19.2.22

उच्च रक्तचाप के उपचार:High blood presure nuskhe

  


आपका हृदय धमनियों के माध्यम से खून को शरीर में भेजता है। शरीर की धमनियों में बहने वाले रक्त के लिए एक निश्चित दबाव जरूरी होता है। जब किसी वजह से यह दबाव अधिक बढ़ जाता है, तब धमनियों पर ज्यादा असर पड़ता है। दबाव बढ़ने के कारण धमनियों में रक्त का प्रवाह बनाए रखने के लिये दिल को सामान्य से अधिक काम करना पड़ता है। इस स्थिति को उच्च रक्तचाप कहते हैं। उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) एक गंभीर बीमारी है। क्या आपको पता है कि हाई बीपी के लक्षण क्या-क्या होते हैं। हाई ब्लड प्रेशर होने पर आपको क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए। हाई बीपी के इलाज के लिए आपको क्या उपाय करना चाहिए।

हाई बीपी (उच्च रक्तचाप) के कारण 


उच्च रक्तचाप असंतुलित जीवनशैली और आहार के कारण तो होता ही है लेकिन ये भी कारण होते हैं-

-ब्लड प्रेशर हाई होने का प्रमुख कारण मोटापा होता है। मोटे व्यक्ति में बी.पी. बढ़ने का खतरा आम व्यक्ति से ज्यादा होता है।

-शारीरिक श्रम न करना। जो लोग व्यायाम, खेल-कूद और कोई भी शारीरिक क्रिया नहीं करते और आरामतलब जीवन जीते हैं, उन्हें रक्तचाप की समस्या हो सकती है।

-जो व्यक्ति शुगर, दिल के रोग, किडनी के रोगों से ग्रसित होते हैं एवं जिनकी रक्त धमनियां कमजोर होती हैं उनमें रक्तचाप उच्च हो जाता है।

-ज्यादा नमकीन खाद्य पदार्थों का सेवन करने से।

-पिज्जा, बर्गर, चाऊमिन, मोमोज आदि  खाने से बी.पी. बढ़ जाता है।

-जो व्यक्ति धूम्रपान और शराब का अधिक सेवन करते हैं।

-प्रेगनेंसी के दौरान गर्भवती महिला को भी बी.पी. बढ़ने की समस्या होती है।

हाई बीपी (उच्च रक्तचाप) के लक्षण


हाई बी.पी. के कारण हृदय से जुड़े रोग, गुर्दे के रोग, आँख आदि खराब हो सकते हैं। उच्च रक्तचाप एक धीमा जहर है जो धीरे-धीरे शरीर के अंगों को खराब कर देता है। उच्च रक्तचाप से नियंत्रण में लाने के लिए या हाई बीपी से बचने के लिए सबसे पहले हाई बीपी के लक्षणों को जानना जरूरी होता है। चलिये इसके बारे में जानते हैं-

– उच्च रक्तचाप के लक्षण के रूप में व्यक्ति को तेज सिर दर्द होता है।

-उच्च रक्तचाप के लक्षण के रूप में व्यक्ति को थकावट और ज्यादा तनाव होता है।

-रोगी को सीने में दर्द होता है और भारीपन की अनुभूति होती है।

-रोगी को सांस लेने में परेशानी महसूस होना।

-उच्च रक्तचाप के रोगी को घबराहट महसूस होती है।

-कुछ भी समझने और बोलने में कठिनाई होना।

-उच्च रक्तचाप के रोगी के पैर अचानक सुन्न हो जाते हैं।

-उच्च रक्तचाप के रोगी को प्रायः बहुत कमजोरी महसूस होती है।

-उच्च रक्तचाप के रोगी को धुंधला दिखाई पड़ता है।

उच्च रक्तचाप से कैसे बचें?


असंतुलित भोजन और जीवनशैली के कारण भी उच्च रक्तचाप होता है, और अधिकांश लोगों को यह पता नहीं होता है कि हाई ब्लड प्रेशर होने पर क्या खाना चाहिए और क्या नहीं। इसलिए आप हाई बीपी के लक्षणों का पता चलते ही आहार और जीवनशैली में थोड़ा बदलाव लाएं ताकि बीमारी पर पूरी तरह नियंत्रण पा सकें।

वजन बढ़ने के साथ अक्सर ब्लड प्रेशर भी बढ़ता है। अधिक वजन सोते समय सांस लेने में बाधा उत्पन्न करती है, जिससे ब्लड प्रेशर बढ़ता है, इसलिए ब्लड प्रेशर कम करने का एक प्रभावी तरीका वजन कम करना है।

-प्रतिदिन 20-25 मिनट तक व्यायाम करें।

-स्वस्थ आहार जैसे साबुत अनाज, फल, सब्जियां, डेरी प्रोडक्ट्स एवं कम फैट वाले भोजन से बी.पी. कम हो जाता है।

-उच्च रक्तचाप के रोगी को अपनी डायट में मैग्निशियम, कैल्शियम और पोटेशियम से भरपूर खाद्य पदार्थ अधिक खाने चाहिए।

-दूध, हरी सब्जियां, दाल, सोयाबीन, प्याज, लहसुन और संतरें में ये पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में होते हैं।

-प्रतिदिन मेवे में 4 अखरोट एवं 5 से 7 बादाम खाएं।

-उच्च रक्तचाप में फलों में सेब, अमरूद, अनार, केला, अंगूर, अनानास, मौसंबी, पपीता।

-हर रोज सुबह खाली पेट लहसुन की 2 कलियां खाएं।

-खट्टे फल, नींबू पानी, सूप, नारियल पानी, सोया, अलसी और काले चने खाएं।

-रोजाना पानी अधिक मात्रा में पीये।

-भोजन के लिए सोयाबीन तेल इस्तेमाल करना चाहिए।

-सलाद में प्याज, टमाटर, मूली, गाजर, खीरा, गोभी का सेवन करने से रक्तचाप सामान्य हो जाता है।

-बिना मलाई वाले दूध का सेवन करें।

-रक्तचाप उच्च होने में ओमेगा-3 भी शामिल करें।

-हाई ब्लड प्रेशर वाले व्यक्ति को डार्क चॉक्लेट का सेवन करना चाहिए। डार्क चॉक्लेट बी.पी. कम करती है।

