21.10.23

मरुआ का पौधा इतनी बीमारियों में लाभदायक है ! नहीं जानते होंगे आप!




आयुर्वेद में कई ऐसी जड़ी-बूटियां हैं, जिनका इस्तेमाल शारीरिक समस्याओं को दूर करने के लिए किया जाता है। इन्हीं में से एक है मरुआ। मरुआ का पौधा अधिकतर घरों में गमलों में उगाया जाता है। यह एक सुगंधित पौधा है, इसका उपयोग कई तरीकों से किया जा सकता है। मरुआ अत्यंत गुणकारी और हानिरहित पौधा है। आप हम बात कर रहे हैं मरुआ के पत्ते के फायदों के बारे में-
मरुआ के पत्तों में पोटैशियम, कार्बोहाइड्रेट, डाइटरी फाइबर, प्रोटीन, विटामिन सी और कैल्शियम काफी मात्रा में होता है। इसके अलावा मरुआ आयरन, विटामिन बी6 और मैग्नीशियम का भी अच्छा सोर्स है

मरूआ पौधे को अनेकों प्रकार की घरेलू दवाइयों को बनाने के लिए बहुत ज्यादा प्रयोग किया जाता है। इसके अंदर बहुत सारे औषधीय और आयुर्वेदिक गुण पाए जाते हैं जिसकी वजह से आपको इससे निम्नलिखित फायदे मिल सकते हैं जो कि इस प्रकार से हैं –

मरूआ पौधे के फायदे सूजन में

मरूआ पौधे की टहनियां व्यक्ति के शरीर की सूजन को कम करने में लाभदायक साबित हो सकती हैं। यहां बता दें कि इसकी टहनियों को पानी में अच्छी तरह से उबालने के बाद सूजन वाली जगह पर इस गर्म पानी से मालिश करने पर लाभ मिलता है। साथ ही बता दें कि सूजन कम करने के अलावा यह शरीर के दर्द में राहत पहुंचाने का काम भी करता है।

सिरदर्द में उपयोगी

मरुआ की पत्तियां सिरदर्द, माइग्रेन की समस्या में भी उपयोगी होती हैं। अगर आपको माइग्रेन की शिकायत है, तो 8-10 पत्तियां का रस निकाल लें। इसे दोनों नासिकाओं में 4-4 बूंद डाल दें। इससे आपको काफी आराम मिलेगा। इसके अलावा आप मरुआ के पत्तों का लेप भी माथे पर लगा सकते हैं। इससे सिरदर्द, माइग्रेन में आराम मिलेगा।

कफ रोगियों के लिए गुणकारी

आयुर्वेद में मरुआ के पत्ते को कफ रोगियों के लिए गुणकारी बताया गया है। इसका काढ़ा पीने से खांसी दूर होती है। फेफड़ों की सफाई होती है, साथ ही इससे गले में जमा बलगम भी आसानी से निकलता है।

मरूआ पौधे के लाभ पेचिश में

पेचिश एक ऐसी भयानक स्थिति है जिसकी वजह से व्यक्ति की हालत काफी ज्यादा खराब हो जाती है और अगर ठीक से इलाज न करवाया जाए तो जान जाने का खतरा भी रहता है। यहां बता दें कि जिन लोगों को पेचिश की समस्या हो गई है उन्हें चाहिए कि मरूआ के पौधे की पत्तियों को लेकर उनको अपने हाथ में मसल कर अपने पेट पर उसे मालिश कर लें। फिर उसके बाद उस जगह की हल्की-हल्की सिकाई कर लें। ऐसा करने से पेचिश में तुरंत राहत मिलेगी।

मुंह की बदबू दूर करे

मरुआ के पत्ते मसूड़ों की समस्या, मुंह की बदबू को भी दूर करता है। इसके लिए मरुआ की पत्तियों को चबाएं। आप इन पत्तियों को अंदर भी ले सकते हैं, थूक भी सकते हैं। इससे आपके मुंह की दुर्गंध दूर होगी। मसूड़ों की समस्या, मसूड़ों की सूजन भी दूर होगी। मुंह की समस्याओं, गले में खराश होने पर आप मरुआ के पत्तों को पानी में उबालकर गरारे भी कर सकते हैं।

खूनी दस्त से दिलाए छुटकारा

अगर किसी व्यक्ति को खूनी दस्त की समस्या हो गई है तो उसे चाहिए कि वह मरूआ पौधे का उपयोग करके इससे राहत पाए। यहां बता दें कि रोगी को मरूआ का बना हुआ काढ़ा पीने से काफी लाभ होता है। लेकिन इस काढ़े में थोड़ा सा शहद मिलाने के बाद ही सेवन करें। जब तक खूनी दस्त में फायदा ना पहुंचे तब तक इसका हर दिन 3 टाइम सुबह, शाम, दोपहर नियमित सेवन करें।

बच्चों के पेट में कीड़े खत्म करे

बच्चों के पेट में अकसर कीड़े की समस्या देखने को मिलती है। बच्चे बार-बार पेट दर्द की शिकायत भी करते हैं। इनके लिए मरुआ का उपयोग करना लाभकारी होता है। यह पेट के कीड़े की घरेलू दवा है। मरुआ की चटनी खाने से पेट की कीड़े निकल जाते हैं। यह पेट के इंफेक्शन को भी ठीक करता है।

मरूआ पौधे के फायदे गठिया में

ऐसे बहुत से लोग हैं जिनको गठिया यानी के जोड़ों के दर्द की समस्या रहती है और उसकी वजह से वो बहुत परेशान भी रहते हैं। यहां जानकारी के लिए बता दें कि जोड़ों के दर्द से राहत पाने के लिए आप मरूआ पौधे की जड़, तना, फल, फूल और पत्ती का एक काढ़ा बनाकर तैयार कर लें। हर दिन कम से कम 100 मिलीलीटर की क्वांटिटी में इसे दिन में तीन बार पिएं। इस प्रकार कुछ ही दिनों में आपको गठिया के दर्द से छुटकारा मिल जाएगा।

सर्दी-जुकाम में आराम दिलाए

बदलते मौसम में सर्दी-जुकाम और खांसी की समस्या होना आम है। अगर आप इससे परेशान हैं, तो मरुआ की पत्तियां का उपयोग कर सकते हैं। मरुआ की पत्तियां सर्दी-जुकाम और खांसी में आराम दिलाती हैं। इसके लिए चाय में मरुआ की 8-10 पत्तियां डाल लें। आप चाहें तो बेहतर परिणाम के लिए मुलेठी भी डाल सकते हैं। इससे जल्दी ही सर्दी-जुकाम में आराम मिलेगा। मरुआ की चाय को फायदेमंद बनाता है।

मासिक धर्म में करे सुधार

महिलाओं को आमतौर पर मासिक धर्म से संबंधित काफी परेशानियां रहती हैं जिनमें से एक है मासिक धर्म का बंद हो जाना। तो ऐसे में अगर इस पौधे की लुगदी बनाकर 20-30 ग्राम प्रतिदिन सेवन की जाती है तो उससे रुका हुआ मासिक धर्म फिर से आना शुरू हो सकता है।

अपच की समस्या दूर करे

मरुआ की पत्तियां अपच की समस्या को दूर करने में भी लाभकारी हैं। इसके लिए मरुआ और अदरक की चटनी बना लें। इससे अपच की समस्या दूर होगी, साथ की भूख भी बढ़ेगी। मरुआ पेट से जुड़ी समस्याओं को दूर करता है। यह अपच दूर करने का अच्छा घरेलू उपाय है।
मरुआ का सेवन करने का तरीका1. जिस तरह के पुदीने की चटनी बनाई जाती है, वैसे ही आप मरुआ के पत्तों की भी चटनी  बना सकते हैं।
2. मरुआ की पत्तियों का रस निकालें। इसका सेवन खाली पेट किया जा सकता है।
3. मरुआ की पत्तियों का उपयोग चाय में डालकर भी किया जा सकता है।
4. मरुआ की पत्तियों का काढ़ा काफी गुणकारी होता है। आप पानी में मरुआ की पत्तियां, अदरक, काली मिर्च और लौंग डालकर उबाल लें। इसका काढ़ा पीने से आपकी कई समस्याएं दूर होती हैं।

