7.9.21

खट्टे फल खाने के है कई सारे फायदे:khatte fal



 

फल स्वास्थ्य के लिए हर तरह से फायदेमंद हैं। वैसे तो सभी तरह के फल सेहत के लिए बेहतर काम करते हैं लेकिन खट्टे फलों को सेहत के लिए बहुत अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। खट्टे फल जैसे संतरे, अंगूर, आम, अनानास और नींबू के नियमित सेवन से कई समस्याओं से से राहत मिल सकती है।


खट्टे फल में पाए जाने वाले पोषक तत्व

इनमें भरपूर मात्रा में विटामिन सी और अन्य पोषक तत्व, विटामिन, खनिज और यौगिकपाए जाते हैं। इसके अलावा यह फाइबर, पोटेशियम, फास्फोरस, मैग्नीशियम और आयरन के भी बेहतर स्रोत हैं। खट्टे फलों में फाइटोन्यूट्रिएंट्स (फाइटोन्यूट्रिएंट्स) जैसे कैरोटेनॉयड्स, फ्लेवोनोइड, पॉलीफेनोल भी होते हैं, जो पौधों की मदद करने के अलावा एक अनूठा रंग और गंध भी रखते हैं। इसमें एंटीऑक्सिडेंट गुण भी होते हैं जो शरीर में कोशिकाओं की रक्षा करने और कुछ स्वास्थ्य समस्याओं को रोकने में मदद करते हैं।
खट्टे फल (Citrus Fruits) रुटेशियस जीनस से संबंधित पेड़ और पौधों से निकलते हैं। इनकी खास बात ये है कि इनमें साइट्रिक एसिड की मात्रा हाई होती है और आमतौर पर ये रसदार और मांसल गूदा वाले होते हैं। खट्टे फल पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं जो स्वास्थ्य लाभ प्रदान करते हैं। जो लोग वजन घटाना चाहते हैं और हाई कैलोरी खाने से बचना चाहते हैं, उनके लिए खट्टे फल बहुत फायदेमंद है। जैसे कि एक मध्यम आकार के नारंगी में लगभग 60 से 80 कैलोरी होती है, जबकि एक कटोरी अंगूर में लगभग 90 कैलोरी होती है। साथ ही इनमें सरल कार्बोहाइड्रेट ग्लूकोज, सुक्रोज और फ्रुक्टोज भी पाए जाते हैं। खट्टे फलों में पाए जाने वाले आहार फाइबर में पेक्टिन होता है जो कोलेस्ट्रॉल से बांधता है और इसे शरीर से बाहर निकालने में मदद करता है। 

संतरा

संतरा विटामिन ए, बी, सी, कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटेशियम, फोस्फोरस और अन्य पोषक तत्वों से भरपूर है। ये एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होते हैं, जो कि इम्यूनिटी बढ़ाने के साथ शरीर को मौसमी बीमारी से बचाते हैं।

अंगूर

अंगूर भी स्वाद में थोड़े खट्टे होते हैं। ये इम्यूनिटी बूस्टर है और विभिन्न प्रकार के रोगों से आपको बचाता है। दरअसल अंगूर में विटामिन सी की मात्रा पाई जाती है जो कि इम्यूनिटी बढ़ाने का गुण भी रखता है। इसलिए एक स्ट्रांग इम्यून सिस्टम के लिए अपनी डायट में अंगूर को जरूर शामिल करें।

कीनू

कीनू संतरा जैसा होता है पर इसका रंग संतरे से थोड़ा ज्यादा गहरा होता है। साथ ही साइज में भी ये संतरे से थोड़ा छोटा होता है। कीनू शरीर में सूजन को कम करने में सहायक है और फाइन रेडिकल्स के नुकसानों से शरीर को बचाता है। इसके अलावा ये कोशिकाओं के विकास को भी बढ़ावा देते हैं।

विटामिन सी से भरपूर आंवला

आंवले में कई ऐसे न्यूट्रिशंस पाए जाते हैं, जो सर्दी के मौसम में बेहद फायदा देते हैं। विटामिन सी बॉडी के इम्यून सिस्टम को स्ट्रॉन्ग बनाता है, तो वहीं इसमें पाए जाने वाले ऐंटि-ऑक्सीडेंट बॉडी में मौजूद केमिकल्स को बाहर निकलने में मदद करते हैं। ब्लड शुगर को कंट्रोल करने के साथ ही यह एनीमिया से भी बचाता है। 50-50 ग्राम के दो आंवलें अगर आप रोजाना लेंगे, तो आप 0.5 ग्राम प्रोटीन, 13.7 ग्राम कार्बोहाइट्रेट, 58 ग्राम कैलरी, 1.2 मिलीग्राम आयरन पा सकते हैं।

मौसंबी


मौसंबी खाना आपने मुंह के स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद हैं। दरअसल, ये मसूड़ों की सूजन को कम करने में मदद करते हैं और स्कर्वी जैसे बीमारियों के लक्षणों को कम करते हैं।

चकोतरा

चकतोरा नींबू जैसा ही एक फल होता है, पर खट्टे प्रजातियों के फलों में सबसे कम खट्टा और थोड़ा ज्यादा मीठा होता है। चकोतरा का जूस पीने से शरीर में कैल्शियम, पोटेशियम और फॉस्फोरस की कमी नहीं होती है। ये पाचन संबंधी परेशानियों को कम करता है।

खट्टे फल के फायदे-

अगर आप वजन को नियंत्रित करना चाहते हैं, तो खट्टे फल खाने चाहिए। यह पाचन को बेहतर करते हैं और पेट को लंबे समय तक भरे रहने में मदद करते हैं। इसके अलावा, खट्टे फल भी कैलोरी में कम होते हैं।
यह गुर्दे की पथरी के विकास के जोखिम को कम कर सकता है। गुर्दे की पथरी के कारणों में से एक कम मूत्र साइट्रेट है लेकिन नियमित रूप से फल और सब्जियां खाने से विशेष रूप से खट्टे फल मूत्र साइट्रेट के स्तर को बढ़ा सकते हैं। जिससे किडनी में पथरी होने का खतरा कम हो जाता है।
कुछ प्रकार के कैंसर को रोकने में मदद मिल सकती है कई अध्ययनों से संकेत मिलता है कि खट्टे फल कुछ कैंसर के विकास के जोखिम को कम करने में मदद कर सकते हैं।
इसके अलावा, खट्टे फल कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोकने में मदद कर सकते हैं। नई कैंसर कोशिकाओं के निर्माण को रोकने में मदद करता है और साथ ही कार्सिनोजेन्स की क्रिया को बाधित करने में मदद करता है प्रतिरक्षा प्रणाली के काम को बढ़ावा देने में मदद करता है।
यह दिल के स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है। खट्टे फलों में पोटेशियम भी हृदय रोग के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है। और स्ट्रोक के साथ-साथ मस्तिष्क को पोषण देने में मदद करें साइट्रस में क्वेरसेटिन नामक फ्लेवोनॉइड्स पुरानी सूजन के विकास को रोकने में मदद कर सकते हैं।

लो कैलोरी

खट्टे फलों में कैलोरी की मात्रा कम होती है इसलिए कोई भी व्यक्ति इसे खा सकता है। सबसे ज्यादा ये वजन घटाने वाले लोगों के लिए फायदेमंद है। इसलिए अगर आप वजन घटाना चाहते हैं, तो अपने खाने में खट्टे फलों को जरूर शामिल करें।

फाइबर से भरपूर

घुलनशील फाइबर बोवल मूवमेंट को विनियमित करने में मदद करता है। ये पेट को साफ करने और कब्ज जैसी परेशानियों से बचाए रखने में मदद करता है। इसलिए अगर आपको कब्ज की परेशानी है, तो आपको खट्टे फलों को खाना चाहिए।

