7.10.19

कफ बलगम निकालने के आयुर्वेदिक घरेलू उपाय,kaf ,balgam nikalne ke upay


कफ निकालने के घरेलू उपाय जुकाम और अन्‍य ऊपरी श्वसन संक्रमण के लक्षणों को कम कर सकते हैं। कफ का आना कोई गंभीर स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍या नहीं है लेकिन कफ बनने का कारण लोगों की असुविधा का कारण बन सकता है। लेकिन यदि समय पर कफ का इलाज या कफ निकालने के लिए घरेलू उपाय समय पर न लिए जाएं तो गंभीर स्थिति बन सकती है। कफ (बलगम) निकालने के उपाय अपनाकर आप ब्रोन्कियल नलियों को अवरूद्ध होने और जलन को रोक सकते हैं। कफ निकालने के घरेलू उपाय आमतौर पर गले की सफाई, लगातार खांसी, नाक से पानी आना, सांस लेने में दिक्‍कत और शारीरिक कमजोरी आदि को दूर कर सकते है।
कफ एक मोटा और चिपचिपा पदार्थ होता है जिसे बलगम भी कहा जाता है। कफ अक्‍सर बीमार होने या जुकाम होने के दौरान गले में जमा हो जाता है। संक्रमण और प्रतिरक्षा शक्ति में कमी कफ बनने का कारण हो सकता है। हालांकि कफ या बलगम झिल्‍ली आपके श्वसंन तंत्र की रक्षा करने और स्‍वास्‍थ्‍य को बढ़ाने में सहायक होते हैं। मानव शरीर में कफ मुंह, नाक, गला, साइनस और फेफड़ों आदि में मुख्‍य रूप से होता है। कफ चिपचिपा होता है ताकि यह धूल एलर्जी और वायरस आदि को बीच में ही रोक ले। सामान्‍य रूप से कफ पतला होता है लेकिन यदि कफ अधिक गाढ़ा है तो यह जांच कराने योग्‍य है। कफ आपके श्वसन तंत्र का एक स्‍वस्‍थ्‍य हिस्‍सा है लेकिन यदि यह आपके लिए असुविधा का कारण बने तो आपको डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।

छाती में कफ जमने का कारण –

बीमार होने के दौरान सीने में सूजन और जकड़न का अनुभव होता है। ऐसा छाती में कफ जमने का कारण होता है। छाती में कफ जमना और इसके अन्‍य लक्षणों में घरघराहट, नींद लेने में कठिनाई, गले में खराश आदि हैं। कफ का निकलना भी अक्‍सर खांसी के साथ होता है। हालांकि छाती में कफ जमना सामान्‍य है लेकिन कुछ स्थितियों में अधिक मात्रा में कफ का जमाव चिंता का कारण बन सकता है। छाती में कफ जमने के कारणों में शामिल हैं :

कफ निकालने के घरेलू उपाय –

कफ या बलगम अक्‍सर खांसी के साथ आता है। आप छाती और गले में जमा कफ निकालने के घरेलू उपाय से इस समस्‍या को दूर कर सकते हैं। खांसी और बलगम आने का प्रमुख कारण वायरस या संक्रमण होता है। हालांकि यह कुछ दिनों में सामान्‍य रूप से ठीक हो जाता है। हालांकि आप इसके इलाज के लिए अपने डॉक्‍टर से संपर्क कर सकते हैं। सामान्‍य रूप से डॉक्‍टर कफ का कोई इलाज नहीं कर सकते हैं। लेकिन वे इसके लक्षणों को कम करने के लिए कुछ दवाएं दे सकते हैं। हालांकि कफ का इलाज करने के लिए आप घरेलू उपाय अपना सकते हैं। जो इस प्रकार हैं।


गर्म पानी से स्नान –

श्वसन तंत्र में ऊपरी संक्रमण को दूर करने के लिए आप भाप और गर्म शॉवर का उपयोग कर सकते हैं। भाप लेना बलगम का इलाज कर सकता है। कफ और खांसी के घरेलू उपचार के लिए भी भाप लेना सबसे अच्‍छा तरीका होता है। ऐसा करने पर आप अपने श्वसन तंत्र को शुष्‍क होने से बचा सकते हैं। इसके अलावा स्‍टीम शॉवर लेने से छाती में जमा बलगम को निकालने में भी मदद मिलती है। इसके लिए आप कम से कम 5 मिनिट तक भाप लें या गर्म शॉवर का उपयोग करें। आप अपनी स्थिति और आवश्‍यकता के अनुसार दोहरा भी सकते हैं। ऐसा करने से आपको कफ संबंधी समस्‍याओं से राहत मिल सकती है।
सर्दी, खांसी और कफ जैसी समस्‍याएं बच्‍चों को सबसे अधिक होती हैं। लेकिन यह समस्‍याएं किसी भी उम्र में किसी भी व्‍यक्ति को हो सकती हैं।

विटामिन सी का सेवन

ऐसा मुख्‍य रूप से कमजोर प्रतिरक्षा शक्ति के कारण होता है। लेकिन यदि आप स्‍वयं और अपने बच्‍चों को पर्याप्‍त मात्रा में विटामिन सी का सेवन कराते हैं तो इस समस्‍या से बचा जा सकता है। विटामिन सी एक एंटीऑक्‍सीडेंट है जो फ्री रेडिकल्‍स के प्रभाव को कम करने और वायरल संक्रमण से लड़ने में सहायक होता है। विटामिन सी का पर्याप्‍त सेवन आपकी प्रतिरक्षा शक्ति को बढ़ाने में सहायक होता है। कफ निकालने के उपाय में आप संतरे या नारंगी का सेवन कर सकते हैं। इसके लिए नियमित रूप से प्रतिदिन 2 से 3 गिलास संतरे का जूस पीने पर आपको कफ और सर्दी के लक्षणों को दूर करने में मदद मिल सकती है।

लौंग की चाय –

अध्‍ययनों से पता चलता है कि थाइम और लौंग (thyme and clove) दोनो में रोगाणुरोधी गुण होते हैं। इन दोनों औषधीयों के तेल टिंचर्स के रूप में काम करते हैं जो ऊपरी श्वसन संक्रमण को रोकने में प्रभावी होते हैं। कफ का इलाज करने के लिए आप उबलते पानी में अजवाइन फूल और लौंग की पत्तियां या लौंग को मिलाएं और 10 मिनिट तक पकाएं। इसके बाद इस पेय पदार्थ को ठंडा होने दें और फिर इसका सेवन करें। दिन में 1-2 कप लौंग की चाय पीने से कफ की मात्रा को कम किया जा सकता है।

अदरक की चाय –

अदरक में एंटीऑक्‍सीडेंट और एंटी-इंफ्लामेटरी गुण होते हैं। जिसके कारण नियमित रूप से अदरक की चाय का सेवन करने पर यह प्रतिरक्षा को मजबूत करने के साथ ही मौजूद संक्रमण और विषाणुओं के प्रभाव को कम करने में सहायक होता है। अदरक की चाय का सेवन करना आपके शरीर को हाइड्रेट रखने और गले की सूजन को दूर करने में मदद कर सकता है। आप कफ नाशक के रूप में अदरक की चाय का उपयोग कर सकते हैं।

हाइड्रेट रहें

किसी भी प्रकार की स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍या या संक्रमण से ग्रसित होने की स्थिति में हाइड्रेट रहना बहुत ही फायदेमंद होता है। यदि आप सर्दी से या कफ जैसी समस्‍या से परेशान हैं तब शरीर में पानी की कमी होना आम है। लेकिन यह पानी की कमी आपके शरीर को अन्‍य नुकसान भी पहुंचा सकता है। ऐसी स्थिति में आप अपने शरीर में पानी की कमी को पूरा करने के लिए नियमित रूप से पानी पीना, स्‍वास्‍थ्‍य वर्धक पेय पदार्थों और अन्‍य जड़ी बूटी युक्‍त चाय या तरल पदार्थ का सेवन कर सकते हैं। ऐसा करने से आपके गले की सूजन और चिड़चिड़ाहट आदि को रोका जा सकता है। साथ ही औषधीय जड़ी बूटी युक्‍त चाय का सेवन आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को भी मजबूत करने में सहायक होता है।


नींबू का रस –

कफ के जमा होने से जकड़न, जलन, सूजन और दर्द जैसी समस्‍याएं हो सकती हैं। लेकिन गले में बलगम का इलाज नींबू के रस से किया जा सकता है। नींबू का रस गले में जमा बलगम को ढ़ीला और कमजोर करने में सहायक होता है। जिससे कफ को आसानी से बाहर किया जा सकता है। इसके अलावा नींबू के रस में विटामिन सी होता है जो जीवाणुरोधी है।
बलगम का इलाज करने के लिए आप 1 गिलास गर्म पानी में 2 चम्‍मच नींबू का रस और 1 बड़ा चम्‍मच शहद मिलाएं। इस मिश्रण का सेवन दिन में कम से कम 2-3 बार करें। ऐसा करने पर कफ उत्‍पादन को कम किया जा सकता है। इसके अलावा विकल्‍प के रूप में आप नींबू के टुकड़े में काली मिर्च पाउडर और नमक को छिड़कें और फिर नींबू को चूसें। ऐसा करने से कफ आसानी से आपके गले से बाहर निकल सकता है।

नमक का पानी –

यदि आप अधिक मात्रा में कफ निकलने जैसी समस्‍या से परेशान हैं तो नमक के पानी का उपयोग करें। नमक का पानी कफ निकालने का तरीका है जो बहुत ही प्रभावी है। इसके लिए आप गर्म पानी में नमक को मिलाएं और गरारे करें। ऐसा करने से कफ आसानी से निकल सकता है। इसके अलावा गले में होने वाले दर्द और सूजन संबंधी समस्‍याओं को दूर करने में भी नमक का पानी बहुत ही प्रभावी होता है। नमक में मौजूद गुण और एंटीऑक्‍सीडेंअ बैक्‍टीरिया को नष्‍ट करने में मदद करते हैं जो आपके गले के संक्रमण का प्रमुख कारण होते हैं। बलगम का इलाज करने के लिए आप 1 गिलास गुनगुने पानी में ½ चम्‍मच नमक घोलें और इस पानी से गरारे करें। आप इस उपाय को दिन में अपनी सुविधा के अनुसार कई बार कर सकते हैं।

हल्‍दी –

हल्‍दी में एंटीसेप्टिक गुण होते हैं जो बलगम के उत्‍पादन करने वाले बैक्‍टीरिया को नष्‍ट करने में सहायक होते हैं। इसके अलावा हल्‍दी का नियमित सेवन हमारी प्रतिरक्षा शक्ति को बढ़ाने में सहायक होता है। कफ दूर करने के घरेलू उपाय में आप हल्‍दी का इस्‍तेमाल कर सकते हैं।
1 गिलास गर्म दूध में 1 चम्‍मच हल्‍दी पाउडर मिलाएं। इस मिश्रण को रात में सोने से पहले और सुबह के समय खाली पेट सेवन करें। इसके अलावा आप दिन में 2-3 बार 1 गिलास गर्म पानी में 1 चम्‍मच हल्‍दी पाउडर को घोल कर सेवन करें। यह भी आपको कफ दूर करने में मदद कर सकता है।

शहद –

शहद में एंटीवायरल, जीवाणुरोधी और एंटीफंगल गुण होते हैं जो कफ के कारण गले के दर्द, सूजन और अन्‍य समस्‍याओं को दूर करने में प्रभावी होते हैं। शहद कफ निकालने का सबसे अच्‍छा घरेलू उपाय है साथ ही प्रतिरक्षा शक्ति को बढ़ाने में सहायक होता है। कफ का इलाज करने के लिए आपको शहद का नियमित सेवन करना चाहिए।
1 चम्‍मच शहद में 1 चुटकी कालीमिर्च पाउडर मिलाएं। काली मिर्च गले के संक्रमण को दूर करने में मदद करती है। जबकि शहद श्‍लेष्‍म झिल्‍ली को शांत करता है। नियमित रूप से 1 सप्‍ताह तक दिन में दो बार इस मिश्रण का सेवन करने पर यह कफ को प्रभावी रूप से कम कर सकता है।

