21.8.19

अनिद्रा ,थकान का इलाज है तकिए के नीचे लहसुन रखकर सोना

लहसुन जहां दाल और सब्जियों का स्वाद बढ़ाता है, वहीं सेहत के लिहाज से कई तरह से फायदेमंद साबित होता है। लेकिन लहसुन के इस उपयोग और फायदे के बारे में आपने शायद ही सुना होगा। आखिर क्यों रखना चाहिए लहसुन को अपने तकिए के नीचे, और क्या होता है
लहसुन किचन में पाया जाने वाला एक बेहद आम हर्ब है। मगर क्या आप जानते हैं कि आपकी सेहत के लिए लहसुन कितना फायदेमंद हो सकता है। अगर आपको रात में अच्छी नींद नहीं आती है या आपकी नींद अक्सर आधी रात में टूट जाती है, तो लहसुन आपकी मदद कर सकता है। लहसुन में जिंक और सल्फर की मात्रा अच्छी होती है और यही कारण है कि इसकी एक खास खुश्बू होती है। अगर आप नींद न आने की समस्या से परेशान हैं, तो तकिए के नीचे लहसुन रखकर सोना आपके लिए फायदेमंद हो सकता है।
कैसे तकिये के नीचे रखा लहसुन है कारगर
 तकिया के नीचे रखा लहसुन आपकी अनिद्रा और बुरे सपने आने की समस्याओं को ठीक कर देगी। दरअसल, लहसुन में जिंक प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। ऐसे में जब हम तकिये की नीचे लहसुन रखते हैं तो लहसुन से आने वाली जिंक की खुशबू दिमाग में सुरक्षा की भावना पैदा करती है। यह एक पुरानी थेरेपी है जिसे घर क बुजुर्ग बच्चों को सुलाने के लिए अपनाते थे। जैसा की हर पुरानी मान्यता में वैज्ञानिक कारण छुपा होता है वैसे ही इस तकिये के नीचे लहसुन में छुपा है।
पुराने जमाने में मान्यता थी कि लहसुन लोगों को बुरी आत्‍माओं के प्रभाव से बचाता है और घर के अंदर बुरी शक्‍तियां को आने से रोकती है।
ये लहसुन पेय भी इस्तेमाल करें
अगर शरीर में ज्यादा दर्द है तो तकिये के नीचे लहसुन रखने के साथ लहसुन से बना ये पेय भी इस्तेमाल करेँ। ये पेय पदार्थ आप बच्चों को भी दे सकते हैं जो शरीर में जिंक की कमी को पूरा करता है।
1 गिलास दूध
1 लहसुन की कली (कुंची हुई)
1 टी स्‍पून शहद
इसे बनाने की विधि
एक पैन में लहसुन पीस लें और उसमें दूध मिला लें। फिर इसे 3 मिनट तक उबालें और फिर इसे आंच से उतार लें। अब ग्लास में शहद मिलाएं और पिएं। इसे पीने के बाद 30 मिनट के अंदर नींद आ जाएगी।
****************

सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस(गर्दन का दर्द) के उपचार

वजन कम करने के लिए कितना पानी कैसे पीएं?

प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ने से पेशाब रुकावट की कारगर हर्बल औषधि

सेक्स का महारथी बनाने वाले आयुर्वेदिक नुस्खे


आर्थराइटिस(संधिवात),गठियावात ,सायटिका की तुरंत असर हर्बल औषधि

खीरा ककड़ी खाने के जबर्दस्त फायदे

महिलाओं मे कामेच्छा बढ़ाने के उपाय

मुँह सूखने की समस्या के उपचार

गिलोय के जबर्दस्त फायदे

इसब गोल की भूसी के हैं अनगिनत फ़ायदे

कान मे तरह तरह की आवाज आने की बीमारी

छाती मे दर्द Chest Pain के उपचार

सिर्फ आपरेशन नहीं ,किडनी की पथरी की १००% सफल हर्बल औषधि

किडनी फेल रोगी का डाईट चार्ट और इलाज

तिल्ली बढ़ जाने के आयुर्वेदिक नुस्खे

यौन शक्ति बढ़ाने के अचूक घरेलू उपाय/sex power

कई बीमारियों से मुक्ति द‍िलाने वाला है गिलोय


किडनी स्टोन के अचूक हर्बल उपचार

स्तनों की कसावट और सुडौल बनाने के उपाय

लीवर रोगों के अचूक हर्बल इलाज

सफ़ेद मूसली के आयुर्वेदिक उपयोग

दामोदर चिकित्सालय शामगढ़ के आशु लाभकारी उत्पाद

मेथी का पानी पीने के जबर्दस्त फायदे

गैस छोड़ना या पादना के स्वास्थ्य लाभ


गैस छोड़ना या पादना (Farting) यह एक प्राकृतिक क्रिया है। अधिक तला-भुना खाने और जीवनशैली के कारण पेट में गैस हो जाती है। यह गैस दो रास्‍तों से बाहर निकलती है। मुंह से बाहर निकलने को डकार कहते हैं और वहीं गुदा मार्ग से निकलने पर पाद (Farting)कहते हैं। यदि आप बहुत से लोगों के बीच बैठें है और इस बीच आप पेट की गैस यानि पाद छोड़ते हैं, तो यह कई बार आपको बेहद शर्मिंदगी महसूस करवाता है। लेकिन इसमें शर्मिंदगी की कोई बात नहीं, बल्कि यह आपके पाचनतंत्र के स्वस्थ होने का संकेत है।
क्‍या आप यह जानते हैं, गैस छोड़ना (Farting) पेट ही नहीं आपके पूरे शरीर के लिए जरूरी है। यह भोजन पचाने का एक आवश्यक और सामान्य हिस्सा है, जैसे आपके पेट के लिए खाना जरूरी है, वैसे ही पेट के फूलने और पेट में जमा गैस से राहत पाने के लिए गैस छोड़ना या पादना (Farting)जरूरी है। हर किसी को अपने पाचन स्वास्थ्य के लिए ऐसा करना पड़ता है, यदि आप गैस नहीं छोड़ते, तो यह काफी चिंता का विषय भी हो सकता है। क्‍योंकि एक व्‍यक्ति एक दिन में कम से कम 5-6 और ज्‍यादा से ज्‍यादा 14 बार गैस छोड़ता है। जरूरी नहीं कि हर बार पाद छोड़ने में आवाज या दुर्गंध आये। आइए हम आपको बताते हैं कि गैस छोड़ना क्‍यों जरूरी है और इसके आपके लिए क्‍या स्‍वास्‍थ्‍य लाभ हैं। 



पेट फूलने की समस्‍या दूर


कई बार अधिक या तला-भुना खाने की वजह से आपके पेट में गैस बन जाती है। ऐसे में आप काफी फूला हुआ महसूस करते हैं। लंबे समय तक गैस को रोक कर रखने की वजह से स्ट्रोक का खतरा भी बढ़ सकता है। लेकिन ऐसे में अगर आप पाद यानि गैस पास करते हैं, तो इससे आपके पेट की सूजन कम होती है और आपका पाचन तंत्र सही तरीके से काम करने लगता है। पाद छोड़ने से ब्लोटिंग की समस्या दूर होती है और आप काफी आरामदायक महसूस करते हैं।

पाद की गंध फायदेमंद

सुनने में अजीब और अटपटा जरूर लगता है लेकिन यह सही है। गैस छोड़ते यानि बदबूदार पाद व पाद की गंध आपको बीमारियों से बचाने में मददगार है। जी हां अध्‍ययन बताते हैं, कि जब आप गैस छोड़ते हैं, तो उससे एक यौगिक हाईड्रोजन सल्फाइड नामक गैस पास होती है, जो यदि ज्यादा मात्रा में होती है, तो टॉक्सिक हो सकती है लेकिन कम मात्रा कोशिकाओं को नष्ट व हानि पहुंचने से रोकथाम करती है। इसके अलावा पाद की गंध आपके हृदय स्‍वास्‍थ्‍य और स्ट्रोक के खतरे को भी कम करती है।

स्‍वस्‍थ व हैप्‍पी बैक्टीरिया

यदि आप पाद छोड़ते हैं, तो यह आपके स्‍वस्‍थ पाचन तंत्र का संकेत है। क्‍योंकि स्लिमर, स्वस्थ लोग अक्सर अधिक पाद छोड़ते हैं। एनपीआर के अनुसार, ऐसा इसलिए होता है कि ऐसे खाद्य पदार्थ, जो आपके माइक्रोबायोम (पेट में होने वाले तमाम जीवाणु, कीटाणु और प्रोटोज़ोआ का हमारी सेहत से गहरा ताल्लुक़ है) और अधिक कुशल पाचन को प्रोत्साहित करते हैं, फूलगोभी, गोभी और ब्रसेल्स स्प्राउट्स जैसे खाद्य पदार्थ हैं। ये पत्तेदार साग- सब्जियां आपके आंत बैक्टीरिया को प्रोत्‍साहित करते हैं। जिसका अर्थ है बेहतर पाचन, और अधिक गैस का उत्पादन।


एलर्जी से बचाए और राहत दिलाए

गैस का पास होने से राहत के साथ-साथ आपका मूड सही रहता है और यह शरीर में खाद्य एलर्जी की उपस्थिति को निर्धारण कर सकता है। सोलियाक डीजिज और लैक्टोज इन्टॉलरेंस जैसी एलर्जी पेट की समस्या को बढ़ाती है। यदि आप ऐसे भोजन का सेवन करते हैं तो आपको एलर्जी होने की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए गैस पास करना लाभकारी हो सकता है।

कोलन स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद

वीमेन हेल्थ मैग्‍नीज के अनुसार, गैस को रोकने से कोलन पर दबाव पड़ता है, ऐसे में पाचन संबंधी समस्‍याएं और यदि आप ज्‍यादा समय तक गैस को रोक कर रखते हैं, तो यह आपके कोलन स्‍वास्‍थ्‍य को प्रभावित कर सकता है। इससे हैमोरोइड्स में सूजन का खतरा हो सकता है इसलिए गैस छोड़ना व्‍यक्ति के लिए बहुत जरूरी है
आमतौर पर एक व्यक्ति दिन में 5-15 बार गैस छोड़ता है.लेकिन कुछ लोगों के लिए सामान्य-सी बात दूसरों के लिए अलग या चिंता की बात बन सकती है.
खाना-पीना सुधारने की ज़रूरत?
गैस से बचना है तो डाइट को एडजस्ट करने की ज़रूरत है.
अगर आपका शरीर लैक्टोस को पसंद नहीं करता तो डॉक्टर आपको दूध-आधारित सामान कम खाने की सलाह दे सकता है. लैक्टोस सप्लीमेंट इस्तेमाल करने से एंज़ाइम डेयरी उत्पादों को आसानी से पचाने का ज़रिया दे सकते हैं.
गैस को घटाना चाहते हैं तो कार्बोनेटेड बेवरेज भी कम करना होगा.
लेकिन ऐसे हालात होने पर अचानक फ़ाइबर की मात्रा न बढ़ाएं क्योंकि इससे गैस की दिक्कतें बढ़ सकती हैं.
लेकिन बदबूदार फ़ार्ट से बचने के लिए क्या किया जा सकता है?
कम-कम खाया जाए और खाना चबाकर खाया जाए, तो अच्छा है.


