24.8.17

यूरिक एसिड को खत्म करने का रामबाण उपाय

    



यूरिक एसिड की समस्या आज सबसे तेजी से बढ़ती हुई स्वास्थय समस्याओं में से एक है,  जानकार लोग बताते हैं कि यह मुख्य तौर पर अनुचित खानपान के कारण होने वाला रोग है जो कही ना कही शरीर की रोग प्रतिरोधी शक्ति से भी जुड़ा हुआ है । हम आपको एक  विशेष चूर्ण के बारे में बता रहे हैं जो यूरिक एसिड को बहुत प्रभावी 
रूप से नियंत्रित करने में बहुत लाभकारी होता है । 



जरूरी सामग्री :-

1. गिलोय का चूर्ण :- 200 ग्राम
2. मेथी दाना चूर्ण :- 100 ग्राम
3.  अजवायन चूर्ण :- 100 ग्राम
4.  अर्जुन छाल चूर्ण :- 100 ग्राम
5.  चोबचीनी चूर्ण :- 100 ग्राम
      गिलोय का चूर्ण आपको गिलोय की बेल को सुखाकर पीसकर मिल जायेगा, बाकी चार सामग्री  आपको अपने आस पास किसी जड़ीबूटी वाले अथवा पँसारी की दुकान पर आसानी से मिल जायेंगे ।



बनाने की विधि :-
इन सभी सामानों को एक साथ लेकर हल्का दरदरा कूटकर मिक्सी में डालकर महीन चूर्ण तैयार कर लें और किसी काँच की साफ एयरटाईट शीशी में भरकर रख लें । आपका चूर्ण तैयार है ।

सेवन विधि  :-

इस चूर्ण को 3-3 ग्राम की मात्रा में रोज सुबह और शाम लेना है । इस चूर्ण का सेवन गुनगुने जल के साथ करना अधिका उचित है । इसके सेवन काल में उचित परहेज का जरूर पालन करें । इस चूर्ण को लागातार 100 दिन तक सेवन करने से पुराने से पुराने यूरिक एसिड के रोगी को भी बहुत अच्छा लाभ मिलते हुये देखा गया है ।
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विशिष्ट परामर्श-  

संधिवात,कमरदर्द,गठिया, साईटिका ,घुटनो का दर्द आदि वात जन्य रोगों में जड़ी - बूटी निर्मित हर्बल औषधि ही अधिकतम प्रभावकारी सिद्ध होती है| रोग को जड़ से निर्मूलन करती है| हर्बल औषधि होने के बावजूद यह तुरंत असर चिकित्सा है| सैकड़ों वात रोग पीड़ित व्यक्ति इस औषधि से आरोग्य हुए हैं|  बिस्तर पकड़े पुराने रोगी भी दर्द मुक्त गतिशीलता हासिल करते हैं|औषधि के लिए वैध्य श्री दामोदर से 98267-95656 पर संपर्क कर सकते हैं| 





गले और छाती मे जमे कफ, बलगम का तुरंत असर उपचार


   

क्या आपको गले और छाती में कुछ जमा हुआ सा महसूस हो रहा है? सांस लेने में तकलीफ और लगातार छीकें आ रही हैं? ये सारे लक्षण बलगम जमा होने के होते हैं। साथी ही, नाक बहना और बुखार आना भी इस समस्या के प्रमुख लक्षण हैं। बलगम हालांकि खतरनाक नहीं होता लेकिन अगर ये लंबे वक्त तक जना रहे तो इससे आपको श्वास संबंधी अन्य समस्याएं हो सकती हैं। बलगम जमने के बहुत सारे कारण हो सकते हैं, जैसे कि सर्दी-जुकाम, फ्लू, वायरल इन्फेक्शन, साइनस, अत्यधिक स्मोकिंग। इस समस्या से निपटने के लिए बहुत सारे घरेलू उपाय मौजूद हैं, आइये जानते हैं उनके बारे में।

 अदरक और शहद
अदरक में ऐसे बहुत से तत्व होते हैं जो बहुत सारी बीमारियों का सामना कर सकते हैं। इसके सेवन से सर्दी खांसी में फायदा होता है और श्वसन प्रक्रिया ठीक हो जाती है। 100 ग्राम ग्राम अदरक को कूट लें। दो-तीन चम्मच शहद को उसमें मिला लें। इस पेस्ट को दो-दो चम्मच दिन में दो बार लें। समस्या दूर हो जाएगी।
 लेमन टी
नींबू में मौजूद सिट्रिक एसिड और शहद के एंटीसेप्टिक तत्व बलगम कम करने और गले का दर्द दूर करने में मदद करते हैं। ब्लैक टी बनाइये, और उसमें एक चम्मच ताजे नींबू का रस और एक चम्मच शहद का मिला दीजिए।