हाई बीपी (उच्च रक्तचाप) के लिए आहार 


हाई बीपी में आपको क्या खाना चाहिए और क्या नहीं। ये बातें यहां लिखी गई है। हाई बीपी के लक्षण महसूस होने पर इनसे परहेज करना चाहिएः-

-जिस व्यक्ति का बी.पी. हाई हो उसे नमक कम खाना चाहिए।

-कॉफी और चाय का सेवन अधिक करने से ब्लड प्रेशर बढ़ता है।

-डिब्बा बंद खाद्य पदार्थों का सेवन न करें क्योंकि उनमें नमक ज्यादा होता है।

-स्मोकिंग और शराब का सेवन न करें।

-उच्च रक्त के व्यक्ति को चाय और कॉफी का सेवन नहीं करना चाहिए।

-बाहर की चीजें जैसे पिज्जा, बर्गर आदि का सेवन न करें।

-बेकिंग सोड़ा का सेवन उच्च रक्तचाप के रोगी को नहीं करना चाहिए।

-खाना खाते समय अपने भोजन में नमक ऊपर से न डालें।

-पापड़ भी बिना नमक के ही खाएं।

-चटनी, आचार, अजीनोमोटो, बेंकिंग पाउडर और सॉस खाने से परहेज करें।

-बी-पी. के रोगियों को ऐसा खाना नहीं खाना चाहिए जिसमें फैट अधिक हो।

-जब आप सोते हैं तो बी.पी. कम होता है। यदि आप भरपूर नींद नहीं लेंगे तो ब्लड प्रेशर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। जो लोग कम सोते हैं उनका ब्लड प्रेशर बढ़ने लगता है।

-हाई ब्लड प्रेशर के रोगियों के लिए गुस्सा जानलेवा होता है। जितना संभव प्रयास हो सके, तनाव और गुस्से से दूर रहना चाहिए। रोजाना मेडिटेशन और योगा करना चाहिए।

-बहुत अधिक मात्रा में मादक पदार्थों के सेवन से ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है, जिससे आगे जाकर वजन बढ़ता है और दिल का दौरा पड़ने की संभावना भी बढ़ जाती है।

उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने के घरेलू उपाय


उच्च रक्तचाप से राहत पाने के लिए लोग पहले घरेलू नुस्खे आजमाते हैं। चलिये जानते हैं कि ऐसे कौन-कौन-से घरेलू उपाय हैं जो उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने में  सहायता करते हैं-

उच्च रक्तचाप के उपचार के लिए लहसुन का इस्तेमाल 

लहसुन हर घर में इस्तेमाल में लाया जाता है। लहसुन ब्लड प्रेशर ठीक करने में बहुत मददगार होता है। लहसुन से हाई बीपी को नियंत्रित कर सकते हैं।

उच्च रक्तचाप के उपचार के लिए आँवले के रस का सेवन 


एक बड़ा चम्मच आँवले का रस और इतना ही शहद मिलाकर सुबह-शाम लेने से हाई ब्लड प्रेशर में लाभ होता है। इससे उच्च रक्तचाप का उपचार होता है।

उच्च रक्तचाप के उपचार के लिए काली मिर्च का प्रयोग 


जब ब्लड प्रेशर बढ़ा हुआ हो तो आधे गिलास गुनगुने पानी में काली मिर्च पाउडर का एक चम्मच घोल लें। इसे दो-दो घंटे के बाद पीते रहें। इससे हाई ब्लड प्रेशर के लक्षणों का उपचार होता है।

उच्च रक्तचाप के उपचार के लिए तरबूज का सेवन 


उच्च रक्तचाप के नियंत्रण में तरबूज लाभ पहुंचाता है। तरबूज के बीज की गिरी तथा खसखस अलग-अलग पीसकर बराबर मात्रा में रख लें। इसका रोजाना एक-एक चम्मच सेवन (bp high treatment at home) करें।

उच्च रक्तचाप के उपचार के लिए नींबू का उपयोग 

बढ़े हुए ब्लड प्रेशर में एक गिलास पानी में आधा नींबू निचोड़कर तीन-तीन घण्टे के अन्तर में पीना चाहिए। इससे उच्च रक्तचाप का इलाज होता है।

तुलसी और नीम से करें हाई बीपी कम करने के उपाय 


उच्च रक्तचाप के इलाज के लिए पाँच तुलसी के पत्ते तथा दो नीम की पत्तियों को पीस लें। इसे एक गिलास पानी में घोलकर खाली पेट सुबह पिएं। इससे हाई ब्लड प्रेशर के लक्षणों का इलाज (home remedies for high bp) होता है।

खाली पैर हरी घास पर चलने से उच्च रक्तचाप होता है कम 


हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों को नंगे पैर हरी घास पर 10-15 मिनट तक चलना चाहिए। रोजाना चलने से ब्लड प्रेशर नॉर्मल हो जाता है।

पालक और गाजर के जूस से करें हाई बीपी कम करने के उपाय


उच्च रक्तचाप के उपचार के लिए ताजा पालक और गाजर का रस निकालें। इसे रोज पिएं। इसका रस लाभकारी सिद्ध होता है।

करेला से करें हाई बीपी कम करने के उपाय 

उच्च रक्तचाप के इलाज के लिए करेला और सहजन के फल का सेवन करें। यह उच्च रक्तचाप के रोगियों के लिए बहुत लाभदायक है। इससे हाई ब्लड प्रेशर के लक्षण ठीक होते हैं।

ब्राउन राइस उच्च रक्तचाप को करे कंट्रोल 


उच्च रक्तचाप के उपचार के लिए ब्राउन चावल खाना चाहिए। उच्च रक्तचाप के रोगियों को ब्राउन चावल बहुत लाभ देता है और हाई ब्लड प्रेशऱ के लक्षण दूर होते हैं।

मेथीदाना से करें हाई ब्लडप्रेशर को कंट्रोल 


3 ग्राम मेथीदाना पाउडर सुबह-शाम पानी के साथ लें। इसे प्रतिदिन खाने से लाभ मिलता है। इससे उच्च रक्तचाप का इलाज होता है।

उच्च रक्तचाप की आयुर्वेदिक दवा है टमाटर 


उच्च रक्तचाप के उपचार के लिए टमाटर का सेवन करें। टमाटर से हाई ब्लड प्रेशर नियंत्रित होता है। रोजाना एक टमाटर या एक कप टमाटर का जूस पिएं।

