19.7.18

फलों के छिलके मे छुपा है सेहत का राज:Secrets of health in fruit peels


                                                 

फलों और सब्जियों से कहीं अधिक पौष्टिक और फायदेमंद उनके छिलके होते हैं। फलों तथा सब्जियों को छिलके समेत खाना अत्यधिक स्वास्थ्यवर्धक होता है।

फलों के छिलके
हम फलों का सेवन करने के बाद उनके छिलकों फेंक देते हैं। अगर आपकी भी यहीं आदत है तो इसे बदल दीजिए। फलों के साथ इसके छिलके भी बेहद गुणकारी तथा औषधीय तत्वयुक्त पौष्टिक होते है। कई फलों के छिलके शरीर कीप्रतिरोधी क्षमता को बढ़ाते हैं। सभी फलों को छिलकों सहित नहीं खाया जा सकता है। इसके लिए उन्हें उतारने के बाद गूदों को खा जाएं और छिलकों को पानी में उबालकर चाय की तरह सेवन करें।

संतरे का छिलका

लगभग सभी एंटी कोलेस्ट्रोल यौगिक संतरे के छिलके में पाए जाते हैं। ये यौगिक हमारे शरीर में एलडीएल या बुरे कोलेस्ट्रोल से लड़ने में सहायक होते हैं। ये कोलेस्ट्रोल हृदय की धमनियों में थक्के और प्लाक जमने का कारण होते हैं। अत: अपने आहार में संतरे के छिलके शामिल करके आप अपने शरीर में कोलेस्ट्रोल के स्तर को कम कर सकते हैं।
पपीते का छिलका
पपीते के छिलके सौंदर्यवर्धक माने जाते हैं। पपीते को खाने से पेट की समस्याओं का निदान होता है। लेकिन इसकसे छिलके को धूप में सुखाकर बरीक पीस लें और ग्लिसरीन में मिलाकर लेप बनायें और चेहरे पर लगायें। इससे चेहरे की खुसकी दूर होगी और चेहरे पर चमक आयेगी। त्वचा पर लगाने से खुश्की दूर होती है। एड़ियों पर लगाने से वे मुलायम होती हैं।
केला का छिलका
केले के छिलके में सेरोटोनिन हार्मोन को सामान्य बनाए रखने के गुण मौजूद होते हैं। यह हार्मोन खुश रहने के लिए जरूरी होता है। केले के छिलकों में भरपूर मात्रा में पोषक तत्व और कार्बोहाइड्रेट होते हैं। इसमें विटामिन बी-6, बी-12, मैगनीशियम, कार्बोहाइड्रेट, एंटीऑक्सीडेंट, पोटेशियम, मैगनीशियम और मैंगनीज जैसे पोषक तत्व होते हैं जो मेटाबॉलिज्म के लिए बेहद उपयोगी होते हैं।
बेरी-अंगूर
अंगूर के छिलकों में कोलैस्ट्रोल घटाने की क्षमता है । इसलिए मिक्सर में अंगूर व बेरी का जूस तैयार कर पीने के बजाय उन्हें चूसकर खाना चाहिए । जूस बनाने से उनके छिलकों में विद्यमान पौष्टिक तत्व पिसकर नष्ट हो जाते हैं ।इसी प्रकार अमरूद के छिलकों में एंटीआक्सीडैंट गूदे से अधिक मात्रा में पाया जाता है
अनार का छिलका
अनार के छिलकों में भी एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो त्वचा को मुंहासों व संक्रमण से दूर रखने में मदद करते हैं। इसके छिलके को सुखाकर तवे पर भुन लें। ठंडा होने पर मिक्सर में पीसे और पैक की तरह चेहरे पर लगाएं। मुंहासे दूर होंगे। इसके साथ ही छिलके को मुंह में रखकर चूसने से खांसी का वेग शांत होता है। अनार के छिलके के बूरादे को बारीक पीसकर उसमें दही मिलाकर गाढ़ा पेस्ट बनाकर सिर पर लगाने से बाल मुलायम होते हैं।
सेब
सेब के छिलकों में इतने अधिक पोषक तत्व हैं के ये सेहत से जुड़ी कई समस्याओं को दूर कर सकता है। इसलिए ही डॉक्टर सेब को बिना छीले खाने की सलाह देते हैं।सेब के छिलकों में मौजूद क्यूरसेटिन नामक तत्व सांसों से संब‌िधित दिक्कतों जैसे दमा आदि से बचाव में काफी मददगार है। सेब के छिलकों में युरसोलिक एसिड अच्छी मात्रा में होता है जो शरीर में ब्राउन फैट्स की मात्रा बढ़ाता है जिससे फैट्स बर्न होता है और वेट लॉस आसान हो जाता है।


















































