16.3.21

प्रवाल पिष्टी के फायदे:praval pishti upyog




प्रवाल पिष्टी में पाये जाने वाले कई प्रभावशाली तत्व हमारे स्वास्थ्य व कई बिमारियों में फायदेमंद होती है।

प्रवाल पिष्टी प्रवाल से बनायी जाती है।
इसको आम भाषा में मूंगा कहा जाता है व अंग्रेजी में Coral Calcium कहते हैं।
जिन लोगों में कैल्शियम की कमी होती हैं उन लोगों ने इसका प्रयोग करना चाहिए यह उनके लिए फायदेमंद होती है।
इसके अतिरिक्त इसमें प्रचूर मात्रा में विटामिन सी और प्राकृतिक रूप से कैल्शियम पाया जाता है जो हमारी इम्युनिटी बढ़ाने का कार्य करता है।
इस लेख में हम आपको प्रवाल पिष्टी के फायदों के साथ इसके बारे में पूरी जानकारी देने का प्रयास करेंगे।
इसके फायदे जानने से पहले हमें यह जानना होगा कि यह क्या है और कैसे कार्य करता है।
प्रवाल पिष्टी आयुर्वेदिक दवा है, जिसका प्रयोग कई रोगों जैसे जुखाम, खांसी और पित्त के रोगों में आयुर्वेदिक दवा के रूप में करते हैं।
खाने में इसका स्वाद मीठा सा होता है। प्रवाल पिष्टी में विटामिन सी व कैल्शियम की अत्यधिक मात्रा पायी जाती है जो हमारे लिए फायदेमंद होती है।
यह बाजार में तरल एवं पाउडर के रूप में मिलती है।
प्रवाल पिष्टी के गुण
प्रवाल पिष्टी का उपयोग कैल्शियम की कमी, कमजोरी, सुखी खांसी, शरीर में किसी भी स्थान से भी खून बहने पर, सर दर्द, गैस की परेशानी, अल्सर, हेपेटाइटिस, पेशाब में जलन होना जैसे कई और रोगों में किया जाता है।
आयुर्वेदिक दवा के रूप में प्रवाल पिष्टी का उपयोग बड़े स्तर पर किया जाता है।
मगर प्रवाल अर्थात मूंगा कैल्शियम का सीधे तौर पर उपयोग नहीं किया जाता है।
इसके लिए इसको खाने योग्य बनाने के लिए गुलाब जल के साथ तैयार किया जाता है और इसका पाउडर बनाया जाता है।
अत: प्रवाल को गुलाब जल के साथ संसाधित कर जो पाउडर या चूर्ण तैयार किया जाता है उसी का प्रवाल पिष्टी कहा जाता है।
प्रवाल भस्म और प्रवाल पिष्टी दोनों ही कैल्शियम की कमी, रक्त स्रात के रोगों, खांसी, कमजोरी, सिरदर्द, पित्त रोग, पीलिया, आंखों का लाल होना, पेट की परेशानी आदि में फायदेमंद होते हैं।
इसके साथ ही यह गठिया में भी लाभदायक होती हैं प्रवाल पिष्टी की तासरी ठण्डी होती है और यह तीनों प्रकार के विकारों अर्थात वात दोष, कफ दोष एवं पित्त दोष में लाभदायक होती है।
प्रवाल पिष्टी के फायदे
1. शरीर की गर्मी को शांत करने में फायदेमंद
प्रवाल पिष्टी उन लोगों के लिए फायदेमंद होती है जिनको शरीर के किसी हिस्से में गर्मी या जलन का एहसास होता है।
प्रवाल पिष्टी शरीर की गर्मी के तो कम करता ही है बुखार के कारण जो शरीर का तापमान बढ़ जाता है उसके भी कम करने में मदद करता है।
बुखार होने पर यह एसिटामिनोफेन के जैसे कार्य करता है और हमारे शरीर को ठण्डा करने में मदद करता है। क्योंकि इसकी तासीर ठण्डी होती है।
2. बुखार में प्रवाल पिष्टी के फायदे
