17.4.20

फिटकरी के स्वास्थ्य लाभ और नुकसान




फिटकरी (Alum) एक अद्भुत घटक है जो कि पानी को साफ करने से लेकर
त्वचा को निखारने जैसे कई फायदों के लिए उपयोग किया जाता है। फिटकरी के बहुत से प्रकार होते हैं, यह जानना बहुत आवश्यक है कि कौन सी फिटकरी (Alum) का उपयोग करना आपके लिए फायदेमंद है साथ ही इसकी सही खुराक और इसके किसी भी दुष्प्रभाव से बचने के लिए इसके उपयोग की सही विधि की जानकारी प्राप्त करना भी आवश्यक है। फिटकरी के फायदे इतने अधिक है की हर घर में इसे होना चाहिए।
आमतौर पर फिटकरी (alum) को सामान्य रूप से प्रयोग किया जाता है। जब हम फिटकरी शब्द कहते हैं तो हम में से अधिकांश लोग इसे शेविंग के बाद के लिए उपयोग की जाने वाली फिटकरी के बारे में सोचते हैं लेकिन फिटकरी के बहुत से उपयोग और लाभ हैं। फिटकरी दो तरह की होती है, लाल और सफेद। लेकिन अधिकतर घरों में सफेद फिटकरी का ही इस्तेमाल किया जाता है। पोटेशिम एलम को आमतौर पर घरेलू उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जाता है।
ऐलम को भारतीय क्षेत्रीय बोली के अनुसार फिटकरी के नाम से पुकारा जाता है, जिसे पोटेशियम ऐलम या पोटेशियम एल्‍यूमिनियम सल्‍फेट जैसे कई नामों से भी जाना जाता है। आयुर्वेद में फिटकरी को फितकारी या सौराष्‍ट्री भी कहा जाता है। आयुर्वेद समेत यूनानी चिकत्‍सा पद्यतियों में फिटकरी का व्यापक उपयोग किया जाता है।
यूनानी दवाओं में फिटकरी का प्रयोग विभिन्न उपचारों के लिए किया जाता है क्योंकि इसके गुण बाँधने वाला (astringent), दर्द हटाने वाला (Analgesic), होमियोस्टैटिक, ज्वर हटाने वाला (Antipyretic), डिटर्जेंट, संक्षारक, उत्तेजक और चिड़चिड़ाहट को दूर करने में मदद करते हैं। ऐसा भी माना जाता है कि फिटकरी के हमारे स्‍वास्‍थ्‍य के लिए फायदे बहुत अधिक और नुकसान बहुत ही कम हैं।

फिटकरी के फायदे

हमारे दैनिक जीवन में फिटकरी बहुत उपयोगी है। यह हमें सौंदर्य देखभाल से लेकर गंभीर या हल्की चोटों तक बहुत सी स्‍वास्‍थ्‍य समस्याओं को दूर करने में मदद करता है। इसलिए हर घर में फिटकरी जरूर होना चाहिए। 
अक्‍सर फिटकरी के माध्यम से पानी की अशुद्धियों को फिल्‍टर (filter impurities) करने और इसे साफ करने के लिए उपयोग किया जाता है। हालांकि इसका यही एक मात्र उपयोग नहीं है क्योंकि इसका उपयोग कई सौंदर्य और स्‍वास्‍थ्‍य कार्यों के लिए किया जाता है। यह मांसपेशीय ऐंठन को दूर करने और मुंहासों से निपटने जैसे कई स्‍वास्‍थ्‍य लाभ प्रदान करता है। आइए जाने फिटकरी किस तरह से हमें फायदे पहुंचाती है।


  आंखों के फोड़ों

की समस्या को दूर करने के लिए फिटकरी बहुत उपयोगी होती है। आंख के फोड़ों के इलाज के लिए थोड़े पानी के साथ चंदन और फिटकरी का पेस्‍ट बनाएं। इस पेस्‍ट (paste) का इस्तेमाल करने पर यह बहुत ही प्रभावी होता है। इसका उपयोग करने से फोड़ा उसी दिन फूट जाता है जिससे आंखों को आराम मिलता है। सबसे अच्छी बात यह है कि इसे कई सालों तक सुरक्षित रखा जा सकता है और जरूरत पड़ने पर फिटकरी का उपयोग फिर से किया जा सकता है।

मुंह की गंदी बदबू (foul breath) के मुख्य कारणों में से एक निश्चित रूप से बैक्‍टीरिया की उपस्थिति होती है, जो अक्‍सर विषाक्त पदार्थ और एसिड बनाते हैं। एलम माउथवाश के साथ मुंह की सफाई करने से बैक्‍टीरिया के विकास को रोका जा सकता है। इस प्रकार आप फिटकरी का उपयोग करके मुंह से आने वाली बदबू को दूर कर सकते हैं।

फटी एड़ियों का उपचार फिटकरी पाउडर के द्वारा किया जा सकता है। बस इस उपाय के लिए एक छोटे बर्तन में फिटकरी को गर्म किया जाता है। जब हम इसे गर्म करते हैं तो यह पिघलने या तरल होने के साथ फोम भी बनाता है। जब यह पूरी तरह से वाष्पित (evaporates) हो जाता है तो इसे ठंडा होने के लिए छोड़ दें। फिर इसके टुकड़ों को बारीक पाउडर बना कर नारियल के तेल के साथ मिलाकर पैरों में लगाया जाता है। ध्‍यान रहे कि फिटकरी बारीक पाउडर के रूप में हो नहीं तो इसे पैरों में लगाना मुश्किल हो सकता है। यह उपाय आपकी फटी एड़ियों (cracked heels) को राहत प्रदान करने का सबसे अच्छा उपचार है।

कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि फिटकरी में रक्तस्राव को कम करने की क्षमता होती है। आप चोट लगने पर बहते हुए खून को रोकने के लिए फिटकरी का उपयोग कर सकते हैं। लेकिन यहां याद रखें कि यदि आपकी चोट या कट बहुत गहरा है और फिटकरी के उपयोग से खून का बहना बंद नहीं हो रहा है तो आपको तुरंत ही किसी चिकित्सक की सहायता लेनी चाहिए। ऐसी स्थिति पर एल्‍यूम अवशेष (alum residue) पर निर्भर नहीं रहना चाहिए।

फिटकरी के लाभदायक गुण पेचिश के इलाज में – 

शोधकर्ताओं का दावा है कि फिटकरी पाउडर पेचिस (dysentery) के इलाज में मदद करता है। जब तक आप बेहतर महसूस न करें तब तक केवल फिटकरी पाउडर से बनी हुई चाय का सेवन करें। हालांकि इसका ज्यादा उपभोग नहीं करना चाहिए।

योनि में कसाव लाने के लिए फिटकरी का उपयोग –

ऐलम के टुकड़ों में योनि दीवारों (Vagina walls) को कसने वाले गुण होते हैं। लेकिन यह बहुत समय तक उपयोग करने के लिए असु‍रक्षित है, क्‍योंकि यह योनि ऊतकों को नुकसान पहुंचा सकते हैं और साथ ही उन्‍हें सूखा भी कर सकते हैं।
  फिटकरी पाउडर के साथ अपनी योनि को कड़ा बनाने के लिए एक बड़े टब में पानी के साथ फिटकरी को मिलाएं। आप इस टब में बैठ जाएं और सुनिश्चित करें कि आपकी योनि इस पानी में पूरी तरह से डूबी है। आप तरल फिटकरी का उपयोग स्‍पंज के साथ भी कर सकते हैं। स्‍पंज की सहायता से आप अपनी योनि को साफ करें और फिटकरी (alum) वाले पानी से धो लें।

फिटकरी का पानी पीने के फायदे ऐंठन को दूर करे –

मांसपेशीय ऐंठन को कम करने के लिए एक प्राकृतिक उपचार के रूप में फिटकरी का उपयोग किया जाता है। इसके लिए फिटकरी और हल्दी को मिलाकर सेवन करना लाभकारी होता है। फिटकरी में खून को पतला करने वाले गुण होते हैं और साथ ही हल्दी के एंटीसेप्टिक गुण आपस में मिलकर मांसपेशीय दर्द को कम करने में मदद करते हैं।
बहुत से लोगों को पता नहीं है कि फिटकरी में एंटी एजिंग (anti-ageing) गुण होते हैं, इसलिए यह समय से पहले आने वाले बुढ़ापे के लक्षणों को रोकने में मदद करता है और त्वचा को नरम, चमकदार और मनोहर (delightful) बनाता है।

फिटकरी का इस्तेमाल सिर के जूँ के इलाज में –

बालों की जूँ को खत्म करने के लिए फिटकरी का उपयोग किया जा सकता है। जूँ के उपचार के लिए फिटकरी पाउडर में थोड़ी मात्रा में चाय के पौधे के तेल के साथ (tea tree oil) पानी मिलाया जाता है। इस मिश्रण को थोड़ी देर के लिए अपने सिर पर लगाएं। यह आपके सिर से जूँ को खत्म करने में आपकी मदद करेगा।

फिटकरी का उपयोग त्वचा को गोरा बनाने के लिए –

त्वचा को गोरा बनाने के लिए फिटकरी पाउडर का उपयोग करने के सबसे अच्छे तरीकों में से एक फेस पैक के रूप में इसका इस्तेमाल करना है। जबभी त्वचा को गोरा करने की बात आती है, तो मेरा मतलब है कि काले धब्बे और निशान को हल्का करना और आपकी त्वचा को टोन और चिकनी बनाना है।
त्वचा whitening का मतलब है कि हम जिस त्वचा के साथ पैदा हुए हैं उसका रंग बदलना असंभव और अनावश्यक है क्योंकि प्रत्येक त्वचा का रंग अपने आप में खूबसूरत होता है।
जब हम नियमित रूप से फिटकरी से बना फेस पेक चेहरे पर लगाते हैं, तो यह हमारी त्वचा के लिए कुछ अद्भुत चीजें करता है: यह मुँहासे जैसी त्वचा की समस्याओं का इलाज करता है क्योंकि इसमें एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं।
यह मुँहासे के निशान, काले धब्बे को भी हल्का करता है और ब्लैकहेड को भी बनने से रोकता है। यह हमारी त्वचा को कसने के साथ मामूली कट और स्क्रैप (scrapes) भी ठीक करता है। लेकिन जब हम त्वचा whitening के लिए एलम पाउडर का उपयोग करते हैं तो हमें कुछ चीजों को याद रखना होगा।
त्वचा पर फिटकरी का उपयोग करने के साइड इफेक्ट्स – Side Effects Of Using Alum On Skin
एलम पाउडर त्वचा पर सूख सकता है इसलिए फिटकरी फेस पैक का उपयोग करने के बाद हमेशा मॉइस्चराइज़र का उपयोग करना चाहिए। फिटकरी से भी हल्का घर्षण होता है, इसलिए चेहरे के पैक को हटाते समय हमेशा सादे पानी का उपयोग करके इसे धीरे-धीरे धो लें। यदि आपकी त्वचा संवेदनशील है तो यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।
स्किन लाइटनिंग के लिए एलम का उपयोग कैसे करें?
डार्क स्पॉट्स के लिए फिटकरी और रोज़ वॉटर फेस पैक,
फिटकरी और ग्लिसरीन टोनर,

मुँहासे के निशान हटाने के लिए फिटकरी और मुल्तानी मिट्टी फेस पैक

अपनी पसंदीदा पसंद का चयन करें और इसे अच्छे परिणाम देखने के लिए नियमित रूप से साप्ताहिक या दो बार उपयोग करें

