17.8.19

शराब पीने की पुरानी आदत से छुटकारा पाने के जबर्दस्त उपाय


आप सब जानते ही हो की शराब सेहत के लिए कितनी हानिकारक होती है | ये इंसान को अन्दर से खोखला कर देती है | शराब की लत इतनी बुरी होती है की इंसान सब कुछ भूलकर हिंसा करने लगता है | ये शराब पीने की लत दिन प्रतिदिन बढती जाती है | शराब पिने से आँखों में कमजोरी होने लगती है |प्रजनन क्षमता कम होने लगती है और फेफड़े , किडनी एवं गुर्दे भी ख़राब हो जाते है | शराब पिने की लत इतनी खातरनाक साबित हो सकती है की ये बच्चों , पत्नी और पुरे परिवार पर असर डालती है | घर के बच्चों पर बुरा प्रभाव डालती है |

शराब का सेवन शरीर के लिए बेहद खतरनाक होता है इस बात को सभी जानते हैं लेकिन शराब की लत छोड़ पाना हर किसी के बस की बात नहीं। शराब को छोड़ने के लिए ढृढ इच्छाशक्ति और सही आहार बेहद जरूरी है। शराब के सेवन से किडनी पर काफी बुरा असर पड़ता है और इससे शरीर में कई बीमारियां भी होती हैं। अक्सर लोगों को शराब छोड़ने के लिए काफी जद्दोजहद करनी पड़त है, जिसके कारण वह शराब को नहीं छोड़ पाते। कुछ लोग शराब की लत से छुटकारा पाना चाहते भी हैं। लेकिन छोड़ नहीं पाते। अगर आप भी उन लोगों में से हैं, जो शराब छोड़ने के लिए संघर्ष कर रहे हैं तो हम आपको ऐसे  तरीके बताने जा रहे हैं, जो इस मुश्किल भरे काम में आपकी मदद कर सकते हैं।


शराब की लत से छुटकारा पाने के आसान उपाय

करेले के पत्ते
तुलसी के पत्तों की तरह करेले के पत्ते भी शरीर से विषैले पदार्थ बाहर निकालने में मदद करते हैं और शराब की लत छुड़वाने में काफी मददगार साबित होते हैं। इसके लिए आपको करना यह है कि सबसे पहले करेले के पत्तों को पीस कर उसका रस निकाल लें। रस निकालने के बाद इसके दो चम्मच छाछ के साथ मिलाकर पीएं। नियमित रूप से ऐसा करने से शराब पीने की इच्छा में कमी आती है और शराब की लत भी दूर होती है।
गुनगुने पानी में एक चुटकी नमक
अगर आप अपनी शराब की आदत से छुटकारा पाना चाहते है | तब आप गुनगुने पानी में एक चुटकी नमक मिलाकर रोजाना पिए और उलटी करे | इससे आपके पेट के उपरी हिस्से की सफाई हो जाएगी | ऐसा करने से आपके शराब पीने की आदत भी धीरे - धीरे छुटती जाएगी |
किशमिश
शराब की लत से परेशान किसी भी व्यक्ति को जब शराब पीने की इच्छा करें तब उन्हें 2 से 4 किशमिश मुंह में रखें और उसे धीरे-धीरे चबाएं। नियमित रूप से ऐसा करने से शराब पीने की इच्छा में कमी आती है।


सल्फयूरिक एसिड

अगर आप घर के किसी व्यक्ति की शराब पीने की लत से परेशान है | तब आप किसी सोने चांदी के आभूषण बनाने वाला सुनार के पास से सल्फयूरिक एसिड ले आये | और शराबी व्यक्ति की शराब के पेग में सल्फ्यूरिक एसिड की चार बुँदे डाल दे | फिर उस व्यक्ति को पिला दे | ऐसा करने से व्यक्ति की पीने की इच्छा समाप्त होने लगेगी | लगातार ऐसा करने से कुछ ही दिनों मे शराब की इच्छा अपने आप ही समाप्त होने लगेगी |
अश्वगंधा
रोजाना एक गिलास दूध में 1 चम्मच अश्वगंधा पाउडर मिला कर पीने से शराब की लत से छुटकारा पाने में मदद मिलती है। दरअसल अश्वगंधा में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-ऑक्सीडेंट औषधीय गुण पाए जाते हैं, जो शराब की लत छुड़वाने में मदद करते हैं।
अजवायन
500 ग्राम अजवायन को 7 लीटर पानी में 2 दिन के लिए भिगो कर रख दे | फिर इसे धीमी आंच में इतना पकाए की पानी सिट कर 2 लीटर रह जाये | फिर पानी को ठंडा करके छान ले और एक साफ़ बोतल में भर कर रख ले | अब जब भी शराब पीने की इच्छा करे 5 चम्मच इसको पिए | ऐसा करने से शराब की लत जल्दी ही छुट जाएगी |
अंगूर खाने से
लगातार 25 से 30 दिन तक लगातार अंगूर खाने से शराब पीने की इच्छा मर जाती है | क्यूंकि शराब भी अंगूर और जौ से ही बनती है | अगर अंगूर का सेवन करेंगे तो स्वयं ही शराब पीने का मन नही करेगा | .
अदरक का तेल
अदरक के तेल की कुछ बूंदे शहद में मिला कर खाने से शराब की लत छोड़ने में मदद मिलती है। नियमित रूप से ऐसा करने से आपको शराब की लत छोड़ने में बड़ी आसानी होगी


गाजर का जूस

गाजर का जूस पीने के शराब पीने के इच्छा में कमी आती है, जिसके कारण इसे छोड़ पाना आसान हो जाता है। नियमित रूप से एक गिलास गाजर, अन्नास , संतरा और सेब का जूस आपको शराब पीने की लत से छुटकारा दिला सकता है।
करेला का जूस
शराब पीने से किडनी खराब हो जाती है | करेला ऐसा प्रभावशाली उपाय है | जिसका जूस नियमित सुबह पीने से शराब की आदत छुट जाएगी और ख़राब किडनी भी ठीक हो जाएगी | करेला बहुत कडवा होता है | करेला का जूस पीया नही जाता है तो आप इसको किसी और जूस या मठ्ठे के साथ मिलाकर भी पी सकते है।
तुलसी के पत्ते
तुलसी के पत्तों में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-ऑक्सीडेंट तत्व मौजूद होते हैं, जो शरीर की अशुद्धियां को साफ करने का काम करते हैं। नियमित रूप से तुलसी के पत्ते चबाने से शराब पीने की इच्छा में कमी आती है, जिसके कारण शराब की लत से छुटकारा मिलता है।







शतावरी का चूर्ण पुरुषों के लिए भी कायाकल्प करने वाला है



शतावरी आयुर्वेद गुणों से भरपूर महा औषधि ।
शतावरी एक चमत्कारी औषधि है जिसका उपयोग कई रोगों के इलाज में किया जाता है। शतावरी की खूबसूरत लता के रूप में घरों और बंगलों में भी लगाई जाती है। यह पौधा झाड़ीनुमा होता है, जिसमें फूल मंजरियों में एक से दो इंच लम्बे एक या गुच्छे में लगे होते हैं और फल मटर के समान पकने पर लाल रंग के होते हैं। इसके पत्ते हरे रंग के धागे जैसे सोया सब्जी की तरह खूबसूरत, उठल में शेर के नखों की तरह मुड़े हुए मजबूत कांटे, जड़ों में सैकड़ों की संख्या में हरी भूरी जड़ें जो इसका प्रमुख गुणकारी अंग शतावरी है मिलती है। इन जड़ों को ही ऊपर का पतला छिलका उतार सुखा कर औषधि रूप में प्रयोग करते हैं।
आयुर्वेद के आचार्यों के अनुसार , शतावर पुराने से पुराने रोगी के शरीर को रोगों से लड़ने क़ी क्षमता प्रदान करता है । इसे शुक्रजनन, शीतल , मधुर एवं दिव्य रसायन माना गया है । महर्षि चरक ने भी शतावर को बल्य और वयः स्थापक ( चिर यौवन को बरकार रखने वाला) माना है । आधुनिक शोध भी शतावरी क़ी जड़ को हृदय रोगों में प्रभावी मान चुके हैं।शतावरी आजमाएं और सेक्स लाइफ को स्पाइसी बनाएं। शतावरी एक प्रचीन जड़ी बूटी है। शतावरी चूर्ण के फायदे महिलाओं और पुरुषों के लिए होते हैं। लेकिन आज हम शतावरी चूर्ण के फायदे केवल पुरुषों के लिए क्‍या हैं यह जानेगें। पुरुषों के लिए शतावरी चूर्ण का उपयोग सदियों से प्रजनन समस्‍याओं को दूर करने के लिए किया जा रहा है। शतावरी चूर्ण के लाभ पुरुषों के शरीर में हार्मोनल संतुलन को बनाए रखने में सहायक होते हैं। ऐसा माना जाता है कि शतावरी चूर्ण में यौन उत्‍तेजक और यौन क्षमता बढ़ाने वाले गुण होते हैं। इसके अलावा भी शतावरी चूर्ण का इस्‍तेमाल कई स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं को दूर करने के लिए भी किया जाता है। पुरुषों के लिए शतावरी चूर्ण के लाभ वीर्य बढ़ाने, मधुमेह को रोकने, हृदय को स्‍वस्‍थ रखने, तनाव को कम करने आदि में होते है।



भारत, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका और चीन जैसे देशों में उत्पन्न होने वाली, शतावरी को अक्सर यौन शक्ति को बढ़ाने और बनाए रखने की सिद्ध क्षमता के कारण महान आयुर्वेदिक औषधी के रूप में जाना जाता है। अक्सर महिलाओं पर इसके जबरदस्त प्रभाव के लिए सराहना मिली है, लेकिन पुरुषों के लिए शतावरी भी बेहद फायदेमंद है।

शतावरी जड़ी बूटी के पाउडर को ही शतावरी चूर्ण के नाम से जाना जाता है। शतावरी को सौ रोगों की दवा कहा जाता है। शतावरी का वैज्ञानिक नाम एस्‍पैरगस रेसमोसस  है। शतावरी को महिलाओं के लिए चमत्‍कारिक जड़ी बूटी कहा जाता है। ल‍ेकिन यह जड़ी बूटी पुरुषों के लिए भी बहुत ही लाभकारी होती है। नियमित रूप से उपभोग करने के दौरान यह पुरुषों की शारीरिक क्षमता को बढ़ाने और कई प्रकार की गंभीर स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं को कम करने में सहायक होती है।
शतावरी का उपयोग सदियों से पुरुषों में यौन शक्ति बढ़ाने के लिए किया जाता रहा है। जब नियमित रूप से शतावरी को लिया जाता है, तो यह जड़ी बूटी यौन उत्तेजना और इरेक्शन को बढ़ाती है। कई तरह के यौन रोग से पीड़ित होने का दावा करने वाले कई पुरुषों ने दैनिक आधार पर शतावरी लेते समय लगातार सकारात्मक प्रभाव की सूचना दी है।
इस शक्तिशाली जड़ी बूटी को आहार में शामिल करने पर नपुंसकता के मामलों में काफी कमी आई है और यौन स्वास्थ्य और स्टेमिना में वृद्धि हुई है। परंपरागत रूप से, शक्तिशाली जड़ी बूटी को सत्व (Sattva) की सकारात्मकता और उपचार शक्ति बढ़ाने के लिए जाना जाता है। जब इस क्षेत्र में संतुलन बहाल किया जाता है, तो भागीदारों के बीच प्यार महसूस होता है।
शतावरी लेने वाले पुरुषों में यौन अंगों को मजबूत करने और प्रजनन प्रणाली में सूजन को कम करने की जड़ी-बूटी की वजह से यौन ऊर्जा में वृद्धि देखी जाती है। शरीर पर इसके सकारात्मक प्रभाव पुरुषों में यौन क्षमता को बढ़ा सकते हैं जो पहले भी अपने पार्टनर के साथ अच्छा यौन प्रदर्शन करने पर जोर देते थे। शतावरी लेने वाले पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन बढ़ाने के लिए भी दिखाया गया, शतावरी स्वाभाविक रूप से कामेच्छा में सुधार, जीवन शक्ति और पुरुषों द्वारा अनुभव की गई कामुक संवेदना को बढ़ाने के लिए काम करती है। बढ़ती उत्तेजना के अलावा, शतावरी को शुक्राणुओं की संख्या बढ़ाने के लिए भी दिखाया गया है जो प्रजनन प्रयासों में सहायता कर सकता है।
जो लोग अपना वजन कम करना चाहते हैं उनके लिए शतावरी चूर्ण का सेवन करना एक प्रभावी घरेलू उपाय है। ऐसा इसलिए है क्‍योंकि शतावरी के चूर्ण में घुलनशील और अघुलनशील दोनों प्रकार के फाइबर होते हैं। फाइबर की अच्‍छी मात्रा पाचन तंत्र को मजबूत करने के साथ ही आपके चयापचय को बढ़ाता है। इसके अलावा शतावरी चूर्ण का सेवन आपको अनावश्‍यक भूख से भी बचाता है। बार-बार भोजन करना भी मोटापे का प्रमुख कारण होता है। शतवारी के चूर्ण में वसा और कैलोरी दोनों की बहुत ही कम मात्रा में होते हैं। जो वजन कम करने में सहायक होते हैं। ऐसा नहीं है कि केवल शतावरी चूर्ण का सेवन करने मात्र से आप अपना वजन कम कर सकते हैं। लेकिन नियमित व्‍यायाम और वजन कम करने वाले अन्‍य उपायों के साथ शतावरी चूर्ण का सेवन आपके लिए फायदेमंद हो सकता है।
शतावरी जड़ी बूटी महिला और पुरुषों के लिए बहुत ही लाभकारी होती है। शतावरी चूर्ण के फायदे उन पुरुषों के लिए भी होते हैं जो मधुमेह रोगी हैं। मधुमेह और रक्‍तचाप संबंधी समस्‍याएं गुर्दे की क्षति का कारण बन सकती हैं। भारत में हुए एक पशू अध्‍ययन के अनुसार पता चलता है कि शातवरी का सेवन करने से किड़नी की क्षति को रोका जा सकता है। इसके अलावा नियमित रूप से शतावरी का सेवन करने पर शरीर में रक्‍त शर्करा और कोलेस्‍ट्रॉल के स्‍तरको भी निय‍ंत्रित किया जा सकता है। इस तरह से मधुमेह रोगी नियमित रूप से शतावरी चूर्ण का सेवन कर मधुमेह के लक्षणों को कम कर सकते हैं।
पाचन के लिए
शतावरी चूर्ण पुरुषों के लिए बहुत ही आवश्‍यक और फायदेमंद उत्‍पाद है। शतावरी के चूर्ण में बहुत से पोषक तत्‍व और खनिज पदार्थ उच्‍च मात्रा में होते हैं। शतावरी में आइसोफ्लेवोन्‍स, म्‍सूसिलेज और अल्‍कालॉइड होते हैं जो पाचन में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसके अलावा शतावरी का नियमित सेवन करने से इसके शीतलन प्रभाव पेट की परेशानियों को कम करने में सहायक होते हैं। इसमें मौजूद फाइबर की उच्‍च मात्रा पाचन तंत्र को स्‍वस्‍थ रखने के साथ ही चयापचय को भी बढ़ाने में सहायक होते हैं। यदि आप भी पाचन संबंधी समस्‍या से परेशान हैं तो शतावरी चूर्ण का सेवन करें। लेकिन यदि आप अन्‍य किसी गंभीर स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍या से भी ग्रसित हैं तो शतावरी चूर्ण का सेवन करने से पहले अपने डॉक्‍टर से अनुमति लेना आवश्‍यक है।


