5.3.18

काकजंघा जड़ी बूटी के आयुर्वेदिक और तांत्रिक प्रयोग


काकजंघा आयुर्वेद में मानी हुई औषधि है किंतु वर्तमान में जानकारी न् होने के कारण लुप्त प्रायः और जंगली पौधा समझ के उखाड़ दी जाती है।
आयुर्वेद के अनुसार :-
काकजंघा स्नेहन (तैलीय) और संग्राहक (अर्थात इसके सेवन से व्यक्ति का मन प्रसन्न और शांत रहता है) होता है ।
यह पेट की जलन और त्वचा की सुन्नपन को दूर करता है। पाचन शक्ति, टी.बी. रोग से उत्पन्न घाव, पित्तज्वर, खुजली और सफेद कोढ़ में इसका उपयोग लाभकारी होता है।
विभिन्न रोगों में उपयोग :
1. बहरापन:
काकजंघा का आधा किलो रस निकालकर, 250 मिलीलीटर तेल में मिलाकर पकाएं और जब यह पकते-पकते केवल तेल ही बाकी रह जाए तो उसे छानकर रख लें। इस तैयार तेल को सुबह-शाम कान में डालने से बहरापन दूर होता है।काकजंघा के पत्तों का रस निकालकर गर्म करके कान में डालने से बहरापन ठीक होता है।
2. जलोदर: काकजंघा व हींग को पीसकर पीने से जलोदर नष्ट होता है।
3. नींद न आना (अनिद्रा): काकजंघा की जड़ को सिर के बालों पर बांधने से नींद अच्छी आती है।
4. सफेद प्रदर में-
सफेद प्रदर की बीमारी से बचने के लिए चावल के पानी के साथ काकजंघा की जड़ के पेस्ट के साथ सेवन किया जाता है।
5. वात रोग में-
वात रोग में घी के साथ दस ग्राम काकजंघा के रस को मिलाकर सेवन करने से वात रोग से निजात मिलता है।
6. कान की समस्या-
यदि कान में कीड़ा चला गया हो तो आप काकजंघा के पत्ते से बने रस की कुछ बूंदे कान में टपकाएं आपको आराम मिलेगा।
7. खुजली व दाद में-
यदि दादए खाज व खुजली की समस्या हो रही हो तो आप काकजंघा के रस से शरीर की मालिश करें। आपको आराम मिलेगा।
8. खून की गंदगी होने पर-
यदि खून में विकार आ गया हो तो आप काकजंघा का काढ़ा बनाकर सेवन करें। यह खून की गंदगी को साफ करता है।
9. विष व जहरीले कीड़े के काटने पर-
यदि शरीर में किसी जहरीले कीड़े ने डंक या काट लिया हो तो आप काकजंघा के पेस्ट को लोहे के चाकू पर लगाकर उस जगह पर मलें जहां पर कीड़े ने काटा है।
इसके अलावा यह औषधिय पौधा फोड़े.फुंसी, गहरे घाव, कुष्ठ आदि रोगों को ठीक करता है। काकजंघा एक शीतल और खुश्क पौधा है। जो त्वचा से संबंधित रोगों को ठीक करता है। बुखार, गठिया और कृमि जैसी गंभीर बीमारियों से आपको बचाता है यह पौधा।
तन्त्रोक्त प्रयोग:-
वशीकरण :-
1. काले कमल, भवरें के दोनों पंख, पुष्कर मूल, काकजंघा – इन सबको पीसकर सुखाकर चूर्ण बनाकर जिसके भी सर या मस्तक पर डाले वह वशीभूत होगा।
2. काकजंघा, लजालू, महुआ, कमल की जड़ और स्ववीर्य को मिलाकर तिलक करने से किसी को भी वश में किया जा सकता है। ( सेल्स, प्रोपर्टी के काम के लिए उत्तम)
3. गोरोचन, वंशलोचन, काकजंघा, मत्स्यपित्त, रक्त चंदन , श्वेत चन्दन, तगर, स्ववीर्य संग कुएं अथवा नदी के जल से पीस कर गुटिका बनाकर तिलक करने से या गुटिका खिला देने से राजा भी आजीवन दास बन जाते हैं।( सरकारी अधिकारी, बॉस आदि के लिए उत्तम है)
4. चन्दन, तगर, काकजंघा, कूठ, प्रियंगु, नागकेसर और काले धतूरे का पंचांग सम्भाग पीस कर एक सप्ताह तक अभिमंत्रित कर जिसे खिलादिया जायेगा वो सदा सेवक बना रहेगा।
स्त्री वशीकरण :-
1. काकजंघा, तगर, केसर, कमल केसर इन सबको पीसकर स्त्री के मस्तक पर तथा पैर के नीचे डालने पर वह वशीभूत होती है।
2. शनिवार को विधि पूर्वक निमंत्रण दे कर हस्त या पुनर्वसु नक्षत्र युत रविवार को कपित्थ कील से काकजंघा मूल निकाल लें, फिर उसे सुखा कर चूर्ण बनाकर स्ववीर्य, पंचमैल और मध्यमा उंगली के रक्त से मिश्रित कर छोटी छोटी गोलियां बना लें। इन्हें अभिमंत्रित कर ये जिस भी स्त्री को खिला दी जायेगी वो आजीवन वश में रहेगी।
3. तन्त्रोक्त विधि से रविवार युक्त हस्त या पुष्य नक्षत्र में उत्खनित श्वेत गुंजा एवं काकजंघा मूल के चूर्ण को गोरोचन, श्वेत चन्दन, रक्त चंदन , जटामांसी, केसर कपूर और गजमद संग गुटिका बनाकर अभिमंत्रित कर जो तिलक करेगा वो किसी भी स्त्री को इच्छित भाव से देखेगा तो प्रबल वशीकरण होगा।
उच्चाटन :-
1. ब्रह्मदंडी, काकजंघा, चिता भस्म और गोबर का क्षार मिलाकर जिस पर भी डालेंगे उस व्यक्ति का उच्चाटन हो जायेगा।
2. ब्रह्मदंडी, काकजंघा और सर्प की केंचुली की धूप शत्रु का स्मरण करते हुए देने से उसका शीघ्र उच्चाटन हो जाता है।
सर दर्द:-
काकजंघा के पौधे की जड़, द्रोण पुष्पी की जड़ या मजीठ के पौधे की जड़ लें।
जड़ को सफेद सूत के धागे में बाँध कर मन्त्र सिद्ध गंडा तैयार करें। इसे रोगी के माथे पर बाँध दें। ऐसा करने से सिर का दर्द चाहे जैसा हो और जितना भी पुराना हो, शीघ्र दूर हो जाएगा।

