8.2.20

पेट और कमर की चर्बी कम करने के उपाय और उपचार,pet kamar ki charbi



कमर और पेट के आसपास जरूरत से ज्यादा चर्बी का जमना लोगों के लिए चिंता का विषय बनता जा रहा है, पेट की चर्बी दूसरों को ना सिर्फ देखने में खराब लगती है बल्कि यदि यह जरूरत से ज्यादा बढ़ जाए तो इससे कई तरह की बीमारियां होने का खतरा भी अधिक हो जाता है। पेट के चारों ओर जमा हो रही चर्बी के कारण ब्लड प्रेशर, हृदय रोग और शुगर जैसी बीमारियां हो सकती हैं। यदि आप भी अपने पेट और कमर के चारों ओर बढ़ रही चर्बी से परेशान हैं तो आज हम हेल्थअनबॉक्स के इस लेख में जानेंगे कि कैसे आप पेट और कमर की चर्बी कम करने के घरेलू उपाय और तरीकों को अपनाकर अपने पेट और कमर की चर्बी को कम कर सकते हैं और पेट और कमर कम करने के तरीके अपनाकर उसे बढ़ने से भी रोक सकते हैं।
पेट पर जमे अतिरिक्त फैट को कम करना थोड़ा मुश्किल जरूर है लेकिन नामुमकिन नहीं है। सही समय पर संतुलित आहार और व्यायाम कर आसानी से घर पर ही पेट और कमर की चर्बी को कम किया जा सकता है। क्या आप जानते हैं? मोटापे के भी दो प्रकार होते हैं, जी हां… कुछ लोग सिर से लेकर पांव तक मोटे होते हैं, कहने का मतलब उनका पूरा शरीर ही वजनदार और मोटापा से ग्रस्त होता हैं। लेकिन कुछ लोग केवल अपने मोटापे का कारण अपने टमी फैट को मानतें हैं मतलब इनका मोटापा केवल इनके पेट पर दिखता है। जिसका मुख्य कारण उनका खानपान और लाइफस्टाइल होती है जिसे वह चाहकर भी छोड़ नहीं पाते हैं।
बेल्ली फैट कम करने के उपाय अनेक हैं आपने टीवी पर पेट और कमर की चर्बी घटाने और मोटापा कम करने के एड जरूर देखें होगें। जिसमें खाने पीने से लेकर कई तरह की एक्सरसाइजया स्वेट स्लिम बेल्ट  के बारे में दिखाया जाता है। लेकिन पेट और कमर की चर्बी कम करने के ये सारे उपाय काफी मंहगे होते हैं और कुछ सही से काम नहीं करते या किसी के साइड इफेक्ट्स होते हैं। ऐसे में अगर आप बिना पैसे खर्च किये पेट और कमर कम करने के तरीके खोज रहें हैं तो हम आपको घर में ही कुछ आसान उपायों से पेट की चर्बी घटाने मोटापा कम करने और कमर की चर्बी कम करने के घरेलू उपाय  बता रहे हैं।


जब भी बात पेट और कमर पर जमा चर्बी को कम करने की आती है तो लोग इसके लिए इंटरनेट पर घरेलू उपाय ढूंढने लगते हैं, लेकिन कमर और पेट कम कैसे करें में केवल घरेलू उपाय ही कारगर नहीं हैं इसके लिए आपको कुछ कारगर पेट और कमर कम करने के तरीके अपनाने होंगे जिनमें योग व्यायाम और सही डाइट शामिल है। आज हम आपको इन्हीं चीजों के बारे में बताएंगे यदि आप सच में अपने बड़े हुए पेट को कम करना चाहते हैं और अपनी कमर का साइज घटाना चाहते हैं तो इन्हें नियमित रूप से करें, केवल एक-दो दिन इन्हें कर लेने से आपको मनचाहे परिणाम प्राप्त नहीं होंगे।
यह तो आपको पता है कि मोटापा दिन-ब-दिन बढ़ती एक समस्या बनती जा रही है। कमर और पेट कम कैसे करें इसे जानने से पहले हमें यह जानना होगा की आखिर पेट और कमर के आसपास चर्बी का जमाव क्यों होता है। इसलिए हम कमर और पेट कम करने के उपायों को जानने से पहले यह जान लेते हैं कि आखिर यह समस्या होती क्यों है और इसके मुख्य कारण क्या है।
यदि कमर और पेट के आसपास थोड़ी मात्रा में चर्बी एकत्रित हो जाती है तो इससे कोई घाटा नहीं है, क्योंकि एक निश्चित मात्रा में जमा हुई चर्बी (वसा) हमारे शरीर के लिए कुशन की तरह कार्य करती है। जिससे हमारी हड्डियां सुरक्षित रहती हैं, साथ ही यह हमारे शरीर के अंदरूनी अंगों को भी सुरक्षा प्रदान करती है। लेकिन जब यही चर्बी जरूरत से ज्यादा बढ़ने लगती है तो कई बीमारियां हमें होने लगती हैं। इसलिए हम सबसे पहले इसी बात पर चर्चा करने वाले हैं कि आखिर हमारे शरीर में अतिरिक्त चर्बी के जमने के मुख्य कारण कौन से हैं।

खराब पाचन तंत्र

जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती जाती है हमारा पाचन तंत्र धीरे-धीरे कमजोर होता जाता है, इससे हमारे शरीर में गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सिस्टम भी प्रभावित होने लगता है जिसके कारण पेट और कमर के आसपास चर्बी बढ़ने लगती है |

अनुवांशिकता

कई वैज्ञानिक शोधों से यह जानकारी प्राप्त हुई है कि शरीर में कुछ फेट सेल का डेवलपमेंट अनुवांशिक तौर पर होता है, कहने का मतलब यह है कि यदि आपके परिवार में किसी को मोटापे की परेशानी है या कोई शरीर में अधिक चर्बी जमने की समस्या का शिकार है, तो अधिक चांस है कि आपको भी इस तरह की समस्या का सामना करना पड़े । लेकिन यह हर जगह लागू नहीं होता एक अच्छी लाइफ स्टाइल और डाइट के साथ आप इसे बदल भी सकते हैं।

हार्मोनल असंतुलन

पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में हार्मोनल बदलाव अधिक देखे जाते हैं। महिलाओं के जीवन में ऐसी कई स्थितियां आती हैं जब उन्हें अपने शरीर में हार्मोन में बदलाव देखने को मिलते हैं। इस तरह के बदलाव मुख्यतः प्रेग्नेंसी के समय और किसी महिला के जीवनकाल के मध्य पड़ाव लगभग 40 साल के आसपास पहुंच चुकी महिलाओं में देखे जाते हैं। इस समय उनके शरीर का वजन तेजी से बढ़ने लगता है और कमर और पेट के आसपास की चर्बी भी उतनी ही तेजी से जमा होने लगती है । यह स्थिति रजोनिवृत्ति के दौरान देखने को मिलती है जिसका कारण एस्ट्रोजन हार्मोन के स्तर में कमी या बढ़ोतरी मानी जाती है। यही कारण है कि महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन के कारण कमर और पेट के आस-पास अतिरिक्त चर्बी जमा हो जाती है।

अधिक तनाव

आज के समय में तनाव होना बड़ी ही आम बात है तनावग्रस्त व्यक्ति एक के बाद एक बहुत सारी बीमारियों से घिरता चला जाता है और उन्हें बीमारियों में से एक है चर्बी का बढ़ना जिसके कारण ही उसे और कई बीमारियां घेर लेती है। अधिक तनाव के कारण हमारे ब्लड में कॉर्टिसोल नामक हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है। कोर्टिसोल हार्मोन शरीर में अतिरिक्त वसा को जमा करने का भी कारण हो सकता है, क्योंकि यह शरीर में बसा के स्तर को बढ़ा देता है, जिससे वसा कोशिकाएं बड़ी हो जाती है। इसलिए अधिक तनाव लेने के कारण व्यक्तियों में धीरे-धीरे पेट के आसपास और अन्य जगहों पर चर्बी एकत्रित होने लगती है | अगर आपके खानपान की आदतें सही नहीं हैं तो तनाव और भी बुरा परिणाम दे सकता है। क्योंकि आमतौर पर लोग तनाव में होने पर कुछ न कुछ खाते रहते हैं। जिससे उनके पेट पर चर्बी जमा होने लगती है।

मांसपेशियों में कमजोरी

जब हमारे पेट के आसपास की मांसपेशियां ढीली और कमजोर होने लगती हैं तो इस जगह चर्बी बढ़ना शुरू हो जाती है।

