11.3.18

आर्थराईटीज़(संधिवात) रोग मे क्या खाएं क्या न खाएं


आर्थराइटिस के दर्द को बढ़ाने वाले आहार

 आर्थराइटिस की चपेट में आज हर उम्र के लोग आ रहे हैं खास कर युवा अर्थराइटिस यानि गठिया या जोड़ो की बीमारी है। जब आपको चलने – फिरने में तकलीफ होने लगे, सो कर उठने पर या सीढियाँ चढ़ने पर जोड़ों में दर्द हो, तो एक ही बीमारी का अंदेशा होता है वह है अर्थराइिटस। यह बीमारी पहले 50 साल से अधिक उम्र के लोगों को अधिक होती थी लेकिन बदलती जीवन शैली के कारण उम्र का कोई बंधन नहीं रहा । अर्थराइटिस के दर्द को बढ़ाने या इस बीमारी में आहार का बहुत योगदान है हम आज आपको ऐसे ही कुछ खाद्य पदार्थ के बारे में बता रहे हैं जिनकी वजह से अर्थराइटिस का दर्द बढ़ता है और कम होता है ।

*मीठा खाद्य-पदार्थ का सेवन अधिक करना :-यदि आप अपने दैनिक जीवन में मीठा ज्यादा खाते हैं तो मीठा आपके शरीर में प्रोटीन्‍स का ह्रास करता है। जिस कारण आपके शरीर में गठिया का दर्द बढ़ने लगता है। इसलिए आपको अपने डाइट चार्ट में से शुगर और शुगर वाले आहार को निकाल दीजिए। यह आपके शरीर में अर्थराइटिस की बीमारी को कम नहीं होने देगा|

*ढूध वाले खाद्य पदार्थ :-ढूध से बने खाद्य-पदार्थ भी आर्थराइटिस की बीमारी को बढ़ा सकते हैं। क्‍योंकि ढूध वाले उत्‍पाद जैसे, पनीर, मखन आदि में कुछ प्रोटीन होते हैं जो जोड़ों के पास मौजूद ऊतकों को प्रभावित करते हैं, जिसकी वजह से जोड़ों का दर्द बढ़ जाता है। इसलिए ढूध वाले पदार्थ को खाने से बचना चाहिये ।

*सॉफ्ट ड्रिंक और अल्कोहल (शराब) :- अर्थराइटिस के मरीजों को शराब और साफ्ट ड्रिंक आदि के सेवन से बचना चाहिए। अल्कोहल शरीर में यूरिक एसिड को बढ़ाता है और तो और शरीर में से गैर जरूरी तत्व भी शरीर में से नहीं निकलने देता । इसी तरह सॉफ्ट ड्रिंक खासकर मीठे पेय या फ्रूट जूस पैकिंग वाले खाद्य-पदार्थ में फ्रेक्टोस नामक तत्व होता है, जो हमारे शरीर में यूरिक एसिड को बढ़ाने में मदद करता है।     
2015 में एक शोध से यह बात साबित हुई थी कि जिन लोगों के खाद्य-पदार्थ में फ्रक्टोस वाली चीजों का सेवन अधिक होता है उनमें आर्थराइटिस होने का खतरा दो से तीन गुना तक अधिक हो जाता है।

*टमाटर खाने से बचें :- टमाटर को विटामिन और मिनरल का स्त्रोत माना जाता है और ये शरीर को फायदा भी पहुंचाता है लेकिन यह अर्थराइटिस के दर्द को बढ़ाता भी है। टमाटर में कुछ ऐसे रासायनिक तत्व पाये जाते हैं जो जोड़ों में सूजन बढ़ाकर दर्द पैदा करते हैं। इसलिए टमाटर खाने से बचना चाहिये

आर्थराइटिस के दर्द से मुक्ति देने वाले खाद्य पदार्थ




*हल्‍दी : हल्‍दी का सेवन करने से जोड़ों के दर्द और सूजन में कमी आती है 
* लहसुन को अपने भोजन में जरुर शामिल करें ये खून को साफ़ करता है.आर्थराइटिस के कारण खून में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ जाती है. लहसुन के रस से यूरिक एसिड पिघल कर तरल रूप में पेशाब के रास्ते बाहर निकल जाता है|

* ग्रीन टी: दिन में एक बार ग्रीन टी का सेवन जरुर करें क्योंकि इसमें एंटीऑक्‍सीडेंट होता है जो दर्द का पता ही नहीं चलने देता उसे वहीँ दबा देता है।
*कद्दू जरुर खाएं -कद्दू में काफी मात्रा में कैरोटीन होता है जो जोड़ों के सूजन को काफी हद तक कम करता है।
* Vitamin C: अपने दैनिक जीवन के भोजन में विटामिन सी वाले खाद्य पदार्थ जरुर लें विटामिन सी वाले खाद्य पदार्थ में स्‍वास्‍थ्‍य वर्धक कोलाजिन होता है। जो हड्डियां को मजबूत बनाता हैं।
*प्‍याज : प्‍याज में एसपिरिन के असर वाला पदार्थ होता है जो दर्द में राहत देता है|

विशिष्ट परामर्श-  


संधिवात,कमरदर्द,गठिया, साईटिका ,घुटनो का दर्द आदि वात जन्य रोगों में जड़ी - बूटी निर्मित हर्बल औषधि ही अधिकतम प्रभावकारी सिद्ध होती है| रोग को जड़ से निर्मूलन करती है|   बिस्तर पकड़े पुराने रोगी भी दर्द मुक्त गतिशीलता हासिल करते हैं| बड़े  अस्पताल   मे  महंगे इलाज के  बावजूद   निराश रोगी   इस  औषधि से लाभान्वित हुए हैं|औषधि  के लिए वैध्य श्री दामोदर से 98267-95656 पर संपर्क कर सकते हैं| 






