22.7.19

सोते समय अंडरवियर पहनना चाहिए या नहीं?फायदे और नुकसान



क्या सोते समय अंडरवियर पहनना चाहिए या नहीं? यह सवाल हर महिला और पुरुष के मन में होता है। क्योकि बहुत से लोग अंडरवियर उतार कर सोने में हिचकिचाते है पर क्या ऐसा करना सही है। क्या सोते समय अंडरगारमेंट्स पहनना चाहिए? हमारे शरीर के नाजुक अंगो को भी सांस लेने की जरुरत होती है और यदि हम रात में टाइट कपड़े या अंडरवियर पहन कर सोते है तो हमारे यह अंग खुलकर सांस नहीं ले पाते है आईये आज इस लेख में जानते है की रात को सोते समय अंडरवियर पहनना सही है या नहीं और इसके क्या फायदे और नुकसान हो सकते है।
कई डॉक्टरों का मानना है की किसी भी महिला या पुरुष को रात में सोते समय अंडरवियर पहनना है या नहीं यह उस व्यक्ति को अपनी सुविधा और सहजता के हिसाब से निर्णय लेना चाहिए। हर महिला और पुरुष अलग अलग कारणों की वजह से अंडरवियर पहनने या ना पहनने का चुनाव करते है, लेकिन क्या ऐसा करना सही होता है क्योकि अगर हम रात में भी अपने निजी अंगों को आराम नहीं देंगे तो उस वजह से कई तरह की स्वास्थ्य समस्या हो सकती है। दिनभर एक ही अंडरवियर पहने रहने से उसमें बदबू गीलापन और बैक्टीरिया पनप सकते है, जिसकी वजह से कई तरह के संक्रमण हो सकते है और महिलाओं और पुरुषों को योनी और पेनिस में दर्द, जलन और खुजली महसूस हो सकती है।
कई विशेषज्ञों का मानना है की रात को बिना अंडरवियर पहनकर कर सोने के फायदे होते है परन्तु कुछ का मानना है की रात को बिना अंडरवियर के सोने के नुकसान भी होते है। आईये आज जानते है बिना अंडरवियर पहने सोने के क्या फायदे और नुकसान हो सकते है।
कई डॉक्टरों का मानना है की रात को बिना अंडरवियर पहने सोने के बहुत सारे फायदे होते है-


बचाए इन्फेक्शन से

जब हम रात को बिना अंडरवियर पहने सोते है तो हमारे निजी अंगो को आराम मिलता है और महिलाओं की वेजाइना ड्राई हो जाती है जिससे बैक्टीरियल इन्फेक्शन होने का खतरा नहीं होता है। हम सभी लोग दिनभर टाइट अंडरवियर पहने रहते है जिसकी वजह से हमारे अंगो को खुल कर सांस लेने का मौका नहीं मिलता है जिससे हमारे निजी अंगो से निकलने वाला डिस्चार्ज दिनभर हमारे अंडरवियर द्वारा ही सोख लिया जाता है जिससे रात होते तक हमें जलन या खुजली महसूस होने लगती है, इसलिए ऐसा माना जाता है की रात को सोते समय अपने अंगो को आराम देना चाहिए।
परन्तु अगर आपको इसकी आदत नहीं है और आपको असहज महसूस होता है तो आप अंडरवियर उतारकर ना सोये परन्तु उसकी जगह आप ढीला ढाला पजामा और शॉर्ट्स पहने जिससे आपके अंगो को आराम मिल सके और वह खुलकर सांस भी लें सके। ऐसा करने से आपके वेजाइना और पेनिस में नमी ख़त्म होगी और बैक्टीरियल या फंगल इन्फेक्शन और बाकि दूसरे संक्रमणों से भी बचा जा सकता है।
स्लीपिंग क्वालिटी बढ़ती है
कुछ अध्ययनों में पाया गया है की रात को अंडरवियर या अन्य टाइट कपड़े पहनकर सोने से हम रातभर बेचैन होते रहते हैं। ऐसा शायद इसलिए क्योकि जब हम सो रहे होते है तब शायद हमारे कपड़े हमारे शरीर के तापमान के परिवर्तन के साथ समायोजित नहीं कर पाते हैं। इसलिए अंडरवियर के बिना सोने से हमारे सोने का समय अधिक बढ़ जाता है और अच्छा हो जाता है।
युरेटर में संक्रमण नहीं होता है
महिलाओं के युरेटर यानि की मूत्रवाहिनी में सबसे ज्यादा संक्रमण जननांग अंग में बैक्टीरिया पनपने के कारण होता है। यह संक्रमण महिलाओं के युरेटर में प्रवेश करके गर्भाशय को पीड़ित कर देता है जिससे कई तरह की गंभीर बीमारियां उत्पन्न होती है, परन्तु अगर रात में बिना अंडरवियर पहने सोया जाये तो हवा का बहाव तेज होता है जिससे युरेटर ड्राई हो जाता है और संक्रमण का खतरा नहीं रहता है।


पुरुषों में बढ़ाये स्पर्म काउंट

ऐसा माना जाता है पुरुष अगर रात को अंडरवियर पहनकर सोते है तो उनके टेस्टिकल (testicles) को आराम नहीं मिल पता है और उसमें से हीट बाहर नहीं निकल पाती है जिसकी वजह से पुरुषों के स्पर्म काउंट पर असर पड़ता है। इसलिए पुरुषों को सलाह दी जाती है की वो रात को बिना अंडरवियर पहने सोये ऐसा करने से उनके टेस्टिकल से हीट आराम से बाहर निकल पाती है जिससे उनके स्पर्म काउंट में वृद्धि होती है।
हालांकि पहले यह माना जाता था कि एक तंग अंडरवियर एक आदमी की प्रजनन क्षमता को कम कर सकता है लेकिन हाल के शोध से पता चला है कि आदमी को अंडरवियर के साथ बिस्तर पर जाने पर भी इसका कोई अधिक नुकसान नहीं होता है। इसलिए, पुरुष यह चुन सकते हैं कि वे क्या पसंद करते हैं लेकिन यदि वह रत को सोते समय अंडरवियर नहीं पहनते हैं तो उन्हें इससे जरूर फायदा होगा।
निजी अंगो में खुजली और जलन नहीं होती है
अंडरवियर पहनकर सोने से वेजाइना और पेनिस में हमेशा गीलापन सा रहता है जिसकी वजह से हमें खुजली और जलन महसूस होती है और हमे उसे खुजाकर खरोंच देते है जिससे घाव होने का डर रहता है और संक्रमण का भी खतरा रहता है इसलिए जब भी रात में सोने जाये, अपनी अंडरवियर उतार कर सोये जिससे आपके निजी अंगों को सूखने का मौका मिलेगा और किसी प्रकार का संक्रमण नहीं होगा।
बिना अंडरवियर के सोने के नुकसान
कई डॉक्टरों ने शोध द्वारा यह बताया है की जो लोग रात को अंडरवियर पहन कर नहीं सोते है उनको इन्फेक्शन होने का और बाकि कपड़ों से निजी अंगो के घिसने का और चोटिल होने का डर बना रहता है। विशेषज्ञों का यह कहना है की अगर आपको ऐसा लगता है की आप अंडरवियर के बिना असहज महसूस करेंगे तो आप बिलकुल निश्चिंत होकर अंडरवियर पहनकर सो सकते है क्योकि अंडरवियर ना पहने से ही बैक्टीरिया और यीस्ट इन्फेक्शन होने का डर बना रहता है क्योकि महिलाओं की वुल्वा बहुत ही नाजुक और संवेदनशील होती है जिसपर किसी तरह का घाव या चोट लगने से इसमें संक्रमण का खतरा हो सकता है और उसी तरह पुरुषों के पेनिस में भी संक्रमण हो सकता है।
शोधकर्ताओं ने शोध में यह भी पाया की जो महिलाएं या पुरुष अंडरवियर पहनकर सोते है उनके मुकाबले बिना अंडरवियर पहन कर सोने वाले लोगों को अन्य वस्तुओं से निजी अंगो के रगड़ने और चोटिल हो जाने के मामलें ज्यादा देखे गए है। क्योकि अगर व्यक्ति अंडरवियर नहीं पहनता है तो उसे असहज महसूस होने के साथ साथ गंभीर संक्रमण और घाव की संभावना ज्यादा रहती है।


