25.1.20

गुर्दे की पथरी की हर्बल औषधि बताओ :kidney stone herbal medicine



किडनी स्टोन या किडनी में पथरी होना एक आम समस्या है। गुर्दे की पथरी से बहुत से लोग पीड़ित होते हैं। किडनी की पथरी की समस्या किसी भी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकती है। यह महिला और पुरुष दोनों पर समान प्रभाव डालती है। किडनी की पथरी अगर छोटी हो तो यह अपने आप बाहर निकल आती है लेकिन मध्यम या बड़ी आकार की पथरी होने पर इलाज की जरुरत पड़ती है। पथरी के दर्द को कम करने के लिए कई घरेलू उपचार मौजूद है। इसके साथ ही किडनी की पथरी को कई घरेलू नुस्खे की मदद से भी तोड़ा भी जा सकता है। अगर गुर्दे की पथरी शुरूआती स्टेज में है तो पथरी के घरेलू उपायों से इसके लक्षणों को दूर किया जा सकता है। आइये जानते हैं किन घरेलू उपायों से अपने आप निकल जाएगी किडनी की पथरी।
गुर्दे की पथरी या किडनी स्टोन क्रिस्टलयुक्त खनिज और लवण होते हैं जो डिहाइड्रेशन (पानी की कमी) के कारण बनते हैं। गुर्दे में पथरी तब बनती है जब मिनरल और साल्ट जैसे कैल्सियम ऑक्जलैट किडनी में क्रिस्टलीकृत होकर जमने लगते हैं और कठोर होकर जमा हो जाते हैं। हालांकि पथरी किडनी में ही बनती है लेकिन यह यूरिनरी ट्रैक्ट को भी प्रभावित करती है। किडनी स्टोन को कैल्कुली (calculi) या यूरोलिथियासिस भी कहते हैं।

पथरी होने के कारण

गुर्दे में पथरी या किडनी स्टोन आमतौर पर एक नहीं बल्कि कई कारणों से होती है। गुर्दे की पथरी तब होती है जब यूरिन में कैल्शियम, ऑक्जलेट और यूरिक एसिड जैसे पदार्थ जमा होकर अधिक मात्रा में क्रिस्टल का निर्माण करते हैं और यूरिन के फ्लुइड को पतला कर देते हैं। इस दौरान यूरिन में क्रिस्टल को एक दूसरे से जोड़ने से रोकने वाले पदार्थों की कमी हो जाती है जिससे किडनी में पथरी बन जाती है। इसके अलावा यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन, रिनल ट्यूबुलर एसिडोसिस, हाइपरथायरॉयडिज्म सहित कई बीमारियों के कारण किडनी की पथरी हो सकती है।

पथरी के लक्षण 

आमतौर पर किडनी स्टोन के लक्षण तब तक पता नहीं चल पाते हैं जब तक पथरी किडनी के चारों ओर घूमने नहीं लगती या किडनी और ब्लैडर के बीच स्थित मूत्रवाहिनी में नहीं आ जाती है। उसके बाद किडनी की पथरी के ये लक्षण सामने आते हैं:
पसलियों के नीचे और पीठ में तेज दर्द
पेशाब के दौरान दर्द
गुलाबी, लाल या भूरे रंग की यूरिन
पेशाब से तीक्ष्ण दुर्गंध आना
मितली और उल्टी होना
इस विडिओ मे जानें पथरी के बारे मे अचूक इलाज 



बार-बार पेशाब लगना
सामान्य से अधिक पेशाब होना
इंफेक्शन
ठंड लगना और बुखार
कम मात्रा में पेशाब होना
इसके साथ ही किडनी स्टोन के कारण शरीर के विभिन्न हिस्सों में हल्का और गंभीर दर्द भी होता रहता है।
गुर्दे की पथरी एक आम समस्या है जिसे घरेलू उपचार से भी काफी हद तक ठीक किया जा सकता है। घर में ऐसी कई चीजें मौजूद होती हैं जिनमें भरपूर मात्रा में औषधीय गुण पाये जाते हैं और ये वस्तुएं किडनी की पथरी को बढ़ने से रोकने के साथ ही दर्द में भी राहत देती हैं।

पथरी का घरेलू इलाज पानी

किडनी की पथरी का सबसे आसान घरेलू उपचार है पानी। किडनी स्टोन होने पर रोजाना सामान्य रुप से 8 गिलास पानी पीने की बजाय 12 गिलास पानी पीने से पथरी का ग्रोथ रुक जाता है। वास्तव में गुर्दे की पथरी का एक बड़ा कारण डिहाइड्रेशन (पानी की कमी) है। शरीर में पानी की कमी होने पर यह बीमारी उत्पन्न होती है।
पानी किसी भी बीमारी को दूर करने में कितना मददगार साबित हो सकता है, इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं की केवल पानी पीने से ही पथरी को बाहर किया जा सकता है। इसलिए अधिक से अधिक पानी पीने के साथ ही यूरिन के रंग पर भी ध्यान देना चाहिए। आपके यूरिन का रंग लाइट और कम पीला होना चाहिए। यदि आपका यूरिन का रंग गहरा पीला है तो इसका मतलब यह है कि आपके शरीर में पानी की कमी हो गई है। अगर गुर्दे की पथरी का आकर छोटा है तो इसे अधिक मात्रा में पानी पीकर बाहर निकाला जा सकता है।
नींबू से पथरी का इलाज किया जा सकता है। नींबू से पथरी का इलाज भी बहुत आसान है और इस घरेलू उपाय को बहुत से लोग आजमाते हैं। नींबू में साइट्रेट नामक रसायन पाया जाता है जो गुर्दे में कैल्शियम स्टोन बनने से रोकता है। इसके साथ ही साइट्रेट किडनी की पथरी को छोटी-छोटी पथरी में ब्रेक करता है और उन्हें बढ़ने से रोकता है। किडनी स्टोन के घरेलू इलाज के रुप में सबसे पहले एक बार सुबह खाली पेट नींबू पानी और रात के खाने के कुछ घंटे पहले नींबू पानी का सेवन करना चाहिए। यह घरेलू उपाय करने से कई बार किडनी स्टोन को निकालने के लिए ऑपरेशन की जरुरत भी नहीं पड़ती है। अगर आप बिना सर्जरी के किडनी स्टोन को ठीक करना चाहते हैं (Remove Kidney Stones Without Surgery), तो आपको यह नुस्खा रोज करना होगा।

तुलसी का  रस 

पथरी तोड़ने की दवा के रुप में तुलसी के रस का इस्तेमाल भी किया जाता है। यह किडनी की पथरी निकालने का घरेलू नुस्खा माना जाता है। जिससे किडनी स्टोन से राहत पाने में मदद मिलती है। तुलसी में एसिटिक एसिड पाया जाता है जो गुर्दे की पथरी को तोड़ता है और दर्द कम करने में मदद करता है। इसके साथ ही तुलसी पोषक तत्वों से भरपूर है।
आमतौर पर तुलसी को पाचन और सूजन की समस्याओं को दूर करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। एंटीऑक्सीडेंट और एंटीइंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर होने के कारण तुलसी का रस किडनी की पथरी के घरेलू उपचार में मदद करता है। किडनी की पथरी निकालने के लिए तुलसी की ताजी पत्तियों की चाय दिन में कई बार सेवन करें। इसके साथ ही तुलसी की पत्तियों का जूस पीने से भी गुर्दे की पथरी ठीक हो जाती है। हालांकि छह सप्ताह से ज्यादा तुलसी के रस का सेवन नहीं करना चाहिए। 

