16.11.21

लहसुन खाने के फायदे और नुकसान:Garlic Benefits

 


                                           
 लहसुन भारत की हर रसोई में उपयोग किया जाता है. अधिकतर लोग इसे सब्जी बनाने व मसालों के रूप में उपयोग करते हैं. लेकिन आप सोच भी नहीं सकते कि ये लहसुन हमारे शरीर के अनेक रोगों को बचाता है. लहसुन एक प्राकृतिक एंटीबायटिक की तरह कार्य करता है. लहसुन का वैज्ञानिक नाम है एलियम सैटीवुमएल है. लहसुन में एलियम नामक एंटीबायोटिक होता है. लहसुन का प्रयोग काफी समय से कई रोगों के लिए किया जा रहा है. लहसुन हमारे शरीर में होने वाली बीमारियों को दूर करने में मदद करता है. जैसे कि बबासीर, कव्ज, कान में दर्द इत्यादि.
 उच्च रक्त चाप, उच्च कोलेस्ट्रोल ,कोरोनरी धमनी संबधित ह्रदय दोष और हृदयाघात जैसी स्थितियों में इसका उपयोग उत्साहवर्धक परिणाम प्रस्तुत करता है| धमनी-काठिन्य रोग में भी लहसुन लाभदायक है\ लहसुन के प्रयोग विज्ञान सम्मत होने के दावे किये जा रहे हैं|

हाई बीपी को रोकने में मदद

लहसुन खाने से हाई बीपी से जुड़ी समस्या को कम किया जा सकता है. लहसुन ब्लड सर्कुलेशन को कंट्रोल करने में काफी कारगार होता है. जिन लोगों को हाई ब्लड प्रेशर की बीमारी है वह लहसुन का सेवन करके इस समस्या से छुटकारा पा सकते हैं.

पेट की बीमारियों की रोकथाम

लहसुन पेट से जुड़ी समस्या का भी इलाज करने में काफी मददगार है. डायरिया, कब्ज जैसी समस्या के लिए इसे बेहद उपयोगी माना गया है. पानी उबालकर उसमें लहसुन की कलियां डाल लें फिर इस पानी को सुबह खाली पेट पीनें से डायरिया और कब्ज से छुटकारा मिल जाएगा. इससे गैस की बीमारी में भी फायदा मिलता है.

दिल रहता है सेहतमंद

लहसुन दिल से जुड़ी बीमारियों के खतरों को भी दूर करता हैं. लहसुन खाने से खून का जमना कम किया जा सकता है और हार्ट अटैक की परेशानी से भी राहत मिलती है. पीरियड्स के दिनों में भी लहसुन बहुत अच्छा होता है.

पाचन में मिलती है मदद

खाली पेट लहसुन की कलियां चबाने से पाचन में दिक्कत नहीं होती है और भूख भी लगना शुरू हो जाती है.


खांसी-जुकाम में आराम

लहसुन का सेवन जुकाम, अस्थमा, निमोनिया, ब्रोंकाइटिस के इलाज में काफी फायदा करता है.


पेट के लिए

जो लोग जंक फूड या अस्वस्थ खाना खाते हैं उन्हें पेट की समस्याएं हो जाती हैं।
उन्हें अक्सर पेट में दर्द, गैस, एसिडिटी कब्ज, दस्त, पेचिश व अन्य समस्याएं हो जाती हैं। ऐसे में उन्हें लहसून काफ़ी फ़ायदा पहुँचा सकता है।
लहसुन में एंटीबायोटिक गुण पाए जाते हैं। ये पेट में सिर्फ़ उन्हीं बैक्टीरिया को रुकने देते हैं जो पाचन के लिए ज़रूरी हैं।
जो बैक्टीरिया पेट और पाचन के लिए नुकसानदायक होते हैं लहसुन उन्हें पेट से बाहर निकालने में मदद करता है।
इस तरह लहसुन पाचन से संबंधित परेशानियों को दूर कर देता है। जिन लोगों को पाचन-संबंधी समस्याएं हैं, उन्हें सुबह ख़ाली पेट लहसुन का सेवन करना चाहिए। यह पेट की सफ़ाई करता है।

ऑक्सीडेटिव तनाव में राहत

लहसुन में पाए जाने वाले यौगिक डीएनए को डैमेज़ होने से बचाते हैं। ये ऑक्सीडेंटिव तनाव से होने वाले रोगों से शरीर की रक्षा करते हैं।
 ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करने के लिए लहसुन में डायलेक्लसल्फाईइड पाया जाता है।
अर्थेरोसक्लेरोसिस शरीर के लिए एक गंभीर समस्या है जोकि ऑक्सीडेटिव तनाव के कारण होती है।
इस रोग में धमनियों में कलेस्टरॉल का स्तर बढ़ जाता है और धमनियां संकरी हो जाती हैं। इस तरह रक्त का प्रवाह बाधित होने लगता है जिससे कि हृदय आघात या हार्ट अटैक की संभावना बढ़ जाती है।
लहसुन अतिरिक्त ग्लूकोस को ऊर्जा में बदल देता है जिससे कि ये बढ़कर कलेस्टरॉल का रूप नहीं ले पाते हैं।
इस तरह धमनियां बाधित होने से बच जाती हैं अतः लहसुन का सेवन करने से अर्थेरोसक्लेरोसिस से बचा जा सकता है।

कैंसर से बचाव

कैंसर से बचने के लिए लहसुन का प्रयोग किया जा सकता है क्योंकि यह कैंसर की संभावनाओं को चमत्कारिक रूप से कम करता है।
लहसुन में सेलेनियम नामक तत्व पाया जाता है जो माईटोसिस और मियोसिस के दौरान चेक प्वायंट्स की कार्यविधि को नियमित करता है।
इस तरह कोशिकाएं एक निश्चित क्रम में ही बढ़ती हैं और वे अनियंत्रित रूप से विभाजित नहीं होती हैं।
कैंसर के उपचार के लिए चीनी वैज्ञानिकों ने एक परीक्षण किया और उन्होंने यह पाया कि लहसुन पेट के कैंसर की 52% और ट्युमर की 33% संभावनाओं को कम करता है।

 प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए


लहसुन में विटामिन सी, विटामिन बी-6 और सेलेनियम की प्रचुर मात्रा पाई जाती है जो शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता को बढ़ाते हैं।
 कुछ चिकित्सक लहसुन का प्रयोग फेफड़े के केंसर ,बड़ी आंत के केंसर ,प्रोस्टेट केंसर ,गुदा के केंसर ,आमाशय के केंसर ,छाती के केंसर में कर रहे हैं| मूत्राशय के केंसर में भी प्रयोग हो रही है लहसुन| लहसुन का प्रयोग पुरुषों में प्रोस्टेट वृद्धि की शिकायत में भी सफतापूर्वक किया जा रहा है| इसका उपयोग मधुमेह रोग अस्थि-वात् व्याथि में भी करना उचित है| लहसुन का प्रयोग बेक्टीरियल और फंगल उपसर्गों में हितकारी सिद्ध हुआ है\ ज्वर,सिरदर्द,सर्दी-जुकाम ,खांसी,,गठिया रोग,बवासीर और दमा रोग में इसके प्रयोग से अच्छा लाभ मिलता है|
सांस भरने , निम्न रक्त चाप, उच्च रक्त शर्करा जैसी स्थितियों में लाभ लेने के लिए लहसुन के प्रयोग की सलाह दी जाती है|