7.3.18

घबराहट दूर करने के आयुर्वेदिक उपाय

                                                     


    मानसिक रोग की बीमारियां इंसान को काफी परेशान कर देती हैं। तनाव, चिंता और अवसाद इंसान को अंदर से इतना कमजोर बना देते हैं कि धीरे—धीरे उसकी सेहत पर विपरीत प्रभाव पड़ने लगता है। घबराहट यह एक गंभीर समस्या है। ये किसी भी तरह की हो सकती है जैसे लिफ्ट में थोड़ी देर खड़े होने पर, भीड़ वाली जगह पर, बंद कमरे या दरवाजा बंद होने पर घबराहट या किसी चिंता का होना आदि। यदि आपको किसी भी तरह की एैसी समस्या है तो चिंता ना करें। हमारे पास इसका बहुत ही सरल और आसान उपाय है। इसके लिए कुछ नुस्खे आपको इस्तेमाल करने हैं।
आयुर्वेदक इलाज-
बहुत जरूरी है नींबू की चाय यानि (लेमन टी)-
नींबू हमारी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है। लेकिन यही नींबू हमें घबराहट की समस्या से निजात भी दिलवाता है। लेमन टी आप नियमित सुबह और शाम पीना शुरू कर दें। कुछ ​ही दिनों में घबराहट आपको महसूस नहीं होगी।
ग्रीन टी पीएं-
जब आपको एैसा लगता हो कि घबराहट हो रही है तो आप ग्रीन टी को पीएं। क्योंकि इस चाय में मौजूद गुण हमारे शरीर के रक्त संचार और रक्तचाप को ठीक रखते हैं जिसकी वजह से घबराहट दूर हो जाती है।
फायदेमंद है चाकलेट-
चाकलेट अक्सर हम सभी खाते हैं । घबराहट का उपचार करती है ये चाकलेट। नियमित एक चाकलेट आप खांए इससे आपके दिमाग में घबराहट पैदा करने वाले हार्मोन कम होने लगते हैं। जिससे आपको पूरी तरह से इस बीमारी से मुक्ति मिल जाती है।
आयुर्वेदक तेल लैवेंडर-
बहुत ही लाभदायक है लैवेंडर का तेल घबराहट को कम करने में। जी हां यदि आप इस तेल को सूंघते हो तो इससे आपको इस परेशानी से राहत मिलती है। साथ ही आपका ब्लड प्रेशर भी नियंत्रित हो जाता है। आप चाहें तों लैवेंडर के टैबलेट का सेवन भी कर सकते हो। लेकिनअपने डॉक्टर से पूछने पर।
बहुत ही फायदेमंद है अखरोट व अलसी-
यदि आप अखरोट या फिर अलसी के बीजों का सेवन करते हो तो आपको कभी भी घबराहट नहीं होगी। क्योंकि इन दोनों में ओमेगा—3 फैटी एसिड होता है जो हमारे शरीर में जाकर चिंता व तनाव को खत्म करता है। आप रोज अखरोट जरूर खाएं।
जामुन का प्रभाव-
जामुन एक कारगर दवा के रूप में काम करती है घबराहट में। जी हां यदि आप इसका सेवन करते हो तो चिंता, टेंशन व मन की अशांति-
सभी दूर हो जाएगीं। और आप फिर से एक स्वस्थ जीवन जी सकोगे।
साबुत अनाज लाभकारी है-
जैसा की हमने आपको बताया था कि घबराहट एक मानसिक रोग है इसलिए इसे कम करने में हमारी डायट की अहम भूमिका रहती है। आप साबुत अनाज का सेवन करना शुरू कर दें। इससे आपका ये मानसिक रोग पूरी तरह से ठीक हो जाएगा।
इसलिए जरूरी है बादाम-
उन लोगों को कभी भी घबराहट की समस्या नहीं होती है जो बादाम का सेवन नियमित करते हैं। बादाम हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। और इस तरह की किसी भी समस्या से हमारे शरीर को बचाता है। इसलिए जरूर खाएं बादाम।
योग जरूर करें-
योग में छिपा है घबराहट का अचूक उपाय। जी हां आप रोज सुबह के समय कपालभाती और अनुलोम—विलोम करते हो तो ये समस्या आपकी जल्द ही ठीक हो जाएगी।