मरूआ पौधे के उपयोग से नुकसान

मरूआ पौधे मैं वैसे तो बहुत सारे लाभदायक गुण पाए जाते हैं लेकिन इसको गलत तरीके से इस्तेमाल करने पर कुछ नुकसान भी आपको हो सकते हैं जिनकी जानकारी हम निम्नलिखित दे रहे हैं –इस पौधे की तासीर काफी गर्म होती है इसलिए अगर कोई व्यक्ति इसका सेवन हद से ज्यादा करता है तो उसे पेट संबंधित समस्याएं हो सकती हैं जैसे कि पेट में दर्द, दस्त और ऐंठन इत्यादि।
जिन लोगों को एलर्जी की समस्या हो उन्हें इसका सेवन नहीं करना चाहिए या डॉक्टर से राय करने के बाद ही इसका उपयोग करना चाहिए।
गर्भवती महिलाओं को इसका सेवन करने से बचना चाहिए।
गर्मियों में इसका अत्यधिक इस्तेमाल करने से बचना चाहिए।

20.10.23

गुलाब के फूल का पाउडर कितना उपयोगी है? जानें





गुलाब के फूल के 10 स्वास्थ्य लाभ और उपयोग


गुलाब एक लकड़ीदार और कांटेदार बारहमासी पौधा है, जो मुख्य रूप से अपनी सुंदर और सुगंधित प्रकृति के लिए जाना जाता है। इसे भारतीय पत्तागोभी गुलाब भी कहा जाता है। गुलाब एक छोटी झाड़ी है जो लगभग ऊंचाई तक बढ़ती है। कांटों के साथ 1.5-2 मीटर और ऊंचाई 7 मीटर तक पहुंच सकती है।
इस पौधे की पत्तियाँ नुकीले दांतों वाली अंडाकार होती हैं और इसका फल मांसल और खाने योग्य होता है, जो पकने पर गुलाब कूल्हे कहलाता है। गुलाब विभिन्न रंगों जैसे गुलाबी, लाल, नारंगी, पीला, सफेद और काले में आते हैं। इसका वैज्ञानिक नाम 'रोजा सेंटीफोलिया' है।
विभिन्न भाषाओं में गुलाब के अलग-अलग नाम हैंहिंदी में इसे "गुलाब" कहा जाता है।
कन्नड़ में इसे "गुलाबी हूवु" कहा जाता है।
तेलुगु में इसे "गुलाबिपुवु" कहा जाता है।
और संस्कृत में इसे "शतपत्री" कहा जाता है।

गुलाब का महत्व

गुलाब का उपयोग मुख्यतः व्यापारिक एवं औषधीय प्रयोजनों में किया जाता है। यह अपने सूजनरोधी, कामोत्तेजक, अवसादरोधी, कसैले, ऐंठनरोधी, सफाई करने वाले, बैक्टीरियारोधी और एंटीसेप्टिक गुणों जैसे औषधीय गुणों के कारण त्वचा रोगों, आंखों के तनाव, तनाव, अनिद्रा, दस्त और हाइपरएसिडिटी का इलाज करता है।
गुलाब की पंखुड़ियाँ मेथिओनिन सल्फ़ोक्साइड से बनी होती हैं। इसमें टैनिन और सैपोनिन जैसे यौगिक मौजूद होते हैं। पूरा पौधा काएम्फेरोल, क्वेरसेटिन और साइनाइड का उत्पादन करता है।
गुलाब के स्वास्थ्य लाभहाइपरएसिडिटी से राहत दिलाता है:हाइपरएसिडिटी का मतलब है पेट में एसिड का बढ़ा हुआ स्तर। गुलाब के पाउडर का नियमित सेवन इसके शीतल (ठंडा) गुणों के कारण पेट में एसिडिटी को कम करने में मदद करता है।

दस्त का इलाज करता है:

गुलाब का पाउडर अपने ग्राही (अवशोषक) गुणों के कारण आपके शरीर को अधिक पोषक तत्वों को अवशोषित करने और दस्त को नियंत्रित करने में मदद करता है।

मेनोरेजिया (भारी मासिक धर्म रक्तस्राव) को नियंत्रित करता है:

मेनोरेजिया शरीर में पित्त दोष के खराब होने के कारण होता है। गुलाब पित्त दोष को संतुलित करके मासिक धर्म में भारी रक्तस्राव को नियंत्रित करने में मदद करता है। यह इसके शीत (ठंडा) और कषाय (कसैले) गुणों के कारण है।
त्वचा की सूजन या चकत्ते का इलाज करता है:

गुलाब अपने सूजन-रोधी और एंटीसेप्टिक गुणों के कारण त्वचा पर लालिमा, सूजन या चकत्ते को कम करने में मदद करता है।

तनाव कम करता है और अनिद्रा का इलाज करता है:

गुलाब को मूड फ्रेशनर माना जाता है क्योंकि इसमें एंटी-डिप्रेसेंट और क्लींजिंग गुण होते हैं जो दिमाग को शांत करते हैं और तनाव और चिंता को कम करते हैं। इस प्रकार, यह अच्छी नींद प्रदान करता है।

मुँहासे और पिंपल्स का इलाज करता है:

गुलाब त्वचा के छिद्रों से तेल और गंदगी हटाने के लिए उपयोगी है क्योंकि इसमें कसैले गुण होते हैं। यह अपने शीतल (ठंडे) गुणों के कारण बढ़े हुए पित्त को संतुलित करता है, जिससे मुंहासे होने से बचाव होता है।

गठिया रोग में सहायक:

गुलाब अपने गठिया-रोधी, सूजन-रोधी और एनाल्जेसिक गुणों के कारण गठिया और संबंधित लक्षणों के इलाज में उपयोगी है।

वजन घटाने में उपयोगी:

गुलाब अपने दीपन (भूख बढ़ाने वाला) और पचन (पाचन) गुणों के कारण वजन घटाने के लिए उपयोगी है। यह विषाक्त पदार्थों को अवशोषित करता है और उन्हें शरीर से बाहर निकालने में मदद करता है, जिससे चयापचय को बढ़ाने में मदद मिलती है।

आंखों के दर्द से राहत दिलाता है:

गुलाब के रोपन (उपचार) और शीत (ठंडा) गुणों के कारण, यह आंखों के तनाव और आंखों के दर्द को तुरंत प्रभाव से दूर करने के लिए जाना जाता है।

खांसी ठीक करता है:

गुलाब अपने रोगनाशक गुणों के कारण खांसी से राहत दिलाने में मदद करता है। यह गले की हल्की खराश और ब्रोन्कियल संक्रमण को कम करता है।

गुलाब का उपयोग 

इसकी पंखुड़ियों से बना सूखा पेस्ट गैस्ट्राइटिस और ग्रहणी संबंधी अल्सर के इलाज में बहुत प्रभावी होता है, जिसका सेवन दूध के साथ किया जा सकता है।
गुलाब की कलियों का काढ़ा कब्ज में लाभकारी होता है।
गुलाब टिंचर में कसैला प्रभाव होता है जो दस्त और पेट के दर्द से राहत देता है।
गुलाब की पंखुड़ियों से बने अर्क का उपयोग गरारे करने के लिए किया जाता है।
गुलाब के आवश्यक तेल से तैयार क्रीम सूखी या सूजन वाली त्वचा के इलाज में प्रभावी है।
जंगली गुलाब के सूखे फल में विटामिन सी प्रचुर मात्रा में होता है जो स्कर्वी से बचाव में कारगर है।
शरीर में एसिडिटी और जलन को नियंत्रित करने के लिए गुलाब की पंखुड़ियों से बनी हर्बल चाय बहुत अच्छी होती है।
गुलाब का आवश्यक तेल अनिद्रा और रक्तचाप से राहत के लिए अरोमाथेरेपी में उपयोगी है।
गुलाब की पंखुड़ियों से बना पेस्ट शरीर पर लगाने से अत्यधिक पसीना नियंत्रित होता है और अच्छी खुशबू आती है।

5.10.23

करी पत्ते के के इतने फायदे जानते हैं आप! Curry Patte ke fayde

 



