सुंदरता को बनाए रखने के लिए एलोवेरा जूस का सेवन करना बहुत ही फायदेमंद साबित हो सकता है. दरअसल एलोवेरा एक ऐसा पौधा है जो हर घर में आसानी से मिल जाता है. इसमें विटामिन्स, मिनरल्स और एंटीऑक्सिडेंट्स के औषधीय गुण पाए जाते हैं. इसके इस्तेमाल से पेट और त्वचा संबंधी परेशानियां दूर हो जाती है. खासकर एलोवेरा जूस सेहत और सुंदरता दोनों के लिए रामबाण औषधि है. 

एलोवेरा जूस बनाने की विधि -

एलोवेरा जूस बनाने के लिए सबसे पहले एक एलोवेरा को काट लें. इसके बाद चाकू की मदद से इसका छिलका हटा दें और जेल को ग्राइंडर में निकाल लें. इसके बाद इसे 2 से 3 मिनट अच्छी तरह से ग्राइंड करें. आप इसमें स्वाद के लिए शहद और नींबू का रस एड कर सकते हैं. आपका एलोवेरा जूस बनकर तैयार है. इसे आप ऐसे ही फ्रेश पी लें.

कान दर्द में एलोवरा के औषधीय गुण फायदेमंद

कान दर्द में भी एलोवेरा से लाभ मिलता है। एलोवेरा के रस को हल्का गर्म कर लें। जिस कान में दर्द हो रहा है, उसके दूसरी तरफ के कान में दो-दो बूंद टपकाने से कान के दर्द में आराम (aloe vera ke fayde) मिलता है।
आपने एलोवेरा का बहुत नाम सुना होगा, और यह भी सुना होगा कि एलोवेरा को औषधि की तरह इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि एलोवेरा के औषधीय गुण क्या-क्या हैं। क्‍या आपको पता है कि किस-किस रोग में एलोवेरा के इस्तेमाल से लाभ मिलता है। आयुर्वेदिक ग्रंथों में एलोवेरा के फायदे के बारे में कई सारी अच्छी बातें बताई गई हैं।

एलोवेरा के फायदे और उपयोग

आंखों की बीमारी में एलोवेरा (ग्वारपाठा) के फायदे

आप एलोवेरा के औषधीय गुण से आंखों की बीमारी का इलाज कर सकते हैं। एलोवेरा जेल को आंखों पर लगाएंगे तो आंखों की लालिमा खत्म होती है। यह विषाणु से होने वाले आखों के सूजन (वायरल कंजक्टीवाइटिस) में लाभदायक होता है।
एलोवेरा का औषधीय गुण आँखों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। आप एलोवेरा के गूदे पर हल्दी डालकर थोड़ा गर्म कर लें। इसे आंखों पर बांधने से आंखों के दर्द का इलाज होता है।

सिर दर्द में एलोवेरा के फायदे

एलोवेरा के फायदे लेकर सिर दर्द से आराम पा सकते हैं। इसके लिए एलोवेरा जेल लें, और इसमें थोड़ी मात्रा में दारु हल्‍दी (दारुहरिद्रा) का चूर्ण मिला लें। इसे गर्म करके दर्द वाले स्‍थान पर बांधें। इससे वात और कफ दोष के कारण होने वाले सिरदर्द से आराम मिलता है।

एलोवेरा के औषधीय गुण से खांसी-जुकाम का इलाज

खांसी-जुकाम में एलोवेरा के फायदे लेने के लिए इसका गूदा निकालें। गूदा और सेंधा नमक लेकर भस्म तैयार कर लें। इस भस्‍म को 5 ग्राम की मात्रा में मुनक्का के साथ सुबह-शाम सेवन करें। इससे पुरानी खांसी और जुकाम में लाभ होता है।