मुँहासे त्वचा की सबसे आम समस्या है और इनसे बचना असंभव है। पिंपल और इनसे होने वाली सूजन को कम करने के कई घरेलू इलाज उपलब्ध हैं। फिटकरी पाउडर के शीतलन गुणों के साथ-साथ चेहरे के मुंहासों को खत्म (eliminate pimples) करने के लिए चेहरे का मास्‍क भी तैयार किया जा सकता है।

आंतरिक और बाहरी कारकों (internal and external factors) की वजह से त्‍वचा लचीलापन खो सकती है जो रेखाओं और झुर्रियों का कारण होती है। यह आपके समय से पहले बुढ़ापे का संकेत दिखाते हैं। फिटकरी के जीवित एजेंट (surviving agents) आपकी झुर्रियों को कम करने में मदद करते हैं।

पारंपरिक रूप से बालों को हटाने के लिए फिटकरी का उपयोग किया जाता है। पुराने समय में महिलाएं अपने होंठों के ऊपर के बालों की तरह चेहरे के अवांछित बालों को हटाने (hair removal) के लिए फिटकरी का उपयोग करती थी। इसके लिए आपको करना चाहिए 
½ चम्मच फिटकरी पाउडर में 1 चम्मच गुलाब जल मिला कर मिश्रण तैयार करें। आवश्यकता पड़ने पर फिटकरी पाउडर और गुलाब जल को निश्चित अनुपात में समायोजित करें। गुलाब जल और फिटकरी का अनुपात लगभग 1:2 होना चाहिए। इस मिश्रण का उपयोग आप उस जगह पर कर सकते है जहां से आप बालों को हटाना चाहते हैं। इस मिश्रण को लगाने के बाद 20 मिनिट के लिए छोड़ दें। यदि आपको लगता है कि मिश्रण जल्दी सूख गया है तो इसकी नमी बनाए रखने के लिए आप इसमें गुलाब जल का छिड़काव कर सकते हैं। आप इस उपचार को अपने हाथ और पैरों के बालों को हटाने के लिए भी कर सकते हैं। उपयोग किये जाने वाले स्‍थान को मॉइस्‍चराइज रखने के लिए नारियल तेल का इस्तेमाल किया जा सकता है। इस मिश्रण को आंखों के आसपास उपयोग न करें।

पानी को शुद्ध

(water therapy) करने के लिए फिटकरी का उपयोग किया जाता है। गंदे पानी को साफ करने के लिए प्रति लीटर पानी में लगभग 1 ग्राम फिटकरी पाउडर मिलाएं। यह पानी में उपस्थित गंदे कणों को अलग कर आपको साफ पानी प्राप्त करने में मदद करता है। इसलिए जब भी कभी आप कैंपिंग यात्रा पर जाए तो अपने साथ फिटकरी साथ में जरूर रखें।
सदियों से दाढ़ी बनाते समय फिटकरी का उपयोग किया जा रहा है। एक बार जब आप इसका उपयोग करना शुरू कर देते हैं तो निश्चित रूप से शेव के बाद किये जाने वाले सभी महंगे खर्चो से छुटकारा मिल सकता है। पहली बार संभवतः: यह आपको पसंद नहीं (possibly not like) आएगा, हालांकि यदि आप इसका लगातार उपयोग करते हैं तो यह आपकी त्वचा के लिए फायदेमंद होता है। शेविंग के तुरंत बाद गीले चेहरे पर फिटकरी को लगाएं। आप या तो इसे धो सकते हैं या इसे कुछ देर के लिए त्वचा पर लगें रहने दे सकते हैं। पोटाश एलम का उपयोग रक्त का थक्का ज़माने के लिये किया जाता है। दाढ़ी बनाने के बाद इसे चेहरे पर रगड़ा जाता है। जिससे ब्लेड के लगने या कट जाने के कारण निकलने बाले ब्लड को रोका जा सके।

फिटकरी के नुकसान –

फिटकरी का उपयोग करने से कुछ दुष्‍प्रभाव हो सकते हैं जो इस प्रकार हैं :
पोटेशियम ऐलम (potassium alum) त्वचा को कमजोर कर सकता है।

फिटकरी खाने के नुकसान: 

फिटकरी का ज्यादा सेवन करने से पुरुषों में वीर्य और फ्रक्‍टोज (semen and fructose) का स्तर प्रभावित हो सकता है।
लंबे समय तक फिटकरी का अधिक मात्रा में सेवन कैंसर और अल्‍जाइमर (cancer and Alzheimer’s) आदि का कारण हो सकता है।
ऐलम का अधिक उपयोग आपके लिए कई समस्याएं पैदा कर सकता है जैसे कि पेचिश, त्वचा का सूखापन (Dry skin)आदि।
यदि आपकी त्वचा नाजुक (delicate skin) है तो यह त्वचा में चकते, लाली जैसी परेशानी को बढ़ा सकता है।
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16.4.20

शाबर मंत्र से समस्त रोग निवारण //Shabar mantra






शाबर मंत्र दुर्बलता का इलाज :-


तू है वीर बड़ा हनुमान |
लाल लंगोटी मुख में पान |
ऐर भगावै |
बैर भगावै |
अमुक में शक्ति जगावै |
रहे इसकी काया दुर्बल |
तो माता अंजनी की आन |
दुहाई गौरा पार्वती की |
दुहाई राम की |
दुहाई सीता की |
ले इसके पिण्ड की खबर |
ना रहे इसमें कोई कसर |
यदि कोई अकारण ही दुर्बल होता जा रहा हो और कारण समझ में नहीं आये तो इस मंत्र का 7 बार जाप करते हुए प्रत्येक मंत्र के बाद रोगी पर फूँक लगाए और यही रोगी स्वयं करता है तो रोगी खुद को फूक लगाए इसके साथ ही रोगी को हनुमान जी के मंदिर में हनुमान जी की प्रतिमा से उनके चरणों का सिन्दूर लाकर तिलक भी करें | रोगी किसी भी रोग से पीड़ित हो उसे स्वास्थ्य लाभ अवश्य मिलेगा |

