2.4.19

नींद की गोली खाने की आदत हानिकारक है ,जानें कैसे?

  


अक्सर तनाव या कोई मानसिक समस्या होने पर हम नींदकी गोली खा लेते हैं और हमें नींद भी आ जाती है। धीरे धीरे ये बड़ी परेशानी में बदल जाता है। नींद की गोली हमारे दिमाग पर बुरा असर डालती है। यह बात हम नहीं बल्कि बहुत सारे शोधों में कहीं गई है। हाल ही में एक रिसर्च में इस बात का खुलासा किया गया है कि एंटी कोलीनर्जिक युक्त गोलियां और नींद की गोली लेने से मैमरी ( याद्दाश्त) कमजोर हो जाती हैं। व्यक्ति के सोचने समझने की क्षमता बुरी तरह से प्रभावित हो जाती है। दिंमाग काफी धीमी गति से काम करता है। शोधकर्त्ताओं की मानें तो इन गोलियों के सेवन से एसेटिलकोलाइन नामक केमिकल ब्लॉक हो जाता है। वहीं, जामा न्यूरोलॉजी जर्नल में प्रकाशित शोध के मुताबिक, एसेटिलकोलाइन का स्तर कम होने से लोग डिमेंशिया समेत अन्य दिमागी बीमारी की चपेट में आ जाते हैं। यह दवाइयां एक दम से असर नहीं दिखाती ब्लकि लगभग एक माह के बाद इसका असर दिखना शुरू हो जाता है। ये नींद की दवाएं भले कुछ समय के लिए आपको आराम देती हैं लेकिन लंबे समय के लिए ये परेशानी में भी डाल सकती हैं। इस बारे में लखनऊ के न्यूरोलॉजिस्ट एके पांडेय बताते हैं, नींद की दवाइयों का सेवन करना एक सीमा तक सही होता है लेकिन गोलियों का नियमित सेवन बीमारियां बढ़ा सकता है। विश्व में नींद की दवाई लेने वाले व नींद की दवाई का सेवन नहीं करने वाले लोगों की मृत्यु स्तर में अंतर होता है, इन गोलियों के सेवन से ब्लड प्रेशर, हार्ट डिजीज का भी खतरा बना रहता है।
नींद की कोई भी दवाई लेने से पहले आप डॉक्टर से पूछ भी सकते हैं कि आपको इसे कितने समय तक लेना होगा और कितनी मात्रा में। डॉक्टर जब भी इन दवाईयों को देते हैं तो वो उन्हें एक क्रम से देते हैं ताकि आपको उनकी आदत न पड़े और उनका दुष्प्रभाव भी आप पर न हों। लेकिन आपको इन दवाईयों को लेने के अलावा, खुद को सही रखने के लिए वर्कआउट करना चाहिए और कैफीन के सेवन से बचने के लिए चाय या कॉफी को कम पीना चाहिए।



कई बार ये भी देखा जाता है कि सोने या उठने का कोई निर्धारित समय न होना भी पूरा रूटीन खराब कर देता है। जल्दी सोने और उठने की आदत डालें। ऐसा करने से आपको खुद ही अंतर दिखेगा, दिनभर ताजगी रहेगी। सुस्ती या थकान भी कम होगी। सही दिनचर्या पूरे दिनभर के काम पर असर डालती है। टीवी या मोबाइल का देर रात तक इस्तेमाल न करें नींद न आने में सबसे ज्यादा भूमिका मोबाइल, इंटरनेट और टीवी का है। इसमें इंसान देर रात तक व्यस्त रहता है और सुबह देर से उठता है ये पूरी दिनचर्या को खराब कर देता है। इसलिए कोशिश करें कि सोने का एक निश्चित समय हो और उसके हिसाब से ही सोने का माहौल बनाएं। सोते समय हमेशा मन में अच्छे और सकारात्मक विचार रखिए। सोने की जगह शांत हो और लाइट हल्की हो या बंद हो।
नशे से बचें सिगरेट, शराब या गुटखा आदि के नियमित सेवन से भी अनिद्रा की समस्या आती है। ज्यादा नशा करने और नशा न मिलने की वजह से भी नींद नहीं आती है। एल्कोहल से आपके सोने की दिनचर्या पर भी असर पड़ता है। इसे पूरे दिन चिड़चिड़ापन और थकान रहती है। रात में सोने से पहले दूध पिएं, जिससे अच्छी नींद आएगी। चाय या कॉफी का सेवन न करें चाय-कॉफ़ी को नींद का दुश्मन समझा जाता है। बहुत ज्यादा सेवन स्वास्थ्य पर बुरा असर डालता है। इसलिए रात को सोने से पहले तो चाय या कॉफी की आदत न डालें। इसके अलावा दिन में भी दो या तीन से ज्यादा बार न पिएं। तलवे की मसाज करें सोने से पहले हाथ-पैर साफ करें और फिर अपने तलवों की मसाज करें। अच्छी नींद के लिए रोज सोने से पहले इस मसाज से आपकी अनिद्रा की समस्या दूर हो जाएगी। इससे रक्त का संचार सही से होता है। व्यायाम सोने से पहले हल्के फुल्के व्यायाम करें। कुछ योग ऐसे हैं जिनसे अनिद्रा की बीमारी दूर होती है, जैसे शवासन, वज्रासन, भ्रामरी प्राणायम आदि। इन्हें नियमित रूप से करने से नींद अच्छी आती है।



22.2.19

अजवाईन के गुण और नुस्खे

                                         