पुरुषों को संक्रमण से बचाए

शतावरी के चुर्ण में प्राकृतिक एंटीबायोटिक होते हैं। जिसके कारण नियमित रूप से शतावरी चूर्ण का सेवन करने के फायदे संक्रमण के कारण होने वाली स्वास्‍थ्‍य समस्‍याओं को रोकने में प्रभावी होते हैं। नियमित रूप से शतावरी चूर्ण का सेवन करने से दस्‍त, हैजा, पेचिश और स्‍टैफिओलोकस (Staphyoloccus) जैसी गंभीर बीमारियों को रोका जा सकता है। इसके अलावा शतावरी चूर्ण के औषधीय गुण प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में भी सहायक होते हैं। जिससे कोशिकाओं को फ्री रेडिकल्‍स के प्रभाव से बचाया जा सकता है। ये फ्री रेडिकल्‍स शरीर की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाती हैं जिससे कई प्रकार की स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याएं हो सकती है।
शतावरी के लाभ अल्‍सर में
कई अध्‍ययनों से पता चलता है कि शतावरी चूर्ण का उपयोग करने से पुरुषों को अल्‍सर जैसी समस्‍याओं से छुटकारा मिल सकता है। अल्‍सर एक ऐसी स्थिति है जिसमें पेट की सुरक्षात्‍मक परत टूट जाती है जिससे पेट के अंदूरी हिस्‍से एसिड के प्रभाव से क्षतिग्रस्‍त हो जाते हैं। इस प्रकार की स्थिति में शतावरी चूर्ण का सेवन करना पुरुषों के लिए फायदेमंद होता हे। 2006 में हुए एक पशु अध्‍ययन के अनुसार वैज्ञानिकों ने चूहों को शतावरी का नियमित सेवन कराया। जिसके परिणामस्‍वरूप हाइड्रोक्‍लोरिक एसिड का कम उत्‍पादन पाया गया। जिससे एैस्ट्रिक अल्‍सर के इलाज में मदद मिलती है। यदि आप या आपके आस-पास कोई व्‍यक्ति पेट के अल्‍सर से परेशान है तो उन्हें शतावरी चूर्ण का सेवन कराया जाना चाहिए।
बुखार दूर करे
प्रतिरक्षा शक्ति को मजबूत करने और वायरल संक्रमण को दूर करने की क्षमता शतावरी पाउडर में होती है। पुरुषों के लिए शतावरी चूर्ण के लाभ बुखार के लक्षणों को कम करने में भी सहायक होते हैं। नियमित रूप से सेवन करने के दौरान शतावरी का चूर्ण शरीर की सूजन और दर्द को नियंत्रित करने का सबसे अच्‍छा तरीका है। शरीर में अधिक सूजन ऑटोइम्‍यून (autoimmune) विकारों का कारण बन सकता है। इसलिए शरीर से विषाक्‍तता को दूर करने के लिए शतावरी चूर्ण को अपने दैनिक आहार में शामिल करना फायदेमंद होता है। आप भी बार-बार आने वाली बुखार और अन्‍य वायरल संक्रमण से छुटकारा पाने के लिए शतावरी चूर्ण का सेवन कर सकते हैं।
दर्द कम करे
शतावरी चूर्ण में पीड़ानाशक (analgesic) गुण होते हैं। जिसके कारण शारीरिक दर्द को कम करने के लिए शतावारी चूर्ण का सेवन फायदेमंद माना जाता है। शतावरी के चूर्ण में सैपोनिन, ट्राइटरपीन और अल्‍कालॉइड आदि की अच्‍छी मात्रा होती है। अध्‍ययनों से पता चलता है कि शतावरी के ये दर्द निवारक गुण पुरुषों में तेज दर्द के लक्षणों को कम कर सकते हैं। इसलिए अब यदि आपको सिर का दर्द हो तो इसके उपचार के लिए दर्दनाशक गोलियों का सेवन करने के बजाये शतावरी चूर्ण का सेवन करें। आप अपने दैनिक आहार में 3 से 6 मिलीग्राम को शामिल सिर दर्द जैसी समस्‍याओं से छुटकारा पा सकते हैं।
तनाव को कम करे
जिन लोगों को अत्‍याधिक तनाव या अवसाद होता है उनके लिए शतावरी चूर्ण की दवा से कम नहीं है। अधिक मात्रा में तनाव होना न केवल आपके मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य को प्रभावित करता है बल्कि यह शारीरिक स्‍वास्‍थ्‍य के लिए भी हानिकारक है। शतावारी चूर्ण का सेवन करने से प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूती मिलती है जिससे शरीर पर तनाव के हानिकारक प्रभाव को कम करने में मदद मिलती है। इसके अलावा एस्‍पैरगस चूर्ण का सेवन करने से पुरुषों को अपना मूड बनाने में भी सहायक होती है जिससे तनाव को कम किया जा सकता है। यदि आप अधिक काम, शारीरिक थकान या अन्‍य कारणों से तनाव ग्रस्‍त हैं तो शतावरी चूर्ण का सेवन करें। यह तनाव को कम करने का सबसे अच्‍छा घरेलू उपाय है।
मूत्र संक्रमण के लिए
मूत्र विकार संबंधी समस्‍याओं को दूर करने के लिए भी शतावरी चूर्ण बहुत ही प्रभावी होता है। यदि आप युरिन संक्रमण (urinary tract infection,UTI) से ग्रसित हैं तो नियमित रूप से शतावरी चूर्ण का सेवन करें। शतावरी को एक प्राकृतिक मूत्रवर्धक के रूप में जाना जाता है। जो शरीर में पेशाब की मात्रा को बढ़ाता है। जिससे मूत्र पथ में मौजूद संक्रामक बैक्‍टीरिया को पेशाब के द्वारा बाहर निकालने में मदद मिलती है। मूत्र वर्धक होने के कारण शतावरी चूर्ण के फायदे किड़नी स्‍वास्‍थ्‍य के लिए भी अच्‍छे होते हैं। नियमित उपभोग करने के दौरान यह शरीर में मौजूद अतिरिक्‍त नमक को भी पेशाब के साथ बाहर करने में सहायक होता है। इस तरह से मूत्र पथ संक्रमण रोगी के लिए भी शतावरी चूर्ण के फायदे होते हैं।
यौन स्‍वास्‍थ्‍य के लिए
महिलाओं के लिए शतावरी चूर्ण के फायदे सभी जानते हैं। नियमित रूप से सेवन करने पर यह महिलाओं की प्रजनन प्रणाली को स्‍वस्‍थ रखती है। लेकिन शतावरी के फायदे पुरुषों के यौन स्‍वास्‍थ्‍य के लिए भी लाभदायक होते हैं। औषधीय रूप से शतावरी चूर्ण का सेवन करने पर पुरुषों की प्रजनन क्षमता को बढ़ाया जा सकता है। शतावरी में ऐसे पोषक तत्‍व और खनिज पदार्थ मौजूद होते हैं जो शुक्राणुओं की संख्‍या और गुणवत्‍ता दोनों को बढ़ाते हैं। साथ ही कामोद्दीपक गुणों के कारण यह कामेच्‍छा में भी वृद्धि कर सकता है। यदि आपको भी सूजन और यौन कमजोरी जैसी कोई समस्‍या है तो अपने नियमित आहर में शतावरी चूर्ण को शामिल करें।


शतावरी चूर्ण कैसे बनाएं

पारंपरिक रूप से भारत में शतावरी की जड़ का उपयोग किया जाता है। बहुत से लोग शतावरी की ताजी जड़ों का उपयोग करते हैं जो वास्‍तव में अधिक फायदेमंद होती है। लेकिन उपलब्‍धता की कमी के कारण हर किसी व्‍यक्ति को हमेशा ताजी शतावरी की जड़े प्राप्‍त नहीं होती हैं। इसलिए शतावरी का चूर्ण एक अच्‍छा विकल्‍प होता है। आइए जाने शतावरी चूर्ण कैसे तैयार किया जा सकता है।
आप सबसे पहले शतावरी की ताजी जड़ों को लें और इन्‍हें अच्‍छी तरह से धो कर साफ कर लें। इसके बाद आप शतावरी को धूप में सूखने के लिए छोड़ दें। आप चाहें तो इसे छाये में भी सुखा सकते हैं। 3-4 दिनों के बाद जब शतावरी की जड़े पूरी तरह से सूख जाएं तब आप इन्हें कुचल लें और छोटे-छोटे टुकड़े कर लें। इसके बाद इन टुकड़ों को किसी ब्‍लेंडर की मदद से पीसकर पाउडर तैयार करें। इस तरह से आप अपने घर में ही शतावरी चूर्ण तैयार कर सकते हैं। यदि आपको शतावरी की ताजी जड़ ना मिले तो आप बाजार से भी शतावरी चूर्ण को खरीद सकते हैं।
शतावरी चूर्ण का उपयोग कैसे करें
 
शतावरी चूर्ण का सेवन करने की कोई विशेष विधि नहीं है। आप अपनी सुविधा के अनुसार इसे कई प्रकार से सेवन कर सकते हैं। हालांकि जिन लोगों को शतावरी का चूर्ण प्राप्‍त नहीं हो पाता है वे शतावरी आधारित गोलियां और कैप्‍सूल आदि का भी सेवन कर सकते हैं। सामान्‍य रूप से आप शतावरी चूर्ण को दिन में दो बार सेवन कर सकते हैं। इसके लिए आप 1 छोटा चम्‍मच शतावरी चूर्ण को 1 गिलास गर्म दूध के साथ मिलाकर नियमित रूप से सेवन करें।
शतावरी चूर्ण का सेवन कैसे करें –
बहुत से लोगों के मन में यह आता है कि शतावरी चूर्ण का सेवन किस समय करना फायदेमंद है। साथ ही शतावरी चूर्ण का सेवन भोजन से पहले करना चाहिए।
शतावरी चूर्ण का सेवन भोजन के बाद किया जा सकाता है। इसके साथ ही शतावरी चूर्ण का सेवन करने के दौरान इस बात का ध्‍यान रखें कि खाली पेट इसका सेवन न करें। आप सुबह के नाश्‍ते के बाद गर्म दूध में शतावरी चूर्ण का सेवन कर सकते हैं।
शतावरी चूर्ण की खुराक –
सामान्‍य रूप से शतावरी पाउडर का सेवन करने की अनुशंसित मात्रा 3 से 9 ग्राम प्रतिदिन है। आप नियमित रूप से दिन में 2 बार गर्म दूध के साथ शतावरी चूर्ण का सेवन कर सकते हैं। इसके अलावा आप शतावरी चूर्ण को शहद और पानी के साथ भी ले सकते हैं।
जो लोग शतावरी चूर्ण का सेवन करना शुरु कर रहे हैं उन्हें प्रतिदन ¼ से ½ चम्‍मच पाउडर का सेवन करना चाहिए।
जो लोग नियमित रूप से कुछ समय पहले से शतावरी चूर्ण का सेवन कर रहे हैं उनके लिए अनुशंसित मात्रा 2 चम्‍मच प्रतिदिन है।



