15.7.19

घर पर प्रोटीन शेक बनाने की विधि


अगर आप बॉडी बनाने की सोच रहे है अगर आप लोग बहुत मेहनत करने के बाद भी आपकी बॉडी नहीं बन पा रही है या आप लोग बहुत व्यायाम करने के बाद भी आपकी बॉडी नहीं बन पा रही है तो सबसे पहले आप प्रोटीन शेक का सेवन करना शुरू करे क्योकि आप चाहे जितनी व्यायाम कर ले जब तक आपका डाइट प्लान में बदलाव नहीं करोगे तब तक आपकी बॉडी बनना बहुत मुश्किल हो सकता है आजकल के बॉडी बनाने के लिये कई प्रकार के मल्टीविटामिन टेबलेट - कैप्सूल - तेल - शेक आदि का उपयोग करते है लेकिन बाजार मे उपलब्द इन चीजों में भारी मिलावट देखने को मिलती है जिसका नतीजा हमारे शरीर में कई प्रकार के इन्फ़ेक्सन हो जाते है जैसे - आपके शरीर में सूजन होना - शरीर में दाग या चेहरे पर पिम्पल्स होना - टेबलेट या कैप्सूल लेते समय उल्टी या चक्कर आना आदि कारण हो सकते है
क्‍या आप मसल्स बनाने के और मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए प्रोटीन शेक बनाने का तरीका खोज रहें हैं। प्रोटीन शेक शब्‍द सुनते ही बाजार में मिलने वाले प्रोटीन प्रोडक्‍ट की तरफ आपका ध्‍यान चला जाता है। लेकिन प्रोटीन शेक बनाने का तरीका बहुत ही आसान है जिसे आप अपने घर में ही तैयार कर सकते हैं। इस लेख में आपको होममेड प्रोटीन शेक बनाने की विधि बताते हैं-
एक उत्‍कृष्‍ट शेक पानी या दूध के साथ कुछ प्रोटीन पाउडर को मिलाकर तैयार किया जाता है। लेकिन प्रोटीन-पैक तरल पदार्थ की बढ़ती लोकप्रियता के कारण अब इनके बहुत से विकल्‍प उपलब्‍ध हैं। अधिकांश लोग जो जिम जाते हैं वे प्रोटीन पाउडर का उपभोग करते हैं। पौष्टिक ड्राई फूड से तैयार प्रोटीन शेक आमतौर पर अधिक स्‍वादिष्‍ट होते हैं। लेकिन यदि इन्‍हें ताजे फलों और चॉकलेट आदि मिलाकर बनाया जाता है तो इनमें चीनी की मात्रा अधिक हो सकती है। जो भी हो प्रोटीन शेक आपके दुबले शरीर का वजन बढ़ाने और मजबूत करने में सहायक होते हैं।
आप अपने शरीर को स्‍वस्‍थ्‍य रखने के लिए कई प्रकार के आहारों का सेवन करते हैं। इसी तरह से आप इन सभी आहारों की पूर्ति करने और शरीर को मजबूत बनाए रखने के लिए प्रोटीन शेक का उपभोग कर सकते हैं। यह आपकी प्रतिरक्षा शक्ति को बढ़ाने के साथ ही आपकी ऊर्जा में भी वृद्धि कर सकता है। इसके लिए आप बाजार से कुछ प्रोटीन शेक खरीद सकते हैं। लेकिन ये सभी लोगों के लिए संभव नहीं हैं। क्‍योंकि एक तो यह महंगे होते हैं साथ ही इनमें कुछ रासायनिक प्रभाव भी हो सकते हैं। इसलिए आप अपने घर में ही कुछ प्रोटीन शेक बना सकते हैं जो आपके फायदेमंद होते हैं साथ ही इनके कोई दुष्‍प्रभाव नहीं होते हैं।
बादाम, नारियल प्रोटीन शेक
आपके शरीर के लिए प्रोटीन का एक अच्‍छा विकल्‍प बादाम हो सकता है। क्‍योंकि बादाम में प्रोटीन की अच्‍छी मात्रा होती है। बादाम प्रोटीन शेक बनाने के लिए लगभग 20 बादाम का उपयोग किया जा सकता है। कयोंकि 20 बादाम में लगभग 5 ग्राम प्रोटीन होता है। इसके अलावा दूध भी प्रोटीन का अच्‍छा स्रोत माना जाता है। बादाम, नारियल प्रोटीन शेक बनाने के लिए आपको निम्‍न सामग्री की आवश्‍यकता होती है :
20 बादाम, ½ कप सूखे नारियल, 2 ½ कप पानी, 1 चम्‍मच दालचीनी पाउडर, 1 चम्‍मच शहद, 2 चम्‍मच पिसा हुआ अलसी पाउडर, 2 कप दूध ।
बादाम, नारियल प्रोटीन शेक बनाने की विधि: 
बादाम और नारियल को रात में पानी में भिगो दें। सुबह इन्‍हें पानी से निकालें और अच्‍छी तरह से पीसें। इस मिश्रण को दूध में मिलाएं। इन्‍हें अच्‍छी तरह से हिलाकर मिलाने के बाद इसमें दालचीनी पाउडर, अलसी पाउडर और शहद मिलाएं। आपका प्रोटीन शेक तैयार है।
काजू चॉकलेट प्रोटीन शेक
सर्वश्रेष्‍ठ प्रोटीन व्‍यंजनों में काजू चॉकलेट प्रोटीन शेक का प्रमुख स्‍थान है। क्‍योंकि इस प्रोटीन शेक का सेवन करने पर 16.35 ग्राम प्रोटीन प्राप्‍त किया जा सकता है। इस प्रोटीन शेक का उपयोग आप सुबह के नाश्‍ता के रूप में भी कर सकते हैं। चूंकि इसमें काजू होता है इसलिए इससे अधिक मात्रा में कैलोरी प्राप्‍त की जा सकती है। काजू चॉकलेट प्रोटीन शेक इस प्रकार बनाया जाता है।
इसे बनाने के लिए 1 केला, 1 कप पूर्ण वसा वाला दूध, 2-3 काजू, 2 चम्‍मच नारियल पाउडर, 2 चम्‍मच चॉकलेट की आवश्‍यकता होती है।
प्रोटीन शेक बनाने का तरीका: आप इन सभी अवयवों को ब्‍लेंडर की सहायता से मिलाएं। आपको 1 गाढ़ा तरल पेय प्राप्त होगा। आप इस पेय पदार्थ को गिलास में लें और आनंद उठाये। आपका प्रोटीन शेक तैयार है।
ब्‍लूबेरी और केला प्रोटीन शेक
शरीर को अतिरिक्‍त ऊर्जा दिलाने के लिए अक्‍सर केला खाने की सलाह दी जाती है। ऐसा इसलिए है क्‍योंकि इसमे प्रोटीन की सबसे अधिक मात्रा होती है। इसके अलावा ब्‍लूबेरी एंटीऑक्‍सीडेंट और विटामिन सी से भरा होता है। आप इस ऊर्जावान प्रोटीन शेक को बनाने के लिए निम्‍न सामग्री का उपयोग कर सकते हैं :
1 कप ब्‍लूबेरी, 1 केला, 2 चम्‍मच बादाम मक्‍खन, 1 कप दही।
इस प्रोटीन शेक को बनाने के लिए मिक्‍सी की सहायता से इन सभी अवयवों को अच्‍छी तरह से पीस लें। आप इसे कुछ पतला करने के लिए दूध भी मिला सकते हैं यदि आवश्‍यकता है तो। आप इस शेक को किसी गिलास में खाली करें। आपके सेवन के लिए प्रोटीन शेक तैयार है। यह न केवल आपकी मांसपेशियों को ताकत देगा बल्कि व्‍यायाम के बाद आपको ऊर्जा भी दिलायेगा।
चॉकलेट प्रोटीन शेक
यह प्रोटीन शेक चॉकलेट प्रेमियों के लिए बहुत ही अच्‍छा होता है। इसका स्‍वाद मीठा होता है (लेकिन ध्‍यान दें कि ज्‍यादा मीठा प्रोटीन शेक का सेवन न करें)। इसके अलावा यह सुगंधित और त्‍वरित मूड बूस्‍टर होता है। इस प्रोटीन शेक का सेवन करने पर आप 23.6 ग्राम प्रोटीन प्राप्‍त कर सकते हैं। इसे तैयार करने क लिए आपको चाहिए :
1 कटा हुआ सेब, 1 बड़ा चम्‍मच बादाम मक्‍खन, 1 बड़ा चम्‍मच चॉकलेट, 1 बड़ा चम्‍मच नारियल पाउडर, 1 कप दूध, ½ कप दही, 2 खजूर आदि।
प्रोटीन शेक बनाने का तरीका: कटे हुए सेब, खजूर, दूध, दही, नारियल पाउडर और बादाम मक्‍खन को ब्‍लेंडर में मिलाकर पीस लें। इस मिश्रण को किसी गिलास में खाली करें और इसमें चॉकलेट डालकर मिलाये। आपका चॉकलेट प्रोटीन शेक तैयार है। आप इसका उपभोग कर सकते हैं।
सत्‍तू का घरेलू प्रोटीन शेक
भुने हुए चने के आटे को सत्‍तू कहते हैं। इसे भारत में बहुत ही पसंद किया जाता है साथ ही यह ऊर्जा प्राप्‍त करने का सबसे अच्‍छा साधन हो सकता है। इसे गरीब आदमी का भोजन के नाम से भी जाना जाता है। लेकिन यह पर्याप्‍त मात्रा में प्रोटीन उपलब्‍ध करा सकता है। आप इस प्रोटीन शेक को घर पर भी तैयार कर सकते हैं। इसे बनाने के लिए आपको चाहिए :
4 चम्‍मच सत्‍तू पाउडर, आधा नींबू का रस, 2 चम्‍मच कटा हुआ धनिया, 1/2 चम्‍मच भुना हुआ जीरा पाउडर, स्‍वाद अनुसार नमक और 1 कप पानी।
प्रोटीन शेक बनाने का तरीका: इसे बनाने के लिए सत्‍तू, भुना हुआ जीरा पाउडर और कटा हुआ धनियां मिलाएं। इसे हिलाते हुए धीरे-धीरे पानी मिलाएं। ध्‍यान रखें कि इसमे किसी किसी प्रकार की गांठ न बचे। अब इस गाढ़े पेस्‍ट में 1 गिलास पानी डालें और नींबू के रस को निचोड़ें। आपका प्रोटीन शेक तैयार है। आप इसे हिलाते हुए पी सकते हैं। यह आपको उच्‍च ऊर्जा दिलाने में मदद कर सकता है।
कोकोनट घरेलू प्रोटीन शेक
बादाम और नारियल दो ऐसे उत्‍पाद हैं जो हमारे शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद होते हैं। इनको 1 कप दूध के साथ मिलाकर सेवन किया जा सकता है। यह बहुत ही स्‍वादिष्‍ट और पोष्टिक होते हैं।
इस प्रोटीन शेक को बनाने के लिए आपको 10 बादाम, 1 कप दूध या बादाम दूध, 1 चम्‍मच नारियल पाउडर, 1 चम्मच वेनिला का रस, ¼ काजू दूध, 2 खजूर आदि की आवश्‍यकता होती है।
प्रोटीन शेक बनाने का तरीका: बादाम, नारियल, दूध और खजूर को ब्‍लेंडर की सहायता से मिलाएं। इसे एक गिलास में खाली करें और इसमें काजू दूध, कोको पाउडर, और वेनिला रस को मिलाये। आपके सेवन के लिए कोकोनट प्रोटीन शेक तैयार है।
मटर प्रोटीन शेक
आप जानते हैं कि मटर हमारे लिए कितना फायदेमंद होता है। यह डेयरी मुक्‍त प्रोटीन उपलब्‍ध कराता है। आप इसके साथ ब्‍लूबेरी या स्‍ट्रॉबेरी का उपयोग कर सकते हैं। इस प्रोटीन शेक बनाने के लिए आपको :
1 ½ चम्‍मच मटर , 1 कप बादाम दूध, ½ कप स्‍ट्रॉबेरी, जायफल पाउडर 1 चुटकी और थोड़ा सा गुड चाहिए।
प्रोटीन शेक बनाने का तरीका: आप इन सभी को अच्‍छी तरह मिलाने के लिए ब्‍लेंडर की मदद ले सकते हैं। अच्‍छी तरह से ब्‍लेंड करने के बाद आप इसे किसी गिलास में खाली करें और इसमें कुछ बर्फ के क्‍यूब्‍स डालें। आपका मटर प्रोटीन शेक तैयार है।
मूंगफली और केला प्रोटीन शेक
यह एक ऐसा प्रोटीन शेक है जो आपको लगभग 43.5 ग्राम प्रोटीन उपलब्‍ध करा सकता है। आप व्‍यायाम के बाद शरीर की थकावट को दूर करने और ऊर्जा प्रापत करने के लिए इस प्रोटीन शेक का उपभोग कर सकते हैं। इसे बनाने के लिए निम्‍न खाद्यों की आवश्‍यकता होती है :
2 मध्‍यम आकार के केले, 2 चम्‍मच मूंगफली का मक्‍खन, 2 कप दही, 100 मिलीलीटर पूर्ण वसा वाला दूध, 1 बड़ा चम्‍मच चिया बीज और नारियल पाउडर।
प्रोटीन शेक बनाने का तरीका: प्रोटीन शेक बनाने के लिए एक ब्‍लेंडर में केला, दही, दूध और मूंगफली मक्‍खन को मिलाये। ब्‍लेंडर में मिश्रण को अच्‍छी तरह से मिलाने के बाद इसमें ऊपर से चिया बीज और नारियल पाउडर को छिड़कें। आपका प्रोटीन शेक तैयार है। आप इसका आनंद उठा सकते हैं यह बहुत ही स्‍वादिष्‍ट और पौष्टिक भी होता है।
मसल्स बनाने के आम-बादाम दूध प्रोटीन शेक
यह प्रोटीन शेक कितना स्‍वादिष्‍ट हो सकता है यह बताने की आवश्‍यकता नहीं है। यह एक ऐसा प्रोटीन पेय है जो आपको व्‍यायाम के बाद ऊर्जा दिलाने में मदद कर सकता है। क्‍योंकि आम मे कार्बोस की अच्‍छी मात्रा होती है। ये हमें ऊर्जा दिलाने में सहायक होते हैं। इस प्रोटीन शेक को बनाने के लिए आपको चाहिए :
1 कप कटा हुआ पका आम, 1 कप बादाम दूध, 1 बड़ा चम्‍मच चिया बीज, ½ कप ठंडा दही।
प्रोटीन शेक बनाने का तरीका: कटे हुए आम, बादाम दूध और ठंडे दही को ब्‍लेंडर की सहायता से मिलाएं। इस मिश्रण को 1 गिलास में खाली करें और पीने से पहले चिया बीज ऊपर से डालें। आपका मैगों प्रोटीन शेक तैयार हैं।