यदि आप पैन्टी-लेस नहीं सोना चाहतीं है? तो आप यह कर सकती हैं

यदि आप बिना अंडरवियर के बिस्तर पर जाने के विचार की तरफ नहीं हैं, तो आप यह कोशिश कर सकती हैं। पैंटी को छोड़ें और कुछ बड़े आकार के बॉक्सर पहनें जो आपके गुप्त भागों को हवा के प्रवाह की अनुमति देता है। आप कॉटन पैंटी भी पहन सकती हैं जो 100 प्रतिशत कपास से बनी होती हैं और आपकी योनी के हिस्से को ताजी हवा देती हैं।
अपनी अंडरवियर को साफ पानी से धोएं और अगर आपके किसी दोस्त या रिश्तेदार को किसी तरह का संक्रमण या बीमारी हो तो उनके कपड़ों के साथ अपनी अंडरवियर को ना रखे। और अपनी अंडरवियर को धोने के लिए हमेशा हाइपोएलर्जेनिक (hypoallergenic) सोप का ही इस्तेमाल करें। और कोशिश करें की साल में एक बार अपनी अंडरवियर को बदल कर नई अंडरवियर लायें।
अपनी अंडरवियर रोज बदलें
वैसे तो बहुत से डॉक्टरों का मानना है की अगर आपको ज्यादा पसीना या किसी तरह का डिस्चार्ज नहीं होता है तो आप दो दिन में एक बार अंडरवियर चेंज कर सकते है इससे आपको कोई परेशानी नहीं होगी पर अगर आपको बहुत अधिक पसीना आता है या डिस्चार्ज निकलता है तो आपको संक्रमण से बचने के लिए रोज अपनी अंडरवियर बदलना चाहिए।
हमेशा कॉटन अंडरवियर का ही इस्तेमाल करें
अगर आप रात को अंडरवियर पहनकर सोना चाहते है तो कोशिश करें की आप हमेशा कॉटन की अंडरवियर ही पहने यह गीलेपन को आसानी से सोख लेता है जिससे खुजली या जलन की समस्या नहीं होती है।रात को अगर चैन की नींद लेते हुए शरीर के सभी अंगों की सुरक्षा का भी ध्यान रख लिया जाए तो नींद का उद्देश्य पूरा हो जाए। ऐसे में अगर आप भी कभी इस सवाल से दो चार हुए हैं कि क्या सोते समय अंडरगारमेंट्स पहनना चाहिए?
यह सवाल अजीब लग सकता है, लेकिन यह आपके स्वास्थ्य से जुड़ा है। इसका जवाब जानना ज़रूरी है। आप यह समझ लीजिए कि सोते हुए अंडरगारमेंट्स पहनना अपने स्वास्थ्य से खिलवाड़ करना है।
आखिर क्यों अक्सर ही इस बात की सलाह दी जाती है कि सोते हुए अंडरगारमेंट्स क्यों न पहने जाएं? जानिए ऐसे स्वास्थ्य से जुड़े कारण जो अंडरगारमेंट्स न पहनने की वकालत करते हैं।
चाहे आप आलस्य में या आदत के चलते, अंडरवियर पहनकर ही सो जाते हैं तो आप खुद को एक खतरे में डाल रहे हैं। हममें से अधिकतर लोग इस आदत से बंधे हुए हैं, परंतु विशेषज्ञों की मानें तो यह आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। यह आदत महिलाओं और पुरुषों दोनों को हानि पहुंचा सकती है। जिसके चलते खुजली, त्वचा इंफेक्शन और कभी कभी बड़ी समस्या खड़ी हो जाती है। 
 नमी से इंफेक्शन का खतरा
आपने भी इस बात पर ध्यान दिया होगा कि आपके जेनिटल्स (प्रजनन हिस्से) पूरे समय बंद रहते हैं। दिन और रात ये कपड़ों से ढंके रहते हैं। सिर्फ नहाने के वक्त आप इनकी सफाई करते हैं। ऐसे में कई बार जरूरी क्रियाओं को करते वक्त पानी लगने से यहां नमी रह जाती है। आपके हमेशा कपड़े पहने रहने के कारण इन हिस्सों को सूखने का मौका नहीं मिलता, जिसके कारण इंफेक्शन होने की संभावन बहुत अधिक हो जाती है। रात को अगर आप अंडरगारमेंट्स न पहनें तो आपके इस हिस्से को सूखा और साफ रहने का मौका मिल जाता है।
पसीने से बैक्टेरिया पनपने का खतरा
अक्सर ही मौसम गर्म रहने पर आपके शरीर से हर जगह पसीना निकलता है। शरीर के अन्य हिस्सों को जहां प्राकृतिकतौर पर सूखने का मौका खुले रहने के कारण मिलता है, आपके शरीर का यह खास हिस्सा बैक्टेरिया का घर बना रहता है। ऐसे में बैक्टेरिया से होने वाले इंफेक्शन का भी खतरा बना ही रहता है। रात में अंडरगारमेंट्स न पहनने पर इस समस्या से बचा जा सकता है।
पुरूषों को होने वाला खतरा
इंस्टीट्यूट फॉर मेंस हेल्थ (जर्सी यूरोलॉजी ग्रुप) यूएस की एक रिपोर्ट के अनुसार पुरूषों का रात में अंडरगारमेंट्स में सोना उनके प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकता है। उनके प्रजनन अंग रात के समय अधिक गर्म होकर स्पर्म क्षय और स्पर्म की गुणवत्ता में गिरावट का शिकार हो सकते हैं।








21.7.19

दालचीनी की छाल है गुणों का खजाना



दालचीनी ऐसा मसाला है, जो लगभग हर भारतीय रसोई में आसानी से मिल जाएगा। दालचीनी सिर्फ़ एक मसाला ही नहीं, बल्कि एक औषधि भी है, जिसमें मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट गुण कई बीमारियों जैसे – आर्थराइटिस, डायबिटीज़, यहां तक की कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी से आपको सुरक्षित रखता है। आज इस लेख में हम दालचीनी के फायदे आपको बता रहे हैं। आप भी जानिए कि दालचीनी आपकी सेहत और शरीर के लिए कैसे लाभकारी है।
दालचीनी के स्वास्थ्य लाभ-
वज़न कम करने के लिए
आजकल बढ़ता वज़न या मोटापा लगभग हर दूसरे-तीसरे व्यक्ति के लिए चिंता का विषय बन गया है। खान-पान पर ध्यान न देना और सही तरीक़े से शारीरिक श्रम यानी व्यायाम व योग ना करने से वज़न बढ़ने की समस्या होते रहती है। ऐसे में अगर खाने में दालचीनी का सेवन किया जाए, तो कुछ हद एक यह समस्या कम हो सकती है। दालचीनी में मौजूद पॉलीफेनॉल्स (polyphenols), एक प्रकार का एंटी-ऑक्सीडेंट है, जो इंसुलिन की संवेदनशीलता को बेहतर करता है। इंसुलिन खून में ग्लूकोज के स्तर को नियंत्रित करता है, लेकिन जब आपका शरीर सही मात्रा में इंसुलिन नहीं बना पाता, तो ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है। इसके परिणामस्वरुप मोटापा, डायबिटीज़ और अन्य कई बीमारियों का ख़तरा बढ़ जाता है। एक शोध के मुताबिक़, जिन महिलाओं में पॉलीसिस्टिक डिम्बग्रंथि रोग (polycystic ovarian disease) हैं, उनके लिए दालचीनी इंसुलिन प्रतिरोध (insulin resistance) को कम कर वज़न को नियंत्रित करती है । इसके अलावा दालचीन का एंटी-ओबेसिटी प्रभाव और इसमें मौजूद कई अन्य तत्व मोटापे को कम करते हैं
एक कप पानी
एक चम्मच दालचीनी पाउडर
एक चम्मच शहद
एक चम्मच नींबू का रस
बनाने की विधि
पहले पानी को उबाल लें।
अब एक कप में दालचीनी पाउडर, शहद और नींबू के रस को मिलाकर एक मिश्रण तैयार कर लें और इस मिश्रण में उबले हुए पानी को डालकर अच्छे से मिला लें।
इसके बाद पानी का सेवन करें।