शरीर का पीएच बैलेंस करता है

खट्टे फल हमारे शरीर के प्रोसेस को तेज करने में मदद करते हैं। ये गुर्दे की पथरी की स्थिति को करने में मदद करते हैं। खट्टे फल या उनका रस गुर्दे की प्रणाली को क्षारीय करने में मदद करता है, जिससे शरीर का पीएच बदलता है और गुर्दे में पथरी की परेशानी को कम करता है।

पथरी में लाभदायक

खट्टे फल का सेवन पथरी की समस्या से आराम पाने में भी किया जा सकता है। माना जाता है कि मूत्रवर्धक (Diuretic) पथरी से बचाव करने में मदद कर सकते हैं । ऐसे में खट्टे फल के फायदे देखे जा सकते हैं। एक वैज्ञानिक शोध के अनुसार शुद्ध नींबू के रस में ड्यूरेटिक प्रभाव मौजूद होते हैं, जो मुत्रस्त्राव को बढ़ावा देने में मदद कर सकते है और इससे पथरी का जोखिम कुछ हद तक कम हो सकता है। फिलहाल, इस विषय पर अभी और शोध की आवश्यकता है

कोलेजन बढ़ाता है


विटामिन सी कोलेजन उत्पादन में मदद करता है। कोलेजन हमारे बालों की त्वचा और नाखूनों में सबसे व्यापक रूप से पाया जाने वाला प्रोटीन है। जब हमारी उम्र बढ़ने लगती है, तो शरीर में कोलेजन उत्पादन कम होने लगता है। जिससे बालों और त्वचा में बदलाव आता है। इसलिए विटामिन सी का सेवन बालों और त्वचा आदि को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है।

कैल्शियम से भरपूर है

खट्टे फल अन्य पोषक तत्वों को बेहतर तरीके से शरीर में अवशोषित करने में मदद करते हैं। उदाहरण के लिए कैल्शियम, कैटेचिन के अवशोषण में विटामिन सी बहुत फायदेमंद हैं। इसके अलावा ये आयरन के अवशोषण में सहायक होते हैं जो हमारे रेड ब्लड सेल्स को बेहतर बनाता है।

खट्टे फल पोटेशियम से भरपूर होते हैं

खट्टे फल पोटेशियम से भरपूर होते हैं, जो कि आपके दिल के स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद हैं। पोटेशियम मांसपेशियों के संकुचन, द्रव विनियमन आदि के लिए अच्छा है। साथ पोटेशियम से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करने से स्ट्रोक का खतरा कम होता है।

हृदय को रखे स्वस्थ

कई शोधों के आधार पर यह माना गया है कि फ्लेवोनोइड से समृद्ध खाद्य पदार्थों का सेवन करने से हृदय रोग से बचने में मदद मिल सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि ये ब्लड लिपिड, ब्लड ग्लूकोज एवं रक्त वाहिकाओं की कार्यप्रणाली (Vascular Function) पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं। सिट्रस फ्रूट में फ्लेवोनोइड पाया जाता है, इसलिए कहा जा सकता है कि ये खास फल हृदय को स्वस्थ रखने में मददगार हो सकते हैं। वहीं, नींबू की खास प्रजाति काफिर लाइम के छिलके में मौजूद एथनॉलिक अर्क, कीमोथेरेपी (एक प्रकार का कैंसर ट्रीटमेंट) के दौरान कार्डियोप्रोटेक्टिव (हृदय को क्षति से बचाने वाला गुण) प्रभाव प्रदर्शित कर सकता

पानी की कमी से बचाते हैं


खट्टे फल शरीर में हाईड्रेशन की स्थिति को बनाए रखने में मदद करते हैं क्योंकि इनमें 80-90 प्रतिशत तक पानी होता है। आप इसका जूस पिएं या आप इन्हें खाएं, ये शरीर में पानी की कमी नहीं होने देंगे।

बालों के लिए खट्टे फल के फायदे

खट्टे फल और उनमें मौजूद विटामिन-सी के फायदे सेहत और त्वचा तक ही सीमित नहीं है। इनमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुण फ्री रेडिकल्स के कारण होने वाले हेयर लोस से बचाने में मदद कर सकते हैं । इसके लिए नींबू के रस का उपयोग किया जा सकता है। बालों की जड़ों में नींबू का रस लगा लें। 15 से 20 मिनट रखने के बाद बालों को शैम्पू से धो लें।

पार्किंसंस और अल्जाइमर से बचाते हैं

कुछ अध्ययनों से पता चला है कि खट्टे फलों का सेवन संज्ञानात्मक कार्य को बेहतर बनाने में मदद करता है जिससे, पार्किंसंस और अल्जाइमर जैसे मानसिक रोगों के खतरे को कम होता है। यह क्वैरसेटिन नामक एक फ्लेवनॉइड से भी भरपूर है, जो कि शरीर में पुरानी सूजन को कम करने में फायदेमंद है।
खट्टे फलों का सेवन करने का सबसे अच्छा समय सुबह का नाश्ता या दिन का लंच है। जूस के रूप में इनका सेवन करना भी बहुत फायदेमंद है पर अगर आप जूस में शुगर इनटेक को कम करना चाहते हैं, तो इसे ऐसे ही खाएं। तो, सर्दियों के दौरान अपनी डाइट में इन खट्टे फलों को शामिल करें और इनके इन तमाम स्वास्थ्य लाभों का फायदा उठाएं।

मस्तिष्क के लिए सिट्रस फल के फायदे

ऑक्सीडेटिव तनाव शरीर के लिए कई तरह से नुकसानदायक होता है और इसके ऐसे ही नुकसानों में एक नाम न्यूरोडीजेनेरेटिव रोग (दिमाग से जुड़े विकारों) का भी शामिल है। इनसे बचने के लिए ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन जरूरी हैं, जो एंटीऑक्सीडेंट गुण से समृद्ध हो, जैसे खट्टे फल। दरअसल, खट्टे फलों में पाए जाने वाले फ्लेवोनोइड्स शरीर पर न्यूरोप्रोटेक्टिव प्रभाव (दिमाग से जुड़े रोगों से बचने के लिए) डाल सकते हैं। इनके इन गुणों के कारण खट्टे फलों को दिमाग को स्वस्थ बनाए रखने वाले खाद्य पदार्थों में शामिल किया जा सकता है ।

खट्टे फल एंटी ऑक्सीडेंट से भरपूर होते हैं

कई रोग या स्वास्थ्य स्थितियां मुक्त कणों के बेअसर न होने के कारण होती हैं। खट्टे फलों में पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट शरीर और चेहरे को तनाव से लड़ने में मदद करते हैं और फाइन रेडिकल्स में कमी लाते हैं।

आंखों के लिए सिट्रस फल के फायदे

खट्टे फल विटामिन-सी से समृद्ध होते हैं और यह शरीर के लिए कई तरह से लाभदायक हो सकता है। आंखों के लिए विटामिन-सी के फायदों की बात करें तो यह प्रभावी एंटीऑक्सीडेंट होता है, जो आंखों को फ्री रेडिकल्स से होने वाली क्षति से बचाने में मदद कर सकता है। इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि आंखों की मेटाबॉलिक दर ज्यादा होती है, जिसके कारण इन्हें सामान्य से अधिक एंटीऑक्सीडेंट सुरक्षा की जरूरत होती है। इसके अलावा, विटामिन-सी आंखों में अन्य एंटीऑक्सीडेंट, जैसे विटामिन-ई को रीजेनरेट करने में भी मदद कर सकता है

