19.1.22

मानसिक रोगों के लक्षण और चिकित्सा:mental diseases




आधुनिक दवाएं किस तरह से मानसिक रोगों का उपचार करती हैं इस बारे में लोगों में बहुत ज़्यादा जानकारी नहीं है। और इस बारे में भी कि मानसिक रोगों में दी जाने वाली दवाएं कितनी असरकारी हैं। ज़्यादातर लोग मानते हैं कि इस क्षेत्र में डॉक्टर कुछ नहीं कर सकते और मानसिक बीमारियों के लिए वे केवल ओझाओं साधुओं आदि पर ही विश्वास करते हैं।

 mental diseases

 ज़्यादातर लोगों को मानसिक रोगों के इलाज के लिए बिजली के झटकों और बंद करके रखे जाने के बारे में ही पता है। इस भाग में मानसिक रोगों के उपचार के बारे में बताया जा रहा है। निरोगण के मुख्य अवयव हैं दवाएं, बातचीत, आपातकालीन स्थिति में बिजली के झटके देना, अस्पताल में रखना और पुनर्वास। हर मामले में इनमें से सब की ज़रूरत नहीं होती। साधारण बीमारी दवाइयों और सुझावों से ही ठीक हो सकती है। गंभीर बीमारियॉं जैसे विखन्डित मनस्कता तक भी केवल दवाओं से दूर हो जाती हैं।
  अस्पताल में रखे जाने और बिजली के झटकों की ज़रूरत कभी कभी ही होती है। विखन्डित मनस्कता और उन्माद अवसादी विक्षिप्ति में लंबे समय तक मानसिक रोगों mental diseases
 के इलाज की ज़रूरत होती है।इन बीमारियों में हालांकि पूरी तरह से ठीक होना मुश्किल है परन्तु इलाज से स्थिति को बिगड़ने से रोका जा सकता है। मानसिक रोगों में इलाज लगातार चलने की ज़रूरत होती है।
इस रोग के होने का सबसे प्रमुख कारण गलत तरीके का खान-पान है। शरीर में दूषित द्रव्य जमा हो जाने के कारण मस्तिष्क के स्नायु में विकृति उत्पन्न हो जाती है जिसके कारण मस्तिष्क के स्नायु अपना कार्य करना बंद कर देते हैं और मानसिक रोग हो जाता है।
• शरीर के खून में अधिक अम्लता हो जाने के कारण भी यह रोग हो सकता हैं क्योंकि अम्लता के कारण मस्तिष्क (नाड़ियों में सूजन) में सूजन आ जाती है जिसके कारण मस्तिष्क शरीर के किसी भाग पर नियंत्रण नहीं रख पाता है और उसे मानसिक रोग  mental diseases हो जाता है।
• अधिक चिंता, सोच-विचार करने, मानसिक कारण, गृह कलेश, लड़ाई-झगड़े तथा तनाव के कारण भी मस्तिष्क की नाड़ियों में रोग उत्पन्न हो जाता है और व्यक्ति को पागलपन का रोग हो जाता है।
• अधिक मेहनत का कार्य करने, आराम न करने, थकावट, नींद पूरी न लेने, जननेन्द्रियों की थकावट, अनुचित ढ़ग से यौनक्रिया करना, आंखों पर अधिक जोर देना, शल्यक्रिया के द्वारा शरीर के किसी अंग को निकाल देने के कारण भी मानसिक रोग हो सकता है।
• यह रोग पेट में अधिक कब्ज बनने के कारण भी हो सकता है क्योंकि कब्ज के कारण आंतों में मल सड़ने लगता है जिसके कारण दिमाग में गर्मी चढ़ जाती है और मानसिक रोग हो जाता है।

होम्योपैथी-

  होम्योपैथी मानसिक बीमारियों mental diseases  के इलाज के लिए काफी उपयोगी होती है। इसलिए आपको जहॉं भी ज़रूरी हो होम्योपैथी का इस्तेमाल करना चाहिए।
  • नजला जुकाम के घरेलु आयुर्वेदिक उपचार

    मानसिक रोगों के लिए होम्योपैथिक दवाओं के बारे ध्यान से पढें।
    इन्हें शायद सहायता की ज़रूरत है
    जिन लोगों को मनोचिकित्सा की ज़रूरत होती है, उनकी सूची नीचे दी गई है।
    जो कि बेसिरपैर की बातें करता हो और अजीबोगरीब और असामान्य व्यवहार करता हो।
    जो बहुत चुप हो गया हो और औरों से मिलना जुलना और बात करना छोड़ दे।
    अगर कोई ऐसी बातें सुनने या ऐसी चीज़ें देखने का दावा करे जो औरों को न सुनाई / दिखाई दे रही हों।
    अगर कोई बहुत ही शक्की हो और वह हमेशा यह शिकायत करता रहे कि दूसरे लोग उसे नुकसान पहुँचाने की कोशिश कर रहे हैं।
       अगर कोई ज़रूरत से ज़्यादा खुश रहने लगे, हमेशा चुटकुले सुनाता रहे या कहे कि वह बहुत अमीर है या औरों से बहुत बेहतर है जबकि वास्तव में ऐसा नहीं हो।
    अगर कोई बहुत दु:खी रहने लगे और बिना मतलब रोता रहे।
    अगर कोई आत्महत्या की बातें करता रहे या उसने आत्महत्या की कोशिश की हो।
    अगर कोई कहे कि उसमें भगवान या कोई आत्मा समा गई है। या अगर कोई कहता रहे कि उसके ऊपर जादू टोना किया जा रहा है या कोई बुरी छाया है।
    अगर किसी को दौरे पड़ते हों और उसे बेहोशी आ जाती हो और वो बेहोशी में गिर जाता हो।
    अगर कोई बहुत ही निष्क्रिय रहता हो, बचपन से ही धीमा हो और अपनी उम्र के हिसाब से विकसित न हुआ हो।


    गुस्सा आना
    कुछ लोगो को बहुत गुस्सा आता है। छोटी-छोटी बातों पर भी उन्हें इतना गुस्सा आता है कि गुस्से में सामान फेंकना, मार-पीट करना, चीखना ये सब करने लगते हैं। धीरे-धीरे उनका यह स्वाभाव बन जाता हैं। स्वाभाव ईर्ष्या करना
    आज के समय में जहां हर जगह प्रतिस्पर्धा बहुत बढ़ रही है, वहीं लोगों में एक-दूसरे के प्रति ईर्ष्या की भावना भी बढती जा रही है। जब ये विचार मन में बार-बार आने लगते हैं तो मन और तन में कई प्रकार के रोग उत्पन्न होने लगते हैं। 