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16.8.19

चिया के बीज के कमाल के स्वास्थ्य लाभ



आपने शायद चिया बीज के बारे में नहीं सुना होगा लेकिन इसके बहुत सारे स्वास्थ्य के लिए फायदे है। इस बीज में कई ऐसे पौष्टिक तत्व होते है जो हेल्थ के लिए बहुत जरुरी है। चिया बीज को आप भोजन के साथ इस्तेमाल कर सकते है। यह शरीर के लिए एक बहुत ही गुणकारी ओषधि है।
चिया बीज सबसे ज्यादा मेक्सिको देश में पाया जाता है। यह बीज ना सिर्फ हमारे शरीर की शक्ति को बढाता है बल्कि इसके कई ऐसे फायदे है जो आपको हैरान कर देंगे। स्वास्थ्य जगत में चिया बीज पोषक तत्वों के शानदार स्रोत के रूप में उभर रहा है। कुछ लोग इसे पोष्टिक आहार के रूप में अपना रहे है ।

इसमें कोई शक नहीं की यह एक अच्छा आहार साबित हो सकता है। इसमें ताकतवर एंटीऑक्सीडेंट्स , खनिज तथा कई विटामिन आदि पाए गए है। यह मिंट फैमिली की एक फूल वाली प्रजाति है जिसकी उत्पत्ति मेक्सिको और ग्वाटेमाला से हुई है। विदेशों में इसका उपयोग लंबे समय से होता आ रहा है।
चिया सीड्स में प्रोटीन , फाइबर , कैल्शियम ,फास्फोरस , मैग्नेशियम प्रचुर मात्रा में होते है। इसके अलावा इसमें मैगनीज , ज़िंक , पोटेशियम , विटामिन B 1 , विटामिन B 2 , विटामिन B 3 भी पर्याप्त मात्रा में होते है। यह पचने में हल्का होता है तथा किसी भी प्रकार की डिश में इसका उपयोग किया जा सकता है।


चिया सीड और तुलसी के बीज 

चिया बीज के बारे में अक्सर एक बहुत बड़ी ग़लतफ़हमी लोगों को हो जाती है। कुछ लोग सब्जा या तकमरिया Takmariya को ही Chia Seeds समझ लेते हैं जबकि ऐसा नहीं है। सब्जा या तकमरिया तुलसी प्रजाति के पौधे से मिलने वाले बीज हैं । इन्हे तुकमलंगा  के नाम से भी जाना जाता है।
सब्जा बीज शरबत , फालूदा शेक , मिल्क शेक आदि में मिलाकर खाये जाते हैं। इनका अपना कोई स्वाद नहीं होता लेकिन शेक आदि को टेक्सचर देते है और स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होते है।
तुकमलंगा बीज और चिया बीज दोनों एकदम अलग चीजें है। इनके गुण भी अलग है। दरअसल ये दोनों दिखने में कुछ कुछ एक समान होते है इसीलिए संशय पैदा हो जाता है।
सब्जा तुलसी के बीज या तकमरिया ये है :–
चिया सीड के फायदे 
ओमेगा -3 फैटी एसिड
ओमेगा -3 फैटी एसिड ह्रदय रोग के लिए , अर्थराइटिस तथा कोलेस्ट्रॉल के लिए बहुत लाभदायक होता है। Chia Seeds में प्रचुर मात्रा में ओमेगा -3 फैटी एसिड होते है अतः चिया सीड ह्रदय रोग से बचाव के लिए उपयोगी हो सकते है ।

हड्डियाँ और दाँत

चिया सीड में भरपूर कैल्शियम होता है। हड्डियों तथा दाँतो की मजबूती कैल्शियम पर ही टिकी होती है। इसके अतिरिक्त Chia Seeds में बोरोन नामक तत्व भी होता है जो हड्डियों के लिए आवश्यक होता है।
बोरोन के कारण ही कैल्शियम , मैग्नेशियम , फास्फोरस आदि खनिज अवशोषित होकर मांसपेशियों तथा हड्डियों के उपयोग में आते है। इस प्रकार चिया सीड से हड्डियों , दाँत और मांसपेशियों को ताकत मिलती है।

वजन हो कम –

वजन कम करने में भी चिया बीज काफी लाभदायक सिद्ध होता है. इसका सेवन करने से बढ़ते वजन को रोका जा सकात है. दरअसल इसके अंदर फाइबर मौजूद होता है और फाइबर युक्त खाना खाने से भूख अधिक नहीं लगती है और पेट हमेशा भरा-भरा सा लगता है। जिसके चलते जो लोग अधिक खाना खाते हैं उनके ऑवरइंटंग से बज जाते हैं और उनका वजन नहीं बढ़ता है. कई सारे अध्ययनों में चिया बीज से जुड़ी ये बाद सही भी सिद्ध हो चुकी है. चिया बीज पर किए गए अध्ययन के अनुसार जो लोग सुबह के समय चिया बीज खाया करते हैं उनको अधिक भूख नहीं लगती है. साथ में इसे खाने से शरीर में मौजूद फैट की मात्रा भी कम होने लगती है.

दिल के लिए है वरदान है चिया बीज

आजकल के बदलते समय और खराब जीवनशैली तथा खान-पान की वजह से कई लोग दिल की बीमारियों का शिकार हो रहे है। ऐसे में चिया बीज खून में कोलेस्ट्रोल को दूर करता है और साथ में ब्लड प्रेशर को सामान्य करता है जिससे हार्ट स्टोक का खतरा कम हो जाता है।
इस बीज में लिनोलिक एसिड की मात्रा बहुत अधिक होती है जो की एक फैटी एसिड है। यह फैटी एसिड विटामीन, फाइट घुलनशील, विटामीन A, D, E और K को सोक लेता है। इस बीज में अच्छे फैट की इतनी अच्छी मात्रा होती है की यह दिल की बीमारियों में बहुत लाभकारी होता है।

त्वचा के लिए

कई शोध में पाया गया है की चिया बीज में भरपूर मात्रा में एंटी-ओक्सिडेंट होते है और आप भी अच्छे से जानते है की एंटी-ओक्सिडेंट हमारी त्वचा के लिए कितना फायदेमंद है। चिया बीज के सेवन से चेहरे पर पड़ने वाली झुर्रियां खत्म होती है और त्वचा के दुसरे विकार खत्म होते है।


एंटीऑक्सीडेंट

चिया सीड में बहुत से एंटीऑक्सीडेंट होते है जो हानिकारक फ्री रेडिकल्स से बचाते है। फ्री रेडिकल्स के कारण कैंसर जैसी बीमारी होने की संभावना होती है तथा इनका त्वचा पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। Chia Seeds के उपयोग से इन परेशानियों से बचाव हो सकता है।


मांसपेशियों को मजबूती देता है

चिया बीज में भरपूर मात्रा में प्रोटीन होता है और प्रोटीन हमारी मांसपेशियों को मजबूती देता है। इसलिए टी जिम से आने वाले लोग प्रोटीन शेक लेते है ताकि उनकी मांसपेशियां मजबूत रहें। यह शरीर की अतिरिक्त चर्बी को भी कम करता है जिससे शुगर के मरीजों को भी लाभ मिलता है।
इसमें कई तरह के एंटी-ओक्सिडेंट गुण होते है जिसकी वजह से यह शरीर के लिए बहुत फायदेमंद है। इसमें पानी की भी अच्छी मात्रा होती है जिससे शरीर में पानी की कमी नहीं होती। इसमें लेप्टिन पाया जाता है जो शरीर को ऊर्जा देता है और भूख कम करने वाले हार्मोन को बढ़ा देता है।

हाइड्रेशन

कुछ लोगों के शरीर में गर्मी के कारण या किसी और कारण से पानी की कमी जल्दी हो जाती है। इस वजह से कब्ज आदि हो जाती है। खिलाडियों को तथा बच्चों को यह ज्यादा होता है। Chia Seeds से इस समस्या का समाधान हो सकता है।
चिया सीड के पानी सोखने की अद्भुत शक्ति के कारण हाइड्रेशन बनाये रखने में इसका उपयोग किया जा सकता है। चिया सीड को अच्छे से पानी भिगोकर खाने से हाइड्रेशन बना रहता है।

कब्ज

चिया सीड को भिगोने से जेल बनता है। यह आँतों को साफ करने में तथा विषैले तत्वों को शरीर से बाहर निकालने में मददगार होता है। आँतो के साफ रहने से कई प्रकार की परेशानियो से निजात मिल सकती है। कब्ज मिटने से बवासीर में आराम मिलता है। भूख खुलकर लगती है। भारीपन नहीं लगता।

प्रेगनेंसी में बहुत फयदेमन्द है चिया बीज

प्रेगनेंसी का दौर महिलाओं के लिए एक चुनोती भरा दौर होता है और ऐसे समय में उन्हें पौष्टिक आहार की बहुत जरूरत होती है। चिया बीज में प्रचुर मात्रा में पौष्टिक तत्व होते है जो की शरीर के लिए बहुत लाभदायक होते है। अगर गर्भवती महिलाएं चिया बीज का सेवन करें तो उसके शिशु का विकास भी अच्छे से होगा। इसमें कई मल्टीविटामीन होते है जो की शरीर को बहुत पोषण देता है।

डायबिटीज़

चिया सीड से रक्त में इन्सुलिन की मात्रा नियमित होती है। यह कार्बोहाइड्रेट को शक्कर में बदलने की गति कम कर देता है। इससे रक्त में अत्यधिक इन्सुलिन की मात्रा को कम कर देता है। इस प्रकार डायबिटीज में यह लाभदायक होता है।


शारीरिक ऊर्जा को बढाता है

चिया बीज शरीर के मेटाबालिज्म में सुधार लाता है और बेकार की चर्बी को कम करता है। जिसके कारण आपको एक स्वस्थ और सुंदर शरीर मिलता है और आपके काम करने की स्पीड भी बढती है। यह मोटापे को कम करके आपकी शारीरिक ऊर्जा को बढाता है।

मांसपेशियों को मजबूती देता है

चिया बीज में भरपूर मात्रा में प्रोटीन होता है और प्रोटीन हमारी मांसपेशियों को मजबूती देता है। इसलिए टी जिम से आने वाले लोग प्रोटीन शेक लेते है ताकि उनकी मांसपेशियां मजबूत रहें। यह शरीर की अतिरिक्त चर्बी को भी कम करता है जिससे शुगर के मरीजों को भी लाभ मिलता है।
इसमें कई तरह के एंटी-ओक्सिडेंट गुण होते है जिसकी वजह से यह शरीर के लिए बहुत फायदेमंद है। इसमें पानी की भी अच्छी मात्रा होती है जिससे शरीर में पानी की कमी नहीं होती। इसमें लेप्टिन पाया जाता है जो शरीर को ऊर्जा देता है और भूख कम करने वाले हार्मोन को बढ़ा देता है। 

ब्रेस्ट और सवाईकल कैंसर को रोकने में मदद करता है

चिया बीज में ALA नाम का एक ओमेगा एसिड होता है जो की ब्रेस्ट और सवाईकल कैंसर को रोकने में मदद करता है, क्योंकि यह कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने से रोक देता है। एक शोध में यह बात भी सामने आई है की यह स्वस्थ कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाए बिना कैंसर कोशिकाओं को नष्ट कर देता है।

सोक कर खाएं :- 

अगर आप चिया बीज को भिगोकर खायेंगे तो आपको यह ज्यादा अच्छा लगेगा और ज्यादा पोषण शरीर को मिलेगा। चिया बीज को आप 30 मिनट से लेकर 2 घंटे तक भिगोकर रखें। याद रखें की बीज पूरी तरह से पानी-पानी ना हो और उसे दबाने पर जेल के जैसा दिखना चाहिए। चिया बीज की एक ख़ास बात यह है की यह अपने से 12 गुना ज्यादा पानी सोंक कर रख सकता है जिससे शरीर में निर्जलीकरण की समस्या नहीं होती।

सावधानी

चिया सीड में प्रचुर मात्रा में फाइबर होने के कारण अधिक मात्रा में इसके उपयोग से कुछ लोगों को परेशानी महसूस हो सकती है। विशेष कर उन लोगों को जिन्हें निगलने की समस्या होती हो या आँतों में सूजन आदि हो।
अस्थमा तथा एलर्जी आदि से ग्रस्त लोगों को भी इसका उपयोग सावधानी से करना चाहिए। कुछ परेशानी हो तो तुरंत चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए।
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प्रोस्टेट केंसर की जानकारी और बचाव के उपाय


कैंसर एक बहुत ही खतरनाक और जानलेवा बीमारी है. अगर किसी को कैंसर हो गया तो सबसे पहले मुहं से एक ही शब्द निकलता है की अब इसका बचना मुश्किल है. सच में अगर समय रहते इस घातक बीमारी का इलाज नहीं करवाया गया तो मौत निश्चित है. कैंसर ऐसी खतरनाक बीमारी है जो एक जगह से शुरू हो कर शरीर के हर हिस्से में फ़ैल जाती है.
Cancer कई तरह का होता है ब्रेस्ट कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर, अग्नाशय कैंसर, मूत्रमार्ग कैंसर, ब्लड कैंसर, ब्रेन कैंसर आदि. लगभग शरीर के हर हिस्से में कैंसर हो सकता है और शरीर के जिस हिस्से में कैंसर होता है उसे उस जगह के कैंसर के नाम से जाना जाता है. कैंसर में शरीर के किसी हिस्से में गाँठ बनना शुरू होती है और यह गाँठ धीरे-धीरे फैलती रहती है.