अंगूर का जूस
अंगूर की प्रकृति एक्सपेक्टोरेंट होता हैं और इसलिए ये आपके फेफड़ों के लिए और बलगम दूर करने में फायदा पहुंचाता है। दो चम्मच अंगूर के जूस में दो चम्मच शहद मिला लें। इस मिक्चर को एक हफ्ते तक दिन में तीन बार लें।
गरारे
एक ग्लास गर्म पानी में एक चम्मच नमक मिलाएं। अपनी गर्दन थोड़ी सी पीछे की तरफ गिराएं और फिर इस नमक के पानी से गरारे करें। इस पानी को निगलें न। कुछ देर तक गले में रखकर गरारे करने के बाद आप निश्चित रूप से अच्छा महसूस करेंगे।

प्याज और नींबू
एक प्याज छील कर उसे पीस लें। एअब एक नींबू का रस निकाल लें। इसे एक कप पानी में इन दोनों को मिलाकर दो तीन मिनट के लिए उबाल लें। आंच से उतार लें और एक चम्मच शहद मिला लें। इस मिक्सचर को एक दिन में तीन बार पियें, बलगम की समस्या दूर हो जाएगी।
 प्राकृतिक जड़ी बूटियाँ खाएँ
मुलैठी (licorice), मेथी और चिकवीड (chickweed) जैसी जड़ी बूटियाँ खाना आपके गले से बलगम साफ करने में मदद करेगा। इन्हें अपने खाने में जोड़ें या अगर आप स्वाद को बर्दाशत कर सकते हैं, तो इन्हें कच्चा खाएँ या पानी में उबालकर इनकी चाय बनाएँ

 गाजर
गाजर में विटामिन सी की प्रचुर मात्रा होती है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट तत्वों की वजह से ये आपके इम्यून सिस्टम को बढ़ाता है। इसके अलावा इसमें ऐसे बहुत से विटामिन और पोषक तत्व होते हैं जो खांसी और बलगम की समस्या को दूर करते हैं। 3-4 ताजी गाजर का जूस निकालें। उसमें थोड़ा पानी और दो-तीन चम्मच शहद मिलाएं। अच्छी तरह इस मिश्रण को मिलाएं। इस मिश्रण को एक दिन में दो से तीन बार पियें, आपकी बलगम की समस्या ठीक हो जाएगी।
 लहसुन और नींबू
लहसुन में सूजन दूर करने वाले तत्व मौजूद होते हैं और नींबू में सिट्रिक एसिड। जब दोनों का इस्तेमाल किया जाता है तो ये बलगम दूर करने में हमारी मदद करते हैं। एक कप पानी उबालें। उसमें तीन नींबू निचोड़ें। थोड़ा सा कुटा हुआ अदरक मिलाएं। साथ में आधी चम्मच काली मिर्च का पाउडर और एक चुटकी नमक। इन सब को अच्छे से मिला लें और पी लें। इससे आपको बलगम की समस्या से फौरन निजात मिल जाएगी।

 सफेद-मिर्च
आधी चम्मच सफेद कालीमिर्च को पीस लें। इसमें 1 चम्मच शहद मिला लें। इस मिक्सचर को 10-15 सेकेंड माइक्रोवेव करें। फिर पी लें। इसे पीते ही आपको फौरन आराम मिलेगा। बलगम से पूरी तरह छुटकारा पाने के लिए इस मिक्चर को एक हफ्ते तक दिन में तीन बार जरूर लें।
 हल्दी
बलगम के उपचार के लिए हल्दी सबसे अधिक प्रभाव डालने वाली चीज है। ये एंटीऑक्सीडेंट की तरह काम करती है और इसमें कर्क्यूमिन होता है जो शरीर की बहुत सारी आंतरिक और बाहरी समस्याओं में फायदा पहुंचाता है। एक ग्लास गर्म दूध में हल्की और आधा चम्मच काली मिर्च पाउडर मिलाएं। अब इसमें एक चम्मच शहद मिलाएं। बलगम को दूर करने के लिए इसे रोज पियें।
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  • 21.8.17