इसके अलावा व्यायाम करना ज़रूरी है, क्योंकि उसकी मदद से खाना पचाना आसान होता है. जब आप जल्दी-जल्दी खाते हैं तो ज़्यादा हवा शरीर में जाती है. चहलकदमी करते हुए खाना भी इसलिए मना किया जाता है.
ज़्यादा चुइंगम खाने से भी ये दिक्कत पेश आ सकती है. जो लोग दिन भर चुइंगम चबाते रहते हैं, वो ज़्यादा हवा खींचते हैं, जिससे शरीर में गैस ज़्यादा बनती है.
ऐसा खाना खाने से बचें जो ज़्यादा गैस पैदा करते हैं. इसके लिए कुछ ख़ास कार्बोहाइड्रेट ज़्यादा ज़िम्मेदार हैं, इनमें फ़्रुक्टोज़, लैक्टोज़, इनसॉल्यूबर फ़ाइबर और स्टार्च शामिल हैं. ये सभी चीज़ें आंत में जाती हैं और बाद में खाना पचाने में समस्याएं पैदा करती हैं.
सोडा, बीयर और दूसरे कार्बोनेटेड बेवरेज भी शरीर में गैस बनाने का काम करते हैं. इनमें जो बुलबुले उठते हैं, वो शरीर में जाकर फ़ार्ट में बदल सकते हैं. इनमें से कुछ हवा डाइजेस्टिव ट्रैक्ट तक पहुंच जाती है और रेक्टम के ज़रिए बाहर निकल जाती है. इनके स्थान पर पानी, चाय, वाइन या जूस पिया जा सकता है.
हमारे पाचन तंत्र में ऐसे स्वास्थ्यवर्धक बैक्टीरिया होते हैं जो खाना पचाने का काम करते हैं. लेकिन इनमें से कुछ हाइड्रोजन गैस को ज़्यादा असरदार तरीके से ख़त्म करते हैं. प्रोबायोटिक फ़ूड ऐसे ही बैक्टीरिया पाए जाते हैं.
सिगरेट ज़्यादा पीने वालों को भी गैस की दिक्कत होती है. इसके अलावा जब मल ज़्यादा वक़्त तक मलाशय में रहता है तो उसका सड़ना तय है और तब गैस ज़्यादा बनती है. यही वजह है कि पेट ख़राब होने पर मल आम दिनों से ज़्यादा दुर्गंध लिए होते हैं.

*******************

कुमकुमादि तेल है गुणों व सौन्दर्य का खजाना:kumkumadi tel


कुंकुमादि तेल का उपयोग (kumkumadi Tailam in Hindi) चेहरे को सुन्दर और चमकाने के लिए किया जाता है। कुंकुमादि तेल को केसर तेल के नाम से भी जाना जाता है। इस तेल का उपयोग करने से चेहरे के ऊपर से काले धब्बे, मुहासे, हटाने के लिए किया जाता है। यह एक आयुर्वेदिक तेल होता है। इसको बनाने के लिए विभिन्न जड़ी-बूटियों जैसे:- हल्दी, कमला, कुमकुमा, नागकेसर, लक्षा,चन्दन, मधुर, तेजपत्ता, पलाश कुसुम, दरहरिद्रा,सुरभि, पयच, वटी, वातमकुरा, गोरोचन,पद्मका इन सभी से मिलकर बनाया गया है। इस तेल का उपयोग मॉइशर के रूप में भी किया जाता है। यह विशेष रूप से शुष्क त्वचा के लिए उपयोग किया जाता है। वैसे तो इसका उपयोग किसी भी त्वचा के लिए किया जाता है। कुंकुमादि तेल त्वचा को चमकाता है और निखार लाता है। यह हाइपरपिग्मेंटेशन के इलाज के लिए बहुत ही लाभदायक तेल है। जो रासायनिक आधारित क्रीम की तुलना में त्वचा के लिए बहुत ही फायदेमद है।
कुमकुमादि तेल सबसे प्रसिद्ध आयुर्वेदिक औषधी में से एक है जो त्वचा की देखभाल के लिए बड़े पैमाने पर भारत में उपयोग किया जाता है। कुंकुमादि एक प्राचीन औषधी है जिसका उपयोग वर्षों से किया जा रहा है। क्‍या आप कुंकुमादि तेल के फायदे और नुकसान जानना चाहते हैं। कुंकुमादि तेल कई प्रकार की औषधीयों के साथ मिलाकर तैयार किया जाता है। इसलिए कुंकुमादि तेल हमारे स्‍वास्‍थ्‍य के लिए अच्‍छा होता है। ऐसा माना जाता है कि इस आयुर्वेदिक तेल में लगभग 26 प्रकार की हर्बल जड़ी-बूटीयों का मिश्रण होता है। कुंकुमादि तेल के फायदे विशेष रूप से सौंदर्य प्रसाधन के लिए होते हैं। कुंकुमादि तेल का उपयोग आप अपने चेहरे को गोरा बनाने, दाग-धब्बों को दूर करने, झुर्रियों को हटाने, ब्‍लैक हेड्स को कम करने आदि के लिए कर सकते हैं।
सौंदर्य प्रयोजनों के लिए कुंकुमादि तेल का व्‍यापक रूप से उपयोग किया जाता है। लेकिन कुंकुमादि तेल क्‍या है यह बहुत से लोगों द्वारा पूछा जाता है। कुछ लोग कुंकुमादि तेल को केसर तेल (Saffron Oil) के नाम से भी जानते हैं। इसके अलावा कुंकुमादि तेल के अन्‍य नामों में कुमकुमादि तैलम आदि नामों से भी जाना जाता है। यह एक हर्बल तेल है जो सदियों से पारंपरिक आयुर्वेदिक उपचार में उपयोग किया जा रहा है। कुमकुमा का अर्थ केसर होता है जो कि एक औषधीय तेल है। कुंकुमादि तेल आपके द्वारा उपयोग किये जाने वाले तेलों से अलग होता है। क्‍योंकि इस तेल बहुत सी सामग्रीयों का समावेश होता है। जिसके कारण इस तेल के औषधीय गुण अन्‍य सामान्‍य तेल से कहीं अधिक होते हैं।
कुंकुमादि तेल एक विशेष प्रकार का तेल है जिसमें बहुत सी जड़ी बूटीयों का मिश्रण होता है। जानकारों के अनुसार इस तेल को बनाने के लिए लगभग 26 प्रकार की औषधीयों का इस्‍तेमाल किया जाता है। जिनमें से कुछ औषधियां इस प्रकार हैं।
केसर, चंदन, लाक्षा (Laksha), मंजिष्‍ठा

लीकोरिस (Licorice), कालियाका-बर्बेरिस एरिस्‍टाटा (Kaliyaka-Berberis aristata), मधुका
गोक्षुरा, प्रिंशनपर्णी, शलपरनी, पाताल, गांभरी आदि।
जावा अंजीर, इंडियन लोटस, इंडियन लैम्पस, बरगद।
तिल का तेल।

कुमकुमादि तैलम कैसे तैयार किया जाता है

परंपरागत रूप से जड़ी-बूटियों के ताजे पिसे हुए चूर्ण को एक कटोरे में मिलाया जाता है। पाउडर में, पानी डाला जाता है, और अच्छी तरह मिलाया जाता है और कुछ घंटों के लिए छोड़ दिया जाता है और तब तक उबला जाता है जब तक कि यह मूल तरल के लगभग एक चौथाई तक कम न हो जाए। कुछ सूत्र, केवल कुछ जड़ी बूटियों को उबालते हैं और दूसरों की जड़ी-बूटियों का पेस्ट बनाते हैं। फिर उन्हें गाय के दूध या बकरियों के दूध और तिल के तेल में किसी एक के साथ मिलाया जाता है और एक बार फिर उबाला जाता है जब तक कि कोई नमी न रह जाए। फिर इसे छानकर बोतल में रख लिया जाता है।
आयुर्वेद में कुंकुमादि तेल को चमत्‍कारी अमृत के रूप में पहचाना जाता है। इस औषधीय तेल का उपयोग करने पर आपको त्‍वरित लाभ प्राप्‍त नहीं होता है। लेकिन नियमित रूप से लंबे समय तक उपयोग करने पर यह निश्चित ही स्‍थाई लाभ दिलाता है। आयुर्वेद की अवधारणाओं के आधार पर यह शरीर के भीतर और बाहर अशुद्धियों को साफ करते हुए धीमे और निरंतर तरीके से शरीर की समस्‍याओं को ठीक करता है। इस तरह से आप आयुर्वेदिक लाभ होने के कारण कुंकुमादि तेल का उपयोग कर सकते हैं।

कुंकुमादि तेल का उपयोग कैसे करें

जैसा कि हम जानते हैं कि कुंकुमादि तेल में औषधीय गुण और पोषक तत्‍वों की उच्‍च मात्रा होती है। इसलिए इसका उपयोग बहुत ही सावधानी से करना चाहिए। कुंकुमादि तेल का इस्‍तेमाल करने के लिए कुछ सामान्‍य से निर्देश इस प्रकार हैं।
यह तेल केवल बाहरी उपयोग के लिए इस्‍तेमाल किया जाता है।
इस तेल का इस्‍तेमाल करने से पहले अपने चेहरे को धो लें और अच्‍छी तरह से सुखाने के बाद तेल लगाएं।
तेल को अपने हाथों में लेने से पहले अपने हाथों को साबुन से अच्‍छी तरह धो लें।
अपनी उंगलियों में तेल की कुछ मात्रा लें और लगभग 10 – 15 मिनिट तक अपने चेहरे की गोलाकार गति में मालिश करें।
बेहतर परिणाम प्राप्त करने के लिए रात में इस तेल से चेहरे की मालिश करें।
आप रोजाना नियमित रूप से दिन में 2 बार इस तेल से चेहरे की मालिश कर सकते हैं।
चेहरे में लगाने के बाद कम से कम 1-2 घंटे के बाद ही चेहरे को धोना चाहिए, यदि आपको किसी प्रकार की एलर्जी न हो तो।