विटामिन से भरपूर होते हैं

खट्टे फल विशेष रूप से विटामिन सी में उच्च होते हैं। ये पोटेशियम और फास्फोरस से भी भरपूर होते हैं, जो कि आपके इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने में मदद करते हैं। इसके कारण आप मौसमी बीमारियों से आसानी से लड़ सकते हैं।

त्वचा के लिए खट्टे फल के फायदे

यह तो आप जान ही चुके हैं कि इसमें भरपूर मात्रा में विटामिन-सी पाया जाता है। विटामिन सी के फायदे यह हैं कि ये एक प्रभावी एंटीऑक्सीडेंट होता है, जो त्वचा को फ्री रेडिकल्स के कारण होने वाली क्षति से बचा सकता है। फ्री रेडिकल्स के कारण त्वचा पर उम्र से पहले झुर्रियां और महीन रेखाएं दिख सकती हैं। इन सभी से त्वचा को बचाने में खट्टे फल लाभदायक हो सकते हैं । इसके लिए रात को सोने से पहले रूई की मदद से नींबू के रस को चेहरे पर लगाएं। लगभग तीन से पांच मिनट रखने के बाद चेहरा धो लें। जिनकी त्वचा संवेदनशील है, वो यह उपाय न करें
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4.9.21

पेट के मरोड़ ,पेट दर्द और लूज मोशन के घरेलू उपचार :pet ke marod ke upchar


 

-आंत में किसी तरह का संक्रमण होने पर या घाव होने पर जब आंत की परतों में संकुचन होता है तो यह दर्द की उत्पत्ति करता है। यानी आपके पेट में मरोड़ उठती है। इसके साथ ही जब आप पॉटी के लिए प्रेशर लगाते हैं या आपकी मांसपेशियां मल को बाहर निकालने का कार्य करती हैं तो इस दौरान हुए संकुचन से भी तेज दर्द उठता है।
  पेट में दर्द व मरोड होने का कारण- पेट में दर्द कई प्रकार के रोगों के होने के कारण भी हो सकता है जैसे- पित्ताशय में पथरी, पेट में कोई जख्म होना, गुर्दे में पथरी, नाभि का अपने स्थान से हट जाने तथा कब्ज बनने के कारण।नाभि के आस-पास किसी तरह का रोग हो जाने के कारण भी पेट दर्द का रोग हो सकता है।


• आंतों में गैस भर जाने से भी यह रोग हो सकता है।
• पेट में किसी उत्तेजक पदार्थ के चले जाने के कारण भी यह रोग हो सकता है।
• जिगर, आंतों तथा भोजन नली में किसी जहरीले पदार्थ के पहुंच जाने के कारण भी पेट में दर्द हो सकता है।
• जब कभी शरीर में दूषित द्रव्य शरीर के स्नायुओं पर अनावश्यक दबाव डालते हैं तब व्यक्ति के पेट में दर्द होने लगता है।
• जरूरत से ज्यादा भोजन करने के कारण भी पेट में दर्द होने लगता है।
• किसी दुर्घटना के कारण पेट में चोट लग जाने के कारण भी पेट में दर्द हो सकत• गुदाद्वार या आंतों में किसी प्रकार की सूजन हो जाने के कारण भी पेट में दर्द हो सकता है।
  आजकल फास्टफूड और तैलीय भोजन खाने से कई बार पेट में मरोड़ उठने लगती है जो काफी परेशान करती है। इसी के साथ दस्त भी शुरू हो जाए तो इंसान की हालत पस्त हो जाती है। गलत खानपान के कारण हमारा पाचनतंत्र प्रभावित होता है और कई बार हमारे पेट में दर्द होने लगता है। इस दर्द का कारण पेट की गैस, अपच, एसिडिटी, कब्ज, पेट का फ्लू, फूड प्वायनिंग आदि हो सकती है। 

pet me dard marod ke upchar-

मेथी के बीज - 

मेथी पाचन के लिए फायदेमंद होती है और इसमें फाइबर की मात्रा भी खूब होती है इसलिए ये पेट की मरोड़ में फायदेमंद होती है। इसके लिए एक कटोरी में दही लेकर उसमे मेथी के दानों को पीसकर अच्छी तरह मिला लें। स्वाद के लिए थोड़ा सा काला नमक भी डाल सकते हैं। इस दही का सेवन करने से पेट की मरोड़ में लाभ मिलेगा।

मूली -

 मूली का प्रयोग मूली भी पेट में मरोड़ उठने पर फायदेमंद होती है। इसके लिए मूली को अच्छी तरह धुलकर छील लें और फिर छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें। अब इन टुकड़ों पर थोड़ा सा काला नमक या सेंधा नमक डालें और काली मिर्च छिड़क लें। इसे खाने से थोड़ी देर में ही पेट दर्द से आराम मिलेगा।

हींग भी है फायदेमंद -

 पेट में होने वाली मरोड़ के लिए हींग भी एक बेहतर उपाय है। इसके लिए दो ग्राम हींग को पीस लें और आधी ग्लास पानी के साथ इसे निगल लें। छोटे बच्चों को चम्मच से पिलाकर हींग का लेप नाभि पर करें। ऐसा करने से पेट में मरोड़ शांत हो जाती है।

ईसबगोल - 

ईसबगोल न सिर्फ दर्द बल्कि दस्त में भी राहत दिलाता है और ये आंतों की अच्छे से सफाई कर देता है। इसके लिए एक कटोरी दही में दो चम्मच ईसबगोल मिलाकर खाएं या किसी मिठाई को तोड़कर उसमें ईसबगोल मिला लें और खा लें।

अजवाइन का प्रयोग - 

अजवाइन पेट की मरोड़ और एसिडिटी को ठीक करती है। इसके सेवन से पेट की लगभग सभी बीमारियों में लाभ मिलता है। पेट में मरोड़ के लिए तवे पर अजवाइन भून लें। इसके बाद आप इसमें सेंधा नमक या काला नमक डालकर तीन ग्राम की मात्रा में पानी के साथ सेवन करें। दिन में दो बार पीने से पेट में मरोड़ एकदम ठीक हो जाएगी।

आयुर्वेदिक घरेलु उपचार

★ रात को सोते समय रोगी व्यक्ति को पीतल के लोटे में पानी को भरकर रखना चाहिए और फिर सुबह के समय में उठते ही इस पानी को पी लेना चाहिए। ऐसा करने से शौच खुलकर आती है और पेट का दर्द ठीक हो जाता है।
★ अदरक के 1 छोटे टुकड़े को मुंह में रखे और इसका रस चूसे, इससे पेट का दर्द में जल्द आराम मिलेगा। 1 से 2 चम्मच नींबू रस, 1 चम्मच अदरक का रस और थोड़ी सी चीनी मिला कर सेवन करने से पेट दर्द से तुरंत छुटकारा मिलता है।
★ नाभि पर अदरक के रस से मालिश करने पर भी पेट दर्द दूर होता है।
★ पेट में दर्द होने पर अजवाइन में थोड़ा सा नमक मिलाकर गर्म पानी के साथ लेने से पेट का दर्द होना तुरंत ठीक हो जाता है।
★ एक चम्मच कुटी हुई सौंफ को एक कप पानी में डालकर 10 मिनट के लिए उबालें। इसके बाद स्वादानुसार शहद मिलाकर सेवन करें। या फिर, खाना खाने के बाद दो चम्मच सौंफ को चबाकर खाएं। इससे आराम मिलेगा।
★ एक कप पानी में 2 चमच्च दही और एक चुटकी नमक मिलाये। अब इसमें 3 चमच्च धनिये के पत्तियों का रस और आधा चमच्च इलायची पाउडर डालकर अच्छी तरह से मिलाये। खाना खाने के एक घंटे बाद इस खाए। इसके अलावा आप सादा दही का भी सेवन करेंगे तो आपको लाभ होगा।
★ जब रोगी के पेट में दर्द हो तो उस समय रोगी व्यक्ति को नींबू का रस निकालकर पानी में मिलाकर पीना चाहिए तथा उपवास रखना चाहिए। इससे रोगी के पेट का दर्द ठीक हो जाता है।

