26.8.21

एक्जिमा के लक्षण कारण और घरेलू इलाज:eczema treatment



 

एक्जिमा एक तरह की त्वचा संबंधी समस्या है, जिसका असर आपकी त्वचा पर होता है। इसमें आपको खुजली, त्वचा पर लाल निशान और सूजन जैसी समस्या हो सकती हैं। यह रोग त्वचा में नमी के कम होने से हो सकता है। इसकी वजह से त्वचा में खुजली और जलन होने लगती है। अधिक खुजलाने पर त्वचा छिल भी सकती है, जो घाव के रूप में परिवर्तित होकर एक्जिमा को बढ़ावा दे सकती हैं


एक्जिमा के लक्षण


एक्जिमा का मुख्य लक्षण खुजली है. इसमें खुजली वाली जगह पर लाल या भूरे रंग के पैच बन जाते हैं. इसमें कभी-कभी जलन भी होने लगता है. बार-बार खुजली करने का मन करता है. खुजली करने के बाद कभी-कभी दाने की तरह उभार भी निकल आते हैं. कभी-कभी सूजन भी पड़ने लगने लगता जिसके बाद स्किन का रंग पीला पड़ने लगता है. आमतौर पर यह हाथ, अंडरआर्म, बैक और घुटनों में होता है. हालांकि यह खतरनाक बीमारी नहीं है लेकिन सही समय पर इलाज नहीं करने से स्किन में लंबे समय तक के लिए परेशानी हो सकती है.

एक्जिमा के प्रकार

एक्जिमा को उसके प्रभाव के अनुसार वर्गीकृत किया गया है।
एटोपिक डर्मेटाइटिस: इसकी शुरुआत सामान्य खुजली से होती है। यह बच्चों और दमे के मरीज को जल्दी प्रभावित करता है ।
इर्रिटेन्ट कॉन्टेक्ट डर्मेटाइटिस: यह बीमारी त्वचा के डिटर्जेंट और एसिड के संपर्क में आने से उत्पन्न होता है। यह भी एक तरह का एक्जिमा रोग है ।

स्टैसिस डर्मेटाइटिस: 

यह शरीर में रक्त का संचार ठीक तरह से न होने के कारण होता है। शरीर में खुजली और भूरे रंग का निशान होना स्टैसिस डर्मेटाइटिस का लक्षण है ।
एलर्जिक: यह समस्या रासायनिक चीजों के संपर्क में आने के कारण हो सकती है। इस बीमारी के कारण आपकी त्वचा में सूजन आ सकती है ।

चर्मरोग:

यह भी एक तरह का एक्जिमा है। ज्यादा खुजली करने से आपकी त्वचा में संक्रमण हो सकता है। खुजली से संक्रमण पूरे शरीर में फैल कर बड़ी समस्या उत्पन्न कर सकता है । वहीं, लगातार खुजली करने से त्वचा में दाद की समस्या हो जाती है। जिसे कई लोग एक्जिमा का ही रूप समझते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। दाद एक्जिमा नहीं होता है।

डिशिड्रोटिक एक्जिमा:

इसका असर हाथ और पैरों पर दिखने को मिलता है। यह आपकी त्वचा में भी फैल सकता है।

सेबोरिक डर्मेटाइटिस: 

यह कान, छाती, पीठ और स्कैल्प को प्रभावित करता है। यह बालों से झड़ने वाली रूसी की वजह से होता है ।

नुम्मूलर एक्जिमा: 

इस तरह के एक्जिमा में गोल घाव हो जाते हैं, जिसमें खुजली होती है। यह अक्सर गले के पास होता है और धीरे-धीरे शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल सकता है ।

जेरोटिक एक्जिमा:

ऐसा अमूमन ठंड के दिनों में होता है। इस तरह का एक्जिमा रूखी त्वचा के कारण होता है

एक्जिमा के कारण

हालांकि एक्जिमा का सटीक कारण अब तक पता नहीं है. माना जाता है कि यह वंशानुगत (अनुवांशिक) और मौसम में नमी आने के कारण होता है. बैक्टीरियल संक्रमण के कारण भी एक्जिमा होता है. यह मुख्यतः स्टेफिलोकोकस ऑरियस  नामक बैक्टीरिया के कारण होता है. इसके अलावा किसी प्रकार की एलर्जी के कारण जैसे- डेंड्रफ मोल्ड, पराग कण, घरेलू जानवरों के संपर्क में आने, या धूल-मिट्टी के संपर्क में आने के कारण भी हो सकता है. ठंडे और गर्म तापमान में तुरन्त जाना या नमीयुक्त और आर्द्रतायुक्त वातावरण के संपर्क में आने से भी यह बीमारी हो सकती है. एक्जिमा तनाव के कारण भी हो सकता है.

एक्जिमा के घरेलू उपचार

एक्जिमा के उपचार के लिए नारियल तेल
सामग्री :
थोड़ा-सा नारियल का तेल
कैसे करें इस्तेमाल :
तेल को एक्जिमा प्रभावित जगह पर सीधे लगा सकते हैं।
बेहतर परिणाम के लिए पूरी रात लगे रहने दें।
कितने बार करें :
हर रात को सोने से पहले इसे लगाएं।
कैसे है लाभदायक :
नारियल के तेल में प्राकृतिक रूप से एंटीबैक्टीरियल व एंटीइंफ्लेमेटरी गुण मौजूद होते हैं। नारियल तेल की यह विशेषता आपको त्वचा संबंधी बीमारियों से छुटकारा दिला सकती है और उन्हीं बीमारियों में से एक एक्जिमा भी है। इसे त्वचा पर लगाने से बैक्टीरिया के प्रभाव को कम किया जा सकता है

एलोवेरा से इलाज 

सामग्री :
एलोवेरा का पत्ता
कैसे करें इस्तेमाल :
एलोवेरा के पत्ते से जेल को निकाल लें।
जेल को एक्जिमा प्रभावित क्षेत्र पर लगाएं।
कितने बार करें :
जल्दी प्रभाव के लिए प्रतिदिन लगाएं।
कैसे है लाभदायक :
एलोवेरा की सहायता से आप घर में ही एक्जिमा का इलाज कर सकते हैं। इसका जेल आपको ठंडक के साथ-साथ खुजली की समस्या से भी राहत दिला सकता है। इस प्रकार एक्जिमा से छुटकारा पाया जा सकता है
शहद से एक्जिमा का इलाज
सामग्री :
2 चम्मच शहद
2 चम्मच दालचीनी
कैसे करें उपयोग :
शहद और दालचीनी को अच्छी तरह से मिलाकर पेस्ट बना लें।
फिर एक्जिमा प्रभावित जगह को पानी से धोकर सुखा लें।
इसके बाद पेस्ट को लगाकर सूखने के लिए छोड़ दें।
जब पेस्ट सूख जाए, तो पानी से धो लें।
कैसे है लाभदायक :
स्वाद में मीठे शहद का उपयोग बीमारियों से छुटकारा पाने के लिए भी किया जाता है। एक्जिमा के लिए शहद कारगर इलाज साबित हो सकता है। शहद में एंटीमाइक्रोबियल गुण पाए जाते हैं, जो घाव को भरने में मदद करते हैं । वहीं, दालचीनी में भी एंटीऑक्सीडेंट व एंटीइंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं, जो एक्जिमा जैसी त्वचा संबंधी समस्या से राहत दिला सकते हैं