अधिक समय तक बैठकर काम करने की आदत


आज के आधुनिक दौर में हर चीज को बैठे-बैठे किया जा सकता है, इससे हमारा जीवन तो आसान हो गया है लेकिन हमारी शारीरिक गतिविधियां बहुत ही कम हो गई है, जिसका परिणाम हम अपने शरीर पर चर्बी को एकत्रित होता देख सकते हैं। आप चाहे घर में हो या फिर ऑफिस में हो अधिक देर तक एक ही जगह बैठे रहना और काम करते रहना कहीं ना कहीं पेट और कमर पर जम रही अतिरिक्त चर्बी का कारण हो सकता है। कंप्यूटर पर बैठकर अधिक देर काम करना भी शरीर में चर्बी बढ़ने का एक कारण हो सकता है। पेट की चर्बी बढ़ने के कारण में हमारे बैठने का तरीका भी बहुत असर डालता है। हमेशा कमर झुकाकर या पेट बाहर निकाल कर बैठना पेट और कमर पर चर्बी (फैट) के जमा होने का कारण बन सकता है।

कम प्रोटीन और ज्यादा कार्बोहाइड्रेट लेना

हर व्यक्ति दिन भर कुछ ना कुछ खाता रहता है लेकिन हम अपने खाने के बारे में ज्यादा सोचते नहीं हैं। कभी-कभी हम काम के प्रेशर में या फिर किसी स्ट्रेस में जरूरत से ज्यादा खा लेते हैं या फिर किसी पार्टी या खास समय में बाहर खाने जाने पर हम बिना सोचे समझे कुछ भी खा लेते हैं। जब हम खाने में मौजूद पोषक तत्वों पर ध्यान नहीं देते तो कहीं ना कहीं यह चीजें हमें नुकसान पहुंचाती हैं यदि हमारे खाने में प्रोटीन कम होगा और कार्बोहाइड्रेट और फैट की मात्रा अधिक होगी तो यह आगे चलकर कमर व पेट के आसपास चर्बी बढ़ाने का काम करेगा।

अन्य बीमारियां

कुछ ऐसी बीमारियां होती हैं जिनके कारण मोटापा बढ़ने लगता है यदि व्यक्ति इन बीमारियों की चपेट में आता है तो उसके शरीर में चर्बी का स्तर बढ़ने लगता है महिलाओं में इस प्रकार की समस्या ज्यादा होती है इन बीमारियों में मुख्यतः शुगर, ब्रेस्ट कैंसर या ह्रदय से जुड़ी बीमारियां होती हैं। थायराइड और उच्च रक्तचाप भी कभी-कभी पेट के आसपास चर्बी बढ़ने की आशंका बढ़ा सकता है।

कम नींद लेना

मोटापा बढ़ें का एक कारण नींद में कमी हो सकती है। पर्याप्त नींद (7-8 घंटे) न लेने से भूख बढ़ाने वाले हार्मोन (ghrelin) का उत्पादन बढ़ जाता है। जो शरीर में शर्करा और फैट बढ़ाने वाले भोजन का संरक्षण करता है। रात में पूरी नींद न लेने से कॉर्टिसोल हार्मोन का स्तर भी बढ़ जाता है जो पेट और कमर की चर्बी बढ़ने का कारण हो सकता है।

संतुलित मात्रा में खाएं

दिनभर में केवन तीन बार खाने से हमारा पाचन तंत्र ठीक तरह से से काम नहीं कर पाता है। इसलिए, पेट और कमर की चर्बी कम करने के लिए पूरे दिन भर में 5 से 6 बार में थोड़ा-थोड़ा खाते रहें।

नींबू पानी से करें दिन की शुरुआत

पेट की चर्बी कम करने के लिए सुबह खाली पेट एक ग्लास गुनगुने पानी में आधा नींबू निचोड़कर पिएं। इसमें शहद मिलाकर पीने से अधिक फायदा होगा। ऐसा करने से मेटाबॉलिजम तेज होता है और फैट्स जल्दी बर्न होता है।

अधिक फल व सब्जियां खाएं

दिनभर में थोड़ी-थोड़ी मात्रा में फल व सब्जियों का सेवन करते रहना चाहिए। इससे भूख कम लगेगी और पेट और कमर की चर्बी कम करने में मदद मिलेगी।

अधिक पानी पिएं

दिनभर में 8 से 10 गिलास पानी पीना सेहत के लिए जरूरी है। यदि आप पेट और कमर की चर्बी कम करना चाहते हैं तो 2-3 लीटर पानी पीना शुरू कर दें। दिनभर में तय समय पर थोड़ा-थोड़ा पानी पीते रहें। पानी पीने से ज्यादा खाने की आदत कम हो सकती है।

नाश्ता करना न भूलें

दिनभर एनर्जी बनाये रखने के लिए हेल्दी नाश्ता जरूरी है। पेट की चर्बी को कम करने के लिए नाश्ता करना न भूलें। कुछ लोग मानते हैं कि नाश्ता नहीं करने से वजन कम होता है, जबकि ऐसा नहीं है। होता इससे उल्टा है, नाश्ता न करने से हमारी भूख बढ़ती है और हम लंच में ज्यादा खा लेते हैं, जिससे इसे पचाने में दिक्कत होती है और वजन बढ़ने की समस्या होने लगती है।

 पूरी नींद सोना 

पेट और कमर की चर्बी को कम करने के लिए पूरी नींद सोना भी जरूरी है। हर किसी को चाहे वह वजन कम करना चाहता हो या फिट रहना सभी को सात से आठ घंटे की नींद लेनी ही चाहिए। कम नींद के साथ ही ज्यादा सोना भी वजन बढ़ने का अहम कारण हैं। जब आप पूरी नींद सोते हैं, तो आपका पाचन तंत्र ठीक से काम करता है और भोजन सही से पचाता है।
  • पायरिया के घरेलू इलाज
  • चेहरे के तिल और मस्से इलाज
  • लाल मिर्च के औषधीय गुण
  • लाल प्याज से थायराईड का इलाज
  • जमालगोटा के औषधीय प्रयोग
  • एसिडिटी के घरेलू उपचार
  • नींबू व जीरा से वजन घटाएँ
  • सांस फूलने के उपचार
  • कत्था के चिकित्सा लाभ
  • गांठ गलाने के उपचार
  • चौलाई ,चंदलोई,खाटीभाजी सब्जी के स्वास्थ्य लाभ
  • मसूड़ों के सूजन के घरेलू उपचार
  • अनार खाने के स्वास्थ्य लाभ
  • इसबगोल के औषधीय उपयोग
  • अश्वगंधा के फायदे
  • लकवा की चमत्कारी आयुर्वेदिक औषधि वृहत वात चिंतामणि रस
  • मर्द को लंबी रेस का घोडा बनाने के अद्भुत नुस्खे
  • सदाबहार पौधे के चिकित्सा लाभ
  • कान बहने की समस्या के उपचार
  • पेट की सूजन गेस्ट्राईटिस के घरेलू उपचार
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  • लकवा (पक्षाघात) के आयुर्वेदिक घरेलू नुस्खे
  • डेंगूबुखार के आयुर्वेदिक नुस्खे
  • काला नमक और सेंधा नमक मे अंतर और फायदे
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  • पाइल्स (बवासीर) के घरेलू आयुर्वेदिक नुस्खे
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  • चिरायता के चिकित्सा -लाभ
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  • 30.1.20

    बाहर निकली तोंद को 30 दिन मे अंदर करने के उपचार



    पेट की चर्बी लोगों की सबसे बड़ी समस्या है। कुछ लोग तुरंत स्लिम होने के लिए दवाओं का सहारा लेते हैं। ये दवाएं कुछ समय के लिए तो फायदा पहुंचाती हैं, लेकिन बाद में इसके ढेरों साइड इफेक्ट भी देखने को मिलते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार पेट पर जमा चर्बी न सिर्फ आपकी सुंदरता को बिगाड़ती है, बल्कि कई बीमारियों को बुलावा भी देती है। इसलिए चर्बी कम करके खुद को फिट रखना बेहद जरूरी है। फिट रहने के लिए घर में किए जाने वाले कुछ उपाय आपकी मदद कर सकते हैं।
    व्यस्तता और बिगड़ते खान-पान के कारण, लोगों का शरीर बेडोल होता जा रहा है। इससे कई बार उन्हें शर्मिन्दगी भी उठानी पड़ती है। ऐसे में वे सोचते हैं, कि ऐसा कोई तरीका मिल जाए, जिसे अपनाकर वह एक महीने में ही फिट हो जाएं और उनका फिगर शेप में आ जाए।
    व्यायाम जल्फिदी फिट होने और स्वस्थ शरीर को प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण तरीका है। हालांकि, प्रमुख परिणाम देखने के लिए 30 दिन पर्याप्त समय नहीं है।
    कई लोग फैट को कम करने के लिए जिम जाते हैं, वहीं कुछ दवाईयों का सहारा लेते हैं। जिनके बहुत से साइड इफैक्ट होते हैं। अपनी बॉडी को अच्छा शेप देने के लिए शरीर के किसी एक हिस्से पर नहीं, बल्कि पूरे शरीर पर मेहनत करनी होगी।