सेब का सिरका

किडनी की पथरी का देसी इलाज है सेब का सिरका। इसमें पर्याप्त मात्रा में एसिटिक एसिड पाया जाता है जो गुर्दे की पथरी को गलाने में मदद करता है। इसके साथ ही यह पथरी के कारण होने वाले दर्द को भी कम करता है। किडनी स्टोन को गलाने के लिए एक गिलास पानी में एक चम्मच एपल साइडर विनेगर मिलाकर दिन में कई बार सेवन करें। सेब के सिरके का इस्तेमाल सलाद में भी किया जा सकता है। हालांकि यदि आपको डायबिटीज है या आप इंसुलिन, डिगॉक्सिन या कोई डाइयूरेटिक दवा ले रहे हों तो आपको सेब के सिरके का सेवन नहीं करना चाहिए।

 अजवाइन का रस

किडनी की पथरी के लिए अजवाइन का रस बेहद फायदेमंद है। यह विषाक्त पदार्थों को दूर करके किडनी स्टोन बनने से रोकने में मदद करती है। अजवाइन में एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है जो पेशाब की मात्रा को बढ़ाता है और किडनी स्टोन को पेशाब के माध्यम से बाहर निकालने में प्रभावी तरीके से कार्य करता है। अजवाइन के रस को पानी में मिलाएं और पूरे दिन में कई पानी सेवन करें। लेकिन यदि आपको किसी तरह की ब्लीडिंग होती हो या लो ब्लड प्रेशर से पीड़ित हों एवं दवाओं का सेवन कर रहे हों तो डॉक्टर से परामर्श लेकर ही अजवाइन के रस का सेवन करना चाहिए।


व्हीटग्रास जूस 

व्हीटग्रास जूस पथरी के घरेलू इलाज के काम आता है। व्हीटग्रास जूस में कई तरह के पोषक तत्व पाये जाते हैं जो यूरिन को बढ़ाते हैं और पेशाब के माध्यम से किडनी स्टोन को बाहर निकालने में मदद करते हैं। किडनी स्टोन को निकालने के लिए रोजाना दिन में कई बार व्हीटग्रास जूस का सेवन करना चाहिए। इससे गुर्दे की पथरी बढ़ती भी नहीं है और उससे होने वाले दर्द में भी आराम मिलता है।

 अनार का रस

किडनी स्टोन के असहनीय दर्द के इलाज के लिए अनार का रस उपयोगी होता है। किडनी से जुड़ी सभी समस्याओं के लिए अनार के रस का इस्तेमाल सदियों से होता आ रहा है। यह सिस्टम से पथरी और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। अनार के रस में एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है जो यूरिन के एसिडिक लेवल को कम करता है और गुर्दे की पथरी को बढ़ने से रोकता है। दिन में कई बार अनार का जूस पीने से किडनी स्टोन के असहनीय दर्द से राहत पाया जा सकता है।

ऑलिव ऑयल

एक्स्ट्रा वर्जिन ऑलिव ऑयल किडनी स्टोन का घरेलू इलाज है। यह ऑयल काभी गाढ़ा और पोषक तत्वों से समृद्ध होता है जो मूत्रमार्ग को चिकना करके किडनी स्टोन को बाहर निकालने में मदद करता है। एक गिलास पानी में वर्जिन ऑलिव ऑयल की कुछ बूंदे मिलाकर सुबह दोपहर और शाम को सेवन करने से किडनी स्टोन टूट जाता है और दर्द एवं बेचैनी भी कम हो जाती है।

किडनी स्टोन का होना आपकी सेहत पर बुरा असर डाल सकता हैं। इसलिए यह जरूरी हो जाता है कि आप गुर्दे की पथरी के लक्षण को पहचान कर समय रहते ही इसके लिए इलाज तलाश लें। अक्सर लोग किडनी स्टोन के घरेलू उपाय आजमाते हैं, जो इस्तेमाल में आसान और किडनी स्टोन को घोलकर पेशाब के माध्यम से बाहर निकालने में मददगार होते हैं। यदि आप भी किडनी स्टोन की बीमारी से जूझ रहें है तो इस लेख में बताये गए किडनी स्टोन को निकालने के लिए घरेलू इलाज को आजमा सकते हैं। हालांकि यह थोड़ा असुविधाजनक हो सकता है, लेकिन अपने दम पर गुर्दे की पथरी को बाहर करना संभव है।
पथरी ठीक होने तक उपचार जारी रखना सुनिश्चित करें, और शराब न पियें।
आप इन उपायों को अपने सामान्य आहार में शामिल कर सकते हैं और पथरी की बीमारी ठीक होने के बाद भी इनका उपयोग जारी रख सकते हैं। यह फिर से पथरी बनने से रोकने में मदद कर सकते है।
विशिष्ट परामर्श-




पथरी के भयंकर दर्द को तुरंत समाप्त करने मे हर्बल औषधि सर्वाधिक कारगर साबित होती है,जो पथरी- पीड़ा बड़े अस्पतालों के महंगे इलाज से भी बमुश्किल काबू मे आती है इस औषधि की 2-3 खुराक से आराम लग जाता है| वैध्य श्री दामोदर 9826795656 की जड़ी बूटी - निर्मित दवा से 30 एम एम तक के आकार की बड़ी पथरी भी आसानी से नष्ट हो जाती है|
गुर्दे की सूजन ,पेशाब मे जलन ,मूत्रकष्ट मे यह औषधि रामबाण की तरह असरदार है| आपरेशन की जरूरत ही नहीं पड़ती|  पथरी न गले तो औषधि  मनीबेक गारंटी युक्त है|
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4.1.20

समस्त वात रोग नाशक नुस्खे


वात रोग लक्षण एवं परेशानी


इस रोग के कारण शरीर के सभी छोटे-बडे जोडो व मांसपेशियों में दर्द व सूजन हो जाती है। गठिया में शरीर के एकाध जोड़ में प्रचण्ड पीड़ा के साथ लालिमायुक्त सूजन एवं बुखार तक आ जाता है। यह रोग शराब व मांस प्रेमियों को सामान्य व्यक्तियों की अपेक्षा जल्दी पकड़ता है। यह धीरे-धीरे शरीर के सभी जोड़ों तक पहुँचता है। संधिवात उम्र बढ़ने के साथ मुख्यतः घुटनों एवं पैरों के मुख्य जोड़ों को क्रमशः अपनी गिरफ्त में लेता हैं।
वात रोग की शुरूआत धीरे-धीरे होती है। शुरू में सुबह उठने पर हाथ पैरों के जोडा में कड़ापन महसूस होता है और अंगुलियाँ चलाने में परेशानी होती है। फिर इनमें सूजन व दर्द होने लगता है और अंग-अंग दर्द से ऐंठने लगता है जिससे शरीर में थकावट व कमजोरी महसूस होती है। साथ ही रोगी चिड़चिड़ा हो जाता है। इस रोग की वजह सेे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम पड़ जाती है। इसी के साथ छाती में इन्फेक्शन, खांसी, बुखार तथा अन्य समस्यायें उत्पन्न हो जाती है। साथ ही चलना फिरना रुक जाता है।