पाचन प्रक्रिया को ठीक रखने के लिए अजवाइन और हरड़ को बराबर मात्रा में पीस लें। हींग और सेंधा नमक स्वादानुसार मिलाकर चूर्ण बना कर किसी बोतल में भर लें। इस चूर्ण का एक चम्मच गर्म पानी के साथ लें। 10 ग्राम पुदीने का चूर्ण, 10 ग्राम अजवाइन और 10 ग्राम कपूर एक साफ बोतल में डालकर धूप में रखें। तीनों चीजें गलकर पानी बन जाएंगी। इसकी 5-7 बूंदें बताशे के साथ खाने से मरोड़, पेट दर्द, जी मिचलाने जैसी समस्या में लाभ होगा।

ajwain benefits

एक कप छाछ के साथ एक चम्मच अजवाइन खाने से सर्दी-जुकाम के कारण बनने वाले कफ में राहत मिलती है। एक चम्मच अजवाइन के दानों को हाथ से मसल कर बारीक कर लें और इसे थोड़े से गुड़ के साथ मिलाकर टॉफी की तरह चूसकर सेवन करें, लाभ होगा। एक मुलायम कपड़े में थोड़ी सी अजवाइन डाल कर पोटली बना लें। इसे तवे पर गर्म कर चेस्ट की सिकाई करें, आराम मिलेगा।

ajwain benefits

कब्ज होने पर 10 ग्राम अजवायन, 10 ग्राम त्रिफला और 10 ग्राम सेंधा नमक मिलाकर पीसकर चूर्ण बना लें। रोजाना इसमें से 3 से 5 ग्राम चूर्ण गुनगुने पानी के साथ लें, बहुत जल्द ही आराम होगा।
एक कप पानी में एक चम्मच पिसी अजवाइन और थोड़ा सा नमक उबालें। पानी गुनगुना रह जाए तो उसे मुंह में लेकर कुछ देर रोकें और फिर कुल्ला कर फेंक दें। ऐसा दिन में तीन बार करें। अजवाइन भून कर पीस लें। इस तैयार चूर्ण से मंजन करने पर मसूढ़ों की बीमारियों में आराम मिलता है।

ajwain benefits

अपच होने पर एक कप पानी में एक चम्मच अजवाइन के बीज उबालें। थोड़ा ठंडा होने पर पिएं। एक ग्राम अजवाइन में एक चुटकी नमक मिलाकर चबा-चबा कर खाने से पेट में बनी गैस से होने वाले पेट दर्द में आराम मिलता है। तीन चम्मच अजवाइन के बीजों में नीबू का रस और थोड़ा सा काला नमक मिलाएं। इस मिश्रण को गुनगुने पानी के साथ दिन में दो बार खाएं। आधा लीटर पानी में एक-एक चम्मच अजवाइन और सौंफ के बीज डाल कर धीमी आंच पर पकाएं। ठंडा होने के बाद भोजन के बाद हर रोज पिएं
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18.2.19

वात रोगों मे उपयोगी हर्बल नुस्खे:Herbal Medicine gout


 

उम्र बढने के साथ-साथ हर किसी को वात रोग की समस्या होने लगती है | इस रोग में जोड़ों में, कमर में, दर्द रहता है साथ ही यूरिक एसिड सम्बंधित कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है | आयुर्वेद के अनुसार शरीर में वायु के प्रभवित या कुपित होने के कारण वात रोग होते है | इसलिए वायु उत्पन्न करने वाले भोजन को त्याग कर उचित औषधि का सेवन करना चाहिए | आज हम आपको वात रोग से बचने के लिए काफी आसान और सरल नुस्खों से परिचित कराने जा रहे हैं, जिनका इस्तेमाल आपको वात रोगों से राहत प्रदान करेगा |

वात रोगों को दूर करने के उपाय:herbal remedies for gout 

*हर्रे,सोठ और अजवाइन की बराबर-बराबर मात्र ले | और इसके चूर्ण को गुनगुने पानी से पियें | इससे सभी प्रकार के वात रोग दूर होते है |
*सोठ का चूर्ण आधा चम्मच और जायफल या जावित्री का चूर्ण चौथाई चम्मच एलोवेरा के साथ लेते रहने से 2 से 3 महीने तक में वात रोग दूर हो जाता है |

*त्रिफला का चूर्ण गो मूत्र के साथ लेने से वात और कफ से सम्बन्धित रोग दूर होते है |
*यदि डायबिटीज का रोगी न हो, तो उसे प्रतिदिन सुबह मेथी के दाने का पावडर मिश्री के साथ देने से वात रोग दूर होता है |

herbal remedies for gout 

*सोठ ,कालीमिर्च,और सेधा नमक का चूर्ण भोजन के बाद लेने से आमवात रोग दूर होता है | जो सभी वात रोगों का कारण होता है |

*लहसुन की 2 कलियाँ भूनकर खाने से कमर के वात रोग दूर होते है |
*वात रोग को दूर करने के लिए मेथी का दाना, सोठ दोनों 100 gram ले और कालीमिर्च,पीपल धनिया,जावित्री,दालचीनी और नागरमोथा का चूर्ण 10-10 gram ले | इन सभी को लगभग 300 gram एलोवेरा के साथ भून ले अब 100 gram देशी घी के साथ भूनकर रख ले | 100 gram देशी पुराना गुड़ मिलाकर गर्म करे और 20 gram वजन के बराबर लड्डू बनाकर रख ले | प्रतिदिन एक लड्डू खाने से वात रोग ,अपच और गैस रोग दूर होता है
 
herbal remedies for gout 

*असगंध का चूर्ण , मिश्री,और घी मिलाकर खाने से वात रोग के कारण होने वाला कमर का दर्द ठीक हो जाता है |*धनियाँ और मिश्री का चूर्ण 3:1 कि मात्रा में सुबह लेने से गर्मी के कारण होने वाला वात रोग( कमर और जोड़ो का दर्द ) दूर हो जाता है |
*दशमूल का काढ़ा,हींग और सेधा नमक मिलाकर पीने से लकवा या पक्षाघात में आराम मिलता है |
*अदरख का रस पुराने गुड़ के साथ ले और ऊपर से बकरी का दूध पीने ऐ सभी प्रकार के सूजन दूर हो जाते है |
*केवल गो-मूत्र पीने से भी सूजन दूर हो जाती है |
शहद और गुड़ के साथ पीपल का सेवन करने से शरीर का सुन्नपन दूर होता है |