    कार्डियोवैस्कुलर एक्टिविटी
    अच्छे परिणामों के लिए, अपनी दैनिक एक्सरसाइज में कार्डियोवैस्कुलर एक्टिविटी शामिल करें। इसमें 30 मिनट की जॉगिंग, साइकिल चलाना, लंबी पैदल यात्रा, तैराकी या खेल खेलना शामिल हो सकता है। अपने पसंदीदा कार्डियोवैस्कुलर एक्टिविटी के साथ कसरत करें या हर दिन कुछ अलग करने की कोशिश करें। फिटनेस के लिए अपने समय में एक विशिष्ट समय निर्धारित करने से आपको प्रतिबद्ध रहने में मदद मिलेगी।

    स्ट्रेंथ ट्रेनिंग 
    इसके अलावा, प्रत्येक सप्ताह कम से कम दो दिन की स्ट्रेंथ ट्रेनिंग को शामिल करें। आप वेट का उपयोग कर सकते हैं – जैसे डम्बल या एक बारबेल – या बस अपने शरीर के वजन को इस्तेमाल करने दें। बॉडी-वेट स्ट्रेंथ ट्रेनिंग के कुछ उदाहरणों में पुश-अप्स, पुल-अप्स, चेयर डिप्स, प्लांक, क्रंचेज, स्क्वेट्स, लंग्स और वॉल-सिट्स शामिल हैं। एक साथ में, ये एक्सरसाइज एक पूर्ण शरीर की कसरत का प्रोग्राम बनाती हैं जो आप कहीं भी कर सकते हैं।
    कुछ ऐसी एक्सरसाइज हैं, जो आपको फैट से फिट बनाने में मदद करेंगी। नीचे जानिए वजन घटाने वाली कुछ ऐसी ही एक्सरसाइज के बारे में।
    कोबरा एक्सरसाइज 
    कोबरा एक्सरसाइज को आप कमर को पतली करने के लिए कर सकते हैं। एक महीने लगातार इसे करने से आपका बैली फैट घट जाएगा, जिसके बाद आप स्लिम-ट्रिम नजर आएंगे।
    कोबरा एक्सरसाइज करने के लिए अपने पैरों को जोड़कर पेट के बल लेट जाएं।
    अब कोहनी से अपनी बाहों को मोड़ें और एक सीधे कोण पर अपने हाथों के साथ अपना बैलेंस बनाने की कोशिश करें।
    अब सांस लेते हुए कमर को झुकाएं और सिर को होल्ड करते हुए धड़ को खींचें। सैकंड के लिए इसी स्थिति में रहें।
    इसके बाद धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए शरीर को ढीला छोड़ें और नीचे ले आएं। इस एक्सरसाइज को लगातार एक महीने तक करने से आप फैट से फिट होते दिखाई देंगे।
    कैंडलस्टिक एक्सरसाइज 

    कैंडलस्टिक एक्सरसाइज पेट को शेप में लाने के लिए की जाती है। एक महीने में फैट से फिट होने के लिए ये शानदार एक्सरसाइज है, जिसके बारे में अभी बहुत कम लोग जानते हैं।
    इसे करने के लिए सबसे पहले पीठ के बल लेट जाएं।
    अब अपनी टांगों को घुटनों से मोड़ते हुए छाती पर रखें।
    अब धीरे-धीरे अपने दोनों पैरों को ऊपर की ओर उठाते हुए अपनी कमर को दोनों हाथों से सहारा दें। इस स्थिति में 30-50 सैकंड रहें और फिर पहले की स्थिति में आ जाएं। इस प्रक्रिया को कुछ मिनट तक बार-बार दोहराते रहें।
    बर्ड डॉग एक्सरसाइज

    बर्ड डॉग एक्सरसाइज आपके कमर के पीछे वाले हिस्से को टारगेट करती है। इससे आपकी कमर के पीछे और साइड वाली चर्बी कम होती है। कमर को पतला करने के लिए यह जरूरी होता है, कि पेट की चर्बी को कम करने के साथ
    कमर के पीछे वाले फैट को भी कम किया जाए। इस लिहाज से यह एक्सरसाइज बहुत फायदेमंद है।
    इस एक्सरसाइज को करने के लिए सबसे पहले डॉग की पोशिशन ले लें।
    इसके बाद अपनी दाएं बाजू को सीधा करें और बाएं पैर को सीधा करें।
    दो सैंकड तक इसी स्थिति में रहें और फिर वापस पहले वाली पोजीशन में आ जाएं।
    इसी तरह अब दाएं बाजू को सीधा करें और दाएं पैर को सीधा करें और फिर नॉर्मल पोजीशन में आ जाएं। आपको ऐसा 20 बार करना है।
    अगले हफ्ते बाजू और पैर को सीधा करने के बाद रूकने वाले समय को चार सैकंड के लिए बढ़ा दें। ऐसे करते हुए चौथे हफ्ते में 8 सैकंड तक रूकें।
    यह एक्सरसाइज आपके पेट के लिए बहुत अच्छी है। ये आपके पेट के साइड और सामने वाले हिस्से को टारगेट करती है। एक महीने तक रशियन ट्विस्ट एक्सरसाइज करने से आपके पूरे पेट पर जम रही चर्बी कम हो जाती है और पेट की सभी मांसपेशियां मजबूत हो जाती हैं।
    इस एक्सरसाइज को करने के लिए सबसे पहले दोनों पैरों को आगे करके सीधे बैठ जाएं।
    अब टांगों को घुटनों से थोड़ा सा मोड़ लें और पैरों को हवा में उठा लें।
    अब अपने हाथों में कोई चीज पकड़ लें, जैसे कि बोतल।
    अपने पैरों को इसी स्थिति में रखें और जो चीज आपने अपने हाथ में पकड़ी है, उसे एक बार लेफ्ट और दूसरी बार राइट में ले जाएं।
    एक बार लेफ्ट और एक बार राइट ले जाकर एक गिनें। ऐसा 12 बार करें। इसके बाद थोड़ा रेस्ट करें और एक बार फिर इस एक्सरसाइज को दोहराएं। पहली बार इस एक्सरसाइज के तीन राउंड करें।