16.7.18

चक्कर आने के घरेलू आयुर्वेदिक उपचार

                                                                               
अधिक शारीरिक निर्बलता के कारण सिर में चक्कर आने का रोग होता है। रक्ताल्पता के रोगी चक्कर आने की विकृति से अधिक पीड़ित होते हैं। रोगी बैठे-बैठे अचानक उठकर खड़ा होता है तो उसकी आंखों के आगे अंधेरा छा जाता है और सिर में चक्कर आने लगते हैं।
चक्कर क्यों आता है?
 रोग की उत्पत्ति : 
मानसिक तनाव की अधिकता के कारण चक्कर आने की विकृति हो सकती है। सिर पर चोट लगने से स्नायुओं में रक्त का अवरोध होने से चक्कर आने की उत्पत्ति हो सकती है। रक्ताल्पता होने पर जब शरीर में रक्त की अत्यधिक कमी हो जाती है तो मस्तिष्क को पर्याप्त रक्त नहीं मिल पाता और ऐसे में सिर में चक्कर आने लगते हैं।

नीम के पत्ते खाने के फायदे 

निम्न रक्तचाप अर्थात लो ब्लड प्रेशर में भी सिर चकराने की विकृति हो सकती है। चिकित्सकों के अनुसार कान में विषाणुओं के संक्रमण से, मस्तिष्क के स्नायुओं को हानि पहुंचने पर चक्कर आने की विकृति हो सकती है।


अत्यधिक मानसिक काम करने वाले स्त्री-पुरुषों को जब पर्याप्त मात्रा में पौष्टिक आहार नहीं मिल पाता तो वे सिर में चक्कर आने की विकृति से पीड़ित होते हैं।

चक्कर के लक्षण क्या है?

लक्षण : रोगी को उठकर खड़े होने पर नेत्रों के सामने कुछ पलों के लिए अंधेरा छाने की विकृति होती है। कभी-कभी नेत्रों के सामने सितारे नाचने लगते हैं। सिर चकराने पर रोगी अपने को लड़खड़ाकर गिरता हुआ अनुभव करता है और आस-पास की दीवार या अन्य वस्तु का सहारा लेता है। अधिक शारीरिक निर्बलता होने पर रोगी लड़खड़ाकर गिर पड़ता है। रक्ताल्पता की अधिकता होने पर सिर चकराने पर रोगी को गिर जाने की अधिक आशंका रहती है। अधिक व्रत-उपवास के कारण भी स्त्री-पुरुषों के चक्कर आने से लड़खड़ाकर गिर पड़ने की स्थिति बन जाती है।

मलेरिया की जानकारी और विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों से इलाज  

हिस्टीरिया और मिर्गी रोग में भी सिर चकराने की विकृति होती है और फिर रोगी पर बेहोशी का दौरा पड़ जाता है। अधिक चोट लगने पर रक्त निकल जाने पर रोगी खड़ा नहीं रह पाता और शारीरिक निर्बलता के कारण सिर में चक्कर आने से गिर पड़ता है। रक्त की कमी को पूरा करके रोगी को इस विकृति से सुरक्षित किया जा सकता है।

चक्कर आने पर पथ्य-

*प्रतिदिन भोजन में गाजर, मूली, खीरा, ककड़ी, चुकंदर का सलाद सेवन करें।
*शारीरिक निर्बलता के कारण चक्कर आने पर पौष्टिक खाद्य पदार्थ और मेवों का सेवन करें।
*हरी सब्जियों का अधिक मात्रा में सेवन करें।
*सब्जियों का सूप बनाकर पिएं।
*अंगूर, अनार, आम, सेब, संतरा, मौसमी आदि फलों का सेवन करें या रस पिएं।
*आंवले, फालसे, शहतूत का शरबत पीने से उष्णता नष्ट होने से चक्कर आने की विकृति नष्ट होती है।
*रात को 4-5 बादाम जल में डालकर रखें। प्रातः उनके छिलके उतार करके, बादाम पीसकर, दूध में मिलाकर सेवन करें।