दांत और मसूड़ों की बीमारियों से लड़ना

शोधकर्ताओं ने दो लोकप्रिय व्यावसायिक टूथपेस्ट के साथ एक एलोवेरा दांत के gel की कैविटी से लड़ने की क्षमता की तुलना की। उन्होंने पाया कि कुछ मामलों में एलोवेरा जेलवाला टूथ्पेस्ट कैविटी पैदा करने वाले ओरल बैक्टीरिया को नियंत्रित करने वाले वाणिज्यिक टूथपेस्ट से भी बेहतर था।

कान दर्द में एलोवरा के औषधीय गुण फायदेमंद

कान दर्द में भी एलोवेरा से लाभ मिलता है। एलोवेरा के रस को हल्का गर्म कर लें। जिस कान में दर्द हो रहा है, उसके दूसरी तरफ के कान में दो-दो बूंद टपकाने से कान के दर्द में आराम (aloe vera ke fayde) मिलता है।

एलोवेरा के औषधीय गुण से खांसी-जुकाम का इलाज

खांसी-जुकाम में एलोवेरा के फायदे  लेने के लिए इसका गूदा निकालें। गूदा और सेंधा नमक लेकर भस्म तैयार कर लें। इस भस्‍म को 5 ग्राम की मात्रा में मुनक्का के साथ सुबह-शाम सेवन करें। इससे पुरानी खांसी और जुकाम में लाभ होता है।

तिल्‍ली (प्लीहा) विकार एलोवेरा के औषधीय गुण से लाभ

तिल्ली बढ़ गई हो तो एलोवेरा के इस्तेमाल से फायदा होता है। 10-20 मिलीग्राम एलोवेरा के रस में 2-3 ग्राम हल्दी चूर्ण मिलाकर सेवन करें। इससे तिल्‍ली के बढ़ने के साथ-साथ अपच में लाभ होता है।

एलोवेरा के सेवन से खूनी बवासीर का इलाज

आप बवासीर में एलोवेरा के प्रयोग से फायदा ले सकते हैं। एलोवेरा जेल (aloe vera ke fayde) के 50 ग्राम गूदे में 2 ग्राम पिसा हुआ गेरू मिलाएं। अब इसकी टिकिया बना लें। इसे रूई के फाहे पर फैलाकर गुदा स्‍थान पर लंगोट की तरह पट्टी बांधें। इससे मस्‍सों में होने वाली जलन और दर्द में आराम मिलता है। इससे मस्‍से सिकुड़कर दब जाते हैं। यह प्रयोग खूनी बवासीर में भी लाभदायक है।

लीवर विकार में एलोवेरा (ग्वारपाठा) के फायदे

दो भाग एलोवेरा के पत्तों का रस और 1 भाग शहद लेकर उसे चीनी मिट्टी के बर्तन में रखें। इस बर्तन का मुंह बन्द कर 1 सप्ताह तक धूप में रख दें। एक सप्ताह बाद इसे छान लें। इस औषधि को 10-20 मिलीग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से लीवर से संबंधित बीमारियों में लाभ होता है।
अधिक मात्रा में इसका सेवन करने से पेट साफ होता है। उचित मात्रा में सेवन करने से मल एवं वात से जुड़ी समस्‍याएं ठीक होने लगती हैं। इससे लीवर स्वस्थ हो जाता है।

मूत्र रोग में एलोवेरा के औषधीय गुण से लाभ

एलोवेरा के औषधीय गुण से मूत्र संबंधी अनेक रोग में फायदा होता है। इसके लिए 5-10 ग्राम एलोवेरा जेल में चीनी मिलाकर खाएं। इससे पेशाब में दर्द और जलन से आराम मिलता है।

डायबिटीज (मधुमेह) में एलोवेरा के सेवन से फायदा

250-500 मिलीग्राम गुडूची सत् (पानी को गर्म कर सुखा कर नीचे बचा हुआ पदार्थ) में 5 ग्राम घृतकुमारी  का गूदा मिलाकर लेने से मधुमेह में लाभ होता है। डायबिटीज को नियंत्रित करने में एलोवेरा के औषधीय गुण बहुत फायदेमंद होते हैं।मनुष्यों और जानवरों पर किए गए अध्ययन से पता चलता है कि एलोवेरा में मधुमेह विरोधी और ग्लाइसेमिक नियंत्रण यौगिक होते हैं ​​उन्होंने पाया कि एलोवेरा का रस हाइपरग्लाइसेमिया और परेशान लिपिड प्रोफाइल को कम करने में सक्षम है जो मधुमेह से जुड़ी कुछ समस्याएं हैं और प्रमुख हैं।