विशिष्ट परामर्श-  





संधिवात,कमरदर्द,गठिया, साईटिका ,घुटनो का दर्द आदि वात जन्य रोगों में जड़ी - बूटी निर्मित हर्बल औषधि ही अधिकतम प्रभावकारी सिद्ध होती है| रोग को जड़ से निर्मूलन करती है| औषधि से बिस्तर पकड़े पुराने रोगी भी दर्द मुक्त गतिशीलता हासिल करते हैं| बड़े अस्पतालों के महंगे इलाज़ के बावजूद निराश रोगी इस औषधि से आरोग्य हुए हैं|  त्वरित असर औषधि के लिए वैध्य श्री दामोदर से 98267-95656 पर संपर्क कर सकते हैं|
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12.2.19

प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ने से मूत्र बाधा की रामबाण हर्बल औषधि

प्रोस्टेट नामक ग्रंथि केवल पुरुषों के शरीर में ही पाई जाती है। यह ग्रंथि उम्र बढ़ने के साथ आकार में बड़ी हो जाने से पेशाब करने में तकलीफ होती है। यह तकलीफ आमतौर पर 60 साल के पश्चात् अर्थात् बड़ी उम्र के पुरुषों में ही पाई जाती है।
  प्रोस्टेट एक छोटी सी ग्रंथि होती है जिसका आकार अ्खरोट के बराबर होता है। यह पुरुष के मूत्राषय के नीचे और मूत्रनली के आस-पास होती है।

प्रोस्टेट ग्रंथि कहाँ होती है? उसके कार्य क्या हैं?

पुरुषों में सुपारी के आकार की प्रोस्टेट मूत्राशय के नीचे (Bladder Neck) वाले भाग में होती है, जो मूत्रनलिका (Urethra) के प्रारंभिक भाग के चारों ओर लिपटी होती है। अर्थात् मूत्राशय से निकलती मूत्रनलिका का प्रारंभिक भाग प्रोस्टेट के बीच से गुजरता है।
वीर्य ले जानेवाली नलिकाएं प्रोस्टेट से गुजरकर मूत्रनलिका में दोनों तरफ खुलती हैं। इसी वजह से प्रोस्टेट ग्रंथि पुरुषों के प्रजनन तंत्र का एक मुख्य अंग है।

बी. पी. एच. - बिनाईन प्रोस्टेटिक हाइपरट्रॉफी क्या है?

बिनाईन प्रोस्टेटिक हाइपरट्रॉफी (Benign Prostratic Hypertrophy) अर्थात् उम्र बढ़ने के साथ सामान्य रूप से पाई जानेवाली प्रोस्टेट के आकर में वृध्दि।
इस बी. पी. एच. की तकलीफ में संक्रमण, कैंसर अथवा अन्य कारणों से होने वाली प्रोस्टेट की तकलीफ शामिल नहीं होती है।
बी. पी. एच. (BPH ) के लक्षण 50 साल की उम्र के बाद शुरू होते हैं। आधे से ज्यादा पुरुषों को 60 साल की आयु में और 90 % पुरुषों में 70 - 80 साल के होने तक बी. पी. एच. के लक्षण दीखते हैं।
बी. पी. एच. के कारण पुरुषों में होनेवाली मुख्य तकलीफ निम्नलिखित है:
रात को बार-बार पेशाब करने जाना।
पेशाब की धार धीमी और पतली हो जाना।
पेशाब करने के प्रारंभ में थोड़ी देर लगना।
रुक रुककर पेशाब का होना।
पेशाब लगने पर जल्दी जाने की तीव्र इच्छा होना किन्तु, उस पर नियंत्रण नहीं होना और कभी-कभी कपड़ों में पेशाब हो जाना।
पेशाब करने के बाद भी बूँद-बूँद पेशाब का आना।
पेशाब पूरी तरह से नहीं होना और पूरा पेशाब करने का संतोष नहीं होना।
गंभीर बी. पी. एच. अगर अनुपचारित छोड़ दिया जाये तो एक समय के बाद यह गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है।
  

 ५० की आयु के बाद बहुधा प्रोस्टेट ग्रन्थि का आकार बढने लगता है।इसमें पुरुष के सेक्स हार्मोन प्रमुख भूमिका होती है। जैसे ही प्रोस्टेट बढती है मूत्र नली पर दवाब बढता है और पेशाब में रुकावट की स्थिति बनने लगती है। पेशाब पतली धार में ,थोडी-थौडी मात्रा में लेकिन बार-बार आता है कभी-कभी पेशाब टपकता हुआ बूंद बूंद जलन के साथ भी आता है। कभी-कभी पेशाब दो फ़ाड हो जाता है। रोगी मूत्र रोक नहीं पाता है। रात को बार -बार पेशाब के लिये उठना पडता जिससे नीद में व्यवधान पडता है।
यह रोग ७० के उम्र के बाद उग्र हो जाता है। पेशाब पूरी तरह रूक जाने पर चिकित्सक केथेटर लगाकर यूरिन बेग में मूत्र का प्रावधान करते हैं।
यह देखने में आया है कि ६० के पार ५०% पुरुषों और ७०-८० की आयु पार कर चुके लगभग ९०% पुरुषों में प्रोस्टेट वृद्धि के लक्षण दिखाई पडते हैं।