    ईर्ष्या से बचने के लिए कुछ होम्योपैथी मेडिसिन्स हैं-

    हांयसोमस (Hyos)
    लेकेसिस (Lach)
    एपिस-मेलिफिका (Apis-Melifica)चिड़चिड़ा हो जाता हैं।
    कई बार यह विचार आता है कि लोग उसके बारे में क्या कहेंगे और इसी वजह से उसे बहुत क्रोध आता है। कभी-कभी जब कोई व्यक्ति इस गुस्से और अपमान को मन में दबा कर रखता हैं तो कई प्रकार के शारीरिक और मानसिक रोग उत्पन्न होने लगते हैं। इस विकार की होम्योपैथिक मेडिसिन्स हैं-
    केमोमिला (chamomila)
    नक्स-वोमिका (Nux-Vomica)
    स्टेफीसेंग्रिया (Staphy)
    लायकोपोडियम (Lycopodium)

    डर लगना

    कुछ लोगों को हमेशा डर लगता हैं। जैसे अंधेरे से, अकेले रहने से, ऊंचाई से, मरने से, भीड़ से, एग्जाम से, रोड पार करने से और अकेलेपन से। धीरे-धीरे ये डर कई तरह के शारीरिक और मानसिक रोग पैदा कर देता हैं। डर की होम्योपैथिक मेडिसिन्स हैं-
    आर्जेंटिकम-नाइट्रीकम (Arg-Nit)
    एकोनाईट (Aconite)
    स्ट्रामोनियम (Stramonium)
    एनाकार्डियम (Anacard)

    रोना

    अक्सर कुछ लोग खासकर महिलाएं जरा-जरा सी बात पर रो देती हैं। किसी ने कुछ कहा नहीं कि आंसू बहने लगते हैं। छोटी-छोटी बात पर रोना आता है, जो एक प्रकार का मनोविकार हैं। इसके लिए कुछ होम्योपैथिक मेडिसिन्स हैं-
    नेट्रम-म्यूर(Nat-Mur)
    पल्सेटिला(Puls)
    सीपिया (Sepia)

    आत्महत्या करने का विचार

    कई बार बहुत से लोगों को छोटी-छोटी बात पर आत्महत्या करने का विचार मन में आने लगता है। जरा सी कोई परेशानी आई नहीं, कि वो मरने का सोचने लगते हैं। लेकिन होम्योपैथिक मेडिसिन देने से इस प्रकार के विचार धीरे-धीरे कम हो जाते हैं। ऐसी ही कुछ दवाइयां हैं-
    औरम-मेट (Aur-Met)
    आर्स-एल्बम (Ars-Alb)

    शक करना

    कुछ लोगों को हर बात में शक करने की आदत होती है। छोटी-छोटी बातो में वो शक करते हैं। हर किसी को शक भरी नजर से देखते हैं। ऐसे लोगों के लिए कुछ होम्योपैथी मेडिसिन्स हैं-
    हांयसोमस (Hyos)
    लेकेसिस (Lach)

    झूठ बोलना

    बहुत से लोगों की हर बात पर झूठ बोलने की आदत होती हैं जोकि आजकल ज्यादातर लोगों में देखने को मिलती है। इसे दूर करने के लिए कुछ होम्योपैथी दवाइयां हैं-
    आर्ज-नाईट्रीकम (Arg-Nit)
    कौस्टिकम (Caust)

    उचित मानसिक स्वास्थ्य-

    अभी तक हमने मानसिक रोगों और समस्याओं के बारे में बात की है। परन्तु उचित मानसिक स्वास्थ्य भी कोई चीज़ है और हम सबको अपना मानसिक स्वास्थ्य वैसा बनाना चाहिए। साथ ही मानसिक स्वास्थ्य ठीक रख पाने में दूसरों की मदद करनी चाहिए।
     यह ज़्यादातर लोगों के लिए बचपन से ही शुरू हो जाता है, परन्तु कभी भी बहुत देर नहीं हुई होती।
    रोज़ कसरत करना, सैर करना और खेलना अच्छे मानसिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण हैं।
    टीम वाले खेल सबसे ज़्यादा अच्छे होते हैं क्योंकि इनसे दिमाग में गलत विचार नहीं आते।
    योगा से मदद मिलती है। और योगा ज़रूर करना चाहिए 
      सार्थक काम करने और काम में संतुष्टी होने से भी मानसिक स्वास्थ्य अच्छा रहता है।
    हमें अपने बारे में ध्यान से सोच कर अपनी स्वाभाव को समझना चाहिए और अपनी गलतियों को सुधारना चाहिए। किताबों और दोस्तों से सबसे ज़्यादा मदद मिलती है।

    धर्म – 

    सहानुभूति, वैराग्य, आदर और अच्छा इन्सान बनने के धर्म के बुनियादी सिद्धांत से मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता है। इससे जीवन के दु:खों और मुश्किलों से निपटने में मदद मिलती है। परन्तु उन लोगों से सावधान रहें जो कि धर्म के नाम पर लोगों के बीच फूट डालने की कोशिश करते हैं।
    नाच गाने, होली, डांडिया आदि जैसी सामाजिक घटनाएं लोगों के दिमाग से गलत विचार निकलाने में मदद करती हैं। जब भी ऐसे मौके आएं तो लोगों के साथ मिलने जुलने की कोशिश करें।

    देसी घरेलु उपचार व आयुर्वेदिक नुस्खे-

    • अखरोट की बनावट मानव-मस्तिष्क जैसी  होती है । अतः प्रातःकाल एक अखरोट व मिश्री दूध में मिलाकर ‘ ॐ ऐं नमः’ या ‘ ॐ श्री सरस्वत्ये नमः ‘ जपते हुए पीने से मानसिक रोगों mental diseases  में लाभ होता है व यादशक्ति पुष्ट होती है ।
    • मालकाँगनी का 2-2 बूँद तेल एक बताशे में डालकर सुबह-शाम खाने से मस्तिष्क के एवं मानसिक रोगों में लाभ होता है।
    • स्वस्थ अवस्था में भी तुलसी के आठ-दस पत्ते, एक काली मिर्च तथा गुलाब की कुछ पंखुड़ियों को बारीक पीसकर पानी में मिलाकर प्रतिदिन सुबह पीने से मस्तिष्क की शक्ति बढ़ती है। इसमें एक से तीन बादाम मिलाकर ठंडाई की तरह बना सकते हैं। इसके लिए पहले रात को बादाम भिगोकर सुबह छिलका उतारकर पीस लें। यह ठंडाई दिमाग को तरावट व स्फूर्ति प्रदान करती है।
  • नजला जुकाम के घरेलु आयुर्वेदिक उपचार