  करी पत्ते (Curry Patte khane ke fayde) का उपयोग अधिकतर भारतीय घरों में कई खाने की चीजे (पोहा, सांभर, उत्तपम, उपमा, काढ़ा, चाय, हेयर मास्क, फेस मास्क ) बनाने के वक्त किया जाता है. जिसेक इस्तेमाल इन डिशेज को बेहतरीन स्वाद और खुशबू प्रदान करने का काम करता है. इसके साथ इसमें कई औषधीय गन भी मौजूद होते है शरीरं को अनेक लाभ पहुंचने में मदद करते है. कुछ लोग करी पत्ते के पानी को पीते है तो कुछ खाली पेट करी पत्ते चबाते है. कहने का यह मतलब है कि करी पत्ता को आप की भी तरह खाएं वह आपको फायदे ही पहुँचायेगा
कड़ी पत्ते सुगंधित और बहुमुखी छोटे पत्ते हैं, जो की एक साधारण से व्यंजन जैसे उपमा या पोहा को खाने के शौकीन लोगो के लिए अत्यंत स्वादिष्ट बना देते हैं। कड़ी / कढ़ी पत्ते अपने विशिष्ट स्वाद और रूप से भोजन में विशेष प्रभाव डालते हैं और भारतीय भोजन का एक प्रमुख हिस्सा हैं। कड़ी पत्तों का उपयोग चटनी और चूर्ण बनाने में भी किया जाता है। कड़ी पत्तों को मुख्यतः चावल, डोसा और इडली जैसे व्यंजनों में भी इस्तेमाल किया जाता है।
करी पत्ता (कड़ी पत्ता) का वैकल्पिक नाम
कड़ी पत्ते का वानस्पतिक नाम: Murraya Koenigii
कड़ी पत्ते का अंग्रेजी नाम: Curry Leaf
कड़ी पत्ते का संस्कृत नाम: कृष्णा निंबा
करी पत्ता (कड़ी पत्ता) के फायदे
पौष्टिक मूल्यों से भरपूर कड़ी पत्तों में औषधीय, निरोधक और सौंदर्य गुण भी हैं। यह रोगाणु को नष्ट करता है, बुखार और गर्मी से राहत प्रदान करता है, भूख में सुधार लाता है, मल को नरम करता है और पेट फूलने से राहत देता है। कच्चे और मुलायम कड़ी पत्ते पके हुए पत्तों की अपेछा अधिक मूल्यवान हैं। यह आंख और बालों के लिए लाभदायक हैंI इसके जड़ और तना का भी आयुर्वेदिक प्रयोग और उपचार में विशेष महत्व है।

डायबिटीज में फायदेमंद करी पत्ते

करी पत्ते डायबिटीज (curry leaves Beneficial in diabetes) को कंट्रोल करने लिए उत्तम इसलिए माने जाते कि इनमें हाइपोग्लाइसेमिक गुण भरपूर मात्रा में पाए जाते ही जो डायबिटीज के स्तर को कम करने में सहायक होते होता है. डायबिटीज के रोगी करी पत्तों को चवाकर खा सकते है या फिर उसका रस पी सकते है.

पाचन के लिए कढ़ी पत्ते के फायदे

पाचन क्रिया को दुरुस्त करना है तो करी पत्ते (Curry Leaves Benefits) खाने बेहतर विकल्प हो सकते है. मुराया कोएनिजी (Murraya koenigii) की पत्तियों में कई प्रकार के ऐसे गुण मौजूद होते है जो एसिडिटी, अपच और पेट की अन्य समस्याओं को (Stomach Problems) को ख़त्म करने में सहायक हो सकते है. इसके लिए आप सुबह खाली पेट करी पत्ते चबा सकते है या फिर करी पत्तों को पानी उबलने के बाद छानकर पानी पी सकते है.

लिवर के लिए करी पत्ते के फायदे

मुराया कोएनिजी (Murraya koenigii) की पत्तियों में पाए जाने वाले हेप्टोप्रोटेक्टिव गुण लिवर की कार्यक्षमता को बढाने में सक्षम माने जाते है. इसलिए करी पत्ते के फायदे लिवर (curry leaves benefits for liver) के रिस्क को कम करने में सहायक हो सकते है.

वजन कम करे कढ़ी पत्ता के फायदे


वजन कम (Weight Loss) करने के लिए करी पत्तों (Curry Leaves For Weight Loss) को आने भोजन में शामिल कर सकते है. वजन कम करने के लिए सूखे या ताजे करी पत्तों का इस्तेमाल सब्जी, सूप, सलाद या फिर डिटॉक्स वॉटर (detox water) कर सकते है.

ह्रदय के लिए करी पत्ते के फायदे

ह्रदय को स्वस्थ रखने के लिए करी पत्तों का सेवन एक आयुर्वेदिक औषधि के रूप किया जा सकता है. करी पत्ता (curry leaves Benefits of heart) कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित कर हृदय को स्वस्थ रखने में अपना सहयोग देता है. इस आधार पर करी पत्ते दिल के लिए फायदेमंद माने जाते है.

आंखों के लिए करी पत्ते के फायदे

करी पत्ते में पाई जाने वाली विटामिन ए आँखों को सेहतमंद बनाने में अपना पूरा सहयोग करती है. करी पत्ते खाने के फायदे (benefits of curry leaves for eyes) आंखों की रोशनी में सुधर कर सकते है.

कोलेस्ट्रॉल में लाभकारी करी पत्ते

कोलेस्ट्रॉल के स्तर को सुधरने के लिए करी पत्तों का सेवन किया जा सकता है क्योकि इसमें हानिकारक कोलेस्ट्रॉल को कम करने के साथ अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने का काम करने वाले एंटीऑक्सीडेटिव गुण पाए जाते है. इसलिए करी पत्ते कोलेस्ट्रॉल (curry leaves beneficial in cholesterol) के स्तर को बेहतर करने के लिए फायदेमंद माने जाते है.

अन्य स्वास्थ्य लाभ|

अपच: सूखे कड़ी पत्ते, मेथी और काली मिर्च का चूर्ण बना लें, इसमें थोड़ा घी मिलाकर प्रतिदिन सेवन करें।
दस्त: कड़ी पत्तों का रस बना कर दिन में दो बार दो बार चम्मच रस का सेवन करें।
जी मचलना और उल्टी: एक मुट्ठी कड़ी पत्ते को चार कप पानी डालकर उबालें और इसे एक कप बना लें। इसे दिन में चार से छः बार पियें।
अम्लता-प्रेरित उल्टी: तने और टहनियों के चूर्ण को ठंडे पानी के साथ मिला कर उपयोग करें।
स्वस्थ बाल
रूसी: नींबू के छिल्कों, कड़ी पत्ते, मेथी और रीठा के चूर्ण का मिश्रण बनायें। बालों को धोने के लिए साबुन या शैम्पू के स्थान पर इस मिश्रण का उपयोग करें।
स्वस्थ बाल: नारियल के तेल में कड़ी पत्तों को गहरे भूरे होने तक उबाल लें। पत्तियों को इससे बाहर निकाल लें और प्रतिदिन सर में इस तेल का प्रयोग करें।
बालों का पकना: कच्चे पत्तों का चबाकर सेवन करने से बालों का झड़ना कम होता है। कड़ी पत्ते डालकर उबाला हुआ तेल बालों के असमय पकने को रोकता है।
अन्य स्वास्थ्य लाभ
जलने पर: जले हुए जगह पर कड़ी पत्तों का पेस्ट बना कर लगायें।


3.10.23

सूखा अदरक (सौंठ) के आयुर्वेदिक उपयोग Sounth ke fayde

 



  क्या आपको पता है कि सब्जियों का स्वाद बढ़ाने वाला सोंठ कई बीमारियों से छुटकारा दिलाने में मदद कर सकता है। लंबे समय से सोंठ को एक कारगर औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। यह अदरक को सूखाकर बनाया जाने वाला पाउडर है, जिसका इस्तेमाल अदरक की तरह ही किया जाता है। भोजन में एक मसाले की तरह इस्तेमाल किया जाने वाला सोंठ आंतरिक स्वास्थ्य से लेकर त्वचा संबंधी समस्याओं के लिए भी फायदेमंद है.