उच्च रक्तचाप की आयुर्वेदिक दवा है अनार 

आप अनार से बीपी कम करने के उपाय कर सकते हैं। रोजाना एक अनार या अनार का जूस पीने से हाई ब्लड प्रेशर कम हो जाता है। 

हाई ब्लड प्रेशर को कम करने के लिए चुकंदर का सेवन 


आप चुकंदर से भी बीपी कम करने के उपाय कर सकते हैं। एक चुकंदर और आधी मूली लें। इनको छील कर इनके छोटे-छोटे टुकड़े कर लें। मिक्सर में डालकर जूस निकाल लें। यह जूस दिन में एक बार पीने से हाई बी.पी. कण्ट्रोल (home remedies for high bp) में आ जाता है।

हाई ब्लड प्रेशर को कम करने के लिए तिल के तेल का उपयोग 


बीपी कम करने के लिए आप घरेलू उपाय कर सकते हैं। इसके लिए आप रोजाना अपने खाने में तिल के तेल का प्रयोग करें। इससे बीपी कम हो जाता है।

हाई बीपी को कम करने के लिए नारियल का प्रयोग 

आप नारियल से भी बीपी कम करने के उपाय कर सकते हैं। आप पूरे दिन में 2-3 बार नारियल पानी का प्रयोग करें। इससे हाई बीपी कम हो जाता है।

डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए? 

ब्लड प्रेशर का सामान्य से कम या अधिक होना, दोनों ही घातक होता है। जब मरीज का रक्तचाप 140-90 से अधिक होता है तो उस स्थिति को उच्च रक्तचाप कहा जाता है। बीपी कम करने के घरेलू उपाय के बाद भी जब मरीज को हाई ब्लड प्रेशर के लक्षण के रूप में सीने में दर्द और भारीपन महसूस हो, और सांस लेने में परेशानी हो। सिर दर्द हो, कमजोरी या धुंधला दिखाई दे तो मरीज को डॉक्टर से जल्द से जल्द मिलना चाहिए, नहीं तो यह गंभीर रोग में परिवर्तित होकर घातक स्थिति तक पहुँच सकता है।

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13.2.22

शतावरी के फायदे:Shatavari increase mother milk

 





शतावरी (asparagus) एक ऐसा आयुर्वेदिक हर्ब है जो पुरूष और महिला दोनों के सेक्स जीवन को उन्नत करने में मदद करती है। आजकल के व्यस्त जीवन और खराब जीवनशैली के कारण लोगों में सेक्स करने की इच्छा धीरे-धीरे कम होती जा रही है। जिसका सीधा प्रभाव वैवाहिक जीवन पर पड़ने लगा है।
*इस समस्या से राहत दिलाने में शतावरी बहुत मदद करती है। यह पुरूष और महिला दोनों में सेक्स करने की इच्छा को जागृत तो करती ही है साथ ही उसको उन्नत भी करती है। यदि आपको उच्च रक्तचाप की बीमारी है या गर्भवती हैं तो शतावरी का इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर से सलाह ले लें

*आज हम आपको एक झाड़ीनुमा लता के बारे में बताते है , जिसमें फूल मंजरियों में एक से दो इंच लम्बे एक या गुच्छे में लगे होते हैं और फल मटर के समान पकने पर लाल रंग के होते हैं ..नाम है "शतावरी" ..I

satavari ke fayde 

आपने विभिन्न आयुर्वेदिक औषधियों में इसके प्रयोग को अवश्य ही जाना होगा ..अगर नहीं तो हम आपको बताते हैं, इसके प्रयोग को ..! आयुर्वेद के आचार्यों के अनुसार , शतावर पुराने से पुराने रोगी के शरीरको रोगों से लड़ने क़ी क्षमता प्रदान करता है I इसे शुक्रजनन,शीतल ,मधुर एवं दिव्य रसायन माना गया है I महर्षि चरक ने भी शतावर को बल्य और वयः स्थापक ( चिर यौवन को बरकार रखने वाला) माना है.I आधुनिक शोध भी शतावरी क़ी जड़ को हृदय रोगों में प्रभावी मान चुके हैं I

अब हम आपको शतावरी के कुछ आयुर्वेदिक योग क़ी जानकारी देंगे ..जिनका औषधीय प्रयोग चिकित्सक के निर्देशन में करना अत्यंत लाभकारी होगा 

satavari ke fayde 

*शतावरी के कुछ जड़ों को पीसकर पावडर बना लें। एक कप में उबलता हुआ पानी लें और उसमें इस पावडर को डालकर कुछ देर तक उबालकर काढ़ा जैसा बना लें। फिर थोड़ा-सा ठंडा होने पर काढ़ा को पी लें। इस काढ़ा के सेवन से आपके सेक्स जीवन में कुछ हद तक सुधार ज़रूर आएगा।
*यदि आप नींद न आने क़ी समस्या से परेशान हैं तो बस शतावरी क़ी जड़ को खीर के रूप में पका लें और थोड़ा गाय का घी डालें ,इससे आप तनाव से मुक्त होकर अच्छी नींद ले पायेंगे ..!
*शतावरी एक चमत्कारी औषधि है जिसे कई रोगों के इलाज में उपयोग किया जाता है। खासतौर पर सेक्स शक्ति को बढ़ाने में इसका विशेष योगदान होता है। यह एक झाड़ीनुमा पौधा होता है, जिसमें फूल व मंजरियां एक से दो इंच लम्बे एक या गुच्छे में लगे होते हैं और मटर जितने फल पकने पर लाल रंग के हो जाते हैं। 
*आयुर्वेद के मुताबिक, शतावर पुराने से पुराने रोगी के शरीर को रोगों से लड़ने की क्षमता प्रदान करता है। इसके अलावा इसका उपयोग विभिन्न नुस्खों में व्याधियों को नष्ट कर शरीर को पुष्ट और सुडौल बनाने में किया जाता है।

satavari ke fayde 

*शतावरी क़ी ताज़ी जड़ को यवकूट करें ,इसका स्वरस निकालें और इसमें बराबर मात्रा में तिल का तेल मिलाकर पका लें,हो गया मालिश का तेल तैयार |.इसे माइग्रेन जैसे सिरदर्द में लगायें और लाभ देखें I
*यदि रोगी खांसते-खांसते परेशान हो तो शतावरी चूर्ण - 1.5 ग्राम ,वासा के पत्ते का स्वरस 2.5 मिली ,मिश्री के साथ लें और लाभ देखें I
*प्रसूता स्त्रियों में दूध न आने क़ी समस्या होने पर शतावरी का चूर्ण -पांच ग्राम गाय के दूध के साथ देने से लाभ मिलता है ..!
*यदि पुरुष यौन शिथिलता से परेशान हो तो शतावरी पाक या केवल इसके चूर्ण को दूध के साथ लेने से लाभ मिलता है I