    • रोज सुबह आँवले का मुरब्बा खाने से भी स्मरण शक्ति में वृद्धि होती है। अथवा च्यवनप्राश खाने से इसके साथ कई अन्य लाभ भी होते हैं।
    • गर्म दूध में एक से तीन पिसी हुई बादाम की गिरी और दो तीन केसर के रेशे डालकर पीने से मानसिक रोगों  mental diseases में लाभ होता है साथ ही स्मरणशक्ति तीव्र होती है।
    • सिर पर देसी गाय के घी की मालिश करने से भी मानसिक रोगों में लाभ होता है।
    • मूलबन्ध, उड्डीयान बंध, जालंधर बंध (कंठकूप पर दबाव डालकर ठोडी को छाती की तरफ करके बैठना) से भी बुद्धि विकसित होती है, मन स्थिर होता है।
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    23.12.21

    आलू खाने के स्वास्थ्य लाभ:benefits of potatoes

     




       हर इंसान को आलू खाना पंसद होता है। इसे सभी अपने-अपने तरीके से रेसिपी बनाकर खाते है। लेकिन आप जानते है कि यह हमारी सेहत के लिए कितना फायदेमंद है। इसका सेवन करने से आपको कई बीमारियों से निजात मिल जाता है। इसका इस्तेमाल करने से केवल सेहत ही नहीं बल्कि सौंदर्य के लिए भी किया जाता है। कई लोग मानते है कि आलू खाने से आप मोटे हो जाएगे। जबकि ऐसा कुछ नहीं है |   
    *उच्च रक्तचाप के रोगी भी आलू खाएँ तो रक्तचाप को सामान्य बनाने में लाभ करता है।
    * आलू को पीसकर त्वचा पर मलें। रंग गोरा हो जाएगा।
    * कच्चा आलू पत्थर पर घिसकर सुबह-शाम काजल की तरह लगाने से 5 से 6 वर्ष पुराना जाला और 4 वर्ष तक का फूला 3 मास में साफ हो जाता है।
    benefits potatoes -आलू का रस दूध पीते बच्चों और बड़े बच्चों को पिलाने से वे मोटे-ताजे हो जाते हैं। आलू के रस में मधु मिलाकर भी पिला सकते हैं। 

    * आलुओं में मुर्गी के चूजों जितना प्रोटीन होता है, सूखे आलू में 8.5 प्रतिशत प्रोटीन होता है। आलू का प्रोटीन बूढ़ों के लिए बहुत ही शक्ति देने वाला और बुढ़ापे की कमजोरी दूर करने वाला होता है।
    भुना हुआ आलू पुरानी कब्ज और अंतड़ियों की सड़ांध दूर करता है। आलू में पोटेशियम साल्ट होता है जो अम्लपित्त को रोकता है।
    * चार आलू सेंक लें और फिर उनका छिलका उतार कर नमक, मिर्च डालकर नित्य खाएँ। इससे गठिया ठीक हो जाता है।
    benefits potatoes- गुर्दे की पथरी में केवल आलू खाते रहने पर बहुत लाभ होता है। पथरी के रोगी को केवल आलू खिलाकर और बार-बार अधिक पानी पिलाते रहने से गुर्दे की पथरियाँ और रेत आसानी से निकल जाती हैं। 

    *क्या आप जानते हैं आलू में बहुत अधिक मात्रा में पोटैशियम पाया जाता हैं. जो कि सेहत के लिए फायदेमंद है. ऐसे में आपको कोशिश करनी चाहिए कि जब आप आलू का इस्तेमाल करें तो उसे अच्छे से धोकर बिना छिलका उतारे ही इस्तेमाल करें. ताकि इसमें मौजूद पौटेशियम का पूरा-पूरा फायदा मिल सके|
    * रक्तपित्त बीमारी में कच्चा आलू बहुत फायदा करता है।
    * कभी-कभी चोट लगने पर नील पड़ जाती है। नील पड़ी जगह पर कच्चा आलू पीसकर लगाएँ ।
    * शरीर पर कहीं जल गया हो, तेज धूप से त्वचा झुलस गई हो, त्वचा पर झुर्रियां हों या कोई त्वचा रोग हो तो कच्चे आलू का रस निकालकर लगाने से फायदा होता है।

    आलू का रस पीने के फायदे / benefit of potato juice

    आलू के जूस को पीने से आप आसानी से अपने कोलेस्ट्रोल के स्तर को नियंत्रण में रख सकते हैं। यह आपके समस्त स्वस्थ्य सम्बन्धी समस्या का हल भी है।
    *आलू का जूस आपके बढ़ते हुए वजन को घटा देता है। इसके लिए सुबह अपने नाश्ते से दो घंटे पहले आलू का जूस का सेवन करें। यह भूख को नियंत्रित करता है और वजन को कम कर देता है।
    *गठिया के रोग में आलू का जूस बेहद कारगर तरह से काम करता है। आलू के जूस को पीने से यूरिक एसिड शरीर से बाहर निकलता है। और गठिया की सूजन 
    gout inflammation को कम करता है।
    *लिवर और गॉल ब्लैडर की गंदगी को निकालने के लिए आलू का जूस काफी मददगार साबित होता है। जापानी लोग हेपेटाइटिस से निजात पाने के लिए आलू के जूस का इस्तमाल करते हैं ।
     *आपके बालों को जल्दी बड़ा करने के लिए आलू के जूस का नियमित मास्क काफी मददगार साबित होता है। एक आलू को लेकर इसका छिलका निकाल लें। इसके टुकड़ों में काटकर पीस लें। अब इससे रस निकाल लें और इसमें शहद और अंडे का उजला भाग मिला लें। अब इस पेस्ट को सर और बालों पर लगाएं। इसे दो घंटे तक रखें और उसके बाद शैम्पू से धो लें।

    *अगर आप डाइबिटीज के मरीज हैं तो यह आपके लिए बेहद फायदेमंद चीज है। इसका सेवन करने से यह शरीर के खून में शर्करा के स्तर को कम करने में काफी प्रभावकारी साबित होगा।
    *अगर आपको एसिडिटी की समस्या है तो आलू का रस काफी फायदेमंद साबित हो सकता है। इसके लिए इसके रस को रोजना आधा कप पिएं। इससे आपको लाभ मिलेगा।
    *ह्रदय की बिमारी और स्ट्रोक से बचने और इसे कम करने के लिए आलू सबसे अच्छा उपाय है।
    यह नब्ज़ के अवरोध, कैंसर, हार्ट अटैक और ट्यूमर को बढ़ने से कम करता है।
    *potato juice-किडनी की बिमारियों का इलाज करने के लिए आलू का जूस पीने की आदत डालें। यह ब्लड प्रेशर और डायबिटीज को नियंत्रण में रखने में भी मदद करता है। आलू का जूस मूत्राशय में कैल्शियम का पत्थर बनने नहीं देता।

    *gout inflammation-आलू का जूस जोड़ों के दर्द व सूजन को खत्म करता है। अर्थराइटिस से परेशान लोगों को दिन में दो बार आलू का जूस पीना चाहिए। यह दर्द व सूजन में राहत देता है। शरीर में खून के संचार को भी बेहतर बनाता है आलू का जूस।
    *अगर आपके चेहरे में दाग, धब्बे और पिपंल है तो आलू का रस काफी फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि इसमें भरपूर मात्रा में विटामिन सी और बी कॉम्प्लेक्स के साथ पोटेशियम, मैग्नीशियम, फास्फोरस और जस्त जैसे खनिज पाया जाता है, जोकि हमारी स्किन के लिए फादेमंद है

    क्या हम आलू का जूस स्टोर कर सकते हैं?