5.3.18

काकजंघा जड़ी बूटी के आयुर्वेदिक और तांत्रिक प्रयोग


काकजंघा आयुर्वेद में मानी हुई औषधि है किंतु वर्तमान में जानकारी न् होने के कारण लुप्त प्रायः और जंगली पौधा समझ के उखाड़ दी जाती है।
आयुर्वेद के अनुसार :-
काकजंघा स्नेहन (तैलीय) और संग्राहक (अर्थात इसके सेवन से व्यक्ति का मन प्रसन्न और शांत रहता है) होता है ।
यह पेट की जलन और त्वचा की सुन्नपन को दूर करता है। पाचन शक्ति, टी.बी. रोग से उत्पन्न घाव, पित्तज्वर, खुजली और सफेद कोढ़ में इसका उपयोग लाभकारी होता है।
विभिन्न रोगों में उपयोग :
1. बहरापन:
काकजंघा का आधा किलो रस निकालकर, 250 मिलीलीटर तेल में मिलाकर पकाएं और जब यह पकते-पकते केवल तेल ही बाकी रह जाए तो उसे छानकर रख लें। इस तैयार तेल को सुबह-शाम कान में डालने से बहरापन दूर होता है।काकजंघा के पत्तों का रस निकालकर गर्म करके कान में डालने से बहरापन ठीक होता है।
2. जलोदर: काकजंघा व हींग को पीसकर पीने से जलोदर नष्ट होता है।
3. नींद न आना (अनिद्रा): काकजंघा की जड़ को सिर के बालों पर बांधने से नींद अच्छी आती है।
4. सफेद प्रदर में-
सफेद प्रदर की बीमारी से बचने के लिए चावल के पानी के साथ काकजंघा की जड़ के पेस्ट के साथ सेवन किया जाता है।
5. वात रोग में-
वात रोग में घी के साथ दस ग्राम काकजंघा के रस को मिलाकर सेवन करने से वात रोग से निजात मिलता है।
6. कान की समस्या-
यदि कान में कीड़ा चला गया हो तो आप काकजंघा के पत्ते से बने रस की कुछ बूंदे कान में टपकाएं आपको आराम मिलेगा।
7. खुजली व दाद में-
यदि दादए खाज व खुजली की समस्या हो रही हो तो आप काकजंघा के रस से शरीर की मालिश करें। आपको आराम मिलेगा।
8. खून की गंदगी होने पर-
यदि खून में विकार आ गया हो तो आप काकजंघा का काढ़ा बनाकर सेवन करें। यह खून की गंदगी को साफ करता है।
9. विष व जहरीले कीड़े के काटने पर-
यदि शरीर में किसी जहरीले कीड़े ने डंक या काट लिया हो तो आप काकजंघा के पेस्ट को लोहे के चाकू पर लगाकर उस जगह पर मलें जहां पर कीड़े ने काटा है।
इसके अलावा यह औषधिय पौधा फोड़े.फुंसी, गहरे घाव, कुष्ठ आदि रोगों को ठीक करता है। काकजंघा एक शीतल और खुश्क पौधा है। जो त्वचा से संबंधित रोगों को ठीक करता है। बुखार, गठिया और कृमि जैसी गंभीर बीमारियों से आपको बचाता है यह पौधा।
तन्त्रोक्त प्रयोग:-
वशीकरण :-
1. काले कमल, भवरें के दोनों पंख, पुष्कर मूल, काकजंघा – इन सबको पीसकर सुखाकर चूर्ण बनाकर जिसके भी सर या मस्तक पर डाले वह वशीभूत होगा।
2. काकजंघा, लजालू, महुआ, कमल की जड़ और स्ववीर्य को मिलाकर तिलक करने से किसी को भी वश में किया जा सकता है। ( सेल्स, प्रोपर्टी के काम के लिए उत्तम)
3. गोरोचन, वंशलोचन, काकजंघा, मत्स्यपित्त, रक्त चंदन , श्वेत चन्दन, तगर, स्ववीर्य संग कुएं अथवा नदी के जल से पीस कर गुटिका बनाकर तिलक करने से या गुटिका खिला देने से राजा भी आजीवन दास बन जाते हैं।( सरकारी अधिकारी, बॉस आदि के लिए उत्तम है)
4. चन्दन, तगर, काकजंघा, कूठ, प्रियंगु, नागकेसर और काले धतूरे का पंचांग सम्भाग पीस कर एक सप्ताह तक अभिमंत्रित कर जिसे खिलादिया जायेगा वो सदा सेवक बना रहेगा।
स्त्री वशीकरण :-
1. काकजंघा, तगर, केसर, कमल केसर इन सबको पीसकर स्त्री के मस्तक पर तथा पैर के नीचे डालने पर वह वशीभूत होती है।
2. शनिवार को विधि पूर्वक निमंत्रण दे कर हस्त या पुनर्वसु नक्षत्र युत रविवार को कपित्थ कील से काकजंघा मूल निकाल लें, फिर उसे सुखा कर चूर्ण बनाकर स्ववीर्य, पंचमैल और मध्यमा उंगली के रक्त से मिश्रित कर छोटी छोटी गोलियां बना लें। इन्हें अभिमंत्रित कर ये जिस भी स्त्री को खिला दी जायेगी वो आजीवन वश में रहेगी।
3. तन्त्रोक्त विधि से रविवार युक्त हस्त या पुष्य नक्षत्र में उत्खनित श्वेत गुंजा एवं काकजंघा मूल के चूर्ण को गोरोचन, श्वेत चन्दन, रक्त चंदन , जटामांसी, केसर कपूर और गजमद संग गुटिका बनाकर अभिमंत्रित कर जो तिलक करेगा वो किसी भी स्त्री को इच्छित भाव से देखेगा तो प्रबल वशीकरण होगा।
उच्चाटन :-
1. ब्रह्मदंडी, काकजंघा, चिता भस्म और गोबर का क्षार मिलाकर जिस पर भी डालेंगे उस व्यक्ति का उच्चाटन हो जायेगा।
2. ब्रह्मदंडी, काकजंघा और सर्प की केंचुली की धूप शत्रु का स्मरण करते हुए देने से उसका शीघ्र उच्चाटन हो जाता है।
सर दर्द:-
काकजंघा के पौधे की जड़, द्रोण पुष्पी की जड़ या मजीठ के पौधे की जड़ लें।
जड़ को सफेद सूत के धागे में बाँध कर मन्त्र सिद्ध गंडा तैयार करें। इसे रोगी के माथे पर बाँध दें। ऐसा करने से सिर का दर्द चाहे जैसा हो और जितना भी पुराना हो, शीघ्र दूर हो जाएगा।

