14.9.17

अगर होती है सफर मे उलटी तो करें ये घरेलू उपाय

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कई लोगों को घूमने का शौक तो होता है पर वो उलटी के डर से कहीं बाहर नहीं निकल पाते। ऐसे में परेशान होने की जरूरत नहीं क्योंकि आपके किचन में ही ऐसी कई चीजें मौजूद हैं जिसका इस्तेमाल कर आप सफर के दौरान उलटी की समस्या से बच सकते हैं।आपका भी कोई दोस्त गाड़ी या बस में बैठते ही उलटी करता है? तो उसे भी बताएं ये आसान घरेलू नुस्खे…
पुदीना-
पुदीना पेट की मांसपेशियों को आराम देता है और इस तरह चक्कर आने और यात्रा के दौरान तबीयत खराब लगने की स्थिति को भी खत्म करता है। पुदीने का तेल भी उलटियों को रोकने में बेहद मददगार है। इसके लिए रुमाल पर पुदीने के तेल की कुछ बूंदे छिड़कें और सफर के दौरान उसे सूंघते रहें। सूखे पुदीने के पत्तों को गर्म पानी में मिलाकर खुद के लिए पुदीने की चाय बनाएं। इस मिश्रण को अच्छे से मिलाएं और इसमें 1 चम्मच शहद मिलाएं। कहीं निकलने से पहले इस मिश्रण को पिएं।

नींबू --

नींबू में मौजूद सिट्रिक ऐसिड उलटी और जी मिचलाने की समस्या को रोकते हैं। एक छोटे कप में गर्म पानी लें और उसमें 1 नींबू का रस व थोड़ा सा नमक मिलाएं। इसे अच्छे से मिलाकर पिएं। आप नींबू के रस को गर्म पानी में मिलाकर या शहद डालकर भी पी सकते हैं। यात्रा के दौरान होने वाली परेशानियों को दूर करने का यह एक कारगर इलाज है।
अदरक-
अदरक में ऐंटीमैनिक गुण होते हैं। एंटीमैनिक एक ऐसा पदार्थ है जो उलटी और चक्कर आने से बचाता है। सफर के दौरान जी मिचलाने पर अदरक की गोलियां या फिर अदरक की चाय का सेवन करें। इससे आपको उलटी नहीं आएगी। अगर हो सके तो अदरक अपने साथ ही रखें। अगर घबराहट हो तो इसे थोड़ा-थोड़ा खाते रहें।
प्याज का रस-
सफर में होने वाली उलटियों से बचने के लिए सफर पर जाने से आधे घंटे पहले 1 चम्मच प्याज के रस में 1 चम्मच अदरक के रस को मिलाकर लेना चाहिए। इससे आपको सफर के दौराउलटियां नहीं आएंगी। लेकिन अगर सफर लंबा है तो यह रस साथ में बनाकर भी रख सकते हैं।लौंग -
सफर के दौरान जैसे ही आपको लगे कि जी मिचलाने लगा है तो आपको तुरंत ही अपने मुंह में लौंग रखकर चूसनी चाहिए। ऐसा करने से आपका जी मिचलाना बंद हो जाएगा।.
लौंग- 
सफर के दौरान जैसे ही आपको लगे कि जी मिचलाने लगा है तो आपको तुरंत ही अपने मुंह में लौंग रखकर चूसनी चाहिए। ऐसा करने से आपका जी मिचलाना बंद हो जाएगा।.