  प्रोस्टेट वृद्धि के लक्षण-


१) पेशाब करने में कठिनाई मेहसूस होना।
२) थौडी २ देर में पेशाब की हाजत होना। रात को कई बार पेशाब के लिये उठना।
३) पेशाब की धार चालू होने में विलंब होना।
४) मूत्राषय पूरी तरह खाली नहीं होता है। मूत्र की कुछ मात्रा मूत्राषय में शेष रह जाती है। इस शेष रहे मूत्र में रोगाणु पनपते हैं।
५) मालूम तो ये होता है कि पेशाब की जोरदार हाजत हो रही है लेकिन बाथरूम में जाने पर बूंद-बूंद या रुक-रुक कर पेशाब होता है।
६) पेशाब में जलन मालूम पडती है।
७) पेशाब कर चुकने के बाद भी मूत्र की बूंदे टपकती रहती हैं, याने मूत्र पर नियंत्रण नहीं रहता।
८) अंडकोषों में दर्द उठता रहता है।
९) संभोग में दर्द के साथ वीर्य छूटता है।

 अपने दीर्घकालिक अनुभव के आधार पर बुजुर्गों को परेशान करने वाली इस बीमारी को नियंत्रित करने वाले कुछ घरेलू उपचार यहां प्रस्तुत कर रहा हूं जिनका समुचित प्रयोग करने से इस व्याधि से मुक्ति पाई जा सकती है।
१) दिन में ३-४ लिटर पानी पीने की आदत डालें। लेकिन शाम को ६ बजे बाद जरुरत मुताबिक ही पानी पियें ताकि रात को बार बार पेशाब के लिये न उठना पडे।.

२) अलसी को मिक्सर में चलाकर पावडर बनालें । यह पावडर २० ग्राम की मात्रा में पानी में घोलकर दिन में दो बार पीयें। बहुत लाभदायक उपचार है।
3) कद्दू मे जिन्क पाया जाता है जो इस रोग में लाभदायक है। कद्दू के बीज की गिरी निकालकर तवे पर सेक लें। इसे मिक्सर में पीसकर पावडर बनालें। यह चूर्ण २० से ३० ग्राम की मात्रा में नित्य पानी के साथ लेने से प्रोस्टेट सिकुडकर मूत्र खुलासा होने लगता है।

४) चर्बीयुक्त ,वसायुक्त पदार्थों का सेवन बंद कर दें। मांस खाने से भी परहेज करें।
५) हर साल प्रोस्टेट की जांच कराते रहें ताकि प्रोस्टेट केंसर को प्रारंभिक हालत में ही पकडा जा सके।

६) चाय और काफ़ी में केफ़िन तत्व पाया जात है। केफ़िन मूत्राषय की ग्रीवा को कठोर करता है और प्रोस्टेट रोगी की तकलीफ़ बढा देता है। इसलिये केफ़िन तत्व वाली चीजें इस्तेमाल न करें।
७) सोयाबीन में फ़ायटोएस्टोजीन्स होते हैं जो शरीर मे टेस्टोस्टरोन का लेविल कम करते हैं। रोज ३० ग्राम सोयाबीन के बीज गलाकर खाना लाभदायक उपचार है।

८) विटामिन सी का प्रयोग रक्त नलियों के अच्छे स्वास्थ्य के लिये जरूरी है। ५०० एम जी की ३ गोली प्रतिदिन लेना हितकर माना गया है। 
९) दो टमाटर प्रतिदिन अथवा हफ़्ते में कम से कम दो बार खाने से प्रोस्टेट केंसर का खतरा ५०% तक कम हो जाता है। इसमें पाये जाने वाले लायकोपिन और एन्टिआक्सीडेंट्स केंसर पनपने को रोकते हैं।


विशिष्ट परामर्श-




प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ने मे हर्बल औषधि सर्वाधिक कारगर साबित हुई हैं| यहाँ तक कि लंबे समय से केथेटर नली लगी हुई मरीज को भी केथेटर मुक्त होकर स्वाभाविक तौर पर खुलकर पेशाब आने लगता है| प्रोस्टेट ग्रंथि के अन्य विकारों (मूत्र    जलन , बूंद बूंद पेशाब टपकना, रात को बार -बार  पेशाब आना,पेशाब दो फाड़)  मे रामबाण औषधि है|  केंसर की नोबत  नहीं आती| आपरेशन  से बचाने वाली औषधि हेतु वैध्य श्री दामोदर से 
98267-95656
 पर संपर्क कर सकते हैं|
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पित्त पथरी(Gall stones) के घरेलू ,हर्बल उपचार