मासिक धर्म विकार में एलोवेरा के सेवन से लाभ

एलोवेरा के 10 ग्राम गूदे पर 500 मिलीग्राम पलाश का क्षार बुरककर दिन में दो बार सेवन करें। इससे मासिक धर्म की परेशानियां दूर होती हैं।
मासिक धर्म के 4 दिन पहले से दिन में तीन बार कुमारिका वटी की 1-2 गोली का सेवन करें। इसे मासिक धर्म खत्म होने तक सेवा करना है। इससे मासिक धर्म के समय होने वाला दर्द, गर्भाशय का दर्द और योनि से जुड़ी अनेक बीमारी से आराम मिलता है।

चेचक के घावों में एलोवेरा के फायदे

एलोवेरा जेल के फायदे से चेचक में भी लाभ होता है। चेचक होने पर दर्द, जलन और सूजन से राहत पाने के लिए आप एलोवेरा का इस्तेमाल कर सकते हैं। चेचक के घावों पर एलोवेरा के गूदे का लेप करने से लाभ होता है।

लिंग में छाले होने पर एलोवारा के फायदे

पुरूषों के यौन संबंधी समस्याओं में एलोवेरा जूस से फायदा होता है। एलोवेरा के साथ जीरा को पीसकर लिंग पर लेप करने से लिंग की जलन और छाले दूर होते हैं। यह प्रयोग करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर परामर्श लें।

गठिया के इलाज की आयुर्वेदिक दवा है एलोवेरा 

जोड़ो के दर्द में भी एलोवेरा के इस्तेमाल से फायदे मिलते हैं। 10 ग्राम एलोवेरा जेल नियमित रूप से सुबह-शाम सेवन करें। इससे गठिया में लाभ होता है।

एलोवेरा के सेवन से कमर दर्द का इलाज

कमर दर्द से परेशान रहते हैं तो एलोवेरा के इस्तेमाल से फायदा ले सकते हैं। गेंहू का आटा, घी और एलोवेरा जेल (एलोवेरा का गूदा इतना हो जिससे आटा गूंथा जाए) लेकर आटा गूंथ लें। इससे रोटी बनाएं। रोटी का चूर्ण बनाकर लड्डू बना लें। रोज 1-2 लड्डू को खाने से कमर दर्द ठीक होता है।

एलोवेरा जेल कमर दर्द में दर्द निवारक दवा की तरह काम करता है।

घाव और चोट में एलोवेरा के गुण से फायदा

फोड़ा ठीक से पक न रहा हो तो एलोवेरा के गूदे में थोड़ा सज्जीक्षार और हरड़ चूर्ण मिलाकर घाव पर बांधें। इससे फोड़ा जल्दी पक कर फूट जाता है।
घृतकुमारी के पत्ते को एक ओर से छील लें। इस पर थोड़ा हरड़ का चूर्ण बुरक कर हल्‍का गर्म कर लें। इसे गांठ पर बांधें। इससे गांठों की सूजन दूर होगी।
*स्त्रियों के स्तन में गांठ पड़ गई हो या सूजन हो गई हो तो एलोवेरा की जड़ का पेस्‍ट बना लें। इसमें थोड़ा हरड़ चूर्ण मिलाकर गर्म करके बांधने से लाभ होता है। इसे दिन में 2-3 बार बदलना चाहिए।
घृतकुमारी का गूदा घावों को भरने के लिए सबसे उपयुक्त औषधि है। रेडिएशन के कारण हुए गंभीर घावों पर इसके प्रयोग से बहुत ही अच्छा फायदा मिलता है।
*आग से जले हुए अंग पर एलोवेरा के गूदे को लगाने से जलन शांत हो जाती है। इससे फफोले नहीं होते हैं।
एलोवेरा और कत्‍था को समान मात्रा में पीसकर लेप करने से नासूर में फायदा होता है।
एलोवेरा के रस को तिल और कांजी के साथ पका लें। इसका लेप करने पर घाव में लाभ होता है।
केवल एलोवेरा के रस को पकाकर घाव पर लेप करने से भी लाभ होता है।