कुंकुमादि तेल के फायदे

जैसा कि आप ऊपर जान चुके हैं कि कुंकुमादि तेल में कई प्रकार की औ‍षधियों का मिश्रण होता है। इसलिए यह हमारे उपयोग के लिए बेहतरीन तेलों में से एक है। कुंकुमादि तेल के फायदे आपकी त्‍वचा को स्‍वस्‍थ रखने में सहायक होते हैं। इस तेल के फायदे इसलिए भी होते हैं क्‍योंकि इसमें रासायनिक घटक बिल्‍कुल भी नहीं होते हैं जो त्‍वचा को नुकसान पहुंचाते हैं। आप अपने चेहरे की त्‍वचा को युवा और चमकदार बनाने क लिए कुंकुमादि तेल से मालिश भी कर सकते हैं। साथ ही यह उम्र बढ़ने संबंधी लक्षणों को भी आसानी से दूर कर सकता है। आइए जाने कुंकुमादि तेल किस तरह से आपके स्‍वास्‍थ और सुंदरता को बढ़ाने में सहायक है।

सूजन के लिए

कुंकुमादि तेल कई प्रकार की औषधीयों का मिश्रण होता है। इसमें उपयोग किए जाने वाली अधिकांश जड़ी बूटीयों में एंटी-इंफ्लामेटरी गुण होते हैं। यदि इस तेल के साथ बकरी के दूध का उपयोग किया जाता है तो यह सूजन को अधिक प्रभाविता से रोक सकता है। कुंकुमादि तेल में मिलाएं जाने वाले अधिकांश घटक जैसे बेल, हल्‍दी, केसर, यूरिया पिक्‍टा और ब्रिहाती शामिल हैं। इन सभी घटकों के पोषक तत्‍वों की मौजूदगी के कारण यह एक्जिमा और सोरायसिस जैसी पुरानी सूजन संबंधी समस्‍याओं का इलाज करने में सफल होता है। इसके अलावा इस तेल से मालिश करने पर गठिया के दर्द और सूजन से भी राहत मिल सकती है। कुंकुमादि तेलम के लाभ प्राप्‍त करने के लिए गठिया रोगी नियमित रूप से इस तेल से मालिश कर सकते हैं।

हाइपरपिग्मेंटेशन दूर करे

इस तेल का नियमित उपयोग करने वाले लोगों के अनुसार इस तेल का उपयोग हाइपरपिग्मेंटेशन के उपचार में किया जा सकता है। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें त्‍वचा के कुछ हिस्‍से दूसरे हिस्‍सों की तुलना गहरे रंग के हो जाते हैं। यह समस्‍या आपके शरीर के छोटे या बहुत बड़े हिस्‍से को प्रभावित कर सकती है। हाइपरपिग्मेंटेशन के उपचार के लिए इस तेल पर किसी प्रकार के प्रमाणिक सबूत नहीं हैं। फिर आयुर्वेदिक चिकित्‍सा में यह उपाय बहुत ही लोकप्रिय है। ऐसा माना जाता है कि अपने शक्तिशाली एंटीऑक्‍सीडेंट गुणों के कारण यह कुमकुमादि के गुण हाइपरपिग्‍मेंटेशन दूर करने में सक्षम होते हैं।


मुँहासे दूर करे

यदि आप अपने चेहरे को मुंहासे, ब्लैकहेड्स आदि से मुक्‍त रखना चाहते हैं तो कुंकुमादि तेल के लाभ ले सकते हैं। प्राचीन समय से ही मुंहासे और अन्‍य त्‍वचा संबंधी समस्‍याओं को दूर करने के लिए आयुर्वेद उपचार में कुंकुमादि तेल का इस्‍तेमाल किया जा रहा है। इस तेल के एंटी-इंफ्लामेटरी, जीवाणुरोधी और एंटीऑक्‍सीडेंट गुण मुंहासों का प्रभावी इलाज करने में मदद करते हैं। आपके चेहरे में मुंहासे आने का प्रमुख कारण अधिक मात्रा में प्राकृतिक तेल का उत्‍पादन हो सकता है। लेकिन इस तेल का उपयोग त्वचा में मौजूद अतिरिक्‍त तेल और गंदगी को साफ करने, मृत त्‍वचा कोशिकाओं को हटाने और त्‍वचा छिद्रों को बंद होने से रोकता है।
जिससे त्‍वचा में मुंहासे पैदा करने वाले बैक्‍टीरिया के विकास को रोका जा सकता है। इस तेल में मौजूद एंटी-इंफ्लामेटरी गुण मुंहासों की सूजन और दर्द को भी प्रभावी रूप से दूर कर सकते हैं। इस तरह से आप कुंकुमादि तेल का इस्तेमाल मुंहासों को दूर करने के लिए कर सकते हैं।

गोरी त्‍वचा के लिए

सभी लोग अपने चेहरे की त्‍वचा को गोरा बनाना चाहते हैं। लेकिन अधिकांश लोग अपने चेहरे को गोरा बनाने के लिए रासायनिक उत्‍पादों का इस्‍तेमाल करते हैं। जिनके कुछ नुकसान भी हो सकते हैं। लेकिन यदि आप प्राकृतिक रूप से अपने चेहरे को गोरा बनाना चाहते हैं तो कुंकुमादि तेल का इस्‍तेमाल करें। कुंकुमादि तेल के फायदे आपके चेहरे की त्‍वचा को गोरा बनाने में प्रभावी होते हैं। इसके अलावा यह आयुर्वेदिक तेल हाइपरपिग्‍मेंटेशन, ब्‍लेमिश, काले धब्बे आदि को दूर कर त्‍वचा की टोन को भी सुधार सकते हैं। जिससे आपको सामान्‍य से अधिक गोरी त्‍वचा प्राप्‍त हो सकती है। इसके अलावा इस तेल के औषधीय गुण त्‍वचा कोशिकाओं के उचित विकास में भी मदद करते हैं। जिससे त्‍वचा स्‍वस्‍थ, सुंदर और युवा बनी रहती है।

डार्क सर्कल्‍स के लिए

डार्क सर्कल्‍स आपकी सुंद‍रता को कम कर सकते हैं। ये आपकी आंखों के नीचे काले घेरे होते हैं जिनका उपचार करने के लिए आप कुंकुमादि तेल का उपयोग कर सकते हैं। आप कुंकुमादि तेल की 4-5 बूंदें लें और इसे अपनी उंगलियों की सहायता से आंख के आसपास काले घेरों पर लगाएं। इसके बाद लगभग 2-5 मिनिट तक उंगलियों से ही प्रभावित क्षेत्र में हल्‍की मालिश करें। इस तरह से दोनों आंखों में मालिश करने के बाद अपने चेहरे को गर्म पानी और साबुन से साफ कर लें। अच्‍छे परिणाम प्राप्‍त करने के लिए आप इस विधि को दिन में 2 बार दोहराएं। यह आपको कुछ ही दिनों में डार्क सर्कल्‍स से छुटकारा दिलाने की प्राकृतिक विधि है।


घाव उपचार में

जीवाणुरोधी और एंटीऑक्‍सीडेंट गुणों की मौजूदगी के कारण कुंकुमादि तेल के फायदे घाव का उपचार करने में प्रभावी होते हैं। यदि आप मामूली घाव, चोट, खरोंच, जलन या कीट के काटने पर परेशान हैं तो इस औषधीय तेल का उपयोग कर सकते हैं। इस तेल में मौजूद एंटी-इंफ्लामेटरी गुण घाव को शांत करने, जलन को कम करने और सूजन को कम करने में सहायक होते हैं। कुंकुमादि तेल में जीवाणुरोधी गुण होने के कारण यह संक्रमण को फैलने से भी रोक सकता है। इस तेल में मौजूद फ्लेवोनॉइड यौगिक आपके घाव और घाव के निशान को जल्‍दी ठीक करने में मदद करते हैं। इस तरह से आप अपने घाव के उपचार के लिए कुंकुमादि तेल के फायदे प्राप्‍त कर सकते हैं।

फेस मसाज के लिए

आप अपने चेहरे की मालिश के लिए कुंकुमादि तेल का उपयोग कर सकते हैं। यह सबसे बेहतरीन फेशियल आयल है। अपने चेहरे की मालिश करने के लिए आप इस तेल की 2-3 बूंदे अपने हाथों में लें। इस तेल को अपने चेहरे में लगाएं और अपने चेहरे की हल्‍के हाथों से मालिश करें। मालिश करने के बाद लगभग 20 मिनिट तक इंतेजार करें और फिर साफ पानी से अपने चेहरे को साफ कर लें। लेकिन यदि आप रात में सोने से पहले इस तेल का उपयोग करें तो यह और अधिक प्रभावी होता है। क्‍योंकि ऐसा करने से इस तेल के औषधीय गुण पूरी रात आपकी त्‍वचा का उपचार करते हैं। नियमित रूप से कुछ सप्‍ताह तक इस तेल का उपयोग करने से आपकी त्‍वचा की बनावट और रंग में सुधार करता है।

झुर्रियों के लिए

समय से पहले बुढ़ापे के संकेतों में झुर्रियां आना सबसे आम समस्‍या है। लेकिन आप कुंकुमादि तेल का प्रयोग कर झुर्रियों से निजात पा सकते हैं। क्‍योंकि कुंकुमादि तेल में औषधीय जड़ी बूटीयों का उपयोग किया जाता है। इन जड़ी बूटीयों में हल्‍दी, बरबेरिक, चंदन और केसर भी शामिल हैं। इन घटकों में मौजूद एंटीऑक्‍सीउेंट त्‍वचा को गोरा, चमकदार और झुर्रियों मुक्‍त बनाने में मदद करते हैं। एंटीऑक्‍सीडेंट की उच्‍च मात्रा होने के कारण कुंकुमादि तेल समय से पहले आने वाले बुढ़ापे के लक्षणों को प्रभावी रूप से दूर करता है। इस औषधीय तेल का एक और लाभ यह है कि आयुर्वेदिक होने के कारण यह किसी भी प्रकार के गंभीर दुष्‍प्रभाव नहीं देता है।
******

