29.3.23

गुर्दे ख़राब किडनी फेल की जीवन रक्षक हर्बल औषधि-Kidney failure Medicine

 

 हमारे शरीर के हानिकारक पदार्थो को शरीर से छानकर बाहर निकालने का काम किडनी का ही होता है! किडनी हमारे शरीर के लिए रक्त शोधक का काम करती है, दुख की बात तो ये है के इस बीमारी का बहुत देर से पता चलता है जब तक किडनी 60-65% तक ख़राब हो चुकी होती है!

क्यों होती है किडनी फेल-

ब्लड प्रेशर किडनी फेल होने का सबसे बड़ा कारण है, इसलिए नियमित रूप से ब्लड प्रेशर की जांच करवाते रहना आवश्यक है। 

लक्षण:

हाथ-पैरों और आंखों के नीचे सूजन,
* सांस फूलना, 
*भूख न लगना और हाजमा ठीक न रहना, 
*खून की कमी से शरीर पीला पड़ना,
* कमजोरी, थकान, 
*बार-बार पेशाब आना,
 *उल्टी व जी मिचलाना, 
*पैरों की पिंडलियों में खिंचाव होना,
 *शरीर में खुजली होना आदि लक्षण यह बताते हैं कि किडनियां ठीक से काम नहीं कर रही हैं।

किडनी निष्क्रियता रोगी  के लिए डाईट चार्ट एवं हर्बल उपचार :

*प्रोटीन, नमक, और सोडियम कम मात्र में खाए!
* नियमित व्यायाम करे, अपने वजन को बढ़ने न दे, खाना समय पर और जितनी भूख हो उतनी ही खायें, बाहर का खाना ना ही खाए तो बेहतर है, सफाई का विशेष ध्यान रखे, तथा पौषक तत्वों से भरपूर भोजन करें!
*अंडे के सफ़ेद वाले भाग को ही खाए उसमे किडनी को सुरक्षित रखने वाले तत्व जैसे के फोस्फोरस और एमिनो एसिड होते है|
*मछली (Fish) खाए इसमे ओमेगा 3 फैटी एसिड किडनी को बीमारी से रक्षा करता है!
*किडनी रोग मे प्याज, स्ट्राबेरी, जामुन, लहसुन इत्यादी फायेदेमंद होते है ये मूत्र के संक्रमण से भी  बचाते है | 


किडनी के रोग में परहेज-

किडनी के रोगी को नमकीन चटपटी खट्टी चीजे तली हुई चीजें बेकरी आइटम जैसे पाव, ब्रेड, बटर, खारी बिस्कुट, नान खटाई, सूप, जूस, कोल्ड ड्रिंक सभी प्रकार की दाले, करेला, भिन्डी, बैंगन, टमाटर, शिमला मिर्ची, पत्ते वाली सब्जी जैसे पालक, चौलाई, मेथी, फलो का रस, सूखे मेवे,बेसन, पापड़, आचार, चटनी, बेकिंग पाउडर एवं सोडा लेने की मनाही है।

किडनी के रोगी के लिए चाय-

अदरक और तुलसी के पत्ते वाली काली चाय मे थोड़ा सा काली मिर्च, सोंठ, दालचीनी, छोटी इलायची, बड़ी इलायची, तेजपत्ता, अजवायन और लवंग का चूर्ण डालकर बनाए, सुबह शाम 100- 150 ग्राम चाय दे, ध्यान रखे, इसमें चाय पत्ती ना डाले।


किडनी के रोगी के लिए नाश्ता-

उपमा, पोहा, कुरमुरा दलिया, इडली, सफेद ढोकला, साबुदाना, रवा, साबुदाना खिचड़ी बिना मूँगफली नारियल के।


किडनी के रोगी के लिए रोटी-

किडनी के रोगी के लिए रोटी सूखी होनी चाहिए, मतलब बिना घी, तेल लगाये, मक्का, जवार, बाजरी की हो तो उत्तम, नही तो गेहू थोड़ा मोटा पिसा हुआ ले मैदे या बारीक पिसे आटे की ना बनवाए।इसके आलावा अंकुरित मूंग थोड़ी मात्रा मे उबालने के बाद खाना उपकारी होता है|

किडनी के रोगी के लिए सब्जी -

हमेशा दो तरह की सब्जी ले एक जमीन के नीचे होने वाली जैसे आलू, मूली ,गाजर अरुई चुकंदर,शकरकन्द| दूसरी जमीन के उपर वाली लौकी भोपला गोभी पत्ते वाली ,सेम ,सहजन ,नेनुआ ,तुरई, कूनरू, परवल, रायता आदि।

किडनी के रोगी के लिए सलाद-

ककड़ी, खीरा, गाजर, बीट रूट, पत्ते वाली गोभी, मूली, प्याज लेकिन मूली का सेवन रात्रि मे ना करे।

किडनी के रोगी के लिए दूध दही पनीर 

गाय का दूध मलाई निकालकर 100 – 150 मिली नाश्ते के समय,दही एक  कटोरी दोपहर भोजन के समय और पनीर 30 ग्राम डिनर के साथ ले।

किडनी के रोगी के लिए फल-

सेब बिना छिलके के, बेर, अमरूद, पपीता और पाईनेपल  मे से कोई एक फल।

किडनी अकर्णयता रोगी के लिए हितकारी उपचार-

*किडनी फेल्योर रोगी के लिए  हर्बल मेडिसीन(वैध्य दामोदर 98267-95656) बहुत फायदेमंद रहती है|यह औषधि 10 मिली  की मात्रा मे दिन मे 3 बार खाली पेट सेवन करना चाहिए|इससे क्रिएटीनिन  और यूरिया लेविल नीचे लाने मे मदद  मिलती है| 
*गेंहू के जवारों का रस 50 ग्राम और गिलोय (अमृता की एक फ़ीट लम्बी व् एक अंगुली मोटी डंडी) का रस निकालकर – दोनों का मिश्रण दिन में एक बार रोज़ाना सुबह खाली पेट निरंतर लेते रहने से डायलिसिस द्वारा रक्त चढ़ाये जाने की अवस्था में आशातीत लाभ होता है।
 *इसके आलावा किडनी  रोगी को छोटे गोखरू का काढ़ा बनाकर भी  उपयोग करना लाभप्रद रहता है||

सामग्री -


 छोटा गोखरू  250 ग्राम लें| इसे 4 लीटर पानी मे  तब तक उबालें  की एक लीटर  शेष रह जाये|ठंडा होने पर छानकर एक बोतल मे भर लें| 