    चेस्ट प्रेस एक्सरसाइज 


    फिट रहने के लिए चेस्ट को भी शेप में लाना बहुत जरूरी है। इसके लिए आप चेस्ट प्रेस एक्सरसाइज कर सकते हैं। यह एक्सरसाइज चेस्ट के सामने मांसपेशियों को मजूबत करने के लिए की जाती है। इसे करने के लिए अपने दोनों हाथों में
    डंबल पकड़कर पीठ के बल लेट जाएं और घुटनों को मोड़ लें।
    अब अपर आर्म को शरीर के साथ सीधा और फोरआम्र्स को फर्श के साथ सीधा करें।
    धीरे-धीरे अपने ऊपर वजन डालें, तब तक जब की आपकी कोहनी सीधी रहे। चेस्ट को शेप देने के लिए यह एक्सरसाइज बेस्ट है।
    एक महीने में वजन कम करने वाले लोगों के लिए ग्रीन टी
    सबसे अच्छा घरेलू उपाय है। ग्रीन टी के नियमित सेवन से वजन को मेंटेन करने में मदद मिलती है। दरअसल, ग्रीन टी में पॉलीफेनाल्स पाए जाते हैं, जो फैट बर्न करने में सहायक हैं। इसे बनाने के लिए एक कप गर्म पानी में एक चम्मच ग्रीन टी मिलाएं। इसमें शक्कर नहीं डालनी है, इसलिए मिठास लाने के लिए चाहें, तो थोड़ा सा शहद मिला सकते हैं। एक महीने तक दिन में दो से तीन बार ग्रीन टी पीने से आपका वजन तेजी से कम होगा और आप बन जाएंगे एकदम फिट एंड फाइन।
    तेजी से स्लिम होने वाले लोगों के लिए काली मिर्च बेहतर घरेलू नुस्खा है। इसमें पेपरिन नामक यौगिक होता है, जिससे इसे तीखा स्वाद मिलता है। पेपरीन में वसा को कम करने वाले गुण होते हैं, जो वजन कम करने में आपकी मदद कर सकते हैं। आप रोजाना अपनी चाय में या खाने में एक चम्मच काली मिर्च का इस्तेमाल कर सकते हैं। एक महीने के अंदर आपका पेट तुरंत अंदर हो जाएगा और आप फिट दिखने लगेंगे।
    दालचीनी का उपयोग वजन कम करने के लिए किया जाता है। इसका उपयोग करने के लिए एक गिलास गर्म पानी में दो चम्मच दालचीनी का पाउडर मिलाएं। इसमें आधे नींबू
    का रस मिलाएं और फिर इस मिश्रण में थोड़ा सा शहद मिलाएं और पी जाएं। एक महीने में फैट से फिट होने का यह बहुत शानदार घरेलू तरीका है। हर दिन सुबह खाली पेट इस मिश्रण को पीने से आपको बहुत फायदा होगा।
    लहसुन एक जड़ी -बूटी है, जो आपको प्राकृतिक रूप से वजन कम करने में मदद करती है। इसमें पाई जाने वाली नेचुरल एंटी ओबेसिटी प्रॉपर्टी के कारण तेजी से वजन घटाया जा सकता है। इसके लिए आपको हर दिन अपने सब्जी या किसी डिश में एक से दो चम्मच किसा हुआ लहसुन मिलाना होगा। आप चाहें, तो लहसुन की कलियों को सीधे चबा भी सकते हैं। दिन में तीन बार ऐसा करने से फैट बहुत जल्दी कम हो जाएगा और आप एक फ्लैट टमी पा सकेंगे।
    कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो बिना डाइटिंग और कड़ी मेहनत के एकदम फिट बने रहते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार दुबले लोग हर दिन कुछ ऐसी आदतें अपनाते हैं, जिसकी वजह से उनकी बॉडी में एकस्ट्रा फैट या तो जमा नहीं होता या होता भी है, तो जल्दी घुल जाता है। नीचे हम आपको कुछ ऐसे ही टिप्स बता रहे हैं, जिसे अपनी लाइफस्टाइल में अपनाकर आप एक महीने में फैट से फिट बन सकते हैं।
    फिट रहने के लिए सुबह उठकर एक गिलास पानी पीएं। इससे बॉडी डिटॉक्स होती है, डाइजेशन अच्छा होता है और मेटाबॉलिज्म ठीक रहता है, जिससे मोटापा नहीं बढ़ता।
    स्लिम बॉडी पाने के लिए रोजाना एक्सरसाइज करना अच्छा विकल्प है। इससे ब्लड सकुर्लेशन अच्छा होता है। इतना ही नहीं लगातार एक महने तक एक्सराइज करने से मसल्स टाइट होने के साथ एक्स्ट्रा फैट और कैलोरी बर्न होती है, जिससे बॉडी फिट होती है।
    नियमित रूप से ब्रेकफास्ट करने से आपकी बॉडी हमेशा फिट रहेगी। सुबह उठने के आधे घंटे के भीतर ब्रेकफास्ट ले लेना चाहिए। हेल्दी ब्रेकफास्ट करने से दिन की हेल्दी शुरूआत होती है, जिससे लंच में ज्यादा कैलोरी लेने की जरूरत नहीं पड़ती।
    रोजाना अपनी डाइट में प्रोटीन और अनाज शामिल करें। इससे पेट ज्यादा देर तक भरा रहता है, जिससे बार-बार भूख लगने की संभावना कम हो जाती है।
    एक महीने मीठा खाने से परहेज करें। शक्कर में फ्रुक्टोज होता है, जो बॉडी में फैट बढ़ाता है।
    अपने दिनभर की डाइट में फल-सब्जियों को शामिल करें। इससे पेट की सफाई होती है, कैलोरी इंटेक कम होता है और डाइजेशन भी अच्छा रहता है।
    एक महीने में फैट से फिट होने के लिए लिफ्ट का इस्तेमाल न करें। इसके बजाए सीढ़ियों से चढ़ें-उतरें। ऐसा करने से एक महीने के अंदर आप खुद में एक अलग बदलाव पाएंगे।
    चबा-चबाकर खाना खाएं। हर बाइट को कम से कम तीस सैकंड तक चबाएं। इससे खाना अच्छे से पचता है और बॉडी में फैट जमा होने की संभावना बहुत कम हो जाती है।
    रोजाना छह से आठ घंटे की नींद लेने से भी फिट बना जा सकता है। इससे भूख नियंत्रित रहती है और हाई कैलोरी फूड खाने की इच्छा भी कम हो जाती है।
    अपनी लाइफस्टाइल में इन छोटी-छोटी आदतों को सिर्फ एक महीने अपनाकर देखें। इन टिप्स या आदतों को अपनाने से कैलोरी बर्न होगी, बॉडी में फैट जमा नहीं होगा और आप सफलतापूर्वक फैट से फिट बन जाएंगे।
    फिटनेस का एक महीना आपमें स्वस्थ आदतों का निर्माण करेगा, जो लंबे समय तक रहेगा। हो सकता है कि 30 दिनों में शरीर में होने वाले परिवर्तन मामूली हों, हालांकि ये सबके अलग-अलग बॉडी टाइप पर निर्भर करता है, लेकिन मन और शरीर को मजबूत बनाने में आप सफल होंगे। कार्डियोवस्कुलर एक्सरसाइज और स्वस्थ भोजन की आदतों को अपनाकर आप 30 दिनों के भीतर ज्यादा से ज्यादा एनर्जी, कम तनाव, मजबूत हड्डियों के साथ आत्मविश्वास में मजबूती ला सकते हैं। शारीरिक परिवर्तनों के लिए हर व्यक्ति और शरीर अलग होता है, जो लोग फिटनेस के लिए नए हैं, खासतौर से उन्हें अधिक वजन घटाने की तुलना में शारीरिक बदलाव ज्यादा देखने को मिलेंगे।





    नीम के पानी से नहाने के लाभ



    अक्सर लोग ये जानना चाहते हैं कि नीम के पानी से नहाने से क्या होता है तो आपको बता दें की आयुर्वेद में नीम के पानी से नहाने का अपना एक अलग ही महत्‍व है। ऐसा माना जाता है नीम के पानी में नहाने के फायदे हमारे स्‍वास्‍थ्‍य से जुड़े हुए हैं। ऐसा हो भी क्‍यों ना क्‍योंकि नीम में औषधीय गुण होते हैं जो हमें विभिन्‍न प्रकार के संक्रमण से बचाते हैं। प्राचीन समय से ही नीम के पानी का उपयोग नहाने के लिए किया जा रहा है। नीम में मौजूद एंटी-बैक्‍टीरियल गुण के कारण यह हमारी बहुत सी त्‍वचा समस्‍याओं को दूर करने में मदद करता है।
    नीम के पानी के लाभ इतने हैं कि जिन्‍हें जानकर आप भी नीम का उपयोग किये बिना नहीं रह पाएगें। आइए जाने नीम के पानी से नहाने के लाभ क्‍या हैं।


     त्वचा समस्या-
    नीम का पानी त्वचा समस्याओं के लिए लाभकारी होता है। आपको यह जान कर आश्‍चर्य हो सकता है कि नीम के विभिन्न हिस्‍सों में 140 से अधिक सक्रिय यौगिक होते हैं। जिनके कारण नीम पानी के फायदे हमारी त्‍वचा समस्‍याओं को दूर करने में मदद करते हैं। नीम के पानी का एक और फायदा यह है कि इसमें एंटीमिक्राबियल गुण भी उच्‍च मात्रा में होते हैं। इसका तात्‍पर्य यह है कि नीम के पानी से नहाने के फायदे आपको त्‍वचा संक्रमण से बचा सकते हैं। नीम के पानी का उपयोग विशेष रूप से चिकनपॉक्‍स (छोटी माता) से ग्रसित लोगों के लिए फायदेमंद होता है। यदि आप सोरायसिस या एक्जिमा (Psoriasis vs Eczema) जैसी समस्‍याओं से परेशान हैं तो नीम के पानी से नहाना आपके लिए फायदेमंद हो सकता है।