मधुमेह में लाभकारी

आईआईसीटी इंडिया के वैज्ञानिकों ने एक शोध किया। उन्होंने लैब में मौजूद चूहों को लहसुन खिलाई और उन्होंने पाया कि चूहों में ग्लूकोज का स्तर तेज़ी से घट गया और चूहे इंसुलिन सेंसिटिव भी हो गए।
इस प्रकार लहसुन मधुमेह से पीड़ित लोगों के लिए अत्यंत लाभकारी होता है। यह रक्त में ग्लूकोज की मात्रा को कम कर देता है।
यह रक्त में मौजूद अतिरिक्त ग्लूकोस को ऊर्जा में परिवर्तित कर देता है और रक्त को गाढ़ा होने से बचाए रखता है।
इस तरह रक्त का प्रवाह भी नियमित रहता है और शुगर का स्तर भी कम होता है।
जो लोग मधुमेह से पीड़ित हैं उन्हें लहसुन खाना चाहिए।
लहसुन ख़ासकर उन लोगों के लिए बहुत फ़ायदेमंद है, जो मधुमेह से पीड़ित हैं और इंसुलिन के इंजेक्शन लेते हैं।
लहसुन खाने से उनका शरीर इंसुलिन सेंसिटिव हो जाता है।
अगर आप बढ़ते बज़न से परेशान हैं तो लहसुन का सेवन आपके लिए बड़ा ही लाभदायक है। प्रति दिन आप खली पेट लहसुन का सेवन करना चालू करें बजन कम करने में लाभ मिलेगा.
इसके साथ ही साथ रात में सोते समय लहसुन की एक पोथी तकिये के नीचे रखने से निगेटिव एनर्जी से भी बचा जा सकता है और ऐसा करने से नींद अच्छी आती है.
दांत में दर्द हो रहा हो तो लहसुन की एक कली को दाँतों में दबाने से या लहसुन का तेल दांत पर लगाने से दांत का दर्द दूर हो जाता है.
लहसुन शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है और कैंसर जैसे गंभीर बीमारी से लड़ने में शरीर की मदद करता है.
लहसुन का तेल भी बनाया जाता है जो बच्चो को सर्दी हो जाने पर उनके शरीर पर लगाया जाता है व कान में भी डाला जाता है. लहसुन का तेल बनाने के लिए आप एक कटोरी को माध्यम आंच पर रखें और उसमें शुद्ध सरसों का तेल डाले व गरम होने दें, इसके बाद छीले हुए लहसुन की 4-5 कलियाँ उसमें डाल दें और सुनहरे होने तक तड़कने दें. गुनगुना होने पर इस तेल का उपयोग कर सकते हैं. सर्दियों के दिनों में बच्चों को इसी तेल से मालिश करने से उन्हें ठण्ड नहीं लगती.

जुकाम व अस्थमा के लिए


वैज्ञानिकों द्वारा यह पाया गया है कि लहसुन अस्थमा के लिए ज़िम्मेदार बैक्टीरिया की कार्यविधि को प्रभावित करता है।
 एक विशेष प्रकार का मस्टर्ड गार्लिक ऑयल जुकाम व अस्थमा के लिए प्रयोग किया जाता है।
 मस्टर्ड गार्लिक ऑयल को थोड़ा सा गरम करने के बाद इससे नाक, छाती व गले की मसाज की जाती है। इससे फेफड़ों और छाती में जमने वाला बलगम बाहर निकल जाता है।
 सांस के रोगी के लिए लहसुन के साथ घी का सेवन करने से लाभ मिलता है और लहसुन की कलि को भूनकर खाने से भी सांस की बीमारी में लाभ मिलता है.
सरसों के तेल में लहसुन डालकर गर्म करके मालिश करने से सर्दी-जुकाम से जल्दी राहत मिल जाती है। लहसुन खाने से हड्डियां मजबूत होती हैं और साथ जोड़ों के दर्द से भी राहत मिलती है।
लहसुन की 2-3 कलियों को गर्म पानी में नींबू के साथ खाने से खून साफ होता है, जिससे चेहरे के दाग-धब्बे दूर हो जाते हैं।
लहसुन खाने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, जिससे व्यक्ति बार-बार बीमार नहीं पड़ता है। लहसुन के नियमित सेवन से कैंसर पैदा करने वाले सेल्स खत्म हो जाते हैं, जिससे कैंसर होने का खतरा कम रहता है।
लहसुन खाने से दिल से जुड़ी बीमारियां होने के चांसेस कम रहते हैं। वजन कम करने के लिए भी लहसुन कारगर है।
लहसुन को शहद के साथ खाने से मोटापा कम होता है।
लहसुन में पाया जाने वाला एलिसिन यौगिक, एलडीएल (खराब कोलेस्ट्रॉल) के ऑक्सीकरण को रोकता है. यह कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करता है और हृदय स्वास्थ्य में सुधार करता है.
लहसुन का नियमित सेवन रक्त में जमे थक्कों को कम करता है और थ्रोम्बोम्बोलिज़्म (thromboembolism) को रोकने में मदद करता है. लहसुन रक्तचाप को भी कम करता है, इसलिए उच्च रक्तचाप के रोगियों के लिए यह फायदेमंद है.
 लहसुन का उपयोग तनाव दूर करने वाला है,थकान दूर करता है | यह यकृत के कार्य को सुचारू बनाती है| चमड़ी के मस्से ,दाद भी लहसुन के प्रभाव क्षेत्र में आते हैं| लहसुन में एलीसिन तत्त्व पाया जाता है| रोगों में यही तत्त्व हितकारी है| प्रमाणित हुआ है कि लहसुन ई कोलाई, और साल्मोनेला रोगाणुओं को नष्ट कर देती है| लहसुन की ताजी गाँठ ज्यादा असरदार होती है| पुरानी लहसुन कम प्रभाव दिखाती है|
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1.11.21

