शिशुओं के लिए उत्तम दवा है। दूध पीता बच्चा, हरे-पीले और झागदार दस्त बार-बार करे, मल से और शरीर से खट्टी दुर्गन्ध आए, दस्त में अपना दूध निकाले, तो उक्त दवा 30 शक्ति कारगर है।
एलूमिना :
कुछ रोगियों को टट्टी की हाजत ही नहीं होती और वे 2-3 दिन तक हाजत का अनुभव नहीं करते। शौच के लिए बैठते हैं, तब बड़ी मुश्किल से सूखी काली तथा बकरी की मेंगनी जैसी गोलियों की शक्ल में टट्टी होती है, आलू खाने से कष्ट बढ़ जाता है, मलाशय की पेशियां इतनी शिथिल हो जाती है कि स्वयं मल बाहर नहीं फेंक पातीं। यहां तक कि पतले मल को निकालने के लिए भी जोर लगाना पड़ता है। पेशाब करने में जोर लगाना पड़े, पीठ में दर्द हो, तो इन लक्षणों के आधार पर ‘एलुमिना’ 30 एवं 200 शक्ति की कुछ खुराक ही कारगर असर दिखाती है।
कैमोमिला :
बेचैनी, चिड़चिड़ापन, बच्चा एक वस्तु मांगता है, मिलने पर लेने से मना कर देता है, जिद्दी स्वभाव, गर्म-हरा पानी जैसा बदबूदार दस्त (जैसे किसी ने पालक में अंडा फेंट दिया हो), पेशाब के रास्ते में जलन, मां के गुस्सा करने के समय बच्चे को दूध पिलाने के बाद बच्चे को दस्त होना आदि लक्षणों के आधार पर 30 शक्ति की दवा फायदेमंद रहती है।
एलोस :
रोगी को मांस के प्रति घृणा रहती है। जूस एवं तरल पदार्थों की इच्छा बनी रहती है, किंतु पीते ही पेट फूलने लगता है। पेट में भारीपन, फूला हुआ, शौच से पूर्व एवं बाद में भी पेट दर्द, रोगी कुछ भी खाता है, फौरन पाखाने जाना पड़ता है। पाखाने में श्लेष्मायुक्त स्राव अधिक निकलता है। साथ ही गैस भी अधिक निकलती है। ऐसी स्थिति में उक्त औषधि 30 शक्ति में नियमित सेवन करानी चाहिए।
पोडोफाइलम :
उल्टी के साथ दस्त, अधिक प्यास, पेट फूला हुआ, पेट के बल ही रोगी लेट सकता है, यकृत की जगह पर दर्द, रगड़ने पर आराम, कालरा रोग होने पर, बच्चों में सुबह के वक्त, दांत निकलने के दौरान हरा दस्त, पानीदार, बदबूदार पाखाना आदि लक्षण मिलने पर 30 शक्ति में औषधि का प्रयोग हितकारी रहता है।
कैल्केरिया कार्ब :
जरा-सा दबाव भी (बच्चे चाक खड़िया खाते हैं) पेट पर बर्दाश्त नहीं कर पाता, पीला बदबूदार पाखाना, अधपचा खाना निकलता है, किंतु अधिक भूख लगती है, पहले पाखाना कड़ा होता है, बाद में दस्त होते हैं, 200 शक्ति में लें।
• पहले सिरदर्द, फिर दस्त – ‘एलो’, ‘पोडोफाइलम’।
• खट्टी वस्तुओं से – ‘एलो’, ‘एण्टिमकूड’।
• किसी आकस्मिक बीमारी के कारण – ‘चाइना’, ‘कार्बोवेज’।
• शराब पीने के कारण – ‘आर्सेनिक’, ‘लेकेसिस’, ‘नक्सवोमिका’।
• बुखार के कारण – ‘कैमोमिला’ ।
• नहाने के बाद – ‘एण्टिमक्रूड’।
• बियरपीने के कारण – ‘कालीबाई’, ‘सल्फर’, ‘इपिकॉक’, ‘म्यूरियाटिक एसिड’ आदि।
• गोभी खाने से – ‘ब्रायोनिया’, ‘पेट्रोलियम’।
• नाक बहने एवं फेफड़ों की गड़बड़ी के साथ – ‘सैंग्युनेरिया’।
• मौसम-परिवर्तन के साथ – ‘एकोनाइट’, ‘ब्रायोनिया’, ‘नेट्रम सल्फ’, ‘केप्सिकम’, ‘डल्कामारा’, ‘मरक्यूरियस’।