    सौंफ है गुणों का खजाना


    सौंफ सम्पूर्ण सँसार में बहुत ज्यादा  उपयोग में  आने वाला मसाला है । अपने विशिष्ट स्वाद और मनभावन सुगन्ध के कारण यह विशेष मौको पर बनाये जाने वाले व्यंजनों का हिस्सा जरूर रहता है । खाने के बाद सौंफ का प्रयोग एक अच्छा माउथफ्रेशनर के तौर पर किया ही जाता है । प्रस्तुत लेख में प्रकाशित आयुर्वेद क्लीनिक, मेरठ के सौजन्य से हम आपको बता रहे हैं कि इस छोटी सी सौंफ से हमको कितने बड़े बड़े लाभ मिलते हैं
    सौंफ है गुणकारी नेत्र विकारों में :-
    125 ग्राम सौंफ लेकर उसको बारीक पीस लें और एक लीटर पानी के साथ तांबे के बरतन में घोलकर रख दें । सुबह इस पानी को सबसे हल्की आग पर तांबे के बरतन में ही पकने के लिये रख दें और चलाते रहें जिससे बरतन में नीचे लगे ना । जब पकते पकते बहुत गाढ़ा अवलेह जैसा हो जाये तो एक शीशी में सुरक्षित रख लें । यह आँखों के लिये अन्जन का काम करता है । रोज रात को सोते समय आँखों में अन्जन की तरह लगाकर सोने से नेत्र विकारों में बहुत लाभ होता है ।

    किडनी फेल रोग की अचूक औषधि

    सौंफ बहुत गुणकारी है गला बैठ जाने पर :-
    गला बैठ जाना जिसको स्वर भंग होना भी बोलते हैं की समस्या में सौंफ बहुत लाभकारी होती है । गला बैठ जाने की समस्या अगर हो जाये तो भुनी हुयी सौंफ को मिश्री के साथ चूसते रहने से गला खुल जाता है और आवाज भी साफ आने लगती है ।
    सौंफ से मिलता है आराम मूत्र विकारों में :-
    पेशाब में जलन होना और रुक कर पेशाब आना ये दो प्रमुख मूत्र रोग हैं जो सामान्य हर किसी को हो ही जाते हैं । इन समस्याओं के लिये सौफ से बहुत अच्छा लाभ लिया जा सकता है । 20 ग्राम सौफ का काढ़ा पकाकर उसमें 1 ग्राम खाने का सोडा मिलाकर रोज दो या अधिकतम तीन बार सेवन करने से पेशाब की पुरानी जलन में भी आराम मिलने लगता है

    गठिया ,घुटनों का दर्द,कमर दर्द ,सायटिका  के अचूक उपचार 


     सौंफ से लाभ मिलता है फोड़े फुन्सियों में भी :-
    गरमी के मौसम में हो जाने वाले फोड़े और फुन्सियों में भी सौंफ आराम देती है । सौंफ के तेल से फोड़े और फुन्सियों पर मालिश करने से वो ठीक हो जाते हैं और त्वचा पर निशान भी नही रहते हैं । ये तेल आपको अपने आसपास किसी जड़ी बूटी वाले की दुकान पर अथवा आयुर्वेदिक दवाओं की दुकान पर आसानी से मिल जायेगा ।
    सौंफ खाने से रहता है मुँह साफ :-
    तवे पर सूखी गयी सौफ को दो चुटकी सेंधा नमक के साथ मिलाकर मुँह में डालकर धीरे धीरे चबाने से और उसकी लार को मुँह में चलाकर थूक देने से मुँह के अन्दर की सारी गन्दगी निकल जाती है और मुँह साफ हो जाता है । इस प्रयोग से मुँह से आने वाली बदबू भी दूर होती है और साँसों में ताजगी आ जाती है ।

    प्रोस्टेट वृद्धि से मूत्र समस्या का 100% अचूक ईलाज 

    सौंफ है लाभकारी मुँह आने में :-
    मुँह का आना अर्थात जीभ पर छाले हो जाना और पूरी मुखगुहा का पक जाना बहुत ही कष्टकारी रोग है । इस दशा में भी यह सौफ लाभकारी पाया जाता है । 10 ग्राम सौंफ 10 ग्राम फिटकरी को 200 मिलीलीटर पानी के साथ पकाकर इस पानी को ठण्डा कर लें और कुल्ले करें । ये कुल्ले रोज दो या तीन बार करने से मुँह आने की समस्या में जल्दी आराम हो जाता है ।
    सौंफ है कब्ज़ का पक्का इलाज :-
    कब्ज के रोगियों को सबसे बड़ी समस्या रहती है कि कई कई बार जाने के बाद भी पेट खुलकर साफ नही होता है । ज्यादा जोर लगा देते हैं तो गुदा में जलन की समस्या हो जाती है । इस परेशानी का समाधान छिपा है इस छोटी सी सौंफ में । बाजार से आधा किलो गुलकंद लाकर उसमें 200 ग्राम सौंफ को बहुत अच्छी तरह से मिलाकर रख लें । रोज दो बार 30-30 ग्राम की मात्रा में सेवन करने और उसके बाद गरम पानी पीने से हफ्ते भर में ही शौच खुलकर होने लगती है । यह कई रोगियों का आजमाया हुआ प्रयोग है ।