शाबर मंत्र, मासिक पीड़ा का निवारण :


ॐ नमो आदेश मनसा माता का |
बड़ी – बड़ी अदरख |
पतली पतली रेश |
बड़े विष के जल फाँसी दे |
शेष गुरु का वचन न जाये खाली |
पिया पंच मुंड के बाम पद ठेली |
विषहरी राई की दुहाई |
थोड़ी सी अदरख लेकर इस मंत्र से सात बार फूंककर मासिक धर्म में होने वाली पीड़ाओं से ग्रसित स्त्री को खिलाने से मासिक पीड़ा शांत हो जाती है ||

शाबर मंत्र, नाभि का उखड़ना : 
ॐ नमो नाड़ी नाड़ी |
 नौ से नाड़ी |
 बहत्तर कोठा | 
चलै अगाड़ी | 
डिगै न कोठा |
 चले नाड़ी रक्षा करे
यती हनुमन्त कि आन | 
शब्द साँचा | 
पिंड काँचा | 
फुरे मंत्र ईश्वरोवाचा |

आप एक पीला बाँस ले ले जिसमे 9 गाँठें हो | अब रोगी को जमीन पर लिटा दे और उसकी नाभि के ऊपर यह बाँस खड़ा करके इस मंत्र का जाप करते हुए बाँस के छेद में जोर – जोर से फूंक मरते रहे इस प्रकार करने से उखड़ी हुई नाभि तुरंत ठीक हो जाती है ||


शाबर मंत्र, रोग(रोग समझ न आने पर 
) निवारण :-

ॐ नमो आदेश गुरु का |
काली कमली वाला श्याम |
उसको कहते है घनश्याम |
रोग नाशे |
शोक नाशे |
नहीं तो कृष्ण की आन |
राधा मीरा मनावे |
अमुक का रोग जावे |

जब यह समझ में नहीं आये की वास्तव में रोगी किस रोग से पीड़ित है तो इस मंत्र का जाप करते हुए रोगी को झाड़ा दे | रोगी को अवश्य लाभ मिलेगा ||

शाबर मंत्र, बवासीर का निवारण :

ॐ काका कता क्रोरी कर्ता |
ॐ करता से होय |
यरसना दश हूंस प्रकटे |
खूनी बादी बवासीर न होय |
मंत्र जान के न बताये |
द्वादश ब्रह्म हत्या का पाप होय |
लाख जप करे तो उसके वंश में न होय |
शब्द साँचा |
पिण्ड काँचा |
हनुमान का मंत्र साँचा |
फुरो मंत्र ईश्वरोवाचा


रात को पानी एक बर्तन में रख दे, सुबह होने पर उस पानी को ऊपर दिए मंत्र से 21 बार अभिमंत्रित करके गुदा प्रक्षालन करें | ऐसा करने से बवासीर कैसी भी हो शीघ्र ही ठीक हो जाती है ||
शाबर मंत्र, अनियमित मासिक-धर्म :
ॐ नमो आदेश श्री रामचंद्र सिंह गुरु का |
तोडूं गाँठ ओंगा ठाली |
तोड़ दूँ लाय |
तोड़ दूँ सरित |
परित देकर पाय |
यह देख हनुमन्त दौड़कर आये |
अमुक की देह शांति पाय |
रोग कूँ वीर भगाये |
रोग न नसै तो नरसिंह की दुहाई |
फुरे हुकुम खुदाई |







शाबर मंत्र, कमर दर्द निवारण :
चलता जाये |
उछलता जाये |
भस्म करन्ता |
डह डह जाये |
सिद्ध गुरु की आन |
महादेव की शान |
शब्द साँचा |
पिंड काँचा |
फुरो मंत्र ईश्वरो वाचा |

इस मंत्र से रोगी को झाड़ा दे | इसके बाद एक कला धागा लेकर रोगी के सर से पाँव तक नापकर अलग कर ले और इस मंत्र को 21 बार पढ़े और हर मंत्र के साथ जहां मंत्र में फुरो शब्द आता है वहां दागे पर फूंक लगते जाये | इसके बाद इस दागे को रोगी को धारण करवा दे | ऐसा करने से रोगी को दर्द से शीघ्र मुक्ति मिल जाएगी ||
शाबर मंत्र, दांत-दाढ़ के दर्द का उपाय :-

ॐ नमो आदेश गुरु का |
बन में ब्याई अञ्जनी |
जिन जाया हनुमंत |
कीड़ा मकुड़ा माकड़ा |
ये तीनों भस्मन्त |
गुरु की शक्ति |
मेरी भक्ति |
फुरे मंत्र ईश्वरो वाचा |

मंत्र प्रयोग विधि: – एक नीम की टहनी लेकर दर्द के स्थान पर छुआते हुए इस मंत्र को सात बार जपें | इस प्रकार करने से रोगी का दांत या दाढ़ का दर्द समाप्त हो जायेगा और पीड़ित व्यक्ति अपने दर्द में आराम की अनुभूति करेगा |

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शाबर मंत्र, आँख के दर्द का निवारण :-


ॐ नमो आदेश गुरु का |
समुद्र |
समुद्र में खाई |
इस (मरद) की आँख आई |
पाकै, फूटे न पीड़ा करे |
गुरु गोरख की आज्ञा करें |
मेरी भक्ति |
गुरु की शक्ति |
फुरो मंत्र ईश्वरो वाचा
मंत्र प्रयोग विधि :-
नमक की सात डली लेकर इस मंत्र का उच्चारण करते हुए सात बार झाड़ा करें तो नेत्रों (आँख) की पीड़ा दूर हो जाती है ( मंत्र में “मरद” की जगह आप रोगी भी कह सकते है या आप रोगी का नाम भी ले सकते है ||