इन सबसे खतरनाक कुलंग वात होता है। यह रोग कुल्हे, जंघा प्रदेश एवं समस्त कमर को पकड़ता है एवं रीढ़ की हड्डी को प्रभावित करता है। इस रोग में तीव्र चिलकन (फाटन) जैसा तीव्र दर्द होता है और रोगी बेचैन हो जाता है, यहाँ तक कि इसमें मृत्यु तुल्य कष्ट होता है। यह रोग की सबसे खतरनाक स्टेज होती है ।इस का रोगी दिन-रात दर्द से तड़पता रहता है और कुछ समय पश्चात् चलने-फिरने के काबिल भी नहीं रह जाता है। वह पूर्णतया बिस्तर पकड़ लेता है और चिड़चिड़ा हो जाता है।
भले ही आपको यकीन न हो, लेकिन सिर्फ एक दवा का प्रयोग कर आप 80 प्रकार के वात रोगों से बच सकते हैं। जी हां, इस दवा का सेवन करने से आप कठिन से कठिन बीमारियों से पूरी तरह से निजात पा सकते हैं। अगर आपको भी होते हैं वात रोग, तो पहले जानिए इस चमत्कारिक दवा और इसकी प्रयोग विधि के बारे में...
विधिः
200 ग्राम लहसुन छीलकर पीस लें। अब लगभग 4 लीटर दूध में लहसुन व 50 ग्राम गाय का घी मिलाकर गाढ़ा होने तक उबालें। फिर इसमें 400 ग्राम मिश्री, 400 ग्राम गाय का घी तथा सौंठ, काली मिर्च, पीपर, दालचीनी, इलायची, तमालपात्र, नागकेशर, पीपरामूल, वायविडंग, अजवायन, लौंग, च्यवक, चित्रक, हल्दी, दारूहल्दी, पुष्करमूल, रास्ना, देवदार, पुनर्नवा, गोखरू, अश्वगंधा, शतावरी, विधारा, नीम, सुआ व कौंच के बीज का चूर्ण प्रत्येक 3-3 ग्राम मिलाकर धीमी आंच पर हिलाते रहें। जब मिश्रण घी छोड़ने लगे लगे और गाढ़ा मावा बन जाए, तब ठंडा करके इसे कांच की बरनी में भरकर रखें।
प्रयोग :
प्रतिदिन इस दवा को 10 से 20 ग्राम की मात्रा में, सुबह गाय के दूध के साथ लें (पाचनशक्ति उत्तम हो तो शाम को पुनः ले सकते हैं।)परंतु ध्यान रखें, इसका सेवन कर रहे हैं तो भोजन में मूली, अधिक तेल व घी तथा खट्टे पदार्थों का सेवन न करें और स्नान व पीने के लिए गुनगुने पानी का प्रयोग करें।
इससे पक्षाघात (लकवा), अर्दित (मुंह का लकवा), दर्द, गर्दन व कमर का दर्द,अस्थिच्युत (डिसलोकेशन), अस्थिभग्न (फ्रेक्चर) एवं अन्य अस्थिरोग, गृध्रसी (सायटिका), जोड़ों का दर्द, स्पांडिलोसिस आदि तथा दमा, पुरानी खांसी,हाथ पैरों में सुन्नता अथवा जकड़न, कंपन्न आदि के साथ 80 वात रोगों में लाभ होता है और शारीरिक विकास होता है।
दवा के प्रयोग से पूर्व, अपनी प्रकृति के अनुसार किसी उत्तम वैद्य की सलाह अवश्य लें।

वातान्तक बटीः-
सोंठ,सुहागा,सोंचर गांधी,सहिजन के संग गोली बांधी।
80वात 84बाय कहै धनवन्तरि जड़  से जाये।।
विधि: सोंठ 50 ग्राम, सुहागा 50 ग्राम, सोंचर (काला नमक) 50 ग्राम, गांधी(हींग) 50 ग्राम, सहिजन (मुनगा) की छाल का रस आवश्यकतानुसार, सबसे पहले कच्चे सुहागे को पीसकर आग में लोहे के तवे पर डालकर उसे भून लें। वह लाई की तरह फूल जायेगा, फूला हुआ सुहागा ही काम में लें। सोंठ, सुहागा एवं काला नमक को कूट-पीसकर एक थाली में डाल लें। फिर दूसरे बर्तन में सहिजन की छाल का रस लें हींग घोल लें। और उसमें जब हींग घुल जाये तो सहिजन की छाल का रस कुछ दूधिया हो जायेगा। उसमें कुटा-पिसा, सोंठ, काला नमक व सुहागा का पाउडर मिला लें। फिर उसकी चने के आकार की गोली बना लें और छाया में सुखाकर बन्द डिब्बे में रख लें। फिर सुबह-दोपहर-शाम दो-दो गोली नाश्ते या खाने के बाद सादा पानी से लें। आपको आराम 10 दिन में ही मिलने लगेगा। कम से कम 30 दिन यह गोलियां लगातार अवश्य खायें तभी पूर्ण लाभ हो पायेगा। यह नुस्खा कई बार का परीक्षित है। इस दवा के द्वारा बवासीर के रोगी को भी अवश्य लाभ मिलता है।


*वात नाशक चूर्णः-
चन्दसूर 50 ग्राम, मेथी 50 ग्राम, करैल 50 ग्राम, अचमोद 50 ग्राम, इन चारों दवाओं को कूट-पीसकर ढक्कन वाले डिब्बे में रखें। सुबह नाश्ते के बाद एक चम्मच चूर्ण गुनगुने पानी के साथ लें एवं रात्रि में भोजन के बाद गुनगुने दूध के साथ एक चम्मच लें। यह दवा भी कम से कम 60 दिन लें। निश्चय ही आराम मिलता है।

वातनाशक काढ़ाः-
हरसिंगार के हरे पत्ते 20 नग को अधकुचला कर 300 ग्राम पानी में डालकर धीमी आँच में पकायें। जब पानी 50 ग्राम रह जाये, तो आग से उतार लें और कपड़े से छानकर दो खुराक बनायें एक खुराक सुबह नास्ता के पहले गरम-गरम पी लें एवं दूसरी खुराक शाम को आग में हल्का गरम कर पी लें। प्रतिदिन नया काढ़ा ऊपर लिखी विधि से बनायें और सुबह शाम पियें। यह क्रिया 30 दिन लगातार करें। वात रोग में निश्चय ही आराम होगा।

*गठिया(संधिवात) :-
आँवला चूर्ण 20 ग्राम, हल्दी चूर्ण 20 ग्राम, असंगध चूर्ण 10 ग्राम, गुड़ 20 ग्राम इन चारों औषधियों को 500 ग्राम पानी में डालकर धीमी आँच में पकाये, जब पानी 100 ग्राम रह जाये तो उसे आग से उतार कर कपड़े या छन्नी से छान लें एवं इस काढ़े की तीन खुराक बनायें। सुबह, दोपहर एवं रात्रि में खाने के बाद पियें। इस प्रकार प्रतिदिन सुबह यह दवा बनायें, लगातार 30 दिन पीने पर गठिया में निश्चित रूप से आराम होता है।
परहेज-ज्यादा तली हुईं, खट्टी, गरिष्ठ चीजें व चावल आदि दवा सेवन के समय न लंे।

*गठिया की दवाः-
सुरंजान 30ग्राम, चोवचीनी 30ग्राम, सोठ 30ग्राम, पीपर मूल 30ग्राम, हल्दी 30ग्राम, आँवला 50ग्राम, इन सब को कूट-पीसकर चूर्ण बनायें और उसमें 100ग्राम गुड़ मिलाकर रख लें। प्रतिदिन सुबह एवं शाम को 10ग्राम दवा में 10ग्राम शहद मिलाकर खायें। सुबह हल्का नाश्ता करने एवं राात्रि में खाना खाने के बाद ही दवा लें। यह दवा लगातार 30दिन लेने से गठिया वात जरूर सही होगा।
परहेज-खट्टी चीजें, गरिष्ठ चीजें, चावल आदि न लें।

* वातनाशक तेलः-
100ग्राम तारपीन का तेल, 30ग्राम कपूर, 10ग्राम पिपरमिण्ट, इन सबको मिलाकर धूप में एक दिन रखें। जब यह सब तारपीन में मिल जाये, तो दवा तैयार हो गई। जिन गाठों में दर्द हो, वहां पर यह दवा लगाकर धीरे-धीरे 15मिनट तक मालिश करें और इसके बाद कपड़ा गरम करके उस स्थान की सिकाई कर दें। एक सप्ताह में ही दर्द में आराम मिलने लगेगा।
विशिष्ट परामर्श-

साईटिका रोग मे दामोदर चिकित्सालय रजिस्टर्ड  98267-95656 निर्मित  हर्बल औषधि  सर्वाधिक सफल साबित होती है| बहुमूल्य जड़ी बूटियों की औषधि से पुराना साईटिका रोग भी अतिशीघ्र समाप्त हो जाता है|स्नायुशूल,संधिवात,कमर दर्द, घुटनो की पीड़ा  आदि वात जन्य रोगों मे भी  यह औषधि रामबाण की तरह अचूक असर है|







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सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस(गर्दन का दर्द) के उपचार

वजन कम करने के लिए कितना पानी कैसे पीएं?