*शतावरी को शुक्रजनन, शीतल, मधुर एवं दिव्य रसायन माना जाता है। महर्षि चरक ने भी शतावरी को चिर यौवन को कायम रखने वाला माना था। आधुनिक शोध भी शतावरी की जड़ को हृदय रोगों में प्रभावी मानते हैं। शतावरी के लगभग 5 ग्राम चूर्ण को सुबह और रात के समय गर्म दूध के साथ लेना लाभदायक होता है। इसे दूध में चाय की तरह पकाकर भी लिया जा सकता है।
 * यह औषधि स्त्रियों के स्तनों को बढ़ाने में मददगार होती है। इसके अलावा शतावरी के ताजे रस को 10 ग्राम की मात्रा में लेने से वीर्य बढ़ता है।

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*शतावरी मूल का चूर्ण 2.5 ग्राम को मिश्री 2.5 ग्राम के साथ मिलाकर पांच ग्राम मात्रा में रोगी को सुबह शाम गाय के दूध के साथ देने से प्रमेह, प्री-मैच्योर इजेकुलेशन (स्वप्न-दोष) में लाभ मिलता है। यही नहीं शतावरी की जड़ के चूर्ण को दूध में मिलाकर सेवन करने से धातु वृद्धि भी होती है।
*यदि रोगी को मूत्र या मूत्रवह संस्थान से सम्बंधित विकृति हो तो शतावरी को गोखरू के साथ लेने से लाभ मिलता है I
*शतावरी के पत्तियों का कल्क बनाकर घाव पर लगाने से भी घाव भर जाता है ...!
यदि रोगी स्वप्न दोष से पीड़ित हो तो शतावरी मूल का चूर्ण -2.5 ग्राम ,मिश्री -2.5 ग्राम को एक साथ मिलाकर .*पांच ग्राम क़ी मात्रा में रोगी को सुबह शाम गाय के दूध के साथ देने से प्रमेह ,प्री -मेच्युर -इजेकुलेशन (स्वप्न-दोष ) में लाभ मिलता है I
*गाँव के लोग इसकी जड़ का प्रयोग गाय या भैंसों को खिलाते हैं, तो उनकी दूध न आने क़ी समस्या में लाभ मिलता पाया गया है ...अतः इसके ऐसे ही प्रभाव प्रसूता स्त्रियों में भी देखे गए हैं
*शतावरी के जड के चूर्ण को पांच से दस ग्राम क़ी मात्रा में दूध से नियमित से सेवन करने से धातु वृद्धि होती है !
वातज ज्वर में शतावरी के रस एवं गिलोय के रस का प्रयोग या इनके क्वाथ का सेवन ज्वर (बुखार ) से मुक्ति प्रदान करता है ..I
*शतावर पुराने से पुराने रोगी के शरीर को रोगों से लडऩे की क्षमता प्रदान करता है। इसे शुक्रजनन,शीतल ,मधुर एवं दिव्य रसायन माना गया है। महर्षि चरक ने भी शतावरी को चिर यौवन को बरकार रखने वाला माना है। आधुनिक शोध भी शतावरी की जड़ को हृदय रोगों में प्रभावी मान चुके हैं। अब हम आपको शतावरी के कुछ आयुर्वेदिक योग की जानकारी देंगे, जिनका औषधीय प्रयोग चिकित्सक के निर्देशन में करना अत्यंत लाभकारी होगा।

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* यदि आप नींद न आने की समस्या से परेशान हैं तो बस शतावरी की जड़ को खीर के रूप में पका लें उसमें थोड़ा गाय का घी डालें और ग्रहण करें। इससे आप तनाव से मुक्त होकर अच्छी नींद ले पाएंगे।
 *शतावरी की ताजी जड़ को मोटा-मोटा कुट लें, इसका स्वरस निकालें और इसमें बराबर मात्रा में तिल का तेल मिलाकर पका लें।इस तेल को माइग्रेन जैसे सिरदर्द में लगाएं और लाभ देखें।
*यदि रोगी खांसते-खांसते परेशान हो तो शतावरी चूर्ण - 1.5 ग्राम, वसा के पत्ते का स्वरस 2.5 मिली, मिश्री के साथ लें और लाभ देखें।
*प्रसूता स्त्रियों में दूध न आने की समस्या होने पर शतावरी का चूर्ण -पांच ग्राम गाय के दूध के साथ देने से लाभ मिलता है।
-पुरुष यौन शिथिलता से परेशान हो तो शतावरी पाक या केवल इसके चूर्ण को दूध के साथ लेने से लाभ मिलता है।

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*यदि रोगी को मूत्र से सम्बंधित विकृति हो तो शतावरी को गोखरू के साथ लेने से लाभ मिलता है।
* शतावरी मूल का चूर्ण -2.5 ग्राम, मिश्री -2.5 ग्राम को एक साथ मिलाकर पांच ग्राम क़ी मात्रा में रोगी को सुबह शाम गाय के दूध के साथ देने से प्रमेह, प्री -मैच्योरइजेकुलेशन (स्वप्न-दोष ) में लाभ मिलता है।
*शतावरी के जड़ के चूर्ण को पांच से दस ग्राम की मात्रा में दूध के साथ नियमित रूप से सेवन करने से धातु वृद्धि होती है।
*वातज ज्वर में शतावरी के रस एवं गिलोय के रस का सेवन करने से ज्वर (बुखार) से मुक्ति मिलती है।
-शतावरी के रस को शहद के साथ लेने से जलन, दर्द एवं अन्य पित्त से सम्बंधित बीमारियों में लाभ मिलता है।
शतावरी के रस को शहद के साथ लेने से जलन ,दर्द एवं अन्य पित्त से सम्बंधित बीमारियों में लाभ मिलता है ..
..शतावरी हिमतिक्ता स्वादीगुर्वीरसायनीसुस्निग्ध शुक्रलाबल्यास्तन्य मेदोस ग्निपुष्टिदा |चक्षु स्यागत पित्रास्य,गुल्मातिसारशोथजित...उदधृत किया है ..तो शतावरी एक बुद्धिवर्धक,अग्निवर्धक,शुक्र दौर्बल्य को दूर करनेवाली स्तन्यजनक औषधि है|
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वेरिकोस वेन्स(सूजे हुए नस) के घरेलू उपचार//suje hue nas ke upchar

 


क्‍या है वैरिकोज वेन्स ?