शाबर मंत्र, समस्त रोग निवारण :-

वन में बैठी वानरी |
अंजनी जायो हनुमन्त |
बाल डमरू ब्याही बिलाई |
आँख कि पीड़ा |
मस्तक कि पीड़ा |
चौरासी बाई |
बलि बलि भस्म हो जाय |
पके न फूटे |
पीड़ा करें तो गोरखयती रक्षा करें |
गुरु कि शक्ति |
मेरी भक्ति |
फुरे मंत्र ईश्वरो वाचा |

इस मंत्र को 108 बार जाप करते हुए रोगी को झाड़ा देने से रोगी के समस्त रोग नष्ट हो जाते है ||

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21.3.20

दिल की धड़कन असामान्य होने के कारण और उपाय //dil ki dhadkan




दिल की धड़कन बिगड़ने को अतालता भी कहते है। इसमें हृदय की धड़कन असामान्‍य हो जाती हैं। ऐसे में हार्ट बीट या तो रूक-रूक कर या बहुत तेज हो जाती है। बहुत तेज धड़कनों को टेककार्डिया और धीमी धड़कनों को ब्रैडीकार्डिया कहते हैं।

अक्‍सर कई बार हम सभी के दिल की धड़कन असमान हो जाती है, मसलन दौड़ने पर या कोई खुशी की खबर मिलने के मौके पर। दिल की असमान धड़कन बार-बार होना या ज्‍यादा होना हानिकारक भी हो सकती है। यदि आपकी दिल की धड़कन न्‍यूनतम 60 और अधिकत 85 प्रति मिनट है तो यह सामान्‍य होती है। यदि आपके दिल की धड़कन इससे कम या ज्‍यादा होती है तो चिंता की बात हो सकती है। इस लेख के जरिये हम बात करते हैं दिल की असमान धड़कन के लक्षण और कारणों के बारे में।
असामान्य धड़कन के लक्षण
यह जरूरी नहीं कि यदि किसी व्‍यक्ति में दिल की असमान धड़कन से संबंधित लक्षण पाये जाते हैं तो उसे ह्दय संबंधी बीमारी हो। ऐसा भी हो सकता है कि कुछ रोगियों में हृदय की असमान धड़कन होने का कोई भी लक्षण न मिलें और डॉक्‍टर उनकी जांच के बाद उसके दिल की असमान धड़कन होने की पुष्टि कर दें। इसके लक्षण होने पर यह भी जरूरी नहीं कि उसे गंभीर समस्‍या हो। उसी तरह कुछ रोगियों को कोई भी लक्षण नहीं होने पर उनकी समस्‍या गंभीर हो सकती है। दिल की असमान धड़कन के कुछ लक्षण निम्‍नलिखित हैं।
सांस लेने में तकलीफ होना
कई बार कुछ लोगों को सांस लेने में तकलीफ होती है। यदि ऐसी समस्‍या ज्‍यादा हो तो डॉक्‍टर से परामर्श लें और उचित उपचार कराना चाहिए।
चक्‍कर आना
कभी- कभी चक्‍कर आने पर नहीं बल्कि आपको या आपके मित्र को अक्‍सर चक्‍कर आने की शिकायत रहती है तो हो सकता है कि उसका रक्‍त संचार बाधित हो रहा हो। ऐसे में दिल की असमान धड़कन होने की भी आशंका होती है।
अचानक बेहोश हो जाना
अचानक किसी का बेहोश होने भी इस रोग का बड़ा लक्षण होती है। इसलिए ऐसी किसी भी स्थिति को हल्‍के में नहीं लेना चाहिए और डॉक्‍टर से परामर्श करना चाहिए।
छाती में धड़कन होना
छाती में तेज या हल्‍की धड़कन होना इस रोग का प्रमुख लक्षण है। धड़कन हल्‍की हो या तेज दोनों ही खतरनाक हो सकती हैं।
अचानक कमजोरी आना
शरीर में अचानक कमजोरी महसूस करना या कमजोरी की वजन से किसी काम में मन न लगना इसका लक्षण हो सकता है।
एकाग्रता की समस्‍या होना
जिन लोगों को दिल की असमान धड़कन की शिकायत होती है उनमें अक्‍सर एकाग्रता की कमी पायी जाती है। ऐसा व्‍यक्ति कई बार लोगों को पहचानने में कनफ्यूज भी हो जाते हैं।
व्‍यायाम करने में परेशानी
दिल की असामान्‍य धड़कन वाले रोगियों को दौड़ने, पैदल चलने या फिर कोई मेहनत का काम करने में परेशानी होती है। इन्‍हें थोड़ा सा काम करने पर बहुत ज्‍यादा थकान का अनुभव होता है। ये ज्‍यादा लंबे समय तक काम नहीं कर पाते।
छोटी-छोटी सांसे आना
इस प्रकार के रोगियों में अक्‍सर छोटी सांसे आने की शिकायत भी पाई जाती है।
दिल की असामान्‍य धड़कन दिल की कमजोरी का प्रतीक होती है। इससे रक्‍त संचार बढ़ जाता है। दिल का आकार बढ़ने पर धड़कन बिगड़ने की शिकायत आम होती है। कई बार आपने अपने अड़ौस-पड़ौस में भी किसी के दिल का आकार बढ़ने के बारे में सुना होगा। दिल की असामान्‍य धड़कन के निम्‍न लिखित कारण हैं।
एनीमिया से ग्रसित होना
मोटे व्‍यक्ति को ऐसी समस्‍या हो सकती है।
अस्‍थमा की बीमारी होना
फेफड़ों में रक्‍त के थक्‍के जमे होना
थाइराइड की समस्‍या
फेफड़ों में इनफेक्‍शन
ज्‍यादा परिश्रम करना
बुखार या डिहाइड्रेशन की समस्‍या
शरीर में खून की कमी होना
दवाईयों का साइड इफेक्‍ट होना
धूम्रपान
हाई ब्‍लड प्रेशर
डायबिटीज
तनाव
वायु प्रदूषण
घरेलू आयुर्वेदिक उपाय -