मुंहासों में

शोध बताते हैं कि सुबह और शाम को एलो जेल लगाने से बच्चों और वयस्कों दोनों में मुंहासों में लगभग 35% तक सुधार होता है। हाइड्रेटिंग एलोवेरा जेल भी मुँहासे की आवृत्ति और उपस्थिति को कम कर सकता है।

चर्म रोग में एलोवेरा के फायदे 

कई तरह के चर्म रोग में एलोवेरा का प्रयोग करने पर फायदा होता है। अगर आपकी त्वचा पर मस्से निकल आए हैं तो एलोवेरा के पत्‍ते को एक तरफ से छीलकर मस्सों पर बांधें। इससे मस्से खत्म हो जाते हैं।

बुखार में एलोवेरा के औषधीय गुण से फायदा

*एलोवेरा के सेवन से बुखार का इलाज किया जा सकता है। एलोवेरा की जड़ से काढ़ा बना लें। 10-20 मिलीग्राम काढ़ा को दिन में तीन बार पिलाने से बुखार ठीक होता है।

एलोवेरा के सेवन से पीलिया का इलाज

पीलिया का इलाज करने के लिए भी एलोवेरा का सेवन करना फायदेमंद होता है। इसके लिए 10-20 मिलीग्राम एलोवेरा के रस को दिन में दो तीन बार पिलाने से पीलिया रोग में लाभ होता है।
इस प्रयोग से कब्‍ज से मुक्ति पाने में भी मदद मिलती है।
एलोवेरा रस की 1-2 बूंद नाक में डालने से भी लाभ होता है।
कुमारी लवण को 3-6 ग्राम तक की मात्रा में छाछ के साथ सेवन करें। इससे लीवर, तिल्‍ली के बढ़ाना, पेट की गैस, पेट में दर्द और पाचनतंत्र से जुड़ी अन्य समस्‍याओं में लाभ होता है।

इम्यून सिस्टम मजबूत होता है

कोरोना वायरस महामारी के दौरान इम्यून सिस्टम को मजबूत रखना बेहद जरूरी है. विशेषज्ञों की मानें तो एलोवेरा जूस इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में मदद कर सकता है. इसके सेवन से पीएच स्तर भी सुधरता है. इसके लिए आप एलोवेरा जूस का सेवन कर सकते हैं.

सूजन कम करता है

इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट के गुण पाए जाते हैं जो शरीर में मौजूद सूजन को कम करने में सहायक होते हैं. इसके साथ ही रोजाना एलोवेरा जूस पीने से सिरदर्द और तनाव से भी मुक्ति मिलती है. स्किन डॉक्टर्स भी स्किन के लिए एलोवेरा जूस पीने की सलाह देते हैं. इसके लिए रोजाना सुबह में खाली पेट एलोवेरा जूस का सेवन करें. यह जख्म को भरने में भी मददगार होता है.

वजन कम करने में है सहायक

इसमें एंटी-इन्फ्लेमेटरी के गुण पाए जाते हैं, जिनसे बढ़ते वजन से मुक्ति मिलती है. अगर आप बढ़ते वजन से परेशान हैं और इससे निजात पाना चाहते हैं तो एलोवेरा जूस बेहतरीन उपाय है. इससे फैट बर्न होता है, जिससे आपका वजन कम होगा. रोजाना खाली पेट आधा कप एलोवेरा जूस पिएं.

alovera ke fayde 

रोजाना सुबह में खाली पेट एलोवेरा जूस पीने से पाचन तंत्र मजबूत होता है. अगर आपको कब्ज की शिकायत है तो आप रोजाना दो चम्मच एलोवेरा जूस पिएं. आपको जल्द सुखद परिणाम देखने को मिलेगा. साथ ही पेट संबंधी सभी विकार दूर हो जाते हैं. 