 सर्दी के मौसम में अदरक का इस्तेमाल सुबह की चाय से लेकर रात की सब्जी तक में किया जाता है। लेकिन जब इसे सुखा कर व पीसकर तैयार किया जाता है तो यह एक मसाले की शक्ल ले लेता है, जिसे सोंठ कहा जाता है। अधिकतर लोग अपने घरों में सोंठ का प्रयोग मसाले के रूप में करते हैं तो कुछ लोग ठंड से बचने के लिए सोंठ के लड्डू बनाकर रखते हैं। वैसे इसकी मदद से कई समस्याओं से भी राहत पाई जा सकती है।

सिरदर्द से राहत

सिरदर्द होने पर सोंठ का प्रयोग करना एक अच्छा विचार हो सकता है। बस इसका पेस्ट बनाकर अपने माथे पर लगाएं। इससे आपको काफी आराम होगा। वहीं जिन लोगों को माइग्रेन है, वह भी दो टेबलस्पून सोंठ को गर्म पानी में डालकर पीएं। इस उपाय से आधे सिर के दर्द से भी आराम मिलता है। आप चाहें तो गले में दर्द होने पर भी इस पेस्ट का इस्तेमाल कर सकते हैं।

जुकाम से राहत

सोंठ अदरक का पाउडर है, जो हर घर की रसोई में उपयोग किया जाता है। इसे मुख्यतः सब्जी, चाय और अन्य पेय पदार्थों में इस्तेमाल किया जाता है। शोध के अनुसार, अदरक मलेरिया और बुखार जैसी समस्याओं के साथ सर्दी-जुकाम से राहत देने का काम कर सकता है । इसलिए, माना जा सकता है कि सोंठ का प्रयोग कर जुकाम से राहत पाई जा सकती है।

पेट की जलन से राहत

पेट की जलन को दूर करने में अदरक कारगर भूमिका निभा सकता है। दरअसल, इस खाद्य पदार्थ का इस्तेमाल प्राचीन समय से पेट से जुड़ी हुई कई समस्याओं, जैसे कब्ज, दस्त, अपच, पेट फूलना, गैस, गैस्ट्रिक अल्सर, मतली और उल्टी का इलाज करने के लिए किया जा रहा है, जो पेट में जलन का कारण बन सकती हैं

वजन करे कम

अदरक में थर्मोजेनिक एजेंट नामक तत्व होता है जो वसा को जलाने में मदद करता है, जिससे वजन आसानी से कम होता है। गरम पानी के साथ इसका सेवन मोटापे को कम करने में सहायक है
इसके लिए एक चौथाई टीस्पून सोंठ को एक कप गर्म पानी में अच्छे से मिलाएं। अब इसका प्रतिदिन सेवन करें। आप चाहें तो इसमें थोड़ा शहद भी मिला सकते हैं।

सामान्य ठंड,बुखार 

सर्दी में ठंड लगने पर लोग अदरक का सेवन किसी न किसी रूप में अवश्य करते हैं। लेकिन इसके अतिरिक्त सोंठ का प्रयोग करके भी ठंड से निजात पाई जा सकती है। इसके लिए चाहें तो सोंठ को चाय में डालकर पीएं या फिर सोंठ के साथ गुड़ मिलाकर सेवन करें। ऐसा करने से बहती नाक से आराम मिलता है। यह पसीने को निकालने में सहायक है, जिससे शरीर का तापमान कम हो सकता है और शरीर के विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है, जिससे बुखार में भी आराम मिलता है। शहद के साथ इसे खाने से बुखार कम होता है

यूरिनरी इंफेक्शन

यूरिनरी इंफेक्शन कई बार बेहद गंभीर हो सकता है। इससे बचने का एक आसान उपाय है कि सोंठ को दूध व चीनी के साथ मिलाकर सेवन करें। इससे इंफेक्शन काफी हद तक कम हो जाता है।
*जोड़ों के दर्द में सूखी अदरक, जिसे हम सोंठ कहते हैं, काफी लाभदायक होती है। सोंठ, जायफल को पीसकर तिल के तिल के में डालकर, उसमें भीगी हुई पट्टी जोड़ों पर लगाने से आराम मिल सकता है। इसके अलावा उबले हुए पानी के साथ शहद और अदरक पाउडर को पीने से गठिया में लाभ होता है।

एक्ने से छुटकारा

टीनेज में एक्ने होना एक सामान्य बात है, लेकिन इससे निजात पाने के लिए तरह−तरह की क्रीम अपनाने की आवश्यकता नहीं है। सोंठ भी एक्ने से निजात दिलाने में मददगार हो सकता है। बस, मिल्क पाउडर व सोंठ को आपस में मिलाकर एक स्मूद पेस्ट बनाएं। अब चेहरे को साफ करके इस पेस्ट को अप्लाई करें। करीबन 20 मिनट बाद चेहरा वॉश करके मॉइश्चराइजर इस्तेमाल करें। सप्ताह में एक बार इस पेस्ट का इस्तेमाल करने से कुछ ही दिनों में फर्क नजर आने लगता है।

गैस की समस्या

सोंठ, हींग और काला नमक मिलाकर लेने से गैस की समस्या में लाभ होता है। पिसी हुई सोंठ और कैरम के बीजों को नींबू के रस में भि‍गोकर छाया में सुखाकर प्रतिदिन सुबह लेने से गैस और पेडू के दर्द में आराम मिलता है।
* यह पाचनक्रिया को दुरूस्त कर वजन कम करने में भी मदद करता है। इसके अलावा यह रक्त में मौजूद शर्करा के स्तर को नियंत्रित कर, वसा को सक्रिय करता है।

सूजन को कम करना

कई बीमारियों और दर्द का कारण सूजन हो सकता है। इस सूजन की समस्या को दूर करने के लिए सोंठ आपके लिए उपयोगी सिद्ध हो सकता है। जैसा कि आपको पहले बताया जा चुका है कि सोंठ अदरक से बना पाउडर होता है और अदरक में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं, जो दर्द के साथ-साथ सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं

पेट दर्द, कब्ज

पेट दर्द, कब्ज और अपच जैसी समस्याओं में इसे पीसकर हींग और सेंधा नमक के साथ लेने से आाम मिलता है। इसके अलावा इसे पानी के साथ उबालकर बार-बार पीने से डायरिया में काफी लाभ मिलता है।

मधुमेह

सोंठ का सेवन मधुमेह की समस्या से निजात दिलाने का काम कर सकता है। दरअसल, अदरक को लेकर किए गए शोध में इसमें मौजूद एंटी-डायबिटिक, हाइपोलिपिडेमिक और एंटी-ऑक्सीडेटिव गुणों के बारे में पता चला है, जो मधुमेह के रोगियों में शुगर की मात्रा को संतुलित करने का काम कर सकता है

हिचकी

सोंठ को दूध में उबालकर, ठंडा करके पीने से हिचकी आना बंद हो जाती है। पसलियों में दर्द होने पर इसे पानी में उबालकर ठंडा कर दिन में कम से कम चार बार पीने से लाभ होता है।

दांत दर्द से राहत


सोंठ का उपयोग एक आयुर्वेदिक दवा के रूप में कई शारीरिक समस्याओं के लिए किया जाता है, जिसमें दांत दर्द का उपचार भी शामिल है। दरअसल, अदरक एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण से समृद्ध होता है, जो दांत दर्द के राहत देने में एक अहम भूमिका निभा सकता है

मुंहासों के लिए


अदरक के पाउडर को सोंठ के नाम से जाना जाता है। अदरक में पाए जाने वाला गुण सोंठ में भी मौजूद होते हैं। सोंठ को होम्योपैथिक इलाज के लिए भी उपयोग किया जाता है, जो आपके मुंहासे की समस्या को दूर करने में मददगार हो सकता है। इसके अलावा, अदरक का उपयोग मुंहासों को दूर करने वाली क्रीम में भी किया जाता है