    आलू का जूस फ्रिज में ज्यादा से ज्यादा 3 से 4 दिन तक रह सकता है। लेकिन इसे जितना हो सके ताजा सेवन करने की सलाह दी जाती है।

    आलू का रस कैसे बनाएं

    आलू का रस बनाने का तरीका बहुत ही आसान है। नीचे जानिए आलू का जूस कैसे बनाते हैं:

    सामग्री :
    1-2 आलू

    बनाने की विधि:

    सबसे पहले बिना किसी दाग-धब्बों वाला कच्चा आलू लें।

    अब इसे अच्छी तरह धो लें।
    अगर इस पर कोई अंकुरित कोंपले हैं, तो उसे भी हटा दें।
    अब आलू को छीलकर इसे कद्दूकस कर लें।
    अब एक कटोरी में आलू के इस गूदे को निचोड़कर उसका रस निकालें और उसका सेवन करें।

    रोजाना आलू का जूस पीने से क्या हो सकता है?

    अगर रोजाना उचित मात्रा में आलू का जूस का सेवन किया जाए, तो यह गठिया, कब्ज, शरीर की सफाई करने और पेट से जुड़ी समस्याओं से बचाव में मदद कर सकता है
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  • 2.12.21

    छुहारे ,खजूर,खारक खाने के फायदे : Benefits of dates




    प्राचीन काल से ही हमारे यहां लोग छुहारे का सेवन करते आ रहे हैं। जहां गर्मियों में छुहारे के सेवन से शरीर में ऊर्जा बनी रहती है, तो वहीं सर्दियों में इसके छुहारे के फायदे बढ़ जाते हैं। क्योंकि ये शरीर को गर्माहट देने के साथ ही डायबिटीज, साइटिका, कब्ज समेत कई सारी गंभीर बीमारियों से भी बचाता है। आयुर्वेद में छुहारे के फायदे का विस्तृत रूप से उल्लेख मिलता है। इसलिए आज हम आपको छुहारे के फायदे के बारे में बता रहें हैं। जिससे आप छुहारे का सेवन करके खुद को सेहतमंद बना सकते हैं और कई सारी गंभीर बीमारियों से छुटकारा पा सकते हैं।

    छुहारे का नित्य उपयोग करने से हमारे फेफड़े व् चेस्ट को शक्ति मिलती है। और साँस के रोगियों के लिए बहुत लाभकारी होती है।
     शरीर को मजबूत बनाने के लिए 2 या 3 छुहारों का उपयोग प्रतिदिन किया जाता है।
    *प्रतिदिन छुहारो का उपयोग करने से पेट में गैस आदि नहीं बनती है ।और शरीर हष्ठ्पुष्ठ बना रहता है।
    *छुहारे की गुठली पानी के साथ सिल पर घिस कर उसे फोड़े फुंसी पर लगाने से बहुत फायदा होता है। छोटे बच्चों को छहारा खिलाने से बच्चो को सोते समय पेशाब करने की समस्या दूर हो जाती है। इसी कारण से छुहारा हमारे शरीर के लिए बहुत ही लाभदायक होता है।और हमारे शरीर के लिये उपयोगी होता है। बच्चो के शरीर के विकार के लिए छुहारा रामबाण की तरह काम करता है।
    *छुहारे खानें के फायदे: छुहारे स्वास रोग मे बहूत ही फायदेयंद है क्योकि यह छाती और फेफड़ो को ताकत देने मे मदद करता है। अगर हमारे फेफड़े मजबूत होते हैं तो हमें सांस के रोग कम से कम लगते हैं। और अगर पहले किसी को सांस के रोग है और वह छुहारे का सेवन करते हैं तो उनको इस में बहुत ही फायदा मिलता है। दूध के साथ इसका सेवन करने पर यह शरीर को मजबूत बनाता है। अगर आपका शरीर कमजोर है तो आपको छुहारे का सेवन दूध में डालकर करना चाहिए। जिसके साथ साथ आपका वजन बढ़ने लगेगा और आपका शरीर भी मजबूत होने लगेगा। दूध मे उबाल कर इसको 2 से 3 महीने लगातार खाने पर यह आपका वजन बढ़ाने मे भी मदद करता है।आपको बता दें कि छुहारा, खजूर के सूखने के बाद बनता है।

    ब्लड प्रेशर

    छुहारा लो ब्लड प्रेशर वाले लोग 3-4 खजूर गर्म पानी में धोकर गुठली निकाल दें. इसके बाद गाय के गर्म दूध के साथ छुहारे के गुदे को उबाल लें. उबले हुए दूध को सुबह-शाम पीएं. कुछ दिनों तक इसका सेवन करने से लो ब्लड प्रेशर से छुटकारा मिल जाएगा.

    डाइजेशन में लाभदायक

    छुहारा खाने से पेट को अतिरिक्त बल मिलता है जिससे भोजन अच्छी तरह पच जाता है. रोजाना छुहारे का सेवन करने से आपका डाइजेशन अच्छा रहेगा.

    कब्ज

    रोजाना सुबह-शाम तीन छुहारे खाकर गर्म पानी पीने से कब्ज की समस्या दूर होती है. इसके अलावा खजूर का अचार भोजन के साथ खाया जाए तो अजीर्ण रोग नहीं होता.

