28.2.23

कनेर के फुल के आयुर्वेदिक उपयोग :Uses of kaner flowers




  कनेर जिसे कई लोग कनैल के नाम से भी जानते है, बता दे की इसका पौधा सम्पूर्ण भारत में करीब हर जगहों पर पाया जाता है। आपने अगर ध्यान दिया होगा तो देखा होगा की कनेर का पौधा लगभग हर मंदिरों में, उद्यान में, घर और राष्ट्रीय राजमार्गों के किनारों पर दिख जाते होंगे। आपको बता दे की कनेर का पौधा तीन अलग अलग प्रजाति होती है जिसमे लाल, सफेद और पीले रंग के कनेर के फूल होते हैं।
यह एक सदाबहार फूल है मगर इसके साथ ही इस पौधे में बहुत से औषधीय गुण भी पाये जाते है जिसकी जानकारी बहुत कम ही लोगों को होती है। जैसे आपको बता दे की यदि आपको कोई विषैला जीव जैसे बिच्छू काट ले तो उस स्थिति में सफेद कनेर के फूल की जड़ को घिसकर डंक के स्थान पर लेप करने या इसके पत्तों का रस पिलाने से सांप या बिच्छू का जहर उतर जाता है।
 जिनके शरीर के घाव जल्दी नहीं भरते हैं, बता दे की इसके लिए कनेर के सूखे हुए पत्तों का चूरन बनाकर घाव पर लगाने से काफी आराम मिलता है। इसके साथ ही आपको बता दे की यदि आप फोड़े फुंसियां से परेशान हैं तो कनेर के लाल फूलों को पीसकर उसका लेप बना लें और इस लेप को फोड़े-फुंसियों पर कम से कम 2-3 बार रोजाना लगाएं। ऐसा करने से आप देखेंगे कि आपकी फोड़े और फुंसियां ठीक हो जाएंगी।


अगर आप हर रोज कनेर के सफेद फूल वाले पौधे की डंठल से 2 बार दातुन करते है तो आपके डाटों में हो रहा दर्द ठीक हो जाता है साथ ही आपके दांत भी मजबूत रहते हैं। इसके अलावा आपको बता दे की सफेद और लाल कनेर के फूल या पीले रंग वाले कनेर के फूल के पौधे के पत्ते को दूध में पीसकर सिर में लगाने से बालों का सफेद होना एकदम से रुक सा जाता है और बाल काफी स्वस्थय भी हो जाते है।

नेत्र रोग

आँखों के रोग को दूर करने के लिए पीले कनेर के पौधे की जड़ को सौंफ और करंज के साथ मिलाकर बारीक़ पीसकर एक लेप बनाएं | इस लेप को आँखों पर लगाने से पलकों की मुटाई जाला फूली और नजला आदि बीमारी ठीक हो जाती है |


सिर दर्द

कनेर के फूल और आंवले को कांजी में पीसकर लेप बनाएं | इस लेप को अपने सिर पर लगायें | इस प्रयोग से सिर का दर्द ठीक हो जाता है |

सफेद कनेर के पौधे के पीले पत्तों को अच्छी तरह सुखाकर बारीक़ पीस लें | इस पिसे हुए पत्ते को नाक से सूंघे | इससे आपको छीक आने लगेगी जिससे आपका सिर का दर्द ठीक हो जायेगा |

उपदंश

यदि किसी व्यक्ति को घाव हो जाते है तो सफेद कनेर के पौधे की जड़ को पानी में पीसकर लगाने से उपदंश के घाव ठीक हो जाते है |
पक्षघात के रोग में
सफेद कनेर के पौधे की जड़ की छाल , सफेद गूंजा की दाल तथा काले धतूरे के पौधे के पत्ते आदि को एक समान मात्रा में लेकर इनका कल्क तैयार कर लें | इसके बाद चार गुना पानी में कल्क के बराबर तेल मिलाकर किसी बर्तन में धीमी आंच पर पकाएं | जब केवल तेल रह जाये तो किसी सूती कपड़े से छानकर मालिश करें | इससे पक्षाघात का रोग ठीक हो जाता है |
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22.2.23