गुर्दे की पथरी कितनी भी बड़ी हो ,अचूक हर्बल औषधि





*प्रतिदिन सुबह-शाम दूध का सेवन करें। दूध में घी डालकर पिएं।

*आंवले, सेब या गाजर का मुरब्बा प्रतिदिन खाएं और दूध पिएं।
*दूध में बादाम का तेल डालकर पिएं।
*सिर के बाल छोटे रखें और ब्राह्मी के तेल की मालिश करें।
*दाल-सब्जी में शुद्ध घी डालकर खाएं।
*हल्के उष्ण जल में नींबू का रस मिलाकर पीने से पेट की गैस नष्ट होने से चक्कर आने की विकृति नष्ट होती है।
*10-15 मुनक्के घी में तवे पर भूनकर खाएं और ऊपर से दूध पिएं।
*ग्रीष्म ऋतु में उष्णता के कारण चक्कर आने पर दिन में कई बार शीतल जल से स्नान करें।
*रक्ताल्पता के कारण निम्न रक्तचाप होने पर चक्कर आने पर अदरक व नमक का सेवन करें।
*टमाटर का सूप बनाकर सेवन करें।

पित्त पथरी (gallstone)  की अचूक औषधि 

*सुबह-शाम किसी पार्क में भ्रमण के लिए जाएं और हरी घास पर नंगे पांव चलें।

चक्कर आने पर अपथ्य-

*उष्ण मिर्च-मसालों व अम्लीय रसों से बने खाद्य पदार्थों का सेवन न करें।
*चाइनीज व्यंजन व फास्ट फूड न खाएं।
*एलोपैथी औषधियों के सेवन से चक्कर आने की विकृति हो तो उन औषधियों का सेवन न करें।
*चाय, कॉफी व शराब का सेवन न करें।
*मांस, मछली, अंडों का सेवन न करें।
*ग्रीष्म ऋतु में धूप में अधिक न घूमें।

*अरंडी के तेल के गुण और उपयोग

नीम के पत्ते खाने के फायदे 




5.7.18

मूत्र रुक-रुक कर आने के आयुर्वेदिक उपचार

                                         

मूत्र रुकावट के लक्षण


पेशाब  रुक-रुक कर आना प्राय: वृद्धावस्था की ही बीमारी है। इस रोग का प्रमुख कारण या तो मूत्र मार्ग में आया कोई अवरोध या मांसपेशियों पर शरीर के नियंत्रण में कमी होना होता है।

पेशाब रुकावट के घरेलू नुस्खे

खीराः

 ताजे परंतु कच्चे खीरे को काटकर नमक में मसल लें व कुछ बूंद नीबूमिलाकर खाएं, दो घंटे तक पानी न पीएं पेशाब की सारी रुकावटें समाप्त हो जाएंगी।

शलगमः 

पेशाब के रुक-रुककर आने पर शलगम व कच्ची मूली काटकर खानी चाहिए। इससे काफी लाभ होगा।

खरबूजाः 

खरबूजा खाने से खुलकर पेशाब आता है। परंतु इसे खाने के बाद भी दो घंटे तक पानी न पीएं।
नारियलः नारियल के सेवन से मूत्र संबंधी रोगों में काफी फायदा होता |


बेलः 

पांच ग्राम बेल के पत्ते, पांच ग्राम सफेद जीरा व पांच ग्राम सफेद मिश्री को मिलाकर पीस लीजिए। इस प्रकार तैयार चटनी को तीन-तीन घंटे के अंतराल के बाद खाएं। इससे खुलकर पेशाब आएगा।

आंवलाः

 आंवले को पीसकर पेडू पर लेप कर दें। कुछ ही मिनटों में खुलकर पेशाब आ जाएगा।
इसके अतिरिक्त मूत्र नलिकाओं के अवरुद्ध हो जाने, मूत्राशय की पथरी बढ़ जाने व अन्य शारीरिक विकारों के कारण भी मूत्रावरोध की समस्या खड़ी हो जाती है। इसमें रोगी विचलित व बेचैन हो उठता है। उसके मूत्राशय व जननेंद्रियों में तीव्र पीड़ा होने लगती है।