 पैर की नसों में मौजूद वाल्‍व, पैरों से रक्त नीचे से ऊपर हृदय की ओर ले जाने में मदद करते है। लेकिन इन वॉल्‍व के खराब होने पर रक्त ऊपर की ओर सही तरीके से नहीं चढ़ पाता और पैरों में ही जमा होता जाता है। इससे पैरों की नसें कमजोर होकर फैलने लगती हैं या फिर मुड़ जाती हैं, इसे वैरिकोज वेन्‍स की समस्‍या कहते हैं। इससे पैरों में दर्द, सूजन, बेचैनी, खुजली, भारीपन, थकान या छाले जैसी समस्याएं शुरू हो जाती हैं।


 आइये जाने इस के आयुर्वेदिक घरेलु नुस्खे-


 जैतून का तेल : –

जैतून के तेल और विटामिन ई तेल को बराबर मात्रा में मिलाकर उसे थोड़ा सा गर्म कर लें। इस गर्म तेल से नसों की मालिश कई मिनट तक एक से दो महीने के लिए करें।

 लहसुन :-

छह लहसुन की कली लेकर उसे एक साफ जार में डाल लें। तीन संतरे का रस लेकर उसे जार में मिलाये। फिर इसमें जैतून के तेल मिलायें। इस मिश्रण को 12 घंटे के लिए रख दें। फिर इस मिश्रण से कुछ बूंदों को हाथों पर लेकर 15 मिनट के लिए सूजन वाली नसों पर मालिश करें। इस पर सूती कपड़ा लपेट कर रातभर के लिए छोड़ दें। इस उपाय को कुछ महीनों के लिए नियमित रूप से करे |

सेब साइडर सिरका :-

सेब साइडर सिरका वैरिकोज वेन्‍स के लिए एक अद्भुत उपचार है। यह शरीर की सफाई करने वाला प्राकृतिक उत्‍पाद है और रक्त प्रवाह और रक्‍त परिसंचरण में सुधार करने में मदद करता है। समस्‍या होने पर सेब साइडर सिरके को लगाकर उस हिस्‍से की मालिश करें। इस उपाय को नियमित रूप से रात को बिस्‍तर पर जाने से पहले और अगले सुबह फिर से करें। कुछ दिन ऐसा करने से कुछ ही महीनों में वैरिकोज वेन्‍स का आकार कम होने लगता है। या फिर एक गिलास पानी में दो चम्‍मच सेब साइडर सिरके को मिलाकर पीये। अच्‍छे परिणाम पाने के लिए इस मिश्रण का एक महीने तक दिन में दो बार सेवन करें।

Home Remedies for Varicose Veins

 बुचर ब्रूम :-

बुचर ब्रूम वैरिकोज वेन्‍स की असुविधा से राहत देने में बहुत ही उपयोगी होता है। इस जड़ी बूटी में रुसोगेनिन्स नामक गुण सूजन को कम करने में मदद करता है और एंटी-इफ्लेमेंटरी और एंटी-इलास्‍टेज गुण नसों की बाधा को कम करता है। यह पोषक तत्‍वों को मजबूत बनाने और नसों की सूजन को कम करने के साथ ही पैरों के रक्‍त प्रवाह में सुधार करने में मदद करते हैं। लेकिन उच्‍च रक्तचाप वाले लोग इस जड़ी-बूटी के सेवन से पहले चिकित्‍सक से परामर्श अवश्‍य ले लें।

 अखरोट : –

अखरोट के तेल में एक साफ कपड़े को डूबाकर प्रभावित क्षेत्र पर लगाये। ऐसा एक या दो महीने के लिए दिन में दो से तीन बार करें।

अजमोद :- (अजवायन)

एक मुठ्ठी ताजा अजमोद की एक मुठ्ठी लेकर उसे एक कप पानी में पांच मिनट के लिए उबाल लें। फिर इसे मिश्रण को ठंडा होने के लिए रख दें। फिर इस मिश्रण में गुलाब और गेंदे की तेल की एक-एक बूंद मिला लें। अब इस मिश्रण को कुछ देर के लिए फ्रिज में रख दें। इस मिश्रण को कॉटन पर लगाकर प्रभावित क्षेत्र पर लगायें। अच्‍छे परिणाम पाने के लिए इस उपाय को कुछ महीनों तक करें।

Home Remedies for Varicose Veins

लाल शिमला मिर्च :-

लाल शिमला मिर्च को वैरिकोज वेन्‍स के इलाज लिए एक चमत्‍कार की तरह माना जाता है। विटामिन सी और बायोफ्लेवोनॉयड्स का समृद्ध स्रोत होने के कारण यह रक्त परिसंचरण को बढ़ाने और संकुलित और सूजी हुई नसों के दर्द को आसान बनाता है। गर्म पानी में एक चम्‍मच लाल शिमला मिर्च के पाउडर को मिलाकर, इस मिश्रण का एक से दो महीने के लिए दिन में तीन बार सेवन करें।

 अर्जुन की छाल : 

अर्जुन की छाल वेरीकोस वेन्स के लिए बहुत बढ़िया दवा हैं, अगर आप इस समस्या से परेशान हैं तो आप रात को सोते समय गाय के दूध में या साधारण पानी में अर्जुन की चाल को चाय की तरह उबाले और आधा रहने पर इसको छान कर पी ले।
ये सब प्रयोग आपको एक दिन में आराम नहीं देंगे, मगर 4 से 6 महीने में चमत्कारिक परिणाम मिलेंगे।

वेरीकोस वेन्स में महत्वपूर्ण.