प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ने से पेशाब रुकावट की कारगर हर्बल औषधि

सेक्स का महारथी बनाने वाले आयुर्वेदिक नुस्खे


आर्थराइटिस(संधिवात),गठियावात ,सायटिका की तुरंत असर हर्बल औषधि

खीरा ककड़ी खाने के जबर्दस्त फायदे

महिलाओं मे कामेच्छा बढ़ाने के उपाय

मुँह सूखने की समस्या के उपचार

गिलोय के जबर्दस्त फायदे

इसब गोल की भूसी के हैं अनगिनत फ़ायदे

कान मे तरह तरह की आवाज आने की बीमारी

छाती मे दर्द Chest Pain के उपचार

सिर्फ आपरेशन नहीं ,किडनी की पथरी की १००% सफल हर्बल औषधि

किडनी फेल रोगी का डाईट चार्ट और इलाज

तिल्ली बढ़ जाने के आयुर्वेदिक नुस्खे

यौन शक्ति बढ़ाने के अचूक घरेलू उपाय/sex power

कई बीमारियों से मुक्ति द‍िलाने वाला है गिलोय


किडनी स्टोन के अचूक हर्बल उपचार

स्तनों की कसावट और सुडौल बनाने के उपाय

लीवर रोगों के अचूक हर्बल इलाज

सफ़ेद मूसली के आयुर्वेदिक उपयोग

दामोदर चिकित्सालय शामगढ़ के आशु लाभकारी उत्पाद

मेथी का पानी पीने के जबर्दस्त फायदे

आई पिल (गर्भ निरोधक गोली) के फायदे व नुकसान//I pill ke fayade nuksan





 आज कल आपातकालीन गर्भ निरोधक गोली जैसे आई पिल का इस्तेमाल काफी बढ़ गया है, पर क्या आपको पता हैं इसके साइड इफेक्ट्स भी होते हैं। आसानी से मिलने वाली यह गोली असुरक्षित सेक्स के बाद अनचाहे गर्भ को रोकने का कारगर उपाय हो सकती है, लेकिन इसका नियमित इस्तेमाल किसी भी लड़की या महिला के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है। जिंदगी को बिंदास अंदाज से जीने वाली लड़कियों के लिए अनचाही प्रेगनेंसी से बचने के लिए आइ-पिल मानो ईश्वर का वरदान है। क्योंकि उन्हें फिर इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता जिस पुरुष के साथ वह संबंध बना रही हैं, उसने कंडोम पहना है या नहीं। अगर आपके पास उस समय गोली न भी हो तो इसे लेने के लिए आपके पास पूरे 72 घंटे होते हैं।