17.2.18

हीमोफीलिया रोग के उपचार और सावधानियाँ


हीमोफिलिया क्या हैं
      हीमोफिलिया एक ऐसी आनुवंशिक बीमारी हैं जिस बीमारी से ग्रस्त होने पर व्यक्ति को शरीर के किसी भी भाग पर जब चोट लग जाती हैं तो उसके घाव से रक्त बहना बंद नही होता. इस बीमारी का मुख्य लक्षण यह हैं कि इस बीमारी के होने पर व्यक्ति के शरीर में खून का थक्का जमना बंद हो जाता हैं. यह एक जानलेवा बीमारी हैं. क्योंकि जब किसी व्यक्ति को चोट लग जाती हैं और उसका खून बहना बंद नही होता तो इस वजह से ही उसकी जान भी जा सकती हैं. इस बीमारी का मुख्य कारण व्यक्ति के शरीर में रक्त प्रोटीन की कमी होना हैं. जिसे मेडिकल की भाषा में क्लॉटिंग फैक्टर’ कहा जाता हैं. इस फैक्टर की कमी शरीर में हो जाती हैं तो शरीर में खून जमने की क्षमता क्षीण हो जाती हैं
हीमोफिलिया के विभिन्न नाम –
हीमोफिलिया को अलग – अलग अलग नामों से जाना जाता हैं जिनका विवरण इस प्रकार हैं
1. अधिरक्तस्राव
2.ब्लीडर रोग
3. शाही रोग,
4. क्रिसमस रोग
हीमोफिलिया रोग के प्रकार
१. हीमोफिलिया A – 
हीमोफिलिया A को क्लासिक हीमोफिलिया के नाम से भी जाना जाता हैं. हीमोफिलिया A की बीमारी किसी भी व्यक्ति को जिन म्यूटेशन के कारण हो जाता हैं. हीमोफिलिया A f8 जिन में उत्परिवर्तन हो जाने के कारण हो जाता हैं. एक रिसर्च में यह प्रमाणित किया गया हैं कि हीमोफिलिया के इस प्रकार से ही व्यक्ति अधिक ग्रस्त होता हैं.
२. हीमोफिलिया B - 
हीमोफिलिया के इस प्रकार को क्रिसमस रोग के नाम से भी जाना जाता हैं. यह रोग f9 जीन उत्परिवर्तन होने के कारण होता हैं.
हीमोफिलिया के इन दोनों ही प्रकारों में समानता यह हैं कि इन दोनों ही प्रकारों के जीन x गुणसूत्र में ही पाएं जाते हैं. जिसकी वजह से हीमोफिलिया के दोनों ही प्रकारों की वाहक महिलाएँ होती हैं तथा इसीलिए पुरुष ही इस बीमारी के ग्रस्त होते हैं. हीमोफिलिया के इन दोनों ही मुख्य प्रकारों के साथ – साथ इस बीमारी का एक और प्रकार मिलता हैं. लेकिन यह बीमारी कुछ ही लोगों में पाई जाती हैं. जिसके बारे में जानकारी नीचे दी गयी हैं.
अधिग्रहीत हीमोफिलिया – 
हीमोफिलिया की यह बीमारी आनुवांशिक बीमारी नही हैं. इस बीमारी के होने का मुख्य कारण बाद में व्यक्ति के शरीर में म्यूटेशन होना हैं. इस बीमारी के होने पर व्यक्ति का शरीर खुद ही स्व – प्रतिरक्षा तन्त्र विकसित करता हैं और इसके पश्चात् अपने रक्त का थक्का जमाने वाले कारक 8 को नष्ट कर देता हैं. जिसके कारण शरीर में रक्त का थक्का जमना बंद हो जाता हैं और व्यक्ति इस बीमारी से पीड़ित हो जाता हैं.
हीमोफिलिया से ग्रस्त व्यक्तियों के लिए विशेष ध्यान रखने योग्य बातें
1.क्लॉटिंग फैक्टर – 
हीमोफिलिया के रोगियों को क्लॉटिंग फैक्टर भी दिया जा सकता हैं. लेकिन यह किसी मरीज को नियमित रूप से देना पड़ता हैं तथा किसी – किसी रोगियों को कभी कभी. मरीज को क्लॉटिंग फैक्टर देने का फायदा यह होता हैं कि इसे देने से व्यक्ति के शरीर से अत्यधिक रक्त बहने की सम्भावना कम हो जाती हैं तथा उसके शरीर में धीरे – धीरे खून का थक्का जमना शुरू हो जाता हैं.
क्लॉटिंग बढ़ाने और हीलिंग वाली दवाइयों का सेवन – अगर हीमोफिलिया से ग्रस्त व्यक्ति को चोट लगने की वजह से अधिक खून बहने लगे तो इस स्थिति में उसे खून जमाने के लिए तथा घाव को जल्द ठीक करने के लिए क्लॉट बढाने वाली तथा हीलिंग वाली दवाइयां दे सकते हैं.
3.दवाइयों से परहेज – 
हीमोफिलिया के मरीज को आमतौर पर दर्द से राहत पाने वाली दवाइयों का सेवन करने से बचना चाहिए. क्योंकि इन दवाईयों का सेवन करने से रोगी के शरीर पर इन दवाइयों का विपरीत प्रभाव पड सकता हैं. अगर आपको दर्द से छुटकारा पाने के लिए किसी भी दवाई की जरुरत महसूस होती हैं तो ऐसे समय में अपने चिकित्सक से एक बार सलाह जरुर लें और उसके पश्चात् ही किसी भी दवाई का सेवन करें.
4.व्यायाम – 
हीमोफिलिया की बीमारी से निजात दिलाने में व्यायाम काफी हद तक सहायक सिद्ध होता हैं. इसीलिए रोजाना व्यायाम जरुर करें. व्यायाम करने से आपको काफी लाभ होगा. जैसे यदि आप नियमित रूप से व्यायाम करते हैं तो इससे आपके जोड़ों में दर्द नही होगा. इसके साथ ही चोट लगने पर आपके शरीर से अत्यधिक खून नही बहेगा.
5.खेल – कूद में सावधानी – 
यदि आप हीमोफिलिया के मरीज हैं और आपको खेलना – कूदना अधिक पसंद हैं तो खेलते समय अपना पूर्ण रूप से ध्यान रखें तथा जहाँ तक हो ऐसे खेल बिल्कुल न खेलें, जिसमें आपको चोट लगने की अधिक सम्भावना हो.
6.दांत की सफाई – हीमोफिलिया के रोगी को अपने दांतों को हमेशा साफ रखना चाहिए. क्योंकि यदि दांतों में किसी भी प्रकार का रोग हो गया तो इससे आपके दांतों में ब्लीडिंग हो सकती हैं. जो की आपके लिए बेहद ही खतरनाक साबित हो सकता हैं. इसलिए अपने दांतों को साफ रखें और दिन में दो बार कम से कम ब्रश जरुर करें.