11.7.19

सहजन(मोरिंगा) की पत्तियों के पावडर के स्वास्थ्य लाभ


सहजन लम्बी फलियों वाली एक सब्जी का पेड़ है, जोकि भारत और दुनिया भर में उगाया जाता है. विज्ञान ने प्रमाणित किया है कि इस पेड़ का हर अंग स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक है. सहजन को अंग्रेजी में Moringa (मोरिंगा) या Drumstick tree कहते हैं. ज्यादातर भारतीय सहजन की फली को सब्जी व अन्य भोजन बनाने में करते हैं.
मोरिंगा या सहजन एक प्रकार की खाद्य सब्‍जी है जो विशेष रूप से दक्षिण भारतीय भोजन में बहुत ही लोकप्रिय है। सहजन के आयुर्वेदिक गुण होने के कारण इसे सुपर फूड के रूप में उपभोग किया जाता है। मोरिंगा पाउडर के फायदे स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी समस्‍याओं को दूर करने का सबसे अच्‍छा तरीका है। हालांकि मोरिंगा पेड़ के पत्‍ते, फूल, फल और छाल आदि सभी का विशेष रूप से उपयोग किया जाता है। 
सहजन की सूखी पत्तियों के 100 ग्राम पाउडर में दूध से 17 गुना अधिक कैल्शियम और पालक से 25 गुना अधिक आयरन होता है. इसमें गाजर से 10 गुना अधिक बीटा-कैरोटीन होता है, जोकि आँखों, स्किन और रोगप्रतिरोधक तंत्र के लिए बहुत लाभदायक है. सहजन में केले से 3 गुना अधिक पोटैशियम और संतरे से 7 गुना अधिक विटामिन C होता है.
यह पत्तियाँ प्रोटीन का भी बेहतरीन स्रोत हैं. एक कप ताजी पत्तियों में 2 ग्राम प्रोटीन होता है. यह प्रोटीन किसी भी प्रकार से मांसाहारी स्रोतों से मिले प्रोटीन से कम नहीं है क्योंकि इसमें सभी आवश्यक एमिनो एसिड्स पाए जाते हैं.

सहजन का पाउडर मारिंगा ओलेइफेरा (Moringa oleifera) पेड़ से बनाया जाता है। यह पेड़ अब तक के ज्ञात पेड़ों में सबसे अधिक पौष्टिक और औषधीय गुणों वाला है। इस पेड़ के अधिकांश औषधीय गुण इसकी पत्तियों में केंद्रित हैं। मोरिंगा पाउडर सहजन के पेड़ की पत्तियों से बनाया जाता है। सहजन के पत्‍तों का पाउडर गहरे हरे रंग का होता है जिसमें सहजन की पर्याप्‍त गंध होती है। सहजन का पाउडर बनाने के लिए इसकी पत्तियों को कम तापमान में छाये में सुखाया जाता है। जिससे पौधे के ऊतकों को एक महीन चूर्ण में बदला जा सके। इसके बाद इस पाउडर की अशुद्धियों को दूर कर इन्‍हें कैप्‍सूल आदि बनाने के लिए उपयोग किया जाता है। सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि एक बार पैक करने के बाद, यह पाउडर कई महीनों तक ताजा रहता है, विटामिन, खनिज, एंटीऑक्सिडेंट, क्लोरोफिल और पूर्ण अमीनो-एसिड के पोषण मूल्य को बरकरार रखता है। आइए जाने सहजन में मौजूद पोषक तत्‍व क्‍या हैं।

सहजन पाउडर के पोषक तत्‍व

सहजन के पोषक तत्‍व और औषधीय गुणों के कारण इसका उपयोग आयुर्वेद में प्रमुख रूप से किया जाता है। सहजन के पाउडर में विभिन्‍न प्रकार के विटामिन, खनिज पदार्थ, एंटीऑक्‍सीडेंट, क्‍लोरोफिल और पूर्ण अमीनो-एसिड की अच्‍छी मात्रा होती है। मोरिंगा पाउडर में प्रोटीन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटेशियम, आयरन और विटामिन की भरपूर मात्रा पायी जाती है।
सहजन की सूखी पत्तियों के पाउडर को ताजी पत्तियों की अपेक्षा बहुत अधिक पसंद किया जाता है। शुद्ध और जैविक होने के कारण सहजन के पाउडर का सेवन करने से कोई गंभीर दुष्‍प्रभाव नहीं होते हैं।


सहजन पेड़ के उपयोगी भाग

सहजन पेड़ के फल का खाद्य सब्‍जी के रूप में सबसे अधिक उपयोग होता है। हालांकि इस पेड़ के औषधीय गुण सबसे अधिक इसकी पत्तियों में होते हैं। सामान्‍य रूप से सहजन के पेड़ के लगभग सभी हिस्‍सों में औषधीय गुण होते हैं जिनका उपयोग आप कई स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं को दूर करने के लिए कर सकते हैं। सहजन पेड़ के उपयोगी भाग में जड़, छाल, सहजन के फल, सहजन के बीज, सहजन की पत्तियां, फूल और पेड़ के अर्क आदि हैं जिनका औषधीय उपयोग होता है।

सहजन पाउडर के फायदे और स्‍वास्‍थ्‍य लाभ

इस सुपर फूड के स्‍वास्‍थ्‍य लाभ बहुत अधिक होते हैं। हालांकि यह खाद्य रूप में बहुत ही लोकप्रिय है लेकिन इससे प्राप्त स्‍वास्‍थ्‍य लाभों की की जानकारी लोगों को बहुत कम है। सहजन के पाउडर में लगभग 20 प्रकार के अमीनो-एसिड, 46 एंटीऑक्‍सीडेंट, 36 एंटीइंफ्लामेटरी यौगिक और 90 से अधिक पोषक तत्‍व होते हैं। जिसके कारण यह सबसे अच्‍छा पोषण पूरक में से एक माना जाता है। सहजन के पाउडर में आयरन, कैल्शियम, और विटामिन A, B, B1, B2, B3, B6, C, E के साथ ही मैक्रो खनिज (macro minerals), ट्रेस खनिज और फाइटोन्‍यूट्रिएंट (trace minerals and phytonutrients) जैसे खनिजों की उच्‍च मात्रा होती है। इसके अलावा यह उच्‍च गुणवत्‍ता वाले प्रोटीन और फाइबर में भी समृद्ध होते हैं।

सहजन पाउडर के फायदे मधुमेह के लिए –

डायबिटीज रोगी के लिए सहजन का पाउडर बहुत ही फायदेमंद होता है। इसके मौजूद पोषक तत्‍व और खनिज पदार्थ रक्‍त में रक्‍त शर्करा के स्‍तर को सामान्‍य रखने में सहायक होते हैं। मधुमेह के लक्षणों को कम करने के लिए रोगी को सहजन से बने कैप्‍सूल या सहजन पाउडर का नियमित सेवन करना चाहिए। नियमित रूप से उपभोग करने पर यह उच्‍च रक्‍त शर्करा के स्‍तर को कम करने में प्रभावी होता है। यदि आप भी मधुमेह रोगी हैं तो सहजन के पाउडर से बने पेय को अपने दैनिक आहार में शामिल करें।
*सहजन के फूलों की चाय (Moringa flower tea) न्यूट्रीशनल गुणों से भरपूर होती है. यह चाय यूरिन इन्फेक्शन, सर्दी-जुकाम ठीक करती है. सहजन के फूल सलाद के रूप में भी खाए जाते हैं. सहजन के इतने फायदे हैं कि गिनती कम पड़ जाये. सहजन अनिद्रा, अस्थमा, हाइपरटेंशन, Rheumatoid आर्थराइटिस, एनीमिया, आंत का अल्सर भी ठीक करता है और घाव जल्दी भरता है. दिमागी स्वास्थ्य के लिए सहजन लाजवाब है. सहजन डिप्रेशन, बेचैनी, थकान, भूलने की बीमारी ठीक करता है.

सहजन पाउडर खाने के फायदे रक्‍तचाप के लिए

नियमित रूप से सहजन पाउडर खाने के फायदे उच्‍च रक्‍तचाप रोगी के लिए अच्‍छे होते हैं। क्‍योंकि यह उच्‍च रक्‍तचाप के लक्षणों को कम करने और नींद संबंधी समस्‍या को दूर करने में प्रभावी माना जाता है। सहजन के पाउडर में मौजूद पोषक तत्‍व और खनिज पदार्थ रक्‍तचाप को नियंत्रित करने और उच्‍च रक्‍तचाप को निम्‍न स्‍तर पर संतुलित करने में सहायक होते हैं। यदि आप भी उच्‍च रक्‍तचाप रोगी हैं तो अपने दैनिक आहार में सहजन के पाउडर को शामिल कर लक्षणों को कम कर सकते हैं।

सहजन चूर्ण के फायदे पाचन के लिए

पाचन और आंत संबंधी समस्‍याओं को दूर करने के लिए सहजन का पाउडर बहुत ही प्रभावी होता है। मोरिंगा पाउउर में फाइबर की उच्‍च मात्रा होती है जो आपके पाचन तंत्र को स्‍वस्‍थ रखने में सहायक होते हैं। इसके अलावा सहजन की पत्तियों में पेट साफ करने वाले रेचक (laxative) प्रभाव भी होते हैं। जिसके कारण यह पेट में मौजूद विषाक्‍तता को आसानी से दूर कर सकते हैं। सहजन का चूर्ण खाने के फायदे विशेष रूप से कब्‍ज रोगी के लिए होते हैं। इसमें मौजूद एंटी-इंफ्लामेटरी गुण पेट के अल्‍सर और अन्‍य पेट संबंधी संक्रमण का प्रभावी रूप से इलाज करते हैं। यदि आप भी अपने पाचन तंत्र को स्‍वस्‍थ रखना और पेट संबंधी संक्रमण से बचना चाहते हैं तो अपने दैनिक आहार में सहजन के चूर्ण को शामिल करें।


मोरिंगा पाउडर खाने के लाभ वजन कम करे

जो लोग अपना वजन कम करना चाहते हैं उनके लिए सहजन पाउडर अच्‍छा विकल्‍प है। सहजन पाउडर के औषधीय गुण वजन कम करने में सहायक होते हैं। मोरिंगा पाउडर में फाइबर की उच्‍च मात्रा होती है जो आपके पाचन तंत्र को स्‍वस्‍थ रखता है साथ ही यह आपकी भूख को भी नियंत्रित करता है। जिससे आपको बार-बार भूख लगने की संभावना कम हो जाती है। इसक अलावा सहजन की पत्तियों में क्‍लोरोजेनिक एसिड नामक एक एंटीऑक्‍सीडेंट होता है जो शरीर में मौजूद अतिरिक्‍त वसा को बर्न करने में सहायक होता है। साथ ही यह रक्‍त शर्करा के स्‍तर को कम करने में भी प्रभावी होता है। यदि आप भी अपने वजन को कम करना चाहते हैं तो अन्‍य उपायो के साथ ही सहजन के पाउडर का सेवन कर लाभ उठा सकते हैं।

मोरिंगा पाउडर के लाभ कोलेस्‍ट्रॉल कम करे

अध्‍ययनों से पता चलता है कि नियमित रूप से सहजन के पाउडर का सेवन करना शारीरिक स्‍वास्‍थ्‍य को बढ़ावा देता है। यह एलडीएल कोलेस्‍ट्रॉल के सतर को कम करने और रक्त के थक्‍कों के गठन को भी प्रभावी रूप से कम कर सकता है। शरीर में उच्‍च कोलेस्‍ट्रॉल की मात्रा आपकी कई गंभीर स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं का कारण बन सकता है। आप भी अपने शरीर में कोलेस्‍ट्रॉल के स्‍तर को नियंत्रित करने के लिए मोरिंगा पाउडर के लाभ प्राप्‍त कर सकते हैं।