20.8.19

जोड़ों का दर्द के कारण व घरेलू ,आयुर्वेदिक उपचार



जोड़ों का दर्द एक या एक से अधिक जोड़ों को प्रभावित कर सकता हैं। जोड़ों का दर्द बहुत कष्टप्रद होता है। इसकी शुरुआत घुटनों में हल्के दर्द के साथ होती है। धीरे-धीरे यह दर्द हाथों की अंगुलियों के जोड़ों में भी आ जाता है। यह दर्द हिलने-डुलने से बढ़ता जाता है। चोटों, उम्र, मोटापा, संरचनात्मक असामान्यताएं, मांसपेशियों में लचीलेपन की कमी आदि जिम्‍मेदार कारक होते हैं। लेकिन कुछ बीमारियों गठिया, बर्साइटिस और मांसपेशियों के दर्द आदि भी जोड़ों के दर्द का कारण होते हैं। 
गाउट
गाउट को अर्थराइटिस का एक प्रकार है। खून और ऊतकों में यूरिक एसिड की मात्रा के बहुत ज्‍यादा बढ़ जाने के कारण जोड़ों में सूजन का कारण बनता है। एक्‍यूट गाउट एक दर्दनाक स्थिति है जो केवल एक ही जोड़ को प्रभावित करती है। जबकि क्रोनिक गाउट में दर्द और सूजन के प्रकरणों को दोहराया जाता है। यह एक से अधिक जोड़ को प्रभावित करता है। यूरिक एसिड के क्रिस्‍टल जोड़ों में जमा होकर जोड़ों में सूजन का कारण बनते हैं।

रूमेटाइड अर्थराइटिस
रूमेटाइड अर्थराइटिस (आर ए) एक लंबे समय तक चलने वाली बीमारी है। इसमें जोड़ों और आसपास के ऊतकों में सूजन की समस्‍या होती है। यह अन्‍य अंगों को भी प्रभावित कर सकती है। इस बीमारी के होने के निश्चित कारणों का अभी तक पता नहीं चल पाया है, इसलिए मेडिकल साइंस की भाषा में इसे आटो-इम्‍यून डिजीज यानी स्‍व-प्रति‍रक्षित बीमारी कहा जाता है। जिसका अर्थ है कि शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली भ्रान्ति पूर्वक स्‍वस्‍थ ऊतकों पर हमला करती है। इसके कारण सूजन आना और हाथ-पैर के जोड़ों में तेजदर्द की शिकायत सबसे अधिक दिखती है।
ऑस्टियोआर्थराइटिस
यह सबसे आम प्रकार का अर्थराइटिस है। यह बढ़ती उम्र के साथ होता है। यह अंगुलियों और कूल्हों के अलावा पूरे शरीर का भार सहन करने वाले घुटनों को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है। इस समस्‍या के होने पर घुटनों में सूजन और चलते समय घुटने में तेज दर्द होता है। घुटने की नर्म कार्टिलेज, हड्डी को मुलायम तकिये की तरह सहारा देती है, पर उम्र बढ़ने के साथ-साथ वह घिसती जाती है और कम हो जाती है, जिस कारण हड्डियां एक-दूसरे से रगड़ खाने लगती हैं। यह दर्द और सूजन का कारण बनती हैं। वैसे तो यह बीमारी किसी भी महिला या पुरुष को हो सकती है, पर 50 की उम्र पार कर गईं ज्यादातर महिलाएं रजोनिवृत्ति के बाद उनके हार्मोन स्तर में बदलावइस समस्या का आसानी से शिकार हो जाती हैं।


टेन्डीनिटिस

पैरों व हाथों की अंगुलियों के छोटे जोड़ों में स्थित नसों (टेंडन्स) की झिल्ली में सूजन आ जाने से दर्द होना। यह रेशेदार संरचना है जो हड्डी को मांसपेशियों से मिलाती है। टेन्डीनिटिस चोट या अति प्रयोग के कारण होता है। साथ ही उम्र बढ़ने के साथ नसों में लोच खाने के कारण भी यह समस्‍या होती है। रुमेटी गठिया या मधुमेह जैसे रोग भी इस समस्‍या का कारण हो सकते हैं। टेन्डीनिटिस आमतौर पर कोहनी, कंधे और कलाई में पाया जाता है। नसों के पास जोड़ों में दर्द और कोमलता, रात के समय दर्द और मूवमेंट या गतिविधि के दौरान दर्द का बदतर होना जैसे लक्षण पाये जाते हैं।
घुटने का अर्थराइटिस
घुटने का दर्द वह दर्द है जो घुटने के विशेष हिस्‍सों खासकर सामने और बीच में होता है। घुटने में कार्टिलेज के धीरे-धीरे क्षीण होने से यह समस्‍या होती है। कार्टिलेज चिकना और फिसलन पदार्थ है, जो घुटने को आगे झुकते और सीधा करते समय हड्डियों को कुशन और रक्षा देता है। लेकिन कार्टिलेज पर असर होने से घुटनों में फिसलन अनुभव नहीं होती और घुटने की हड्डियां आपस में रगड़कर घर्षण का अनुभव करती है। इसके कारण घुटने आसानी से मूव नहीं कर पाते और उनमें कठोरता, सूजन और दर्द का अनुभव होता है।
ऑस्‍टियोमायइलिटिस
ऑस्‍टियोमायइलिटिस बैक्टीरिया या अन्य कीटाणुओं के कारण होने वाला हड्डी संक्रमण है। आमतौर पर हड्डी संक्रमण बैक्टीरिया के कारण होता है। लेकिन यह कवक या अन्य कीटाणुओं के कारण भी हो सकता है। इस समस्‍या से पीड़ि‍त होने पर बैक्टीरिया हड्डी के बगल में संक्रमित त्‍वचा, मांसपेशियों या चोट के कारण हड्डी में फैल सकता है। या संक्रमण शरीर के दूसरे हिस्से में शुरू होकर रक्त के माध्यम से हड्डी में फैल सकता है। या संक्रमण हड्डी की सर्जरी के बाद शुरू हो सकता हैं।
बेकर्स सिस्ट : 
घुटने के जोड़ में सिनोवियल फ्लूड का निर्माण होता है, जो जोड़ों को आपस में रगड़ने से रोकता है। जब यह फ्लूड अधिक मात्रा में बनने लगता है, तो घुटने के पिछले हिस्से में इकट्ठा होने लगता है, जिस कारण घुटने में सूजन आती है और पीड़ित व्यक्ति असहज महसूस करता है।
लिगामेंट का टूटना : 
चोट लगने पर इनके टूट जाने से भी घुटनों व जोड़ों का दर्द होता है। लिगामेंट एक प्रकार के लचीले टिशू होते हैं, जो जोड़ों को आपस में जोड़ कर रखते हैं।
बर्साइटिस
बर्साइटिस बर्सा की सूजन और जलन है। बर्सा तरल पदार्थ से भरी थैली है जो मांसपेशियों, नसों और हड्डियों के बीच एक तकिया के रूप में कार्य करती है। बर्साइटिस अक्‍सर अति प्रयोग का परिणाम होता है। यह गतिविधि के स्तर में बदलाव जैसे मैराथन के लिए प्रशिक्षण ओर अधिक वजन के कारण हो सकता है।
बर्साइटिस चोट, रुमेटी अर्थराइटिस, गाउट और संक्रमण के कारण होता है। लेकिन कभी-कभी इसके कारण नहीं पाये जाते। बर्साइटिस सामान्यतः अत्यधिक दबाव के कारण होता है। कंधा, कोहनी, कूल्‍हा और घुटना सबसे अधिक प्रभावित होता है। इस समस्‍या के होने पर स्थानीय जोड़ों में दर्द और कठोरता बनी रहती है और साथ ही बर्सा के चारों ओर घेरे में जोड़ों के आसपास सूजन रहती है।
डिस्लोकेशन : 
जोड़ के अपनी जगह से हिल जाने या उखड़ जाने के कारण भी दर्द होने लगता है।
जोड़ों के दर्द के उपचार -
पुराने समय में उम्र बढ़ने के साथ−साथ व्यक्ति को जोडों में दर्द की परेशानी होती थी, लेकिन आज के समय में यह समस्या कम उम्र में ही तकलीफ देने लगती हैं और इसके पीछे मुख्य कारण है व्यक्ति का गलत लाइफस्टाइल। वैसे तो लोग जोड़ों के दर्द से निजात पाने के लिए दवाइयों का सेवन करते हैं, लेकिन आज हम आपको इस दर्द से मुक्ति दिलाने के लिए कुछ आसान व घरेलू उपाय बता रहे हैं−
हीट एंड कोल्ड पैक
पीठ के निचले हिस्से व गठिया के दर्द से निजात दिलाने में हीट एंड कोल्ड पैक का इस्तेमाल बेहद प्रभावकारी होता है। जहां हीट मसल्स को रिलैक्स करते हैं और स्टिफनेस दूर होती है। इसके लिए आप गर्म पानी की बोतल व हीट पैड का प्रयोग करें।
वहीं कोल्ड पैक के लिए आप बर्फ का प्रयोग करें। इसके लिए आप कपड़े में बर्फ लपेंटे और प्रभावित स्थान पर रखें। इससे दर्द व सूजन में आराम मिलेगा।
सेंधा नमक
मांसपेशियों व जोड़ों के दर्द से निजात पाने के लिए सेंधा नमक से नहाना एक बेहद पुराना नुस्खा है। मैग्नीशियम और सल्फेट में समृद्ध सेंधा नमक आसानी से स्किन के अब्जार्ब हो जाते हैं, जिससे आपको सूजन, मांसपेशियों की ऐंठन व दर्द से निजात मिलती है। जोड़ों के दर्द से निजात पाने के लिए बाथटब में गुनगुना पानी डालकर उसमें दो कप सेंधा नमक डालें और करीबन 20 मिनट के लिए इस पानी में बैठें। इससे आपको तुरंत जोड़ों के दर्द से निजात मिलेगी।