    तन की बदबू को हटाना
    नीम के उपयोग तन की बदबू को हटाने में किया जा सकता है। यदि आपको या आपके किसी परिचित को इस प्रकार की समस्‍या है तो उन्‍हें नीम के पानी से नहाने की सलाह दी जा सकती है। नीम के पानी से स्‍नान करने से आप शरीर की बदबू को दूर कर सकते हैं। अक्‍सर शरीर के गर्म और नमी युक्‍त भाग जैसे जननांग क्षेत्र या बगल में बैक्‍टीरिया की उपस्थिति के कारण शरीर से बदबू आने लगती है। नीम के पानी में मौजूद एंटी-बैक्‍टीरियल गुण उन बैक्‍टीरिया को नष्‍ट करने और उनके प्रभाव को कम करने में मदद करते हैं। इस तरह से नीम के पानी का इस्‍तेमाल कर आप शरीर की दुर्गंध को दूर कर सकते हैं।


     बालों की समस्‍या -
    जो लोग बालों की समस्‍या से परेशान हैं वे नीम के पानी का उपयोग कर सकते हैं। नीम में पानी में मौजूद औषधीय गुण न केवल आपके बालों को स्‍वस्‍थ्‍य रखता है बल्कि उन्‍हें डैंड्रफ मुक्‍त भी रखता है। यदि आपको भी डैंड्रफ से छुटकारा चाहिए तो नियमित रूप से सप्‍ताह में 2 बार नीम के पानी से स्‍नान करें। यह आपके बालों को प्राकृतिक चमक दिलाने में भी सहायक होता है।

    आंखों की समस्‍याएं-
    आप नीम के पानी का उपयोग अपनी आंखों की समस्‍याएं जैसे आंख की खुजली, आंख आना इत्यादि के लिए कर सकते हैं। नीम के पानी से स्‍नान के दौरान नीम का पानी आपकी आंखों में मौजूद बैक्‍टीरिया को नष्‍ट करने में मदद कर सकता है। ऐसा इसलिए है क्‍योंकि नीम के पानी में एंटी-बैक्‍टीरियल गुण अच्‍छी मात्रा में होते हैं। इस तरह से यह स्‍पष्‍ट होता है कि नीम की पत्तियों को उबाल कर स्‍नान करना आंखों के लिए लाभकारी होता है।


    एंटी-एजिंग गुण-
    आप नीम के पानी का इस्‍तेमाल उम्र बढ़ने संबंधी लक्षणों को कम करने के लिए कर सकते हैं। नीम के पानी में एंटी-एजिंग गुण भरपूर मात्रा में होते हैं। नियमित रूप में नीम के पानी का नहाने के लिए उपयोग करना आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। क्‍योंकि नीम आपकी त्‍वचा को पोषण देने के साथ ही झुर्रियों और डार्क सर्कल्‍स को हटाने में भी सहायक होता है। जिससे आपकी त्‍वचा को पर्याप्‍त मॉइस्‍चराइजिंग और प्राकृतिक चमक मिलती है।
     

    बालों को मजबूत करता है -
    नीम का पानी बाज़ार में उपलब्ध रासायनिक उत्‍पाद जिनका उपयोग आप बालों के लिए करते हैं, उनसे कहीं बेहतर है। नीम का पानी बालों के स्‍वास्‍थ्‍य को बढ़ावा देने वाला प्राकृतिक उत्‍पाद है। इसका उपयोग करने से बालों में किसी प्रकार के दुष्‍प्रभाव नहीं होते हैं। नीम का पानी बालों को मजबूत करता है और इन्‍हें गिरने से बचाता है। इसके अलावा नीम में मौजूद औषधीय गुण रोम छिद्रों को साफ करने और नए बालों को उगाने में मदद करते हैं। इसके लिए आप कुछ नीम की पत्तियों को पानी में उबालें और पानी को ठंडा करने के बाद अपने बालों को धोलें। नीम का पानी सिर की जूँ और लीख को हटाने में भी मदद करता है।

    मांसपेशीय दर्द-
    आप नीम के पानी का उपयोग मांसपेशीय दर्द को कम करने में कर सकते हैं। यह एक आम समस्‍या है जिससे सभी लोग प्रभावित रहते हैं। लेकिन अध्‍ययनों से पता चलता है कि मांसपेशीयों के दर्द को कम करने में गर्म पानी मदद करता है। इसलिए आप नीम की पत्तियों को उबाल कर इस पानी का उपयोग स्‍नान के लिए कर सकते हैं। दर्द को कम करने के लिए नीम का उपयोग कई प्रकार से किया जा सकता है। आप अपने नहाने के पानी में नीम तेल का भी उपयोग कर सकते हैं। नीम का पानी दर्द को कम करने के साथ ही त्‍वचा के लिए भी फायदेमंद होता है।


    गठिया की सूजन -
    कुछ अध्‍ययनों से पता चला है कि नीम के पानी से स्‍नान करने पर गठिया की सूजन को कम किया जा सकता है। नीम का पानी न केवल गठिया की सूजन बल्कि दर्द को भी कम करता है। क्‍योंकि नीम के औषधीय गुणों में दर्दनाशक गुण भी शामिल हैं। नीम शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत और संतुलित बनाने में मदद करता है। इस तरह से नीम का पानी सीधे ही गठिया के प्रभाव और विकास को रोकने में सहायक होता है।

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    सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस(गर्दन का दर्द) के उपचार

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    सेक्स का महारथी बनाने वाले आयुर्वेदिक नुस्खे


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    खीरा ककड़ी खाने के जबर्दस्त फायदे

    महिलाओं मे कामेच्छा बढ़ाने के उपाय

    मुँह सूखने की समस्या के उपचार

    गिलोय के जबर्दस्त फायदे

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    कई बीमारियों से मुक्ति द‍िलाने वाला है गिलोय


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    सफ़ेद मूसली के आयुर्वेदिक उपयोग

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    4.1.20

    समस्त वात रोग नाशक नुस्खे


    वात रोग लक्षण एवं परेशानी


    इस रोग के कारण शरीर के सभी छोटे-बडे जोडो व मांसपेशियों में दर्द व सूजन हो जाती है। गठिया में शरीर के एकाध जोड़ में प्रचण्ड पीड़ा के साथ लालिमायुक्त सूजन एवं बुखार तक आ जाता है। यह रोग शराब व मांस प्रेमियों को सामान्य व्यक्तियों की अपेक्षा जल्दी पकड़ता है। यह धीरे-धीरे शरीर के सभी जोड़ों तक पहुँचता है। संधिवात उम्र बढ़ने के साथ मुख्यतः घुटनों एवं पैरों के मुख्य जोड़ों को क्रमशः अपनी गिरफ्त में लेता हैं।
    वात रोग की शुरूआत धीरे-धीरे होती है। शुरू में सुबह उठने पर हाथ पैरों के जोडा में कड़ापन महसूस होता है और अंगुलियाँ चलाने में परेशानी होती है। फिर इनमें सूजन व दर्द होने लगता है और अंग-अंग दर्द से ऐंठने लगता है जिससे शरीर में थकावट व कमजोरी महसूस होती है। साथ ही रोगी चिड़चिड़ा हो जाता है। इस रोग की वजह सेे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम पड़ जाती है। इसी के साथ छाती में इन्फेक्शन, खांसी, बुखार तथा अन्य समस्यायें उत्पन्न हो जाती है। साथ ही चलना फिरना रुक जाता है।