  • पायरिया के घरेलू इलाज
  • चेहरे के तिल और मस्से इलाज
  • लाल मिर्च के औषधीय गुण
  • लाल प्याज से थायराईड का इलाज
  • जमालगोटा के औषधीय प्रयोग
  • एसिडिटी के घरेलू उपचार
  • नींबू व जीरा से वजन घटाएँ
  • सांस फूलने के उपचार
  • कत्था के चिकित्सा लाभ
  • गांठ गलाने के उपचार
  • चौलाई ,चंदलोई,खाटीभाजी सब्जी के स्वास्थ्य लाभ
  • मसूड़ों के सूजन के घरेलू उपचार
  • अनार खाने के स्वास्थ्य लाभ
  • इसबगोल के औषधीय उपयोग
  • अश्वगंधा के फायदे
  • लकवा की चमत्कारी आयुर्वेदिक औषधि वृहत वात चिंतामणि रस
  • मर्द को लंबी रेस का घोडा बनाने के अद्भुत नुस्खे
  • सदाबहार पौधे के चिकित्सा लाभ
  • कान बहने की समस्या के उपचार
  • पेट की सूजन गेस्ट्राईटिस के घरेलू उपचार
  • पैर के तलवों में जलन को दूर करने के घरेलू आयुर्वेदिक उपचार
  • लकवा (पक्षाघात) के आयुर्वेदिक घरेलू नुस्खे
  • डेंगूबुखार के आयुर्वेदिक नुस्खे
  • काला नमक और सेंधा नमक मे अंतर और फायदे
  • हर्निया, आंत उतरना ,आंत्रवृद्धि के आयुर्वेदिक उपचार
  • पाइल्स (बवासीर) के घरेलू आयुर्वेदिक नुस्खे
  • चिकनगुनिया के घरेलू उपचार
  • चिरायता के चिकित्सा -लाभ
  • ज्यादा पसीना होने के के घरेलू आयुर्वेदिक उपचार
  • पायरिया रोग के आयुर्वेदिक उपचार
  • व्हीटग्रास (गेहूं के जवारे) के रस और पाउडर के फायदे
  • घुटनों के दर्द को दूर करने के रामबाण उपाय
  • चेहरे के तिल और मस्से हटाने के उपचार
  • अस्थमा के कारण, लक्षण, उपचार और घरेलू नुस्खे
  • वृक्क अकर्मण्यता(kidney Failure) की रामबाण हर्बल औषधि
  • शहद के इतने सारे फायदे नहीं जानते होंगे आप!
  • वजन कम करने के उपचार
  • केले के स्वास्थ्य लाभ
  • लीवर रोगों की महौषधि भुई आंवला के फायदे
  • हरड़ के गुण व फायदे
  • कान मे मेल जमने से बहरापन होने पर करें ये उपचार
  • पेट की खराबी के घरेलू उपचार
  • शिवलिंगी बीज के चिकित्सा उपयोग



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    13.9.17

    सिर के बाल और नेत्रज्योति के लिए ब्रह्मास्त्र नुस्खा

      
    आँखों की रोशनी बढ़ाता है और सिर के बालों को मजबूत बनाता है यह सरल प्रयोग, जरूर पढ़ें 
    आधुनिक जीवनशैली की देन बहुत सारे रोगों में से दो समस्याएं बहुत प्रमुख हैं, आखों की रोशनी कम होना और सिर के बालों का कमजोर होकर टूट जाना । ये दोनों ही समस्याएं ऐसी हैं कि धीरे धीरे शुरू होकर स्थायी रूप से आपको परेशान करने लगती हैं । इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको एक ऐसा सरल प्रयोग बता रहे हैं जो बहुत से रोगियों पर आजमाया हुआ और बहुत अच्छे रिजल्ट देने वाला सिद्ध हुआ है । इस प्रयोग को हम आपके लिये प्रकाशित कर रहे हैं, जरूर लाभ उठाइयेगा ।

    इस नुस्खे को तैयार करने के लिये आपको निम्नलिखित सामग्री की जरूरत पड़ेगी :-

    * साबुत लहसुन चार
    * बादाम की गिरी 200 ग्राम
    *पिस्ता 200 ग्राम
    * गाय के दूध से बना देशी घी आधा किलो
    * शुद्ध शहद एक किलो
    * काली मिर्च 200 ग्राम
    *अलसी के बीज 500 ग्राम
    * साबुत लहसुन चार
    * बादाम की गिरी 200 ग्राम
    *पिस्ता 200 ग्राम

    तैयार करने की विधि-


    इस नुस्खे को तैयार करने के लिये सबसे पहले अलसी के बीज को धूप में सुखाकर दरदरा कूट लें और काली मिर्च का मिक्सी में चलाकर बारीक पाउडर बना लें । इसके बाद लहसुन की चारों पोथियों की सभी कली को छिलकर बारीक बारीक कतर लें । बादाम और पिस्ते को भी बारीक बारीक काट लें । सभी सामान के तैयार हो जाने के बाद इनको एक साथ मिला लें । अब देशी घी को कढ़ाही में डालकर बस इतना गर्म करें की घी पिघल जाये । अब इस पिघले हुये घी में सभी सामान डालकर मिला दें । सबसे आखिर में जब घी ठण्डा होना शुरू हो जाये तो उसमें शहद भी मिलाकर बहुत अच्छी तरह से मिला लें और काँच के मर्तबान या शीशी में भरकर रख लें ॰आपका नुस्खा तैयार है ।
    सेवन विधि :-

    इस नुस्खे को सभी उम्र के लोग  खा सकते हैं । उम्र के अनुसार खुराक की मात्रा निम्न प्रकार रहेगी
    3 साल तक के बच्चे एक तिहाई चम्मच सुबह और शाम
    3 से 8 साल तक के बच्चे आधा चम्मच सुबह और शाम
    8 से 16 साल तक के युवा एक चम्मच सुबह और शाम
    16 साल से ऊपर दो चम्मच सुबह और शाम