सेब का सिरका

दो चम्मच सेब का सिरका
एक गिलास गर्म पानी
सेब के सिरके को पानी में डालकर अच्छी तरह मिक्स करें।
फिर इस पानी को पी जाएं। संभव हो, तो भोजन से पहले इसे पिएं।
आप सेब के सिरके को थोड़े-से नारियल तेल में मिक्स करके प्रभावित जगह पर लगा भी सकते हैं।
आप प्रतिदिन कम से कम दो बार तो जरूर करें।
सेब के सिरके में एसिटिक एसिड होता है, जो एंटीइंफ्लेमेटरी की तरह काम करता है। इस गुण के कारण ही यह जोड़ों में दर्द व घुटने की सूजन को कम कर सकता है । घुटने के दर्द का इलाज करने के लिए आप इस विधि को अपना सकते हैं।
जरूरी है व्यायाम
सिर्फ जोड़ों में ही नहीं, बल्कि शरीर के विभिन्न हिस्सों में दर्द का एक कारण व्यक्ति का व्यायाम न करना भी होता है। दरअसल, जब व्यक्ति व्यायाम नहीं करता तो उसका वजन तो बढ़ता है ही, साथ ही शारीरिक रूप से एक्टिव न होने पर कई तरह की बीमारियां उसे अपनी चपेट में ले लेती हैं। इसलिए सिर्फ जोड़ों के दर्द से निजात पाने के लिए ही नहीं, अपितु स्वस्थ रहने के लिए प्रतिदिन कुछ देर व्यायाम अवश्य करें।
हल्दी
एक चम्मच हल्दी
एक गिलास नारियल/बादाम का दूध
सबसे पहले दूध को गर्म कर लें।
फिर इसमें हल्दी को डालकर मिक्स कर दें।
अब आप इस दूध को हल्का गर्म होने पर पिएं।
आप रोज दो बार यह दूध पी सकते हैं।
हल्दी में करक्यूमिन नामक प्रमुख तत्व पाया जाता है। यह एंटीइंफ्लेमेटरी की तरह काम करता है। कुछ वैज्ञानिक शोधों में पाया गया है कि हल्दी के प्रयोग से जोड़ों के दर्द व घुटने की सूजन को कम किया जा सकता है। इसलिए, हल्दी के जरिए घुटने के दर्द का इलाज किया जा सकता है।
घटाए वजन
जोड़ों के दर्द का एक मुख्य कारण अधिक वजन भी होता है। वजन अधिक होने पर जोड़ों व शरीर की हड्डी पर जोर पड़ता है, जिसके कारण उनमें दर्द होता है। ऐसे में आप अपने वजन को संतुलित रखने का प्रयास करें। साथ ही अपनी डाइट पर भी ध्यान दें ताकि आपके शरीर को पर्याप्त पोषण प्राप्त हो और आपका शरीर रोगमुक्त रहे। जिन लोगों को जोड़ों में दर्द होता है, उन्हें अपनी डाइट में ओमेगा 3 फैटी एसिड, ताजे फल व सब्जियां व अधिक से अधिक एंटी−ऑक्सीडेंट्स को शामिल करें।


अदरक-

अदरक का एक इंच टुकड़ा
एक कप पानी
साफ कपड़ा
अदरक को पानी में डालकर करीब पांच मिनट तक उबालें।
इसके बाद पानी को छानकर थोड़ा ठंडा होने के लिए रख दें।
फिर कपड़े को इस पानी में डालकर निचोड़ लें और प्रभावित जगह पर रखें।
अब शरीर के प्रभावित हिस्से को इस कपड़े से लपेट दें।
आप इस पानी को चाय की तरह पी भी सकते हैं।
बेहतर परिणाम के लिए इसे दिन में कई बार किया जा सकता है।
अगर आपको ऑस्टियोअर्थराइटिस के कारण घुटने में दर्द हो रहा है, तो आप इससे निपटने के लिए अदरक का इस्तेमाल कर सकते हैं । अदरक में जिंजेरॉल पाया जाता है, जो एंटी-इंफ्लेमेटरी की तरह काम करता है। साथ ही इसे एनाल्जेसिक यानी दर्द को कम करने वाली जड़ी-बूटी भी माना गया है। आप घुटने के दर्द का इलाज करने के लिए अदरक का प्रयोग कर सकते हैं।

 लाल मिर्च
तीन चम्मच लाल मिर्च
एक कप जैतून का तेल
आधा कप बीवैक्स का चूर्ण
एक डबल बॉयलर
एक जार
लाल मिर्च को जैतूल के तेल में मिक्स कर दें।
इसे डबल बॉयलर में डालकर मध्यम आंच पर करीब 10 मिनट तक उबालें।
अब इसमें बीवैक्स को डालकर लगातार हिलाते रहें।
बीवैक्स के पूरी तरह घुलने और मिश्रण के मुलायम होने तक इसे हिलाते रहें।
इसके बाद मिश्रण को करीब 10 मिनट के लिए फ्रिज में रख दें और बाद में बाहर निकालकर फिर से फेंटें।
अब इसे फिर से 15 मिनट के लिए ठंडा होने दें और एक बार फिर अच्छी तरह फेंटें।
आपका मिश्रण तैयार है। अब इसे जार में डालकर ढक दें और फ्रिज में रख दें।
अब आपको जब भी जरूरत हो, इसका इस्तेमाल करें।
आप इस पेस्ट को दिनभर में कई बार प्रभावित जगह पर लगा सकते हैं।
लाल मिर्च में कैप्साइसिन पाया जाता है, जो घुटनों के दर्द को ठीक करने का काम कर सकता है। कैप्साइसिन में एंटी-इंफ्लेमेटरी व एनाल्जेसिक गुण पाए जाते हैं, जो प्राकृतिक रूप से दर्द निवारक का काम करते हैं। घुटनों के दर्द का इलाज लाल मिर्च से किया जा सकता है।

मेथी दाने
दो चम्मच मेथी दाने
एक गिलास पानी
पानी में मेथी दाने डालकर रातभर के लिए छोड़ दें।
अगली सुबह पानी को छानकर पी लें।
आप पानी के साथ मेथी दानों को पीसकर पेस्ट भी बना सकते है। फिर इस पेस्ट को प्रभावित जगह पर लगाएं।
आप रोज एक बार इस पेस्ट का इस्तेमाल जरूर करें
मेथी दानों में भी एंटी-इंफ्लेमेटरी और एनाल्जेसिक गुण होते हैं, जो पेन किलर की तरह काम करते हैं। इसके इस्तेमाल से घुटने की सूजन को कम किया जा सकता है । मेथी दाने के इस्तेमाल से घुटनों के दर्द का इलाज किया जा सकता है।


विशिष्ट परामर्श-  



जोड़ों का दर्द,संधिवात,कमरदर्द,गठिया, साईटिका ,घुटनो का दर्द आदि वात जन्य रोगों में जड़ी - बूटी निर्मित हर्बल औषधि ही अधिकतम प्रभावकारी सिद्ध होती है| रोग को जड़ से निर्मूलन करती है| औषधि से बिस्तर पकड़े पुराने रोगी भी दर्द मुक्त गतिशीलता हासिल करते हैं| बड़े अस्पतालों के महंगे इलाज़ के बावजूद निराश रोगी इस औषधि से आरोग्य हुए हैं| त्वरित असर औषधि के लिए वैध्य श्री दामोदर से 98267-95656 पर संपर्क कर सकते हैं|

  • ************
घुटनो के दर्द की रामबाण हर्बल औषधि बताओ




पित्ताशय की पथरी (Gallstones) की रामबाण औषधि

सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस(गर्दन का दर्द) के उपचार

घुटनो के दर्द की रामबाण हर्बल औषधि बताओ

किडनी फेल ,गुर्दे ख़राब की जीवन रक्षक हर्बल औषधि

सायटिका रिग किस औषधि से ठीक होता है?

हिन्दू मंदिरों और मुक्ति धाम को सीमेंट बैंच दान का सिलसिला

दामोदर चिकित्सालय शामगढ़ के आशु लाभकारी उत्पाद

प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ने से पेशाब रुकावट की कारगर हर्बल औषधि

सेक्स का महारथी बनाने वाले आयुर्वेदिक नुस्खे


आर्थराइटिस(संधिवात),गठियावात ,सायटिका की तुरंत असर हर्बल औषधि

सिर्फ आपरेशन नहीं ,किडनी की पथरी की १००% सफल हर्बल औषधि

तिल्ली बढ़ जाने के आयुर्वेदिक नुस्खे

डॉ.दयाराम आलोक की जीवन गाथा

यौन शक्ति बढ़ाने के अचूक घरेलू उपाय/sex power

कई बीमारियों से मुक्ति द‍िलाने वाला है गिलोय


स्तनों की कसावट और सुडौल बनाने के उपाय

लीवर रोगों के अचूक हर्बल इलाज

गांधी के अमृत वचन हमें अब याद नहीं - डॉ॰दयाराम आलोक

पीलिया रोगी का आहार ,परहेज व उपचार:Piliya rog Ayurvedic nuskhe


 पीलिया यकृत की विकृति अर्थात यकृत के रोगग्रस्त होने के कारण होने वाला रोग है | यकृत के रोग ग्रस्त होने के बाद सबसे पहले लक्षण के रूप में पीलिया (Jaundice) ही प्रकट होता है | इसमें रोगी के त्वचा, नाखूनों, आँखों, एवं मूत्र में पीले रंग की अधिकता हो जाती है | इसका मुख्य कारण रक्त में पित रस की अधिकता (Bile Juice) होना होता है | वैसे दिखने में यह बहुत ही साधारण सा रोग प्रतीत होता है , लेकिन अगर सही समय पर उपचार एवं उचित आहार न लिए जाएँ तो पीलिया जानलेवा रोग बन जाता है |
पीलिया के लक्षण 
पीलिया होने पर निम्नलिखित लक्षण प्रकट होते है |
रोगी की त्वचा, नाख़ून एवं आँखों में पीलापन आने लगता है |
भूख कम लगने लगती है |
चक्कर आना, जी मचलाना एवं उलटी होना |
पेट दर्द होना |
सिरदर्द होना |
पेशाब में पीलापन |
शरीर कमजोर हो जाता है |
रोगी को कब्ज एवं अरुचि जैसी समस्याएँ भी होने लगती है |
अधिकतर शाम के समय रोगी को तीव्र बुखार आती है | 
 

पीलिया रक्‍त में बिलीरुबिन की मात्रा का बढ़ना है। पीलिया या ज्‍वाइंडिस का उपचार संभव है लेकिन पीलिया के दौरान और पीलिया के रोगी क्‍या खाएं और क्‍या न खाए यह भी अहम है। अक्‍सर हमें पीलिया में परहेज करने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा बहुत से लोगों द्वारा सलाह दी जाती है पीलिया में क्‍या क्‍या नहीं खाना चाहिए। पीलिया के उपचार के दौरान आपको पीलिया के आहार में भी विशेष ध्‍यान देना चाहिए। क्‍योंकि कुछ खाद्य पदार्थ पीलिया के लक्षणों को कम करने में मदद करते हैं। लेकिन कुछ खाद्य पदार्थ पीलिया के लक्षणों को बढ़ाने का भी कारण हो सकते हैं। इसलिए पीलिया रोगी के साथ ही उनके परिजनों को पीलिया में क्‍या खाना चाहिए और क्‍या नहीं इसकी जानकारी होना आवश्‍यक है।