आपातकालीन गर्भनिरोधक गोली को आम बोल-चाल की भाषा में हम इसे इमरजेंसी कॉनट्रासेप्टिव पिल भी कहते हैं। आई पिल और अन्य इमरजेंसी गर्भनिरोधक गोलियां किसी भी दवाईयों की दुकान से आसानी से खरीदी जा सकती है।” आइये जानतें हैं आई पिल गोली लेने से पहले आपको दो बार क्यों सोचना चहिये? और यौन सबंध के बाद इमरजेंसी गर्भनिरोधक गोली लेना कितना सही है? हर वो बात जो आप और आपके पार्टनर को जाननी चाहिए।
आई पिल क्या है?
आई पिल कैप्सूल एक मौखिक गर्भनिरोधक गोली है।
इसमें लिवोनारजेस्ट्रल इसके मुख्य घटक के रूप में शामिल है।
असुरक्षित यौन संबंध के बाद अवांछित गर्भावस्था से बचने के लिए आम तौर पर महिलाओं द्वारा पिल का उपयोग किया जाता है।
यह गर्भावस्था को रोकने की एक समर्थन विधि है और नियमित उपयोग के लिए नहीं है।
आई पिल से जुड़े मुख्य तथ्य
आई-पिल एक आपातकालीन गर्भनिरोधक है; यह गर्भपात की गोली नहीं।
यह एक अनियोजित गर्भावस्था को रोकने में मदद करती है।
सेक्सुअल रिलेशन बनाने के 72 घंटे के भीतर आई-पिल लेनी चाहिए। असुरक्षित यौन संबंध के 12 घंटे के भीतर लेने पर यह सबसे प्रभावी रूप से काम करती है।
किशोरों (teenagers) के लिए आई-पिल उपयुक्त नहीं है।
यदि आप आई-पिल लेने के बारे में सोच रहीं हैं तो आपकी उम्र 25 वर्ष से अधिक होनी चाहिए।
आपातकालीन गर्भनिरोधक गोलियों की बढ़ती लोकप्रियता और इसके इस्तेमाल के पीछे का कारण प्रभावी विज्ञापन का नतीजा हो सकता है, जिसमें कंडोम का फटना या अनियमित बर्थ कंट्रोल जैसी समस्याओं ने इस गोली को इतना खास बना दिया है। लेकिन इसके इस्तेमाल से होने वाले नुकसान की जानकारी आपको जरूर होनी चहिये।
आई-पिल की रूपरेखा और उपयोग
आई-पिल गर्भावस्था को रोक सकती है लेकिन अगर कोई महिला पहले से ही गर्भवती है तो उसकी मदद नहीं हो सकती है
24 घंटे के भीतर असुरक्षित यौन संबंध रखने के तुरंत बाद गोली लेनी चाहिए।
यदि कोई लंबी अवधि की दवा चल रही है, तो आई-पिल लेने से पहले डॉक्टर से परामर्श करना सबसे अच्छा है।
आई-पिल यौन संक्रमित बीमारियों के खिलाफ सुरक्षा नहीं करता है।
कोई भी जो लिवोनारजेस्ट्रल (गर्भ निरोधक गोलियों) के लिए एलर्जी है, इन गोलियों को लेने की कोशिश करने से पहले एक डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।
ये पिल काम कैसे करती है?
“संयुक्त गर्भनिरोधक गोली तीन तरीकों से गर्भधारण को रोकती है, जिससे यह एक बहुत प्रभावी गर्भनिरोधक विकल्प बन जाती है। यह ओव्यूलेशन को रोकती है, शुक्राणु के प्रवेश को रोकने के लिए गर्भ के द्वार पर बलगम को गाढ़ा करती है, और एक अंडे को रोकने के लिए गर्भ के अस्तर को बदल देती है जहाँ वह बढ़ रहा है। ”
आपातकालीन गर्भनिरोधक गोलियां गर्भावस्था को अवरुद्ध करने वाले हार्मोन का उपयोग करती हैं। इसमें अधिकांश वही हार्मोन का उपयोग किया जाता है जो नियमित गर्भनिरोधक गोलियों में होते हैं।
ये शरीर में होने वाले फ़र्टिलाइजेशन को रोक देता है। आपातकालीन गर्भनिरोधक गोलियां मुख्य रूप से अंडे बनाने की क्रिया या ओव्यूलेशन की रिहाई में देरी करने का काम करती हैं। गर्भाशय के निचले हिस्से से एक फ्लूइड निकलता है। जिसे सर्विकल म्यूकस कहते हैं. यह कुछ हद तक अंडे की सफ़ेदी जैसा होता है। इमरजेंसी पिल की वजह से यह बहुत गाढ़ा बनने लगता है। जिसकी वजह से स्पर्म वहां मौजूद अंडों तक नहीं पहंच पता है। इसके साथ ही यह अंडों को ओवरीज़ से जल्दी निकलने नहीं देता है। लेकिन एक बार आरोपण (implantation) हो जाने के बाद, आपातकालीन गर्भनिरोधक अब प्रभावी नहीं है। यदि आप पहले से ही गर्भवती हैं, तो इन गोलियों का गर्भनिरोधक विधि के रूप में कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
क्या इमरजेंसी पिल हर बार काम करती है?
आपातकालीन गर्भनिरोधक गोलियां जैसे आई पिल अच्छी तरह से काम करती है। लेकिन आपको इसे जल्दी से लेना चाहिए – अधिमानतः सेक्स के 24 घंटों के भीतर। जितनी जल्दी आप इसे लेंगीं, उतनी ही अधिक यह प्रभावी होगी। अध्ययनों से पता चलता है कि यदि आप सेक्स के 72 घंटों के भीतर आपातकालीन गर्भनिरोधक गोली लेती हैं, तो आपके गर्भवती होने की केवल 1% से 2% संभावना ही होती है।
ये तो हुई बात कि आई पिल कब ली जाती है और यह कैसे काम करती है। अब आते हैं सबसे ज़रूरी मुद्दे पर।
आपको आई-पिल के इन साइड इफेक्ट्स का पता होना चाहिए
जी मिचलाना
सरदर्द
पेट के निचले हिस्से में दर्द
स्तन में कोमलता
योनि स्राव
कई दिनों के लिए अतिरिक्त रक्तस्राव
लंबे समय तक मासिक धर्म चक्र का न आना (3 से 6 महीने)
कामेच्छा में कमी (सेक्स ड्राइव) प्रजनन क्षमता को प्रभावित करता है
पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (औरतों में डिंबग्रंथि संबंधी विकार) की अधिक संभावना
आई-पिल का पीरियड पर कैसा असर पड़ता है?
क्योंकि ये पिल्स आपके हॉर्मोन्स के साथ छेड़छाड़ करती हैं इसलिए इसके बार बार इस्तेमाल करने पर आपके पीरियड्स में गड़बड़ी आ सकती है। इससे आपको पीरियड्स वक़्त से पहले हो सकते हैं या काफ़ी लेट हो सकते हैं। और पीरियड्स के दौरान दर्द हर बार से कई गुना ज़्यादा हो सकता है। आई-पिल का पीरियड पर कैसा असर पड़ता है की बात यहीं ख़त्म नहीं होती इसे लेने के बाद बीच-बीच में हल्की स्पॉटिंग भी हो सकती है। मतलब हल्का सा खून आएगा जिससे आपको लगेगा कि फिर से पीरियड्स शुरू हो गए हैं, पर ऐसा होगा नहीं।
ऐसी स्थति में आपके पीरियड्स को नॉर्मल होने में कुछ समय लग सकता है। इससे आपको बहुत ज़्यादा परेशान होने की ज़रुरत नहीं है। लेकिन यदि लम्बे समय तक ऐसा हो तो तुरंत स्त्री रोग विशेषज्ञ से मिलें और उन्हें सारी बात सच-सच बताएं।
आई पिल लेने के बाद क्या होता है?
जिन महिलाओं ने आई पिल गोली ली थी उन्होंने इसे लेने के बाद मतली, उल्टी, निचले पेट में दर्द, सिरदर्द, थकावट और स्तन कोमलता की शिकायत की है। आप आपातकालीन गर्भनिरोधक लेने के बाद ” पीरियड्स के पहले दिन जैसा दर्द दर्द ” या कुछ रक्तस्राव का भी अनुभव भी कर सकतीं हैं।
क्या मैं गोली लेने के बाद भी गर्भवती हो सकती हूं?
हां, गर्भवती होना संभव है। आई पिल – मॉर्निंग आफ्टर पिल – असुरक्षित यौन संबंध के बाद गर्भधारण को रोकने में मदद कर सकती है। लेकिन यह गोलियों को लेने के बाद किये जाने वाले किसी भी सेक्स के लिए गर्भावस्था को नहीं रोकेगी।
आई-पिल की सामान्य खुराक
मैं असुरक्षित संभोग के एक प्रकरण के बाद इसे जितनी जल्दी लेती हूं उतना बेहतर काम करता है।
जितनी जल्दी हो सके पहले टैबलेट को लें लेकिन असुरक्षित संभोग के 72 घंटे बाद नहीं।
12 घंटे बाद दूसरा टैबलेट लें।
क्या आई पिल खतरनाक है?
भले ही जन्म नियंत्रण की गोलियाँ बहुत सुरक्षित हैं, आई पिल की तरह ही अन्य आपातकालीन गर्भनिरोधक गोली का उपयोग स्वास्थ्य समस्याओं के आपके जोखिम को थोड़ा बढ़ा सकता है। जटिलताओं में इनका होना दुर्लभ हैं, लेकिन वे गंभीर हो सकते हैं। इनमें हार्ट अटैक, स्ट्रोक, ब्लड क्लॉट और लिवर ट्यूमर शामिल हैं।
क्या गोली लेने के बाद पीरियड्स आ सकता हैं?
आपातकालीन गर्भनिरोधक गोली लेने के बाद मैं अपने अगले मासिक धर्म की उम्मीद कब कर सकती हूं? आपातकालीन गर्भनिरोधक गोली लेने के 3 सप्ताह के भीतर आपका पीरियड्स शुरू होना चाहिए। आपका अगला पीरियड्स सामान्य से थोड़ा जल्दी या कुछ दिनों बाद शुरू हो सकता है। यदि आपके अगले पीरियड में देर हो रही है, तो अपने स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता से संपर्क करें और गर्भावस्था परीक्षण करायें।
क्या गोली पीरियड्स रोकती है?
गर्भनिरोधक गोलियां लेना गर्भावस्था को रोकने और कई चिकित्सा स्थितियों का इलाज करने का एक प्रभावी तरीका है। चूंकि गोली आपके सिस्टम में विभिन्न हार्मोनों को कम और ज्यादा करके काम करती है, इसलिए यह आपके मासिक धर्म चक्र को प्रभावित कर सकती है। कुछ महिलाओं को हल्का रक्तस्राव हो सकता है, और अन्य के पीरियड्स पूरी तरह से रूक सकते हैं।
आई पिल के इस्तेमाल से जुड़ी बहुत महत्वपूर्ण बात
I-pill में 10% विफलता दर है।
आई-पिल को 6 महीने के भीतर दोहराना नहीं चाहिए। मतलब 6 महीने में केवल एक बार आई-पिल को लिया जाना चाहिए। न की हर बार सेक्स करने के बाद रेगुलर गर्भनिरोधक गोलियों की तरह।
अगर इसका बार-बार इस्तेमाल किया जाए तो इससे शरीर के नेचुरल हार्मोन पैटर्न के बदलने का खतरा होता है, जो बाद में उस महिला के प्रेग्नेंट होने की राह में मुश्किलें पैदा कर सकता है।
आई-पिल HIV / एड्स और यौन संचारित रोगों से सुरक्षा प्रदान नहीं करती है।
इसके बजाय आपके पार्टनर को कंडोम जैसे सुरक्षित गर्भनिरोधक विकल्प का उपयोग करना चाहिए। क्योंकि यह अवांछित गर्भावस्था, एचआईवी और यौन संचारित रोगों से सुरक्षा प्रदान करता है।
लोगों के बीच में इमरजेंसी कन्ट्रासेप्टिव पिल्स को लेकर कोई विरोध नहीं है, न ही इसपर कोई बहस उठती है। हर छोटी दवा की दुकानों पर इनका आसानी से उपलब्ध होना, हर साल नए-नए ब्रांड का बाजार में आना इस ओर इशारा कर रहा है कि भारत के बड़े शहरों से लेकर अब छोटे शहरों तक की युवतियों के बीच ये गोलियां तेजी से अपनी जगह बनाती जा रही हैं। यदि आपकी कोई दोस्त इसका इस्तेमाल करती हैं तो उसे इसके नुकसान के बारे में अवश्य बताएं और उन्हें ये भी बताएं कि आपातकालीन गर्भनिरोधक गोली का इस्तेमाल इमरजेंसी में ही करें।
- आई-पिल से कब बचें
एलर्जी से लेवोनोर्जेस्ट्रेल के मामले में आई पिल से बचना चाहिए।
आई-पिल नियमित रूप से जन्म नियंत्रण विधि के रूप में उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।
यदि आप पहले से गर्भवती हैं तो आई -पिल का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।
अगर ट्यूबल गर्भावस्था की प्रवृत्ति से पीड़ित हैं तो आई पिल का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।
मधुमेह के मामलों में।
योनि से असामान्य रक्तस्राव के इतिहास वाले मरीजों में।
यदि आपको स्तन कैंसर है तो आई पिल का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।
यदि आप स्ट्रोक से पीड़ित हैं तो आई पिल का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।
यदि आपको खून बह रहा है या क्लोटिंग डिसऑर्डर है तो आई पिल का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए
यदि आप पोर्फ्रिया (रक्त और लिम्फैटिक प्रणाली के अनुवांशिक विकार) से पीड़ित हैं तो आईपिल का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।
सोलह वर्ष से कम उम्र की महिलाओं में आई पिल का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।
यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि आई पिल एचआईवी या अन्य यौन संक्रमित बीमारियों से रक्षा नहीं करता है।
जिगर में ट्यूमर वाले मरीजों में पिल का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।
आई पिल संभवतः थायराइड फंक्शनिंग परीक्षण में हस्तक्षेप कर सकता हूं और गलत रिर्पोट देता है। थायरॉइड फ़ंक्शन टेस्ट से गुजरने से पहले इस दवा का उपयोग करने पर डॉक्टर को रिपोर्ट करें।
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25.12.19