बुखार में इसका प्रयोग लाभदायक होता है मगर केवल इसी के प्रयोग से लाभ नहीं होता इसके लिए इसको गोदंती भस्म के साथ प्रयोग किया जाता है।
इसके प्रयोग से शरीर के तापमान को कम करने में मदद मिलती है।
इससे बुखार तो ठीक होता ही है बुखार से होने वाली कमजोरी को दूर करने में यह लाभदायक है।
3. हड्डियों के लिए प्रवाल पिष्टी के फायदे
प्रवाल पिष्टी का प्रयोग करना हड्डियों की कमजोरी के लिए फायदेमंद होता है क्योंकि इसमें प्रचूर मात्रा में कैल्शियम पाया जाता है।
कैल्शियम हमारे शरीर की हड्डियों के लिए एक आवश्यक पदार्थ होता है।
इसके अलावा इसमें मैग्नीशियम के साथ ही अन्य खनिज तत्व भी होते हैं जो हमारे शरीर व हड्डियों के लिए फायदेमंद होते हैं।
4. कमजोरी में प्रवाल पिष्टी के फायदे
जिन लोगों को कमजोरी की परेशानी रहती है यह उनके लिए फायदेमंद होती है।
इतना ही नहीं यह अधिक समय तक बिमार रहने के बाद जो कमजोरी रहती है उसके लिए सर्वथा उचित दवा है।
ऐसी अवस्था में इसका प्रयोग करना आपके लिए लाभदायक होगा।
प्रवाल पिष्टी के कुछ और फायदे
कफ से पैदा होने वाले रोगों में यह फायदेमंद होता हैं
बच्चों में, गर्भवती महिलाओं व बुजुर्गो में यह कैल्शियम की कमी को दूर करता है। क्योंकि यह एक प्राकृतिक रूप में कल्शियम से युक्त होता है जो सीधे शरीर द्वारा अवशोषित हो जाता हैं।
प्रवाल पिष्टी के प्रयोग से शरीर में पैदा होने वाली अम्ल की अधिकता होने पर यह लाभदायक होता है। क्योंकि अम्ल की अधिकता से कई प्रकार की परेशानिंया उत्पन्न हो जाती हैं। जैसे — जलन होना, गैस बनना, हाथ पैरों के तलवों में जलन होना आदि।
इसका प्रयोग गुलकंद के साथ प्रयोग करने से पित्त से उत्पन्न होने वाले रोगों में यह लाभदायक होता है।
मानसिक रोगों, चिंता, तनाव व डिप्रेशन प्रवाल पिष्टी का प्रयोग करना लाभ दायक होता है।
प्रवाल पिष्टी पाचन उत्तेजक, गठिया नाशक, अम्ल नाशक होता है।
प्रवाल पिष्टी बाल झड़ने से रोकने में सहायता करता है।
अगर महिलाओं को गर्भाशय एवं मासिक धर्म में अत्यधिक रक्तस्राव हो तो प्रवाल पिष्टी का सेवन करना उनके लिए लाभदायक होता है।
यह गुदा विकार, बवासीर मगर जिसमें रक्त बहने की समस्या हो, हड्डियों को जोड़ने में सहायक, बालों का जल्द सफेद होने में सहायक होता है।
प्रवाल पिष्टी की सेवन विधि
प्रवाल पिष्टी का सेवन दिन में दो से तीन बार करना चाहिए।
इसकी 125 मिलीग्राम से 500 मिलीग्राम तक की मात्रा को लिया जा सकता है।
मगर ध्यान देने योग्य बात यह है कि इसकी 2500 मिलीग्राम से ज्यादा की मात्रा को एक दिन में नहीं लेना चाहिए नहीं हो परेशानी हो सकती है।
इसकी मात्रा आपके रोगा पर निर्भर करती है। इसको लेने से पहले किसी अच्छे आयुर्वेदाचार्य से सलाह ले लेनी चाहिए।
प्रवाल पिष्टी को कभी भी अकेले नहीं खाया जाता है।
इससे अधिकतम लाभ लेने के लिए गुलकंद या शहद के साथ ही प्रयोग किया जाना चाहिए।