17.2.18

हीमोफीलिया रोग के उपचार और सावधानियाँ


हीमोफिलिया क्या हैं
      हीमोफिलिया एक ऐसी आनुवंशिक बीमारी हैं जिस बीमारी से ग्रस्त होने पर व्यक्ति को शरीर के किसी भी भाग पर जब चोट लग जाती हैं तो उसके घाव से रक्त बहना बंद नही होता. इस बीमारी का मुख्य लक्षण यह हैं कि इस बीमारी के होने पर व्यक्ति के शरीर में खून का थक्का जमना बंद हो जाता हैं. यह एक जानलेवा बीमारी हैं. क्योंकि जब किसी व्यक्ति को चोट लग जाती हैं और उसका खून बहना बंद नही होता तो इस वजह से ही उसकी जान भी जा सकती हैं. इस बीमारी का मुख्य कारण व्यक्ति के शरीर में रक्त प्रोटीन की कमी होना हैं. जिसे मेडिकल की भाषा में क्लॉटिंग फैक्टर’ कहा जाता हैं. इस फैक्टर की कमी शरीर में हो जाती हैं तो शरीर में खून जमने की क्षमता क्षीण हो जाती हैं
हीमोफिलिया के विभिन्न नाम –
हीमोफिलिया को अलग – अलग अलग नामों से जाना जाता हैं जिनका विवरण इस प्रकार हैं
1. अधिरक्तस्राव
2.ब्लीडर रोग
3. शाही रोग,
4. क्रिसमस रोग
हीमोफिलिया रोग के प्रकार
१. हीमोफिलिया A – 
हीमोफिलिया A को क्लासिक हीमोफिलिया के नाम से भी जाना जाता हैं. हीमोफिलिया A की बीमारी किसी भी व्यक्ति को जिन म्यूटेशन के कारण हो जाता हैं. हीमोफिलिया A f8 जिन में उत्परिवर्तन हो जाने के कारण हो जाता हैं. एक रिसर्च में यह प्रमाणित किया गया हैं कि हीमोफिलिया के इस प्रकार से ही व्यक्ति अधिक ग्रस्त होता हैं.
२. हीमोफिलिया B - 
हीमोफिलिया के इस प्रकार को क्रिसमस रोग के नाम से भी जाना जाता हैं. यह रोग f9 जीन उत्परिवर्तन होने के कारण होता हैं.
हीमोफिलिया के इन दोनों ही प्रकारों में समानता यह हैं कि इन दोनों ही प्रकारों के जीन x गुणसूत्र में ही पाएं जाते हैं. जिसकी वजह से हीमोफिलिया के दोनों ही प्रकारों की वाहक महिलाएँ होती हैं तथा इसीलिए पुरुष ही इस बीमारी के ग्रस्त होते हैं. हीमोफिलिया के इन दोनों ही मुख्य प्रकारों के साथ – साथ इस बीमारी का एक और प्रकार मिलता हैं. लेकिन यह बीमारी कुछ ही लोगों में पाई जाती हैं. जिसके बारे में जानकारी नीचे दी गयी हैं.
अधिग्रहीत हीमोफिलिया – 
हीमोफिलिया की यह बीमारी आनुवांशिक बीमारी नही हैं. इस बीमारी के होने का मुख्य कारण बाद में व्यक्ति के शरीर में म्यूटेशन होना हैं. इस बीमारी के होने पर व्यक्ति का शरीर खुद ही स्व – प्रतिरक्षा तन्त्र विकसित करता हैं और इसके पश्चात् अपने रक्त का थक्का जमाने वाले कारक 8 को नष्ट कर देता हैं. जिसके कारण शरीर में रक्त का थक्का जमना बंद हो जाता हैं और व्यक्ति इस बीमारी से पीड़ित हो जाता हैं.
हीमोफिलिया से ग्रस्त व्यक्तियों के लिए विशेष ध्यान रखने योग्य बातें
1.क्लॉटिंग फैक्टर – 
हीमोफिलिया के रोगियों को क्लॉटिंग फैक्टर भी दिया जा सकता हैं. लेकिन यह किसी मरीज को नियमित रूप से देना पड़ता हैं तथा किसी – किसी रोगियों को कभी कभी. मरीज को क्लॉटिंग फैक्टर देने का फायदा यह होता हैं कि इसे देने से व्यक्ति के शरीर से अत्यधिक रक्त बहने की सम्भावना कम हो जाती हैं तथा उसके शरीर में धीरे – धीरे खून का थक्का जमना शुरू हो जाता हैं.
क्लॉटिंग बढ़ाने और हीलिंग वाली दवाइयों का सेवन – अगर हीमोफिलिया से ग्रस्त व्यक्ति को चोट लगने की वजह से अधिक खून बहने लगे तो इस स्थिति में उसे खून जमाने के लिए तथा घाव को जल्द ठीक करने के लिए क्लॉट बढाने वाली तथा हीलिंग वाली दवाइयां दे सकते हैं.
3.दवाइयों से परहेज – 
हीमोफिलिया के मरीज को आमतौर पर दर्द से राहत पाने वाली दवाइयों का सेवन करने से बचना चाहिए. क्योंकि इन दवाईयों का सेवन करने से रोगी के शरीर पर इन दवाइयों का विपरीत प्रभाव पड सकता हैं. अगर आपको दर्द से छुटकारा पाने के लिए किसी भी दवाई की जरुरत महसूस होती हैं तो ऐसे समय में अपने चिकित्सक से एक बार सलाह जरुर लें और उसके पश्चात् ही किसी भी दवाई का सेवन करें.
4.व्यायाम – 
हीमोफिलिया की बीमारी से निजात दिलाने में व्यायाम काफी हद तक सहायक सिद्ध होता हैं. इसीलिए रोजाना व्यायाम जरुर करें. व्यायाम करने से आपको काफी लाभ होगा. जैसे यदि आप नियमित रूप से व्यायाम करते हैं तो इससे आपके जोड़ों में दर्द नही होगा. इसके साथ ही चोट लगने पर आपके शरीर से अत्यधिक खून नही बहेगा.
5.खेल – कूद में सावधानी – 
यदि आप हीमोफिलिया के मरीज हैं और आपको खेलना – कूदना अधिक पसंद हैं तो खेलते समय अपना पूर्ण रूप से ध्यान रखें तथा जहाँ तक हो ऐसे खेल बिल्कुल न खेलें, जिसमें आपको चोट लगने की अधिक सम्भावना हो.
6.दांत की सफाई – हीमोफिलिया के रोगी को अपने दांतों को हमेशा साफ रखना चाहिए. क्योंकि यदि दांतों में किसी भी प्रकार का रोग हो गया तो इससे आपके दांतों में ब्लीडिंग हो सकती हैं. जो की आपके लिए बेहद ही खतरनाक साबित हो सकता हैं. इसलिए अपने दांतों को साफ रखें और दिन में दो बार कम से कम ब्रश जरुर करें.





28.1.18

किडनी के रोगों मे अत्यंत लाभदायक जड़ी बूटी पूनर्नवा के फायदे

                           


   पुनर्नवा का वैज्ञानिक नाम बोरहैविया डिफ्यूजा है. जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, हर वर्ष फिर से नया हो जाना पुनर्नवा ग्रीष्म ऋतु में सूख जाता है. वर्षा ऋतु आते रहते सोता इसमें शाखाएं फूट पड़ती हैं और यह वापस जीवित अवस्था में आ जाता है. पुनर्नवा मुख्य रूप से म्यांमार उत्तर और दक्षिण अमेरिका भारत के कई स्थानों अफ्रीका और चीन में पाया जाता है. इसकी इश्क फूल सफेद होते हैं पुनर्नवा सफेद लाल और नीली फूलों के साथ होती है. अलग अलग जगहों पर इसे अलग अलग नाम के नाम अलग अलग नाम से जानते हैं. आइए जाने की पुनर्नवा के क्या फायदे  हैं.


1. अस्थमा में-

पुनर्नवा की जड़ का पाउडर 500 मिलीग्राम हल्दी पाउडर के साथ मिलाकर दिन में दो बार गुनगुने पानी के साथ लेने से आप अस्थमा जैसी बीमारी का भी मुकाबला करने में सक्षम हो जाते हैं.

2. त्वचा के लिए-

त्वचा में होने वाली विभिन्न समस्याओं से निपटने में भी पुनर्नवा की मदद ली जा सकती है. पुनर्नवा त्वचा की विभिन्न समस्याओं से लड़ने के साथ-साथ आपके त्वचा में चमक भी लाने का काम करता है.

3. गठिया के उपचार में-

पुनर्नवा के जड़ का पाउडर को अदरक और कपूर के साथ मिलाकर काढ़ा बनाएं. इस काढ़े का उपयोग 7 दिनों तक करें ऐसा करने से आपको गठिया और जोड़ों के दर्द से सम्बंधित समस्याएं ख़त्म होंगी.

4. प्रोस्टेट में-

हमारे शरीर में मूत्राशय के नीचे तथा मूत्र नली के पास एक छोटी सी ग्रंथि होती है. जिसे हम प्रोस्टेट के नाम से जानते हैं. पुरुषों में 50 वर्ष की आयु के बाद प्रोस्टेट में समस्या आमतौर पर होने लगती है. इस समस्या से निपटने के लिए पुनर्नवा की जड़ों का चूर्ण बेहद लाभकारी साबित होता है.

5. ज्वाइंडिस में-

ज्वाइंडिस को पीलिया के नाम से भी जानते हैं इसमें शरीर और आंखों की त्वचा का रंग पीला होने लगता है. इसके साथ ही मूत्र में पीलापन, बुखार और कमजोरी जैसे लक्षण भी नजर आने लगते हैं. इस समस्या को दूर करने के लिए पुनर्नवा के पंचांग का उपयोग किया जाता है. यानी कि पुनर्नवा की जड़, छाल, पत्ती, फूल और बीज में शहद व मिश्री मिलाकर सेवन करने से लाभ मिलता है.