कैंसर के लिए

कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी पर भी सोंठ के सकारात्मक परिणाम देखे जा सकते हैं। जैसा कि हमने बताया कि सोंठ अदरक का पाउडर है और अदरक एंटी-कैंसर गुणों से समृद्ध होता है। शोध के अनुसार, अदरक कई प्रकार के कैंसर से बचाव कर सकता है। इनमें कोलन कैंसर और प्रोस्टेट कैंसर मुख्य हैं

लकवे मे-

लकवे के प्रभाव को कम करने के लिये सूखी अदरक का पाउडर, जिगरी और गर्म मसूर की दाल को मिलाकर खाने से फायदा होता है। इसके अलावा लहसुन, सूखी अदरख और पानी का लेप बनाकर लगाने से भी काफी लाभ होता है।

माइग्रेन लिए सोंठ के फायदे

माइग्रेन को दूर करने के लिए आप कई तरह के उपचार का सहारा लेते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि सोंठ का सेवन माइग्रेन की समस्या से राहत दिलाने का काम कर सकता है। दरअसल, सोंठ पर किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि सोंठ (Ginger Powder) माइग्रेन कम करने वाली दवा के सामान प्रभावकारी हो सकता है


13.9.23

हार सिंगार का पत्ता गठिया और सायटिका का रामबाण उपचार

 





हरसिंगार का पौधा आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है। इसके फल, पत्ते, बीज, फूल और यहां तक कि इसकी छाल तक का इस्तेमाल विभिन्न रोगों के उपचार में किया जाता है। हरसिंगार को नाइट जैस्मीन और पारिजात के नाम से भी जाना जाता है। इसके फूलों का इस्तेमाल अक्सर भगवान को पुष्पांजलि अर्पित करने के लिए किया जाता है। इसका सामान्य नाम निक्टेन्थिस आर्बोर्ट्रिस्टिस लिनन (Nyctanthes Arbortristis linn) है। इस फूल की खुशबू काफी तेज और मनमुग्ध करने वाली होती है। हरसिंगार के फूलों की खुशबू रात भर आती है और सुबह होते-होते धीमी हो जाती है
क्या आपने कभी हरसिंगार की पत्तियों से बनी चाय पी है? या फि‍र इसके फूल, बीज या छाल का प्रयोग स्वास्थ्य एवं सौंदर्य उपचार के लिए क्या है? आप नहीं जानते तो, जरूर जान लीजिए इसके चमत्कारी औषधीय गुणों के बारे में। इसे जानने के बाद आप हैरान हो जाएंगे...
हरसिंगार के फूलों से लेकर पत्त‍ियां, छाल एवं बीज भी बेहद उपयोगी हैं। इसकी चाय, न केवल स्वाद में बेहतरीन होती है बल्कि सेहत के गुणों से भी भरपूर है। इस चाय को आप अलग-अलग तरीकों से बना सकते हैं और सेहत व सौंदर्य के कई फायदे पा सकते हैं। जानिए विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं के लिए इसके लाभ और चाय बनाने का तरीका -
वि‍धि -1.:हरसिंगार की चाय बनाने के लिए इसकी दो पत्तियां और एक फूल के साथ तुलसी की कुछ पत्त‍ियां लीजिए और इन्हें 1 गिलास पानी में उबालें। जब यह अच्छी तरह से उबल जाए तो इसे छानकर गुनगुना  ठंडा करके पी लें। आप चाहें तो स्वाद के लिए शहद या मिश्री भी डाल सकते हैं। यह खांसी में फायदेमंद है।
वि‍धि 2 :रसिंगार के दो पत्ते और चार फूलों को पांच से 6 कप पानी में उबालकर, 5 कप चाय आसानी से बनाई जा सकती है। इसमें दूध का इस्तेमाल नहीं होता। यह स्फूर्तिदायक होती है।
चाय के अलावा भी हरसिंगार के वृक्ष के कई औषधीय लाभ हैं। जानिए कौन-कौन सी बीमारियों में कैसे करें इसका इस्तेमाल -
जोड़ों में दर्द - हरसिंगार के 6 से 7 पत्ते तोड़कर इन्हें पीस लें। पीसने के बाद इस पेस्ट को पानी में डालकर तब तक उबालें जब तक कि इसकी मात्रा आधी न हो जाए। अब इसे ठंडा करके प्रतिदिन सुबह खालीपेट पिएं। नियमित रूप से इसका सेवन करने से जोड़ों से संबंधित अन्य समस्याएं भी समाप्त हो जाएगी।
खांसी - खांसी हो या सूखी खांसी, हरसिंगार के पत्तों को पानी में उबालकर पीने से बिल्कुल खत्म की जा सकती है। आप चाहें तो इसे सामान्य चाय में उबालकर पी सकते हैं या फिर पीसकर शहद के साथ भी प्रयोग कर सकते हैं।
बुखार - किसी भी प्रकार के बुखार में हरसिंगार की पत्तियों की चाय पीना बेहद लाभप्रद होता है। डेंगू से लेकर मलेरिया या फिर चिकनगुनिया तक, हर तरह के बूखार को खत्म करने की क्षमता इसमें होती है।
साइटिका - दो कप पानी में हरसिंगार के लगभग 8 से 10 पत्तों को धीमी आंच पर उबालें और आधा रह जाने पर इसे अंच से उतार लें। ठंडा हो जाने पर इसे सुबह शाम खाली पेट पिएं। एक सप्ताह में आप फर्क महसूस करेंगे।
बवासीर - हरसिंगार को बवासीर या पाइल्स के लिए बेहद उपयोगी औषधि माना गया है। इसके लिए हरसिंगार के बीज का सेवन या फिर उनका लेप बनाकर संबंधित स्थान पर लगाना फायदेमंद है।
त्वचा के लिए - हरसिंगार की पत्त‍ियों को पीसकर लगाने से त्वचा संबंधी समस्याएं समाप्त होती हैं। इसके फूल का पेस्ट बनाकर चेहरे पर लगाने से चेहरा उजला और चमकदार हो जाता है।
हृदय रोग - हृदय रोगों के लिए हरसिंगार का प्रयोग बेहद लाभकारी है। इस के 15 से 20 फूलों या इसके रस का सेवन करना हृदय रोग से बचाने में कारगर है।
दर्द - हाथ-पैरों व मांसपेशियों में दर्द व खिंचाव होने पर हरसिंगार के पत्तों के रस में बराबर मात्रा में अदरक का रस मिलाकर पीने से फायदा होता है।
अस्थमा - सांस संबंधी रोगों में हरसिंगार की छाल का चूर्ण बनाकर पान के पत्ते में डालकर खाने से लाभ होता है। इसका प्रयोग सुबह और शाम को किया जा सकता है।
प्रतिरोधक क्षमता - हरसिंगार के पत्तों का रस या फिर इसकी चाय बनाकर नियमित रूप से पीने पर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और शरीर हर प्रकार के रोग से लड़ने में सक्षम होता है। इसके अलावा पेट में कीड़े होना, गंजापन, स्त्री रोगों में भी बेहद फायदेमंद है।

हरसिंगार पाउडर के फायदे

गठिया रोग के उपचार के लिए

परिजात के पत्ते गठिया के रोगियों के लिए बहुत ही असरदार होता है। गठिया रोग यानी जिनको जोड़ो में दर्द रहता है या शरीर के किसी भाग में सूजन है तो उनके लिए परिजात के पत्ते बहुत ही लाभकारी होते हैं। गठिया रोग में परिजात के पत्ते का सेवन कुछ इस प्रकार करते हैं परिजात के 5-7 पत्तियां तोड़कर पीस लें और उसे एक गिलास पानी में डालकर उबालें चकवाल तेरे जब तक की पानी की मात्रा आधा ना हो जाए आने की एक गिलास पानी डालने हैं तो आधा गिलास पानी हो जाना चाहिए। इसका ठेको ठंडा होने दें ठंडा होने के बाद इसे सुबह में खाली पेट पी लें इसे पीने के बाद कम से कम एक घंटा तक खाना ना खाएं।
बूढ़े लोगों में अर्थराइटिस (Arthritis) की समस्या आम बात है लेकिन आजकल यह वयस्कों को भी प्रभावित कर रही है। अर्थराइटिस के बेतहाशा दर्द और सूजन से निजात दिलाने में हरसिंगार की पत्तियां बहुत ही ज्यादा कारगर साबित होती हैं। अगर आप अर्थराइटिस से पीड़ित हैं तो हरसिंगार के पत्ते के पावडर को एक कप पानी में उबालकर और इसे ठंडा करके पीने से अर्थराइटिस के दर्द में राहत मिलता है। हरसिंगार का उपयोग प्रतिदिन करने से यह समस्या पूरी तरह दूर हो जाती है।
अगर आप गठिया रोग से बहुत ज्यादा दिन या आपको दर्द बहुत ज्यादा हो तो इसे आप दिन में दो या तीन बार भी इस्तेमाल कर सकते हैं। हरसिंगार के पत्ते गठिया रोग के लिए बहुत ही फायदेमंद है इसका इस तरह से सेवन करने से 10 से 15 दिन में इसका असर दिखना शुरू हो जाता है पुराना से पुराना गठिया रोग कुछ ही महीनों में ठीक हो जाता है।

