29.8.23

हाथ पैर कम्पन के घरेलु आयुर्वेदिक उपाय

 



पार्किंसन रोग (Parkinson’s disease or PD) में शरीर में कंपन होता है। रोगी के हाथ-पैर कंपकंपाने लगते हैं। पूरे विश्व विश्व में पार्किंसन रोगियों की संख्या 60 लाख से ज़्यादा है, अकेले अमेरिका में इस रोग से प्रभावित लोगों की संख्या लगभग दस लाख है। आमतौर पर यह बीमारी 50 वर्ष की उम्र के बाद होती है। वृद्धावस्था में भी हाथ-पैर हिलने लगते हैं, लेकिन यह पता कर पाना कि यह पार्किंसन है या उम्र का असर, सामान्य व्यक्ति के लिए मुश्किल है। पार्किंसन यदि है तो शरीर की सक्रियता कम हो जाती हैं, मस्तिष्क ठीक ढंग से काम नहीं करता है।
यह बीमारी होती इसीलिए है कि मस्तिष्क में बहुत गहरे केंद्रीय भाग में स्थित सेल्स डैमेज हो जाते हैं। दिमाग़ के ख़ास हिस्से बैसल गैंग्लिया ( Basal ganglia disease) में स्ट्रायटोनायग्रल नामक सेल्स होते हैं। सब्सटेंशिया निग्रा ( Substantia nigra ) की न्यूरान कोशिकाओं की क्षति होने से उनकी संख्या कम होने लगती है। आकार छोटा हो जाता है। स्ट्राएटम तथा सब्सटेंशिया निग्रा नामक हिस्सों में स्थित इन न्यूरान कोशिकाओं द्वारा रिसने वाले रासायनिक पदार्थों (न्यूरोट्रांसमिटर) का आपसी संतुलन बिगड़ जाता है। इस वजह से शरीर का भी संतुलन बिगड़ जाता है।
कुछ शोधों के आधार पर कहा जा सकता है कि यह बीमारी वंशानुगत भी हो सकती है। इस रोग को ख़त्म करने वाली दवाइयां अभी उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन दवाइयों से इसकी रोकथाम संभव है। इस बीमारी के लिए एम्स में अब डीप ब्रेन स्टिम्युलेशन सर्जरी (Deep brain stimulation surgery, AIIMS, India) होने लगी है।

➡ पार्किंसन रोग के लक्षण :

पार्किंसन रोग में पूरा शरीर ख़ासतौर से हाथ-पैर तेज़ी से कंपकंपाने लगते हैं। कभी कंपन ख़त्म हो जाता है, लेकिन जब भी रोगी व्यक्ति कुछ लिखने या कोई काम करने बैठेगा तो पुन: हाथ कांपने लगते हैं। भोजन करने में भी दिक्कत होती है। कभी-कभी रोगी के जबड़े, जीभ व आंखे भी कंपकंपाने लगती हैं। इसमें शारीरिक संतुलन बिगड़ जाता है। चलने-फिरने में दिक्कत होने लगती है। रोगी सीधा नहीं खड़ा हो पाता। कप या गिलास हाथ में पकड़ नहीं पाता। ठीक से बोल नहीं पाता, हकलाने लगता है। चेहरा भाव शून्य हो जाता है। बैठे हैं तो उठने में दिक्कत होती है। चलने में बाँहों की गतिशीलता नहीं दिखती, वे स्थिर बनी रहती हैं। जब यह रोग बढ़ता है तो नींद नहीं आती है, वज़न गिरने लगता है, सांस लेने में तकलीफ़, कब्ज़, रुक-रुक कर पेशाब होना, चक्कर आना, आंखों के आगे अंधेरा छा जाना व सेक्स में कमी जैसी कई समस्याएं घेर लेती हैं। साथ ही मांसपेशियों में तनाव व कड़ापन, हाथ-पैरों में जकड़न होने लगती है, ऐसी अवस्था में किसी योग्य चिकित्सा से परामर्श लेना ज़रूरी होता है।
शरीर (हाथ-पैर) में कम्पन एक दिमाग का रोग है जो लम्बे समय दिमाग में पल रहा होता है। इस रोग का प्रभाव धीरे-धीरे होता है। पता भी नहीं पडता कि कब लक्षण शुरू हुए। अनेक सप्ताहों व महीनों के बाद जब लक्षणों की तीव्रता बढ जाती है तब अहसास होता है कि कुछ गडबड है।
जब यह रोग किसी व्यक्ति को हो जाता है तो रोगी व्यक्ति के हाथ तथा पैर कंपकंपाने लगते हैं। कभी-कभी इस रोग के लक्षण कम होकर खत्म हो जाते हैं। इस रोग से पीड़ित बहुत से रोगियों में हाथ तथा पैरों के कंप-कंपाने के लक्षण दिखाई नहीं देते हैं, लेकिन वह लिखने का कार्य करता है तब उसके हाथ लिखने का कार्य करने में असमर्थ हो जाते हैं।

कारण-

इस बीमारी का कारण हर व्यक्ति में अलग होता है। दिमाग के कुछ हिस्सों में न्यूरोट्रांसमीटर केमिकल होते हैं। यह केमिकल पूरे शरीर या किसी विशेष हिस्से की मांसपेशियों को नियंत्रित करते हैं।
जब यह केमिकल लीक होने लगते हैं तो ट्रेमरनाम की समस्या सामने आती है। मांसपेशियों के असामान्य होने के कारण भी यह समस्या पैदा होती है। यह समस्या न्यूरोडीजेनरेटीव बीमारी के कारण भी होती है। इसके अलावा अन्य कारणों जैसे अधिक मात्रा में शराब पीना, लीवर का खराब हो जाना, पार्किंसन, थाइराइड , मेंटल डिसआर्डर, कैल्शियम, पोटाशियम की भी इस समस्या का कारण बन सकती है। कई बार यह समस्या वंशानुगत भी होती है।

शरीर (हाथ-पैर) में कम्पन (Parkinson’s disease)

यदि रोगी व्यक्ति लिखने का कार्य करता भी है तो उसके द्वारा लिखे अक्षर टेढ़े-मेढ़े हो जाते हैं। रोगी व्यक्ति को हाथ से कोई पदार्थ पकड़ने तथा उठाने में दिक्कत महसूस होती है। इस रोग से पीड़ित रोगी के जबड़े, जीभ तथा आंखे कभी-कभी कंपकंपाने लगती है।
बहुत सारे मरीज़ों में ‍कम्पन पहले कम रहता है, यदाकदा होता है, रुक रुक कर होता है। बाद में अधिक देर तक रहने लगता है व अन्य अंगों को भी प्रभावित करता है। प्रायः एक ही ओर (दायें या बायें) रहता है, परन्तु अनेक मरीज़ों में, बाद में दोनों ओर होने लगता है।

hath pair kampana 

जब यह रोग धीरे-धीरे बढ़ता है तो रोगी की विभिन्न मांसपेशियों में कठोरता तथा कड़ापन आने लगता है। शरीर अकड़ जाता है, हाथ पैरों में जकडन होती है। मरीज़ को भारीपन का अहसास हो सकता है। परन्तु जकडन की पहचान चिकित्सक बेहतर कर पाते हैं जब से मरीज़ के हाथ पैरों को मोड कर व सीधा कर के देखते हैं बहुत प्रतिरोध मिलता है। मरीज़ जानबूझ कर नहीं कर रहा होता। जकडन वाला प्रतिरोध अपने आप बना रहता है।

शरीर (हाथ-पैर) में कम्पन (parkinson’s disease )के लक्षण कारण और उपचार

*शरीर (हाथ-पैर) में कम्पन एक दिमाग का रोग है जो लम्बे समय दिमाग में पल रहा होता है। इस रोग का प्रभाव धीरे-धीरे होता है। पता भी नहीं पडता कि कब लक्षण शुरू हुए। अनेक सप्ताहों व महीनों के बाद जब लक्षणों की तीव्रता बढ जाती है तब अहसास होता है कि कुछ गडबड है।

hath pair kampana 

*जब यह रोग किसी व्यक्ति को हो जाता है तो रोगी व्यक्ति के हाथ तथा पैर कंपकंपाने लगते हैं। कभी-कभी इस रोग के लक्षण कम होकर खत्म हो जाते हैं। इस रोग से पीड़ित बहुत से रोगियों में हाथ तथा पैरों के कंप-कंपाने के लक्षण दिखाई नहीं देते हैं, लेकिन वह लिखने का कार्य करता है तब उसके हाथ लिखने का कार्य करने में असमर्थ हो जाते हैं।
*यदि रोगी व्यक्ति लिखने का कार्य करता भी है तो उसके द्वारा लिखे अक्षर टेढ़े-मेढ़े हो जाते हैं। रोगी व्यक्ति को हाथ से कोई पदार्थ पकड़ने तथा उठाने में दिक्कत महसूस होती है। इस रोग से पीड़ित रोगी के जबड़े, जीभ तथा आंखे कभी-कभी कंपकंपाने लगती है।
*बहुत सारे मरीज़ों में ‍कम्पन पहले कम रहता है, यदाकदा होता है, रुक रुक कर होता है। बाद में अधिक देर तक रहने लगता है व अन्य अंगों को भी प्रभावित करता है। प्रायः एक ही ओर (दायें या बायें) रहता है, परन्तु अनेक मरीज़ों में, बाद में दोनों ओर होने लगता है।
*जब यह रोग धीरे-धीरे बढ़ता है तो रोगी की विभिन्न मांसपेशियों में कठोरता तथा कड़ापन आने लगता है। शरीर अकड़ जाता है, हाथ पैरों में जकडन होती है। मरीज़ को भारीपन का अहसास हो सकता है। परन्तु जकडन की पहचान चिकित्सक बेहतर कर पाते हैं जब से मरीज़ के हाथ पैरों को मोड कर व सीधा कर के देखते हैं बहुत प्रतिरोध मिलता है। मरीज़ जानबूझ कर नहीं कर रहा होता। जकडन वाला प्रतिरोध अपने आप बना रहता है।

शरीर (हाथ-पैर) में कम्पन पार्किन्सन रोग के लक्षण : Parkinson’s disease  Symptoms :- 

आंखें चौडी खुली रहती हैं। व्यक्ति मानों सतत घूर रहा हो या टकटकी लगाए हो ।
चेहरा भावशून्य प्रतीत होता है बातचीत करते समय चेहरे पर खिलने वाले तरह-तरह के भाव व मुद्राएं (जैसे कि मुस्कुराना, हंसना, क्रोध, दुःख, भय आदि ) प्रकट नहीं होते या कम नज़र आते हैं।
खाना खाने में तकलीफें होती है। भोजन निगलना धीमा हो जाता है। गले में अटकता है। कम्पन के कारण गिलास या कप छलकते हैं।

hath pair kampana 

हाथों से कौर टपकता है। मुंह से पानी-लार अधिक निकलने लगता है। चबाना धीमा हो जाता है। ठसका लगता है, खांसी आती है।
आवाज़ धीमी हो जाती है तथा कंपकंपाती, लड़खड़ाती, हकलाती तथा अस्पष्ट हो जाती है, सोचने-समझने की ताकत कम हो जाती है और रोगी व्यक्ति चुपचाप बैठना पसन्द करताहै।
नींद में कमी, वजन में कमी, कब्जियत, जल्दी सांस भर आना, पेशाब करने में रुकावट, चक्कर आना, खडे होने पर अंधेरा आना, सेक्स में कमज़ोरी, पसीना अधिक आता है।
उपरोक्त वर्णित अनेक लक्षणों में से कुछ, प्रायः वृद्धावस्था में बिना पार्किन्सोनिज्म के भी देखे जा सकते हैं । कभी-कभी यह भेद करना मुश्किल हो जाता है कि बूढे व्यक्तियों में होने वाले कम्पन, धीमापन, चलने की दिक्कत, डगमगापन आदि

शरीर (हाथ-पैर) में कम्पन (Parkinson’s disease)

यदि रोगी व्यक्ति लिखने का कार्य करता भी है तो उसके द्वारा लिखे अक्षर टेढ़े-मेढ़े हो जाते हैं। रोगी व्यक्ति को हाथ से कोई पदार्थ पकड़ने तथा उठाने में दिक्कत महसूस होती है। इस रोग से पीड़ित रोगी के जबड़े, जीभ तथा आंखे कभी-कभी कंपकंपाने लगती है।
बहुत सारे मरीज़ों में ‍कम्पन पहले कम रहता है, यदाकदा होता है, रुक रुक कर होता है। बाद में अधिक देर तक रहने लगता है व अन्य अंगों को भी प्रभावित करता है। 
प्रायः एक ही ओर (दायें या बायें) रहता है, परन्तु अनेक मरीज़ों में, बाद में दोनों ओर होने लगता है।
जब यह रोग धीरे-धीरे बढ़ता है तो रोगी की विभिन्न मांसपेशियों में कठोरता तथा कड़ापन आने लगता है। शरीर अकड़ जाता है, हाथ पैरों में जकडन होती है। मरीज़ को भारीपन का अहसास हो सकता है। परन्तु जकडन की पहचान चिकित्सक बेहतर कर पाते हैं जब से मरीज़ के हाथ पैरों को मोड कर व सीधा कर के देखते हैं बहुत प्रतिरोध मिलता है। मरीज़ जानबूझ कर नहीं कर रहा होता। जकडन वाला प्रतिरोध अपने आप बना रहता है।

शरीर (हाथ-पैर) में कम्पन पार्किन्सन रोग के लक्षण : Parkinson’s disease

आंखें चौडी खुली रहती हैं। व्यक्ति मानों सतत घूर रहा हो या टकटकी लगाए हो ।
चेहरा भावशून्य प्रतीत होता है बातचीत करते समय चेहरे पर खिलने वाले तरह-तरह के भाव व मुद्राएं (जैसे कि मुस्कुराना, हंसना, क्रोध, दुःख, भय आदि ) प्रकट नहीं होते या कम नज़र आते हैं।
खाना खाने में तकलीफें होती है। भोजन निगलना धीमा हो जाता है। गले में अटकता है। कम्पन के कारण गिलास या कप छलकते हैं।

hath pair kampana: 