    12.9.17

    रतौंधी के घरेलू आयुर्वेदिक उपचार

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    रतौंधी, आंखों की एक बीमारी है। इस रोग के रोगी को दिन में तो अच्छी तरह दिखाई देता है, लेकिन रात के वक्त वह नजदीक की चीजें भी ठीक से नहीं देख पाता।

    रोगी की आँखों की जाँच के दौरान पता चलता है कि आँखों का कॉर्निया (कनीनिका) सूख-सा गया है और आई बॉल (नेत्र गोलक) धुँधला व मटमैला-सा दिखाई देता है। उपतारा (आधरिस) महीन छिद्रों से युक्त दिखता है तथा कॉर्निया के पीछे तिकोनी सी आकृति नजर आती है। आँखों से सफेद रंग का स्त्राव होता है।

    रतौंधी का कारण व लक्षण
    रतौंधी का सबसे आम कारण रेटिनाइटिस पिगमेंटोसा, एक विकार है जिसमें रेटिना में रॉड कोशिका धीरे - धीरे उनके प्रकाश के लिए प्रतिक्रिया करने की क्षमता खो देते है। इस आनुवंशिक हालत से पीड़ित मरीजों को प्रगतिशील रतौंधी है और अंत में उनके दिन दृष्टि भी प्रभावित हो सकता है। एक्स - जुड़े जन्मजात स्थिर रतौंधी, जन्म से छड़ या तो सब पर काम नहीं है, या बहुत कम काम करते हैं, लेकिन हालत बदतर नहीं मिलता है। रात का अंधापन का एक अन्य कारण retinol, या विटामिन ए की कमी है, मछली के तेल, लीवर और डेयरी उत्पादों में पाया जाता है।
    "अपवर्तक दृष्टि सुधार सर्जरी" रतौंधी का एक व्यापक कारण है, जो विपरीत संवेदनशीलता समारोह की हानि (सीएसएफ) जो कॉर्निया के प्राकृतिक संरचनात्मक अखंडता में शल्य चिकित्सा के हस्तक्षेप से उत्पन्न प्रकाश स्कैटर intraocular से प्रेरित है।निक परिवेश में युवा वर्ग में शारीरिक सौंदर्य आकर्षण को विकसित करने पर अधिक ध्यान देते हैं। ऐसे में वे शरीर के विभिन्न अंगों के स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं दे पाते।
    ऐसे में नेत्रों को बहुत हानि पहुंचती है और अधिकतर युवक-युवतियां रतौंधी रोग से पीड़ित होते हैं। रतौंधी रोग में रात्रि होने पर रोगी को स्पष्ट दिखाई नहीं देता। यदि इस रोग की शीघ्र चिकित्सा न कराई जाए तो रोगी नेत्रहीन हो सकता है।
    विटामिन ‘ए’ की कमी से होनेवाला यह आंखों का प्रमुख रोग है। इस रोग से ग्रसित व्यक्ति को रात्रि के समय दिखाई देना बंद हो । जाता है तथा रोगी की आंखों के सम्मुख काले-पीले धब्बे आने लगते हैं। जिससे उसे काफी असुविधा होती है। यह रोग अधिक समय तक धूप में रहने तथा आहार में विटामिन ‘ए’ की कमी से होता है।
    रतौंधी का उपचार
    * आंवलाः रतौंधी होने की स्थिति में प्रतिदिन एक आवले का सेवन करें। गाजरः रतौंधी के रोगियों के लिए गाजर अचूक औषधि है। अत: इसका नियमित सेवन करना चाहिए। यदि संभव हो सके तो सुबह-शाम एक-एक गिलास गाजर का रस जरूर पीएं। इससे रतौंधी में काफी फायदा पहुंचेगा।
    * सेवः प्रात:काल एक सेव नित्य चबा-चबाकर खाने से काफी आराम मिलता है।
    *बेलः बेलपत्र के रस को पीने से तथा बेलपत्र के रस मिश्रित पानी से पुतलियों को धोते रहने से कुछ ही दिनों में चमत्कारी असर होता है। बेल की सात कोंपलें और काली मिर्च के सात दाने पीसकर दो चम्मच पिसी हुई मिश्री में मिलाकर सुबह नाश्ते से पहले चटनी की तरह खाएं। यह प्रयोग सर्दियों के मौसम में करें। जबकि गर्मियों में इस चटनी का शरबत बनाकर पीएं। अगर वायु व कफ की शिकायत हो तो इसमें एक चम्मच शहद भी मिला लें। इस प्रयोग से रतौंधी में काफी लाभ होता ह
    * केलाः केले के पत्तों का रस आंखों पर लगाने से रतौंधी दूर हो जाती है। आमः प्रतिदिन एक आम सुबह-शाम खाएं। इससे शरीर में विटामिन ‘ए’ की कमी पूरी होगी और रतौंधी में भी आराम मिलेगा।
    क्या खांए?