एक समय ऐसा आता है जब कैंसर शरीर के अन्य हिस्सों को भी प्रभावित करने लगता है और ऐसे में एक वक्त बाद इलाज मुश्किल हो जाता है और फिर मौत निश्चित हो जाती है. लेकिन कैंसर मतलब मौत यह जरुरी नहीं है क्योंकि अगर समय पर इलाज हो जाए तो आप अपनी जिंदगी को बचा सकते है.

प्रोस्टेट कैंसर एक ऐसा कैंसर है जो प्रोस्टेट में होता है भारत में हर साल प्रोस्टेट कैंसर के 10 लाख से भी अधिक मामले सामने आते हैं प्रोस्टेट एक छोटी से ग्रंथि है जो व्यक्ति के पेट के निचले हिस्से में पायी जाती है। यह मूत्राशय के नीचे और मूत्रमार्ग के पास स्थित है। प्रोस्टेट हार्मोन टेस्टोस्टेरोन द्वारा नियंत्रित होता है और वीर्य को उत्पन्न करने का कार्य करता है, जो सीमेन के रूप में जाना जाता है। सीमेन पदार्थ शुक्राणु युक्त होता है जो स्खलन के दौरान मूत्रमार्ग से निकलता है। 
प्रोस्टेट कैंसर पुरुषों में कैंसर के सबसे आम प्रकारों में से एक है। 65 वर्ष से अधिक आयु के पुरुषों में अधिकांश प्रोस्टेट कैंसर होते हैं आम तौर पर प्रोस्टेट कैंसर धीरे-धीरे बढ़ता है और शुरुआत में प्रोस्टेट ग्रंथि तक ही सीमित होता है, जहां पर यह गंभीर नुकसान नहीं पहुंचा सकता है। हालांकि, प्रोस्टेट कैंसर के कुछ प्रकार धीरे-धीरे बढ़ते हैं और उन्हें कम से कम इलाज की आवश्यकता हो सकती है, अन्य प्रकार आक्रामक होते हैं और जल्दी फैल सकते हैं।
यदि प्रोस्टेट कैंसर का जल्दी पता चल जाता है, जब यह प्रोस्टेट ग्रंथि तक सीमित है तो इसका सफल उपचार किया जा सकता है।
प्रोस्टेट कैंसर क्या है
जब कोशिकाओं का असामान्य और घातक विकास होता है – जिससे प्रोस्टेट में ट्यूमर बन जाता है- तब इसे प्रोस्टेट कैंसर कहा जाता है। क्यूंकि यह कैंसर प्रोस्टेट की असामान्य कोशिकाओं से बनता है, इसलिए इसको प्रोस्टेट कैंसर कहा जाता है।
प्रोस्टेट कैंसर पुरुषों में पाए जाने वाले कैंसर में से सबसे आम कैंसर है। आम तौर पर प्रोस्टेट कैंसर धीरे-धीरे बढ़ता है और शुरुआत में प्रोस्टेट ग्रंथि तक ही सीमित होता है, जहां यह गंभीर नुकसान नहीं पहुंचा सकता है, और उसके लक्षण भी साफ़ समझ नहीं आते। हालांकि, जबकि प्रोस्टेट कैंसर के कुछ प्रकार धीरे-धीरे बढ़ते हैं और इन्हें कम से कम इलाज या इलाज की आवश्यकता भी नहीं होती, लेकिन इसके कुछ अन्य प्रकार आक्रामक होते हैं और शरीर में जल्दी फैल सकते हैं।


प्रोस्टेट कैंसर के प्रकार

स्टेट कैंसर कितनी तेज़ी से बढ़ता है इसको आधार मानके इसे दो भागों में विभाजित किया जा सकता है । इसमें दो प्रकार के कैंसर हैं:
आक्रामक, या तेजी से बढ़ने वाला 
गैर आक्रामक, या धीमी गति से बढ़ने वाला 
गैर आक्रामक प्रोस्टेट कैंसर में, ट्यूमर या तो समय के साथ बहुत कम बढ़ता है या फिर नहीं ही बढ़ता है। आक्रामक प्रोस्टेट कैंसर के साथ, ट्यूमर जल्दी से बढ़ सकता है और शरीर के अन्य हिस्से जैसे की हड्डियों में फैल सकता है।
प्रोस्टेट कैंसर के लक्षण
स्टेट कैंसर पुरुषों को प्रभावित करने वाला सबसे आम कैंसर है। प्रोस्टेट कैंसर का शुरुआती चरणों में आमतौर पर कोई लक्षण प्रकट नहीं होते है। हालांकि, यदि लक्षण प्रकट होते हैं, तो वे आमतौर पर निम्नलिखित में से कोई भी एक या उससे ज्यादा हो सकते हैं:
पेशाब करने के लिए लगातार मन करना , रात में भी
पेशाब शुरू करने और बनाए रखने में कठिनाई
मूत्र में खून
पेशाब करने में दर्द और कभी कभार ही लेकिन स्खलन में दर्द होना
इरेक्शन बनाने में या अचीव करने में कठिनाई
हड्डियों में दर्द
श्रोणि क्षेत्र में असुविधा
यदि प्रोस्टेट कैंसर बढ़ जाता है
हड्डी का दर्द, अक्सर रीढ़, फीमर हड्डी , श्रोणि या पेल्विस, या पसलियों में दर्द
हड्डी में फ्रैक्चर
यदि कैंसर रीढ़ की हड्डी में फैलता है और रीढ़ की हड्डी को संपीड़ित या कम्प्रेस करता है, तो आपको नीचे लिखी समस्याएं हो सकती है:
पैर में कमजोरी
मूत्र असंयम
फीकल असंतुलन
प्रोस्टेट कैंसर के कारण
प्रोस्टेट कैंसर के कोई ज्ञात कारण नहीं है। सभी कैंसर की तरह, यह कई चीजों के कारण हो सकता है, जिसमें पारिवारिक इतिहास या कुछ रसायनों के संपर्क में आना शामिल हैं। प्रोस्टेट कैंसर के जो भी कारण हों, वे प्रोस्टेट में सेल उत्परिवर्तन और अनियंत्रित सेल वृद्धि की ओर ले जाते हैं।
प्रोस्टेट कैंसर की शरुआत कैसे होती है –
यह आमतौर पर ग्रंथि कोशिकाओं में शुरू होता है। इसे एडेनोकार्सीनोमा (adenocarcinoma) के रूप में जाना जाता है। प्रोस्टेट ग्रंथि कोशिकाओं के आकार में छोटे बदलाव होते हैं, जिन्हें प्रोस्टेटिक इंट्राफेथेलियल नेओप्लासिया (पिन) कहा जाता है। यह धीरे-धीरे होता है और प्रगति में आगे तक लक्षण नहीं दिखाता है।
50 साल से अधिक उम्र के सभी पुरुषों में से लगभग 50 प्रतिशत प्रोस्टेटिक इंट्राफेथेलियल नेओप्लासिया (पिन) हैं। हाई-ग्रेड प्रोस्टेटिक इंट्राफेथेलियल नेओप्लासिया (पिन) को पूर्व-कैंसर माना जाता है, और इसके लिए आगे की जांच की आवश्यकता होती है। निम्न ग्रेड प्रोस्टेटिक इंट्राफेथेलियल नेओप्लासिया (पिन) चिंता का कारण नहीं होता है।
मेटास्टेसिस से पहले जांच होने पर प्रोस्टेट कैंसर का सफलतापूर्वक इलाज किया जा सकता है, लेकिन यदि यह फैलता है, तो यह अधिक खतरनाक होता है। यह आमतौर पर हड्डियों में फैलता है।
प्रोस्टेट कैंसर के खतरे में शामिल हैं –
प्रोस्टेट कैंसर किसी भी व्यक्ति में हो सकता है, मगर कुछ कारण ऐसे हैं जो इस रोग के लिए आपका खतरा बढ़ाते हैं। इन जोखिम कारकों में शामिल हैं:
बढ़ती उम्र (Age): उम्र बढ़ने के साथ प्रोस्टेट कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
प्रोस्टेट कैंसर का एक पारिवारिक इतिहास (Family history): अगर आपके परिवार में पुरुषों को प्रोस्टेट कैंसर था, तो आपका जोखिम बढ़ सकता है।
मोटापा (Obesity): प्रोस्टेट कैंसर मोटापे से ग्रस्त पुरुषों में होने की संभावना अधिक हो सकती है और इलाज भी अधिक कठिन होता है।
अनुवांशिक परिवर्तन (genetic changes): अनुवांशिक परिवर्तन के अलावा आप जहां रहते हैं वहां भी आपमें यह कैंसर आने का जोखिम हो सकता है।
प्रोस्टेट कैंसर किस उम्र के लोगों को होता है
जैसा ऊपर बताया गया है, उम्र प्रोस्टेट कैंसर के लिए प्राथमिक जोखिम कारक है। यह बीमारी 65 साल से अधिक उम्र के पुरुषों में अक्सर होती है।
वास्तव में, प्रोस्टेट कैंसर फाउंडेशन के अनुसार, 40 वर्ष से कम आयु के 10,000 पुरुषों में से केवल 1 प्रोस्टेट कैंसर का मामला देखने को मिलेगा। हालांकि, 60 और 69 वर्ष की आयु के पुरुषों के लिए यह संख्या 14 में से 1 हो सकती है।
प्रोस्टेट कैंसर की जांच
प्रोस्टेट कैंसर के लिए स्क्रीनिंग अक्सर आपकी व्यक्तिगत प्राथमिकताओं पर निर्भर करती है।
यदि आप और आपके डॉक्टर का फैसला है कि प्रोस्टेट कैंसर के लिए स्क्रीनिंग आपके लिए एक अच्छा विकल्प है, तो आपका डॉक्टर आपका शारीरिक परीक्षण करेगा और आपके स्वास्थ्य इतिहास पर चर्चा करेगा। वे एक या अधिक परीक्षण भी करेंगे, जिनमें नि
डिजिटल रेक्टल परीक्षा –: इस परीक्षण के साथ, आपका प्रोस्टेट का निरीक्षण करने के लिए आपका डॉक्टर आपके गुदा में एक उंगली डालेगा। वे महसूस कर सकते हैं कि आपके प्रोस्टेट ग्रंथि पर कोई कठोर गांठ है जो ट्यूमर हो सकता है।
प्रोस्टेट विशिष्ट एंटीजन (पीएसए) परीक्षण  पीएसए रक्त परीक्षण आपके खून में प्रोस्टेट-विशिष्ट एंटीजन की मात्रा की जांच करता है। यदि स्तर ऊंचे हैं, तो इसका मतलब यह हो सकता है कि आपको प्रोस्टेट कैंसर है।