मोरिंगा (सहजन) के फायदे और नुकसान:drumstick sahajan


  सहजन को आयुर्वेद में अमृत समान माना गया है क्योंकि सहजन को 300 से ज्यादा बीमारियों की दवा माना गया है. इसल‍िए आयुर्वेद में इसे अमृत समान मानते हैं. इसकी नर्म पत्तियां और फल, दोनों ही सब्जी के रूप में प्रयोग किए जाते हैं. सहजन की फली, हरी पत्तियों व सूखी पत्तियों में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, पोटेशियम, आयरन, मैग्नीशियम, विटामिन-ए, सी और बी कॉम्‍प्लेक्स भरपूर मात्रा में पाया जाता है|
   प्राकृतिक गुणों से भरपूर सहजन इतने औषधीय गुणों से भरपूर है कि इसकी फली के अचार और चटनी कई बीमारियों से मुक्ति दिलाने में सहायक हैं। यह सिर्फ खाने वाले के लिए ही नहीं, बल्कि जिस जमीन पर यह लगाया जाता है, उसके लिए भी लाभप्रद है। सहजन पेड़ नहीं मानव के लिए कुदरत का चमत्कार। इनका सेवन कर कई बीमारियों को बढ़ने से रोका जा सकता है, इसका बॉटेनिकल नाम ‘मोरिगा ओलिफेरा‘ है हिंदी में इसे सहजना, सुजना, सेंजन और मुनगा नाम से भी जानते हैं, जो लोग इसके बारे में जानते हैं, वे इसका सेवन जरूर करते हैं।
सहजन का फूल पेट और कफ रोगों में, इसकी फली वात व उदरशूल में, पत्ती नेत्ररोग, मोच, साइटिका, गठिया आदि में उपयोगी है। इसकी छाल का सेवन साइटिका, गठिया, लीवर में लाभकारी होता है। सहजन के छाल में शहद मिलाकर पीने से वात और कफ रोग खत्म हो जाते हैं।

*इसकी पत्ती का काढ़ा बनाकर पीने से गठिया, साइटिका, पक्षाघात, वायु विकार में शीघ्र लाभ पहुंचता है। साइटिका के तीव्र वेग में इसकी जड़ का काढ़ा तीव्र गति से चमत्कारी प्रभाव दिखता है। मोच इत्यादि आने पर सहजन की पत्ती की लुगदी बनाकर सरसों तेल डालकर आंच पर पकाएं और मोच के स्थान पर लगाने से जल्दी ही लाभ मिलने लगता है|
*सहजन की फली की सब्जी खाने से पुराने गठिया, जोड़ों के दर्द , वायु संचय , वात रोगों में लाभ होता है। इसके ताजे पत्तों का रस कान में डालने से दर्द ठीक हो जाता है साथ ही इसकी सब्जी खाने से गुर्दे और मूत्राशय की पथरी कटकर निकल जाती है।
*सहजन या मोरिंगा जड़ से लेकर फूल-पत्तियों तक सेहत का खजाना है। इसके ताजे फूल से हर्बल टॉनिक बनाया जाता है और इसकी पट्टी में कई पोषक तत्व पाए जाते हैं। भारत में खासकर दक्षिण भारत में इसका उपयोग विभिन्न व्यंजनो में खूब किया जाता है। इसका तेल भी निकाला जाता है और इसकी छाल पत्ती गोंद, जड़ आदि से आयुर्वेदिक दवाएं तैयार की जाती हैं। आयुर्वेद में 300 रोगों का सहजन से उपचार बताया गया है।


सिर दर्द में फायदेमंद

सहजन की जड़ के रस में बराबर मात्रा में गुड़ मिला लें। इसे छानकर 1-1 बूंद नाक में डालने से सिर दर्द में लाभ होता है।
सहजन  के पत्तों के रस में काली मिर्च को पीस लें। इसे मस्तक पर लेप करने से मस्तक पीड़ा ठीक होता है।
सहजन के पत्तों को पानी के साथ पीस लें। इसका लेप करने से सर्दी की वजह से होने वाला सिर का दर्द ठीक होता है।

सहजन का टाइफाइड में उपयोग

सहजन की छाल को जल में घिस लें। इसकी एक दो बूंद नाक में डालने से तथा सेवन करने से मस्तिष्क ज्वर यानी दिमागी बुखार या Typhoid में लाभ होता है, सहजन के 20 ग्राम ताजे जडों को 100 मि.ली. पानी में उबालें। इसे छानकर पीने से टॉयफॉयड ख़त्म हो जाता है।

शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है

सहजन में हाई मात्रा में ओलिक एसिड होता है , जो कि एक प्रकार का मोनोसैच्युरेटेड फैट है और यह शरीर के लिए अति आवश्यक है। सहजन में विटामिन-सी की मात्रा बहुत होती है। यह शरीर के कई रोगों से लड़ता है।

सर्दी-जुखाम


यदि सर्दी की वजह से नाक-कान बंद हो चुके हैं तो , आप सहजन को पानी में उबालकर उस पानी का भाप लें। इससे जकड़न कम होगी।

रक्त को शुद्ध करने में

सहजन फली की पत्तियां और फली दोनों ही रक्त को शुद्ध करने में मदद करती हैं इसके अलावा यह एक मजबूत एंटीबायोटिक एजेंट के रूप में भी काम करती हैं. इस हरी सब्जी का नियमित रूप से सेवन करने से त्वचा सम्बंधित बीमारियाँ भी दूर हो जाती है.

सैकड़ों औषधीय गुण:

सहजन की फली वात व उदरशूल में पत्ती नेत्ररोग, मोच ,शियाटिका ,गठिया में उपयोगी है।
सहजन की जड़ दमा, जलोधर, पथरी,प्लीहा रोग के लिए उपयोगी है। छाल का उपयोग शियाटिका ,गठियाए,यकृत आदि रोगों के लिए श्रेयष्कर है।
 सहजन के विभिन्न अंगों के रस को मधुर,वातघ्न,रुचिकारक, वेदनाशक,पाचक आदि गुणों के रूप में जाना जाता है सहजन के छाल में शहद मिलाकर पीने से वातए व कफ रोग शांत हो जाते है, इसकी पत्ती का काढ़ा बनाकर पीने से गठिया, शियाटिका ,पक्षाघात,वायु विकार में शीघ्र लाभ पहुंचता है, शियाटिका के तीव्र वेग में इसकी जड़ का काढ़ा तीव्र गति से चमत्कारी प्रभाव दिखता है।
 सहजन की पत्ती की लुगदी बनाकर सरसों तेल डालकर आंच पर पकाएं तथा मोच के स्थान पर लगाने से शीघ्र ही लाभ मिलने लगता है। सहजन को अस्सी प्रकार के दर्द व बहत्तर प्रकार के वायु विकारों का शमन करने वाला बताया गया है। सहजन की सब्जी खाने से पुराने गठिया ए जोड़ों के दर्दए वायु संचय , वात रोगों में लाभ होता है। सहजन के ताज़े पत्तों का रस कान में डालने से दर्द ठीक हो जाता है।
 सहजन की सब्जी खाने से गुर्दे और मूत्राशय की पथरी कटकर निकल जाती है। सहजन की जड़ की छाल का काढा सेंधा नमक और हिंग डालकर पीने से पित्ताशय की पथरी में लाभ होता है।
 सहजन के पत्तों का रस बच्चों के पेट के कीड़े निकालता है और उलटी दस्त भी रोकता है। सहजन फली का रस सुबह शाम पीने से उच्च रक्तचाप में लाभ होता है। सहजन की पत्तियों के रस के सेवन से मोटापा धीरे धीरे कम होने लगता है। सहजन. की छाल के काढ़े से कुल्ला करने पर दांतों के कीड़ें नष्ट होते है और दर्द में आराम मिलता है।
 सहजन के कोमल पत्तों का साग खाने से कब्ज दूर होती है। सहजन की जड़ का काढे को सेंधा नमक और हींग के साथ पीने से मिर्गी के दौरों में लाभ होता है। सहजन की पत्तियों को पीसकर लगाने से घाव और सुजन ठीक होते है। सहजन के पत्तों को पीसकर गर्म कर सिर में लेप लगाए या इसके बीज घीसकर सूंघे तो सर दर्द दूर हो जाता है। सहजन के बीज से पानी को काफी हद तक शुद्ध करके पेयजल के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
 इसके बीज को चूर्ण के रूप में पीस कर पानी में मिलाया जाता है। पानी में घुल कर यह एक प्रभावी नेचुरल क्लैरीफिकेशन एजेंट बन जाता है। यह न सिर्फ पानी को बैक्टीरिया रहित बनाता है बल्कि यह पानी की सांद्रता को भी बढ़ाता है जिससे जीवविज्ञान के नजरिए से मानवीय उपभोग के लिए अधिक योग्य बन जाता है।
 सहजन के गोंद को जोड़ों के दर्द और शहद को दमा आदि रोगों में लाभदायक माना जाता है। सहजन में विटामिन सी की मात्रा बहुत होती है। विटामिन सी शरीर के कई रोगों से लड़ता है खासतौर पर सर्दी जुखाम से। अगर सर्दी की वजह से नाक कान बंद हो चुके हैं तोए आप सहजन को पानी में उबाल कर उस पानी का भाप लें। इससे जकड़न कम होगी। सहजन में कैल्शियम की मात्रा अधिक होती है जिससे हड्डियां मजबूत बनती है। इसके अलावा इसमें आयरन , मैग्नीशियम और सीलियम होता है।सहजन का जूस गर्भवती को देने की सलाह दी जाती है। इससे डिलवरी में होने वाली समस्या से राहत मिलती है और डिलवरी के बाद भी मां को तकलीफ कम होती है।
 सहजन में विटामिन ए होता है जो कि पुराने समय से ही सौंदर्य के लिये प्रयोग किया आता जा रहा है। इस हरी सब्जी को अक्सर खाने से बुढापा दूर रहता है। इससे आंखों की रौशनी भी अच्छी होती है।सहजन का सूप पीने से शरीर का रक्त साफ होता है। पिंपल जैसी समस्याएं तभी सही होंगी जब खून अंदर से साफ होगा।सहजन की पत्ती को सुखाकर उसकी चटनी बनाने से उसमें आयरन, फास्फोरस, कैल्शियम प्रचूर मात्रा में पाया जाता है। गर्भवती महिलाएँ और बुजुर्ग भी इस चटनी, अचार का प्रयोग कर सकते हैं और कई बीमारियों जैसे रक्त अल्पता तथा आँख की बीमारियों से मुक्ति पा सकते हैं। सहजन या सुरजने का समूचा पेड़ ही चिकित्सा के काम आता है। इसे जादू का पेड़ भी कहा जाता है। त्वचा रोग के इलाज में इसका विशेष स्थान है।
 सहजन के बीज धूप से होने वाले दुष्प्रभावों से रक्षा करते हैं। अक्सर इन्हें पीसकर डे केअर क्रीम में इस्तेमाल किया जाता है। बीजों का दरदरा पेस्ट चेहरे की मृत त्वचा को हटाने के लिए स्क्रब के तौर पर भी इस्तेमाल किया जाता है। फेस मास्क बनाने के लिए सहजन के बीजों के अलावा कुछ और मसाले भी मिलाना पड़ते हैं।
सहजन के बीजों का तेल सूखी त्वचा के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह एक ताकतवर मॉश्चराइजर है। इसके पेस्ट से खुरदुरी और एलर्जिक त्वचा का बेहतर इलाज किया जा सकता है। सहजन के पेड़ की छाल गोखरू, कील और बिवाइयों के इलाज की अक्सीर दवा मानी जाती है। सहजन के बीजों का तेल शिशुओं की मालिश के लिए प्रयोग किया जाता है।
* सहजन के फूल उदर रोगों व कफ रोगों में इसकी फली वात व उदरशूल में पत्ती ,नेत्ररोग, मोच सायटिका,गठिया आदि में उपयोगी है।
* सहजन की जड़ दमा, जलोधर, पथरी,प्लीहा रोग आदि के लिए उपयोगी है तथा छाल का उपयोग 
साईटिका ,गठिया,यकृत आदि रोगों के लिए श्रेयष्कर है।
*सहजन के विभिन्न अंगों के रस को मधुर,वातघ्न,रुचिकारक, वेदनाशक,पाचक आदि गुणों के रूप में जाना जाता है.
*सहजन के छाल में शहद मिलाकर पीने से वातए व कफ रोग शांत हो जाते है, इसकी पत्ती का काढ़ा बनाकर पीने 
से गठिया, शियाटिका ,पक्षाघात,वायु विकार में शीघ्र लाभ पहुंचता है\ साईंटिका के तीव्र वेग में इसकी जड़ का काढ़ा तीव्र गति से चमत्कारी प्रभाव दिखता है .
*सहजन की पत्ती की लुगदी बनाकर सरसों तेल डालकर आंच पर पकाएं तथा मोच के स्थान पर लगाने से शीघ्र ही लाभ मिलने लगता है।
*सहजन को अस्सी प्रकार के दर्द व बहत्तर प्रकार के वायु विकारों का शमन करने वाला बताया गया है।
*सहजन की सब्जी खाने से पुराने गठिया और जोड़ों के दर्द व् वायु संचय , वात रोगों में लाभ होता है।
*सहजन के ताज़े पत्तों का रस कान में डालने से दर्द ठीक हो जाता है।
*.सहजन की सब्जी खाने से गुर्दे और मूत्राशय की पथरी कटकर निकल जाती है।
* सहजन की जड़ की छाल का काढा सेंधा नमक और हिंग डालकर पीने से पित्ताशय की पथरी में लाभ होता है।
* सहजन के पत्तों का रस बच्चों के पेट के कीड़े निकालता है और उलटी दस्त भी रोकता है।

* सहजन फली का रस सुबह शाम पीने सेउच्च रक्तचाप में लाभ होता है।
*सहजन की पत्तियों के रस के सेवन से मोटापा धीरे धीरे कम होने लगता है।
* सहजन. की छाल के काढ़े से कुल्ला करने पर दांतों के कीड़ें नष्ट होते है और दर्द में आराम मिलता है।
* सहजन के कोमल पत्तों का साग खाने से कब्ज दूर होती है।
*सहजन. की जड़ का काढे को सेंधा नमक और हिंग के साथ पिने से मिर्गी के दौरों में लाभ होता है।
* सहजन की पत्तियों को पीसकर लगाने से घाव और सुजन ठीक होते है।
* सहजन के पत्तों को पीसकर गर्म कर सिर में लेप लगाए या इसके बीज घीसकर सूंघे तो सर दर्द दूर हो जाता है .
*सहजन के गोंद को जोड़ों के दर्द और शहद को दमा आदि रोगों में लाभदायक माना जाता है।
* सहजन में विटामिन सी की मात्रा बहुत होती है। विटामिन सी शरीर के कई रोगों से लड़ता है खासतौर पर सर्दी जुखाम से। अगर सर्दी की वजह से नाक कान बंद हो चुके हैं तोए आप सहजन को पानी में उबाल कर उस पानी का भाप लें। ईससे जकड़न कम होगी।
* सहजन में कैल्शियम की मात्रा अधिक होती है जिससे हड्डियां मजबूत बनती है। इसके अलावा इसमें आयरन , मैग्नीशियम और सीलियम होता है।
*.सहजन का जूस गर्भवती को देने की सलाह दी जाती है। इससे डिलवरी में होने वाली समस्या से राहत मिलती है और डिलवरी के बाद भी मां को तकलीफ कम होती है।

