18.8.19

हड्डियों के जोड़ मजबूत करने के आहार



हमारी हड्डियां कैल्शियम, फॉस्फोरस, प्रोटीन व अन्य कई प्रकार के मिनरल से मिलकर बनी होती हैं। किंतु अनियमित जीवनशैली, खान-पान व शारीरिक निष्क्रीयता की वजह से ये मिनरल खत्म होने लगते हैं, जिससे हड्डियों का घनत्व (बोन डेंसिटी) कम होने लगता है और धीरे-धीरे वो घिसने और कमजोर होने लगती हैं। कई बार हड्डीयों में यह कमजोरी इतनी हो जाती है कि मामूली सी चोट लगने पर भी फ्रैक्चर हो जाता है।
जॉइंट्स यानी हड्डियों का जोड़ हमें मजबूती देने के साथ-साथ ईजी मोबिलिटी में भी मदद करते हैं। ऐसे में अगर जॉइंट्स स्मूथली काम न करे तो हमें कई तरह की परेशानियों और दर्द का सामना करना पड़ सकता है। लिहाजा ये बेहद जरूरी है कि जॉइंट्स के साथ हमारा अच्छा रिश्ता बना रहे।
भारत मे आज कल हड्डियों से जुड़ी समस्या बहुत आम बात हो गई है। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जाती है, हड्डी, जोड़ और कमर का दर्द जीवन का अभिन्न अंग बन जाता है। आज हर दस में से लगभग चार स्त्रियों और चार में से एक पुरुष को हड्डी से जुड़ी कोई न कोई समस्या घेरे रहती है। पर ध्यान रहे, हड्डियां रातों-रात कमजोर नहीं होतीं। यह प्रक्रिया सालों-साल चलती है। डॉक्टरों का मानना है कि 15-25 वर्ष तक की उम्र में हड्डियों का मास यानी द्रव्यमान पूर्ण रूप से विकसित हो जाता है। ऐसे में बचपन और युवावस्था के समय का खान-पान, पोषण, जीवनशैली और व्यायाम आगे चल कर हड्डियों की सेहत को निर्धारित करने वाले कारक बनते हैं।हड्डियों कमजोर होने के कारण और हड्डियों का खोखलापन होने से सिल्पडिकस, थोड़ी सी चोट से टुट जाना, हड्डियों का दर्द होना, हड्डी भूरभरी होना आदि|
हड्डियों से जुड़ी समस्या के उपचार -
पिस्ता, अखरोट और बादाम-
ये कुछ ऐसे ड्राई फ्रूट्स हैं जिनमें कैल्शियम, मैग्नीशियम, विटमिन ई, प्रोटीन और अल्फा-लिनोलेनिक भरपूर मात्रा में पाया जाता है जो हमारे इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने में मदद करता है। खासकर अखरोट में ओमेगा 3 फैटी ऐसिड भरपूर मात्रा में पाया जाता है जो ऑस्टियोआर्थराइटिस और रूमेटाइड आर्थराइटिस से छुटकारा पाने में मदद करता है।


पालक

ऐंटिऑक्सिडेंट्स से भरपूर पालक ऑस्टियोआर्थराइटिस को कम करने में मदद करने के साथ ही सूजन, जलन और दर्द को भी कम करता है। आप चाहें तो पालक का सूप, जूस, पालक की सब्जी या फिर कई अलग-अलग तरीकों से पालक को अपनी डायट में शामिल कर सकते हैं।
*ब्रॉकली
*ब्रॉकली मे सल्फोराफेन पाया जाता है जो जोड़ों के दर्द की तकलीफ को कम करने के साथ ही रूमेटाइड आर्थराइटिस के लक्षणों को भी कम करने में मदद करता है। ब्रॉकली खाने का ढेरों फायदा आपको मिले इसके लिए इसे अपने सलाद या फिर स्टर-फ्राई सब्जी में यूज करें।
मछली
साल्मन, ट्यूना और ट्रॉट जैसी मछलियों की वरायटी में ओमेगा 3 फैटी ऐसिड भरपूर मात्रा में होता है जो सूजन-जलन और उत्तेजना से लड़कर जोड़ों के दर्द को तुरंत कम करने में मदद करता है। इन मछलियों में विटमिन डी की मात्रा भी काफी अधिक होती है जो आर्थराइटिस और उस जैसी कई बीमारियों के लक्षणों को कम करता है।
जोड़ मजबूत करने के निम्न उपाय भी बहुत महत्व पूर्ण है-
१) रिफाईनड तेल खाना छोड दें । रिफाइंड तेल में ज्यादा लाईपो कैमिकल होता है और यह शरीर के केल्सियम को मूत्र के जरिये बाहर निकालता है। केल्शियम अल्पता से अस्थि-भंगुरता होती है। रिफाइंड की बजाय कच्ची घाणी का तेल प्रचुरता से उपयोग करें।
२) प्रतिदिन बाजरा और तिल का तेल उपयोग करें। यह ओस्टियो पोरोसिस( अस्थि मृदुता) का उम्दा इलाज है।खोखली और कमजोर अस्थि-रोगी को यह उपचार अति उपादेय है।
३) एक चम्मच शहद नियमित तौर पर लेते रहें। यह आपको अस्थि भंगुरता से बचाने का बेहद उपयोगी नुस्खा है।
४) दूध केल्सियम की आपूर्ति के लिये श्रेष्ठ है। इससे हड्डिया ताकतवर बनती हैं। गाय या बकरी का दूध भी लाभकारी है।
५) विटामिन “डी ” अस्थि मृदुता में परम उपकारी माना गया है। विटामिन डी की प्राप्ति सुबह के समय धूपमें बैठने से हो सकती है। विटामिन ’डी” शरीर में केल्सियम संश्लेशित करने में सहायक होता है।शरीर का २५ प्रतिशत भाग खुला रखकर २० मिनिट धूपमें बैठने की आदत डालें।


६) एक गेहूं के दाने के समान चूना तरल पदार्थ में मिलाकर खाये, यह कैल्शियम का अच्छा स्रोत हैं ।(पथरी का रोगी चुना ना खाये)
७) तिल के उत्पाद अस्थि मृदुता निवारण में महत्वपूर्ण हैं। इससे औरतों में एस्ट्रोजिन हार्मोन का संतुलन बना रहता है। एस्ट्रोजिन हार्मोन की कमी महिलाओं में अस्थि मृदुता पैदा करती है।तिल का तेल उत्तम फ़लकारक होता है।
८) केफ़िन तत्व की अधिकता वाले पदार्थ के उपयोग में सावधानी बरतें। चाय और काफ़ी में अधिक केफ़िन तत्व होता है। दिन में बस एक या दो बार चाय या काफ़ी ले सकते हैं।
९) बादाम अस्थि मृदुता निवारण में उपयोगी है। ११ बादाम रात को पानी में गलादें। छिलके उतारकर गाय के २५० मिलि दूध के साथ मिक्सर या ब्लेन्डर में चलावें। नियमित उपयोग से हड्डियों को भरपूर केल्शियम मिलेगा और अस्थि भंगुरता का निवारण करने में मदद मिलेगी।
१०) बन्द गोभी में बोरोन तत्व पाया जाता है। हड्डियों की मजबूती में इसका अहम योगदान होता है। इससे खून में एस्ट्रोजीन का स्तर बढता है जो महिलाओं मे अस्थियों की मजबूती बढाता है। पत्ता गोभी की सलाद और सब्जी प्रचुरता से इस्तेमाल करें।
११) नये अनुसंधान में जानकारी मिली है कि मेंगनीज तत्व अस्थि मृदुता में अति उपयोगी है। यह तत्व साबुत गेहूं,पालक,अनानास,तिल और सूखे मेवों में पाया जाता है। इन्हें भोजन में शामिल करें।
१२) विटामिन “के” रोजाना ५० मायक्रोग्राम की मात्रा में लेना हितकर है। यह अस्थि भंगुरता में लाभकारी है।
१३) सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि हड्डियों की मजबूती के लिये नियमित व्यायाम करें और स्वयं को घर के कामों में लगाये रखें।
१४) भोजन में नमक की मात्रा कम कर दें। भोजन में नमक ज्यादा होने से सोडियम अधिक मात्रा मे उत्सर्जित होगा और इसके साथ ही केल्शियम भी बाहर निकलेगा।
१५) २० ग्राम तिल थोडे से गुड के साथ मिक्सर में चलाकर तिलकुट्टा बनालें। रोजाना सुबह उपयोग करने से अस्थि मृदुता निवारण में मदद मिलती है।
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सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस(गर्दन का दर्द) के उपचार

वजन कम करने के लिए कितना पानी कैसे पीएं?

प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ने से पेशाब रुकावट की कारगर हर्बल औषधि

सेक्स का महारथी बनाने वाले आयुर्वेदिक नुस्खे


आर्थराइटिस(संधिवात),गठियावात ,सायटिका की तुरंत असर हर्बल औषधि

खीरा ककड़ी खाने के जबर्दस्त फायदे

महिलाओं मे कामेच्छा बढ़ाने के उपाय

मुँह सूखने की समस्या के उपचार

गिलोय के जबर्दस्त फायदे

इसब गोल की भूसी के हैं अनगिनत फ़ायदे

कान मे तरह तरह की आवाज आने की बीमारी

छाती मे दर्द Chest Pain के उपचार

सिर्फ आपरेशन नहीं ,किडनी की पथरी की १००% सफल हर्बल औषधि

किडनी फेल रोगी का डाईट चार्ट और इलाज

तिल्ली बढ़ जाने के आयुर्वेदिक नुस्खे

यौन शक्ति बढ़ाने के अचूक घरेलू उपाय/sex power

कई बीमारियों से मुक्ति द‍िलाने वाला है गिलोय


किडनी स्टोन के अचूक हर्बल उपचार

स्तनों की कसावट और सुडौल बनाने के उपाय

लीवर रोगों के अचूक हर्बल इलाज

सफ़ेद मूसली के आयुर्वेदिक उपयोग

दामोदर चिकित्सालय शामगढ़ के आशु लाभकारी उत्पाद

मेथी का पानी पीने के जबर्दस्त फायदे


खांसी-जुकाम दूर करने के नुस्खे


खांसी-जुकाम हर बदलते मौसम के साथ आने वाली समस्या है। खांसीबैक्टीरियल या वायरल इन्फेक्शन, एलर्जी, साइनस इन्फेक्शन या ठण्ड के कारण हो सकती है लेकिन हमारे देश में हर परेशानी के लिए लोग डॉक्टरों के पास नहीं जाते। हमारी ही किचन में कई ऐसे नुस्खे छिपे होते हैं जिनसे खांसी-जुकाम जैसी छोटी-मोटी बीमारियां फुर्र हो जाती हैं।
इन सामान्य सी दिखने वाली बीमारियों का अगर सही समय पर उपचार न किया जाए तो ये आपके शरीर में गंभीर समस्या पैदा कर देती है। खांसी भी एक ऐसी समस्या है, जो मौसम में बदलाव से आपको दिक्कत दे सकती है। मौसम की जरा सी करवट लोगों को खांसी और जुकाम जैसी समस्याएं दे सकती है। अगर खांसी का समय रहते इलाज न किया जाए तो ये टीबी का रूप ले सकती है। हालांकि खांसी होने पर ये पता होना जरूरी है कि आपको कैसी खांसी है। सूखी खांसी और बलगम वाली खांसी ज्यादातर लोगों को परेशान करती है।'
खांसी चाहे बड़े को हो या फिर बच्चों को सभी को परेशान कर देती है। ये एक ऐसी समस्या है जो घर के किसी भी सदस्य को होने पर पूरे घर को तकलीफ में डाल देती है। खांसी होने पर इंसान को अपने सभी काम करने में दिक्कत आती है और उसका किसी भी काम में मन नहीं लगता। अगर आप भी बाजार से खांसी का सिरप ले लेकर परेशान हो गए हैं और आपकी खांसी जाने का नाम नहीं ले रही है तो हम आपको इसी समस्या से निजात पाने का बेहद आसान और अचूक उपाय बताने जा रहे हैं, जिसे आजमाकर आप मिनटों में खांसी की समस्या से छुटकारा पा सकते हैं।
खांसी को दूर करने के असरदार उपाय