हाथों से कौर टपकता है। मुंह से पानी-लार अधिक निकलने लगता है। चबाना धीमा हो जाता है। ठसका लगता है, खांसी आती है।
आवाज़ धीमी हो जाती है तथा कंपकंपाती, लड़खड़ाती, हकलाती तथा अस्पष्ट हो जाती है, सोचने-समझने की ताकत कम हो जाती है और रोगी व्यक्ति चुपचाप बैठना पसन्द करताहै।
नींद में कमी, वजन में कमी, कब्जियत, जल्दी सांस भर आना, पेशाब करने में रुकावट, चक्कर आना, खडे होने पर अंधेरा आना, सेक्स में कमज़ोरी, पसीना अधिक आता है।
उपरोक्त वर्णित अनेक लक्षणों में से कुछ, प्रायः वृद्धावस्था में बिना पार्किन्सोनिज्म के भी देखे जा सकते हैं । कभी-कभी यह भेद करना मुश्किल हो जाता है कि बूढे व्यक्तियों में होने वाले कम्पन, धीमापन, चलने की दिक्कत, डगमगापन आदि
*किसी प्रकार से दिमाग पर चोट लग जाने से भी पार्किन्सन रोग (Parkinson’s disease) हो सकता है। इससे मस्तिष्क के ब्रेन पोस्टर कंट्रोल करने वाले हिस्से में डैमेज हो जाता है।
*कुछ प्रकार की औषधियाँ जो मानसिक रोगों में प्रयुक्‍त होती हैं, अधिक नींद लाने वाली दवाइयों का सेवन तथा एन्टी डिप्रेसिव दवाइयों का सेवन करने से भी पार्किन्सन रोग (Parkinson’s disease) हो जाता है।
अधिक धूम्रपान करने, तम्बाकू का सेवन करने, फास्ट-फूड का सेवन करने, शराब, प्रदूषण तथा नशीली दवाईयों का सेवन करने के कारण भी पार्किन्सन रोग (Parkinson’s disease) हो जाता है।
*शरीर में विटामिन `ई´ की कमी हो जाने के कारण भी पार्किन्सन रोग (Parkinson’s disease) हो जाता है।
तरह -तरह के इन्फेक्शन — मस्तिष्क में वायरस के इन्फेक्शन (एन्सेफेलाइटिस) ।
*मस्तिष्क तक ख़ून पहुंचाने वाले नलियों का अवरुद्ध होना ।
*मैंगनीज की विषाक्तता।
हाथ पांव कापने का घरेलु उपचार
यहाँ कुछ घरेलु उपाय दिए गए हैं जो की आपके शरीर के कम्पन की समस्या को काफी हद  तक कम करने में सक्षम हो सकते हैं|*कुछ चाय जैसे chamomile, laung और lavandula आदि पीने से आपके दिमाग में शान्ति बनती है और दिमाग की तंत्रिकाओं को आराम मिलता है इसके फलसवरूप मानसिक तनाव में कमी आती है| यदि आपको मानसिक तनाव और टेंशन के कारण हाथ काम्पने की शिकायत है तो आज से ही इन चाय का सेवन करना शुरू कर दीजिये| 

*तगार की जड़ nerves और दिमाग को शांत करने वाले और अनिद्रा दूर करने वाले गुण होते हैं| तगार की जड़ की चाय रोजाना दिन में २-३ बार पीने से हाथ पांव काम्पने में काफी आराम मिलता है|
विटामिन B की कमी होने से भी कम्पन और दिमाग के कार्यों में बाधा पड़ने की समस्या हो सकती है इसलिए जरुरी सप्लीमेंट लीजिये साथ ही फल, सब्जियां, दाल, बीन्स, अंडा आदि से जरुरी विटामिन्स और मिनरल्स प्राप्त कीजिये|
   * ध्यान और योग के साथ अपने दिन की शुरुवात कीजिये क्योंकि इससे आपका दिमाग रिलैक्स होगा और मानसिक तनाव, अनिद्रा की परेशानी दूर होगी|  आप कुछ देर दिन में सुबह और शाम रनिंग या जॉगिंग करके अपने दिमाग को कण्ट्रोल में रख सकते हैं
*शराब, मैदा जैसी refined शुगर से दूर रहे क्योंकि refiend शुगर आपके खून में ग्लूकोस का स्तर असंतुलित करते हैं जिससे आपके शरीर में कम्पन की समस्या पैदा होती

25.8.23

बार बार में सांस फूलने की तकलीफ के कारण और उपचार ,frequent shortness of breath

 


सांस की समस्या बुजुर्गों के साथ कम उम्र के युवाओं में भी देखने को मिल रही है. ऐसे में यह जानना बहुत आप के लिए जरूरी है आखिर ऐसा हो क्यों रहा है?
आमतौर पर अधिक समय तक एक्सरसाइज करने से सांसे तेज हो जाती हैं, कई लोगों को सीढ़ियां चढ़ने वक्त सांस में दिक्कत की समस्या का सामना करना पड़ता है कई बार ज्यादा तनाव में रहने कारण भी ऐसी दिक्कत हो जाती है. यह देखा गया है कि ऐसी स्थितियों में जल्दी ही सब नॉर्मल भी हो जाता है. अगर आप को भी सांस लेने में परेशानी हो रही है और उपर्युक्त परेशानी हो रही है तो ध्यान देना बहुत जरूरी है. 

कहीं हृदय रोग तो नहीं

दिल की बीमारियों के चलते भी सांस लेने में तकलीफ हो सकती है. दिल के रोग मसलन, एन्जाइना, हार्ट अटैक, हार्ट फेल्योर, जन्मजात दिल में परेशानी या एरीथीमिया आदि में सांस लेने में दिक्कत होने लगती है. दिल की मांसपेशियां कमजोर होने पर वे सामान्य गति से पंप नहीं कर पातीं, जिससे फेफड़ों पर दबाव बढ़ जाता है और व्यक्ति को सांस लेने में परेशानी होने लगती है. इसमें पैरों में भी सूजन और रात सोते वक्त बार-बार खांसी भी आती है.

जब वजन हो ज्यादा


मोटे लोगों को सांस फूलने की बहुत ही ज्यादा समस्या रहती है. वजन बढ़ जाने के कारण सांस के लिए मस्तिष्क से आने वाले निर्देश का पैटर्न बदल जाता है. सीढ़ियां चढ़ते-उतरते वक्त, अक्सर इन की सांसें फूलने लगती हैं. यह सब मोटापे के कारण होता है. जिसका वजन जितना ज्यादा होता है, उसे सांस लेने में उतनी ही दिक्कत होती है.

सांस की तकलीफ क्या है? 

सांस की तकलीफ या डिस्पेनिया एक असहज स्थिति है जहां लोगों को सांस लेने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है। हृदय और फेफड़ों के विकार हवा को पूरी तरह से फेफड़ों में जाने से रोक सकते हैं और सांस लेने में परेशानी का कारण बन सकते हैं।

डिस्पेनिया की समस्या हर व्यक्ति में अलग-अलग होती है और इस स्थिति की अवधि लगभग कुछ घंटों से लेकर कुछ दिनों तक और कभी-कभी लगभग कुछ हफ्तों तक रह सकती है। यह आमतौर पर एक गंभीर चिकित्सा स्थिति का चेतावनी संकेत है।

ज्यादातर बार सांस की तकलीफ किसी अन्य मेडिकल इमरजेंसी के साइड इफेक्ट के रूप में होती है। हृदय और फेफड़ों के विकारों के अलावा, सांस की तकलीफ एनीमिया के परिणामस्वरूप, हाइपरवेंटिलेशन के परिणामस्वरूप या धूम्रपान की आदतों या हवा में प्रदूषकों के कारण हो सकती है जो जलन पैदा करती हैं।
अक्सर आपने देखा होगा कि कई लोगों को अचानक से सांस की तकलीफ होने लगती हैं और वे ठीक से सांस भी नहीं ले पाते हैं। इसका कारण कई बार अस्थमा की परेशानी बनता हैं लेकिन इसके अलावा भी कई ऐसी बीमारियाँ है जिनसे सांस की तकलीफ जुड़ी हुई होती हैं। ऐसे में यह तकलीफ होने पर जल्द चिकित्सकीय परामर्श लेना जरूरी होता हैं। आज हम आपको बताने जा रहे हैं उन बिमारियों के बारे में जो सांस की तकलीफ से जुड़ी हुई होती हैं। तो आइये जानते हैं।

* पल्नोमरी हाइपरटेंशन

अगर आपकी सांस फूल रही है, चक्कर आ रहे हैं, थकान या सीने में दर्द है तो यह पल्नोमरी हाइपरटेंशन का संकेत हो सकता है। इसमें फेफड़े में जाने वाली आर्टरी में ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। इस कारण आप दिल की बीमारियों के शिकार हो सकते हैं।

* गुर्दे फेल होना


सांस लेने में तकलीफ हो रही है तो ये गुर्दे फेल होने का संकेत होता है। गुर्दे के फेल हो जाने के कारण रक्त में यूरिया का स्तर बढ़ जाता है। इससे मुह में अमोनिया ब्रेथ के कारण बदबू आने लगती है। मुंह का स्वाद भी खराब होने लगता है।

* फिजिकल वर्क करने में दिक्कत

मोटे लोगों को अक्सर फिजिकल वर्क करने में दिक्कत होती है। गले और छाती के आसपास जमा अतिरिक्त चर्बी के कारण सांस लेने में दिक्कत होती है। ऐसे लोगों की सांस में मेथेन और हाइड्रोजन गैस की मात्रा बढ़ जाने के कारण भी सांस लेने में समस्या आने लगती है। ऐसे में डॉक्टर को तुरंत दिखाना चाहिए।

* डायबटीज

डायबटीज के मरीज जिन ग्लूकोमीटर्स के लिए जिन स्ट्रिप्स का इस्तेमाल करते है वो एक बार इस्तेमाल करके फैंक देना चाहिए। इससे आपको डायबटीज के साथ-साथ अस्थना होने का भी डर रहता है। इसके अलावा इसके दोबारा इस्तेमाल से सांस लेने में तकलीफ होने लगती है।

क्या है सीओपीडी के लक्षण

सीओपीडी एक ऐसी घातक बीमारी है जिसका शुरुआती समय में पता ही नहीं चलता. इसके लक्षण अक्सर तब तक प्रकट नहीं होते हैं जब तक कि पूरी तरह से फेफड़ों खराब ना हो जाएं. हालांकि वे आमतौर पर समय के साथ खराब हो जाते हैं, खासकर अगर धूम्रपान करना आप जारी रखते है तो. क्रोनिक ब्रोंकाइटिस के के मुख्‍य लक्षण में रोजाना की खांसी और बलगम का उत्पादन शामिल है यह लगातार दो साल तक या कम से कम तीन महीने तक होता है.
3. कैसे पहचाने सीओपीडीसांस की तकलीफ, खासकर शारीरिक गतिविधियों के दौरान
घरघराहट
सीने में जकड़न
आपके फेफड़ों में अतिरिक्त बलगम
होंठ या नाखूनों का नीलापन (सायनोसिस)
बार-बार श्वसन संबंधी संक्रमण
शक्ति की कमी
वजन में कमी (बाद के चरणों में)
टखनों, पैरों या पैरों में सूजन

 सीओपीडी के कारण

विकसित देशों में सीओपीडी का मुख्य कारण तंबाकू धूम्रपान है. विकासशील देशों में, सीओपीडी अक्सर खराब हवादार घरों में खाना पकाने और हीटिंग के लिए जलने वाले ईंधन से धुएं के संपर्क में आने वाले लोगों में होता है.
केवल 20 से 30 प्रतिशत लोग जो लंबे समय से धूम्रपान कर रहे हैं उनमें स्‍पष्‍ट रूप से सीओपीडी विकसित हो सकता है. हालांकि लंबे धूम्रपान इतिहास वाले लोगों में धूम्रपान से फेफड़ों के कार्यों में बाधा पैदा करते है.
5. किन लोगों को हो सकता है सीओपीडी रोग धूम्रपान करने वालों के संपर्क में रहने वालों को ये समस्‍या हो सकती है।
जो लोग अस्‍थमा से पीडि़त हैं और स्‍मोक करते हैं।
ऐसे लोग जो केमिकल और धुएं युक्‍त फैक्ट्रियों के आस-पास रहते हैं।
कुछ लोगों की थोड़ा सा काम करने पर, दौड़ने पर या सीढ़ियां चढ़ते हुए सांस फूलने लगती है। हल्की-फुल्की मेहनत करने पर ही सांस फूलने लगना कमजोर फेफड़ों की निशानी है। हालांकि ऐसा कई बार जुकाम या किसी वायरल इंफेक्शन के कारण भी हो सकता है। दरअसल जुकाम या इंफेक्शन होने पर श्वांसनली के अंदरूनी हिस्से मे सूजन आ सकती है, जिससे आपके फेफड़ों तक पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती है और व्यक्ति को सांस लेने में तकलीफ महसूस होने लगती है या सांस उखड़ने लगती है। इस तरह की समस्या अलग लंबे समय तक होती रहे, तो आपको डॉक्टर से मिलकर इसका इलाज कराना चाहिए। लेकिन अगर कभी-कभार ऐसी समस्या होती है, तो आप कुछ घरेलू उपायों को अपनाकर भी राहत पा सकते हैं।

आगे की ओर झुककर बैठें या पंखे के सामने बैठें

अगर आपको अचानक कभी सांस की तकलीफ होने लगती है या सांस की गति तेज हो जाती है, तो आपको तुरंत आसपास मौजूद किसी कुर्सी या बेंच पर बैठ जाना चाहिए और आगे की तरफ झुक कर कंफर्टेबल पोजीशन में थोड़ी देर रहना चाहिए, ताकि मसल्स रिलैक्स हो जाएं और सांस लेने में हुई तकलीफ तुरंत दूर हो जाए।
एक अध्ययन में बताया गया है कि सांस लेने में तकलीफ होने पर पंखे के सामने बैठने पर आराम मिलता है। इसका कारण यह है कि तेज चल रहे पंखे के सीधे सामने बैठने से आपके द्वारा खींची गई सांस में एक फोर्स होता है, जिससे हवा शरीर में ज्यादा मात्रा में पहुंचती है और आपकी तकलीफ दूर हो जाती है।