मोरिंगा पाउडर का उपयोग विषाक्‍तता दूर करे

सहजन के पाउडर में डिटॉक्सिफाइंग गुण होते हैं। जिसके कारण इसका उपयोग सामान्‍य रूप से पानी को शुद्ध करने के लिए किया जाता है। आप अपने शरीर में मौजूद विषाक्‍तता को दूर करने के लिए भी सहजन के पाउडर का इस्‍तेमाल कर सकते हैं। इसके अलावा मोरिंगा पाउडर में कौयगुलांट (coagulant) गुण भी होते हैं जो संक्रामक बैक्‍टीरिया और रोगाणुओं को दूर करने में प्रभावी होते हैं। आप भी अपने शरीर को संक्रामक प्रभाव से बचाने और विषाक्‍तता को दूर करने के लिए सहजन के पाउडर का उपयोग कर सकते हैं।

सहजन पाउडर के लाभ लीवर के लिए –

सहजन के फूल और पत्तियों में पॉलीफेनोल की उच्‍च मात्रा होती है जो ऑक्‍सीकरण, विषाक्‍तता और क्षति के खिलाफ लीवर की रक्षा करते हैं। सहजन के गुण जिगर की क्षति और फाइब्रोसिस को कम करने में सहायक होते हैं। इसके अलावा इसके अन्‍य पोषक तत्‍व एंजाइम को सामान्‍य स्‍तर में बनाए रखने में सहायक होते हैं जिससे ऑक्‍सीडेटिव तनाव कम होता है और यकृत में प्रोटीन की मात्रा बढ़ जाती है। यदि आप भी अपने लीवर को स्‍वस्‍थ रखना चाहते हैं तो नियमित आहार में सहजन पाउडर को शामिल कर सकते हैं। यह लीवर को स्‍वस्‍थ रखने और लीवर संबंधी समस्‍याओं को प्रभावी रूप से दूर करने का सबसे बेहतरीन तरीका है।
गर्भावस्‍था में फायदेमंद सहजन पाउडर – 
स्‍तनपान कराने वाली और गर्भवती महिलाओं के लिए सहजन पाउडर बहुत ही उपयोगी होता है। क्योंकि इस स्थिति में महिलाओं को अतिरिक्‍त पोषक तत्‍वों की आवश्‍यकता होती है। इस दौरान गर्भवती और स्‍तनपान कराने वाली महिलाओं को नियमित रूप से सहजन के पाउडर का सेवन करना चाहिए। क्‍योंकि यह उनके शरीर में आयरन और कैल्शियम की कमी को दूर करता है।

सहजन पाउडर के गुण स्‍टैमिना बढ़ाये

विटामिन, खनिज पदार्थ, एंटीऑक्‍सीडेंट और फाइटोन्‍यूट्रिएंट की उच्‍च मात्रा में होती है। जिसके कारण सहजन पाउडर आपकी ऊर्जा और सहनशक्ति को बढ़ाने के साथ ही एकाग्रता (concentration) को बढ़ाने में सहायक होता है। आप अपने बच्‍चों की एकाग्रता को बढ़ाने के लिए सहजन के पाउडर का उपयोग कर सकते हैं। इसके अलावा सहजन का पाउडर एथलीट और व्‍यायाम करने वाले लोगों के लिए भी फायदेमंद होता है। क्‍योंकि यह परिश्रम के दौरान खोई हुई ऊर्जा को फिर से दिलाने में सहायक होता है। यदि आप भी शारीरिक कमजोरी और थकान का अनुभव करते हैं तो सहजन के पाउडर का इस्‍तेमाल करें। यह आपकी एनर्जी बढ़ाने में सहायक होता है।

सहजन पाउडर के लाभ मस्तिष्‍क स्‍वास्‍थ्‍य के लिए

आप अपने मस्तिष्‍क स्‍वासथ्‍य को बढ़ावा देने के लिए मोरिंगा पाउडर का उपयोग कर सकते हैं। इसमें मौजूद एंटीऑक्‍सीडेंट मस्तिष्‍क स्‍वास्‍थ्‍य और संज्ञानात्‍मक कार्य को बढ़ावा देते हैं। इसके अलावा यदि किसी व्‍यक्ति को अल्‍जाइमर के शुरुआती लक्षण होते हैं तब यह उनके लिए बहुत ही प्रभावी औषधी मानी जाती है। इसमें मौजूद विटामिन ई और सी ऑक्‍सीकरण को रोकते हैं जो मस्तिष्‍क को नुकसान पहुंचा सकता है। इस तरह से आप अपने मस्तिष्‍क को स्‍वस्‍थ रखने के लिए भी सहजन पाउडर का इस्‍तेमाल कर सकते हैं।

सहजन पाउडर का इस्‍तेमाल अनिद्रा दूर करे

मोरिंगा पाउडर अनिद्रा या नींद की कमी संबंधी समस्‍याओं का घरेलू उपचार माना जाता है। सहजन के पाउडर में अमीनो एसिड ट्रिप्‍टोफैन (tryptophan) होता है। यह घटक न्‍यूरोट्रांसमीटर सेरोटोनिन और मेलाटोनिन (serotonin and melatonin) हार्मोन के उत्‍पादन को बढ़ाता है। ये घटक नींद चक्र को नियंत्रित करते हैं। प्रोटीन से भरपूर होने के कारण सहजन पाउडर शरीर को स्‍वस्‍थ और अच्‍छा महसूस कराने वाले हार्मोन को भी उत्‍तेजित करते हैं। जिससे मूड को बेहतर बनाए रखने में मदद मिलती है। यदि आप भी नींद की कमी और इसके अन्‍य लक्षणों से परेशान हैं तो सहजन के पाउडर का इस्‍तेमाल करें।

सहजन पाउडर से करें अवसाद का इलाज –

मानसिक तनाव और अवसाद के लक्षणों को कम करने की क्षमता सहजन के पाउडर में होती है। यदि आप भी इसी प्रकार की समस्‍या से परेशान हैं तो अपने दैनिक आहार में सहजन के पाउडर को शामिल कर सकते हैं। नियमित रूप से कुछ दिनों तक सहजन के पाउडर का सेवन करना आपको इस प्रकार की समस्‍या से छुटकारा दिला सकता है।

सहजन पाउडर के लाभ घाव उपचार में –

आप अपनी त्‍वचा में मौजूद मुंहासों या अन्‍य घावों का इलाज करने के लिए सहजन के पाउडर का इस्‍तेमाल कर सकते हैं। सहजन में मौजूद एंटीऑक्‍सीडेंट और एंटी-इंफ्लामेटरी गुण घावों का उपचार करने और उन्‍हें संक्रमण से बचाने में प्रभावी होते हैं। यदि आप भी किसी कट, चोट या घाव से ग्रस्‍त हैं तो सहजन के पाउडर के उपयोग करें

मोरिंगा पाउडर के फायदे ग्‍लोइंग स्किन के लिए

आप अपने चेहरे की त्‍वचा को गोरा और चमकदार बनाने के लिए सहजन पाउडर का इस्‍तेमाल कर सकते हैं। सहजन पाउडर का उपयोग फेस पैक के रूप में भी किया जा सकता है। इसके लिए आप मुलतानी मिट्टी या चंदन पाउडर के साथ सहजन पाउडर को मिलाएं और एक पेस्‍ट तैयार करें। नियमित रूप से हर दूसरे दिन इस फेस पैक का उपयोग करने से त्‍वचा को चमकदार और गोरा बनाया जा सकता है। आप भी अपने चेहरे को गोरा बनाने के घरेलू उपाय में सहजन पाउडर का इस्‍तेमाल कर सकते हैं।

सहजन पाउडर का उपयोग एंटी-एजिंग के लिए

सहजन का पाउडर विटामिन ए, विटामिन सी, विटामिन और बायोफ्लेवोनॉइड्स की अच्‍छी मात्रा होती है। इसके सा‍थ ही इसमें बहुत से एंटीऑक्‍सीडेंट भी होते हैं। जो कि त्‍वचा को नुकसान पहुंचाने वाले फ्री रेडिकल्‍स के प्रभाव को कम करने में मदद करते हैं। इन्‍हीं फ्री रेडिकल्‍स के कारण त्‍वचा कोशिकाओं को नुकसान होता है जो झुर्रियों और अन्‍य उम्र बढ़ने संबंधी समस्‍याओं का कारण होते हैं। आप भी समय से पहले आने वाले बुढ़ापे के संकेतों को दूर करने के लिए सहजन के पाउडर का मौखिक और बाहृ रूप से उपयोग कर सकते हैं।


सहजन पाउडर के फायदे बाल झड़ने से रोके

यदि आप बालों के झड़ने संबंधी समस्‍या से परेशान हैं तो सहजन के पाउडर का प्रयोग करें। यह आपके बालों को झड़ने से रोकने में मददगार होता है। मोरिंगा पाउडर में मौजूद कुछ विटामिन, खनिज और अमीनो एसिड बालों के लिए केरेटिन (keratin) प्रोटीन का निर्माण करने में सहायक होते हैं। इसके अलावा सहजन पाउडर में मेथियो‍नीन (Methionine) अमीनो एसिड भी होता है जो आपके बालों को सल्‍फर की कमी से बचाता है। जिससे आप अपने बालों को झड़ने से रोक सकते हैं।

सहजन पाउडर का उपयोग कैसे करें 

औषधीय गुणों से भरपूर सहजन का पाउडर हमें कई स्‍वास्‍थ्‍य और सौंदर्य लाभ दिलाता है। आप अपनी सुविधा और जरूरत के अनुसार सहजन के पाउडर का उपयोग कई प्रकार से कर सकते हैं। जैसे आप अपनी स्‍मूदी में मोरिंगा पाउडर को मिला सकते हैं। इसके अलावा आप सहजन के पाउडर की चाय का भी सेवन कर सकते हैं। अध्‍ययनों के अनुसार सहजन की पत्‍तीयों का पाउडर स्‍वास्‍थ्‍य के लिए पूर्ण रूप से सुरक्षित माना जाता है। आप भी अपने स्‍वास्‍थ्‍य को बढ़ावा देने के लिए मोरिंगा पाउडर का सेवन कर सकते हैं

सहजन पाउडर का स्‍वाद

सहजन के पाउडर में एक हल्‍का स्‍वाद होता है। इसलिए चाय के रूप में सेवन करने पर यह हल्‍की मोरिसा चाय या ग्रीन टी के समान स्‍वाद देती है। यह पोषक तत्‍वों को बढ़ावा देने के लिए भोजन या पेय पदार्थों के रूप में उपयोग की जा सकती है।

सहजन का चूर्ण बनाने की विधि

घर पर मोरिंगा या सहजन की पत्तियों पाउडर बनाना काफी आसान है लेकिन इसे छांटने और साफ करने में कुछ समय लगता है और फिर फूड प्रोसेसर में पीसने से पहले पत्तियों को सुखा लिया जाता हैं। मोरिंगा या ड्रमस्टिक औषधीय पेड़ है जो अपने पौष्टिक गुणों के लिए जाना जाता है, पेड़ का हर भाग खाद्य और औषधीय है।

मोरिंगा पाउडर कैसे बनाये

मोरिंगा की ताजा पत्तियां प्राप्त करें। डंठल के साथ पत्तियों को उठायें, सभी डंठल को एक साथ पकड़ें और पानी के एक बड़े टब में कम से कम 3-4 बार साफ करें।
लगभग 4-5 घंटों में पत्तियां मुरझा जाती हैं और डंठल से आसानी से अलग हो सकते हैं और उन्हें एक साथ पकड़कर नीचे की ओर खींच सकते हैं। आप चाहें तो शाम को पत्तियों को तोड़ सकते हैं और उन्हें धोने (रिन्सिंग) के बाद रात भर के लिए छोड़ सकते हैं।
पत्तियों के अलग होने के बाद, उन्हें एक छिद्रित सतह में फैलाएं, बांस के टोकरी इसके लिए भी आश्चर्यजनक रूप से काम करते हैं। मेरे पास स्टील की जाली से बनी कुछ ट्रे हैं, पुराने ज़माने के कोलंडर भी काम करते हैं। पत्तियों से सभी डंठल निकालें ताकि पाउडर चिकना हो।
इसे पतले गहरे कपड़े से ढँक दें और कड़ी धूप में सूखा लें (भारतीय गर्मियों में ऐसी चीजों के लिए बहुत अच्छा है) जब तक कि पत्तियाँ कुरकुरी न हो जाएँ। तेज गर्मियों में पत्तियों को कुरकुरा बनाने में सिर्फ एक दिन लगता है लेकिन बाद में आपको 2 दिन से अधिक लग सकते। शाम को पत्तियों को घर के अंदर ले आयें और उनका कुरकुरापन खोने से पहले तुरंत पाउडर बना लें। यह पाउडर को वास्तव में बारीक करने में मदद करता है। आप किसी भी रेशेदार अवशेष को हटाने के लिए इसे छलनी कर सकते हैं।
तुरंत एक साफ एयर टाइट ढक्कन के साथ एक साफ और सूखे जार में स्थानांतरण करें। इस तरह से बनाए गए मोरिंगा पाउडर कमरे के तापमान पर कम से कम 6 महीने तक ठीक तरह से स्टोर रहते हैं। शेल्फ लाइफ को लम्बा करने के लिए आप इसे रेफ्रिजरेट में रख सकते हैं।


याद रखें कि अगर आप इसे रोजाना इस्तेमाल करना चाहते हैं तो आपको प्रति व्यक्ति प्रति दिन बस आधा चम्मच (1/2 tsp) या 2/3 tsp का ही सेवन करना चाहिए।
चूंकि मोरिंगा या सहजन की पत्तियों को सुखाया जा सकता है और भंडारण के लिए पीसा जा सकता है, इसे चाय के लिए उपयोग किया जाता है, एक विटामिन पूरक के रूप में या आसानी से पोषण तत्वों (vitamin supplement) को प्राप्त करने के लिए व्यंजनों में मिलाया जाता है, आपको आश्चर्य होगा कि आप इसे क्यों नहीं खा रहे हैं। क्योंकि मोरिंगा कमाल का पेड़ है!