अनार के पत्तों का घोल
आनार के 50 पत्ते पीसकर एक गिलास पानी मे मिलाकर दिन मे 2 बार सुबह शाम पीने से हृदय गति सामान्य होने मे मदद मिलती है |
प्याज-
एक कच्चा प्याज नित्य खाना हृदय गति को सामान्य बनाने मे सहायक है|प्याज का रस हृदय की कई बीमारियों मे लाभप्रद माना गया है|
*पैर के अंगूठे मे काला धागा बांधने से हृदय रोगों मे आशातीत फायदा होता है|औरतों मे ज्यादा प्रभावशाली उपाय है|
सूखा धनिया-
हृदय गति सामान्य करने के लिए सूखा धनिया और मिश्री समान मात्रा मे मिलाकर चूर्ण बनालें |एक चम्मच रोज पानी के साथ लें|
अंगूर
अंगूर का नियमित सेवन करना हृदय की धड़कन को सामान्य बनाने मे सहायक उपाय है|
गाजर-
हृदय कि धड़कन बढ़ने और रक्त गाढ़ा होने मे गाजर विशेष रूप से प्रभावकारी होती है|
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    11.3.20

    याददाश्त (मेमोरी पावर)बढ़ाने के आयुर्वेदिक घरेलू उपाय

    स्मरण शक्ति की कमजोरी या विकृति से विद्यार्थी और दिमागी काम करने वालों को असुविधाजनक स्थिति से रुबरु होना पडता है। यह कोई रोग नहीं है और न किसी रोग का लक्षण है। इसकी मुख्य वजह एकाग्रता(कन्संट्रेशन) की कमी होना है। स्मरण शक्ति बढाने के लिये दिमाग को सक्रिय रखना आवश्यक है। शरीर और मस्तिष्क की कसरतें अत्यंत लाभदायक होती हैं। किसी बात को बार-बार रटने से भी स्मरण शक्ति में इजाफ़ा होता है और वह मस्तिष्क में द्रडता से अंकित हो जाती है। आजकल कई तरह के विडियो गेम्स प्रचलन में हैं । ये खेल भी मस्तिष्क को ताकतवर बनाने में सहायक हो सकते हैं|पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित पहेलियां हल करने से भी मस्तिष्क की शक्ति बढती है।
    मैं नीचे कुछ ऐसे सरल उपचार प्रस्तुत कर रहा हूं जो मेमोरी पावर बढाने मे अत्यंत उपकारी सिद्ध होते हैं--
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    १) बादाम ९ नग रात को पानी में गलाएं।सुबह छिलके उतारकर बारीक पीस कर पेस्ट बनालें। अब एक गिलास दूध गरम करें और उसमें बादाम का पेस्ट घोलें। इसमें ३ चम्मच शहद भी डालें। मामूली गरम हालत में पीयें। यह मिश्रण पीने के बाद दो घंटे तक कुछ न लें। यह स्मरण शक्ति वृद्दि करने का जबर्दस्त उपचार है। दो महीने तक करना ठीक रहेगा|
    २) ब्राह्मी दिमागी शक्ति बढाने की मशहूर जडी-बूटी है। इसका एक चम्मच रस नित्य पीना हितकर है। इसके ७ पत्ते चबाकर खाने से भी वही लाभ मिलता है। ब्राह्मी मे एन्टी ओक्सीडेंट तत्व होते हैं जिससे दिमाग की शक्ति घटने पर रोक लगती है।



    ३) अखरोट जिसे अंग्रेजी में वालनट कहते हैं स्मरण शक्ति बढाने में सहायक है। नियमित उपयोग हितकर है। २० ग्राम वालनट और साथ में १० ग्राम किशमिस लेना चाहिये|






    ४) एक सेवफ़ल नित्य खाने से कमजोर मेमोरी में लाभ होता है। भोजन से १० मिनिट पहिले खाएं।
    ५) जिन फ़लों में फ़ास्फ़ोरस तत्व पर्यात मात्रा में पाया जाता है वे स्मरण शक्ति बढाने में विशेषतौर पर उपयोगी होते है। अंगूर ,खारक ,अंजीर एवं संतरा दिमागी ताकत बढाने के लिये नियमित उपयोग करना चाहिये।६) भोजन में कम शर्करा वाले पदार्थ उपयोगी होते हैं। पेय पदार्थों में भी कम चीनी का प्रयोग करना चाहिये।इन्सुलीन हमारे दिमाग को तेज और धारदार बनाये रखने में महती भूमिका रखता है। इसके लिये मछली बहुत अच्छा भोजन है। मछली में उपलब्ध ओमेगा ३ फ़ेट्टी एसीड स्मरण शक्ति को मजबूती प्रदान करता है।शाकाहारी लोग मछली के बजाय अलसी बीज का पावडर बनाकर तीन छोटा चम्मच भर पानी के साथ लेकर लाभ प्राप्त कर सकते हैं|
    ७) दालचीनी का पावेडर बनालें। १० ग्राम पावडर शहद में मिलाकर चाटलें। कमजोर दिमाग की अच्छी दवा है।
    ८) धनिये का पावडर दो चम्मच शहद में मिलाकर लेने से स्मरण शक्ति बढतीहै।
    ९) आंवला का रस एक चम्मच २ चम्मच शहद मे मिलाकर उपयोग करें। भुलक्कडपन में आशातीत लाभ होता है।
    १०) अदरक ,जीरा और मिश्री तीनों को पीसकर लेने से कम याददाश्त की स्थिति में लाभ होता है।