प्रोस्टेट बायोप्सी –
  प्रोस्टेट कैंसर निदान की पुष्टि करने में सहायता के लिए आपका डॉक्टर बायोप्सी का आदेश दे सकता है। बायोप्सी के लिए, एक हेल्थकेयर प्रदाता परीक्षण के लिए आपके प्रोस्टेट ग्रंथि का एक छोटा सा टुकड़ा निकाल लेता है।
अन्य परीक्षण –  आपका डॉक्टर एक चुंबकीय अनुनाद इमेजिंग (एमआरआई), एक हड्डी स्कैन, या एक कंप्यूटेड टोमोग्राफी (सीटी) स्कैन भी कर सकता है।
प्रोस्टेट कैंसर के चरण
आपके प्रोस्टेट कैंसर के चरण को निर्धारित करने में मदद के लिए आपके डॉक्टर आपके पीएसए परीक्षण और आपके ग्लासन स्कोर से दोनों परिणामों का उपयोग करेंगे। स्टेज इंगित करता है कि आपका कैंसर कितना घातक है। यह जानकारी आपके डॉक्टर को आपके इलाज की योजना बनाने में मदद करती है।
कई अन्य प्रकार के कैंसर की तरह, प्रोस्टेट कैंसर की स्टेज का निर्धारण निम्न लक्षणों के आधार पर किया जाता है:
ट्यूमर का आकार या सीमा
लिम्फ नोड्स की संख्या जो इसमें शामिल है
कैंसर अन्य साइटों या अंगों में फैल गया है या नहीं
प्रोस्टेट कैंसर के चरण 1 से 4 तक होते हैं। यह रोग चरण 4 में सबसे अधिक घातक है।
प्रोस्टेट कैंसर के उपचार और इलाज –
प्रोस्टेट कैंसर उपचार के विकल्प कई कारकों पर निर्भर करते हैं, जैसे कि आपका कैंसर कितना तेजी से बढ़ रहा है, यह कितना फ़ैल गया है और आपका समग्र स्वास्थ्य कैसा है, साथ ही उपचार के संभावित लाभ या साइड इफेक्ट्स भी प्रोस्टेट कैंसर के इलाज में शामिल होते हैं।
प्रारंभिक चरण के प्रोस्टेट कैंसर का इलाज – Early stage Prostate Cancer Treatment in Hindi
यदि कैंसर छोटा और स्थानीयकृत है, तो आमतौर पर इसका निम्नलिखित उपचारों में से एक द्वारा इलाज किया जाता है:
सतर्क प्रतीक्षा या निगरानी (Watchful waiting or monitoring): इसमें पीएसए रक्त स्तर नियमित रूप से चेक किए जाते हैं, लेकिन कोई तत्काल कार्रवाई नहीं की जाती है।
साइड इफेक्ट्स या जोखिम के रूप में कभी-कभी इस धीमी-विकासशील कैंसर के लिए तत्काल उपचार की आवश्यकता होती है।
रेडिकल प्रोस्टेटक्टोमी : इस प्रक्रिया में प्रोस्टेट को शल्य चिकित्सा से हटा दिया जाता है।
पारंपरिक सर्जरी के लिए 10 दिनों तक अस्पताल में रहने की आवश्यकता होती है, और रिकवरी के लिए 3 महीने तक का समय लग सकता है। रोबोट कीहोल सर्जरी में कम समय तक अस्पताल में रहने और कम ही रिकवरी समय शामिल है, लेकिन यह अधिक महंगा हो सकता है।
ब्रैकीथेरेपी (Brachytherapy:): इस उपचार को देने के लिए प्रोस्टेट में रेडियोएक्टिव बीज लगाए (Radioactive seeds) जाते हैं जिससे रेडिएशन ट्रीटमेंट मिल सके।
अनुरूप विकिरण थेरेपी - रेडिएशन बीम्स उस आकार के रखें जाते हैं जो की प्रोस्टेट अंग के उस इलाके के समान्तर होतीं है जिसको की ट्रीटमेंट की ज़रूरत है ताकि रेडिएशन उसे पूरी तरह से ओवरलैप करले। यह स्वस्थ ऊतकों को विकिरण के एक्सपोजर को कम करता है।
तीव्रता मॉड्यूटेड विकिरण थेरेपी | इस थेरेपी में परिवर्तनीय तीव्रता वाले बीमों या किरणों का उपयोग किया जाता है। यह अनुरूप विकिरण थेरेपी का एक उन्नत रूप है।
प्रारंभिक चरणों में, रोगी को 4 से 6 महीने के लिए हार्मोन थेरेपी के साथ संयुक्त विकिरण थेरेपी मिल सकती है।
उपचार का सुझाव व्यक्तिगत मामलों पर निर्भर करता हैं। रोगी को अपने यूरोलोजिस्ट या ऑन्कोलॉजिस्ट (urologist or oncologist) के साथ सभी उपलब्ध विकल्पों पर चर्चा करनी चाहिए।
एडवांस्ड प्रोस्टेट कैंसर का इलाज
उन्नत कैंसर अधिक आक्रामक है और पूरे शरीर में फैलता है। इसका इलाज करने के लिए कीमोथेरेपी की सिफारिश की जा सकती है, क्योंकि यह शरीर के चारों ओर कैंसर कोशिकाओं को मार सकता है।
एंड्रोजन अभाव थेरेपी (एडीटी), या एंड्रोजन दमन चिकित्सा, 
यह एक हार्मोन उपचार है जो एंड्रोजन के प्रभाव को कम करता है। एंड्रोजन पुरुष हार्मोन होते हैं जो कैंसर के विकास को प्रोत्साहित कर सकते हैं। एडीटी से एंड्रोजन के स्तर को कम करके कैंसर की वृद्धि को धीमा किया जा सकता है या रोका जा सकता है।
इस इलाज में रोगी को लंबे समय तक हार्मोन थेरेपी की आवश्यकता होगी।
ले ही हार्मोन थेरेपी थोड़ी देर बाद काम करना बंद कर दे, फिर भी अन्य विकल्प हो सकते हैं। नैदानिक या क्लिनिकल ​​परीक्षणों में जाकर आप अपने डॉक्टर से चर्चा कर सकते हैं।
रेडिकल प्रोस्टेटक्टोमी वर्तमान में उन्नत मामलों के लिए एक विकल्प नहीं है, क्योंकि यह शरीर के अन्य हिस्सों में फैले कैंसर का इलाज नहीं करता है
प्रोस्टेट कैंसर में जीवित रहने की दर 
अगर प्रोस्टेट कैंसर का निदान जल्दी होता है और मूल ट्यूमर फैलता नहीं है, तो दृष्टिकोण आम तौर पर अच्छा होता है। शुरुआती पहचान और उपचार सकारात्मक परिणाम के लिए महत्वपूर्ण हैं। इसलिए, अगर आपको लगता है कि आपके पास प्रोस्टेट कैंसर के लक्षण हैं, तो आपको तुरंत अपने डॉक्टर से मिलना चाहिए।
यदि यह रोग मेटास्टेसिस नामक प्रक्रिया में अन्य अंगों में फैल जाने से पहले पाया जाता है, तो 5 साल की जीवित रहने की दर 99 प्रतिशत है। पंद्रह वर्षों के बाद, यह 96 प्रतिशत तक घट जाती है। एक बार जब कैंसर मेटास्टेसाइज हो जाता है, या फैलता है, तो 5 साल की जीवित रहने की दर 29 प्रतिशत तक कम हो सकती है।
नियमित स्क्रीनिंग प्रोस्टेट कैंसर का पता लगाने में मदद कर सकती है, और प्रारंभिक स्थति में इसका इलाज किया जा सकता है।
प्रोस्टेट कैंसर से बचने के उपाय
निम्नलिखित सुझावों से आप प्रोस्टेट कैंसर के अपने जोखिम को कम कर सकते हैं :
स्वस्थ खाद्य पदार्थ चुनें ना कि पूरक या सप्प्लीमेंट्स – यह प्रमाणित नहीं है की पूरक प्रोस्टेट कैंसर के खतरे को कम करने में एक भूमिका निभाते हैं। इसलिए इन्हें न लेकर आप विटामिन और खनिजों में समृद्ध खाद्य पदार्थ चुनें ताकि आप अपने शरीर में विटामिन के स्वस्थ स्तर को बनाए रख सकें।
फल और सब्जियों से युक्त स्वस्थ आहार चुनें– हाई फैट वाले खाद्य पदार्थों से बचें और इसके बजाय विभिन्न प्रकार के फल, सब्जियां और अनाज को चुने। फल और सब्जियों में कई विटामिन और पोषक तत्व होते हैं जो आपके स्वास्थ्य में योगदान दे सकते हैं।
जैसे की टमाटर, ब्रोकोली , सोयाबीन , हरी सब्जियां, अनार, फिश आदि।
लेकिन आप आहार के माध्यम से भी प्रोस्टेट कैंसर को रोक सकते हैं, यह अभी तक साबित नहीं हुआ है। लेकिन विभिन्न प्रकार के फल और सब्जियों के साथ एक स्वस्थ आहार खाने से आपका पूरा स्वास्थ्य बेहतर हो सकता है।


कुछ खाद्य पदार्थ प्रोस्टेट कैंसर के आपके जोखिम को बढ़ा सकते हैं:

दूध और डेयरी उत्पाद
संतृप्त वसा, जो पशु उत्पादों में पाया जाता है
लाल मांस
भुना हुआ गोश्त
सप्ताह के अधिकांश दिनों में व्यायाम करें– व्यायाम आपके पूर्ण स्वास्थ्य में सुधार करता है, आपको अपना वज़न बनाए रखने में मदद करता है और आपके मूड में भी सुधार करता है। कुछ सबूत हैं कि जो लोग व्यायाम नहीं करते हैं उनमें उच्च पीएसए के स्तर होतें हैं, जबकि व्यायाम करने वाले पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर का कम जोखिम पाया जाता है।
2006 के 29, 000 पुरुषों के अध्ययन के मुताबिक, व्यायाम से प्रोस्टेट कैंसर के विकास और प्रोस्टेट कैंसर से मरने के जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है।
एक स्वस्थ वजन बनाए रखें – यदि आपका वर्तमान वजन स्वस्थ है, तो सप्ताह के अधिकांश दिनों का उपयोग करके इसे बनाए रखने के लिए काम करें। यदि आपको वजन कम करने की आवश्यकता है, तो अधिक व्यायाम को अपनी दिनचर्या में शामिल करें और हर दिन खाने वाली कैलोरी की मात्रा को कम करें।
प्रोस्टेट कैंसर के बढ़ते जोखिम के बारे में अपने डॉक्टर से बात करें। इस कैंसर के ज्यादा रिस्क में आने वाले पुरुष अपने रिस्क को कम करने के लिए दवाओं या अन्य उपचारों पर विचार कर सकते हैं।
यदि आप प्रोस्टेट कैंसर के विकास के अपने जोखिम के बारे में चिंतित हैं, तो अपने डॉक्टर से बात करें।
नुस्खा-भारतीय नस्ल की गाय के दूध का एक पाव से आधा किलो दही, 4 चम्मच गोमूत्र, 5 से 10 पत्ते तुलसी पत्र, कुछ शुद्ध मधु- इन चारों पदार्थों को एक पात्र में मिलाकर, मथकर प्रात:काल खाली पेट प्रतिदिन केवल एक बार पीने से तथा 1 वर्ष तक के इस प्रयोग से प्रारंभिक अवस्था का कैंसर पूरी तरह दूर हो जाता है।
प्रोस्टेट कैंसर के लिए घरेलू नुस्‍खे
एलोवेरा
अलोवेरा को प्रोस्टेट कैंसर के उपचार के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। प्रोस्टेट कैंसर से ग्रस्त मरीजों को नियमित रूप से एलोवेरा का सेवन करना चाहिए। एलोवेरा में कैंसररोधी तत्व पाये जाते हैं जो कि कैंसर की कोशिकाओं को बढ़ने से रोकते हैं
ब्रोकोली
ब्रोकोली के अंकुरों में मौजूद फायटोकेमिकल कैंसर की कोशाणुओं से लड़ने में सहायता करते हैं। यह एंटी ऑक्सीडेंट का भी काम करते हैं और खून को शुद्ध भी करते हैं। प्रोस्टेंट कैंसर होने पर ब्रोकोली का सेवन करना चाहिए।
ग्रीन टी
प्रोस्टेट कैंसर से ग्रस्त आदमी को नियमित रूप से एक से दो कप ग्रीन टी का सेवन करना चाहिए। ग्रीन टी में कैंसर रोधी तत्वे पाये जाते हैं।
लहसुन
लहसुन में औषधीय गुण होते हैं। लहसुन में बहुत ही शक्तिशाली एंटी-ऑक्सीडेंट होते हैं जैसे - एलीसिन, सेलेनियम, विटामिन सी, विटामिन बी। इसके कारण कैंसर से बचाव होता है और कैंसर होने पर लहसुन का प्रयोग करने से कैंसर बढ़ता नही है।
अंगूर
प्रोस्टे़ट कैंसर के उपचार के लिए अंगूर भी कारगर माना जाता है। अंगूर में पोरंथोसाइनिडीस की भरपूर मात्रा होती है, जिससे एस्ट्रोजेन के निर्माण में कमी होती है। इसके कारण प्रोस्टेट कैंसर के इलाज में मदद मिलती है।
सोयाबीन
सोयाबीन से भी प्रोस्टेट कैंसर के उपचार में सहायता मिलती है। प्रोस्टेट कैंसर के मरीजों को रोज के खानपान के साथ सोयाबीन के अंकुर या पकाए हुए सोयाबीन का सेवन करना चाहिए। सोयाबीन में कुछ ऐसे एंजाइम पाये जाते हैं जो हर प्रकार के कैंसर से बचाव करते हैं।
अमरूद और तरबूज
प्रोस्टेट कैंसर के उपचार के लिए अमरूद और तरबूज भी बहुत कारगर हैं। अमरूद और तरबूज में लाइकोपीन तत्व ज्यादा मात्रा में पाया जाता है जो कि कैंसररोधी है। इसलिए प्रोस्टेट कैंसर के मरीजों को इन फलों का ज्यादा मात्रा में सेवन करना चाहिए।
व्हीटग्रास
प्रोस्टेट कैंसर के उपचार के लिए व्हीटग्रास बहुत लाभकारी होता है। व्हीसट ग्रास कैंसर युक्त कोशिकाओं को कम करता है। इसके अलावा व्हीटग्रास खाने से शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और शरीर से विषैले तत्व भी हटते हैं।
इसके अलावा प्रोस्टेट कैंसर के मरीजों को ताले फलों और सबिजयों का भी सेवन भरपूर मात्रा में करना चाहिए। प्रोस्टेट कैंसर के ये घरेलू उपाय चिकित्‍सीय सहायता के साथ साथ चल सकते हैं। कैंसर के लक्षण नजर आते ही आपको डॉक्‍टर से मिलना चाहिए। हां इन उपायों को आप अपनी जीवनशैली का हिस्‍सा बना सकते हैं ।