28.1.18

किडनी के रोगों मे अत्यंत लाभदायक जड़ी बूटी पूनर्नवा के फायदे

                           


   पुनर्नवा का वैज्ञानिक नाम बोरहैविया डिफ्यूजा है. जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, हर वर्ष फिर से नया हो जाना पुनर्नवा ग्रीष्म ऋतु में सूख जाता है. वर्षा ऋतु आते रहते सोता इसमें शाखाएं फूट पड़ती हैं और यह वापस जीवित अवस्था में आ जाता है. पुनर्नवा मुख्य रूप से म्यांमार उत्तर और दक्षिण अमेरिका भारत के कई स्थानों अफ्रीका और चीन में पाया जाता है. इसकी इश्क फूल सफेद होते हैं पुनर्नवा सफेद लाल और नीली फूलों के साथ होती है. अलग अलग जगहों पर इसे अलग अलग नाम के नाम अलग अलग नाम से जानते हैं. आइए जाने की पुनर्नवा के क्या फायदे  हैं.


1. अस्थमा में-

पुनर्नवा की जड़ का पाउडर 500 मिलीग्राम हल्दी पाउडर के साथ मिलाकर दिन में दो बार गुनगुने पानी के साथ लेने से आप अस्थमा जैसी बीमारी का भी मुकाबला करने में सक्षम हो जाते हैं.

2. त्वचा के लिए-

त्वचा में होने वाली विभिन्न समस्याओं से निपटने में भी पुनर्नवा की मदद ली जा सकती है. पुनर्नवा त्वचा की विभिन्न समस्याओं से लड़ने के साथ-साथ आपके त्वचा में चमक भी लाने का काम करता है.

3. गठिया के उपचार में-

पुनर्नवा के जड़ का पाउडर को अदरक और कपूर के साथ मिलाकर काढ़ा बनाएं. इस काढ़े का उपयोग 7 दिनों तक करें ऐसा करने से आपको गठिया और जोड़ों के दर्द से सम्बंधित समस्याएं ख़त्म होंगी.

4. प्रोस्टेट में-

हमारे शरीर में मूत्राशय के नीचे तथा मूत्र नली के पास एक छोटी सी ग्रंथि होती है. जिसे हम प्रोस्टेट के नाम से जानते हैं. पुरुषों में 50 वर्ष की आयु के बाद प्रोस्टेट में समस्या आमतौर पर होने लगती है. इस समस्या से निपटने के लिए पुनर्नवा की जड़ों का चूर्ण बेहद लाभकारी साबित होता है.

5. ज्वाइंडिस में-

ज्वाइंडिस को पीलिया के नाम से भी जानते हैं इसमें शरीर और आंखों की त्वचा का रंग पीला होने लगता है. इसके साथ ही मूत्र में पीलापन, बुखार और कमजोरी जैसे लक्षण भी नजर आने लगते हैं. इस समस्या को दूर करने के लिए पुनर्नवा के पंचांग का उपयोग किया जाता है. यानी कि पुनर्नवा की जड़, छाल, पत्ती, फूल और बीज में शहद व मिश्री मिलाकर सेवन करने से लाभ मिलता है.

6. अनिद्रा में-

नींद ना आने की बीमारी आजकल आम होती जा रही है. जब भी आपको ऐसा लगे कि आप नींद ना आने की बीमारी से पीड़ित हैं, तो आपको पुनर्नवा की मदद लेनी चाहिए. पुनर्नवा के 50 से 100 मिलीलीटर काढ़े का उपयोग करने से हमें गहरी नींद आती है.