    दिल की समस्या को दूर करे छुहारा

    बता दें कि हृदय प्रणाली पर छुआरा काफी प्रभावशाली है। चूंकि छुहारे के अंदर वसा कम मात्रा में पाया जाता है और इसके अंदर किसी भी प्रकार का कोलेस्ट्रोल भी नहीं पाया जाता है जो खराब कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करता है। साथ ही इसके अंदर सोडियम की मात्रा भी कम होती है व पोटेशियम अधिक होता है जो शरीर में रक्त के दबाव को नियंत्रित करता है।

    आंख पर गुहेरी

    आंख पर गुहेरी होने पर इसका लेप इस्तेमाल करने पर आपको जल्दी फायदा मिलेगा और इसके साथ साथ आप लेप को शरीर के किसी भी घाव पर भी इस्तेमाल कर सकते है। इसके अलावा जिन लोगों को रात में दिखाई नहीं देता है अगर वह लोग छुहारे का लगातार सेवन करते हैं तो उन को रात में न दिखने की प्रॉब्लम कम हो जाती है। इसमे मौजूद कैल्सियम आपकी हड्डियों को मजबूत करता है। जो इसके साथ-साथ यह हमारी हड्डियों को स्वस्थ और ताकतवर बनाने का काम करता है। यह कई तरह की बीमारियों से भी लड़ता है।जैसे कि हमारी हड्डियों में दर्द होना। खजूर में मेगनीज, कोपर और मैग्नीशियम भरपूर मात्रा में होता है जो की हड्डियों की हेल्थ के लिए बहुत ही बढ़िया है।
    *रेगुलर3 छुहारे खाने के बाद 1 ग्लास गरम पानी पीने से आपको बवासीर,कब्ज, और गैस की दिक्कत से छुटकारा मिल जाएगा। यह एनर्जी बूस्ट करने का भी काम करता है क्योंकि इसमें नेचुरल सुगर होता है। उसको आप एक्सरसाइज के बाद ले सकते हैं या एक्सरसाइज से पहले इसको आप ले सकते हैं। यह आपको जल्दी एनर्जी देने का काम करेगा। आपने बादाम का हलवा तो खूब खाया होगा लेकिन क्या आपने छुहारा का हलवा खाया है? यह भी बादाम के हलवे की तरह बहुत ही स्वादिष्ट होता है। यह हलवा सर्दियों के दिनों में बहुत ही लाभदायक होता है। इसे आप कई दिनों तक रख भी सकते हैं।

    खांसी और जुकाम को दूर करें खजूर और दूध

    दूध और खजूर का उपयोग काफी पुराने समय से चला आ रहा है। यह न केवल खांसी जुकाम की परेशानी को दूर करता है बल्कि अगर एक चुटकी काली मिर्च और इलाइची का पाउडर दूध में मिलाया जाए और खूजर के साथ इसका सेवन किया जाएगा तो यह सर्दी भगाने में भी बेहद उपयोगी है।

    जुएं

    छुहारे की गुठली को पानी में घिसकर सिर पर लगाने से सिर की जुएं मर जाती हैं.

    श्वास संबंधी रोग में फायदेमंद

    छुहारे श्वास रोग मे बहुत ही कारगर साबित होता है, क्योंकि यह छाती और फेफड़ों को ताकत देने मे मदद करता है. अगर हमारे फेफड़े मजबूत होते हैं तो हमें श्वास संबंधी रोग नहीं होते और अगर पहले से किसी को सांस संबंधी परेशानी है तो छुहारे का सेवन करने से बहुत ही फायदा मिलता है.

    पेशाब की समस्या करे दूर

    छुहारे खाने से पेशाब का रोग दूर होता है. बुढ़ापे में पेशाब बार-बार आता हो तो दिन में दो छुहारे खाने से बहुत लाभ होगा. इसके अलावा यदि आपका बच्चा बिस्तर पर पेशाब करता हो तो उसे भी रात को छुहारे वाला दूध पिलाएं

    बालों को स्वस्थ बनाएं

    छुआरे के अंदर विटामिन b5 पैंटोथैनिक एसिड पाया जाता है जो बालों के लिए एक हेल्दी खुराक के रूप में काम करता है। ऐसे में इसका नियमित रूप से सेवन सेवन रूखे बालों का झड़ना, दो मुंहिये वालों की समस्या आदि को दूर कर सकता है। वहीं जो लोग बाल झड़ने की समस्या से परेशान रहते हैं वे नियमित रूप से छुहारे का उपयोग कर सकते हैं। छुहारा पोषक तत्व से भरा हुआ है, ऐसे में ये स्वस्थ बालों का विकास करता है और बालों को मजबूती देता है, जिससे बाल चमकदार नजर आते हैं।

    भूख न लगने की समस्या को करे खत्म

    जिन लोगों को भूख नहीं लगती है उन्हें छुहारे का सेवन जरूर करना चाहिए. इसके लिए छुहारे के गूदे को दूध के साथ उबाल लें. ठंडा होने के बाद दूध को मिक्सर में डालकर पीस लें. इसके सेवन करने से भूख न लगने की समस्या खत्म हो जाती है.

    वजन बढ़ाने में मददगार

    शारीरिक रूप से कमजोर और पतले लोगों के लिए छुहारा किसी वरदान से कम नहीं है. इसके लिए छुहारे को दूध के साथ मिलाकर पिएं. लेकिन अगर मोटे हैं तो इसका सेवन सावधानीपूर्वक करें.

    दूध में कितने छुहारे खाने चाहिए?

    रोजाना दूध और 3 छुहारे का सेवन शरीर को मजबूत बनाता है और कमजोरी को दूर भगाता है। अत्यधिक दुबले-पतले व्यक्ति अगर रोजाना 250 ग्राम दूध में छुहारे उबालकर इसका सेवन करते हैं तो इससे उन्हें मोटापा बढ़ाने में मदद मिलती है।

    सर्दी-जुकाम को भगाए दूर

    सर्दी-जुकाम से परेशान हैं तो एक गिलास दूध में पांच छुहारे, पांच दाने काली मिर्च और एक इलायची डालकर अच्छी तरह उबाल कर उसमें एक चम्मच घी डालें. फिर रात में सोने से पहले पी लें. सर्दी-जुकाम तुरंत आराम मिल जाएगा. इसके अलावा छुहारे को घी में भूनकर दिन में 2-3 बार सेवन करने से खांसी, छींक, और बलगम में भी राहत मिलती है.

    घाव व चोट भरने में लाभदायक

    छुहारे की गुठली को पानी के साथ पत्थर में घिस लें. इस पेस्ट को घाव और चोट पर लगाने से यह जल्दी भर जाता है.

    दांतों को बनाए मजबूत

    छुहारे को गर्म दूध के साथ पीने से कैल्शियम की कमी से होने वाले रोग, जैसे दांतों की कमजोरी, हड्डियों का गलना आदि में भी लाभ मिलता है.

    कब्ज की समस्या

     रोजाना सुबह-शाम तीन छुहारे खाकर गर्म पानी पीने से कब्ज की समस्या दूर होती है. इसके अलावा खजूर का अचार भोजन के साथ खाया जाए तो अजीर्ण रोग नहीं होता. छुहारे खाने से पेशाब का रोग दूर होता है. बुढ़ापे में पेशाब बार-बार आता हो तो दिन में दो छुहारे खाने से बहुत लाभ होगा

    खजूर खाने का सही समय क्या है?