डायबिटीज़ में दालचीनी

खराब जीवनशैली और खान-पान की वजह से कई लोग मधुमेह का शिकार हो रहे हैं। अगर समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया, तो आगे चलकर भारी नुकसान हो सकता है। वक़्त के साथ-साथ डायबिटीज़ अन्य कई बीमारियों को जन्म देने लगती है। ऐसे में मधुमेह के मरीज़ अगर दालचीनी को अपने आहार में शामिल करते हैं, तो मधुमेह पर काफ़ी हद तक नियंत्रण पाया जा सकता है। दालचीनी में मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट डायबिटीज़ होने के एक महत्वपूर्ण करक ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करता है ।
इस मसाले में फेनोलिक यौगिक और फ्लैवोनॉइड मौजूद हैं, जो एंटी-इन्फ्लेमेटरी, एंटीडाइबेटिक, एंटीकैंसर और कार्डियोप्रोटेक्टीव गुण प्रदान करते हैं । इसके अलावा, एक शोध में बताया गया है कि दालचीनी, ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में मदद करता है। इसमें मौजूद पॉलीफेनॉल्स शरीर में इंसुलिन को बेहतर करता है, जिससे डायबिटीज़ का ख़तरा को कम होता है
छोटा अदरक का टुकड़ा
दो चम्मच नींबू का ताज़ा रस
एक टूकड़ा दालचीनी का (Ceylon cinnamon)
एक चम्मच कच्ची ऑर्गेनिक शहद या सामान्य शहद
आधा या एक कप फ़िल्टर या छना हुआ पानी
बनाने की विधि
पानी को मध्यम से थोड़े ज़्यादा आंच पर गर्म करें।
अदरक के छोटे या बारीक़ टुकड़े करें।
जैसे ही पानी उबलने लगे, उसमें अदरक डाल दें।
फिर गैस को थोड़ा कम कर दें और इसमें दालचीनी डालें।
पांच मिनट तक दालचीनी को पानी में भीगने दें, फिर पानी को छानकर एक कप में डाल दें।
अब इसमें नींबू का रस और शहद मिलाकर पिएं।
आप इसे पूरे दिन में किसी भी समय पी सकते हैं।
रक्त परिसंचरण के लिए दालचीनी
दालचीनी रक्त परिसंचरण में सुधार करने में मदद करता है। दालचीनी में ऐसे यौगिक मौजूद होते हैं जो खून को पतला कर रक्त परिसंचरण को बढ़ाते हैं।दालचीनी में मौजूद यह गुण धमनियों से जुड़े बीमारी और दिल के दौरे से भी बचाता है। बेहतर रक्त परिसंचरण का मतलब कम दर्द और अधिक ऑक्सीजन है।
 कोलेस्ट्रॉल और दिल के लिए दालचीनी
दालचीनी आपके हानिकारक कोलेस्ट्रॉल को कम कर, अच्छे कोलेस्ट्रॉल के स्तर को स्थिर करती है। इससे दिल के दौरे का ख़तरा भी कम होता है। यह ख़ासकर टाइप-2 मधुमेह वाले मरीजों में ज़्यादा कारगर साबित हुआ है ।
आप दालचीनी की चाय पी सकते हैं।
सब्ज़ियों में दालचीनी का उपयोग कर सकते हैं। इससे न सिर्फ खाने का स्वाद बढ़ेगा, बल्कि आपके स्वास्थ्य के लिए भी सही है।
सर्दी और खांसी में दालचीनी
दालचीनी में एंटी-माइक्रोबायल और एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण मौजूद हैं। ये गुण सर्दी-खांसी से बचाव करते हैं।
इसलिए, में दालचीनी का प्रयोग बेहतर उपाय है।
एक चम्मच दालचीनी पाउडर
दो लौंग के टुकड़े
एक गिलास गर्म पानी
बनाने की विधि
आप दालचीनी पाउडर और लौंग को पानी में डालकर पांच से दस मिनट तक उबालें।
फिर इसे छान लें और इसे चम्मच से पिएं।
आप इसे सिरप की तरह एक या दो चम्मच दिन में दो से तीन बार पी सकते हैं।


दिमाग़ के लिए दालचीनी

दालचीनी मस्तिष्क के लिए भी काफ़ी फायदेमंद होती है। दालचीनी की सुगंध मस्तिष्क की गतिविधि को बढ़ाती है। यह मस्तिष्क के लिए अच्छा टॉनिक है। इससे न सिर्फ़ मस्तिष्क तेज़ी से काम करता है, बल्कि इससे तनाव व चिंता जैसी परेशानियों से भी आराम मिलता है। जिन लोगों ने दालचीनी की तेल को सूंघा है, उनकी स्मरण शक्ति बढ़ने लगती है (8)। इसके अलावा दालचीनी में मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट गुण मनुष्य को अल्ज़ाइमर और पार्किसन जैसे मस्तिष्क विकार से भी बचाता है । जहां अल्ज़ाइमर में याददाश्त कमज़ोर हो जाती है, वहीं पार्किसन में शरीर के अंगों में कंपन शुरू हो जाता है।
आधा या एक कप पानी
दालचीनी की छोटी-सी छड़ी
एक चम्मच शहद
बनाने की विधि
पानी को उबाल लें।
अब बर्तन में दालचीनी डालकर उसमें गर्म पानी डालें।
पानी में करीब दस मिनट तक दालचीनी को भीगने दें, ताकि इसके सारे गुण पानी में आ जाएं।
फिर पानी को छानकर, उसमें शहद मिलाकर पिएं।
आर्थराइटिस में दालचीनी
बढ़ती उम्र के साथ-साथ हमारी हड्डियां भी कमज़ोर होने लगती है और कई लोगों को गठिया (आर्थराइटिस) जैसी बीमारी घेर लेती है। ऐसे में दालचीनी एक औषधि के रूप में मदद करती है। दालचीनी में आयरन, कैल्शियम व मैंगनीज़ जैसे पोषक तत्व मौजूद होते हैं, जो गठिया की बीमारी में राहत देता हैं । एक शोध के मुताबिक़, रहूमटॉइड आर्थराइटिस (Rheumatoid Arthritis) में होने वाले दर्द और सूजन को हद तक कम करने में दालचीनी असरदार साबित होती है
दालचीनी के तेल की तीन से चार बूंदे, नारियल या सरसों तेल में मिलाकर गुनगुना गर्म कर लें। अब इस तेल से हड्डियों की मालिश करें। ऐसा करने से दर्द से काफ़ी हद तक राहत मिलेगी।
ब्लड प्रेशर की समस्या में दालचीनी
आजकल हाई और लो ब्लड प्रेशर यानी उच्च और निम्न रक्तचाप की समस्या कई लोगों को होती है। ऐसे में दालचीनी के सेवन से यह समस्या से काफ़ी हद तक दूर हो सकती है। खासकर टाइप-2 डायबिटीज़ वाले मरीज़ों के लिए यह ज़्यादा फायदेमंद है । हालांकि, जानवरों पर किए गए अध्ययन से पता चला है कि दालचीनी, परिधीय वाहिका प्रसरण (peripheral vasodilatation) के जरिए, रक्तचाप के स्तर को नियंत्रित करती है।


मासिक धर्म के समय दालचीनी

अमूमन हर महिला के लिए मासिक धर्म का समय कई परेशानियों, जैसे-पेट दर्द, मितली इत्यादि से भरा होता है। इस स्थिति में कई महिलाएं दवाइयों का सेवन करती हैं, लेकिन हर बार दवाइयों का सेवन ख़तरनाक हो सकता है। इसलिए, मासिक धर्म के समय दालचीनी के घरेलू उपाय काफ़ी मददगार साबित हो सकते हैं। दालचीनी के सेवन से मासिक धर्म के समय ज़्यादा रक्त स्त्राव की परेशानी, दर्द व मितली जैसी समस्याएं कुछ कम होती हैं। यह डिसमेनोरिया (dysmenorrhea) यानी मासिक धर्म के समय या पहले होने वाले ऐंठन की समस्या को भी कम करता है . यहां तक की दालनीची पाउडर के सेवन से महिलाओं को पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (PCOS) से भी राहत मिलती है.
एक से दो गिलास पानी
एक छोटा चम्मच दालचीनी पाउडर
थोड़ा शहद
बनाने की विधि
एक से दो गिलास पानी में दालचीनी पाउडर डालकर उबाल लें।
फिर इसमें शहद मिलाकर पानी को पिएं।
ऐसा करने से मासिक धर्म की ऐंठन काफ़ी हद तक कम होगी।
सांस की दुर्गन्ध
दालचीनी ना सिर्फ दांत दर्द में आराम पहुंचाती है, बल्कि कुछ शोध के अनुसार, यह मौखिक संक्रमण और सांस की बदबू को भी दूर करती है
आप चाहे तो दालचीनी की छड़ी को चबा सकते हैं या दालचीनी के पानी से (पानी में दालचीनी की छड़ी भिगोकर) कुल्ला या गरारे कर सकते हैं।
 पाचन क्रिया के लिए दालचीनी
दालचीनी पाचन तंत्र के लिए भी बहुत फायदेमंद है। इसमें एंटी-माइक्रोबायल गुण होता है, जो पाचन तंत्र में संक्रमण का कारण बनने वाले बैक्टीरिया से लड़ता है और कैंडीडा नामक बीमारी से बचाव करता है
गर्भावस्था में दालचीनी
गर्भावस्था के दौरान महिला को अपने खान-पान का ख़ास ख्याल रखना चाहिए। अगर गर्भवती महिला खाने में दालचीनी का सेवन करती है, तो यह उनके लिए काफ़ी फायदेमंद साबित होगा। दालचीनी में मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट गुण किसी भी प्रकार के संक्रमण से महिला का बचाव करते हैं। साथ ही इस बात का ध्यान रखना भी जरूरी है कि अगर किसी गर्भवती को गर्भावधि मधुमेह है या डायबिटीज़ की दवा ले रही है, तो दालचीनी का सेवन डॉक्टर से पूछकर करें। ज़रूरत से ज़्यादा दालचीनी का सेवन खून को पतला कर सकता है, जिसका असर गर्भावस्था के बाद होने वाले रक्तस्त्राव पर पड़ सकता है। इसके अलावा, गर्भावस्था के दौरान ज़्यादा दालचीनी का सेवन समय से पहले प्रसव का कारण बन सकता है।
गर्भवती महिलाएं सिर्फ खाने में दालचीनी का प्रयोग करें और सीमित मात्रा में इसका सेवन करें।