नीम का उपयोग

सामग्री :

नीम के तेल की 10-12 बूंदें
एक चौथाई जैतून का तेल
कैसे करें इस्तेमाल :
इन दोनों सामग्रियों को आपस में मिला लें।
फिर इसे प्रभावित जगह पर लगाएं।
कितने बार करें :
प्रतिदिन इसका उपयोग करें ।
कैसे है लाभदायक :
नीम में एंटीसेप्टिक, एंटीबायोटिक व एंटीइंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं। इन सभी गुणों के कारण ही नीम त्वचा से जुड़ी विभिन्न बीमारियों के लिए कारगर है। नीम से न सिर्फ त्वचा की बाहरी समस्या को ठीक हो सकती है, बल्कि इसके सेवन से अंदरूनी बीमारियों को भी ठीक किया जा सकता है। नीम शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले बैक्टीरिया को पूरी तरह खत्म कर सकती है

मुलेठी से एक्जिमा का उपचार

सामग्री :
मुलेठी की जड़ का चूर्ण
पानी (आवश्यकतानुसार)
कैसे करें इस्तेमाल :
मुलेठी के जड़ से बने चूर्ण को पानी में मिक्स करके पेस्ट बना लें।
फिर इस पेस्ट को प्रभावित जगह पर लगाएं।
कैसे है लाभदायक :
मुलेठी में एंटीसेप्टिक व एंटीइंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं। एक्जिमा के इलाज के लिए इसे वर्षों से आयुर्वेदिक औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है

एक्जिमा के उपचार के लिए हल्दी

सामग्री :
थोड़ा-सा हल्दी पाउडर
पानी
दूध
गुलाब जल
कैसे करें उपयोग :
हल्दी पाउडर को पानी में मिलकर पेस्ट बना लें।
पेस्ट में दूध या फिर गुलाब जल मिलकर एक्जिमा प्रभावित जगह पर लगा लें।
कुछ समय तक इसे सूखने दें और फिर पानी से धो लें।
कितनी बार करे :
आप इसे हफ्ते में 4 बार लगा सकते हैं।
कैसे है लाभदायक :
कई वर्षों से हल्दी को आयुर्वेदिक दवाई के रूप में रोग मुक्त व खूबसूरत त्वचा के लिए उपयोग किया जा रहा है। हल्दी में करक्यूमिन नामक खास तत्व पाया जाता है, जो एंटीसेप्टिक, एंटीइंफ्लेमेटरी व एंटीऑक्सीडेंट की तरह काम करता है। हल्दी से घाव को भरने में मदद मिलती है। साथ ही त्वचा संबंधी एलर्जी का भी इलाज किया जा सकता है

अलसी का तेल

सामग्री:
1 चम्मच नींबू का रस
1 चम्मच अलसी का तेल
कैसे करें :
नींबू के रस और अलसी के तेल को मिलाकर पेस्ट तैयार कर लें।
फिर इसे एक्जिमा प्रभावित जगह पर लगाएं।
कुछ समय तक सूखने दें और फिर पानी से धो लें।
कितने बार करें :
जल्दी परिणाम के लिए दिन में कम से कम एक बार तो जरूर उपयोग करें।
कैसे है लाभदायक :
अलसी के तेल को आयुर्वेदिक दवाई की तरह भी इस्तेमाल किया जाता है। यह एक्जिमा के उपचार में कारगर है। इसके इस्तेमाल से त्वचा में हो रही जलन कम होती है, रूखापन कम होता है और त्वचा हाइड्रेट रहती है। वैज्ञानिक अध्ययन में भी पाया गया है कि प्रतिदिन अलसी इस्तेमाल करने से त्वचा संबंधी रोगों को दूर किया जा सकता है

तुलसी का प्रयोग कर एक्जिमा से पाएं मुक्ति

तुलसी का एंटी- माइक्रोबियल गुण स्किन को इन्फेक्शन से बचाता है l यह स्किन की जलन कम करता है और फुंसी आदि को भी ठीक करता है l

उपयोग का तरीका

तुलसी के कुछ पत्ते तोड़ कर इसका रस निकाल लें l रस निकालने के लिए आप पतले सूती कपड़े या मलमल का इस्तेमाल कर सकते हैं l अब इस रस को एक्जिमा वाली जगह पर लगाएं और सूखने का इन्तजार करें l सूख जाने के बाद सादे पानी से धो लें l ऐसा आप रोजाना भी कर सकते हैं l तुलसी की चाय पीने से भी एक्जिमा से राहत मिल सकती है l

एक्जिमा में आहार – क्या खाएं और क्या न खाएं

गलत खान-पान की वजह से एक्जिमा की समस्या बढ़ सकती है। ऐसी स्थिति में आपको क्या खाना है और क्या नहीं, यहां हम इसी बारे में बता रहे हैं।
ओमेगा-3 फैटी एसिड वाले भोजन का सेवन करना चाहिए। इसके लिए टूना, सार्डिन, अल्बाकोर और हेरिंग मछली सबसे अच्छी होती है।
शरीर में अच्छे बैक्टीरिया को बनाए रखने में सहायक होने वाले चीजों का सेवन करना चाहिए, जैसे – गेहूं, सोया, लौंग, दालचीनी व टमाटर आदि।
सब्जी और फल का सेवन आपके लिए फायदेमंद हो सकता है, जैसे कि ब्रोकली, पालक, गोभी, चेरी व सेब आदि।
कुछ चीजे ऐसी भी हैं, जो एक्जिमा को बढ़ाने का कारण बन सकती हैं
अंडे
दूध
नट्स
सोया
ग्लूटेन युक्त अनाज
जिन लोगों को डिसहाइड्रोटिक एक्जिमा - इसमें पैर और हाथ प्रभावित होते हैं) हो, उन्हें इन खाद्य पदार्थों का सेवन सीमित रूप से करना चाहिए।
ब्लैक टी
चॉकलेट
मसूर
शैल फिश
बीन्स
एक्जिमा से बचाव

गुनगुने पानी से नहाना– 

गुनगुने पानी में नहाने से शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले बैक्टीरिया खत्म हो सकता है। इससे एक्जिमा फैलाने वाले संक्रामक बढ़ाने से रुक सकता है और एक्जिमा रोग होने से बचा जा सकता है।

मॉइस्चराइज–
त्वचा को मॉइस्चराइज रखने से भी एक्जिमा के रोग से बचा जा सकता है। त्वचा में नमी (मॉइस्चराइज) होने के कारण खुजली की समस्या नहीं होती है, जिससे एक्जिमा होने का जोखिम नहीं होता है। इसके लिए आप मॉइस्चराइजिंग क्रीम का भी उपयोग कर सकते हैं।

नाखून–

अगर आप त्वचा को नाखून से खरोंचते हैं, तो इस आदत को दूर कर एक्जिमा के रोग से दूर रह सकते हैं। कई बार खरोंच से आपके नाखून में मौजूद बैक्टीरिया त्वचा में चले जाते हैं, जिससे एक्जिमा हो सकता है।
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25.8.21