    एक्सपर्ट की मानें तो खजूर सुबह के वक्त खाना ज्यादा बेहतर होता है. अगर आपका हीमोग्लोबिन लेवल कम है तो इसे लंच में खाने के बाद खाएं. बच्चों को दिन में खाने के बीच खजूर देना ज्यादा बेहतर विकल्प माना जाता है
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  • 28.11.21

    गाय के घी के कमाल के फायदे:Benefits of Cow Ghee

     




     अध्यात्म और शारीरिक दोनों ही रूप से गाय के घी का बहुत ही महत्व है। शास्त्रों में और आयुर्वेद में इसको अमृत सामान माना गया है। इसको देवी देवता को खुश करने के लिए शुद्ध घृत की ज्योति एवं हवन में उपयोग किया जाता है। इसके सेवन से कमजोर व्यक्ति के कई रोग दूर होकर शरीर बलवान और शक्तिशाली बनता है। इससे त्वचा,सिर,पेट के रोगो में लाभ होता है। इसकी कुछ बुँदे नाक में डालने से, एनिमा लेने से पित्त और वात रोग का इलाज किया जाता है। घृत के सेवन के अनगिनत फायदे है।

    स्त्री यौन रोग (श्वेत प्रदर) में

    घी, छिलका सहित पिसा हुआ काला चना और पिसी शक्कर (बूरा) तीनों को समान मात्रा में मिलाकर लड्डू बाँध लें। प्रातः खाली पेट एक लड्डू खूब चबा-चबाकर खाते हुए एक गिलास मीठा गुनगुना दूध घूँट-घूँट करके पीने से स्त्रियों के प्रदर रोग में आराम होता है, पुरुषों का शरीर मोटा ताजा यानी सुडौल और बलवान बनता है।

    गाय के घी के सेवन कमजोरी का इलाज

    यह स्मरण रहे कि घृत के सेवन से कॉलेस्ट्रॉल नहीं बढ़ता है। वजन भी नही बढ़ता, बल्कि वजन को संतुलित करता है । यानी के कमजोर व्यक्ति का वजन बढ़ता है, मोटे व्यक्ति का मोटापा (वजन) कम होता है।

    आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए

    एक चम्मच शुद्ध घृत में एक चम्मच बूरा और 1/4 चम्मच पिसी काली मिर्च इन तीनों को मिलाकर सुबह खाली पेट और रात को सोते समय चाट कर ऊपर से गर्म मीठा दूध पीने से आँखों की ज्योति बढ़ती है।

    यादाशत बढाएं

    गाय के घी को नाक में डालने से यादाशत अच्छी होती है और बच्चों के लिए यह बहुत फायदेमंद है।

    बलगम से छुटकारा

    घी की झाती पर मालिस करने से बच्चो के बलगम को बहार निकालने मे सहायक होता है।

    फफोले का उपचार

    फफोलो पर गाय का देसी घी लगाने से आराम मिलता है।

    अच्छी नींद

    रात को नींद नहीं आती तो रात को नाक में घी डालकर सोएं,नींद अच्छी आएगी और सारा दिन फ्रैश रहेगें।

    पुराने जुखाम से राहत

    लंबे समय से जुखाम से परेशान हैं और दवाइयों से भी कोई फर्क नहीं पड़ रहा तो रात को रोजाना गाय का घी डालकर सोएं। इसके लगातार इस्तेमाल से जुखाम से राहत पाई जा सकती है।

    उच्च कोलेस्ट्रॉल

    उच्च कोलेस्ट्रॉल के रोगियों को गाय का घी ही खाना चाहिए। यह एक बहुत अच्छा टॉनिक भी है। आप घी की कुछ बूँदें दिन में तीन बार, नाक में प्रयोग करें।

    खर्राटे गायब

    रात को सोने से पहले हल्का गुनगुना करके एक-एक बूंद नाक में डाल कर सोमे से खर्राटों की परेशानी दूर हो जाएगी।

    तनाव दूर

    किसी भी तरह के मानसिक तनाव से दूर हैं तो गाय का शुद्ध घी रात को रोजाना नाक में डालकर सोएं। इससे तनाव दूर हो जाएगा और कोई नुकसान भी नहीं होगा।

    गाय के घृत से सांप काटने पर उपचार

    सांप के काटने पर 100 -150 ग्राम घी पिलायें उपर से जितना गुनगुना पानी पिला सके पिलायें जिससे उलटी और दस्त तो लगेंगे ही लेकिन सांप का विष कम हो जायेगा।

    चर्म रोग का इलाज

    चर्म रोग का घरेलू इलाज – गाय के घी को ठन्डे जल में फेंट ले और फिर इसको पानी से अलग कर ले यह प्रक्रिया लगभग सौ बार करे और इसमें थोड़ा सा कपूर डालकर मिला दें। इस विधि द्वारा प्राप्त घी एक असर कारक औषधि में परिवर्तित हो जाता है जिसे त्वचा सम्बन्धी हर चर्म रोगों में चमत्कारिक कि तरह से इस्तेमाल कर सकते है। यह सौराइशिस के लिए भी कारगर है।

    अन्य लाभ 

    गाय के घी के नियमित सेवन से आपको कब्ज और एसिडिटी की समस्या नहीं होगी|
    अगर आपके हाथ पैर में जलन हो रही है तो गाय के घी से तलवों की मालिश करें| ऐसा करने से हाथ पैरों की जलन समाप्त हो जाएगी|
    शरीर में थकान या कमजोरी महसूस हो रही है तो आप दूध में एक चम्मच गाय का घी और मिश्री को मिलाकर पीएं, कमजोरी दूर हो जाएगी|
    अगर आप माइग्रेन के दर्द से पीड़ित है तो गाय के घी की 2 बूंदे सुबह व शाम नाक में डालें| आपको आराम मिलेगा|
    गाय के घी के इस्तेमाल से शरीर का मोटापा नहीं बढ़ता क्यूंकि इसके सेवन से कोलेस्ट्रॉल नहीं बढ़ता|
    गाय के घी के प्रयोग से व्यक्ति की शारीरिक व मानसिक ताकत बढ़ती है|
    गाय के घी को नाम में डालने से एलर्जी की समस्या दूर हो जाती है|
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  • 26.11.21

    अलसी के तेल के फायदे: Flax seed oil benefits


     