लाल मिर्च –

लाल मिर्च नाक, गले और छाती में जमा होने वाले कफ को आसानी से दूर करने में मदद करती है। ऐसा इसलिए है क्‍योंकि लाल मिर्च की तासीर गर्म होती है इसके अलावा अपनी उत्‍तेजक प्रकृति के कारण यह सीने में दर्द को कम करने में भी सहायक होती है।
सर्दी या बलगम के लक्षणों को कम करने के लिए आप 1 चौथाई लाल मिर्च पाउडर, ¼ अदरक का पेस्‍ट, 1 चम्मच शहद और 2 बड़े चम्‍मच सेब के सिरका को मिलाकर सेवन करें। इस मिश्रण का सेवन करने से कफ के उत्‍पादन को कम करने में मदद करता है।

चिकन सूप –

गर्म चिकन सूप भी कफ का इलाज करने में मदद कर सकता है। गर्म चिकन सूप आपके वायुमार्ग को मॉइस्‍चराइज करने में मदद करता है और कफ की स्थिरता को पतला करेगा। साथ ही यह गले की सूजन और दर्द को भी प्रभावी रूप से दूर करने में मदद कर सकता है। आप अपने गले से कफ को दूर करने के लिए कम से कम दिन में 2 से 3 बार चिकन सूप का सेवन करें। चिकन सूप को अधिक प्रभावी बनाने के लिए आप इसमें लहसुन औरी अदरक को भी शामिल कर सकते हैं।

गाजर –

कफ और इससे संबंधित अन्‍य समस्‍याओं को दूर करने में गाजर बहुत ही प्रभावी औषधी मानी जाती है। गाजर विटामिन सी का सबसे अच्‍छा स्रोत है। विटामिन सी एंटीऑक्‍सीडेंट का काम करता है जो हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है। इसके अलावा गाजर में मौजूद अन्‍य पोषक तत्‍व और विटामिन भी कफ के लक्षणों को कम करने में सहायक होते हैं।
कफ संबंधी समस्‍या को दूर करने के लिए आप 4 से 5 ताजा गाजर का रस निकालें। यदि रस कुछ गाढ़ा हो तो इसे पतला करने के लिए कुछ पानी मिलाएं और 2 चम्‍मच शहद शामिल करें। आप अपने गले और छाती में जमा कफ को निकालने के लिए इस जूस की थोड़ी-थोड़ी मात्रा दिन भर पिएं। यह कफ निकालने का सबसे अच्‍छा उपाय है।


प्‍याज का रस –

प्‍याज में एंटीबायोटिक और एंटी-इंफ्लामेटरी गुण होते हैं। जिसके कारण गले के संक्रमण को दूर करने में प्‍याज का रस प्रभावी होता है। इसके अलावा प्‍याज में मौजूद अन्‍य घटक प्रतिरक्षा प्रणाली को भी स्‍वस्‍थ रखने में सहायक होते हैं। आप कफ निकालने के लिए प्‍याज के रस का उपयोग कर सकते हैं।
इसके लिए आप मध्‍ययम आकार की प्‍याज लें और इसे अच्‍छी तरह से धो कर साफ कर लें। फिर इस प्‍याज को बारीक काट लें। बारीक कटी हुई 2 चम्‍मच प्‍याज लें और इसमें 2 चम्‍मच चीनी मिला कर कुछ देर के लिए रख दें। ऐसा करने पर प्‍याज और चीनी के मिश्रण से एक तरल पदार्थ प्राप्त होता है। इस तरल पदार्थ की 1 चम्‍मच मात्रा हर 2 से 3 घंटे के बाद सेवन करें। आप इस मिश्रण 2 से 3 दिनों के लिए फ्रिज में स्‍टोर करके भी रख सकते हैं।
बच्‍चों और वयस्‍कों में कफ जमा होने की समस्‍या आम होती है। हालांकि गंभीर स्थिति होने पर ही डॉक्‍टरी उपचार की आवश्‍यकता होती है। इसके साथ आप ऊपर बताये गए कफ दूर करने के घरेलू नुस्‍खे आजमा सकते हैं।

छाती और गले में जमे कफ के लिए घरेलु उपाय शहद और नींबू

नींबू के रस और शहद मिलाकर सेवन करने से छाती और गले में जमे कफ से बहुत जल्दी छुटकारा पाया जा सकता है। क्योंकि नींबू में सिट्रिक अम्ल होता है, जो कफ को नष्ट करने में उपयोगी होता है।

शहद और अदरक

इस घरेलू नुस्खे का उपयोग करने के लिए एक चम्मच शहद में एक चम्मच अदरक का रस मिलाकर इसे थोड़ा गरम कर लें, और इसका सेवन करें।

काली मिर्च

5-6 काली मिर्च लेकर उन्हें बारीक पीस लें। अब एक गिलास पानी लेकर उस पानी में यह काली मिर्च का मिश्रण डाल दें और इसे अच्छी तरह गर्म करें। जब यह गुनगुना ठंडा हो जाए, तो इसका सेवन करें। इससे छाती और गले में जमे कब की समस्या से 1 दिन में छुटकारा मिल जाता है।
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12.9.19

पिचके गाल गोल मटोल बनाने के उपाय


चेहरे को सुंदर बनाने में आंख, नाक, होंठ की तरह ही गोल-मटोल गाल भी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वैसे भी सुंदर गोल-मटोल, पिंक गाल हर किसी को बेहद पसंद होते हैं। क्योंकि गोल गाल किसी की भी सुंदरता में चार-चांद लगाने का काम करते हैं। अगर आपके गाल पिचके हुए हैं तो आप जितना मर्जी भी मेकअप कर लें आपकी खूबसूरती फीकी ही लगेगी। इसके साथ ही पिचके हुए गाल पौष्टिक तत्वों की कमी की निशानी होते हैं। इसके अलावा अगर आप पानी भी ठीक तरह से नहीं पीते तो इस वजह से भी आपके गाल पिचकने लगते हैं। गोल-मटोल गाल पाने के लिए लोग कई तरह के तरीके अपनाते हैं। मगर उससे भी कोई फायदा नहीं होता। एेसे में आज हम आपको कुछ घरेलू नुस्खे बताएंगे जिससे की आप अपने गालों को सुंदर गोल-मटोल बना सकते हैं।
अगर गाल उभरे हुए हों और चेहरा भरा-भरा सा हो तो हर व्यक्ति आकर्षक लगता है। यह चेहरे का एक परफेक्ट लुक माना जाता है। लेकिन आजकल आमतौर पर फूला हुआ चेहरा उन्हीं लोगों का देखने को मिलता है जो शरीर से भी मोटे होते हैं। मोटापे के कारण चेहरे पर जमी चर्बी प्राकृतिक रूप से आकर्षक नहीं लगती है। माना जाता है कि फैटी चेहरे और फूले हुए गाल वाले लोग अधिक जवान दिखायी देते हैं। शायद यही कारण है कि ज्यादातर स्त्री और पुरुष अपने चिपटे चेहरे को फैटी बनाने के लिए तरह-तरह के कास्मेटिक का इस्तेमाल करते हैं।
घर पर चेहरे को गोल मटोल (chubby) बनाने के लिए शहद एक बेहतर उपाय है। शहद चेहरे को मॉश्चराइज करता है और चेहरे की त्वचा को स्वस्थ बनाता है। शहद में एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है जो चेहरे पर जमा विषाक्त पदार्थों को दूर कर देता है। पके हुए पपीते को पीसकर इसमें एक चम्मच शहद मिलाएं और इस पेस्ट को 10 मिनट तक चेहरे और गालों पर लगाकर रखें इसके बाद पानी से चेहरा धो लें। प्रतिदिन सुबह यह पेस्ट चेहरे पर लगाने से चेहरा फैटी और गोल मटोल हो जाता है।



एलोवेरा

चेहरे और गालों पर एलोवेरा जेल लगाकर कुछ देर तक उंगलियों के पोरों (fingertips) से गोल-गोल मसाज करने से गालों पर उभार आता है। पूरे चेहरे पर एलोवेरा जेल लगाकर करीब 20 से 30 मिनट तक मसाज करते हें। यदि आप हफ्ते भर में अपने गालों और चेहरे को फैटी बनाना चाहती हैं तो दिन में दो से तीन बार चेहरे पर एलोवेरा जेल लगाकर मसाज करें।
ग्लिसरीन का उपयोग
फेस को प्राकृतिक रूप से टाइट रखने के लिए ग्लिसरीन का उपयोग किया जाता है। यह चेहरे को मॉश्चराइज करता है और चेहरे पर उभार लाता है। चार से पांच बूंद ग्लिसरीन में दो बूंद गुलाब जल मिलाकर इसे पूरे चेहरे पर लगाएं और उंगलियों से हल्का-हल्का मसाज करें। एक घंटे बाद चेहरे को पानी से धो लें। कुछ दिनों बाद आपके गाल फूले हुए और चेहरा फैटी दिखने लगेगा।
दूध
जो लोग प्रतिदिन दूध पीते हैं, उनकी न सिर्फ सेहत ही ठीक रहती है बल्कि उसकी त्वचा भी स्वस्थ रहती है। दूध में प्रोटीन, मिनरल और विटामिन पाया जाता है जो चेहरे को मॉश्चराइज करने का काम करता है और गाल को फैटी बनाता है। ठंडे दूध से लगभग 15 मिनट तक चेहरे पर मसाज करें और फिर पांच मिनट तक के लिए छोड़ दें। कुछ दिनों तक यह प्रक्रिया अपनाने से आपका चेहरा भरा-भरा दिखायी देने लगेगा। इसके अलावा चेहरे को गोल मटोल बनाने के लिए दो कप कम वसायुक्त दूध प्रतिदिन पीना फायदेमंद होता है।
जैतून का तेल
जैतून का तेल त्वचा के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इस तेल से गालों की मसाज करने पर यह नैचुरल तरीके से मोटे होने लगते हैं। प्रतिदिन 1 चम्मच जैतून के तेल से चेहरे पर मालिश करें।