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3.3.21

दालचीनी वाला दूध पीने के फायदे:dalchini wala doodh ke fayde






दालचीनी वाला दूध पीने से इम्यून सिस्टम मजबूत हो जाता है, जिससे आप जल्दी बीमार नहीं पड़ते। आपकी बॉडी पर वायरस जल्दी असर नहीं डाल पाते। इसके साथ ही यह थकान को भी दूर करता है।
दालचीनी वाला दूध पीने से इम्यून सिस्टम मजबूत होने के साथ पुरुषों में स्‍पर्म काउंट भी बढ़ते हैं।
पाचन शक्ति बढ़ती है और हड्डियां मजबूत बनती है।
ब्लडप्रेशर भी कंट्रोल में रहने लगता है।
ठंड आते ही लोगों को जोड़ों के दर्द की शिकायत होने लगती है। ज्यादातर इस समस्या से बुजुर्ग परेशान रहते हैं। इस समस्या को दूर करने के लिए गुनगुने दूध में दालचीनी पाउडर डालकर दें।
दालचीनी वाला दूध पीने से शुगर लेवल ठीक रहने लगता है। इससे शुगर की बीमारी से जल्दी से निजात पाई जा सकती है।
दालचीनी वृक्ष की छाल होती है जिसे औषधि और मसालों के रूप में प्रयोग किया जाता है। दालचीनी मन को प्रसन्न करती है। सभी प्रकार के दोषों को दूर करती है। इसे गर्भवती स्त्री को नहीं लेना चाहिए। जो दालचीनी, पतली, मुलायम चमकदार, सुगंधित और चबाने पर मिठास उत्पन्न करने वाली हो, वह अच्छी होती है।
परन्तु यदि किसी प्रकार की हानि हो तो सेवन को कुछ दिन में ही बंद कर देना चाहिए और दुबारा थोड़ी सी मात्रा में लेना शुरू करें। दालचीनी पाउडर की उपयोग की मात्रा 1 से 5 ग्राम होती है। बच्चों को भी इसी प्रकार कम मात्रा में ही दें ।
दालचीनी की तासीर गर्म होती है। गर्मी के मौसम में इसका कम से कम मात्रा में सेवन करना चाहिए। दालचीनी का सेवन लम्बे समय तक नहीं करना चाहिए।
दालचीनी में कुछ ऐसे तत्व होते हैं,जो आपके शरीर के लिए औषधि का काम करते हैं और अगर दूध के साथ मिलाकर इसे पिया जाए, तो इससे शरीर भी ताकतवर होगा और सुंदरता भी बढ़ेगी।
एक गिलास गर्म दूध में आधा चम्मच दालचीनी पाउडर मिला लें और इसे थोड़ा उबालकर गुनगुना होने पर इसे रात को सोने से पहले सेवन करें। आओ जानते हैं इसके सेवन से शरीर में क्या फर्क नजर आने लगता है।
रोज रात को सोने से पहले अगर दालचीनी वाला दूध पीए तो 1 महीने में 2-3 किलो वजन कम हो जाता है, वह भी बिना किसी डाइटिंग या कसरत से।
दालचीनी वाला दूध पीने से सर्दी जुकाम, बलगम आदि से भी बहुत जल्दी निजात मिलती है।
दालचीनी वाला दूध त्वचा को चमकदार बनाता है और त्वचा खूबसूरत दिखने लगती है।
दालचीनी के रोजाना सेवन से बालों की सभी प्रकार की समस्याएं दूर हो जाती है।
दालचीनी वाला दूध पीने से दिमाग की ताकत बढ़ती है। पढऩे वाले बच्चों को दूध में दालचीनी मिला कर देने से भी बहुत फायदा होता है।
सोने से पहले एक गिलास दालचीनी वाला दूध पीलें इससे नींद अच्छी आने लगती है।
दालचीनी वाला दूध पीने से मोटापा भी छूमंतर हो जाता है।
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25.2.21

दस जड़ी बूटियाँ से सेहत की समस्याओं के समाधान //Das jadi butiyon se sehat banayen

 आयुर्वेद में स्वास्थ्य संबंधी हर समस्या का इलाज मौजूद है, जो समस्या से राहत ही नहीं देता बल्कि समस्या को जड़ से समाप्त करता है। जानिए 10 ऐसी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां, जो आपको बिना किसी साइड इफेक्ट के स्वास्थ्य लाभ देंगी और सेहत समस्याओं से निजात दिलाएंगी - 


1 पुदीना - 
पुदीने की पत्तियां खून साफ करती हैं, सिरदर्द ठीक करती हैं, खराब गले को राहत पहुंचाती हैं, उल्टियों को रोकती हैं और दांतों की दिक्कतों से भी निजात दिलाती हैं। पुदीना ऐंटी-बैक्टीरियल भी होता है जो शरीर में बैक्टीरिया पैदा होने से रोकता है।

 2 हल्दी - हल्दी का इस्तेमाल हम लगभग सभी हिन्दुस्तानी सब्जियों या खाद्य पदार्थों में करते हैं। इसकी जड़ों और पत्तियों में औषधीय गुण होते हैं। इसमें सबसे अच्छे ऐंटी-बैक्टीरियल गुण हैं।इससे जोड़ों के दर्द, आर्थराइटिस, पाचन विकार, दिल और लिवर की बीमारियों से लड़ने की क्षमता है। यहां तक कि यह कैंसर सेलों को खत्म करती है और स्किन के लिए भी अच्छी होती है।
3- सफेद कमल - सफेद कमल की पत्तियां, फूल, बीज और जड़ों से हैजा, पेट की बीमारियों, कब्ज और आंखों के इन्फेक्शन का इलाज किया जाता है। सफेद कमल के बीजों को भी कामोत्तेजक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।

4- दालचीनी - 
भारतीय मसालों में दालचीनी अहम है। इसके सेवन से दर्द कम होता है और अकड़न दूर होती है। यह किडनी को डि‍टॉक्स करता है और सांस संबंधी दिक्कतें दूर कर ब्लड सर्कुलेशन बढ़ाता है।
5- कपूर -  इस पौधे के अनगिनत फायदे हैं। इसकी छाल से बैक्टीरिया और फंगस से निजात मिलती है, दर्द से आराम मिलता है, यह कामोत्तेजक का भी काम करता है और मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ाता है।कपूर के तेल से खांसी, दमा, हिचकी, लिवर की दिक्कतों और दांत के दर्द का इलाज किया जाता है। इसे मांसपेशियों या नसों का दर्द ठीक करने और डिप्रेशन का इलाज करने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है।

6- गुलाब - 
गुलाब की पत्तियां खाने से दिल की सेहत बनती है, सूजन घटती है, ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है और ब्लड प्रेशर कम होता है। गुलाब की पत्तियों से भी स्ट्रेस, मासिक पीड़ा, अपच और अनिद्रा से निजात मिलती है।
7- मेहंदी की पत्तियां - मेहंदी की पत्तियां मूत्रवर्धक होती हैं। वे दर्द को कम करती हैं और शरीर को डीटॉक्स करती हैं। कब्ज के इलाज में भी इनका इस्तेमाल हो सकता है। छाले, अल्सर, चोट, बुखार, हैमरेज और मासिक दर्द से भी मेहंदी की पत्तियां छुटकारा दिलाती हैं।
 
