19.8.19

दशमूल जड़ी बूटी के स्वास्थ्य लाभ


 दशमूल हर्ब का नाम दश और मूल की संधि से बना है जिसका अर्थ है कि दस जड़ी-बूंटियों की जड़ें। दशमूल हर्ब में दस जड़ी-बूंटियों के गुण एक साथ होते हैं इसलिए इसका सेवन शरीर के लिए लाभकारी होता है।
  दशमूल शरीर के लिए काफी उपयोगी हर्ब होता है। दशमूल हर्ब का उपयोग प्राचीन काल से ही आयुर्वेदिक दवाओं के रुप में किया जाता रहा है। 10 आयुर्वेदिक जड़ी-बूंटियों के मिश्रण से दशमूल हर्ब बनाया जाता है। यह जड़ी-बूंटी नसों की समस्याओं, मसल्स की ऐंठन, हड्डियों और जोड़ों के दर्द को ठीक करने के लिए लाभकारी होता है। दशमूला सूजन की समस्या को दूर करने के लिए बेहद लाभकारी होता है। आइए जानते हैं शरीर के लिए कैसे दशमूला हर्ब का सेवन लाभकारी होता है।

  भारत में दशमूल 10 जड़ी बूटियों का सबसे अच्छा संयोजन है, जो विभिन्न चिकित्सा विज्ञान और आयुर्वेदिक दवाओं में उपयोग किया जाता है। इसके बड़े स्वास्थ्य लाभ हैं। इसमें आयुर्वेद की 10 सर्वश्रेष्ठ जड़ें हैं जो हमें कई तरीकों से फायदा पहुंचाती हैं। ये जड़ें हमें तंत्रिका समस्याओं, मांसपेशियों में ऐंठन, हड्डियों और जोड़ों की समस्याओं से राहत दे सकती हैं। दशमूल, सूजन और अन्य कई स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज के लिए जादुई रूप से काम करता है। 
दशमूल जड़ी बूटी के स्वास्थ्य लाभ-
रूक रूककर और तेज बुखार में है फायदेमंद
पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करता है
सांस की समस्याओं को रोकता है
माइग्रेन के दर्द को कम करता है
सूजन, दर्द और गठिया की सूजन से राहत देता है
दशमूल जड़ी-बूटियों में 10 जड़ें- 




दशमूल 10 सर्वश्रेष्ठ हर्बल जड़ों का एक संयोजन है जो विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं से राहत देता है। दशमूल बनाने वाली सर्वश्रेष्ठ 10 जड़ी-बूटियों इस प्रकार हैं।

अग्निमंथ
गंभारी
बिल्व
पृश्निपर्णी
बृहती
कंटकारी
गोखरू
पटाला हर्ब
शालपर्णी
श्योनाक
दशमूल के स्वास्थ्य लाभ:
रूक रूककर और तेज बुखार में है फायदेमंद -
दशमूल में बहुत सारे एंटीपायरेटिक गुण होते हैं जो रुक-रुक कर या बहुत तेज बुखार को ठीक करने में मदद करते हैं। यह आपके शरीर के तापमान का प्रबंधन कर सकता है और इसके लिए सबसे अच्छा उपाय है। 
दशमूला हर्ब में में एंटी प्रेट्रिक गुण होते हैं जो कि तेज बुखार को ठीक करने के लिए लाभकारी होते हैं। यह शरीर के तापमान को सही रखता है। किसी भी अन्य आयुर्वेदिक औषधि की तुलना में दशमूला का सेवन बुखार को ठीक करता है। कुछ अन्य हर्ब्स का सेवन करके भी बुखार को ठीक किया जा सकता है
पाचन सुधारे
पाचन संबंधी समस्याएं और गैस का बनना इंसान की सबसे आम समस्याएं हैं। लेकिन दशमूल इन सबसे राहत दिलाने में मदद करता है। वास्तव में, फूड एलर्जी का सबसे अच्‍छा घरेलू उपचार है।


सांस की समस्याओं को रोकता है

दशमूल श्वसन संबंधी समस्याओं को कम करता है। यह छाती और श्वसन रास्‍तों की सूजन को कम करता है। यह सबसे अच्छा काम करता है जब आप हर्बल घी के साथ इसका सेवन करते हैं। 10 जड़ी का सूत्रीकरण अस्थमा, काली खांसी और सामान्‍य खांसी को कम कर सकते हैं।
सूजन, दर्द और गठिया से राहत देता है