अदरक वाली चाय पिएं

अदरक में एंटी-इंफ्लेमेट्री, एंटी-वायरल और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं, जिसके कारण इसका सेवन करने से आपके गले और श्वांसनली की सूजन कम होती है और जमा हुआ बलगम भी पिघलकर निकल जाता है। इसीलिए जुकाम, खांसी में अदरक की चाय बहुत फायदेमंद मानी जाती है। सांस की तकलीफ होने पर आपको अदरक की चाय पीनी चाहिए। इसे बनाने के लिए एक पैन में पानी के साथ अदरक उबालें और इसे पिएं।

ब्लैक कॉफी पिएं

सांस लेने की तकलीफ होने पर ब्लैक कॉफी पीना आपके लिए फायदेमंद होता है। कॉफी में कैफीन होता है, जो कि आपके मस्तिष्क को उत्तेजित करता है। इसके अलावा ये मसल्स को रिलैक्स भी करता है। सांस की तकलीफ श्वांसनली की मांसपेशियों में सूजन के कारण भी होती है। इसलिए अगर आपको सांस लेने में तकलीफ हो, तो गर्म-गर्म ब्लैक कॉफी पिएं। इससे आपको तुरंत राहत मिलेगी। लेकिन ध्यान रखें कि कॉफी का सेवन बहुत ज्यादा भी न करें क्योंकि इसका असर आपके हार्ट रेट पर बुरा पड़ेगा। दिनभर में 3 कप से ज्यादा ब्लैक कॉफी न पिएं।

लेट कर गहरी सांस लें

अगर आपको सांस लेने में तकलीफ महसूस हो या सांस उखड़ती हुई महसूस हो, तो जहां भी हैं वहां तुरंत जमीन पर सीधा लेट जाएं और अपना हाथ पेट पर रखें। इसके बाद नाक से जोर से इतनी जोर से सांस खींचें कि आपका पेट फूल आए। इस सांस को कुछ सेकेंड तक रोक कर रखें और फिर मुंह के रास्ते से सांस को बाहर छोड़ दें। इस तरह कई बार करने से आपके सांस की तकलीफ तुरंत दूर हो जाएगी। अगर फिर भी सांस की समस्या है, तो इमरजेंसी मेडिकल सहायता लें।
कई बार बंद नाक या अधिक बलगम जमा होने के कारण भी सांस की समस्या हो जाती है। इसलिए अगर आपको ऐसी तकलीफ बीते कुछ दिनों से हो रही है, तो आप बलगम को बाहर निकालने के लिए और एयर पैसेज को क्लियर करने के लिए स्टीम भी ले सकते हैं। स्टीम लेने के लिए एक चौड़े मुंह वाले बर्तन को ढककर पानी देर तक उबालें, ताकि इसमें पर्याप्त भाप बन जाए। इसके बाद इस पानी को जमीन पर रखें और ढक्कन हटाकर भाप को अपने नाक, गले और सीने के हिस्से में लें। अगर घर में कोई एसेंशियल ऑयल तो उसे भी इसमें डाल लें। इससे आपको तुरंत बंद नाक से राहत मिलेगी और सांस लेने में होने वाली तकलीफ दूर हो जाएगी।

प्राणायाम- 

इससे सांस की समस्याओं से निपटने में मदद मिलती है। यह गंभीर सीओपीडी मरीजों के इलाज में लाभकारी साबित हुआ है। अध्ययन का कहना है कि प्राणायाम सीओपीडी मरीजों के उपचार के लिए सहायक हो सकता है।

हंसना- 

लाफ्टर थेरेपी तनाव को कम करके जर्नल वेलनेस को बढ़ावा देती है। लेकिन सीओपीडी रोगियों में यह फेफड़ों की इलास्टिसिटी और मूड में भी सुधार कर सकता है।


गाना- 

सांस की समस्या से निपटने के लिए सीओपीडी रोगियों के लिए गाना एक बेहतर थेरेपी है। इस दौरान आपको सांस पर कंट्रोल करना पड़ता है जिससे उसकी एक्सरसाइज होती है और फेफड़े मजबूत बनते हैं।
-जो लोग बहुत अधिक तनाव में रहते हैं, उन्हें अक्सर सांस लेने में समस्या होती है। वे या तो बहुत जल्दी-जल्दी सांस लेते हैं या सीने में भारीपन का अहसास होने के कारण उनकी सांस लेने की गति बहुत धीमी होती है।
-इन दोनों ही स्थितियों में उनकी सांस बहुत छोटी होती है। इस कारण उनके फेफड़ों में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती है और इससे सांस लेने में दिक्कत होती है।

अधिक वजन 

जिन लोगों का वजन बहुत अधिक होता है, उन्हें भी सांस लेने में दिक्कत होती है। क्योंकि इन लोगों का सांस बहुत अधिक फूलता है। सांस फूलने के कारण ब्रिदिंग पैटर्न डिस्टर्ब होता है और लंग्स में पूरी ऑक्सीजन सप्लाई नहीं हो पाती है
यदि आपको फेफड़ों में इंफेक्शन या सीने में भारीपन की समस्या है तो बिना समय गवाएं एक बार डॉक्टर से जरूर जांच कराएं।
-आयुर्वेदिक काढ़े और हर्बल चाय का नियमित उपयोग करें। दिन में गर्म पानी का सेवन करें। इसके आपको काफी राहत मिलेगी।
-प्राणायाम, ध्यान और योग करें। वॉकिंग और रनिंग करें। इससे आपको अपने लंग्स को मजबूत बनाने में सहायता मिलेगी।
-दिन के समय कम से कम 2 घंटे के लिए घर के सभी खिड़की और दरवाजे खोलकर रखें और एग्जॉस्ट फैन ऑन करें। इससे आपके घर की दूषित हवा बाहर जाएगी और ताजी हवा घर में आएगी। इस एयर सर्कुलेश से घर में घुटन कम होगी।

सूजन और इंफेक्शन के कारण छोटी सांसे



-सांस की नली में सूजन, किसी इंफेक्शन या किसी अन्य कारण से जब ऑक्सीजन पर्याप्त मात्रा में शरीर के अंदर प्रवेश नहीं कर पाती है तो आपकी सांसे छोटी होने लगती हैं।
-यानी आप पहले जितनी गहरी और लंबी सांसें लेते थे, उनकी अपेक्षा आपकी सांसों की अवधि छोटी होने लगती है। यह बीमारी अगर लंबे समय से चली आ रही है तो अस्थमा, निमोनिया या क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) का लक्षण हो सकती है।

23.8.23

बढती उम्र में घुटनों में ग्रीस (Greece in the knees) बढाने के उपाय

 


आजकल अधिकतर लोग जोड़ों में दर्द की शिकायत करते हैं। पहले जोड़ों में दर्द की शिकायत अधिकतर बुजुर्ग लोग किया करते थे, लेकिन आजकल वयस्कों को भी जोड़ों का दर्द परेशान कर रहा है। वैसे तो जोड़ों या घुटनों में दर्द होने के पीछे कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं। लेकिन घुटनों में ग्रीस कम होना इसका सबसे मुख्य कारण माना जाता है। उम्र बढ़ने के साथ घुटनों का ग्रीस भी कम होने लगता है। घुटनों में ग्रीस कम होने के कारण चलने पर घुटनों से कट-कट की आवाज आने लगती है। जब घुटनों में ग्रीस कम होता है, तो इस दौरान व्यक्ति को चलने, उठने, बैठने और लेटने में परेशानी होने लगती है। ऐसे में लोग घुटनों का ग्रीस बढ़ाने के लिए तरह-तरह की दवाइयों का सहारा लेते हैं। लेकिन आप चाहें तो कुछ उपायों की मदद से भी घुटनों के ग्रीस को बढ़ाया जा सकता है।
घुटने में चटकने या चटकने की आवाज, जकड़न या दर्द, श्लेष द्रव में कमी का संकेत हो सकता है। यदि इसका इलाज नहीं किया गया तो यह घुटने के ऑस्टियोआर्थराइटिस का कारण बन सकता है।
श्लेष द्रव या आम तौर पर संयुक्त द्रव के रूप में जाना जाता है, इसमें मोटी और चिपचिपी स्थिरता होती है, जो घर्षण को कम करने के लिए घुटने के जोड़ में स्नेहक के रूप में कार्य करता है और एक सदमे अवशोषक के रूप में कार्य करता है, जो हमारे शरीर की गति में मदद करता है। उठना, बैठना या खड़ा होना सहजता से किया जा सकता है। सिनोवियल द्रव घुटने के जोड़ पर दबाव को भी कम करता है क्योंकि यह चलने या दौड़ने के दौरान हड्डी की सतह के सिरों को मुलायम बनाता है।
स्वाभाविक रूप से हमारा शरीर स्वयं ही श्लेष द्रव का उत्पादन करता है। जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, हमारा शरीर ख़राब होने लगता है और घुटनों में जोड़ों के तरल पदार्थ की मात्रा कम हो जाती है। ऐसे अन्य कारक भी हैं जिनके कारण द्रव जल्दी सूख जाता है। चाहे वह अधिक वजन हो, घुटने की चोट या आघात हो जिसने घुटने के जोड़ में द्रव उत्पादन की क्षमता को गंभीर रूप से प्रभावित किया हो या घुटनों की गलत शारीरिक गतिविधि, जैसे कि करवट से बैठना या नियमित रूप से घुटनों को मोड़ना। कुछ पुरानी बीमारियाँ जैसे मधुमेह, उच्च रक्तचाप, या गठिया जैसे गठिया या गठिया भी श्लेष द्रव के सूखने का कारण बनने वाले कुछ कारक हैं।
वेजथानी अस्पताल में घुटने और कूल्हे की रिप्लेसमेंट सर्जरी में विशेषज्ञता रखने वाले आर्थोपेडिक सर्जन डॉ. प्रेमस्टीन सिरिथानापिपट ने खुलासा किया कि सूखे सिनोवियल तरल पदार्थ के परिणामस्वरूप घुटने में दर्द और कठोरता हो सकती है। घुटने के जोड़ के ख़राब होने या चोट लगने पर घुटने की टोपी में तेज़ आवाज़ आना, ख़ासकर चलने या झुकने पर, घुटने की सतह के आसपास सूजन या लालिमा जैसे लक्षण होते हैं। यदि इसका शीघ्र उपचार न किया जाए, तो यह संभावित रूप से ऑस्टियोआर्थराइटिस का कारण बन सकता है।

"दवा के उपयोग के अलावा, घुटने के जोड़ में श्लेष द्रव को बढ़ाने के लिए, डॉक्टर दर्द को कम करने के लिए जोड़ के बीच उपास्थि और खोखले स्थान में हयालूरोनिक एसिड या कृत्रिम तरल पदार्थ को इंजेक्ट करने पर विचार करेंगे, जिसकी संरचना प्राकृतिक श्लेष द्रव के समान होती है। सूजन, सूजन, घर्षण और घुटने की गतिशीलता में सुधार होता है। परिणाम लगभग 6-12 महीनों तक प्रभावी रह सकते हैं। कृत्रिम श्लेष द्रव के अलावा, क्षतिग्रस्त ऊतकों की मरम्मत, चोट का इलाज और सूजन को कम करने के लिए एक अन्य उपचार विकल्प प्लेटलेट-समृद्ध प्लाज्मा या पीआरपी इंजेक्शन है। यह उपचार रोगी के स्वयं के रक्त का उपयोग करता है और एक सघन स्थिरता के लिए कई प्रक्रियाओं से गुजरता है और इसे घुटने के जोड़ में वापस इंजेक्ट करता है। प्रत्येक उपचार विकल्प रोगी की स्थिति और डॉक्टर के मूल्यांकन पर भिन्न होता है", डॉ. प्रेमस्टियन ने कहा।
सूखे श्लेष द्रव की स्थिति के निदान में इतिहास लेना और घुटने की शारीरिक विकृति की जांच शामिल है। डॉक्टर घुटने के जोड़ में तरल पदार्थ के दबाव का पता लगाने के लिए बैलेटमेंट परीक्षण करेंगे और घुटने की सतह पर पानी की लहर के दबाव को देखने के लिए बैलून साइन की तलाश करेंगे, ताकत या स्थिरता, आंतरिक घर्षण या क्रेपिटेशन की जांच करेंगे और साथ ही एक्स- प्रदर्शन करेंगे। जोड़ की क्षति की जांच करने के लिए किरण। प्रत्येक नैदानिक ​​परीक्षण डॉक्टर के मूल्यांकन पर निर्भर करता है। उन रोगियों के लिए जिनका श्लेष द्रव सूख गया है और उन्होंने चिकित्सीय सलाह नहीं ली है, जिसके परिणामस्वरूप इलाज नहीं किया गया है, जब तक कि यह घुटने के ऑस्टियोआर्थराइटिस के गंभीर चरण तक नहीं पहुंच जाता है। उपरोक्त उपचार विकल्प उतने प्रभावी नहीं हो सकते जितने होने चाहिए और डॉक्टर को सर्जिकल उपचार पर विचार करना पड़ सकता है।
अगर आपको घुटनों में दर्द, चलने-फिरने में दिक्कत हो, तो इस स्थिति में आप रंग-बिरंगी सब्जियों का सेवन कर सकते हैं। इसके साथ ही ओमेगा-3 फैटी एसिड और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करना भी शुरू कर देना चाहिए। इसके लिए आप अपनी डाइट में प्याज, लहसुन, ग्रीन टी, जामुन और हल्दी को शामिल कर सकते हैं। ड्राई फ्रूट्स और सीड्स भी घुटनों का ग्रीस बढ़ाने में मदद कर सकते हैं।
घुटने खराब होने के लक्षण

घुटने खराब होने के कुछ निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैं:

घुटने वाली जगह या पैरो में सुजन आना.
चलते-फिरते समय घुटनों में दर्द होना.
घुटनों का चटकना.
घुटनों में अकडन जैसा महसूस होना.
उठते या बैठते समय भी घुटनों में दर्द होना.