खुराक :

यह औषधि सुबह -शाम 100 मिली की मात्रा मे दिन मे 2 बार खाली पेट लेना चाहिए |पीने के वक्त औषधि की 100 मिली मात्रा मामूली गरम कर लेना चाहिए| काढ़ा पीने के एक घंटे के बाद ही कुछ खाइए और अपनी पहले की दवाई ख़ान पान का रूटीन पूर्ववत ही रखिए।औषधि समाप्त होने पर फिर बना लेना चाहिए|जैसे जैसे आपके अंदर सुधार होगा काढे की मात्रा कम कर सकते है या दो बार की बजाए एक बार भी कर सकते है।

यह भी आज़माएँ-

किडनी के रोगी चाहे उनका डायलासिस चल रहा हो या अभी शुरू होने वाला हो चाहे उनका क्रिएटिनिन या यूरिया कितना भी बढ़ा हुआ हो और डाक्टर ने भी उनको किडनी ट्रांसप्लांट के लिए परामर्श दिया हो ऐसे में उन रोगियों के लिए एक  असरदार प्रयोग है जो इस रोग से छुटकारा दिला सकता है|

* नीम और पीपल की छाल का काढ़ा :-

3 गिलास पानी में 10 ग्राम नीम की छाल और 10 ग्राम पीपल की छाल लेकर आधा रहने तक उबाल कर काढ़ा बना ले इस काढ़े को 3-4 भाग में बांटकर दिन में सेवन करते रहे इस प्रयोग से मात्र 7 दिन में क्रिएटिनिन का स्तर व्यवस्थित हो सकता है या वांछित लेवल तक आ सकता है
*खून मे क्रिएटीनिन की नियमित जांच करवाते रहें| जरूरत पड़ने पर डायलिसिस करवाना चाहिए||योग्य चिकित्सक से संपर्क बनाए रखें|

विशिष्ट परामर्श-

किडनी फेल रोगी के बढे हुए क्रिएटनिन के लेविल को नीचे लाने और गुर्दे की क्षमता बढ़ाने में हर्बल औषधि सर्वाधिक सफल होती हैं| किडनी ख़राब होने के लक्षण जैसे युरिनरी फंक्शन में बदलाव,शरीर में सूजन आना ,चक्कर आना और कमजोरी,स्किन खुरदुरी हो जाना और खुजली होना,हीमोग्लोबिन की कमी,उल्टियां आना,रक्त में यूरिया बढना आदि लक्षणों  में दुर्लभ जड़ी-बूटियों से निर्मित यह औषधि रामबाण की तरह असरदार सिद्ध होती है|डायलिसिस  पर   आश्रित रोगी भी लाभान्वित हुए हैं| औषधि हेतु  वैध्य दामोदर से 98267-95656 पर संपर्क किया जा सकता है|



24.3.23

लौकी का जूस से वजन कैसे कम करें:louki juice weight loss

 

बढ़ता वजन मोटापे की समस्या को जन्म दे सकता है, जो आगे चलकर कई गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है। उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, मधुमेह, कोलेस्ट्रॉल की अधिकता और कैंसर जैसी कई बीमारियां हैं, जिनका मुख्य कारण मोटापा ही है इन बीमारियों के जोखिम को कम करने के लिए वजन को नियंत्रित रखना जरूरी है। ऐसे में वजन को संतुलित रखने के लिए एक सामान्य सी सब्जी ‘लौकी’ उपयोगी हो सकती है। इस लेख में हम आपके लिए लौकी का जूस फॉर वेट लॉस लेकर आए हैं।


लौकी में भरपूर मात्रा में विटामिन बी व फाइबर

लौकी में भरपूर पानी के साथ फाइबर व विटामिन बी होता है। इसके सेवन से शरीर को मेटाबॉलिक मिलता है, जिससे मनुष्य का पाचन तंत्र मजबूत हो जाता है। लौकी के सेवन से भूख बढ़ता है उससे भूख नियंत्रित भी होता है। इसको खाने से मनुष्य का कब्ज व पेट की समस्याएं भी नहीं होती है। यह स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है।

लॉकी का जूस पीने से कम होगा वजन

नियमित रूप से लौकी का जूस पीने से वजन तेजी से कम होता है। लौकी मे विटामिन बी व पानी अच्छी मात्रा में पाया जाता है जो मनुश्य के शरीर को गंठिया व सुदृढ़ करने में भी मदद करता है। इसके सेवन से सैचुरेटेड फैट व कोलेस्ट्रॉल बहुत कम होता है, जिससे रक्तचाप व मुधमेह बढ़ने का खतरा नहीं रहता है। लौकी मे विटामिन बी, प्रचुर मात्रा में पानी के अलावा विटामिन ई, फोलेट,पोटैशियम आदि पदार्थ पाए जाते हैं जो वजन कम करने में मदद करते हैं। लौकी का जूस नियमित रूप से सेवन करने से वजन कम होना तय है। इसको सुबह में पीने से पूरे दिन इनर्जी बना रहता है।

कैलोरी


बॉटल गॉर्ड जूस फॉर वेट लॉस इसलिए भी कारगर माना जा सकता है, क्योंकि इसमें कैलोरी बेहद कम होती है। इससे संबंधित एक शोध से जानकारी मिलती है कि पकी हुई लौकी में बहुत कम कैलोरी होती है। यही वजह है कि जो लोग डाइटिंग करते हैं उनके लिए यह एक शानदार भोजन माना जाता है। बताया जाता है कि आधा कप या 58 ग्राम लौकी में केवल आठ कैलोरी होती है । वहीं, लौकी का जूस भी उसे उबाल कर ही बनाया जाता है। इस आधार पर कह सकते हैं कि लौकी का जूस वजन घटाने के लिए फायदेमंद हो सकता

जाने लौकी का जूस बनाने का क्या है तरीका

लौकी का जूस बनाने के लिए एक या दो किलो लौकी लेंगे
फिर उसे छोटे-छोट टुकड़ों में काटेंगे
जूसर ग्राइंडर में लौकी के टुकड़ों को पिस कर उसका जूस निकालेंगे
फिर जूस को एक ग्लास में निकालकर उसमें एक चम्मच दालचीनी का पाउडर डालेंगे
स्वाद के मुताबिक उस जूस में नींबू का रस या काल नमक मिलाकर सेवन कर सकते हैं।

मोटापा कम करने के लिए लौकी का जूस का उपयोग कैसे करें?