7. गठिया में-


गठिया एक ऐसी बीमारी है जिसमें जोड़ों में दर्द की समस्या देखी जाती है. इस दर्द से निपटने के लिए आपको 1 ग्राम पुनर्नवा की जड़ के पाउडर को अदरक और कपूर के साथ मिलाकर पीना होता है. इससे गठिया में काफी आराम मिलता है.

8. आंखों से पानी आने पर-

आँखों में जलन या सूजन होने पर पुनर्नवा की मदद ली जा सकती है. इसकी जड़ को शहद या दूध के साथ घिसकर आँखों में लगाने से खुजली, सूजन और अन्य समस्याओं से हमें राहत मिलती है. कई शोधों तो पुनर्नवा के फायदे मोतियाबिंद में भी देखा गया है.


9. लीवर के लिए-

यदि आपके लीवर में भी सूजन की समस्या है. तो पुनर्नवा की जड़ आपके लिए काफी लाभदायक साबित हो सकती है. 4 ग्राम सहजन की छाल और पुनर्नवा की जड़ को पानी में उबालकर मरीज को देने से मरीज लाभान्वित महसूस करता है.

10. गुर्दों की सफाई में-

गुर्दे हमारे शरीर के महत्वपूर्ण अंगों में से एक है. जाहिर है यह हमारे शरीर से विभिन्न अशुद्धियों को साफ करते हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इनकी भी सफाई की आवश्यकता होती है. पुनर्नवा ही ऐसी जड़ी बूटी है, जो कि गुर्दों की सफाई करती है. यहां तक कि गुर्दे की पथरी में भी इसके लाभ देखे गए हैं. पुनर्नवा के पौधे का काढ़ा 10 से 20 ग्राम प्रति दिन पीने से गुर्दे के तमाम विकार ठीक होते हैं.

11. जवान बने रहने के लिए-

जैसा कि पुनर्नवा का गुण है इसका नाम है और इसमें फिर से हरा हो जाने का गुण है. उसी तरह इसमें ये भी क्षमता है कि आपको फिर से जवान बना सकता है. इसके लिए पुनर्नवा के ताजे जड़ का रस दो-दो चम्मच दो तीन माह तक नियमित रूप से लें. ऐसा करने से आपके शरीर में ताजगी तो रहेगी ही आप युवा भी महसूस करेंगे.

किडनी फेल रोगी के बढे हुए क्रिएटनिन के लेविल को नीचे लाने और गुर्दे की क्षमता बढ़ाने में हर्बल औषधि सर्वाधिक सफल होती हैं| किडनी ख़राब होने के लक्षण जैसे युरिनरी फंक्शन में बदलाव,शरीर में सूजन आना ,चक्कर आना और कमजोरी,स्किन खुरदुरी हो जाना और खुजली होना,हीमोग्लोबिन की कमी,उल्टियां आना,रक्त में यूरिया बढना आदि लक्षणों  में दुर्लभ जड़ी-बूटियों से निर्मित यह औषधि रामबाण की तरह असरदार सिद्ध होती है|डायलिसिस  पर   आश्रित रोगी भी लाभान्वित हुए हैं| औषधि हेतु  वैध्य दामोदर से 98267-95656 पर संपर्क किया जा सकता है|
https://healinathome.blogspot.com/2021/10/herbal-products.html


21.1.18

बार बार गर्भ गिरने के कारण और उपचार


     यदि किसी स्त्री को लगातार दो बार गर्भपात हो चूका हैं तो अगला गर्भ गिरने की सम्भावना हो सकती हैं। ऐसे में उनको बहुत सावधानी रखनी चाहिए। क्षयग्रस्त स्त्रियां जो नाजुक, कोमल प्रकृति की होती हैं, प्राय: गर्भस्त्राव करती हैं। अगर बार बार गर्भ गिर रहा हो तो गर्भरक्षा के ये उपाय बहुत कारगार साबित हो सकते हैं, आइये जाने इन उपायो को। अगर तीन माह से पहले गर्भ गिरता हैं तो इसको गर्भस्त्राव कहा जाता हैं। जब गर्भस्त्राव होता हैं तो रक्तस्त्राव होने लगता हैं। अगर केवल रक्तस्त्राव ही होता हैं तो यह “THREATENED ABORTION” कहलाता हैं। यदि रक्तस्त्राव के साथ दर्द रहे तो गर्भस्त्राव होने की अत्यधिक सम्भावनाये होती हैं।
इसके बहुत सारे कारण हो सकते हैं। बचाव से पहले हम कारणों को जान ले ताकि पहले हम कारणों को दूर करले।
कारण-


निमोनिया, संक्रामक ज्वर, पुरानी बीमारिया जैसे सिफलिस, टी बी। गर्भाशय सम्बन्धी खराबी, पेट में आघात लगना, भय, मानसिक आघात, बच्चे का ठीक ढंग से विकास व् निर्माण ना होना, गर्भस्त्राव होने की प्रवृति, विटामिन ई की कमी, अंत: स्त्रावी ग्रंथियों की खराबी (थाइरोइड होना), आदि अनेक कारणों से गर्भस्त्राव होता हैं।