अगर शरीर में रक्त परिसंचरण सही रूप से हो तो यह अनेक समस्याएँ उत्पन्न नहीं होती, इसके लिए हर रोज़ सुबह शौच जाने के बाद 10 मिनट आँखे बंद करके शीर्षासन या सर्वांगासन करें… समस्या चाहे जितनी भी भयंकर हो उसमे आराम आएगा

अगर आप इस बिमारी का शिकार हो चुके हो तो घबराने की बात नहीं है | हम आपको एक ऐसा घरेलू नुस्खा बताएंगे जिससे आपके नसों तथा varicose veins की समस्या दूर हो जायेगी सिर्फ कुछ ही दिनों में |

Home Remedies for Varicose Veins

सामग्री- 

1 गिलास भेड का दूध
नहाने का साबुन आधा टुकड़ा 

विधि :-

पहले दूध में साबुन को पीस कर डाल दें और इस मिश्रण को प्लास्टिक कंटेनर में डाल कर फ्रिज में स्टोर करके रखें 
इस मिश्रण को दिन में तीन बार प्रभावित जगह पर रगड़ने से बहुत जल्द अच्छे नतीजे सामने आयगे |
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12.2.22

बालों के लिए बेहद फायदेमंद है नींबू और नारियल तेल//Nariyal tel aur nimbu



 आपके शरीर के अन्‍य हिस्‍सों की तरह ही आपके बालों के लिए नींबू और नारियल के तेल के फायदे होते हैं। आप अपने बालों से निश्चित ही बेहद प्‍यार करते होगें। लेकिन क्‍या आप इनकी सुरक्षा और स्‍वास्‍थ्‍य के लिए भी चिंतित हैं। आप अपने बालों के लिए कई प्रकार के रासायनिक उत्पादों का इस्‍तेमाल करते हैं। लेकिन शायद आपको पता नहीं है कि बालों के लिए नींबू और नारियल तेल का उपयोग लाभकारी होता है।

औषधीय गुणों से भरपूर नींबू का रस और नारियल तेल का उपयोग बालों में किया जा सकता है। नियमित रूप से इस मिश्रण का उपयोग करने से बालों के विकास को बढ़ावा मिल सकता है।
नारियल तेल और नींबू में मौजूद खनिज पदार्थ बालों की जड़ों को पोषण दिलाते हैं और नए बालों को उगने में मदद करते हैं। इस तरह से बालों के लिए नींबू और नारियल तेल के फायदे उनके के विकास में मदद करते हैं। इन्‍हीं गुणों के कारण बहुत सी महिलाएं इन दोनों उत्‍पादों का भरपूर उपयोग करने की सलाह देती हैं।

balon ke liye nimbu aur nariyal tel

सिर की खुजली दूर करे

बहुत से लोगों को सिर की खुजली होने की समस्‍या होती है। यह समस्‍या सिर में मौजूद गंदगी और संक्रमण के कारण हो सकती है। लेकिन ऐस‍ी स्थिति में नारियल तेल और नींबू रस के मिश्रण का उपयोग फायदेमंद होता है। इन दोनों के मिश्रण को सिर में लगाने से खुजली को शांत किया जा सकता है। इसके अलावा यह मिश्रण आपके सिर की ऊपरी त्‍वचा को मॉइस्‍चराइज भी रखता है। इस तरह से आप नींबू और नारियल तेल का उपयोग कर आप लाभ प्राप्‍त कर सकते हैं।

balon ke liye nimbu aur nariyal tel

डैंड्रफ दूर करे

सिर में रूसी होना बालों की एक विशष समस्‍या है। जानकारों के अनुसार बाल झड़ने का प्रमुख कारण रूसी ही होती है। इसके अलावा डैंड्रफ के कारण कई बार आपको शर्मिंदगी का अनुभव भी करना पड़ता है। लेकिन न‍ारियल तेल और नींबू का उपयोग कर आप डैंड्रफ को दूर कर सकते हैं। नारियल के तेल में शक्तिशाली एंटी-ऑक्‍सीडेंट होते हैं। इसके साथ ही ये नींबू के साइट्रिक गुणों के साथ मिलकर डैंड्रफ का इलाज कर सकते हैं। यह प्राकृतिक उपचार आपके बालों को मजबूत करता है और प्रभावी रूप से डैंड्रफ को दूर करने में मदद करता है।

बालों की चमक बढ़ाए-

कौन नहीं चाहता है कि उनके बाल सुंदर और चमकदार हों। यदि आप भी ऐसी ही इच्‍छा रखते हैं तो अपने बालों को अतिरिक्‍त पोषण दें। इसके लिए आप नारियल तेल और नींबू के रस का इस्‍तेमाल कर सकते हैं। इस मिश्रण का उपयोग आपके बालों को प्राकृतिक चमक दिला सकता है। इसके लिए आप अपने कंडीशनर के साथ नींबू के रस को मिलाकर अपने बालों को धुलें। इसके बाद आप नींबू और नारियल तेल के मिश्रण को अपने बालों में भी लगा सकते हैं। यह आपके बालों को पहले ज्‍यादा चमकदार बना सकता है।

बालों को मुलायम करे

ये दोनों ही घटक बालों को सुंदर और मुलायम बनाने में अहम योगदान देते हैं। नियमित रूप से अपने बालों में नारियल तेल और नींबू के रस का उपयोग इन्‍हें शिल्‍की और चमकदार बना सकता है। क्‍योंकि इन दोनों घटकों में कंडीशनिंग क्षमता उच्‍च होती हे। इस तरह से आप नारियल तेल और नींबू के रस की बराबर मात्रा का उपयोग अपने बालों में कर सकते हैं। लेकिन जिन लोगों को नींबू के रस से एलर्जी हैं उन्‍हें सावधानी से इसका उपयोग करना चाहिए।