एंटी-अस्थमाटिक और एंटी-एलर्जीक

औषधीय अध्ययनों के मुताबिक हरसिंगार के पत्ते एंटी-अस्थमाटिक और एंटी-एलर्जीक गुणों से समृद्ध होते हैं। इसके पीछे का कारण इसमें मौजूद β-साइटोस्टेरॉल (β-sitosterol) नामक केमिकल कंपाउंड को माना जाता है। इसके अलावा, इसकी पत्तियों का अर्क नाइट्रिक ऑक्साइड का उत्पादन बढ़ाकर नाक की नली को आराम पहुंचाने में मदद कर सकता है । दरअसल, अस्थमा में नाक की नली सूज जाती है और उसके आसपास की मांसपेशियां सख्त हो जाती हैंदेखा जाए तो प्राचीन काल से ही हरसिंगार का इस्तेमाल अस्थमा को ठीक करने के लिए किया जाता रहा है। आप अस्थमा का इलाज करने के लिए इसके फूलों और पत्तियों का उपयोग कर सकते हैं । फूलों को सूखाकर पाउडर बनाने के बाद इसे उपयोग में लाया जा सकता है।

गंजेपन की समस्या ( Baldness Problem )

आज के इस दौर में अधिकांश लोग महिला हो या पुरुष गंजेपन की समस्या से परेशान है। हरसिंगार के पौधे के पास गंजेपन की समस्या का भी हल है इसका उपयोग हम लोग गंजेपन की समस्या को दूर करने के लिए भी कर सकते है। इसके लिए हम लोगों को हरसिंगार के बीजों का पेस्ट बनाकर अपने सिर पर लगाना होगा जिससे हमलोग को गंजेपन की परेशानी से छुटकारा मिलेगी।

सूजन को करे कम

शरीर में किसी भी प्रकार की सूजन (inflammation) की समस्या होने पर अगर आप हरसिंगार के पत्तों का इस्तेमाल करते हैं, तो यह फायदेमंद होता है। क्योंकि इसमें मौजूद एंटी इंफ्लेमेटरी गुण सूजन को कम करने में मदद करता है। साथ ही इसका सेवन साइटिक के दर्द में भी आराम पहुंचता है।

बुखार ( Fever )

हरसिंगार का उपयोग बुखार से छुटकारा दिलाने के लिए होता है। बुखार में हरसिंगार के जड़ और पत्तों का उपयोग किया जाता है। हरसिंगार के पत्ते का रस या हरसिंगार के जड़ के काढ़ा बनाकर पीने से बुखार से काफी राहत मिलती है।
हरसिंगार के पत्तों का प्रयोग मलेरिया बुखार में भी किया जाता है मलेरिया से ग्रसित व्यक्ति को हरसिंगार के 4-5 पत्तों के पेस्ट बनाकर इसका सेवन करने से मलेरिया का संक्रमण पूरी तरह से खत्म हो जाता है

तनाव

हरसिंगार का पौधा एंटीडिप्रेसेंट गुण से समृद्ध होता है। ऐसे में इसके सेवन से आप तनाव और अवसाद से खुद को बचा सकते हैं। इसके लिए आपको रसिंगार की चाय का सेवन करना होगा, जो आपको रिलैक्स रखने में मदद कर सकती है। वहीं, इसकी मदद से आप अपना मूड भी ठीक कर सकते हैं

डेंगू और चिकनगुनिया

डेंगू और चिकनगुनिया से जूझने वालों को तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया जाता है, लेकिन आप हरसिंगार के सेवन से इसके कुछ लक्षणों और इससे संबंधित परेशानियों को कम कर सकते हैं। इसमें एंटीवायरल, एंटीइंफ्लेमेटरी और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं जो आपको डेंगू और चिकनगुनिया मच्छरों के कारण होने वाले बुखार से बचाते हैं। साथ ही जोड़ों में होने वाले दर्द को कम कर सकते हैं। इसके अलावा, हरसिंगार डेंगू में घटने वाले प्लेटलेट काउंट को भी बढ़ाने में मदद कर सकता है

घाव भरने में उपयोगी

कई बार हमारे शरीर के घाव और खरोंच सही समय से नहीं भर पाते हैं, जो कई अंदरूनी समस्याओं और बीमारियों के कारण हो सकते हैं। ऐसे में अगर आप हरसिंगार के पत्तों का इस्तेमाल करते हैं, तो यह फायदेमंद होता है। क्योंकि इसमें एंटीसेप्टिक और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण मौजूद होता है, जो घाव को जल्दी भरने में मदद करता है।

डायबिटीज ( Diabetes )

हरसिंगार का पेड़ डायबिटीज के रोगियों के लिए बहुत लाभदायक होता है। डायबिटीज से ग्रसित लोग परिजात के पत्ते का 15-25 मिली काढ़ा बनाकर इसका सेवन करें ।

हरसिंगार के पत्ते का काढ़ा कैसे बनाएं

हरसिंगार के पत्ते का काढ़ा बनाने के लिए सबसे पहले हम हरसिंगार का पत्ता 7-8 लेंगे फिर उसको पिसेगे पिसने बाद 1गिलास पानी ले फिर उस पेस्ट को अच्छा से घोल लें ओर उसे धीमी आंच पर पकाने वास्ते छोड़ दें जब पानी उबालकर आधा हो जाय तो उसे ठंडा होने के लिए छोड़ दें फिर उसे सूबह उठकर खाली पेट उस काढ़ा को पिले फिर उसका उपयोग 1
हपते करने जोड़ो का दर्द से राहत मिलती हैं।

रिंगवर्म या दाद

यदि आप रिंगवर्म या दाद की समस्या से परेशान हैं तो हरसिंगार की पत्तियां इस समस्या को दूर करने में बहुत लाभकारी होती हैं। हरसिंगार की पत्तियों को पीसकर पेस्ट बना लें और प्रभावित स्थान पर लगाने से दाद की समस्या दूर हो जाती है।

हरसिंगार के पत्ते का चाय कैसे बनाएं

हरसिंगार की चाय बनाने के लिए दो कप पानी हरसिंगार के दो पत्ते तीन फूल के साथ तुलसी के साथ कुछ पत्ते तुलसी के साथ कुछ पत्तियां लीजिए इसको अच्छी तरह धीमी आंच पर उबालें आधी चाय उबलने के बाद गुड़ का छोटा सा टुकड़ा डालें और इससे 2 मिनट इसे धीमी आंच पर पकाएं 2 मिनट और यह चाय बनकर तैयार है यह चाय पीने से बुखार में राहत मिलती है यह चाय का सेवन प्रत्येक 2 दिन बाद करनी चाहिए।

हरसिंगार के पत्ते के फायदे

हरसिंगार का उपयोग अस्थमा रोगों के इलाज के लिए किया जाता है। अध्ययनों के अनुसार हरसिंगार के पत्ते में एंटी अस्थमैटिक और एंटी अलर्जिक गुण पाए जाते हैं जो कि अस्थमा रोग के इलाज के लिए काफी फायदेमंद है।