    पित्त पथरी (gallstone)  की अचूक औषधि 

    सिरदर्द का ईलाज -
    सौंफ को दरदरा कूटकर 10 ग्राम लेकर उसका आधा लीटर पानी में काढ़ा पकायें । जब पानी चौथाई अर्थात 125 मिलीलीटर शेष रहे तो इसको ठण्डा करके पी जायें । यह काढ़ा सिर के दर्द का समाधान कर देता है ।
    सौंफ के प्रयोग से मिलता है दस्तों में आराम :-
    100 ग्राम सौंफ लेकर उसको हल्का भून लें और चूर्ण बना लें इसमें बरामर मात्रा में पिसी मिश्री मिलाकर रख लें । इस स्वादिष्ट चूर्ण का सेवन ताजी बनी छाछ के साथ करने से दस्त के रोगी को आराम मिलता है । ध्यान रखें कि यदि दोपहर के बाद छाछ पी रहे हैं तो बहुत कम मात्रा लगभग 50-100 मिलीलीटर ही पीनी चाहिये । शाम 4 बजे के बाद तो छाछ का सेवन बिल्कुल भी नही करना चाहिये ।

    गुर्दे की पथरी कितनी भी बड़ी हो ,अचूक हर्बल औषधि

    सौंफ से मिलता है पेट के अफारे में आराम :-
    कुछ भी हल्का या भारी खाने के बाद जिन रोगियों को तुरन्त पेट फूलने और अफारा आने की समस्या हो जाती है उनके लिये ये हरे बीज किसी वरदान से कम नही होते हैं । इस तरह के रोगी 20 ग्राम सौंफ लेकर उसको 200 मिलीलीटर जल के साथ पकायें । जब पकते पकते आधा जल शेष रहे तो उसको उतारकर छानकर पी जायें । यह प्रयोग रोज दो तीन बार करने से पेट में अफारे की यह समस्या चली जाती है ।
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    20.8.17

    बासी रोटी के ये फायदे नहीं जानते होने आप// You may not know the benefits of stale bread



        अक्‍सर हम सभी के घरों में हर रोज 2-4 रोटी जरूर बच जाती है और उसे हम कूड़े में डाल देते हैं। पिछले जमाने में बासी रोटी को जानवरों के लिए रखा जाता था लेकिन अब शहरों में जानवर नहीं मिलते ऐसे में बहुत सारा अनाज हर रोज बर्बाद किया जाता है। ऐसे में आज हम आपको जो बताने जा रहे है उसे सुनकर शायद आप चौंक जाएंगे।
    आज भी कई सारे घरों में रात के समय ज्यादा रोटी बनाई जाती है ताकि सुबह जाने वाले लोग बची हुई बासी रोटी को खाकर जा सकें। जबकि कई लोग ऐसे भी हैं जो बासी रोटी को हानिकारक मानते हैं और बची हुई रोटी को फेंक देते हैं। जब भी कुछ घरों में बासी रोटी बच जाती थी तो सुबह उसे सेंक कर उसमें नमक तेल लगाकर खाते हैं।

    हम आपको बता दें कि जो बासी रोटी हम फेंक देते है उसे खाने से बहुत ही ज्यादा फायदा होता है ये खासकर उनके लिए है जो दिन भर भागदौड़ का काम करते है और उनको ह बीपी का प्रॉब्‍लम है। ऐसे लोग अगर हर रोज सुबह गेहूं के 2 बासी रोटी को दूध में मिला कर खाएं तो उनका ब्लूड प्रेशर कंट्रोल हो जाता है और अगर आपको बीपी नहीं भी है तो कभी होने नहीं देता इसलिए आप हर रोज बसी रोटी जरूर खाएं और स्वस्थ्य रहें।
    *आपको बता दें रोटी में भरपूर मात्रा में फाइबर पाया जाता है। फाइबर खाना पचाने में मदद करता है। जब कभी भी घर में रात की रोटियां बच जाती हैं तो सुबह उसे गाय या कुत्ते को खाने के लिए दे दी जाती हैं। लेकिन अगर रोज सुबह बासी रोटी दूध के साथ खायी जाए तो कई फायदे होते हैं। 