नारियल तेल से मसाज करें

गालों को अधिक मांसल बनाने में नारियल का तेल बहुत फायदेमंद होता है। नारियल के तेल में फैटी एसिड पाया जाता है जो चेहरे में आसानी से अवशोषित हो जाता है। प्रतिदिन सुबह और रात में सोने से पहले हल्के गुनगुने नारियल के तेल से चेहरा का मसाज करने से जल्द ही बेहतर परिणाम दिखायी देते हैं और महीने भर में चेहरा फैटी दिखायी देने लगता है।
गुब्‍बारे की तरह मुंह को फुलाएं
गालों को गोल-मटोल करने के लिए इनको कम से कम 1 मिनट तक गुब्बारे की तरह फुलाकर रखें। इस प्रक्रिया को दिन में 3 बार करें। रोजाना करने से कुछ ही महीनों में पिचके हुए गाल गोल-मटोल हो जाएंगे।
मेथी पेस्ट लगाएं
पोषक तत्वों से युक्त होने के कारण मेथी टाइट स्किन और फूले हुए गाल बनाने में फायदेमंद होता है। यह चेहरे की त्वचा को एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन की सप्लाई करता है और झुर्रियों को दूर करता है। एक चम्मच मेथी के दाने को रातभर पानी में भिगोंए और सुबह मेथी का पेस्ट बनाकर चेहरे और गालों पर लगा लें इसके बाद सादे पानी (plain water) से चेहरा धो लें। गालों को उभरा और आकर्षक बनाने के लिए मेथी एक अचूक घरेलू उपाय है।
एपल पेस्ट
गालों और चेहरे को फूला हुआ बनाने के लिए सेब एक आम घरेलू उपाय है। सेब में पाये जाने वाले प्राकृतिक अवयव सप्ताह भर में गालों पर उभार ला देते हैं। सेब के एक टुकड़े को अच्छी तरह से पीसकर पेस्ट बना लें और इस पेस्ट को चेहरे और गालों पर लगाएं। आधे घंटे बाद सामान्य पानी से चेहरे को साफ कर लें। यह पेस्ट पूरे चेहरे को टाइट रखने के साथ ही उन्हें फैटी बनाने में मदद करता है।
पिचके गाल फुलाने की योग
चेहरे को फैटी और गालों को गोल मटोल बनाने के लिए फेशियल योगा एक बेहतर उपाय है। यह कोलेजन (collagen) और इलास्टिन (elastin) भी बनाने में मदद करता है जो एक स्वस्थ त्वचा और गोल मटोल गाल के लिए जरूरी होता है। एक कुर्सी पर आराम से बैठ जाएं और अपने मुंह को हल्का सा खोलें और बंद करें। इसके बाद दोबारा कोशिश करें और मुंह को खोलकर इतना फैलाएं कि बीच के सभी दांत दिखायी दें और दोनों तरफ के गाल सिकुड़ जाएं। अब बार-बार मुंह खोलने और बंद करने का अभ्यास करें। प्रतिदिन 2 मिनट तक फेशियल योगा करने से गाल उभरे हुए दिखायी देते हैं।


पर्याप्त पानी पिये

गोल मटोल और फूला हुआ गाल पाने का एक बेहतर आसान तरीका यह है कि आप प्रतिदिन पर्याप्त मात्रा में पानी पीएं। एक स्वस्थ शरीर और फैटी चेहरे के लिए प्रतिदिन कम से कम आठ गिलास पानी पीना बहुत जरूरी होता है। यह चेहरे और गालों को मॉश्चराइज करता है और उन्हें उभरा हुआ एवं स्वस्थ बनाता है। इसके अलावा आपको हरी पत्तेदार (green leafy) सब्जियां और फल भी पर्याप्त मात्रा में खाना चाहिए। लेकिन जो सबसे जरूरी है वह यह है कि लगातार जूस या पानी का सेवन करते रहें।
हेल्दी भोजन
प्रतिदिन हम जिस तरह का भोजन लेते हैं उनका भी हमारे स्किन पर असर पड़ता है। भोज्य पदार्थों में आवश्यक विटामिन, मिनरल, एंटीऑक्सीडेंटपाये जाते हैं जो शरीर का विकास तो करने में मदद करते ही हैं साथ में गालों को भी स्वस्थ बनाते हैं। प्राकृतिक रूप से गालों को फूला हुआ (fuller) बनाने के लिए आपको प्रतिदिन ओट्स, पनीर, दूध, गाजर, सेब, एवोकैडो, बादाम और हेल्दी फैट का सेवन करना चाहिए। इससे आपके गाल प्राकृतिक रूप से उभरे और फूले हुए दिखायी देंगे।
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28.8.19

बच्चों के लिए फ्रूट जूस के फायदे नुकसान



वैसे तो फलों के सेवन के साथ-साथ फ्रूट जूस भी कई फायदों वाला होता है और सेहत के लिए लाभदायक माना जाता है लेकिन सिर्फ फ्रेश जूस। मार्केट में बिकने वाला पैक्ड फ्रूट जूस बच्चों को बीमार बना सकता है। इन पैक्ड फ्रूट जूसेज में न तो फाइबर या कोई प्राकृतिक गुण होता और ना ही किसी तरह के पोषक तत्व। इस तरह के फ्रूट जूस बच्चों की सेहत के लिए कितने खतरनाक हैं यहां जानें.
मार्केट में बिकने वाले पैक्ड और फ्लेवर्ड फ्रूट जूस में कैडमियम, कार्बनिक, आर्सेनिक और मरकरी या लेड पाया जाता है, जो बच्‍चों के स्‍वास्‍थ्‍य पर बहुत ही बुरा असर डालता है। पैक्ड जूस में पाए जाने वाले मेटल बच्‍चों के नवर्स सिस्‍टम पर बुरा प्रभाव डालते हैं जिससे बच्‍चे के विकासशील ब्रेन को भी नुकसान पहुंचता है। ट्रेटा पैक में बंद जूस में फलों का हिस्सा सिर्फ 25 फीसदी ही होता है।

अगर कोई फलों के रस का सेवन करता है, तो यह दो से पांच साल के बच्चों के लिए 125 मिलीलीटर प्रति दिन (आधा कप) तक सीमित होना चाहिए, पांच से ऊपर के लोगों के लिए 250 मिलीलीटर प्रति दिन। लेकिन ये ताजे फलों का रस होना चाहिए।


इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (IAP) के अनुसार, दो साल से कम उम्र के बच्चों को फ्रूट जूस नहीं देना चाहिए, चाहे ताजा हो या पैक्‍ड। क्‍योंकि वे कैलोरी और शुगर की मात्रा में अधिक होते हैं।

बाल विशेषज्ञों की एक शीर्ष इकाई ने फास्‍ट फूड, एनर्जी ड्रिंक्‍स और मीठे पेय से जुड़ी नई गाइडलाइन लेकर आई है। इसके अनुसार, दो से 18 साल की उम्र के लोगों को भी बाजार में बिकने वाले डिब्‍बाबंद फलों के रस, फलों के पेय या शुगर से बने पेय पदार्थों को पीने से रोकना चाहिए।
यहां तक कि अगर कोई फलों के रस का सेवन करता है, तो यह दो से पांच साल के बच्चों के लिए 125 मिलीलीटर प्रति दिन (आधा कप) तक सीमित होना चाहिए, पांच साल से ऊपर के लोगों के लिए 250 मिलीलीटर प्रति दिन। लेकिन ये ताजे फलों का रस होना चाहिए। वास्तव में, पोषण विशेषज्ञों के अनुसार, फलों का रस सॉफ्ट ड्रिंक के रूप में हानिकारक हो सकते हैं, क्योंकि इसमें फाइबर की मात्रा कम और चीनी की मात्रा अधिक होती है। हालांकि, आपके फलों में विटामिन और खनिज होते हैं जो आपके बच्चे को अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए आवश्यक होते हैं।
IAP दिशानिर्देश यह भी उल्लेख करते हैं कि पांच साल से कम उम्र के बच्चों को चाय, कॉफी और कार्बोनेटेड पेय नहीं दिया जाना चाहिए। पांच से नौ साल की उम्र के स्कूल जाने वाले बच्चों के लिए, चाय और कॉफी अधिकतम 100 मिलीलीटर प्रति दिन और 18 साल तक के लोगों के लिए 200 मिलीलीटर प्रति दिन तक सीमित होनी चाहिए।


सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट के अनुसार, 9 और 14 साल की उम्र के बीच लगभग 93 फीसदी बच्चों ने कथित तौर पर पैकेज्ड फूड खाया, जबकि 68 फीसदी लोग हफ्ते में एक बार से ज्यादा शक्कर वाले पेय पदार्थों का सेवन करते हैं। और लगभग 53 फीसदी लोग दिन में एक बार इनका सेवन करते हैं।
जंक फूड खाने से बच्चों में मोटापा, उच्च रक्तचाप, दंत और व्यवहार संबंधी मुद्दों का खतरा बढ़ जाता है। जर्नल इंडियन पेडियाट्रिक्स में प्रकाशित दिशानिर्देशों के अनुसार, "इन खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों का सेवन उच्च शरीर द्रव्यमान सूचकांक (higher body mass index) और संभवतः बच्चों और किशोरों में प्रतिकूल कार्डियो-मेटाबॉलिक परिणामों से जुड़ा हुआ है। कैफीन युक्त पेय का सेवन नींद की गड़बड़ी से जुड़ा हो सकता है।"
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24.8.19

पार्किंसंस रोग के कारण ,लक्षण ,उपचार


हाथ पैर में कम्पन (Parkinson’s Desease) एक दिमाग की बिमारी है. यह लम्बे समय तक दिमाग में पलती है. यह रोग अपना असर बहुत धीरे धीरे दिखाता है. रोगी को पता भी नहीं चल पाता की कब उसे इस रोग ने जकड़ लिया है. रोग के लक्षण जब काफी अधिक हो जाते है. तब एहसास होता है कि शायद कोई प्रॉब्लम है. इस रोग के लग जाने पर रोगी के हाथ पैर कंपकंपाने लगते है.
पार्किंसंस रोग नर्वस सिस्टम से जुड़ी एक बीमारी है जिसमें हाथों की हथेलियों में लगातार और तेज कंपन होता है। इस बीमारी की शुरूआत में केवल एक हथेली में कंपन होता है लेकिन धीरे-धीरे यह दूसरी हथेली को भी प्रभावित करने लगती है। पार्किंसन्स रोग होने पर हथेली अक्सर झुकी रहती है और हथेलियों में कंपन होता रहता है। शुरूआती स्टेज में इस बीमारी का जल्दी पता नहीं चल पाता है। इसके अलावा काम करते या टहलते समय भी हाथों की क्रिया में कोई खास परिवर्तन नहीं दिखता है।
जैसे-जैसे समय बीतता है पार्किंसंस रोग के लक्षण और खतरनाक होने लगते हैं। आमतौर पार्किंसन्स रोग को पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता है लेकिन कुछ दवाओं के जरिए इस बीमारी के लक्षणों को कुछ हद तक कम किया जा सकता है।


पार्किंसंस रोग के लक्षण हर व्यक्ति में अलग-अलग होते हैं। इसके शुरूआती लक्षण इतने मामूली होते हैं कि जल्दी इसपर किसी का ध्यान नहीं जाता है। इस रोग से पीड़ित व्यक्ति को शुरू में सिर्फ एक हाथ में कंपन होता है लेकिन बाद में दूसरे हाथ में भी वैसा ही कंपन होने लगता है।

यह बीमारी आमतौर पर हाथ या उंगलियों में कंपन से शुरू होती है। आप अपने हाथ के अंगूठे को तर्जनी उंगली पर रगड़कर इसे महसूस कर सकते हैं। इस बीमारी का एक संकेत यह भी है कि आपके हाथों में हमेशा बेचैनी सी महसूस होगी।
पार्किंसंस रोग होने पर हाथों की गति कम हो जाती है और हाथ कम हिलते-डुलते हैं जिसे ब्रैडीकाइनेसिया कहते हैं। इस रोग से ग्रसित व्यक्ति को हाथ से खाना खाने में भी परेशानी होती है। इसके अलावा टहलते समय कदमों की गति धीमी हो जाती है और पीड़ित व्यक्ति को कुर्सी से उठने में दिक्कत होती है।
यदि रोगी व्यक्ति लिखने का काम करता है तो उसके लिखे अक्षर टेढ़े मेढ़े हो जाते हैं. रोगी को हाथ से चीजों को पकड़ने तथा उठाने में परेशानी महसूस होती है. इस रोग से पीड़ित रोगी के जीभ, जबड़े तथा कभी कभी आंखे भी कंपकंपाने लगती है. कुछ मरीज़ों में यह ‍कम्पन शुरु में कम रहता है. बाद में ज्यादा देर रहने लगता है.
पार्किंसंस रोग होने पर शरीर के किसी भी हिस्से की मांसपेशियां कठोर हो सकती हैं। इससे आपको हिलने डुलने में परेशानी और दर्द का अनुभव होगा।