सहजन पाउडर के नुकसान

अध्‍ययनों ने इस बात की पुष्टि की है कि सहजन का पाउडर मानव स्‍वास्‍थ्‍य के लिए पूरी तरह से सुरक्षित है। लेकिन फिर भी मोरिंगा पाउडर के कुछ संभावित नुकसान हो सकते हैं।
सहजन के बीजों का अधिक मात्रा में सेवन न करें। क्‍योंकि यह प्रतिरक्षा कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है। जिससे आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो सकती है।
सहजन के पाउडर में पेट साफ करने वाले गुण होते हैं। इसलिए अधिक मात्रा में इसका सेवन करने से बचना चाहिए। अन्‍यथा यह पाचन समस्‍याओं को बढ़ा सकता है।
मधुमेह रोगीयों को बहुत ही कम या संतुलित मात्रा में सहजन पाउडर का उपभोग करना चाहिए। क्‍योंकि यह रक्‍त शर्करा के स्‍तर को कम करने में सहायक होता है। अधिक मात्रा में सेवन करने पर यह रक्‍त शर्करा के स्तर को बहुत ही निम्‍न स्‍तर पर ले जा सकता है जो स्‍वास्‍थ्‍य के लिए हानिकारक है।
मोरिंगा की परिपक्व पत्तियां कुछ लोगों में पेट खराब कर सकती हैं इसलिए इसका ध्यान रखें और जब आप पहली बार इसका उपयोग करें तो बहुत कम मात्रा में इसका उपयोग करें। इसे बच्चों को खिलाते समय सावधानी बरतें।
यदि आप किसी विशेष प्रकार की दवाओं का सेवन कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में सहजन पाउडर का सेवन करने से पहले आपको अपने डॉक्‍टर से सलाह लेनी चाहिए।

मछली खाने के स्वास्थ्य लाभ:benefits of eating fish




  मछली में पाये जाने वाले लो सेचुरेटेड फैट, अधिक मात्रा में प्रोटीन और ओमेगा-3 फैटी एसिड के कारण मछली का सेवन सेहत के लिए स्‍वास्‍थ्‍यवर्धक होता है। मछली में विटामिन, मिनरल और कई प्रकार के पोषक तत्व मौजूद होते हैं इसलिए मछली को खाने से शरीर को सभी आवश्‍यक पोषक तत्‍व मिलते हैं। जो शरीर के लिए आवश्यक होते हैं। मछली खाने से केवल कैंसर ही नहीं बल्कि कई सामान्य बीमारियां भी दूर होती हैं। डायबिटीज रोगियों के लिए मछली बहुत फायदेमंद है। अगर ऊर्जावान बनना चाहते हैं तो अपने लंच और डिनर में मछली को शामिल कीजिए।

ऐसा माना जाता है यह दुनिया का सबसे पौष्टिक खाद्य पदार्थ है। मछली का सेवन करने से यह आपके वजन को नियंत्रित करने, दिल को स्‍वस्‍थ्‍य रखने, मस्तिष्‍क को स्‍वस्‍थ्‍य रखने, रक्‍तचाप और मधुमेह जैसी गंभीर समस्‍याओं को नियंत्रित करने में मदद करती हैं। इसके अलावा इसमें मौजूद पोषक तत्‍व आपके देखने की क्षमता को बढ़ाते हैं और उम्र बढ़ने के दौरान आंखों की समस्‍याओं को दूर करते हैं।

मछली के पोषक तत्‍व: Health benefits of eating fish

सभी लोग जानते हैं कि मछली का नियमित रूप से सेवन करना सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। ऐसा इसलिए है क्‍योंकि मछली के सबसे प्रमुख पोषक तत्‍वों में विटामिन डी होता है। जैसा की आप जानते हैं कि प्रकृति में विटामिन डी केवल सूर्य के प्रकाश से मिलता है। इसके अलावा बहुत ही कम ऐसे उत्‍पाद हैं जो विटामिन डी उपलब्‍ध कराते हैं। विटामिन डी के अलावा मछली में ओमेगा-3 फैटी एसिड होता है जो आपके मस्तिष्‍क और शरीर के लिए बहुत ही लाभकारी होता है। मछली में आयोडीन भी पाया जाता है जो हमारे शरीर में आयोडीन की कमी को पूरा कर सकता है। आइए जाने मछली खाने के फायदे और नुकसान के बारे में।

आपके शरीर मे ऊर्जा को बनाए रखने के लिए प्रोटीन की आवश्‍यकता होती है। चूंकि मछली में प्रोटीन सामग्री बहुत अच्‍छी मात्रा में मौजूद रहती है इसलिए इसे अच्छा विकल्‍प माना जा सकता है। पर्याप्‍त मात्रा में प्रोटीन होने के कारण मछली का सेवन करने से तत्‍काल ऊर्जा प्राप्‍त की जा सकती है। अपने पोषक तत्‍वों की उपस्थिति के कारण यह न केवल आपको तत्‍काल ऊर्जा दिला सकती है बल्कि इसमें मौजूद प्रोटीन क्षतिग्रस्‍त कोशिकाओं की मरम्‍मत करने में मदद भी करते हैं। आपके शरीर में पर्याप्‍त ऊर्जा बनाए रखने के लिए आप अपने नियमित आहार में मछली को शामिल कर सकते हैं।
अपने आहार में नियमित रूप से मछली को शामिल करने के बहुत से कारण हैं। इसका पहला कारण यह है कि यह एक उच्‍च प्रोटीन और कम वसा वाला आहार है। इसके अलावा इससे प्राप्‍त होने वाला तेल (ओमेगा-3 फैटी एसिड) या वसा अच्‍छी मात्रा में मौजूद रहती है जो हृदय संबंधि विभिन्न समस्‍याओं को दूर करने में मदद करती है। चूंकि मानव शरीर इन सभी पोषक तत्‍वों को अपने शरीर में खुद से नहीं बना सकता है। इसलिए इनकी आपूर्ति के लिए मछली का सेवन करना आवश्‍यक हो जाता है। इन पोषक तत्‍वों की मौजूदगी के कारण यह हमारी विभिन्‍न स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं को दूर करने के लिए आवश्‍यक हो जाता है।

कैंसर के खतरे को कम करें: Health benefits of eating fish

मछली खाने से कैंसर का खतरा कम होता है। जी हां, नॉनवेज के रूप में जो लोग मछली का ज्यादा मात्रा में सेवन करते हैं उनको सामान्य लोगों की तुलना में कैंसर होने का खतरा कम होता है। सिडनी यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने शोधों में यह पाया है कि मछली खाने से कैंसर का खतरा कम होता है। मछली में ओमेगा-3 फैटी एसिड ज्यादा मात्रा में पाया जाता है, जो कैंसर होने से रोकता है। टूना और सालमन मछलियों में ओमेगा-3 फैटी एसिड की ज्यादा मात्रा होती है। मछली स्तन कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर, अंडाशय के कैंसर के होने की संभावना कम करता है। इसलिए सामान्य मछलियों की तुलना में इन मछलियों को अपने खान-पान में शामिल कीजिए। 

मछली खाने के लाभ त्‍वचा के लिए; Health benefits of eating fish

आपको अपनी त्‍वचा को स्‍वस्‍थ्‍य रखने के लिए कई प्रकार के पोषक तत्‍व और विटामिनों की आवश्‍यकता होती है। आप इनकी पूर्ति के लिए मछली का सेवन कर सकते हैं। दैनिक आहार में मछली का उपयोग करने पर यह ओमेगा-3 फैटी एसिड, प्रोटीन, विटामिन ए और बी की अच्‍छी मात्रा प्राप्‍त की जा सकती है। ये सभी पोषक तत्‍व आपकी त्‍वचा को स्‍वस्‍थ्‍य व सुंदर बनाने में मदद करते हैं। मछली का उपभोग कर आप समय से पहले आने वाले बुढ़ापे के संकेतो जैसे त्‍वचा में झुर्रियां आना, दाग बनना आदि को रोक सकते हैं। इस तरह से मछली एंटी-एजिंग गुणों के लिए जानी जाती है।

मछली खाने के फायदे अनिद्रा के लिए: Health benefits of eating fish

लगभग सभी लोग नींद की समस्‍या से जूझ रहे हैं। ऐसा इसलिए है क्‍योंकि आज का जीवन बहुत ही व्‍यस्‍तता वाला है। इसके अलावा हमारी गलत जीवन शैली भी इसका प्रमुख कारण है। लेकिन अनिद्रा का उपचार किया जा सकता है। कुछ शोधकर्ताओं का मानना है कि विटामिन डी की कमी के कारण भी नींद की कमी हो सकती है। यदि आप मछली को अपने नियमित आहार में शामिल करते हैं तो इससे आपको विटामिन डी के साथ ही प्रोटीन, मैंग्नीशियम, मैंगनीज आदि जैसे पोषक तत्‍व प्राप्‍त हो सकते हैं जो आपकी अच्‍छी नींद को उत्‍तेजित करने में मदद करते हैं। जिन लोगों में नींद की कमी होती है वे अक्‍सर तनाव या अवसाद से ग्रस्‍त होते हैं। इसलिए अपने तनाव को कम करने के लिए आप मछली का सेवन कर सकते हैं। यह अच्‍छी नींद लाकर आपके तनाव को कम कर सकती है।

मछली के गुण आंखों के स्वास्थ्य के लिए

मैकुलर अपघटन नामक एक बीमारी द्रष्टि विकार और अंधापन का एक प्रमुख कारण है। यह एक ऐसी स्थिति है जो उम्र बढ़ने के साथ ही लगभग सभी लोगों को प्रभावित करती है। लेकिन कुछ अध्‍ययनों से पता चलता है कि मछली में ओमेगा-3 फैटी एसिड की मौजूदगी इस समस्‍या से निजात दिला सकती है। जानकारों का मानना है कि नियमित रूप से मछली का सेवन करने पर यह मैकुलर अपघटन की संभावना को 42 प्रतिशत तक कम कर सकता है। यदि आप बढ़ती उम्र के कारण होने वाली द्रष्टि हानि से बचना चाहते हैं तो मछली को साप्‍ताहिक आ‍हार में शामिल कर सकते हैं।

मछली करे खून की कमी को दूर: Health benefits of eating fish

शरीर में खून की कमी का प्रमुख कारण आयरन की कमी माना जाता है। लाल रक्‍त कोशिकाओं के उत्‍पादन में आयरन का विशेष योगदान होता है। मछली ऐसा खाद्य पदार्थ है जो आयरन की अच्‍छी मात्रा रखता है। इसके अलावा मछली में बहुत से पोषक तत्‍व और विटामिन होते हैं। यदि आपको आयरन की कमी है तो इस कमी को दूर करने के लिए आप मछली का सेवन कर सकते हैं। इसके लिए आप ट्यूना और सालमन मछली का चुनाव कर सकते है। इनका उपभोग करने से आपका रक्‍तपरिसंचरण सुचारू रूप से चलता रहता है। इसके साथ ही यह थकान और एनीमिया से जुड़े खतरों को कम करने में मदद करता है।

रक्तचाप कम करें: Health benefits of eating fish

अगर आपको हाई ब्लड प्रेशर की समस्या है तो मछली खाना आपके लिए बहुत ही फायदेमंद है, क्योंकि मछली और मछली का तेल दोनों ही ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद करते हैं। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के अनुसार ओमेगा-3 फैटी एसिड से युक्त मछली के नियमित सेवन से उच्च रक्तचाप पीड़ित व्यक्ति के रक्तदाब में उल्लेखनीय कमी आती है। 


कार्डियोवैस्‍कुलर स्‍वास्‍थ्‍य से संबंधित समस्‍याओं को दूर करने के लिए मछली का उपभोग फायदेमंद होता है। ऐसा इसलिए है क्‍योंकि मछली में ओमेगा-3 फैटी एसिड अच्‍छी मात्रा में होता है। ओमेगा-3 फैटी एसिड का नियंत्रित मात्रा में सेवन करने से यह स्‍ट्रोक और दिल के दौरा जैसे खतरों से बचाता है। एक अध्‍ययन से पता चलता है कि अपने आहार में मछली को शामिल करके शरीर में मौजूद खराब कोलेस्‍ट्रोल के स्‍तर को कम किया जा सकता है। शरीर में मौजूद खराब कोलेस्‍ट्रोल हृदय स्‍वास्‍थ्‍य के लिए हानिकारक होता है। ओमेगा-3 फैटी एसिड रक्‍त के थक्‍का बनने से रोकने और रक्‍तवाहिकाओं को लचीला बनाए रखने में सहायक होता है। इस तरह से यह आपके शरीर में उचित रक्‍त प्रवाह को बनाए रखने और दिल को स्‍वस्‍थ्‍य बनाने में अपना अहम योगदान देता है। इसलिए कार्डियोवैस्कुलर स्वास्थ्य के लिए मछली का नियमित सेवन किया जा सकता है।