    *डायबिटीज के रोगियों के लिए बासी रोटी खाना फायदेमंद हो सकता है। अगर आपको डायबिटीज है, तो सुबह के समय बासी रोटी को दूध के साथ खाना फायदेमंद हो सकता है। इससे आपके शरीर में शर्करा का स्तर संतुलित रहेगा।
    *अगर आप सुबह कुछ न कुछ खा लेते हैं औ,र फिर बाजार निकलते हैं तो गैस बनने लगता है अगर आप यही घर से निकलने से पहले सुबह सुबह अगर बासी रोटी दुध के साथ खा लेते हैं तो आपको गैस की प्रॉब्‍लम नहीं होती है। इस एसिडिटी से ही आपको तनाव और शुगर जैसी बिमारी का सामना करना पड़ता है। इसलिए जो लोग बासी रोटी साथ दूध का सेवन करके बाहर निकलते हैं उनका शुगर कंट्रोल में रहता है।
    *इतना ही नहीं जिन्‍हें पेट से संबंधित कोई समस्‍या है वो लोग अगर दूध के साथ बासी रोटी खाएं तो पेट की हर समस्या ठीक हो जाती है।बासी रोटी के सेवन से पेट से जुड़े रोगों को ठीक करने में मदद मिलती है। हर सुबह दूध के साथ बासी रोटी दूध के साथ खाने से एसिडिटी ठीक हो जाती है और व्यक्ति की पाचन शक्ति भी काफी मजबूत हो जाती है।

    *जिन्हें उच्च रक्त चाप समस्‍या है वो अगर रोज सुबह ठंडे दूध के साथ 2 बासी रोटी खाए तो शरीर का रक्त चाप संतुलित रहता है। इसके अलावा ज्यादा गर्मी के मौसम में भी इसका सेवन करने से शरीर का तापमान सही रहता है|





    18.8.17

    शरीर को विषैले पदार्थ से मुक्त करने का सुपर ड्रिंक




    मानव  शरीर का विषाक्त पदार्थो से मुक्त होना बहुत जरूरी है अन्यथा यह हमारे शरीर को नुकसान पहुंचा सकते है बहुत से प्राकृतिक तरीकों से शरीर को विषैले तत्वों से मुक्त किया जा सकता है, इस लेख में आपको बता रहा हूँ कि शरीर को विजातीय पदार्थ (टोक्सिन) मुक्त करने का सही और प्राकृतिक तरीका क्या है यह औषधि इस्तेमाल के बाद आप इससे मिलने वाले परिणाम से दंग रह जायंगे इस विधि से आपका शरीर टोक्सिन मुक्त हो जाएगा और आपका शरीर पूरा दिन ऊर्जा से भरा रहेगा

    औषधि तैयार करने की सामग्री
    1. गिलास पानी
    2. 4 सेब
    3. 1 ताजा अदरक (3 चम्मच के बराबर पिसा हुआ )
    4. 1 नींबू
    यदि संभव हो तो यह सामग्री आर्गेनिक ही उपयोग की जाये
    औषधि तैयार करने की विधि

    नींबू का छिलका उतारकर सेब ,नींबू अदरक और पानी को एक साथ जूसर में डालकर रस निकाल ले सुबह इसका खाली पेट सेवन करें आप महसूस करेंगे कैसे विषैले तत्व आपके शरीर से बाहर निकल रहे है और अपनी सेहत में आपको सुधार नजर आएगा आप पहले से ज्यादा ऊर्जा से भरे महसूस करेंग| इससे किडनी स्वच्छ रहती है| 

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    जीरा के ये फायदे जानते हैं आप ?