6. अनिद्रा में-

नींद ना आने की बीमारी आजकल आम होती जा रही है. जब भी आपको ऐसा लगे कि आप नींद ना आने की बीमारी से पीड़ित हैं, तो आपको पुनर्नवा की मदद लेनी चाहिए. पुनर्नवा के 50 से 100 मिलीलीटर काढ़े का उपयोग करने से हमें गहरी नींद आती है.


7. गठिया में-


गठिया एक ऐसी बीमारी है जिसमें जोड़ों में दर्द की समस्या देखी जाती है. इस दर्द से निपटने के लिए आपको 1 ग्राम पुनर्नवा की जड़ के पाउडर को अदरक और कपूर के साथ मिलाकर पीना होता है. इससे गठिया में काफी आराम मिलता है.

8. आंखों से पानी आने पर-

आँखों में जलन या सूजन होने पर पुनर्नवा की मदद ली जा सकती है. इसकी जड़ को शहद या दूध के साथ घिसकर आँखों में लगाने से खुजली, सूजन और अन्य समस्याओं से हमें राहत मिलती है. कई शोधों तो पुनर्नवा के फायदे मोतियाबिंद में भी देखा गया है.


9. लीवर के लिए-

यदि आपके लीवर में भी सूजन की समस्या है. तो पुनर्नवा की जड़ आपके लिए काफी लाभदायक साबित हो सकती है. 4 ग्राम सहजन की छाल और पुनर्नवा की जड़ को पानी में उबालकर मरीज को देने से मरीज लाभान्वित महसूस करता है.

10. गुर्दों की सफाई में-

गुर्दे हमारे शरीर के महत्वपूर्ण अंगों में से एक है. जाहिर है यह हमारे शरीर से विभिन्न अशुद्धियों को साफ करते हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इनकी भी सफाई की आवश्यकता होती है. पुनर्नवा ही ऐसी जड़ी बूटी है, जो कि गुर्दों की सफाई करती है. यहां तक कि गुर्दे की पथरी में भी इसके लाभ देखे गए हैं. पुनर्नवा के पौधे का काढ़ा 10 से 20 ग्राम प्रति दिन पीने से गुर्दे के तमाम विकार ठीक होते हैं.

11. जवान बने रहने के लिए-

जैसा कि पुनर्नवा का गुण है इसका नाम है और इसमें फिर से हरा हो जाने का गुण है. उसी तरह इसमें ये भी क्षमता है कि आपको फिर से जवान बना सकता है. इसके लिए पुनर्नवा के ताजे जड़ का रस दो-दो चम्मच दो तीन माह तक नियमित रूप से लें. ऐसा करने से आपके शरीर में ताजगी तो रहेगी ही आप युवा भी महसूस करेंगे.

किडनी फेल रोगी के बढे हुए क्रिएटनिन के लेविल को नीचे लाने और गुर्दे की क्षमता बढ़ाने में हर्बल औषधि सर्वाधिक सफल होती हैं| किडनी ख़राब होने के लक्षण जैसे युरिनरी फंक्शन में बदलाव,शरीर में सूजन आना ,चक्कर आना और कमजोरी,स्किन खुरदुरी हो जाना और खुजली होना,हीमोग्लोबिन की कमी,उल्टियां आना,रक्त में यूरिया बढना आदि लक्षणों  में दुर्लभ जड़ी-बूटियों से निर्मित यह औषधि रामबाण की तरह असरदार सिद्ध होती है|डायलिसिस  पर   आश्रित रोगी भी लाभान्वित हुए हैं| औषधि हेतु  वैध्य दामोदर से 98267-95656 पर संपर्क किया जा सकता है|

21.1.18

बार बार गर्भ गिरने के कारण और उपचार


     यदि किसी स्त्री को लगातार दो बार गर्भपात हो चूका हैं तो अगला गर्भ गिरने की सम्भावना हो सकती हैं। ऐसे में उनको बहुत सावधानी रखनी चाहिए। क्षयग्रस्त स्त्रियां जो नाजुक, कोमल प्रकृति की होती हैं, प्राय: गर्भस्त्राव करती हैं। अगर बार बार गर्भ गिर रहा हो तो गर्भरक्षा के ये उपाय बहुत कारगार साबित हो सकते हैं, आइये जाने इन उपायो को। अगर तीन माह से पहले गर्भ गिरता हैं तो इसको गर्भस्त्राव कहा जाता हैं। जब गर्भस्त्राव होता हैं तो रक्तस्त्राव होने लगता हैं। अगर केवल रक्तस्त्राव ही होता हैं तो यह “THREATENED ABORTION” कहलाता हैं। यदि रक्तस्त्राव के साथ दर्द रहे तो गर्भस्त्राव होने की अत्यधिक सम्भावनाये होती हैं।
इसके बहुत सारे कारण हो सकते हैं। बचाव से पहले हम कारणों को जान ले ताकि पहले हम कारणों को दूर करले।
कारण-


निमोनिया, संक्रामक ज्वर, पुरानी बीमारिया जैसे सिफलिस, टी बी। गर्भाशय सम्बन्धी खराबी, पेट में आघात लगना, भय, मानसिक आघात, बच्चे का ठीक ढंग से विकास व् निर्माण ना होना, गर्भस्त्राव होने की प्रवृति, विटामिन ई की कमी, अंत: स्त्रावी ग्रंथियों की खराबी (थाइरोइड होना), आदि अनेक कारणों से गर्भस्त्राव होता हैं।

सावधानिया-जिस स्त्री को गर्भस्त्राव होता हो, उसे भारी बोझा नहीं उठाना चाहिए। आराम करना चाहिए। रक्तस्त्राव तथा पेट दर्द होने पर तो पूर्ण आराम करना चाहिए। रक्तस्त्राव की स्थिति में चारपाई के पाँव की और के पायो को नीचे ईंट लगाकर ऊंची कर देनी चाहिए। जो कारण समझ में आये उन्हें दूर करना चाहिए। सहवास नहीं करना चाहिए। माँ को स्वस्थ रहना चाहिए। स्वस्थ माँ ही स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सकती हैं।
दक्षिण भारत की औरतो का मानना हैं के पपीते में गर्भ गिराने के शक्तिशाली गुण होते हैं। इसलिए गर्भवती स्त्रियों को पपीता खाते समय सावधान रहना चाहिए।
लौकी-
लौकी का रस या सब्जी गर्भाशय को मज़बूत करने में बहुत सहायक हैं, इसलिए जिन औरतो को बार बार गर्भस्त्राव होता हो उनको नियमित लौकी की सब्जी या रस सेवन करना चाहिए।
>सिंघाड़ा-
गर्भाशय को मज़बूत करने के लिए सिंघाड़ा एक बहुत उपयुक्त फल हैं, ऐसी स्त्रियों को नियमित सिंघाड़े खाने चाहिए।
गर्भ को बचाने के आयुर्वेदिक उपाय-
धतूरे की जड़-
जिस स्त्री को बार बार गर्भपात हो जाता हो उसकी कमर में धतूरे की जड़ का चार ऊँगली का टुकड़ा ऊनी धागे से बाँध दे। इससे गर्भपात नहीं होगा जब नौ मास पूर्ण हो जाए तब जड़ को खोल दे।


जौ का आटा-

12 ग्राम जौ के आटे को १२ ग्राम काले तिल और १२ ग्राम मिश्री पीसकर शहद में मिलाकर चाटने से बार बार होनेवाला गर्भपात रुकता हैं।
अना-
100 ग्राम अनार के ताज़ा पत्ते पीसकर, पानी में छानकर पिलाने और पत्तो का रस पेडू पर लेप करने से गर्भस्त्राव रुक जाता हैं। इसलिए ऐसी स्त्रीया जिनको अधिक गर्भपात होता हो वो अपने आस पास अनार का उचित बंदोबस्त कर के रखे