वजन कम करने के लिए लौकी का जूस का उपयोग कैसे करें, इसके लिए यहां हम कुछ रेसिपी बता रहे हैं। इन्हें घर में आसानी से बनाया जा सकता है। इसके अलावा हम यह भी बताएंगे कि लौकी का जूस कब पीना चाहिए।

वजन घटाने के लिए लौकी का जूस

सामग्री:उबली हुई आधी लौकी के छोटे टुकड़े
2 छोटे चम्मच ताजा कटा हरा धनिया
2 छाेटे चम्मच पुदीना
अदरक का एक छोटा टुकड़ा
नमक स्वादानुसार
चुटकीभर काला नमक
आधा चम्मच नींबू का रस
1 कप पानी
जूस बनाने की विधि:सबसे पहले ब्लेंडिंग जार में सभी सामग्रियों को डाल दें।
ऊपर से पानी डाल दें।
इसके बाद सभी सामग्रियों को 3 से 4 मिनट तक ब्लेंड करें।
लौकी का जूस तैयार है।
इस जूस को गिलास में डालकर सर्व करें।
*****************



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23.3.23

1 दिन में 1 किलो वजन कैसे कम करें : How to Lose 1 Kg of Weight in a Day




१ दिन में वजन कम करने के लिए आपको आगे कुछ तरीके बताये जा रहे है। इनका उपयोग करके आप आसानी से अपना वजन कम कर सकते है।

१. रोज व्यायाम करे

आहार पर नियंत्रण करने के अलावा आपको रोज एक्सरसाइज भी करनी होगी। यह शरीर में मौजूद अतिरिक्त वसा को जलाने का काम करती है। इसके लिए आपको सिर्फ जिम जाने की ही जरूरत नहीं है। आप पैदल चलकर, रनिंग करके या सीढ़ियां भी चढ़ सकते है। फैट कम करने के लिए एक्सरसाइज बहुत जरुरी है।

२. गर्म पानी जरूर पिएं

गर्म पानी पीने से शरीर में जमा चर्बी को कम करने में मदद मिलती है। गर्म पानी शरीर को डिटॉक्स करने में भी मदद करता है। जब आप इसे डिटॉक्सीफाई करते हैं तो शरीर का मेटाबॉलिक रेट बढ़ने लगता है। मेटाबॉलिज्म बेहतर होगा तो आपको अधिक वजन कम करने में मदद मिलेगी।

३. चीनी का सेवन बंद या बिल्कुल कम कर दे


चीनी शरीर की चयापचय दर को धीमा कर देती है और इससे आपका वजन आसानी से कम नहीं होता है बल्कि और बढ़ने लगता है जल्दी वजन कम करने के लिए आपको मीठा खाना बंद कर देना चाहिए। जिन खाद्य पदार्थों में चीनी है आपको उनसे बचने की कोशिश करना चाहिए। अगर फिर भी शुगर की क्रेविंग हो रही है तो गुड़ और शहद जैसे विकल्पों का सेवन कर सकते है।

४. प्रत्येक भोजन में प्रोटीन खाएं

प्रोटीन आपको तृप्त रखता है जिससे आपको भूख कम लगती है और आप भरा हुआ महसूस करते है। प्रोटीन युक्त आहार लेने से भूख को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। शाकाहारी लोग राजमा, दालें, दही और पनीर जैसे खाद्य पदार्थों का सेवन करके अपने आहार में प्रोटीन को शामिल कर सकते हैं।

५. ग्रीन टी पिएं

रोजाना तीन कप ग्रीन टी पीकर आप अपने शरीर का मेटाबॉलिज्म बढ़ा सकते हैं। ग्रीन टी से शरीर की चर्बी जल्दी जलने लगती है। ग्रीन टी एंटीऑक्सिडेंट से भरी होती है जो आपके लिए स्वस्थ भी है। इसे आप नियमित रूप से पीते है तो यह आपको दुबला होने में मदद मिलती है।

घर बैठे वजन कैसे कम करें -

यहाँ आपको वजन कम करने के कुछ तरीके बताये गए है इन तरीकों से आप घर बैठे ही वजन कम कर सकते है।

१. संपूर्ण एकल-घटक खाद्य पदार्थ खाएं


अपने आहार में संपूर्ण एकल-घटक खाद्य पदार्थों को शामिल करे। संपूर्ण खाद्य पदार्थ बहुत भरने वाले होते हैं।

२. रिफाइंड कार्ब्स का सेवन सीमित करें


रिफाइंड कार्ब्स वह होते हैं जिनमें से लाभकारी पोषक तत्व और फाइबर हटा दिए जाते हैं। रिफाइंड कार्ब्स के मुख्य आहार स्रोत सफेद चावल, सफेद ब्रेड, सोडा, सफेद आटा, स्नैक्स, पेस्ट्री, मिठाई, पास्ता, नाश्ता अनाज और अतिरिक्त चीनी हैं।

३. अधिक फल और सब्जियां खाएं

यह पानी, पोषक तत्वों और फाइबर में उच्च होने के अलावा आमतौर पर बहुत कम ऊर्जा घनत्व वाले होते है। कई अध्ययनों से पता चला है कि जो लोग अधिक फल और सब्जियां खाते हैं उनका वजन कम होता है।

४. प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों से बचें

प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ अतिरिक्त शर्करा, अतिरिक्त वसा और कैलोरी में उच्च होते हैं। प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ से आपको बार - बार खाने की इच्छा होती है भूख ज्यादा लगती है असंसाधित खाद्य पदार्थों की तुलना में नशे की लत जैसे खाने की अधिक संभावना रखते हैं।

५. कैलोरी गिनें



वजन कम करने की कोशिश करते समय आप क्या खा रहे हैं, इसके बारे में जानना जरुरी है। कैलोरी गिनने के कई तरीके है जैसे खाने की डायरी रखना, उसकी तस्वीरें लेना, किसी ऐप या किसी अन्य इलेक्ट्रॉनिक टूल का उपयोग करना।

६. लो-कार्ब डाइट ट्राई करें

वजन घटाने के लिए लो-कार्ब डाइट बहुत कारगर होती है। कार्बोस सीमित करना और अधिक वसा और प्रोटीन खाने से आपकी भूख कम हो जाती है और आपको कम कैलोरी खाने में मदद मिलती है।