* सहजन में विटामिन ए होता है जो कि पुराने समय से ही सौंदर्य के लिये प्रयोग किया आता जा रहा है। इस हरी सब्जी को अक्सर खाने से बुढापा दूर रहता है। इससे आंखों की रौशनी भी अच्छी होती है।
*सहजन का सूप पीने से शरीर का रक्त साफ होता है। पिंपल जैसी समस्याएं तभी सही होंगी जब खून अंदर से साफ होगा।
*सहजन के बीजों का तेल शिशुओं की मालिश के लिए प्रयोग किया जाता है। त्वचा साफ करने के लिए सहजन के बीजों का सत्व कॉस्मेटिक उद्योगों में बेहद लोकप्रिय है। सत्व के जरिए त्वचा की गहराई में छिपे विषैले तत्व बाहर निकाले जा सकते हैं।

*सहजन के बीजों का पेस्ट त्वचा के रंग और टोन को साफ रखने में मदद करता है।मृत त्वचा के पुनर्जीवन के लिए इससे बेहतर कोई रसायन नहीं है। धूम्रपान के धुएँ और भारी धातुओं के विषैले प्रभावों को दूर करने में सहजन के बीजों के सत्व का प्रयोग सफल साबित हुआ है।  
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सेहत का खजाना अखरोट दिमाग से लेकर दिल तक के लिए जरूरी है :benefits of walnut




  अखरोट को सेहत का खजाना माना जाता है। ये स्किन से लेकर बालों तक के लिए बेहद फायदेमंद है। इससे कई रोगों से भी बचाव होता है। ये बढ़ती उम्र के असर को भी कम करने में मददगार साबित होता है। अखरोट हमारे शरीर के लिए बहुत आवश्यक होता है क्यूकि केंसर, मधुमेह, थाइरोइड आदि और भी कई प्रकार की बीमारियों से बचने के लिए यह उपयोगी और फायदेमंद है. अखरोट बालों और त्वचा के लिए बहुत लाभकारी है. बहुत सी दवाइयों में भी इसका उपयोग किया जाता है, इससे शरीर की अनचाही चर्बी को भी कम किया जा सकता है.

दिमाग के लिए अच्छा

अखरोट में फाइटोकेमिकल्स के साथ उच्च मात्रा में पॉलीअनसेचुरेटेड वसा होते हैं जो मस्तिष्क को स्वास्थ्य रखने में मदद करता है। इसमें ओमेगा -3 फैटी एसिड भी होता है, जो मस्तिष्क में ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करने में मदद करता है। इसके अलावा इसमें अन्य महत्वपूर्ण पोषक तत्व जैसे विटामिन ई, फोलेट और एलाजिक एसिड जैसे तत्व पाए जाते हैं।

दिल के लिए फायदेमंद

जर्नल ऑफ न्यूट्रिशन की रिपोर्ट के मुताबिक अखरोट के सेवन से हृदय रोग का खतरा कम हो सकता है। अखरोट का तेल एंडोथेलियल फ़ंक्शन के लिए अधिक लाभदायक है। ये हमारे रक्त और लसीका वाहिकाओं के अंदर की परत है। अखरोट कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में भी मददगार है। मृत्यु का भी जोखिम कम होता है।

नियंत्रित रहता है कोलेस्ट्रॉल:

अखरोट में फाइबर और ओमेगा-3 फैटी एसिड होता है जो कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता है। साथ ही कोलेस्ट्रॉल के लक्षणों को भी कम करता है।

ब्रेन को रखता है एक्टिव और हेल्दी:

एक अध्ययन के मुताबिक अखरोट में जरूरी पोषक तत्व होते हैं जो मस्तिष्क के कामकाज और स्वास्थ्य को बेहतर करता है। ये याद्दाश्त को बेहतर करने, ध्यान केंद्रित करने और अवसाद के लक्षणों को कम करने में सहायक है

त्वचा को करता है मॉइश्चराइज

अगर आपकी त्वचा सूखी, परतदार और बेजान हो गई है तो इसे मॉश्चराइज करने के लिए भी अखरोट का सेवन फायदेमंद होता है। अखरोट में विटामिन ए और ई होते हैं। इसके नियमित सेवन से त्वचा चमकदार बनती है।

रूखे बालों में आएगी चमक


अगर हवा या धूप के चलते आपके बालों की रंगत छिन गई तो रोजाना अखरोट का सेवन करें। इसमें स्वस्थ फैटी एसिड होता है जो बालों को मजबूत बनाने में मदद करता है। अखरोट खाने से बालों की जड़े मजबूत होती हैं और इनकी चमक बढ़ती है।
जर्नल न्यूट्रिएंट्स में प्रकाशित एक शोध में पाया गया कि प्रति सप्ताह अखरोट की पांच या अधिक अखरोट के सेवन से मृत्यु दर कम करने और लंबी उम्र में मदद करता है। इसके और भी कई स्वास्थ लाभ होते हैं।

स्तन केंसर के लिए


अमेरिकन संस्था ने कैंसर के लिए बहुत से अनुसंधान किये और 2009 में इस अनुसन्धान को जारी किया कि हर रोज अखरोट खाने से स्तन केंसर के खतरे को कम करने में सहायता मिलती है.

विद्रोहजनक बीमारियों के लिए

अखरोट में पाए जाने वाले चर्बीदार अम्ल से विद्रोहजनक बीमारियों जैसे अस्थमा, गठिया रोग और खुजली में बहुत फ़ायदा मिलता है.

हड्डियों को स्वस्थ रखने के लिए

अखरोट में एक बहुत ही महत्वपूर्ण चर्बीदार अम्ल पाया जाता है जिसे अल्फ़ा- लिनोलेनिक अम्ल कहते है. यह अम्ल हड्डियों को मजबूत और स्वस्थ बनाता है. अखरोट में पाया जाने वाला ओमेगा-3 चर्बीदार अम्ल विद्रोहजनक बीमारियों के साथ –साथ हड्डियों को बहुत समय तक मजबूत रखने में भी सहायक होता है.

अच्छी नींद और तनाव के लिए

अखरोट में मेलाटोनिन होता है जोकि नींद के लिए बहुत अच्छा होता है. साथ ही इसमें पाया जाने वाला अम्ल खून के स्त्राव को संभालकर तनाव को दूर करता है. 