8- सब्जा - सब्जा को फालूदा में कूलिंग एजेंट के तौर पर डाला जाता है। इसमें ओमेगा-3 फैटी एसिड पाया जाता है। इनके सेवन से इम्युनिटी बढ़ती है, ब्लड प्रेशर कम होता है और दिल की सेहत बनती है। इन्हें खाने से स्किन अच्छी होती है और सूजन घटती है।
9-लेमन ग्रास - यह आमतौर पर उत्तर भारत में उगाया जाता है। इसे चाय में डालकर पीने का चलन है। लेमन ग्रास शरीर, जोड़ों, सिर और मांसपेशियों के दर्द से निजात दिलाती है और स्ट्रेस से भी बचाती है।
10- इसबगोल - इसबगोल की भूसी कब्ज का अचूक इलाज है। यह एक तरह की घुट्टी है जो आंतों को रिलैक्स करती है। इसे पीसकर जोड़ों पर लगाने से जोड़ों के दर्द से भी आराम मिलता है।
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9.2.21

कड़ी पत्ते के फायदे //kadi patte ke upyog



कड़ी पत्ते सुगंधित और बहुमुखी छोटे पत्ते हैं, जो की एक साधारण से व्यंजन जैसे उपमा या पोहा को खाने के शौकीन लोगो के लिए अत्यंत स्वादिष्ट बना देते हैं। कड़ी / कढ़ी पत्ते अपने विशिष्ट स्वाद और रूप से भोजन में विशेष प्रभाव डालते हैं और भारतीय भोजन का एक प्रमुख हिस्सा हैं। कड़ी पत्तों का उपयोग चटनी और चूर्ण बनाने में भी किया जाता है। कड़ी पत्तों को मुख्यतः चावल, डोसा और इडली जैसे व्यंजनों में भी इस्तेमाल किया जाता है।

करी पत्ता (कड़ी पत्ता) का वैकल्पिक नाम
कड़ी पत्ते का वानस्पतिक नाम: Murraya Koenigii
कड़ी पत्ते का अंग्रेजी नाम: Curry Leaf
कड़ी पत्ते का संस्कृत नाम: कृष्णा निंबा
करी पत्ता (कड़ी पत्ता) के फायदे
पौष्टिक मूल्यों से भरपूर कड़ी पत्तों में औषधीय, निरोधक और सौंदर्य गुण भी हैं। यह रोगाणु को नष्ट करता है, बुखार और गर्मी से राहत प्रदान करता है, भूख में सुधार लाता है, मल को नरम करता है और पेट फूलने से राहत देता है। कच्चे और मुलायम कड़ी पत्ते पके हुए पत्तों की अपेछा अधिक मूल्यवान हैं। यह आंख और बालों के लिए लाभदायक हैंI इसके जड़ और तना का भी आयुर्वेदिक प्रयोग और उपचार में विशेष महत्व है।
पाचन विकार के लिए
स्वस्थ बाल
अन्य स्वास्थ्य लाभ|
पाचन विकार के लिए
कब्ज: सूखी कड़ी पत्तियों का चूर्ण बना लें। एक चम्मच चूर्ण में थोड़ा शहद मिलाकर दिन में दो बार सेवन करें।
अपच: सूखे कड़ी पत्ते, मेथी और काली मिर्च का चूर्ण बना लें, इसमें थोड़ा घी मिलाकर प्रतिदिन सेवन करें।
दस्त: कड़ी पत्तों का रस बना कर दिन में दो बार दो बार चम्मच रस का सेवन करें।
जी मचलना और उल्टी: एक मुट्ठी कड़ी पत्ते को चार कप पानी डालकर उबालें और इसे एक कप बना लें। इसे दिन में चार से छः बार पियें।
अम्लता-प्रेरित उल्टी: तने और टहनियों के चूर्ण को ठंडे पानी के साथ मिला कर उपयोग करें।
स्वस्थ बाल
रूसी: नींबू के छिल्कों, कड़ी पत्ते, मेथी और रीठा के चूर्ण का मिश्रण बनायें। बालों को धोने के लिए साबुन या शैम्पू के स्थान पर इस मिश्रण का उपयोग करें।
स्वस्थ बाल: नारियल के तेल में कड़ी पत्तों को गहरे भूरे होने तक उबाल लें। पत्तियों को इससे बाहर निकाल लें और प्रतिदिन सर में इस तेल का प्रयोग करें।
बालों का पकना: कच्चे पत्तों का चबाकर सेवन करने से बालों का झड़ना कम होता है। कड़ी पत्ते डालकर उबाला हुआ तेल बालों के असमय पकने को रोकता है।
अन्य स्वास्थ्य लाभ
जलने पर: जले हुए जगह पर कड़ी पत्तों का पेस्ट बना कर लगायें।
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7.2.21