अफारा वायु विकार का घरेलू इलाज:Afara Vayu vikar ilaj




  गलत खान-पान और लापरवाही के कारण पेट में दूषित वायु इकट्ठा हो जाती है, जो अफारा पैदा करती है। अफारा होने पर पेट भारी हो जाता है इससे पेट दर्द बेचैनी और कभी-कभी मितली आने लगती है। पेट में भारीपन महसूस होता है, एसिडिटी एवं वमन आदि की शिकायत हो जाती है। पेट से जुड़ी कई समस्याओं को घरेलू उपचार के जरिए ठीक किया जा सकता है। पहले जानिए क्यों होती है खाना खाने के बाद ब्लोटिंग? एक्सपर्ट के मुताबिक, पेट के एब्डोमिनल एरिया में सूजन आने के कारण गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट में बड़ी मात्रा में हवा या गैस जमा हो जाती है। इसके अलावा भोजन के बाद जब शरीर भोजन को पचाता है, तब अत्यधिक मात्रा में गैस पैदा होती है।
वायु विकार का प्रमुख कारण अधिक मात्रा में गरिष्ठ भोजन है। इसके अतिरिक्त भोजन को भली-भांति न चबाकर जल्दी-जल्दी खाने से भोजन के पाचन में समय लगता है तथा भोजन आंतों में पड़ा रहकर वायु विकार उत्पन्न करता है। बार-बार बदबूदार वायु का निष्कासन व पेट व पेट में दर्द होना वायु विकार के प्रमुख लक्षण है।

अफारा का उपचार

वायु-विकार में छाछ में पिसी हल्दी मिलाकर पीने से भी लाभ होता है। पानी में हल्दी मिलाकर पीने से भी अफारा दूर होता। यदि अफारा का कारण कब्ज है तो रोगी को हिन्गुत्रिगुल तेल नामक औषधि का सेवन दिन में एक बार खाली पेट में एक प्याला गर्म जल के साथ करना चाहिए। 9 भोजन में दही छाछ का प्रयोग करना अत्यन्त लाभदायक है।

जिन्हें गैस या एसिडिटी की समस्या बार-बार होती है उन्हें पानी का भरपूर सेवन करना चाहिए। खासकर गुनगुना पानी पीने से सिर्फ पाचन क्रिया ही ठीक नहीं होती बल्कि, गैस भी नहीं बनती।

आहार में फाइबर को शामिल करें

पेट संबंधी समस्या होने पर अपने आहार में फाइबर को शामिल करना चाहिए। इससे कब्ज, पेट का भारीपन जैसी समस्याओं की शिकायत खत्म हो जाती है। कब्ज और अफारा की शिकायत दूर करने के लिए फाइबर से भरपूर आहार लें। लगभग एक इंच ताजा कच्चे अदरक को कद्दूकस कर लें और इसे खाने के बाद एक चम्मच नींबू के रस के साथ लें. अदरक पेट फूलने की समस्या में बहुत कारगर है. गैस की समस्या से राहत पाने के लिए अदरक की चाय पीना भी एक अच्छा घरेलू उपचार है. एप्पल साइडर विनेगर- रोज सुबह खाली पेट एक ग्लास पानी में एप्पल साइडर विनेगर मिला कर अफरा मरीज़ जरूर लें.
सोंठ, काली मिर्च व सेंधा नमक 2-2 ग्राम तथा थोड़ी-सी हींग को पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण की एक से 2 ग्राम मात्रा लेने पर पेट दर्द एवं अफारे में लाभ होता है।
• एक या डेढ़ चम्मच आंवले का चूर्ण पानी के साथ लेने से एसिडिटी से छुटकारा मिलता है।
• पेट दर्द और अफारा में हींग का लेप टुंडी (नाभि) पर करने से आराम मिलता है।
• जिन्हें पेट दर्द, अफारा, गैस या फिर डाइजेशन की समस्या है उन्हें 10 ग्राम शहद में 3 ग्राम अजवाइन (बारीक पीसकर मिला दें) मिलाकर पीना चाहिए। ऐसा करने से कुछ ही देर में इस समस्या में राहत मिलती है।
• हींग, सेंधा नमक, पीपल का चूर्ण, काली मिर्च का चूर्ण और सोंठ का चूर्ण लें और सभी को समान भाग में मिलाकर लेप तैयार करें और पेट पर लगाएं। ये पेट दर्द और अफारा का उत्तम इलाज है।

फूलना कौन सी बीमारी का लक्षण है?