★पथरी होने से पेटदर्द -

 हो सकता है कि रोगी के पेट में दर्द पेट में पथरी रोग होने के कारण हो, इसलिए कुलथी की दाल को सुबह के समय में पानी में भिगोकर रख दें तथा शाम के समय में इसे पानी में पीसकर उस पानी को पी लें। इस प्रकार से प्रतिदिन प्रयोग करने से कुछ ही दिनों में हर प्रकार की पथरी गलकर शरीर से बाहर हो जाती है। जिसके परिणामस्वरूप पेट का दर्द ठीक हो जाता है।
★ पेट दर्द मे हींग बहुत ही लाभकारी है। 5 ग्राम हींग थोडे पानी में पीसकर पेस्ट बनाएं। इसे नाभी पर और उसके आस पास लगायें फिर क़ुछ देर लेटे रहें। इससे पेट की गैस निकल जायेगी और दर्द में राहत मिलेगी ।

दस्त और मरोड़ का रामबाण इलाज

दस्त लगने पर पांच ग्राम जीरा ले और इसे भून कर पीस ले और दही या दही से बनी हुई लस्सी के साथ इसका सेवन करने पर कुछ ही देर में आराम मिल जाता है और अगर दस्त के साथ पेट में मरोड़ भी उठ रही हो तो जीरे के बराबर मात्रा में सौंफ भून कर दोनों को पीस ले और इसका एक चम्मच दिन में दो से तीन बार ले। पेट में उठने वाली मरोड़ और दस्त से तुरंत आराम पाने का ये रामबाण उपाय है।
*काली मिर्च के साथ एक चम्मच नींबू का रस और एक चम्मच अदरक का रस लेने से भी लूज मोशन में राहत मिलती है। अदरक का छोटा टुकड़ा मुँह में रख कर कुछ देर चूसे, इस उपाय से दस्त में आराम मिलता है और पेट की मरोड़ शांत होती है। अदरक की चाय भी दस्त रोकने में मददगार है।

बच्चों के दस्त के घरेलू उपाय

जब पहली बार बच्चे के दाँत निकलते है तब दस्त और बुखार की समस्या हो जाती है। ऐसे में बच्चे के खाने पीने का ख्याल रखना ज़रूरी है। बच्चे को दस्त होने पर हल्का खाना खिलाए।
*मेथी और दही का सेवन करके भी पेट की मरोड़ को ठीक किया जा सकता है. यह एक बहुत ही सरल उपाय हैं, तथा इस उपाय को करने के लिए ज्यादा समय की भी आवश्यकता नही हैं. इसके लिए एक कटोरी में दही लेकर उसमे मेथी के दानों को पीसकर अच्छी तरह मिला लें. अब इस दही का सेवन करें. दही का सेवन करने से पेट की मरोड़ में लाभ होगा.
*कई बार जादा गर्मी लगने या फिर शरीर में नमक की कमी होने से बच्चों को डायरिया हो जाता है। ऐसी स्थिति में पानी में थोड़ा नमक घोल कर बच्चे को पिलाए।
* दूषित खाने से भी बच्चे को दस्त लग जाते है, इसलिए बच्चे को साफ़ सुथरा फुड ही खिलाए।

पेचिस की बीमारी

पेचिस की बीमारी को दूर करने के लिए काफी ऐसे उपाय हैं, जिनका उपयोग हम पेट की मरोड़ को ठीक करने के लिए भी कर सकते हैं. जिस प्रकार ताजी लस्सी और बेलगिरी के गुद्दे को मिलाकर पीने से पेचिस का रोग ठीक हो जाता हैं. ठीक उसी प्रकार पेट की मरोड़ को ठीक करने के लिए भी बेलगिरी के गुद्दे और ताजी लस्सी का प्रयोग किया जाता हैं. बेलगिरी का प्रयोग करने से पेट की मरोड़ में जल्दी ही आराम हो जाता है. लस्सी और बेलगिरी के मिश्रण को पीने से पेट की मरोड़ तो खत्म हो ही जाएगी, इसके साथ ही इससे पेट को ठंडक भी मिलेगी. क्योंकि बेलगिरी और लस्सी दोनों ही ठंडे प्रदार्थ हैं. गर्मी के दिनों में लोग इन दोनों का सेवन करना अधिक पसंद करते हैं.
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29.8.21

सेहत के लिए रामबाण है लौंग:loung ke gun



भारतीय किचन में कई तरह के मसालों का इस्तेमाल किया जाता है. यह मसालें खाने का स्वाद बढ़ाने के साथ ही सेहत के लिए भी काफी फायदेमंद होते हैं. इन्हीं में से हम बात कर रहे हैं लौंग की. लौंग खाने में जायका बढ़ाने और खुशबू लाने के साथ ही सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है. लौंग  का इस्तेमाल कई तरह की डिशेज में किया जाता है. आयुर्वेद मे भी लौंग के कई फायदे बताए गए हैं. ऐसे में अगर आप रोजाना अपने दिन की शुरुआत 2 लौंग से करते हैं तो आपकी सेहत पर कई तरह के बदलाव देखने को मिलते हैं.

लौंग के औषधीय गुण

लौंग के औषधीय गुण की वजह से ही सदियों से इसका इस्तेमाल किया जाता रहा है। इसमें एंटी-माइक्रोबियल और एंटी-ऑक्सीडेंट प्रभाव होता है। इसके अलावा, इसमें एंटी-वायरल और एनाल्जेसिक गुण भी है, जो कई तरह से शरीर को फायदा पहुंचा सकते हैं। शायद इसी वजह से सदियों से आयुर्वेद में लौंग के फायदे का इस्तेमाल लोगों को स्वस्थ रखने के लिए किया जाता रहा है।

ओरल हेल्थ


लौंग की कलियां ओरल माइक्रो ऑर्गेनिज्म (मुंह में उत्पन्न होने वाले सूक्ष्म जीवों) को 70 प्रतिशत कम कर सकती हैं। इसी वजह से कई टूथपेस्ट में लौंग का इस्तेमाल किया जाता है। तुलसी, टी-ट्री ऑयल के साथ लौंग का इस्तेमाल करके घर पर ही बनाया गया माउथ वॉश ओरल हेल्थ को बेहतर रख सकता है |लौंग का तेल भी विभिन्न पीरियडोंटल पैथोजेन से बचाव कर सकता है। यह वो बैक्टीरिया होते हैं, जो मसूड़ों में इंफेक्शन का कारण बनते हैं । दांतों में होने वाले दर्द को कम करने के लिए लौंग काफी फायदेमंद माना जाता है। लौंग में यूजेनॉल नामक तत्व दांतों के दर्द को कम करने का काम कर सकता है। यह प्लाक और कैरिज से भी दांतों को बचा सकता है

कोरोना की दूसरी लहर काफी खतरनाक है. अब बच्चे और युवा भी इसकी चपेट में आ रहे हैं ऐसे में इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए ल लौंग का सेवन करना फायदेमंद होता है. लौंग कोरोना के संक्रमण से लड़ने में मदद करता है.

सुधारे डाइजेशन

लौंग गैस्ट्रिक रस के स्राव में सुधार लाकर पाचन की प्रक्रिया को सुधारता है. लौंग पेट की कई परेशानियों में फायदा करता है जैसे गैस, जलन, अपच और उल्‍टी.