धूप की क्षति से बचाये

अक्‍सर अधिकतर लोग धूप में चलने के दौरान बालों की सुरक्षा नहीं करते हैं। जबकि सूर्य की तेज धूप बालों को नुकसान पहुंचा सकती है। इसलिए आप अपने बालों में नियमित रूप से नींबू और नारियल तेल का उपयोग कर सकते हैं। क्‍योंकि यह सूर्य की यूवी किरणों और अधिक ताप से आपके बालों की रक्षा करने में मदद करते हैं। इस तरह से आप धूप में निकलने के पहले अपने बालों में नींबू और नारियल तेल के मिश्रण का उपयोग कर सकते हैं। इसके अलावा विकल्‍प के रूप में आप धूप से बचने के लिए कैप आदि का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।

balon ke liye nimbu aur nariyal tel

बाल सफेद होने से रोकना

समय से पहले बालों को सफेद होने से रोकने के लिए आप नारियल तेल और नींबू के रस के फायदे ले सकते हैं। ऐसा इसलिए है क्‍योंकि नारियल तेल सिर की ऊपरी सतह के अंदर तक जा कर बालों को पोषण देता है। इसके अलावा नींबू के रस में मौजूद विटामिन सी आपके बालों को सफेद या भूरा होने से रोक सकता है। इस तरह से आप अपने बालों को सफेद होने से रोकने के लिए नींबू और नारियल तेल का उपयोग कर सकते हैं।

बालों को पतला होने से बचाये

बहुत सी महिलाएं और पुरुषा पतले बालों की समस्‍या से परेशान रहते हैं। क्‍योंकि पतले बाल जरूरत से अधिक कोमल होते हैं। जिसके कारण उन्‍हें अपनी इच्‍छा अनुसार हेयर स्‍टाइल बनाने में परेशानी होती है। लेकिन नारियल तेल और नींबू के मिश्रण का उपयोग कर आप बालो को पतला होने से रोक सकते हैं। नियमित रूप से उपयोग करने पर यह आपके रोम छिद्रों को मजबूत करता है और बालों को मोटा बनाने में सहायक होता है। यदि आप भी इस प्रकार के लाभ चाहते हैं तो नींबू और नारियल तेल का उपयोग कर सकते हैं।
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11.2.22

हथेली और तलवों मे पसीना आने के उपचार:Hatheli aur talvon ke pasine upchar



सामान्यत: शरीर के कुछ खास अंगों में अधि‍क पसीना आता है लेकिन हथेली और तलवों में हर किसी को पसीना नहीं आता। अगर आपको भी हथेली और पैर के तलवों में पसीना आता है, तो यह जानकारी आपके लिए है। समान्य तापमान पर भी हथेली और तलवों में पसीना आना बिल्कुल सामान्य प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह किसी स्वास्थ्य समस्या का सूचक भी हो सकता है।  

hatheli aur talavon par paseena ke upchar  

दरअसल सामान्य या कम तापमान पर भी पसीना आना, और खास तौर से हथेली व पैर के तलवों में पसीना आने की यह समस्या हाइपरहाइड्रोसिस नामक बीमारी भी हो सकती है। कभी कभार ऐसा होना सामान्य हो सकता है, लेकिन अक्सर इस तरह से पसीना आना हाइपरहाइड्रोसिस की ओर इशारा करता है। केवल हथेली या तलवे ही नहीं पूरे शरीर में अत्यधि‍क पसीना आना भी इस समस्या को दर्शाता है।

hatheli aur talavon par paseena ke upchar  

पसीना आना भले ही शरीर से अवांछित तत्वों को बाहर निकालने की प्रक्रिया है जो त्वचा और शरीर की आंतरिक सफाई का एक हिस्सा है, लेकिन दूसरी ओर अधि‍क पसीना आना आपके स्वास्थ्य को बिगाड़ भी सकता है। ज्यादा पसीना नमी पैदा करता है, और इसमें पनपने वाले बैक्टीरिया आपके स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं और कई बीमारियों को पैदा करने में महत्वपूर्ण भमिका निभाते हैं।
  हाइपरहाइड्रोसिस का इलाज सामान्यत: स्वेद ग्रंथि के ऑपरेशन द्वारा होता है लेकिन अत्यधि‍क पसीने की परेशानी को आप कुछ हद तक कम कर सकते हैं।इसके लिए आपको ऐसे कपड़ों का चुनाव करना चाहिए जो पसीने को आसानी से सोख ले और आपकी त्वचा सांस ले सके।   
इसके अलावा हथेली और के तलवों में आने वाले पसीने से बचने के लिए उन्हें खुला रखना बेहद जरूरी है। दिनभर अगर आप ऑफिस में या बाहर, मोजे और जूतों से पैक रहते हैं, तो घर पर उन्हें पूरी तरह से खुला रखें। इसके अलावा जब भी संभव हो पैरों से जूते और मोजे निकाल दें। इससे पसीना कम आएगा और बैक्टीरिया भी नहीं पनपेंगे। 

hatheli aur talavon par paseena ke upchar  

 हाथों के लिए भी खुलापन बहुत जरूरी है और इसमें लगातार हवा लगती रहे इस बात का भी ध्यान रखें। हाथों को हमेशा साफ रखें और शरीर की सफाई का भी विशेष ध्यान रखें।
प्रतिदिन नहाएं और त्वचा को अच्छी तरह से पोंछकर साफ करें, इसके बाद डिओ या अन्य उत्पादों का प्रयोग करें। हो सके तो नहाने के पानी में एंटी बैक्टीरियल लिक्विड की कुछ बूंदे डाल दें।
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गांठ गलाने के रामबाण देसी उपचार:gaanth galne ke upchar

 

शरीर के किसी भी हिस्से में उठने वाली कोई भी गठान या रसौली एक असामान्य लक्षण है जिसे गंभीरता से लेना आवश्यक है। ये गठानें पस या टीबी से लेकर कैंसर तक किसी भी बीमारी की सूचक हो सकती हैं। गठान अथवा ठीक नहीं होने वाला छाला व असामान्य आंतरिक या बाह्य रक्तस्राव कैंसर के लक्षण हो सकते हैं। ज़रूरी नहीं कि शरीर में उठने वाली हर गठान कैंसर ही हो।अधिकांशतः कैंसर रहित गठानें किसी उपचार योग्य साधारण बीमारी की वजह से ही होती हैं लेकिन फिर भी इस बारे में सावधानी बरतनी चाहिए। इस प्रकार की किसी भी गठान की जाँच अत्यंत आवश्यक है ताकि समय रहते निदान और इलाज शुरू हो सके।