घुटनों के दर्द में अपनाएं ये घरेलू उपाय:ghutano ka dard



घुटनों का दर्द


घुटने में दर्द होना आज आम बात हो गई है । भारत में हर तीसरा व्यक्ति इस बीमारी का शिकार है और बढ़ती उम्र के साथ यह बीमारी सामान्य हो गई है। आज ये हालात हैं कि जो भी व्यक्ति 40 साल की उम्र पूरी करता है, उसे घुटनों में दर्द होना महसूस हो रहा है ।

क्यों होता है घुटनों में दर्द


घुटनों का ये दर्द मुख्य रुप से कईं कारणों से हो सकता है लेकिन जब खून में यूरीक एसिड बढ़ जाता है, तब घुटनों में दर्द की यह समस्या उत्पन्न होती है। घुटनों पर अधिक दवाब से सूजन भी दर्द का कारण बन सकती है ।
घुटनों में दर्द की समस्या अब बड़े-बूढों तक ही सीमित नहीं है बल्कि नौजवानों में भी दिक्कतें सामने आ रही हैं ।
घुटने का दर्द बहुत आम समस्या है और काफी परेशान कर सकती है। घुटने के दर्द के अलावा अन्य कई लक्षण भी हो सकते हैं। जैसे घुटने में सूजन, बाएं घुटने का दर्द, दाहिने घुटने का दर्द, घुटने की टोपी के आसपास दर्द; घुटने के जोड़ों में अकड़न और दर्द। यह दर्द विभिन्न प्रकार के कारण से हो सकता है जिनमें प्रमुख हैं : ऑस्टियोआर्थराइटिस या घुटने की गठिया, मेनिस्कस टीयर, रनर्स नी, बर्साइटिस नी, घुटने में लिगामेंट इंजरी और अन्य घुटने की चोट शामिल हैं।

हल्दी दूध

घुटनों या अन्य जोड़ों के दर्द में हल्दी दूध का सेवन भी काफी आराम देता है. एक ग्लास गर्म दूध में आधा चम्मच हल्दी पाउडर मिलाकर, रात को सोने से पहले पीने से दर्द से राहत मिलती है. हल्दी पाउडर की जगह अगर आप कच्ची हल्दी को पीसकर दूध में मिलाकर पीते हैं, तो और भी जल्दी आराम मिलता है.

एलोवेरा

घुटनों के दर्द और अन्य जोड़ों के दर्द में ऐलोवेरा फायदा पहुंचाता है. दर्द होने पर एलोवेरा का गूदा (Pulp) निकाल कर उसमें हल्दी पाउडर मिलाकर, गर्म करके, दर्द वाली जगह पर बांधना चाहिए. इससे दर्द और सूजन में जल्दी आराम मिलता है.

तुलसी का रस

दर्द चाहें घुटने में हो या फिर शरीर के किसी अन्य जोड़ में, तुलसी के रस का सेवन बहुत फायदा पहुंचाता है. इसके लिए एक चम्मच तुलसी के पत्तों का रस निकालिये और उसको एक गिलास गुनगने पानी में मिलाकर पीजिये. ऐसा प्रतिदिन करने से दर्द में आराम मिलेगा.

शहद और घी के साथ त्रिफला

शहद के साथ त्रिफला पाउडर का सेवन करने से घुटने के दर्द से आराम मिलता है.आधा चम्मच त्रिफला पाउडर को एक चम्मच शहद में मिलाएं. साथ ही इसमें आधा चम्मच देशी घी भी मिलाएं. हर रोज़ सुबह इसका सेवन करने से दर्द में आराम मिलता है.

अदरक

अदरक का प्रयोग भी घुटनों के दर्द से आराम दिलाता है. इसका इस्तेमाल सर्दी के दिनों में ज़रूर करना चाहिए. चाय, सब्ज़ी, चटनी और अचार के माध्यम से अदरक का सेवन प्रतिदिन ज़रूर करते रहें. ये केवल घुटनों के दर्द के लिए ही फायदेमंद नहीं है, बल्कि अन्य जोड़ों के दर्द और सूजन के साथ खांसी-ज़ुकाम और सांस रोग में भी राहत देती है.

घुटनों के दर्द का रामबाण नुस्खा 


इस ड्रिंक का कोई साइड इफेक्ट नहीं होगा। इसे पीने से न सिर्फ घुटनों का दर्द ठीक होता है बल्‍कि शरीर को ताकत भी मिलती है। सलाह दी जाती है कि इस ड्रिंक को रात में सोने से पहले पीना चाहिए। 20 दिनों तक इस पेय का सेवन करने से घुटनों के दर्द में काफी ज्‍यादा आराम मिलता है। वे लोग जिनके घुटनों में काफी ज्‍यादा तकलीफ रहती है वो इसे कम से कम 2 महीनों तक रोज पीएं अब चलिए जानते हैं 