ढाक (पलास)-

ढाक का पत्ता गर्भधारण करने में बहुत सहयोगी हैं। गर्भधारण के पहले महीने १ पत्ता, दूसरे महीने २ पत्ते, इसी प्रकार नौवे महीने ९ पत्ते ले कर १ गिलास दूध में पकाकर प्रात: सांय लेना चाहिए। ये प्रयोग जिन्होंने भी किया हैं उनको चमत्कारिक फायदा हुआ हैं। ये प्रयोग हमने आचार्य बालकृष्ण जी की पुस्तक औषध दर्शन से लिया हैं।
शिवलिंगी बीज चूर्ण और पुत्रजीवक गिरी-
शिवलिंगी के बीजो का चूर्ण और पुत्रजीवक की गिरी दोनों का चूर्ण बराबर मात्रा में मिला ले। 1 चौथाई चम्मच सुबह खाली पेट शौच के बाद और नाश्ते से पहले तथा रात्रि को भोजन के एक घंटे के बाद गाय के दूध के साथ सेवन करे। ये दोनों औषधीय आपको बाजार में किसी भी आयुर्वेद की दूकान से मिल जाएँगी या फिर रामदेव की दूकान से मिल जाएगी।
खान पान में विशेष ध्यान दे -
विटामिन ई युक्त भोजन।
विटामिन ई हमको अंकुरित भोजन में मिलता हैं, अंकुरित दाल और अनाज इसका अच्छा स्त्रोत हैं। बादाम, पिस्ता, किशमिश और सूखे मेवे बढ़िया साधन हैं विटामिन ई के, इसलिए गर्भवती स्त्री को पर्याप्त मात्रा में विटामिन ई का सेवन करवाना चाहिए। नीम्बू नमक और पानी की शिकंजवी में विटामिन ई होता हैं इसलिए गर्भवती के लिए ये बहुत उपयोगी हैं।
गर्भपात का खतरा हो तो-
काले चने का काढ़ा-
यदि गर्भपात का भय हो तो काले चनो का काढ़ा पीना बहुत फायदेमंद हैं।


फिटकरी-

अगर गर्भपात होने लगे या ऐसा भय हो तो तुरंत पीसी हुयी फिटकरी चौथाई चम्मच एक कप कच्चे दूध में डालकर लस्सी बनाकर पिलाने से गर्भपात रुक जाता हैं। गर्भपात के समय जब जब दर्द, रक्तस्त्राव हो रहा हो तो हर दो दो घंटे से एक खुराक दे।
सौंठ मुलहठी दूध-
ऐसी स्त्री को गर्भधारण करते ही नित्य आधी चम्मच सौंठ, चौथाई चम्मच मुलहठी को २५० ग्राम दूध में उबालकर पिए। गर्भपात की अचानक सम्भावना हो जाए तो भी इसी प्रकार सौंठ पिए। इस से गर्भपात नहीं होगा। प्रसव वेदना तीव्र हो रही हो तो इसी प्रकार सौंठ पीने से वेदना कम हो जाती हैं।
दूध और गाजर-
एक गिलास दूध और एक गिलास गाजर का रस मिलकर उबाले। उबलते हुए आधा रहने पर नित्य पीती रहे। गर्भपात नहीं होगा। जिनको बार बार गर्भपात होता हो, वे गर्भधारण करते ही इसका सेवन आरम्भ कर दे।
सौंफ और गुलाब का गुलकंद-
जिन स्त्रियों को बार बार गर्भपात हो उनको गर्भधारण के बाद 62 ग्राम सौंफ 31 ग्राम गुलाब का गुलकंद पीसकर पानी मिलाकर एक बार नित्य पिलाना चाहिए। और पूरे गर्भकाल में सौंफ का अर्क पीते रहने से गर्भ स्थिर रहता हैं।



19.1.18

मायूस ना हों,कान्हावाडी मे होता है लाईलाज केन्सर रोग का ईलाज

                             

      बैतूल जिले की ख्याति वैसे तो सतपुड़ा के जंगलों की वजह से है, लेकिन यहां के जंगलों में कैंसर जैसी लाइलाज बीमारी को खत्म कर देने वाली बहुमूल्य जड़ी-बूटियां मिलने से भी यह देश-विदेश में चर्चा का विषय बना हुआ है। दवा लेने के लिए यहां बड़ी संख्या में मरीज पहुंचते हैं।
घोड़ाडोंगरी ब्लॉक के ग्राम कान्हावाड़ी में रहने वाले भगत बाबूलाल पिछले कई सालों से जड़ी-बूटी एवं औषधियों के द्वारा कैंसर जैसी बीमारी से लोगों को छुटकारा दिलाने में लगे हुए हैं। इस नेक कार्य के बदले में लोगों से वे एक रुपए तक नहीं लेते हैं।

   कैंसर बीमारी से निजात के लिए देश भर से लोग यहां अपना इलाज कराने आते हैं। चूंकि मरीजों को उनकी दवा से फायदा पहुंचता है इसलिए उनके यहां प्रत्येक रविवार एवं मंगलवार को दिखाने वालों का ताता लगा रहता है।



एक दिन पहले से लगाना पड़ता है नंबर
कान्हावाड़ी में इलाज के लिए बाहर से आने वाले लोगों को एक दिन पहले नंबर लगाना पड़ता है।
एक दिन में करीब 1000 से ऊपर मरीज यहां इलाज के लिए पहुंचते हैं। खासकर महाराष्ट्र से बड़ी संख्या में लोग इलाज के लिए यहां एक दिन पहले ही रात में आ जाते हैं।
     सुबह से नंबर लगाकर अपनी बारी आने का इंतजार करना पड़ता है। कई बार भीड़ अधिक होने के कारण पांच से छह तक लग जाते हैं। बताया गया कि मुम्बई, लखनऊ, भोपाल, दिल्ली सहित देश भर से लोग जिन्हें पता लगता है वे यहां कैंसरे से छुटकारे की आस लेकर पहुंचते हैं। वैसे अभी तक यह सुनने में नहीं आया कि यहां से इलाज कराने के बाद मायूस लौटा हो। यहीं कारण है कि बड़ी संख्या में लोग इलाज के लिए यहां पहुंचते हैं।
जड़ी-बूटी के इलाज के साथ परहेज भी

    भगत बाबूलाल जो जड़ी-बूटी देते हैं उसका असर परहेज करने पर ही होता है। जड़ी-बूटियों से इलाज के दौरान मांस-मदिरा सहित अन्य प्रकार की सब्जियां प्रतिबंधित कर दी जाती है। जिसका कड़ाई से पालन करना होता है। तभी इन जड़ी-बूटी दवाईयों का असर होता है। वैसे जिन लोगों ने नियमों का परिपालन कर दवाओं का सेवन किया हैं उन्हें काफी हद तक इससे छुटकारा मिला है। बताया गया कि भगत बाबूलाल सुबह से शाम तक खड़े रहकर ही मरीजों को देखते हैं। इलाज के मामले में वे इतने सिद्धहस्त हो चुके हैं कि नाड़ी पकड़कर ही मर्ज और उसका इलाज बता देते हैं।





13.1.18

मधुमेह और हार्ट अटेक का अनुपम नुस्खा -डॉ॰आलोक


सिर्फ 2 दिन में इसका मधुमेह से सफाया -
यहाँ जो नुस्खा मैं प्रस्तुत कर रहा  हूं  बेहद आसान   है ,लेकिन बहुत मधुमेह और हार्ट अटैक के रोगियों के लिए बहुत लाभकारी है। सबसे पहले आप गेंहू को 10 मिनट तक पानी में उबालने के बाद उन्हें अंकुरित करने के लिए किसी गमले में या कपडे में रख कर उसको लगातार पानी में भिगो कर रखे ताकि वो अंकुरित हो सके।
जब गेंहू 1 इंच तक लंबे अंकुर हो जाए तब सिर्फ 2 दिन सुबह-सुबह खाली पेट उन्हें खाया जाये तो मधुमेह रोग जीवन भर के लिए चला जायेगा।जो जीवन भर वापस लौट कर नही आयेगा और इतना ही नही अगर इन्हे सिर्फ 3 दिन तक खाया जाए तो खाने वाले को जीवन में कभी भी हार्ट अटैक नही आएगा।