रेगुलर एक्सरसाइज करें

जोड़ों के दर्द को कम करने के लिए रेगुलर एक्सरसाइज करना भी बहुत जरूरी होता है। रोजाना एक्सरसाइज करके घुटनों के ग्रीस को बढ़ाया जा सकता है। एक्सरसाइज करने से घुटनों में ग्रीस बनता है। इसके लिए आप स्ट्रेचिंग, स्ट्रेंथ ट्रेनिंग, क्वाड्रिसेप, स्क्वाट्स और हील राइज आदि एक्सरसाइज कर सकते हैं। इसके अलावा आप वॉर्मअप कर सकते हैं।

सप्लीमेंट्स ले सकते हैं

जब घुटनों का ग्रीस कम होने लगता है, तो डॉक्टर आपको कुछ सप्लीमेंट लेने की सलाह दे सकते हैं। इसलिए अगर आपको भी अकसर घुटनों में दर्द रहता है, आपके घुटनों का ग्रीस खत्म हो गया है, तो आप कुछ सप्लीमेंट्स ले सकते हैं। घुटनों का ग्रीस बढ़ाने के लिए आप ओमेगा-3 फैटी एसिड, कोलेजन और अमिनो एसिड सप्लीमेंट ले सकते हैं। ये सभी सप्लीमेंट्स हड्डियों के बीच ऊतक बनाने में मदद करते हैं। इससे ग्रीस बढ़ता है और घुटने मजबूत बनते हैं। लेकिन कोई भी सप्लीमेंट बिना डॉक्टर की सलाह के बिल्कुल न लें।

नारियल पानी पिएं

नारियल पानी संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है। अगर आपको घुटनों में दर्द रहता है, तो भी आप नारियल पानी का सेवन कर सकते हैं। नारियल पानी पीने से घुटनों का लचीलापन बढ़ता है। दरअसल, नारियल पानी में विटामिन्स और मिनरल्स पाए जाते हैं। नारियल पानी हड्डियों और मांसपेशियों को मजबूत बनाता है।

अखरोट घुटने का ग्रीस बढ़ाने में उपयोगी
घुटने का ग्रीस बढ़ाने के लिए अखरोट बहुत फायदेमंद होता हैं. अखरोट में कैल्शियम, बी-6, मिनरल, प्रोटीन, कार्बोहायड्रेट, विटामिन इ, फैट आदि प्रचुर मात्रा में पाया जाता हैं. जो घुटनों का ग्रीस बढ़ाने में हमारी मदद करते हैं. घुटने का ग्रीस बढ़ाने का यह सबसे सरल और आसान उपाय हैं. आपको सिर्फ रोजाना दो अखरोट का सेवन सुबह के समय करना हैं. इससे आपके घुटनों का ग्रीस बढ़ने लगेगा.

हरसिंगार के पत्ते घुटने का ग्रीस बढ़ाने में उपयोगी

घुटने की ग्रीस बढाने के लिए हरसिंगार के पत्ते बहुत ही फायदेमंद होते हैं. जिसे नाईट जैस्मीन या पारिजात के नामसे भी जाना जाता हैं. हरसिंगार के पत्तो में ग्लुकोसाइड, मैथिल सिलसिलेट तथा टेनिक एसिड प्रचुर मात्रा में पाया जाता हैं. जो घुटनों का ग्रीस बढ़ाने में हमारी मदद करते हैं.
इसके लिए आप ३-४ हरसिंगार के पत्तो को पीसकर पेस्ट बना लीजिए. अब एक बड़ा गिलास पानी लीजिए और पेस्ट को पानी में डालकर उबालने के लिए रख दीजिए. जब तक पानी आधा नहीं हो जाता तब तक उबालते रहिए. पानी उबालने के बाद छान लीजिए. जब पानी ठंडा हो जाए. तो इस पानी का सेवन सुबह खाली पेट रोजाना कीजिए. कुछ ही दिनों में आपको रिजल्ट दिखाई देगा.

घुटनों के दर्द के लिए तेल

अगर आपके घुटनों में दर्द है. तो सरसों का तेल, जैतून का तेल तथा नारियल का तेल घुटनों के दर्द से छुटकारा दिलवाने में मदद कर सकता हैं. इनमें से किसी भी एक तेल से घुटनों की रोजाना हल्के हाथ से मालिश करने से फायदा होता हैं.

घुटने मजबूत करने के लिए क्या खाएं

घुटनों को मजबूत करने के लिए बादाम, अखरोट, अंजीर, पालक, सलाद, रागी, दलिया आदि को अपने डायट में शामिल करना चाहिए.


घुटनों के दर्द में कौन सा फल खाना चाहिए?


पपीता एक ऐसी फल है जिसमें कई सारे पोषक तत्व पाए जाते हैं. इसे खाने से शरीर के कई रोगों दूर भाग जाते हैं. पपीते को आप डेली डाइट में शामिल कर सकते हैं. इसके सेवन से घुटनों के दर्द में बहुत आराम मिलेगा
घुटनों की ताकत के लिए क्या खाना चाहिए?

हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए कैल्शियम अति आवश्यक है। कैल्शियम की कमी से घुटने ना स्रिफ कमज़ोर हो सकते हैं बल्कि उनमें दर्द भी हो सकता है। इसलिए घुटने की ताकत बढ़ाने के लिए कैल्शियमयुक्त आहार लें। दूध ,दही ,पनीर ,हरी पत्तेदार सब्जियां, पिस्ता ,बादाम जैसी चीज़ों का सेवन करें।

क्या दूध घुटने के दर्द को कम कर सकता है?

आप रोजाना दूध का सेवन कर सकते हैं। इसे पीने से आपको दर्द से आराम मिल सकता है। अदरक के सेवन से घुटने के दर्द में आराम मिल सकता है।

हल्दी दूध 

हल्दी दूध का सेवन घुटनों के दर्द में फायदेमंद (Turmeric Milk Beneficial in Knee Pain in Hindi) एक ग्लास दूध में एक चम्मच हल्दी के पाउडर को मिलाकर सुबह-शाम कम से कम दो बार पीने से घुटनों के दर्द (Ghutno ka dard) में लाभ मिलता है। यह जोड़ों का दर्द दूर करने का सबसे कारगर घरेलू इलाज है।

जोड़ों के दर्द के लिए सबसे अच्छा फल कौन सा है?

संतरा का करें सेवन

आप अपनी डाइट में संतरे का सेवन जरूर करें. सभी जानते हैं कि इसके खाने से पानी की कमी पूरी हो जाती है. इसमें काफी मात्रा में विटामिन सी पाया जाता है जो जोड़ों के दर्द के लिए फायदेमंद होता है.

सोया दूध घुटने के दर्द के लिए अच्छा है?

क्या सोया मेरे जोड़ों की मदद कर सकता है? जोड़ों के दर्द के रोगियों के लिए सोया एक उत्कृष्ट आहार है । यह ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर है, जिसका अर्थ है कि यह शरीर के भीतर सूजन को कम कर सकता है। सूजन पैदा करने वाले रसायन जोड़ों के ऊतकों पर हमला करते हैं, जिससे जोड़ों में अधिक तरल पदार्थ जमा हो जाता है और उपास्थि क्षतिग्रस्त हो जाती है।
घुटने के दर्द से तुरंत राहत कैसे मिल सकती है?

घुटने के दर्द के विभिन्न हिस्सों को प्रबंधित करने के लिए गर्मी और बर्फ दोनों का उपयोग किया जा सकता है। बर्फ सूजन और सूजन को कम करने में मदद करता है और चोटों के लिए सबसे अच्छा है। गर्मी दर्द प्रबंधन में मदद कर सकती है, खासकर कठोर जोड़ों पर। यह गतिशीलता में भी मदद कर सकता है।

क्या सेब जोड़ों के दर्द में मदद करता है?

क्वेरसेटिन शरीर में सूजन को कम करने में मदद कर सकता है, जो बदले में गठिया के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है। सेब को अपने आहार में शामिल करके, आप सूजन को कम करने और गठिया के लक्षणों को संभावित रूप से कम करने में मदद कर सकते हैं।
सोने से पहले 15-20 मिनट तक घुटने पर गर्माहट या ठंडक लगाने से दर्द कम हो सकता है। गर्मी घुटने में परिसंचरण में सुधार करती है और कठोर ऊतकों को नरम बनाती है। ठंड सूजन को शांत करती है और सूजन को कम करती है।
हाल ही में अपोलो अस्पताल के हड्डी रोग विभाग के डॉक्टरों ने यह अध्ययन किया। विशेषज्ञ डॉ. राजू वैश्य ने इस शोध में देश के अलग-अलग शहरों के एक हजार ऐसे मरीजों को शामिल किया जो जोड़ों के दर्द व आर्थराइटिस से जूझ रहे थे। इन सभी की जांच करवाई तो इसमें से 95 प्रतिशत मरीजों में विटामिन-डी की कमी थी। डॉ. वैश्य ने बताया कैल्शियम की कमी के कारण हड्डियों व जोड़ों में दर्द होता है। हड्डियां घिसने लगती हैं और कमजोर हो जाती हैं। जोड़ों पर यूरिक एसिड जमने लगता है।
दरअसल विटामिन (डी) का मुख्य स्रोत सूर्य की रोशनी है जो हड्डियों के अलावा पाचन क्रिया में भी बहुत उपयोगी है। व्यस्त दिनचर्या और आधुनिक संसाधनों के कारण लोग तेज धूप सहन नहीं कर पाते। सुबह से शाम तक ऑफिसों में रहते हैं। खुले मैदान में घूमना-फिरना और खेलना भी बंद हो गया। इस कारण धूप के जरिए मिलने वाला विटामिन उन तक नहीं पहुंच पाता। जब भी किसी को घुटने या जोड़ में दर्द होता है तो उसे लगता है कैल्शियम की कमी हो गई। विटामिन डी की ओर ध्यान नहीं जाता। डॉक्टर वैश्य का कहना है अगर कैल्शियम के साथ-साथ विटामिन (डी) की भी समय पर जांच करवा ली जाए तो आर्थराइटिस को बढ़ने से रोका जा सकता है।


22.8.23

भाप लेना किन किन रोगों में लाभप्रद है ,तरीका बताओ

 





 ठंड में स्टीम लेना लाभदायक होता है। भाप लेने से नाक, गला और फेफड़े के सभी रास्ते खुल जाते हैं और 11 बीमारियां दूर हो जाती हैं। आइए भाप लेने के फायदे जानते हैं।
ठंड से होने वाली बीमारियों  का इलाज करने और उनसे बचने के लिए स्टीम लेना शानदार घरेलू उपाय है। इसे स्टीम थेरेपी (Steam Therapy) भी कहा जाता है, जो खांसी, जुकाम और साइनस से छुटकारा पाने के लिए सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाती है।
फेस स्टीम लेना काफी फायदेमंद माना जाता है. हालांकि कुछ लोग इसे गलत तरीके से लेते हैं. जिस वजह से स्किन डैमेज हो सकती है, आइए जानते हैं क्या है स्टीम लेने का सही तरीका..
Face Steam:फेस स्टीम लेने से त्वचा को ढ़ेर सारे फायदे मिलते हैं.चेहरे पर भाप लेने का चलन रोमन और यूनानियों के समय से चली आ रही है.इससे स्किन को ऑक्सीजन मिलता है और स्किन हेल्दी रहती है.हालांकि कुछ लोग गलत तरीके से स्टीम ले लेते हैं जिससे त्वचा को फायदा की जगह नुकसान हो जाता है.ऐसे में आज हम आपको फेस स्टीम लेने का सही तरीका, सही वक्त और इसके फायदे बता रहे हैं.आइए जानते हैं इस बारे में विस्तार से.

स्टीम लेने का सही तरीका, सही वक्त

एक बड़े बर्तन में पानी लेकर उसे गर्म करना है, पानी उलब जाए तो उसे गैस से नीचे उतार लें. अब एक सूती तौलिया लें और इससे सिर और मुंह को अच्छे से ढक लें. कटोरे से करीब-करीब 30-35 सेंटीमीटर पर अपने चेहरे को रखें. अब 3 से 5 मिनट तक सांस लें, इसके बाद थोड़ा ब्रेक लें और फिर इस प्रोसेस को दोहराएं

क्या है फेस स्टीम लेने का सही वक्त ?

ज्यादा फायदा लेने के चलते कुछ लोग होते हैं जो हर रोज स्टीम लेते हैं. लेकिन ऐसा करने से नुकसान हो सकता है. इससे त्वचा के रोम छिद्र खुले रह जाएंगे.आप महीने में दो से तीन बार स्टीम ले सकते हैं. स्टीम लेने से पहले चेहरे को साफ करना जरूरी होता है. स्टीम लेने के लिए 5 से 10 मिनट का वक्त काफी है. स्टीम लेने के बाद चेहरे को पैट ड्राई कर हमेशा मॉइश्चराइज करना चाहिए. अगर आपकी त्वचा सेंसिटिव है या मुहांसे से भरी या ड्राई है तो आपको स्टीम नहीं लेना चाहिए

स्टीम लेने का प्रोसेस जानिए

स्टीम लेने के लिए आप एक बड़े कटोरे में गर्म पानी ले लीजिए.
आपको एक तौलिए की भी जरूरत होगी.
सबसे पहले अपना चेहरा साफ कर लीजिए.
गर्म पानी में अपने फेस के हिसाब से कोई भी essential.oil मिला सकते हैं.
सिर के ऊपर तौलिया ओढ़ लें.
स्टीम केवल आपके चेहरे पर आना चाहिए.
अब चेहरे को गर्म पानी के ऊपर झुकाए.
5 से 10 मिनट तक भाप लें इस दौरान आंखों को बंद रखें.
ध्यान रहे कि चेहरे को पानी के ज्यादा नजदीक लेकर नहीं जाना है.
इससे आपका चेहरा जल सकता है.
चेहरे को स्टीम देने के बाद मॉइश्चराइजिंग क्रीम या एलोवेरा जेल जरूर लगाएं

स्टीम लेने के फायदे जान लीजिए

*स्टीम लेने से चेहरे की थकान दूर होती है. ब्लड सरकुलेशन को बढ़ावा मिलता है. इससे चेहरे के पोर्स खुलते हैं.
*ब्लैकहेड्स से छुटकारा मिलता है. इससे ब्लैकहेड्स सॉफ्ट हो जाते हैं जिसके बाद आसानी से निकल जाते हैं.