ज्‍वाइंडिस एक गंभीर स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍या है जिसमें शरीर का रंग पीला पड़ने लगता है। पीलिया रक्‍त में बिलीरुबिन का एक बिल्‍डअप है। बिलीरुबिन एक पीला वर्णक है जो लाल रक्‍त कोशिकाओं के टूटने के दौरान जारी किया जाता है। इनकी अधिकता के कारण शरीर के बहुत से अंग जैसे त्‍वचा, आंखें, मसूड़े और नाखून आदि का रंग पीला पड़ने लगता है। लीवर आमतौर पर रक्‍त से बिलीरुबिन को हटाने का काम करता है इसलिए पीलिया आमतौर पर जिगर या लीवर की बीमारी से संबंधित होता है।
 पीलिया के अधिकांश मामले नवजात शिशुओं, छोटे बच्‍चों और कमजोर प्रतिरक्षा वाले वयस्‍कों में भी हो सकता है। अधिकांश मामलों में बिलीरुबिन की मात्रा रक्‍त में 2 से 3 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर या इससे अधिक होने पर पीलिया के लक्षणों का कारण बनता है।
 तेल मसालेदार, खट्टा, नमकीन, क्षारीय और बहुत गर्म खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन और शराब आदि पीलिया रोग का कारण बनता है। बढ़ा हुआ पित्त (in the form of bile) तब यकृत के रक्‍त और मांसपेशीय ऊतको (muscular tissue) को कमजोर कर देता है जिससे यकृत के चैनलों में अवरोध उत्पन्न होता है और इस प्रकार पित्त को रक्‍त में वापस भेज दिया जाता है जिससे आंखों और त्वचा का रंग पीला हो जाता है। दिन में सोना, यौन गतिविधी में अतिसंवेदनशीलता, अधिक शारीरिक परिश्रम, वासना, भय, क्रोध और तनाव आदि भी पीलिया के कारण हो सकते हैं।
 किसी भी स्‍वस्‍थ्‍य व्‍यक्ति या रोगी के लिए आहार का विशेष महत्‍व होता है। इसी तरह पीलिया रोगी के लिए कुछ विशेष प्रकार के आहार होते हैं जो बहुत ही फायदेमंद होते हैं। भोजन या आहार करने के बाद पाचन के दौरान यकृत पित्त का उत्‍पादन करता है जो आंतों में मौजूद वसा को तोड़ने में प्रभावी है। इसके अलावा लीवर खाना पचाने वाले पोषक तत्‍वों, विषाक्‍त पदार्थों और दवाओं के प्रसंस्‍करण या चयापचय के लिए भी जिम्‍मेदार है। सभी खाद्य और पेय पदार्थों का शरीर द्वारा उपयोग करने के लिए स्‍वस्‍थ यकृत की आवश्‍यकता होती है। लेकिन विभिन्‍न पोषक तत्‍वों और रसायनों को अलग-अलग पचाया जाता है और चयापचय किया जाता है।
लेकिन यदि आप आसानी से न पचने वाले खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन करते हैं तो आपका पाचन तंत्र और यकृत सही तरीके से काम नहीं करता है। परिणामस्‍वरूप शरीर में विषाक्‍तता की मात्रा अधिक हो जाती है। इसलिए आपको पीलिया के दौरान कुछ विशेष प्रकार के हल्‍के और पौष्टिक भोजन करना चाहिए।
 पीलिया रोगी के उपचार के दौरान डॉक्‍टर रोग की गंभीरता के अनुसार कुछ विशेष खाद्य पदार्थों को खाने का सुझाव देते हैं। इसके अलावा यह किसी अंतर्निहित चिकित्‍सा स्थितियों के आधार पर आहार अलग-अलग हो सकते हैं। लेकिन कुछ ऐसे विशेष खाद्य और पेय पदार्थ होते हैं जो पीलिया रोगी के आहार में शामिल किये जा सकते हैं। इन खाद्य पदार्थों में मौजूद पोषक तत्‍व पीलिया के लक्षणों को कम करने, प्रतिरक्षा शक्ति को बढ़ाने और शरीर को ऊर्जा दिलाने में सहायक होते हैं। आइए जाने पीलिया रोग का उपचार करने के दौरान खाए जाने वाले खाद्य पदार्थ क्‍या हैं।
 

पीलिया रोग या हेपेटाइटिस बी होने पर रोगी को पर्याप्‍त मात्रा में पानी का सेवन करना चाहिए। यकृत को पीलिया के लक्षणों से उबारने में मदद का यह सबसे अच्‍छा तरीका है कि शरीर में पानी की कमी न हो। पानी न केवल पाचन को आसान बनाने में मदद करता है बल्कि यह जिगर और गुर्दे को विषाक्‍त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। सामान्‍य रूप से लोगों को रोजाना कम से कम 64 औंस या सिर्फ 2 लीटर पानी की आवश्‍यकता होती है। इसके अलावा लोग पीलिया होने के दौरान मुंह का स्‍वाद बनाए रखने के लिए प्रति गिलास पानी 1 या 2 चम्‍मच नींबू के रस को भी मिला सकते हैं। यह उनकी रोग प्रतिरक्षा शक्ति को बढ़ाने में सहायक होता है।

  पीलिया रोग से बचाव के उपाय में आप ताजे फलों और सब्जियों को शामिल कर सकते हैं। ताजे फल और सब्जियों में शक्तिशाली एंटीऑक्‍सीडेंट और फाइबर होते हैं। जो चयापचय के दौरान लीवर की क्षति को कम करने में सहायक होते हैं। साथ ही ये खाद्य पदार्थ पचने में भी आसान होते हैं। लगभग सभी फलों और सब्जियों में यकृत स्‍वास्‍थ्‍य को बढ़ावा देने वाले पोषक तत्‍व होते हैं। लेकिन कुछ विशेष किस्‍म के फलों और सब्जियां यकृत स्थिति के लिए बहुत ही फायदेमंद होते हैं। इनमें शामिल हैं :
क्रैनबेरी (करोंदा), ब्‍लूबेरी और अंगूर
सभी प्रकार के खट्टे फल विशेष रूप से नींबू, संतरा अंगूर आदि।
पपीता और तरबूज
कद्दू, शकरकंद और रतालु या याम
एवोकैडो, जैतून और टमाटर
गाजर, बीट और शलजम
ब्रोकोली, फूल गोभी और ब्रसेल्‍स स्‍प्राउट्स, पालक, कोलार्ड जैसी क्रूस सब्जियां
अदरक और लहसुन
अच्‍छे लाभ प्राप्‍त करने के लिए रोगी को फल, हरी सब्जियां आदि खाना चाहिए।
 ज्‍वाइंडिस रोगी के लिए कॉफी और हर्बल चाय का सेवन लाभकारी होता है। कॉफी और हर्बल चाय में एंटीऑक्‍सीडेंट के साथ ही कैफीन की उचित मात्रा होती है। जिसके कारण यह पाचन को प्रोत्‍साहित करने में सहायक होता है। बहुत ही कम मात्रा या मॉडरेशन में कॉफी का सेवन यकृ‍त की क्षति जैसे लक्षणों को कम करने में सहायक है। इसलिए पीलिया रोगी को नियमित रूप से अपने आहार में कॉफी या हर्बल चाय की नियंत्रित या कम मात्रा को विशेष रूप से शामिल करना चाहिए।
 साबुत अनाज- 
पीलिया या हेपिटाइटिस बी के रोगी को उपचार के दौरान साबुत अनाज का पर्याप्‍त सेवन करना चाहिए। साबुत अनाज खाद्य पदार्थों में स्‍वस्‍थ वसा, फाइबर, एंटीऑक्‍सीडेंट और खनिज पदार्थ की अच्‍छी मात्रा होती है। ये सभी घटक यकृत स्‍वास्‍थ्‍य को बेहतर बनाने में सहायक हैं। 2013 में हुए एक अध्‍ययन के अनुसार जो लोग नियमित रूप से ओट्स का सेवन करते हैं 12 सप्‍ताह के बाद उनके यकृत स्‍वास्‍थ्‍य में सुधार हुआ। क्‍योंकि ओट्स बीटा-क्‍लूकन समृद्ध खाद्य पदार्थ है।
 अधिकांश नट्स और फलियां एंटीऑक्‍सीडेंट से भरपूर होते हैं। जिनमें विटामिन सी, ई और फेनोलिक एसिड की भी उच्‍च मात्रा होती है। साबुत अनाज, नट्स और फलियां भी आमतौर पर स्‍वस्‍थ वसा और फाइबर के अच्‍छे स्रोत हैं। अध्‍ययनों से पता चलता है‍ कि नियमित रूप से सेवन करने पर अखरोट और अन्‍य पौधे आ‍धारित खाद्य नट्स लिवर के कार्य के लिए फायदेमंद होते हैं। यदि आप भी पीलिया रोग का इलाज करा रहे हैं तो किसी अनुभवी व्‍यक्ति की सलाह के आधार पर इन नट्स और फलियों को अपने आहार में शामिल कर सकते हैं।
स्वाभाविक रूप से पाचन एंजाइम बिलीरुबिन के स्‍तर को कम करने में मदद करते हैं। आप पाचन एंजाइमों को इन चीजों से प्राप्त कर सकते हैं।
शहद से
नारंगी और इसके छिल्‍कों से
अनानास से
पपीता
आम
 विषाक्‍त पदार्थों (toxic substances) को शरीर से बाहर निकालने के लिए घुलनशील फाइबर यकृत की मदद करता है और पाचन को आसान बनाता है। ये महत्‍वपूर्ण पोषक तत्‍व विभिन्‍न प्रकार के खाद्य पदार्थों में पाए जाते हैं जैसे कि :
फल
सब्जियां
फलियां
नट्स
साबुत अनाज आदि
उच्‍च फाइबर वाले खाद्य पदार्थों मे शामिल हैं :
क्रूसिफेरस सब्जियां जैसे ब्रोकली
जामुन
दलिया
बादाम
भूरा चावल
 भोजन करते समय उच्‍च फाइबर लेने का प्रयास करें। पुरुषों को प्रतिदिन 38 ग्राम और महिलाओं को 25 ग्राम फाइबर खाने का प्रयास करना चाहिए।
पीलिया एक गंभीर स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍या है जिसका समय पर उपचार किया जाना आवश्‍यक है। पीलिया का घरेलू उपचार या डॉक्‍टरी इलाज के दौरान कुछ खाद्य पदार्थों का नियमित सेवन करना चाहिए इन खाद्य पदार्थों में शामिल हैं :


पीलिया में केला फायदेमंद – 

पीलिया होने की स्थिति में रोगी को नियमित रूप से केला का सेवन करना चाहिए। केला में मौजूद पोषक तत्‍व और अन्‍य घटक लीवर को स्‍वस्‍थ रखने और पीलिया के लक्षणों को कम करने में प्रभावी होते हैं।

पीलिया में अनार होता है अच्‍छा

 पीलिया रोग रक्‍त में आई विषाक्‍तता के कारण होता है। हम सभी जानते हैं कि अनार का नियमित सेवन स्‍वस्‍थ रक्‍त के उत्‍पादन में सहायक होता है। साथ ही इसमें मौजूद एंटीऑक्‍सीडेंट रक्‍त कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाने वाले फ्री रेडिकल्‍स के प्रभाव को कम करते हैं। इसलिए रोगी को नियमित रूप से अनार का सेवन करना चाहिए।