    प्रतिदिन काली मिर्च का चूर्ण घी या मक्खन के साथ मिसरी मिलाकर सेवन करने से रतौंधी नष्ट होती है।
    प्रतिदिन टमाटर खाने व रस पीने से रतौंधी का निवारण होता है।
    आंवले और मिसरी को बारबर मात्रा में कूट-पीसकर 5 ग्राम चूर्ण जल के साथ सेवन करें।
    हरे पत्ते वाले साग पालक, मेथी, बथुआ, चौलाई आदि की सब्जी बनाकर सेवन करें।
    अश्वगंध चूर्ण 3 ग्राम, आंवले का रस 10 ग्राम और मुलहठी का चूर्ण 3 ग्राम मिलाकर जल के साथ सेवन करें।
    मीठे पके हुए आम खाने से विटामिन ‘ए’ की कमी पूरी होती है। इससे रतौंधी नष्ट होती है।
    सूर्योदय से पहले किसी पार्क में जाकर नंगे पांव घास पर घूमने से रतौंधी नष्ट होती है।
    शुद्ध मधु नेत्रों में लगाने से रतौंधी नष्ट होती है।

    किशोर व नवयुवकों को रतौंधी से सुरक्षित रखने के लिए उन्हें भोजन में गाजर, मूली, खीरा, पालक, मेथी, बथुआ, पपीता, आम, सेब, हरा धनिया, पोदीना व पत्त * गोभी का सेवन कराना चाहिए।
    क्या न खाएं?
    चाइनीज व फास्ट फूड का सेवन न करें।
    उष्ण मिर्च-मसाले व अम्लीय रसों से बने खाद्य पदार्थो का सेवन से अधिक हानि पहुंचती है।
    अधिक उष्ण जल से स्नान न करें।
    आइसक्रीम, पेस्ट्री, चॉकलेट नेत्रो को हानि पहुंचाते है।
    अधिक समय तक टेलीविजन न देखा करें। रतौंधी के रोगी को धूल-मिट्टी और वाहनों के धुएं से सुरक्षित रहना चाहिए।
    रसोईघर में गैंस के धुएं को निष्कासन करने का पूरा प्रबंध रखना चाहिए।
    खट्टे आम, इमली, अचार का सेवन न करें।




    2.9.17

    पेशाब मे जलन हो या खून आता हो तो करें ये उपाय




       पेशाब में जलन हो या खून गिर रहा हो तो उसे अनदेखा बिलकुल न करे , सही से इलाज कराये|क्योंकि अगर ऐसी परेशानी का समाधान सही समय पर नही होता तो ये विकराल रूप ले लेते हैं| पेशाब से खून आने के बहुत से कारण हो सकते हैं जो मै निचे आपको बताने जा रहा हु|इसमें बहुत सी परेशानी होती है जैसे पेशाब लाल होना, यूरिन में ब्लड आना, पस आना, पेशाब पीला होना
    पेशाब में खून आने का कारण –
    यूरिनरी ट्रैक्‍ट इंफेक्‍शन (यूटीआई) महिलाओं में होने वाली बेहद आम समस्या होती है|मूत्र मार्ग में संक्रमण होने के कारण महिलाओं को काफी समस्या होती है, और जलन के साथ-साथ कई बार पेशाब के साथ खून भी आने लगता है|
     अगर किसी इंसान को गुर्दे में पथरी की समस्या हो तो भी कई बार पेशाब में खून आ सकता है|ऐसा इसलिये क्‍योंकि पथरी की वजह से पेशाब की प्राकृतिक प्रक्रिया में रूकावट पैदा हो जाती है|इसका उपचार हो सकता है, इसलिए समय रहते डॉक्‍टर से सम्‍पर्क करें|इसके अलावा गुर्दे या पित्‍ताशय में ट्यूमर होने पर भी पेशाब में खून आने लगता है|ऐसे में डॉक्‍टरों द्वारा सर्जरी की मदद से इलाज किया जाता है|
    पेशाब या मल में खून आने का ग्‍लोमेरूलोनेफ‍रिटिस या ग्‍लोमेरूलर नेफीरिटिस सबसे आम कारण होता है|बढ़ते बच्‍चों और छोटे बच्‍चों में यह समस्‍या सबसे ज्‍यादा देखने को मिलती है|लेकिन कई बार बड़े लोग को भी इस समस्‍या का सामना करना पड़ता है|
         महिलाओं में सिस्‍ट का बढ़ जाना आम बात है|ये समस्या काफी पीड़ादायक होती है और इसके कारण पेशाब में खून भी आने लगता है|आमतौर पर सिस्‍ट, गुर्दे में बढ़ता है जिसके कारण पेशाब करने में दर्द औश्र जलन की समस्या होती है| एक समय के बाद खून भी आना शुरू हो जाता है|