• आइसक्रीम व अन्य ठंडी वस्तुओं के कारण – ‘पल्सेटिला’, ‘एकोनाइट’, ‘आर्सेनिक’, ‘ब्रायोनिया’।
• कॉफी के कारण – ‘साइक्लामेन’, ‘थूजा’ ।
• जुकाम दब जाने से – ‘सैंग्युनेरिया’ ।
• अंडे खाने के बाद – ‘चिनिनम आर्स’।
• उत्तेजना अथवा व्यग्रता के कारण – ‘एकोनाइट’, ‘अर्जेण्टम नाइट्रिकम’, ‘जेलसीमियम’, ‘इग्नेशिया’, ‘ओपियम’, ‘फॉस्फोरिक एसिड’।
• त्वचा रोग हो जाने पर – ‘ब्रायोनिया’, ‘सल्फर’।
• चिकनी एवं तैलीय वस्तुएं खाने के बाद – ‘पल्सेटिला’।
• फल खाने के बाद – ‘आसेंनिक’, ‘ब्रायोनिया’, ‘चाइना’, ‘पोडोफाइलम’, ‘पल्सेटिला’, ‘क्रोटनटिंग’।
• पेट की गड़बड़ियों के कारण – ‘एण्टिमकूड’, ‘नक्सवोमिका’, ‘पल्सेटिला’ ।
• गर्मी के कारण – ‘एण्टिमकूड’, ‘ब्रायोनिया’, ‘कैमोमिला’, ‘सिनकोना’, ‘क्यूफिया’, ‘इपिकॉक’, ‘पीडोफाइलम’।
• अम्लता (हाइपर एसिडिटी) के कारण – ‘कैमोमिला’, ‘रयूम’, ‘रोविनिया’ ।
• अांतों की कमजोरी के कारण – ‘अर्जेण्टमनाइट’, ‘सिनकोना’, ‘सिकेल’।
• पीलिया के कारण – ‘चिओनेंथस’
• मांस खाने के कारण – ‘आर्सेनिक’, ‘क्रोटनटिंग’।
• दूध पीने के कारण – ‘एथूजा’, ‘मैगकार्ब’, ‘नक्समॉश’, ‘मैगमूर’, ‘सीपिया’।
• चलने-फिरने से – ‘ब्रायोनिया’।
• ऊपर से नीचे उतरने (सीढ़ियां उतरने) के कारण – ‘बोरैक्स’, ‘सैनीक्यूला’ ।
• गुर्दो के संक्रमण के कारण – ‘टेरेबिंथ’ ।
• प्याज खाने से – ‘थूजा’ ।
• सूअर का मांस खाने से – ‘एकोनाइट’, ‘पल्सेटिला’ ।
• मिठाई खाने के कारण – ‘अर्जेण्टम नाइट्रिकम’, ‘गेम्बोजिया’।
• तम्बाकू खाने से – ‘टेबेकम’, ‘कैमोमिला’।
• क्षयरोग के साथ दस्त – ‘आर्निका’, ‘बेप्टिशिया’, ‘सिनकोना’, ‘क्यूप्रमआस’, ‘फॉस्फोरस’ आदि।
• सन्निपात ज्वर के साथ – ‘आर्सेनिक’, ‘बेप्टिशिया’, ‘हायोसाइमस’, ‘म्यूरियाटिक एसिड’।
• आंतों में घाव हो जाने के कारण – ‘मर्ककॉर’, ‘कालीबाई’।
• पेशाब के साथ दस्त – ‘एलोस’, ‘एलूमिना’, ‘एपिस’।
• खांसने पर पाखाना निकल जाना – ‘कॉस्टिकम’।
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टीके वगैरह लगने के बाद (बच्चों में) दस्त होना – ‘साइलेशिया’, ‘थूजा’ ।
• सब्जियां (तरबूज वगैरह) खाने के बाद – ‘आर्सेनिक’, ‘ब्रायोनिया’ ।
• प्रदूषित जल पीने के कारण – ‘जिंजिबर’, ‘एल्सटोनिया’, ‘कैम्फर’ ।
• बच्चों में दस्त होना – ‘एकोनाइट’, ‘एथूजा’, ‘अर्जेण्टमनाइट’, ‘आर्सेनिक’, ‘बेलाडोना’, ‘बोरैक्स’, ‘कैल्केरिया कार्ब’, ‘कैल्केरियाफॉस’, ‘कैमोमिला’, ‘कोलोसिंथ’, ‘क्रोटनटिंग’, ‘सल्फर’, ‘वेरेट्रम एल्बम’।
• बच्चों में दांत निकलने के दौरान दस्त – ‘एकोनाइट’, ‘एथूजा’, ‘बेलाडोना’, ‘कैल्केरिया आदि।
• बूढ़े व्यक्तियों को दस्त होने पर – ‘एण्टिमकूड’, ‘कार्बोवेज’, ‘सिनकोना’, ‘सल्फर’ ।
• स्त्रियों में मासिक ऋतु स्राव से पहले व बाद में दस्त – ‘अमोनब्रोम’, ‘बोविस्टा’।
• लेटे रहने पर स्त्रियों को दस्त की हाजत होना – ‘कैमोमिला’, ‘हायोसाइमस’, ‘सिकेलकॉर’।