७. छोटी प्लेटों में खाएं


छोटी प्लेटों में खाने से आपको कम खाने में मदद मिलती है। बड़ी प्लेट में खाने से आकार की परवाह किए बिना लोग अपनी प्लेटों को समान रूप से भरते हैं, इसलिए वे छोटी प्लेटों की तुलना में बड़ी प्लेटों पर अधिक भोजन डालते हैं।

८. धीरे खाओ

यदि आप बहुत तेजी से खाते हैं, तो आप बहुत अधिक कैलोरी खा सकते हैं धीरे-धीरे चबाने से आपको कम कैलोरी खाने और वजन घटाने से जुड़े हार्मोन के उत्पादन में वृद्धि करने में मदद मिल सकती है।

९. प्रतिरोध व्यायाम जोड़ें

यदि आप बहुत अधिक मांसपेशियों को खो देते हैं, तो आपका शरीर पहले की तुलना में कम कैलोरी बर्न करना शुरू कर देगा। नियमित रूप से वज़न उठाकर, आप मांसपेशियों में होने वाले इस नुकसान को रोकने में सक्षम होंगे।

वजन घटाने के लिए प्रो टिप्स

बहुत से लोगों के लिए १ दिन में १ किलो वजन कम करना मुश्किल हो सकता है लेकिन कुछ टिप्स आपको वजन घटाने में मदद कर सकती हैं।

१. प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों का सेवन कम करें


अध्ययनों से पता चलता है कि नियमित रूप से प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ खाने से वजन बढ़ता है और यह मोटापे के उच्च जोखिम से जोड़ा जा सकता है।

२. भरपूर मात्रा में पानी पिएं

भरपूर पानी पीने से आपको भूख कम लगेगी और आपका पेट भरा हुआ महसूस होगा। पानी ज्यादा पीना आपको स्वस्थ और हाइड्रेटेड रखने में मदद करता है।

३. फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ


खाद्य पदार्थ जो फाइबर से भरपूर होते हैं उनका सेवन करे। इसके लिए फल, सब्जियां, साबुत अनाज और फलियां खा सकते है यह पेट को खाली करने की गति को धीमा कर सकते हैं इस प्रकार भूख को कम करने और वजन घटाने को बढ़ावा देने में मदद करते हैं।

४. प्रोटीन का अधिक सेवन


अगर आप अधिक प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ खाते है तो इससे भूख नियंत्रण में होती है भोजन की लालसा कम हो सकती है और परिपूर्णता की भावना बढ़ सकती है।

निष्कर्ष :

वजन कम करना इतना भी कठिन नहीं है जितना की आप सोच लेते है। यदि आप कड़े प्रयास करते है और वह सभी चीजें जो वजन कम करने में सबसे महत्वपूर्ण है, जैसे: आपको क्या खाना है, क्या नहीं खाना है और कैसे खाना है यह सभी चीजें बहुत महत्वपूर्ण है।
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28.2.23

कनेर के फुल के आयुर्वेदिक उपयोग :Uses of kaner flowers




  कनेर जिसे कई लोग कनैल के नाम से भी जानते है, बता दे की इसका पौधा सम्पूर्ण भारत में करीब हर जगहों पर पाया जाता है। आपने अगर ध्यान दिया होगा तो देखा होगा की कनेर का पौधा लगभग हर मंदिरों में, उद्यान में, घर और राष्ट्रीय राजमार्गों के किनारों पर दिख जाते होंगे। आपको बता दे की कनेर का पौधा तीन अलग अलग प्रजाति होती है जिसमे लाल, सफेद और पीले रंग के कनेर के फूल होते हैं।
यह एक सदाबहार फूल है मगर इसके साथ ही इस पौधे में बहुत से औषधीय गुण भी पाये जाते है जिसकी जानकारी बहुत कम ही लोगों को होती है। जैसे आपको बता दे की यदि आपको कोई विषैला जीव जैसे बिच्छू काट ले तो उस स्थिति में सफेद कनेर के फूल की जड़ को घिसकर डंक के स्थान पर लेप करने या इसके पत्तों का रस पिलाने से सांप या बिच्छू का जहर उतर जाता है।
 जिनके शरीर के घाव जल्दी नहीं भरते हैं, बता दे की इसके लिए कनेर के सूखे हुए पत्तों का चूरन बनाकर घाव पर लगाने से काफी आराम मिलता है। इसके साथ ही आपको बता दे की यदि आप फोड़े फुंसियां से परेशान हैं तो कनेर के लाल फूलों को पीसकर उसका लेप बना लें और इस लेप को फोड़े-फुंसियों पर कम से कम 2-3 बार रोजाना लगाएं। ऐसा करने से आप देखेंगे कि आपकी फोड़े और फुंसियां ठीक हो जाएंगी।


अगर आप हर रोज कनेर के सफेद फूल वाले पौधे की डंठल से 2 बार दातुन करते है तो आपके डाटों में हो रहा दर्द ठीक हो जाता है साथ ही आपके दांत भी मजबूत रहते हैं। इसके अलावा आपको बता दे की सफेद और लाल कनेर के फूल या पीले रंग वाले कनेर के फूल के पौधे के पत्ते को दूध में पीसकर सिर में लगाने से बालों का सफेद होना एकदम से रुक सा जाता है और बाल काफी स्वस्थय भी हो जाते है।

नेत्र रोग

आँखों के रोग को दूर करने के लिए पीले कनेर के पौधे की जड़ को सौंफ और करंज के साथ मिलाकर बारीक़ पीसकर एक लेप बनाएं | इस लेप को आँखों पर लगाने से पलकों की मुटाई जाला फूली और नजला आदि बीमारी ठीक हो जाती है |


सिर दर्द

कनेर के फूल और आंवले को कांजी में पीसकर लेप बनाएं | इस लेप को अपने सिर पर लगायें | इस प्रयोग से सिर का दर्द ठीक हो जाता है |

सफेद कनेर के पौधे के पीले पत्तों को अच्छी तरह सुखाकर बारीक़ पीस लें | इस पिसे हुए पत्ते को नाक से सूंघे | इससे आपको छीक आने लगेगी जिससे आपका सिर का दर्द ठीक हो जायेगा |