    इन सबसे खतरनाक कुलंग वात होता है। यह रोग कुल्हे, जंघा प्रदेश एवं समस्त कमर को पकड़ता है एवं रीढ़ की हड्डी को प्रभावित करता है। इस रोग में तीव्र चिलकन (फाटन) जैसा तीव्र दर्द होता है और रोगी बेचैन हो जाता है, यहाँ तक कि इसमें मृत्यु तुल्य कष्ट होता है। यह रोग की सबसे खतरनाक स्टेज होती है ।इस का रोगी दिन-रात दर्द से तड़पता रहता है और कुछ समय पश्चात् चलने-फिरने के काबिल भी नहीं रह जाता है। वह पूर्णतया बिस्तर पकड़ लेता है और चिड़चिड़ा हो जाता है।
    भले ही आपको यकीन न हो, लेकिन सिर्फ एक दवा का प्रयोग कर आप 80 प्रकार के वात रोगों से बच सकते हैं। जी हां, इस दवा का सेवन करने से आप कठिन से कठिन बीमारियों से पूरी तरह से निजात पा सकते हैं। अगर आपको भी होते हैं वात रोग, तो पहले जानिए इस चमत्कारिक दवा और इसकी प्रयोग विधि के बारे में...
    विधिः
    200 ग्राम लहसुन छीलकर पीस लें। अब लगभग 4 लीटर दूध में लहसुन व 50 ग्राम गाय का घी मिलाकर गाढ़ा होने तक उबालें। फिर इसमें 400 ग्राम मिश्री, 400 ग्राम गाय का घी तथा सौंठ, काली मिर्च, पीपर, दालचीनी, इलायची, तमालपात्र, नागकेशर, पीपरामूल, वायविडंग, अजवायन, लौंग, च्यवक, चित्रक, हल्दी, दारूहल्दी, पुष्करमूल, रास्ना, देवदार, पुनर्नवा, गोखरू, अश्वगंधा, शतावरी, विधारा, नीम, सुआ व कौंच के बीज का चूर्ण प्रत्येक 3-3 ग्राम मिलाकर धीमी आंच पर हिलाते रहें। जब मिश्रण घी छोड़ने लगे लगे और गाढ़ा मावा बन जाए, तब ठंडा करके इसे कांच की बरनी में भरकर रखें।
    प्रयोग :
    प्रतिदिन इस दवा को 10 से 20 ग्राम की मात्रा में, सुबह गाय के दूध के साथ लें (पाचनशक्ति उत्तम हो तो शाम को पुनः ले सकते हैं।)परंतु ध्यान रखें, इसका सेवन कर रहे हैं तो भोजन में मूली, अधिक तेल व घी तथा खट्टे पदार्थों का सेवन न करें और स्नान व पीने के लिए गुनगुने पानी का प्रयोग करें।
    इससे पक्षाघात (लकवा), अर्दित (मुंह का लकवा), दर्द, गर्दन व कमर का दर्द,अस्थिच्युत (डिसलोकेशन), अस्थिभग्न (फ्रेक्चर) एवं अन्य अस्थिरोग, गृध्रसी (सायटिका), जोड़ों का दर्द, स्पांडिलोसिस आदि तथा दमा, पुरानी खांसी,हाथ पैरों में सुन्नता अथवा जकड़न, कंपन्न आदि के साथ 80 वात रोगों में लाभ होता है और शारीरिक विकास होता है।
    दवा के प्रयोग से पूर्व, अपनी प्रकृति के अनुसार किसी उत्तम वैद्य की सलाह अवश्य लें।

    वातान्तक बटीः-
    सोंठ,सुहागा,सोंचर गांधी,सहिजन के संग गोली बांधी।
    80वात 84बाय कहै धनवन्तरि जड़  से जाये।।
    विधि: सोंठ 50 ग्राम, सुहागा 50 ग्राम, सोंचर (काला नमक) 50 ग्राम, गांधी(हींग) 50 ग्राम, सहिजन (मुनगा) की छाल का रस आवश्यकतानुसार, सबसे पहले कच्चे सुहागे को पीसकर आग में लोहे के तवे पर डालकर उसे भून लें। वह लाई की तरह फूल जायेगा, फूला हुआ सुहागा ही काम में लें। सोंठ, सुहागा एवं काला नमक को कूट-पीसकर एक थाली में डाल लें। फिर दूसरे बर्तन में सहिजन की छाल का रस लें हींग घोल लें। और उसमें जब हींग घुल जाये तो सहिजन की छाल का रस कुछ दूधिया हो जायेगा। उसमें कुटा-पिसा, सोंठ, काला नमक व सुहागा का पाउडर मिला लें। फिर उसकी चने के आकार की गोली बना लें और छाया में सुखाकर बन्द डिब्बे में रख लें। फिर सुबह-दोपहर-शाम दो-दो गोली नाश्ते या खाने के बाद सादा पानी से लें। आपको आराम 10 दिन में ही मिलने लगेगा। कम से कम 30 दिन यह गोलियां लगातार अवश्य खायें तभी पूर्ण लाभ हो पायेगा। यह नुस्खा कई बार का परीक्षित है। इस दवा के द्वारा बवासीर के रोगी को भी अवश्य लाभ मिलता है।


    *वात नाशक चूर्णः-
    चन्दसूर 50 ग्राम, मेथी 50 ग्राम, करैल 50 ग्राम, अचमोद 50 ग्राम, इन चारों दवाओं को कूट-पीसकर ढक्कन वाले डिब्बे में रखें। सुबह नाश्ते के बाद एक चम्मच चूर्ण गुनगुने पानी के साथ लें एवं रात्रि में भोजन के बाद गुनगुने दूध के साथ एक चम्मच लें। यह दवा भी कम से कम 60 दिन लें। निश्चय ही आराम मिलता है।

    वातनाशक काढ़ाः-
    हरसिंगार के हरे पत्ते 20 नग को अधकुचला कर 300 ग्राम पानी में डालकर धीमी आँच में पकायें। जब पानी 50 ग्राम रह जाये, तो आग से उतार लें और कपड़े से छानकर दो खुराक बनायें एक खुराक सुबह नास्ता के पहले गरम-गरम पी लें एवं दूसरी खुराक शाम को आग में हल्का गरम कर पी लें। प्रतिदिन नया काढ़ा ऊपर लिखी विधि से बनायें और सुबह शाम पियें। यह क्रिया 30 दिन लगातार करें। वात रोग में निश्चय ही आराम होगा।

    *गठिया(संधिवात) :-
    आँवला चूर्ण 20 ग्राम, हल्दी चूर्ण 20 ग्राम, असंगध चूर्ण 10 ग्राम, गुड़ 20 ग्राम इन चारों औषधियों को 500 ग्राम पानी में डालकर धीमी आँच में पकाये, जब पानी 100 ग्राम रह जाये तो उसे आग से उतार कर कपड़े या छन्नी से छान लें एवं इस काढ़े की तीन खुराक बनायें। सुबह, दोपहर एवं रात्रि में खाने के बाद पियें। इस प्रकार प्रतिदिन सुबह यह दवा बनायें, लगातार 30 दिन पीने पर गठिया में निश्चित रूप से आराम होता है।
    परहेज-ज्यादा तली हुईं, खट्टी, गरिष्ठ चीजें व चावल आदि दवा सेवन के समय न लंे।

    *गठिया की दवाः-
    सुरंजान 30ग्राम, चोवचीनी 30ग्राम, सोठ 30ग्राम, पीपर मूल 30ग्राम, हल्दी 30ग्राम, आँवला 50ग्राम, इन सब को कूट-पीसकर चूर्ण बनायें और उसमें 100ग्राम गुड़ मिलाकर रख लें। प्रतिदिन सुबह एवं शाम को 10ग्राम दवा में 10ग्राम शहद मिलाकर खायें। सुबह हल्का नाश्ता करने एवं राात्रि में खाना खाने के बाद ही दवा लें। यह दवा लगातार 30दिन लेने से गठिया वात जरूर सही होगा।
    परहेज-खट्टी चीजें, गरिष्ठ चीजें, चावल आदि न लें।

    * वातनाशक तेलः-
    100ग्राम तारपीन का तेल, 30ग्राम कपूर, 10ग्राम पिपरमिण्ट, इन सबको मिलाकर धूप में एक दिन रखें। जब यह सब तारपीन में मिल जाये, तो दवा तैयार हो गई। जिन गाठों में दर्द हो, वहां पर यह दवा लगाकर धीरे-धीरे 15मिनट तक मालिश करें और इसके बाद कपड़ा गरम करके उस स्थान की सिकाई कर दें। एक सप्ताह में ही दर्द में आराम मिलने लगेगा।
    विशिष्ट परामर्श-

    साईटिका रोग मे दामोदर चिकित्सालय रजिस्टर्ड  98267-95656 निर्मित  हर्बल औषधि  सर्वाधिक सफल साबित होती है| बहुमूल्य जड़ी बूटियों की औषधि से पुराना साईटिका रोग भी अतिशीघ्र समाप्त हो जाता है|स्नायुशूल,संधिवात,कमर दर्द, घुटनो की पीड़ा  आदि वात जन्य रोगों मे भी  यह औषधि रामबाण की तरह अचूक असर है|







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    मेथी का पानी पीने के जबर्दस्त फायदे