पीलिया में हल्‍दी का इस्‍तेमाल करें – 

हल्‍दी एक जड़ी बूटी है जिसे हम सभी लोग मसाले के रूप में उपयोग करते हैं। इसमें मौजूद पोषक तत्‍व, खनिज पदार्थ, एंटीऑक्‍सीडेंट और विशेष रूप से मौजूद करक्‍यूमन घटक पीलिया के लक्षणों को नियंत्रित करने में सहायक होता है।

पीलिया में परहेज

यकृत सहित अधिकांश आंतरिक शारीरिक ऊतकों के लिए शराब हानिकारक होती है। अधिक मात्रा में शराब का उपयोग करना पुरानी लीवर की सूजन का कारण बन सकता है, जो यकृत को अस्‍वस्‍थ्‍य कर सकती है और फाइब्रोसिस (fibrosis) का कारण बन सकता है।

शराब का सेवन नहीं

  पीलिया या अन्‍य यकृत संबंधी समस्‍याओं बाले लोगों को शराब का सेवन नहीं करना चाहिए।
पीलिया रोगी नहीं खाना चाहिए आयरन की अधिक मात्रा
लौह का सेवन करने से सावधान रहना महत्‍वपूर्ण है। बहुत अधिक लोहा यकृत स्‍कार्फिंग का कारण बन सकता है।
प्रोटीन लोहे (Iron) का अच्‍छा स्रोत है इसलिए यकृत के स्‍वास्‍थ्‍य के लिए इसे कम करने की कोशिश करना चाहिए।

नमक कम खाना चाहिए

नमक का ज्‍यादा उपयोग यकृत को नुकसान पहुंचा सकता है और जल प्रतिधारण में भी योगदान दे सकता है। प्रसंस्‍कृत और डिब्‍बा बंद खाद्य पदार्थो में सोडियम की मात्रा हो सकती है। नमक का उपयोग करने के बजाए आप अपने पकवानों में लहसुन पाउडर, प्‍याज पाउडर या अयस्‍कों जैसे पदार्थों का उपयोग करने का प्रयास करें।
पीलिया रक्‍त और यकृत से संब‍ंधित बीमारी है। पीलिया के दौरान क्‍या खाना चाहिए और क्‍या नहीं यह बहुत ही महत्‍वपूर्ण है। पीलिया होने पर खाने वाले आहार पीलिया के लक्षणों को प्रभावित करते हैं। पीलिया में परहेज करना भी आवश्‍यक है।

नहीं खाना चाहिए अधिक चीनी

परिष्‍कृत चीनी, उच्‍च फ्रक्‍टोज मकई सिरप (fructose corn syrup)और संसाधित चीनी के अन्‍य रूप भी यकृत में वसा का निर्माण कर सकते हैं। चीनी में उच्‍च प्रसंस्‍कृत खाद्य पदार्थ वसा में भी अधिक होते हैं जो नुकसान के खतरे को बढ़ा देते हैं।

विशिष्ट परामर्श-





यकृत,प्लीहा,आंतों के रोगों मे अचूक असर हर्बल औषधि "उदर रोग हर्बल " चिकित्सकीय गुणों के लिए प्रसिद्ध है|पेट के रोग,लीवर ,तिल्ली की बीमारियाँ ,पीलिया रोग,कब्ज और गैस होना,सायटिका रोग ,मोटापा,भूख न लगना,मिचली होना ,जी घबराना ज्यादा शराब पीने से लीवर खराब होना इत्यादि रोगों मे प्रभावशाली है|बड़े अस्पतालों के महंगे इलाज के बाद भी निराश रोगी इस औषधि से ठीक हुए हैं| औषधि के लिए वैध्य दामोदर से 9826795656 पर संपर्क करें|

**********************

बादाम के तेल गुण औ स्वास्थ्य लाभ


बादाम तेल का इस्तेमाल आप सेहत और खूबसूरती दोनों के लिए कर सकते हैं. बादाम की ही तरह बादाम का तेल भी पोषक तत्वों और खनिजों से भरपूर होता है. इस तेल का इस्तेमाल आप खाना बनाने के लिए भी कर सकते हैं और चेहरे पर लगाने के लिए भी.
बादाम का तेल कच्चे बादामों से ही निकाला जाता है। बादाम के तेल में पर्याप्त मात्रा में मोनोअनसैचुरेटेड फैटी एसिड के साथ ही विटामिन ई एवं पोटैशियम, प्रोटीन और जिंक भारी मात्रा में पाए जाते हैं। अन्य तेलों की अपेक्षा हल्का होने के कारण बादाम के तेल का इस्तेमाल रसोई में भी किया जाता है।
बादाम का तेल मीठा और कड़वा दो प्रकार का होता है। बादाम का कड़वा तेल बादाम को दबाकर निकाला जाता है। इसमें एमिगाडलिन होता है जो प्रसंस्करण के बाद हानिकारक हाइड्रोसायनिक एसिड में बदल जाता है। इसमें औषधीय तत्व मौजूद होने के बावजूद भी कड़वा तेल को खाया नहीं जाता है। इसका इस्तेमाल किसी विशेष जरूरत के लिए ही किया जाता है। जबकि बादाम का मीठा तेल खाने के योग्य होता है। इस तेल का लाभ बालों एवं चेहरे को बहुतायत में मिलता है। इसके अलावा भोजन बनाने में भी किया जाता है।
ज्यादातर लोगों को बादाम के विषय में एक सामान्य सी बात जो पता है, वह यह है कि इसे खाने से मस्तिष्क तेज होता है। लेकिन क्या आपको मालूम है कि बादाम तेल के फायदे क्या हैं। यहां आपको इसके फायदे के बारे में हम बताने जा रहे हैं।


बालों के लिए लाभकारी

बादाम का तेल बालों के लिए बहुत ही उपयोगी होता है।
यह बालों की रुसी और बालों का झड़ना कम करता है।
बालों के दो मुहे हो जाने पर यदि बादाम के तेल से मालिश करते है तो फायदा होता है।
बादाम के तेल का उपयोग कंडीशनर के रूप में भी कर सकते है इसके उपयोग से बाल चमकदार और लम्बे होते है।
उपयोग विधि
बालों को लंबा बनाने के लिए 2 चम्मच बादाम के तेल में 2 चम्मच आरंडी का तेल मिलाये।
इस तेल से बालों की मालिश करे लगभग 10 मिनट तक।
इसके बाद बालों को हलके गर्म पानी के धो ले । शेम्पू का इस्तेमाल करने के लिए कोई अच्छा सा माइल्ड शेम्पू ही उपयोग करे इससे बाल अच्छे रहते है।
इस तेल को सप्ताह में 1 बार ज़रूर लगाए। इससे बाल तेजी से बढ़ेंगे ।

बालों की रूसी दूर करने में
यदि आपके सिर में रूसी इतनी ज्यादा हो गई हो कि आपके कपड़े पर गिर जा रही हो तो अपने सिर में बादाम के तेल से मसाज करें। बादाम का तेल मृत कोशिकाओं को नष्ट कर डैंड्रफ को दूर करने में उपयोगी है। यह बालों को पोषण प्रदान करता है और बालों से संबंधित सभी समस्याओं को दूर करता है। बादाम का तेल सिर को ठंडक प्रदान करता है और बालों में जमी मृत कोशिकाओं को बाहर निकालता है। एक चम्मच आंवला पावडर में बादाम का तेल मिलाकर धीरे-धीरे बालों में लगाएं और आधे घंटे के लिए छोड़ दें। अब बालों में शैंपू कर लें। बाल सूखने के बाद आपके बालों से रूसी गायब मिलेगी।


बादाम का तेल डार्क सर्कल हटाने के लिए
 
अगर किसी व्यक्ति के आंखों के नीचे डार्क सर्कल पड़ जाते हैं तो वह देखने में काफी भद्दे लगते हैं। इस परिस्थिति में आपको आंखों के नीचे बादाम का तेल लगाकर हल्के हाथों से मसाज करना चाहिए। बादाम के तेल में विटामिन ईपाया जाता है जो त्वचा की मरम्मत करता है और नियमित रूप से मसाज करने पर डार्क सर्कल को दूर कर देता है। इसके अलावा यह तेल झुर्रियों को खत्म करने के लिए उपयोग में लाया जाता है।
सोरायसिस और एक्जिमा के इलाज में
बादाम का तेल त्वचा संबंधी बीमारियों एवं संक्रमण जैसे मुंहासे, सोरायसिस और एक्जिमा के इलाज में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह त्वचा की जलन एवं खुजलाहट को कम करके त्वचा को आराम देता है। यह तेल एक विलेपन के रूप में काम करता है और यह त्वचा को ठंडक प्रदान करता है। इसमें मॉश्चराइजिंग गुण भी पाया जाता है जो त्वचा को नमी प्रदान कर एक्जिमा और सोरायसिस जैसी बीमारियों को दूर करने में सहायक होता है।
कब्ज दूर करने में
कब्ज को दूर करने में भी बादाम के तेल का उपयोग में लाया जाता है। गुनगुने पानी में बादाम के तेल की कुछ बूंदे मिलाकर दिन में दो बार पीने से कब्ज क्षण भर में दूर हो जाता है। इसके अलावा बादाम का तेल पेट भी ठीक रखता है और भोजन की अच्छी तरह से पचाने में मदद करता है। इसके अलावा गर्म दूध में बादाम तेल की कुछ बूंदे मिलाकर पीने से वजन भी तेजी से कम होता है। बादाम मोनोअनसैचुरेटेड फैट से भरपूर होता है जो मेटाबोलिज्म को बढ़ाता है जिससे वजन घटने में सहायता मिलती है।


हृदय रोगों में

 बादाम के तेल में मोनोअनसैचुरेटेड फैटी एसिड पाया जाता है जो हृदय को स्वस्थ रखता है और इसे बीमारियों से बचाता है। मीठे बादाम का तेल फोलिक एसिड, अनसैचुरेटेड फैट, प्रोटीन के साथ ही पोटैशियम से भी भरपूर होता है जो हृदय की सेहत को ठीक रखने में लोगों द्वारा उपयोग में लाया जाता है। इसके अलावा यह टाइप-2 डायबिटीज को दूर कर कोलेस्ट्रॉल एवं उच्च रक्तचाप की समस्या को भी दूर करता है।
अन्य लाभ-
*अगर आपका हीमोग्लोबिन कम है तो आज से ही बादाम के तेल को अलग-अलग रूपों में लेना शुरू कर दें. इसमें भरपूर मात्रा में आयरन होता है, जो हीमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ाने का काम करता है.
*बादाम के तेल में ओमेगा-6 फैटी एसिड्स होते हैं. ओमेगा-6 दिमाग की सेहत के लिए एक आवश्यक तत्व है. इससे दिमाग को पोषण मिलता है.
*गर्भावस्था में बादाम तेल का सेवन करना बहुत फायदेमंद होता है. गर्भावस्था में बादाम तेल के सेवन से डिलीवरी के नॉर्मल होने की संभावना बढ़ जाती है. इसमें मौजूद फॉलिक एसिड, आयरन, कैल्शियम और दूसरे पोषक तत्व मां और बच्चे दोनों को फायदा पहुंचाते हैं.
*बादाम तेल के सेवन से कोलेस्ट्रॉल संतुलित रहता है. बादाम के नियमित सेवन से दिल से जुड़ी बीमारियों के होने का खतरा कम हो जाता है.
**********