लहसुन

लहसुन की कलियों को कच्चा चबाएं या इसे पानी में उबालकर काढ़े के रूप में इसका इस्तेमाल करें। दोनों ही तरीकों से यह फायदेमंद है। तीखेपन को दूर करने के लिए इसमें स्वादानुसार शहद की मात्रा मिलाई जा सकती है।
*अगर आपको सूखी खांसी है तो एक बतासे में थोडा सा लौंग का तेल लगाकर खा लें। ऐसा करने से आपको सूखी खांसी में काफी राहत मिलेगी।
नमक वाला पानी
सूखी हो या कफ, दोनों ही प्रकार की खांसी के इलाज में नमक मिला पानी पिएं, साथ ही इससे गारगल भी करें। इसकी गर्माहट मिलने से गले में हो रही परेशानियों दूर होती हैं।
इसके अलावा आप सूखी खांसी से राहत पाने के लिए आप मुंह में सौंफ रखकर चबाएं। नियमित रूप से ऐसा करने से खांसी से छुटकारा मिलता है।
तुलसी
तुलसी के पत्ते कई प्रकार की बीमारियों को दूर करते हैं। खांसी के साथ ही सर्दी-जुकाम की समस्या भी बनी हुई है तो लहसुन, अदरक, काली मिर्च, अजवाइन और तुलसी की पत्तियों को एक साथ उबालकर इसका काढ़ा बनाएं। बहुत ही असरदार इलाज है। यहां तक कि डॉक्टर भी इसे पीने की सलाह देते हैं।
नींबू
नींबू का रस सेहत से लेकर सुंदरता तक को बढ़ाने में बहुत ही फायदेमंद होता है। खांसी की समस्या से बहुत ज्यादा परेशान हैं तो नींबू के रस में हल्का सा शहद मिलाकर दिन में कम से कम 3-4 बार पिएं। बहुत जल्द आराम मिलेगा।
गाय का घी 
खांसी से छुटकारा पाने का सबसे अचूक तरीका है गाय के घी को लेकर उसे छाती पर मलना। दिन में दो बार ऐसा करने से भी खांसी में जल्दी आराम मिलता है।

शहद में आंवले का पाउडर
अगर आप खांसी की समस्या को जड़ से मिटाने चाहते हैं तो एक चम्मच शहद में आंवले के पाउडर की थोड़ी मात्रा मिलाएं और सुबह-शाम उसका उसका सेवन करें। नियमित रूप से ऐसा करने से खांसी की समस्या से राहत मिलेगी।



सरसों तेल की मालिश

दवाईयां खाने के बाद भी अगर खांसी कम नहीं हो रही है और खांसते-खांसते आपके सीने में दर्द हो गया है, तो आप सरसों तेल को गर्म करके उसमे थोडा कपूर मिला कर अच्छी तरह से छाती और पीठ की मालिश करें। दिन में तीन बार तक ऐसा करने से खांसी की समस्या और दर्द से छुटकारा मिलता है।

अगर आप जल्द से जल्द खांसी को ठीक करना चाहते हैं तो एक चम्मच हल्दी पाउडर को दूध में मिलाकर पीएं। ऐसा करने से खांसी की समस्या से निजात मिलती है।
अदरक
अदरक के टुकड़ों को शहद के साथ मिलाकर चबाएं। इसके अलावा अदरक का जूस निकालकर उसमें शहद की कुछ बूंदे मिलाकर पीना भी बहुत ही फायदेमंद रहेगा।
शहद
सिर्फ शहद चाटना भी खांसी दूर करने का कारगर फॉर्मूला है। रात को सोने से पहले 1 चम्मच शहद पिएं। इसकी एंटी-बैक्टीरियल तत्व खांसी से जल्द राहत दिलाता है।
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सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस(गर्दन का दर्द) के उपचार

वजन कम करने के लिए कितना पानी कैसे पीएं?

प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ने से पेशाब रुकावट की कारगर हर्बल औषधि

सेक्स का महारथी बनाने वाले आयुर्वेदिक नुस्खे


आर्थराइटिस(संधिवात),गठियावात ,सायटिका की तुरंत असर हर्बल औषधि

खीरा ककड़ी खाने के जबर्दस्त फायदे

महिलाओं मे कामेच्छा बढ़ाने के उपाय

मुँह सूखने की समस्या के उपचार

गिलोय के जबर्दस्त फायदे

इसब गोल की भूसी के हैं अनगिनत फ़ायदे

कान मे तरह तरह की आवाज आने की बीमारी

छाती मे दर्द Chest Pain के उपचार

सिर्फ आपरेशन नहीं ,किडनी की पथरी की १००% सफल हर्बल औषधि

किडनी फेल रोगी का डाईट चार्ट और इलाज

तिल्ली बढ़ जाने के आयुर्वेदिक नुस्खे

यौन शक्ति बढ़ाने के अचूक घरेलू उपाय/sex power

कई बीमारियों से मुक्ति द‍िलाने वाला है गिलोय


किडनी स्टोन के अचूक हर्बल उपचार

स्तनों की कसावट और सुडौल बनाने के उपाय

लीवर रोगों के अचूक हर्बल इलाज

सफ़ेद मूसली के आयुर्वेदिक उपयोग

दामोदर चिकित्सालय शामगढ़ के आशु लाभकारी उत्पाद

मेथी का पानी पीने के जबर्दस्त फायदे

17.8.19

डिमेंशिया यानि की मनोभ्रंश के घरेलू आयुर्वेदिक उपचार



मनोभ्रंश स्मृति, सोच और सामाजिक क्षमताओं को प्रभावित करने वाले लक्षणों वाली एक बीमारी होती है जो आपके दैनिक जीवन में गंभीर रूप हस्तक्षेप करती है और कई समस्याएं उत्पन्न करती है जिसका समय से इलाज करना बहुत ही जरुरी है और इसका इलाज करने के कई घरेलू उपाय भी है जिनसे आप डिमेंशिया रोग को ठीक कर सकते है। यह कोई खास बीमारी नहीं है, लेकिन कई अलग-अलग बीमारियों की वजह से मनोभ्रंश की स्थिति पैदा हो सकती है। हालांकि मनोभ्रंश में आम तौर पर स्मृति हानि ही होती है, और इस स्मृति हानि के अलग-अलग कारण हैं। अल्जाइमर रोग की वजह से वयस्कों में होने वाली मनोभ्रंश की समस्या सबसे आम कारण है, लेकिन मनोभ्रंश के और भी कई कारण होते हैं।
डिमेंशिया के लक्षण कई रोगों के कारण पैदा हो सकते है. ये सभी रोग मस्तिष्क की हानि करते हैं. क्योंकि हम अपने सब कामों के लिए अपने मस्तिष्क पर निर्भर हैं, डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति अपने दैनिक कार्य ठीक से नहीं कर पाते. इन व्यक्तियों की याददाश्त कमजोर हो सकती है. उन्हें आम तौर के रोजमर्रा के हिसाब में दिक्कत हो सकती है, और वे अपना बैंक का काम करने में भी कठिनाई महसूस कर सकते हैं. घर पर पार्टी हो तो उसका आयोजन करना उनके लिए मुश्किल हो सकता है. कभी कभी वे यह भी भूल सकते हैं कि वे किस शहर में हैं, या कौन सा साल या महीना चल रहा है. बोलते हुए उन्हें सही शब्द नहीं सूझता. उनका व्यवहार बदला बदला सा लगने लगता है, और व्यक्तित्व में भी फ़र्क आ सकता है. यह भी हो सकता है के वे असभ्य भाषा का प्रयोग करें या अश्लील तरह से पेश आएँ, या सब लोगों से कटे-कटे से रहें. साल दर साल डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति की स्थिति अधिक खराब होती जाती है, और बाद की अवस्था में उन्हें साधारण से साधारण काम में भी दिक्कत होने लगती है, जैसे कि चल पाना, बात करना, या खाना ठीक से चबाना और निगलना, और वे छोटी से छोटी चीज के लिए भी निर्भर हो जाते हैं. वे बिस्तर पर पड़ जाते है, और उनका अंतिम समय आ जाता है. जब व्यक्ति में लक्षण नजर आने शुरू होते हैं तो आस-पास के लोग–परिवार-वाले, दोस्त और प्रियजन, सहकर्मी, पड़ोसी–यह समझ नहीं पाते कि व्यक्ति इस अजीब तरह से क्यों पेश आ रहा है. कभी व्यक्ति परेशान या भुलक्कड़ लगता है, तो कभी सहमा हुआ, तो कभी झल्लाया हुआ, या बेकार गुस्सा करता हुआ. बदला व्यक्तित्व अकसर चरित्र की खामी समझा जाता है. यदि व्यक्ति बुज़ुर्ग हों, तो परिवार वाले अकसर भूलने या अन्य लक्षणों को सामान्य बुढ़ापा समझ कर नज़रअंदाज़ करने की कोशिश करते हैं, पर डिमेंशिया का होना उम्र बढ़ने का सामान्य अंग नहीं है. यदि व्यक्ति चालीस पचास या उससे भी कम उम्र के हों, तो लक्षणों को तनाव का नतीजा समझा जा सकता है.जैसा की हमने आपको बताया डिमेंशिया यानि की मनोभ्रंश की स्थिति में व्यक्ति को स्मृति हानि होती है और व्यक्ति के लिए कुछ भी याद रखना मुश्किल हो जाता है जिससे दैनिक जीवन में कई तरह की परेशानियाँ पैदा हो जाती है


डिमेंशिया के लक्षणों के कुछ उदाहरण आइये देखें, डिमेंशिया के लक्षणों के कुछ उदाहरण. यह एक सांकेतिक सूची है, और डिमेंशिया से प्रभावित व्यक्ति में, रोग के बढते साथ ज्यादा और अधिक गंभीर लक्षण नज़र आते हैं. (याद रखें कि हर व्यक्ति में अलग अलग लक्षण नज़र आते हैं. एक व्यक्ति में यह सब लक्षण हों, यह ज़रूरी नहीं, और यह भी ज़रूरी नहीं कि यदि कोई ये लक्षण दिख रहे है तो उस व्यक्ति को डिमेंशिया है–यह जांच तो डॉक्टर ही कर सकते हैं) (यह भी ध्यान में रखें कि कुछ प्रकार के डिमेंशिया में शुरू में व्यक्ति की याददाश्त पूरी तरह से सही सलामत रहती है) ज़रूरी चीज़ें भूल जाना, खासकर हाल में हुई घटनाएँ (जैसे, नाश्ता करा था या नहीं) पार्टी का आयोजन न कर पाना, छोटी छोटी समस्याओं को भी न सुलझा पाना साधारण, रोज-मर्रे के काम करने में दिक्कत महसूस करना गलत किस्म के कपडे पहनना, कपडे उलटे पहनना, साफ़-सुथरा न रह पाना यह भूल जाना कि तारीख क्या है, कौन सा महीना है, साल कौन सा है, व्यक्ति किस घर में हैं, किस शहर में हैं, किस देश में किसी वस्तु का चित्र देखकर यह न समझ पाना कि यह क्या है नंबर जोड़ने और घटाने में दिक्कत, गिनती करने में दिक्कत बोलते या लिखते हुए गलत शब्द का प्रयोग करना, या शब्दों के अर्थ न समझ पाना चीज़ों को गलत, अनुचित जगह पर रख छोडना (जैसे कि घडी को, या ऑफिस फाइल को फ्रिज में रख देना) कुछ काम शुरू करना, फिर भूल जाना कि क्या करना चाहते थे, और बहुत कोशिश के बाद भी याद न कर पाना बड़ी रकम को फालतू की स्कीम में डाल देना, पैसे से सम्बंधित अजीब निर्णय लेना, लापरवाही या गैरजिम्मेदारी दिखाना अपने आप में गुमसुम रहना, मेल-जोल बंद कर देना, चुप्पी साधना छोटी-छोटी बात पर, या बिना कारण ही बौखला जाना, चिल्लाना, रोना, इत्यादि किसी बात को या प्रश्न को दोहराना, जिद्द करना, तर्क न समझ पाना बात बेबात लोगों पर शक करना, आक्रामक होना लोगों की भावनाओं को न समझना या उनकी कद्र न करना सामाजिक तौर तरीके भूल जाना, और अजीबोग़रीब बातें करना भद्दी भाषा इस्तेमाल करना, गाली देना, अश्लील हरकतें करना यह समझना बहुत ज़रूरी है कि डिमेंशिया मंदबुद्धि (mental retardation) नहीं है. यह सन्निपात, उन्माद या संकल्प प्रलाप (delirium) नहीं है. यह पागलपन (insanity) नहीं है. यह अम्नीसिया (स्मृति लोप, स्मृति भ्रंश, amnesia) नहीं है.