    25.12.19

    कद्दू के जूस के स्वास्थ्य लाभ



    कद्दू का रस पीने के फायदे ठीक उसी तरह होते हैं जैसे कि किसी औषधीय पेय के होते हैं। आपने अब तक कद्दू के बीज और कद्दू खाने के फायदे सुने होगें। लेकिन अब कद्दू का जूस पीने के लाभ के बारे में भी जान लें। क्‍योंकि यह जूस कोई साधारण पेय नहीं है। कद्दू का रस पीने के फायदे आपको कई बीमारियों से दूर कर सकता है। कद्दू के जूस का उपयोग किडनी को स्‍वस्‍थ रखने, कब्‍ज का इलाज करने, मूत्र संक्रमण को कम करने, उच्‍च रक्‍तचाप को कम करने के लिए लाभकारी होता है। यदि आप कद्दू से बनाए गए जूस के लाभ नहीं जानते हैं तो यह आर्टिकल आपके लिए ही है। इस लेख में आप कद्दू के जूस के फायदे, औषधीय गुण, उपयोग, इस्‍तेमाल और नुकसान संबंधी जानकारी प्राप्‍त करेगें।
    पम्‍पकिन या कद्दू का जूस एक प्रभावी पेय पदार्थ है जिसे कद्दू के गूदे से बनाया जाता है। कद्दू के ऊपरी और कठोर छिलके को हटाया जाता है। फिर कद्दू के गूदे का पेस्‍ट बनाकर पानी के साथ घोलकर कद्दू का जूस तैयार किया जाता है। इस कद्दू के जूस का सेवन करना कई गंभीर और सामान्य स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं को दूर करने में प्रभावी योगदान दे सकता है। आइए विस्‍तार से जाने कद्दू के जूस संबंधी अन्‍य तथ्‍य क्‍या हैं।
    वजन कम करने का सबसे अच्‍छा उपाय

    जब स्‍वास्‍थ्‍य की बात आती है तो कद्दू का जूस एक बेहतरीन विकल्‍प है। यह विटामिन सी, पोटेशियम, मैग्नीशियम और अन्‍य महत्‍वपूर्ण पोषक तत्‍वों से भरपूर है। इसमें कैलोरी कम होती है और कद्दू जूस का लगभग 94 प्रतिशत हिस्‍सा केवल पानी होता है। इसलिए यह शरीर को हाइड्रेट रखने और पाचन संबंधी समस्‍याओं को दूर करने में मदद कर सकता है। आप आपने मन में कद्दू के रस को लेकर किसी प्रकार की शंका न रखें क्‍योंकि यह वजन कम करने का सबसे अच्‍छा उपाय है।


    सामान्‍य रूप से कद्दू के जूस के 1 बड़े कप को दिन में दो बार सेवन किया जा सकता है। यह पेट में एसिड के स्‍तर को बेहतर बनाए रखने और पाचन संबंधी समस्‍याओं को दूर करने में प्रभावी होता है। आप भोजन के बाद भी इस जूस का सेवन कर सकते हैं। हालांकि निर्धारित मात्रा से अधिक कद्दू का जूस पीना आपकी पाचन समस्‍याओं को बढ़ा भी सकता है।
    स्‍वास्‍थ्‍य के साथ ही साथ कद्दू के रस के फायदे त्वचा और बालों के लिए भी होते हैं। इस लेख आपको कद्दू के फल से बनाए गए जूस संबंधी उन सभी लाभों के बारे में बताया जा रहा है। जिन्‍हें जानकर आप भी इस अद्भुद जूस के लाभ प्राप्‍त कर सकते हैं।
    गुर्दे की पथरी या पित्ताशय की समस्‍याएं
    जिन लोगों को गुर्दे की पथरी या पित्ताशय की समस्‍याएं होती हैं उनके लिए कद्दू के रस का सेवन फायदेमंद हो सकता है। किडनी और लिवर संबंधी समस्‍याओं को दूर करने के लिए नियमित रूप से कद्दू के रस का सेवन किया जा सकता है। जो बीमारी को प्रभावी रूप से दूर करने में मदद करता है। कुछ लोगों का मानना है कि 10 दिन तक लगातार कद्दू का रस पीना लिवर और किडनी की समस्‍या को कम करके उन्‍हें हेल्‍थी बना सकता है। आप भी कद्दू के जूस का सेवन कर अपनी किड़नी और लीवर को स्‍वस्‍थ रख सकते हैं।

    पाचन संबंधी समस्‍याओं का प्रभावी उपचार
    पाचन संबंधी समस्‍याओं का प्रभावी उपचार करने के लिए कद्दू का रस एक बेहतर विकल्‍प है। कद्दू के रस में फाइबर की अच्‍छी मात्रा होती है जो पूरे पाचन तंत्र को स्‍वस्‍थ रखने के लिए आवश्‍यक है। कद्दू के रस के लाभ आंतों में चिकनाहट को बढ़ाता है जिससे मल को पारित होने में आसानी होती है। यदि आप भी कब्‍ज और अन्‍य पाचन समस्‍याओं का उपचार करना चाहते हैं तो कद्दू के रस के लाभ प्राप्‍त कर सकते हैं। अच्‍छी बात यह है कि कद्दू के जूस को आप आसानी से घर पर तैयार कर सकते हैं जो कब्‍ज का सबसे अच्‍छा घरेलू उपाय हो सकता है।

    क्‍या आपको पूरी और अच्‍छी नींद लेने में असुविधा होती है। इसका मतलब यह है कि आपको अनिद्रा की समस्‍या है जिसके कारण आप रात में अपनी नींद नहीं ले पा रहे हैं। इस समस्‍या का प्राकृतिक उपचार कद्दू के जूस से किया जा सकता है। अनिद्रा का घरेलू उपचार करने के लिए आप नियमित रूप से कद्दू के रस का सेवन कर सकते हैं। प्रतिदिन आप 1 गिलास कद्दू के रस में थोड़ा शहद मिलाएं और सेवन करें। यह आपकी नसों को आराम दिलाने और मस्तिष्‍क को शांत करने में मदद कर सकता है। जिससे आपको अच्‍छी नींद लेने में आसानी हो सकती है।
    कद्दू के जूस का सेवन करे रक्‍तचाप नियंत्रित
    जिन लोगों को उच्‍च रक्‍तचाप संबंधी समस्‍या है उन्‍हें कद्दू के जूस का सेवन फायदा दिला सकता है। अध्‍ययनों से पता चलता है कि कद्दू के रस में ऐसे पोषक तत्‍व और खनिज पदार्थ होते हैं जो शरीर में कोलेस्‍ट्रॉल और उच्च रक्‍तचाप को नियंत्रित कर सकते हैं। पम्‍पकिन जूस में पेक्टिन की अच्‍छी मात्रा होती है जो शरीर में खराब कोलेस्‍ट्रॉल को कम करने में सहायक होता है। उच्‍च रक्‍तचाप और हाई कोलेस्ट्रॉल दोनों ही हृदय संबंधी समस्‍याओं का प्रमुख कारण होते हैं। लेकिन आप इन समस्‍याओं से बचने के लिए अपने आहार में कद्दू के रस का प्रयोग कर सकते हैं।
    कद्दू जूस का फायदा मार्निग सिकनेस के लिए
    अक्‍सर महिलाओं को गर्भावस्‍था के दौरान सुबह की बीमारी (Morning Sickness) का सामना करना पड़ता है, उन महिलाओं के लिए कद्दू के रस पीने के फायदे हो सकते हें। गर्भावस्‍था के दौरान एसिड रिफ्लक्‍स के कारण होने वाली उल्‍टी और मतली को रोकने के लिए नियमित रूप से कद्दू के जूस का सेवन किया जा सकता है। सुबह की बीमारी का घरेलू उपचार करने के लिए नियमित रूप से प्रतिदिन 1 गिलास कद्दू का जूस पीना महिलाओं को लाभ दिला सकता है।



    बॉडी को डिटॉक्सिफाई करने के लिए
    क्‍या आप अपने शरीर की आंतरिक अशुद्धियों को दूर करने प्राकृतिक उपाय खोज रहे हैं? यदि हां तो आप अपनी बॉडी को डिटॉक्सिफाई करने के लिए कद्दू के जूस का सेवन कर सकते हैं। यह एक चमत्‍कारिक पेय पदार्थ है जो शरीर से विषाक्‍त पदार्थों को प्रभावी रूप से दूर कर सकता है। इसके अलावा यह आपके शरीर की आंतरिक क्षतिग्रस्‍त कोशिकाओं की मरम्मत करने में भी प्रभावी योदान दे सकता है। आप अपने शरीर से अशुद्धियों को दूर करने के लिए सुबह के समय खाली पेट कद्दू के जूस का उपभोग कर सकते हैं। यह पाचन तंत्र और गुर्दों की बेहतर सफाई करने का अच्‍छा और प्राकृतिक घरेलू उपाय माना जाता है।