उपदंश

यदि किसी व्यक्ति को घाव हो जाते है तो सफेद कनेर के पौधे की जड़ को पानी में पीसकर लगाने से उपदंश के घाव ठीक हो जाते है |
पक्षघात के रोग में
सफेद कनेर के पौधे की जड़ की छाल , सफेद गूंजा की दाल तथा काले धतूरे के पौधे के पत्ते आदि को एक समान मात्रा में लेकर इनका कल्क तैयार कर लें | इसके बाद चार गुना पानी में कल्क के बराबर तेल मिलाकर किसी बर्तन में धीमी आंच पर पकाएं | जब केवल तेल रह जाये तो किसी सूती कपड़े से छानकर मालिश करें | इससे पक्षाघात का रोग ठीक हो जाता है |
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22.2.23

अफारा वायु विकार का घरेलू इलाज:Afara Vayu vikar ilaj




  गलत खान-पान और लापरवाही के कारण पेट में दूषित वायु इकट्ठा हो जाती है, जो अफारा पैदा करती है। अफारा होने पर पेट भारी हो जाता है इससे पेट दर्द बेचैनी और कभी-कभी मितली आने लगती है। पेट में भारीपन महसूस होता है, एसिडिटी एवं वमन आदि की शिकायत हो जाती है। पेट से जुड़ी कई समस्याओं को घरेलू उपचार के जरिए ठीक किया जा सकता है। पहले जानिए क्यों होती है खाना खाने के बाद ब्लोटिंग? एक्सपर्ट के मुताबिक, पेट के एब्डोमिनल एरिया में सूजन आने के कारण गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट में बड़ी मात्रा में हवा या गैस जमा हो जाती है। इसके अलावा भोजन के बाद जब शरीर भोजन को पचाता है, तब अत्यधिक मात्रा में गैस पैदा होती है।
वायु विकार का प्रमुख कारण अधिक मात्रा में गरिष्ठ भोजन है। इसके अतिरिक्त भोजन को भली-भांति न चबाकर जल्दी-जल्दी खाने से भोजन के पाचन में समय लगता है तथा भोजन आंतों में पड़ा रहकर वायु विकार उत्पन्न करता है। बार-बार बदबूदार वायु का निष्कासन व पेट व पेट में दर्द होना वायु विकार के प्रमुख लक्षण है।

अफारा का उपचार

वायु-विकार में छाछ में पिसी हल्दी मिलाकर पीने से भी लाभ होता है। पानी में हल्दी मिलाकर पीने से भी अफारा दूर होता। यदि अफारा का कारण कब्ज है तो रोगी को हिन्गुत्रिगुल तेल नामक औषधि का सेवन दिन में एक बार खाली पेट में एक प्याला गर्म जल के साथ करना चाहिए। 9 भोजन में दही छाछ का प्रयोग करना अत्यन्त लाभदायक है।

जिन्हें गैस या एसिडिटी की समस्या बार-बार होती है उन्हें पानी का भरपूर सेवन करना चाहिए। खासकर गुनगुना पानी पीने से सिर्फ पाचन क्रिया ही ठीक नहीं होती बल्कि, गैस भी नहीं बनती।

आहार में फाइबर को शामिल करें

पेट संबंधी समस्या होने पर अपने आहार में फाइबर को शामिल करना चाहिए। इससे कब्ज, पेट का भारीपन जैसी समस्याओं की शिकायत खत्म हो जाती है। कब्ज और अफारा की शिकायत दूर करने के लिए फाइबर से भरपूर आहार लें। लगभग एक इंच ताजा कच्चे अदरक को कद्दूकस कर लें और इसे खाने के बाद एक चम्मच नींबू के रस के साथ लें. अदरक पेट फूलने की समस्या में बहुत कारगर है. गैस की समस्या से राहत पाने के लिए अदरक की चाय पीना भी एक अच्छा घरेलू उपचार है. एप्पल साइडर विनेगर- रोज सुबह खाली पेट एक ग्लास पानी में एप्पल साइडर विनेगर मिला कर अफरा मरीज़ जरूर लें.
सोंठ, काली मिर्च व सेंधा नमक 2-2 ग्राम तथा थोड़ी-सी हींग को पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण की एक से 2 ग्राम मात्रा लेने पर पेट दर्द एवं अफारे में लाभ होता है।
• एक या डेढ़ चम्मच आंवले का चूर्ण पानी के साथ लेने से एसिडिटी से छुटकारा मिलता है।
• पेट दर्द और अफारा में हींग का लेप टुंडी (नाभि) पर करने से आराम मिलता है।
• जिन्हें पेट दर्द, अफारा, गैस या फिर डाइजेशन की समस्या है उन्हें 10 ग्राम शहद में 3 ग्राम अजवाइन (बारीक पीसकर मिला दें) मिलाकर पीना चाहिए। ऐसा करने से कुछ ही देर में इस समस्या में राहत मिलती है।
• हींग, सेंधा नमक, पीपल का चूर्ण, काली मिर्च का चूर्ण और सोंठ का चूर्ण लें और सभी को समान भाग में मिलाकर लेप तैयार करें और पेट पर लगाएं। ये पेट दर्द और अफारा का उत्तम इलाज है।

फूलना कौन सी बीमारी का लक्षण है?