दशमूल अद्भुत है, जब यह गठिया के लक्षणों जैसे सूजन, दर्द से राहत देता है। इसमें एनाल्जेसिक या पेनकिलर प्रभाव होता है जो गठिया की समस्याओं का इलाज करता है।
माइग्रेन के दर्द 
माइग्रेन के दर्द को कम करने के लिए भी दशमूल हर्ब उपयोगी होता है। बहुत सारे लोगों को माइग्रेन के दर्द के साथ-साथ उल्टी, जी-मिचलाने, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्या होती है। जिसे ठीक करने के लिए दशमूला हर्ब का सेवन उपयोगी होता है।
दशमूल क्वाथ (दशमूल काढ़ा) के रोगों में लाभ :
✦इसका उपयोग पीठ के निचले हिस्से में दर्द, कटिस्नायुशूल, कंपकंपी, पार्किंसंस रोग में किया जाता है।
✦फेफड़ों : सूखी खांसी और श्वसन कमजोरी के लिए टॉनिक के रूप में इसका उपयोग किया जा सकता है।
✦सभी प्रकार के बुखार
✦तनाव
✦अनिद्रा
✦संधिशोथ
✦खांसी और अस्थमा
✦कमजोरी
दशमूल क्वाथ के फायदे और उपयोग :
1-तनाव दूर करने में –
तनाव कई अतिरिक्त बीमारियों का मूल कारण है। दिव्य दशमूल क्वाथ एक उत्कृष्ट रचना है जो दिमाग पर से तनाव कम करती है। यह दवा तनाव और इसके संबंधित रोगों के लिए प्राकृतिक इलाज है।
2-मासिक धर्म विकारों में –
मासिक धर्म विकारों और गर्भावस्था को प्राप्त करने से संबंधित स्त्री रोग संबंधी विकारों में उपयोगी।
3-अवसाद में –
यह प्राकृतिक जड़ी बूटी तनाव और अवसाद को कम करती है और आपके दिमाग को आराम देती है।
4- रक्तचाप के नियंत्रण में –
यह नींद विकार से रोकने में मदद करता है और आपके रक्तचाप को नियंत्रण में रखता है।
5-गठिया रोग में –
दशमूल क्वाथ का नियमित उपयोग गठिया जैसी पुरानी बीमारियों से रोकता है।
6-थकान दूर करने में –
यह दवा आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने और सिरदर्द और थकान से बचने में मदद करती है।




7- खाँसी में –

दशमूल क्वाथ (दशमूल काढ़ा) में “अरण्डी की जड़ “अथवा “पोहकरमूल का चूर्ण” डाल कर पीने से श्वास, खाँसी और पसली की पीड़ा शान्त हो जाती है।(
8- सन्निपात ज्वर में –
सन्निपात ज्वर, मोह और तन्द्रा होने पर-दशमूल के काढ़े में “पीपर का चूर्ण” मिला कर पीना बहुत ही अच्छा है
9- धनुस्तम्भ रोग में –
दशमूल का काढ़ा पिलाना और शरीर में कड़वा तेल मलना हितकारी है।
10- पक्षाघात रोग में –
दशमूल का काढ़ा हींग और सेंधा नमक मिलाकर पिलाना हितकर है।( और पढ़े – लकवा के 37 घरेलु इलाज )
11- सूतिका रोग में –
इस रोग में भी दशमूल के काढ़े में पीपर का चूर्ण मिलाकर पिलाना चाहिये ।
12- हृदयशूल में –
हृदयशूल, पीठ के शूल और कमर के शूल में-देशमूल का काढ़ा सवेरे ही पीना चाहिये ।
13- बुखार में –
इस क्वाथ का प्रयोग करने से समस्त प्रकार के वातश्लैष्मिक ज्वर शीघ्र नष्ट होते हैं
14-पाश्र्वशूल में –
सन्निपात ज्वर, समस्त प्रकार के सूतिका रोग, ग्रह, कण्ठ ग्रह, पाश्र्वशूल,तथा वातरोगों को शीघ्र नष्ट करता है। विशेषतया सूतिका रोग मेंअधिक लाभप्रद है।
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