    कद्दू जूस के औषधीय गुण मूत्र संक्रमण रोके
    पम्‍पकिन जूस का सेवन कई स्‍वास्‍थ्‍य लाभ दिलाता है जिनमें मूत्र पथ को स्‍वस्‍थ रखना भी शामिल है। यदि आप मूत्र पथ के संक्रमण और अन्‍य समस्‍याओं का समाधान चाहते हैं तो कद्दू के रस का इस्‍तेमाल कर सकते हैं। यह आपके मूत्र पथ और गुर्दे में मौजूद अपशिष्‍ट पदार्थों को साफ करने और उन्‍हें बाहर निकालने में मदद कर सकता है। यदि आप कद्दू के जूस का सेवन कर सकते हैं तो यह आपके गुर्दे और मूत्र पथ को संक्रमण से बचा सकता है।
    हेयर बेनिफिट्स के लिए कद्दू के जूस के इस्‍तेमाल को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। कद्दू के रस में विटामिन ए की उच्‍च मात्रा होती है जो आपके स्‍कैल्‍प (scalp) के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। इसके अलावा कद्दू के जूस में पोटेशियम की भी अच्‍छी मात्रा होती है जो बालों में रि-ग्रोथ को बढ़ावा देने में मदद करता है। नियमित रूप से कद्दू के रस का सेवन करने से बालों को झड़ने से भी बचाया जा सकता है।
    घर में कद्दू का जूस कैसे बनाए
    घर में कद्दू का जूस बनाना बहुत ही आसान है। घर में तैयार किये गए प‍म्‍पकिन जूस को अधिक प्रभावी माना जाता है क्‍योंकि इसे बनाने में किसी भी केमिकल्‍स का उपयोग नहीं किया जाता है। साथ ही यह ताजा होता है। आइए जाने किस प्रकार हम घर पर ही कद्दू का रस बना सकते हैं।
    कद्दू का रस बनाने के लिए आपको केवल पके हुए कद्दू का 1 टुकड़ा और पानी की आवश्‍यकता होती है।
    आप कद्दू के ऊपरी छिलके को लिकाल लें और इसके छोटे-छोटे टुकड़े बना लें। इसके बाद थोड़े से पानी के साथ इन कद्दू के टुकडों को जूसर ब्‍लेंड में डालकर मिक्स करें। आपका कद्दू का जूस तैयार है। यह कम मीठा होता है। वैसे तो प्राकृतिक रूप से इतना मीठा जूस ही आपको सेवन करना चाहिए। लेकिन अतिरिक्‍त मिठास बढ़ाने के लिए आप शक्‍कर की जगह शहद का इस्‍तेमाल कर सकते हैं।

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    19.12.19

    सरसों का तेल है सबसे सेहतमंद



    भोजन हमारे जीवन का एक अविभाज्य हिस्सा है, हम सचमुच खाने के लिए जीते हैं! लेकिन साथ ही स्वस्थ भोजन के बारे में जागरूकता भी हमारी जीवन-शैली का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गई है। हम सब अपने स्तर पर स्वस्थ खाने और फिट रहने के लिए जागरूक होने का प्रयास कर रहे हैं। भोजन पकाने के लिए तेल के इस्तेमाल को लेकर कई तरह की धारणाएं बनी हुई हैं। जिसमें आमतौर पर तेल के इस्तेमाल को सेहत के लिए नुकसानदायक बताते हैं। तेल चूंकि फैट का मुख्य स्रोत है, इसलिए ये शरीर में चर्बी को बढ़ाता है। लेकिन कई स्टडीज यह दावा करती हैं कि कुछ तेल आपके हृदय को सेहदमंद रखने के लिए बहुत ही फायदेमंद हैं और यह शरीर को कई बीमारियों से दूर रखते हैं। आमतौर पर भोजन पकाने के लिए जैतून के तेल (ऑलिव ऑयल) को सबसे हेल्दी माना जाता है। मगर भारत में कुकिंग के लिए ज्यादातर सरसों के तेल का इस्तेमाल किया जाता है। इस लेख के जरिए जानें कि कौन सा तेल आपकी सेहत बेहतर है।
    इन दिनों बाज़ार में ऑलिव ऑयल या फ्लेक्ससीड ऑयल का चलन बढ़ता जा रहा है। ऑलिव ऑयल के अपने कई फायदे हैं लेकिन अगर भोजन पकाने की बात जाए तो सरसों तो सरसों के तेल से बेहतर कुछ नहीं हो सकता। हमारे देश में सरसों के तेल का इस्तेमाल ज्यादातर घरों में किया जाता है। सरसों तेल हर किचन का अहम हिस्सा है और लगभग हर घर में सरसों के तेल में भोजन पकाया जाता है। काफी पुराने समय से इसका इस्तेमाल खाना बनाने के लिए किया जा रहा है। वैसे मार्किट में और भी कुकिंग ऑयल हैं जैसे- ऑलिव ऑयल यानी जैतून का तेल, रिफाइंड ऑयल, कैनोला तेल, राईस ब्रान ऑयल, वेजिटेबल ऑयल, तिल का तेल और मूंगफली का तेल।


    जैतून का तेल (ऑलिव ऑयल)
    जैतून का तेल आज के समय में बहुत ही जाना पहचाना नाम बन चुका है। बड़े-बड़े फिटनेस एक्सपर्ट्स ने इसका खूब प्रचार किया है और जैतून के तेल को केवल एक विकल्प भर ही नहीं बताया है। फिटनेस फ्रीक्स के लिए यह तेल अधिक पॉपुलर बन गया है। इस तेल में वसा अच्छी मात्रा में होती है जो हृदय स्वास्थ्य की बेहतरी के लिए बहुत जरूरी होता है। यह एक ऐसा जादुई तेल है जिसके इस्तेमाल से आपका वजन नहीं बढ़ता।
    सरसों का तेल
    सरसों के तेल का इस्तेमाल आयुर्वेद से जुड़ा हुआ है जिसका इस्तेमाल भारतीय घरों में युगों से होता चला आ रहा है। इस तेल की तीखी गंध और गहरे पीले रंग से इसकी पहचान को मान्यता मिली है। भारतीय घरों इसका इस्तेमाल व्यापक स्तर पर किया जाता है। खासतौर पर पूर्वी भारत में इसका इस्तेमाल अधिक किया जाता है। हमारे पारंपरिक भोजन जैसे मछली या झालमुरी को पकाने के लिए सरसों के तेल की जगह किसी और तेल का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।
    सरसों का तेल है सबसे सेहतमंद
    सरसों का तेल प्राकृतिक एंटीऑक्सिडेंट और जरूरी फैटी एसिड पर्याप्त मात्रा में होते हैं। दोनों ही तेल दिल की सेहत को बनाए रखने के लिए बहुत ही फायदेमंद हैं। इसमें मोनोअनसैचुरेटेड फैटी एसिड, पॉलीअनसेचुरेटेड वसा और कुछ अन्य अच्छे वसा भरपूर मत्रा में होते हैं जो शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। साथ ही यह तेल गुड कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है और शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल (बैड कोलेस्ट्रॉल) को बनने से रोकता है।


    यह तेल ओमेगा-3 फैटी एसिड का बहुत ही अच्छा स्रोत है साथ ही इसमें शरीर के लिए अन्य जरूरी हेल्दी फैट्स भी होते हैं। भोजन पकाते समय तेल में मौजूद अच्छे फैटी एसिड और तेल न सिर्फ आपके भोजन के स्वाद को बढ़ाता है बल्कि खून में मौजूद फैट को भी कम करता है।
    ज्यादातर शोधकर्ताओं ने यह सिद्ध किया है कि जैतून के तेल की तुलना में सरसों का तेल अधिक सेहतमंद होता है। क्योंकि इसमें जरूरी फैटी एसिड मौजूद होते हैं। इसमें ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड दोनों ही पर्याप्त मात्रा में होते हैं। यह आपके भोजन स्वस्थ बनाते हैं जो आपके हृदय स्वास्थ्य की बेहतरी के लिए बहुत जरूरी है। वहीं जैतून के तेल में इन सभी जरूरी फैटी एसिड की मात्रा कम होती है और इसकी कीमत सरसों की तेल की तुलना में बहुत अधिक होती है
    क्या है प्रमाण
    बहुत सारी स्टडीज के अनुसार सरसों के तेल को उसमें मौजूद सभी जरूरी फैटी एसिड के अनुपात कारण सबसे सेहदमंद तेलों में से एक माना जाता है। साथ ही यह भी पाया गया है कि सरसों का तेल हृदय संबंधि रोगों से बचाने में भी मदद करता है और सरसों का तेल कोरोनरी धमनी रोगों और अन्य हृदय संबंधि रोगों से बचाता है। इसके अलावा यह तेल ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखता है और हाई ब्लड प्रेशर के खतरे से बचाता है।

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