अदरक
मनोभ्रंश रोग के लिए अदरक एक बहुत ही बेहतर घरेलू उपचार है। अगर आप डिमेंशिया की बीमारी से पीड़ित है तो आप अदरक का सेवन करके आराम से इस बीमारी का इलाज कर सकते है। आप अदरक का सेवन चाय में भी कर सकती है और चाहें तो सीधे आप अदरक के टुकड़े भी खा सकते है और इसका लाभ ले सकते है।
नारियल तेल
मनोभ्रंश की बीमारी के लिए नारियल तेल का घरेलू नुस्खा भी अपनाया जा सकता है। नारियल तेल मस्तिष्क के संचार को बढ़ावा देता है और मनोभ्रंश के शुरुआती लक्षणों से पीड़ित लोगों में एक सामान्य अनुभूति पैदा करता है जिससे तंत्रिका क्षति होने से बचाया जा सकता है।


हल्दी

हल्दी आयुर्वेद में लंबे समय से इस्तेमाल होने वाला एक मसाला है जो डिमेंशिया के लिए बहुत ही उपयोगी घरेलू उपाय है। इसमें कर्क्यूमिन (curcumin) नामक एक यौगिक होता है, जिसमें एंटीऑक्सिडेंट और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। कई शोध से पता चलता है कि हल्दी मस्तिष्क स्वास्थ्य को भी बढ़ावा देती है और बीटा-एमिलॉइड (beta-amyloid) जो एक प्रोटीन का हिस्सा है वह मस्तिष्क को साफ करके अल्जाइमर रोग को दूर करने में मदद करता है। इसके अलावा, हल्दी मस्तिष्क के तंत्रिका कोशिकाओं को टूटने से बचाती है और मस्तिष्क स्वास्थ्य को ठीक रखती है।
केला
केला पोटेशियम का एक उत्कृष्ट स्रोत माना जाता हैं, जिसकी वजह से आप आसानी से डिमेंशिया का घरेलू उपचार कर सकते है। केला एक उत्कृष्ट वासोडिलेटर (vasodilator) कहलाता है, जो मस्तिष्क में ऑक्सीजन युक्त रक्त प्रवाह को बढ़ावा देता है और स्मृति हानि की संभावना को कम करता है और एकाग्रता में सुधार करता है।
अश्वगंधा
आयुर्वेदिक जड़ी बूटी अश्वगंधा भी डिमेंशिया का अच्छा आयुर्वेदिक इलाज है। कई प्रारंभिक अध्ययन में पाया गया है की अश्वगंधा को बीटा-एमिलॉइड के गठन को रोकने के लिए माना गया है। अश्वगंधा में ऑक्सीडेटिव तनाव (एक कारक जो अल्जाइमर रोग के विकास और प्रगति में योगदान करता है) को कम करके मस्तिष्क को लाभ पहुंचाने का गुण होता है                                                                         
पालक
पालक और अन्य पत्तेदार हरी सब्जियों में फोलेट और बी 9 की समृद्ध मात्रा पायी जाती हैं, जिसे डिमेंशिया के इलाज के लिए एक रामबाण इलाज माना जाता है। पालक अवसाद के जितने भी निम्न स्तर होते हैं, जो मनोभ्रंश का एक प्रमुख कारण भी हो सकते है, उनको ठीक करने का काम करते है।
गोभी
मनोभ्रंश रोग को ठीक करने के लिए आप गोभी का सेवन
भी कर सकते है जो एक अच्छा घरेलू तरीका है। यह क्रूसिफेरस सब्जी फोलेट और कैरोटीनॉयड दोनों का ही एक समृद्ध स्रोत माना जाता है, जो होमोसिस्टीन के स्तर को कम करने में मदद करता है। होमोसिस्टीन को मनोभ्रंश रोग के इलाज के लिए माना जाता है।


चीनी को अवॉइड करें 

सबसे पहले अपने खाने से मीठा , कार्बोहाइड्रेट तथा रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट  सभी को अलग कर दें। जब तक कि आपका वजन नियंत्रित नहीं हो जाता है, कार्बोहाइड्ट वाली चीजों को खाने से बचें। बहुत अधिक चीनी खो से भी दिमागी ऊतक  कमजोर होते हैं जिसका असर याद्दाश्त पर पड़ता है।
ग्रीन टी 
ग्रीन टी भी अच्छे स्वास्थ्य व अच्छे दिमागी विकास के लिए बेहद जरूरी है। ग्रीन टी पीने से शरीर में ऑक्सीजन (Oxygen) का संचार होता है और जमी हुई वसा  दूर होती है। इससे याद्दाश्त बढ़ती है और भूलने की समस्या दूर होती है।
बादाम 
बादाम भी तेज दिमाग के लिए फायदेमंद होता है। बादाम के तेल में वसा होती है जिसे खाने से चर्बी नहीं बढ़ती और दिमाग को अन्य पोषक तत्व ( भी मिलते हैं, जिससे न केवल शरीर बल्कि दिमाग भी स्वस्थ होता है।
सलमन मछली और अंडा 
ठंडे पानी में रहने वाली मछली सलमन और अंडे की जर्दी  दोनों ही दिमाग को तेज बनाती हैं। ऐसे में भोजन में दोनों को शामिल किया जाना बेहद जरूरी है। एक दिन में दो अंडे जरूर खाएं।


 


शराब पीने की पुरानी आदत से छुटकारा पाने के जबर्दस्त उपाय


आप सब जानते ही हो की शराब सेहत के लिए कितनी हानिकारक होती है | ये इंसान को अन्दर से खोखला कर देती है | शराब की लत इतनी बुरी होती है की इंसान सब कुछ भूलकर हिंसा करने लगता है | ये शराब पीने की लत दिन प्रतिदिन बढती जाती है | शराब पिने से आँखों में कमजोरी होने लगती है |प्रजनन क्षमता कम होने लगती है और फेफड़े , किडनी एवं गुर्दे भी ख़राब हो जाते है | शराब पिने की लत इतनी खातरनाक साबित हो सकती है की ये बच्चों , पत्नी और पुरे परिवार पर असर डालती है | घर के बच्चों पर बुरा प्रभाव डालती है |

शराब का सेवन शरीर के लिए बेहद खतरनाक होता है इस बात को सभी जानते हैं लेकिन शराब की लत छोड़ पाना हर किसी के बस की बात नहीं। शराब को छोड़ने के लिए ढृढ इच्छाशक्ति और सही आहार बेहद जरूरी है। शराब के सेवन से किडनी पर काफी बुरा असर पड़ता है और इससे शरीर में कई बीमारियां भी होती हैं। अक्सर लोगों को शराब छोड़ने के लिए काफी जद्दोजहद करनी पड़त है, जिसके कारण वह शराब को नहीं छोड़ पाते। कुछ लोग शराब की लत से छुटकारा पाना चाहते भी हैं। लेकिन छोड़ नहीं पाते। अगर आप भी उन लोगों में से हैं, जो शराब छोड़ने के लिए संघर्ष कर रहे हैं तो हम आपको ऐसे  तरीके बताने जा रहे हैं, जो इस मुश्किल भरे काम में आपकी मदद कर सकते हैं।


शराब की लत से छुटकारा पाने के आसान उपाय

करेले के पत्ते
तुलसी के पत्तों की तरह करेले के पत्ते भी शरीर से विषैले पदार्थ बाहर निकालने में मदद करते हैं और शराब की लत छुड़वाने में काफी मददगार साबित होते हैं। इसके लिए आपको करना यह है कि सबसे पहले करेले के पत्तों को पीस कर उसका रस निकाल लें। रस निकालने के बाद इसके दो चम्मच छाछ के साथ मिलाकर पीएं। नियमित रूप से ऐसा करने से शराब पीने की इच्छा में कमी आती है और शराब की लत भी दूर होती है।
गुनगुने पानी में एक चुटकी नमक
अगर आप अपनी शराब की आदत से छुटकारा पाना चाहते है | तब आप गुनगुने पानी में एक चुटकी नमक मिलाकर रोजाना पिए और उलटी करे | इससे आपके पेट के उपरी हिस्से की सफाई हो जाएगी | ऐसा करने से आपके शराब पीने की आदत भी धीरे - धीरे छुटती जाएगी |
किशमिश
शराब की लत से परेशान किसी भी व्यक्ति को जब शराब पीने की इच्छा करें तब उन्हें 2 से 4 किशमिश मुंह में रखें और उसे धीरे-धीरे चबाएं। नियमित रूप से ऐसा करने से शराब पीने की इच्छा में कमी आती है।


सल्फयूरिक एसिड

अगर आप घर के किसी व्यक्ति की शराब पीने की लत से परेशान है | तब आप किसी सोने चांदी के आभूषण बनाने वाला सुनार के पास से सल्फयूरिक एसिड ले आये | और शराबी व्यक्ति की शराब के पेग में सल्फ्यूरिक एसिड की चार बुँदे डाल दे | फिर उस व्यक्ति को पिला दे | ऐसा करने से व्यक्ति की पीने की इच्छा समाप्त होने लगेगी | लगातार ऐसा करने से कुछ ही दिनों मे शराब की इच्छा अपने आप ही समाप्त होने लगेगी |
अश्वगंधा
रोजाना एक गिलास दूध में 1 चम्मच अश्वगंधा पाउडर मिला कर पीने से शराब की लत से छुटकारा पाने में मदद मिलती है। दरअसल अश्वगंधा में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-ऑक्सीडेंट औषधीय गुण पाए जाते हैं, जो शराब की लत छुड़वाने में मदद करते हैं।
अजवायन
500 ग्राम अजवायन को 7 लीटर पानी में 2 दिन के लिए भिगो कर रख दे | फिर इसे धीमी आंच में इतना पकाए की पानी सिट कर 2 लीटर रह जाये | फिर पानी को ठंडा करके छान ले और एक साफ़ बोतल में भर कर रख ले | अब जब भी शराब पीने की इच्छा करे 5 चम्मच इसको पिए | ऐसा करने से शराब की लत जल्दी ही छुट जाएगी |
अंगूर खाने से
लगातार 25 से 30 दिन तक लगातार अंगूर खाने से शराब पीने की इच्छा मर जाती है | क्यूंकि शराब भी अंगूर और जौ से ही बनती है | अगर अंगूर का सेवन करेंगे तो स्वयं ही शराब पीने का मन नही करेगा | .
अदरक का तेल
अदरक के तेल की कुछ बूंदे शहद में मिला कर खाने से शराब की लत छोड़ने में मदद मिलती है। नियमित रूप से ऐसा करने से आपको शराब की लत छोड़ने में बड़ी आसानी होगी