सावधानिया-जिस स्त्री को गर्भस्त्राव होता हो, उसे भारी बोझा नहीं उठाना चाहिए। आराम करना चाहिए। रक्तस्त्राव तथा पेट दर्द होने पर तो पूर्ण आराम करना चाहिए। रक्तस्त्राव की स्थिति में चारपाई के पाँव की और के पायो को नीचे ईंट लगाकर ऊंची कर देनी चाहिए। जो कारण समझ में आये उन्हें दूर करना चाहिए। सहवास नहीं करना चाहिए। माँ को स्वस्थ रहना चाहिए। स्वस्थ माँ ही स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सकती हैं।
दक्षिण भारत की औरतो का मानना हैं के पपीते में गर्भ गिराने के शक्तिशाली गुण होते हैं। इसलिए गर्भवती स्त्रियों को पपीता खाते समय सावधान रहना चाहिए।
लौकी-
लौकी का रस या सब्जी गर्भाशय को मज़बूत करने में बहुत सहायक हैं, इसलिए जिन औरतो को बार बार गर्भस्त्राव होता हो उनको नियमित लौकी की सब्जी या रस सेवन करना चाहिए।
>सिंघाड़ा-
गर्भाशय को मज़बूत करने के लिए सिंघाड़ा एक बहुत उपयुक्त फल हैं, ऐसी स्त्रियों को नियमित सिंघाड़े खाने चाहिए।
गर्भ को बचाने के आयुर्वेदिक उपाय-
धतूरे की जड़-
जिस स्त्री को बार बार गर्भपात हो जाता हो उसकी कमर में धतूरे की जड़ का चार ऊँगली का टुकड़ा ऊनी धागे से बाँध दे। इससे गर्भपात नहीं होगा जब नौ मास पूर्ण हो जाए तब जड़ को खोल दे।


जौ का आटा-

12 ग्राम जौ के आटे को १२ ग्राम काले तिल और १२ ग्राम मिश्री पीसकर शहद में मिलाकर चाटने से बार बार होनेवाला गर्भपात रुकता हैं।
अना-
100 ग्राम अनार के ताज़ा पत्ते पीसकर, पानी में छानकर पिलाने और पत्तो का रस पेडू पर लेप करने से गर्भस्त्राव रुक जाता हैं। इसलिए ऐसी स्त्रीया जिनको अधिक गर्भपात होता हो वो अपने आस पास अनार का उचित बंदोबस्त कर के रखे

ढाक (पलास)-

ढाक का पत्ता गर्भधारण करने में बहुत सहयोगी हैं। गर्भधारण के पहले महीने १ पत्ता, दूसरे महीने २ पत्ते, इसी प्रकार नौवे महीने ९ पत्ते ले कर १ गिलास दूध में पकाकर प्रात: सांय लेना चाहिए। ये प्रयोग जिन्होंने भी किया हैं उनको चमत्कारिक फायदा हुआ हैं। ये प्रयोग हमने आचार्य बालकृष्ण जी की पुस्तक औषध दर्शन से लिया हैं।
शिवलिंगी बीज चूर्ण और पुत्रजीवक गिरी-
शिवलिंगी के बीजो का चूर्ण और पुत्रजीवक की गिरी दोनों का चूर्ण बराबर मात्रा में मिला ले। 1 चौथाई चम्मच सुबह खाली पेट शौच के बाद और नाश्ते से पहले तथा रात्रि को भोजन के एक घंटे के बाद गाय के दूध के साथ सेवन करे। ये दोनों औषधीय आपको बाजार में किसी भी आयुर्वेद की दूकान से मिल जाएँगी या फिर रामदेव की दूकान से मिल जाएगी।
खान पान में विशेष ध्यान दे -
विटामिन ई युक्त भोजन।
विटामिन ई हमको अंकुरित भोजन में मिलता हैं, अंकुरित दाल और अनाज इसका अच्छा स्त्रोत हैं। बादाम, पिस्ता, किशमिश और सूखे मेवे बढ़िया साधन हैं विटामिन ई के, इसलिए गर्भवती स्त्री को पर्याप्त मात्रा में विटामिन ई का सेवन करवाना चाहिए। नीम्बू नमक और पानी की शिकंजवी में विटामिन ई होता हैं इसलिए गर्भवती के लिए ये बहुत उपयोगी हैं।
गर्भपात का खतरा हो तो-
काले चने का काढ़ा-
यदि गर्भपात का भय हो तो काले चनो का काढ़ा पीना बहुत फायदेमंद हैं।


फिटकरी-

अगर गर्भपात होने लगे या ऐसा भय हो तो तुरंत पीसी हुयी फिटकरी चौथाई चम्मच एक कप कच्चे दूध में डालकर लस्सी बनाकर पिलाने से गर्भपात रुक जाता हैं। गर्भपात के समय जब जब दर्द, रक्तस्त्राव हो रहा हो तो हर दो दो घंटे से एक खुराक दे।
सौंठ मुलहठी दूध-
ऐसी स्त्री को गर्भधारण करते ही नित्य आधी चम्मच सौंठ, चौथाई चम्मच मुलहठी को २५० ग्राम दूध में उबालकर पिए। गर्भपात की अचानक सम्भावना हो जाए तो भी इसी प्रकार सौंठ पिए। इस से गर्भपात नहीं होगा। प्रसव वेदना तीव्र हो रही हो तो इसी प्रकार सौंठ पीने से वेदना कम हो जाती हैं।
दूध और गाजर-
एक गिलास दूध और एक गिलास गाजर का रस मिलकर उबाले। उबलते हुए आधा रहने पर नित्य पीती रहे। गर्भपात नहीं होगा। जिनको बार बार गर्भपात होता हो, वे गर्भधारण करते ही इसका सेवन आरम्भ कर दे।
सौंफ और गुलाब का गुलकंद-
जिन स्त्रियों को बार बार गर्भपात हो उनको गर्भधारण के बाद 62 ग्राम सौंफ 31 ग्राम गुलाब का गुलकंद पीसकर पानी मिलाकर एक बार नित्य पिलाना चाहिए। और पूरे गर्भकाल में सौंफ का अर्क पीते रहने से गर्भ स्थिर रहता हैं।