    पेशाब में खून आने का घरेलू उपचार –
        *रात को सोते समय एक गिलास पानी में मुनक्का भिगो दें|सुबह मुनक्का उसी पानी के साथ पीस लें|इसे छानकर इसमें थोड़ा भुना पिसा जीरा मिलाकर पी ले|इससे पेशाब की जलन मिट जाती है और पेशाब खुलकर आता है साथ ही खून का आना भी बंद हो जाता है
    *एक गिलास पानी में दो चम्मच धनिया और एक चम्मच पिसा हुआ आंवला रात को भिगो दें|सुबह उसी पानी में मसल कर छानकर पी लें|ऐसा ही पानी शाम को भी पिएँ| इस पानी को सुबह शाम पीने से पेशाब में जलन मिट जाती है साथ ही खून गिरने में भी राहत मिलती है|
    *आधे ग्लास पानी में आधा गिलास लौकी का रस,चार चम्मच पिसी मिश्री और एक ग्राम कलमी शोरा मिलाकर पीने से पेशाब की रूकावट दूर होकर पेशाब आना शुरू हो जाता है|एक खुराक काफी होती है|अगर असर नहीं हो तो एक घंटे बाद एक खुराक और लेनी चाहिए|पेशाब में खून से भी राहत मिल सकता है|
    *एक कटोरी गेंहू रात को एक गिलास पानी में भिगो दें|सुबह इसी पानी के साथ इसे बारीक पीस ले|इसमें एक चम्मच मिश्री मिलाकर पी लें|इसे एक सप्ताह तक लगातार पीने से पेशाब के साथ वीर्य जाना बंद होता है|खून आना भी बंद हो सकता है|
    *दो चम्मच आंवले का रस और दो चम्मच शहद मिलाकर कुछ दिन लगातार पीने से पेशाब के साथ वीर्य या धातू जाना बंद होता है|अगर पेशाब में खून की समस्या हो तो आराम मिल सकता है|
    विशिष्ट परामर्श-


    पथरी के भयंकर दर्द को तुरंत समाप्त करने मे यह हर्बल औषधि सर्वाधिक कारगर साबित होती है,जो पथरी- पीड़ा बड़े अस्पतालों के महंगे इलाज से भी बमुश्किल काबू मे आती है इस औषधि की 2-3 खुराक से आराम लग जाता है| वैध्य श्री दामोदर 
    9826795656 की जड़ी बूटी - निर्मित दवा से 30 एम एम तक के आकार की बड़ी पथरी भी  नष्ट हो जाती है|
    गुर्दे की सूजन ,पेशाब मे जलन ,मूत्रकष्ट मे यह औषधि रामबाण की तरह असरदार है| आपरेशन की जरूरत ही नहीं पड़ती | पथरी न गले तो औषधि मनीबेक गारंटी युक्त है|

    27.8.17

    घुटनों के दर्द के लिए चमत्कारी उपाय :Ghutano ka dard




    दर्द निवारक हल्दी का पेस्ट - 

    किसी चोट का दर्द हो या घुटने का दर्द आप इस दर्द निवारक हल्दी के पेस्ट को बनाकर अपनी चोट के स्थान पर या घुटनों के दर्द के स्थान पर लगाइए इससे बहुत जल्दी आराम मिलता है. दर्द निवारक हल्दी का पेस्ट कैसे बनाएं इसके लिए आप सबसे पहले एक छोटा चम्मच हल्दी पाउडर लें और एक चम्मच पिसी हुई चीनी  या शहद मिला लें, और एक चुटकी चूना मिला दें और थोड़ा सा पानी डाल कर इसका पेस्ट जैसा बना लें। इस लेप को बनाने के बाद अपने चम्मच के स्थान पर या जो घुटना दर्द करता है उस स्थान पर  लगा ले और ऊपर से  बैंडेज या कोई पुराना सूती कपड़ा बांध दें | इसको रातभर लगा रहने दें , सुबह सादा पानी से इसको  ले इस तरह से लगभग 1 सप्तासे लेकर 2 सप्ताह तक इसको लगाने से आपके घुटने की सूजन मांसपेशियों में खिंचाव अंदरुनी होने वाले दर्द में बहुत जल्दी आराम मिलता है |