  यह हेपेटाइटिस, अत्यधि‍क अल्कोहल का सेवन, दवाईयां या फिर लिवर कैंसर के परिणामस्वरूप भी हो सकता है। 
आंत की समस्या - अगर पेट फूलने के साथ ही कठोर भी हो और आप उल्टी, जी मचलाना, कब्जियत जैसी समस्याओं का भी सामना कर रहे हैं, तो यह आंत की गड़बड़ी या आंत में ट्यूमर के कारण भी हो सकता है।
अफारा, पेट दर्द एवं अम्लपित्त का रामबाण आयुर्वेदिक इलाज –
 आलू को नियमित रूप से कुछ दिनों तक खाने से पेट की अम्लीयता मे लाभ होता है।प्याज की एक गाँठ महीन काटकर दही के साथ लेने से अमलपित में आराम मिलता है। इसका सेवन 1 सप्ताह तक करना चाहिए।1 ग्राम सोंठ का चूर्ण और चौथाई ग्राम हींग को सेंधा नमक के पानी के साथ सेवन करने से पेट दर्द दूर हो जाता है।सोंठ, काली मिर्च व सेंधा नमक 2-2 ग्राम तथा थोड़ी-सी हींग को पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण की एक से 2 ग्राम की मात्रा लेने पर पेट दर्द एवं अफारे में लाभ होता है।
  एक या डेढ़ चम्मच आंवले का चूर्ण पानी के साथ लेने से पेट में बनने वाले तेजाब (एसिडिटी) से मुक्त पाई जा सकती है।पेट के सभी रोगों विशेषकर पित्त विकार एवं पेट दर्द में काला नमक, अजवाइन, काला जीरा व शोधित हींग मिलाकर चूर्ण के रूप में चाटना चाहिए। इसे हिंग्वाष्टक चूर्ण कहा जाता है।पेट दर्द और अफारा में हींग का लेप टुंडी (नाभि) पर करने से आराम मिलता है।10 ग्राम शहद में 3 ग्राम अजवाइन बारीक करके मिला दे और उसे पेट के रोगी को खिलाएं। 15 मिनट में पेट का दर्द, अफारा, गैस एवं बदहजमी दूर हो जाएगी।अगर पेट में पीड़ा अथवा अफारा हो तो उत्तम हींग, सेंधा नमक, पीपल का चूर्ण, काली मिर्च का चूर्ण और सोंठ का चूर्ण.. सभी का समान भाग लेकर उसमें जल मिलाकर पेट पर लेप कर दें। इस उपाय से पेट का अफारा एवं पीड़ा निश्चित ही शांत हो जाएगी।असली की पतली पुल्टिस में जरा-सा कपूर मिलाकर पेट पर बांधने से पेट दर्द, अफारा और जलन शांत हो जाती है।बड़ी इलायची को पीसकर उसमें आवश्यकतानुसार मिर्च मिला लें। फिर उसे 3-3 माशे की खुराक बनाकर सुबह-शाम भोजन के बाद प्रयोग करें। पेट दर्द बदहजमी और पीत का प्रकोप नष्ट हो जाएगा।यदि भोजन के बाद अफ़रा एवं जलन महसूस हो तो मुनक्का, मिश्री तथा शहद के साथ हरड़ का सेवन करना चाहिए।
  गुड के साथ पीसी हुई लाल मिर्च खाने से पेट दर्द में आराम मिलता है।मूली का नियमित सेवन कब्ज दूर करके पेट साफ करता है और एसिडिटी, खट्टी डकारे, एवं अफरे से छुटकारा मिलता है।पेट में दर्द होने और जी मिचलाने पर तुलसी और अदरक का रस मिलाकर, एक-एक चम्मच 2-2 घंटे बाद दिन में तीन-चार बार लें। इस रस को हल्का गुनगुना करके लेने से तत्काल लाभ होता है।
  अमलपित होने पर तुलसी की मंजरी, नीम की छाल, कालीमिर्च और पीपल को बराबर मात्रा मे लेकर चूर्ण बना लें। 3 ग्राम सुबह फाँककर ताजा पानी पिए। मल-मूत्र के रास्ते अम्लता और पित्त साथ-साथ निकल जाएंगे।ढाई सौ ग्राम नींबू का रस, ढाई सौ ग्राम अदरक का रस, ढाई सौ ग्राम ग्वारपाठे का रस, एवं 2-2 तोले पांचों नमक पीसकर मिला दे। इस रस को किसी सफेद कांच की बोतल या स्टील के बर्तन में 15 दिन धूप में रखें। तत्पश्चात इसकी एक-एक चम्मच खुराक सुबह-शाम लेने से अफ़रा, पेट दर्द, गैस प्रकोप, अपच एवं कब्ज आदि खत्म हो जाएगा। यदि यह पीने में तेज लगे तो थोड़ा सा पानी मिला लें।दो चम्मच नींबू के रस और एक चम्मच अदरक के रस में थोड़ी-सी शक्कर मिलाकर पीने से पेट दर्द एवं उदरशूल नष्ट हो जाएगा।
 पुदिने और नींबू का रस एक-एक चम्मच लें। अब इसमें आधा चम्मच अदरक का रस और थोडा सा काला नमक मिलाकर उपयोग करें। दिन में 3 बार इस्तेमाल करें, पेट दर्द में आराम मिलेगा।
 इसबगोल के बीज दूध में 4 घंटे भिगोएं। रात को सोते समय लेते रहने से पेट में मरोड का दर्द और पेचिश ठीक होती है।छाछ के स्वाद के अनुसार काला नमक और अजवायन का चूर्ण मिलाकर पीने से वायु विकार दूर होता है।‘कुमारी आसव’ भी लाभदायक औषधि है।
 इसे भोजन के बाद दिन में दो बार 2-2 चम्मच की मात्रा में समान भाग जल मिलाकर रोगी को पिलाना चाहिए।
इमली का गूदा छानकर हींग-जीरे के पानी में मिलाएं और सेवन करें। यह भूख बढ़ाता है।
इसमें दालचीनी, लौंग और कपूर मिश्रित कर स्वादिष्ट पेय भी बनाया जा सकता हैं ।
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15.1.23

किडनी फेल रोग की हर्बल औषधि, kidney failure herbal treatment

 



 
किडनी फेल्योर क्या है ?

     शरीर मे किडनी का मुख्य कार्य शुद्धिकरण का होता है| लेकिन किडनी के किसी रोग की वजह से जब दोनों गुर्दे अपना सामान्य कार्य करने मे अक्षम हो जाते हैं तो इस स्थिति को हम किडनी फेल्योर कहते हैं| खून मे क्रिएट्नीन और यूरिया की मात्रा की जांच से किडनी की कार्यक्षमता का पता चलता है| वैसे तो किडनी की क्षमता शरीर की आवश्यकता से ज्यादा होती है इसलिए गुर्दे को थोड़ा नुकसान हो भी जाये तो भी खून की जाच मे कोई खराबी देखने को नहीं मिलती है| जब रोग के कारण किडनी 50 प्रतिशत से ज्यादा खराब हो जाती तभी खून की जांच मे यूरिया और क्रिएट्नीन की बढ़ी हुई मात्रा का प्रदर्शन होता है|किडनी वास्तव में रक्त का शुद्धिकरण करने वाली एक प्रकार की 11 सैं.मी. लम्बी काजू के आकार की छननी है जो पेट के पृष्ठभाग में मेरुदण्ड के दोनों ओर स्थित होती हैं। प्राकृतिक रूप से स्वस्थ गुर्दे में रोज 60 लीटर जितना पानी छानने की क्षमता होती है। सामान्य रूप से वह 24 घंटे में से 1 से 2 लीटर जितना मूत्र बनाकर शरीर को निरोग रखती है। किसी कारणवश यदि एक गुर्दा कार्य करना बंद कर दे अथवा दुर्घटना में खो देना पड़े तो उस व्यक्ति का दूसरा गुर्दा पूरा कार्य सँभालता है एवं शरीर को विषाक्त होने से बचाकर स्वस्थ रखता है।
 गुर्दों का विशेष सम्बन्ध हृदय, फेफड़ों, यकृत एवं प्लीहा (तिल्ली) के साथ होता है। ज्यादातर हृदय एवं गुर्दे परस्पर सहयोग के साथ कार्य करते हैं। इसलिए जब किसी को हृदयरोग होता है तो उसके गुर्दे भी बिगड़ते हैं और जब गुर्दे बिगड़ते हैं तब उस व्यक्ति का रक्तचाप उच्च हो जाता है और धीरे-धीरे दुर्बल भी हो जाता है।गुर्दे के रोगियों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। इसका मुख्य कारण आजकल के समाज  मे हृदयरोग, दमा, श्वास, क्षयरोग,मधुमेह, उच्च रक्तचाप जैसे रोगों में किया जा रहा अंग्रेजी दवाओं का दीर्घकाल तक अथवा आजीवन सेवन है।