भाप लेने के फायदे

*गर्म पानी का भाप लेते हैं तो ये नाक और गले के माध्यम से फेफड़ों तक पहुंचता है. इस तरह सर्दी-खांसी में आराम महसूस होता है. साथ ही गले में जमा कफ भी बाहर निकल जाता है.
*गर्म पानी के भाप से बंद नाक खुल जाती है, सांस लेने में हो रही दिक्कत भी खत्म हो जाती है.
*गर्म भाप लेने से रक्त धमनी का विस्तार होता है और ब्लड सर्कुलेशन भी सुधरता है.
*गर्म भाप लेने से स्किन पोर्स खुल जाते हैं और फेस पर जमी गंदगी बाहर निकल जाती है, जिससे चेहरे पर नेचुरल ग्लो आता है.
*भाप लेने से शरीर में बैक्टीरिया और कीटाणुओं के खिलाफ कार्रवाई करने वाले मजबूत प्रतिरोधक WBC का भी उत्पादन बढ़ता है, इससे इम्यूनिटी भी अच्छी होती है.
*डेड स्किन सेल्स बाहर निकल जाते हैं और आपकी त्वचा ग्लो करती है.
*भाप लेने से चेहरे में ऑक्सीजन पहुंचता है. आपकी त्वचा खुलकर सांस ले पाती है और अंदर से हेल्दी बनती है.
*.स्टीम लेने से पिंपल की समस्या भी दूर हो सकती है. क्योंकि जब आपके चेहरे पर गंदगी रहती है तो ये पोर्स ब्लॉक करती है. जिस वजह से पिंपल की दिक्कत हो सकती है.
*सर्दियों में सप्ताह में तीन से चार बार भाप लेते हैं तो आपको सर्दी-जुकाम जैसे स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से बचने में मदद मिलेगी.
भाप लेने के लिए पानी में तुलसी, दालचीनी, लौंग और काली मिर्च मिलानी चाहिए। क्योंकि, ये घरेलू चीजें बलगम या जकड़न से राहत तो देती ही हैं, साथ में नाक से लेकर फेफड़ों की नलियों में मौजूद वायरस या बैक्टीरिया को भी खत्म कर देती हैं।

16.8.23

एक्जिमा की सबसे अच्छी दवा कौन सी है? आयुर्वेदिक या एलोपेथिक?




  एक्जिमा की स्थिति में, त्वचा के धब्बे सूजन, लाल, खुजलीदार, फटे हुए और खुरदरे हो जाते हैं। कुछ लोगों में छाले हो जाते हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका में एक्जिमा से पीड़ित लोगों का उच्च अनुपात है। एक्जिमा के प्रकार और चरण हैं। एक्जिमा विशेष रूप से एटोपिक डर्मेटाइटिस से सम्बंधित होती है जो एक्जिमा का सबसे आम प्रकार है।

एटोपिक का अर्थ प्रतिरक्षा प्रणाली से जुड़ी बीमारियों का एक समूह है, जिसमें एटोपिक डर्मेटाइटिस, हे फीवर और अस्थमा शामिल हैं। डर्मेटाइटिस त्वचा की सूजन की स्थिति है।
  अधिकांश शिशुओं के लिए, यह स्थिति उनके दसवें वर्ष में बढ़ जाती है जबकि कुछ लोगों में जीवन भर इसके लक्षण बने रहते हैं। उचित उपचार से लोग रोग पर अच्छा नियंत्रण कर सकते हैं। एक्जिमा के साथ रहना वास्तव में चुनौतीपूर्ण है और यह हल्के, मध्यम स्तर से लेकर गंभीर स्तर तक हो सकता है।
शिशुओं में एक्जिमा, गाल और ठुड्डी पर विकसित होता है, लेकिन यह शरीर में कहीं भी दिखाई दे सकता है। यहां तक कि वयस्क में भी यह स्थिति विकसित हो सकती है, भले ही यह उनके बचपन से नहीं था। त्वचा हमारे शरीर का बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा है। इंसान का रंग रूप और सुंदरता काफी हद तक उसकी त्वचा पर निर्भर करती है। ऐसे में त्वचा पर एक खरोंच भी आती है तो हम जल्द से जल्द उसका इलाज ढूढने की कोशिश करते हैं।
ऐसी ही एक प्रकार का त्वचा रोग या कहें चर्म रोग है एक्जिमा जिसमें त्वचा में छाले और दाने हो जाते हैं। आज के इस आर्टिकल में हम एक्जिमा के बारे में बात करेंगे की एक्जिमा क्या है और एक्जिमा की आयुर्वेदिक दवा क्या है।
हम जानेंगे एक्जिमा आयुर्वेदिक लोशन कैसे बनाते हैं जिससे ये जड़ से खत्म हो जाएगा। एक्जिमा की बेस्ट क्रीम (Eczema best cream in hindi) और एक्जिमा का इंजेक्शन लेना चाहिए या नहीं, इसके बारे में भी बात करेंगे। तो चलिए शुरू करते हैं आज का टॉपिक।
एक्जिमा एक चर्म रोग है जो त्वचा के किसी भी हिस्से में हो सकता है। इसमें शरीर में छाले पड़ जाते हैं और बहुत अधिक खुजली लगती है। अधिक खुजलाने से इनसे मवाद या खून भी निकल जाता है।
यह मवाद या पानी शरीर के जिस हिस्से में पड़ता है वहा पर भी एक्जिमा होने की संभावना रहती है या फिर दाग हो जाते हैं। इसके लिए जरूरी है कि समय रहते एक्जिमा का इलाज कराया जाए।
हमने देखा है कि अक्सर लोग एक्जिमा की एलोपैथिक दवा (Eczema Allopathic Medicine) ही लेते हैं जो कि पूरी तरह लाभदायक नहीं है। एलोपैथिक दवाएं इसका असर तो कम कर देती हैं लेकिन इसे पूरी तरह से मिटा नही पाती और शरीर में दाग रह जाते हैं।
यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि एक्जिमा और इसके लक्षण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भिन्न होते हैं। एक्जिमा के कुछ सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं:सबसे पहला लक्षण है तीव्र खुजली
बाद में, दाने लाल रंग के साथ प्रकट होते हैं, विभिन्न आकारों के बम्प्स के साथ विकसित होते हैं
खुजली में जलन हो सकती है, खासकर पलकों जैसी पतली त्वचा में
यह रिसना शुरू हो सकता है और खरोंचने पर क्रस्टी हो सकता है
लंबे समय तक रगड़ने से वयस्कों में त्वचा में गाढ़े प्लाक हो जाते हैं
समय के साथ, दर्दनाक दरारें दिखाई दे सकती हैं
स्कैल्प की समस्या शायद कभी शामिल हो सकती है
पलकें खुजलीदार, फूली हुई और लाल हो जाएंगी
खुजली की अनुभूति नींद के पैटर्न को बिगाड़ सकती है
दाद, वायरल संक्रमण जैसे दाद और मोलस्कम कॉन्टैगिओसम जैसे फंगल संक्रमण एक्जिमा वाले लोगों में अधिक सामान्य लक्षण हैं।

वयस्कों में एक्जिमा के लक्षण क्या हैं?

वयस्कों में एक्जिमा के लक्षण बच्चों के समान ही होते हैं। आप कह सकते हैं कि बच्चों की तुला वयस्कों में ये लक्षण और ज्यादा बड़े हुए हो सकते हैं। एक्जिमा के बाद के चरण में लक्षण देखे जा सकते हैं क्योंकि रोग के एक निश्चित चरण के बाद ही सतह पर लक्षण देखे जा सकते हैं।
ये लक्षण कोहनियों या घुटनों की सिलवटों या गर्दन के पिछले हिस्से में देखे जा सकते हैं:अधिक पपड़ीदार चकत्ते
शुष्क त्वचा
खुजली
त्वचा संक्रमण के अन्य रूपएटोपिक डार्माटाइटिस (Atopic dermatitis) या एक्जिमा एक ऐसी स्थिति है जो आपकी त्वचा को लाल और खुजलीदार बनाती है। ज्यादातर यह बच्चों मे देखने को मिलता है लेकिन यह किसी भी उम्र में हो सकता है।
एक्जिमा की सूजन और लंबे समय तक चलने वाली (Chronic) होती है और समय-समय पर भड़क जाती है। अभी तक एटोपिक डर्मेटाइटिस का कोई इलाज नहीं खोजा जा सका है। लेकिन एक्जिमा का आयुर्वेदिक उपचार और स्व-देखभाल के उपाय से खुजली को दूर कर सकते हैं और नए प्रकोपों को रोक सकते हैं।
अधिकांशतः एक्जिमा के लक्षण (Symptoms of eczema) अक्सर 5 साल की उम्र से पहले शुरू हो जाते हैं और किशोरावस्था और वयस्कता में बनी रह सकती है। शोधकर्ताओं का मानना है कि यह एक अति सक्रिय प्रतिरक्षा प्रणाली यानि overactive immune system द्वारा ट्रिगर किया जाता है।
जब आपकी त्वचा बाहरी अड़चनों के संपर्क में आती है, तो एक्जिमा भड़क जाती है, जिससे आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली ओवररिएक्ट हो जाती है।

एक्जिमा निम्निलखित कारणों से हो सकता है:

क्लींजर और डिटर्जेंट में पाए जाने वाले रसायन या संरक्षक सुगंधित उत्पाद
सिगरेट का धुंआ
बाहरी एलर्जी जैसे पराग, मोल्ड, धूल, या धूल के कण
खुरदरी खरोंच वाली सामग्री, जैसे ऊन, सिंथेटिक कपड़े
पसीना आना
तापमान परिवर्तन
तनाव
फूड एलर्जी
एलोपैथिक दवाओं से एक्जिमा का permanent इलाज संभव नही है और अभी भी रिसर्च चल रहे हैं। लेकिन एक्जिमा का उपचार एक्जिमा की आयुर्वेदिक दवा से किया जा सकता है जिससे यह जड़ से खत्म हो जाता है।
यह इलाज घर पर ही संभव है जिसमे आयुर्वेदिक एक्जिमा लोशन तैयार किया जाता है और यह बहुत आसान भी है।
एक्जिमा का आयुर्वेदिक पेस्ट बनाने के लिए आपको क्या क्या चाहिए:

नीम की छाल: 20 ग्राम
पीपल की छाल: 20 ग्राम
अरंडी का तेल: 20 ग्राम
बबूल की छाल:10 ग्राम
नौशादर: 10 ग्राम
मदार के पत्ते: 2
और साफ मौसम
इन सभी सामग्री को धूप में अच्छी तरह से सुखा लें। अरंडी के तेल को छोड़ कर सभी चीजों को आपस में पीस लें। इसके बाद इस मिश्रण को अरंडी के तेल में अच्छी तरह से मिलाकर पेस्ट बना लें। तेल आवश्यकतानुसार ही डालें यानि की एक अच्छा पेस्ट तैयार हो सके।
तैयार पेस्ट को एक बोतल में भरकर धूप में 10 दिनों के लिए रख दें। ध्यान रहे बोतल का मुंह खुला रहे और उसे अच्छी धूप मिले। 10 दिन बाद बचे हुए पेस्ट को एक्जिमा वाले स्थान पर सुबह और शाम दिन में दो बार लगाएं।
अगर बताए हुए तरीके के अनुसार पेस्ट बनाएंगे और रोजाना इस्तेमाल करेंगे तो पुराने से पुराना एक्जिमा भी जड़ से खत्म हो जाएगा।

एलोपेथी क्या कहती है ?

हाइड्रोकार्टिसोन स्टेरॉयड वाली क्रीम खुजली से राहत दिलाने और सूजन को कम करने में मदद करती हैं। वे ओटीसी से लेकर प्रिस्क्रिप्शन दवाओं तक विभिन्न शक्तियों(स्ट्रेंग्थ्स) में उपलब्ध हैं।

एनएसएआईडी ऑइंटमेंट एक नया प्रिस्क्रिप्शन नॉन-स्टेरॉइडल, एंटी-इंफ्लेमेटरी दवा है जिसका उपयोग हल्के से मध्यम स्तर की एक्जिमा के इलाज के लिए किया जाता है। इसे दिन में दो बार लगाने की सलाह दी जाती है और यह सूजन को कम करने और त्वचा को सामान्य दिखने में मदद करने में प्रभावी है।
त्वचा को स्क्रब करने से होने वाले जीवाणु संक्रमण के इलाज के लिए एंटीबायोटिक्स निर्धारित हैं। एंटीहिस्टामाइन रात के समय खुजली के लक्षणों से राहत दिलाने में मदद करते हैं।
दवाएं प्रतिरक्षा को कम करने में मदद करती हैं जैसे कि साइक्लोस्पोरिन, मेथोट्रेक्सेट, और माइकोफेनोलेट मोफेटिल और कॉर्टिकोस्टेरॉइड गोलियां, शॉट्स, तरल पदार्थ का उपयोग फ्लेयर-अप और खुजली को कम करने के लिए किया जाता है।
यूवी(UV)लाइट थेरेपी और पुवा(PUVA) थेरेपी की भी सिफारिश की जाती है।
एक्जिमा के लिए कौन सा विटामिन अच्छा है?
चूंकि विटामिन डी की कमी एक्जिमा का कारण हो सकती है, आपके शरीर में इसकी इष्टतम उपस्थिति आपको त्वचा संक्रमण से बचाव या उपचार प्राप्त करने में मदद कर सकती है।
यह आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली और त्वचा की रक्षा को मजबूत करने में आपकी मदद करता है जो एक्जिमा के हमले के तहत त्वचा की उपचार प्रक्रिया को बढ़ावा देता है।

एलोपथिक मेडिसिन 

एक्जिमा के लिए दवा में स्टेरॉयड, एंटीहिस्टामाइन और सामयिक(टॉपिकल) एंटीसेप्टिक शामिल हो सकते हैं जो आपको अपनी त्वचा को शांत करने और बैक्टीरिया / वायरस / फंगस से लड़ने में मदद करेंगे जो आपकी त्वचा में इन्फेस्ट हो गए हैं।

एक्जिमा के इलाज के प्राकृतिक तरीके इस प्रकार हैं:

लीको-राइस रूट(मुलैठी की जड़) के रस का उपयोग करने से, खुजली में एक आशाजनक कमी दिखाई देती है। नारियल तेल या खुजली वाली क्रीम की कुछ बूंदें मिलाने से अतिरिक्त लाभ मिलता है।
ओमेगा 3 फैटी एसिड से भरपूर खाद्य पदार्थ रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने और उपचार प्रक्रिया को तेज करने के लिए फ्लेयर-अप के समय में मदद करते हैं।
विटामिन ई लेना सूजन को कम करके उपचार को गति देता है और टॉपिकल ऑइंटमेंट खुजली से राहत देता है और त्वचा को झुलसने से रोकता है।
विटामिन ए से भरपूर भोजन लेने से त्वचा में सुधार होता है
कैलेंडुला क्रीम त्वचा के कट, जलन और सूजन को ठीक करती है। यह प्रभावित क्षेत्र में रक्त के प्रवाह में सुधार करता है, त्वचा को हाइड्रेट करने में मदद करता है और संक्रमण से लड़ता है
सम्मोहन, एक्यूपंक्चर जैसे वैकल्पिक उपचार तनाव और चिंता के स्तर को कम करते हैं।

सारांश: 

एक्जिमा को आमतौर पर त्वचा की खुजली और जलन के रूप में जाना जाता है। यह बैक्टीरिया, वायरस या फंगस के कारण हो सकता है जो खुली दरार और घावों द्वारा मेजबान के शरीर में प्रवेश कर गए हैं। इसे दो उपश्रेणियों(सब-कैटेगरीज़) में बांटा गया है। जबकि एक्यूट एक्जिमा इलाज योग्य है, क्रोनिक एक्जिमा का इलाज सामान्य दवा के माध्यम से नहीं किया जा सकता है। एक संक्रमित व्यक्ति से खुद को हाइड्रेटेड और सुरक्षित रखकर एक्जिमा को रोका जा सकता है।

7.8.23

त्वचा की झुर्रियां हटाने के तरीके Jhurriyan kaise hataen

 



  हर किसी की चाहत होती है की उनकी त्वचा सुन्दर, कोमल, और युवा दिखे। बहुत से लोग अपने उम्र छुपाने का इलाज के लिए बहुत सारे क्रीम, दवाइयां इस्तेमाल करते हैं लेकिन इनसे त्वचा जवान नहीं हो पाती बल्कि स्किन और बूढी दिखने लगती है और बुढ़ापे की प्रक्रिया को गति देते हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि हम में से बहुत से झुर्रियों की समस्या से जूझ रहे हैं| परन्तु वह इस समस्या का समाधान करने में असमर्थ हो जाते हैं| झुर्रियां पतली, सगनी त्वचा के कारण होती हैं।वे विशेष रूप से चेहरे, गर्दन, हाथों और पीठ पर दिखाई देती हैं| समय से पहले या अधिक झुर्रियों का कारण सूरज की रोशनी या कठोर वातावरण, धूम्रपान, कुछ दवाओं के उपयोग, अत्यधिक तनाव, अचानक वजन घटाने, विटामिन ई की हानि, और आनुवांशिक गड़बड़ी है| कई आसान घरेलू उपाय हैं जो झुर्रियों को कम करने में मदद करेंगे|
अस्वास्थ्यकर जीवन शैली, तनाव, संसाधित और खाने, कैफीन, शराब और धूम्रपान, अभाव की कमी और प्रदूषण जैसी अस्वास्थ्यकर आदतों पर निर्भरता पर त्वचा की उम्र बढ़ने और स्किन पर झुर्रियां और काले दाग-धब्बे होने लगते हैं। बुढ़ापे वाली त्वचा को अलविदा करने के लिए बहुत से उपाय एवं घरेलू उपाय हैं। अगर आप इन घरेलू देसी नुस्खे सही तरीके से आजमाएंगे तो आप दोबारा जवान कैसे दिखें नहीं पूछेंगे। तो चलिए जानते हैं चेहरे की झुर्रियां हटाने के आसान घरेलू उपाय.

झुर्रिया होने का कारण

तनाव : stress लेना हमारे तन और मन दोनो के लिए नुक़सानदायक होता है. इसकी वजह से हमारा शरीर जल्दी ही बूढ़ा दिखने लगता है और चेहरे की त्वचा जटिल हो जाती है जिससे झुर्रिया दिखने लगती है।

नशा करना : 

ज़्यादातर झुर्रिया दिखने का लक्षण है ग़लत आदतो मे पढ़ना. बीड़ी, सिगरेट, शराब हमारे शरीर की त्वचा पर असर डालती है फलस्वरूप हमारा शरीर ढीलापन मे आ जाता है।

गर्मी : 

ज़्यादा से ज़्यादा धूप मे रहने से हमारी skin सुख जाती है और झुर्रिया सुखी त्वचा पर ज़्यादा attack करती है जिसके चलते हमे जवानी मे ही बूढ़ा जैसा महसूस होता है।

ख़ान-पान की कमी : 

नियमित और संतुलित भोजन ना करने से झुर्रियो का होना एक महत्वपूर्ण कारण होता है. आज की पीढ़ी मे जंक फुड के बढ़ते और तले हुए भोजन करने से हमारे शरीर मे वसा जल्दी जमा होने लगती है शरीर को आवश्यक विमामिन नही मिल पाते है और हमारी त्वचा बुडी होने लगती है।

पानी की कमी : 

शरीर मे पानी की कमी से हमारे शरीर के सभी भागो को नुकसान पहुँचता है. इससे हमारी त्वचा को नमी नही मिल पति है जिसकी वजह से त्वचा मे झुर्रिया दिखने लगती है।

चेहरे की झुरिया पढ़ने से कैसे बचे

1. शुबह जल्दी उठकर पानी पिए फिर तोड़ा आराम करके टहलने के लिए जाए. इससे आपके शरीर को नामी मिलेगी जिससे चलते झुरिया कम होने लगेंगे.

2. बीड़ी, सिगरेट, शराब आदि नशीली चीज़ो का सेवन करना छोड़ दे, इनके इस्तेमाल से हमारे शरीर की पाचन क्रिया कमजोर होने लगती है जिसके चलते हमारे शरीर मे खून सुचारू रूप से नही बन पता है.
3. सोजाना व्यायाम, योगा करने से शरीर स्वस्थ रहता है. हमारे शरीर की कोई भी गंदगी हो जल्दी ही बाहर निकल जाती है. शरीर के इधर उधर खिचाव से झुर्रिया नही होती है.
4. ज़्यादा गर्मी मे जाने से बचे, क्यूंकी ज़्यादा गर्मी हमारी त्वचा की नामी को सोख लेती है जिसाए त्वचा मे झुर्रिया पढ़ने लगती ही. अगर आप तेज धूप मे जाते है तो सुन स्क्रीन लोशन ज़रूर लगा के जाए. अपने साथ छाता ज़रूर लेकर जाए.
5. विटामिन ए और विटामिन सी वेल फलो को ज़्यादा सेवन मे ले. विटामिन ए मे आप चने, मुंग की डाल ले सकते है और विितमिन सी मे आप संतरा, नींबू, और अंगूर ले सकते है. इन पदार्थो से हमारे शरीर को नमी मिलती है.
6. त्वचा के ढीलेपन को रोकेने के लिए ज़रूरी है की आप रोजाना ज़्यादा से ज़्यादा पानी पिए. इससे हमारे शरीर का पाचन तंतरा सही रहता है और त्वचा मे नामी बनी रहती है. जिससे हमारे शरीर मे झुर्रिया न्ही दिखाई देती है.

चेहरे की झुर्रियां हटाने के लिए घरेलू उपाय

वृद्धावस्था एक प्राकृतिक प्रक्रिया है और इसका सबसे स्पष्ट बाह्य प्रक्षेपण झुर्रियाँ और सीधी लाइनों की उपस्थिति है। हमारी त्वचा देर से 20 के दशक से उम्र बढ़ने लगती है, लेकिन इसका प्रभाव हम उम्र के रूप में अधिक स्पष्ट हो जाते हैं। कोलेजन और इल्स्टिन दो प्रमुख प्रोटीन हैं जो आधार या सेल संरचना होते हैं जो त्वचा लोचदार, कोमल और जवान होते हैं। समय के साथ, ये प्रोटीन झुर्रियाँ, लाइनों और चेहरे, माथे, गर्दन और हाथों की पीठ पर गहरे बालों की उपस्थिति को कम करने लगते हैं।

हालांकि काउंटर क्रीम और सुन्दर त्वचा के लिए बाजार में कई क्रीम मिल जायेंगे जो त्वचा की उम्र बढ़ने के लिए मदद करते हैं, हम सभी जानते हैं की इलाज के लिए घरेलू उपचार कितना अच्छा होता है। जो हमारे स्किन पर कोई साइड इफेक्ट नहीं देते।

जैतून का तेल झुर्रियों और लाइनों को हटाए

जैतून का तेल सबसे प्रभावी प्राकृतिक तेलों में से एक है जो झुर्रियाँ और लाइनों और सख्त त्वचा को कसने में मदद करता है। यह विटामिन, खनिज और प्राकृतिक फैटी एसिड का एक समृद्ध स्रोत है जो त्वचा को पोषण करती है क्योंकि यह आसानी से त्वचा के द्वारा अवशोषित हो जाती है। विटामिन ए और ई के साथ लोड होने पर, यह एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट के रूप में कार्य करता है और त्वचा को हाइड्रेट करने में मदद करता है और अपनी जबरदस्त अलंकृतता और लोच को बनाए रखने में मदद करता है ताकि यह लंबे समय तक छोटी ह

जैतून का तेल सबसे प्रभावी प्राकृतिक तेलों में से एक है जो झुर्रियाँ और लाइनों और सख्त त्वचा को कसने में मदद करता है। यह विटामिन, खनिज और प्राकृतिक फैटी एसिड का एक समृद्ध स्रोत है जो त्वचा को पोषण करती है क्योंकि यह आसानी से त्वचा के द्वारा अवशोषित हो जाती है। विटामिन ए और ई के साथ लोड होने पर, यह एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट के रूप में कार्य करता है और त्वचा को हाइड्रेट करने में मदद करता है और अपनी जबरदस्त अलंकृतता और लोच को बनाए रखने में मदद करता है ताकि यह लंबे समय तक छोटी हो।
अपनी हथेली में जैतून का तेल की कुछ बूँदें डालें और नरम परिपत्र गति से साफ चेहरा और गर्दन पर लागू करें। बिस्तर पर जाने से पहले 5 से 10 मिनट के लिए मालिश; सुबह पानी से धोएं। कुछ समय के बाद आपको अच्छे परिणाम दिखने लगेंगे।
रिंकल्स को कम करने के लिए जैतून का उपयोग लाभदायक है | Olive oil is beneficial to reduce wrinkles
जैतून का तेल आपकी त्वचा के लिए बहुत फायदेमंद है और चेहरे की झुर्रियां हटाने में इस्तेमाल| यह एंटीऑक्सिडेंट का एक अच्छा स्रोत है, जैसे विटामिन ए और ई, जो त्वचा के हानीकारक कणो से लड़ने में मदद करता हैं| नियमित रूप से जैतून के तेल से मालिश करने से त्वचा की कोशिकाओं को मॉइस्चराइज, मरम्मत और पुनर्जन्म मिलता है| एक अन्य विकल्प है जैतून का तेल और ग्लिसरीन की कुछ बूंदों के साथ शहद की कुछ बूंदों को मिलाकर एक मिश्रण तैयार करें और इस मिश्रण से दिन में दो बार मसाज करें| जैतून के तेल से चेहरे को चमकदार भी बने जा सकता है |

एलोवेरा मुहासे और झुर्रिया दूर करे

त्वचा के लिए एलोवेरा के लाभ कई हैं यह मुँहासे के लिए एक प्रभावी प्राकृतिक उपाय के रूप में कार्य करता है और त्वचा के अत्यधिक तेल में कमी को कम करता है। मुसब्बर वेरा जेल में मौजूद मलिक एसिड त्वचा की लोच को बेहतर बनाता है और झुर्रियाँ और ठीक लाइनों को कम कर देता है। एलोवेरा जेल में मौजूद जस्ता त्वचा के सफ़ेदपन को बढ़ाता है, जबकि म्यूकोपोलिसेकेराइड – जेल में मौजूद लंबी श्रृंखला वाली चीनी अणु नमी बनाए रखने में मदद करता है और कोलेजन के गठन में सुधार करता है – प्रोटीन जो सेल संरचना का आधार बनाता है और त्वचा लोच बनाए रखता है।
एलोवेरा पौधे से पत्ते काट लें और जेल बाहर निकालें फिर साफ़ चेहरे पर लागू करें, नरम परिपत्र गति में 5 से 10 मिनट के लिए मालिश करें। इसे 20 मिनट तक रहने दें और गुनगुने पानी के साथ धोएं।

मेंथी बुढ़ापे को दूर भगाये

मेथी एक बहुत ही आम रसोई मसाला है जिसमें अत्यधिक औषधीय मूल्य है और विभिन्न बीमारियों के उपचार के लिए घर के उपाय के रूप में उम्र के लिए इसका इस्तेमाल किया गया है। मेथी के बीज विटामिन बी 3 और नियासिन का एक समृद्ध स्रोत हैं जो क्षतिग्रस्त त्वचा कोशिकाओं को ठीक करने में मदद करता है और नए कोशिकाओं और ऊतकों के पुनर्जन्म को बढ़ावा देता है जो उम्र के धब्बे, हाइपर पगमेन्टेशन झुर्रियों, लाइनों के इलाज के लिए अच्छा घरेलू उपचार है।
मेथी के दाल को पीसकर थोड़ा मोटी पेस्ट बनाकर उसमे शहद का एक चम्मच जोड़ें, अच्छी तरह मिलाएं और चेहरे और गर्दन पर लागू करें। इसे 1 घंटे तक रहने दें और पानी से धोएं। अच्छे परिणाम के लिए कुछ दिन यह प्रक्रिया आजमाते रहें।
रिंकल्स को कम करने के लिए मेथी का उपयोग लाभदायक है
  मेथी के पत्ते, बीज और यहां तक कि तेल भी त्वचा की विभिन्न समस्याओं के लिए उपयोगी है| पत्तियां विटामिन और खनिजों में समृद्ध होती हैं जिन्हें आसानी से शरीर अपने अंदर अवशोषित कर लेता है|और झुर्रियों को ठीक करने में मदद करता है| मेथी का पेस्ट तैयार करने के लिए मेथी की ताजी पत्तियों की पीस लें| इस मिश्रण को आप अपनी त्वचा पर लगाएं और 15 से 20 मिनट तक छोड़ दें| गुनगुने पानी के साथ इसे धो लें|