पार्किंसन्स रोग होने पर आपको उठने-बैठने में अधिक तकलीफ होती है और आपकी बैठने की मुद्रा भी बदल जाती है। इसके अलावा बार-बार पलकें झपकना, मुस्कुराना और चलते समय हाथों को झटकने जैसे लक्षण भी देखे जाते हैं।


इस बीमारी से ग्रसित व्यक्ति को बोलने में भी परेशानी होती है। मरीज जल्दी-जल्दी बोलता है या बोलने से पहले संकोच करता है। व्यक्ति की आवाज भी कर्कश हो सकती है जो सुनने में असामान्य सी लगेगी। आपको लिखने में भी दिक्कत होगी और आपको अपना लिखा छोटा दिखेगा।
व्यक्ति में पार्किंसंस रोग होने पर दिमाग की कुछ तंत्रिका कोशिकाएं या न्यूरॉन धीरे-धीरे टूट जाती हैं या मृत हो जाती हैं। न्यूरॉन के टूटने पर यह दिमाग में एक रासायनिक संकेत पैदा करता है जो डोपामिन कहलाता है। जब डोपामिन का लेवल घटने लगता है तो मस्तिष्क असामान्य तरीके से काम करने लगता है जिससे हमें पार्किंसंस रोग होने का संकेत मिलता है। ऐसे कई कारण हैं जिनकी वजह से पर्किंसन रोग होता है
शोधकर्ताओं ने पार्किंसन्स रोग होने के पीछे जेनेटिक म्यूटेशन को जिम्मेदार माना है। इसका मतलब यह है कि अगर आपके घर का कोई सदस्य पार्किंसन्स रोग से पीड़ित है तो आपको भी यह बीमारी होने की संभावना बनी रहती है। लेकिन यह जरूरी नहीं है कि हर मामले में पार्किंसंस रोग के पीछे जीन ही कारण हो।
दूषित पर्यावरण और विषाक्त पदार्थों के संपर्क में आने से भी पार्किंसंस रोग होने की संभावना होती है। हालांकि इससे कम ही लोग प्रभावित होते हैं। शोधकर्ताओं ने पाया है कि पार्किंसन्स बीमारी होने मरीज के दिमाग में कई तरह के बदलाव होने लगते हैं लेकिन यह पता नहीं चल पाया है कि ये बदलाव किस वजह से होते हैं।
पार्किंसन्स रोग एक खास आयु वर्ग के लोगों को प्रभावित करता है। जिन लोगों में पर्किंसन रोग पाया जाता है उनमें ज्यादातर लोगों की उम्र साठ वर्ष या इससे ज्यादा होती है।
पुरूषों में 
यह पार्किंसंस बीमारी महिलाओं की अपेक्षा पुरूषों में यह पार्किंसंस बीमारी होने का खतरा डेढ़ से दो गुना अधिक होती है।
अगर परिवार में किसी व्यक्ति को पार्किंसंस रोग हो तो अन्य सदस्यों को भी यह बीमारी होने का डर बना रहता है। पहले हाथ सुन्न होने के लक्षण दिखते हैं फिर हाथों में तेज कंपन शुरू हो जाता है।
सिर में घाव लगने या दूषित वातावरण में मौजूद हानिकारक पदार्थों और कीटनाशकों और जड़ी-बूटियों के प्रभाव से भी यह बीमारी हो जाती है।
पार्किंसन्स रोग से पीड़ित व्यक्ति को सोचने समझने और याद रखने में परेशानी होती है। यह लक्षण काफी देरी से दिखता है। इस तरह की समस्या को ठीक करने में दवाएं भी ज्यादा कारगर नहीं होती है।


डिप्रेशन

पार्किंसन्स रोग होने पर व्यक्ति को अधिक डिप्रेशन होता है। इस स्थिति में डिप्रेशन
का इलाज कराने से पार्किंसन्स की बीमारी से आसानी से लड़ने में मदद मिलती है। इसके अलावा कुछ भावनात्मक बदलाव भी होते हैं जैसे अचानक से आप डर, चिंता और आत्मविश्वास में कमी महसूस होने लगती है। डॉक्टर ऐसे मरीज को कुछ दवाएं देकर पार्किंसन्स रोग के लक्षणों को कम करते हैं।
पेशाब करने में परेशानी
 पार्किंसन्स रोग से पीड़ित व्यक्ति को थोड़ी देर तक भी पेशाब रोककर रखने में परेशानी होती है। इसके अलावा उसे पेशाब करने में भी दिक्कत होती है। इस बीमारी से ग्रसित व्यक्ति की पाचन क्रिया धीमी हो जाती है जिससे उसे कब्ज की भी समस्या हो जाती है।


नींद की समस्या

 पार्किंसन्स की बीमारी से ग्रसित व्यक्ति को नींद की समस्या हो जाती है। रात में बार-बार मरीज की नींद खुल जाती है। वह सुबह जल्दी उठ जाता है और पूरे दिन उसे नींद नहीं आती है। इसके अलावा इस रोग से पीड़ित व्यक्ति नींद में बार-बार अपनी पलकें सिकोड़ता और फैलाता है जैसे वह कोई सपना देख रहा हो। दवाओं के जरिए इस समस्या को ठीक किया जा सकता है।
पार्किंसंस रोग में होती है भोजन निगलने में परेशानी
पार्किंसन्स रोग से पीड़ित मरीज को भोजन निगलने में भी परेशानी होती है। भोजन निगलने में परेशानी होने की वजह से लार मुंह में जमा हो जाता है और फिर मुंह से बाहर टपकने लगता है।
पार्किंसंस रोग से बचाव
अभी तक पार्किंसन्स रोग होने की सही वजह नहीं पता चल पायी है। यह लोगों के लिए रहस्य बना हुआ है। लेकिन रिसर्च में पाया गया है कि कॉफी में मौजूद कैफीन और चाय तथा कोला पार्किंसन्स की बीमारी के खतरे को बढ़ने से रोकते हैं। इसके अलावा ग्रीन टी भी पर्किंसन की बीमारी को बढ़ने से रोकने में मदद करती है। कुछ रिसर्च यह भी दावा करते हैं कि एरोबिक एक्सरसाइज से पर्किंसन बीमारी के खतरे को कम किया जा सकता है।
हाथ पैर में कम्पन (Parkinson’s Disease) का घरेलू उपचार
*इस रोग में 4-5 दिनों तक पानी में नीबू पीना तथा नारियल का पानी पीना चाहिए.
*फलों तथा सब्जियों का रस पीना चाहिये. लगभग 10 दिनों तक बिना पका हुआ भोजन लेना चाहिए.
*सोयाबीन या तिल को दूध में मिलाकर या फिर बकरी का दूध पीने से यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है.
हरी पत्तेदार सब्जियों का सलाद खाना चाहिए.
*विटामिन E की मात्रा अधिक वाले भोजन का अधिक सेवन करना चाहिए.
* विटामिन B :
शरीर में विटामिन Bकी कमी होने के कारण आपको हाथों पैरों में कम्पन और आपके दिमाग द्वारा किये जाने वाले कार्यो में बाधा उत्त्पन्न हो सकती है, इसीलिए आपको हरी सब्जियों, फलों, दालें, बीन्स, अंडा आदि का सेवन करने से विटामिन और अन्य मिनरल्स की कमी को पूरा करने में मदद मिलती है, जिसके कारण आपको हाथों पैरों में होने वाली कम्पन की समस्या से भी राहत पाने में मदद मिलती है।
* चाय :
कुछ चाय जैसे chamomile, laung और lavandula आदि पीने से आपके दिमाग में शान्ति बनती है और दिमाग की तंत्रिकाओं को आराम मिलता है इसके फलसवरूप मानसिक तनाव में कमी आती है। यदि आपको मानसिक तनाव और टेंशन के कारण हाथ कांपने की शिकायत है तो आज से ही इन चाय का सेवन करना शुरू कर दीजिये।
* जटामांसी :
हाथ-पैर कांपने पर या किसी दूसरे अंग के अपने आप हिलने पर जटामांसी का काढ़ा 2 चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम नियमित सेवन करना चाहिए।
*कॉफी, चाय, नशीले पदार्थ, नमक, चीनी, डिब्बा बंद पदार्थ नहीं खाने चाहिए.
*हर रोज व्यायाम करने से यह रोग जल्दी ठीक हो जाता है.
*विचारों को हमेशा सकरात्मक रखना चाहिए तथा हमेशा खुश रहने की कोशिश करनी चाहिए.
* तगार :
तगार की जड़ भी हाथों और पैरों में होने वाली कम्पन की समस्या से आपको आराम दिलाने में मदद करती है, क्योंकि इसमें आपको मांसपेशियों, दिमाग को शांत और अनिंद्रा की समस्या को दूर करने के गुण होते है, इसके इस्तेमाल के लिए आप दिन में दो से तीन बार इसकी चाय बना कर इसका सेवन करें, आपको आराम महसूस होगा।
* लहसुन :


शरीर का कम्पन दूर करने के लिए बायविडंग एवं लहसुन के रस को पकाकर सेवन करने से रोगी को लाभ मिलता है। लहसुन के रस से शरीर पर मालिश करने से रोगी का कंपन दूर होता है। 4 जावा (कली) लहसुन छिलका हटाकर पीस लें। इसे गाय के दूध में मिलाकर प्रतिदिन सेवन करने से कम्पन के रोगी का रोग ठीक हो जाता है।
* ध्यान व योगा :
इस समस्या से बचने के आसान उपचार है की आप नियमित सुबह उठ कर ध्यान व योगा करें, ऐसा करने से आपके दिमाग को रिलैक्स रहने में मदद मिलती है, साथ ही मानसिक तनाव व् अनिंद्रा की समस्या से भी राहत मिलती है, और आपको शाम के समय भी पार्क आदि में वॉक या जॉगिंग के लिए जरूर जाना चाहिए।
* निर्गुण्डी :
निर्गुण्डी की ताजी जड़ एवं हरे पत्तों का रस निकाल कर उसमें पाव भाग तिल का तेल मिलाकर गर्म करके सुबह-शाम 1-1 चम्मच पीने से तथा मालिश करते रहने से कंपवात, संधियों का दर्द एवं वायु का दर्द मिटता है। स्वर्णमालती की 1 गोली अथवा 1 ग्राम कौंच का पाउडर दूध के साथ लेने से लाभ होता है।
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दाँत मजबूत बनाने के कारगर उपाय