गाल ब्लाडर में पथरी (gallstones) बनना एक भयंकर पीडादायक रोग है। इसे ही पित्त पथरी कहते हैं। पित्ताषय में दो तरह की पथरी बनती है।
प्रथम कोलेस्ट्रोल निर्मित पथरी।
दूसरी पिग्मेन्ट से बननेवाली पथरी।
ध्यान देने योग्य है कि लगभग८०% पथरी कोलेस्ट्रोल तत्व से ही बनती हैं।वैसे तो यह रोग किसी को भी और किसी भी आयु में हो सकता है लेकिन महिलाओं में इस रोग के होने की सम्भावना पुरुषों की तुलना में लगभग दूगनी हुआ करती है।पित्त लिवर में बनता है और इसका भंडारण गाल ब्लाडर में होता है।यह पित्त वसायुक्त भोजन को पचाने में मदद करता है। जब इस पित्त में कोलेस्ट्रोल और बिलरुबिन की मात्रा ज्यादा हो जाती है,तो पथरी निर्माण के लिये उपयुक्त स्थिति बन जाती है।
पथरी रोग में मुख्य रूप से पेट के दायें हिस्से में तेज या साधारण दर्द होता है।भोजन के बाद पेट फ़ूलना,अजीर्ण होना,दर्द और उल्टी होना इस रोग के प्रमुख लक्षण हैं।
प्रेग्नेन्सी,मोटापा,मधुमेह,,अधिक बैठे रेहने की जीवन शैली, तेल घी अधिकता वाले भोजन,और शरीर में खून की कमी से पित्त पथरी रोग होने की सम्भावना बढ जाती है।
दो या अधिक बच्चों की माताओं में भी इस रोग की प्रबलता देखी जाती है।
अब मैं कुछ आसान घरेलू नुस्खे प्रस्तुत कर रहा हूं जिनका उपयोग करने से इस भंयकर रोग से होने वाली पीडा में राहत मिल जाती है और निर्दिष्ट अवधि तक इलाज जारी रखने पर ३ से ४ एम एम तक की पित्त पथरी से मुक्ति मिल जाती है।
१) गाजर और ककडी का रस प्रत्येक १०० मिलिलिटर की मात्रा में मिलाकर दिन में दो बार पीयें। अत्यन्त लाभ दायक उपचार है।
२) नींबू का रस ५० मिलिलिटर की मात्रा में सुबह खाली पेट पीयें। यह उपाय एक सप्ताह तक जारी रखना उचित है।
३) सूरजमुखी या ओलिव आईल ३० मिलि खाली पेट पीयें।इसके तत्काल बाद में १२० मिलि अन्गूर का रस या निम्बू का रस पीयें। इसे कुछ हफ़्तों तक जारी रखने पर अच्छे परिणाम मिलते हैं।
४) नाशपती का फ़ल खूब खाएं। इसमें पाये जाने वाले रसायनिक तत्व से पित्ताषय के रोग दूर होते हैं।
५) विटामिन सी याने एस्कोर्बिक एसिड के प्रयोग से शरीर का इम्युन सिस्टम मजबूत बनता है।यह कोलेस्ट्रोल को पित्त में बदल देता है। ३-४ गोली नित्य लें।
2013 में हुए एक अध्ययन के अनुसार, शरीर में भरपूर मात्रा में विटामिन सी पथरी की समस्‍या कम करता है। एक लाल शिमला मिर्च में लगभग 95 मिलीग्राम विटामिन सी होता है, यह मात्रा पथरी को रोकने के लिए काफी होती है। इसलिए अपने आहार में शिमला मिर्च को शामिल करें।।
६) पित्त पथरी रोगी भोजन में प्रचुर मात्रा में हरी सब्जीयां और फ़ल शामिल करें। ये कोलेस्ट्रोल रहित पदार्थ है।
७) तली-गली,मसालेदार चीजों का परहेज जरुरी है।
8) शराब,चाय,काफ़ी एवं शकरयुक्त पेय हानिकारक है।
९) एक बार में ज्यादा भोजन न करें। ज्यादा भोजन से अधिक मात्रा में कोलेस्ट्रोल निर्माण होगा जो हांनिकारक है।
१०) आयुर्वेद में उल्लेखित कतिपय औषधियां इस रोग में लाभदायक साबित हो सकती हैं।कुटकी चूर्ण,त्रिकटु चूर्ण,आरोग्य वर्धनी वटी,फ़लत्रिकादि चूर्ण,जैतुन का तैल ,नींबू का रस आदि औषधियां व्यवहार में लाई जाती हैं।
११) सर्जरी में पित्त पथरी नहीं निकाली जाती है बल्कि पूरे पित्ताशय को ही काटकर निकाल दिया जाता है जिसके दुष्परिणाम रोगी को जीवन भर भुगतने पड़ते हैं| अत: जहां तक हो सके औषधि से चिकित्सा करना श्रेष्ठ है|
१२) पुदीने में टेरपेन नामक प्राकृतिक तत्‍व होता है, जो पित्त से पथरी को घुलाने के लिए जाना जाता है। यह पित्त प्रवाह और अन्य पाचक रस को उत्तेजित करता है, इसलिए यह पाचन में भी सहायक होता है। पित्त की पथरी के लिए घरेलू उपाय के रूप में पुदीने की चाय का इस्‍तेमाल करें।

विशिष्ट परामर्श-


सिर्फ हर्बल चिकित्सा ही पित्ताशय की पथरी  में सफल परिणाम देती है| दामोदर चिकित्सालय रजिस्टर्ड 
98267-95656 द्वारा निर्मित  हर्बल दवा से बड़ी  साईज़ की  gallstone  में भी आश्चर्यजनक फायदा होता है| मरीज आपरेशन से बच जाता है| पथरी का भयंकर  दर्द जो बड़े अस्पतालों मे महंगे इंजेक्शन से भी बमुश्किल काबू मे आता है ,इस हर्बल औषधि की कुछेक खुराक लेते ही आराम लग जाता है|  औषधि मनी बेक गारंटीयुक्त है |






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25.1.19

मोटापा छूमंतर मूंग दाल के पानी से / Obesity ends with moong dal water

                                        

मूंग की दाल हर कोई चाव से खाना पसंद करता है। घरों में मूंग की दाल की कई तरह की वरायटी बनाई जाती है। मूंग की दाल हमारी सेहत के लिए भी काफी फायदेमंद है क्योंकि इसमें काफी मात्रा में पौष्टिक तत्व होते हैं। इसके सेवन से अनीमिया दूर करने के साथ ही वजन कम करने में भी मदद मिलती है।  मूंग की दाल में भारी मात्रा में कैल्शियम, मैग्नेशियम, पोटैशियम और सोडियम होता है। इसमें अच्छी मात्रा में विटमिन-सी, कार्ब्स और प्रोटीन के साथ डायटरी फाइबर भी है। मूंग की दाल के फायदों पर डालें एक नजर-