पेट की बीमारी में एलोवेरा का सेवन फायदेमंद 

घृतकुमारी  के औषधीय गुण से पेट के रोग में भी लाभ होता है। गूदे को पेट के ऊपर बांधने से पेट की गांठ बैठ जाती है। इस उपचार से आंतों में जमा हुआ मल भी आराम से बाहर निकल जाता है।
एलोवेरा की 10-20 ग्राम जड़ को उबाल लें। इसे छानकर भुनी हुई हींग मिला लें। इसे पीने से पेट दर्द में आराम मिलता है।
*एलोवेरा के 6 ग्राम गूदा और 6 ग्राम गाय का घी, 1 ग्राम हरड़ चूर्ण और 1 ग्राम सेंधा नमक लें। इसे मिलाकर सुबह-शाम खाने से वात विकार से होने वाले गैस की समस्या ठीक होती है।
 आल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सी आर यादव के अनुसार रोज सुबह खालीपेट एक चम्मच एलोवेरा जूस को एक कप पानी में मिलाकर पीने से हार्ट की प्रॉब्लम जैसी कई बीमारियों से बचाव होता है। एलोवेरा जूस के फायदों को जानते हुए लोग इसे दिन में दो या तीन बार पीते हैं।
*गाय के घी में 5-6 ग्राम घृतकुमारी के गूदे में त्रिकटु सोंठ, मरिच पिप्‍प्‍ली, हरड़ और सेंधा नमक मिला लें। इसका सेवन करने से गैस की समस्या में लाभ होता है।
60 ग्राम घृतकुमारी के गूदे में 60 ग्राम घी, 10 ग्राम हरड़ चूर्ण तथा 10 ग्राम सेंधा नमक मिला लें। इसे अच्छी तरह मिला लें।इसको 10-15 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम गुनगुने पानी के साथ सेवन करने से वात दोष से होने वाले पेट की गैस की समस्या से निजात मिलता है। इस पेस्‍ट का सेवन पेट से जुड़ी बीमारियों व वात दोष से होने दूसरे रोगों में भी फायदेमंद होता है।

alovera ke fayde 

*एलोवेरा के पत्ते के दोनों ओर के कांटों को अच्छे से साफ कर लें। इसके छोटे-छोटे टुकड़े काटकर मिट्टी के एक बर्तन में रख लें। इसके 5 किलो के टुकड़े में आधा किलो नमक डालकर बर्तन का मुंह बंद कर दें। इसे 2-3 दिन धूप में रखें। इसे बीच-बीच में हिलाते रहें। तीन दिन बाद इसमें 100 ग्राम हल्दी, 100 ग्राम धनिया, 100 ग्राम सफेद जीरा, 50 ग्राम लाल मिर्च, 6 ग्राम भुनी हुई हींग डाल लें। इसी में 30 ग्राम अजवायन, 100 ग्राम सोंठ, 6 ग्राम काली मिर्च, 6 ग्राम पीपल, 5 ग्राम लौंग भी डाल लें। इसके साथ ही 5 ग्राम दाल चीनी, 50 ग्राम सुहागा, 50 ग्राम अकरकरा, 100 ग्राम कालाजीरा, 50 ग्राम बड़ी इलायची और 300 ग्राम राई डालकर महीन पीस लें। रोगी की क्षमता के अनुसार 3-6 ग्राम तक की मात्रा में सुबह-शाम देने से पेट के वात-कफ संबंधी सभी विकार खत्म होते हैं। सूखने पर अचार, दाल, सब्जी आदि में डालकर प्रयोग करें।

एलोवेरा कौन कौन सी बीमारी में काम आता है?