    ११) दूध और शहद मिलाकर पीने से भी याद दाश्त में बढोतरी होती है।विद्यार्थियों के लिये फ़ायदेमंद उपचार है।२५० मिलि गाय के दूध में २ चम्मच शहद मिलाकर उपयोग करना चाहिये।
    १२) तिल में स्मरण शक्ति वृद्दि करने के तत्व हैं। २० ग्राम तिल और थोडा सा गुड का तिलकुट्टा बनाकर नित्य सेवन करना परम हितकार उपचार है।
    १३) काली मिर्च का पावडर एक चम्मच असली घी में मिलाकर उपयोग करने से याददाश्त में इजाफ़ा होता है।

    १४) गाजर में एन्टी ओक्सीडेंट तत्व होते हैं। इससे रोग प्रतिरक्षा प्राणाली ताकतवर बनती है। दिमाग की ताकत बढाने के उपाय के तौर पर इसकी अनदेखी नहीं करना चाहिये।



    १५) आम रस (मेंगो जूस) मेमोरी बढाने में विशेष सहायक माना गया है। आम रस में २ चम्मच शहद मिलाकर लेना उचित है।
    १६) पौष्टिकता और कम वसा वाले भोजन से अल्जाईमर्स नामक बीमारी होने का खतरा कम रहता है और दिमाग की शक्ति में इजाफ़ा होता है इसके लिये अपने भोजन में ताजा फ़ल-सब्जियां.मछलियां ,ओलिव आईल आदि प्रचुरता से शामिल करें।
    १७) तुलसी के ९ पत्ते ,गुलाब की पंखुरी और काली मिर्च नग एक खूब चबा -चबाकर खाने से दिमाग के सेल्स को ताकत मिलती है।



    १८) गेहूं के जवारे का जूस याद दाश्त बढाने के मामले बहूत उपयोगी बताया जा रहा है| इस जूस में थोड़ी शकर और ७ नग बादाम का पेस्ट भी मिलाकर पीना अधिक गुणकारी सिद्ध होता है|


    १९) चाय में भरपूर एन्टी आक्सीडेंट तत्व पाए जाते हैं जो हमारी मेमोरी को धारदार बनाने में सहायक साबित होती है| इसमें पालीफीनोल तत्त्व होता है जो स्मरण शक्ति बढाता है| दो चाय रोज पीना उचित है|
    २०) अखरोट एन्टी आक्सी डेंट से भरपूर है| इसमें उच्च कोटि की प्रोटीन होती है\ | शरीर में मौजूद प्राकृतिक रसायनों को नष्ट होने से बचाने में एन्टी आक्सीडेंट तत्वों की महती भूमिका रहती है| रोजाना अखरोट के सेवन से मेमोरी बढ़ती है
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    5.3.20

    एयर कंडीशनर के होते हैं शरीर पर दुष्प्रभाव












    एयर कंडीशनर गर्म तापमान से राहत देकर आपको ठंडक और सुकून का एहसास कराता है, वह भी बगैर शोर शराबे के। यही कारण है कि अब पंखे और कूलर से ज्यादा एसी का चलन तेजी से बढ़ रहा है। दफ्तर में तो पूरे आठ घंटे आप एसी में बैठते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि लंबे समय तक एसी में बैठना आपके लिए बेह हानिकारक हो सकता है? अगर नहीं जानते, तो अब जरूर जान लीजिए...

    *मोटापा -

    आपको जानकर हैरानी होगी, लेकिन यह पूरी तरह सच है कि एसी के इस्तेमाल से आपके शरीर में मोटापा बढ़ सकता है। तापमान कम होने के कारण हमारा शरीर अधिक सक्रिय नहीं हो पाता और शरीर की ऊर्जा का सही मात्रा में उपयोग नहीं हो पाता, जिससे मोटापा बढ़ता है।

    *त्वचा की समस्याएं -

    एसी के दुष्प्रभाव आपकी त्वचा पर भी दिखाई देते हैं। यह आपकी त्वचा की प्राकृतिक नमी समाप्त कर सकता है जिससे आपकी त्वचा में रूखापन महसूस होता है।

    *रक्तसंचार -

    एसी में बैठने से शारीरिक तापमान कृत्रिम तरीके से ज्यादा कम हो जाता है जिससे कोशिकाओं में संकुचन होता है और सभी अंगों में रक्त का संचार बेहतर तरीके से नहीं हो पाता, जिससे शरीर के अंगों की.क्षमता प्रभावित होती है।

    * बुखार या थकान -

    लंबे समय तक एसी में रहने से आपको लगातार हल्का बुखार और थकान बने रहने की समस्या हो सकती है। इतना ही नहीं इसका तापमान ज्यादा कम करने पर आपको सिरदर्द और चिड़चिड़ाहट महसूस हो सकती है। अगर आप एसी से निकलकर सामान्य तापमान या गर्म स्थान पर जाते हैं तो आप लंबे समय तक बुखार से पीड़ित हो सकते हैं।

    *जोड़ों में दर्द -


    लगातार एसी के कम तापमान में बैठना सिर्फ घुटनों की समस्या ही नहीं देता बल्कि आपके शरीर के सभी जोड़ों में दर्द के साथ-साथ अकड़न पैदा करता है और उनकी कार्यक्षमता धीरे-धीरे कम होने लगती है। आगे चलकर यह हड्ड‍ियों से जुड़ी बीमारियों को जन्म भी दे सकता है।

    *ब्लडप्रेशर व अस्थमा -


    अगर आपके ब्लडप्रेशर संबंधित समस्याएं हैं तो आपको एसी से परहेज करना चाहिए। यह लो ब्लडप्रेशर के लिए जिम्मेदार हो सकता है और सांस संबंधी समस्याएं भी पैदा कर सकता है। अस्थमा के मरीजों को भी एसी के संपर्क में आने से बचना चाहिए। .