दालचीनी कब्ज़ और गैस के लिए

आजकल के उल्टे-सीधे खान-पान के कारण हमारे पेट की हालत बहुत खराब हो जाती है। कभी कब्ज़ तो कभी गैस की शिकायत आए दिन लगी रहती है। कई लोगों को कब्ज़ और गैस की दवा लेने की आदत हो जाती है। इन दवा को बार-बार लेना,स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो सकता है। ऐसे में दालचीनी जैसे घरेलू औषधि को अपने आहार में शामिल करेंगे, तो पेट की समस्या काफी हद तक ठीक हो सकती है।
आप रात को सोने से पहले दूध में दालचीनी का पाउडर मिलाकर पी सकते हैं। इससे आपको गैस, कब्ज़ और पेट से सम्बंधित अन्य परेशानियों से राहत मिल सकती है। अगर, दूध के साथ पीना पसंद ना हो तो खाने में ज़रूर इसका सेवन करें। आप इस बात को भी ना भूलें कि दालचीनी का ज़रूरत से ज़्यादा सेवन, पाचन क्रिया पर बुरा असर डाल सकता है, इसलिए इसे सीमित मात्रा में लें।
 दर्द से राहत
हम अक्सर किसी भी तरह का दर्द होने पर दर्द निवारक दवा लेते हैं, जो हानिक़ारक साबित हो सकता है। वहीं, दालचीनी शरीर में होने वाले कई तरह के दर्द, जैसे-दांत दर्द, हड्डियों का दर्द व पेट दर्द में राहत देती है।
दांत दर्द हो तो दालचीनी को चबाकर खाएं या दालचीनी के पानी से कुल्ला करें। इसके अलावा, दालचीनी के पत्ते का तेल भी रूई में लगाकर दांतों के बीच दबा सकते हैं।
पेट दर्द हो तो दालचीनी की चाय या दूध के साथ दालचीनी का सेवन कर सकते हैं।
जोड़ों के दर्द में दालचीनी का तेल आप नारियल या सरसों के तेल के साथ गर्म करके लगा सकते हैं। इसके अलावा आप दालचीनी के पाउडर को गुनगुने पानी में पेस्ट बनाकर दर्द वाले हिस्से पर मालिश करें। इससे दर्द कम होने की संभावना होती है।
लंबी उम्र के लिए दालचीनी
आपको जानकर हैरानी होगी कि दालचीनी से आपकी आयु पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। लगातार दालचीनी पाउडर का सेवन करने से आपके बुढ़ापे में होने वाली स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां काफ़ी हद तक कम हो जाती हैं। इससे शरीर में फुर्ती रहती है और उम्र के साथ होने वाली हड्डियों की दर्द की समस्या भी दूर होती है।
दो कप पानी
एक चम्मच दालचीनी पाउडर
दो से तीन चम्मच शहद
बनाने की विधि
आप दालचीनी पाउडर को पानी में उबालें और फिर हल्का ठंडा होने के बाद इसमें शहद मिलाकर पिएं।
आप इसे दिनभर में एक से दो बार पी सकते हैं।
त्वचा संक्रमण या घाव में दालचीनी का उपयोग
दालचीनी में मौजूद एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण त्वचा को संक्रमण से बचाते हैं। साथ ही ये किसी भी घाव को आसानी से भर सकते हैं
आप त्वचा संक्रमण होने पर दालचीनी पाउडर व शहद को मिलाकर लगा सकते हैं, लेकिन पहले थोड़ी-सी मात्रा लगाएं।
सावधानी-
दालचीनी के कुछ नुकसान भी हैं, जिसके बारे में जानना ज़रूरी है, ताकि इसका सेवन करते समय थोड़ा ध्यान रखें।
लिवर की समस्या हो सकती है।
खून पतला कर सकता है।
त्वचा की समस्या।
गर्भवती महिला को समय से पहले प्रसव हो सकता है।
निम्न ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर
पुरुष ग्रंथि (प्रोस्टेट) बढ़ने से मूत्र - बाधा का अचूक इलाज 

*किडनी फेल(गुर्दे खराब ) रोग की जानकारी और उपचार*

गठिया ,घुटनों का दर्द,कमर दर्द ,सायटिका के अचूक उपचार 

गुर्दे की पथरी कितनी भी बड़ी हो ,अचूक हर्बल औषधि

पित्त पथरी (gallstone) की अचूक औषधि 






20.7.19

लीवर को स्वस्थ और मजबूत बनाने वाले आहार


लिवर को हम अपनी भाषा में जिगर कहते है। यह शरीर का सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथि होता है। यह हमारे शरीर के कई कार्यों को कण्ट्रोल करता है। इसमें खराबी होने पर शरीर की काम करने की क्षमता बहुत कम हो जाती है। यह पेट के दाएं नीचे की तरफ होता है।

लिवर डैमेज का सही समय पर इलाज करना भी ज़रूरी होता है, नही तो यह बहुत बड़ी समस्या बन सकती है। लिवर का ख़राब होने के बड़े कारण धूम्रपान, शराब का सेवन, अधिक खट्टा, ज्यादा नमक का सेवन प्रमुख हैं। आज हम आपको लिवर को स्वस्थ और खराब होने से बचाने के आसान उपाय और देसी आयुर्वेदिक नुस्खे बताने जा रहे हैं जिसकी मदद से लिवर को स्वस्थ और स्ट्रांग बनाया जा सकता है।
 जिगर कार्बोहाइड्रेट को तोड़ने, ग्‍लूकोज बनाने और शरीर को डिटॉक्‍स करने में सहायक होता है। लीवर को मजबूत करने के उपाय आपके लीवर को पोषक तत्‍वों को संग्रहीत करने में सहायता करते हैं। लीवर को मजबूत बनाने के तरीके में आप घरेलू उपाय भी आजमा सकते हैं। लीवर के कमजोर होने से यकृत रोग और कई गंभीर समस्‍याएं हो सकती हैं। हालांकि डॉक्‍टर से संपर्क कर लीवर को मजबूत करने की दवा भी ली जा सकती है। लेकिन लीवर को मजबूत करने के घरेलू उपाय भी होते हैं। स्‍वस्‍थ लीवर की खुराक के रूप में खाद्य पदार्थ और जड़ी बूटीयों का सेवन किया जा सकता है।


लिवर खराब होने के प्रमुख कारण

सबसे पहले लिवर खराब होने के फॅक्ट्स को जानना ज़रूरी है। जिससे समय रहते आपको पता रहे और इलाज सही टाइम पर हो सके। इंडिया में 10 खतरनाक रोगों में से एक है लिवर की बीमारी। हर साल तकरीब 2 लाख लोग लिवर की समस्या से मरते हैं।
दूषित माँस खाना, गंदा पानी पीना, मिर्च मसालेदार और चटपटे खाने का अधिक सेवन करना।
पीने वाले पानी में क्लोरीन की मात्रा का अधिक होना।
शरीर में विटामिन बी की कमी होना।
घर की सफाई पर उचित ध्यान न देना।
मलेरिया, डेंगू या टाइफाइड से पीड़ित होना।
रंग लगी हुई मिठाइयों और ड्रिंक का इस्तेमाल करना।
चाय, कॉफी, जंक फूड का सेवन अधिक करना।

लिवर खराब होने के लक्षण 
लिवर वाली जगह पर दबाने से दर्द होना।
छाती में जलन और भारीपन होना.
भूख न लगने की समस्या, पेट में गैस का बनना।
शरीर में आलसपन और कमजोरी का होना।
लिवर बड़ा हो जाता है तो पेट में सूजन आने लगती है, जिसको आप अक्सर मोटापा समझने की भूल कर बैठते है।
मुंह का स्वाद खराब होना।

लीवर को मजबूत करने के लिए क्‍या खाएं

आज के व्‍यस्‍त जीवन में लोगों को स्‍वस्‍थ आहार करने का समय नहीं मिलता है। जो लीवर सहित कई गंभीर स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं का कारण बन सकता है। अधिकांश लोगों का प्रश्‍न होता है कि लीवर को मजबूत कैसे बनाएं या लीवर को मजबूत करने का नुस्‍खा क्‍या है। जबकि इस प्रश्‍न का हल उनके नियमित आहार में छिपा है। यकृत या लीवर को स्‍वस्‍थ रखने के लिए आप स्‍वस्‍थ आहार और औषधीय जड़ी बूटीयों का सेवन कर सकते हैं। आइए जाने जिगर को स्‍वस्‍थ रखने के लिए आप किन खाद्य पदार्थों का सेवन कर सकते हैं।
खाएं पपीता
जिगर संबंधी समस्‍याओं को दूर करने में पपीता बहुत ही प्रभावी होता है। लीवर को मजबूत करने के लिए आप पपीता को अपने नियमित आहार में शामिल कर लाभ प्राप्‍त कर सकते हैं। पपीता का सेवन विशेष रूप से यकृत सिरोसिस (liver cirrhosis) के लक्षणों को कम करने में सहायक होता है। आप लीवर मजबूत बनाने के घरेलू उपाय के रूप में पपीता के पत्‍ते के रस का भी इस्‍तेमाल कर सकते हैं। आप नियमित रूप सेू पपीता के पत्‍ते के 2 चम्‍मच रस में 1 चम्‍मच नींबू का रस मिलाएं और दिन में 2 बार सेवन करें। ऐसा करने से आपके लीवर में मौजूद संक्रमण को कम करने में मदद मिलती है।