    दर्द से  दिलाये सौंठ का लेप - 

       सौंठ भी एक बहुत अच्छा दर्द निवारक दवा के रूप में फायदेमंद साबित हो सकता है, सौंठ से दर्द निवारक दवा बनाने के लिए  आप एक छोटा चम्मच सौंठ का पाउडर व थोड़ा तिल का तेल लें  इन दोनों को मिलाकर एक गाढ़ा पेस्ट जैसा बना ले। दर्द या मोच के स्थान पर या चोट के दर्द में आप इस दर्द निवारक सौंठ के पेस्ट को हल्के हल्के प्रभावित स्थान पर लगाएं और इसको दो से 3 घंटे तक लगा रहने दें इसके बाद इसे पानी से धो लें ऐसा करने से 1 सप्ताह में आपको घुटने के दर्द में पूरा आराम मिल जाता है और अगर मांसपेशियों में भी खिंचाव महसूस होता है तो वह भी जाता रहता है।

    खजूर से घुटने में दर्द का इलाज -

     सर्दियों के मौसम में रोजाना 5-6 खजूर खाना बहुत ही लाभदायक होता है, खजूर का सेवन आप इस तरह भी कर सकते हैं रात के समय 6-7 खजूर पानी में भिगो दें और सुबह खाली पेट इन खजूर को खा ले और साथ ही वह पानी भी पी ले जिनको जिसमें आपने रात में खजूर भिगोए थे. यह घुटनों के दर्द के अलावा आपके जोड़ों के दर्द में भी आराम दिलाता है।
  • पायरिया के घरेलू इलाज
  • चेहरे के तिल और मस्से इलाज
  • लाल मिर्च के औषधीय गुण
  • लाल प्याज से थायराईड का इलाज
  • जमालगोटा के औषधीय प्रयोग
  • एसिडिटी के घरेलू उपचार
  • नींबू व जीरा से वजन घटाएँ
  • सांस फूलने के उपचार
  • कत्था के चिकित्सा लाभ
  • गांठ गलाने के उपचार
  • चौलाई ,चंदलोई,खाटीभाजी सब्जी के स्वास्थ्य लाभ
  • मसूड़ों के सूजन के घरेलू उपचार
  • अनार खाने के स्वास्थ्य लाभ
  • इसबगोल के औषधीय उपयोग
  • अश्वगंधा के फायदे
  • लकवा की चमत्कारी आयुर्वेदिक औषधि वृहत वात चिंतामणि रस
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  • सदाबहार पौधे के चिकित्सा लाभ
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  • पैर के तलवों में जलन को दूर करने के घरेलू आयुर्वेदिक उपचार
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  • केले के स्वास्थ्य लाभ
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    26.8.17

    आंकड़े से करें बवासीर का अचूक उपचार


       

    आक के वैसे तो सैंकड़ो प्रयोग आयुर्वेद शास्त्र में मिलते हैं, आक को आयुर्वेद का जीवन भी कहा जाता है. ऐसे में आज हम आपको एक ऐसे महान प्रयोग के बारे में बताने जा रहें हैं जिस से कैसी भी बवासीर की समस्या हो वो 

        50 ग्राम आक के कोमल पत्रों के समभाग पांचों नमक लेकर (1. सौंचर या सौवर्चल नमक (कालानमक), 2. सैंधानमक, 3. बीड़ नमक, 4. समुद्री नमक तथा 5. सांभर नमक). अर्थात 10 – 10 ग्राम ये सभी पांच नमक. ये सभी नमक आपको थोड़ी मेहनत से किसी पंसारी के पास से मिल जायेंगे.अभी कितने आक के पत्ते लिए हैं उनके बराबर नमक ले लीजिये और उसमें सबके वजन के बराबर से चौथाई वजन तिल का तैल और इतना ही नींबू रस मिला कर एक मिटटी के बर्तन में डाल लीजिये अभी इस बर्तन के मुख कपड़ मिट्टी (अर्थात उस बर्तन को ढक्कन लगा कर इस के मुंह को सूती कपडे से अच्छे से लपेट कर उस पर गीली मिटटी से अच्छे से पैक कर दीजिये तांकि उसमे किसी प्रकार की कोई लीकेज ना रहे) अभी इसको गोबर के कन्डो की आग पर एक घंटे तक चढ़ा दें,
      ध्यान रहे के आग ज्यादा तेज़ ना हो, और धीरे धीरे कंडे लगाते रहें, अधिक तेज़ आग करने से मिटटी का बर्तन टूट सकता है। एक घंटे के बाद बर्तन को नीचे उतार लीजिये, अभी इसके अन्दर आक के पत्ते जल चुके होंगे तो सब चीजों को निकाल के पीस कर रख लें, 500 मिलीग्राम से 3 ग्राम तक आवश्यकता और आयु के अनुसार गर्म जल, काँजी, छाछ के साथ सेवन कराने से बादी बवासीर नष्ट होता है।
    आक के बवासीर के लिए प्रयोग.
     