अशोकारिष्ट के फायदे:Ashokarisht ke laabh




अशोकारिष्ट (जिसे विथानिया सोम्निफेरा के नाम से भी जाना जाता है) एक आयुर्वेदिक दवा है जिसका उपयोग व्यापक रूप से कई स्त्री रोगों और मासिक धर्म की समस्याओं के इलाज के लिए किया जाता है। इसमें लगभग 5% से 10% अल्कोहल होती है जो इसका एक्टिव कंपाउंड है। अशोकारिष्ट मुख्य रूप से ओवेरी के रोगों और गर्भाशय के विकारों में फायदा करता है। यह अशोक, मुस्ता, विभिताकी, जीरका, वासा, धाताकी आदि औषधीय चीज़ों से बना है जो मासिक धर्म के समय के दर्द को कम करने में मदद करते हैं।

अशोकारिष्ट के स्वास्थ्य लाभ
यह महिला प्रजनन प्रणाली पर केंद्रित है। अशोकारिष्ट ओवरी के रोगों और गर्भाशय के विकारों में फायदा करता है। यह शरीर में हार्मोन के स्तर को संतुलित करता है| इसके कई अन्य लाभ हैं:
श्रोणि की सूजन की बीमारियां
अशोकारिष्ट श्रोणि की सूजन संबंधी बीमारियों का प्रबंधन करने में मदद करता है। इसमें मौजूद जड़ी-बूटियां एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रभाव पैदा करती हैं जो गर्भाशय, अंडाशय और अन्य प्रजनन अंगों को नुकसान से बचाने में मदद करती है।
मेनोरेजिया, मेट्रोरेजिया और मेनोमेट्रोरेजिया में एड्स
मेनोरेजिया असामान्य रूप से भारी या लंबे समय तक मासिक धर्म को संदर्भित करता है।
मेट्रोरेजिया लंबे समय तक और गर्भाशय के अत्यधिक रक्तस्राव को संदर्भित करता है जो मासिक धर्म से शुरू नहीं होता। यह आम तौर पर अन्य गर्भाशय रोगों का सूचक है।
मेनोमेट्रोरेजिया, मेनोरेजिया और मेट्रोरेजिया का मेल है। इस मामले में, मासिक धर्म की परवाह किए बिना भारी रक्तस्राव होता है।
दर्दनाक पीरियड्स में मदद करता है
जब अन्य जड़ी बूटियों के साथ मिलाया जाता है तो यह गर्भाशय के कामों में सुधार करता है और गर्भाशय को ताकत देने वाले संकुचन को नियंत्रित करता है। यह प्रीमेंस्ट्रुअल सिरदर्द, कमर दर्द और मतली को भी कम करता है। इसलिए यह दर्दनाक पीरियड्स के दौरान अशोकारिष्ट लाभ करता है।
पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम
इस मामले में अशोकारिष्ट का उपयोग बहुत अलग है, इसलिए इसका उपयोग सावधानी से किया जाना चाहिए।
ऑस्टियोपोरोसिस
मेनोपाज के दौरान अशोकारिष्ट लाभ करता है। यह हड्डियों के खनिज के नुकसान को रोकने में मदद करता है जो मेनोपाज के दौरान शुरू होता है।
स्वास्थ्य में सुधार करे
अशोकारिष्ट स्वास्थ्य की स्थिति को सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके अवयवों में आवश्यक तत्व होते हैं जैसे अजाजी, गुड्डा, चंदना, अमरस्थी आदि आपको सकारात्मक स्वास्थ्य प्राप्त करने में मदद करते हैं।
फोस्टर स्टैमिना और थकान को खत्म करता है
इसके 100% आयुर्वेदिक फार्मूला की अच्छाई महिलाओं में सहनशक्ति के स्तर को उत्तेजित करती है।
पाचन तंत्र को बेहतर बनाता है
अशोकारिष्ट पाचन तंत्र को बढ़ाने में सहायक है। यह मेटाबोलिज्म में सुधार करता है और भूख की कमी से लड़ने में योगदान देता है।
अशोकारिष्ट के उपयोग
अशोकारिष्ट स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का समाधान है। सबसे अच्छे ज्ञात उपयोगों में से कुछ नीचे बताये गये हैं:
स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं का इलाज: अशोकारिष्ट मासिक धर्म के दर्द, भारी पीरियड्स, बुखार, रक्तस्राव, अपच जैसी कुछ स्वास्थ्य संबंधी बीमारियों को ठीक करने में सहायक है।
पेट दर्द से राहत दिलाये: यह महिलाओं के लिए परेशान दिनों में दर्द को दूर करने के लिए एक बेहतरीन स्रोत के रूप में काम करता है।
महिलाओं के अनुकूल जड़ी-बूटी: अशोकारिष्ट को महिलाओं के अनुकूल जड़ी-बूटी से बनाया जाता है जिसे कई स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं के लिए प्रयोग किया जाता है।
मल त्याग में सुधार: अशोकारिष्ट फाइबर के एक महान स्रोत के रूप में काम करता है जो बदले में मल त्याग को आसान बनाता है।
इम्युनिटी को बढ़ाता है: यह प्रतिरक्षा में सुधार करता है और मलेरिया, गठिया के दर्द, बैक्टीरियल इन्फेक्शन, मधुमेह, दस्त जैसी बीमारियों को रोकने के लिए उपयोगी है।
अल्सर से बचाव: अशोकारिष्ट प्रकृति में एंटी-इंफ्लेमेटरी है जो अल्सर की घटना के खतरे को कम करने में मदद करता है।
क्या अशोकारिष्ट का सेवन भोजन से पहले या बाद में किया जा सकता है?
अशोकारिष्ट  का सेवन हमेशा भोजन के बाद करना चाहिए। खाली पेट इसका सेवन करना प्रभावी नहीं है।
क्या अशोकारिष्ट का सेवन खाली पेट किया जा सकता है?
आयुर्वेदिक डॉक्टर बताते हैं कि अशोकारिष्ट का सेवन भोजन के बाद करना चाहिए। इसे खाली पेट लेने से फायदा नहीं होता।
विशिष्ट परामर्श -
    