उपचार

नीबूः 

नीबू के बीजों को महीन पीसकर नाभि पर रखकर ठंडा पानी डालें। इससे रुका हुआ पेशाब खुल जाता है।

केलाः 

केले के तने का चार चम्मच रस लेकर उसमें दो चम्मच घी मिलाकर पीएं। इससे बंद हुआ पेशाब तुरंत खुलकर आने लगता है। केले की जड़ के रस को गोमूत्र में मिलाकर सेवन करने से रुका हुआ पेशाब खुल जाता है। केले की लुगदी बनाकर उसका पेडू पर लेप करने से भी पेशाब खुल जाता है। यह काफी प्राचीन व मान्यता प्राप्त नुस्खा है।
नारियलः नारियल व जौ का पानी, गन्ने का रस व कुलथी का पानी मिलाकर पीने से पेशाब खुल जाता है।

 पीलापन


शहतूतः 

शहतूत के शरबत में थोड़ी शक्कर घोलिए और पी जाइए। इससे पेशाब का पीलापन दूर हो जाएगा।

संतराः

 पेशाब में जलन होने पर नियमित एक गिलास संतरे का रस पीएं।

अरंडीः 

अरंडी का तेल 25 से 50 ग्राम तक गरम पानी में मिलाकर पीने से भी 15-20 मिनट में ही रुका हुआ पेशाब खुल जाता है।

तरबूजः 

तरबूज के भीतर का पानी 250 ग्राम, 1 माशा जीरा व 6 माशा मिश्री को मिलाकर पीने से मूत्र का रुकना ठीक हो जाता है व रोगी को बहुत आराम मिलता है।


नीबूः

 नीबू की शिकंजी पीने से पेशाब का पीलापन दूर हो जाता है।

विशिष्ट परामर्श-



प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ने मे हर्बल औषधि सर्वाधिक कारगर साबित हुई हैं| यहाँ तक कि लंबे समय से केथेटर नली लगी हुई मरीज को भी केथेटर मुक्त होकर स्वाभाविक तौर पर खुलकर पेशाब आने लगता है| प्रोस्टेट ग्रंथि के अन्य विकारों (मूत्र    जलन , बूंद बूंद पेशाब टपकना, रात को बार -बार  पेशाब आना,पेशाब दो फाड़)  मे रामबाण औषधि है|  केंसर की नोबत  नहीं आती| आपरेशन  से बचाने वाली औषधि हेतु वैध्य श्री दामोदर से 98267-95656 पर संपर्क कर सकते हैं|





4.7.18

आँखों से धुंधला दिखने के कारण और उपचार: How to tackle Blurred vision

                                           
                                          


     आंखों से धुंधला दिखाई देना आंखों की रोशनी कम होने की वजह से हो सकती हैं। कंप्यूटर, स्मार्टफोन और टैबलेट ने हमारे लाइफ को आसान बना दिया है लेकिन इसका ज्यादा इस्तेमाल से आंखें धुंधली होने की समस्या बढ़ रही है।
    अगर विशेषज्ञों की बात की जाए तो आंख की यह समस्या उस स्थिति के कारण उत्पन होती है, जिसे हम कंप्यूटर विज़न सिंड्रोम के नाम से जानते हैं। कंप्यूटर विज़न सिंड्रोम आंखों और विजन से सम्बंधित समस्याओं का समूह है, जो लम्बे समय तक कंप्यूटर स्क्रीन देखने से उत्पन्न होता है। एक अध्ययन के मुताबिक दुनिया भर में 7 करोड़ से ज्यादा वर्कर्स को कंप्यूटर विजन सिंड्रोम का खतरा है। कोई भी व्यक्ति जो 3 घंटे से ज्यादा कंप्यूटर पर बैठता है, उसको यह समस्या हो सकती है। हालांकि जिसका काम केवल कंप्यूटर पर है उसके लिए यह समस्या और बढ़ती हुई दिखाई दे रही है। ऐसी स्थिति में उन्हें क्या करना चाहिए आइए जानते हैं।