    1. हल्दी चूर्ण को आक के दूध में भिगोकर सुखा लें, ऐसे सात बार करें. फिर आक के दूध द्वारा ही उसकी बेर जितनी गोलियाँ बना छाया में शुष्क कर रखें। प्रातः सायं शौच कर्म के बाद थूक में या जल में घिसकर मस्सो पर लेप करने से कुछ ही दिनों में वह सूखकर गिर जाते है।

    2.  तीन बूंद आक के दूध को राई पर डालकर उसपर थोड़ा कूटा हुआ जवाखार बुरक कर बताशे में रखकर निगलने से बवासीर बहुत जल्दी नष्ट हो जाती है।
    3.  शौच जाने के बाद आक के दो चार ताजे पत्ते तोड़ कर गुदापर इस प्रकार रगड़े कि मस्सो पर दूध ना लगे केवल सफेदी ही लगे। इससे मस्सों में लाभ होता है।
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    स्टेमिना बढ़ाने के प्राकृतिक तरीके


       आज की इस भाग दौड़ भरी जिन्दगी में हमे सबसे ज्यादा जरूरत होती है। एनर्जी, पावर और स्टैमिना की अगर हमारे अंदर स्टेमिना की कमी है तो हम अपना कोई भी काम अच्छे से नही कर सकते स्टेमिना बढाने के लिए डाइट के साथ साथ कुछ बातों का ख्याल भी रखना पड़ता है जैसे कि शरीर में सोडियम की कमी न हो, क्योंकि इससे स्टेमिना गिरने लगता है। आप भले ही व्यायाम करे लेकिन अपनी सीमा में रहकर। क्योंकि जब आप हिम्मत से ज्यादा व्यायाम करते हैं तब आपकी मांसपेशियों को नुकसान होता है।
    स्टेमिना को बढाने के प्राकृतिक उपाय अगर आप अपनी स्टेमिना को बढ़ाना चाहते हैं तब आपको आधारभूत चिकित्सा परीक्षण करना शुरु कर देना चाहिए। इससे आपको यह पता चलता है कि आप कितने फिट हो साथ ही आप अपनी बीमारी, चोट, थकान को अपने से कितने दूर रखते हो। व्यायाम को आयुर्वेद में स्टेमिना का सबसे अच्छा साधन माना जाता है। क्योकि जब भी हम व्यायाम करते है तो हमारी ऊर्जा प्रयोग में आती है। जिससे हमारी सारी थकान दूर होती है अगर आप व्यायाम नही करते तो आपको जल्द ही शुरू करना चाहते हो तो आप को इसे धीरे धीरे शुरू करना चाहिए। आप को इसके छोटे छोटे स्टेप लेने चाहिए। जिससे आप को अधिक परेशानी का सामना न करना पड़े जब हम प्रतिदिन व्यायाम करते है तो हमारा स्टेमिना बढने लगता है और हम अपना काम अच्छे से करने लगते हैं।

    संतुलित आहार-

    स्टेमिना को बढाने के आयुर्वैदिक तरीके में संतुलित आहार का सेवन अति आवश्यक है। इसमें आपको अधिक मात्रा में फल, सब्जिया, बिना चर्बी का मांस और कम वसा वाले उत्पादकों को अपने आहार में शामिल करना चाहिए। इस प्रकार का सेवन करने से आप स्वास्थ्य रहते हैं। इसके सेवन से आप शारीरक के साथ साथ मानसिक तौर पर भी सहनशील प्राप्त होती है।

    खेल खेले में बढायें स्टेमिना -

    स्टेमिना को बढने का सबसे अच्छा तरीका होता है खेल । खेल खेलना जब भी आप किसी प्रकार का खेल खेलते हैं तो उससे आप का स्टेमिना बढने लगता है और साथ ही इससे आप का अच्छा व्यायाम भी हो जाता है। अगर आप फूटबाल, बास्केटबाल या फिर कोई अन्य दौड़ने वाली खेले खेलते हो तो आप का दिल मजबूत होता है और आप के शरीर में अधिक ऑक्सीजन पंहुचती है।