सर्दी-खांसी

लौंग के गुण में खांसी और सर्दी से बचाव भी शामिल है। लौंग में एंटीइंफ्लेमेटरी प्रभाव होता है, जो सर्दी और खांसी को कम कर सकता है। दरअसल, यह एक्सपेक्टोरेंट की तरह काम करता है, जो पूरे बलगम को मुंह से निकालकर ऊपरी श्वसन तंत्र को साफ कर सकता है|

डायबिटीज


लौंग का इस्तेमाल मधुमेह को कुछ हद तक नियंत्रित करना भी शामिल है। मधुमेह वो चिकित्सकीय स्थिति है, जिसके अंतर्गत रक्त में शर्करा की मात्रा अधिक हो जाती है। लौंग ब्लड ग्लूकोज को कम करके डायबिटीज को कंट्रोल कर सकता है
एक अन्य शोध में कहा गया है कि लौंग में एंटीहाइपरग्लाइसेमिक, हाइपोलिपिडेमिक और हेपेटोप्रोटेक्टिव गुण होते हैं। यह डायबिटीज की समस्या को कम करने के साथ ही लिपिड में सुधार करने और लिवर को बचाने का काम कर सकता है । लोंग के साथ ही लौंग का तेल भी ग्लूकोज को कम करने, लिपिड प्रोफाइल को सुधारने और किडनी संबंधी समस्या से डायबिटीज के मरीजों को बचाने का काम कर सकता है|

इंफ्लेमेशन से लड़ने के लिए

लौंग इंफ्लेमेशन से लड़ने में भी मददगार हो सकता है। लौंग में यूजेनॉल  नामक कंपाउंड पाया जाता है, जो शरीर में एंटीइंफ्लेमेटरी एंजेंट की तरह कार्य कर सकता है। यह कंपाउंड इंफ्लेमेशन के कारण होने वाली बीमारियों और स्किन संबंधी समस्याओं से बचाने का काम कर सकता है । इंफ्लेमेशन की वजह से होने वाले एक्ने को कम करने में भी लौंग लाभदायक हो सकता है

दांत दर्द में राहत

ज्‍यादातर टूथपेस्‍ट में लौंग एक प्रमुख इंग्रिडेंट होता है. ऐसा इसलिए क्‍योंकि लौंग दांत दर्द में राहत देता है. लौंग में कुछ समय के लिए दर्द को दबाने की ताकत होती है. अगर आपके दांत में तेज दर्द हो तो रूई के फाये में थोड़ा सा लौंग का तेल लगाएं और फिर जिस दांत में दर्द हो रहा है वहां पर इसे लगाएं. आपको तुरंत राहत मिलेगी.


लौंग के तेल में एंटी-माइक्रोबियल प्रॉपर्टीज़ होती हैं. इस वजह से ये कील-मुंहासों को भगाने में काफी असरदार है. साथ ही यह इन मुंहासों को आपके चेहरे पर फैलने से भी रोकता है. लौंग में शरीर की सफाई करने वाले तत्‍व भी पाए जाते हैं जो आपको मुंहासों की जलन से राहत दिलाने में भी मदद करते हैं. आप चाहें तो लौंग का फेस पैक बना सकते हैं या अपनी क्रीम में मिलाकर भी इसका इस्‍तेमाल कर सकते हैं.

हड्डियों के लिए लौंग

हड्डियों को मजबूत बनाने में भी लौंग सहायक हो सकता है। दरअसल, लौंग में मैंगनीज होता है, जो हड्डियों को मजबूत बना सकता है । एक रिसर्च में कहा गया है कि लौंग के हाइड्रोक्लोरिक अर्क में मौजूद यूजेनॉल हाइपोगोनैडल ऑस्टियोपोरोसिस (हड्डी संबंधी रोग) के खिलाफ लड़कर हड्डी-संरक्षण का कार्य कर सकता है ।

कान का दर्द

लौंग के फायदे में कान के दर्द से राहत दिलाना भी शामिल है। कान के दर्द के लिए लौंग के तेल को उसमें मौजूद दर्द निवारक और एनेस्थेटिक नेचर की वजह से इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे थोड़े समय के लिए दर्द का एहसास कम व खत्म हो सकता है। लौंग के तेल को अन्य तेल के साथ मिलाकर कॉटन की मदद से एयर कैनाल के पास रखा जा सकता है। इससे दर्द कम होने के साथ ही कान के संक्रमण से भी राहत मिल सकती है

बढ़ाए इम्‍यूनिटी

लौंग आपकी इम्‍यूनिटी बढ़ाकर इंफेक्‍शन और सर्दी-जुकाम से आपकी रक्षा करता है. यह एंटी-ऑक्‍सीडेंट गुणों से भरपूर है जो आपकी स्‍किन और मजबूत इम्‍यूनिटी सिस्‍टम के लिए बेहद जरूरी है.


सिर दर्द को रोकने में मददगार- 

लौंग सिर दर्द का सबसे अच्छा इलाज है. राहत पाने के लिए एक ग्लास दूध के साथ लौंग का पाउडर भी पी सकते हैं. लौंग का तेल कनपटी पर लगाने से भी आपको राहत मिलती है|

स्ट्रेस के लिए लौंग खाने के फायदे

लौंग में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो तनाव की वजह से होने वाले पैथोलॉजिकल परिवर्तनों की रोकथाम में मदद कर सकता है। शोध में कहा गया है कि लौंग में मौजूद एंटी-स्ट्रेस एक्टिविटी तनाव को कम तो कर सकती है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि लौंग किस तरह तनाव से बचा सकता है ।
लौंग का तेल संचार प्रणाली को उत्तेजित यानी स्ट्यूमिलेट करता है और मानसिक थकावट व थकान को कम कर सकता है। इसे अनिद्रा, स्मृति हानि, चिंता और अवसाद को कम करने में सहायक माना जाता है|

कैंसर के लिए लौंग के लाभ


मेडिकल शोध के अनुसार लौंग ट्यूमर को बढ़ने से रोक सकता है। लौंग के एथिल एसीटेट अर्क में एंटी-ट्यूमर गतिविधि पाई गई है, जिस वजह से इसका इस्तेमाल कैंसर के जोखिम को कम करने के लिए किया जा सकता है। रिसर्च में बताया गया है कि ओलिक एसिड की मौजूदगी की वजह से लौंग एंटी-ट्यूमर प्रभाव को प्रदर्शित कर सकता है । रिसर्च में लौंग के एंटी-ट्यूमर प्रभाव की क्षमता को जांचने के लिए अधिक शोध की सलाह दी गई है।

साइनस

नाक में जलन से राहत दिलाने में लौंग बहुत फायदेमंद है. अगर लौंग को लंबे समय तक डाइट में शामिल किया जाए तो यह साइनस से काफी हद तक छुटकारा दिला सकता है. आप साबुत लौंग को सूंघकर भी इसका फायदा ले सकते हैं. गर्म पानी में रोजाना तीन-चार चम्‍मच लौंग का तेल मिलाकर पीने से इंफेक्‍शन नहीं होता है और सांस लेना भी आसान हो जाता है.