आप इसका उपयोग करने के लिए हरसिंगार के फूलों तथा हरसिंगार के पत्ते का उपयोग कर सकते हैं, इन्हें सुखा कर पाउडर बना लें और इसका इस्तेमाल करें।
हरसिंगार के पत्ते के फायदे शरीर की पाचन क्रियाओं में भी होते हैं , हरसिंगार के पत्तियों के रस के उपयोग से पेट में मौजूद भोजन को पचाने में बहुत ही मदद करता है, हरसिंगार में एंटी स्पस्मोडिक (Anti Spasmodic) गुण भी पाए जाते हैं जो कि शरीर की पाचन तंत्र को स्वास्थ्य और तंदुरुस्त रखने में मदद करते हैं ।
हरसिंगार में एंटीएंफ्लेमेट्री के गुण भी भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं जो कि गठिया मरीजों के लिए उपयोगी होता है ।हरसिंगार का अर्क गठिया को बढ़ने से रोक सकता है, हरसिंगार में एंटी आर्थराइटिस गुण भी मौजूद होते हैं ।
हरसिंगार का पौधा जो की एंटीडिप्रीसेंट गुणों से भरा होता है इसके सेवन से आप खुद को अवसाद और तनाव से बचा सकते हैं । अगर आप थके हुए हैं तथा आपका मूड सही नहीं है मन विचलित है तो आप हरसिंगार के चाय का सेवन करें, आपको तुरंत रिलेक्स रखने में हरसिंगार बहुत ही फायदेमंद है।
डायबिटीज, उच्च रक्तचाप कोलेस्ट्रॉल और मोटापा के होने से हृदय का स्वास्थ्य बिगड़ जाता है, जिसके कारण आप हृदय रोग से संबंधी कई बीमारियों के शिकार हो सकते हैं, हरसिंगार या परिजात के जड़ के छाल के इस्तेमाल से हृदय रोग से संबंधित बीमारियों से बचाया जा सकता है , चुकी यह डायबिटीज के खतरे को भी कम करने के साथ साथ यह उच्च रक्तचाप को भी कंट्रोल करता है।
हरसिंगार के पौधे लेक्सोटिव गुणों से भरपूर होता है जो की शरीर की पाचन क्रियाओं में मदद करता है और गैस की समस्याओं को खत्म करने का काम करता है।
अक्सर ये देखा जाता है की डेंगू और चिकनगुनिया से पीड़ित वायक्ति को तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया जाता है, लेकिन आप हरसिंगार के पत्ते के उपयोग से इसके कुछ लक्षणों और इससे संबंधित परेशानियों को कम कर सकते हैं। हरसिंगार में एंटीवायरल, एंटीएंफ्लोमेंट्री तथा एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं, ये गुण आपको डेंगू और चिकनगुनिया मच्छर से होने वाले बुखार से बचाने में सक्षम होते हैं । साथ ही यह आपके जोड़ों में होने वाले दर्द को कम कर सकने में कारगर होते हैं, इसके अलावा हरसिंगार के पत्ते डेंगू में घटने वाले प्लेटलेट काउंट को भी बढ़ाने में मदद करता है।

29.8.23

गठिया gout रोग को काबू में लाने के उपाय

 



जैसे-जैसे इंसान की जिंदगी आगे बढ़ती है, वैसे-वैसे वो कई समस्याओं का भी शिकार होते चला जाता है। वहीं, आज के दौर में तो लगभग हर दूसरा व्यक्ति किसी न किसी समस्या से जूझ रहा है। इसके पीछे कहीं न कहीं हमारा खानपान, हमारी खराब दिनचर्या और हमारा अनुशासन का पालन न करना शामिल है। न तो लोग समय पर खाना खाते हैं और न ही छोटी-छोटी चीजों पर ध्यान देते हैं, जो आगे चलकर विकराल रूप ले लेती है। जैसे- जोड़ों का दर्द। सिर्फ बुजुर्ग ही नहीं, बल्कि युवा भी काफी संख्या में इस बीमारी से ग्रसित हैं। 

  आयुर्वेद में बहुत सी वात व्याधियों का वर्णन है | इनमे से एक आमवात है जिसे हम गठिया रोग भी कह सकते है | आमवात में पुरे शरीर की संधियों में तीव्र पीड़ा होती है साथ ही संधियों में सुजन भी रहती है | आमवात दो शब्दों से मिलकर बना है – आम + वात | आम अर्थात अद्पच्चा अन्न या एसिड और वात से तात्पर्य दूषित वायु | जब अधपचे अन्न से बने आम के साथ दूषित वायु मिलती है तो ये संधियों में अपना आश्रय बना लेती है और आगे चल कर संधिशोथ व शुल्युक्त व्याधि का रूप ले लेती जिसे आयुर्वेद में आमवात और बोलचाल की भाषा में गठिया रोग कहते हैं.
चरक संहिता में भी आमवात विकार की अवधारणा का वर्णन मिलता है लेकिन आमवात रोग का विस्तृत वर्णन माधव निदान में मिलता है

आमवात के कारण


आयुर्वेद में विरुद्ध आहार को इसका मुख्य कारण माना है | मन्दाग्नि का मनुष्य जब स्वाद के विवश होकर स्निग्ध आहार का सेवन करता और तुरंत बाद व्याम या कोई शारीरिक श्रम करता है तो उसे आमवात होने की सम्भावना हो जाती है | रुक्ष , शीतल विषम आहार – विहार, अपोष्ण संधियों में कोई चोट, अत्यधिक् व्यायाम, रात्रि जागरण , शोक , भय , चिंता , अधारणीय वेगो को धारण करने से आदि शारीरिक और मानसिक वातवरणजन्य कारणों के कारण आमवात होता है |

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आमवात के लिए कोई बाहरी कारण जिम्मेदार नहीं होता इसके लिए जिम्मेदार होता है हमारा खान-पान | विरुद्ध आहार के सेवन से शारीर में आम अर्थात यूरिक एसिड की अधिकता हो जाती है | साधारनतया हमारे शरीर में यूरिक एसिड बनता रहता है लेकिन वो मूत्र के साथ बाहर भी निकलता रहता है | जब अहितकर आहार और अनियमित दिन्चरिया के कारन यह शरीर से बाहर नहीं निकलता तो शरीर में इक्कठा होते रहता है और एक मात्रा से अधिक इक्कठा होने के बाद यह संधियों में पीड़ा देना शुरू कर देता है क्योकि यूरिक एसिड मुख्यतया संधियों में ही बनता है और इक्कठा होता है | इसलिए बढ़ा हुआ यूरिक एसिड ही आमवात का कारन बनता है |

आमवात के संप्राप्ति घटक-

दोष – वात और कफ प्रधान / आमदोष | दूषित होने वाले अवयव – रस , रक्त, मांस, स्नायु और अस्थियो में संधि | अधिष्ठान – संधि प्रदेश / अस्थियो की संधि | रोग के पूर्वप्रभाव – अग्निमंध्य, आलस्य , अंग्म्रद, हृदय भारीपन, शाखाओ में स्थिलता | आचार्य माधवकर ने आमवात को चार भागो में विभक्त किया है 1. वातप्रधान आमवात 2. पितप्रधान आमवात 3. कफप्रधान आमवात 4. सन्निपताज आमवात

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 आमवात की आयुर्वेदिक औषधियां -

आमवात में मुख्या तय संतुलित आहार -विहार का ध्यान रखे और यूरिक एसिड को बढ़ाने वाले भोजन का त्याग करे | अधिक से अधिक पानी पिए ताकि शरीर में बने हुए विजातीय तत्व मूत्र के साथ शारीर से बाहर निकलते रहे | संतुलित और सुपाच्य आहार के साथ वितामिन्न इ ,सी और भरपूर कैरोटिन युक्त भोजन को ग्रहण करे | अधिक वसा युक्त और तली हुई चीजो से परहेज रखे |

अदरक

जोड़ों के दर्द में राहत पाने के लिए आप अदरक के तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं। वहीं, अदरक वाली चाय पीने से भी आपको लाभ मिल सकता है। इसके अलावा आप अदरक को गर्म पानी में शहद और नींबू के साथ मिलाकर पी सकते हैं। अदरक में पाया जाने वाला एंटी इंफ्लेमेटरी कंपाउंड सूजन को कम करने में मदद करता है।