हल्‍दी

लीवर को स्‍वस्‍थ्‍य रखने के लिए हल्‍दी बहुत ही प्रभावी होती है। हल्‍दी में एंटीसेप्टिक गुण होते हैं साथ ही इसमें एंटीऑक्‍सीडेंट की उच्‍च मात्रा भी होती है। नियमित रूप से हल्‍दी का सेवन करने से हेपेटाइटिस बी और सी के वायरस के प्रभाव और प्रसार को रोका जा सकता है। लीवर को मजबूत करने के तरीके में आप हल्‍दी को अपने आहार में शामिल करने के साथ दूध में मिलाकर भी उपभोग कर सकते हैं। इसके लिए आप प्रतिदिन सुबह और रात में सोने से पहले 1 गिलास गुनगुने दूध में 1 चुटकी हल्‍दी पाउडर मिलाकर पिएं।
आंवला
लीवर हमारे शरीर का सबसे महत्‍वपूर्ण अंग है जिसे स्‍वस्‍थ रखना बहुत ही आवश्‍यक है। लीवर को मजबूत करने के घरेलू नुस्‍खे में आप आंवला का उपयोग कर सकते हैं। आंवला में लीवर-सुरक्षात्‍मक गुण होते हैं साथ ही इसमें विटामिन सी भी अच्‍छी मात्रा में होता है। लीवर मजबूत करने के उपाय में आप प्रतिदनि 2-4 कच्‍चे आंवले का सेवन कर सकते हैं। इसके अलावा विकल्‍प के रूप में आप आंवले के मुरब्‍बे का भी सेवन कर सकते हैं। यह लीवर मजबूत करने का सबसे अच्‍छा विकल्‍प है।
सेब का सिरका
सेब का सिरका लिवर को डिटॉक्‍स करने में मदद करता है। यदि आप भी अपने लीवर को साफ रखना चाहते हैं तो भोजन करने से पहले थोड़े से सेब के सिराका का सेवन करें। ऐसा करने से सेब का सिरका शरीर में मौजूद वसा को चयापचय करता है। आप अपने लीवर को मजबूत बनाने के लिए सेब के सिरका का कई प्रकार से सेवन कर सकते हैं। जैसे कि – 1 गिलास पानी में 1 चम्‍मच सेब का सिरका मिलाएं और सेवन करें। विकल्‍प के रूप में आप 1 चम्‍मच सेब के सिरका और 1 चम्‍मच शहद को 1 गिलास पानी में मिलाकर भी सेवन कर सकते हैं। दिन में 2 से तीन बार इस मिश्रण का सेवन लीवर को साफ करने का सबसे अच्‍छा तरीका है।
मुलैठी की चाय
अस्‍वस्‍थ लीवर को स्‍वस्थ्‍य बनाने के लिए मुलैठी (Licorice) एक प्रभावी जड़ी बूटी है। लीवर की क्षतिग्रस्‍त स्थिति को ठीक करने के लिए कई औषधीय और आयुर्वेदिक दवाओं के निर्माण में मुलैठी का प्रमुख रूप से उपयोग किया जाता है। मुलैठी की चाय बनाने के लिए आप मुलैठी की जड़ को पीस लें और उबलते पानी में डालें। कुछ देर के बाद आप इस मिश्रण को छान लें और ठंडा होने दें। लीवर संबंधी समस्‍याओं को दूर करने के लिए इस पेय का नियमित रूप से दिन में 2 बार सेवन करना चाहिए।
घरेलू उपाय अलसी
लीवर खराब होने पर या लीवर की खराबी होने पर अलसी के बीजों का सेवन किया जाना चाहिए। अलसी के बीज में फाइटोकोन्स्टिट्यूएंटस (phytoconstituents) की मौजूदगी होती है। जिसके कारण यह रक्‍त में हार्मोन के फैलने से रोकता है और यकृत पर तनाव को कम करता है। यदि आपके लीवर में किसी प्रकार का इंफेक्‍शन है तो तुरंत ही डॉक्‍टर की सलाह लें। साथ ही उपचार प्रक्रिया को तेज करने के लिए आप अपने आहार में अलसी के बीजों को शामिल करें।
अंगूर
एक अध्‍ययन के अनुसार अंगूर का फल, अंगूर का जूस और अंगूर के बीज लीवर के लिए फायदेमंद होते हैं। ऐसा इसलिए है क्‍योंकि अंगूर और अंगूर के बीजों में एंटीऑक्‍सीडेंट की उच्‍च मात्रा होती है। ये एंटीऑक्‍सीडेंट लीवर की सूजन को कम करने और जिगर की क्षति को रोकने में सहायक होते हैं। इसके अलावा अंगूर में मौजूद अन्‍य पोषक तत्‍वों और यौगिकों को आहार में शामिल करने के लिए आप अन्‍य खाद्य पदार्थो के साथ भी अंगूर का भी उपयोग कर सकते हैं।


अंडा

अंडा सामान्‍य स्‍वास्‍थ्‍य और ऊर्जा में वृद्धि के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। लेकिन स्‍वास्‍थ्‍य सलाहकारों के अनुसार लीवर को स्‍वस्‍थ रखने में अंडा अहम भूमिका निभाता है। इसमें मौजूद प्रोटीन और विटामिन लीवर की क्षतिग्रस्‍त कोशिकाओं को पुन:जीवित करने में सहायक होते हैं। इसके अलावा अंडे में मौजूद एंटीऑक्‍सीडेंट लीवर को फ्री रेडिकल्‍स के प्रभाव से भी बचाते हैं। यदि आप भी अपने लीवर को स्‍वस्‍थ और निरोगी रखना चाहते हैं तो अपने नियमित आहार में अंडो को शामिल करें। लीवर को मजबूत बनाने का घरेलू नुस्‍खा के रूप में अंडा बहुत ही लोकप्रिय खाद्य पदार्थ माना जाता है।
जैतून का तेल
बहुत अधिक वसा और फैटी भोजन करना लीवर के लिए हानिकारक होता है। लेकिन कुछ विशेष प्रकार के स्‍वस्‍थ वसा का सेवन लीवर के लिए लाभकारी भी होते हैं। आप अपने लीवर को साफ करने के उपाय में जैतून के तेल का सेवन कर सकते हैं। एक अध्‍ययन के अनुसार दैनिक आहार में जैतून के तेल को शामिल करने से ऑक्‍सीडेटिव तनाव को कम करने में मदद मिलती है। इसके अलावा जैतून तेल के एंटीऑक्‍सीडेंट लीवर में मौजूद विषाक्‍तता को प्रभावी रूप से दूर करने में सहायक होते हैं। जैतून के तेल में असंतृप्‍त फैटी एसिड की उच्‍च मात्रा होती है जो लीवर को साफ करने और स्‍वस्‍थ रखने में सहायक होते हैं। आप भी लीवर को मजबूत करने के लिए ऑलिव आइल का प्रयोग कर सकते हैं।
गाजर का जूस
गाजर में पौधे आधारित फलेवोनोइड्स (Flavonoids) और बीटा-कैरोटीन (beta carotene) की उच्‍च मात्रा होती है जो लीवर के समग्र स्‍वास्‍थ्‍य को बढ़ाने में सहायक होते हें। आप अपने लिवर के लिए जूस के रूप में गाजर का उपयोग कर सकते हैं। गाजर में विटामिन ए की उच्‍च मात्रा होती है जो यकृत की बीमारियों को रोकने में आपकी मदद कर सकता है।


खाएं लहसुन

किसी भी स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍या के इलाज की बजाय बचाव के तरीके बेहतर होते हैं। यदि आप स्‍वस्‍थ्‍य जीवनशैली और स्‍वस्‍थ आहार का नियमित उपभोग करते हैं तो आपके बीमार होने की संभावना कम होती है। लेकिन यदि आप लीवर की समस्‍या से परेशान हैं तो आपको विशेष इलाज की आवश्‍यकता है। लीवर खराब होने पर अन्‍य पौष्टिक आहार के साथ आप लहसुन का नियमित सेवन करें यह लीवर के स्‍वास्‍थ्‍य को उत्‍तेजित करने में सहायक है। एक अध्‍ययन के अनुसार लहसुन का नियमित सेवन एनएएफएलडी (NAFLD) वाले लोगों में शरीर के वजन और वसा की मात्रा को कम करता है। इस तरह से आप अपने लीवर को स्‍वस्‍थ्‍य रखने और उचित वजन प्राप्‍त करने के लिए नियमित आधार पर लहसुन का सेवन कर सकते हैं।
कैसे करें लिवर (Liver) का बचाव
लिवर का बचाव करने के लिए आपको बस इन आसान कामों को करना है और पूरे नियम से करना है। क्यूंकि लिवर शरीर का महत्वपूर्ण पार्ट है, इसलिए आपको अपने लाइफ स्टाइल में थोड़ा सा बदलाव लाना होगा। ताकि आप लिवर की बीमारी से बच सकें।
जब भी आप सुबह उठे तो 3 से 4 गिलास पानी का सेवन जरूर करें। उसके बाद आप पार्क में टहलें।
दिन में हो सके तो 2 से 3 बार निम्बू पानी का सेवन करें। लिवर को स्वस्थ रखने के लिए शारीरिक काम भी करते रहे।
कभी भी भोजन करते समय पानी का सेवन न करे और खाने के 1 घंटे बाद ही पानी पियें।
चाय, कॉफ़ी से दूर रहे। किसी भी तरह के नशीली चीजों का सेवन न करें। तले हुए खाने से दूर ही रहे। साथ ही जंक फ़ूड का सेवन न करें।
अनुलोम विलोम प्राणायाम, भस्त्रिका प्राणायाम को सवेरे जरूर करें। इन सभी बातों को ध्यान में यदि आप रखेंगे तो आप लिवर की बीमारी से बचे रहेंगे।