गर्भावस्था के लिए

अखरोट में विटामिन B –काम्प्लेक्स के ग्रुप जैसे थियामाइन, राइबोफ्लेविन, फोलेट आदि होते है जोकि गर्भवती महिलाओं के लिए बहुत जरुरी होते है.

कब्ज और पाचन सिस्टम के लिए

अखरोट में फाइबर होता है जोकि पाचन शक्ति को सुचारू रूप से चलाता है. अखरोट का सेवन करने से आँतों में भी फ़ायदा मिलता है. साधारण प्रोटीन के स्त्रोतों जैसे मीट, रोज के उत्पाद आदि में फाइबर कम मात्रा में होता है.

डायबिटीज को रोकने के लिए

अखरोट शरीर में ग्लूकोज को कंट्रोल करता है. अखरोट में पॉलीअनसेचुरेटेड चर्बीदार अम्ल होता है जोकि लीवर में इंसुलिन की रचना करने में सहायक होता है. अखरोट में मिनिरल्स और फाइबर होते है जोकि ग्लूकोज लेवल को कम करने के लिए जरुरी होते है.

आंतरिक सफाई के लिए

अखरोट हमारे आंतरिक भाग का वैक्यूम क्लीनर होता है जोकि अंदर की सफाई करता है. इससे पाचन सिस्टम को अच्छे से चलने में सहायता मिलती है.

वजन घटाने के लिए

अखरोट में कुछ ऐसे तत्व पाए जाते है जोकि वजन घटने में सहायक होते है इसलिए अखरोट वजन घटाने के लिए बहुत अच्छा घटक है. 

फंगल इन्फेक्शन के लिए

यह फंगस के लिए बहुत अच्छा नही होता है, फंगल इन्फेक्शन से पाचन शक्ति और त्वचा दोनों में प्रभाव पड़ता है. काला अखरोट फंगल के परिणाम के खिलाफ बहुत प्रभावकारी होता है लेकिन इसके साथ दूसरा इलाज भी जरुरी होता है.

अखरोट स्वस्थ और खूबसूरत त्वचा के लिए

अखरोट स्वस्थ और खूबसूरत त्वचा के लिए बहुत अच्छा होता है. यह निम्न प्रकार से त्वचा के लिए आवश्यक है.

त्वचा का बुढ़ापा रोकने के लिए

अखरोट त्वचा के लिए बहुत अच्छा होता है क्युकि इसमें विटामिन B होता है. यह तनाव को दूर करने में सहायक होता है जिससे त्वचा में झुर्रियां नही पड़ती. अखरोट में विटामिन E और एंटीओक्सिडेंट पाए जाते है जोकि त्वचा का बुढ़ापा रोकने के लिए फायदेमंद है.

त्वचा में नमी के लिए

अखरोट के तेल को हल्का गर्म करके सूखी त्वचा में हर रोज लगाना चाहिए, इससे त्वचा को नमी मिलती है और त्वचा स्वस्थ रहती है.

आँखों के काले घेरे के लिए


अखरोट के तेल से रोजाना आँखों की मालिश करना चाहिए, इससे आँखों को तनाव मुक्त और साथ ही आँखों के काले घेरे को साफ़ किया जा सकता है.

त्वचा के निखार के लिए

त्वचा में निखर लाने के लिए 4 अखरोट, 2 चम्मच ओट्स, 1 चम्मच शहद, 1 चम्मच मलाई और 4 बूँद जैतून के तेल को साथ में पीसकर मिला लीजिये और इस मिश्रण को त्वचा में लगाइए. कुछ समय बाद गर्म पानी से धो लीजिये. त्वचा के रंग में निखार आयेगा.
अखरोट त्वचा को संक्रमण से भी बचाता है इसलिए यह फायदेमंद है.

अखरोट स्वस्थ बालों के लिए

अखरोट बालों के लिए भी सहायक घटक है इससे निम्न प्रकार के फ़ायदे होते है.

अखरोट में पाए जाने वाले तत्व जैसे पोटेशियम, ओमेगा-3, ओमेगा-6, और ओमेगा-9 चर्बीदार अम्ल होते है जोकि बालों को मजबूत बनाने में सहायता करते है. अखरोट के तेल से बालों को लम्बे, मजबूत, स्वस्थ और कोमल बनाया जा सकता है.

गंजेपन को रोकने के लिए

अखरोट के तेल को बालों में लगाने से गंजेपन की परेशानी से बचा जा सकता है.

रुसी के लिए

बालों में रुसी की समस्या रूखे बालों की वजह से होती है. अखरोट के तेल से बालों को नमी मिलती से जिससे बाल रूखे नही होते. इससे रुसी की समस्या से बचा जा सकता है. 
इस प्रकार बालों के लिए अखरोट बहुत अच्छा उत्पाद है इससे और भी बहुत से फायदे है.
*रोजाना करीब 75 ग्राम अखरोट रोजाना खाने से स्वस्थ युवा पुरुषों के शुक्राणुओं की गुणवत्ता में सुधार होता है। यूसीएल के शोधकर्ताओं का कहना है रोजाना अखरोट का पर्याप्त सेवन करने से 21 से 35 वर्ष की आयु के पुरुषों के शुक्राणुओं में अध‍िक जीवनशक्ति और गतिशीलता आती है।
* हाल ही में हुए एक सर्वे से पता चला है कि अखरोट के सेवन से तनाव का स्टार घट जाता है। इसके सेवन से ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है और शरीर को पर्याप्‍त ऊर्जा मिलती रहती है। 9) नट्स आपकी नींद सुधार सकते हैं, इनमें मेsलाटोनिन हॉरमोन होता है, जो नींद के लिए प्रेरित करना और नींद को नियंत्रित करता है। अगर आप शाम को या सोने से पहले अखरोट खायें तो इससे आपकी नींद में सुधार आए।
*गर्भवती महिलायें जो अखरोट जैसे फैटी एसिड युक्त आहार का सेवन करती हैं, उनके बच्चों को फूड एलर्जी होने की आशंका बहुत कम होती है। शोधकर्ताओं का कहना है कि माताओं के आहार में पॉलीअनसेचुरेटेड फैटी एसिड (पूफा) होता है उनके बच्चे का विकास अच्छी तरह होता है। पूफा रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली कोश‍िकाओं को मजबूत बनाता है।
* सुखद लंबी आयु के लिए अखरोट का सेवन अच्छा रहता है। इसक नियमित सेवन से जीवनकाल बढ़ता है और आपका जीवन ऊर्जा से भरपूर रहता है।
* जो पुरूष पिता बनने की लालसा रखते हैं उनके लिए अखरोट काफी लाभकारी होता है। इसके सेवन से स्पर्म काउंट बढ़ता है।
* अगर आपको अपने स्तन को सुडौल और स्वस्थ बनाएं रखना है तो अखरोट का दैनिक रूप से सेवन करें। इससे आपको काफी लाभ मिलेगा।
* अखरोट का नियमित रूप से सेवन, दिमाग को तेज बनाता है इसीलिए इसे ब्रेन फूड के नाम से भी जाना जाता है। इसमें भरपूर मात्रा में विटामिन ई होने ही वजह से यह दिमाग को तेज और स्वस्थ बनाएं रखता है।

अखरोट के दुष्प्रभाव 

अखरोट के फ़ायदे के साथ -साथ कुछ दुष्प्रभाव भी है, जिनके बारे में जानना बहुत जरुरी होता है.