मजबूत दांत पाचन, स्पीच और आपको स्वस्थ रखने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसका स्वस्थ और मजबूत रहना बहुत ही जरूरी है। आज हम जानेंगे कि अपनी मुस्कान को भी तरोताजा रखने के लिए अपने दांतों की सफाई और मजबूती का ख्याल कैसे रखा जाए।
दांत हमारे शरीर का एक अभिन्‍न और अनिवार्य हिस्‍सा हैं। इसलिए दांतों को मजबूत करने के उपाय, तरीके और नुस्‍खे आपको पता होना चाहिए। दांतों का स्‍वस्‍थ होना आपके चेहरे की सुंदरता को भी परिभाषित करता है। कल्‍पना करें कि यदि आपके दांत न हों तो आप कैसा महसूस करेंगे। आप अपनी इच्‍छानुसार भोजन का सेवन नहीं कर पायेंगे साथ ही आपका चेहरा बुजुर्गों की तरह दिखाई देगा। हालांकि यह मात्र एक कल्‍पना है। लेकिन यदि आपके दांत स्‍वस्‍थ और मजबूत नहीं होगें तो ऐसी स्थिति आने में समय नहीं लगेगा। आपको घबराने की आवश्‍यकता नहीं है क्‍योंकि दांतों को मजबूत करने के उपाय भी मौजूद हैं। आप अपनी जीवनशैली में कुछ परिवर्तन करके और कुछ विशेष खाद्य पदार्थों का सेवन कर दांतों को मजबूत बना सकते हैं।
अक्‍सर हम देखते हैं कि छोटे बच्‍चों और बुजुर्गों के दांतों में दर्द बना रहता है। हालांकि कमजोर दांत के लक्षण किसी भी उम्र में दिखाई दे सकते हैं। कमजोर दांत के लक्षण में ढीले दांत, खाने के दौरान दर्द या असुविधा, दांतों के आसपास मसूड़ों की सूजन या लालिमा, मसूड़ों से खून आना आदि शामिल हैं। स्‍वाभाविक रूप से दांतों को मजबूत करने के उपाय और तरीके अपनाकर आप भी अपने दांतों को स्‍वस्‍थ रख सकते हैं।
आपके दांत आपके स्‍वस्‍थ रहने का एक प्रमुख साधन है। ऐसा इसलिए है क्‍योंकि बिना दांतों के आप उचित आहार का सेवन नहीं कर सकते हैं। जिससे आपको पर्याप्‍त पोषक तत्‍व प्राप्‍त होते हैं। यदि आपके दांत कमजोर हैं या उनमें किसी प्रकार की समस्‍या है तो आपको तुरंत ही दांतों को मबजूत बनाने के उपाय अपनाना चाहिए। इसके लिए आप कुछ औषधीय जड़ी-बूटीयों, खाद्य पदार्थों और अच्‍छी आदतों को शामिल कर सकते हैं। आइए विस्‍तार से जाने दांतों को मजबूत करने के उपाय क्‍या हैं।



कैल्शियम है जरूरी

कैल्शियम, विटामिन डी और फास्फोरस बच्चों और वयस्कों में स्वस्थ दांतों और मसूड़ों के गठन और रखरखाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं| आपकी हड्डियों और दांतों को मजबूत रखने में कैल्शियम बहुत मदद करता है। इसलिए अपने आहार कैल्शियम को शामिल कीजिए। इसके अलावा दांतो को मजबूत रखने के लिए ऐसे उत्पाद का इस्तेमाल करें जिसमें फ्लोराइड मौजूद हों।
खूब पानी पिएं
दांतों को मजबूत बनाने के सबसे प्रभावी उपाय में पर्याप्‍त पानी पीना भी शामिल है। पानी पीना आपके दांतों में मौजूद भोजन के अवशेष और बैक्‍टीरिया आदि को साफ करने का काम करता है। इसके अलावा पानी पीना एसिडिटीके लक्षणों को भी बेअसर करता है जो दांतों के सुरक्षा आवरण को नुकसान पहुंचाते हैं। आप भी अपने दांतों को मजबूत बनाने के लिए भोजन के बाद कुल्‍ला करने की आदत बनाएं। जिससे भोजन के बाद मुंह में बचे हुए भोजन के टुकड़ों को बाहर किया जा सके। जिससे दांतों की सड़न और अन्‍य समस्‍याओं से छुटकारा मिल सकता है। आप भी अपने दांतों को मजबूत बनाने के लिए बहुत सारा पानी पीना सुनिश्चित करें।
लहसुन
लहसुन भी शरीर और दांतों के लिए अच्छा माना गया है। लहसुन एंटी-बैक्टीरियल गुणों से भरपूर होता है। इसमें एलिसिन नामक तत्व होते हैं, जो एंटीफंगल, एंटीवायरल और एंटी-बैक्टीरियल गुणों से भरपूर होता है। यह खराब बैक्टीरिया को नियंत्रित करता है, जो कैविटी और मसूड़े के रोग की समस्याओं का कारण बनते हैं।
काली मिर्च और हल्‍दी
जैसा कि आप सभी जानते हैं कि कालीमिर्च और हल्‍दी को मसाले के रूप में भी उपयोग किया जाता है जो कि वास्‍तव में जड़ी बूटीयां हैं। इनका उपयोग करने से मसूड़ों को मजबूत बनाने में मदद मिलती है। जिसके कारण आप अपने दांतों को मजबूत बना सकते हैं। इसके लिए आप कालीमिर्च और हल्‍दी के पाउडर का पेस्‍ट बनाएं और इससे अपने दांतों और मसूड़ों की हल्‍की मालिश करें। इसके बाद आप लगभग 30 मिनिट तक कुछ भी ना खाएं और न ही कुछ पिएं। ऐसा करने से आपको मसूड़ों की सूजन से राहत मिलेगी साथ ही हल्‍दी और कालीमिर्च के पोषक तत्‍व आपके दांतों को मजबूत करेंगे।
नमक
आप अपने आहार में नमक का नियमित सेवन करते हैं। लेकिन क्‍या आप जानते हैं कि नमक का उपयोग आपके दांतों को मजबूत बना सकता है। आप अपने दांतों को स्‍ट्रोग बनाने के लिए भी नमक का इस्‍तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए आप सरसों के तेल में थोड़ा सा नमक लें और इससे अपने दांतों की मालिश करें। ऐसा करने से आपके मसूड़े स्‍वस्‍थ रहेंगे। जिससे स्‍वाभाविक रूप से दांतों को मजबूत बनाया जा सकता है।
मालिश करें
दांतों को सेहतमंद बनाने के लिए केवल ब्रश करना ही काफी नहीं है। इन्हें मजबूत और सफेद बनाने के लिए दांतों की मालिश करना भी बहुत आवश्यक है। इसके लिए नींबू बहुत ही फायदेमंद है। आप नींबू के रस से दिन में दो बार दांतों की मालिश करें ,जिससे दांत चमक उंठेगे। आप चाहे तो सरसों के तेल में थोड़ा-सा नमक मिलाकर भी दांतों और मसूढ़ों की मालिश कर सकते हैं जिससे दांत मजबूत बनेंगे।पुदीने का तेल
पुदीने का तेल आपके दांतों को मजबूत करने का सबसे अच्‍छा तरीका हो सकता है। यह मसूड़ों के दर्द और सूजन को दूर करने में मदद करता है। यदि आपके दांत कमजोर हैं और हिल रहे हैं तब भी आप पुदीने के तेल का इस्‍तेमाल कर सकते हैं। दांतों के दर्द से राहत पानी के लिए आप पुदीने के तेल से मसूड़ों की मालिश करें। पुदीने में मौजूद दर्द नाशक और सूजन विरोधी गुण मसूड़ों को आराम दिलाने और दांतों को मजबूत करने में सहायक होते हैं।
नीम
दांतों को मजबूत करने के लिए एक और आयुर्वेदिक उपाय नीम है। नीम में जीवाणुरोधी गुण होते हैं जो दांतों को स्वस्थ रखने और मसूड़ों को मजबूत करने में मदद करता है। एक अध्‍ययन के अनुसार दांतों के पारंपरिक उपचार के लिए नीम के पत्‍तों का उपयोग किया जा सकता है। अध्‍ययन के अनुसार नीम, आम या क्‍लोरहेक्सिडाइन (chlorhexidine) युक्‍त माउथवॉश का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। क्‍योंकि इनमें कई प्रकार के एंटीसेप्टिक गुण मौजूद होते हैं। यदि आप दांतों को मजबूत करना चाहते हैं तो नियमित रूप से 3 स्‍प्‍ताह तक दिन में दो बार नीम से बने माउथवॉस का उपयोग करें। यह आपके दांतों को मजबूत करने के साथ ही मसूड़ों को भी स्‍वस्‍थ रखने में सहायक होता है।
आंवला
आंवला में विटामिन सी की अच्‍छी मात्रा होती है। सभी लोग यह जानते भी हैं कि आंवले का सेवन दांतों के लिए अच्‍छा होता है। लेकिन अधिकांश लोग जानने के बाद भी इसे अनदेखा कर देते हैं। आंवले में मौजूद विटामिन सी दांतों और मसूड़ो से जुड़ी समस्‍याओं को प्रभावी रूप से दूर करने और इन्‍हें मजबूत बनाने में मदद करता है। आप आंवले का सेवन करने के साथ ही आंवले के रस से दिन में कई बार कुल्‍ला कर सकते हैं। ऐसा करना भी आपके दांतों के लिए फायदेमंद होता है।


लौंग तेल

प्राचीन समय से ही दांत के दर्द को कम करने और दांतों को मजबूत बनाने के उपाय में लौंग के तेल का उपयोग किया जा रहा है। मसूड़ों में सूजन और दर्द होने की स्थिति में लौंग तेल बहुत ही प्रभावी होता है। लौंग में विभिन्‍न प्रकार के एंटीऑक्‍सीडेंट, एंटी-इंफ्लामेटरी और एंटीसेप्टिक गुण होते हैं। जो दांतों को कमजोर करने वाले बैक्‍टीरिया को नष्‍ट करने में सहायक होते हैं। अपने दांतों को मजबूत करने के लिए आप नियमित रूप से दिन में दो लौंग के तेल से दांतों और मसूड़ों की मालिश कर सकते हैं। लौंग का तेल दांत मजबूत करने का घरेलू नुस्‍खा है जो कि बहुत ही प्रभावी होता है।
मुलैठी
मुलैठी एक औषधीय जड़ी बूटी है जो आपके दांतों को मजबूत करने का तरीका हो सकती है। ऐसा इसलिए है क्‍योंकि मुलैठी में लिकोरीसीडिन और लिकोरीसोफ्लैवन ए मौजूद होता है। ये घटक दांतों को नुकसान पहुंचाने वाले बैक्‍टीरिया के विकास को रोकने और उन्‍हें नष्‍ट करने में सहायक होते हैं। इसलिए आप अपने दांतों को मजबूत और स्‍वस्‍थ बनाने के लिए मुलैठी युक्‍त टूथ पेस्‍ट का उपयोग कर सकते हैं।
दही का उपयोग
प्राकृतिक रूप से प्रोबायोटिक्‍स प्राप्‍त करने का सबसे अच्‍छा तरीका ताजे दही का सेवन करना है। प्रोबायोटिक्‍स हमारे शरीर के अच्‍छे बैक्‍टीरिया होते हैं। दही का सेवन करने से आप अपने शरीर में अच्‍छे बैक्‍टीरिया की संख्‍या को बढ़ाकर खराब बैक्‍टीरिया की संख्‍या को संतुलित कर सकते हैं। दांतों का कमजोर होना और अन्‍य दांतों से संबंधी समस्‍याएं इन खराब बैक्‍टीरिया की अधिक मात्रा के कारण होती हैं। इसलिए दांतों को मजबूत करने के लिए दही का सेवन अच्‍छा होता है। इसके अलावा नियमित रूप से दही का सेवन करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाया जा सकता है।
खट्टे फलों से बचें
खट्टे फल स्‍वास्‍थ्‍य के लिए फायदेमंद होते हैं। लेकिन अधिक मात्रा में इनका सेवन करना आपके दांतों के लिए हानिकारक हो सकता है। नींबू जैसे अन्‍य खट्टे फलों में अम्‍ल की अधिक मात्रा होती है जो दांतों के सुरक्षा कवच या तामचीनी (enamel) को नुकसान पहुंचा सकता है। जिससे आपके दांत कमजोर और क्षतिग्रस्त हो सकते हैं। इसलिए अधिक मात्रा में इस प्रकार के खाद्य पदार्थों का सेवन करने से बचना चाहिए।