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  • 18.7.19

    करी पत्ता (मीठी नीम) के अनुपम स्वास्थ्य लाभ


    मीठी नीम को कई जगह कड़ी पत्ते के नाम से भी जाना जाता है। भारत के कई राज्यों में इसका इस्तेमाल खाने के स्वाद को बढ़ाने के लिए किया जाता है। ज्यादातर इसका इस्तेमाल साउथ की मशहूर डिश डोसा-सांबर में किया जाता है लेकिन हम आपको बता दें कि कड़ी पत्ता यानी मीठी नीम सिर्फ खाने के स्वाद दोगुना ही नहीं करती बल्कि स्वास्थ के लिए फायदेमंद भी होती है। इससे लीवर से जुड़ी बीमारियां, मघुमेह जैसे रोग भी दूर हो जाते है। इस बात से शायद बहुत कम लोग अवगत होंगे कि इससे वजन भी घटाया जा सकता है।
    मीठी नीम या कड़ी पत्ता भारत में अपनी सुगंध और अनोखे स्वाद के कारण लोकप्रिय हैं। करी पत्ते या मीठे नीम के पत्तों का उपयोग विभिन्न भारतीय व्यंजनों में किया जाता है। वे आपके व्यंजनों में सुगंध और स्वाद जोड़ने के लिए उपयोग किए जाते हैं। मीठी नीम खाने के फायदे और स्वास्थ्य लाभ काफी अधिक हैं। यह पाचन तंत्र को ठीक रखती हैं, दस्त को रोकने में मदद करती हैं और कोलेस्ट्रॉल को भी नियंत्रित करती हैं। आइये मीठी नीम के फायदे और नुकसान को विस्तार से जानते हैं।
    करी पत्ते कई महत्वपूर्ण स्वास्थ्य लाभ के साथ भोजन को प्राकृतिक रूप से स्वादिष्ट बनाने का मसाला एजेंट हैं। यह पत्ता हर डिश में एक विशेष स्वाद जोड़ता है। कढ़ी पकोड़े में करी पत्ते एक आवश्यक सामग्री है जो देश के कई हिस्सों में काफी लोकप्रिय है। करी पत्ते अपने विभिन्न एंटीऑक्सीडेंट गुणों और डायरिया (दस्त) को नियंत्रित करने की क्षमता और कई गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याओं को दूर करने के लिए जाने जाते है। इसके अलावा करी पत्ते को कई व्यंजनों में जोड़ा जा सकता है। वजन कम करने के लिए भी करी पत्ते का इस्तेमाल किया जा सकता है। यह विटामिन ए, बी, सी और बी-2 से भरपूर होते हैं।
    करी पत्ते को आयरन और कैल्शियम का अच्छा स्रोत भी कहा जाता है। यह भी माना जाता है कि इसमें कैंसर से लड़ने वाले गुण होते हैं और यह लिवर की रक्षा करने के लिए भी जाना जाता है। यह संक्रमण से लड़ते हैं और जीवन शक्ति के साथ आपके बालों और त्वचा को निखार सकते हैं।

    मीठी नीम के पोषक तत्व

    मीठी नीम भारतीय खाना पकाने का एक अनिवार्य हिस्सा हैं जहाँ सभी व्यंजन मसाला या गार्निशिंग के लिए इसका उपयोग किया जाता है। करी पत्ते तांबा, खनिज, कैल्शियम, फॉस्फोरस, फाइबर, कार्बोहाइड्रेट, मैग्नीशियम और लोहा जैसे आवश्यक पोषक तत्वों में बहुत समृद्ध हैं। इसके अलावा इसमें कई प्रकार के विटामिन और अमीनो एसिड भी होते हैं। इच्छित उपयोग के आधार पर पत्तियों को सुखाया या तला जा सकता है, और मीठी नीम के पत्ते के ताजे रूप में भी उपयोग बहुत लोकप्रिय है।

    मीठी नीम का उपयोग

    एक मजबूत विशिष्ट गंध और तीखे स्वाद के अलावा, करी पत्ते विटामिन ए, विटामिन बी, विटामिन सी, विटामिन बी 2, कैल्शियम और आयरन का एक समृद्ध स्रोत हैं। पेचिश, दस्त, मधुमेह, मॉर्निंग सिकनेस
    (morning sickness) और मतली (nausea) के उपचार में भोजन के पत्तों में करी पत्ते को शामिल करना। करी पत्ते विषाक्त पदार्थों और शरीर की वसा को बाहर निकालने में भी मदद करते हैं।

    वजन कम करने में

    करी पत्ते वजन घटाने में सहायता कर सकते हैं। यह आपको आश्चर्यजनक लग सकता है पर यह सच है। इसमें पाया जाने वाला कार्बोल अल्कलॉइड वजन बढ़ने से रोकने में आपकी मदद कर करता है और शरीर में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है। इस प्रकार वजन कम करने के लिए करी पत्ते का सेवन किया जा सकता है। इसके सेवन के लिए आप अपने भोजन में ताजा या सूखे करी पत्ते जोड़ सकते हैं। आप अपने सलाद में भी इसे शामिल कर सकते हैं। अपने स्वस्थ आहार के साथ करी पत्ते का सेवन करें और वजन कम करने के लिए नियमित रूप से व्यायाम करें।आपको बता दें कि कड़ी पत्तों का सेवन करने से शरीर में जमा फैट धीरे धीरे खत्म हो जाता है। शरीर में मौजूदा चर्बी भी आसानी से कम हो जाएगी। इसके आप इन पत्तियों को उबाल लें और फिर इसके पानी को रोज सुबह सेवन करें

    पाचन में करें सुधार-

    कड़ी पत्तों का नाम भले ही मीठी नीम है लेकिन ये खानें में थोड़े कड़वे लगते है लेकिन अगर आप अपनी पाचन क्रिया में सुधार लाना चाहते है तो इसका खाने का साथ सेवन करें। अपनी डाइट में शामिल करने से आपका तनाव भी दूर हो जाएगा।

    तनाव कम करने के लिए

    करी पत्ते का आवश्यक तेल तनाव को प्रभावी ढंग से कम करने में मदद कर सकता है। फूड केमिस्ट्री जर्नल में प्रकाशित एक शोध ने संकेत दिया है कि करी पत्ते एंटीऑक्सिडेंट का एक अच्छा स्रोत होते हैं। इसमें उपस्थित विटामिन A, विटामिन B, विटामिन C, और विटामिन E जैसे विभिन्न विटामिन तनाव को कम करने में मदद करते है। इसलिए मीठी नीम अवसाद और चिंता से लड़ने के लिए भी जाना जाती है।

    बालों के लिए

    करी पत्ते बालों की जड़ों को मजबूत करने में मदद करते हैं। करी पत्ते बालों के रोम को उत्तेजित करते हैं और सामान्य बाल वर्णक के साथ स्वस्थ किस्में के विकास को बढ़ावा देते हैं। करी पत्ते का उपयोग बालों के झड़ने और बालों के समय से पहले झड़ने से निपटने के लिए किया जा सकता है। करी पत्ता का रस रूसी और परतदार स्कैल्प से छुटकारा दिलाने में मदद कर सकता है। इसके लिए तेल के साथ मीठी नीम के सूखे पत्तों का पाउडर मिला कर आपके बालों में लगाया जा सकता है। सफ़ेद बालों के लिए करी पत्ते का पेस्ट भी लगाया जा सकता है।

    कब्ज और दस्त का इलाज

    करी पत्ते का उपयोग पेट की खराबी के इलाज के लिए किया जा सकता है। शोध से पता चलता है कि करी पत्तों में मौजूद कार्बाज़ोल एल्कलॉइड्स (carbazole alkaloids) में एंटी-डायरियल (anti-diarrheal) गुण होते हैं। लैब चूहों पर किए गए प्रयोगों से पता चला है कि करी पत्ते से कार्बोजल के अर्क ने अरंडी के तेल से प्रेरित दस्त को काफी नियंत्रित करता है। आप सूखे करी पत्ते को पीसकर छाछ में मिला इसका सेवन कर सकते हैं। दस्त, कब्ज और पेचिश जैसी स्थितियों से छुटकारा पाने के लिए इसे खाली पेट में पिएं।

    करी पत्ते के फायदे मधुमेह में

    मीठी नीम या करी पत्ते रक्त शर्करा के स्तर को प्रभावी ढंग से कम करते हैं। वे अग्न्याशय के इंसुलिन-उत्पादक कोशिकाओं को सुरक्षा प्रदान करते हैं और मुक्त कणों से होने वाले नुकसान को रोकते हैं। इसमें तांबा, लोहा, जस्ताऔर लोहे जैसे खनिजों के कारण होता है जो करी पत्ते इस कार्य को करते हैं। इस प्रकार मधुमेह से पीड़ित लोगों के लिए करी पत्ता सहायक हो सकता है।जो लोग मधुमेंह रोग से पीड़ित है उनके लिए ये बेहद फायदेमंद होता है। इस बीमारी से निजात पाने के लिए रोज सुबह उठकर 3 महीने तक इसका लगातार सेवन करें। इसका सेवन करने से सिर्फ आपकी बीमारी ही छूमंतर नहीं होगी बल्कि डायबिटीज के दौरान जमा हुए मोटापे को भी कम करेगा। कड़ी पत्तों का सेवन आप पाउडर के रूप में कर सकते है या फिर इसको उबाल कर इसका पानी भी पी सकते हैं|