श्री दामोदर 9826795656 विनिर्मित " दामोदर नारी कल्याण " हर्बल औषधि स्त्रियों के सभी रोगों खासकर गर्भाशय संबन्धित रोगों मे परम उपकारी साबित हुई है | ल्यूकोरिया,पीरियड्स संबन्धित अनियमितताएँ,बांझपन ,रक्ताल्पता आदि लक्षणों मे व्यवहार करने योग्य रामबाण औषधि है|नारी के लिए  ऊर्जावान यौवन  प्राप्ति मे सहायक | 




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3.2.21

मेदोहर गुग्गुल वटी के फायदे:medohar guggul vati




मेदोहर गुग्गुल अथवा मेदोहर वटी एक आयुर्वेदिक औषधि है जिसका मुख्य कार्य पेट की चर्बी को कम करना तथा पाचन संस्थान की अनेक प्रकार की समस्याओं को दूर करना होता है । आइए इस औषधि के बारे में विस्तार से बात करते हैं ।

उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
दवाई का प्रकार: आयुर्वेदिक हर्बल दवा
मुख्य उपयोग: मोटापा कम करना Weight Loss
मुख्य गुण: मेदोहर, कृमिघ्न, विरेचक
मेदोहर गूगल  में ऐसे औषधीय गुण पाए जाते हैं जो मोटापे को कम करते हैं । मेदोहर गूगल का मुख्य औषधीय घटक त्रिफला एवं गूगल है । यह दोनों दवाएं मोटापे एवं सूजन को कम करने के लिए सुप्रसिद्ध हैं । इस दवा का नियमित सेवन करने मात्र से ही मोटापा काफी हद तक कम हो जाता है । यदि आप केवल त्रिफला ही सुबह खाली पेट प्रयोग करेंगे तो शरीर में एक्स्ट्रा फैट कम होगी तथा मोटापा भी कम हो जाता है ।
आजकल ज्यादातर लोगों का रहन सहन और खानपान इस प्रकार का हो गया है कि वह अपने भोजन में कैलोरी की मात्रा तो अधिक लेते हैं, लेकिन उस हिसाब से उसे खर्च बहुत कम करते हैं अर्थात शारीरिक श्रम बहुत कर्म करते हैं । जिस कारण इस बिगड़ी हुई दिनचर्या के कारण उनके शरीर में अतिरिक्त चर्बी एवं कोलेस्ट्रोल की मात्रा बहुत ज्यादा हो जाती है, और इस अवस्था को ही मोटापा कहा जाता है ।
यदि आप चाहते हैं कि आप मोटापे का शिकार ना हो तो आपको सबसे पहले अपनी दिनचर्या को ही ठीक करना होगा । इसके लिए अपना खानपान संतुलित रखें तथा उसी हिसाब से योग और व्यायाम भी अवश्य करें ताकि आप बिल्कुल फिट रहे । लेकिन यदि आपने इन बातों का ध्यान नहीं रखा है और आप मोटापे का शिकार हो चुके हैं तो भी घबराने की जरूरत नहीं है । क्योंकि आयुर्वेद ने हमें मेदोहर गूगल के रूप में एक आयुर्वेदिक औषधि दी हैं जो मोटापे को दूर करने के लिए रामबाण सिद्ध होती है ।
यदि आप सही समय पर मोटापे का इलाज नहीं करेंगे तो यह मोटापा अपने साथ अनेकों बीमारियों जैसे डायबिटीज, उच्च रक्तचाप एवं हृदय की समस्याओं को भी लेकर आ जाएगा । इसलिए सही समय पर ही मोटापे का इलाज करके अपने आप को स्वस्थ कर लेना चाहिए । आइए जानते हैं मेदोहर गुग्गुल में कौन-कौन से औषधीय घटक प्रयोग किए जाते हैं ।
मेदोहर गूगल के औषधीय घटक 
गुग्गुल
त्रिकटु
अदरक
मरीच या मरीचा
पिपली
चित्रकमूल
त्रिफला
नागरमोथा
वायविडंग
गुग्गुल
अरंड का तेल
गुग्गुल एक ऐसी जड़ी बूटी है जो शरीर में मोटापे को कम करती हैं तथा शरीर में आई हुई किसी भी प्रकार की सूजन को कम करने में सहायक होती हैं । गूगल शरीर की वसा को कम करती है तथा कोलेस्ट्रोल को भी नियंत्रित रखती है ।