कद्दू के जूस के स्वास्थ्य लाभ



कद्दू का रस पीने के फायदे ठीक उसी तरह होते हैं जैसे कि किसी औषधीय पेय के होते हैं। आपने अब तक कद्दू के बीज और कद्दू खाने के फायदे सुने होगें। लेकिन अब कद्दू का जूस पीने के लाभ के बारे में भी जान लें। क्‍योंकि यह जूस कोई साधारण पेय नहीं है। कद्दू का रस पीने के फायदे आपको कई बीमारियों से दूर कर सकता है। कद्दू के जूस का उपयोग किडनी को स्‍वस्‍थ रखने, कब्‍ज का इलाज करने, मूत्र संक्रमण को कम करने, उच्‍च रक्‍तचाप को कम करने के लिए लाभकारी होता है। यदि आप कद्दू से बनाए गए जूस के लाभ नहीं जानते हैं तो यह आर्टिकल आपके लिए ही है। इस लेख में आप कद्दू के जूस के फायदे, औषधीय गुण, उपयोग, इस्‍तेमाल और नुकसान संबंधी जानकारी प्राप्‍त करेगें।
पम्‍पकिन या कद्दू का जूस एक प्रभावी पेय पदार्थ है जिसे कद्दू के गूदे से बनाया जाता है। कद्दू के ऊपरी और कठोर छिलके को हटाया जाता है। फिर कद्दू के गूदे का पेस्‍ट बनाकर पानी के साथ घोलकर कद्दू का जूस तैयार किया जाता है। इस कद्दू के जूस का सेवन करना कई गंभीर और सामान्य स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं को दूर करने में प्रभावी योगदान दे सकता है। आइए विस्‍तार से जाने कद्दू के जूस संबंधी अन्‍य तथ्‍य क्‍या हैं।
वजन कम करने का सबसे अच्‍छा उपाय

जब स्‍वास्‍थ्‍य की बात आती है तो कद्दू का जूस एक बेहतरीन विकल्‍प है। यह विटामिन सी, पोटेशियम, मैग्नीशियम और अन्‍य महत्‍वपूर्ण पोषक तत्‍वों से भरपूर है। इसमें कैलोरी कम होती है और कद्दू जूस का लगभग 94 प्रतिशत हिस्‍सा केवल पानी होता है। इसलिए यह शरीर को हाइड्रेट रखने और पाचन संबंधी समस्‍याओं को दूर करने में मदद कर सकता है। आप आपने मन में कद्दू के रस को लेकर किसी प्रकार की शंका न रखें क्‍योंकि यह वजन कम करने का सबसे अच्‍छा उपाय है।


सामान्‍य रूप से कद्दू के जूस के 1 बड़े कप को दिन में दो बार सेवन किया जा सकता है। यह पेट में एसिड के स्‍तर को बेहतर बनाए रखने और पाचन संबंधी समस्‍याओं को दूर करने में प्रभावी होता है। आप भोजन के बाद भी इस जूस का सेवन कर सकते हैं। हालांकि निर्धारित मात्रा से अधिक कद्दू का जूस पीना आपकी पाचन समस्‍याओं को बढ़ा भी सकता है।
स्‍वास्‍थ्‍य के साथ ही साथ कद्दू के रस के फायदे त्वचा और बालों के लिए भी होते हैं। इस लेख आपको कद्दू के फल से बनाए गए जूस संबंधी उन सभी लाभों के बारे में बताया जा रहा है। जिन्‍हें जानकर आप भी इस अद्भुद जूस के लाभ प्राप्‍त कर सकते हैं।
गुर्दे की पथरी या पित्ताशय की समस्‍याएं
जिन लोगों को गुर्दे की पथरी या पित्ताशय की समस्‍याएं होती हैं उनके लिए कद्दू के रस का सेवन फायदेमंद हो सकता है। किडनी और लिवर संबंधी समस्‍याओं को दूर करने के लिए नियमित रूप से कद्दू के रस का सेवन किया जा सकता है। जो बीमारी को प्रभावी रूप से दूर करने में मदद करता है। कुछ लोगों का मानना है कि 10 दिन तक लगातार कद्दू का रस पीना लिवर और किडनी की समस्‍या को कम करके उन्‍हें हेल्‍थी बना सकता है। आप भी कद्दू के जूस का सेवन कर अपनी किड़नी और लीवर को स्‍वस्‍थ रख सकते हैं।

पाचन संबंधी समस्‍याओं का प्रभावी उपचार
पाचन संबंधी समस्‍याओं का प्रभावी उपचार करने के लिए कद्दू का रस एक बेहतर विकल्‍प है। कद्दू के रस में फाइबर की अच्‍छी मात्रा होती है जो पूरे पाचन तंत्र को स्‍वस्‍थ रखने के लिए आवश्‍यक है। कद्दू के रस के लाभ आंतों में चिकनाहट को बढ़ाता है जिससे मल को पारित होने में आसानी होती है। यदि आप भी कब्‍ज और अन्‍य पाचन समस्‍याओं का उपचार करना चाहते हैं तो कद्दू के रस के लाभ प्राप्‍त कर सकते हैं। अच्‍छी बात यह है कि कद्दू के जूस को आप आसानी से घर पर तैयार कर सकते हैं जो कब्‍ज का सबसे अच्‍छा घरेलू उपाय हो सकता है।