इसे बनाने की विधि-

1 या आधा छोटा चम्‍मच काली मिर्च
1 छोटा चम्‍मच जीरा
1 छोटा चम्‍मच - मेथी दाना
इसे बनाने के लिए सबसे पहले हम मेथी को मिक्‍सर जार में डालकर ग्राईण्ड करेंगे।
उसके बाद इसे छन्नी की मदद से एक बार छान लेंगे। और फिर इसे एक अलग कटोरे में रख लेंगे।
अब काली मिर्च के दानों को मिक्‍सी में पीसकर उसके पावडर को छान लेंगे।
अब आखिर में हम जीरे को भी ग्राइंड कर लेंगे और पाउडर को छान कर कटोरे में रख लेंगे।
अब इन सभी पावडर को एक साथ मिक्‍स करें और एक एयर टाइट कंटेनर में डाल दें।
अब एक गिलास पानी में आधा चम्‍मच तैयार पावडर डालें।
इसे अच्‍छी तहर से मिक्‍स करें और लीजिये आपका डिंक पीने के लिए तैयार है।
यह ड्रिंक आपको थोड़ा सा तीखा लग सकता है इसलिये अगर आप चाहें तो इसमें थोड़ा सा गुड मिक्‍स कर सकते हैं।
*मेथी का उपयोग कई बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है। यदि आप मधुमेह के रोगी हैं तो एक चम्मच मेथी का सेवन करने से शुगर लेवल कंट्रोल रहेगा। इसे नियमित लेने से घुटनों का दर्द दूर होता है।
*अधिक वजन वाले लोगों को घुटनों में दर्द की समस्‍या काफी आम रहती है। इसलिए ये जीरा का पानी या केवल जीरा चबाने से भी वजन कम करने में मदद मिलती है। जीरा आयरन से भरपूर होता है। इसके अलावा यह आपके ब्‍लड शुगर लेवल को कम करने में मदद करता है। बताए गए इस ड्र्रिंक को पीने से आप सारा दिन हाइड्रेट भी रहेंगे।
*काली मिर्च में पाया जाने वाला पिपरिन एंटीऑक्सिडेंट और एंटी इंफ्लेमेट्री गुणों के कारण घुटनों की सूजन और दर्द को कम करने में मदद करता है।
*कई प्रकार के दर्द को ठीक करने के लिए हल्दी का उपयोग हमारे घरों में लंबे समय से ही होता रहा है। वहीं, सरसों के तेल में हल्दी मिलाकर इस्तेमाल करने से घुटनों के दर्द को ठीक करने में सक्रिय रूप से मदद मिलती है। ऐसा इसलिए भी मुमकिन हो सकता है
*कपड़े को गर्म पानी में भिगोकर बनाए पैड से सिंकाई करने से घुटने के दर्द में आराम मिलता है।
* भोजन में दालचीनी, जीरा, अदरक और हल्दी का उपयोग ज्यादा से ज्यादा करें। गर्म तासीर वाले इन पदाथार्ें के सेवन से घुटनों की सूजन और दर्द कम होता है।
* मेथी दाना, सौंठ और हल्दी बराबर मात्रा में मिला कर तवे या कढ़ाई में भून कर पीस लें। रोजाना एक चम्मच चूर्ण सुबह-शाम भोजन करने के बाद गर्म पानी के साथ लें।
* रोज सुबह खाली पेट एक चम्मच मेथी के पिसे दानों में एक ग्राम कलौंजी मिलाकर गुनगुने पानी के साथ लें। दोपहर और रात में खाना खाने के बाद आधा-आधा चम्मच लेने से जोड़ मजबूत होंगे और किसी प्रकार का दर्द नहीं होगा।
* सुबह खाली पेट लहसुन की एक कली दही के साथ खाएं।
* हल्दी चूर्ण, गुड़, मेथी दाना पाउडर और पानी सामान मात्रा में मिलाएं। थोड़ा गर्म करके इनका लेप रात को घुटनों पर लगाएं और पट्टी बांधकर लेटें।
* अलसी के दानों के साथ दो अखरोट की गिरी सेवन करने से जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है।
* बराबर मात्रा में नीम और अरंडी के तेल को हल्का गर्म करके सुबह-शाम जोड़ों पर मालिश करें।
* मालिश के लिए आप इन चीजों से भी तेल बना सकते हैं। 50 ग्राम लहसुन, 25 ग्राम अजवायन और10 ग्राम लौंग 200 ग्राम सरसों के तेल में पका कर जला दें। ठंडा होने पर कांच की बोतल में छान कर रख लें। इस तेल से घुटनों या जोड़ों की मालिश करें।
* गेहूं के दाने के आकार का चूना दही या दूध में घोलकर दिन में एक बार खाएं। इसे 90 दिन तक लेने से कैल्शियम की कमी दूर होगी।
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सफ़ेद आक मदार का पौधा कई रोगों मे फायदेमंद :safed ankade ke fayde



 

  श्वेतार्क (Calotropis Gigantea) एक औषधीय पादप है इसको मंदार', आक, 'अर्क' और अकौआ भी कहते हैं। यह पौधा जहरीला होता है आंकड़े के पौधे से सफेद दूध भी निकलता है गर्मियों के दिनों में प्रायः अनेक स्थानों पर श्वेतार्क के बीज उड़ते हुए दिखाई देते हैं। साधारण सी भाषा में इनकों 'बुढ़िया के बाल ' कह देते हैं। इसका वृक्ष छोटा और छत्तादार होता है। पत्ते बरगद के पत्तों समान मोटे होते हैं। हरे सफेदी लिये पत्ते पकने पर पीले रंग के हो जाते हैं। इसका फूल सफेद छोटा छत्तादार होता है। फूल पर रंगीन चित्तियाँ होती हैं। फल आम के तुल्य होते हैं जिनमें रूई होती है। आक गर्मी के दिनों में रेतिली भूमि पर होता है। चौमासे में पानी बरसने पर सूख जाता है।अर्क इसकी तीन जातियाँ रक्तार्क,श्वेतार्क,राजार्क पाई जाती है इस वनस्पति के विषय में साधारण समाज में यह भ्रान्ति फैली हुई है कि आक का पौधा विषैला होता है यह मनुष्य को मार डालता है। इसमें किंचित सत्य जरूर है क्योंकि आयुर्वेद संहिताओं में भी इसकी गणना उपविषों में की गई है। यदि इसका सेवन अधिक मात्रा में कर लिया जाये तो, उलटी दस्त होकर मनुष्य की मृत्यु हो सकती है। इसके विपरीत यदि आक का सेवन उचित मात्रा में, योग्य तरीके से, चतुर वैद्य की निगरानी में किया जाये तो अनेक रोगों में इससे बड़ा उपकार होता है।औषधीय उपयोग में केवल सफ़ेद आक का ही उपयोग करना चाहिए. नीली प्रजातियाँ अधिक विषैली होती हैं और उनका उपयोग खाने में नहीं किया जाता, केवल बाह्य उपयोग ही किया जाता है आक का हर अंग दवा है, हर भाग उपयोगी है। यह सूर्य के समान तीक्ष्ण तेजस्वी और पारे के समान उत्तम तथा दिव्य रसायनधर्मा हैं। कहीं-कहीं इसे 'वानस्पतिक पारद' भी कहा गया है।

*आक के पीले पत्ते पर घी चुपड कर सेंक कर अर्क निचोड कर कान में डालने से आधा सर दर्द जाता रहता है बहरापन दूर होता है। दाँतों और कान की पीडा शाँत हो जाती है।
*आक के पत्तों को गरम करके बाँधने से चोट अच्छी हो जाती है। सूजन दूर हो जाती है। आक के फूल को जीरा, काली मिर्च के साथ बालक को देने से बालक की खाँसी दूर हो जाती है।
*बवासीर के मस्सों पर लगाने से मस्से जाते रहते हैं। बर्रे काटे में लगाने से दर्द नहीं होता। चोट पर लगाने से चोट शाँत हो जाती है। जहाँ के बाल उड गये हों वहाँ पर आक का दूध लगाने से बाल उग आते हैं।
*आक की जड का धूँआ पीने से आतशक (सुजाक) रोग ठीक हो जाता है। इसमें बेसन की रोटी और घी खाना चाहिये। और नमक छोड़ देना चाहिये। आक की जड और पीपल की छाल का भस्म लगाने से नासूर अच्छा हो जाता है। आक की जड का चूर्ण का धूँआ पीकर ऊपर से बाद में दूध गुड पीने से श्वास बहुत जल्दी अच्छा हो जाता है।

आंख में पीड़ा

अगर आपकी एक आंख में पीड़ा हो रही हो तो जिस आंख में पीड़ा हो रही हो उसके दूसरे पैर के अंगूठे पर श्वेत यानि सफेद आक को दूध से पूरी तरह गीला करके कुछ देर रखने से काफी राहत मिलती है

आंखों के लिए ऐसे करें इस्तेमाल

आक की सूखी छाल को कूटकर इसमें 20 ग्राम गुलाब जल मिलाएं और इसे 5 मिनट के लिए रख दें. फिर इसे आंखों में 3 से 4 बूंद डालें. इससे आंखों का लाल होना, भारीपन, आंखों में दर्द या खुजली जैसी समस्या दूर हो जाती है.