अदरक का उपयोग

रिंकल्स को कम करने के लिए रिंकल्स को कम करने के लिए अदरक का उपयोग लाभदायक है | Use of ginger is beneficial to reduce wrinkles(Adrak se chehre ki jhuriyon ka ilaj) : अदरक इसकी उच्च एंटीऑक्सिडेंट सामग्री के कारण चेहरे की झुर्रियां को काम करने में मदद करता है| शहद की एक चम्मच के साथ एक चुटकी मैश किया हुआ अदरक मिलाएं हर सुबह इस मिश्रण को खाएं|आप रोजाना दो बार अदरक की चाय भी पी सकते हैं| लाभदायक है |

अंडे का सफेद मुखौटा 

अंडे का सफेद मुखौटा लगाने से झुर्रियाँ और ठीक लाइनों का इलाज का आसान और प्रभावी तरीका है। झुर्रीदार क्षेत्रों पर अंडा का सफेद मुखौटा फैलाने से त्वचा केर खुले छिद्र को सिकुड़ते हुए इसे चिकना, युवा और युवा दिखने में मदद मिलती है। प्रोटीन, पोटेशियम, मैग्नीशियम और राइबोफ्लाविन का एक समृद्ध स्रोत होने के कारण यह ऊतक की मरम्मत, हाइड्रेट्स और त्वचा को moisturizes और मुक्त कण और ऑक्सीडेटिव तनाव के कारण क्षति को कम कर देता है- समयपूर्व त्वचा उम्र बढ़ने के दो मुख्य कारण हैं।

अंडे तोड़ो और जर्दी को सावधानी से अलग करें चेहरे पर समान रूप से अंडा का सफेद मुखौटा को लागू करें, इसे 15 मिनट के लिए सूखा दें और पानी से धोएं।

रिंकल्स को कम करने के लिए बादाम का उपयोग लाभदायक है|

बादाम फाइबर, विटामिन ई, लोहा, जस्ता, कैल्शियम, फोलिक एसिड, और ओलिक एसिड का एक उत्कृष्ट स्रोत है|

कच्चे दूध में कुछ बादाम भिगोएं और रात भर के लिए रख दें| सुबह में बादाम के ऊपर से छिलका उतार दें और बादाम की मोटी पास्ट बना लें| अपनी त्वचा पर पेस्ट को लगाएं| इस पेस्ट को आप अपनी आँखों के निचे हुए काले घेरों पर इस्तेमाल करें| इसे 20 से 30 मिनट तक छोड़ दें और फिर इसे गर्म पानी से धो लें| सर्वोत्तम परिणामों के लिए प्रतिदिन इस पेस्ट का इतेमाल कीजिये| इसके अतिरिक्त आप बादाम के तेल की मालिश भी कर सकते हैं|

केले से बनाये चेहरे को जवां-

उम्र बढ़ने के उपाय में केले आसानी से उपलब्ध और सस्ते प्राकृतिक विरोधी हैं यह फल पोटेशियम, विटामिन बी, विटामिन सी और विटामिन ई जैसे पोषक तत्वों को प्रभावित करने वाली त्वचा से भरी हुई है जो कि सभी त्वचा की समस्याओं के लिए एक पूर्ण उपाय है। यह hydrating और सूखी त्वचा मॉइस्चराइजिंग में मदद करता है, कोलाजेन उत्पादन में सुधार, त्वचा लोच और लचीलापन और एक कपट और छोटी दिखने वाली त्वचा प्रदान करने के लिए मुक्त कण और ऑक्सीडेटिव तनाव को नुकसान पहुंचाता है और इसके लिए स्वस्थ चमक जोड़ता है।

2 पके केले मैश कर एक चिकनी पेस्ट बनाये, इसे साफ चेहरे पर समान रूप से लागू करें और इसे 30 मिनट तक रहने दें, पानी से अच्छी तरह से धो लें और न्यूरोराइजर लागू करें।

अदरक का उपयोग

रिंकल्स को कम करने के लिए अदरक का उपयोग लाभदायक है | Use of ginger is beneficial to reduce wrinkles(Adrak se chehre ki jhuriyon ka ilaj) : अदरक इसकी उच्च एंटीऑक्सिडेंट सामग्री के कारण चेहरे की झुर्रियां को काम करने में मदद करता है| शहद की एक चम्मच के साथ एक चुटकी मैश किया हुआ अदरक मिलाएं हर सुबह इस मिश्रण को खाएं|आप रोजाना दो बार अदरक की चाय भी पी सकते हैं|

केले का उपयोग 

रिंकल्स को कम करने के लिए केले का उपयोग लाभदायक है

केले विटामिन, खनिज और एंटीऑक्सिडेंट्स में समृद्ध हैं जो झुर्रियों को काम करने में मदद करते हैं| इस उपाय का प्रयोग प्रति सप्ताह दो बार उपयोग करने से आपकी त्वचा को एक नया जीवन मिलेगा| और प्राकृतिक रूप से झुर्रियों का इलाज होगा|
दो पके हुए केले लें और उन्हें मैश करके पेस्ट बना लें| झुर्रीदार क्षेत्रों पर पेस्ट को लगाएं| इसे कम से कम आधे घंटे के लिए छोड़ दें और फिर इसे गर्म पानी से धो लें।

शहद त्वचा में दे निखार

शहद प्रकृति के सभी त्वचा की समस्याओं के इलाज का सबसे अच्छा उपचार है। यह शुष्क त्वचा के लिए सबसे अच्छा पोषण है जो त्वचा को नमी हानि को रोकने के द्वारा हाइड्रेटेड रखने में मदद करता है। यह मृत कोशिकाओं को निकालने के लिए त्वचा को छूट देता है और नए कोशिकाओं के पुनर्जन्म को बढ़ावा देता है जो बदले में उम्र के स्पॉट, हाइपर रंजकता और निशान को हल्का करता है। शहद में मौजूद विटामिन बी और पोटेशियम त्वचा लोच और फाड़ने में सुधार करने में भी मदद करता है।
अपनी हथेली पर शुद्ध शहद के एक चम्मच को ले लो और इसे अपने साफ चेहरे पर नरम परिपत्र गति से लागू करें, इसे 20 मिनट तक रहने दें और गुनगुने पानी से धो लें।

नींबू का रस चेहरे से मुंहासे और झुर्रियां दूर करे

नींबू का रस की प्राकृतिक विरंजन संपत्ति यह तन और सनबर्न को हटाने के लिए एकदम सही प्राकृतिक उपाय बनाती है। साइट्रिक एसिड का एक समृद्ध स्रोत होने के नाते, यह त्वचा को छूटने में मदद करता है, मृत त्वचा कोशिकाओं और अशुद्धियों को हटाने और त्वचा को चिकनी और छोटी उपस्थिति प्रदान करने के लिए खुले छिद्र को कम करने में मदद करता है। यह ऊतकों को मजबूत करता है और झुर्रियां और ठीक लाइनों की उपस्थिति को कम करने के लिए त्वचा लोच बढ़ाता है। यह रंग को सुधारने और त्वचा को स्वस्थ चमक जोड़ने में भी मदद करता है।
कपास की बॉल की मदद से एक नींबू और साफ चेहरे पर डब से रस को दबाएं, इसे 30 मिनट तक रहने दें और पानी से धोएं।

अनानास बूढी त्वचा को जवां बनाये

अन्नानास पाचन में सुधार लाने और पाचन विकारों का इलाज करने के लिए एक अद्भुत प्राकृतिक उपाय के रूप में कार्य करता है। अनानास का रस भी समय से पहले बुढ़ापे को रोकने के लिए प्रभावी है। पोटेशियम और विटामिन सी जैसे एंटीऑक्सीडेंट से भरे होने के नाते, अनानास का रस मुक्त कणों के हानिकारक प्रभावों को निष्क्रिय करने और कोशिकाओं के ऑक्सीडेटिव तनाव को रोकने में मदद करता है, इस प्रकार त्वचा की समयपूर्व उम्र बढ़ने को रोकता है। यह त्वचा की टोन को बेहतर बनाने और असमान त्वचा टोन, अंधेरे पैच, उम्र के धब्बे और हाइपर पगमेन्टेशन को सुधारने में भी मदद करता हैz।
चिकना पेस्ट बनाने के लिए ब्लेंडर में 1/2 कप अनानास पल्प क्रश करें, इसे चेहरे और गर्दन पर लागू करें और इसे 20 मिनट तक रहने दें, गुनगुने पानी से धो लें।

एवाकाडो के फायदे 

वजन घटाने और स्वास्थ्य में सुधार के लिए एवाकाडो के फायदे अच्छी तरह से ज्ञात हैं। इस फलों का अमीर मलाईदार मांस लोच बढ़ाकर त्वचा की लालची और जवानी बढ़ाने में भी मदद करता है। यह विटामिन बी, सी, ई, के, सेलेनियम, पोटेशियम, जस्ता, फोलेट और बीटा कैरोटीन जैसे पोषक तत्वों से भरी हुई है जो त्वचा के लिए अद्भुत लाभ हैं। यह अत्यधिक सूखी त्वचा के लिए एक पौष्टिक न्यूरोराइज़र के रूप में कार्य करता है जो क्षतिग्रस्त कोशिकाओं की मरम्मत में मदद करता है और नए कोशिकाओं के पुनर्जन्म को बढ़ावा देता है। इस विदेशी फल में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट्स और एमिनो एसिड त्वचा से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालता है और समय से पहले त्वचा की उम्र बढ़ने से रोकता है।

एक फलों से गूदे को छीलकर एक चिकनी पेस्ट बनाने के लिए मैश करें, इसे साफ चेहरे पर लागू करें और इसे 30 मिनट तक रहने दें, पानी से धोएं।

बादाम और बादाम के तेल

बादाम और बादाम के तेल के स्वास्थ्य लाभों पर कोई जोर देने की आवश्यकता नहीं है। यह एक बहुउद्देशीय त्वचा उपचार के रूप में कार्य करता है जो इसे सौंदर्य, त्वचा देखभाल और शिशु देखभाल उत्पादों में एक सक्रिय घटक बनाती है। बादाम विटामिन ई, लोहा, जस्ता, फोलिक एसिड और ओलिक एसिड जैसे पोषक तत्वों से भरे होते हैं जो शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट के रूप में कार्य करते हैं जो त्वचा के कोलेजन फाइबर के पतन को रोकने और झुर्रियाँ और ठीक लाइनों के इलाज के द्वारा उम्र बढ़ने की प्रक्रिया में देरी करते हैं।
रात में 8 से 10 बादाम दूध में भिगोएँ, शुबह पीस लें और इसे मोटी पेस्ट बना दें। 5 मिनट के लिए नरम परिपत्र गति का उपयोग करके साफ चेहरे और मालिश पर लागू करें, 30 मिनट के लिए छोड़ दें और गुनगुने पानी के साथ अच्छी तरह से धो लें।

झुर्रियाँ और ललित लाइनों को रोकने के लिए टिप्स

इन प्राकृतिक उपचारों का उपयोग करना और इन सरल युक्तियों का पालन करना उम्र बढ़ने की प्रक्रिया धीमा करने और त्वचा की जबरदस्तता को बनाए रखने में काफी लंबा सफर तय कर सकता है।
एक स्वस्थ जीवन शैली बनाए रखें और एक संतुलित भोजन करें जिसमें सभी पोषक तत्व शामिल हैं।
रोजाना कम से कम 8 से 10 गिलास पानी पी लें ताकि आपकी त्वचा अच्छी हाइड्रेटेड हो।
धूम्रपान और पीने जैसी अस्वास्थ्यकर आदतों को छोड़ दें।
रोज़ाना कम से कम 8 घंटे सोना चाहिए।
ओमेगा -3 फैटी एसिड और एंटीऑक्सीडेंट में समृद्ध पदार्थ खाएं।
तनाव और चिंता को कम करें और अपने दिमाग को आराम करने का प्रयास करें।
अब जब आप झुर्रियों के लिए आसानी से उपलब्ध प्राकृतिक उपचार जानते हैं, तो उन्हें अपने दैनिक त्वचा देखभाल शासन में शामिल करें और अपने त्वचा को युवा बनायें साथ ही अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें।

झाइयां से बचने के उपाय एवं टिप्स

कुछ सरल टिप्स और अपनी जीवन शैली में कुछ मामूली बदलाव से आप त्वचा पर झाइयां होने से बच सकते हैं।
सनस्क्रीन पहनें (Wear sunscreen)- झाइयां को नियंत्रित करने के लिए सबसे लोकप्रिय और आसान उपचारों में से एक सूर्य के बाहर निकलने पर हर बार एक व्यापक-स्पेक्ट्रम सनस्क्रीन क्रीम या लोशन पहनना है। सूरज की रोशनी के लिए ओवरेक्स्पोज़र मेलामाजी को ट्रिगर करता है। एक सनस्क्रीन का चयन करें जिसमें जस्ता ऑक्साइड और टाइटेनियम डाइऑक्साइड होता है और इसे हर दो घंटों में दोबारा दोहराएं। महिलाओं को सूरज के खिलाफ कुछ अतिरिक्त सुरक्षा के लिए एसपीएफ़ के साथ मेक-अप और सौंदर्य प्रसाधनों का चयन करना चाहिए।

हाइड्रेट रहें  

प्रत्येक व्यक्ति को हर दिन 8 से 10 गिलास पानी पीना चाइये। यह न केवल शरीर को ताज़ा करता है और सूजन को कम कर देता है। शरीर में विषाक्त पदार्थों को फैलने से बचाने में यह काफी मदद करता है। आप अपने पानी में कुछ नींबू का रस निचोड़ कर सकते हैं ताकि अपने मेलजैम लुप्त होती समारोह को बढ़ा सके।
आउटडोर टोपी पहनें (Wear outdoor hat)- सनस्क्रीन के साथ नाजुक चेहरे की त्वचा के लिए अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करने के लिए समुद्र तट, पूल या पार्क के दौरान अपने चौराहे के दौरान सुरक्षात्मक टोपी पहनें। चेहरे की त्वचा बेहद नाजुक होती है जैसी कठोर धूप और गर्मी और ज्यादा कमजोर बना देती है।