गाजर का जूस

गाजर का जूस पीने के शराब पीने के इच्छा में कमी आती है, जिसके कारण इसे छोड़ पाना आसान हो जाता है। नियमित रूप से एक गिलास गाजर, अन्नास , संतरा और सेब का जूस आपको शराब पीने की लत से छुटकारा दिला सकता है।
करेला का जूस
शराब पीने से किडनी खराब हो जाती है | करेला ऐसा प्रभावशाली उपाय है | जिसका जूस नियमित सुबह पीने से शराब की आदत छुट जाएगी और ख़राब किडनी भी ठीक हो जाएगी | करेला बहुत कडवा होता है | करेला का जूस पीया नही जाता है तो आप इसको किसी और जूस या मठ्ठे के साथ मिलाकर भी पी सकते है।
तुलसी के पत्ते
तुलसी के पत्तों में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-ऑक्सीडेंट तत्व मौजूद होते हैं, जो शरीर की अशुद्धियां को साफ करने का काम करते हैं। नियमित रूप से तुलसी के पत्ते चबाने से शराब पीने की इच्छा में कमी आती है, जिसके कारण शराब की लत से छुटकारा मिलता है।







शतावरी का चूर्ण पुरुषों के लिए भी कायाकल्प करने वाला है



शतावरी आयुर्वेद गुणों से भरपूर महा औषधि ।
शतावरी एक चमत्कारी औषधि है जिसका उपयोग कई रोगों के इलाज में किया जाता है। शतावरी की खूबसूरत लता के रूप में घरों और बंगलों में भी लगाई जाती है। यह पौधा झाड़ीनुमा होता है, जिसमें फूल मंजरियों में एक से दो इंच लम्बे एक या गुच्छे में लगे होते हैं और फल मटर के समान पकने पर लाल रंग के होते हैं। इसके पत्ते हरे रंग के धागे जैसे सोया सब्जी की तरह खूबसूरत, उठल में शेर के नखों की तरह मुड़े हुए मजबूत कांटे, जड़ों में सैकड़ों की संख्या में हरी भूरी जड़ें जो इसका प्रमुख गुणकारी अंग शतावरी है मिलती है। इन जड़ों को ही ऊपर का पतला छिलका उतार सुखा कर औषधि रूप में प्रयोग करते हैं।
आयुर्वेद के आचार्यों के अनुसार , शतावर पुराने से पुराने रोगी के शरीर को रोगों से लड़ने क़ी क्षमता प्रदान करता है । इसे शुक्रजनन, शीतल , मधुर एवं दिव्य रसायन माना गया है । महर्षि चरक ने भी शतावर को बल्य और वयः स्थापक ( चिर यौवन को बरकार रखने वाला) माना है । आधुनिक शोध भी शतावरी क़ी जड़ को हृदय रोगों में प्रभावी मान चुके हैं।शतावरी आजमाएं और सेक्स लाइफ को स्पाइसी बनाएं। शतावरी एक प्रचीन जड़ी बूटी है। शतावरी चूर्ण के फायदे महिलाओं और पुरुषों के लिए होते हैं। लेकिन आज हम शतावरी चूर्ण के फायदे केवल पुरुषों के लिए क्‍या हैं यह जानेगें। पुरुषों के लिए शतावरी चूर्ण का उपयोग सदियों से प्रजनन समस्‍याओं को दूर करने के लिए किया जा रहा है। शतावरी चूर्ण के लाभ पुरुषों के शरीर में हार्मोनल संतुलन को बनाए रखने में सहायक होते हैं। ऐसा माना जाता है कि शतावरी चूर्ण में यौन उत्‍तेजक और यौन क्षमता बढ़ाने वाले गुण होते हैं। इसके अलावा भी शतावरी चूर्ण का इस्‍तेमाल कई स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं को दूर करने के लिए भी किया जाता है। पुरुषों के लिए शतावरी चूर्ण के लाभ वीर्य बढ़ाने, मधुमेह को रोकने, हृदय को स्‍वस्‍थ रखने, तनाव को कम करने आदि में होते है।



भारत, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका और चीन जैसे देशों में उत्पन्न होने वाली, शतावरी को अक्सर यौन शक्ति को बढ़ाने और बनाए रखने की सिद्ध क्षमता के कारण महान आयुर्वेदिक औषधी के रूप में जाना जाता है। अक्सर महिलाओं पर इसके जबरदस्त प्रभाव के लिए सराहना मिली है, लेकिन पुरुषों के लिए शतावरी भी बेहद फायदेमंद है।

शतावरी जड़ी बूटी के पाउडर को ही शतावरी चूर्ण के नाम से जाना जाता है। शतावरी को सौ रोगों की दवा कहा जाता है। शतावरी का वैज्ञानिक नाम एस्‍पैरगस रेसमोसस  है। शतावरी को महिलाओं के लिए चमत्‍कारिक जड़ी बूटी कहा जाता है। ल‍ेकिन यह जड़ी बूटी पुरुषों के लिए भी बहुत ही लाभकारी होती है। नियमित रूप से उपभोग करने के दौरान यह पुरुषों की शारीरिक क्षमता को बढ़ाने और कई प्रकार की गंभीर स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं को कम करने में सहायक होती है।
शतावरी का उपयोग सदियों से पुरुषों में यौन शक्ति बढ़ाने के लिए किया जाता रहा है। जब नियमित रूप से शतावरी को लिया जाता है, तो यह जड़ी बूटी यौन उत्तेजना और इरेक्शन को बढ़ाती है। कई तरह के यौन रोग से पीड़ित होने का दावा करने वाले कई पुरुषों ने दैनिक आधार पर शतावरी लेते समय लगातार सकारात्मक प्रभाव की सूचना दी है।
इस शक्तिशाली जड़ी बूटी को आहार में शामिल करने पर नपुंसकता के मामलों में काफी कमी आई है और यौन स्वास्थ्य और स्टेमिना में वृद्धि हुई है। परंपरागत रूप से, शक्तिशाली जड़ी बूटी को सत्व (Sattva) की सकारात्मकता और उपचार शक्ति बढ़ाने के लिए जाना जाता है। जब इस क्षेत्र में संतुलन बहाल किया जाता है, तो भागीदारों के बीच प्यार महसूस होता है।
शतावरी लेने वाले पुरुषों में यौन अंगों को मजबूत करने और प्रजनन प्रणाली में सूजन को कम करने की जड़ी-बूटी की वजह से यौन ऊर्जा में वृद्धि देखी जाती है। शरीर पर इसके सकारात्मक प्रभाव पुरुषों में यौन क्षमता को बढ़ा सकते हैं जो पहले भी अपने पार्टनर के साथ अच्छा यौन प्रदर्शन करने पर जोर देते थे। शतावरी लेने वाले पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन बढ़ाने के लिए भी दिखाया गया, शतावरी स्वाभाविक रूप से कामेच्छा में सुधार, जीवन शक्ति और पुरुषों द्वारा अनुभव की गई कामुक संवेदना को बढ़ाने के लिए काम करती है। बढ़ती उत्तेजना के अलावा, शतावरी को शुक्राणुओं की संख्या बढ़ाने के लिए भी दिखाया गया है जो प्रजनन प्रयासों में सहायता कर सकता है।
जो लोग अपना वजन कम करना चाहते हैं उनके लिए शतावरी चूर्ण का सेवन करना एक प्रभावी घरेलू उपाय है। ऐसा इसलिए है क्‍योंकि शतावरी के चूर्ण में घुलनशील और अघुलनशील दोनों प्रकार के फाइबर होते हैं। फाइबर की अच्‍छी मात्रा पाचन तंत्र को मजबूत करने के साथ ही आपके चयापचय को बढ़ाता है। इसके अलावा शतावरी चूर्ण का सेवन आपको अनावश्‍यक भूख से भी बचाता है। बार-बार भोजन करना भी मोटापे का प्रमुख कारण होता है। शतवारी के चूर्ण में वसा और कैलोरी दोनों की बहुत ही कम मात्रा में होते हैं। जो वजन कम करने में सहायक होते हैं। ऐसा नहीं है कि केवल शतावरी चूर्ण का सेवन करने मात्र से आप अपना वजन कम कर सकते हैं। लेकिन नियमित व्‍यायाम और वजन कम करने वाले अन्‍य उपायों के साथ शतावरी चूर्ण का सेवन आपके लिए फायदेमंद हो सकता है।
शतावरी जड़ी बूटी महिला और पुरुषों के लिए बहुत ही लाभकारी होती है। शतावरी चूर्ण के फायदे उन पुरुषों के लिए भी होते हैं जो मधुमेह रोगी हैं। मधुमेह और रक्‍तचाप संबंधी समस्‍याएं गुर्दे की क्षति का कारण बन सकती हैं। भारत में हुए एक पशू अध्‍ययन के अनुसार पता चलता है कि शातवरी का सेवन करने से किड़नी की क्षति को रोका जा सकता है। इसके अलावा नियमित रूप से शतावरी का सेवन करने पर शरीर में रक्‍त शर्करा और कोलेस्‍ट्रॉल के स्‍तरको भी निय‍ंत्रित किया जा सकता है। इस तरह से मधुमेह रोगी नियमित रूप से शतावरी चूर्ण का सेवन कर मधुमेह के लक्षणों को कम कर सकते हैं।
पाचन के लिए
शतावरी चूर्ण पुरुषों के लिए बहुत ही आवश्‍यक और फायदेमंद उत्‍पाद है। शतावरी के चूर्ण में बहुत से पोषक तत्‍व और खनिज पदार्थ उच्‍च मात्रा में होते हैं। शतावरी में आइसोफ्लेवोन्‍स, म्‍सूसिलेज और अल्‍कालॉइड होते हैं जो पाचन में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसके अलावा शतावरी का नियमित सेवन करने से इसके शीतलन प्रभाव पेट की परेशानियों को कम करने में सहायक होते हैं। इसमें मौजूद फाइबर की उच्‍च मात्रा पाचन तंत्र को स्‍वस्‍थ रखने के साथ ही चयापचय को भी बढ़ाने में सहायक होते हैं। यदि आप भी पाचन संबंधी समस्‍या से परेशान हैं तो शतावरी चूर्ण का सेवन करें। लेकिन यदि आप अन्‍य किसी गंभीर स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍या से भी ग्रसित हैं तो शतावरी चूर्ण का सेवन करने से पहले अपने डॉक्‍टर से अनुमति लेना आवश्‍यक है।