     अलसी को स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है. लेकिन क्या आपको पता है कि अलसी का तेल भी स्वास्थ्य गुणों से भरपूर है. अलसी का तेल फ्लैक्ससीड ऑयल के नाम से जाना जाता है. अलसी के तेल में औषधीय गुण पाए जाते हैं. अलसी में लिगनेंस एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो कैंसर, डायबिटीज और हार्ट प्रॉब्लम के रिस्क को कम करने में मदद करते हैं. इतना ही नहीं अलसी में ओमेगा-3 फैटी एसिड, मैग्नीशियम और विटामिन बी जैसे गुण पाए जाते हैं. जो शरीर को कई बीमारियों से बचाने में मदद कर सकते हैं. एनीमिया के शिकार लोगों के लिए अलसी काफी फायदेमंदबीमारियों के खतरे को कम कर सकते हैं।

      अलसी के बीज से बनने वाला तेल में औधषीय गुणों से भरपूर होता हैं। सेहतमंद रहने के साथ-साथ यह कई गंभीर बीमारियों को दूर करने में मदद करता है। कई लोग याददाश्त बढ़ाने के लिए अलसी के बीज का सेवन करते हैं। बता दें कि अलसी में ओमेगा-3 फैटी एसिड, मैग्नीशियम और विटामिन बी जैसे गुण पाए जाते हैं, जिससे कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं। वहीं अलसी के तेल में मछली से 50 प्रतिशत ओमेगा 3 फैटी एसिड पाया जाता है, जिसका इस्तेमाल कई तरीके से किया जाता है।
     वजन घटाने के लिए अलसी के तेल काफी फायदेमंद होते हैं। इसके अलावा ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने और पाचन क्रिया को दुरुस्त करने के लिए अलसी के तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं। वहीं अलसी के तेल कई बीमारियों के लिए रामबाण इलाज है। आइए जानते हैं कि किन-किन बीमारियों में अलसी के तेल का इस्तेमाल करना फायदेमंद हैं।

    गठिया मरीजों के लिए-

    बढ़ती उम्र में ज्यादातर लोगों को गठिया की परेशानी शुरू हो जाती है। इस बीमारी में हड्डियों में असहनीय दर्द शुरू हो जाता है। इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए अलसी के तेल का इस्तेमाल करें। नियमित इसके सेवन से गठिया की परेशानी से राहत पा सकते हैं। इसके अलावा इसमें पाए जाने वाला ओमेगा 3 फैटी एसिड की वजह से यह आर्थराइटिस पीड़ितों के लिए लाभदायक होता है।अलसी के तेल में ओमेगा -3 फैटी एसिड हड्डियों और शरीर के अन्य हिस्सों की कठोरता को कम करने में मदद कर सकता है। (घुटने के रोगी)ऑस्टियोआर्थ्रिटिक रोगी इन आवश्यक फैटी एसिड का जवाब भी दे सकते हैं। यह साबित हो गया है कि ये फैटी एसिड जोड़ों में कठोरता को कम करने में मदद करते हैं। यह उस गति को भी तेज करता है जिस पर पुराने ऑस्टियोआर्थराइटिस के रोगी चल सकते हैं।

    कोलेस्ट्रॉल और हृदय रोग से बचाव में अलसी के तेल के लाभ-


    कोलेस्ट्रॉल बढ़ने से दिल की बीमारियों और स्ट्रोक का खतरा काफी बढ़ जाता है। बढ़ते कोलेस्ट्रोल को कंट्रोल करने के लिए अलसी के तेल का इस्तेमाल करें। इसमें ओमेगा 3 फैटी पाया जाता है जो कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने में मददगार साबित हो सकता हैं। इसके लिए नियमित तौर पर अलसी के तेल का इस्तेमाल करें।
    अलसी का तेल हृदय से जुड़ी समस्याओं से बचाव में कारगर हो सकता है। वैज्ञानिक भी इस बात की पुष्टि करते हैं कि अलसी के तेल का सेवन करने से कार्डियोवैस्कुलर (हृदय) स्वास्थ्य में सुधार हो जा सकता है। अलसी का तेल रक्तचाप को नियंत्रित करके हृदय पर पड़ने वाले अनावश्यक भार को कम कर सकता है। साथ ही इसमें मौजूद एंटीइंफ्लेमेटरी गुणों के कारण भी यह हृदय के लिए फायदेमंद साबित को सकता है । इसके अलावा, अलसी में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा जीरो होती है, जिस कारण कोलेस्ट्रॉल से पीड़ित मरीजों के लिए अलसी का तेल सुरक्षित हो सकता है|अलसी के तेल जैसे अल्फा-लिनोलेनिक एसिड में समृद्ध भोजन हृदय रोगों को रोकने और उनका इलाज करने में मदद कर सकता है। ए ल ए कार्डियोप्रोटेक्टिव के रूप में भी कार्य करता है अर्थात्, वे विभिन्न हृदय रोगों को रोकते हैं और एक स्वस्थ हृदय प्रणाली के कामकाज को बढ़ाते हैं। अलसी के तेल के नियमित सेवन से दिल के दौरे की संभावना कम हो जाती है। यह रक्तचाप को कम करता है, शरीर में कुल कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बनाए रखता है, रक्त वाहिकाओं के स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है और दिल की धड़कन को नियंत्रित करता है।

    बालों को दें पोषण-

     सेहत के साथ-साथ बालों को पोषण देने के लिए भी अलसी के तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं। अलसी के तेल विटामिन और मिनरल्स जैसे तत्व पाए जाते हैं जो हेल्दी बालों के लिए जरूरी होते हैं। इसके अलावा इसमें मौजूद ओमेगा 3 फैटी एसिड बालों को पोषण देते हैं। बालों को स्वस्थ रखने के लिए 2 चम्मच अलसी के तेल को हल्का गर्म करें और स्कैल्प पर अच्छी तरीके से मसाज करें। कुछ देर बाद अपने बालों को धो लें।

    कब्ज में मदद करता है-

    अलसी के तेल के लिए मुख्य उपयोग कब्ज के दर्द से राहत के लिए है। बृहदान्त्र के लिए एक स्नेहक के रूप में कार्य करके, अलसी के तेल आसान और प्राकृतिक आंत्र आंदोलन को बढ़ावा देता है। उनके उच्च फाइबर सामग्री के साथ, तेल स्वस्थ पाचन को बढ़ावा देता है और कब्ज के कारण होने वाली बेचैनी से राहत देता है। अलसी का तेल बृहदान्त्र स्वास्थ्य और कठोर मल की कमी में सहायक है। यह ओमेगा -3 फैटी एसिड, फोलेट, मैंगनीज, तांबा, फॉस्फोरस और विटामिन बी 6 से समृद्ध है।