इस चिकित्सा को ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने जांचा और ये अद्भुत उपाय जांच में सही साबित हुआ। अब आपके मन में एक सवाल उठ रहा होगा की गेंहू को उबाले लेंगे तो वो अंकुरित कैसे होगा?
लेकिन आपको बता दे की जब उबले हुए गेंहू को अंकुरण के लिए रखा जाता है तो उनमें से लगभग 5-10% गेंहू में ही वो सामर्थ्य होता है कि वो अंकुरित हो जाये और जिन गेंहू में उबलने के बाद ये सामर्थ्य होता है वही महाऔषिधि है मधुमेह और हार्ट अटैक के लिए|









24.12.17

केस्टर आईल (अरंडी के तेल) के गुण,उपयोग, फायदे -डॉ॰आलोक

     कैस्टर ऑयल (अरंडी का तेल) प्रकृति के द्वारा दिया गया एक वरदान है जिसका उपयोग आज के समय में औषधि के रूप में रोगों के उपचार के लिए किया जाता है। इसमें मौजूद प्राकृतिक तत्व ना हमें जानें कितनी प्रकार की बीमारियों से निजात दिलाने में मदद करते है। कैस्टर ऑयल आज के समय की जादुई औषधि ही नहीं है बल्कि कई समस्याओं का भी हल है, वैसे तो हमारे आसपास ऐसे की औषधिय उपचार मौजूद है, पर कैस्टर ऑयल ऐसा प्राकृतिक उपचार है जिसका उपयोग शरीर के रोगों को दूर करने के साथ-साथ बाल, त्वचा एवं शरीर के वजन से संबंधित समस्याओं के निदान के लिए भी किया जा सकता है। जो अन्य तेल नहीं कर सकते है।
कैस्टर ऑयल (अरंडी का तेल) क्या है और यह कैसे बनाया जाता है?

कैस्टर ऑयल एक सुनहरे पीले रंग का तेल है, कैस्टर पौधे के बीज को दबाने से एक ठंडा चिपचिपा पदार्थ निकलता है। इसे रिसिनस कॉम्यूनिस के नाम से भी जाना जाता है। यह पौधा केवल भारत और अफ्रीका के जंगलों में ही पाया जाता है।
कैस्टर ऑयल को विभिन्न क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न नामों से जाना जाता है, जैसे हिन्दी में इसे “अरंडी का तेल” कहा जाता है, तो तेलुगू में आमुडामु, मराठी में एरंडेला तेला, तमिल में कैस्टर ऑयल को अमनक्कु इनने, मलयालम में अवनककेन्ना और बंगाली में रेरिर तेल के नाम से जाना जाता है। इस तेल से अखरोट के समान खुशबू आती है। इसका रंग अरंडी के तेल की मात्रा पर निर्भर करता है।
कैस्टर ऑयल के विभिन्न प्रकार (कौन सा खरीदें)
जब आप कैस्टर ऑयल दुकान में खरीदने जाएंगी तो आपको वहां सुनहरे रंग में कई तरह के तेल देखने को मिलते हैं, जिनके नाम निम्न प्रकार के होते हैं….
*आर्गनिक कैस्टर ऑयल
*रेग्यूलर कैस्टर ऑयल
*जमैकन ब्लैक कैस्टर ऑयल
जमैकन ब्लैक कैस्टर ऑयल और दूसरे कैस्टर ऑयल के बीच होने वाले अंतर?

जमैकन ब्लैक कैस्टर ऑयल तेल बालों के लिए सबसे अच्छा माना जाता है, परतुं जमैकन ब्लैक कैस्टर ऑयल में मौजूद कैस्टर के बीज की राख से यह तेल काफी काला हो जाता है। इस तेल में राख और तेल का मिश्रण होता है, जिसके कारण जमैकन ब्लैक कैस्टर ऑयल को 100% शुद्ध कहना उचित नहीं होगा। इसकी अपेक्षा लोग दूसरे अन्य तेलों को लेना ज्यादा पसंद करते है।
आपको खुद ही इस बात का चुनाव करना होगा कि आपको किस प्रकार के ऑयल को खरीदना है। इसको खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखें कि इसमें किसी प्रकार की मिलावट ना हो और यह पूरी तरह से शुद्ध हो।
कैस्टर ऑयल का कैसे करें उपयोग
कैस्टर ऑयल में एंटी बैक्टीरियल और एंटी फंगल के गुण पाए जाते हैं। इसमें पाए जानें वाले प्राकृतिक औषधिय गुणों की गुणवत्ता को देखकर ही लोग इसका प्रयोग कई तरीकों से करने लगे है। आज के समय में कैस्टर ऑयल का उपयोग सौंदर्य प्रसाधनों के अलावा कई अन्य तरह से भी किया जाने लगा है। इसका साबुन, शैम्पू, कपड़ों के उत्पादन के समय में, दवाइयों के रूप में तथा त्वचा एवं बालों में विभिन्न प्रकार के तेलों के रूप में उपयोग किया जाने लगा है।

कैस्टर ऑयल के सेहत से सम्बन्धित फायदे-
कैस्टर ऑयल हमारे स्वास्थ्य के लिए कई तरह से फायदेमंद होता है, जिसके विषय में हम कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। अरंडी के तेल में पाए जानें वाले प्राकृतिक औषधिय गुण हमारी सेहत के लिए एक वरदान के रूप में जानें जाते है। इसके चमत्कारिक गुणों को जानकर आप भी आश्चर्य में पड़ जाएंगे। इन्हीं गुणों की उपयोगिता को देखकर इसका उपयोग भारत में ही नहीं बल्कि अन्य देशों में भी औषधिय उपचार के रूप में किया जाने लगा है। इसकी इसी उपयोगिता को देखते हुए आज हम बता रहें हैं कि अरंडी के तेल का उपयोग कैसे करें।
कैस्टर ऑयल एक प्राकृतिक औषधि के रूप में सदियों से इस्तेमाल किया जा रहा है। कैस्टर ऑयल के पैक से कब्ज दूर होने के साथ ही पाचन क्रिया में सुधार होता है। इसके अलावा यह शरीर को सुचारू रूप से काम करने में मदद करता है। इससे पाचन क्रिया सही होने से मल त्याग करते समय समस्या नहीं होती है, ना ही कब्जियत होने के दौरान एनीमा की जरूरत पड़ती है। अरंडी के तेल का पैक घर पर बड़ी ही आसानी से तैयार किया जा सकता है। इसके प्रयोग के लिए एक पुराने कपड़े के साथ ही एक शीशी की आवश्यकता पड़ती है, जो कैस्टर ऑयल को एकत्रित करके रखने के काम आती है। तीन दिनों में एक बार एक चम्मच कैस्टर ऑयल का सेवन करने से आप कब्ज की समस्या से राहत पा सकती हैं।

• वैज्ञानिक शोधों के अनुसार कैस्टर ऑयल शरीर में अधिक टी-कोशिकाओं के निर्माण में सहायक होता है, जो शरीर के ट्यूमर को बढ़ने से रोकते हैं। साथ ही यह तेल जोड़ों के दर्द में, मांसपेशियों के दर्द में और शरीर में सूजन होने पर कैस्टर ऑयल को दवा के रूप में प्रयोग किया जाता है। कैस्टर ऑयल का प्रयोग करने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। जिससे श्वेत रूधिर कणिकाएं बढ़ती है।
* जिन लोगों के शरीर में तिल या मस्से अत्यधिक संख्या होती हैं वे लोग कैस्टर ऑयल का उपयोग करके कुछ ही महिने में इस समस्या से छुटकारा पा सकते हैं।
* कैस्टर ऑयल में एंटी बैक्टीरियल, एंटी फंगल और एंटी वायरल गुण पाए जाते है। जो शरीर को बाहरी संक्रमण से बचाने का काम करते हैं।


त्वचा में कैस्टर ऑयल के फायदे-


त्वचा में निखार लाने के लिए कैस्टर ऑयल सबसे अच्छा उपचार माना जाता है। यह शुष्क त्वचा के लिए वरदान के समान है। कैस्टर ऑयल का उपयोग करने से त्वचा में नमी आती है। साथ ही इससे और भी कई तरह के फायदे मिलते है। कैस्टर ऑयल चेहरे पर किस तरह से निखार लाने का काम करता है,
• कैस्टर ऑयल बढ़ती उम्र के प्रभाव के रोककर त्वचा के कोलेजल को बढ़ाता है, जिससे त्वचा जवां दिखने के साथ गोरी और सुंदर बनती है।