टेस्टोस्टेरोन बढ़ाने वाली कमाल की जड़ी बूटियाँ



टेस्टोस्टेरोन हार्मोन में हर एक मनुष्य के शरीर में पाया जाता है। यह पुरुषों में उच्च स्तर में पाया जाता है, लेकिन महिलाओं में कम मात्रा में। मुख्य रूप से टेस्टोस्टेरोन एक मेल हार्मोन होता है,जो की उनमे यौन क्षमता को बढ़ाता है और इसका संबंध यौन क्रियाकलापों, रक्त संचरण और मांसपेशियों के परिणाम के साथ साथ एकाग्रता, मूड और स्मृति से भी होता है |
सामान्य तौर पर उम्र बढ़ने के साथ टेस्टोस्टेरॉन के स्तर में गिरावट देखने को मिलती है। हालांकि अब 30 से ज्यादा उम्र के पुरुषों में भी टेस्टोस्टेरॉन के स्तर में गिरावट देखने को मिल रही है। प्रभावित व्यक्ति के अंदर उपस्थित टेस्टोस्टेरॉन का स्तर उसके सामाजिक व्यवहारों को प्रभावित करता है। आर्थिक दबावों और बढ़ती महंगाई के अलावा सामाजिक समस्याओं के कारण पुरुषों में टेस्टोस्टेरॉन नामक हार्मोन के स्तर में गिरावट सकती है |यह बहुत जरुरी है कि आप टेस्टोस्टेरॉन के स्तर को हमेशा बनाए रखें, नहीं तो आगे चल कर आपको बहुत सारी परेशानियों को झेलना पड़ सकता है।
प्राकृतिक टेस्टोस्टेरोन बूस्टर जड़ी बूटियों का सेवन पुरुषों के लिए बेहद फायदेमंद होता हैं। टेस्‍टोस्‍टेरोन प्रमुख पुरुष सेक्‍स हार्मोन है लेकिन यह महिलाओं के लिए भी आवश्‍यक होता है। टेस्‍टोस्‍टेरोन की कमी किसी पुरुष को नपुंसकता के लक्षणों की ओर ले जा सकती है। लेकिन प्राकृतिक टेस्‍टोस्‍टेरोन बूस्‍टर जड़ी बूटी का उपयाग कर पुरुष इस समस्‍या से बच सकते हैं। आयुर्वेदिक टेस्‍टोस्‍टेरोन बूस्‍टर दवाओं का सेवन करने से किसी प्रकार के गंभीर दुष्‍प्रभाव भी नहीं होते हैं। आप टेस्‍टोस्‍टेरोन सप्‍लीमेंट के रूप में कुछ ऐसी जड़ी बूटीयों का उपयोग कर सकते हैं जिन्‍हें आप अपने दैनिक जीवन सामानय रूप से उपयोग करते हैं। आज इस आर्टिकल में आप टेस्‍टोस्‍टेरोन बूस्‍टर जड़ी बूटी के उपयोग और लाभ संबंधी जानकारी प्राप्‍त करेगें।
टेस्टोस्टेरोन के बारे में तथ्य
टेस्टोस्टेरोन आपके पेट को कम करने में मदद कर सकता है|
बहुत अधिक टेस्टोस्टेरोन अंडकोष को सिकोड़ सकता है-
जो पुरुष प्रदर्शन बूस्टर और सिंथेटिक टेस्टोस्टेरोन लेते हैं वे सिकुड़े अंडकोष और बढ़ते हुए स्तनों से पीड़ित होने का जोखिम रखते हैं, लेकिन यह उनके मिजाज और मुँहासे को उत्पन्न नहीं करते हैं।


मनी-मेकिंग टेस्टोस्टेरोन के स्तर को प्रभावित करता है–

ब्रिटिश शोधकर्ताओं के अनुसार, युवा पुरुष अपने टेस्टोस्टेरोन के स्तर पर उन दिनों में बढ़ोत्री का अनुभव करते हैं, जहां वे अधिक लाभ कमाते हैं।
अतिरिक्त वसा टेस्टोस्टेरोन के स्तर को कम कर सकती है-
विशेषज्ञों का मानना ​​है कि मोटे पुरुषों को पतले पुरुषों की तुलना में कम टेस्टोस्टेरोन के स्तर से पीड़ित होने की संभावना होती है; और इसका कारण वसा कोशिकाओं के साथ इन्फ्लामेंट्री कारकों की उपस्थिति है, जो टेस्टोस्टेरोन के संश्लेषण को दबाते हैं।
टेस्टोस्टेरोन बूस्टर के लाभ
आयुर्वेदिक टेस्‍टोस्‍टेरोन बूस्‍टर उत्‍पादों का सेवन पुरुषों की यौन कमजोरी को दूर करने का सबसे अच्‍छा तरीका है। पुरुषों में यौन कमजोरी या नपुंसकता का प्रमुख कारण टेस्‍टोस्‍टेरोन की कमी होती है। यह एक प्रकार का सेक्स हार्मोन है। टेस्‍टोस्‍टेरोन की उचित स्‍तर पुरुषों के यौन स्‍वास्‍थ्‍य के साथ ही मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य के लिए भी अच्‍छा होता है। टेस्‍टोस्‍टेरोन सीधे तौर पर पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्‍या और गुणवत्‍ता दोनों को प्रभावित करता है। इसलिए शरीर में टेस्‍टोस्‍टेरोन के उचित स्‍तर को बनाए रखने के लिए विभिन्‍न प्रकार की आयुर्वेदिक औषधियों का सेवन करने की सलाह दी जाती है।
टेस्टोस्टेरोन का स्तर बढ़ाने वाली जड़ी बूटियाँ
कद्दू के बीज
बीटा-कैरोटीन और अन्‍य फाइटोन्‍यूट्रिएंट्स की उच्‍च मात्रा कद्दू के बीजों में होती है। इस कारण ही टेस्‍टोस्‍टेरोन बूस्‍टर खुराक के रूप में कद्दू के बीजों का सेवन‍ किया जाता है। आप भी टेस्‍टोस्‍टेरोन के स्‍तर को बढ़ाने के लिए अपने आहार में कद्दू के बीजों को शामिल कर सकते हैं। सेक्‍स हार्मोन के स्‍तर को बढ़ाने के लिए कद्दू के बीजों में जिंक भी मौजूद रहता है। इसके अलावा कद्दू के बीजों में सेरोटोनिन का उत्‍पादन बढ़ाने वाले अमीनो एसिड भी होते हैं। सेरोटोनिन के उचित स्तर होने से पुरुषों के शरीर में टेस्‍टोस्‍टेरोन के स्‍तर में वृद्धि होती है। यदि आपको या आपके साथी को यौन कमजोरी का अनुभव हो रहा है तो दैनिक आधार पर कुछ कद्दू के बीजों का सेवन करें। ऐसा करने से न केवल यौन प्रदर्शन में वृद्धि होगी बल्कि अन्‍य बहुत सी स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं को भी दूर किया जा सकता है।
चिया सीड्स
पुरुषों के लिए चिया बीज आयुर्वेदिक टेस्‍टोस्‍टरोन बूस्‍टर की तरह काम करता है। चिया के बीज साल्विया हिस्पानिका (Salvia Hispanica) के पौधे के बीज होते हैं। यह पौधा पुदीना के परिवार से संबंधित है। चिया बीज के पौधे मुख्‍य रूप से दक्षिण अमेरिका में पाये जात है। प्राचीन समय से ही आयुर्वेद में पौरूष शक्ति को बढ़ाने के लिए चिया बीज को औषधी के रूप में उपयोग किया जा रहा है। चिया बीज में ओमेगा -3 फैटी एसिड के साथ ही अन्य आवश्यक फैटी एसिड, और एंटी इंफ्लामेटरी गुण होते हैं। इसके अलावा चिया बीज में जस्ता में भी उच्च मात्रा में होता है। जिसके कारण यह पुरुषों के शरीर में टेस्‍टोस्‍टेरोन के स्‍तर को बढ़ाने में सहायक होता है।
जिन पुरुषों को यौन कमजोरी का अनुभव होता है उन्‍हें सबसे पहले अपने डॉक्‍टर से निश्चित करना चाहिए कि उनके शरीर में टेस्‍टोस्‍टेरोन का उचित स्‍तर है या नहीं। यदि टेस्‍टोस्‍टेरोन के स्‍तर में कमी होती है तो आप आयुर्वेदिक उपचार के रूप में चिया बीज का नियमित सेवन कर सकते हैं।
अश्वगंधा
अश्वगंधा को विथानिया सोम्निफेरा (Withania somnifera) के रूप में भी जाना जाता है। अश्वगंधा एक और जड़ी बूटी है जिसका उपयोग प्राचीन भारतीय चिकित्‍सा पद्धति में किया जाता है। अश्वगंधा का उपयोग मुख्‍य रूप से एक एडेपोजेन (adaptogen) के रूप में किया जाता है। जिसका मतलब यह है कि अश्वगंधा आपके तनाव, चिंता और थकान को कम करने में सहायक है। एक अध्‍ययन के अनुसार प्रजनन क्षमता में कमी वाले लोगों में नियमित रूप से अश्वगंधा का सेवन करने पर शुक्राणुओं की संख्‍या और क्षमता दोनों पर सकारात्‍मक प्रभाव होता है। ऐसे लोगों को नियमित रूप से 3 माह तक प्रतिदन 5 ग्राम अश्वगंधा चूर्ण का सेवन करना चाहिए। ऐसा करने पर पुरुषों के शरीर में 10 से 22 प्रतिशत तक टेस्‍टोस्‍टेरोन के स्‍तर में वृद्धि हो सकती है।
अदरक
सदियों से लोग आयुर्वेदिक उपचार के लिए अदरक का उपयोग कर रहे हैं। कच्‍चे अदरक का सेवन करने पर टेस्‍टोस्‍टेरोन के स्‍तर में वृद्धि हो सकती है। नियमित रूप से अदरक का सेवन पुरुषों की प्रजनन क्षमता को बढ़ाने में सहायक होता है। अध्‍ययनों से पता चलता है कि औषधीय मसाले के रूप में अदरक का उपयोग प्रजनन क्षमता में सुधार कर सकता है। 2012 में हुए एक अध्‍ययन के अनुसार 3 माह तक दैनिक आधार पर अदरक का सेवन करने से पुरुषों की प्रजनन क्षमता में 17.7 प्रतिशत तक वृद्धि होती है। पुरुषों की यौन शक्ति में वृद्धि टेस्‍टोस्‍टेरोन के स्‍तर के वृद्धि के रूप में होती है। यदि आप भी कम टेस्‍टोस्‍टेरोन की समस्‍या से परेशान हैं तो अदरक को कई प्रकार से अपने आहार में श‍ामिल कर लाभ प्राप्‍त कर सकते हैं।


अनार

अनार प्रजनन क्षमता बढ़ाने के लिए सबसे अच्‍छी औषधी माना जाता है। अनार में मौजूद एंटीऑक्‍सीडेंट तनाव में कमी करने और हृदय स्‍वास्‍थ्‍य को बढ़ाने में सहायक होते हैं। 2012 में हुए एक अध्‍ययन के अनुसार पुरुषों और महिलाओं में टेस्‍टोस्‍टेरोन के स्‍तर को बढ़ाने में अनार बहुत ही प्रभावी है। अध्‍ययन में 60 लोगों को नियमित रूप से 14 दिनों तक अनार का जूस पिलाया गया। साथ ही शोधकर्ताओं ने इन लोगों की लार में 3 बार टेस्‍टोसटेरोन की जांच की। अध्‍ययन से पता चला कि पर्याप्‍त मात्रा में अनार का जूस पीने के कारण पुरुषों और महिलाओं में लगभग 24 प्रतिशत तक टेस्‍टेस्‍टोरोन के स्‍तर में वृद्धि हुई। साथ ही उनके मूड और रक्‍तचाप में भी सुधार हुआ। इस तरह से अनार के रस का सेवन टेस्‍टोस्‍टेरोन के स्‍तर को बढ़ाने का सबसे आसान और प्रभावी तरीका है।
शिलाजीत
शिलाजीत हिमालय की पहाड़ियों में पाया जाता है और इसमें फुल्विक एसिड (Fluvic acid) होता है जो प्राकृतिक रूप से टेस्टोस्टेरोन के स्तर को बढ़ाने में मदद करता है। उच्च गुणवत्ता के शिलाजीत और निम्न गुणवत्ता के शिलाजीत में बहुत अंतर होता है। इसलिए आप अच्छे क्‍वालिटी के शिलाजीत का सेवन करें | यह टेस्टोस्टेरोन बढ़ाने में मदद करता है
प्‍याज
हृदय स्‍वास्‍थ्‍य को बढ़ावा देने और वजन कम करने के अलावा भी प्‍याज के अन्‍य स्‍वास्‍थ्‍य लाभ होते हैं। प्‍याज में बहुत से पोषक तत्‍व और खनिज पदार्थों की उच्‍च मात्रा होती है साथ ही प्‍याज में एंटीऑक्‍सीडेंट भी भरपूर मात्रा में होते हैं। नियमित रूप से उपभोग करने पर प्‍याज टेस्‍टोस्‍टेरोन के निम्‍न स्‍तर को बढ़ाने में सहायक होते हैं। एक अध्‍ययन के अनुसार नियमित रूप से 4 सप्ताह तक प्‍याज के रस का सेवन करने से सीरम और कुल टेस्‍टोस्‍टेरोन के स्‍तर में वृद्धि करता है। यदि आप भी कम टेस्‍टोस्‍टेरोन संबंधी समस्‍या से जूझ रहे हैं तो प्‍याज के रस का सेवन कर सकते हैं।
जैतून तेल
जैतून का तेल एक प्रमुख खाद्य तेल है जिसमें हृदय रोग, कैंसर और अन्‍य स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं को रोकने की क्षमता होती है। जैतून के तेल में मोनोअनसैचुरेटेड वसा और विटामिन ई की अच्‍छी मात्रा होती है। साथ ही इसमें कई प्रकार के एंटीऑक्‍सीडेंट होते हैं जो शरीर की कोशिकाओं को फ्री रेडिकल्‍स के प्रभाव से बचाते हैं। इसके अलावा शुद्ध जैतून का तेल पुरुषों की प्रजनन क्षमता को बढ़ाने में भी सहायक होता है। एक अध्‍ययन के अनुसार नियमित रूप से जैतून के तेल का सेवन पुरुषों में सीरम टेस्‍टोस्‍टेरोन के स्‍तर को बढ़ा सकता है। जैतून के तेल का सेवन करने वाले लोगों में ल्‍यूटिनाइजिंग हार्मोन में वृद्धि करता है। जो कि टेस्‍टोस्‍टेरोन के उत्‍पादन को बढ़ाता है।
गोखरू
इस जड़ी बूटी को पंचर बेल भी कहा जाता है, टेस्टोस्टेरोन बढ़ाने के लिए सदियों से इसका उपयोग हो रहा है, विशेष रूप से चीन और भारत में, और माना जाता है कि यह टेस्टोस्टेरोन के स्तर को बढ़ावा देता है। इस जड़ी बूटी का सेवन यौन इच्छा को बढ़ावा देने, खेल समारोह में सुधार और स्तंभन दोष का इलाज करने में मदद करने के लिए भी माना जाता है
 टेस्टोस्टेरोन का स्तर बढ़ाने के टिप्स 
* तनाव- तनाव चाहे किसी भी कारण से हो ,यह आपके शारीरिक विकास में एक से अधिक बाधाएं खड़ी कर सकता है। जब आप बहुत ज्यादा तनाव में होते हैं, तो आपके शरीर में अधिक मात्रा में हार्मोन स्रावित होते हैं। ये हार्मोनस शरीर में टेस्टोस्टेरोन को बढ़ने से रोकते हैं। ध्यान जैसी सरल और प्रभावशाली तकनीक तनाव से लड़ने में आपकी मदद करेगी।