    मितली से राहत

    गर्भावस्था की पहली तिमाही में सुबह की बीमारी और मितली से राहत पाने के लिए महिलाएं करी पत्ते का विकल्प चुन सकती हैं। करी पत्ते पाचन को बढ़ाने और मतली, सुबह की बीमारी और उल्टी से राहत देने में मदद करते हैं।

    बैक्टीरिया को खत्म करे

    हमारे शरीर में अधिकांश बीमारी संक्रमणों के कारण कारण होती है। इस तरह के संक्रमणों के लिए करी पत्तों का उपयोग एक प्राकृतिक उपचार के रूप में किया जा सकता है। करी पत्ते कार्बोराज अल्कलॉइड से भरे होते हैं जो जीवाणुरोधी, कैंसर रोधी और एंटी इन्फ्लामेट्री गुणों वाले यौगिक हैं। करी पत्ते में लिनालूल (Linalool) यौगिक भी होता है। यह यौगिक करी पत्ते को उनकी खुशबू देता है। इस यौगिक में बैक्टीरिया-मारने के गुण होते हैं। यह शरीर से हानिकारक मुक्त कणों को खत्म करने में भी मदद करता है।

    याददाश्त में सुधार करे

    अपने आहार में करी पत्ते को शामिल करने से आपकी याददाश्त पर लाभकारी प्रभाव पड़ सकता है। यह अल्जाइमरजैसे ख़राब स्मृति विकारों से छुटकारा दिलाने में मदद कर सकता है।

    अच्छी आँखों की रोशनी के लिए

    ऐसा माना जाता है कि करी पत्ते का आंखों की रोशनी पर लाभकारी प्रभाव पड़ता है। करी पत्ते में उच्च मात्रा में विटामिन A होता है, जो आंखों की रोशनी के लिए अच्छा है। ये मोतियाबिंद की शुरुआत को रोकते हैं। विटामिन A में कैरोटीनॉयड होता है जो कॉर्निया और आंख की सतह की रक्षा करता है। विटामिन ए की कमी से रतौंधी और यहां तक कि कुछ मामलों में दृष्टि की हानि भी हो सकती है।

    घाव, जलन और त्वचा का फटना

    करी पत्ते के पेस्ट को लगाने से घाव, चकत्ते, फोड़े और हल्के जलने पर रोगनिवारक प्रभाव पड़ता है। इन पत्तियों का पेस्ट किसी भी प्रकार के हानिकारक संक्रमण को रोकने और खत्म करने में मदद करता है। ताजा पेस्ट बनाने के लिए आप पत्तों के पीस कर इसमें थोड़ा सा पानी मिला सकते हैं। फिर इसे सीधे फोड़े पर, त्वचा की जलन, खरोंच और त्वचा के फटने पर लगा सकते हैं। अच्छे परिणामों के लिए पेस्ट को रात भर के लिए लगा कर छोड़ दें। करी पत्तों में उपस्थित कार्बाज़ोल एल्कालॉइड यौगिक घाव भरने की प्रक्रिया को गति देता है। करी पत्ता त्वचा की सूजन, फोड़े और जलने पर एक समान प्रभाव पड़ता है।