दाढ़ में दर्द को तुरंत करे दूर

आक के दूध में रूई भिगोकर घी में अच्छी तरह से मसल लें और फिर इसे दाढ़ पर रख लें. इससे दांत या दाढ़ का दर्द तत्काल दूर हो सकता है. इसके अलावा अर्क के दूध में नमक मिलाकर दांत पर लगाने से दांत का दर्द दूर हो जाता है. वहीं, हिलते हुए दांत को अर्क का दूध लगाकर आसानी से निकाला जा सकता है. ऐसा करने से दांत निकालते समय दर्द कम होता है.

दूर होती है चेहरे की झुर्रियां व दाग


हल्दी के 3 ग्राम चूर्ण को आक के दो चम्मच दूध और गुलाब जल में अच्छी तरह से मिला लें. इसका लेप चेहरे पर लगाएं, इससे त्वचा मुलायम होती है. ध्यान रहे इसे आंख पर न लगने दें. जिनकी त्वचा पहले से मुलायम है और चेहरे पर निखार लाना चाहते हैं तो उन्हें आक के दूध के स्थान पर आक का रस इस्तेमाल करना चाहिए.

सिर व कान दर्द में उपयोगी

आक के फूल का उपयोग सिर व कान दर्द में उपयोग होता है. इसके दूध को सिर पर लगाने से माइग्रेन में फायदा मिलता है. आक के पत्तों का रस कान में डालने से कान से संबंधित रोग जैसे कान में मवाद आना, सांय-सांय की आवाज आना, दूर होते हैं.

सांस की समस्या ठीक करने में कारगर

जिन लोगों को अक्सर सांस या खांसी से संबंधित समस्या रहती है, उनके लिए आक का पौधा रामबाण औषधि की तरह है. 50 ग्राम आक के फूल की लौंग को लेकर उसमें एक चुटकी मिर्च को अच्छी तरह पीस लें और इसकी छोटी-छोटी गोलियां बना लें. इन बारीक गोलियों को रोज सुबह गर्म पानी के साथ सेवन करें. इससे सांस से संबंधित बीमारी दूर हो जाती है. इसके अलावा आक के पत्तों पर मौजूद सफेद परत को इकट्टा करके बाजरे जैसी गोलियां बनाकर रोज सुबह-शाम पान के साथ सेवन करने से लंबे समय से बनी खांसी की समस्या को दूर किया जा सकता है|

आक की रोटी

सामग्री:
मदार की जड़ : 2 किलो
पानी : 4 लीटर
गेहूं : 2 किलो

विधि:
सफेद मदार के पौधे को उखाड़ लें और जड़ काटकर अलग कर लें। अब एक बड़े पैन में मदार की जड़ को 4 लीटर पानी में डालकर उबालें। जब पानी सूखकर आधा हो जाए, तो पैन को आंच से उतार लें और जड़ को पानी से निकाल लें। अब उबले हुए पानी में गेहूं डाल कर पानी सोखने तक छोड़ दें। जब गेहूं सारा पानी सोख ले तो इसे धूप में सुखा लें। अब इस गेहूं को पीसकर आटा बना लें। इस आटे से रोटियां बनाएं और घी और गुड़ के साथ परोसें। ये रोटियां न सिर्फ पोषक तत्वों से भरपूर होती हैं, बल्कि गठिया जैसी बीमारियों को दूर भगाने में भी सक्षम है।

21.8.21

साइटिका को जड़ से खत्म करने की हर्बल औषधि:Sciatica herbal medicine



 

अक्सर कई लोगोंं को कमर के निचले हिस्से में अचनाक दर्द होने लगता है। वो इस दर्द को यह सोचकर अनदेखा कर देते हैं कि ऐसा अधिक काम करने या फिर थकान के कारण हुआ होगा और यही सबसे बड़ी भूल साबित होती है। दरअसल, आम-सा लगने वाला यह दर्द साइटिका का हो सकता है। साइटिका में धीरे-धीरे कमर के नीचे का पूरा भाग बेकार हो जाता है, लेकिन इस बात से बिल्कुल भी परेशान होने की जरूरत नहीं, समय रहते कुछ उपाय और उपचार अपना कर इससे बचा जा सकता है।

साइटिका नर्व नितंबों के नीचे से शुरू होकर पैरों के पिछले हिस्से से होते हुए एड़ियों पर खत्म होती है। इस नर्व यानी कि नाड़ी में जब सूजन या फिर दर्द होता है तो इसे ही साइटिका का दर्द कहा जाता है। यह अक्सर तेज दर्द के साथ शुरू होता है। यूं तो साइटिका के दर्द के लिए एलोपैथी में कई तरह के उपचार मौजूद हैं जो दर्द से तुरंत निजात दिलाने में तो कारगर हैं लेकिन इसके दीर्घकालिक उपचार में नाकाम हैं। साथ ही साथ इन दवाओं के साइड इफेक्ट्स बाद में नजर आते हैं। लेकिन आयुर्वेद में इस रोग को जड़ से खत्म करने के लिए उपचार मौजूद हैं।
इसे आयुर्वेद में गृघ्रसी कहा जाता है। दरअसल यह एक तंत्रिका नाड़ी है। जो सर्दी लगने पेट की कब्जी गर्भावस्था  या रीड की हड्डी में किसी तरह की समस्या होने पर पैर की सुन्नता Numbness कमर से लेकर पैर के अंगूठे  तक खिंचाव के साथ दर्द सूजन जाती है। कई बार यह दर्द असहनीय Unbearable हो जाता है। पैर के घुटनों के पीछे भी दर्द रहता है। पैर सुन्नता हो सकती है।

दर्द के कारण

हड्डियों के बीच स्निग्धता  की कमी के कारण।
सामान्यतया 50 की उम्र के बाद हो सकता है।
वजन उठाने का काम करने वाले तथा अधिक समय तक कमर से झुकने वाले कार्य करने वाले व्यक्तियों को होता है।
लगातार कंप्यूटर में बैठकर कार्य  करने वाले व्यक्तियों को की समस्या हो सकती है।
सायटिक तंत्रिका पर किसी प्रकार की चोट पहुंचने पर sciatica का दर्द हो सकता है।
अगर आप एक वेटलिफ्टर है तो आपको भी यह समस्या हो सकती है।
वर्कआउट करते समय अपनी क्षमता से अधिक वजन उठाने पर भी इस तरह की समस्या हो सकती है।
sciatica रोग पर किसी भी प्रकार का दबाव होने पर साइटिका का दर्द  शुरू हो जाता है। यह दबाव रीड की हड्डी की कशेरुकाओं से भी हो सकता है।

साइटिका के लक्षण


साइटिका के लक्षण व्यक्ति विशेष आधार पर अलग-अलग हो सकते हैं
कमर, कूल्हों, और पैरों में हल्के दर्द का बने रहना।
कमर की तुलना में पैरों में अधिक दर्द महसूस होना।
किसी एक पैर में तीव्र दर्द का महसूस होना।
पैरों के साथ पैरों की उंगलियों में दर्द होना।
कमर और परों में झुनझुनी महसूस होना।
पैरों का बेजान महसूस होना।
साइटिका के लिए घरेलू उपाय 