इसे सुनेंयह जहां बवासीर, डायबिटीज, गर्भाशय के रोग, पेट की खराबी, जोड़ों का दर्द, त्वचा की खराबी, मुंहासे, रूखी त्वचा, धूप से झुलसी त्वचा, झुर्रियों, चेहरे के दाग-धब्बों, आंखों के काले घेरों, फटी एड़ियों के लिए यह लाभप्रद है वहीं दूसरी तरफ यह खून की कमी को दूर करता है तथा शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।

एलोवेरा जूस पीने का तरीकाः

तो आप सुबह खाली पेट एलोवेरा के जूस का सेवन करें. शरीर में पेट संबंधी कोई भी बीमारी हो तो आप सुबह 15-20 ग्राम एलोवेरा के जूस में शहद और नींबू मिलाकर सेवन करें, इसे पेट संबंधी समस्याओं के साथ-साथ इम्यूनिटी को भी मजबूत बनाया जा सकता है.
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22.2.22

अण्डकोष की सूजन के आयुर्वेदिक उपचार:Andkosh ki sujan ke upachar



अंडकोष को अँग्रेजी  में Scrotum कहा जाता है जो की एक पतली थैली के रूप में आदमी के लिंग के नीचे स्थित होती है| इस थैली में दो बहुत ही जरुरी अंग पाए जाते हैं जिन्हें हम testicles कहते हैं और जिनमें वीर्य का उत्पादन होता है| वैसे तो अंडकोष मोटी और मजबूत त्वचा का बना होता है लेकिन फिर भी कई प्रकार के रोग या बीमारी इसे ग्रसित कर सकते हैं और उनमें से सबसे ज्यादा पुरुषों को अंडकोष में दर्द और सूजन का सामना करना पड़ता है| अंडकोष में दर्द और सूजन दायें या बाएँ  अथवा दोनों और हो सकता है| पुरुष को अपने जीवन की किसी भी अवस्था में इस दर्द और सुजन का सामना करना पड़ सकता है|>अंडकोष का दर्द धीरे और लम्बे समय तक भी हो सकता है और कई लोगों में ये दर्द बहुत जयादा तेज भी हो सकता है| सही समय पर इस समस्या का निदान न होने पर गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं| इसलिए यदि आपके अंडकोष में तेज दर्द और सूजन है तो आपको तुरंत किसी अच्छे urologist से मिलकर उसका इलाज करवा लेना चाहिए| लेकिन यदि आपकी प्रॉब्लम जयादा सीरियस नहीं है तो आप कुछ घरेलु नुस्खे अपनाकर pain और सूजन  को कम कर सकते हैं| लेकिन सबसे पहले अंडकोष में दर्द और सूजन करने वाले कारणों के बारे में थोड़ी जानकारी बढ़ा ली जाये|

 वो कारण जो अंडकोष में दर्द और सुजन के लिए जिम्मेदार होते हैं-

अंडकोष में दर्द और सूजन के कुछ प्रचलित कारणों में से कुछ नीचे दिए गये हैं | जरुरी नहीं की आपकी बीमारी के लिए ये ही कारण जिमेदार हों| इसलिए सही कारण का पता लगाने के लिए डॉक्टर से मिलना अनिवार्य हैं|
Inguinal hernia – इसे groin hernia भी कहते हैं| इसमें छोटी आंत या fatty tissue का कुछ भाग आपके अंडकोष में आकर दर्द और सूजन पैदा करता है| यह हर्निया अकसर भारी बोझ उठाने के कारण होता है| अकसर लोग gym में सीधे ही भारी भरकम बोझ उठा लेते हैं और हर्निया का शिकार हो जाते हैं|