1. उल्टी होना   
2. भूख न लगाना  
3. थकावट और कमजोरी महसूस होना  
4. नींद की समस्या होना 
5. पेशाब की मात्रा कम हो जाना 
 6. दिमाग ठीक से काम नहीं करना 
 7. हिचकी आना 
8. मांसपेशयों मे खिंचाव और आक्षेप आना 
 9. पैरों और टखने मे सूजन आना 
 12. हाई ब्ल प्रेशर जिसे से कट्रोल करना कठिन हो|

किडनी खराब करने  वाली 10 आदतें-

1) पेशाब आने पर करने न जाना (रोकना) 
2) रोज 8 गिलास से कम पानी पीना 
3) बहुत ज्यादा नमक खाना 
4) उच्च रक्त चाप के ईलाज मे लापरवाही
 5) शुगर के ईलाज मे लापरवाही 
6) अधिक मांसाहार करना 
दर्द नाशक(पेन किलर) दवाएं लगातार लेते रहना 
8) ज्यादा शराब पीना 
9) काम के बाद जरूरी मात्रा मे आराम नहीं करना
 10) कोला , पेप्सी आदि साफ्ट ड्रिंक्स और सोडा पीना 
  हमारे गुर्दे रक्त में उपस्थित अपशिष्ट पदार्थों और जल को फ़िल्टर कर मूत्र के रूप में बाहर निकालने की क्रिया संपन्न करते हैं। हमारी मांसपेशियों में उपस्थित क्रिएटिन फ़ास्फ़ेटस के विखंडन से उर्जा उत्पन होती है और इसी प्रक्रिया में अपशिष्ट पदार्थ क्रिएटनीन बनता है । स्वस्थ गुर्दे अधिकांश क्रिएटनीन को फ़िल्टर कर मूत्र में निष्कासित करते रहते हैं। 
  अगर खून में क्रिएटनीन का स्तर १.५ से ज्यादा हो जाता है तो समझा जाता है कि गुर्दे ठीक से काम नहीं कर रहे हैं। इसलिये खून में क्रिएटनीन की मात्रा का परीक्षण करना जरूरी होता है। 
  अब मैं कुछ ऐसे उपाय बताना चाहूंगा जिनको व्यवहार में लाकर रोगी अपने खून मे क्रिटनीन की मात्रा घटा सकते हैं। ये ऊपाय गुर्दे का कार्य-भार कम करते हैं जिससे खून में उपस्थित क्रिएटनीन का लेविल कम होने में मदद मिलती है। क्रिएटनीन कम करने वाले भोजन में प्रोटीन, फ़ास्फ़ोरस,पोटेशियम,नमक की मात्रा बिल्कुल कम होने पर ध्यान दिया जाता है। जिन भोजन पदार्थों में इन तत्वों की अधिकता हो उनका परहेज करना आवश्यक है।
 जब उच्च प्रोटीन वाले खाद्य पदार्थ उपयोग नहीं किये जाएंगे तो मांसपेशियों में कम क्रिएटीन मौजूद रहेगा अत: क्रिएटनीन भी कम बनेगा। किडनी को भी अपशिष्ट पदार्थ को फ़िल्टर करने में कम ताकत लगानी पडेगी जिससे किडनी की तंदुरस्ती में इजाफ़ा होगा। याद रखने योग्य है कि क्रिएटिन के टूटने से ही क्रिएटनीन बनता है। एक और जहां उच्च क्रिएटनीन लेविल गुर्दे की गंभीर विकृति की ओर संकेत करता है वही शरीर में जल की कमी से समस्या और गंभीर हो जाती है। जल की कमी से रक्तगत क्रिएटनीन में वृद्धि होती है। 
  अत: महिलाओं को २४ घंटे में २.५ लिटर तथा पुरुषों को ३.५ लिटर पानी पीने की सलाह दी जाती है। चाय ,काफ़ी में केफ़ीन तत्व ज्यादा होता है जो गुर्दे के स्वास्थ्य के लिये हानिकारक है।अत: इनका सर्वथा परित्याग आवश्यक है। 
  मूत्र प्रणाली में कोई संक्रामक रोग हो जाने से भी रक्तगत क्रिएटनीन बढ सकता है। अत: इस विषय में सावधानी पूर्वक इलाज करवाना चाहिये। उच्च रक्त चाप से गुर्दे को रक्त पहुंचाने वाली नलिकाओं को नुकसान होता है। इससे भी रक्त गत क्रिएटनीन बढ जाता है। अत: ब्लड प्रेशर नियंत्रित करने के उपाय करना जरूरी है।
 नमक ३ ग्राम से ज्यादा हानिकारक है।नियमित २० मिनिट व्यायाम करने और ३ किलोमिटर घूमने से खून में क्रिएटनीन की मात्रा काबू करने में मदद मिलती है।व्यायाम और घूमने के मामले में बिल्कुल आलस्य न करें ।     मधुमेह रोग धीरे -धीरे गुर्दे को नुकसान पहुंचाता रहता है। इसलिये यह रोग भी रक्तगत क्रिएटनीन को बढाने में अपनी भूमिका निर्वाह करता है। खून में शर्करा संतुलित बनाये रखने के उपाय आवश्यक हैं। 
 प्रोटीन हमारे शरीर के ऊतकों और मांसपेशियों के निर्माण में उपयोग होता है। इससे रोगों के विरुद्ध लडने में भी मदद मिलती है। जब प्रोटीन शारीरिक क्रियाओं के लिये टूटता है तो इससे यूरिया अपशिष्ट पदार्थ बनता है। अकर्मण्य अथवा क्षतिग्रस्त किडनी इस यूरिया को शरीर से बाहर नहीं निकाल पाती है। खून में यूरिया का स्तर बढने पर क्रिएटनीन भी बढेगा । मांस में और अंडों में किडनी के लिये सबसे ज्यादा हानिकारक प्रोटीन पाया जाता है।अत: किडनी रोगी को ये भोजन पदार्थ नहीं लेना चाहिये।प्रोटीन की पूर्ति थोडी मात्रा में दालो के माध्यम से कर सकते हैं।
  किडनी के सुचारु कार्य नहीं करने से खून में पोटेशियम का लेविल बहुत ज्यादा बढ जाता है। पोटेशियम की अधिकता से अचानक हार्ट अटेक होने की सम्भावना बढ जाती है। अगर लेबोरेटरी जांच में रक्त में पोटेशियम बढा हुआ पाया जाए तो कम पोटेशियम वाला खाना लेना चाहिये। 
  पाईनेपल,शिमला मिर्च,पत्ता गोभी,फूल गोभी,लहसुन,प्याज,अंडे की सफेदी,जेतुन का तेल,मछली,, खीरा ककडी,गाजर,सेव,लाल अंगूर और सफ़ेद चावल  कम पोटेशियम वाले भोजन  पदार्थ है 
  केला,तरबूज,किशमिस,पालक टमाटर, आलू बुखारा ,भूरे  चावल,संतरा,आलू का उपयोग वर्जित है।इनमे अधिक पोटेशियम पाया जाता है।लेकिन अगर पोटेशियम वांछित स्तर का हो तो इन फ़लों का इस्तेमाल किया जा सकता है।