 लहसुन का दूध

सामग्री :
8 से 10 लहसुन की कलियां
300 एमएल दूध
एक कप पानी
शहद स्वाद के लिए
कैसे इस्तेमाल करें :
सबसे पहले लहसुन की कलियों को कुचल लें।
अब एक बर्तन में कुचले हुए लहसुन के साथ दूध और पानी को डालकर गर्म होने के लिए गैस पर रख दें।
फिर इसमें उबाल आने तक इसे पकाएं।
उबाल आने के बाद गैस बंद कर दें और तैयार मिक्सचर को गुनगुना होने दें।
जब मिक्सचर हल्का गुनगुना हो जाए, तो उसमें स्वाद के लिए थोड़ा शहद मिलाएं।
फिर मिक्सचर को गिलास में निकाल कर पिएं।
इस प्रक्रिया को दिन में करीब दो बार दोहराएं
लहसुन में एंटीइंफ्लेमेटरी गुण पाया जाता है। यह गुण साइटिका नर्व की सूजन को कम कर साइटिका के दर्द से राहत दिलाता है । इस कारण हम कह सकते हैं कि साइटिका का घरेलू इलाज करने के लिए लहसुन का उपयोग लाभदायक सिद्ध हो सकता है।

हॉट ऑर कोल्ड कम्प्रेस

सामग्री :
एक वाश क्लॉथ
एक कटोरा गर्म या बर्फ डालकर ठंडा किया गया पानी
कैसे इस्तेमाल करें :
गर्म या ठंडे पानी में वाशक्लॉथ को डुबोएं (यह इस पर निर्भर करता है कि आप ठंडे पानी का इस्तेमाल कर रहे हैं या गर्म)।
अब वाशक्लॉथ को हल्का निचोड़ कर प्रभावित स्थान पर कुछ देर के लिए रखें।
इस प्रक्रिया को करीब पांच से छह मिनट के अंतर पर कई बार दोहराएं।
इस प्रक्रिया को आप दिन में करीब तीन से चार बार दोहरा सकते हैं।

हरसिंगार –

हरसिंगार के फूल, पत्ते और छाल भी औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं। साइटिका के लिए हरसिंगार के पत्तों का इस्तेमाल किया जाता है। हरसिंगार के पत्तों को साफ कर एक लीटर पानी में उबाल लें। फिर ठंडा कर छान लें और एक दो रत्ती केसर मिला लें। अब इसे रोजाना सुबह शाम एक कप पिएं

अदरक

सामग्री :
अदरक का एक बड़ा टुकड़ा
आधा नींबू
एक चम्मच शहद स्वाद के लिए
कैसे इस्तेमाल करें :
सबसे पहले अदरक को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें।
अब इसे मिक्सर में डालकर अच्छी तरह से पीस लें।
अच्छी तरह से पिस जाने के बाद अदरक के पेस्ट को निकाल लें।
इस पेस्ट को किसी साफ सूती कपड़े में रखकर इसका रस अलग कर लें।
अब इस रस में नींबू और शहद मिलाकर सेवन करें।
इस प्रक्रिया को दिन में दो बार दोहराएं।

हल्दी

सामग्री :
एक चम्मच हल्दी पाउडर
एक चम्मच तिल का तेल
कैसे इस्तेमाल करें :
तिल के तेल में हल्दी पाउडर मिलकर पेस्ट बना लें।
अब प्रभावित स्थान पर इस पेस्ट को लगाएं और हल्के हाथ से मसाज करें।
इस प्रक्रिया को दिन में दो बार दोहराएं।

विटामिन्स

कैसे है उपयोगी :

इस संबंध में किए गए शोध में पाया गया कि विटामिन सी और ई का संयुक्त इस्तेमाल साइटिका की समस्या में लाभदायक साबित होता है। इससे सूजन और दर्द में तो राहत मिलती ही है, साथ ही ये साइटिक नर्व की क्षति को भी ठीक करने में मददगार साबित होते हैं। वैज्ञानिक अध्ययन में विटामिन-सी और ई के संयुक्त इस्तेमाल से एंटी-नोकिसेप्टिव का प्रभाव भी पाया गया है इसके लिए विटामिन सी (जैसे – आम, पपीता, अनानास, तरबूज)और विटामिन ई (जैसे – वेजिटेबल ऑयल, नट्स व हरी पत्तेदार सब्जियां) युक्त खाद्य पदार्थों को अपने आहार में शामिल कर सकते हैं । वहीं, डॉक्टर की सलाह पर साइटिका का उपचार करने के लिए इनके सप्लीमेंट भी ले सकते हैं।

नींबू का रस

सामग्री :
आधा नींबू
एक गिलास पानी
एक चुटकी काला नमक स्वाद के लिए
कैसे इस्तेमाल करें :
एक गिलास पानी में एक चुटकी काला नमक और नींबू का रस मिला लें और पी जाएं।
इस प्रक्रिया को दिन में करीब दो बार दोहराएं

मेथी दाना


सामग्री :
एक चम्मच मेथी दाने का पाउडर
एक चम्मच दूध

कैसे इस्तेमाल करें :
मेथी दाने के पाउडर को दूध में मिलाएं।
प्रभावित स्थान पर तैयार पेस्ट को लगाएं।
वहीं लेप के सूख जाने पर इसे गर्म पानी से धो लें।
इस प्रक्रिया को दिन में करीब दो बार दोहराएं।

एलोवेरा

सामग्री :
एक एलोवेरा का पत्ता
एक कप पानी
चार से पांच बूंद नींबू का रस
शहद स्वादानुसार
कैसे इस्तेमाल करें :
एलोवेरा के पत्ते को काटकर बीच का गूदा निकाल लें।
इस गूदे को एक कप पानी से साथ मिक्सर में डालें और जूस बना लें।
अब तैयार जूस को गिलास में निकालें और नींबू व शहद मिलाकर सेवन करें।
इस प्रक्रिया को दिन में करीब दो बार दोहराएं।

सेब का सिरका

सामग्री :
एक गिलास गुनगुना पानी
दो चम्मच सेब का सिरका
एक चम्मच शहद स्वाद के लिए
कैसे इस्तेमाल करें :
एक गिलास गुनगुने पानी में सेब का सिरका और शहद मिलाकर सेवन करें।
इस मिश्रण का दिन में दो बार सेवन करें।

साइटिका का आयुर्वेदिक उपचार-

सिंहनाद गुग्गुल
विषतिन्दूक वटी
त्रयोदशांग गुगलु
मकरध्वज रस
एकांगवीर रस
वृहत् वात चिंतामणि रस,
वातगजंकुश रस,
गोदंती भस्म,
शिलाजीत्वादी लौह,
अश्वगंधा चूर्ण,
अजमोदादि चूर्ण,
महारास्नादि क्वाथ ,
दशमूल क्वाथ,
अश्वगंधारिष्ट,
आदि आयुर्वेदिक औषधि का उपयोग किया जाता है। इसके साथ ही कई सारी पेटेंट औषधियों का प्रयोग भी लाभकर होता है।