मोटापा कम करने में मददगार

मछली खाने से शरीर के अंदर मौजूद अतिरिक्त फैट समाप्‍त होता है, जिससे मोटापा कम होता है। मोटे लोगों को अपने वजन को कम करने के लिए लंच और डिनर में मछली और मछली का तेल प्रयोग करना चाहिए।

मछली खाने के फायदे बालों के लिए

यदि आप बालों के झड़ने से परेशान हैं तो सबसे पहले इनके झड़ने का कारण ढूंढने का प्रयास करें। प्रोटीन और विटामिनों की कमी के कारण आपके सिर से बाल झड़ सकते हैं। इस समस्‍या से बचने के लिए आप मछली से प्राप्‍त ओमेगा-3 फैटी एसिड का उपभोग कर सकते हैं। यह आपके बालों को झड़ने से रोकने में मदद करता है। इसके अलावा मछली का सेवन करने से आपको बहुत से विटामिन और प्रोटीन की अच्छी मात्रा प्राप्‍त हो सकती है। मछली को प्रोटीन का पावरहाउस भी माना जाता है। नियमित रूप से मछली का सेवन करने पर यह बालों के विकास और नए बालों को उगने में मदद कर सकता है। आप अपने बालों की अच्छी देखरेख और स्‍वास्‍थ्‍य के लिए मछली का उपभोग कर सकते हैं।

मछली खाने के फायदे पुरुषों के लिए

अध्‍ययनों से यह पता चलता है कि मछली और अन्‍य स्‍वस्‍थ खाद्य पदार्थ जैसे कि फलियां और पूरे अनाज पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्‍या बढ़ाने में मदद करते हैं। कुछ लोगों में अध्‍ययन किया गया जिससे पता चला कि नियमित रूप से 3 माह तक मछली का सेवन करने पर पुरुषों में 11 प्रतिश‍त तक शुक्राणुओं की संख्‍या में वृद्धि हुई। जो लोग शुक्राणुओं की कमी से जूझ रहे है वे अपने दैनिक आहार में मछली को शामिल कर सकते हैं।

मछली खाने का फायदा मधुमेह के लिए

उन लोगों के मछली का सेवन बहुत ही फायदेमंद होता है जो मधुमेह प्रकार 1 से ग्रसित हैं। कई अध्‍ययनों से पता चलता है कि नियमित रूप से ओमेगा-3 फैटी एसिड का सेवन करने से बच्‍चों में मधुमेह के खतरे को कम किया जा सकता है इसके साथ ही यह वयस्‍कों में ऑटोम्‍यून्‍यून मधुमेह को भी नियंत्रित कर सकता है। यह मछली में मौजूद फैटी एसिड और विटामिन डी की उपस्थिति के कारण होता है। कुछ जानकारों का मानना यह भी है कि नियमित रूप से मछली का सेवन करने पर यह रूमेटोइड गठिया का इलाज भी किया जा सकता है

मछली का सेवन बनाता है मांसपेशियों को मजबूत

पोषण विशेषज्ञों का मानना है कि नियमित रूप में मछली का सेवन किया जाना चाहिए। क्‍योंकि इसमें मौजूद पोषक तत्‍व संपूर्ण स्‍वास्‍थ्‍य को बढ़ावा देने में मदद करते हैं। मछली में पोटेशियम की अच्‍छी मात्रा होने के कारण साल्‍मन मछली और ट्यूना फिश खाने की सलाह दी जाती है। पोटेशियम की पर्याप्‍त मात्रा आपकी मांसपेशियों को मजबूत करने में मदद करती है। आप अपनी मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए राजमा जैसे अन्‍य पौष्टिक खाद्य पदार्थों के साथ मैकेरल या साल्‍मन मछली का सेवन कर सकते हैं।

मछली का फायदा अस्‍थमा के लिए

श्वसन तंत्र से संबंधित बीमारी अस्‍थमा जो बच्‍चों के लिए घातक हो सकती है। यह बीमारी वायुमार्ग मे सूजन के कारण होती है। पिछले कुछ समय से इस बीमारी का प्रतिशत बहुत अधिक बढ़ा है। लेकिन कुछ अध्‍ययनों से पता चलता है कि नियमित रूप से मछली का सेवन करने पर बच्‍चों के अस्‍थमा में 24 प्रतिशत तक कमी आ सकती है। लेकिन यह भी स्‍पष्‍ट किया जाता है कि वयस्‍कों के लिए इसके प्रभावों पर अभी भी शोध की आवश्‍यकता है। लेकिन आप अपने बच्‍चों में होने वाली अस्‍थमा की रोक-थाम के लिए मछली का उपयोग कर सकते हैं।

वृद्ध अवस्‍था में अक्‍सर मस्तिष्‍क की कार्य क्षमता कमजोर हो जाती है। इसे आयु से संबंधित संज्ञानात्‍मक गिरावट कहा जाता है जो अल्‍जाइमर रोग से संबंधित है। लेकिन अध्‍ययनों से पता चलता है कि जो लोग नियमित रूप से मछली का सेवन करते हैं उनमें संज्ञानात्‍मक गिरावट की दर धीमी होती है। मस्तिष्‍क स्‍वास्‍थ्‍य के लिए भूरे रंग के खाद्य पदार्थ बहुत अच्‍छे होते हैं। अध्‍ययनों से पता चलता है कि नियमित रूप से सप्‍ताह में 1 बार मछली का सेवन करने से मस्तिष्‍क के स्‍वास्‍थ्‍य को बढ़ावा मिलता है।

मछली खाने के फायदे तनाव को दूर करे

अवसाद एक गंभीर मानसिक विकार है। अवसाद ग्रस्‍त लोग अक्‍सर उदास, थके हुए मानसिक अशांति, ऊर्जा मे कमी जैसे लक्षणों का अनुभव करते हैं। अवसाद वर्तमान में दुनिया की सबसे बड़ी स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं में से एक है। अध्‍ययनों से पता चलता है कि जो लोग नियमित रूप से मछली का सेवन करते हैं उन्‍हें अवसाद से निपटने में सफलता मिलती है। अध्‍ययनों से यह भी स्‍पष्‍ट हो चुका है कि ओमेगा-3 फैटी एसिड अवसाद को रोकने में मदद करता है और एंटीड्रिप्रेसेंट दवाओं के प्रभाव को भी बढ़ाता है। इसका मतलब यह है कि मछली का नियमित सेवन करने पर यह व्‍यक्ति के मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य को बढ़ाता है। आप भी अपने तनाव और अवसाद को दूर करने के लिए मछली का नियमित सेवन प्रारंभ कर सकते हैं।
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10.7.19

हरी सब्‍जी खाने के स्वास्थ्य लाभ


हरी सब्जियां खाने के कई फायदे हैं, हरी सब्जियां खाने के लाभ शायद ही किसी को पता न हों क्‍योंकि हरी सब्जियां खाने के फायदे स्‍वास्‍थ्‍य के लिए किसी औषधी से कम नहीं होते हैं। हरी सब्‍जी खाने से क्‍या लाभ होते है, हरी सब्जियों के पोषक तत्‍व आदि की पूरी जानकारी लोगों को नहीं होती है। बस उन्‍हें यह पता होता है कि हरी सब्‍जी खाना उनके शरीर को स्‍वस्‍थ रखता है। हमारे शरीर को स्वस्थ और मजबूत रखने के लिए हरी सब्जियां का सेवन जरूरी है, हरी सब्जियां स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी गंभीर से गंभीर बीमारियों को दूर करने में सहायक होती हैं। हरी सब्‍जी खाने का फायदा कैंसर, हृदय रोग, कोलेस्ट्रॉल घटाने, मोटापा कम करने, हाई ब्लड प्रेशर की समस्या और मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य जैसी समस्‍याओं को दूर करने में होते हैं।
हरी सब्‍जी खाने के फायदे न केवल स्‍वास्‍थ्‍य बल्कि बालों और त्‍वचा सौंदर्य के लिए भी होते हैं। आज इस आर्टिकल में हम हरी सब्जियां खाने के फायदे जानेगें। आइए जाने हरी सब्जियां किस प्रकार हमारे स्‍वास्‍थ्‍य के लिए फायदेमंद होती हैं। हरी पत्तेदार सब्जियां खाने के फायदे और हमें हरी सब्जियां क्यों खानी चाहिए?
हरी सब्‍जी खाने के फायदे हृदय के स्‍वास्‍थ्‍य के लिए –
हरी सब्‍जीयों का नियमित रूप से सेवन करना हृदय स्‍वास्‍थ्‍य के लिए बहुत ही अच्‍छा होता है। हरी और गहरे रंग की पत्‍तेदार सब्जियों में ल्‍यूटिन और जेक्‍सैंथिन (Lutein and Zeaxanthin) होते हैं। ये घटक हृदय स्‍वास्‍थ्‍य को बढ़ावा देने में सहायक होते हैं। यदि आप भी हृदय संबंधी समस्‍याओं से परेशान हैं तो अपने नियमित आहार में हरी सब्जियों को विशेष रूप से शामिल करें।
सब्जियों के पोषक तत्‍व –
हम सभी जानते है कि अलग-अलग रंगों की सब्‍जी और फलों को अपने नियमित आहार में शामिल करना स्‍वास्‍थ्‍य के लिए अच्‍छा होता है। ल‍ेकिन अपने आहार में विशेष रूप से हरी सब्जियों को शामिल करना अधिक लाभकारी होता है। क्‍योंकि सभी प्रकार की हरी सब्जियों में विटामिन, प्रोटीन, खनिज पदार्थ, फाइबर आदि की उच्‍च मात्रा होती है। ग्रीन सब्जियों में ल्‍यूटिन और जेक्‍सैंथिन (Lutein and Zeaxanthin) जैसे घटक भी होते हैं। इसके अलावा इन सब्जियों में वसा आदि ना के बराबर होते हैं जो हमारे शरीर के लिए हानिकारक होता है। हरी सब्जियां कार्बोहाइड्रेट की भी अच्‍छी स्रोत मानी जाती हैं जो हमे ऊर्जा प्राप्‍त करने में सहायक होता है।
हरी सब्जियां खाने के लाभ कैंसर से बचने के लिए –
पोषक तत्‍वों की भरपूर मात्रा होने के साथ ही हरी सब्जियों में एंटीऑक्‍सीडेंट की उच्च मात्रा होती है। ये एंटीऑक्‍सीडेंट शरीर में कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोकने और उन्‍हें नष्‍ट करने में सहायक होते हैं। यदि आप भविष्‍य में कैंसर जैसी गंभीर स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं से बचना चाहते हैं तो अपने नियमित आहार में हरी सब्जियों को शामिल करें। नियमित रूप से हरी सब्जियों का सेवन स्‍तन और फेफड़े संबंधी कैंसर की रोकथाम करने में सहायक होते हैं।



टाइप २ डायबिटीज के मरीजों के लिए सहायक
अगर कोई टाइप २ डायबिटीज से ग्रसित है, तो उसके लिए हरी सब्जियां काफी फायदेमंद होती हैं क्योंकि इनमें मैग्नीशियम तो है ही, साथ में कार्बोहायड्रेट कम होता है।
हरी सब्जियों के गुण खनिज पदार्थ की कमी दूर करे
स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याएं अक्‍सर शरीर में विटामिन और खनिज पदार्थों की कमी के कारण होती हैं। लेकिन यदि आप हरी सब्जियों को अपने आहार में शामिल करते हैं तो इस प्रकार की समस्‍याओं से बचा जा सकता है। आप अपने शरीर में खनिज पदार्थों की कमी को दूर करने के लिए सभी प्रकार की हरी सब्जियों को अपने साप्‍ताहिक आहार का हिस्‍सा बना सकते हैं। क्‍योंकि हरी पत्‍तेदार सब्जियों में मैग्‍नीशियम, पोटेशियम, आयरन, फॉस्‍फोरस और कैल्शियम जैसे अन्‍य घटक होते हैं। मैग्‍नीशियम मांसपेशियों के स्वास्‍थ्‍य को बढ़ाने में अहम योगदान देता है।
हरी सब्जियों का उपयोग प्रतिरक्षा शक्ति बढ़ाये –
सभी प्रकार की हरी सब्जियों में प्रमुख घटक के रूप में एंटीऑक्‍सीडेंट उच्‍च मात्रा में होते हैं। ये एंटीऑक्‍सीडेंट हमारे शरीर की कोशिकाओं को फ्री रेडिकल्‍स के प्रभाव से बचाने में सहायक होते हैं। एंटीऑक्‍सीडेंट के अलावा हरी सब्जियों में विटामिन ए भी होता है जो शरीर के प्राकृतिक बचाव और त्‍वचा स्‍वास्‍थ्य के लिए लाभकारी होता है। हरी सब्जियों में विटामिन C और K भी अच्‍छी मात्रा में होते हैं जो हड्डियों के घनत्‍व और विकास दोनों में सहायक होते हैं। इस तरह से आप अपने शरीर की रोग प्रतिरोध क्षमता को बढ़ाने के लिए हरी सब्जियों को अपने नियमित आहार में शामिल कर सकते हैं।
हरी सब्जियां रखें आपकी हड्डियों को मजबूत
क्योंकि हरी सब्जियों में विटामिन के होता है, यह आपकी हड्डियों को भी मजबूत और स्वस्थ रखती हैं।
हरी सब्जियों के गुण चयापचय को बढ़ाये –
शरीर का स्‍वस्‍थ रहना आपके स्‍वस्‍थ्‍य चयापचय पर निर्भर करता है। हरी पत्‍तेदार सब्जियों में आयरन और फाइबर की उच्‍च मात्रा होती है। इसके अलावा हरी सब्जियों में ऐसे अन्‍य खनिज पदार्थ और घटक भी उच्‍च मात्रा में होते हैं जो हमारे चयापचय में सुधार करते हैं। इसके अलावा हरी सब्जियों में मौजूद आयरन विशेष रूप से हमारे शरीर में रक्‍त या लाल रक्‍त कोशिकाओं के उत्‍पादन को बढ़ाने में सहायक होता है। यदि आप भी अपने शरीर स्‍वस्‍थ्‍य रखना चाहते हैं तो अपने नियमित आहार में हारी सब्जियों को प्रमुख खाद्य पदार्थ के रूप में शामिल कर सकते हैं।
हरी सब्जी के लाभ पाचन के लिए –