    आपकी आंखें दिन के दौरान कड़ी मेहनत करती हैं इसलिए इसे ब्रेक की आवश्यकता है। 20 का नियम यह कहता है कि आप हर 20 मिनट में 20 सेकेंड का ब्रेक लीजिए और 20 फीट दूर किसी चीज पर फोकस कीजिए। यह चीज आपकी आंखों पर पड़ने वाले दाबाव को कम करेगा और आपकी आंखें स्वस्थ भी रहेंगी।
    नियमित रूप से अपनी आंखों की एक्सरसाइज को कीजिए। इसके लिए आप अपनी आंखों को गोल-गोल घुमाएं, आंख को खोलें और बंद करें तथा दूर रखी चीजों पर फोकस कीजिए। इसके अलावा आप पलके झपकाएं आंखों पर देर तक रहने वाले तनाव को कम करने के लिए यह बहुत आसान आसान व्यायाम है।
आंखों से धुंधला दिखाई दे रहा है तो चश्मा लगाएं|

    कंप्यूटर या स्मार्टफोन से अपनी आंखों को बचाना है तो आप अपनी आंखों पर चश्मा को लगाएं रखें। विशेष रूप से आंखों के तनाव, सिरदर्द, आंखों की थकान और आंखों में दर्द को कम करने के लिए डिजाइन किए गए कंप्यूटर ग्लास ही आपके लिए सही रहेगा। ये ग्लास या चश्मा कंप्यूटर, स्मार्टफोन और टैबलेट से उत्सर्जित ब्लू लाइट को फिल्टर कर सकता है।
    अपनी आंखों की देखभाल करने के लिए आप अपने हाथ को साफ रखें और जिस लेंस को आप पहन रहे हैं उसे भी आप साफ रखें। आपकी आंखें विशेष रूप से रोगाणुओं और संक्रमणों के लिए कमजोर हैं। यहां तक कि ऐसी चीजें जो आपकी आंखों को परेशान करती हैं, वे आपकी विजन को प्रभावित कर सकती हैं। ऐसी स्थिति नें अपनी आंखों को छूने या अपने संपर्क लेंस से निपटने से पहले अपने हाथ हमेशा धोना चाहिए।
कम या ज्यादा लाइट का भी आपकी आंखो पर बुरा असर पड़ता है। इसलिए सुनिश्चित करें कि आपकी आंखों पर ज्यादा लाइट न पड़े और जहां कम लाइट हो वहां काम मत कीजिए।

     धूम्रपान करना या सिगरेट पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। धूम्रपान करने से कैंसर और सांस की परेशानियां होती है। हमारे कई लेख में धूम्रपान के कई खतरों को अच्छी तरह से बताया गया है। जब आंखों के स्वास्थ्य की बात आती है, तो धूम्रपान करने वाले लोगों में उम्र से संबंधित मस्कुलर डिजनरेशन, मोतियाबिंद, यूवाइटिस और अन्य आंख की समस्याएं विकसित हो सकती है।


कंप्यूटर से कितनी दूरी?

कंप्यूटर या लैपटॉप पर काम करते हुए अगर आप उसकी स्क्रीन से निकलने वाली रोशनी से आंखों को दूर रखते हैं तो आंखों को नुकसान होने से बचाया जा सकता है। जब आप ऑफिस या घर पर मॉनिटर पर काम कर रहें हैं, तो उससे 20 से 28 इंच दूरी बनाकर रखें। जब भी आप कंप्यूटर पर काम कर रहे हो तो ध्यान रखें कि रूम में रोशनी पूरी हो। लाइट सीधी आंखों पर न पड़े।
    कई अध्ययनों से पता चला है कि एंटीऑक्सिडेंट आंख की समस्या के जोखिम को कम कर सकते हैं। ये एंटीऑक्सिडेंट आहार खाने से प्राप्त होता है। यह फल और रंगीन या गहरे हरे सब्जियों में भरपूर मात्रा में होती है। अध्ययनों ने यह भी दिखाया है कि ओमेगा -3 फैटी एसिड में समृद्ध मछली खाने से मस्कुलर डिजनरेशन के विकास के आपके जोखिम में कमी आ सकती है।
    इसके अलावा विटामिन के साथ अपने आहार को पूरक करने पर विचार करें ताकि सुनिश्चित हो सके कि आंखों को स्वस्थ रखने उसे पर्याप्त पोषक तत्व मिल रहा है।