* कम करें मीठे का सेवन –
मीठा कम खाएं, क्योंकि शरीर में शर्करा के स्तर के बढ़ने से इंसुलिन का स्तर बढ़ता है। जब आप मीठा खाते हैं तो आपके शरीर में टेस्टोस्टेरोन का स्तर अपने आप कम हो जाता है। इस हार्मोन के स्रवण और शारीरिक विकास के लिए जितनी हो सके उतनी कम मीठी चीज़े खाएं।
*लम्बे समय तक कसरत न करें – कई अनुसंधानों से यह साबित हो चुका है अगर आप हर रोज बहुत तीव्रता से 45-75 मिनट के लिए कसरत करते हैं, तो इससे आपके शरीर में टेस्टोस्टेरोन के विकास मे बाधाएं पैदा हो सकती है। कसरत करते समय किसी पेशेवर ट्रेनर की सलाह लें इसे आपको काफी फायदा होगा।
*वजन करें कम – अगर आपका वजन बहुत ज्यादा है तो आपको कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। शरीर में ज्यादा चरबी, टेस्टोस्टेरोन के स्तर को बढ़ने से रोक सकती है। टेस्टोस्टेरोन के स्तर को बढ़ाने के लिए अपने वजन को कम करना जरूरी है |
*पूरी नींद – क्या आप भी देर रात तक टीवी देखते हैं ? लेकिन यहाँ आपको बताना जरुरी है की नींद का भी टेस्टोस्टेरॉन की प्रोडक्शन पर प्रभाव पड़ता है | आप कितने घंटे सोते है इसका प्रभाव आपके टेस्टोस्टेरोन हार्मोन की प्रोडक्शन पर पड़ता है |विशेषज्ञों के अनुसार रात में कम से कम 7-8 घंटों के लिए सोना चाहिए क्योकि शरीर में 70% टेस्टोस्टेरोन निद्रावस्था में उत्पन्न होता है।
*खनिज पदार्थों का सेवन – जिंक और मैग्नीशियम जैसे खनिज शरीर में टेस्टोस्टेरोन के स्तर को बढ़ाने में प्रमुख भूमिका निभाते हैं। अतः, पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन के उच्च स्तर को बनाएं रखने के लिए उन खाद्य पदार्थों का सेवन करना बहुत जरुरी है जो आपके शरीर में इन खनिजों की जरुरत को पूरा करते हैं।
*हाई प्रोटीन ब्रेकफास्‍ट – अंडा, हरी पत्‍तेदार सब्‍जी और नट्स खा कर अपने दिन की शुरुआत करें। कार्बोहाइड्रेट वाले ब्रेकफास्‍ट टेस्टोस्टेरोन के लेवल को गिराते हैं, जो कि सुबह सुबह हाई होते हैं।
* खूब पीए पानी – थोड़ी सी भी डिहाइड्रेशन टेस्टोस्टेरोन स्तर के लिए ठीक नहीं है | पानी की कमी से शरीर में कोर्टिसोल, (स्ट्रेस हार्मोन) का स्तर बढ़ता है | इसलिए हार्मोन्स की मात्रा में वृद्धि करने के लिए भरपूर मात्रा में पानी पीए |







चना और गुड के कमाल के फायदे

चना और गुड़ दोनों ही सेहत के लिए बहुत लाभदायक हैं। गुड़ में आयरन, सोडियम, विटामिन, पोटैशियम, मिनरल्स और कार्बोहाइड्रेट भरपूर मात्रा में पाया जाता है। आयरन शरीर में हेमोग्लोबिन बढ़ाने का काम करती है गुड़ का सेवन करने से खून भी साफ़ होता है। इसका प्रयोग रोग-प्रतिरोधक क्षमता में इजाफा करता है और यह खून से जुड़ी समस्याओं से हमारी रक्षा करता है। और इसी तरहे से चने में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, आयरन, कैल्शियम और विटामिन्स अधिक मात्रा में पाए जाते है। चना शुगर, खून की कमी दूर करता है।
क्या आप जानते हैं कि अगर कोई व्यक्ति रोजाना इनका इस्तेमाल करता है तो आपका शरीर न केवल सेहतमंद रहेगा बल्कि आप सभी प्रकार के गुप्त रोगों से भी दूर रहेंगे। भुने चने खाने से शरीर को काफी फायदा मिलता है। बस आपको ध्यान ये रखना है कि जो भुना चना आप खा रहे हैं वह बिना छिलके वाला हो। भुने चने को अगर चबा-चबाकर खाया जाएं तो यह पुरुषों के शरीर से जुड़ी कई समस्याओं को दूर करते हैं और इसके साथ गुड़ का सेवन आपको और अधिक ताकत प्रदान करेगा।
गरीबों का बादाम कहे जाने वाले भुने चने में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, आयरन और विटामिन भरपूर मात्रा में पाया जाता है। भूने चने के साथ गुड़ का भी सेवन शरीर के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है। अगर आप भी इनके स्वास्थ्य लाभ से अंजान है तो हम इन दोनों के सेवन से होने वाले 6 स्वास्थ्य लाभ के बारे में आपको बताने जा रहे हैं।

मोटापा कम करने में मिलती है मदद


भुने चने के रोजाना सेवन से मोटापा कम करने में काफी मदद मिलती है क्योंकि भुने चने खाने से अतिरिक्त चर्बी घटती है और तेजी से वजन कम होने लगता है। मोटापे से जूझ रहे लोगों को भुने चने खाने चाहिए क्योंकि ये उनके लिए बहुत ही फायदेमंद होते हैं।

पाचन क्रिया को बेहतर बनाता है गुड़ और चना

अगर किसी की पाचन क्रिया सही नहीं है या फिर पेट खराब रहता है, जिसके कारण उन्हें कब्ज और एसिडिटी की समस्या हो सकती है, इससे बचने के लिए उन्हें गुड़ और भूने चने खाने चाहिए क्योंकि इसमें मौजूद फाइबर उनकी पाचन शक्ति को ठीक रखने में मदद करता है।

नंपुसकता दूर करने में फायदेमंद गुड़ और चना

भुने चना और गुड़ एक साथ खाने से न केवल आपकी ताकत बरकरार रहती है बल्कि उसमें वृद्धि भी होती है। दूध के साथ भुना चना खाने से स्पर्म का पतलापन दूर हो जाता है और वह गाढ़ा हो जाता है। अगर कोई व्यक्ति इस तरह की परेशानी झेल रहा है तो चना खाना उसके लिए काफी फायदेमंद साबित होगा। शहद के साथ भुना चना खाने से नंपुसकता भी दूर होती है और पुरुषत्व में वृद्धि होती है। इतना ही नहीं गुड और भुने चना खाने से कुष्ठ रोग भी दूर होता है।

पेशाब संबंधी रोगों को दूर करता है गुड़ और चना

अगर आप पेशाब संबंधी रोगों जैसे पेशाब में जलन या फिर पेशाब रुक-रुक कर आना तो आप भुना हुआ चना खाएं। आप चने को खूब चबा चबा कर खाए, जिससे पेशाब संबंधित कई समस्याएं आसानी से ठीक हो जाती हैं।

शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है गुड़ और भुना चुना

शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने पर अक्सर हम बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं। रोजाना भुना चना खाने से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और हम बीमारियों से दूर रहते हैं। रोजाना नाश्ते में 50 ग्राम भुने चुने, गुड़ के साथ खाने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में भारी इजाफा होता है, जिसके कारण बीमारियां हमसे दूर रहते हैं। अक्सर बदलते मौसम में ऐसी दिक्कतें सामने आती है इसलिए भुना चुना और गुड़ आपके लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है।
चेहरा पर निखार लाता है गुड़ और भुना चुना
वे पुरुष, जो अपने चेहरे पर दाग से परेशान हो चुके हैं उन्हें रोजाना गुड़ और चने का सेवन करना चाहिए। इन्हें खाने से त्वचा में निखार आता है और उनके चेहरे की चमक बढ़ती है। इतना ही नहीं वे पहले से ज्यादा स्मार्ट भी दिखाई देने लगते हैं।

और भी फायदे हैं गुड के साथ चने खाने के-

*गुड़ और चने में कैल्शियम बहुत अधिक होता है जो हड्डियों को मजबूत बनाता है। इसके लगातार सेवन करने से हड्डियों से सम्बंधित रोगो में काफी लाभ होता है। गठिया रोग में भी यह लाभकारी माना जाता है।
* गुड़ और चना खाने से एनीमिया की समस्या ठीक होती है और शरीर में भरपूर ऊर्जा का संचार होता है। इसका सेवन करने से थकावट और कमजोरी दूर होती है।
* चना और गुड़ का सेवन करने से दांत मजबूत होते हैं। इनमे पाए जाने वाला फॉस्फोरस दांतो के लिए बहुत ही लाभकारी माना जाता है।
* चना और गुड़ में जिंक पाया जाता है। इसका सेवन करने से चेहरे की त्वचा में निखार और दमक बढ़ने लगती है।
* चना और गुड़ में विटामिन B 6 पाया जाता है जो दिमाग को शार्प करने में मदद करता है।
* महिलाओं के लिए भी चना गुड़ बहुत ही लाभकारी माना जाता है। गुड़ में आयरन भरपूर मात्रा में होता है और चने में बड़ी मात्रा में प्रोटीन होता है जो महिलाओं में होने वाली रक्त की कमी को आसानी से दूर करता है।
* चना और गुड़ में फाइबर की मात्रा कब्ज और एसिडिटी से बचाव करती है और पाचन क्रिया को दुरुस्त करता है।
*चना और गुड़ शरीर का मैटाबॉलिज्म दुरुस्त करता है। इसका सेवन लगातार करने से मोटापा कम होने लगता है।
*चना और गुड़ में पोटाशियम पाया जाता है जो दिल के रोगो से बचाव करने में मदद करता है। इसलिए इसका सेवन ह्रदये रोगियों के लिए अच्छा माना जाता है।
* गुड़ और चना प्रोटीन से भरपूर होता है इसलिए इसका सेवन करने से मसल्स मजबूत बनते है।