        

    जीरा का लैटिन नाम-क्यूमिनम साइमिनम हैं। यह अपच और दर्द को खत्म करता है। जीरा एक स्वादिष्ट मसाला है और औषधियों में भी जीरे का बहुत उपयोग किया जाता है। जीरा भारत में बहुत होता है। यह 3 प्रकार का होता है- सफेद जीरा, शाह जीरा या काला जीरा और कलौंजी जीरा। इनके गुण एक जैसे ही होते हैं। तीनों ही जीरे रूखे और तीखे होते हैं। ये मलावरोध, बुद्धिवर्धक, पित्तकारक, रुचिकारक, बलप्रद, कफनाशक और नेत्रों के लिए लाभकारी हैं।
    सफेद जीरा दाल-सब्जी छोंकने और मसालों के काम में आता है तथा शाह जीरे का उपयोग विशेष रूप से दवा के रूप में किया जाता है। ओथमी जीरा और शंखजीरा ये 2 वस्तुएं जीरे से एकदम भिन्न है। ओथमी जीरे को छोटा जीरा अथवा ईसबगोल कहते हैं।
    जीरा एक ऐसा मसाला है जो खाना बनाने में यूज तो होता ही है साथ ही इससे बनी चाय भी वजन कम करने में इफेक्टिव है. मेडिकल डायटीशियन डॉ. अमिता सिंह के अनुसार जीरे की चाय पीने से एसिडिटी कम होती है. जीरे की चाय में मौजूद मैग्नीशियम और आयरन जैसे न्यूट्रिएंट्स भी हेल्थ के लिए इफेक्टिव हैं। मेडिकल डायटीशियन डॉ. अमिता सिंह के अनुसार जीरे की चाय पीने से एसिडिटी कम होती है. वैसे तो सादी चाय से एसिडिटी होती है. लेकिन इसे बनाते समय अगर जीरा मिला दिया जाए तो एसिडिटी की संभावना कम हो सकती है. जीरे की चाय में मौजूद मैग्नीशियम और आयरन जैसे न्यूट्रिएंट्स भी हेल्थ के लिए इफेक्टिव हैं. हम बता रहे हैं रोज जीरे वाली चाय पीने के 10 फायदे.
    वजन कम :
    जीरे वाली चाय पीने से बॉडी में फैट का अब्जोब्रशन कम होता है. जिससे वजन तेज़ी से कम होने लगता है.
    हार्ट प्रॉब्लम :
     इस चाय को पीने से कोलेस्ट्रोल कम होता है जिससे हार्ट प्रॉब्लम से बचाव होता है.
    डाइजेशन : 
    जीरे की चाय में मौजूद थायमौल से डाइजेशन इम्प्रूव होता है और कब्ज़ की प्रॉब्लम से बचाव होता है.
    कैंसर :
     इस चाय में क्यूमिनएलडीहाइड होते है जो कैंसर से बचाने में मदद करते है.
    एनर्जी :
     इसे पीने से इलेक्ट्रोलाइट्स बैलेंस रहते है और एनर्जी बनी रहती है.
    सर्दी-जुकाम : 
    इसमें एंटी बैक्टीरियल गुण होते है जो सर्दी-जुकाम से बचाने में फायदेमंद है.
    बीमारियों से बचाव : 
    इस चाय को पीने से बॉडी की इम्युनिटी बढती है और बीमारियों से बचाव होता है.
    एनीमिया : 
    जीरे की चाय में आयरन की मात्रा अधिक होती है जो एनीमिया (खून की कमी) से बचाने में मदद करता है.
    हार्ट प्रॉब्लम :
     इस चाय को पीने से कोलेस्ट्रोल कम होता है जिससे हार्ट प्रॉब्लम से बचाव होता है.
    डाइजेशन : 
    जीरे की चाय में मौजूद थायमौल से डाइजेशन इम्प्रूव होता है और कब्ज़ की प्रॉब्लम से बचाव होता है.
    कैंसर : 
    इस चाय में क्यूमिनएलडीहाइड होते है जो कैंसर से बचाने में मदद करते है.
    एनर्जी : इसे पीने से इलेक्ट्रोलाइट्स बैलेंस रहते है और एनर्जी बनी रहती है.
    बीमारियों से बचाव : 
    इस चाय को पीने से बॉडी की इम्युनिटी बढती है और बीमारियों से बचाव होता है.
    एनीमिया : जीरे की चाय में आयरन की मात्रा अधिक होती है जो एनीमिया (खून की कमी) से बचाने में मदद करता है.
    ब्रेन पावर : 
    इसमें विटामिन B6 होते है जो ब्रेन पावर बढ़ाने में मदद करते है. इसे पीने से मेमोरी तेज होती है.
    खांसी : जीरे का काढ़ा या इसके कुछ दानों को चबाकर खाने से खांसी एवं कफ दूर होता है।
    रतौंधी :
    जीरा, आंवला और कपास के पत्तों को मिलाकर ठण्डे पानी में पीसकर लेप बना लें। कुछ दिनों तक लगातार इस लेप को सिर पर लगाकर पट्टी बांधने से रतौंधी दूर होती है।
    जीरे का चूर्ण बनाकर सेवन करने से रतौंधी (रात में दिखाई न देना) में लाभ होता है।
    बिच्छू का जहर : 