19.8.19

दशमूल जड़ी बूटी के स्वास्थ्य लाभ


 दशमूल हर्ब का नाम दश और मूल की संधि से बना है जिसका अर्थ है कि दस जड़ी-बूंटियों की जड़ें। दशमूल हर्ब में दस जड़ी-बूंटियों के गुण एक साथ होते हैं इसलिए इसका सेवन शरीर के लिए लाभकारी होता है।
  दशमूल शरीर के लिए काफी उपयोगी हर्ब होता है। दशमूल हर्ब का उपयोग प्राचीन काल से ही आयुर्वेदिक दवाओं के रुप में किया जाता रहा है। 10 आयुर्वेदिक जड़ी-बूंटियों के मिश्रण से दशमूल हर्ब बनाया जाता है। यह जड़ी-बूंटी नसों की समस्याओं, मसल्स की ऐंठन, हड्डियों और जोड़ों के दर्द को ठीक करने के लिए लाभकारी होता है। दशमूला सूजन की समस्या को दूर करने के लिए बेहद लाभकारी होता है। आइए जानते हैं शरीर के लिए कैसे दशमूला हर्ब का सेवन लाभकारी होता है।

  भारत में दशमूल 10 जड़ी बूटियों का सबसे अच्छा संयोजन है, जो विभिन्न चिकित्सा विज्ञान और आयुर्वेदिक दवाओं में उपयोग किया जाता है। इसके बड़े स्वास्थ्य लाभ हैं। इसमें आयुर्वेद की 10 सर्वश्रेष्ठ जड़ें हैं जो हमें कई तरीकों से फायदा पहुंचाती हैं। ये जड़ें हमें तंत्रिका समस्याओं, मांसपेशियों में ऐंठन, हड्डियों और जोड़ों की समस्याओं से राहत दे सकती हैं। दशमूल, सूजन और अन्य कई स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज के लिए जादुई रूप से काम करता है। 
दशमूल जड़ी बूटी के स्वास्थ्य लाभ-
रूक रूककर और तेज बुखार में है फायदेमंद
पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करता है
सांस की समस्याओं को रोकता है
माइग्रेन के दर्द को कम करता है
सूजन, दर्द और गठिया की सूजन से राहत देता है
दशमूल जड़ी-बूटियों में 10 जड़ें- 




दशमूल 10 सर्वश्रेष्ठ हर्बल जड़ों का एक संयोजन है जो विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं से राहत देता है। दशमूल बनाने वाली सर्वश्रेष्ठ 10 जड़ी-बूटियों इस प्रकार हैं।

अग्निमंथ
गंभारी
बिल्व
पृश्निपर्णी
बृहती
कंटकारी
गोखरू
पटाला हर्ब
शालपर्णी
श्योनाक
दशमूल के स्वास्थ्य लाभ:
रूक रूककर और तेज बुखार में है फायदेमंद -
दशमूल में बहुत सारे एंटीपायरेटिक गुण होते हैं जो रुक-रुक कर या बहुत तेज बुखार को ठीक करने में मदद करते हैं। यह आपके शरीर के तापमान का प्रबंधन कर सकता है और इसके लिए सबसे अच्छा उपाय है। 
दशमूला हर्ब में में एंटी प्रेट्रिक गुण होते हैं जो कि तेज बुखार को ठीक करने के लिए लाभकारी होते हैं। यह शरीर के तापमान को सही रखता है। किसी भी अन्य आयुर्वेदिक औषधि की तुलना में दशमूला का सेवन बुखार को ठीक करता है। कुछ अन्य हर्ब्स का सेवन करके भी बुखार को ठीक किया जा सकता है
पाचन सुधारे
पाचन संबंधी समस्याएं और गैस का बनना इंसान की सबसे आम समस्याएं हैं। लेकिन दशमूल इन सबसे राहत दिलाने में मदद करता है। वास्तव में, फूड एलर्जी का सबसे अच्‍छा घरेलू उपचार है।


सांस की समस्याओं को रोकता है

दशमूल श्वसन संबंधी समस्याओं को कम करता है। यह छाती और श्वसन रास्‍तों की सूजन को कम करता है। यह सबसे अच्छा काम करता है जब आप हर्बल घी के साथ इसका सेवन करते हैं। 10 जड़ी का सूत्रीकरण अस्थमा, काली खांसी और सामान्‍य खांसी को कम कर सकते हैं।
सूजन, दर्द और गठिया से राहत देता है

दशमूल अद्भुत है, जब यह गठिया के लक्षणों जैसे सूजन, दर्द से राहत देता है। इसमें एनाल्जेसिक या पेनकिलर प्रभाव होता है जो गठिया की समस्याओं का इलाज करता है।
माइग्रेन के दर्द 
माइग्रेन के दर्द को कम करने के लिए भी दशमूल हर्ब उपयोगी होता है। बहुत सारे लोगों को माइग्रेन के दर्द के साथ-साथ उल्टी, जी-मिचलाने, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्या होती है। जिसे ठीक करने के लिए दशमूला हर्ब का सेवन उपयोगी होता है।
दशमूल क्वाथ (दशमूल काढ़ा) के रोगों में लाभ :
✦इसका उपयोग पीठ के निचले हिस्से में दर्द, कटिस्नायुशूल, कंपकंपी, पार्किंसंस रोग में किया जाता है।
✦फेफड़ों : सूखी खांसी और श्वसन कमजोरी के लिए टॉनिक के रूप में इसका उपयोग किया जा सकता है।
✦सभी प्रकार के बुखार
✦तनाव
✦अनिद्रा
✦संधिशोथ
✦खांसी और अस्थमा
✦कमजोरी
दशमूल क्वाथ के फायदे और उपयोग :
1-तनाव दूर करने में –
तनाव कई अतिरिक्त बीमारियों का मूल कारण है। दिव्य दशमूल क्वाथ एक उत्कृष्ट रचना है जो दिमाग पर से तनाव कम करती है। यह दवा तनाव और इसके संबंधित रोगों के लिए प्राकृतिक इलाज है।
2-मासिक धर्म विकारों में –
मासिक धर्म विकारों और गर्भावस्था को प्राप्त करने से संबंधित स्त्री रोग संबंधी विकारों में उपयोगी।
3-अवसाद में –
यह प्राकृतिक जड़ी बूटी तनाव और अवसाद को कम करती है और आपके दिमाग को आराम देती है।
4- रक्तचाप के नियंत्रण में –
यह नींद विकार से रोकने में मदद करता है और आपके रक्तचाप को नियंत्रण में रखता है।
5-गठिया रोग में –
दशमूल क्वाथ का नियमित उपयोग गठिया जैसी पुरानी बीमारियों से रोकता है।
6-थकान दूर करने में –
यह दवा आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने और सिरदर्द और थकान से बचने में मदद करती है।




7- खाँसी में –

दशमूल क्वाथ (दशमूल काढ़ा) में “अरण्डी की जड़ “अथवा “पोहकरमूल का चूर्ण” डाल कर पीने से श्वास, खाँसी और पसली की पीड़ा शान्त हो जाती है।(
8- सन्निपात ज्वर में –
सन्निपात ज्वर, मोह और तन्द्रा होने पर-दशमूल के काढ़े में “पीपर का चूर्ण” मिला कर पीना बहुत ही अच्छा है
9- धनुस्तम्भ रोग में –
दशमूल का काढ़ा पिलाना और शरीर में कड़वा तेल मलना हितकारी है।
10- पक्षाघात रोग में –
दशमूल का काढ़ा हींग और सेंधा नमक मिलाकर पिलाना हितकर है।( और पढ़े – लकवा के 37 घरेलु इलाज )
11- सूतिका रोग में –
इस रोग में भी दशमूल के काढ़े में पीपर का चूर्ण मिलाकर पिलाना चाहिये ।
12- हृदयशूल में –
हृदयशूल, पीठ के शूल और कमर के शूल में-देशमूल का काढ़ा सवेरे ही पीना चाहिये ।
13- बुखार में –
इस क्वाथ का प्रयोग करने से समस्त प्रकार के वातश्लैष्मिक ज्वर शीघ्र नष्ट होते हैं
14-पाश्र्वशूल में –
सन्निपात ज्वर, समस्त प्रकार के सूतिका रोग, ग्रह, कण्ठ ग्रह, पाश्र्वशूल,तथा वातरोगों को शीघ्र नष्ट करता है। विशेषतया सूतिका रोग मेंअधिक लाभप्रद है।
****************

सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस(गर्दन का दर्द) के उपचार

वजन कम करने के लिए कितना पानी कैसे पीएं?

प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ने से पेशाब रुकावट की कारगर हर्बल औषधि

सेक्स का महारथी बनाने वाले आयुर्वेदिक नुस्खे


आर्थराइटिस(संधिवात),गठियावात ,सायटिका की तुरंत असर हर्बल औषधि

खीरा ककड़ी खाने के जबर्दस्त फायदे

महिलाओं मे कामेच्छा बढ़ाने के उपाय

मुँह सूखने की समस्या के उपचार

गिलोय के जबर्दस्त फायदे

इसब गोल की भूसी के हैं अनगिनत फ़ायदे

कान मे तरह तरह की आवाज आने की बीमारी

छाती मे दर्द Chest Pain के उपचार

सिर्फ आपरेशन नहीं ,किडनी की पथरी की १००% सफल हर्बल औषधि

किडनी फेल रोगी का डाईट चार्ट और इलाज

तिल्ली बढ़ जाने के आयुर्वेदिक नुस्खे

यौन शक्ति बढ़ाने के अचूक घरेलू उपाय/sex power

कई बीमारियों से मुक्ति द‍िलाने वाला है गिलोय


किडनी स्टोन के अचूक हर्बल उपचार

स्तनों की कसावट और सुडौल बनाने के उपाय

लीवर रोगों के अचूक हर्बल इलाज

सफ़ेद मूसली के आयुर्वेदिक उपयोग

दामोदर चिकित्सालय शामगढ़ के आशु लाभकारी उत्पाद

मेथी का पानी पीने के जबर्दस्त फायदे