अन्य चिकित्सा पैथी में में उपचार

एलोपैथी में sciatica दर्द का उपचार पेन किलर  दवाइयों तथा स्टेरॉयड का उपयोग किया जाता है। sciatica का दर्द कम ना होने पर शल्य चिकित्सा  द्वारा इसका ऑपरेशन भी किया जाता है।
फिजियो थेरेपी में sciatica का इलाज विशेष प्रकार की एक्सरसाइज  करवा कर किया जाता है। विशेष प्रकार की एक्सरसाइज की मदद से sciatica नर्व पर आए दबाव को कम कर कर उपचार किया जाता है।

एक्सरसाइज भी है जरूरी – 

साइटिका पर किए गए शोध बताते हैं कि इसका सबसे बेहतर उपचार व्यायाम होता है। नियमित व्यायाम करने से कमर की मांसपेशियों में मजबूती आती है साथ ही साथ दर्दनिवारक हार्मोंन्स का स्राव भी बढ़ता है। इसके अलावा अगर आपको दिनभर कुर्सी पर बैठना होता है तो हमेशा सीधे बैठने की कोशिश करें, या फिर कुर्सी में कमर के हिस्से पर तकिया लगा लें।

क्या करें

गुनगुना पानी पिएं, धूप लें, वजन कम करें, घर का खाना खाएं, गाय का घी, गाय का दूध, ओलिव ऑयल, तिल का तेल, मछली का तेल, गेहूं, लाल चावल, अखरोट, मुनक्का, किशमिश, सेब, अनार, आम, आैर इमली का प्रयोग करें।

क्या न करें


तैलीय खाना, मसालेदार खाना, ठंडा खाना, बासी खाना, अधिक व्यायाम, ओवर ईटिंग, दिन में सोना, रात में जागना, जामुन, सुपारी, अरहर की दाल, मूंग की दाल आदि से दूर रहें।

विशिष्ट परामर्श-  


संधिवात,कमरदर्द,गठिया, साईटिका ,घुटनो का दर्द आदि वात जन्य रोगों में जड़ी - बूटी निर्मित हर्बल औषधि ही अधिकतम प्रभावकारी सिद्ध होती है| रोग को जड़ से निर्मूलन करती है| औषधि से बिस्तर पकड़े पुराने रोगी भी दर्द मुक्त गतिशीलता हासिल करते हैं| बड़े अस्पतालों के महंगे इलाज़ के बावजूद निराश रोगी इस औषधि से आरोग्य हुए हैं|  त्वरित असर औषधि के लिए वैध्य श्री दामोदर से 98267-95656 पर संपर्क कर सकते हैं|













19.8.21

जामुन का सिरका के फायदे और नुकसान:Jamun ka sirka



जामुन और जामुन के बीजों के कई सेहत लाभ होते हैं। ये फल डायबिटीज रोगियों के ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल में रखता है। यही नहीं इसका रस या सिरका भी कई गुणों से भरपूर होता है। जामुन से तैयार जूस या इसका सिरका कई सौंदर्य लाभ प्रदान करता है। इसमें विटामिन सी, एंटी-ऑक्सीडेंट्स, आयरन, कैल्शियम जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसके अलावा, जामुन में ग्लूकोज, फ्रुक्टोज और सभी महत्वपूर्म लवण भी होते हैं।

जामुन का सिरका के फायदे-

कब्ज की समस्या करे दूर जामुन विनेगर

पाचन तंत्र से संबंधित समस्या से रहते हैं परेशान, तो आप जामुन का सिरका का सेवन कर सकते हैं। पेट के कई रोगों का जड़ से इलाज करता है जामुन का रस। जिन लोगों को गैस, पेट दर्द, कब्जा, की समस्या लगातार बनी रहती है, उन्हें जामुन के सिरके का सेवन करने से लाभ पहुंचता है। इतना ही नहीं, किडनी में स्टोन है, तो इस सिरका के सेवन से स्टोन धीरे-धीरे टूट कर गल जाता है और शरीर से बाहर निकल जाता है। उल्टी जैसा महसूस हो तो भी आप एक गिलास पानी में जामुन के सिरके को मिलाकर पी सकते हैं।

मौसम बदलते ही लोग सर्दी-खांसी से परेशान हो जाते हैं। आजकल कोरोना काल में खांसी होना डराने वाला होता है, क्योंकि कोरोने के मुख्य लक्षणों में सूखी खांसी भी शामिल है। आपको भी खांसी है, तो जामुन का सिरका पिएं। यह जिद्दी कफ को भी बाहर निकालता है। साथ ही आप गला खराब या गले में खराश होने पर भी जामुन का सिरका पी सकते हैं।

डायबिटीज होने पर शुगर लेवल बढ़ जाता है। ऐसे में डायबिटीज रोगियों को अपने खानपान में कुछ ऐसी चीजों को शामिल करना चाहिए जिससे शुगर लेवल हाई ना हो। इसके लिए आप जामुन के सिरका का सेवन करें। जामुन का सिरका आप हर दिन नाश्ते के समय लें। एक चम्मच सिरके को आधे से एक गिलास पानी में मिलाकर पिएं। इससे शुगर लेवल नियंत्रित रहता है।

मुंह के छाले हो सही

मुंह में छाले होने पर आप जामुन का सिरका पी लें। जामुन का सिरका पीने से आपके मुंह के छाले तुरंत सही हो जाएंगे। छालों के अलावा मूसड़ों में दर्द होने पर भी अगर जामुन का सिरका पीया जाए तो मसूड़ों का दर्द भी एकदम सही हो जाता है।

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़े

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी जामुन का सिरका  कारगर साबित होता है और रोज दो समय जामुन का सिरका पीने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता पर अच्छा असर पड़ता है। ऐसा कहा जाता है कि जो लोग रोजाना इसका सेवन किया करते हैं उनका शरीर अंदर से मजबूत बन जाता है और शरीर की रक्षा कई तरह के रोगों से होती है।

लीवर के लिए लाभदायक

जामुन का सिरका पीने से लीवर एकदम सही रहता है और अच्छे से कार्य करता है। लीवर के अलावा किडनी के लिए भी जामुन का सिरका फायदेमंद साबित होता है। जिन लोगों को लिवर में सूजन की समस्या हैं वह जामुन की गुठली के रस का सेवन अवश्य करें। अगर आप रोजाना जामुन के सिरके का सेवन करेंगे आके लिवर की समस्या ठीक होने लग जाएगी।

उल्टी आने पर पीएं सिरका

उल्टी आने पर आप जामुन के सिरके का सेवन करें। जामुन का सिरका पीने से मन एकदम सही हो जाएगा और उल्टी की समस्या से राहत मिल जाएगी। उल्टी के अलावा दस्त होने पर भी जामुन का सिरका पीया जाए तो दस्त एकदम सही हो जाते हैं। यदि आपको बार बार उल्टी हो रही हैं तो आप 20 ग्राम जामुन के पत्ते लें अब इसको 400 मिली पानी में उबालें। यह पानी तब तक उबालें जब तक यह आधा न रह जाए। अब यह पानी ठंडा होने पर पिए। इससे आपकी उल्टी बंद हो जाएगी।