पुरुषों को संक्रमण से बचाए

शतावरी के चुर्ण में प्राकृतिक एंटीबायोटिक होते हैं। जिसके कारण नियमित रूप से शतावरी चूर्ण का सेवन करने के फायदे संक्रमण के कारण होने वाली स्वास्‍थ्‍य समस्‍याओं को रोकने में प्रभावी होते हैं। नियमित रूप से शतावरी चूर्ण का सेवन करने से दस्‍त, हैजा, पेचिश और स्‍टैफिओलोकस (Staphyoloccus) जैसी गंभीर बीमारियों को रोका जा सकता है। इसके अलावा शतावरी चूर्ण के औषधीय गुण प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में भी सहायक होते हैं। जिससे कोशिकाओं को फ्री रेडिकल्‍स के प्रभाव से बचाया जा सकता है। ये फ्री रेडिकल्‍स शरीर की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाती हैं जिससे कई प्रकार की स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याएं हो सकती है।
शतावरी के लाभ अल्‍सर में
कई अध्‍ययनों से पता चलता है कि शतावरी चूर्ण का उपयोग करने से पुरुषों को अल्‍सर जैसी समस्‍याओं से छुटकारा मिल सकता है। अल्‍सर एक ऐसी स्थिति है जिसमें पेट की सुरक्षात्‍मक परत टूट जाती है जिससे पेट के अंदूरी हिस्‍से एसिड के प्रभाव से क्षतिग्रस्‍त हो जाते हैं। इस प्रकार की स्थिति में शतावरी चूर्ण का सेवन करना पुरुषों के लिए फायदेमंद होता हे। 2006 में हुए एक पशु अध्‍ययन के अनुसार वैज्ञानिकों ने चूहों को शतावरी का नियमित सेवन कराया। जिसके परिणामस्‍वरूप हाइड्रोक्‍लोरिक एसिड का कम उत्‍पादन पाया गया। जिससे एैस्ट्रिक अल्‍सर के इलाज में मदद मिलती है। यदि आप या आपके आस-पास कोई व्‍यक्ति पेट के अल्‍सर से परेशान है तो उन्हें शतावरी चूर्ण का सेवन कराया जाना चाहिए।
बुखार दूर करे
प्रतिरक्षा शक्ति को मजबूत करने और वायरल संक्रमण को दूर करने की क्षमता शतावरी पाउडर में होती है। पुरुषों के लिए शतावरी चूर्ण के लाभ बुखार के लक्षणों को कम करने में भी सहायक होते हैं। नियमित रूप से सेवन करने के दौरान शतावरी का चूर्ण शरीर की सूजन और दर्द को नियंत्रित करने का सबसे अच्‍छा तरीका है। शरीर में अधिक सूजन ऑटोइम्‍यून (autoimmune) विकारों का कारण बन सकता है। इसलिए शरीर से विषाक्‍तता को दूर करने के लिए शतावरी चूर्ण को अपने दैनिक आहार में शामिल करना फायदेमंद होता है। आप भी बार-बार आने वाली बुखार और अन्‍य वायरल संक्रमण से छुटकारा पाने के लिए शतावरी चूर्ण का सेवन कर सकते हैं।
दर्द कम करे
शतावरी चूर्ण में पीड़ानाशक (analgesic) गुण होते हैं। जिसके कारण शारीरिक दर्द को कम करने के लिए शतावारी चूर्ण का सेवन फायदेमंद माना जाता है। शतावरी के चूर्ण में सैपोनिन, ट्राइटरपीन और अल्‍कालॉइड आदि की अच्‍छी मात्रा होती है। अध्‍ययनों से पता चलता है कि शतावरी के ये दर्द निवारक गुण पुरुषों में तेज दर्द के लक्षणों को कम कर सकते हैं। इसलिए अब यदि आपको सिर का दर्द हो तो इसके उपचार के लिए दर्दनाशक गोलियों का सेवन करने के बजाये शतावरी चूर्ण का सेवन करें। आप अपने दैनिक आहार में 3 से 6 मिलीग्राम को शामिल सिर दर्द जैसी समस्‍याओं से छुटकारा पा सकते हैं।
तनाव को कम करे
जिन लोगों को अत्‍याधिक तनाव या अवसाद होता है उनके लिए शतावरी चूर्ण की दवा से कम नहीं है। अधिक मात्रा में तनाव होना न केवल आपके मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य को प्रभावित करता है बल्कि यह शारीरिक स्‍वास्‍थ्‍य के लिए भी हानिकारक है। शतावारी चूर्ण का सेवन करने से प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूती मिलती है जिससे शरीर पर तनाव के हानिकारक प्रभाव को कम करने में मदद मिलती है। इसके अलावा एस्‍पैरगस चूर्ण का सेवन करने से पुरुषों को अपना मूड बनाने में भी सहायक होती है जिससे तनाव को कम किया जा सकता है। यदि आप अधिक काम, शारीरिक थकान या अन्‍य कारणों से तनाव ग्रस्‍त हैं तो शतावरी चूर्ण का सेवन करें। यह तनाव को कम करने का सबसे अच्‍छा घरेलू उपाय है।
मूत्र संक्रमण के लिए
मूत्र विकार संबंधी समस्‍याओं को दूर करने के लिए भी शतावरी चूर्ण बहुत ही प्रभावी होता है। यदि आप युरिन संक्रमण (urinary tract infection,UTI) से ग्रसित हैं तो नियमित रूप से शतावरी चूर्ण का सेवन करें। शतावरी को एक प्राकृतिक मूत्रवर्धक के रूप में जाना जाता है। जो शरीर में पेशाब की मात्रा को बढ़ाता है। जिससे मूत्र पथ में मौजूद संक्रामक बैक्‍टीरिया को पेशाब के द्वारा बाहर निकालने में मदद मिलती है। मूत्र वर्धक होने के कारण शतावरी चूर्ण के फायदे किड़नी स्‍वास्‍थ्‍य के लिए भी अच्‍छे होते हैं। नियमित उपभोग करने के दौरान यह शरीर में मौजूद अतिरिक्‍त नमक को भी पेशाब के साथ बाहर करने में सहायक होता है। इस तरह से मूत्र पथ संक्रमण रोगी के लिए भी शतावरी चूर्ण के फायदे होते हैं।
यौन स्‍वास्‍थ्‍य के लिए
महिलाओं के लिए शतावरी चूर्ण के फायदे सभी जानते हैं। नियमित रूप से सेवन करने पर यह महिलाओं की प्रजनन प्रणाली को स्‍वस्‍थ रखती है। लेकिन शतावरी के फायदे पुरुषों के यौन स्‍वास्‍थ्‍य के लिए भी लाभदायक होते हैं। औषधीय रूप से शतावरी चूर्ण का सेवन करने पर पुरुषों की प्रजनन क्षमता को बढ़ाया जा सकता है। शतावरी में ऐसे पोषक तत्‍व और खनिज पदार्थ मौजूद होते हैं जो शुक्राणुओं की संख्‍या और गुणवत्‍ता दोनों को बढ़ाते हैं। साथ ही कामोद्दीपक गुणों के कारण यह कामेच्‍छा में भी वृद्धि कर सकता है। यदि आपको भी सूजन और यौन कमजोरी जैसी कोई समस्‍या है तो अपने नियमित आहर में शतावरी चूर्ण को शामिल करें।


शतावरी चूर्ण कैसे बनाएं

पारंपरिक रूप से भारत में शतावरी की जड़ का उपयोग किया जाता है। बहुत से लोग शतावरी की ताजी जड़ों का उपयोग करते हैं जो वास्‍तव में अधिक फायदेमंद होती है। लेकिन उपलब्‍धता की कमी के कारण हर किसी व्‍यक्ति को हमेशा ताजी शतावरी की जड़े प्राप्‍त नहीं होती हैं। इसलिए शतावरी का चूर्ण एक अच्‍छा विकल्‍प होता है। आइए जाने शतावरी चूर्ण कैसे तैयार किया जा सकता है।
आप सबसे पहले शतावरी की ताजी जड़ों को लें और इन्‍हें अच्‍छी तरह से धो कर साफ कर लें। इसके बाद आप शतावरी को धूप में सूखने के लिए छोड़ दें। आप चाहें तो इसे छाये में भी सुखा सकते हैं। 3-4 दिनों के बाद जब शतावरी की जड़े पूरी तरह से सूख जाएं तब आप इन्हें कुचल लें और छोटे-छोटे टुकड़े कर लें। इसके बाद इन टुकड़ों को किसी ब्‍लेंडर की मदद से पीसकर पाउडर तैयार करें। इस तरह से आप अपने घर में ही शतावरी चूर्ण तैयार कर सकते हैं। यदि आपको शतावरी की ताजी जड़ ना मिले तो आप बाजार से भी शतावरी चूर्ण को खरीद सकते हैं।
शतावरी चूर्ण का उपयोग कैसे करें
 
शतावरी चूर्ण का सेवन करने की कोई विशेष विधि नहीं है। आप अपनी सुविधा के अनुसार इसे कई प्रकार से सेवन कर सकते हैं। हालांकि जिन लोगों को शतावरी का चूर्ण प्राप्‍त नहीं हो पाता है वे शतावरी आधारित गोलियां और कैप्‍सूल आदि का भी सेवन कर सकते हैं। सामान्‍य रूप से आप शतावरी चूर्ण को दिन में दो बार सेवन कर सकते हैं। इसके लिए आप 1 छोटा चम्‍मच शतावरी चूर्ण को 1 गिलास गर्म दूध के साथ मिलाकर नियमित रूप से सेवन करें।
शतावरी चूर्ण का सेवन कैसे करें –
बहुत से लोगों के मन में यह आता है कि शतावरी चूर्ण का सेवन किस समय करना फायदेमंद है। साथ ही शतावरी चूर्ण का सेवन भोजन से पहले करना चाहिए।
शतावरी चूर्ण का सेवन भोजन के बाद किया जा सकाता है। इसके साथ ही शतावरी चूर्ण का सेवन करने के दौरान इस बात का ध्‍यान रखें कि खाली पेट इसका सेवन न करें। आप सुबह के नाश्‍ते के बाद गर्म दूध में शतावरी चूर्ण का सेवन कर सकते हैं।
शतावरी चूर्ण की खुराक –
सामान्‍य रूप से शतावरी पाउडर का सेवन करने की अनुशंसित मात्रा 3 से 9 ग्राम प्रतिदिन है। आप नियमित रूप से दिन में 2 बार गर्म दूध के साथ शतावरी चूर्ण का सेवन कर सकते हैं। इसके अलावा आप शतावरी चूर्ण को शहद और पानी के साथ भी ले सकते हैं।
जो लोग शतावरी चूर्ण का सेवन करना शुरु कर रहे हैं उन्हें प्रतिदन ¼ से ½ चम्‍मच पाउडर का सेवन करना चाहिए।
जो लोग नियमित रूप से कुछ समय पहले से शतावरी चूर्ण का सेवन कर रहे हैं उनके लिए अनुशंसित मात्रा 2 चम्‍मच प्रतिदिन है।



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16.8.19

चिया के बीज के कमाल के स्वास्थ्य लाभ



आपने शायद चिया बीज के बारे में नहीं सुना होगा लेकिन इसके बहुत सारे स्वास्थ्य के लिए फायदे है। इस बीज में कई ऐसे पौष्टिक तत्व होते है जो हेल्थ के लिए बहुत जरुरी है। चिया बीज को आप भोजन के साथ इस्तेमाल कर सकते है। यह शरीर के लिए एक बहुत ही गुणकारी ओषधि है।
चिया बीज सबसे ज्यादा मेक्सिको देश में पाया जाता है। यह बीज ना सिर्फ हमारे शरीर की शक्ति को बढाता है बल्कि इसके कई ऐसे फायदे है जो आपको हैरान कर देंगे। स्वास्थ्य जगत में चिया बीज पोषक तत्वों के शानदार स्रोत के रूप में उभर रहा है। कुछ लोग इसे पोष्टिक आहार के रूप में अपना रहे है ।

इसमें कोई शक नहीं की यह एक अच्छा आहार साबित हो सकता है। इसमें ताकतवर एंटीऑक्सीडेंट्स , खनिज तथा कई विटामिन आदि पाए गए है। यह मिंट फैमिली की एक फूल वाली प्रजाति है जिसकी उत्पत्ति मेक्सिको और ग्वाटेमाला से हुई है। विदेशों में इसका उपयोग लंबे समय से होता आ रहा है।
चिया सीड्स में प्रोटीन , फाइबर , कैल्शियम ,फास्फोरस , मैग्नेशियम प्रचुर मात्रा में होते है। इसके अलावा इसमें मैगनीज , ज़िंक , पोटेशियम , विटामिन B 1 , विटामिन B 2 , विटामिन B 3 भी पर्याप्त मात्रा में होते है। यह पचने में हल्का होता है तथा किसी भी प्रकार की डिश में इसका उपयोग किया जा सकता है।


चिया सीड और तुलसी के बीज 

चिया बीज के बारे में अक्सर एक बहुत बड़ी ग़लतफ़हमी लोगों को हो जाती है। कुछ लोग सब्जा या तकमरिया Takmariya को ही Chia Seeds समझ लेते हैं जबकि ऐसा नहीं है। सब्जा या तकमरिया तुलसी प्रजाति के पौधे से मिलने वाले बीज हैं । इन्हे तुकमलंगा  के नाम से भी जाना जाता है।
सब्जा बीज शरबत , फालूदा शेक , मिल्क शेक आदि में मिलाकर खाये जाते हैं। इनका अपना कोई स्वाद नहीं होता लेकिन शेक आदि को टेक्सचर देते है और स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होते है।
तुकमलंगा बीज और चिया बीज दोनों एकदम अलग चीजें है। इनके गुण भी अलग है। दरअसल ये दोनों दिखने में कुछ कुछ एक समान होते है इसीलिए संशय पैदा हो जाता है।
सब्जा तुलसी के बीज या तकमरिया ये है :–
चिया सीड के फायदे 
ओमेगा -3 फैटी एसिड
ओमेगा -3 फैटी एसिड ह्रदय रोग के लिए , अर्थराइटिस तथा कोलेस्ट्रॉल के लिए बहुत लाभदायक होता है। Chia Seeds में प्रचुर मात्रा में ओमेगा -3 फैटी एसिड होते है अतः चिया सीड ह्रदय रोग से बचाव के लिए उपयोगी हो सकते है ।

हड्डियाँ और दाँत

चिया सीड में भरपूर कैल्शियम होता है। हड्डियों तथा दाँतो की मजबूती कैल्शियम पर ही टिकी होती है। इसके अतिरिक्त Chia Seeds में बोरोन नामक तत्व भी होता है जो हड्डियों के लिए आवश्यक होता है।
बोरोन के कारण ही कैल्शियम , मैग्नेशियम , फास्फोरस आदि खनिज अवशोषित होकर मांसपेशियों तथा हड्डियों के उपयोग में आते है। इस प्रकार चिया सीड से हड्डियों , दाँत और मांसपेशियों को ताकत मिलती है।

वजन हो कम –

वजन कम करने में भी चिया बीज काफी लाभदायक सिद्ध होता है. इसका सेवन करने से बढ़ते वजन को रोका जा सकात है. दरअसल इसके अंदर फाइबर मौजूद होता है और फाइबर युक्त खाना खाने से भूख अधिक नहीं लगती है और पेट हमेशा भरा-भरा सा लगता है। जिसके चलते जो लोग अधिक खाना खाते हैं उनके ऑवरइंटंग से बज जाते हैं और उनका वजन नहीं बढ़ता है. कई सारे अध्ययनों में चिया बीज से जुड़ी ये बाद सही भी सिद्ध हो चुकी है. चिया बीज पर किए गए अध्ययन के अनुसार जो लोग सुबह के समय चिया बीज खाया करते हैं उनको अधिक भूख नहीं लगती है. साथ में इसे खाने से शरीर में मौजूद फैट की मात्रा भी कम होने लगती है.