क्रोनिक किडनी फेल्योर  के कारणों का उपचार - 

*डायबीटीज और उच्च रक्तचाप  का उचित इलाज | 
*पेशाब में इन्फेक्शन का  सही उपचार| 
*किडनी में पथरी  का हर्बल उपचार जो गुर्दे की कार्यक्षमता  बढाता हो| एलौपथिक पद्धति में  किडनी फेल्योर के लिए कोई  स्पेसिफिक  मेडिसिन नहीं है और  शुगर और ब्लड  प्रेशर  नियंत्रण  पर ही ज्यादा  ध्यान देते हैं|


रोगी की किडनी कितने प्रतिशत काम रही है, उसी के हिसाब से उसे खाना दिया जाए तो किडनी की आगे और खराब होने से रोका जा सकता है :

1. प्रोटीन :

 1 ग्राम प्रोटीन/किलो मरीज के वजन के हिसाब से लिया जा सकता है। नॉनवेज खाने वाले 1 अंडा, 30 ग्राम मछली, 30 ग्राम चिकन और वेज लोग 30 ग्राम पनीर, 1 कप दूध, 1/2 कप दही, 30 ग्राम दाल 

बच्चों के रोग के नुखे 


2. कैलरी :

 दिन भर में 7-10 सर्विंग कार्बोहाइड्रेट्स की ले सकते हैं।  1 सर्विंग बराबर होती है - 1 स्लाइस ब्रेड, 1/2 कप चावल या 1/2 कप पास्ता।

3. विटामिन : 

दिन भर में 2 फल और 1 कप सब्जी लें।

4. सोडियम : 

एक दिन में 1/4 छोटे चम्मच से ज्यादा नमक न लें। अगर खाने में नमक कम लगे तो नीबू, इलाइची, तुलसी आदि का इस्तेमाल स्वाद बढ़ाने के लिए करें। पैकेटबंद चीजें जैसे कि सॉस, आचार, चीज़, चिप्स, नमकीन आदि न लें।

5. फॉसफोरस : 

दूध, दूध से बनी चीजें, मछली, अंडा, मीट, बीन्स, नट्स आदि फॉसफोरस से भरपूर होते हैं इसलिए इन्हें सीमित मात्रा में ही लें।

6. कैल्शियम :

 दूध, दही, पनीर, फल और सब्जियां उचित मात्रा में लें। ज्यादा कैल्शियम किडनी में पथरी का कारण बन सकता है।

7. पोटैशियम :

 फल, सब्जियां, दूध, दही, मछली, अंडा, मीट में पोटैशियम काफी होता है। इनकी ज्यादा मात्रा किडनी पर बुरा असर डालती है। इसके लिए केला, संतरा, पपीता, अनार, किशमिश, भिंडी, पालक, टमाटर, मटर न लें। सेब, अंगूर, अनन्नास, तरबूज़, गोभी ,खीरा , मूली, गाजर ले सकते हैं।

8. फैट :

 खाना बनाने के लिए वेजिटेबल या ऑलिव आईल  का ही इस्तेमाल करें। बटर, घी और तली -भुनी चीजें न लें। फुल क्रीम दूध की जगह स्किम्ड दूध ही लें।
 
9. तरल चीजें :

 शुरू में जब किडनी थोड़ी ही खराब होती है तब सामान्य मात्रा में तरल चीजें ली जा सकती हैं, पर जब किडनी काम करना कम कर दे तो तरल चीजों की मात्रा का ध्यान रखें। सोडा, जूस, शराब आदि न लें। किडनी की हालत देखते हुए पूरे दिन में 5-7 कप तरल चीजें ले सकते हैं।

अंकुरित मूंग

10. अंकुरित मूंग किडनी खराब रोगी के लिए उत्तम आहार है| अंकुरित मूंग को भली प्रकार उबालकर जीवाणु रहित कर लेना चाहिए|

विशिष्ट परामर्श 


किडनी फेल रोगी के बढे हुए क्रिएटनिन के लेविल को नीचे लाने और गुर्दे की क्षमता बढ़ाने में हर्बल औषधि सर्वाधिक सफल होती हैं| किडनी ख़राब होने के लक्षण जैसे युरिनरी फंक्शन में बदलाव,शरीर में सूजन आना ,चक्कर आना और कमजोरी,स्किन खुरदुरी हो जाना और खुजली होना,हीमोग्लोबिन की कमी,उल्टियां आना,रक्त में यूरिया बढना आदि  में दुर्लभ जड़ी-बूटियों से निर्मित यह औषधि रामबाण की तरह  जीवन रक्षक सिद्ध होती है| डायलिसिस  पर   आश्रित रोगी भी लाभान्वित हुए हैं| औषधि हेतु  वैध्य दामोदर से 98267-95656 पर संपर्क किया जा सकता है|

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