पाचन संबंधी समस्‍याओं को दूर करने के लिए हरी सब्जियां बहुत ही फायदेमंद होती हैं। ऐसा इसलिए है क्‍योंकि हरी सब्जियों में फाइबर की उच्‍च मात्रा होती है। हरी सब्जियों को फाइबर का सबसे अच्‍छा प्राकृतिक स्रोत माना जाता है। नियमित रूप से सेवन करने के दौरान हरी सब्जियों में मौजूद फाइबर पाचन तंत्र को स्‍वस्‍थ रखता है। इसके अलावा यह उस दर को धीमा करता है जिस पर आपका शरीर चीनी को अवशोषित करता है। इसके अलावा नियमित रूप से आहार के रूप में हरी सब्जियों का सेवन रक्‍त शर्करा के स्‍तर को भी नियंत्रित करता है।
ग्रीन वेजिटेबल्स के फायदे आंखों के लिए –
हरी सब्जियां आंखों के लिए फायदेमंद होती हैं। क्‍योंकि लगभग सभी प्रकार के पोषक तत्‍व, खनिज, विटामिन आदि की पर्याप्‍त मात्रा इनमें मौजूद रहती है। हम पहले ही जान चुके हैं कि अधिकांश हरी सब्जियों में ल्‍यूटिन और जेक्‍सैन्थिन (Lutein and zeaxanthin) की अच्‍छी मात्रा होती है। नियमित रूप से हरी सब्जियों का सेवन करना आपकी आंखों को स्‍वस्‍थ रखने का एक बेहतर विकल्‍प है। ऐसा इसलिए है क्‍योंकि हरी सब्जियों में एंटीऑक्‍सीडेंट, विटामिन ए और विटामिन सी की अच्‍छी मात्रा होती है। विटामिन ए आंखों के लिए बहुत ही आवश्‍यक घटक है। इसके अलावा विटामिन सी और अन्‍य एंटीऑक्‍सीडेंट हमारी आंखों को फ्री रेल्किल्‍स के प्रभाव से बचाने में सहायक होते हैं। इस तरह से आप अपनी आंखों को स्‍वस्‍थ रखने के लिए दैनिक आहार में नियमित रूप से हरी सब्जियों को शामिल कर सकते हैं।
हरी सब्जियों के औषधीय गुण वजन कम करे –
हरी सब्‍जी खाने के लाभ आपकी भूख को नियंत्रित कर सकते हैं। इसलिए बहुत से लोग वजन घटाने के उपाय के रूप में हरी सब्जियों का अधिक सेवन करने की सलाह देते हैं। हरी सब्जियों में मौजूद फाइबर की उच्‍च मात्रा पाचन प्रक्रिया को धीमा करती है जिससे आपको लंबे समय तक समान रूप से ऊर्जा की प्राप्ति होती रहती है। इसके अलावा फाइबर आपको लंबे समय तक पूर्णता का अनुभव कराता है जिससे आपको बार-बार भूख लगने या खाने की समस्‍या से छुटकारा मिल सकता है। हम सभी जानते हैं कि बार-बार भोजन करना या अधिक भोजन करना भी वजन बढ़ने का प्रमुख कारण होता है। इस तरह से आप अपनी भूख को नियंत्रित कर अपने बढ़ते वजन को रोक सकते हैं। हालांकि यदि आप वजन कम करने वाले अन्‍य उपाय अपना रहे हैं तब ऐसी स्थिति में हरी सब्जियों का सेवन आपको अतिरिक्‍त लाभ दिला सकता है।


हरी सब्‍जी खाने के लाभ तनाव दूर करे –
अधिक तनाव कई प्रकार की स्‍वास्थ्‍य समस्‍याओं का कारण बन सकता है। यदि आप तनाव प्रबंधन के प्रयास कर रहे हैं तो इसमें हरी सब्जियों के सेवन को भी शामिल करें। क्‍योंकि हरी सब्‍जी खाने के फायदे आपके तनाव को दूर करने और मूड में बदलाव करने में सहायक होते हैं। हरी पत्‍तेदार सब्जियों में फोलेट की उच्च मात्रा होती है। शरीर में फोलेट की उचित मात्रा सेरोटोनिन उत्‍पादन में योगदान देता है। जिससे आपके तनाव को कम करने में मदद मिलती है। यदि आप नियमित व्‍यायाम के साथ हरी सब्जियों को अपने दैनिक आहार में शामिल करते हैं तो आपको अतिरिक्‍त लाभ प्राप्‍त हो सकता है।
हरी सब्‍जी खाने के फायदे त्‍वचा के लिए –
त्‍वचा हमारे शरीर का सबसे बड़ा और संवेदनशील अंग है। अक्‍सर हम अपनी त्वचा संबंधी समस्‍याओं और सुंदरता बढ़ाने के लिए रासायनिक उत्‍पादों का उपयोग करते हैं। लेकिन आप अपनी त्वचा को स्‍वस्‍थ और सुंदर बनाने के लिए हरी सब्जियों का भी इस्‍तेमाल कर सकते हैं। हम यह नहीं कहते कि आप सौंदर्य उत्‍पादों का उपयोग न करें। लेकिन अपने नियमित आहार में हरी सब्जियों को शामिल करें। ऐसा इसलिए है क्‍योंकि इनमें मौजूद एंटीऑक्‍सीडेंट आपकी त्‍वचा को नुकसान पहुंचाने वाले बैक्‍टीरिया और फ्री रेडिकल्‍स के प्रभाव को कम करने में सक्षम होते हैं। आप अपनी त्वचा को प्राकृतिक सुरक्षा दिलाने के लिए और त्‍वचा को सूर्य की क्षति से बचाने के लिए हरी सब्जियों के सेवन को बढ़ा सकते हैं। हरी सब्जियों में मौजूद विटामिन सी, फोलिक एसिड और बीटा-कैरोटीन आपकी क्षतिग्रस्‍त त्‍वचा कोशिकाओं की मरम्‍मत करने में सहायक होते हैं।
हरी सब्जियों के लाभ हाइड्रेट रखें –
आप अपने शरीर में पानी की कमी को दूर करने के लिए भी हरी सब्जियों का नियमित सेवन कर सकते हैं। ऐसा इसलिए है क्‍योंकि इन सब्जियों में पहले से ही पानी की भरपूर मात्रा होती है इसके अलावा इनमें फाइबर की मौजूदगी भी पानी की उचित मात्रा को बनाए रखने में सहायक होता है। हाइड्रेट रहने से आपकी त्वचा और बालों संबंधी परेशानियों को दूर करने में मदद मिलती है।
हरी सब्‍जी का उपयोग रक्‍तचाप के लिए –
नियमित रूप से हरी सब्‍जी और फलों का सेवन करने के फायदे उच्‍च रक्‍तचाप रोगी के लिए होते हैं। ऐसा इसलिए है क्‍योंकि इन प्राकृतिक खाद्य पदार्थों में पोटेशियम की उच्च मात्रा होती है। पोटेशियम शरीर में न केवल सोडियम के स्‍तर को संतुलित करता है बल्कि रक्‍त वाहिकाओं को भी स्‍वस्‍थ रखने में सहायक होता है। जिससे शरीर में स्‍वस्‍थ रक्‍त परिसंचरण को बढ़ावा मिलता है। इसके अलावा पोटेशियम रक्‍त प्रवाह में अवरूद्ध बनने वाले कोलेस्‍ट्रॉल को भी दूर करता है। इसलिए उच्‍च रक्‍तचाप रोगी को नियमित रूप से अपने आहार में हरी सब्जियों और ताजे फलों का सेवन करना चाहिए।
हरी सब्‍जी खाने से फायदा बालों के लिए –
आज अधिकांश लोग चाहे महिला हो या पुरुष बालों संबंधी समस्‍याओं से बहुत ही परेशान रहते हैं। जिसके कारण वे कई प्रकार के रासायनिक उत्पादों का उपयोग करते हैं जो उनके बालों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। जबकि बालों सबंधी समस्‍याओं को दूर करने का सबसे अच्‍छा और प्राकृतिक तरीका हरी सब्जियों का नियमित सेवन है। हरी सब्जियों में विट‍ामिन A, विटामिन C, कैल्शियम और आयरन जैसे घटक अच्‍छी मात्रा में होते हैं। ये घटक सीबम उत्‍पादन में मदद करते हैं। सीबम मोम जैसा पदार्थ है जो सिर की ऊपरी त्‍वचा या स्‍कैल्‍प में जमा होता है। हमारे बालों के लिए सीबम बहुत ही फायदेमंद होता है। इसके अलावा कैल्शियम और आयरन बालों की जड़ों को मजबूत करने और उन्‍हें कमजोर होकर गिरने से रोकते हैं। इस तरह से आप अपने बालों को झड़ने से बचाने के लिए हरी सब्जियों का इस्‍तेमाल कर सकते हैं।



हरी पत्तीदार सब्जियाँ प्रतिदिन वयस्क महिलाओं के लिए 100 ग्राम, वयस्क पुरुषों के लिए 40 ग्राम, स्कूल न जान वाले बालकों के लिए (4-6 वर्ष) 50 ग्राम और 10 वर्ष से अधिक उम्र वाले बालक-बालिकाओं के लिए 50 ग्राम प्रतिदिन आवश्यक है।
सावधानी -

ऐसा माना जाता है कि हरी पत्तीदार सब्जियों के सेवन से बच्चों में अतिसार हो सकता है। इसलिए अधिकांश माताएं अपने बच्चों को इस पोषक तत्व को देने से परहेज करती हैं। कई बैक्टीरिया, कीटाणु, कीट एवं अनचाही वस्तु हरी पत्तीदार सब्जियों को पानी एवं मिट्टी के द्वारा दूषित कर देते हैं और ठीक तरह से सफाई न किये जाने पर ये सब्जियां अतिसार का कारण बन सकती हैं। इसलिए सभी हरी पत्तीदार सब्जियों को दूषित होने से रोकने के लिए उन्हें अच्छी तरह से पानी से धोना चाहिए ताकि अतिसार से बचा जा सके।
हरी पत्तीदार सब्जियों को अच्छी तरह से मिलाकर, पका कर एवं छान कर ही बच्चों को परोसना चाहिए। हरी पत्तीदार सब्जियों के पोषण को बनाये रखने के लिए उन्हें अधिक पकाने से परहेज करना चाहिए। हरी पत्तीदार सब्जियों को पकाने के बाद उनसे निकलनेवाले पानी को फेंकना नहीं चाहिए। हरी पत्तीदार सब्जियों को पकाने में इस्तेमाल किये जानेवाले बर्तन को हमेशा ढ़ंक कर ही रखना चाहिए। पत्तों को सूर्य की रोशनी में न सूखायें, क्योंकि इससे केरोटिन नष्ट हो जाता है। साथ ही पत्तों को अधिक न भूनें फाइबर की उच्च मात्रा होने के कारण अधिक मात्रा में इन सब्जियों का सेवन करने से पेट संबंधी समस्‍याएं जैसे दस्‍त, अपच, बदहजमी और उल्‍टी आदि हो सकती हैं।
कुछ लोग कुछ विशेष प्रकार की सब्जियों के प्रति संवेदनशील होते हैं। ऐसे लोगों को कुछ प्रकार की सब्जियों का सेवन करने से एलर्जी आदि की समस्‍या हो सकती है। ऐसे लोगों को उन सब्जियों का सेवन करने से बचना चाहिए।
हमेशा ताजी सब्जियों का सेवन करना चाहिए। क्‍योंकि हरी सब्जियां जल्‍दी ही खराब हो जाती हैं इन सब्जियों का सेवन करने से आपको कई प्रकार की बीमारियां हो सकती हैं।
उपयोग करने से पहले सभी प्रकार की सब्‍जीयों को अच्‍छी तरह से धो लेना चाहिए। क्‍योंकि इन सब्जियों में कीटनाशक का उपयोग किया जाता है जो आपके स्वास्‍थ्‍य के लिए हानिकारक हो सकते हैं।
हरी सब्जियों का सेवन करने के दौरान यदि किसी प्रकार की स्वास्‍थ्‍य समसया होती है तो आपको तुरंत ही डॉक्‍टर से संपर्क करना चाहिए।








3.7.19

लहसुन के गुण और नुस्खे /Garlic benefits





लहसुन एक ऐसी खाद्य सामाग्री है, जो कई सब्ज़ियों का ज़ायका बढ़ा देती है। लहसुन का तड़का बेजान से बेजान सब्ज़ी के स्वाद को कई गुणा बढ़ा देता है। लगभग हर रसोई में पाई जाने वाली ये खाद्य सामाग्री सिर्फ़ सब्ज़ियों का स्वाद ही नहीं बढ़ाती, बल्कि यह सेहत के लिए भी बहुत फ़ायदेमंद है। 

एक नए अध्ययन में यह सामने आया है कि जो पुरुष लहसुन खाते हैं महिलाएं उनकी तरफ़ अधिक आकर्षित होती हैं.
अध्ययन के अनुसार महिलाओं को उनके पसीने की गंध अच्छी लगती है. वैज्ञानिकों का मानना है कि महिलाएं कुछ इस तरह से विकसित हो गई हैं कि अब उन्हें लहसुन खाने वाले अच्छे लगते हैं.
लहसुन में एंटीबायोटिक, एंटीवायरल और एंटीफंगल गुण होते हैं.
ऐसे में पुरुषों के पसीने से आने वाली लहसुन की गंध महिलाओं को उनके स्वस्थ होने का संकेत देती है.