बच्चों के लिए हेल्दी 

मूंग की दाल का पानी छोटे बच्चों के लिए भी काफी स्वास्थयवर्धक होता है। दाल का पानी आसानी से पच जाता है। इसे पीने से शिशु की इम्यून पावर यानी रोगों से लड़ने की क्षमता भी बढ़ती है। 
मूंग दाल का सेवन करने से हमारे शरीर को काफी फायदे मिलते हैं। इसके लिए हमें अपने दिन की शुरुआत गुनगुने पानी से करनी चाहिए। गुनगुने पानी को धीरे-धीरे पीने से शरीर का टॉक्सिन निकलने के साथ ही बॉडी हाइड्रेटेड बनी रहती है। इसके बाद एक्सरसाइज करें और फिर मूंग की दाल का सूप बना लें। जो हमारे शरीर के लिए काफी सही रहता है। मूंग की दाल में अदरक, नमक, लहसुन, हींग, हरी मिर्च, जीरा, धनिया और सौंफ को डालकर उबाल लें, लेकिन ध्यान रहे कि किसी भी चीज का तड़का ना लगाएं।इसके बाद इस सूप को दिन में 6 बार और लगातार 3 दिन तक पीने से शरीर को कई तरह के लाभ मिलते हैं, और ये हमारे मोटापे को कम करने में काफी मदद करता है। इस बात का भी ध्यान देना चाहिए कि मूंग दाल सूप का सेवन करते समय तेल, घी और खट्टी चीजें जैसे-दही, टमाटर, नींबू आदि चीजों का सेवन न करें। ऐसा करने से ही शरीर को पूर्ण तरीके से लाभ मिल पाएंगे। 
 मूंग दाल में काफी मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है। साथ ही इसमें फैट नहीं होता है।मूंग के सूप के साथ ही सब्जियों से बने सलाद का भी सेवन कर सकते हैं। इनका उपयोग उबालकर या फिर भाप में पकाकर भी किया जा सकता है। इस सलाद में चुकंदर, गाजर, शलगम, खीरा, प्याज, मूली, लौकी, गोभी, ककड़ी को शामिल कर सकते हैं। मूंग की दाल के इस सूप को लेने के बाद अगर आपको पहले दिन कमोजरी का एहसास हो, तो अगले दिन से सूप पीने की मात्रा को बढ़ा लें। साथ ही हो सकता है कि आपके सिर में हल्का दर्द या आपका मन भी मचला सकता है, लेकिन इससे घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि ये डिटॉक्स की प्रक्रिया के कारण होता है।
  अगर आप मूंग की दाल खाकर बोर हो गए हैं या इस दौरान आपको रिफ्रेश होना है, तो इसमें आपकी मदद चाय और कॉफी कर सकते हैं। साथ ही आप 8 से 10 गिलास पानी पीकर भी खुद को रिफ्रेश कर सकते हैं। वहीं, जब आपकी इस डाइट के आखिरी 2 दिन हों तो आप मूंग की दाल का चीला बनाकर भी खा सकते हैं। दिन में तीन बार एक-एक चीला आप खा सकते हैं। इस डाइट को फॉलो करने के बाद आपको वजन कम करने में काफी मदद मिल सकती है।

हल्की होती है दाल 

कई बार होता है कि शरीर से काफी मात्रा में पसीना बह जाने के कारण इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है। मूंग की दाल का पानी पीने से शरीर में एनर्जी की पूर्ति होती है। ये शरीर और मस्तिष्क के लिए भी काफी फायदेमंद होती है। 

वजन होता है कम 

अगर आप वजन घटाने को लेकर परेशान हैं तो मूंग दाल का पानी आपकी हर चिंता का हल है। ये न सिर्फ आपकी कैलरी कम करती है बल्कि इसका पानी पीने से लंबे वक्त तक भूख का भी अहसास नहीं होता है। इसे पीने से न सिर्फ आप एनर्जेटिक फील करते हैं बल्कि आसानी से वजन भी कम कर सकते हैं।

दस्त होने पर 

अगर आपको दस्त या डायरिया की समस्या हो गई है तो इसके लिए आप एक कटोरी मूंग दाल का पानी पी लीजिए। ये न सिर्फ आपके शरीर में पानी की आपूर्ति को पूरा करेगा बल्कि मूंग दाल का पानी पीने से दस्त की समस्या भी कम हो जाएगी।
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16.1.19

बाल फिर से उगाने के अनुपम उपाय Unique ways to regrow hair

                          

बाल जल्दी उगाने के लिए आपको सबसे पहले बालों की देखभाल करनी होगी। यदि आप बालों की सफाई नहीं रखेंगे, और उन तक पोषक तत्व नहीं पहुंचाएंगे, तब तक बाल जल्दी नहीं बढ़ेंगे।

  यह आम धारणा है कि बालों के झड़ना शुरु होने के बाद बाल दोबारा नहीं उगते हैं। जबकि ऐसा नहीं है। आपको यदि कोई गंभीर बीमारी है या फिर किमोथेरेपी या दवा की साइड इफेक्ट की वजह से बाल झड़ रहें हैं तो बालों का झड़ना नहीं रुक सकता और हेयर रिग्रोथ  की संभावना कम होती है।
लेकिन यदि इनमें से कोई भी कारण नहीं है, आप अंदर से सेहतमंद हैं और बालों की उचित देखभाल कर रहे हैं तो हेयर रिग्रोथ निश्चित रुप से होगी। हेयर रिग्रोथ तभी संभव है जब बालों की जड़ और उनकी कोशिकाओं को पोषण मिल रही हो।
बालों की जड़ों को पोषण में सबसे असरदार है - कुदरती उपाय। कुदरती जड़ी-बूटियों से बने तेल, पत्ते और औषधियों में ऐसे नायाब गुण होते हैं जो हेयर रिग्रोथ  regrow hair में काफी मदद करते हैं।
हालांकि मेडिकल साइंस अब इतना विकसित कर गया है कि गंजे सिर में भी स्टेम शेल थेरेपी से बाल उगाए जा रहे हैं। बालों का प्रत्यारोपण भी किया जा रहा है, लेकिन यह उपाय काफी महंगे हैं और यह सब जगह आसानी से उपलब्ध भी नहीं है।
यही कारण है कि हेयर रिग्रोथ के लिए कुदरती और आयुर्वेदिक उपाय सबसे ज्यादा प्रचलन में है। 

बाल जल्दी उगाने के लिए सबसे उत्तम उपाय पर्याप्त जल पीना है। प्रतिदिन 4 से 5 लीटर पानी पीना अनिवार्य होता है जोकि हमारे शरीर में जल के स्तर को संतुलित करता है। जल हमारे बालों को नमी प्रदान करता है जिससे कि बाल घने और मज़बूत बनते हैं।
जल शरीर में मौजूद हानिकारक तत्वों को नष्ट करने में सहायक होता है और एक स्वस्थ शरीर का निर्माण करता है। पर्याप्त जल 
स्वस्थ बाल उगाने में  regrow hair मदद करता है|