अखरोट से एलर्जी

अखरोट 8 एलर्जिक खाने में से एक है. अखरोट से एलर्जी भी हो सकती है जिससे बचने के लिए उपयुक्त इलाज करना ही सही है.

अन्य ओषधियों के साथ प्रतिक्रिया

अखरोट अन्य ओषधि के साथ विपरीत प्रतिक्रिया करता है, इसलिए इसे डॉक्टर की सलाह के बिना उपयोग में नही लाना चाहिए.

त्वचा के केंसर

काले अखरोट में कुछ रासायनिक तत्व ऐसे पाय जाते है जोकि त्वचा में केंसर जैसी समस्या को पैदा कर सकता है.

कोशिकाओ के DNA में बदलाव

काले अखरोट में कुछ रासायनिक तत्व ऐसे होते है जोकि प्रोटीन के लेवल को कम कर देते है जिससे DNA सेल ख़राब हो जाती है और परिणाम बहुत ही घातक होता है.
अखरोट से अश्वीय विद्रोहजनक बीमारियां का भी प्रभाव पड़ता है.
अखरोट में पाए जाने वाले कुछ तत्व शरीर से आयरन को अवशोषित कर लेते है जिससे आयरन की मात्रा कम हो जाती है.
अखरोट से लीवर और किडनी भी ख़राब होने का खतरा होता है.
अखरोट से त्वचा में घमोरियां भी फ़ैल सकती है.
अखरोट से बच्चों के जन्म में भी त्रुटी हो सकती है.
अखरोट शरीर के तरल पदार्थ को सुखा देता है, जिससे बहुत परेशानी होती है.
अखरोट का इस्तेमाल संभल कर करना चाहिए और डॉक्टर की सलाह के बिना इसे उपयोग में लाना बहुत ही कठिन साबित हो सकता है
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अलसी(flax seed) के फायदे:flax seed benifits




  सुपर फुड अलसी में ओमेगा थ्री व सबसे अधिक फाइबर होता है। यह डब्लयू एच ओ ने इसे सुपर फुड माना है। यह रोगों के उपचार में लाभप्रद है। लेकिन इसका सेवन अलग-अलग बीमारी में अलग-अलग तरह से किया जाता है। स्वस्थ व्यक्ति को रोज सुबह-शाम एक-एक चम्मच अलसी का पाउडर पानी के साथ ,सब्जी, दाल या सलाद मे मिलाकर लेना चाहिए । अलसी के पाउडर को ज्यूस, दूध या दही में मिलाकर भी लिया जा सकता है। इसकी मात्रा 30 से 60 ग्राम प्रतिदिन तक ली जा सकती है। 100-500 ग्राम अलसी को मिक्सर में दरदरा पीस कर किसी एयर टाइट डिब्बे में भर कर रख लें। अलसी को अधिक मात्रा मंे पीस कर न रखें, यह पाउडर के रूप में खराब होने लगती है। सात दिन से ज्यादा पुराना पीसा हुआ पाउडर प्रयोग न करें। इसको एक साथ पीसने से तिलहन होने के कारण खराब हो जाता है। 
  *खाँसी होेने पर अलसी की चाय पीएं। पानी को उबालकर उसमें अलसी पाउडर मिलाकर चाय तैयार करें।एक चम्मच अलसी पावडर को दो कप (360 मिलीलीटर) पानी में तब तक धीमी आँच पर पकाएँ जब तक यह पानी एक कप न रह जाए। थोड़ा ठंडा होने पर शहद, गुड़ या शकर मिलाकर पीएँ। सर्दी, खाँसी, जुकाम, दमा आदि में यह चाय दिन में दो-तीन बार सेवन की जा सकती है। दमा रोगी एक चम्मच अलसी का पाउडर केा आधा गिलास पानी में 12 घंटे तक भिगो दे और उसका सुबह-शाम छानकर सेवन करे तो काफी लाभ होता है। गिलास काँच या चाँदी को होना चाहिए।
 *समान मात्रा में अलसी पाउडर, शहद, खोपराचूरा, मिल्क पाउडर व सूखे मेवे मिलाकर नील मधु तैयार करें। कमजोरी में व बच्चों के स्वास्थ्यके लिए नील मधु उपयोगी है।
*डायबीटिज के मरीज को आटा गुन्धते वक्त प्रति व्यक्ति 25 ग्राम अलसी काॅफी ग्राईन्डर में ताजा पीसकर आटे में मिलाकर इसका सेवन करना चाहिए। अलसी मिलाकर रोटियाँ बनाकर खाई जा सकती हैं।  इसमें कार्बोहाइट्रेट अधिक होता है।शक्कर की मात्रा न्यूनतम है। 
*कैंसर रोगियों को ठंडी विधि से निकला तीन चम्मच तेल, छः चम्मच पनीर में मिलाकर उसमें सूखे मेवे मिलाकर देने चाहिए। कैंसर की स्थिति मेें डाॅक्टर बुजविड के आहार-विहार की पालना श्रद्धा भाव से व पूर्णता से करनी चाहिए। कैंसर रोगियों को ठंडी विधि से निकले तेल की मालिश भी करनी चाहिए। 
*साफ बीनी हुई और पोंछी हुई अलसी को धीमी आंच पर तिल की तरह भून लें।मुखवास की तरह इसका सेवन करें। इसमें सैंधा नमक भी मिलाया जा सकता है। ज्यादा पुरानी भुनी हुई अलसी प्रयोग में न लें। बेसन में 25 प्रतिशत अलसी मिलाकर व्यंजन बनाएं। बाटी बनाते वक्त भी उसमें भी अलसी पाउडर  मिलाया जा सकता है। सब्जी की ग्रेवी में भी अलसी पाउडर का प्रयोग करें। अलसी सेवन के दौरान खूब पानी पीना चाहिए। इसमें अधिक फाइबर होता है, जो खूब पानी माँगता है।