*जो मर्द किसी कारणवश अपने प्राइवेट पार्ट में पूर्ण रूप से उत्थान को नहीं प्राप्त कर पाते उनके लिए कच्चा लहसुन वरदान माना जाता है. क्योंकि इसमें ऐफ्रोडिजिएक नामक कामोत्तेजक गुण पाया जाता है
सुबह खाली पेट अगर लहसुन की 2-4 कलियां चबाकर कमजोर मर्द खाएं तो प्राइवेट पार्ट के कार्पस कैवर्नोसा में रक्त का बहाव पूरा होता है और इरेक्टाइल डिस्फंक्शन की समस्या दूर हो जाती है.

लहसुन के औषधीय गुण 

एक समय था जब आज की तरह जगह-जगह दवा की दुकानें नहीं होती थीं। तब लहसुन का इस्तेमाल आयुर्वेदिक उपचार के लिए भी होता था। लहसुन एंटी-वायरल, एंटी-फंगल, एंटी-ऑक्सिडेंट और एंटी-बैक्टिरीयल गुणों से भरपूर होता है। इसमें एलीसीनऔर दूसरे सल्फ़र यौगिक मौजूद होते हैं। साथ ही लहसुन में एजोइन जैसा तत्व और एलीन जैसा यौगिक भी मौजूद होता है, जो लहसुन को और ज़्यादा असरदार औषधि बना देते हैं। हालांकि, इन तत्वों और यौगिकों की वजह से ही लहसुन का स्वाद कड़वा होता है। लेकिन, यही घटक लहसुन को संक्रमण दूर करने की क्षमता भी देते हैं।आइए अब एक-एक करके लहसुन के लाभकारी गुणों के बारे में जानते हैं:
लहसुन के फ़ायदे
सेहत/स्वास्थ्य के लिए लहसुन के फायदे –
डायबिटीज़ से लड़ने में मदद करता है लहसुन
हर रोज़ बदलती और असंतुलित जीवनशैली की वजह से कई लोग डायबिटीज़ यानी मधुमेह की बीमारी का शिकार हो रहे हैं। लेकिन काफ़ी कम ही लोग जानते हैं कि लहसुन का सेवन करने से डायबिटीज़ पर लगाम लगाई जा सकती है। आईआईसीटी (भारत) के वैज्ञानिकों ने प्रयोगशाला में चूहों को लहसुन खिलाया। इसके बाद चूहों के खून में ग्लूकोज़ और ट्राइग्लिसराइड के स्तर में कमी पाई गई। इसके अलावा, चूहों के शरीर में इंसुलिन संवेदनशीलता में भी वृद्धि देखने को मिली । इसलिए, अगर आपको डायबिटीज़ का संदेह है या डायबिटीज़ है तो आप लहसुन का सेवन करें। यह शरीर में शुगर के स्तर को नियंत्रित कर इंसुलिन की मात्रा बढ़ाता है।
इस्तेमाल का तरीका
हर रोज़ दो से तीन कच्ची लहसुन की कलियों का सेवन करें।
वज़न घटाने में मदद करता है लहसुन
आजकल हर किसी की व्यस्त दिनचर्या होती है। घर और काम के बीच तालमेल बनाने के चक्कर में लोग अपनी सेहत पर ज़्यादा ध्यान नहीं दे पाते हैं। खान-पान ठीक नहीं होने और नियमित रूप से व्यायाम न कर पाने की वजह से लोग मोटापे की बीमारी का शिकार भी होने लगे हैं।
हालांकि, कई बार लोग नियमित रूप से व्यायाम करने की और खान-पान में परहेज़ करने की कोशिश करते हैं, लेकिन वे ज़्यादा दिनों तक ऐसा नहीं कर पाते हैं। ऐसे में लहसुन बढ़ते वज़न को रोकने में काफ़ी हद तक मददगार साबित हो सकता है। यह एडीपोजेनिक ऊत्तकों की अभिव्यक्ति को रोकने में मदद करता है, थर्मोजेनेसिस को बढ़ाता है और हानिकारक कोलेस्ट्रॉल को कम करता है। अपने इन अनोखे गुणों की वजह से लहसुन आपको मोटापे से राहत दिला सकता है।
इस्तेमाल का तरीका
– आप हर रोज़ खाली पेट कच्चे लहसुन की कुछ कलियों का सेवन कर सकते हैं। उसके कुछ देर बाद आप गुनगुने पानी में नींबू का शरबत बनाकर भी पी सकते हैं।
आप हर रोज़ सब्ज़ी या सूप में डालकर भी लहसुन खा सकते हैं।
गर्भावस्था में लहसुन के सेवन से होने वाले लाभ
गर्भावस्था के शुरुआती दौर में लहसुन को सीमित मात्रा में खाने में शामिल कर किया जा सकता है। इस समय लहसुन का प्रभाव भ्रूण पर कम पड़ता है । हालांकि, गर्भावस्था की दूसरी और तीसरी तिमाही में लहसुन का प्रयोग थोड़ा सोच समझकर करना चाहिए। इस दौरान लहसुन का गलत प्रभाव पड़ने से खून का पतला होना, पेट खराब होना या लो ब्लड प्रेशर होने जैसी परेशानियां हो सकती हैं। इसलिए, गर्भावस्था में लहसुन खाने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह ज़रूर लें।
रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ाता है लहसुन
लहसुन में फाइटोन्यूट्रिएंट होते हैं, जो एक प्रकार का एंटीऑक्सीडेंट होता है। एंटीऑक्सिडेंट हमारे शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालते हैं और शरीर में ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करते हैं। दूसरे शब्दों में, एंटीऑक्सीडेंट आपको बीमार पड़ने से बचाते हैं। शोधकर्ताओं ने यह भी पाया है कि लहसुन खाने से हमारे शरीर में कई तरह की प्रतिरक्षा कोशिकाओं की संख्या में वृद्धि होती है।
इस्तेमाल का तरीका
– रोगों से लड़ने की अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए हर रोज़ दो से तीन लहसुन की कलियों का सेवन करें।
लीवर को सेहतमंद रखता है लहसुन – Benefit of garlic for fatty liver
जिन लोगों को लीवर में सूजन की शिकायत होती है, उनके लिए एक सीमित मात्रा में लहसुन का सेवन करना उपयोगी साबित हो सकता है। वैज्ञानिकों ने पाया कि लहसुन में पाए जाने वाले एस-एलील्मर कैप्टोसाइटिस्टीन (एसएएमसी) हेपेटिक चोटों के उपचार में मददगार होते हैं। वहीं, लहसुन का तेल एंटीऑक्सीडेटिव गुणों से भरपूर होता है, जो लीवर की सूजन से बचाव करता है।
इस्तेमाल का तरीका
– आप चाहें तो एक या दो लहसुन की कलियों को बारीक काटकर पालक की स्मूदी में मिलाकर उसका सेवन कर सकते हैं।
गठिया में लहसुन खाने से मिलती है राहत
लहसुन हड्डियों के लिए भी काफी लाभदायक है। ऐसा पाया गया है कि लहसुन के सेवन से ऑस्टियोपोरोसिस और गठिया जैसी हड्डियों की बीमारी से जूझ रहे रोगियों को काफ़ी राहत मिलती है। वैज्ञानिकों ने प्रयोगों के ज़रिए साबित किया है कि लहसुन अंडाइक्टोमी-प्रेरित हड्डी सोखन को दबाने में सक्षम है। इसके अलावा, शोधकर्ताओं ने यह भी पता लगाया है कि लहसुन डायलिल डाइसल्फाइड मैट्रिक्स को कम करने वाले एंज़ाइमों को दबाने में मदद करता है। इस तरह लहसुन हड्डियों को होने वाले नुकसान को भी रोकता है।
इस्तेमाल का तरीका
– आप हर रोज़ एक या दो लहसुन की कलियों का सेवन कर सकते हैं।
कोलेस्ट्रॉल की रोकथाम में मददगार है लहसुन
ज़्यादा तेल-घी वाले खान-पान की वजह से लोगों को कोलेस्ट्रॉल बढ़ने की समस्या भी हो रही है। अमेरिकी वैज्ञानिकों ने अपनी एक जांच में पाया है कि पुराने लहसुन में के सेवन से शरीर में एलडीएल कोलेस्ट्रॉल (जो कि हानिकारक कोलेस्ट्रॉल होता है) के स्तर को कम करने में मदद मिल सकती है। हालांकि, अभी तक लहसुन के इस गुण को लेकर वैज्ञानिकों के बीच आम सहमति नहीं बन पाई है।
इस्तेमाल का तरीका
– एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए आप हर रोज़ एक से दो लहसुन की कलियां खा सकते हैं।
किडनी संक्रमण को रोकता है लहसुन
लहसुन किडनी संक्रमण की रोकथाम में भी मदद करता है। वैज्ञानिकों ने पाया है कि लहसुन उस पी. एरुजिनोसा के विकास को रोकने में मदद कर सकता है, जो यूटीआई और गुर्दे के संक्रमण के लिए ज़िम्मेदार होता है।
इस्तेमाल का तरीका
– किडनी संक्रमण से बचाव के लिए हर रोज़ दो से तीन लहसुन की कलियों का सेवन करें।
लहसुन दिलाता है गैस और एसिडिटी से राहत – Benefit of garlic for gastritis
आजकल लोग गलत खान-पान के कारण एसिडिटी यागैस की समस्या के शिकार हो जाते हैं। ऐसे में सब्ज़ी पकाते समय उसमें हल्का लहसुन डालें। इस तरह से पकाई गई सब्ज़ी खाने से आपको गैस ओर एसिडिटी से राहत मिल सकती है। हालांकि, अगर आपको ज़्यादा परेशानी है, तो लहसुन से परहेज़ करें।