धूप लेना जरूरी

जोड़ों का दर्द मांसपेशियों और हड्डियों के कमजोर होने पर होता है। ऐसे में इससे बचने के लिए आपके लिए जरूरी है कि आप धूप ले सकते हैं, क्योंकि ये विटामिन-डी का सबसे अच्छा स्त्रोत है। ऐसा करने से आपकी हड्डियां मजबूत होने में मदद मिलेगी।

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तुलसी

तुलसी में पाए जाने वाले एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटी स्पास्मोडिक गुण होते हैं, जो जोड़ों के दर्द में राहत दिलाने का काम करते हैं। आपको करना ये है कि रोजाना तीन से चार बार तुलसी की चाय का सेवन करना है। ऐसा करने से आपको जरूर लाभ मिल सकता है।

इन चीजों का कर सकते हैं सेवन

आपकी डाइट एंटी ऑक्सीडेंट से भरपूर होनी चाहिए, जिसके लिए आप मछली, फल, जैतून का तेल, अखरोट, मेथी के दानों को पानी में भिगोकर खाएं, सब्जियां और टी का सेवन कर सकते हैं। ऐसी डाइट लेने से जोड़ों के दर्द में काफी आराम मिल सकता है।


जोड़ो के दर्द के लिए  घरेलू उपाय

गर्म और ठंडा कंप्रेशन- 

 गर्म और ठंडा दोनों कंप्रेशन एक एंटी-इंफ्लेमेटरी के रूप में काम करते हैं. गर्मी मांसपेशियों को आराम देती है. बेहतर परिणामों के लिए, आप गर्म पानी की बोतल या गर्म पैड का इस्तेमाल कर सकते हैं. घुटने की सूजन को कम करने के लिए आप बर्फ का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. आप एक आइस क्यूब को एक कपड़े में लपेट कर प्रभावित हिस्से पर लगा सकते हैं.

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हल्दी- 

 हल्दी एक जादुई मसाला है. इसके कई स्वास्थ्य लाभ हैं. इसमें एंटीसेप्टिक, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं. इसमें करक्यूमिन होता है जो हल्दी में पाया जाने वाला एक एंटी-इंफ्लेमेटरी रसायन है जिसमें बहुत सारे एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं. ये रूमेटाइड अर्थराइटिस को कम करने में मदद करती है. ये घुटने के दर्द के कारणों में से एक है. राहत के लिए आधा चम्मच पिसी हुई अदरक और हल्दी को एक कप पानी में 10 मिनट तक उबालें. छान लें, स्वादानुसार शहद डालें और इस चाय का सेवन दिन में दो बार कर सकते हैं.

 आमवात की औषध व्यवस्था 

गुगुल्ल प्रयोग –  सिंहनाद गुगुल्लू , योगराज गुगुल , कैशोर गुगुल , त्र्योंग्दशांग गुगुल्ल आदि |
भस्म प्रयोग –  गोदंती भस्म, वंग भस्म आदि |
रस प्रयोग –  महावातविध्वंसन रस, मल्लासिंदुर रस , समिर्पन्न्ग रस, वात्गुन्जकुश | संजीवनी वटी , रसोंनवटी, आम्वातादी वटी , चित्रकादी वटी , अग्नितुण्डी वटी आदि |
स्वेदन –  पत्रपिंड स्वेद, निर्गुन्द्यादी पत्र वाष्प |
सेक –  निर्गुन्डी , हरिद्रा और एरंडपत्र से पोटली बना कर सेक करे | 
लौह –  विदंगादी लौह, नवायस लौह , शिलाजीतत्वादी लौह, त्रिफलादी लौह |
अरिष्ट / आसव –  पुनर्नवा आसव , अम्रितारिष्ट , दशमूलारिष्ट आदि |
तेल / घृत ( स्थानिक प्रयोग ) –  एरंडस्नेह, सैन्धाव्स्नेह, प्रसारिणी तेल, सुष्ठी घृत आदि का स्थानिक प्रयोग क्वाथ प्रयोग   रस्नासप्तक , रास्नापंचक , दशमूल क्वाथ, पुनर्नवा कषाय आदि |
स्वरस – निर्गुन्डी, पुनर्नवा , रास्ना आदि का स्वरस |
चूर्ण प्रयोग –  अज्मोदादी चूर्ण, पंचकोल चूर्ण, शतपुष्पदी चूर्ण , चतुर्बिज चूर्ण |

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गठिया के घरेलू असरदार नुस्खे -

* अजवायन या नीम के तेल से मालिश करने से जोड़ों के दर्द में आराम मिलेगा.
* पानी में एक मुट्ठी अजवायन और 1 बड़ा चम्मच नमक डालकर उबालें. उस पर जाली रखकर कपड़ा निचोड़कर तह करके गरम करें और उससे सेंक करें. दर्द दूर हो जाएगा.
* राई का लेप करने से भी हर तरह का दर्द दूर होता है.
* अजवायन को पानी में डालकर पका लें और उस पानी की भाप को दर्द वाली जगह पर दें. देखते ही देखते दर्द छूमंतर हो जाएगा.
लहसुन पीसकर लगाने से बदन के हर अंग का दर्द छूमंतर हो जाता है, लेकिन इसे ज़्यादा देर तक लगाकर न रखें, वरना फफोले पड़ने का डर रहता है.
* कड़वे तेल में अजवायन और लहसुन जलाकर उस तेल की मालिश करने से हर तरह के दर्द से छुटकारा मिलता है.
* विनेगर और जैतून के तेल को मिलाकर मालिश करें.
* कपड़े में 4-5 नींबू के टुकड़े बांधकर गरम तिल के तेल में थोड़ी देर डुबोएं. फिर उसे घुटनों पर लगाएं.
* राई को पीसकर घुटनों पर उसका लेप करें. तुरंत आराम मिलेगा.
* अजवायन को पानी में उबालकर उसकी भाप घुटनों पर लेने से दर्द से राहत मिलेगी.
* सेंधा नमक को गुनगुने पानी में डालकर नहाएं.
* दालचीनी पाउडर और शहद मिलाकर पेस्ट बनाएं. इससे जोड़ों पर मालिश करें.
* जोड़ों के दर्द में नीम के तेल की मालिश लाभदायक होती है.
* लहसुन की दो कलियां कूटकर तिल के तेल में गर्म करके जोड़ों पर मालिश करें.
* सरसों के तेल में अजवायन और लहसुन गरम करके दर्दवाले भाग पर मालिश करें.
* अमरूद के पत्ते पीसकर दर्द वाले स्थान पर लगाएं. अमरूद के पत्ते पानी में उबालकर इस पानी से सिकाई करने से भी लाभ मिलता है.
* कांच की बॉटल में आधा लीटर तिल का तेल और 10 ग्राम कपूर मिलाकर धूप में रख दें. जब ये दोनों घुलकर एक हो जाएं, तो इस तेल से मालिश करें. जोड़ों के दर्द से आराम मिलेगा.
* लहसुन की दो कलियां कूटकर तिल के तेल में गरम करें और इससे जोड़ों पर मालिश करें. बहुत लाभ होगा.
* दर्द से परेशान होने पर कपड़े को गरम करके जोड़ों पर सेंक कर करें. इससे बहुत आराम मिलता है.
* कनेर की पत्ती उबालकर पीस लें और मीठे तेल में मिलाकर लेप करें.

विशिष्ट परामर्श-  

संधिवात,कमरदर्द,गठिया, साईटिका ,घुटनो का दर्द आदि वात जन्य रोगों में जड़ी - बूटी निर्मित हर्बल औषधि ही अधिकतम प्रभावकारी सिद्ध होती है| रोग को जड़ से निर्मूलन करती है| हर्बल औषधि होने के बावजूद यह तुरंत असर चिकित्सा है| सैकड़ों वात रोग पीड़ित व्यक्ति इस औषधि से आरोग्य हुए हैं|  बिस्तर पकड़े पुराने रोगी भी दर्द मुक्त गतिशीलता हासिल करते हैं|औषधि के लिए वैध्य श्री दामोदर से 98267-95656 पर संपर्क कर सकते हैं|