विटामिन सी की कमी हो पूरी

जामुन के सिरके में विटामिन सी अच्छी मात्रा में मौजूद होता है। इसलिए शरीर में विटामिन सी की कमी होने पर आप जामुन का सिरका  पीएं। इसे पीने से शरीर में विटामिन की कमी पूरी हो जाएगी

जामुन सिरका के सौंदर्य लाभ

जामुन में पानी अधिक होने से यह त्वचा को हाइड्रेट रखता है। जामुन खाने से खून साफ होता है। त्वचा को ग्लोइंग बनाने के लिए जामुन का सिरका पी सकते हैं। इससे खून में मौजूद टॉक्सिन बाहर निकलता है। जामुन में विटामिन सी की मात्रा अधिक होती है। विटामिन सी त्वचा के लिए हेल्दी होता है। आप जामुन के जूस या सिरका को त्वचा पर लगाएंगे तो स्किन में निखार आएगी| जामुन का सिरका चेहरे के लिए काफी फायदेमंद होता है. इसके साथ ही मुंहासों को कम करने के लिए भी जामुन का सिरका काफी कारगार साबित होता है.

किडनी स्टोन-

यह किडनी की समस्‍याओं से परेशान लोगों के लिए जादुई उपाय की तरह काम करता है. जामुन का सिरका किडनी स्‍टोन को तोड़ने में सक्षम है और उन्हें आपके शरीर से बाहर निकालने में मदद करता है

18.8.21

भोजन के साथ पापड़ खाने के फायदे और नुकसान:papad khane ke nuksan



हमारे देश के ज्यादातर हिस्सों में भोजन के साथ पापड़ खाए जाने की परंपरा है। लेकिन सबसे अधिक पापड़ खाने का चलन राजस्थान में है। हालांकि देश में सबसे अधिक पसंद किए जानेवाले पापड़ गुजरात राज्य के हैं। देशभर में शादी-ब्याह और त्योहारों पर पकवान के साथ पापड़ बनाए जाते हैं। खाने का स्‍वाद बढ़ाने के लिए अगर आप भी साथ पापड़ खाते हैं तो अब इसके नुकसान भी जान लें। ये चटपटा और तीखा पापड़ आपकी जीभ को भले ही तसल्‍ली दे लेकिन पेट और सेहत पर भारी पड़ सकता है। भले ही आप तर्क दें कि पापड़ को दूसरों की तरह तलने की बजाय आप भून कर या रोस्‍ट करके खाते हैं, लेकिन तब भी आपको इस स्‍नैक के साइड इफेक्‍ट जान ही लेने चाहिए।

पाचन सही करता है पापड़

पापड़ को भोजन करने के अंत में खाया जाता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि पापड़ सुपाच्य होता है और जब हम बहुत अधिक गरिष्ठ भोजन (हाई कैलरी फूड या बहुत तला-भुना और मसालेदार भोजन) करते हैं तो पापड़, उस भोजन को पचाने में हमारे पाचनतंत्र की सहायता करता है।

गुण और स्वाद का मिश्रण

आमतौर पर पापड़ मूंगदाल और उड़द की दाल के बनाए जाते रहे हैं। इन दाल को रातभर पानी में भिगोकर और महीन पीसकर पापड़ तैयार करने की पुरानी परंपरा है।
-साथ ही इन पापड़ को बनाते समय इनमें अजवाइन, काली मिर्च का पाउडर और हल्का नमक मिलाया जाता है। ये तीनों चीजें पापड़ का स्वाद बढ़ाने क साथ ही इसके गुणों में भी वृद्धि करती हैं।

पापड़ खाने के नुकसान-

खाने के साथ कई लोग सलाद की तरह पापड़ खाना भी बहुत पसंद करते हैं। यकीनन चावल, दाल, छोले और राजमा आदि के साथ पापड़ खाने का मजा ही अलग है। लेकिन क्या आपको पता है कि चटपटा और कुरकुरा पापड़ आपके स्वास्थ्य का स्वाद बिगाड़ सकता है? दरअसल पापड़ कई तरह के होते हैं और इन्हें विभिन्न प्रकार के आटे से तैयार किया जाता है। इसे स्वादिष्ट बनाने के लिए इसमें कई तरह के आर्टिफिशियल फ्लेवर्स और कलर एड किये जाते हैं, जो कि सेहत पर बुरा असर डाल सकते हैं।

सोडियम बेंजोएट की अधिक मात्रा- 

पापड़ में सोडियम बेंजोएट जैसे प्रीज़र्वटिव (यानि पापड़ को लंबे समय तक सही रखने का तत्व) की मात्रा अधिक होती है। सोडियम बेंजोएट से आपके शरीर पर कई हानिकारक प्रभाव पड़ते हैं। एक अध्ययन के अनुसार, सोडियम बेंजोएट और आर्टफिशल कलर के मिश्रण से बच्चों में अतिसक्रियता बढ़ सकती है। इसका मतलब हुआ कि ज्यादा पापड़ खाने से आपका स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है।

नमक की अधिक मात्रा-

 इसमें नमक की मात्रा सोडियम बेंजोएट का स्रोत बन जाता है। जाहिर है नमक की अधिक मात्रा भी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है। ये हाइपरटेंशन, हार्ट डिजीज़, पानी की कमी और सूजन का कारण बन सकता है।

एसिडिटी का जोखिम- 

बाज़ार में उपलब्ध पापड़ को विभिन्न तरह के मसालों से तैयार किया जाता है। इससे आपका पाचन तंत्र प्रभावित हो सकता है और आपको एसिडिटी की समस्या हो सकती है।

तेल की अधिक मात्रा- 

लोग पापड़ को तलने के बाद खाना ज्यादा पसंद करते हैं। जाहिर है तलने से इसमें भी तेल की मात्रा भी अधिक हो जाती है। ये आपका कोलेस्ट्रॉल लेवल को बढ़ाकर आपको हृदय रोगों की ओर ले जा सकता है।
*माना जाता है कि दो पापड़ एक रोटी के बराबर होता है। अब अगर आप डाइटिंग कर रहे हैं और कम खाने के चक्‍कर में पापड़ से पेट भर रहे हैं तो समझ जाएं कि वजन कम होना मुश्‍किल है

भुना हुआ पापड़ भी सही नहीं होता है-

कुछ लोग ऐसा मानते हैं कि भुना हुआ पापड़ फ्राई पापड़ से अच्छा होता है। एक अध्ययन के अनुसार, पापड़ को फ्राई करने पर उसमें मौजूद सोडियम बेंजोएट के कारण एक्रिलामाइड का गठन होता है। ये एक कैंसरकारी कारक है। ठीक इसी तरह पापड़ को रोस्टेड करने पर एक्रिलामाइड का पूरी तरह से गठन हो जाता है।

गंदे तरीके से बना हो सकता है- 

पापड़ को बनाने का तरीका आपके लिए चिंता का विषय हो सकता है। इसे धूप में खुले स्थान पर सुखाया जाता है। जाहिर है खुले स्थान पर वायु प्रदूषण के कारण ये ख़राब हो सकता है।