त्रिकटु अर्थात पिपली, काली मिर्च एवं सोंठ को बराबर बराबर मात्रा में मिलाकर बनाया गया मिश्रण । यह मिश्रण पाचन संस्थान एवं स्वास्थ संबंधी समस्याओं में फायदा करता है ।
अदरक जिसके सूखे हुए रूप को सोंठ कहा जाता है । यह ज्वरनाशक एवं ब्लड शुगर को नियंत्रित करता है । इसके अतिरिक्त अनेक प्रकार की समस्याओं में फायदा करता है ।
मरीच या मरीचा काली मिर्च का ही दूसरा नाम है, जिसे अंग्रेजी में ब्लैक पेपर भी कहा जाता है । इसकी तासीर गर्म होती है । यह पाचन संस्थान एवं श्वसन संस्थान पर सकारात्मक प्रभाव डालती है । इसके अतिरिक्त यह ज्वरनाशक एवं कृमि नाशक भी होती हैं ।
पिपली यह खांसी, गला बैठना, दम्मा तथा पाचन संस्थान में फायदा करती है । इसकी तासीर भी गर्म होती है ।
त्रिफला अर्थात हरड़, बहेड़ा, आंवले का मिश्रण पाचन संस्थान पर अपना सकारात्मक प्रभाव डालती है ।
चित्रकमूल वात नाशक एवं कफ नाशक होती है, साथ ही पाचन संस्थान पर अपना सकारात्मक प्रभाव भी डालती है ।
नागरमोथा यह दवा रक्तचाप को नियंत्रित रखती है, तंत्रिका तंत्र को संतुलित रखती है, तथा शरीर से सभी प्रकार की सूजन को दूर करती है ।
बायविडंग यह कृमि नाशक तथा कफ रोगों को दूर करने वाली होती है ।
इन सभी औषधियों से संयुक्त होने के कारण मेदोहर गूगल मोटापे के अतिरिक्त अन्य बीमारियों में भी फायदा करती हैं ।
मेदोहर गुग्गुल के फायदे
मोटापा कम करने में सहायक मेदोहर गुग्गुल
मेदोहर गूगल का सबसे प्रमुख कार्य मोटापे को दूर करना होता है । इस दवा के नियमित सेवन से पेट की चर्बी धीरे-धीरे कम हो जाती है, जिससे मोटापा एवं वजन दोनों ही धीरे-धीरे कम हो जाते हैं ।
पाचन संस्थान के लिए लाभकारी मेदोहर गूगल
यद्यपि मेदोहर गूगल का प्रमुख कार्य मोटापा एवं वजन कम करना होता है, लेकिन जैसा कि हमने ऊपर पड़ा है कि मेदोहर गूगल में त्रिफला, त्रिकटु एवं अन्य ऐसी औषधियां होती हैं जो हमारे पाचन संस्थान के लिए भी बहुत ही फायदेमंद होती हैं । इसलिए मेदोहर गूगल का सेवन करने से पाचन संस्थान दुरुस्त हो जाता है । भूख लगने लगती है तथा अपच, पेट गैस, खट्टी डकार आना आदि जैसी समस्याएं भी दूर हो जाती हैं ।
ब्लड प्रेशर नियंत्रित रखने में लाभकारी मेदोहर गूगल
मेदोहर गूगल में बायबिडिंग होने के कारण यह ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखती है, साथ ही इस दवा के सेवन करने से कोलेस्ट्रोल भी नियंत्रित रहता है ।
मेदोहर गूगल की मात्रा एवं सेवन विधि
इस दवा की दो-दो गोली दिन में दो बार सुबह नाश्ते के बाद एवं रात को खाना खाने के पश्चात गर्म पानी के साथ ली जानी चाहिए । इस दवा को गर्म पानी के साथ ही सेवन करना चाहिए ।

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कुटजघन वटी के फायदे, खुराक और उपयोग:kutaj ghan vati

 


कुटजघन वटी एक आयुर्वेदिक औषधि है जो कुटज नामक जड़ी बूटी से बनाई जाती है । कुटजघन वटी का प्रमुख घटक द्रव्य कुटजघन नामक पेड़ की छाल होती है । इसके अलावा कुटजघन वटी में अतीश या अतिविशा औषधि का प्रयोग भी किया जाता है । कुटजघन वटी का वर्णन सिद्ध योग संग्रह नामक ग्रंथ में अतिसार प्रवाहिका ग्रहणी रोग अधिकार में किया गया है ।