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22.8.19

टमाटर खाने के कमाल के स्वास्थ्य लाभ


टमाटर में संतृप्त वसा, कोलेस्ट्रॉल, कैलोरी और सोडियम स्वाभाविक रूप से कम होता है। टमाटर थियमिन, नियासिन, विटामिन बी -6, मैग्नीशियम, फास्फोरस और तांबा, भी प्रदान करता है, जो सभी अच्छे स्वास्थ्य के लिए जरूरी हैं। उन सबके ऊपर एक चम्‍मच टमाटर आपको देगा 2 ग्राम फाइबर, जो दिन भर में जितना फाइबर चाहिये उसका 7 प्रतिशत होगा। जो टमाटर में अपेक्षाकृत उच्च पानी भी होता है, जो उन्हें गरिष्ठ भोजन बनाता है।
सामान्यत: टमाटर सहित अधिक सब्जियां और फल खाने से उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रॉल, स्ट्रोक, और हृदय रोग से सुरक्षा मिलती है।
भारत में टमाटर का ज्यादातर व्यंजनों में उपयोग किया जाता है। हालाँकि टमाटर का स्वाद अम्लीय (खट्टा) होता है, लेकिन यह शरीर में क्षारीय (खारी) प्रतिक्रियाओं को जन्म देता है। लाल-लाल टमाटर देखने में सुन्दर और खाने में स्वादिष्ट होने के साथ पौष्टिक भी होते हैं। शायद आप अभी तक टमाटर के फायदे नहीं जानते होगें लेकिन आज आप जानेगे टमाटर के फायदे और नुकसान के बारें में
इसके खट्टे स्वाद का कारण यह है कि इसमें साइट्रिक एसिड और मैलिक एसिड का पाया जाना है जिसके कारण यह एंटासिड के रूप में काम करता है। टमाटर में विटामिन ‘ए’ काफी मात्रा में पाया जाता है। यह आँखों के लिये बहुत लाभकारी है भारत में इसकी अधिक मात्रा मे खेती होती है इसलिए इसके उपलब्धता में कोई कठिनाई नहीं होती और हर जगह आसानी से मिल जाता है।
टमाटर को लाल रंग देने वाला तत्व लाइकोपीन, जो सेहत के लिए फायदों से भरा है, कच्चे टमाटर से अधिक पकने के बाद अधिक प्रभावी होता है। टमाटर त्वचा के लिए भी काफी लाभकारी है। यह झुर्रियों को कम करता है और रोम छिद्रों को बड़ा करता है।
टमाटर के फायदे


मजबूत हड्डिया के लिए

टमाटर हड्डियो को मजबूत बनाता हैं. टमाटर में विटामिन K और कैल्शियम पाए जाते हैं जो की हड्डियो को मजबूत बनाने के साथ ही इनके रिपेयर करने में बहुत अच्छे होते हैं. टमाटर में विटामिन सी भी बहुत मात्रा में पाया जाता है और लाइकोपीन नामक एंटी-ऑक्सिडेंट ऑस्टियोपोरोसिस हड्डी की कमजोरी दूर करने का प्रभावी तरीका है।

कैंसर से बचाव

टमाटर प्राक्रतिक तरीके से कैंसर से लड़ता हैं. प्रॉस्टेट कैंसर, गला का कैंसर, पेट, स्तन कैंसर, कोलन और भी कई तरह के कैंसर के ख़तरे को कम कर देता हैं. टमाटर में मौज़ूद एंटी-ऑक्सिडेंट्स फ्री रेडिकल्स से लड़ते हैं. इसके लिए टमाटर में पाए जाने वाला लाइकोपिन जिम्बेदार होता है

हेल्दी स्किन के लिए

टमाटर का सेवन आपकी त्वचा को सुन्दर बना देता हैं. गाजर में पाए जाने वाला बीटा-केरोटीन इसमे भी बहुत मात्रा में पाया जाता हैं यह स्किन की झुर्रियो और लाइन्स को ख़त्म करने में मदद करता हैं.
इसके आलावा मुहासे या चेहरे पर दाग होने पर टमाटर के गुदे का इस्तेमाल कर इनसे छुटकारा पाया जा सकता है|

दृष्टि-

टमाटर आपकी दृष्टि में सुधार कर सकता है। टमाटर जो विटामिन ए प्रदान करता है, वो दृष्टि में सुधार और रतौंधी को रोकने में मदद कर सकता है। हाल के शोध से पता चला है कि, टमाटर लेने से धब्बेदार अध: विकृति, एक गंभीर और अपरिवर्तनीय आंख की स्थिति को कम करने में मदद मिल सकती है।

ब्लड शुगर को कम करने के लिए

टमाटर आपके ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल में रखता हैं टमाटर में बहुत कम मात्रा में कार्बोहायड्रेट पाया जाता है जिससे उरिन में ग्लूकोस की मात्रा सही रहती है टमाटर खाने से गुर्दे और ब्लड प्रेशर भी सही रहते है ये दोनों सबसे जादा मधुमेह से प्रभावित होते है इसलिए मुधुमेह रोगियों को अपने आहार में इसे जरुर शामिल करना चाहिए अगर आप मधुमेह के साथ वजन कम करना चाहते है तो यह आपके लिए एक अच्छा तरीका हो सकता है

बालो के लिए

टमाटर खाने से आपके बाल शाइनी और हेल्दी बनते हैं. टमाटर में पाया जाने वाले विटामिन बालो को मजबूत और चमकदार बनाते हैं. बालो के लिए इसमें आयरन और विटामिन a पाया जाता है जो वालो को मजबूत करने के साथ वालो का गिरना भी कम करते है टमाटर उनमे जान डालकर नया जीवन प्रदान करता है आप अपने वालो से रुसी को दूर करने के लिए भी टमाटर का उपयोग कर सकते है
इसके लिए आपको बस शेम्पू के बाद टमाटर के रस को अपने वालो पर 5 मिनिट के लिए लगाना है और फिर पानी से धो लेना है एसा आप हफ्ते में दो बार कर सकते है इससे आपके बालो में से रुसी गायब हो जाएगी, इसका उपयोग नियमिन न करें वरना ये आपके वालो को सूखा और बेजान बना सकता है|

पुराना दर्द

टमाटर पुराने दर्द को कम कर सकता है। अगर आप उन लाखों लोगों में से एक हैं, जिनको हल्का और मध्यम पुराना दर्द रहता है (गठिया या पीठ दर्द ), तो टमाटर दर्द को खत्म कर सकता है। टमाटर में उच्च बायोफ्लेवोनाइड और कैरोटीन होता है, जो प्रज्वलनरोधी कारक के रूप में जाना जाता है।
वजन घटाना -टमाटर आपको आपका वजन कम करने में मदद कर सकता है। अगर आप एक समझदार आहार और व्यायाम की योजना पर हैं, तो अपने रोजमर्रा के भोजन में बहुत सारा टमाटर शामिल करें। ये एक अच्छा नाश्ता बनाएंगे और सलाद, कैसरोल, सैंडविच और अन्य भोजन को बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किए जा सकते हैं। क्‍योंकि टमाटर में ढेर सारा पानी और फाइबर होता है, इसीलिये वजन नियंत्रण करने वाले इसे 'फिलिंग फूड' कहते हैं, वह खाना जो जल्‍दी पेट भरते हैं, वो भी बिना कैलोरी या फैट बढ़ाये।|

उच्च रक्तचाप को कम करने के लिए –

उच्च रक्तचाप का मुख्य कारण पोटेशियम की कमी होती है इसलिए टमाटर का सेवन हाई बी पी के लये लाभदायक होता है क्योकि इसमें पोटेशियम उच्च मात्रा में पाया जाता है यदि आप सोडियम का अधिक उपयोग करते है तो आपको उसे बेलेंस करने के लिए पोटेशियम भी लेना पड़ेगा इसके लिए आप टमाटर का एक कप जूस पिए यह आपकी देनिक आवश्यकता का 11% पोटेशियम को पूरा कर देगा अब तो आप समझ ही गए होगें की ह्रदय के रोगों में टमाटर का सेवन करना कितना लाभदायक हो सकता है

प्रेग्नेन्सी में

प्रेग्नेन्सी में टमाटर का सेवन करना बहुत ही फायदेमंद होता हैं. इसमे भरपूर मात्रा में विटामिन सी होता हैं. जो गर्भवती महिला के लिए बहुत ही ज़रूरी हैं. गर्भावस्था में स्त्रियों को टमाटर का दो सौ ग्राम रस रोजाना पीना चाहिए, इससे प्रेग्नेन्सी में खून की कमी दूर की जा सकती है|

बच्चों के विकास के लिए

बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए टमाटर बहुत ही फायदेमंद होता हैं. अगर पेट में कीड़े पैदा हो जाए तो सुबह खाली पेट टमाटर में काली मिर्च मिला कर खाने से फायदा होता हैं. अगर बच्चे को सूखा रोग हो जाए तो उसे रोजाना 1 ग्लास टमाटर का जूस पिलाने से बीमारी में आराम मिलता हैं.|

टमाटर खाने के तरीके

सलाद के रूप में टमाटर का सेवन: टमाटर को खाने के बहुत से तरीके हैं जिसमे से सलाद सबसे आसान तरीका है। ध्यान रहे जब भी आप सलाद या फिर ऐसे ही कच्चा टमाटर खाते हैं तो इसका ऊपर का छिलका ना हटायें, क्योकि इसकी उपरी त्वचा मै ही इसके सबसे ज्यादा तत्व पाए जाते हैं।
जूस के रूप में टमाटर का सेवन: आप अपने दिन की शुरुवात काला नमक सहित ताजा टमाटर के जूस को पीकर कर सकते हैं इससे आपके शरीर मे फुर्ती बानी रहेगी, लेकिन याद रहे कि टमाटर का जूस आप खाली पेट न लें।

टमाटर का सूप: 

आप टमाटर को हल्का सा उबाल कर उसे पीस लें और उसमे काली मिर्च डाल के उसका सूप बनाकर पियें यह बहुत ही स्वादिस्ट लगता है। और पोषक तत्वों से भरपूर होता है
सब्जी में टमाटर का उपयोग: आप सब्जी का स्वाद बढ़ाने के लिए उसमे टमाटर का उपयोग भी कर सकते हैं। और इसका उपयोग आप घर पर ही टमाटर की चटनी व सॉस बनाकर कर सकते है।

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नींबू के स्वास्थ्य लाभ


नींबू का उपयोग कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं में घरेलू उपाय के तौर पर सदियों से किया जाता रहा है। ताजगी से भरा यह नींबू, खाने का स्वाद बढ़ाने, शर्बत एवं सौंदर्य बढाने के लिए तो फायदेमंद है ही, स्वास्थ्य के लिए भी इसके लाभ किसी से कम नहीं है।
 इसके रस का इस्तेमाल जायकेदार व्यंजनों से लेकर कई तरह की रिफ्रेशिंग ड्रिंक्स बनाने के लिए किया जाता है। नींबू के फायदों को लेकर कई वैज्ञानिक शोध भी हो चुके हैं। इस लेख में हमारे साथ जानिए कि आपके स्वास्थ्य के लिए नींबू कितना फायदेमंद है और विभिन्न बीमारियों के लिए इसका इस्तेमाल किस प्रकार किया जा सकता है।
वजन घटाने के लिए
अगर आप मोटापे से परेशान हैं और वजन घटाने के लिए प्राकृतिक उपाय की तलाश में है, तो नींबू आपकी मदद कर सकता है। एक अध्ययन के अनुसार, नींबू में मौजूद पॉलीफेनॉल्स बढ़ते मोटापे को नियंत्रित कर सकते हैं । शरीर में अतिरिक्त फैट के जमाव को रोकने के लिए ये पॉलीफेनॉल्स कारगर माने गए हैं।
एक अन्य अध्ययन में पाया गया है कि एक डिटॉक्स ड्रिंक के रूप में नींबू शरीर से फैट को कम करने में मदद करता है। साथ ही हृदय रोग के जोखिम को भी कम करता है । इसके अलावा, नींबू को विटामिन-सी का भी अच्छा स्रोत माना गया है। वजन घटाने के लिए विटामिन-सी सबसे खास तत्व माना जाता है|