19.1.18

मायूस ना हों,कान्हावाडी मे होता है लाईलाज केन्सर रोग का ईलाज

                             

      बैतूल जिले की ख्याति वैसे तो सतपुड़ा के जंगलों की वजह से है, लेकिन यहां के जंगलों में कैंसर जैसी लाइलाज बीमारी को खत्म कर देने वाली बहुमूल्य जड़ी-बूटियां मिलने से भी यह देश-विदेश में चर्चा का विषय बना हुआ है। दवा लेने के लिए यहां बड़ी संख्या में मरीज पहुंचते हैं।
घोड़ाडोंगरी ब्लॉक के ग्राम कान्हावाड़ी में रहने वाले भगत बाबूलाल पिछले कई सालों से जड़ी-बूटी एवं औषधियों के द्वारा कैंसर जैसी बीमारी से लोगों को छुटकारा दिलाने में लगे हुए हैं। इस नेक कार्य के बदले में लोगों से वे एक रुपए तक नहीं लेते हैं।

   कैंसर बीमारी से निजात के लिए देश भर से लोग यहां अपना इलाज कराने आते हैं। चूंकि मरीजों को उनकी दवा से फायदा पहुंचता है इसलिए उनके यहां प्रत्येक रविवार एवं मंगलवार को दिखाने वालों का ताता लगा रहता है।



एक दिन पहले से लगाना पड़ता है नंबर
कान्हावाड़ी में इलाज के लिए बाहर से आने वाले लोगों को एक दिन पहले नंबर लगाना पड़ता है।
एक दिन में करीब 1000 से ऊपर मरीज यहां इलाज के लिए पहुंचते हैं। खासकर महाराष्ट्र से बड़ी संख्या में लोग इलाज के लिए यहां एक दिन पहले ही रात में आ जाते हैं।
     सुबह से नंबर लगाकर अपनी बारी आने का इंतजार करना पड़ता है। कई बार भीड़ अधिक होने के कारण पांच से छह तक लग जाते हैं। बताया गया कि मुम्बई, लखनऊ, भोपाल, दिल्ली सहित देश भर से लोग जिन्हें पता लगता है वे यहां कैंसरे से छुटकारे की आस लेकर पहुंचते हैं। वैसे अभी तक यह सुनने में नहीं आया कि यहां से इलाज कराने के बाद मायूस लौटा हो। यहीं कारण है कि बड़ी संख्या में लोग इलाज के लिए यहां पहुंचते हैं।
जड़ी-बूटी के इलाज के साथ परहेज भी

    भगत बाबूलाल जो जड़ी-बूटी देते हैं उसका असर परहेज करने पर ही होता है। जड़ी-बूटियों से इलाज के दौरान मांस-मदिरा सहित अन्य प्रकार की सब्जियां प्रतिबंधित कर दी जाती है। जिसका कड़ाई से पालन करना होता है। तभी इन जड़ी-बूटी दवाईयों का असर होता है। वैसे जिन लोगों ने नियमों का परिपालन कर दवाओं का सेवन किया हैं उन्हें काफी हद तक इससे छुटकारा मिला है। बताया गया कि भगत बाबूलाल सुबह से शाम तक खड़े रहकर ही मरीजों को देखते हैं। इलाज के मामले में वे इतने सिद्धहस्त हो चुके हैं कि नाड़ी पकड़कर ही मर्ज और उसका इलाज बता देते हैं।





13.1.18

मधुमेह और हार्ट अटेक का अनुपम नुस्खा


सिर्फ 2 दिन में इसका मधुमेह से सफाया -
 यहाँ जो नुस्खा मैं प्रस्तुत कर रहा  हूं  बेहद आसान   है ,लेकिन मधुमेह और हार्ट अटैक के रोगियों के लिए बहुत लाभकारी है। सबसे पहले आप गेंहू को 10 मिनट तक पानी में उबालने के बाद उन्हें अंकुरित करने के लिए किसी गमले में या कपडे में रख कर उसको लगातार पानी में भिगो कर रखे ताकि वो अंकुरित हो सके।
जब गेंहू एक इंच तक लंबे अंकुर हो जाए तब सिर्फ 2 दिन सुबह-सुबह खाली पेट उन्हें खाया जाये तो मधुमेह रोग जीवन भर के लिए चला जायेगा।जो जीवन भर वापस लौट कर नही आयेगा और इतना ही नही अगर इन्हे सिर्फ 3 दिन तक खाया जाए तो खाने वाले को जीवन में कभी भी हार्ट अटैक नही आएगा।

  इस चिकित्सा को ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने जांचा और ये अद्भुत उपाय जांच में सही साबित हुआ। अब आपके मन में एक सवाल उठ रहा होगा की गेंहू को उबाले लेंगे तो वो अंकुरित कैसे होगा?
लेकिन आपको बता दे की जब उबले हुए गेंहू को अंकुरण के लिए रखा जाता है तो उनमें से लगभग 5-10% गेंहू में ही वो सामर्थ्य होता है कि वो अंकुरित हो जाये और जिन गेंहू में उबलने के बाद ये सामर्थ्य होता है वही महाऔषिधि है मधुमेह और हार्ट अटैक के लिए|