दिल के लिए है वरदान है चिया बीज

आजकल के बदलते समय और खराब जीवनशैली तथा खान-पान की वजह से कई लोग दिल की बीमारियों का शिकार हो रहे है। ऐसे में चिया बीज खून में कोलेस्ट्रोल को दूर करता है और साथ में ब्लड प्रेशर को सामान्य करता है जिससे हार्ट स्टोक का खतरा कम हो जाता है।
इस बीज में लिनोलिक एसिड की मात्रा बहुत अधिक होती है जो की एक फैटी एसिड है। यह फैटी एसिड विटामीन, फाइट घुलनशील, विटामीन A, D, E और K को सोक लेता है। इस बीज में अच्छे फैट की इतनी अच्छी मात्रा होती है की यह दिल की बीमारियों में बहुत लाभकारी होता है।

त्वचा के लिए

कई शोध में पाया गया है की चिया बीज में भरपूर मात्रा में एंटी-ओक्सिडेंट होते है और आप भी अच्छे से जानते है की एंटी-ओक्सिडेंट हमारी त्वचा के लिए कितना फायदेमंद है। चिया बीज के सेवन से चेहरे पर पड़ने वाली झुर्रियां खत्म होती है और त्वचा के दुसरे विकार खत्म होते है।


एंटीऑक्सीडेंट

चिया सीड में बहुत से एंटीऑक्सीडेंट होते है जो हानिकारक फ्री रेडिकल्स से बचाते है। फ्री रेडिकल्स के कारण कैंसर जैसी बीमारी होने की संभावना होती है तथा इनका त्वचा पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। Chia Seeds के उपयोग से इन परेशानियों से बचाव हो सकता है।


मांसपेशियों को मजबूती देता है

चिया बीज में भरपूर मात्रा में प्रोटीन होता है और प्रोटीन हमारी मांसपेशियों को मजबूती देता है। इसलिए टी जिम से आने वाले लोग प्रोटीन शेक लेते है ताकि उनकी मांसपेशियां मजबूत रहें। यह शरीर की अतिरिक्त चर्बी को भी कम करता है जिससे शुगर के मरीजों को भी लाभ मिलता है।
इसमें कई तरह के एंटी-ओक्सिडेंट गुण होते है जिसकी वजह से यह शरीर के लिए बहुत फायदेमंद है। इसमें पानी की भी अच्छी मात्रा होती है जिससे शरीर में पानी की कमी नहीं होती। इसमें लेप्टिन पाया जाता है जो शरीर को ऊर्जा देता है और भूख कम करने वाले हार्मोन को बढ़ा देता है।

हाइड्रेशन

कुछ लोगों के शरीर में गर्मी के कारण या किसी और कारण से पानी की कमी जल्दी हो जाती है। इस वजह से कब्ज आदि हो जाती है। खिलाडियों को तथा बच्चों को यह ज्यादा होता है। Chia Seeds से इस समस्या का समाधान हो सकता है।
चिया सीड के पानी सोखने की अद्भुत शक्ति के कारण हाइड्रेशन बनाये रखने में इसका उपयोग किया जा सकता है। चिया सीड को अच्छे से पानी भिगोकर खाने से हाइड्रेशन बना रहता है।

कब्ज

चिया सीड को भिगोने से जेल बनता है। यह आँतों को साफ करने में तथा विषैले तत्वों को शरीर से बाहर निकालने में मददगार होता है। आँतो के साफ रहने से कई प्रकार की परेशानियो से निजात मिल सकती है। कब्ज मिटने से बवासीर में आराम मिलता है। भूख खुलकर लगती है। भारीपन नहीं लगता।

प्रेगनेंसी में बहुत फयदेमन्द है चिया बीज

प्रेगनेंसी का दौर महिलाओं के लिए एक चुनोती भरा दौर होता है और ऐसे समय में उन्हें पौष्टिक आहार की बहुत जरूरत होती है। चिया बीज में प्रचुर मात्रा में पौष्टिक तत्व होते है जो की शरीर के लिए बहुत लाभदायक होते है। अगर गर्भवती महिलाएं चिया बीज का सेवन करें तो उसके शिशु का विकास भी अच्छे से होगा। इसमें कई मल्टीविटामीन होते है जो की शरीर को बहुत पोषण देता है।

डायबिटीज़

चिया सीड से रक्त में इन्सुलिन की मात्रा नियमित होती है। यह कार्बोहाइड्रेट को शक्कर में बदलने की गति कम कर देता है। इससे रक्त में अत्यधिक इन्सुलिन की मात्रा को कम कर देता है। इस प्रकार डायबिटीज में यह लाभदायक होता है।


शारीरिक ऊर्जा को बढाता है

चिया बीज शरीर के मेटाबालिज्म में सुधार लाता है और बेकार की चर्बी को कम करता है। जिसके कारण आपको एक स्वस्थ और सुंदर शरीर मिलता है और आपके काम करने की स्पीड भी बढती है। यह मोटापे को कम करके आपकी शारीरिक ऊर्जा को बढाता है।

मांसपेशियों को मजबूती देता है

चिया बीज में भरपूर मात्रा में प्रोटीन होता है और प्रोटीन हमारी मांसपेशियों को मजबूती देता है। इसलिए टी जिम से आने वाले लोग प्रोटीन शेक लेते है ताकि उनकी मांसपेशियां मजबूत रहें। यह शरीर की अतिरिक्त चर्बी को भी कम करता है जिससे शुगर के मरीजों को भी लाभ मिलता है।
इसमें कई तरह के एंटी-ओक्सिडेंट गुण होते है जिसकी वजह से यह शरीर के लिए बहुत फायदेमंद है। इसमें पानी की भी अच्छी मात्रा होती है जिससे शरीर में पानी की कमी नहीं होती। इसमें लेप्टिन पाया जाता है जो शरीर को ऊर्जा देता है और भूख कम करने वाले हार्मोन को बढ़ा देता है। 

ब्रेस्ट और सवाईकल कैंसर को रोकने में मदद करता है

चिया बीज में ALA नाम का एक ओमेगा एसिड होता है जो की ब्रेस्ट और सवाईकल कैंसर को रोकने में मदद करता है, क्योंकि यह कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने से रोक देता है। एक शोध में यह बात भी सामने आई है की यह स्वस्थ कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाए बिना कैंसर कोशिकाओं को नष्ट कर देता है।

सोक कर खाएं :- 

अगर आप चिया बीज को भिगोकर खायेंगे तो आपको यह ज्यादा अच्छा लगेगा और ज्यादा पोषण शरीर को मिलेगा। चिया बीज को आप 30 मिनट से लेकर 2 घंटे तक भिगोकर रखें। याद रखें की बीज पूरी तरह से पानी-पानी ना हो और उसे दबाने पर जेल के जैसा दिखना चाहिए। चिया बीज की एक ख़ास बात यह है की यह अपने से 12 गुना ज्यादा पानी सोंक कर रख सकता है जिससे शरीर में निर्जलीकरण की समस्या नहीं होती।

सावधानी

चिया सीड में प्रचुर मात्रा में फाइबर होने के कारण अधिक मात्रा में इसके उपयोग से कुछ लोगों को परेशानी महसूस हो सकती है। विशेष कर उन लोगों को जिन्हें निगलने की समस्या होती हो या आँतों में सूजन आदि हो।
अस्थमा तथा एलर्जी आदि से ग्रस्त लोगों को भी इसका उपयोग सावधानी से करना चाहिए। कुछ परेशानी हो तो तुरंत चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए।
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प्रोस्टेट केंसर की जानकारी और बचाव के उपाय


कैंसर एक बहुत ही खतरनाक और जानलेवा बीमारी है. अगर किसी को कैंसर हो गया तो सबसे पहले मुहं से एक ही शब्द निकलता है की अब इसका बचना मुश्किल है. सच में अगर समय रहते इस घातक बीमारी का इलाज नहीं करवाया गया तो मौत निश्चित है. कैंसर ऐसी खतरनाक बीमारी है जो एक जगह से शुरू हो कर शरीर के हर हिस्से में फ़ैल जाती है.
Cancer कई तरह का होता है ब्रेस्ट कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर, अग्नाशय कैंसर, मूत्रमार्ग कैंसर, ब्लड कैंसर, ब्रेन कैंसर आदि. लगभग शरीर के हर हिस्से में कैंसर हो सकता है और शरीर के जिस हिस्से में कैंसर होता है उसे उस जगह के कैंसर के नाम से जाना जाता है. कैंसर में शरीर के किसी हिस्से में गाँठ बनना शुरू होती है और यह गाँठ धीरे-धीरे फैलती रहती है.

एक समय ऐसा आता है जब कैंसर शरीर के अन्य हिस्सों को भी प्रभावित करने लगता है और ऐसे में एक वक्त बाद इलाज मुश्किल हो जाता है और फिर मौत निश्चित हो जाती है. लेकिन कैंसर मतलब मौत यह जरुरी नहीं है क्योंकि अगर समय पर इलाज हो जाए तो आप अपनी जिंदगी को बचा सकते है.