दमा में दिलाये राहतदमा के रोगी को एक चम्मच अलसी के पाउडर को आधा गिलास पानी में 12 घंटे तक भिगो दे और फिर उसे सुबह – शाम छानकर इसका सेवन करने से लाभ मिलता है| आप इसे गर्मी या सर्दी दोनों मौसम में खा सकते है| इसमें पाया जाने वाले फाइबर से हमें कई स्वास्थ लाभ पहुँचते है| कभी कभार इसके सेवन से बहुत प्यास लगती है, इसलिए इसका सेवन करते वक्त भरपूर मात्रा में पानी पिये| जो लोग कैंसर के रोगी है उन्हें 3 चम्मच अलसी का तेल पनीर में मिलाकर उसमें सूखे मेवे मिलाकर लेना चाहिए।
 *स्वस्थ व्यक्ति रोज सुबह-शाम एक-एक चम्मच अलसी का पाउडर पानी के साथ या फिर दाल और सब्जी के साथ ले सकते है| *स्वस्थ व्यक्ति इसकी मात्रा 30 से 60 ग्राम ले सकता है| अलसी को सूखी कढ़ाई में रोस्ट कीजिये और मिक्सी में पीस लीजिये| लेकिन एकदम बारीक मत कीजिये और दरदरे पीसिये| भोजन के बाद इसे सौंफ की तरह खाया जा सकता है|
 *दमा के रोगी को एक चम्मच अलसी के पाउडर को आधा गिलास पानी में 12 घंटे तक भिगो दे और फिर उसे सुबह – शाम छानकर इसका सेवन करने से लाभ मिलता है| आप इसे गर्मी या सर्दी दोनों मौसम में खा सकते है| इसमें पाया जाने वाले फाइबर से हमें कई स्वास्थ लाभ पहुँचाते है| कभी कभार इसके सेवन से बहुत प्यास लगती है, इसलिए इसका सेवन करते वक्त भरपूर मात्रा में पानी पिये|
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23.10.21

मरुआ पौधे के औषधीय गुण और फायदे:Marua ke fayde




  मरुआ का पौधा सम्पूर्ण भारत में सभी जगह आसानी से उगाया जा सकता है इसका पौधा तुलसी के जैसा ही होता है इसका पौधा अत्यंत ही सुगन्धित होता हे इसके फूल सफ़ेद और बैंगनी कलर का होता है जो तुलसी के पौधे के सम्मान ही होता हे
 बारीश के मौसम और सर्दी के मौसम में मच्छर और कीड़े मकोड़ों का प्रभाव बहुत ही बढ़ जाता हे जिसके कारण लोग बीमारियों का शिकार होने लगते हे जब मरुआ का पौधा आप घर के अंदर लगाते हे तब घर के अंदर मच्छर और कीड़े का प्रभाव कम होने लगता हे
 मरुआ के पौधे का घरेलु दवाओं में आसानी से जड़ , पत्तो ,फूलो , फलो ,जड़ का चूर्ण ,टहनियों , पत्तियों , पौधे का चूर्ण का उपयोग घेरलू दवाओं में किया जाता हे
 मरुआ के पौधे का उपयोग रोग में – गठिया रोग में , मासिक धर्म , पैट दर्द में , सरदर्द में दस्त में , पेचिस में , चोट-मोच में , दर्द में , कब्ज में , सूजन में ,घर में कीड़े मकोड़े और मछर में मरुआ के पौधे का उपयोग , जोड़ो के दर्द में घेरलू और ओषधिय चिकित्सा में प्रयोग किया जाता हे
घर में कीड़े मकोड़े और मछर में मरुआ के पौधे का उपयोग
 बारिश के मौसम में बहुत से कीड़े मकोड़े और मछर की संख्या बहुत जयादा हो जाती हे बारिश के मौसम में घर में एक मरुआ का पौधा लगाने से घर में कीड़े मकोड़े – मछर का प्रभाव कम हो जाता हे और घर में सोंधी महक फैलाता रहेगा
 मरुआ के पौधे को घर के बिच या गमले में लगा कर घर के किसी भी कोने में रख सकते हे इसकी साइज भी तुलसी के जितनी ही होती हे जिस घर में मरुआ का पौधा होता हे वहा डेंगू और मलेरिया का खतरा बहुत कम होता हे और वातावरण शुद्ध होता हे

सूजन में मरुआ 


मरुआ के पौधे की पत्तियों और टहनियों को पानी उबाल कर सूजन वाली जगह बफारा देने से और गर्म पानी से मालिस करने से भी शरीर में सूजन कम होगा और सूजन के दर्द में भी फायदा होता हे

पेचिस में मरुआ 

मरुआ के पौधे की पत्तियों को मलकर पेट पर मालिस करने के बाद हलकी सिकाई करने से तीव्र पेचिस में भी फायदा होता हे

दर्द में मरुआ 

मरुआ के पौधे की पत्तियों और टहनियों को पानी उबाल कर सूजन की जगह गर्म पानी से मालिस करने से दर्द में भी फायदा होता हे

खुनी दस्त में मरुआ 

मरुआ के पौधे की पत्तियों का काढ़ा बना कर सुबह-शाम-दोपहर रोजाना पिलाने से खुनी दस्त में भी फायदा होता हे

सिर दर्द में मरुआ 

मरुआ की ताजा पत्तियों का शीत निर्यास बनाकर सेवन करने से सिर दर्द में बहुत ही फायदा होगा

TB [ टी.बी ] रोग में

टी.बी रोग में मरुआ की ताजा जड़ का 5 ग्राम रस को सुबह – शाम सेवन करने से रोग में बहुत ही जल्दी फायदा होगा

पेट दर्द में मरुआ 

पेट दर्द में मरुआ की पत्तियों और बीजो का चूर्ण बना कर 5 ग्राम चूर्ण को गर्म पानी के साथ मिला कर सुबह – शाम उपयोग करने से पेट दर्द में फायदा होता हे

मासिक धर्म में 

मासिक धर्म में मरुआ का 20 ग्राम का फाट बना कर नियमित रूप से सेवन करने से रज विकारो में फायदा होता हे

चोट- मोच में

मरुआ के तेल की मालिस सुबह -शाम चोट वाली जगह पर लगाने से चोट – मोच में आश्चर्य जनक फायदा होगा

कब्ज में मरुआ के फायदे

कब्ज में मरुआ का 20 ग्राम के लगभग का फाट बना कर पीने से कब्ज में जबरदस्त फायदा होगा

गठिया रोग में मरुआ

गठिया के रोगी को मरुआ के पंचांग [ पत्ती , टहनिया , फूल , जड़ ,बीज ] का काढ़ा 20-30 मिली के लगभग बनाकर रोगी को दिन में 2 से 3 बार पिलाने से गठिया के रोग में फायदा होता
मरुआ की चटनी बहुत ही आसानी से आप बना सकते हे इसके लिए आप को इन चीजों की आवश्यकता होगी
एक कप मरुआ की पत्तिया
एक निम्बू
एक नमक की चमच
1 से 2 हरी मिर्च
इन सभी की मात्रा आप अपनी आवश्यकता के अनुसार बड़ा सकते हे
चटनी बनाने की विधि
सभी पत्तियों और निम्बू , मिर्च को सबसे पहले धो ले
अब आप इन सभी सामान को मिक्सी में दाल दे
इसमें आप 1 कप पानी मिला सकते हे
अब आप इनको मिक्सी में अच्छी तरह पीस ले
अब पूरी तरह चटनी तैयार हे
आप चटनी को पत्थर पर भी पीस सकते हे
मरुआ का पौधा घर में रहता हे तो घर में सांप कीड़े – मकोड़े मछर नहीं आते हे जिससे घर का वातावरण सुगन्धित रहता हे और घर महकता रहता हे मरुआ के पौधे के चमत्कारी और आयुर्वेदिक गुण बहुत से हे|
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