13.8.19

पेट में गैस के आयुर्वेदिक ,घरेलू समाधान



पेट से संबंधित कई तरह की समस्याओं में पेट में गैस बनना एक आम समस्या है। छोटी उम्र से लेकर युवाओं और बुजुर्गों तक, हर उम्र के व्यक्ति को कभी न कभी इस समस्या का सामना करना पड़ा है। पेट में गैस बनने के कई कारण हो सकते हैं जैसे अत्यधिक भोजन करना, ज्यादा देर तक भूखे रहने, तीखा या चटपटा भोजन करना, ऐसा भोजन करना जो पचने में कठि‍न हो, ठीक तरीके से चबाकर न खाना, ज्यादा चिंता करना, शराब पीना, कुछ बीमारियों व दवाओं के सेवन के कारण भी पेट में गैस सकती है।
अस्वस्थ खान-पान और गलत दिनचर्या की वजह से पेट में गैस बनने की समस्या लगभग हर किसी को है। आए दिन लोगों को पेट में गैस बनने लगती है। विशेषज्ञों के अनुसार गैस बनना या पेट फूलना एक सामान्य बात है। ज्यादातर लोगों के साथ यह समस्या है। लेकिन अगर आप नियमित रूप से इससे पीडि़त हैं, तो यह लैक्टोज असहिष्णुता, हार्मोनल असंतुलन या किसी प्रकार की आंत्र रूकावट जैसे गंभीर विकार का संकेत भी हो सकता है। पेट में गैस की समस्या से बचने के लिए दवाओं के बजाय प्राकृतिक व आयुर्वेदिक उपायों का सहारा लेना अच्छा होता है। 
पेट में गैस या अपच कोई बीमारी नहीं है, बल्कि ये पाचन क्रिया का ही एक हिस्सा है। यह एक ऐसी स्थिति है, जहां आपके पाचन तंत्र में अतिरिक्त गैस जमा हो जाती है। पेट में गैस बनने की समस्या से निपटने के लिए ये समझना जरूरी है कि ऐसा होता क्यों है। गैस आपके पाचन तंत्र में दो तरह से जमा हो सकती है। भोजन करते या पीते समय आप हवा को निगलते हैं, जिससे ऑक्सीजन और नाइट्रोजन आपके शरीर में प्रवेश करती है। दूसरा महत्वपूर्ण कारण है, जब आप भोजन को पचाते हैं, तब हाइड्रोजन, मीथेन और कार्बन डाइऑक्साइड जैसी गैसें उत्सर्जित होती हैं और पेट में जमा हो जाती हैं। यदि यह ज्यादा मात्रा में है, तो बहुत असुविधा पैदा कर सकती है।
पेट में गैस या अपच होना काफी कुछ आपके दैनिक भोजन विकल्पों पर भी निर्भर करता है। खासतौर से सेम, पत्तागोभी, छोले या दाल जैसे खाद्य पदार्थ आसानी से पच नहीं पाते हैं। ये बृहदांत्र से गुजरते हैं, जिसमें बहुत सारे बैक्टीरिया होते हैं, जो गैसों को जारी करते समय भोजन को तोड़ने में मदद करते हैं, जिससे आप असहज महसूस कर सकते हैं। कुछ मामलों में गैस गुदा से होकर गुजरती है, तो उस पर मौजूद बैक्टीरिया सल्फर मिलाते हैं, जिससे गैस में गंध बढ़ जाती है। पेट में गैस कभी-कभी दर्द के साथ हो सकती है या नहीं भी हो सकती। 
पेट की गैस की समस्या से बचने के लिए दवा लेना सही है, लेकिन इससे समस्या जड़ से खत्म नहीं होगी। इसके लिए अच्छा है कि आप घरेलू उपायों को अपनाएं। इसके दो फायदे हैं। एक तो यह आपके घर में ही मौजूद हैं, जिससे आपका जेब खर्च नहीं बढ़ेगा, वहीं अन्य दवाओं की तरह इसके कोई साइड इफेक्ट भी नहीं है। तो नीचे जानते हैं पेट की गैस को भगाने के कुछ असरदार घरेलू नुस्खों के बारे में।


जीरे का पानी

जीरा पानी गैस्ट्रिक या गैस की समस्या को जड़ से खत्म करने का सबसे अच्छा आयुर्वेदिक उपाय है। दरअसल, जीरे में मौजूद आवश्यक तेल, लार ग्रंथियों को उत्तेजित कर भोजन के बेहतर पाचन में मददगार होता है। इसके साथ ही यह अतिरिक्त गैस बनने से रोकता भी है। अगर आप पेट की गैस से राहत पाना चाहते हैं, तो 1 चम्मच जीरा को दो कप पानी में 10-15 मिनट के लिए उबालें। इसे ठंडा होने दें और खाना खाने के बाद इस पानी को पीएं। ऐसा करने से पेट में गैस की समस्या का समाधान जल्दी हो जाएगा।
अजवाइन
आयुर्वेद में अजवाइन को बहुत असरदार बताया गया है। पेट की गैस के लिए अजवाइन बहुत अच्छा आयुर्वेदिक उपचार है। अगर आपके पेट में गैस बन जाती है, तो गर्म पानी के साथ एक चम्मच अजवाइन लें, इससे एसिडिटी से तुरंत राहत मिल जाएगी। दरअसल, अजवाइन में थाइमोल नामक एक यौगिक होता है, जो गैस्ट्रिक रस को स्त्रावित करता है, जो पाचन में आपकी मदद करता है। अगर आपको गैस की समस्या अक्सर ही रहती है, तो आप रोजाना दिन में कभी भी एक बार इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। आप पहले से बेहतर महसूस करेंगे।
अदरक
अगर आपके पास में जब चाहे गैस बनती है, तो अदरक एक बेहतर आयुर्वेदिक दवा है। पेट में गैस की समस्या से बचने के लिए एक चम्मच ताजा अदरक को किस लें और इसे एक चम्मच नीम्बू के रस के साथ खाना खाने के बाद लें। गैस से राहत पाने के लिए अदरक की चाय पीना भी एक प्रभावी घरेलू उपाय है। आपको बता दें कि अदरक एक नेचुरल कार्मिनेटिव एजेंट (पेट फूलने से राहत देने वाला एजेंट के रूप में कार्य करता है) है। इसलिए पेट में गैस से बचने के लिए अपनी दिनचर्या में भी आप अदरक का इस्तेमाल कर सकते हैं।
नींबू का रस
पेट में बनने वाली ज्यादा गैस को कम करने के लिए नींबू का रस और बेकिंग सोडा एक सरल उपाय है। गैस की समस्या से राहत पाने के लिए 1 चम्मच नींबू का रस और आधा चम्मच बेकिंग सोडा को एक कप पानी में घोलें। खाना खाने के बाद इसे पीएं। बता दें कि यह कार्बन डाईऑक्साइड बनाने में आपकी मदद करता है, जिससे पाचन प्रक्रिया भी सुगम बनती है।
इलायची
कई लोगों को खाना खाने के तुरंत बाद गैस बनने लगती है, जिससे उनका पेट फूलने लगता है। कई लोगों को इस दौरान बेचैनी भी होने लगती है। गैस को चुटकियों में भगाने के लिए इलायची बेहतर आयुर्वेदिक व घरेलू उपाय है। इसका इस्तेमाल करने के लिए एक पिसी हुई इलायची को हींग, सूखे अदरक और काले नमक के साथ पांच ग्राम के बराबर अनुपात में मिलाएं। अगर आपको पेट में गैस अक्सर बनती है, तो इस मिश्रण को दिन में दो से तीन बार गुनगुने पानी के साथ लें। गैस बनने से रूक जाएगी और आपको राहत महसूस होगी।
पुदीना
पेट में यदि गैस बन रही हो, तो तुरंत पुदीने का देसी नुस्खा अपना लें। ये तो सभी जानते हैं कि पुदीना सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इसका सेवन कर लिया जाए, तो बहुत सी परेशानियों से निजात पाई जा सकती है। अगर आपके पेट में गैस बनती है, तो पुदीने का जूस या पुदीने की चटनी खाएं। बहुत आराम मिलेगा।
सेब का सिरका
सही समय पर खाना न खाने से भी पेट में गैस की समस्या बनी रहती है। इसके लिए सेब का सिरका बेहतर घरेलू उपचार माना जाता है। इसका इस्तेमाल करने के लिए गुनगुने पानी में दो चम्मच सेब का सिरका मिलाकर पीएं। स्वाद में थोड़ा खट्टा जरूर लगेगा, लेकिन गैस से तुरंत आराम दिलाने के लिए ये बहुत अच्छा उपाय है।
हींग
आपके किचन में मौजूद हींग गैस की समस्या से निपटने का रामबाण इलाज है। पेट में गैस बनने पर आधा चम्मच हींग को गर्म पानी के साथ मिलाएं और पी लें। हींग एक एंटी फ्लैटुलैंट के रूप में कार्य करता है, जो पेट में अतिरिक्त गैस उत्पन्न करने वाले आंत बैक्टीरिया के विकास को रोकता है। आयुर्वेद के अनुसार हींग, शरीर के वात दोष (वायु से उत्पन्न होने वाला दोष) को संतुलित करने में मदद करता है। जब कोलोन में वात बढ़ जाता है, तो गैस का निर्माण होता है।


छाछ

पेट में गैस बनना यूं तो आम समस्या, लेकिन नियमित रूप से अगर ये समस्या हो, तो आप छाछ पीकर घर में इसका इलाज कर सकते हैं। दोपहर के खाने के बाद एक गिलास छाछ में भुना हुआ जीरा और सूखा हुआ अदरक पाउडर मिलाकर पीने से इस बीमारी को ठीक करने में मदद मिलेगी।
सौंफ के बीज चबाएं
आपने देखा होगा कि हर इंडियन रेस्टोरेंट में खाने के बाद सौंफ सर्व की जाती है। ऐसा इसलिए क्योंकि सौंफ के बीजों को पेट में गैस को बनने से रोकने और पाचन में सुधार करने के लिए जाना जाता है। इसलिए खाने के बाद हमेशा एक से दो चुटकी सौंफ का सेवन जरूर करें। पेट में गैस कभी नहीं बनेगी।
हींग, काली मिर्च का पेस्ट
पेट में गैस या एसिडिटी होने पर कई बार सबके सामने शर्मिंदा भी होना पड़ता है। अब आप इस समस्या से जल्द से जल्द निजात चाहते हैं, तो हींग और काली मिर्च एसिडिटी या कब्ज की समस्या से राहत पाने की घरेलू मेडिसिन है। इसे बनाने के लिए काली मिर्च, सोंठ लें। दोनों को पीसकर एक बारीक चूर्ण बना लें। मिश्रण में एक ग्राम हींग और दो ग्राम सेंधा नमक मिलाएं। इसमें पानी की कुछ बूंद डालें और पतला सा पेस्ट बनाएं। इस पेस्ट को पैन में डालकर थोड़ा गर्म करें और पेट पर लगाएं। दो घंटे तक इसे पेट पर लगा रहने दें और फिर पानी से साफ कर लें। इस पेस्ट को आप गैस बनने पर कभी भी लगा सकते हैं। तुरंत आराम मिलेगा।
त्रिफला
हर्बल पाउडर त्रिफला भी कब्ज या गैस की समस्या से निपटने में काफी मददगार है। जब भी आपको गैस की शिकायत हो, आधा चम्मच त्रिफला को पानी में 5-10 मिनट के लिए उबालें और सोने से पहले इसे पी लें। इस मिश्रण के सेवन की मात्रा का बेहद ध्यान रखें, क्योंकि इसमें हाई फाइबर होता है। अगर आप इसे अधिक मात्रा में ले लेते हैं, तो यह सूजन का कारण भी बन सकता है।
लहसुन
लहसुन पेट में गैस बनने की समस्या का समाधान आसानी से कर सकता है। इसे कई तरह से उपयोग लाया जा सकता है। आप चाहें तो इसे आग में भूनकर या फिर जूस बनाकर या फिर खाने में डालकर भी खा सकते हैं। जिन लोगों की कब्ज की समस्या आए दिन बनी रहती है, उन्हें कच्चा लहसुन खाना चाहिए। ऐसा करने से बहुत जल्दी आराम मिलता है और कब्ज की समस्या बार-बार नहीं होती।
लौंग
पेट में गैस की समस्या कितनी भी पुरानी क्यों न हो, लौंग इसके लिए बहुत फायदेमंद है। लौंग को अगर शहद के साथ लिया जाए, तो इससे कब्ज की समस्या से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा आप चाहें, तो लौंग को चूसने से भी गैस की परेशानी आपको नहीं होगी।
दालचीनी
दालचीनी पेट को हल्का करती है और गैस की समस्या से राहत दिलाती है। बता दें कि दालचीनी गैस्ट्रिक एसिड और पेप्सिन के स्त्राव को पेट की वॉल्स से दूर करती है, जिससे गैस नहीं बनती। दालचीनी का इस्तेमाल आप दो तरह से कर सकते हैं। पहला तो एक कप गर्म दूध में आधा चम्मच दालचीनी पाउडर मिलाएं और पी जाएं। आप चाहें तो स्वाद के लिए इसमें शहद मिला सकते हैं। इसके अलावा आप चाहें तो दालचीनी की चाय बनाकर पी सकते हैं। इसे बनाने के लिए एक कप गर्म पानी में आधा चम्मच दालचीनी पाउडर मिलाएं। पांच मिनट तक इसे पानी में उबलने दें। उबलने के बाद मिश्रण को ठंडा होने दें और फिर पी लें। गैस बनना तुरंत बंद हो जाएगी।


और भी उपाय हैं पेट की गैस के

1. नीबू के रस में 1 चम्मच बेकिंग सोडा मिलाकर सुबह के वक्त खाली पेट पिएं।
2. काली मिर्च का सेवन करने पर पेट में हाजमे की समस्या दूर हो जाती है।
3. आप दूध में काली मिर्च मिलाकर भी पी सकते हैं।
4. छाछ में काला नमक और अजवाइन मिलाकर पीने से भी गैस की समस्या में काफी लाभ मिलता है।
5. दालचीनी को पानी मे उबालकर, ठंडा कर लें और सुबह खाली पेट पिएं। इसमें शहद मिलाकर पिया जा सकता है।
6. लहसुन भी गैस की समस्या से निजात दिलाता है। लहसुन को जीरा, खड़ा धनिया के साथ उबालकर इसका काढ़ा पीने से काफी फादा मिलता है। इसे दिन में 2 बार पी सकते हैं।
7. दिनभर में दो से तीन बार इलायची का सेवन पाचन क्रिया में सहायक होता है और गैस की समस्या नहीं होने देता।
8. रोज अदरक का टुकड़ा चबाने से भी पेट की गैस में लाभ होता है।
9. पुदीने की पत्तियों को उबाल कर पीने से गैस से निजात मिलती है।
10. रोजाना नारियल पानी सेवन करना गैस का फायदेमंद उपचार है।
11. इसके अलावा सेब का सिरका भी गर्म पानी में मिलाकर पीने से लाभ होगा।
12. इस सभी उपचार के अलावा सप्ताह में एक दिन उपवास रखने से भी पेट साफ रहता है और गैस की समस्या पैदा नहीं होती।

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