प्रोस्टेट कैंसर एक ऐसा कैंसर है जो प्रोस्टेट में होता है भारत में हर साल प्रोस्टेट कैंसर के 10 लाख से भी अधिक मामले सामने आते हैं प्रोस्टेट एक छोटी से ग्रंथि है जो व्यक्ति के पेट के निचले हिस्से में पायी जाती है। यह मूत्राशय के नीचे और मूत्रमार्ग के पास स्थित है। प्रोस्टेट हार्मोन टेस्टोस्टेरोन द्वारा नियंत्रित होता है और वीर्य को उत्पन्न करने का कार्य करता है, जो सीमेन के रूप में जाना जाता है। सीमेन पदार्थ शुक्राणु युक्त होता है जो स्खलन के दौरान मूत्रमार्ग से निकलता है। 
प्रोस्टेट कैंसर पुरुषों में कैंसर के सबसे आम प्रकारों में से एक है। 65 वर्ष से अधिक आयु के पुरुषों में अधिकांश प्रोस्टेट कैंसर होते हैं आम तौर पर प्रोस्टेट कैंसर धीरे-धीरे बढ़ता है और शुरुआत में प्रोस्टेट ग्रंथि तक ही सीमित होता है, जहां पर यह गंभीर नुकसान नहीं पहुंचा सकता है। हालांकि, प्रोस्टेट कैंसर के कुछ प्रकार धीरे-धीरे बढ़ते हैं और उन्हें कम से कम इलाज की आवश्यकता हो सकती है, अन्य प्रकार आक्रामक होते हैं और जल्दी फैल सकते हैं।
यदि प्रोस्टेट कैंसर का जल्दी पता चल जाता है, जब यह प्रोस्टेट ग्रंथि तक सीमित है तो इसका सफल उपचार किया जा सकता है।
प्रोस्टेट कैंसर क्या है
जब कोशिकाओं का असामान्य और घातक विकास होता है – जिससे प्रोस्टेट में ट्यूमर बन जाता है- तब इसे प्रोस्टेट कैंसर कहा जाता है। क्यूंकि यह कैंसर प्रोस्टेट की असामान्य कोशिकाओं से बनता है, इसलिए इसको प्रोस्टेट कैंसर कहा जाता है।
प्रोस्टेट कैंसर पुरुषों में पाए जाने वाले कैंसर में से सबसे आम कैंसर है। आम तौर पर प्रोस्टेट कैंसर धीरे-धीरे बढ़ता है और शुरुआत में प्रोस्टेट ग्रंथि तक ही सीमित होता है, जहां यह गंभीर नुकसान नहीं पहुंचा सकता है, और उसके लक्षण भी साफ़ समझ नहीं आते। हालांकि, जबकि प्रोस्टेट कैंसर के कुछ प्रकार धीरे-धीरे बढ़ते हैं और इन्हें कम से कम इलाज या इलाज की आवश्यकता भी नहीं होती, लेकिन इसके कुछ अन्य प्रकार आक्रामक होते हैं और शरीर में जल्दी फैल सकते हैं।


प्रोस्टेट कैंसर के प्रकार

स्टेट कैंसर कितनी तेज़ी से बढ़ता है इसको आधार मानके इसे दो भागों में विभाजित किया जा सकता है । इसमें दो प्रकार के कैंसर हैं:
आक्रामक, या तेजी से बढ़ने वाला 
गैर आक्रामक, या धीमी गति से बढ़ने वाला 
गैर आक्रामक प्रोस्टेट कैंसर में, ट्यूमर या तो समय के साथ बहुत कम बढ़ता है या फिर नहीं ही बढ़ता है। आक्रामक प्रोस्टेट कैंसर के साथ, ट्यूमर जल्दी से बढ़ सकता है और शरीर के अन्य हिस्से जैसे की हड्डियों में फैल सकता है।
प्रोस्टेट कैंसर के लक्षण
स्टेट कैंसर पुरुषों को प्रभावित करने वाला सबसे आम कैंसर है। प्रोस्टेट कैंसर का शुरुआती चरणों में आमतौर पर कोई लक्षण प्रकट नहीं होते है। हालांकि, यदि लक्षण प्रकट होते हैं, तो वे आमतौर पर निम्नलिखित में से कोई भी एक या उससे ज्यादा हो सकते हैं:
पेशाब करने के लिए लगातार मन करना , रात में भी
पेशाब शुरू करने और बनाए रखने में कठिनाई
मूत्र में खून
पेशाब करने में दर्द और कभी कभार ही लेकिन स्खलन में दर्द होना
इरेक्शन बनाने में या अचीव करने में कठिनाई
हड्डियों में दर्द
श्रोणि क्षेत्र में असुविधा
यदि प्रोस्टेट कैंसर बढ़ जाता है
हड्डी का दर्द, अक्सर रीढ़, फीमर हड्डी , श्रोणि या पेल्विस, या पसलियों में दर्द
हड्डी में फ्रैक्चर
यदि कैंसर रीढ़ की हड्डी में फैलता है और रीढ़ की हड्डी को संपीड़ित या कम्प्रेस करता है, तो आपको नीचे लिखी समस्याएं हो सकती है:
पैर में कमजोरी
मूत्र असंयम
फीकल असंतुलन
प्रोस्टेट कैंसर के कारण
प्रोस्टेट कैंसर के कोई ज्ञात कारण नहीं है। सभी कैंसर की तरह, यह कई चीजों के कारण हो सकता है, जिसमें पारिवारिक इतिहास या कुछ रसायनों के संपर्क में आना शामिल हैं। प्रोस्टेट कैंसर के जो भी कारण हों, वे प्रोस्टेट में सेल उत्परिवर्तन और अनियंत्रित सेल वृद्धि की ओर ले जाते हैं।
प्रोस्टेट कैंसर की शरुआत कैसे होती है –
यह आमतौर पर ग्रंथि कोशिकाओं में शुरू होता है। इसे एडेनोकार्सीनोमा (adenocarcinoma) के रूप में जाना जाता है। प्रोस्टेट ग्रंथि कोशिकाओं के आकार में छोटे बदलाव होते हैं, जिन्हें प्रोस्टेटिक इंट्राफेथेलियल नेओप्लासिया (पिन) कहा जाता है। यह धीरे-धीरे होता है और प्रगति में आगे तक लक्षण नहीं दिखाता है।
50 साल से अधिक उम्र के सभी पुरुषों में से लगभग 50 प्रतिशत प्रोस्टेटिक इंट्राफेथेलियल नेओप्लासिया (पिन) हैं। हाई-ग्रेड प्रोस्टेटिक इंट्राफेथेलियल नेओप्लासिया (पिन) को पूर्व-कैंसर माना जाता है, और इसके लिए आगे की जांच की आवश्यकता होती है। निम्न ग्रेड प्रोस्टेटिक इंट्राफेथेलियल नेओप्लासिया (पिन) चिंता का कारण नहीं होता है।
मेटास्टेसिस से पहले जांच होने पर प्रोस्टेट कैंसर का सफलतापूर्वक इलाज किया जा सकता है, लेकिन यदि यह फैलता है, तो यह अधिक खतरनाक होता है। यह आमतौर पर हड्डियों में फैलता है।
प्रोस्टेट कैंसर के खतरे में शामिल हैं –
प्रोस्टेट कैंसर किसी भी व्यक्ति में हो सकता है, मगर कुछ कारण ऐसे हैं जो इस रोग के लिए आपका खतरा बढ़ाते हैं। इन जोखिम कारकों में शामिल हैं:
बढ़ती उम्र (Age): उम्र बढ़ने के साथ प्रोस्टेट कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
प्रोस्टेट कैंसर का एक पारिवारिक इतिहास (Family history): अगर आपके परिवार में पुरुषों को प्रोस्टेट कैंसर था, तो आपका जोखिम बढ़ सकता है।
मोटापा (Obesity): प्रोस्टेट कैंसर मोटापे से ग्रस्त पुरुषों में होने की संभावना अधिक हो सकती है और इलाज भी अधिक कठिन होता है।
अनुवांशिक परिवर्तन (genetic changes): अनुवांशिक परिवर्तन के अलावा आप जहां रहते हैं वहां भी आपमें यह कैंसर आने का जोखिम हो सकता है।
प्रोस्टेट कैंसर किस उम्र के लोगों को होता है
जैसा ऊपर बताया गया है, उम्र प्रोस्टेट कैंसर के लिए प्राथमिक जोखिम कारक है। यह बीमारी 65 साल से अधिक उम्र के पुरुषों में अक्सर होती है।
वास्तव में, प्रोस्टेट कैंसर फाउंडेशन के अनुसार, 40 वर्ष से कम आयु के 10,000 पुरुषों में से केवल 1 प्रोस्टेट कैंसर का मामला देखने को मिलेगा। हालांकि, 60 और 69 वर्ष की आयु के पुरुषों के लिए यह संख्या 14 में से 1 हो सकती है।
प्रोस्टेट कैंसर की जांच
प्रोस्टेट कैंसर के लिए स्क्रीनिंग अक्सर आपकी व्यक्तिगत प्राथमिकताओं पर निर्भर करती है।
यदि आप और आपके डॉक्टर का फैसला है कि प्रोस्टेट कैंसर के लिए स्क्रीनिंग आपके लिए एक अच्छा विकल्प है, तो आपका डॉक्टर आपका शारीरिक परीक्षण करेगा और आपके स्वास्थ्य इतिहास पर चर्चा करेगा। वे एक या अधिक परीक्षण भी करेंगे, जिनमें नि
डिजिटल रेक्टल परीक्षा –: इस परीक्षण के साथ, आपका प्रोस्टेट का निरीक्षण करने के लिए आपका डॉक्टर आपके गुदा में एक उंगली डालेगा। वे महसूस कर सकते हैं कि आपके प्रोस्टेट ग्रंथि पर कोई कठोर गांठ है जो ट्यूमर हो सकता है।
प्रोस्टेट विशिष्ट एंटीजन (पीएसए) परीक्षण  पीएसए रक्त परीक्षण आपके खून में प्रोस्टेट-विशिष्ट एंटीजन की मात्रा की जांच करता है। यदि स्तर ऊंचे हैं, तो इसका मतलब यह हो सकता है कि आपको प्रोस्टेट कैंसर है।