    जीरे और नमक को पीसकर घी और शहद में मिलाकर थोड़ा-सा गर्म करके बिच्छू के डंक पर लगायें।
    बुखार : 
    जीरे का 5 ग्राम चूर्ण पुराने गुड़ के साथ मिलाकर गोलियां बनाकर खाने से बुखार व जीर्ण बुखार उतर जाता है
    दांतों का दर्द :
    काले जीरे के उबले हुए पानी से कुल्ला करने से दांतों का दर्द दूर होता है।
    3 ग्राम जीरे को भूनकर चूर्ण बना लें तथा उसमें 3 ग्राम सेंधानमक मिलाकर बारीक पीसकर मंजन बना लें। इस मंजन को मसूढ़ों पर मलने से सूजन और दांतों का दर्द खत्म होता है।
    पेशाब का बार-बार आना :
    जीरा, जायफल और काला नमक 2-2 ग्राम की मात्रा में कूट पीसकर चूर्ण बना लें, फिर इस मिश्रण को अनन्नास के 100 मिलीलीटर रस के साथ खाने से लाभ मिलता है।
    मुंह की बदबू : मुंह में बदबू आती हो तो जीरे को भूनकर खाएं। इस प्रयोग से मुंह की बदबू दूर हो जाती है।
    मलेरिया का बुखार :
    एक चम्मच जीरे को पीसकर, 10 ग्राम गुड़ में मिला दें। इसकी 3 खुराक बनाकर बुखार चढ़ने से
    पहले, सुबह, दोपहर और शाम को दें।
    1 चम्मच जीरा बिना सेंका हुआ पीस लें। इसका 3 गुना गुड़ इसमें मिलाकर 3 गोलियां बना लें। निश्चित समय पर ठण्ड लगकर आने वाले मलेरिया के बुखार के आने से पहले 1-1 घण्टे के बीच गोली खाएं कुछ दिन रोज इसका प्रयोग करें। इससे मलेरिया का बुखार ठीक हो जाता है।
    काला जीरा, एलुआ, सोंठ, कालीमिर्च, बकायन के पेड़ की निंबौली तथा करंजवे की मींगी को पीसकर छोटी-छोटी गोलियां बना लें। इसे दिन में 3-3 घंटे के अन्तर से 1-1 गोली खाने से मलेरिया का बुखार दूर हो जाता है।
    पुराना बुखार : 
     कच्चा पिसा हुआ जीरा 1 ग्राम इतने ही गुड़ में मिलाकर दिन में 3 बार लगातार सेवन करें। इससे पुराना से पुराना बुखार भी ठीक हो जाता है।

    पाचक चूरन : 
    जीरा, सोंठ, सेंधानमक, पीपल, कालीमिर्च प्रत्येक सभी को समान मात्रा में लेकर बारीक पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 1 चम्मच खाना खाने के बाद ताजा पानी के साथ खाने से भोजन जल्दी पच जाता है।
    खूनी बवासीर : 
     जीरा, सौंफ, धनिया को एक-एक चम्मच लेकर 1 गिलास पानी में उबालें, जब आधा पानी बच जाये तो इसे छान लें, फिर इसमें 1 चम्मच देशी घी मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से बवासीर में रक्त गिरना बंद हो जाता है। यह गर्भवती स्त्रियों के बवासीर में ज्यादा फायदेमंद होता है।
    चेहरा साफ करने के लिए :
     जीरे को उबालकर उस पानी से मुंह धोएं इससे चेहरे की सुन्दरता बढ़ जाती है।
    खुजली और पित्ती : 
    जीरे को पानी में उबालकर, उस पानी से शरीर को धोने से शरीर की खुजली और पित्ती मिट जाती है।