• कैस्टर ऑयल में पाए जानें वाले ओमेगा -3 फैटी एसिड मुँहासे के दाग धब्बों को दूर कर त्वचा को साफ सुदर चमकदार बनाने में मदद करते है।
• यदि आपके होंठ काले होने के साथ फट रहें हैं तो आप अरंडी के तेल का उपयोग कर सकती हैं। यह फटे हुए होठों के साथ पैरों की फटी हुई एड़ियों की समस्या को दूर करने में मदद करता है।
• कैस्टर ऑयल के उपयोग से गर्भावस्था के दैरान होने वाले स्ट्रैच मार्कस् को भी दूर किया जाता है। स्टैच मार्कस् को दूर करने के लिए अरंडी के तेल को इस्तेमाल करना एक बेहतर विकल्प है। इसके लिए कैस्टर ऑयल को गुनगुना करके धीरे-धीरे प्रभावित क्षेत्र की मालिश करें, इससे निशान कम होने लगते है।
बालों के लिये कैस्टर ऑयल के फायदे
कैस्टर ऑयल त्वचा के साथ-साथ बालों के लिए भी काफी अच्छा उपचार है। इसका उपयोग करने से बालों में चमत्कारिक फायदे देखने को मिलते है। हम नीचे बता रहें हैं कि कैस्टर ऑयल से बालों में किस प्रकार के फायदे देखने को मिलते हैं।

• कैस्टर ऑयल बालों की ग्रोथ के लिए सबसे अच्छा घरेलू उपचार है। इसका उपयोग करने के लिए आप इस तेल के साथ नारियल के तेल का भी उपयोग कर सकती हैं। दोनों का मिश्रण तैयार करके आप इससे बालों की जड़ों पर मालिश करें। कुछ ही दिनों में आपके बाल सुंदर, घने और मुलायम हो जाएंगे।
• अक्सर देखा जाता है कि कई लोगों के आईब्रो की ग्रोथ काफी कम होती है, आईब्रो की ग्रोथ के लिए भी अरंडी का तेल एक अच्छा उपचार है। इसके तेल से रोज मालिश करने से बाल जल्द ही आने लगते है।
• बालों की खुश्की के साथ ही रूसी को खत्म करने के लिए आप कैस्टर ऑयल का उपयोग कर सकती है। ये बालों की हर समस्या के समाधान का सबसे अच्छा उपचार है। इसकी मदद से आप बालों में जलन और खुजली जैसी समस्याओं से भी निजात पा सकती है। यह तेल बालों के अंदर की परत पर जाकर सूक्ष्मजीवों को बढ़ने से रोकता है।
• यह तेल शुष्क त्वचा पर एक प्राकृतिक मॉइस्चराइजर के रूप में काम करता है, जिससे त्वचा में नमी बनी रहती है।
इसके अलावा यह त्वचा में होने वाले बाहरी संक्रमण को रोककर, त्वचा को बैक्टिरिया मुक्त करता है। इसके साथ ही अरंडी के तेल में मौजूद रासायनिक तत्व बैक्टीरिया से लड़कर हमें कील मुंहासों से निजात दिलाने का काम करते है।

• बरडॉक की जड़ और कैस्टर ऑयल:भारत में पाई जाने वाली बरडॉक की जड़ को यदि आप कैस्टर ऑयल के साथ मिलाकर बालों पर लगाती है, तो इससे बालों की खोई हुई चमक वापस आ जाती है। यह बालों की ग्रोथ के साथ सूजन को भी करने में मदद करता है।
• कैस्टर ऑयल में पाए जानें वाले विटामिन ई के तत्व बालों को पोषित करके उन्हें बेहतर बनाते है। यह एक प्राकृतिक कंडीशनिंग के रूप में भी काम करता है। बालों के उपचार के लिए इस तेल का उपयोग सप्ताह में एक बार अवश्य करें।
• बालों के साथ-साथ आईब्रो में होने वाली रूसी को खत्म करने के लिए कैस्टर ऑयल सबसे अच्छा उपचार है। सोने से पहले इस तेल की कुछ बूंद से भौहों की रगड़ते हुए मालिश करें। एक सप्ताह के अंदर इसके परिणाम देखने को मिल जाएंगे।
• अक्सर लंबे समय तक कंप्यूटर पर काम करते रहने से आंखें सूखने लग जाती है। जिससे काफी थकान भी महसूस होती है। इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए आंखों में अरंडी के तेल की एक बूंद डालें। इस उपाय को आप सोते समय ही करें। इससे आपको काफी आराम मिलेगा।
• इन समस्याओं के अलावा कैस्टर ऑयल को बालों के रंग में सुधार लाने के लिए भी जाना जाता है।
• दोमुंहे बालों से छुटकारा पाने के लिए कैस्टर ऑयल की मालिश सिर पर नियमित रूप से रोज रात को सोने से पहले करें। इससे बाल स्वस्थ होने के साथ ही इनकी अच्छी ग्रोथ होने लगेगी।
बालों की ग्रोथ के लिए किस तरह का कैस्टर ऑयल लेना चाहिए?

जमैकन ब्लैक कैस्टर ऑयल बालों की ग्रोथ को बनाए रखने का सबसे अच्छा उपचार है। जो बड़ी ही आसानी के साथ मार्किट में उपलब्ध हो जाता है। इस तेल में किसी भी प्रकार के कोई रासायनिक तत्वों का प्रयोग नहीं किया गया है। इसके अलावा, जमैकन ब्लैक कैस्टर ऑयल में प्राकृतिक रिसिनोलिक एसिड नामक यौगिक होते है, जो बालों की बाहरी इंफेक्शन से रक्षा करते है और बालों को सूर्य की किरणों से बचाने के लिए एक कवच के रूप में तैयार रहते है। यह तेल त्वचा को बाहरी संक्रमण से बचाने का काम भी करता है। यह त्वचा में होने वाला एक्जिमा, फंगल, तिल और मस्से के साथ अन्य संक्रमणों से त्वचा की रक्षा करता है।
आखों के लिये कैस्टर ऑयल के फायदे
• इस तेल की मालिश आंखों के नीचे और आंखों के चारों ओर करते रहने से, आंखों के नीचे होने वाले काले घेरे दूर हो जाते हैं। यह आंखों के नीचे पढ़ने वाली लाइनों को हटाता है।
• यदि आपकी आंखों पर मोतियाबिंद होने की संभावनाएं नजर आ रही हो तो इसका इलाज आप कैस्टर ऑयल से कर सकती है। यह मोतियाबिंद को भी ठीक करने का सबसे अच्छा उपचार है।
आंखों के उपचार में कैस्टर ऑयल से होने वाले फायदों के बारें में भले ही आप ना जानती हो, पर कैस्टर ऑयल उपयोग दूसरे देशों में, जैसे- मिस्र के फिरौन, फारसी और चीन के लोगों में काफी समय से किया जाता रहा है। कैस्टर ऑयल के इन्हीं आश्चर्यजनक फायदों के बारे में आज हम बात कर रहें हैं।

• कैस्टर ऑयल में विटामिन ई के साथ फैटी एसिड और रिसिनोलिक एसिड पाया जाता है, जो अंदर की गंदगी को बाहर निकालने का काम करता है। यह तेल आंखों की सफाई के लिए सबसे अच्छे एजेंट के रूप में काम करता है।
शरीर के बढ़ते वजन को घटाने के लिए कैस्टर ऑयल के फायदे
अक्सर देखा जाता है कि गर्भावस्था के समय महिलाओं का वजन काफी तेजी से बढ़ने लगता है एक तो वजन दूसरा पेट के खिंचाव से स्ट्रैचमार्क्स, इन सभी समस्याओं के समानधान के लिए कैस्टर ऑयल एक दो धारी तलवार के रूप में काम करता है, जो इस तरह की समस्या का समाधान आसानी से कर सकता है। कैस्टर ऑयल शरीर के वजन कम करने के साथ खिंचाव के निशान को कम करने में मदद करता है।
शरीर के बढ़ते वजन के कम करने के लिए आप रोज सुबह के समय नाश्ते से पहले एक चम्मच अरंडी के तेल का सेवन करें। इसका सेवन आप फलों के रस के साथ भी कर सकती है। इससे पाचन क्रिया ठीक होती है। जिससे कब्जियत नहीं होती और इसका लगातार उपयोग करते रहने से आप एक सप्ताह के अंदर ही अपने वजन को कम करने में सफलता पा सकती है।
कैस्टर ऑयल से पेट की सतह की मालिश करने से पेट की चर्बी घटने लगती है।