 कैंसर

आपको जानकर हैरानी कि नींबू कैंसर जैसी घातक बीमारी से भी रोकथाम का काम करता है। एक अध्ययन के अनुसार, नींबू जैसे सिट्रस फलों का सेवन करने से अग्नाशय के कैंसर (Pancreatic Cancer) से बचा जा सकता है । एक अन्य अध्ययन के अनुसार, नींबू में मौजूद फ्लेवोनोइड्स एंटीकैंसर के रूप में काम करते हैं

किडनी स्टोन

किडनी स्टोन को हटाने के लिए भी नींबू के फायदे देखे गए हैं। किडनी स्टोन (पथरी) एक चिकित्सीय स्थिति है, जिसमें अपशिष्ट पदार्थ किडनी में जमने लगते है और ठोस होकर क्रिस्टल के रूप में विकसित हो जाते हैं। इससे छुटकारा पाने के लिए नींबू का इस्तेमाल किया जा सकता है। एक रिपोर्ट के अनुसार, नींबू में मौजूद सिट्रिक एसिड किडनी स्टोन को बनने से रोकता है । सिट्रिक एसिड किडनी स्टोन को तोड़ने और पेशाब के रास्ते पथरी को बाहर निकालने में मदद करता है। एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार, रोजाना आधा कप नींबू का रस पानी के साथ मिलाकर पीने से किडनी स्टोन के जोखिम से बचा सकता है|एक गिलास पानी में एक नींबू निचोड़कर सेंधा नमक मिलाकर सुबह-शाम दो बार नित्य एक महीना पीने से पथरी पिघलकर निकल जाती है।
*बवासीर (पाइल्स) में रक्त आता हो तो नींबू की फांक में सेंधा नमक भरकर चूसने से रक्तस्राव बंद हो जाता है। हृदय स्वास्थ्य
आपको जानकर हैरानी होगी कि नींबू का रस हृदय को स्वस्थ रखने में भी अहम भूमिका निभा सकता है। जैसा कि हमने बताया कि नींबू विटामिन-सी बड़ा स्रोत है और विटामिन-सी कोरोनरी हृदय रोग के जोखिम को कम कर सकता है । कुछ वैज्ञानिक अध्ययन बताते हैं कि विटामिन-सी रक्तचाप को नियंत्रित करने का काम भी करता है, जो हृदय के लिए लाभकारी हो सकता है ।
नींबू जैसे सिट्रिक फल फ्लेवोनोइड्स से भरपूर होते हैं, जो एथेरोस्क्लेरोसिस के उपचार में मदद करते हैं। एथेरोस्क्लेरोसिस एक चिकित्सीय स्थिति है, जिसमें धमनी की दीवारों पर वसा, कोलेस्ट्रॉल और अन्य पदार्थों का निर्माण होने लगता है

बुखार

बुखार होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जिसमें बैक्टीरियल और वायरल संक्रमण प्रमुख हैं । यहां आपकी मदद नींबू कर सकता है। नींबू विटामिन-सी से समृद्ध होता है और इससे बैक्टीरिया व वायरस के कारण होने वाले संक्रमण से बचाव करने में मदद मिलती है|
* एक नींबू के रस में तीन चम्मच शकर, दो चम्मच पानी मिलाकर, घोलकर बालों की जड़ों में लगाकर एक घंटे बाद अच्छे से सिर धोने से रूसी दूर हो जाती है व बाल गिरना बंद हो जाते हैं।

श्वसन स्वास्थ्य

श्वसन स्वास्थ्य के लिए भी नींबू के फायदे देखे जा सकते हैं। जैसा कि हमने बताया कि नींबू विटामिन-सी का बड़ा स्रोत है और विटामिन-सी निमोनिया जैसी गुर्दे की बीमारी पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है । एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार विटामिन-सी सर्दी और अपर रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन (वायरल संक्रमण जो नाक, गले और वायुमार्ग को प्रभावित करता है) को भी ठीक करने का काम कर सकता है

पाचन स्वास्थ्य

नींबू के गुण पाचन स्वास्थ्य के लिए भी हैं। सुबह खाली पेट नींबू पानी पीने से पाचन में मदद मिलती है और कब्ज जैसी समस्या से निजात मिलती है। नींबू में मौजूद अम्लता (Acidity) हाइड्रोक्लोरिक एसिड के उत्पादन को उत्तेजित करती है, जिससे पाचन में सुधार आता है। नींबू अन्य पोषक तत्वों के अवशोषण और शरीर को हाइड्रेट करने में मदद भी करता है, जिससे पाचन तंत्र को सुचारू रूप से चलने में मदद मिलती है|

लीवर

लीवर के लिए भी नींबू के फायदे देखे जा सकते हैं। नींबू एंटीऑक्सीडेंट गुणों से समृद्ध होता है, जो लीवर स्वास्थ्य को बढ़ावा देने का काम करता है। एक वैज्ञानिक शोध में एल्कहोल से प्रभावित लीवर पर नींबू की सुरक्षात्मक प्रतिक्रिया देखी गई है|

मुंहासों के लिए

यहां भी नींबू में विटामिन-सी की अहम भूमिका देखी जा सकती है। विटामिन-सी एंटीइंफ्लेमेटरी गुण से समृद्ध होता है, जो मुंहासों और रोसासिया (त्वचा का लाल होना और पस से भरे दानें) जैसी त्वचा संबंधी परेशानियों को दूर कर सकता है 
*नींबू ज्ञान तंतुओं की उत्तेजना को शांत करता है। इससे हृदय की अधिक धड़कन सामान्य हो जाती है। उच्च रक्तचाप के रोगियों की रक्तवाहिनियों को यह शक्ति देता है।

दांतों और मसूड़ों का दर्द

दांतों और मसूड़ों के दर्द के लिए भी नींबू के फायदे देखे गए हैं। यहां पर भी नींबू में मौजूद विटामिन-सी की भूमिका देखी जा सकती है। एक रिपोर्ट के अनुसार विटामिन-सी व्यस्कों में दांत निकालने के बाद होने वाले दर्द में निजात दिलाने में मदद कर सकता है|
*आधे नींबू का रस और दो चम्मच शहद मिलाकर चाटने से तेज खांसी, श्वास व जुकाम में लाभ होता है। 

एनीमिया

एनिमिया एक गंभीर रक्त विकार है, जो शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं की कमी से होता है। लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में आयरन महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिसकी पूर्ति नींबू के सेवन से की जा सकती है। नींबू एक सिट्रिस फल है, जो आयरन से भरपूर होता है |

रोग प्रतिरोधक क्षमता

नींबू का एक और महत्वपूर्ण काम है, शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करना। इस गुण के लिए नींबू में मौजूद विटामिन-सी की तारीफ की जा सकती है। विटामिन-सी एक कारगर इम्यून बूस्टर के रूप में जाना जाता है, जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर शरीर को रोगों से लड़ने के लिए मजबूत बनाता है|
*रोजाना भोजन में नींबू का सेवन करने से विटामिन सी प्राप्त होता है, जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के साथ ही हर प्रकार के रोगों से आपको दूर रखने में मदद करता है।

त्वचा के रोग

त्वचा संबंधी गंभीर परेशानियों के लिए भी नींबू के गुण देखे गए हैं। एक्जिमा एक गंभीर त्वचा संबंधी बीमारी है, जिससे निजात पाने के लिए आप नींबू का उपचार कर सकते हैं। नींबू में विटामिन-ई गुण होता है, जो एंटीऑक्सीडेंट से समृद्ध होता है। यह एक्जिमा जैसे त्वचा रोगों से निजात दिलाने में मदद कर सकता है
*गर्म पानी में नींबू निचोड़कर शहद के साथ पीने से न केवल पाचन शक्ति बढ़ती है, बल्कि मोटापा भी कम होता है। इसके अलावा यह भूख बढ़ाने और गैस से राहत दिलाने में भी लाभकारी है।

बालों के लिए

बालों के लिए भी नींबू के फायदे बहुत हैं। विटामिन-सी से समृद्ध नींबू बालों की झड़ने की समस्या से निजात दिलाने का काम करता है। इसके अलावा, नींबू आयरन व विटामिन-बी12 से भी समृद्ध होता है, जो बालों को समय से पहले सफेद होने से बचाता है 
*नींबू को दो भागों में काटकर उसे तवे पर रखकर सेंक लें। अब इस सिके भाग पर सेंधा नमक डालकर चूसें। इससे पित्त की दिक्कत खत्म होती है।

झुर्रियों के लिए

झुर्रियों को कम करने के लिए नींबू कारगर हो सकता है। नींबू में मौजूद विटामिन-सी की यहां सुरक्षात्मक भूमिका देखी जा सकती है। विटामिन-सी एक कारगर एंटीऑक्सीडेंट है और झुर्रियों को हटाकर एजिंग के प्रभाव को कम करने में मदद करता है। इसके अलावा, विटामिन-सी कोलेजन को बढ़ाता है और सूर्य की हानिकारक पराबैंगनी किरणों से त्वचा की रक्षा भी करता है|

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21.8.19

प्याज खाने,प्याज के रस व प्याज के तेल के स्वास्थ्य लाभ


सर्दी जुकाम एक ऐसी समस्या है जिससे लगभग हर इंसान को झुजना हीं पड़ता है. बदलते मौसम, बदलता पानी, बदलता पर्यावरण इत्यादि. ये सब सर्दी के कारक हो सकते हैं.
सर्दी जुकाम से राहत पाने के लिए बेहद हीं कारगर उपाय है प्याज.
प्याज़ हर घर में मौजूद होता है. इसकी अनेकों खूबियां हैं. इसमें मौजूद विटामिन ए, बी, सी और ई, फॉलिक एसिड, मिनरल्स और नेचुरल शुगर जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक साबित होता है. आयुर्वेद के हिसाब से सर्दी जुकाम से दूर रखने में प्याज का सेवन काफी कारगर है.
प्याज का सेवन –
* प्याज का रस शहद के साथ लें
आमतौर पर कफ – खांसी ठीक होने के लिए 7 – 10 दिन कम – से – कम लग जाते हैं. लेकिन प्याज के रस के सेवन से 1 सप्ताह से कम समय में हीं कफ से छुटकारा मिल जाता है. सर्दी – जुकाम में कद्दूकस किया हुआ प्याज का रस शहद में मिलाकर पीना फायदेमंद है. प्याज के एक चम्मच रस में 8 औंस नींबू का रस और एक चम्मच शहद पानी के साथ मिलाकर पिएं.
*प्यास का सूप
सर्दी जुकाम से निपटने के लिए प्याज का सूप या सिरप भी काफी लाभदायक हो सकता है. एक कटोरी में लाल प्याज का टुकड़ा रखकर शहद डालें और उसे 10 – 15 घंटे के लिए छोड़ दें. इस तरह से तैयार सिरप को दिन में तीन – चार बार लें.
* कच्चा प्याज ज्यादा फायदेमंद होता है
ऑर्गैनिक सल्फर यौगिक होने के कारण कच्चा प्याज पके प्याज से ज्यादा असरदार होता है. सल्फर लीवर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है और सर्दी – खांसी से छुटकारा पाने में सहयोग के साथ-साथ शरीर की प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाता है. सल्फर यौगिक के कारण प्याज से तीखी गंध आती है, जो कफ को पतला करती है. उसे बाहर निकलने में सहायता करती है. और जुकाम में आराम पहुंचाती है.