चूँकि लगभग सारी गठानें शुरू से वेदना हीन होती हैं इसलिए अधिकांश व्यक्ति नासमझी या ऑपरेशन के डर से डॉक्टर के पास नहीं जाते। साधारण गठानें भले ही कैंसर की न हों लेकिन इनका भी इलाज आवश्यक होता है। उपचार के अभाव में ये असाध्य रूप ले लेती हैं, परिणाम स्वरूप उनका उपचार लंबा और जटिल हो जाता है।कैंसर की गठानों का तो शुरुआती अवस्था में इलाज होना और भी ज़रूरी होता है। कैंसर का शुरुआती दौर में ही इलाज हो जाए तो मरीज के पूरी तरह ठीक होने की संभावनाएँ बढ़ जाती हैं।

आपके शरीर मे कहीं पर भी किसी भी किस्म की गांठ हो। उसके लिए है ये चिकित्सा चाहे किसी भी कारण से हो सफल जरूर होती है। कैंसर मे भी लाभदायक है।
आप ये दो औषधि पंसारी या आयुर्वेद दवा की दुकान से लेले

कचनार की छाल और गोरखमुंडी : वैसे यह दोनों जड़ी बूटी बेचने वाले से मिल जाती हैं पर यदि कचनार की छाल ताजी ले तो अधिक लाभदायक है। कचनार का पेड़ हर जगह आसानी से मिल जाता है।

gaanth galane ke upachar

कचनार इसकी सबसे बड़ी पहचान है – सिरे पर से काटा हुआ पत्ता। इसकी शाखा की छाल ले। तने की न ले। उस शाखा (टहनी) की छाल ले जो 1 इंच से 2 इंच तक मोटी हो। बहुत पतली या मोटी टहनी की छाल न ले। गोरखमुंडी का पौधा आसानी से नहीं मिलता इसलिए इसे जड़ी बूटी बेचने वाले से खरीदे।कैसे प्रयोग करे ?>कचनार की ताजी छाल 25-30 ग्राम (सुखी छाल 15 ग्राम ) को मोटा मोटा कूट ले। 1 गिलास पानी मे उबाले। जब 2 मिनट उबल जाए तब इसमे 1 चम्मच गोरखमुंडी (मोटी कुटी या पीसी हुई ) डाले। इसे 1 मिनट तक उबलने दे। छान ले। हल्का गरम रह जाए तब पी ले। ध्यान दे यह कड़वा है परंतु चमत्कारी है।

गांठ कैसी ही हो, प्रोस्टेट बढ़ी हुई हो, जांघ के पास की गांठ हो, काँख की गांठ हो गले के बाहर की गांठ हो , गर्भाशय की गांठ हो, स्त्री पुरुष के स्तनो मे गांठ हो या टॉन्सिल हो, गले मे थायराइड ग्लैण्ड बढ़ गई हो (Goiter) या LIPOMA (फैट की गांठ ) हो लाभ जरूर करती है। कभी भी असफल नहीं होती। अधिक लाभ के लिए दिन मे 2 बार ले। लंबे समय तक लेने से ही लाभ होगा। 20-25 दिन तक कोई लाभ नहीं होगा निराश होकर बीच मे न छोड़े।

gaanth galane ke upachar

गाँठ को घोलने में कचनार पेड़ की छाल बहुत अच्छा काम करती है. आयुर्वेद में कांचनार गुग्गुल इसी मक़सद के लिये दी जाती है जबकि ऐलोपैथी में ओप्रेशन के सिवाय कोई और चारा नहीं है।

आकड़े के दूध में मिट्टी भिगोकर लेप करने से तथा निर्गुण्डी के 20 से 50 मि.ली. काढ़े में 1 से 5 मि.ली अरण्डी का तेल डालकर पीने से लाभ होता है।

गेहूँ के आटे में पापड़खार तथा पानी डालकर पुल्टिस बनाकर लगाने से न पकने वाली गाँठ पककर फूट जाती है तथा दर्द कम हो जाता है।
फोडा-फुन्सी होने पर

अरण्डी के बीजों की गिरी को पीसकर उसकी पुल्टिस बाँधने से अथवा आम की गुठली या नीम या अनार के पत्तों को पानी में पीसकर लगाने से फोड़े-फुन्सी में लाभ होता है।

एक चुटकी कालेजीरे को मक्खन के साथ निगलने से या 1 से 3 ग्राम त्रिफला चूर्ण का सेवन करने से तथा त्रिफला के पानी से घाव धोने से लाभ होता है।

सुहागे को पीसकर लगाने से रक्त बहना तुरंत बंद होता है तथा घाव शीघ्र भरता है।

gaanth galane ke upachar
फोड़े से मवाद बहने पर

अरण्डी के तेल में आम के पत्तों की राख मिलाकर लगाने से लाभ होता है।

थूहर के पत्तों पर अरण्डी का तेल लगाकर गर्म करके फोड़े पर उल्टा लगायें। इससे सब मवाद निकल जायेगा। घाव को भरने के लिए दो-तीन दिन सीधा लगायें।

पीठ का फोड़ा होने पर गेहूँ के आटे में नमक तथा पानी डालकर गर्म करके पुल्टिस बनाकर लगाने से फोड़ा पककर फूट जाता है।
गण्डमाला की गाँठें (GOITRE)

गले में दूषित हुआ वात, कफ और मेद गले के पीछे की नसों में रहकर क्रम से धीरे-धीरे अपने-अपने लक्षणों से युक्त ऐसी गाँठें उत्पन्न करते हैं जिन्हें गण्डमाला कहा जाता है।

मेद और कफ से बगल, कन्धे, गर्दन, गले एवं जाँघों के मूल में छोटे-छोटे बेर जैसी अथवा बड़े बेर जैसी बहुत-सी गाँठें जो बहुत दिनों में धीरे-धीरे पकती हैं उन गाँठों की हारमाला को गंडमाला कहते हैं और ऐसी गाँठें कंठ पर होने से कंठमाला कही जाती है।

क्रौंच के बीज को घिस कर दो तीन बार लेप करने तथा गोरखमुण्डी के पत्तों का आठ-आठ तोला रस रोज पीने से गण्डमाला (कंठमाला) में लाभ होता है। तथा कफवर्धक पदार्थ न खायें।
काँखफोड़ा (बगल मे होने वाला फोड़ा)

कुचले को पानी में बारीक पीसकर थोड़ा गर्म करके उसका लेप करने से या अरण्डी का तेल लगाने से या गुड़, गुग्गल और राई का चूर्ण समान मात्रा में लेकर, पीसकर, थोड़ा पानी मिलाकर, गर्म करके लगाने से काँखफोड़े में लाभ होता है।

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