कैंसर से बचाता है लहसुन
लहसुन में डायलिसिल्फ़ाइड मौजूद होता है, जो ऑक्सीडेटिव तनाव को रोकने में मदद करता है। लहसुन में मौजूद सेलेनियम कैंसर से लड़ने वाले गुणों के लिए जाना जाता है। साथ ही सेलेनियम डीएनए उत्परिवर्तन और अनियंत्रित सेल प्रसार और मेटास्टेसिस को भी रोकता है।
लहसुन ट्यूमर और पेट के कैंसर की आशंका को कुछ हद तक कम करता है।
इसलिए, अगर आप कैंसर के खतरे को कम करना चाहते हैं, तो स्वस्थ जीवन शैली के साथ लहसुन का नियमित सेवन करें।
इस्तेमाल का तरीका
– आप हर रोज़ कम से कम लहसुन की एक कच्ची कली का सेवन करें।
फ़ंगल संक्रमण से बचाता है लहसुन
लहसुन में एंटी-फ़ंगल, एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-पैरासिटिक गुण पाए जाते हैं, जो फ़ंगल संक्रमण, जैसे – दाद और कैंडिडा से लड़ने में हमारी मदद करते हैं।
इस्तेमाल का तरीका
-आप फ़ंगल-संक्रमण से प्रभावित जगह पर लहसुन का तेल लगा सकते हैं। लेकिन, इस बारे में एक बार अपने डॉक्टर से भी परामर्श ज़रूर कर लें।
 दिल से जुड़ी बीमारियों से लड़ने में मददगार है लहसुन 
जैसा कि हम जानते हैं, हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज़ और हाई कोलेस्ट्रॉल जैसी बीमारियों का हृदय संबंधी रोगों से सीधा रिश्ता होता है। ऐसे में लहसुन का सेवन हृदय संबंधी रोगों की रोकथाम में असरदार साबित हो सकता है।
इस्तेमाल का तरीका
– हर रोज़ कच्चे लहसुन की कलियां खाएं।
हाई ब्लड शुगर के स्तर को घटाता है लहसुन 
अगर आप हाई ब्लड शुगर की समस्या से पीड़ित हैं, तो आपको अपने आहार में लहसुन को शामिल करना चाहिए। कुवैत के वैज्ञानिकों ने लैब में पशुओं पर कच्चे और उबले हुए लहसुन का प्रयोग करके पता लगाया है, कि कच्चे लहसुन में ब्लड शुगर के स्तर को कम करने की क्षमता होती है।
इस्तेमाल का तरीका
ब्लड शुगर लेवल को कम करने के लिए रोज़ाना एक या दो लहसुन की कलियां खाएं।
सर्दी-ज़ुकाम से बचाता है लहसुन
मौसम में बदलाव की वजह से सर्दी-ज़ुकाम होना बहुत ही आम बात है। लेकिन, ज़रूरी नहीं कि इन बीमारियों के उपचार के लिए हर बार अंग्रेज़ी दवाओं का ही सेवन किया जाए। दरअसल, लहसुन में एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-वायरल, एंटी-फ़ंगल और एंटी-ऑक्सिडेंट गुणों की भरमार होती है। इसमें एलियानेस (या एलियान) नामक एंजाइम मौजूद होता है, जो एलिसिन नामक सल्फ़र युक्त यौगिक में परिवर्तित होता है। यह यौगिक सफ़ेद रक्त कोशिकाओं को बढ़ाता है, जो सर्दी-ज़ुकाम के वायरस से लड़ने में मदद करता है।
इस्तेमाल का तरीका
– आप चाहें तो कच्चे लहसुन की कलियां खा सकते हैं।
– आप सूप में भी लहसुन डालकर पी सकते हैं।
– आप लहसुन की चाय भी पी सकते हैं।
– लहसुन की कुछ कलियों को आप घी में भूनकर भी खा सकते हैं।
हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करता है लहसुन
इन दिनों लोगों में हाई ब्लड प्रेशर का खतरा बहुत तेज़ी से बढ़ रहा है। इसे नियंत्रित करने के लिए कुछ लोग दवाओं का सहारा लेते हैं, तो कुछ लोग घरेलू नुस्खे अपनाते हैं। हाई ब्लड प्रेशर में घरेलू उपाय के तौर पर लहसुन का सेवन काफ़ी उपयोगी साबित हुआ है। दरअसल, लहसुन में बायोएक्टिव सल्फ़र यौगिक, एस-एललिस्सीस्टीन मौजूद होता है, जो ब्लड प्रेशर को 10 mmhg (सिस्टोलिक प्रेशर) और 8 mmhg (डायलोस्टिक प्रेशर) तक कम करता है। चूंकि सल्फर की कमी से भी हाई ब्ल्ड प्रेशर की समस्या होती है, इसलिए शरीर को ऑर्गनोसल्फर यौगिकों वाला पूरक आहार देने से ब्लड प्रेशर को स्थिर करने में मदद मिल सकती है।
इस्तेमाल का तरीका
-हर रोज़ कच्चे या सूखे लहसुन की कुछ कलियों का सेवन करें।
बुखार या ठंड लगने पर राहत देता है लहसुन
ठंड लगने पर या बुख़ार होने पर अगर लहसुन का उपयोग किया जाए,ये तो रोगी को बहुत हद तक राहत मिल सकती है।
इस्तेमाल का तरीका
– आप चाहें तो दो-तीन लहसुन की कलियां खा सकते हैं। अगर कच्चा लहसुन खाना पसंद न हो, तो आप गर्म सरसों तेल में एक-दो लहसुन की कलियां डालकर उससे शरीर की मालिश कर सकते हैं।
गले की खराश से राहत देता है लहसुन
लहसुन में मौजूद एंटीबैक्टीरियल गुण गले में ख़राश जैसी परेशानी से हमारा बचाव करते हैं। लहसुन में एलीसिन नाम का ऑर्गनॉसुल्फ़र यौगिक भी होता है, जो संक्रमण से लड़ने में मदद करता है। हालांकि, यह साबित करना मुश्किल है कि लहसुन गले में खराश की परेशानी को पूरी तरह से ठीक कर सकता है या नहीं।
इस्तेमाल का तरीका
– जब भी गले में खराश जैसा महसूस हो, तो सरसों तेल में एक या दो लहसुन की कलियां डालकर उसे गुनगुना होने तक गर्म करें। इसके बाद गुनगुने तेल को हल्का-हल्का गले के आस-पास लगाएं। तकलीफ़ अगर ज़्यादा बढ़े तो डॉक्टर से संपर्क करें।
दमा में राहत देता है लहसुन
अस्थमा यानी दमा के मरीज़ों के लिए भी लहसुन काफ़ी लाभकारी है। सरसों के तेल में लहसुन पकाकर उस तेल से अगर नाक, गले और फेफड़ों के पास मालिश की जाए, तो यह छाती में जमे कफ़ से निजात दिला सकता है। वैज्ञानिकों को इस बात के सबूत भी मिले हैं कि लहसुन अस्थमा से होने वाले दुष्प्रभावों को कम कर सकता है।
इस्तेमाल का तरीका
– आप चाहें तो एक या दो लहसुन की कलियां खा सकते हैं या लहसुन और सरसों का तेल लगा सकते हैं। हालांकि, एक बार अपने डॉक्टर से इस बारे में सलाह ज़रूर लें।
 कान दर्द होने पर राहत देता है लहसुन
कान में होने वाले हल्के संक्रमण या दर्द में भी लहसुन फ़ायदेमंद होता है। लहसुन में मौजूद एंटीबैक्टीरियल, एंटीफ़ंगल और एंटीवायरल गुण कान के दर्द या संक्रमण से राहत दिलाते हैं।
इस्तेमाल का तरीका
आप चाहें तो लहसुन का तेल कान में लगा सकते हैं। ये तेल बाज़ार में उपलब्ध होता है। इसके अलावा, आप घर पर भी लहसुन का तेल बना सकते हैं।
योनि संक्रमण से छुटकारा दिलाता है लहसुन
अक्सर महिलाएं योनि संक्रमण जैसी समस्या के बारे में सबके साथ चर्चा नहीं कर पाती हैं। इस वजह से कई बार यह समस्या गंभीर बीमारी का रूप ले लेती है। जबकि, घर में मौजूद रहने वाले लहसुन के ज़रिए इस समस्या पर काबू पाया जा सकता है। जी हां, वैज्ञानिकों ने पाया है कि लहसुन कैंडिडा नामक संक्रमण की रोकथाम करने में काफ़ी असरदार होता है।
इस्तेमाल का तरीका
सीमित मात्रा में लहसुन का सेवन करके योनि के संक्रमण से छुटकारा पाया जा सकता है। हालांकि, एक बार डॉक्टर से भी इस बारे में बात ज़रूर करें क्योंकि हर किसी की शारीरिक क्रिया थोड़ी अलग होती है। इसके अलावा, लहसुन को सीधे प्रभावित जगह पर न लगाएं।
छाले या फोड़े को ठीक करने में मदद करता है लहसुन
लहसुन में एलिन, एलिसिन और एजोइन जैसे सल्फ़र यौगिक मौजूद होते हैं, जो छाले या फोड़े को ठीक होने में मदद करते हैं। साथ ही लहसुन में एंटीबैक्टीरियल, एंटीवायरल और एंटीसेप्टिक गुण भी होते हैं, जो बैक्टीरिया को मारते हैं और छाले या फोड़े को बढ़ने से रोकते हैं।
इस्तेमाल का तरीका
– अगर आपको साबूत लहसुन खाना पसंद नहीं, तो आधा चम्मच से भी कम लहसुन का पेस्ट या एक लहसुन की कली को बारीक़ काटकर खाने में उपयोग करें।
झुर्रियों को कम करता है लहसुन
कई बार लोगों की त्वचा पर समय से पहले झुर्रियां नज़र आने लगती हैं।दरअसल, ऐसा गलत खान-पान, तनाव, सूर्य की हानिकारक किरणों और बदलती जीवनशैली की वजह से होता है। ऐसे में अगर लहसुन का सेवन किया जाए, तो समय से पहले चेहरे पर पड़ने वाली झुर्रियों से बचा जा सकता है। लहसुन में एस-एलिल सिस्टीन पाया जाता है जो त्वचा को सूर्य की हानिकारक किरणों और झुर्रियों से बचाने में मदद करता है। लहसुन में एंटीऑक्सिडेंट और एंटीइंफ्लैमटोरी गुण भी होते हैं, जो झुर्रियां कम करने में मदद करते हैं।
इस्तेमाल का तरीका
– सुबह नींबू और शहद के साथ लहसुन की एक कली खाएं। अगर इनमें से किसी चीज़ से आपको एलर्जी हो तो, इन्हें खाने से पहले एक बार डॉक्टर से ज़रूर संपर्क करें।
 दांत दर्द से निजात दिलाता है लहसुन
वज्ञानिकों का मानना है कि लहसुन को माउथवॉश के तौर पर इस्तेमाल करना काफ़ी लाभदायक हो सकता है। इसके अलावा, ऐसे टूथपेस्ट या माउथवॉश का इस्तेमाल करना भी अच्छा होता है, जिसमें लहसुन के गुण मौजूद हो।
इस्तेमाल का तरीका
– अगर आपको दांत दर्द की शिकायत है, तो हर रोज़ एक कच्चे लहसुन की कली चबाएं। इसके अलावा, आप एक लहसुन की कली में सेंधा नमक लगाकर दर्द वाले दांत पर लगाएं। इससे आपको दांत के दर्द से आराम मिलेगा।
सोरायसिस की रोकथाम में कारगर है लहसुन
सोरायसिस एक प्रकार का त्वचा रोग है, जिसमें खुजली होने लगती है और त्वचा लाल हो जाती है। यह बीमारी ज़्यादातर सिर की त्वचा, कोहनी और घुटनों को प्रभावित करती है। इस बीमारी का कोई इलाज तो नहीं है, लेकिन लहसुन खाने से इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है। लहसुन में डायलिल सल्फ़ाइड और एजेन जैसे यौगिक होते हैं। ये यौगिक न्यूक्लिअर ट्रांसमिशन कारक कप्पा बी (जिसकी वजह से सोरायसिस होता है) को निष्क्रिय कर देते हैं।
इस्तेमाल का तरीका
दो से तीन लहसुन की कलियों को हरे प्याज़, ब्रोकली और चुकंदर के रस के साथ मिलाकर उसका सेवन करें। लेकिन, अगर आपको इनमें से किसी भी चीज़ से एलर्जी है, तो एक बार अपने डॉक्टर से सलाह ज़रूर लें।
 खुजली से राहत देता है लहसुन
खुजली जैसी त्वचा संबंधी परेशानी किसी चीज़ से एलर्जी के कारण होती है। ऐसे में खुजली से राहत पाने के लिए लहसुन खाना उपयोगी हो सकता है। हालांकि, इसका कोई ठोस वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। दरअसल, खुजली से राहत दिलाने के मामले में लहसुन की सफलता या असफलता रोगी के शरीर पर निर्भर करती है। किसी व्यक्ति को अगर लहसुन से एलर्जी है, तो यह एक्ज़िमा को बढ़ा सकता है। लेकिन जिनको लहसुन से कोई एलर्जी नहीं है, उनके लिए लहसुन का सेवन फ़ायदेमंद साबित हो सकता है।
इस्तेमाल का तरीका
– शुरुआत में हर रोज़ पानी के साथ एक या दो लहसुन की कलियों का सेवन करें। 
त्वचा की खूबसूरती बढ़ाता है लहसुन
सिर्फ़ सेहत ही नहीं, बल्कि आजकल अच्छा दिखना और त्वचा का सही तरीक़े से ध्यान रखना भी बहुत ज़रूरी है। इस काम में भी लहसुन आपकी मदद कर सकता है।
मुंहासे और पिंपल से छुटकारा दिलाता है लहसुन
शरीर में विषाक्त पदार्थों के जमा होने से या फिर किसी संक्रमण की वजह से कील-मुंहासे हो सकते हैं। ऐसे में लहसुन का नियमित सेवन कील-मुंहासों से छुटकारा दिलाने में मददगार साबित हो सकता है।
इस्तेमाल का तरीका
– आप ठंडे पानी के साथ एक लहसुन की कली का सेवन कर सकते हैं। इसके अलावा खूब पानी पिएं ताकि आपके शरीर में पानी की सही मात्रा बनी रहे।
दाद में राहत देता है लहसुन
जैसा कि हम पहले ही बता चुके हैं, लहसुन में एंटीफंगल और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं। ये गुण किसी भी तरह के संक्रमण से शरीर को बचा सकते हैं। इसलिए, जिस व्यक्ति को दाद की बीमारी होती है, उसे अपने भोजन में हल्की मात्रा में लहसुन को शामिल करने की राय दी जाती है। हालांकि, लहसुन दाद की बीमारी से पूरी तरह छुटकारा नहीं दिला सकता। लेकिन, यह दाद की वजह से होने वाली खुजली से राहत दिला सकता है।
इस्तेमाल का तरीका
आप अपने भोजन में एक निश्चित मात्रा में लहसुन को शामिल कर सकते हैं।
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