  यह हेपेटाइटिस, अत्यधि‍क अल्कोहल का सेवन, दवाईयां या फिर लिवर कैंसर के परिणामस्वरूप भी हो सकता है। 
आंत की समस्या - अगर पेट फूलने के साथ ही कठोर भी हो और आप उल्टी, जी मचलाना, कब्जियत जैसी समस्याओं का भी सामना कर रहे हैं, तो यह आंत की गड़बड़ी या आंत में ट्यूमर के कारण भी हो सकता है।
अफारा, पेट दर्द एवं अम्लपित्त का रामबाण आयुर्वेदिक इलाज –
 आलू को नियमित रूप से कुछ दिनों तक खाने से पेट की अम्लीयता मे लाभ होता है।प्याज की एक गाँठ महीन काटकर दही के साथ लेने से अमलपित में आराम मिलता है। इसका सेवन 1 सप्ताह तक करना चाहिए।1 ग्राम सोंठ का चूर्ण और चौथाई ग्राम हींग को सेंधा नमक के पानी के साथ सेवन करने से पेट दर्द दूर हो जाता है।सोंठ, काली मिर्च व सेंधा नमक 2-2 ग्राम तथा थोड़ी-सी हींग को पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण की एक से 2 ग्राम की मात्रा लेने पर पेट दर्द एवं अफारे में लाभ होता है।
  एक या डेढ़ चम्मच आंवले का चूर्ण पानी के साथ लेने से पेट में बनने वाले तेजाब (एसिडिटी) से मुक्त पाई जा सकती है।पेट के सभी रोगों विशेषकर पित्त विकार एवं पेट दर्द में काला नमक, अजवाइन, काला जीरा व शोधित हींग मिलाकर चूर्ण के रूप में चाटना चाहिए। इसे हिंग्वाष्टक चूर्ण कहा जाता है।पेट दर्द और अफारा में हींग का लेप टुंडी (नाभि) पर करने से आराम मिलता है।10 ग्राम शहद में 3 ग्राम अजवाइन बारीक करके मिला दे और उसे पेट के रोगी को खिलाएं। 15 मिनट में पेट का दर्द, अफारा, गैस एवं बदहजमी दूर हो जाएगी।अगर पेट में पीड़ा अथवा अफारा हो तो उत्तम हींग, सेंधा नमक, पीपल का चूर्ण, काली मिर्च का चूर्ण और सोंठ का चूर्ण.. सभी का समान भाग लेकर उसमें जल मिलाकर पेट पर लेप कर दें। इस उपाय से पेट का अफारा एवं पीड़ा निश्चित ही शांत हो जाएगी।असली की पतली पुल्टिस में जरा-सा कपूर मिलाकर पेट पर बांधने से पेट दर्द, अफारा और जलन शांत हो जाती है।बड़ी इलायची को पीसकर उसमें आवश्यकतानुसार मिर्च मिला लें। फिर उसे 3-3 माशे की खुराक बनाकर सुबह-शाम भोजन के बाद प्रयोग करें। पेट दर्द बदहजमी और पीत का प्रकोप नष्ट हो जाएगा।यदि भोजन के बाद अफ़रा एवं जलन महसूस हो तो मुनक्का, मिश्री तथा शहद के साथ हरड़ का सेवन करना चाहिए।
  गुड के साथ पीसी हुई लाल मिर्च खाने से पेट दर्द में आराम मिलता है।मूली का नियमित सेवन कब्ज दूर करके पेट साफ करता है और एसिडिटी, खट्टी डकारे, एवं अफरे से छुटकारा मिलता है।पेट में दर्द होने और जी मिचलाने पर तुलसी और अदरक का रस मिलाकर, एक-एक चम्मच 2-2 घंटे बाद दिन में तीन-चार बार लें। इस रस को हल्का गुनगुना करके लेने से तत्काल लाभ होता है।
  अमलपित होने पर तुलसी की मंजरी, नीम की छाल, कालीमिर्च और पीपल को बराबर मात्रा मे लेकर चूर्ण बना लें। 3 ग्राम सुबह फाँककर ताजा पानी पिए। मल-मूत्र के रास्ते अम्लता और पित्त साथ-साथ निकल जाएंगे।ढाई सौ ग्राम नींबू का रस, ढाई सौ ग्राम अदरक का रस, ढाई सौ ग्राम ग्वारपाठे का रस, एवं 2-2 तोले पांचों नमक पीसकर मिला दे। इस रस को किसी सफेद कांच की बोतल या स्टील के बर्तन में 15 दिन धूप में रखें। तत्पश्चात इसकी एक-एक चम्मच खुराक सुबह-शाम लेने से अफ़रा, पेट दर्द, गैस प्रकोप, अपच एवं कब्ज आदि खत्म हो जाएगा। यदि यह पीने में तेज लगे तो थोड़ा सा पानी मिला लें।दो चम्मच नींबू के रस और एक चम्मच अदरक के रस में थोड़ी-सी शक्कर मिलाकर पीने से पेट दर्द एवं उदरशूल नष्ट हो जाएगा।
 पुदिने और नींबू का रस एक-एक चम्मच लें। अब इसमें आधा चम्मच अदरक का रस और थोडा सा काला नमक मिलाकर उपयोग करें। दिन में 3 बार इस्तेमाल करें, पेट दर्द में आराम मिलेगा।
 इसबगोल के बीज दूध में 4 घंटे भिगोएं। रात को सोते समय लेते रहने से पेट में मरोड का दर्द और पेचिश ठीक होती है।छाछ के स्वाद के अनुसार काला नमक और अजवायन का चूर्ण मिलाकर पीने से वायु विकार दूर होता है।‘कुमारी आसव’ भी लाभदायक औषधि है।
 इसे भोजन के बाद दिन में दो बार 2-2 चम्मच की मात्रा में समान भाग जल मिलाकर रोगी को पिलाना चाहिए।
इमली का गूदा छानकर हींग-जीरे के पानी में मिलाएं और सेवन करें। यह भूख बढ़ाता है।
इसमें दालचीनी, लौंग और कपूर मिश्रित कर स्वादिष्ट पेय भी बनाया जा सकता हैं ।
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6.2.23