त्वचा की देखभाल (

 त्वचा देखभाल उत्पादों में कठोर रसायन शामिल हैं जो मेलामा को ट्रिगर कर सकते हैं या इससे पहले से ही मौजूद है, तो इससे खराब कर सकते हैं। इसलिए, कोमल और हल्के त्वचा देखभाल उत्पादों को चुनना सबसे अच्छा है जो त्वचा को परेशान नहीं करते हैं। इसलिए अगर आपके चेहरे या त्वचा पर कोई परेशानी हो तो घरेलू उपचार ही इस्तेमाल करें।

वैक्सिंग से बचें (Avoid waxing)- 

वैक्सिंग त्वचा की सूजन का कारण बन सकती है जो झाइयां को बढ़ा सकती है। इसलिए, झाइयां से प्रभावित शरीर के उन क्षेत्रों को एपिलेशन से बचाना सबसे अच्छा है।
स्वस्थ आहार (Healthy Diet) – सभी प्रकार के फलों और सब्जियों से युक्त एक संतुलित और पौष्टिक आहार रखना, न केवल समग्र स्वास्थ्य को संरक्षित करने के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि स्वस्थ त्वचा, बालों और नाखून बनाए रखने के लिए भी यह अच्छा तरीका है। आपको अपने दैनिक आहार में उच्च गुणवत्ता वाले प्रोटीन और ओमेगा 3 फैटी एसिड भी शामिल करना चाहिए।

तनाव से दूर रहो 

 चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में तनाव होना अनिवार्य है, लेकिन आपको संभवतः तनाव को नियंत्रित करने का प्रयास करना चाहिए क्योंकि यह मेलामा के मुख्य कारणों में से एक है। आप तनाव से राहत के तरीके जैसे कि ध्यान और योग कर सकते हैं।

2.8.23

सिलफिस, उपदंश सुजाक, आतशक के कारण लक्षण बचाव व उपचार Treatment of gonorrhea disease



परिचय-

सुजाक और आतशक (उपदंश) यौन रोगों की बहुत ही घिनौनी बीमारियों में गिनी जाती हैं। यह रोग स्त्री और पुरुष दोनों को हो सकता है। मूत्रकच्छ,सुजाक,पूयमेह, अथवा गोनारिया एक ही रोग के अलग अलग नाम हैं ।

कारण-

सुजाक या उपदंश रोग स्त्री और पुरुषों के गलत तरह के शारीरिक संबंधों के कारण होने वाले रोग है। जो लोग अपनी पत्नियों को छोड़कर गलत तरह की स्त्रियों या वेश्याओं आदि के साथ संबंध बनाते हैं उन्हें अक्सर यह रोग अपने चंगुल में ले लेता है। इसी तरह से यह रोग स्त्रियों पर भी लागू होता है जो स्त्रियां पराएं पुरुषों के साथ शारीरिक संबंध बनाती हैं उन्हें भी यह रोग लग जाता है।
बैक्‍टीरिया और निसरेरिया गोनोरिया (neisseria gonorrhoeae) के कारण होने वाले संक्रमित संक्रमण को सूजाक या गोनोरिया कहा जाता है। इसके कारण आपके मूत्रमार्ग, गर्भाशय, गुदा, गले और आंखों में संक्रमण हो सकता है। नेइसेरिया गोनोरिया आपके रक्त में फैल सकता है जिससे बुखार, जोड़ो में दर्द और त्‍वचा में घाव हो सकते हैं।
यह रोग एक पुरुष या स्त्री में गोनोरिया के साथ शारीरिक संबंध बनाने के कारण होता है। यह गोनोकोकस नामक रोगाणु से उत्पन्न होता है। पुरुषों का मूत्र नलिका से 1 इंच पीछे होता है। रोग इस गड्ढे से धीरे-धीरे मूत्र नली मूत्राशय और अंडकोष में फैलता है।
महिलाओं में, उनकी योनि और मूत्रमार्ग, मूत्राशय, गर्भाशय आदि के पास के उपकरण पहली बीमारी की चपेट में आते हैं। जैसे, पुरुषों और महिलाओं दोनों को यह बीमारी होती है। लेकिन महिलाओं के बहुत छोटे मूत्रमार्ग के कारण, वे पुरुषों के रूप में ज्यादा पीड़ित नहीं होते हैं। इसका मवाद शरीर के किसी भी स्थान के श्लेष्म झिल्ली पर डाला जाता है और उस जगह को बीमारी का भी खतरा बना देता है। इसमें पुरुषों के मूत्रमार्ग में स्राव होता है और महिलाओं की योनि जैसे श्लेष्मा होती है।
एक सूजाक पुरुष या महिला के साथ सहवास के कई दिनों के बाद, रोगी मूत्र में जलन का अनुभव करता है। खुजली होती है। मूत्र मार्ग में क्रमशः शुद्ध स्राव निकलने लगता है। यह स्राव उज्ज्वल, पीला या हरा होता है। जलन और दर्द बढ़ने लगता है और बार-बार पेशाब करने की इच्छा होती है। पेशाब करते समय अत्यधिक दर्द होना। पेशाब साफ नहीं होता है और पेशाब बूंद-बूंद करके बाहर आता है। इन लक्षणों के अलावा किसी को कमजोरी महसूस होती है। यह ठंडा और कपटी महसूस होता है, सिरदर्द भी महसूस होता है, रात में लिंग में बेहतर कठोरता के कारण व्यक्ति को अच्छी नींद नहीं आती है। जैसे ही बीमारी पुरानी या जलती है, दर्द और पीड़ा कम हो जाती है। लेकिन शुद्ध स्राव जारी है। पुराना होने पर यह एक बूंद की तरह सफेद और लाख हो जाता है। मवाद के इस पुराने चरण को लालमेह या जीएलईईटी कहा जाता है।
यह रोग यह रोग गोनोकोक्कस संक्रामक कीटाणु के कारण उत्पन्न होता है जो कि किसी भी महिला या पुरुष के जौनांगो में मौजूद होता है और फिर आपस में संभोग करने से यह कीटाणु एक दूसरे में आसानी से फैल जाता है कई बार यह बीमारी हमें डॉक्टरों के उपकरण के द्वारा भी आ सकती है क्योंकि अगर डॉक्टर किसी यन्त्र का इस्तेमाल इस बीमारी से रहित इंसान के इलाज में करते हैं और फिर उसको बिना किसी स्वस्थ इंसान के ऊपर इस्तेमाल करते हैं तब ये कीटाणु उस स्वस्थ इंसान के शरीर में चला जाता है और ऐसे ही यह बीमारी आपस में आगे बढ़ती है हालांकि यह बीमारी पुरुषों के अलावा किसी जानवर या अन्य प्राणी में उत्पन्न नहीं होती
पुरुषों में सूजाक (गोनोरिया) के लक्षण – Symptoms of gonorrhoea in Men in Hindiएक पीली या सफेद या हरा मूत्रमार्ग निर्वहन
पेशाब करते समय दर्द या बेचैनी
टेस्टिकल्स या स्क्रोटम में दर्द
लिंग के सिर के आसपास लाली (Redness)
गुदा (Anal) निर्वहन में असुविधा
खुजली, निगलने में कठिनाई, या गर्दन लिम्फ नोड में सूजन
आंखों में दर्द, हल्की संवेदनशीलता, या आंखों का निर्वहन पस जैसा दिखता है
जोड़ों में सूजन, दर्द होना

महिलाओं में सूजाक (गोनोरिया) के लक्षण 

ज्यादातर महिलाओं में गोनोरिया के लक्षण नजर नहीं आते फिर इसके कुछ लक्षण हैं :असामान्‍य योनि निर्वहन
दर्दनाक यौन संभोग
बुखार
उल्टी और पेट या श्रोणि दर्द
संभोग के बाद खून बहना
गले में दर्द, खुजली, निगलने में कठिनाई, या सूजन
अनियमित योनि रक्‍तस्राव
मूत्र विर्सजन के समय असुविधा
श्रोणि दर्द (Pelvic pain), विशेष रूप से संभोग के दौरान
गुदा निर्वहन और असुविधा

रोड लक्षण 

रोग के स्पष्ट लक्षणों से इसे आसानी से पहचाना जा सकता है। इसका दुख सूर्योदय से सूर्यास्त तक होता है, यानी दिन के दौरान ही। नया गोनोरिया 1 सप्ताह में हल हो जाता है। यदि रोग पुराना हो जाता है, तो गठिया हो जाता है, यदि आंख पर हमला होता है, तो आंख नष्ट हो जाती है, यदि प्रसव के समय बच्चे की आंख में गोनोरिया का जहर दिखाई देता है, तो बच्चा अंधा हो जाता है।

अगर इलाज नहीं किया जाता है तो गोनोरिया गर्भाशय और फैलोपियन ट्यूबों में फैल सकता है जिससे पेल्विक इन्‍फ्लैमरेटरी रोग होता है। ऐसी स्थिति जो बांझपन (infertility) सहित जटिलताओं का कारण बन सकती है।
अधिकांश पुरुष 1-3 दनों के भीतर लक्षण दिखने लगते हैं। अगर महिलाएं लक्षण विकसित करती हैं तो यह कुछ ज्‍यादा समय ले सकते हैं।

पुराने सुजाक रोग की आयुर्वेदिक और घरेलु उपचार

*रीवांड का 3 ग्राम चूर्ण सुबह-शाम ताजे पानी के साथ सेवन करने से भी पुरानी सुजाक रोग दूर हो सकता है।
*केले के तने से निकाले गए 250 ग्राम रस को चीनी के साथ मिलाकर सेवन किया जा सकता है।
*2 पक्की हुई फिटकरी को छाछ के साथ लेने से सुजाक दूर होता है।
*सुजाक होने पर (जननेंद्रिय में घाव), 8-8 ग्राम पिसी हुई हल्दी को फंकी पानी के साथ रोजाना लेने से घाव में लाभ होता है।
*भुनी हुई फिटकरी और गेरू को बराबर मात्रा में लें और इसकी चीनी को दो बार मिलाएं और इसे रखें। इसके 7 टुकड़े गाय के दूध के साथ लेने से गोनोरिया मिट जाता है।
*1 रत्ती त्रिभुज भस्म और कबाब को मिश्री के मक्खन या मलाई में मिलाकर सेवन करने से सुजाक मिट जाता है। यदि वांछित है, तो आप चीनी भी जोड़ सकते हैं।
*3 माशा अजमोद को बकरी के दूध के साथ लेने से सूजाक रोग ठीक हो जाता है।
*गेंदे का पानी पीने से गोनोरिया ठीक हो जाता है।
गर्म दूध में गुड़ मिलाकर पीने से गोनोरिया मिट जाता है।
*सुजाक रोग (गोनोरिया) होने पर किन चीजों से दूर रहें?लाल मिर्च, मसाले, खट्टी चीजें, अचार, चटनी, मांस, अंडे, शराब, मक्खन, चाय, कॉफी, मैथुन, अधिक चलना, गुड़ और तिल और इनसे बनी सभी प्रकार की गर्म और तली हुई चीजें, मिठाई से दूर रहें
*यदि आप कई लोगों के साथ शारीरिक संबंध बना रहे हैं तो नियमित रूप से अपनी दिनचर्या की जांच करना महत्वपूर्ण है। सुजाक को रोकने के लिए यह सबसे महत्वपूर्ण तरीका है। इसलिए, हर 3 से 6 महीने की जांच करें।
आपको कुछ ऐसी बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है जो कि आपको इन समस्याओं से बचा सकती है जैसेकिसी भी महिला या पुरुष को किसी गैर मर्द या महिला के साथ संभोग नहीं करना चाहिए
*आप को संभोग करते समय कंडोम का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए
आपको संभोग के दौरान किसी भी प्रकार के जौनांगो को चुमना नहीं चाहिए
*आपको अगर इस प्रकार की समस्या उत्पन्न हो जाती है तब तुरंत किसी अच्छे डॉक्टर के पास जाना चाहिए
*अगर आपके घर में कोई इस समस्या से परेशान है तब आपको उसके तोलिए, टॉयलेट की सीट, व बाथटब आदि का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए
*आपको कभी भी स्विमिंग पूल में स्नान नहीं करना चाहिए
*आपको डॉक्टरों से इस प्रकार की समस्या का इलाज व चेकअप करवाते समय डॉक्टरों के यंत्रों को अच्छे से सैनिटाइज करवाना चाहिए
*गर आपको इस प्रकार की कोई समस्या उत्पन्न हो जाती है तब आप इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए कुछ घरेलू आयुर्वेदिक चीजों का इस्तेमाल कर सकते हैं जैसेआपको अपने घाव के ऊपर सुपाडी का चूर्ण लगाना चाहिए यह आपके लिए बहुत फायदेमंद होता है
*आपको बड़ के पत्तों की भरम पान में डालकर खानी चाहिए यह भी बहुत फायदा करता है
*आपको सिरस की छाल को पानी में घोलकर रसौत के साथ मिलाकर अपने घाव के ऊपर लगाना चाहिए जिससे आपके घाव में जलन कम हो जाती है वह घाव के जल्दी ठीक होते हैं
*आपको गाय के घी में चमेली के ताजा पत्ते का रस और 2 , 2 तोला राल मिलाकर पीना चाहिए इससे घाव जल्दी मिट जाते हैं
*आपको चिरचिटा की धूनी लगानी चाहिए इससे भी आपके घाव जल्दी ठीक हो जाते हैं
*आपको छोटी अरंडी के पत्तों का रस दिन में दो से तीन बार पीना चाहिए
*आप अपने घाव के ऊपर अनार की छाल के चूर्ण को लगाना चाहिए यह भी आपके लिए बहुत फायदेमंद होती है
*आपको इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए ताड़ के हरे पत्तों का रस पीना चाहिए इससे आपके घाव ठीक हो जाते हैं व सूजन कम हो जाती है
*सूजाक का उपचार कराने के लगभग एक सप्‍ताह तक किसी भी प्रकार से यौन संबंध नहीं बनाना चाहिए, यहां तक की कंडोम का उपयोग के साथ भी नहीं। इसके उपचार के दौरान और निदान के एक सप्‍ताह बाद तक किसी भी साझेदार के साथ यौन संबंध नहीं रखना बेहतर होता है।

गोनोरिया से कैसे बचें

पुन: संक्रमण से बचने का सबसे अच्छा तरीका अपने साथी को सूचित करना है, यह भी सुनिश्चित करना कि मौजूदा साथी का इलाज किया जा चूका है और भविष्य में सम्भोग के समय हमेसा कंडोम का उपयोग किया जाना चाहिए।