अरंडी का तेल  और बायोटिन थेरेपी 

बालों के झड़ने की बड़ी वजह तनाव, अवसाद (Dejection) और विटामिन बी-7 (बायोटिन) की कमी होती है। इस समस्या को खत्म करने के लिए बालों की जड़ (Scalp) में अरंडी का तेल लगाएं और बायोटिन की गोलियां खाना जरुरी है। यह सबसे आसान थेरेपी है।
पहली बार इसे आजमाने वाले अरंडी के तेल में नारियल तेल, जैतून का तेल या फिर कोई ऐसा तेल मिला लें जो आसानी से अरंडी के तेल में मिल जाए। अरंडी का तेल थोड़ी मोटा और गाढ़ा होता है और इसे पतला बनाने के लिए अन्य तेलों को मिलाना जरुरी होता है। जब तेल तैयार हो जाए तो इससे बालों की जड़ों की मालिश करें।
अरंडी के तेल की मालिश के साथ-साथ विटामिन बी7 या बायोटिन  की गोलियां भी नियमित रुप से खाते रहेंगे तो 3 से 6 महीने के अंदर बेहतर नतीजे आएंगे। बालों का बढ़ना शुरु हो जाएगा। ध्यान रहे विटामिन बी7 की गोलियां 5 एमजी से ज्यादा एक दिन में नहीं खाएं। ओवरडोज से साइड इफेक्ट भी हो सकते हैं।

विटामिन ई थेरेपी 

विटामिन बी7 के अलावां विटामिन ई भी बालों की वृद्धि  regrow hair में काफी पोषण देती है। पुरुष और स्त्री दोनों के बालों के पोषण के लिए विटामिन ई थेरेपी जरुरी है। यह बालों के झड़ने की बीमारी को भी रोकता है। विटामिन ई की गोलियां खाने या विटामिन ई युक्त तेल बालों की जड़ में लगाने से बालों की जड़ में रक्त संचार की गति तेज होती है और बाल फिर से ग्रोथ होने लगते हैं।

गंजेपन को दूर करने और हेयर रिग्रोथ  regrow hair के लिए कुछ जरुरी दवाएं 

पुरुषों के गंजेपन को दूर करने से लिए एलोपैथ में अब दवाएं भी बनने लगी हैं। इन दवाओं को फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन से मान्यता भी मिल चुकी है। गंजेपन के इलाज और हेयर रिग्रोथ के लिए तीन दवाएं मुख्य रुप से प्रचलन में हैं।
Dutasteride – इसे पुरुषों के गंजेपन के इलाज में इस्तेमाल किया जाता है। यह बालों की जड़ों की वृद्धि में काफी मदद करता है।
Finasteride – यह भी पुरुषों के गंजेपन के इलाज में खाया जाता है।
Minoxidil – यह क्रीम के रुप में आता है और इसे सिर पर लगाई जाती है।
नोट: किसी भी दवा को लेने से पहले योग चिकित्सक से परामर्श आवश्यक है।



हेयर रिग्रोथ के कुछ घरेलू और कुदरती उपाय


एलोवेरा मास्क और नारियल तेल 

एलोवेरा के जूस और नारियल तेल का मिश्रण हेयर रिग्रोथ regrow hair  में काफी असरदार होता है। दोनों को कुछ इस तरह मिलाएं कि यह पेस्ट की तरह बन जाए। फिर इस पेस्ट को हेयर मास्क की तरह लगाएं। मास्क लगाने के बाद बालों की जड़ की मसाज भी करें। काफी फायदा दिखेगा।


आयुर्वेदिक हेयर वाश

आधा किलो शिकाकाई, मेथी एक पाव, करी पत्ता, तुलसी पत्ता और रीठा 100 ग्राम लें। इस सभी को मिला कर बालों को धोने लायक शैंपू बनाएं। इससे बालों की कई परेशानी दूर होने के साथ बालों में वृद्धि भी होगी।


भृंगराज

भृंगराज के तेल से बालों की मालिश करें। इससे बहुत जल्दी बाल आने लगेंगे।

जटामांसी 


इस जड़ी-बूटी का इस्तेमाल आयुर्वेद में हेयर ग्रोथ के दवा के रुप में किया जाता है। इसे आप कैप्सूल की तरह खा भी सकते हैं और इसे सीधे बालों की जड़ में लगा भी सकते हैं।


प्याज और लहसुन 

प्याज और लहसुन में सल्फर की मात्रा पाई जाती है जो हेयर रिग्रोथ में काफी मदद करती है। इसके लिए कुछ ख़ास नहीं करना है, बस प्याज को काटकर जूस निकाल लेना है और इस जूस से बालों के जड़ की मालिश 15 मिनट तक करनी है।
दूसरी तरफ आपको कुछ लहसुन के दाने के जूस निकाल कर उसे नारियल तेल में मिला देना है। फिर उसे कुछ देर तक उबालना है। जब यह ठंढा हो जाए तो इससे बालों के जड़ की मालिश करनी है।
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15.1.19

हृदय रोगियों के लिए उपकारी है पोटेशियम युक्त आहार

                                        


उच्च-पोटेशियम वाले खाद्य पदार्थ किसी भी संतुलित आहार का एक अनिवार्य हिस्सा हैं। खनिज आपके शरीर के द्रव स्तर, मांसपेशियों के कार्य में सहायक और अपशिष्ट को हटाने में मदद करता है और आपके तंत्रिका तंत्र को ठीक से काम करने के लिए प्रेरित करता है। रिसर्च से पता चलता है कि उच्च रक्तचाप वाले लोगों में पोटेशियम युक्‍त फूड रक्तचाप और स्ट्रोक के जोखिम को कम कर सकता है। यहां हम आपको ऐसे ही कुछ पोटैशियम युक्‍त फूड के बारे में बता रहे हैं जिनका सेवन करना आपके लिए पूरी तरह से सुरक्षित है और स्‍वास्‍थ्‍य के लिए फायदेमंद भी है।
पोटैशियम युक्‍त  आहार 