प्रोस्टेट बायोप्सी –
  प्रोस्टेट कैंसर निदान की पुष्टि करने में सहायता के लिए आपका डॉक्टर बायोप्सी का आदेश दे सकता है। बायोप्सी के लिए, एक हेल्थकेयर प्रदाता परीक्षण के लिए आपके प्रोस्टेट ग्रंथि का एक छोटा सा टुकड़ा निकाल लेता है।
अन्य परीक्षण –  आपका डॉक्टर एक चुंबकीय अनुनाद इमेजिंग (एमआरआई), एक हड्डी स्कैन, या एक कंप्यूटेड टोमोग्राफी (सीटी) स्कैन भी कर सकता है।
प्रोस्टेट कैंसर के चरण
आपके प्रोस्टेट कैंसर के चरण को निर्धारित करने में मदद के लिए आपके डॉक्टर आपके पीएसए परीक्षण और आपके ग्लासन स्कोर से दोनों परिणामों का उपयोग करेंगे। स्टेज इंगित करता है कि आपका कैंसर कितना घातक है। यह जानकारी आपके डॉक्टर को आपके इलाज की योजना बनाने में मदद करती है।
कई अन्य प्रकार के कैंसर की तरह, प्रोस्टेट कैंसर की स्टेज का निर्धारण निम्न लक्षणों के आधार पर किया जाता है:
ट्यूमर का आकार या सीमा
लिम्फ नोड्स की संख्या जो इसमें शामिल है
कैंसर अन्य साइटों या अंगों में फैल गया है या नहीं
प्रोस्टेट कैंसर के चरण 1 से 4 तक होते हैं। यह रोग चरण 4 में सबसे अधिक घातक है।
प्रोस्टेट कैंसर के उपचार और इलाज –
प्रोस्टेट कैंसर उपचार के विकल्प कई कारकों पर निर्भर करते हैं, जैसे कि आपका कैंसर कितना तेजी से बढ़ रहा है, यह कितना फ़ैल गया है और आपका समग्र स्वास्थ्य कैसा है, साथ ही उपचार के संभावित लाभ या साइड इफेक्ट्स भी प्रोस्टेट कैंसर के इलाज में शामिल होते हैं।
प्रारंभिक चरण के प्रोस्टेट कैंसर का इलाज – Early stage Prostate Cancer Treatment in Hindi
यदि कैंसर छोटा और स्थानीयकृत है, तो आमतौर पर इसका निम्नलिखित उपचारों में से एक द्वारा इलाज किया जाता है:
सतर्क प्रतीक्षा या निगरानी (Watchful waiting or monitoring): इसमें पीएसए रक्त स्तर नियमित रूप से चेक किए जाते हैं, लेकिन कोई तत्काल कार्रवाई नहीं की जाती है।
साइड इफेक्ट्स या जोखिम के रूप में कभी-कभी इस धीमी-विकासशील कैंसर के लिए तत्काल उपचार की आवश्यकता होती है।
रेडिकल प्रोस्टेटक्टोमी : इस प्रक्रिया में प्रोस्टेट को शल्य चिकित्सा से हटा दिया जाता है।
पारंपरिक सर्जरी के लिए 10 दिनों तक अस्पताल में रहने की आवश्यकता होती है, और रिकवरी के लिए 3 महीने तक का समय लग सकता है। रोबोट कीहोल सर्जरी में कम समय तक अस्पताल में रहने और कम ही रिकवरी समय शामिल है, लेकिन यह अधिक महंगा हो सकता है।
ब्रैकीथेरेपी (Brachytherapy:): इस उपचार को देने के लिए प्रोस्टेट में रेडियोएक्टिव बीज लगाए (Radioactive seeds) जाते हैं जिससे रेडिएशन ट्रीटमेंट मिल सके।
अनुरूप विकिरण थेरेपी - रेडिएशन बीम्स उस आकार के रखें जाते हैं जो की प्रोस्टेट अंग के उस इलाके के समान्तर होतीं है जिसको की ट्रीटमेंट की ज़रूरत है ताकि रेडिएशन उसे पूरी तरह से ओवरलैप करले। यह स्वस्थ ऊतकों को विकिरण के एक्सपोजर को कम करता है।
तीव्रता मॉड्यूटेड विकिरण थेरेपी | इस थेरेपी में परिवर्तनीय तीव्रता वाले बीमों या किरणों का उपयोग किया जाता है। यह अनुरूप विकिरण थेरेपी का एक उन्नत रूप है।
प्रारंभिक चरणों में, रोगी को 4 से 6 महीने के लिए हार्मोन थेरेपी के साथ संयुक्त विकिरण थेरेपी मिल सकती है।
उपचार का सुझाव व्यक्तिगत मामलों पर निर्भर करता हैं। रोगी को अपने यूरोलोजिस्ट या ऑन्कोलॉजिस्ट (urologist or oncologist) के साथ सभी उपलब्ध विकल्पों पर चर्चा करनी चाहिए।
एडवांस्ड प्रोस्टेट कैंसर का इलाज
उन्नत कैंसर अधिक आक्रामक है और पूरे शरीर में फैलता है। इसका इलाज करने के लिए कीमोथेरेपी की सिफारिश की जा सकती है, क्योंकि यह शरीर के चारों ओर कैंसर कोशिकाओं को मार सकता है।
एंड्रोजन अभाव थेरेपी (एडीटी), या एंड्रोजन दमन चिकित्सा, 
यह एक हार्मोन उपचार है जो एंड्रोजन के प्रभाव को कम करता है। एंड्रोजन पुरुष हार्मोन होते हैं जो कैंसर के विकास को प्रोत्साहित कर सकते हैं। एडीटी से एंड्रोजन के स्तर को कम करके कैंसर की वृद्धि को धीमा किया जा सकता है या रोका जा सकता है।
इस इलाज में रोगी को लंबे समय तक हार्मोन थेरेपी की आवश्यकता होगी।
ले ही हार्मोन थेरेपी थोड़ी देर बाद काम करना बंद कर दे, फिर भी अन्य विकल्प हो सकते हैं। नैदानिक या क्लिनिकल ​​परीक्षणों में जाकर आप अपने डॉक्टर से चर्चा कर सकते हैं।
रेडिकल प्रोस्टेटक्टोमी वर्तमान में उन्नत मामलों के लिए एक विकल्प नहीं है, क्योंकि यह शरीर के अन्य हिस्सों में फैले कैंसर का इलाज नहीं करता है
प्रोस्टेट कैंसर में जीवित रहने की दर 
अगर प्रोस्टेट कैंसर का निदान जल्दी होता है और मूल ट्यूमर फैलता नहीं है, तो दृष्टिकोण आम तौर पर अच्छा होता है। शुरुआती पहचान और उपचार सकारात्मक परिणाम के लिए महत्वपूर्ण हैं। इसलिए, अगर आपको लगता है कि आपके पास प्रोस्टेट कैंसर के लक्षण हैं, तो आपको तुरंत अपने डॉक्टर से मिलना चाहिए।
यदि यह रोग मेटास्टेसिस नामक प्रक्रिया में अन्य अंगों में फैल जाने से पहले पाया जाता है, तो 5 साल की जीवित रहने की दर 99 प्रतिशत है। पंद्रह वर्षों के बाद, यह 96 प्रतिशत तक घट जाती है। एक बार जब कैंसर मेटास्टेसाइज हो जाता है, या फैलता है, तो 5 साल की जीवित रहने की दर 29 प्रतिशत तक कम हो सकती है।
नियमित स्क्रीनिंग प्रोस्टेट कैंसर का पता लगाने में मदद कर सकती है, और प्रारंभिक स्थति में इसका इलाज किया जा सकता है।
प्रोस्टेट कैंसर से बचने के उपाय
निम्नलिखित सुझावों से आप प्रोस्टेट कैंसर के अपने जोखिम को कम कर सकते हैं :
स्वस्थ खाद्य पदार्थ चुनें ना कि पूरक या सप्प्लीमेंट्स – यह प्रमाणित नहीं है की पूरक प्रोस्टेट कैंसर के खतरे को कम करने में एक भूमिका निभाते हैं। इसलिए इन्हें न लेकर आप विटामिन और खनिजों में समृद्ध खाद्य पदार्थ चुनें ताकि आप अपने शरीर में विटामिन के स्वस्थ स्तर को बनाए रख सकें।
फल और सब्जियों से युक्त स्वस्थ आहार चुनें– हाई फैट वाले खाद्य पदार्थों से बचें और इसके बजाय विभिन्न प्रकार के फल, सब्जियां और अनाज को चुने। फल और सब्जियों में कई विटामिन और पोषक तत्व होते हैं जो आपके स्वास्थ्य में योगदान दे सकते हैं।
जैसे की टमाटर, ब्रोकोली , सोयाबीन , हरी सब्जियां, अनार, फिश आदि।
लेकिन आप आहार के माध्यम से भी प्रोस्टेट कैंसर को रोक सकते हैं, यह अभी तक साबित नहीं हुआ है। लेकिन विभिन्न प्रकार के फल और सब्जियों के साथ एक स्वस्थ आहार खाने से आपका पूरा स्वास्थ्य बेहतर हो सकता है।


कुछ खाद्य पदार्थ प्रोस्टेट कैंसर के आपके जोखिम को बढ़ा सकते हैं:

दूध और डेयरी उत्पाद
संतृप्त वसा, जो पशु उत्पादों में पाया जाता है
लाल मांस
भुना हुआ गोश्त
सप्ताह के अधिकांश दिनों में व्यायाम करें– व्यायाम आपके पूर्ण स्वास्थ्य में सुधार करता है, आपको अपना वज़न बनाए रखने में मदद करता है और आपके मूड में भी सुधार करता है। कुछ सबूत हैं कि जो लोग व्यायाम नहीं करते हैं उनमें उच्च पीएसए के स्तर होतें हैं, जबकि व्यायाम करने वाले पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर का कम जोखिम पाया जाता है।
2006 के 29, 000 पुरुषों के अध्ययन के मुताबिक, व्यायाम से प्रोस्टेट कैंसर के विकास और प्रोस्टेट कैंसर से मरने के जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है।
एक स्वस्थ वजन बनाए रखें – यदि आपका वर्तमान वजन स्वस्थ है, तो सप्ताह के अधिकांश दिनों का उपयोग करके इसे बनाए रखने के लिए काम करें। यदि आपको वजन कम करने की आवश्यकता है, तो अधिक व्यायाम को अपनी दिनचर्या में शामिल करें और हर दिन खाने वाली कैलोरी की मात्रा को कम करें।
प्रोस्टेट कैंसर के बढ़ते जोखिम के बारे में अपने डॉक्टर से बात करें। इस कैंसर के ज्यादा रिस्क में आने वाले पुरुष अपने रिस्क को कम करने के लिए दवाओं या अन्य उपचारों पर विचार कर सकते हैं।
यदि आप प्रोस्टेट कैंसर के विकास के अपने जोखिम के बारे में चिंतित हैं, तो अपने डॉक्टर से बात करें।
नुस्खा-भारतीय नस्ल की गाय के दूध का एक पाव से आधा किलो दही, 4 चम्मच गोमूत्र, 5 से 10 पत्ते तुलसी पत्र, कुछ शुद्ध मधु- इन चारों पदार्थों को एक पात्र में मिलाकर, मथकर प्रात:काल खाली पेट प्रतिदिन केवल एक बार पीने से तथा 1 वर्ष तक के इस प्रयोग से प्रारंभिक अवस्था का कैंसर पूरी तरह दूर हो जाता है।
प्रोस्टेट कैंसर के लिए घरेलू नुस्‍खे
एलोवेरा
अलोवेरा को प्रोस्टेट कैंसर के उपचार के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। प्रोस्टेट कैंसर से ग्रस्त मरीजों को नियमित रूप से एलोवेरा का सेवन करना चाहिए। एलोवेरा में कैंसररोधी तत्व पाये जाते हैं जो कि कैंसर की कोशिकाओं को बढ़ने से रोकते हैं
ब्रोकोली
ब्रोकोली के अंकुरों में मौजूद फायटोकेमिकल कैंसर की कोशाणुओं से लड़ने में सहायता करते हैं। यह एंटी ऑक्सीडेंट का भी काम करते हैं और खून को शुद्ध भी करते हैं। प्रोस्टेंट कैंसर होने पर ब्रोकोली का सेवन करना चाहिए।
ग्रीन टी
प्रोस्टेट कैंसर से ग्रस्त आदमी को नियमित रूप से एक से दो कप ग्रीन टी का सेवन करना चाहिए। ग्रीन टी में कैंसर रोधी तत्वे पाये जाते हैं।
लहसुन
लहसुन में औषधीय गुण होते हैं। लहसुन में बहुत ही शक्तिशाली एंटी-ऑक्सीडेंट होते हैं जैसे - एलीसिन, सेलेनियम, विटामिन सी, विटामिन बी। इसके कारण कैंसर से बचाव होता है और कैंसर होने पर लहसुन का प्रयोग करने से कैंसर बढ़ता नही है।
अंगूर
प्रोस्टे़ट कैंसर के उपचार के लिए अंगूर भी कारगर माना जाता है। अंगूर में पोरंथोसाइनिडीस की भरपूर मात्रा होती है, जिससे एस्ट्रोजेन के निर्माण में कमी होती है। इसके कारण प्रोस्टेट कैंसर के इलाज में मदद मिलती है।
सोयाबीन
सोयाबीन से भी प्रोस्टेट कैंसर के उपचार में सहायता मिलती है। प्रोस्टेट कैंसर के मरीजों को रोज के खानपान के साथ सोयाबीन के अंकुर या पकाए हुए सोयाबीन का सेवन करना चाहिए। सोयाबीन में कुछ ऐसे एंजाइम पाये जाते हैं जो हर प्रकार के कैंसर से बचाव करते हैं।
अमरूद और तरबूज
प्रोस्टेट कैंसर के उपचार के लिए अमरूद और तरबूज भी बहुत कारगर हैं। अमरूद और तरबूज में लाइकोपीन तत्व ज्यादा मात्रा में पाया जाता है जो कि कैंसररोधी है। इसलिए प्रोस्टेट कैंसर के मरीजों को इन फलों का ज्यादा मात्रा में सेवन करना चाहिए।
व्हीटग्रास
प्रोस्टेट कैंसर के उपचार के लिए व्हीटग्रास बहुत लाभकारी होता है। व्हीसट ग्रास कैंसर युक्त कोशिकाओं को कम करता है। इसके अलावा व्हीटग्रास खाने से शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और शरीर से विषैले तत्व भी हटते हैं।
इसके अलावा प्रोस्टेट कैंसर के मरीजों को ताले फलों और सबिजयों का भी सेवन भरपूर मात्रा में करना चाहिए। प्रोस्टेट कैंसर के ये घरेलू उपाय चिकित्‍सीय सहायता के साथ साथ चल सकते हैं। कैंसर के लक्षण नजर आते ही आपको डॉक्‍टर से मिलना चाहिए। हां इन उपायों को आप अपनी जीवनशैली का हिस्‍सा बना सकते हैं ।