अस्थमा के लिए लौंग के उपाय

लौंग में यूजेनॉल कंपाउंड होता है, जिसे अस्थमा के लिए अच्छा माना जाता है। एक शोध के अनुसार, यह कंपाउंड एंटीअस्थमेटिक प्रभाव को प्रदर्शित करता है, जिस वजह से अस्थमा से होने वाली परेशानी को कम करने में लौंग सहायता कर सकता है। रिसर्च में कहा गया है कि लौंग में मौजूद ब्रोन्कोडायलेटर और इम्यूनोमॉड्यूलेटरी गुणों की वजह से यह एंटी-अस्थमेटिक ड्रग जैसी क्षमता दिखा सकता है ।
लौंग के तेल की सुगंध नाक की नली को साफ करने में मदद करते हैं। साथ ही अस्थमा, खांसी, जुकाम, साइनस, ब्रोंकाइटिस जैसी समस्याओं को शांत कर सकते हैं। अस्थमा से राहत पाने के लिए लौंग व इसके तेल के साथ शहद और लहसुन के मिश्रण का सेवन किया जा सकता है

 मॉर्निंग सिकनेस

लौंग एंटीसेप्टिक है. यह अपच को ठीक करने के साथ ही आपको उल्‍टी और मिचली से भी राहत दिलाता है. यह प्रेग्‍नेंट महिलाओं के लिए तो बहुत ही गुणकारी है. प्रेग्‍नेंसी के शुरुआती महीनों में ज्‍यादातर महिलाओं को सुबह के वक्‍त उल्‍टी की श‍िकायत रहती है. ऐसे में उन्‍हें लौंग चूसने की सलाह दी जाती है.

वजन कम करने के लिए लवंग खाने के फायदे

वजन कम करने में लौंग भी मदद कर सकता है। पौष्टिक डाइट के साथ ही नियमित रूप से लौंग का सेवन वजन नियंत्रित करने के लिए किया जा सकता है।लौंग मेटाबॉलिज्म को बढ़ावा देकर वैट मैनेजमेंट में मदद कर सकता है। घरेलू उपाय के साथ ही वजन कम करने के लिए योग व एक्सरसाइज करना भी जरूरी है।

टेस्टोस्टेरोन के स्तर के लिए लौंग

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं का कहना है कि लौंग का प्रयोग अगर संयमित मात्रा किया जाए, तो यह टेस्टोस्टेरोन के उत्पादन में मदद कर सकता है। हालांकि, रिसर्च में कहा गया है कि इसकी अधिक मात्रा टेस्टोस्टेरोन उत्पादन को कम भी कर सकती है
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28.8.21

खारक खजूर छुहारे खाने के फायदे और नुकसान:kharak ke fayde




आयुर्वेद के अनुसार खारक ( खजूर ) मधुर, पौष्टिक, बलवर्धक, श्रमहारक, पीतनाशक, वीर्य वर्धक और शीतल गुणों वाला होता है. खजूर यानि खारक में विटामिन, प्रोटीन, रेशे, कार्बोहाइड्रेट और शर्करा होने की वजह से इसे संपूर्ण आहार कहा जाता है. इसलिए उसे सभी उपवास में शरीर के संघर्षण की आपूर्ति के लिए सेवन किया जाता है. वही ताजे हरे खजूर का रायता बनाया जाता है. खजूर की चटनी भी बनाई जाती है. केक और पुडिंग में भी खजूर का उपयोग किया जाता है. खजूर में विटामिन ए, विटामिन बी और विटामिन सी में पाई जाती है.

 सर्दियों के मौसम में छुहारा खाना सेहत के लिए काफी लाभदायक माना जाता है। यह अन्य सूखे मेवो से अधिक पसंद किया जाता है। आपको बता दे जिस तरह अंगूर को सुखाकर किशमिश व मुनक्का प्राप्त होता है, उसी तरह खजूर को सुखाकर छुहारा प्राप्त किया जाता है। इसमें बहुत से विटामिन और खनिज पाए जाते है, इसके अलावा घुलनशील फाइबर की अच्छी मात्रा होती है जो पाचन क्रिया को मजबूत करने में मदद करता है। छुहारा आंखो की रोशनी को बढ़ाने में व हड्डियों को मजबूत करने में फायदेमंद साबित होता है
*रेगुलर 3 छुहारे खाने के बाद 1 ग्लास गरम पानी पीने से आपको बवासीर,कब्ज, और गैस की दिक्कत से छुटकारा मिल जाएगा।
 * यह एनर्जी बूस्ट करने का भी काम करता है क्योंकि इसमें नेचुरल सुगर होता है। उसको आप एक्सरसाइज के बाद ले सकते हैं या एक्सरसाइज से पहले इसको आप ले सकते हैं। यह आपको जल्दी एनर्जी देने का काम करेगा।
*साइटिका के रोगियो को छुहारा खाना चाइए। यह बहुत फायदेमंद है। सायटिका के रोगियों में कमर से नीचे का हिस्सा या तो सुन्न हो जाता है या उस में सूजन आ जाती है और लगातार उसमें दर्द रहता है तो अगर सायटिका के रोगी अपनी डाइट में छुहारा ऐड करते हैं तो उनको इस तकलीफ से आराम मिल सकता है। लेकिन साइटिका का दर्द छुहारा खाने से बिल्कुल खत्म नहीं हो सकता। इसके लिए आपको रेगुलर एक्सरसाइज करनी होगी और अपने डाइट पर भी ध्यान देना होगा। जिसे आप आंतव्रण यानी अल्सर, एसिडिटी जैसी बीमारियों को ठीक करने में मददगार होता है.

बच्चों की कमजोरी दूर करने के लिए-

अगर कोई बच्चा कमजोर है तो उसकी अच्छी सेहत के लिए प्रतिदिन एक खजूर 10 ग्राम चावल के पानी में पीस लें उसी में थोड़ा पानी मिलाकर दिन में तीन बार पिलाएं. बढ़ती उम्र के बच्चों को खारक घी में भिगोकर खिलाए. नियमित तौर पर खजूर खाने से वजन बढ़ने में एवं शरीर बलवान होने में मदद मिलती है. जोड़ों को स्नेहन दिलाता है तथा खारक हड्डियों को मजबूत बनाता है.

ढलती उम्र वालों के लिए-

ढलती उम्र के लोगों को खारक और गर्म दूध नियमित तौर पर सेवन करते रहने से शक्ति बढ़ती है तथा शरीर में नया खून का निर्माण होता रहता है. जिससे उन्हें कमजोरी की समस्या नहीं होती है.

महिलाओं का पैर और कमर दर्द-

ज्यादातर महिलाएं पैर और कमर दर्द की समस्या से परेशान रहती हैं. ऐसे में 5 खजूर आधा चम्मच मेथी के साथ दो गिलास पानी में उबालकर एक ग्लास बचने पर गुनगुना पीने से कुछ ही दिनों में राहत मिलती है.

त्वचा को स्वस्थ रखने में – 

त्वचा को स्वस्थ बनाये रखने के लिए छुहारा बहुत फायदेमंद होता है। इसमें कई तरह के पोषक तत्व है जो त्वचा को पोषक तत्व प्रदान करते है जिससे त्वचा स्वस्थ और जवान दिखने लगती है। इसमें अच्छी मात्रा में जिंक होता है यह झुर्रिया की समस्या को कम करता है। इसके अलावा एंटीऑक्सीडेंट उपस्थित होता है। यह त्वचा के फ्री रेडिकल्स को कम करने में मदद करता है।

मांसपेशियो को मजबूत बनाने में – 

छुहारा का सेवन रोजाना करने से मांसपेशिया मजबूत होती है। इसमें उच्च मात्रा में केल्शियम, पोटेशियम उपस्तिथ है। शारीरिक मांसपेशियो के साथ-साथ हृदय को स्वस्थ रखने में मदद करता है। दूध के साथ छुहारा का सेवन करे और हड्डियों को मजबूत बनाये। 