आलू 

आलू में केले से ज्यादा पोटैशियम होता है। हैरान रह गए न आप? जी हां! एक मीडियम साइज के उबले हुए आलू में 941 मिलीग्राम पोटैशियम होता है। ये दैनिक जरूरत का लगभग 20 प्रतिशत है। लेकिन इसके लिए आलू को उबलने के बाद थोड़ा थंडा हो जाने दीजिए। आलू में मौजूद स्टार्च गठिया रोग में भी फायदेमंद होता है। आलू के अलावा शकरकंद में भी भरपूर पोटैशियम होता है।

पालक

पालक गुणों की खान है और इसमें ढेर सारे मिनरल्स औैर विटामिन्स होते हैं। पालक में पोटैशियम की मात्रा भी भरपूर होती है। एक कप पालक में लगभग 540 मिलीग्राम पोटैशियम होता है। इसके अलावा पालक आयरन और फाइबर का भी महत्वपूर्ण स्रोत है। इसलिए इसके सेवन से शरीर को कई स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं। एनीमिया में पालक के सेवन से लाभ मिलता है।

चुकंदर

चुकंदर में शरीर को फायदा पहुंचाने वाले ढेर सारे तत्व होते हैं। चुकंदर में पोटैशियम भी भरपूर पाया जाता है। एक कप चुकंदर में लगभग 518 मिलीग्राम पोटैशियम होता है जो आपकी दैनिक जरूरत का लगभग 11 प्रतिशत है। चुकंदर में आयरन भी भरपूर होता है इसलिए ये ब्लड में हीमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ाता है और एनीमिया जैसे खून की कमी वाली बीमारियों से बचाता है। 




केला 

यदि आपने किसी पोटेशियम युक्त खाद्य पदार्थ के बारे में सुना है, तो आप शायद जानते होंगे कि केले एक अच्छा स्रोत हैं, जिसमें लगभग 400 मिलीग्राम से अधिक पोटेशियम होता है। केले एक हेल्‍दी और एनर्जी स्नैक हैं। यह विटामिन बी 6 में उच्च होता है और फाइबर और विटामिन सी का एक अच्छा स्रोत है।

शकरकंद

शकरकंद में भरपूर मात्रा में पोटेशियम होता है। एक सामान्‍य आकार की शकरकंद में 694 मिलीग्राम तक पोटेशियम होता है। यह हमारी रोजमर्रा की जरूरत का 15 फीसदी होता है। इसके साथ ही इसमें कैलोरी की मात्रा भी कम होती है। एक शकरकंद में केवल 131 कैलोरी होती हैं। यानी शकरकंद का सेवन हमारी सेहत पर दोतरफा सकारात्‍मक प्रभाव डालता है। इतना ही नहीं शकरकंद में बीटा कोरटेन और विटामिन ए भी भरपूर मात्रा में होता है। इन खूबियों के कारण आप इसे सुपरफूड भी कह सकते हैं। 

संतरे का जूस

संतरे का जूस नाश्‍ते में बेहद फायदेमंद होता है। संतरे को विटामिन सी से भरपूर माना जाता है। लेकिन, इसके साथ ही इसमें भरपूर मात्रा में पोटेशियम भी होता है। इसकी सबसे अच्‍छा बात यह है कि इसे बनाना भी बेहद आसान है। और साथ ही अगर आपको संतरे को यूं ही खाना चाहें तो भी कोई दिक्‍कत नहीं। 

पत्‍तेदार सब्जियां 

यह पत्‍तेदार सब्जी न केवल विटामिन ए और विटामिन 'के' से भरपूर होती है, बल्कि साथ ही इसमें पोटेशियम भी काफी मात्रा में होता है। इसके महज आधे कप में 655 मिलीग्राम पोटेशियम होता है। इसका सेवन करने से पोषण संबंधी आपकी काफी आवश्‍यकतायें पूरी हो सकती हैं। यह सुपरफूड वीटा कोर‍टेन और विटामिन ए से भी भरपूर होता है।

खजूर

अपनी गर्म तासीर के लिए खजूर सर्दियों का खास ड्राई फूट होता है। मूल रूप से मध्‍य एशिया का खजूर स्‍वाद में तो लाजवाब होता ही है साथ ही इसके कई स्‍वास्‍थ्‍य लाभ भी होते हैं। आधा कप खजूर में 584 मिलीग्राम पोटेशियम होता है। खजूर को आप दूध के साथ भी खा सकते हैं। 

टमाटर

टमाटर सलाद से लेकर सब्‍जी तक में इस्‍तेमाल किया जाता है। लाल टमाटर भारत के सतरंगी भोजन का अहम हिस्‍सा है। चौथाई कप टमाटर पेस्‍ट में 2.8 मिलीग्राम विटामिन ई होता है। यह हमारी रोजमर्रा की जरूरत का पांचवां हिस्‍सा होता है। इसके साथ ही इसमें 664 मिलीग्राम पोटेशियम, 34 मिलीग्राम लिकोपिन और 54 कैलोरी होती हैं। अपनी इन खूबियों के कारण इसे सुपरफूड भी कहा जा सकता है। 

दही

दही में कई पोषक तत्‍व होते हैं। इसमें कैल्श्यिम भी भरपूर मात्रा में होता है, जो हमारी हड्डियों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। लेकिन, शायद आपको यह न पता हो कि दही में पोटेशियम भी प्रचुर मात्रा में होता है। करीब 220 ग्राम नॉन-फैट दही में 579 मिलीग्राम तक पोटेशियम होता है।
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