*Torsion – इस कंडीशन में आपकी स्पेर्मटिक कोर्ड मुड जाती है या ट्विस्ट हो जाती है और जिसके कारण आपके testes की और जाने वाला रक्त प्रवाह बाधित हो जाता है| इसमें रोगी को बहुत तेज दर्द होता है| समय रहते इसका इलाज न हो तो permanent damageभी हो सकता है| यह एक आपातकालीन स्तिथि होती है|
Epididymitis – इसमें आपकी epididymis में inflammation या सोअज हो जाती है| Epididymis एक तुबे जैसी संरचना होती है जो की आपके दोनों testes के पीछे की और स्थित होती है| Epididymitis में रोगी को अंडकोष में असहनीय दर्द होता है| epididymis में inflammation होने के कई कारण हो सकते हैं जैसे चोट लग जाना, बैक्टीरिया द्वारा संक्रमण. sexually transmitted disease जैसे chlamydia and gonorrhea आदि| *Epididymitis ज्यादातर 18 से 36 वर्ष के लोगों में ज्यादा देखने को मिलता है|
*Orchitis – इस रोग में आपके testes में inflammation हो जाता है जो की बैक्टीरियल या वायरल संक्रमण के कारण होता है| ये inflammation एक ओर या दोनों ओर हो सकता है| इसमें अंडकोष में सुजन और दर्द रहने लगता है| यह ज्यादातर 45 या उससे बड़ी उम्र के पुरषों में अधिक देखने को मिलता है|
*इनके अलावा अंडकोष में सूजन, दर्द और irritation के कई और कारन होते हैं जैसे अंडकोष में पानी भरना, हर्निया सर्जरी के बाद भी दर्द कुछ महीनों तक रहता है| इनके अलावा prostatitis, गांठ का होना, पथरी और मम्प्स होना भी दर्द और सूजन के लिए जिम्मेदार माने जाते हैं|

* यह पुरषों की बहुत ही sensitive स्थान होता है| यदि आपको लगता है की आपकी प्रॉब्लम सीरियस नहीं है और बस हल्का फुल्का दर्द महसूस हो रहा है तो आपको कुछ घेरलू नुस्खे और सावधानियाँ अपनाकर उस दर्द से मुक्ति पा सकते हैं| नीचे कुछ जरुरी बातें बताई गयी हैं|अंडकोष में दर्द और सुजन से ग्रसित लोगों को डॉक्टर सबसे पहले आराम लेने की सलाह जरूर देता हैं| आपको सभी कार्य छोड़कर कुछ दिन bed rest लेना चाहिए| कोई ऐसा काम न करें जिससे आपके अंडकोष पर दवाब पड़े|
सामान्य दर्द और सुजन को आप बर्फ की सहायता से ख़तम कर सकते हैं| आपको बर्फ का टुकड़ा रुमाल या तौलिए में लपेटना है और दर्द वाली जगह पर कुछ मिनट्स के लिए लगाना है| ऐसा आपको हर 2 घंटे के अन्तराल में करना है|
   डॉक्टर या किसी जानकार की सलाह के अनुसार सही नाप का supporter या लंगोट का इस्तेमाल करें| इससे आपके अंडकोष को  सहारा मिलेगा और दर्द में राहत|

andkosh ki sujan ke upchar

कभी भी भारी भरकम बोझ न उठाएं और यदि जरुरी हो तो अपने फॅमिली members की मदद लें|
खेलों में चोट से बचने के लिए protective कप और supporter जरुर पहने|
*Epididymitis, पथरी, और संक्रमण की स्तिथि में अपने डॉक्टर से जरुरी दर्द निवारक दवा जैसे brufen, aspirin, paracetamol आदि और एंटीबायोटिक्स लिखवाकर नियमित रूप से लें|
*कम कोलेस्ट्रॉल वाला खाना खाइए और दिन भर में ढेर सारा पानी पीजिये|
*STD से बचने के लिए संभोग से पहले जरुरी सावधानियाँ बरतें|
*हल्दी का लेप अंडकोष के बढ़ने यानि सूजन को कम करने में आपकी मदद कर सकता है|
*अदरक के रस में शहद मिलकर पिने से लाभ मिलता है इसी प्रकार टमाटर, सेंधा नामक और अदरक का सलाद के रूप में सेवन करने से भी फायदा होता है|


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