रूखे बालो के लिए – 

नुकसान-

यह ब्लड शुगर लेवेल को बढ़ा देता है। तो अगर आपका शुगर लेवेल ज्यादा रहता है तो आप इसका सेवन न करे।
अगर आप वेट कम करना चाहते है तो भी इसका सेवन न करे क्योकि यह आपका वजन बढ़ा सकता है।
इसमे फाइबर की मात्रा ज्यादा होती है तो अगर आप ज्यादा मात्रा मे इसका सेवन करते है तो आपको पेट दर्द की समस्या हो सकती है।
कुछ लोगो को इससे एलर्जि भी होती है तो इस चीज का ध्यान मे रख कर ही इसका सेवन करे। अगर आपको इसके सेवन के बाद कोई दिक्कत होती है तो आप इसका सेवन बंद कर दें। क्योंकि यह एलर्जी रिएक्शन हो सकता है। और अगर आपको ऐसा लगता है कि आपको एलर्जी रिएक्शन हुआ है तो आप डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें।
 इसकी ज्यादा मात्रा मे इस्तेमाल न करे आप 3 से 6 छुहारे एक टाइम इस्तेमाल कर सकते है।

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26.8.21

एक्जिमा के लक्षण कारण और घरेलू इलाज:eczema treatment



 

एक्जिमा एक तरह की त्वचा संबंधी समस्या है, जिसका असर आपकी त्वचा पर होता है। इसमें आपको खुजली, त्वचा पर लाल निशान और सूजन जैसी समस्या हो सकती हैं। यह रोग त्वचा में नमी के कम होने से हो सकता है। इसकी वजह से त्वचा में खुजली और जलन होने लगती है। अधिक खुजलाने पर त्वचा छिल भी सकती है, जो घाव के रूप में परिवर्तित होकर एक्जिमा को बढ़ावा दे सकती हैं


एक्जिमा के लक्षण


एक्जिमा का मुख्य लक्षण खुजली है. इसमें खुजली वाली जगह पर लाल या भूरे रंग के पैच बन जाते हैं. इसमें कभी-कभी जलन भी होने लगता है. बार-बार खुजली करने का मन करता है. खुजली करने के बाद कभी-कभी दाने की तरह उभार भी निकल आते हैं. कभी-कभी सूजन भी पड़ने लगने लगता जिसके बाद स्किन का रंग पीला पड़ने लगता है. आमतौर पर यह हाथ, अंडरआर्म, बैक और घुटनों में होता है. हालांकि यह खतरनाक बीमारी नहीं है लेकिन सही समय पर इलाज नहीं करने से स्किन में लंबे समय तक के लिए परेशानी हो सकती है.

एक्जिमा के प्रकार

एक्जिमा को उसके प्रभाव के अनुसार वर्गीकृत किया गया है।
एटोपिक डर्मेटाइटिस: इसकी शुरुआत सामान्य खुजली से होती है। यह बच्चों और दमे के मरीज को जल्दी प्रभावित करता है ।
इर्रिटेन्ट कॉन्टेक्ट डर्मेटाइटिस: यह बीमारी त्वचा के डिटर्जेंट और एसिड के संपर्क में आने से उत्पन्न होता है। यह भी एक तरह का एक्जिमा रोग है ।

स्टैसिस डर्मेटाइटिस: 

यह शरीर में रक्त का संचार ठीक तरह से न होने के कारण होता है। शरीर में खुजली और भूरे रंग का निशान होना स्टैसिस डर्मेटाइटिस का लक्षण है ।
एलर्जिक: यह समस्या रासायनिक चीजों के संपर्क में आने के कारण हो सकती है। इस बीमारी के कारण आपकी त्वचा में सूजन आ सकती है ।

चर्मरोग:

यह भी एक तरह का एक्जिमा है। ज्यादा खुजली करने से आपकी त्वचा में संक्रमण हो सकता है। खुजली से संक्रमण पूरे शरीर में फैल कर बड़ी समस्या उत्पन्न कर सकता है । वहीं, लगातार खुजली करने से त्वचा में दाद की समस्या हो जाती है। जिसे कई लोग एक्जिमा का ही रूप समझते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। दाद एक्जिमा नहीं होता है।

डिशिड्रोटिक एक्जिमा:

इसका असर हाथ और पैरों पर दिखने को मिलता है। यह आपकी त्वचा में भी फैल सकता है।

सेबोरिक डर्मेटाइटिस: 

यह कान, छाती, पीठ और स्कैल्प को प्रभावित करता है। यह बालों से झड़ने वाली रूसी की वजह से होता है ।

नुम्मूलर एक्जिमा: 

इस तरह के एक्जिमा में गोल घाव हो जाते हैं, जिसमें खुजली होती है। यह अक्सर गले के पास होता है और धीरे-धीरे शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल सकता है ।

जेरोटिक एक्जिमा:

ऐसा अमूमन ठंड के दिनों में होता है। इस तरह का एक्जिमा रूखी त्वचा के कारण होता है

एक्जिमा के कारण

हालांकि एक्जिमा का सटीक कारण अब तक पता नहीं है. माना जाता है कि यह वंशानुगत (अनुवांशिक) और मौसम में नमी आने के कारण होता है. बैक्टीरियल संक्रमण के कारण भी एक्जिमा होता है. यह मुख्यतः स्टेफिलोकोकस ऑरियस  नामक बैक्टीरिया के कारण होता है. इसके अलावा किसी प्रकार की एलर्जी के कारण जैसे- डेंड्रफ मोल्ड, पराग कण, घरेलू जानवरों के संपर्क में आने, या धूल-मिट्टी के संपर्क में आने के कारण भी हो सकता है. ठंडे और गर्म तापमान में तुरन्त जाना या नमीयुक्त और आर्द्रतायुक्त वातावरण के संपर्क में आने से भी यह बीमारी हो सकती है. एक्जिमा तनाव के कारण भी हो सकता है.

एक्जिमा के घरेलू उपचार

एक्जिमा के उपचार के लिए नारियल तेल
सामग्री :
थोड़ा-सा नारियल का तेल
कैसे करें इस्तेमाल :
तेल को एक्जिमा प्रभावित जगह पर सीधे लगा सकते हैं।
बेहतर परिणाम के लिए पूरी रात लगे रहने दें।
कितने बार करें :
हर रात को सोने से पहले इसे लगाएं।
कैसे है लाभदायक :
नारियल के तेल में प्राकृतिक रूप से एंटीबैक्टीरियल व एंटीइंफ्लेमेटरी गुण मौजूद होते हैं। नारियल तेल की यह विशेषता आपको त्वचा संबंधी बीमारियों से छुटकारा दिला सकती है और उन्हीं बीमारियों में से एक एक्जिमा भी है। इसे त्वचा पर लगाने से बैक्टीरिया के प्रभाव को कम किया जा सकता है

एलोवेरा से इलाज 

सामग्री :
एलोवेरा का पत्ता
कैसे करें इस्तेमाल :
एलोवेरा के पत्ते से जेल को निकाल लें।
जेल को एक्जिमा प्रभावित क्षेत्र पर लगाएं।
कितने बार करें :
जल्दी प्रभाव के लिए प्रतिदिन लगाएं।
कैसे है लाभदायक :
एलोवेरा की सहायता से आप घर में ही एक्जिमा का इलाज कर सकते हैं। इसका जेल आपको ठंडक के साथ-साथ खुजली की समस्या से भी राहत दिला सकता है। इस प्रकार एक्जिमा से छुटकारा पाया जा सकता है
शहद से एक्जिमा का इलाज
सामग्री :
2 चम्मच शहद
2 चम्मच दालचीनी
कैसे करें उपयोग :
शहद और दालचीनी को अच्छी तरह से मिलाकर पेस्ट बना लें।
फिर एक्जिमा प्रभावित जगह को पानी से धोकर सुखा लें।
इसके बाद पेस्ट को लगाकर सूखने के लिए छोड़ दें।
जब पेस्ट सूख जाए, तो पानी से धो लें।
कैसे है लाभदायक :
स्वाद में मीठे शहद का उपयोग बीमारियों से छुटकारा पाने के लिए भी किया जाता है। एक्जिमा के लिए शहद कारगर इलाज साबित हो सकता है। शहद में एंटीमाइक्रोबियल गुण पाए जाते हैं, जो घाव को भरने में मदद करते हैं । वहीं, दालचीनी में भी एंटीऑक्सीडेंट व एंटीइंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं, जो एक्जिमा जैसी त्वचा संबंधी समस्या से राहत दिला सकते हैं