    सावधानियाँ-

    *ऐसे कई ऑफिस होते हैं जहां पूरे दिन AC में बैठना मजबूरी होती है। ऐसी स्थिति में हर एक या दो घंटे में 5 से 7 मिनट के लिए ऑफिस के ही ऐसे स्थान पर जाएं जहां AC की कूलिंग नहीं हो (AC से सीधे धूप में ना जाएं)।

    *अगर संभव हो तो AC को हर एक या दो घंटे में कुछ समय के लिए बंद कर दें।
    *AC की हवा का एक्सपोजर सीधे सिर या आंखों पर न हो।
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    4.3.20

    सेमल के आयुर्वेदिक और औषधीय गुण//semal tree



     

       सेमल की रूई रेशम सी मुलायम और चमकीली होती है और गद्दों तथा तकियों में भरने के काम में आती है, क्योंकि यह काती नहीं जा सकती । । आयुर्वेद में सेमल बहुत उपकारी ओषधि मानी गई है । यह मधुर, कसैला, शीतल, हलका, स्निग्ध, पिच्छिल तथा शुक्र और कफ को बढ़ानेवाला कहा गया है । सेमल की छाल कसैली और कफनाशक; फूल शीतल, कड़वा, भारी, कसैला, वातकारक, मलरोधक, रूखा तथा कफ, पित्त और रक्तविकार को शांत करनेवाला कहा गया है । फल के गुण फूल ही के समान हैं ।

    Semal के नए पौधे की जड़ को सेमल का मूसला कहते हैं, जो बहुत पुष्टिकारक, कामोद्दीपक और नपुंसकता को दूर करनेवाला माना जाता है । Semal का गोंद मोचरस कहलाता है । यह अतिसार को दूर करनेवाला और बलकारक कहा गया है । इसके बीज स्निग्धताकारक और मदकारी होते है; और काँटों में फोड़े, फुंसी, घाव, छीप आदि दूर करने का गुण होता है ।

    सेमल का विभिन्न रोगों में उपयोग

    Semal वृक्ष के फल, फूल, पत्तियाँ और छाल आदि का विभिन्न प्रकार के रोगों का निदान करने में प्रयोग किया जाता है। जैसे-

    स्तन में शिथिलता :-

     स्तन में शिथिलता हो तो इसके काँटो पर बनने वाली गांठों को घिसकर लगायें 10-15 दिन में ही स्तन की शिथिलता ख़तम हो जायेगी 

    ढूध बढाने में सहायक :- अगर माताओं को दूध कम आता हो तो इसकी जड़ की छाल का पावडर लें .

    ताकत के लिए :- 

    अगर शरीर में कमजोरी है तो इसके डोडों का पावडर एक-एक चम्मच घी के साथ सवेरे शाम लें और साथ में दूध पीयेंखांसी में लाभदायक :- अगर खांसी हो तो सेमल की जड़ का पावडर काली मिर्च और सौंठ बराबर मात्रा में मिलाकर लें .

    आँखों के निचे काले घेरों के लिए :-

    सेमल के तने पर नुकीले कांटे होते हैं, इन काँटों को इकठ्ठा करके इन्हें कुचल कर इसका चूर्ण तैयार किया जाये और करीब आधा चम्मच चूर्ण को 5 मिलीलीटर मतलब लगभग एक चम्मच दूध में मिला लिया जाये और इस मिश्रण को आँखों के नीचे काले धब्बों वाले स्थान पर लगाये और करीब आधे घंटे तक लगा रहने दें और बाद में इसे साफ़ पानी से धो लें. सुबह और रात में इस नुस्खे को एक महीने तक लगातार दोहराएँ तो काफी लाभ मिलेगा

    प्रदर रोग – 


    सेमल के फूलों की सब्जी देशी घी में भूनकर सेवन करने से प्रदर रोग में लाभ मिलता है।

    गिल्टी या ट्यूमर –

     सेमल के पत्तों को पीसकर लगाने या बाँधने से गाँठों की सूजन कम हो जाती है।

    रक्तप्रदर –

     इस वृक्ष की गोंद एक से तीन ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से रक्तप्रदर में बहुत अधिक लाभ मिलता है।

    लकड़ी का उपयोग :- 

    इसकी लकड़ी पानी में खूब ठहरती है और नाव बनाने के काम में आती है

    फोड़े फुंसी होने पर :-


     चेहरे पर फोड़े फुंसी हों तो इसकी छाल या काँटों को घिसकर लगा लो

    आंव (colitis) :-


     इसके फूल के डोडों की सब्जी खाने से आंव (colitis) की बीमारी ठीक होती है

    प्रदर रोग – 


    सेमल के फलों को घी और सेंधा नमक के साथ साग के रूप में बनाकर खाने से स्त्रियों का प्रदर रोग ठीक हो जाता है।

    जख्म – 

    इस वृक्ष की छाल को पीस कर लेप करने से जख्म जल्दी भर जाता है।

    रक्तपित्त –

     सेमल के एक से दो ग्राम फूलों का चूर्ण शहद के साथ दिन में दो बार रोगी को देने से रक्तपित्त का रोग ठीक हो जाता है।

    आग से जलने पर –

     इस वृक्ष की रूई को जला कर उसकी राख को शरीर के जले हुए भाग पर लगाने से आराम मिलता है।

    नपुंसकता –

     दस ग्राम सेमल के फल का चूर्ण, दस ग्राम चीनी और 100 मिलीलीटर पानी के साथ घोट कर सुबह-शाम लेने से बाजीकरण होता है और नपुंसकता भी दूर हो जाती है।

    पेचिश – 

    यदि पेचिश आदि की शिकायत हो तो सेमल के फूल का ऊपरी बक्कल रात में पानी में भिगों दें। सुबह उस पानी में मिश्री मिलाकर पीने से पेचिश का रोग दूर हो जाता है।

    *अतिसार - 

    सेमल वृक्ष के पत्तों के डंठल का ठंडा काढ़ा दिन में तीन बार 50 से 100 मिलीलीटर की मात्रा में रोगी को देने से अतिसार (दस्त) बंद हो जाते हैं।

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