    वजन कम करने के लिए फायदेमंद- 

    वजन कम करने के लिए भी अलसी के तेल का सेवन फायदेमंद होता है। इसमें मौजूद ओमेगा 3 फैटी एसिड फैट बर्न करने में मदद करते हैं। अगर आप शरीर से चर्बी कम करना चाहते हैं तो नियमित रूप से अलसी के तेल का सेवन करें, इससे काफी फायदा होगा। विशेषज्ञों के मुताबिक अलसी के तेल का सेवन करने से पाचन तंत्र दुरुस्त होते हैं।

    दृष्टि दोष में अलसी के तेल का उपयोग-

    आंखों के लिए भी अलसी कुदरत का वरदान है। ओमेगा-3 फैटी एसिड युक्त होने की वजह से इसे आंखों के लिए फायदेमंद माना जा सकता है। आंखों में सूखापन जैसी समस्याओं में अलसी के तेल के फायदे देखे गए हैं। आंखों में सूखापन एक प्रकार का विकार है, जिसमें आंखें सूखी, लाल और सूजी हुई होती हैं। अलसी में मौजूद एसेंशियल फैटी एसिड (EFA) एंटीइंफ्लेमेटरी प्रभाव के कारण आंखों की इस समस्या से राहत दे सकता है। इसलिए, नेत्र विशेषज्ञ अलसी के तेल को सप्लीमेंट के रूप में आहार में शामिल करने की सलाह देते हैं

    कैंसर के खतरे होते हैं कम- 

    रिसर्च के मुताबिक अलसी का तेल कैंसर के खतरे को कम कर सकता है। स्तन कैंसर और सर्वाइकल कैंसर के खतरे को कम करने के लिए महिलाएं अलसी के तेल का सेवन कर सकती हैं। इसके सेवन से महिलाओं के साथ पुरुषों को भी काफी फायदा मिलता है। इससे प्रोस्टेट कैंसर और पेट के कैंसर का खतरा कम होता है।कैंसर एक जानलेवा बीमारी है, जिसके इलाज के लिए व्यापक चिकित्सा प्रक्रिया की जरूरत होती है। वहीं, खान-पान और अच्छी दिनचर्या के जरिए इस खतरनाक बीमारी से बचना आसान है। ऐसे में अलसी के तेल का सेवन कैंसर के जोखिम को कुछ हद तक कम कर सकता है। खासतौर पर स्तन कैंसर के खतरे को कम करने में अलसी और इसके यौगिकों को फायदेमंद पाया गया है।अलसी के तेल लाभों में स्तन ट्यूमर, प्रोस्टेट कैंसर और पेट के कैंसर के विकास को रोकने में मदद करना शामिल है। अलसी का तेल कैंसर कोशिका गुणन को कम करता है और एपोप्टोसिस को बढ़ाता है, अर्थात कैंसर कोशिकाओं की कोशिका मृत्यु। फ्लैक्ससीड्स में लिग्नन्स होते हैं, जो कि हार्मोन के प्रति संवेदनशील कैंसर के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करते हैं। लिग्नन्स एंजाइमों को अवरुद्ध करते हैं जो हार्मोन चयापचय में कार्य करते हैं और ट्यूमर कोशिकाओं के विकास को रोकते हैं।

    महिला स्वास्थ्य के लिए अलसी का तेल

    अलसी के तेल का सेवन महिला स्वास्थ्य के लिहाज से भी उत्तम हो सकता है। विशेष तौर पर अलसी के तेल से बने सप्लीमेंट्स के सकारात्मक प्रभाव रजोनिवृत्ति (मेनोपॉज) के दौरान देखे गए हैं। इसका कारण अलसी में पाए जाने वाले एस्ट्रोजेनिक प्रभाव को माना जा सकता है। वैज्ञानिक शोध कहते हैं कि महिलाओं में मासिक धर्म से जुड़ी समस्याओं के निदान में एस्ट्रोजन थेरेपी के साथ-साथ अलसी के सप्लीमेंट इलाज की गुणवत्ता को बढ़ा 

    सकते हैं।  
    मेनोपॉज के बाद ऑस्टियोपोरोसिस (हड्डियों की कमजोरी) का खतरा बढ़ जाता है, जिससे बचाव में अलसी के पोषक तत्व काम आ सकते हैं ।

    सूजन कम करने के लिए- 

    शरीर में किसी तरह के सूजन को कम करने के लिए अलसी के तेल का इस्तेमाल करें। दरअसल अलसी में म्यूसिलेज पाया जाता है जो शरीर के डिटॉक्स करने में मदद करता है। यह शरीर के अंदर और बाहर किसी भी तरह के सूजन से राहत दिलाने में मदद कर सकता है।अलसी के तेल के फायदे में सूजन को कम करना शामिल है। इस तेल में अल्फा लिनोलेनिक एसिड (ALA) पाया जाता है जो ओमेगा-3 फैटी एसिड में से एक है। अल्फा लिनोलेनिक एसिड(ALA) एंटीइंफ्लेमेटरी प्रभाव दिखा सकता है, जो शरीर में आई सूजन को कम करने में मदद कर सकता है। वैज्ञानिक शोधों में अलसी के एंटीइंफ्लेमेटरी गुणों का प्रभाव अर्थराइटिस (जोड़ों में दर्द की समस्या) और जोड़ों की सूजन (joint oedema) पर देखा गया है। अलसी में एंटीअर्थराइटिस गुण पाया जाता है। इसलिए, कहा जा सकता है कि सूजन से बचने के लिए अलसी एक उत्तम विकल्प साबित हो सकती है

    अलसी के तेल का सेवन कैसे करें :

    अलसी के तेल को सलाद की ड्रेसिंग में इस्तेमाल किया जा सकता है।

    इसे मफिन या केक बनाते समय इस्तेमाल किया जा सकता है।
    अलसी के तेल का प्रयोग स्मूदी या शेक बनाने में किया जा सकता है।
    डॉक्टर के सुझाव पर इसे कैप्सूल के रूप में भी लिया जा सकता है।

    परामर्श-

    अलसी के तेल का उपयोग खाना पकाने के लिए नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि अधिक गरम करने पर ये अपनी पौष्टिकता खो सकता है|

    असली का सेवन करने का सही तरीका

    हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो साबुत अलसी के बीज (Whole Flaxseed) खाने की बजाए अलसी के बीज को पीसकर (Ground Flaxseed) खाना ज्यादा फायदेमंद होता है. दरअसल, साबुत अलसी के बीज में ऊपर भूरे रंग का एक कवर जैसा होता है, जिसे पचाना आंत के लिए काफी मुश्किल होता है और इस वजह से अलसी के पोषक तत्वों को शरीर अवशोषित नहीं कर पाता. यही वजह है कि असली को पीसकर खाने की सलाह दी जाती है.
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