* प्याज की भाप से लाभ

पानी में प्याज की स्लाइस डालकर उबालें और उसकी भाप लें. एंटीबैक्टीरियल गुणों से भरपूर होने के कारण इससे काफी लाभ मिलता है.
प्याज के जूस से होते हैं यह स्वास्थ्यवर्धक लाभ
प्याज के जूस में कई ऐसे तत्व होते हैं जो शरीर को कई समस्याओं से बचाने में मदद करते हैं और स्वस्थ रखने में मदद करते हैं।प्याज के जूस में प्रचुर मात्रा में विटामिन सी, बी6 और फोलिक एसिड होता है साथ ही यह कैल्शियम,मैंग्नीशियम,आयरन,और फॉस्फोरस सप्लाई करता है। जो शरीर के लिए काफी फायदेमंद होता है। प्याज में मौजूद क्रोमियम खून में शुगर की मात्रा को कंट्रोल करने में मदद करता है। इसी तरह से प्याज से स्वास्थ्य के कई लाभ होते हैं।
*बालों की ग्रोथ:
प्याज का जूस बालों के लिए काफी अच्छा होता है। प्याज में सल्फर होता है जो बालों की वृद्धि के लिए एसेंशियल पोषक तत्व होता है। एक स्टडी के मुताबिक दो हफ्तों तक सिर की त्वचा पर प्याज का जूस लगाने से बालों की वृद्धि बढ़ जाती है। प्याज के जूस की बदबू बालों को शैम्पू से धोने से चली जाती है।
*त्वचा के लिए: प्याज त्वचा के ऊतक की परत की सहायता से रक्त के संचरण को ठीक रखता है। प्याज के जूस में शहद मिलाकर लगाने से पिंगमेंट की समस्या दूर हो जाती है।
*पाचन तंत्र में सुधार लाता है:
प्याज अच्छी मात्रा में इंनुलिन सप्लाई करता है जो कि एक डाइट्री फाइबर होता है साथ ही यह आंतों में मौजूद स्वस्थ बैक्टीरिया के लिए भोजन का स्त्रोत होता है। इंनुलिन से आपका पेट स्वस्थ रहता है साथ ही यह शरीर में स्वस्थ बैक्टीरिया को बने रहने देता है। जिससे पाचन तंत्र में सुधार होता है।
*एलर्जी से बचाता है:
प्याज में प्राकृतिक रुप से एंटीहिस्टामाइन क्वरेटिन मौजूद होता है जो अस्थमा और अन्य एलर्जी से रोकथाम करता है। प्याज में मौजूद क्वरेटिन को आंते जल्दी अवशोषित कर लेती है। प्याज के जूस का सेवन शरीर के लिए फायदेमंद होता है।
*ग्लूकोज के लेवल को कम करना:
रोजाना प्याज के जूस का सेवन करने से खून में शुगर की मात्रा कम हो जाती है। यह प्याज में मौजूद एलिल प्रोपाइल डिसल्फाइड के कारण होता है। इसके साथ ही प्याज में मौजूद क्रोमियम ग्लूकोज की मात्रा को सही रखने में मदद करता है।


*हड्डियों को स्वस्थ रखता है:

प्याज का इस्तेमाल हड्डियों को स्वस्थ रखने में किया जाता है। एक स्टडी के मुताबिक प्याज में ऐसे कंपाउंड होते हैं जो हड्डियों को नुकसान होने से रोकथाम करते हैं। इसलिए प्याज के जूस का सेवन करना फायदेमंद होता है।
प्‍याज के तेल के फायदे स्वास्थ्य, त्‍वचा और बालों के लिए होते हैं। हम में से अधिकांश लोग केवल प्‍याज के फायदे ही जानते हैं। जबकि प्‍याज से अधिक उपयोगी और प्रभावी प्‍याज का तेल होता है। अधिकांश लोग समझते हैं कि प्‍याज का तेल प्‍याज से संबंधित है। जबकि ऐसा नहीं है। प्‍याज का तेल प्‍याज के बीजों के से प्राप्‍त होता है जो कि प्‍याज का अभिन्‍न अंग हैं। क्‍या आपने कभी प्‍याज के तेल का उपयोग किया है। यदि आप प्‍याज के तेल का इस्‍तेमाल करने के फायदे नहीं जानते हैं तो हम आपको इसके बारे बताएगें।
प्‍याज के तेल के गुण बालों को सुंदर और स्‍वस्‍थ बनाने में सहायक होते हैं।
प्‍याज का तेल प्‍याज के बीजों से प्राप्‍त किया जाता है। सामान्‍य रूप से प्‍याज के पौधे का उपयोग कई प्रकार से किया जाता है। उसी प्रकार प्‍याज के तेल के फायदे भी कई प्रकार की बीमारियों को दूर करने के लिए किया जाता है। प्‍याज के बीजों का उपयोग विभिन्‍न प्रकार के व्‍यंजनों को बनाने के लिए भी किया जाता है। आइए जाने प्‍याज के तेल में मौजूद पोषक तत्‍वों के बारे में जो स्‍वास्‍थ्‍य लाभ दिलाने में सहायक होते हैं।
प्‍याज के तेल के गुण
प्‍याज का तेल अपने गुणों के कारण स्‍वास्‍थ्‍य और सौंदर्य समस्‍याओं के लिए फायदेमंद होता है। प्‍याज सल्‍फर से भरपूर होते हैं इसमें विटामिन A, C, E और B-कॉम्‍प्‍लेक्‍स होते हैं। इनकी मौजूदगी के कारण प्‍याज का तेल प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने, संक्रमण से लड़ने, मधुमेह को नियंत्रित करने और पाचन समस्‍याओं को दूर करने मे सहायक होते हैं। इसके अलावा प्‍याज के तेल में एंटी-बैक्‍टीरियल, एंटी-सेप्टिक और एंटी-इंफ्लामेटरी गुण भी होते हैं। जिनके कारण यह मुंहासे, खांसी, कफ आदि समस्‍याओं को दूर करने में प्रभावी होते हैं।
बालों के लिए
क्‍या आप बालों के झड़ने संबंधी समस्‍या से परेशान हैं। यदि ऐसा है तो प्‍याज और नारियल के तेल का उपयोग करें। नियमित रूप से बालों में इस मिश्रण का इस्‍तेमाल करने से बालों की जड़ों को पोषण मिलता है जिससे वे जड़ से मजबूत होते हैं। बालों के लिए नारियल के तेल के फायदे होते हैं। साथ ही प्‍याज में ऐसे खनिज पदार्थ होते हैं जो बालों को झड़ने से रोकते हैं। यदि आप भी अपने बालों को स्‍वस्‍थ और सुंदर बनाना चाहते हैं तो प्‍याज के तेल का उपयोग कर सकते हैं।
मधुमेह में
यदि आप मधुमेह रोगी हैं तो प्‍याज के तेल के लाभ आपकी समस्‍या का समधान कर सकते हैं। नियमित रूप से प्‍याज के तेल का सेवन रक्‍त शर्करा के स्‍तर को नियंत्रित करने में सहायक होते हैं। प्‍याज के तेल में मौजूद पोषक तत्‍व शरीर में इंसुलिन प्रतिरोध को बढ़ाते हैं जिससे रक्‍त शर्करा के स्‍तर को आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है।
बालों के लिए प्‍याज का तेल
बालों के लिए प्‍याज के तेल का उपयोग करना बहुत ही लाभकारी होता है। आप सामान्‍य रूप से नारियल तेल के साथ प्‍याज के तेल को मिलाकर अपने बालों में इस्‍तेमाल कर सकते हैं। इस मिश्रण को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए आप नारियल और प्याज के तेल में कुछ मेथी के बीजों को डालकर पका लें। फिर इस तेल को ठंडा करके अपने बालों में प्रयोग कर सकते हैं।
आप अपने हाथों में इस तेल के मिश्रण को लें और उंगलियों की मदद से बालों की जड़ में इस तेल को लगाएं। इसके बाद आप हल्‍के हाथों से स्‍कैल्‍प की हल्‍की मालिश करें। ऐसा करने से बाल झड़ने से बच सकते हैं।
पाचन ठीक करे
पाचन समस्‍याएं आपके लिए कई गंभीर स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं का कारण बन सकती है। लेकिन यदि आप नियमित रूप से प्‍याज के तेल का सेवन करते हैं तो आपको पाचन संबंधी समस्‍याएं होने की संभावना कम हो सकती है। ऐसा इसलिए है क्‍योंकि प्‍याज के तेल के औषधीय गुण पाचन को ठीक करने में सहायक होते हैं। आहार के रूप में सेवन करने पर यह पाचन में मदद करता है। इसके अलावा प्‍याज के तेल में मौजूद एंटी-बैक्‍टीरियल गुण आंतों में मौजूद परजीवी को नष्‍ट करने में सहायक होते हैं। ये परजीवी दस्‍त और पेचिश आदि समस्‍याओं का प्रमुख कारण होते हैं।


त्‍वचा संबंधी समस्‍याओं को दूर करने के लिए प्‍याज का तेल

त्‍वचा संबंधी समस्‍याओं को दूर करने के लिए प्‍याज का तेल बहत ही लाभकारी होता है। नियमित रूप से उपयोग करने पर यह त्‍वचा को स्‍वस्‍थ और तरोताजा रखता है। इसके अलावा यह एक्जिमा और सोरायसिस जैसी गंभीर त्‍वचा समस्याओं को भी प्रभावी रूप से दूर कर सकता है। किसी घाव या जले के निशान को दूर करने में भी प्‍याज का तेल प्रभावी होता है। आप अपनी त्‍वचा के रंग को साफ करने के लिए प्‍याज के तेल का इस्‍तेमाल कर सकते हैं। प्‍याज के तेल में मौजूद एंटीऑक्‍सीडेंट और जीवाणुरोधी गुण मुंहासों को दूर करने में भी सहायक होते हैं।
बुखार मे फायदा
बुखार के लक्षणों को कम करने के लिए प्‍याज के तेल का इस्‍तेमाल किया जा सकता है। बुखार के दौरान शरीर के तापमान को कम करने के लिए प्‍याज का तेल एक अच्‍छी औषधी है। इसके अलावा इस दौरान शरीर में होने वाले दर्द और ऐंठन आदि को भी प्रभावी रूप से दूर किया जा सकता है। बुखार के लक्षणों को दूर करने के लिए आप 1 चम्‍मच शहद में प्‍याज के तेल की 1-2 बूंदें लें और इसका सेवन करें। दिन में 2-3 बार सेवन करने पर बुखार में आराम मिल सकता है।
घाव के उपचार में
घाव उपचार के लिए प्‍याज का तेल बहुत ही फायदेमंद होता है। प्‍याज के तेल में एंटी-बैक्‍टीरियल और एंटी-फंगल गुण होते हैं। जिसके कारण घाव में उपयोग करने पर प्‍याज का तेल घाव उपचार को गति दिलाता है। यदि आप घावों का जल्‍दी से उपचार करना चाहते हैं तो घाव के ऊपर मलहम या लोशन के रूप में प्‍याज के तेल का उपयोग कर सकते हैं।
प्याज तेल लाभ दर्द के लिए
प्‍याज के तेल के लाभ किसी भी प्रकार के दर्द को दूर करने में सक्षम होता है। यदि आप दांत के दर्द, कान दर्द या सिर के दर्द जैसी समस्‍या से परेशान हैं तो प्‍याज का तेल आपके लिए लाभकारी हो सकता है। दांत के दर्द को दूर करने के लिए आप प्‍याज के तेल की कुछ बूंदें लें और इसे दांतों पर लगाएं। सिर दर्द होने पर आप किसी अन्‍य तेल जैसे जैतून तेल, नारियल या सरसों के तेल में प्‍याज के तेल की 2-3 बूंदें मिलाएं और प्रभावित क्षेत्र में हल्‍की मालिश करें। ऐसा करने से आपको सिर के दर्द से राहत मिल सकती है।
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