    पथरी, सूजन व मुत्रावरोध :
     इन कष्टों में जीरा और चीनी समान मात्रा में पीसकर 1-1 चम्मच भर ताजे पानी से रोज 3 बार खाने से लाभ होता है।
    स्तनों में गांठे : 
    दूध पिलाने वाली महिलाओं के स्तन में गांठ पड़ जाये तो जीरे को पानी में पीसकर स्तन पर लगायें। फायदा पहुंचेगा।
    स्तनों का जमा हुआ दूध निकालना :
     जीरा 50 ग्राम को गाय के घी में भून पीसकर इसमें खांड 50 ग्राम की मात्रा में मिला देते हैं। इसे 5-5 ग्राम की मात्रा में सुबह दूध के साथ प्रयोग करना चाहिए। इससे गर्भाशय भी शुद्ध हो जाता है और छाती में दूध भी बढ़ जाता है।
    स्तनों में दूध की वृद्धि :
    सफेद जीरा, सौंफ तथा मिश्री तीनों का अलग-अलग चूर्ण समान मात्रा में मिलाकर रख लें। इसे एक चम्मच की मात्रा में दूध के साथ दिन में तीन बार देने से प्रसूता स्त्री के दूध में अधिक वृद्धि होती है।
    सफेद जीरा तथा सांठी के चावलों को दूध में पकाकर पीने से कुछ ही दिनों में स्तनों का दूध बढ़ जाता है।
    125 ग्राम जीरा सेंककर उसमें 125 ग्राम पिसी हुई मिश्री मिला लें। इसको 1 चम्मच भर रोज सुबह और शाम को सेवन करें। इससे स्तनों में दूध की वृद्धि होती है।

    अजीर्ण : 
    3 से 6 ग्राम भुने जीरे एवं सेंधानमक के चूर्ण को गर्म पानी के साथ दिन में 3 बार जरूर लें। इससे अजीर्ण का रोग समाप्त हो जाता है।
    पेचिश : 

    सूखे जीरे का 1-2 ग्राम पाउडर, 250 मिलीलीटर मक्खन के साथ दिन में चार बार लें। इससे पेचिश ठीक हो जाती है।
    खट्टी डकारें : 
    5-10 ग्राम जीरे को घी में मिलाकर गर्म कर लें, इसे भोजन के समय चावल में मिलाकर खाने से खट्टी डकारे आना बंद हो जाती हैं।
    ब्रेन पावर : 
    इसमें विटामिन B6 होते है जो ब्रेन पावर बढ़ाने में मदद करते है. इसे पीने से मेमोरी तेज होती है.
    दांतों का दर्द :
    काले जीरे के उबले हुए पानी से कुल्ला करने से दांतों का दर्द दूर होता है।
    3 ग्राम जीरे को भूनकर चूर्ण बना लें तथा उसमें 3 ग्राम सेंधानमक मिलाकर बारीक पीसकर मंजन बना लें। इस मंजन को मसूढ़ों पर मलने से सूजन और दांतों का दर्द खत्म होता है।

    पेशाब का बार-बार आना :
    जीरा, जायफल और काला नमक 2-2 ग्राम की मात्रा में कूट पीसकर चूर्ण बना लें, फिर इस मिश्रण को अनन्नास के 100 मिलीलीटर रस के साथ खाने से लाभ मिलता है।
    मुंह की बदबू : मुंह में बदबू आती हो तो जीरे को भूनकर खाएं। इस प्रयोग से मुंह की बदबू दूर हो जाती है।
    मलेरिया का बुखार :
    एक चम्मच जीरे को पीसकर, 10 ग्राम गुड़ में मिला दें। इसकी 3 खुराक बनाकर बुखार चढ़ने से
    जिस जीरे को आप मामूली समझते है वो इन 20 समस्याओ में संजीवनी साबित होता है
    जीरा का लैटिन नाम-क्यूमिनम साइमिनम हैं। यह अपच और दर्द को खत्म करता है। जीरा एक स्वादिष्ट मसाला है और औषधियों में भी जीरे का बहुत उपयोग किया जाता है। जीरा भारत में बहुत होता है। यह 3 प्रकार का होता है- सफेद जीरा, शाह जीरा या काला जीरा और कलौंजी जीरा। इनके गुण एक जैसे ही होते हैं। तीनों ही जीरे रूखे और तीखे होते हैं। ये मलावरोध, बुद्धिवर्धक, पित्तकारक, रुचिकारक, बलप्रद, कफनाशक और नेत्रों के लिए लाभकारी हैं।
    सफेद जीरा दाल-सब्जी छोंकने और मसालों के काम में आता है तथा शाह जीरे का उपयोग विशेष रूप से दवा के रूप में किया जाता है। ओथमी जीरा और शंखजीरा ये 2 वस्तुएं जीरे से एकदम भिन्न है। ओथमी जीरे को छोटा जीरा अथवा ईसबगोल कहते हैं।
    वजन कम : 
    जीरे वाली चाय पीने से बॉडी में फैट का अब्जोब्रशन कम होता है. जिससे वजन तेज़ी से कम होने लगता है.
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