आक का पौधा औषधीय गुणों का खजाना :Aak plant Ayurvedic upyog

 


आक के पत्ते, फूल, दूध, तेल तथा जड़ के बेहतरीन औषधीय गुण जानिए । महर्षि चरक ने लिखा है, “आक में ऐसी आग है जो व्यक्ति के रोग को जलाती नहीं सुखाती है। आक किसी भी जगह अपने आप उगने वाली औषधीय वनस्पति है। इस वनस्पति को पशु पक्षी भी नहीं खाते हैं। आक के गुणों से बहुत कम व्यक्ति परिचित हैं। जनसाधारण में आक को मदार, अकौआ के नाम से जाना जाता है। आक का पेड़ गर्मियों में हरा-भरा दिखाई देता है, जबकि वर्षा होते ही सूखने लगता है। इसमें से सफेद मुलायम रूई निकलती है। 
आक के पत्तों का उपयोग एक पुराना घरेलू उपचार है, लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि आक के पेड़ के सभी भागों में औषधीय गुण होते हैं।
जंगलों-झाड़ियों के बीच आक का पौधा आपको बहुत ही आसानी से नजर आ जाएगा। यह बहुत ही विषैला होता है। आयुर्वेद में आक के पौधे का विशेष महत्व है। इसका इस्तेमाल दवा के रूप में भी किया जाता है। अंग्रेजी में इसे Calotropis gigantea कहते हैं। जहरीला होने के कारण ये जानवरों द्वारा भी नहीं खाया जाता, लेकिन ये हमारी कई स्वास्थ्य समस्याओं को ठीक कर सकता है। वहीं इसके पत्तों का इस्तेमाल ऑयल या फिर औषधी के रूप में भी किया जाता है। डायबिटीज को कंट्रोल करने के लिए आप आक के पौधे का इस्तेमाल कर सकते हैं। आइए जानते हैं आक के पौधे का इस्तेमाल कैसे किया जाता है-

आक का पौधा डायबिटीज में कैसे है लाभकारी-

आक के पेड़ को मदार, अर्क के अलावा अकोवा नाम से भी जाना जाता है। इस पेड़ के पत्तियों, दूध के साथ-साथ फूल का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें भरपूर मात्रा में एंटी-डिसेंट्रिक, एंटी-सिफिलिटिक, एंटी-रूमेटिक, एंटीफंगल के साथ-साथ ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो आपको कुष्ठ रोग, डायबिटीज के अलावा कई स्किन संबंधी समस्याओं, अस्थमा आदि से निजात दिला सकता है।

कैसे करें सेवन-



इसके लिए आक की पत्तियों को अचछी तरह सुखाकर पाउडर बना लें। अब रोजाना 10 एमएल आक की पत्तियों का पाउडर पानी में मिलाकर सेवन करें। इसके सेवन से ब्लड शुगर कंट्रोल में रहता है। हालांकि, सेवन करने से पहले एकबार डॉक्टर से जरूर सलाह लें। इसके अलावा रात में सोते वक्त आक के पत्ते को पैर के तलवे पर रखकर मोजे पहन लें और अगली सुबह को पत्तों को हटा दें। इस प्रक्रिया से भी ब्लड शुगर कंट्रोल में रहता है।

आक के अन्य लाभ-


जोड़ों के दर्द में लाभकारी-


अगर आपको जोड़ों में काफी दर्द हैं तो इसके पत्तों को तवा में हल्का गर्म करके जोड़ों में लगा लें। इससे आराम मिलेगा।
सोते समय मात्र तलवे पर इस पौधे की पत्तियों को रख लेने से डायबिटीज हो जाएगी कंट्रोल


घाव भरने में लाभकारी-

पौधे का दूध निकालकर इसमें हल्दी मिलाकर घाव में लगा लें। इससे आपका घाव जल्दी भर जाएगा।


पांव के छाले पड़ने पर-

अगर आपके पैरों में छाले पड़ जाए तो आक के पौधे के दूध को निकाल छालों के ऊपर लगा लें। इससे तुरंत लाभ मिलेगा।


बवासीर-

आक का पत्ता और डंठल को पानी में बिगो जें। इसके बाद इसे पीने से बवासीर की समस्या से निजात मिलेगा।
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