19.12.17

वैवाहिक जीवन की मायूसी दूर करें इन जबर्दस्त नुस्खों से


आजकल के नवयुवक यौनशक्ति की दुर्बलता के शिकार आसानी से हो रहे हैं | तनाव भरी ज़िन्दगी , जंक फ़ूड एवं तैलीय मसालेदार भोजन का अधिक प्रयोग , भोजन में पोषक तत्वों की कमी तथा सुस्त जीवन शैली के कारण हमारी यौन ऊर्जा कमजोर पड़ जाती है | कुछ लोग बचपन से ही गलत संगत में पड़कर अपनी यौन शक्ति को बर्बाद कर देते हैं और बाद में पछताते हैं | वीर्य का पतलापन , जननांग में शिथिलता , शरीर में उतेजना की कमी , स्वप्नदोष आदि लक्षण हमारे शरीर में यौन शक्ति की कमी को दिखाते हैं | अलोपेथिक दवाएं शुरआती फायदा पहुंचाती हैं परंन्तु आगे चलकर इनसे साइड इफेक्ट्स होते हैं | कुछ लोग तो भटक कर नशे का शिकार हो जाते हैं और अपनी ज़िन्दगी से खिलवाड़ करते हैं | प्रकृति प्रदत्त आयुर्वेदिक औषधियां ही इस रोग में उपयुक्त उपाय हैं |

उपचार एवं नुस्खे -

5-6 छुहारों को बारक काट लें ,थोड़े काजू और बादाम भी ले लें और इनको दूध में मिश्री के साथ डालकर अच्छी तरह पकाएं | रोज रात को सोते समय यह प्रयोग करें | इसे काम शक्ति में इजाफा होता हैं |
2.गाजर
गाजर यौन शक्ति बढ़ाने में कारगर उपाय हैं | रोज सुबह शाम खाली पेट गाजर का जूस पियें | यौनशक्ति बढ़ेगी | अन्य प्रयोग में खाली पेट गाजर का मेवों से भरपूर एवं शुद्ध घी में बना हलवा खाएं और ऊपर से दूध पी लें | ये भी एक प्रभावकारी उपाय हैं |
3.असगंध और बिधारा दोनों को अलग-अलग कुट पिसकर महीन चूर्ण बना कर बराबर मात्रा में मिला लीजिए हर रोज सुबह एक चम्मच चूर्ण थोड़े से घी में मिलाकर चाट ले और ऊपर से मिश्री मिला दूध पी ले हर सर्दियों में यह प्रयोग 3-4 महीने के लिए करें और इसके साथ नारियल तेल या नारायण तेल की मालिश शरीर पर करें फिर देखे इस नुस्खे का चमत्कार
4.सूखे सिंघाड़े पिसवा लीजिए इसके आटे का हलवा बनाकर सुबह नाश्ते में अपनी पाचन शक्ति के अनुसार खूब चबा-चबा कर खाये यह शरीर को पुषट और शक्तिशाली बनाता है नवविवाहित नोजवानो के लिए यह बहुत ही उपयोगी है इससे धातुपुषट होकर शरीर बलिष्ठ होता है
5.शकरकंदी का हलवा देसी घी में बनाकर हर रोज नाश्ते में खाये इसके गुण सिंघाड़े के आटे के हलवे के बराबर है हर रोज खाने वाला व्यक्ति कभी भी शीघ्रपतन का शिकार नहीं होता
6.उड़द
उडद की दाल का शुद्ध घी में बना लड्डू खाएं | इसके ऊपर में दूध पी लें | इससे धातु पुष्ट होकर शक्ति प्राप्त होती हैं 
7.सफेद मूसली का चूर्ण एक-एक चम्मच सुबह-शाम फांक कर ऊपर से एक गिलास मिश्री मिला दूध पी ले यह प्रयोग 12 महीने करें यह प्रयोग करने से शरीर कभी भी प्रयोग नहीं होगा और बल वीर्य बढ़ेगा और यौन शक्ति बनी रहेगी
8.इमली के बीज चार दिन तक पानी में घोलकर रखे इसके बाद इनका छिलका हटाकर इसकी गिरी के दोगुने वजन के बराबर दो वर्ष पुराण गुड लेकर मिला ले अभी इनको पीसकर बराबर कर ले अभी इसकी छोटे बेर जितनी गोलिया बना ले और छाया में सुखा लीजिए सहवास करने से दो घंटे पहले पानी के साथ निगल ले |

धातु पोष्टिक नुस्खा है-

कोंच के बीज 250 ग्राम, ताल मखाना 100 ग्राम और मिश्री 350 ग्राम इन सबको अलग-अलग पीसकर चूर्ण कर ले और मिलाकर शीशी में भर ले सुबह-शाम इस चूर्ण को एक-एक चम्मच मिश्री वाले दूध के साथ पिए|
10.सफेद या लाल प्याज का रस, शहद, अदरक का रस, देसी घी 6 -6 ग्राम मिलाकर नित्य चाटे एक महीने के सेवन से नपुंसक भी शक्तिशाली हो जाता है नित्य करने से सेक्स पावर बहुत बढ़ जाती है|
11.शिलाजीत
शिलाजीत यौन शक्ति को बढ़ाने वाली अद्भुत औषधि हैं | 2 ग्राम शिलाजीत को गर्म दूध के साथ रात को रोज लें | यह यौनशक्ति तो बढाती ही हैं साथ में सारे यौन विकार भी दूर करती हैं |

पौरूष शक्ति को बढ़ाने के लिए घरेलू उपाय

* हमेंशा सर्दी हो या गर्मी गुड का सेवन अवश्य करें।
* शरीर हमेंशा बलवान रहेगा यदि आप गरम दूध के साथ शतवारी का चूर्ण मिश्री के साथ लेते हैं।
* शरीर की थकान और शरीर को उर्जावान बनाने के लिए पांव के तलवों पर पानी की धार 10 मिनट तक डालें। निश्चित ही फायदा होगा।
*तुलसी के 2 पत्तों को हमेशा खाएं कभी बीमार नहीं पड़ोगे।
* सुबह और शाम गाय के दूध का सेवन करना चाहिए।
* पाचन शक्ति के लिए काली मिर्च, सूखा करी पत्ता, लौंग और सोंठ को पीसकर आधा चम्मच दूध के साथ मिलाकर सेवन करें ।
*ताकत और उर्जा पाने के लिए शिलाजीत को दूध के साथ हमेशा पींये।
* अश्वगंधा का सेवन दूध के साथ लेने से भी आपकी शक्ति बढ़ती है।

आम-

दो से तीन महीने तक आम का रस पीने से नपुंसकता दूर होती है। यह शरीर की कमजोरी को दूर करके आपको उत्तेजित करती है।

गाजर-

गाजर वीर्य को गाढ़ा बनाता है। और इसके सेवन से मर्दों की कमजोरी दूर होती है।
शहद-
दूध के साथ शहद मिलाकर पीने से शरीर को बल मिलता है और यह नपुंसकता को भी दूरत करता है।

छुहारा-

रोज सुबह दूध में भिगोए हुऐ छुहारों को खाने से पुरूष शक्ति बढ़ती है।
नपुंसकता के रोगियों को आयुवेर्दिक उपायों के अलावा अन्य उपाय जैसे खुले मैदान में घूमना, किसी पार्क में घूमना, सूर्य उगने से पहले टहलना और नदी के किनारे घूमना आदि करना चाहिए। प्राकृतिक हवा और पानी आपके अंदर स्फूर्ति और ताकत पैदा करती है।
नपुंसकता के इलाज के लिए आप पांच ग्राम मिश्री के दानें और पांच ग्राम ईसबगोल की भूसी को रोज सुबह के समय खाएं और इसके उपर दूध पी लें। इस उपाय से शीध्रपतन और नपुंसकता दोनों दूर होती हैं।