क्‍या आपको पूरी और अच्‍छी नींद लेने में असुविधा होती है। इसका मतलब यह है कि आपको अनिद्रा की समस्‍या है जिसके कारण आप रात में अपनी नींद नहीं ले पा रहे हैं। इस समस्‍या का प्राकृतिक उपचार कद्दू के जूस से किया जा सकता है। अनिद्रा का घरेलू उपचार करने के लिए आप नियमित रूप से कद्दू के रस का सेवन कर सकते हैं। प्रतिदिन आप 1 गिलास कद्दू के रस में थोड़ा शहद मिलाएं और सेवन करें। यह आपकी नसों को आराम दिलाने और मस्तिष्‍क को शांत करने में मदद कर सकता है। जिससे आपको अच्‍छी नींद लेने में आसानी हो सकती है।
कद्दू के जूस का सेवन करे रक्‍तचाप नियंत्रित
जिन लोगों को उच्‍च रक्‍तचाप संबंधी समस्‍या है उन्‍हें कद्दू के जूस का सेवन फायदा दिला सकता है। अध्‍ययनों से पता चलता है कि कद्दू के रस में ऐसे पोषक तत्‍व और खनिज पदार्थ होते हैं जो शरीर में कोलेस्‍ट्रॉल और उच्च रक्‍तचाप को नियंत्रित कर सकते हैं। पम्‍पकिन जूस में पेक्टिन की अच्‍छी मात्रा होती है जो शरीर में खराब कोलेस्‍ट्रॉल को कम करने में सहायक होता है। उच्‍च रक्‍तचाप और हाई कोलेस्ट्रॉल दोनों ही हृदय संबंधी समस्‍याओं का प्रमुख कारण होते हैं। लेकिन आप इन समस्‍याओं से बचने के लिए अपने आहार में कद्दू के रस का प्रयोग कर सकते हैं।
कद्दू जूस का फायदा मार्निग सिकनेस के लिए
अक्‍सर महिलाओं को गर्भावस्‍था के दौरान सुबह की बीमारी (Morning Sickness) का सामना करना पड़ता है, उन महिलाओं के लिए कद्दू के रस पीने के फायदे हो सकते हें। गर्भावस्‍था के दौरान एसिड रिफ्लक्‍स के कारण होने वाली उल्‍टी और मतली को रोकने के लिए नियमित रूप से कद्दू के जूस का सेवन किया जा सकता है। सुबह की बीमारी का घरेलू उपचार करने के लिए नियमित रूप से प्रतिदिन 1 गिलास कद्दू का जूस पीना महिलाओं को लाभ दिला सकता है।



बॉडी को डिटॉक्सिफाई करने के लिए
क्‍या आप अपने शरीर की आंतरिक अशुद्धियों को दूर करने प्राकृतिक उपाय खोज रहे हैं? यदि हां तो आप अपनी बॉडी को डिटॉक्सिफाई करने के लिए कद्दू के जूस का सेवन कर सकते हैं। यह एक चमत्‍कारिक पेय पदार्थ है जो शरीर से विषाक्‍त पदार्थों को प्रभावी रूप से दूर कर सकता है। इसके अलावा यह आपके शरीर की आंतरिक क्षतिग्रस्‍त कोशिकाओं की मरम्मत करने में भी प्रभावी योदान दे सकता है। आप अपने शरीर से अशुद्धियों को दूर करने के लिए सुबह के समय खाली पेट कद्दू के जूस का उपभोग कर सकते हैं। यह पाचन तंत्र और गुर्दों की बेहतर सफाई करने का अच्‍छा और प्राकृतिक घरेलू उपाय माना जाता है।

कद्दू जूस के औषधीय गुण मूत्र संक्रमण रोके
पम्‍पकिन जूस का सेवन कई स्‍वास्‍थ्‍य लाभ दिलाता है जिनमें मूत्र पथ को स्‍वस्‍थ रखना भी शामिल है। यदि आप मूत्र पथ के संक्रमण और अन्‍य समस्‍याओं का समाधान चाहते हैं तो कद्दू के रस का इस्‍तेमाल कर सकते हैं। यह आपके मूत्र पथ और गुर्दे में मौजूद अपशिष्‍ट पदार्थों को साफ करने और उन्‍हें बाहर निकालने में मदद कर सकता है। यदि आप कद्दू के जूस का सेवन कर सकते हैं तो यह आपके गुर्दे और मूत्र पथ को संक्रमण से बचा सकता है।
हेयर बेनिफिट्स के लिए कद्दू के जूस के इस्‍तेमाल को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। कद्दू के रस में विटामिन ए की उच्‍च मात्रा होती है जो आपके स्‍कैल्‍प (scalp) के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। इसके अलावा कद्दू के जूस में पोटेशियम की भी अच्‍छी मात्रा होती है जो बालों में रि-ग्रोथ को बढ़ावा देने में मदद करता है। नियमित रूप से कद्दू के रस का सेवन करने से बालों को झड़ने से भी बचाया जा सकता है।
घर में कद्दू का जूस कैसे बनाए
घर में कद्दू का जूस बनाना बहुत ही आसान है। घर में तैयार किये गए प‍म्‍पकिन जूस को अधिक प्रभावी माना जाता है क्‍योंकि इसे बनाने में किसी भी केमिकल्‍स का उपयोग नहीं किया जाता है। साथ ही यह ताजा होता है। आइए जाने किस प्रकार हम घर पर ही कद्दू का रस बना सकते हैं।
कद्दू का रस बनाने के लिए आपको केवल पके हुए कद्दू का 1 टुकड़ा और पानी की आवश्‍यकता होती है।
आप कद्दू के ऊपरी छिलके को लिकाल लें और इसके छोटे-छोटे टुकड़े बना लें। इसके बाद थोड़े से पानी के साथ इन कद्दू के टुकडों को जूसर ब्‍लेंड में डालकर मिक्स करें। आपका कद्दू का जूस तैयार है। यह कम मीठा होता है। वैसे तो प्राकृतिक रूप से इतना मीठा जूस ही आपको सेवन करना चाहिए। लेकिन अतिरिक्‍त मिठास बढ़ाने के लिए आप शक्‍कर की जगह शहद का इस्‍तेमाल कर सकते हैं।

  • मसूड़ों के सूजन के घरेलू उपचार
  • अनार खाने के स्वास्थ्य लाभ
  • इसबगोल के औषधीय उपयोग
  • अश्वगंधा के फायदे
  • लकवा की चमत्कारी आयुर्वेदिक औषधि वृहत वात चिंतामणि रस
  • मर्द को लंबी रेस का घोडा बनाने के अद्भुत नुस्खे
  • सदाबहार पौधे के चिकित्सा लाभ
  • कान बहने की समस्या के उपचार
  • पेट की सूजन गेस्ट्राईटिस के घरेलू उपचार
  • पैर के तलवों में जलन को दूर करने के घरेलू आयुर्वेदिक उपचार
  • लकवा (पक्षाघात) के आयुर्वेदिक घरेलू नुस्खे
  • डेंगूबुखार के आयुर्वेदिक नुस्खे
  • काला नमक और सेंधा नमक मे अंतर और फायदे
  • कालमेघ जड़ी बूटी लीवर रोगों की महोषधि
  • हर्निया, आंत उतरना ,आंत्रवृद्धि के आयुर्वेदिक उपचार
  • पाइल्स (बवासीर) के घरेलू आयुर्वेदिक नुस्खे
  • चिकनगुनिया के घरेलू उपचार
  • चिरायता के चिकित्सा -लाभ
  • ज्यादा पसीना होने के के घरेलू आयुर्वेदिक उपचार
  • पायरिया रोग के आयुर्वेदिक उपचार
  •  व्हीटग्रास (गेहूं के जवारे) के रस और पाउडर के फायदे
  • घुटनों के दर्द को दूर करने के रामबाण उपाय
  • चेहरे के तिल और मस्से हटाने के उपचार
  • अस्थमा के कारण, लक्षण, उपचार और घरेलू नुस्खे
  • वृक्क अकर्मण्यता(kidney Failure) की रामबाण हर्बल औषधि
  • शहद के इतने सारे फायदे नहीं जानते होंगे आप!
  • वजन कम करने के उपचार
  • केले के स्वास्थ्य लाभ
  • लीवर रोगों की महौषधि भुई आंवला के फायदे
  • हरड़ के गुण व फायदे
  • कान मे मेल जमने से बहरापन होने पर करें ये उपचार
  • पेट की खराबी के घरेलू उपचार
  • शिवलिंगी बीज के चिकित्सा उपयोग
  • दालचीनी के फायदे
  • बवासीर के खास नुखे
  • भूलने की बीमारी के उपचार
  • आम खाने के स्वास्थ्य लाभ
  • सोरायसीस के उपचार
  • गुर्दे की सूजन के घरेलू उपचार
  • रोग के अनुसार आयुर्वेदिक उपचार
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  • कड़ी पत्ता के उपयोग और फायदे
  • ग्वार फली के फायदे
  • सीने और पसली मे दर्द के कारण और उपचार
  • जायफल के फायदे
  • गीली पट्टी से त्वचा रोग का इलाज
  • मैदा खाने से होती हैं जानलेवा बीमारियां
  • थेलिसिमिया रोग के उपचार
  •  दालचीनी के फायदे
  • भूलने की बीमारी का होम्योपैथिक इलाज
  • गोमूत्र और हल्दी से केन्सर का इयाल्ज़
  • कमल के पौधे के औषधीय उपयोग
  • चेलिडोनियम मेजस के लक्षण और उपयोग
  • शिशु रोगों के घरेलू उपाय
  • वॉटर थेरेपी से रोगों की चिकित्सा
  • काला नमक और सेंधा नमक मे अंतर और फायदे
  • दालचीनी के अद्भुत लाभ
  • वीर्य बढ़ाने और गाढ़ा करने के आयुर्वेदिक उपाय
  • लंबाई ,हाईट बढ़ाने के अचूक उपाय
  • टेस्टेटरोन याने मर्दानगी बढ़ाने के उपाय