    बीमारियों से बचे-
    स्टेमिना को बढ़ाने के लिए हमे बीमारियों से बचना चाहिए। क्योंकि जितना हम बीमार होते हैं उतना ही हमारा स्टेमिना कमज़ोर होता है। हमें छोटी छोटी बीमारियों से बचकर रहना चाहिए जैसे कि खांसी, जुकाम, बुखार, सिरदर्द आदि। इसके लिए आप को अपने आप को साफ़ रखना होता है। आप जितना साफ़ रहते हो बीमारी उतनी ही आप से दूर रहती है।

    भोजन का प्रयोग-

    भोजन खाने से हमारे शरीर में शक्ति पैदा होती है और इसके साथ साथ हमे भोजन से ऊर्जा प्राप्त होती है। इसलिए हमे थोडा थोडा भोजन बार बार खाना चाहिए। क्योकि इससे हमारे शरीर में ऊर्जा बनी रहती है

    पानी का सेवन-

    अपने आप को फिट रखने के लिए हमे पानी की मात्रा सुनिश्चित कर लेनी चाहिए। अपनी थकान को कम करने के लिए भी पानी पीना चाहिए। अगर हम पानी की मात्रा को कम रखते हैं तो हमारे शरीर का रक्त जमने लगता है। जिससे वो सही ढंग से रक्त संचार नही कर सकता और हमारी मांसपेशियों में ऑक्सीजन की कमी आ जाती है।इसके साथ हमे कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। 
       पानी को अधिक मात्रा में पीये तो हमारा खून पतला पड़ जाता है। जिससे वो आसानी से हमारे शरीर के विभिन्न अंगो तक आसानी से पंहुच जाता है।
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    24.8.17

    यूरिक एसिड को खत्म करने का रामबाण उपाय

        



    यूरिक एसिड की समस्या आज सबसे तेजी से बढ़ती हुई स्वास्थय समस्याओं में से एक है,  जानकार लोग बताते हैं कि यह मुख्य तौर पर अनुचित खानपान के कारण होने वाला रोग है जो कही ना कही शरीर की रोग प्रतिरोधी शक्ति से भी जुड़ा हुआ है । हम आपको एक  विशेष चूर्ण के बारे में बता रहे हैं जो यूरिक एसिड को बहुत प्रभावी 
    रूप से नियंत्रित करने में बहुत लाभकारी होता है । 



    जरूरी सामग्री :-

    1. गिलोय का चूर्ण :- 200 ग्राम
    2. मेथी दाना चूर्ण :- 100 ग्राम
    3.  अजवायन चूर्ण :- 100 ग्राम
    4.  अर्जुन छाल चूर्ण :- 100 ग्राम
    5.  चोबचीनी चूर्ण :- 100 ग्राम
          गिलोय का चूर्ण आपको गिलोय की बेल को सुखाकर पीसकर मिल जायेगा, बाकी चार सामग्री  आपको अपने आस पास किसी जड़ीबूटी वाले अथवा पँसारी की दुकान पर आसानी से मिल जायेंगे ।



    बनाने की विधि :-
    इन सभी सामानों को एक साथ लेकर हल्का दरदरा कूटकर मिक्सी में डालकर महीन चूर्ण तैयार कर लें और किसी काँच की साफ एयरटाईट शीशी में भरकर रख लें । आपका चूर्ण तैयार है ।

    सेवन विधि  :-

    इस चूर्ण को 3-3 ग्राम की मात्रा में रोज सुबह और शाम लेना है । इस चूर्ण का सेवन गुनगुने जल के साथ करना अधिका उचित है । इसके सेवन काल में उचित परहेज का जरूर पालन करें । इस चूर्ण को लागातार 100 दिन तक सेवन करने से पुराने से पुराने यूरिक एसिड के रोगी को भी बहुत अच्छा लाभ मिलते हुये देखा गया है ।
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    विशिष्ट परामर्श-  

    संधिवात,कमरदर्द,गठिया, साईटिका ,घुटनो का दर्द आदि वात जन्य रोगों में जड़ी - बूटी निर्मित हर्बल औषधि ही अधिकतम प्रभावकारी सिद्ध होती है| रोग को जड़ से निर्मूलन करती है| हर्बल औषधि होने के बावजूद यह तुरंत असर चिकित्सा है| सैकड़ों वात रोग पीड़ित व्यक्ति इस औषधि से आरोग्य हुए हैं|  बिस्तर पकड़े पुराने रोगी भी दर्द मुक्त गतिशीलता हासिल करते हैं|औषधि के लिए वैध्य श्री दामोदर से 98267-95656 पर संपर्क कर सकते हैं|