कुटजघन वटी मुख्य रूप से बड़ी आत से संबंधित रोगों में प्रयोग की जाती है । इस औषधि का सेवन करने से कोलाइटिस, पतले दस्त, आंतों का इन्फेक्शन, इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम, डायरिया आदि समस्याओं में बहुत अच्छा फायदा मिलता है । इसके अलावा कुटजघन वटी अन्य कुछ बीमारियों में भी पैदा करती है । तो आइए जानते हैं कुटजघन वटी के बारे में ।

कुटजघन वटी से पेट संबंधी रोगों का उपचार किया जाता है। कुटजघटवटी का प्रयोग कर कोलायाटिस, पतले दस्त, आंव आना, आँतों के सभी प्रकार के रोग ठीक किए जा सकते हैं।सके अलावा भी आप कुटज घन वटी का प्रयोग अन्य बीमारियों में कर सकते हैं। 

कुटजघन वटी, कुटज तथा अतिविषा के प्रयोग से बनी एक महत्वपूर्ण औषधि (kutajghan vati in hindi) है जो पेट के रोगों में बहुत काम आती है। कोलायाटिस, पतले दस्त, आंव आना, आँतों के सभी प्रकार के दोष, बवासीर, गैस्ट्रिक अल्सर इत्यादि पेट के रोगों में काम आती है। 

पेचिश को ठीक  करने के लिए कुटजघन वटी बहुत फायदेमंद होती है। जिन लोगों को दस्त के साथ खून आने की शिकायत है वे कुटजघन वटी का इस्तेमाल कर पेचिश से छुटकारा पा सकते हैं।

कब्ज में कुटजघन वटी के फायदे

खान-पान में असंतुलन और अनियमित दिनचर्या के कारण कब्ज की समस्या से ग्रस्त हो जाना बहुत आम है। लगभग सभी लोग कब्ज से परेशान रहते हैं। कब्ज को ठीक करने के लिए कुटजघन वटी का प्रयोग बहुत लाभदायक होता है। कुटजघन वटी के सेवन से कब्ज ठीक  होती है।

कुटजघन वटी के सेवन से दस्त पर रोक


आप दस्त की समस्या में भी कुटजघन वटी का उपयोग कर सकते हैं। इसके सेवन से दस्त पर रोक लगती है।


अपच की समस्या में कुटजघन वटी के सेवन से लाभ


अनेक लोग पाचनतंत्र विकार से ग्रस्त होते है। कुटजघन वटी के सेवन से अपच की परेशानी ठीक हो जाती है। पाचनतंत्र विकार से परेशान लोग कुटजघन वटी का सेवन करें। यह फायदेमंद  होता है।


सूजन की समस्या में कुटजघन वटी के फायदे 


सूजन की समस्या शरीर के किसी भी अंग में हो सकती है। कुटजघन वटी सूजन को ठीक करने का काम भी करती है। आप त्वचा में होने वाली सूजन में भी कुटजघन वटी का प्रयोग कर सकते हैं। यह लाभदायक होती है।


बहुत पसीना आने पर कुटजघन वटी से लाभ


  • कई लोगों को शरीर से बहुत पसीना निकलता है। ऐसी परेशानी में भी कुटजघन वटी का इस्तेमाल लाभ पहुंचाता है।
  • इसके अलावा कुटजघन वटी का इस्तेमाल जीवाणु के संक्रमण, डिहाइड्रेशन सहित अन्य रोगों में भी किया जाता है।
  • इन लोगों को कुटजघन वटी का प्रयोग नहीं करनी चाहिएः-

    • सिर की गंभीर चोट वाले लोग
    • फेफड़े में ट्यूमर वाले रोगी
    • मानसिक विकार से ग्रस्त मरीज
    • एलर्जी से पीड़ित होने पर

    इन समस्याओं की स्थिति में कुटजघन वटी का सेवन नहीं करना चाहिए।

  • कुटजघन वटी का सेवन इतनी मात्रा में करना चाहिएः-

    250-500 मि.ग्रा.

  • कुटजघन वटी की दो गोली से चार गोली दिन में तीन से चार बार गुनगुने पानी से ली जा सकती है ।

    बच्चों एवं वृद्धों को एक से दो गोली दिन में दो से तीन बार दी जा सकती है ।


  • कुटजघन वटी के बारे में ‘सिद्ध योग संग्रह’ नामक आयुर्वेदिक ग्रंथ के अतिसार-प्रवाहिका–ग्रहणी रोग संबंधित अध्याय में उल्लेख मिलता है।

अन्य रोगों में लाभकारी कुटजघन वटी 

  1. कुटजघन वटी का सेवन करने से शारीरिक सूजन (सर्वांग शोथ) दूर होता है ।
  2. कुछ लोगों को बहुत ज्यादा पसीना आता है । बहुत ज्यादा पसीना आने की समस्या को दूर करने के लिए कुटजघन वटी का सेवन किया जा सकता है ।
  3. कुटजघन वटी में एंटीबैक्टीरियल गुण मौजूद होते हैं जिस कारण यह बैक्टीरिया से होने वाले संक्रमण को दूर करने में लाभदायक होती है ।
  4. कुटजघन वटी मल में आव या म्यूकस को बनने से रोकती है 
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