नीम का उपयोग

सामग्री :

नीम के तेल की 10-12 बूंदें
एक चौथाई जैतून का तेल
कैसे करें इस्तेमाल :
इन दोनों सामग्रियों को आपस में मिला लें।
फिर इसे प्रभावित जगह पर लगाएं।
कितने बार करें :
प्रतिदिन इसका उपयोग करें ।
कैसे है लाभदायक :
नीम में एंटीसेप्टिक, एंटीबायोटिक व एंटीइंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं। इन सभी गुणों के कारण ही नीम त्वचा से जुड़ी विभिन्न बीमारियों के लिए कारगर है। नीम से न सिर्फ त्वचा की बाहरी समस्या को ठीक हो सकती है, बल्कि इसके सेवन से अंदरूनी बीमारियों को भी ठीक किया जा सकता है। नीम शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले बैक्टीरिया को पूरी तरह खत्म कर सकती है

मुलेठी से एक्जिमा का उपचार

सामग्री :
मुलेठी की जड़ का चूर्ण
पानी (आवश्यकतानुसार)
कैसे करें इस्तेमाल :
मुलेठी के जड़ से बने चूर्ण को पानी में मिक्स करके पेस्ट बना लें।
फिर इस पेस्ट को प्रभावित जगह पर लगाएं।
कैसे है लाभदायक :
मुलेठी में एंटीसेप्टिक व एंटीइंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं। एक्जिमा के इलाज के लिए इसे वर्षों से आयुर्वेदिक औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है

एक्जिमा के उपचार के लिए हल्दी

सामग्री :
थोड़ा-सा हल्दी पाउडर
पानी
दूध
गुलाब जल
कैसे करें उपयोग :
हल्दी पाउडर को पानी में मिलकर पेस्ट बना लें।
पेस्ट में दूध या फिर गुलाब जल मिलकर एक्जिमा प्रभावित जगह पर लगा लें।
कुछ समय तक इसे सूखने दें और फिर पानी से धो लें।
कितनी बार करे :
आप इसे हफ्ते में 4 बार लगा सकते हैं।
कैसे है लाभदायक :
कई वर्षों से हल्दी को आयुर्वेदिक दवाई के रूप में रोग मुक्त व खूबसूरत त्वचा के लिए उपयोग किया जा रहा है। हल्दी में करक्यूमिन नामक खास तत्व पाया जाता है, जो एंटीसेप्टिक, एंटीइंफ्लेमेटरी व एंटीऑक्सीडेंट की तरह काम करता है। हल्दी से घाव को भरने में मदद मिलती है। साथ ही त्वचा संबंधी एलर्जी का भी इलाज किया जा सकता है

अलसी का तेल

सामग्री:
1 चम्मच नींबू का रस
1 चम्मच अलसी का तेल
कैसे करें :
नींबू के रस और अलसी के तेल को मिलाकर पेस्ट तैयार कर लें।
फिर इसे एक्जिमा प्रभावित जगह पर लगाएं।
कुछ समय तक सूखने दें और फिर पानी से धो लें।
कितने बार करें :
जल्दी परिणाम के लिए दिन में कम से कम एक बार तो जरूर उपयोग करें।
कैसे है लाभदायक :
अलसी के तेल को आयुर्वेदिक दवाई की तरह भी इस्तेमाल किया जाता है। यह एक्जिमा के उपचार में कारगर है। इसके इस्तेमाल से त्वचा में हो रही जलन कम होती है, रूखापन कम होता है और त्वचा हाइड्रेट रहती है। वैज्ञानिक अध्ययन में भी पाया गया है कि प्रतिदिन अलसी इस्तेमाल करने से त्वचा संबंधी रोगों को दूर किया जा सकता है

तुलसी का प्रयोग कर एक्जिमा से पाएं मुक्ति

तुलसी का एंटी- माइक्रोबियल गुण स्किन को इन्फेक्शन से बचाता है l यह स्किन की जलन कम करता है और फुंसी आदि को भी ठीक करता है l

उपयोग का तरीका

तुलसी के कुछ पत्ते तोड़ कर इसका रस निकाल लें l रस निकालने के लिए आप पतले सूती कपड़े या मलमल का इस्तेमाल कर सकते हैं l अब इस रस को एक्जिमा वाली जगह पर लगाएं और सूखने का इन्तजार करें l सूख जाने के बाद सादे पानी से धो लें l ऐसा आप रोजाना भी कर सकते हैं l तुलसी की चाय पीने से भी एक्जिमा से राहत मिल सकती है l

एक्जिमा में आहार – क्या खाएं और क्या न खाएं

गलत खान-पान की वजह से एक्जिमा की समस्या बढ़ सकती है। ऐसी स्थिति में आपको क्या खाना है और क्या नहीं, यहां हम इसी बारे में बता रहे हैं।
ओमेगा-3 फैटी एसिड वाले भोजन का सेवन करना चाहिए। इसके लिए टूना, सार्डिन, अल्बाकोर और हेरिंग मछली सबसे अच्छी होती है।
शरीर में अच्छे बैक्टीरिया को बनाए रखने में सहायक होने वाले चीजों का सेवन करना चाहिए, जैसे – गेहूं, सोया, लौंग, दालचीनी व टमाटर आदि।
सब्जी और फल का सेवन आपके लिए फायदेमंद हो सकता है, जैसे कि ब्रोकली, पालक, गोभी, चेरी व सेब आदि।
कुछ चीजे ऐसी भी हैं, जो एक्जिमा को बढ़ाने का कारण बन सकती हैं
अंडे
दूध
नट्स
सोया
ग्लूटेन युक्त अनाज
जिन लोगों को डिसहाइड्रोटिक एक्जिमा - इसमें पैर और हाथ प्रभावित होते हैं) हो, उन्हें इन खाद्य पदार्थों का सेवन सीमित रूप से करना चाहिए।
ब्लैक टी
चॉकलेट
मसूर
शैल फिश
बीन्स
एक्जिमा से बचाव

गुनगुने पानी से नहाना– 

गुनगुने पानी में नहाने से शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले बैक्टीरिया खत्म हो सकता है। इससे एक्जिमा फैलाने वाले संक्रामक बढ़ाने से रुक सकता है और एक्जिमा रोग होने से बचा जा सकता है।

मॉइस्चराइज–
त्वचा को मॉइस्चराइज रखने से भी एक्जिमा के रोग से बचा जा सकता है। त्वचा में नमी (मॉइस्चराइज) होने के कारण खुजली की समस्या नहीं होती है, जिससे एक्जिमा होने का जोखिम नहीं होता है। इसके लिए आप मॉइस्चराइजिंग क्रीम का भी उपयोग कर सकते हैं।

नाखून–

अगर आप त्वचा को नाखून से खरोंचते हैं, तो इस आदत को दूर कर एक्जिमा के रोग से दूर रह सकते हैं। कई बार खरोंच से आपके नाखून में मौजूद बैक्टीरिया त्वचा में चले जाते हैं, जिससे एक्जिमा हो सकता है।
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