    15.7.19

    घर पर प्रोटीन शेक बनाने की विधि


    अगर आप बॉडी बनाने की सोच रहे है अगर आप लोग बहुत मेहनत करने के बाद भी आपकी बॉडी नहीं बन पा रही है या आप लोग बहुत व्यायाम करने के बाद भी आपकी बॉडी नहीं बन पा रही है तो सबसे पहले आप प्रोटीन शेक का सेवन करना शुरू करे क्योकि आप चाहे जितनी व्यायाम कर ले जब तक आपका डाइट प्लान में बदलाव नहीं करोगे तब तक आपकी बॉडी बनना बहुत मुश्किल हो सकता है आजकल के बॉडी बनाने के लिये कई प्रकार के मल्टीविटामिन टेबलेट - कैप्सूल - तेल - शेक आदि का उपयोग करते है लेकिन बाजार मे उपलब्द इन चीजों में भारी मिलावट देखने को मिलती है जिसका नतीजा हमारे शरीर में कई प्रकार के इन्फ़ेक्सन हो जाते है जैसे - आपके शरीर में सूजन होना - शरीर में दाग या चेहरे पर पिम्पल्स होना - टेबलेट या कैप्सूल लेते समय उल्टी या चक्कर आना आदि कारण हो सकते है
    क्‍या आप मसल्स बनाने के और मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए प्रोटीन शेक बनाने का तरीका खोज रहें हैं। प्रोटीन शेक शब्‍द सुनते ही बाजार में मिलने वाले प्रोटीन प्रोडक्‍ट की तरफ आपका ध्‍यान चला जाता है। लेकिन प्रोटीन शेक बनाने का तरीका बहुत ही आसान है जिसे आप अपने घर में ही तैयार कर सकते हैं। इस लेख में आपको होममेड प्रोटीन शेक बनाने की विधि बताते हैं-
    एक उत्‍कृष्‍ट शेक पानी या दूध के साथ कुछ प्रोटीन पाउडर को मिलाकर तैयार किया जाता है। लेकिन प्रोटीन-पैक तरल पदार्थ की बढ़ती लोकप्रियता के कारण अब इनके बहुत से विकल्‍प उपलब्‍ध हैं। अधिकांश लोग जो जिम जाते हैं वे प्रोटीन पाउडर का उपभोग करते हैं। पौष्टिक ड्राई फूड से तैयार प्रोटीन शेक आमतौर पर अधिक स्‍वादिष्‍ट होते हैं। लेकिन यदि इन्‍हें ताजे फलों और चॉकलेट आदि मिलाकर बनाया जाता है तो इनमें चीनी की मात्रा अधिक हो सकती है। जो भी हो प्रोटीन शेक आपके दुबले शरीर का वजन बढ़ाने और मजबूत करने में सहायक होते हैं।
    आप अपने शरीर को स्‍वस्‍थ्‍य रखने के लिए कई प्रकार के आहारों का सेवन करते हैं। इसी तरह से आप इन सभी आहारों की पूर्ति करने और शरीर को मजबूत बनाए रखने के लिए प्रोटीन शेक का उपभोग कर सकते हैं। यह आपकी प्रतिरक्षा शक्ति को बढ़ाने के साथ ही आपकी ऊर्जा में भी वृद्धि कर सकता है। इसके लिए आप बाजार से कुछ प्रोटीन शेक खरीद सकते हैं। लेकिन ये सभी लोगों के लिए संभव नहीं हैं। क्‍योंकि एक तो यह महंगे होते हैं साथ ही इनमें कुछ रासायनिक प्रभाव भी हो सकते हैं। इसलिए आप अपने घर में ही कुछ प्रोटीन शेक बना सकते हैं जो आपके फायदेमंद होते हैं साथ ही इनके कोई दुष्‍प्रभाव नहीं होते हैं।
    बादाम, नारियल प्रोटीन शेक
    आपके शरीर के लिए प्रोटीन का एक अच्‍छा विकल्‍प बादाम हो सकता है। क्‍योंकि बादाम में प्रोटीन की अच्‍छी मात्रा होती है। बादाम प्रोटीन शेक बनाने के लिए लगभग 20 बादाम का उपयोग किया जा सकता है। कयोंकि 20 बादाम में लगभग 5 ग्राम प्रोटीन होता है। इसके अलावा दूध भी प्रोटीन का अच्‍छा स्रोत माना जाता है। बादाम, नारियल प्रोटीन शेक बनाने के लिए आपको निम्‍न सामग्री की आवश्‍यकता होती है :
    20 बादाम, ½ कप सूखे नारियल, 2 ½ कप पानी, 1 चम्‍मच दालचीनी पाउडर, 1 चम्‍मच शहद, 2 चम्‍मच पिसा हुआ अलसी पाउडर, 2 कप दूध ।
    बादाम, नारियल प्रोटीन शेक बनाने की विधि: 
    बादाम और नारियल को रात में पानी में भिगो दें। सुबह इन्‍हें पानी से निकालें और अच्‍छी तरह से पीसें। इस मिश्रण को दूध में मिलाएं। इन्‍हें अच्‍छी तरह से हिलाकर मिलाने के बाद इसमें दालचीनी पाउडर, अलसी पाउडर और शहद मिलाएं। आपका प्रोटीन शेक तैयार है।
    काजू चॉकलेट प्रोटीन शेक
    सर्वश्रेष्‍ठ प्रोटीन व्‍यंजनों में काजू चॉकलेट प्रोटीन शेक का प्रमुख स्‍थान है। क्‍योंकि इस प्रोटीन शेक का सेवन करने पर 16.35 ग्राम प्रोटीन प्राप्‍त किया जा सकता है। इस प्रोटीन शेक का उपयोग आप सुबह के नाश्‍ता के रूप में भी कर सकते हैं। चूंकि इसमें काजू होता है इसलिए इससे अधिक मात्रा में कैलोरी प्राप्‍त की जा सकती है। काजू चॉकलेट प्रोटीन शेक इस प्रकार बनाया जाता है।
    इसे बनाने के लिए 1 केला, 1 कप पूर्ण वसा वाला दूध, 2-3 काजू, 2 चम्‍मच नारियल पाउडर, 2 चम्‍मच चॉकलेट की आवश्‍यकता होती है।
    प्रोटीन शेक बनाने का तरीका: आप इन सभी अवयवों को ब्‍लेंडर की सहायता से मिलाएं। आपको 1 गाढ़ा तरल पेय प्राप्त होगा। आप इस पेय पदार्थ को गिलास में लें और आनंद उठाये। आपका प्रोटीन शेक तैयार है।
    ब्‍लूबेरी और केला प्रोटीन शेक
    शरीर को अतिरिक्‍त ऊर्जा दिलाने के लिए अक्‍सर केला खाने की सलाह दी जाती है। ऐसा इसलिए है क्‍योंकि इसमे प्रोटीन की सबसे अधिक मात्रा होती है। इसके अलावा ब्‍लूबेरी एंटीऑक्‍सीडेंट और विटामिन सी से भरा होता है। आप इस ऊर्जावान प्रोटीन शेक को बनाने के लिए निम्‍न सामग्री का उपयोग कर सकते हैं :
    1 कप ब्‍लूबेरी, 1 केला, 2 चम्‍मच बादाम मक्‍खन, 1 कप दही।
    इस प्रोटीन शेक को बनाने के लिए मिक्‍सी की सहायता से इन सभी अवयवों को अच्‍छी तरह से पीस लें। आप इसे कुछ पतला करने के लिए दूध भी मिला सकते हैं यदि आवश्‍यकता है तो। आप इस शेक को किसी गिलास में खाली करें। आपके सेवन के लिए प्रोटीन शेक तैयार है। यह न केवल आपकी मांसपेशियों को ताकत देगा बल्कि व्‍यायाम के बाद आपको ऊर्जा भी दिलायेगा।
    चॉकलेट प्रोटीन शेक
    यह प्रोटीन शेक चॉकलेट प्रेमियों के लिए बहुत ही अच्‍छा होता है। इसका स्‍वाद मीठा होता है (लेकिन ध्‍यान दें कि ज्‍यादा मीठा प्रोटीन शेक का सेवन न करें)। इसके अलावा यह सुगंधित और त्‍वरित मूड बूस्‍टर होता है। इस प्रोटीन शेक का सेवन करने पर आप 23.6 ग्राम प्रोटीन प्राप्‍त कर सकते हैं। इसे तैयार करने क लिए आपको चाहिए :
    1 कटा हुआ सेब, 1 बड़ा चम्‍मच बादाम मक्‍खन, 1 बड़ा चम्‍मच चॉकलेट, 1 बड़ा चम्‍मच नारियल पाउडर, 1 कप दूध, ½ कप दही, 2 खजूर आदि।
    प्रोटीन शेक बनाने का तरीका: कटे हुए सेब, खजूर, दूध, दही, नारियल पाउडर और बादाम मक्‍खन को ब्‍लेंडर में मिलाकर पीस लें। इस मिश्रण को किसी गिलास में खाली करें और इसमें चॉकलेट डालकर मिलाये। आपका चॉकलेट प्रोटीन शेक तैयार है। आप इसका उपभोग कर सकते हैं।
    सत्‍तू का घरेलू प्रोटीन शेक
    भुने हुए चने के आटे को सत्‍तू कहते हैं। इसे भारत में बहुत ही पसंद किया जाता है साथ ही यह ऊर्जा प्राप्‍त करने का सबसे अच्‍छा साधन हो सकता है। इसे गरीब आदमी का भोजन के नाम से भी जाना जाता है। लेकिन यह पर्याप्‍त मात्रा में प्रोटीन उपलब्‍ध करा सकता है। आप इस प्रोटीन शेक को घर पर भी तैयार कर सकते हैं। इसे बनाने के लिए आपको चाहिए :
    4 चम्‍मच सत्‍तू पाउडर, आधा नींबू का रस, 2 चम्‍मच कटा हुआ धनिया, 1/2 चम्‍मच भुना हुआ जीरा पाउडर, स्‍वाद अनुसार नमक और 1 कप पानी।
    प्रोटीन शेक बनाने का तरीका: इसे बनाने के लिए सत्‍तू, भुना हुआ जीरा पाउडर और कटा हुआ धनियां मिलाएं। इसे हिलाते हुए धीरे-धीरे पानी मिलाएं। ध्‍यान रखें कि इसमे किसी किसी प्रकार की गांठ न बचे। अब इस गाढ़े पेस्‍ट में 1 गिलास पानी डालें और नींबू के रस को निचोड़ें। आपका प्रोटीन शेक तैयार है। आप इसे हिलाते हुए पी सकते हैं। यह आपको उच्‍च ऊर्जा दिलाने में मदद कर सकता है।
    कोकोनट घरेलू प्रोटीन शेक
    बादाम और नारियल दो ऐसे उत्‍पाद हैं जो हमारे शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद होते हैं। इनको 1 कप दूध के साथ मिलाकर सेवन किया जा सकता है। यह बहुत ही स्‍वादिष्‍ट और पोष्टिक होते हैं।
    इस प्रोटीन शेक को बनाने के लिए आपको 10 बादाम, 1 कप दूध या बादाम दूध, 1 चम्‍मच नारियल पाउडर, 1 चम्मच वेनिला का रस, ¼ काजू दूध, 2 खजूर आदि की आवश्‍यकता होती है।
    प्रोटीन शेक बनाने का तरीका: बादाम, नारियल, दूध और खजूर को ब्‍लेंडर की सहायता से मिलाएं। इसे एक गिलास में खाली करें और इसमें काजू दूध, कोको पाउडर, और वेनिला रस को मिलाये। आपके सेवन के लिए कोकोनट प्रोटीन शेक तैयार है।
    मटर प्रोटीन शेक
    आप जानते हैं कि मटर हमारे लिए कितना फायदेमंद होता है। यह डेयरी मुक्‍त प्रोटीन उपलब्‍ध कराता है। आप इसके साथ ब्‍लूबेरी या स्‍ट्रॉबेरी का उपयोग कर सकते हैं। इस प्रोटीन शेक बनाने के लिए आपको :
    1 ½ चम्‍मच मटर , 1 कप बादाम दूध, ½ कप स्‍ट्रॉबेरी, जायफल पाउडर 1 चुटकी और थोड़ा सा गुड चाहिए।
    प्रोटीन शेक बनाने का तरीका: आप इन सभी को अच्‍छी तरह मिलाने के लिए ब्‍लेंडर की मदद ले सकते हैं। अच्‍छी तरह से ब्‍लेंड करने के बाद आप इसे किसी गिलास में खाली करें और इसमें कुछ बर्फ के क्‍यूब्‍स डालें। आपका मटर प्रोटीन शेक तैयार है।
    मूंगफली और केला प्रोटीन शेक
    यह एक ऐसा प्रोटीन शेक है जो आपको लगभग 43.5 ग्राम प्रोटीन उपलब्‍ध करा सकता है। आप व्‍यायाम के बाद शरीर की थकावट को दूर करने और ऊर्जा प्रापत करने के लिए इस प्रोटीन शेक का उपभोग कर सकते हैं। इसे बनाने के लिए निम्‍न खाद्यों की आवश्‍यकता होती है :
    2 मध्‍यम आकार के केले, 2 चम्‍मच मूंगफली का मक्‍खन, 2 कप दही, 100 मिलीलीटर पूर्ण वसा वाला दूध, 1 बड़ा चम्‍मच चिया बीज और नारियल पाउडर।
    प्रोटीन शेक बनाने का तरीका: प्रोटीन शेक बनाने के लिए एक ब्‍लेंडर में केला, दही, दूध और मूंगफली मक्‍खन को मिलाये। ब्‍लेंडर में मिश्रण को अच्‍छी तरह से मिलाने के बाद इसमें ऊपर से चिया बीज और नारियल पाउडर को छिड़कें। आपका प्रोटीन शेक तैयार है। आप इसका आनंद उठा सकते हैं यह बहुत ही स्‍वादिष्‍ट और पौष्टिक भी होता है।
    मसल्स बनाने के आम-बादाम दूध प्रोटीन शेक
    यह प्रोटीन शेक कितना स्‍वादिष्‍ट हो सकता है यह बताने की आवश्‍यकता नहीं है। यह एक ऐसा प्रोटीन पेय है जो आपको व्‍यायाम के बाद ऊर्जा दिलाने में मदद कर सकता है। क्‍योंकि आम मे कार्बोस की अच्‍छी मात्रा होती है। ये हमें ऊर्जा दिलाने में सहायक होते हैं। इस प्रोटीन शेक को बनाने के लिए आपको चाहिए :
    1 कप कटा हुआ पका आम, 1 कप बादाम दूध, 1 बड़ा चम्‍मच चिया बीज, ½ कप ठंडा दही।
    प्रोटीन शेक बनाने का तरीका: कटे हुए आम, बादाम दूध और ठंडे दही को ब्‍लेंडर की सहायता से मिलाएं। इस मिश्रण को 1 गिलास में खाली करें और पीने से पहले चिया बीज ऊपर से डालें। आपका मैगों प्रोटीन शेक तैयार हैं।