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    19.12.19

    सरसों का तेल है सबसे सेहतमंद



    भोजन हमारे जीवन का एक अविभाज्य हिस्सा है, हम सचमुच खाने के लिए जीते हैं! लेकिन साथ ही स्वस्थ भोजन के बारे में जागरूकता भी हमारी जीवन-शैली का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गई है। हम सब अपने स्तर पर स्वस्थ खाने और फिट रहने के लिए जागरूक होने का प्रयास कर रहे हैं। भोजन पकाने के लिए तेल के इस्तेमाल को लेकर कई तरह की धारणाएं बनी हुई हैं। जिसमें आमतौर पर तेल के इस्तेमाल को सेहत के लिए नुकसानदायक बताते हैं। तेल चूंकि फैट का मुख्य स्रोत है, इसलिए ये शरीर में चर्बी को बढ़ाता है। लेकिन कई स्टडीज यह दावा करती हैं कि कुछ तेल आपके हृदय को सेहदमंद रखने के लिए बहुत ही फायदेमंद हैं और यह शरीर को कई बीमारियों से दूर रखते हैं। आमतौर पर भोजन पकाने के लिए जैतून के तेल (ऑलिव ऑयल) को सबसे हेल्दी माना जाता है। मगर भारत में कुकिंग के लिए ज्यादातर सरसों के तेल का इस्तेमाल किया जाता है। इस लेख के जरिए जानें कि कौन सा तेल आपकी सेहत बेहतर है।
    इन दिनों बाज़ार में ऑलिव ऑयल या फ्लेक्ससीड ऑयल का चलन बढ़ता जा रहा है। ऑलिव ऑयल के अपने कई फायदे हैं लेकिन अगर भोजन पकाने की बात जाए तो सरसों तो सरसों के तेल से बेहतर कुछ नहीं हो सकता। हमारे देश में सरसों के तेल का इस्तेमाल ज्यादातर घरों में किया जाता है। सरसों तेल हर किचन का अहम हिस्सा है और लगभग हर घर में सरसों के तेल में भोजन पकाया जाता है। काफी पुराने समय से इसका इस्तेमाल खाना बनाने के लिए किया जा रहा है। वैसे मार्किट में और भी कुकिंग ऑयल हैं जैसे- ऑलिव ऑयल यानी जैतून का तेल, रिफाइंड ऑयल, कैनोला तेल, राईस ब्रान ऑयल, वेजिटेबल ऑयल, तिल का तेल और मूंगफली का तेल।


    जैतून का तेल (ऑलिव ऑयल)
    जैतून का तेल आज के समय में बहुत ही जाना पहचाना नाम बन चुका है। बड़े-बड़े फिटनेस एक्सपर्ट्स ने इसका खूब प्रचार किया है और जैतून के तेल को केवल एक विकल्प भर ही नहीं बताया है। फिटनेस फ्रीक्स के लिए यह तेल अधिक पॉपुलर बन गया है। इस तेल में वसा अच्छी मात्रा में होती है जो हृदय स्वास्थ्य की बेहतरी के लिए बहुत जरूरी होता है। यह एक ऐसा जादुई तेल है जिसके इस्तेमाल से आपका वजन नहीं बढ़ता।
    सरसों का तेल
    सरसों के तेल का इस्तेमाल आयुर्वेद से जुड़ा हुआ है जिसका इस्तेमाल भारतीय घरों में युगों से होता चला आ रहा है। इस तेल की तीखी गंध और गहरे पीले रंग से इसकी पहचान को मान्यता मिली है। भारतीय घरों इसका इस्तेमाल व्यापक स्तर पर किया जाता है। खासतौर पर पूर्वी भारत में इसका इस्तेमाल अधिक किया जाता है। हमारे पारंपरिक भोजन जैसे मछली या झालमुरी को पकाने के लिए सरसों के तेल की जगह किसी और तेल का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।
    सरसों का तेल है सबसे सेहतमंद
    सरसों का तेल प्राकृतिक एंटीऑक्सिडेंट और जरूरी फैटी एसिड पर्याप्त मात्रा में होते हैं। दोनों ही तेल दिल की सेहत को बनाए रखने के लिए बहुत ही फायदेमंद हैं। इसमें मोनोअनसैचुरेटेड फैटी एसिड, पॉलीअनसेचुरेटेड वसा और कुछ अन्य अच्छे वसा भरपूर मत्रा में होते हैं जो शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। साथ ही यह तेल गुड कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है और शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल (बैड कोलेस्ट्रॉल) को बनने से रोकता है।


    यह तेल ओमेगा-3 फैटी एसिड का बहुत ही अच्छा स्रोत है साथ ही इसमें शरीर के लिए अन्य जरूरी हेल्दी फैट्स भी होते हैं। भोजन पकाते समय तेल में मौजूद अच्छे फैटी एसिड और तेल न सिर्फ आपके भोजन के स्वाद को बढ़ाता है बल्कि खून में मौजूद फैट को भी कम करता है।
    ज्यादातर शोधकर्ताओं ने यह सिद्ध किया है कि जैतून के तेल की तुलना में सरसों का तेल अधिक सेहतमंद होता है। क्योंकि इसमें जरूरी फैटी एसिड मौजूद होते हैं। इसमें ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड दोनों ही पर्याप्त मात्रा में होते हैं। यह आपके भोजन स्वस्थ बनाते हैं जो आपके हृदय स्वास्थ्य की बेहतरी के लिए बहुत जरूरी है। वहीं जैतून के तेल में इन सभी जरूरी फैटी एसिड की मात्रा कम होती है और इसकी कीमत सरसों की तेल की तुलना में बहुत अधिक होती है
    क्या है प्रमाण
    बहुत सारी स्टडीज के अनुसार सरसों के तेल को उसमें मौजूद सभी जरूरी फैटी एसिड के अनुपात कारण सबसे सेहदमंद तेलों में से एक माना जाता है। साथ ही यह भी पाया गया है कि सरसों का तेल हृदय संबंधि रोगों से बचाने में भी मदद करता है और सरसों का तेल कोरोनरी धमनी रोगों और अन्य हृदय संबंधि रोगों से बचाता है। इसके अलावा यह तेल ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखता है और हाई ब्लड प्रेशर के खतरे से बचाता है।

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    सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस(गर्दन का दर्द) के उपचार

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    प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ने से पेशाब रुकावट की कारगर हर्बल औषधि

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    किडनी स्टोन के अचूक हर्बल उपचार

    स्तनों की कसावट और सुडौल बनाने के उपाय

    लीवर रोगों के अचूक हर्बल इलाज

    सफ़ेद मूसली के आयुर्वेदिक उपयोग

    दामोदर चिकित्सालय शामगढ़ के आशु लाभकारी उत्पाद

    मेथी का पानी पीने के जबर्दस्त फायदे