परा बैंगनी किरणों से आंखों को बचाए

    जब आप बाहर जा रहें हैं तो हमेशा सनग्लास डालकर रखें। यह आपकी आंखों को सूरज के हानिकारक पराबैंगनी किरणों या यूवी किरणों से बचाता है। इससे मोतियाबिंद, पिंगुएकुला और अन्य नेत्र समस्याओं के खतरे को कम करने में मदद मिल सकती है।
   इसके अलावा सनग्लास गर्मियों में स्किन को धूप से बचाता है क्योंकि सूर्य की हानिकारक पराबैंगनी किरणें इसे हानि पहुंचाती हैं। आपको बता दें कि हानिकारक पराबैंगनी किरणें पृथ्वी पर पहुंचने लगेंगी। ये किरणें मनुष्य के साथ-साथ जीव-जंतुओं और पेड़-पौधों के लिए भी बहुत हानिकारक है।

हर दो साल में अपनी आंख की जांच कराएं

    जिस तरह आप अपनी सेहत की जांच करवाते हैं उसी तरह आप अपनी आंखों को स्वस्थ रखने के लिए उसकी भी जांच करवाइए। आपकी आंखे आपके व्यक्तित्व के साथ साथ आपके रोगों के बारे में भी बताती है। जब ही बीमार होने पर डॉक्टर सबसे पहले आंखों की जांच करते हैं। इससे आप अपनी आंखों को बड़े रोग के खतरों से बचा सकते हैं।






4.5.18

अगस्त पेड़ के गुण,फायदे,उपयोग : Benefits of August Tree

                                        

 अगस्त का पेड़ काफी गुणकारी है , इसकी छाल , तना , पत्तियां , बीज व बीजों का तेल सभी अपना अलग अलग महत्व रखते है , जैसे अगस्त की पत्तियों में कैल्शियम ( हमारी हड्डियों के लिए ) ,प्रोटीन ( शक्ति वर्धक ) ,  लोहा , फास्फोरस , विटामिन  A ( हमारी आँखों के लिए ) , B , और विटामिन c ( त्वचा सम्बन्धी रोगों से बचाता है ) व अन्य पोषक तत्व प्रचूर मात्रा में पाया जाता है इस पेड़ की छाल में रक्तवर्ण और टैनिन होता है  इसके बीजों प्राप्त तेल में प्रचूर मात्रा में प्रोटीनपाया जाता है , जिसकी मात्रा  लगभग ७० % पायी जाती है  इसके फूलों में विटामिन सी और बीहोने के कारण त्वचा सम्बन्धी बीमार व्यक्ति को इनका सेवन करना चाहिए । अगस्त के पेड़ से प्राप्त फूलों से शक्ति भी मिलती है . प्रतिदिन यदि पानी में भिगोकर इनका प्रयोग किया जाये तो काफी लाभकारी हो सकता है . 
अगस्त के पेड़ के गुण धर्म

पत्ते     इसके पत्तों का उपयोग करने से विपाक में मधुर , गुरु तथा कृमि तिक्त , कटु , कफ ,विष , प्रतिशयाय , रक्त पित्त , कंडु के रोग को दूर किया जाता है 
फूल 
 इसके फूलो के उपयोग से भी कई बीमारी ठीक होती है  जैसे :- 
पित्त
 , कफ , शीतल ,रुक्ष ,तिक्त , शीतवीर्य , वटकर प्रतिशयाय को ठीक करता है  इसका स्वाद कड़वा , मधुर , कसैला,होता है  चातुर्थिक ज्वरवातरक्त , पीनस रोग और रतौंधी का रोग भी इसके फूलो के उपयोग से,ठीक हो जाता है 
फल 
 इस पेड़ की फली में सर व बुद्धि देने वाले पदार्थ पाए जाते है इस पेड़ की कच्ची फलियों से सब्जिया भी बनाई जाती है , यह दस्तावर रुचिकारक गुणवता धारक ,  त्रिदोष दर्द नाशक पाण्डु रोग निवारक विष बुद्धि वर्धकगुल्म और शोथ सम्बन्धी बीमारी का नाश करता है  इसकी छाल संकोचक, कटु,पोष्टिक और पाचन शक्ति को बढाता है  अगस्त पेड़ की पकी हुए फली रुक्ष और,पित्तकारक होती है 

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