  • पायरिया के घरेलू इलाज
  • चेहरे के तिल और मस्से इलाज
  • लाल मिर्च के औषधीय गुण
  • लाल प्याज से थायराईड का इलाज
  • जमालगोटा के औषधीय प्रयोग
  • एसिडिटी के घरेलू उपचार
  • नींबू व जीरा से वजन घटाएँ
  • सांस फूलने के उपचार
  • कत्था के चिकित्सा लाभ
  • गांठ गलाने के उपचार
  • चौलाई ,चंदलोई,खाटीभाजी सब्जी के स्वास्थ्य लाभ
  • मसूड़ों के सूजन के घरेलू उपचार
  • अनार खाने के स्वास्थ्य लाभ
  • इसबगोल के औषधीय उपयोग
  • अश्वगंधा के फायदे
  • लकवा की चमत्कारी आयुर्वेदिक औषधि वृहत वात चिंतामणि रस
  • मर्द को लंबी रेस का घोडा बनाने के अद्भुत नुस्खे
  • सदाबहार पौधे के चिकित्सा लाभ
  • कान बहने की समस्या के उपचार
  • पेट की सूजन गेस्ट्राईटिस के घरेलू उपचार
  • पैर के तलवों में जलन को दूर करने के घरेलू आयुर्वेदिक उपचार
  • लकवा (पक्षाघात) के आयुर्वेदिक घरेलू नुस्खे
  • डेंगूबुखार के आयुर्वेदिक नुस्खे
  • काला नमक और सेंधा नमक मे अंतर और फायदे
  • हर्निया, आंत उतरना ,आंत्रवृद्धि के आयुर्वेदिक उपचार
  • पाइल्स (बवासीर) के घरेलू आयुर्वेदिक नुस्खे
  • चिकनगुनिया के घरेलू उपचार
  • चिरायता के चिकित्सा -लाभ
  • ज्यादा पसीना होने के के घरेलू आयुर्वेदिक उपचार
  • पायरिया रोग के आयुर्वेदिक उपचार
  • व्हीटग्रास (गेहूं के जवारे) के रस और पाउडर के फायदे
  • घुटनों के दर्द को दूर करने के रामबाण उपाय
  • चेहरे के तिल और मस्से हटाने के उपचार
  • अस्थमा के कारण, लक्षण, उपचार और घरेलू नुस्खे
  • वृक्क अकर्मण्यता(kidney Failure) की रामबाण हर्बल औषधि
  • शहद के इतने सारे फायदे नहीं जानते होंगे आप!
  • वजन कम करने के उपचार
  • केले के स्वास्थ्य लाभ
  • लीवर रोगों की महौषधि भुई आंवला के फायदे
  • हरड़ के गुण व फायदे
  • कान मे मेल जमने से बहरापन होने पर करें ये उपचार
  • पेट की खराबी के घरेलू उपचार
  • शिवलिंगी बीज के चिकित्सा उपयोग



  • 18.12.17

    पेट के रोगों को होम्योपैथिक चिकित्सा

    * पेट के रोगों को होम्योपैथिक चिकित्सा, तेज दर्द, हिचकी, पानीदार वमन, ऐंठन, चलने का प्रयास करने पर कंपन, पैरों की पिंडलियों में मरोड़, मध्य रात्रि के बाद अधिक तेज, बिस्तर से उठकर खड़े होने पर राहत महसूस होना - क्यूप्रम आर्सेनिकम 200 - एक खुराक प्रतिदिन।
    * बहुत तेज मिचली, वमन, ठंडा पसीना और अत्यन्त बेचैनी - लॉबीलिया इन्फ्लेटा 6 - दिन में तीन बार।
    * कमजोरी और दुर्बलता, लीवर का बढ़ना - इंसुलिन 3 एक्स - एक खुराक प्रतिदिन।
    * अपेंडिसाइटिस, बाहर से महसूस किया जा सकता है, दाएँ भाग में अत्यन्त पीड़ा - बैप्टीसिया टिंक्टोरिया 3 एक्स - दिन में तीन बार या दिन में एक बार। 
    * अपेंडिसाइटिस, दाएँ भाग में दर्द, चमड़ी छूने तक से अधिक दर्द - बेलाडोना 3 एक्स - दिन में दो बार।
    * क्षुधा-विकार - नेट्रम फॉस्फोरिकम 30 - दिन में तीन बार।
    * भूख में कमी तेजी से दूबले होते जाना और वमन - आयोडियम 30 - दिन में दो बार।

    * गरिष्ठ भोजन के बाद पेट फूलना - नक्स वोमिका 30 - तीन दिनों तक दिन में तीन बार और चौथे दिन पल्सेटिला 200 एक खुराक प्रतिदिन लें।
    * पेटदर्द, पेट से वायु निकालने के लिए - कैल्सकेरिया फॉस्फोरिका 6 - दिन में तीन बार।
    * अम्लता, पेट में खट्टापन महसूस होना, दाँतों को खट्टा बनाने वाला वमन - रोबिना 30 - दिन में दो बार।
    * अम्लता, सीने में जलन, खट्टी डकार और वमन, एलोपैथिक दवाओं में मैग्नीशिया के इस्तेमाल के कारण - मैग्नीशियम कार्बोनिका 6 - दो सप्ताह में एक बार लें।
    * खट्टी डकार, वमन, कलेजे, की जलन के साथ अम्लता - लाइकोपोडियम 30 - दिन में एक खुराक।
    * तीव्र पेचिश - मरक्यूरियस कोरोसिवस 6 या कोलोसिंथ 6 या दोनों अदल-बदलकर दिन में दो दो बार।
    * पेट में जलन, खाने के बाद राहत मिलती है - फॉस्फोरस 200 - एक खुराक।
    विशिष्ट डायरिया के साथ होनेवाले रोग - क्रोटन टिंगलम 30 - दिन में तीन बार।
    * अप्राकृतिक चीजें, जैसे चॉक, मिट्टी, कोयला इत्यादि खाने की इच्छा - कैल्केरिया फॉस्फोरिका 12 एक्स - रोजाना तीन बार।
    * भूख में कमी - केरिका पपाया 30 - हर चार घंटे पर।
    * प्लीहा की बाईं ओर दर्द, पेट में लगातार दर्द - सियोनेंथस - क्यू की दो से पाँच बूँदें, दिन में दो बार।
    * पेट में गड़गड़ाहट, पेट फूल जाता हो - थुजा 30 - दिन में दो बार।
    * बच्चों का पेट बढ़ना - सल्फर 1 एम - दो सप्ताह में एक बार, केवल सुबह के समय।
    * पेट की वायु तथा यकृत (लीवर) में हुए संक्रमण के कारण उत्पन्न पेट के रोग - मल-त्याग तथा पेट से अपानवायु निकलने पर आराम मिलता है- नेट्रम आर्सेनिकम 30 - दिन में तीन बार।
    * उदरशूल (तेज पेटदर्द), गरम सिंकाई से आराम - मैग्नीशिया फॉस्फोरिकम 12 - एक्स हर घंटे।
    * अम्लता (एसिडिटी), सभी खाद्य पदार्थ खट्टे और अप्रिय लगते हैं; जलन में पानी पीने से अस्थायी राहत मिलती है - सेनिक्यूला 30 - दिन में तीन बार।
    * अत्यधिक अम्लता, जीभ के पिछले हिस्से पर पीली परत, खट्टी डकार और वमन - नेट्रम फॉस्फोरिकम 30 - छह-छह घंटे पर।


    विशिष्ट परामर्श-

    यकृत,प्लीहा,आंतों के रोगों मे अचूक असर हर्बल औषधि "उदर रोग हर्बल " चिकित्सकीय  गुणों  के लिए प्रसिद्ध है|पेट के रोग,लीवर ,तिल्ली की बीमारियाँ ,पीलिया रोग,कब्ज  और गैस होना,सायटिका रोग ,मोटापा,भूख न लगना,मिचली होना ,जी घबराना ज्यादा शराब पीने से लीवर खराब होना इत्यादि रोगों मे प्रभावशाली  है|बड़े अस्पतालों के महंगे इलाज के बाद भी  निराश रोगी  इस औषधि से ठीक हुए हैं| औषधि के लिए वैध्य दामोदर से 9826795656 पर संपर्क करें|