10.7.19

हरी सब्‍जी खाने के स्वास्थ्य लाभ


हरी सब्जियां खाने के कई फायदे हैं, हरी सब्जियां खाने के लाभ शायद ही किसी को पता न हों क्‍योंकि हरी सब्जियां खाने के फायदे स्‍वास्‍थ्‍य के लिए किसी औषधी से कम नहीं होते हैं। हरी सब्‍जी खाने से क्‍या लाभ होते है, हरी सब्जियों के पोषक तत्‍व आदि की पूरी जानकारी लोगों को नहीं होती है। बस उन्‍हें यह पता होता है कि हरी सब्‍जी खाना उनके शरीर को स्‍वस्‍थ रखता है। हमारे शरीर को स्वस्थ और मजबूत रखने के लिए हरी सब्जियां का सेवन जरूरी है, हरी सब्जियां स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी गंभीर से गंभीर बीमारियों को दूर करने में सहायक होती हैं। हरी सब्‍जी खाने का फायदा कैंसर, हृदय रोग, कोलेस्ट्रॉल घटाने, मोटापा कम करने, हाई ब्लड प्रेशर की समस्या और मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य जैसी समस्‍याओं को दूर करने में होते हैं।
हरी सब्‍जी खाने के फायदे न केवल स्‍वास्‍थ्‍य बल्कि बालों और त्‍वचा सौंदर्य के लिए भी होते हैं। आज इस आर्टिकल में हम हरी सब्जियां खाने के फायदे जानेगें। आइए जाने हरी सब्जियां किस प्रकार हमारे स्‍वास्‍थ्‍य के लिए फायदेमंद होती हैं। हरी पत्तेदार सब्जियां खाने के फायदे और हमें हरी सब्जियां क्यों खानी चाहिए?
हरी सब्‍जी खाने के फायदे हृदय के स्‍वास्‍थ्‍य के लिए –
हरी सब्‍जीयों का नियमित रूप से सेवन करना हृदय स्‍वास्‍थ्‍य के लिए बहुत ही अच्‍छा होता है। हरी और गहरे रंग की पत्‍तेदार सब्जियों में ल्‍यूटिन और जेक्‍सैंथिन (Lutein and Zeaxanthin) होते हैं। ये घटक हृदय स्‍वास्‍थ्‍य को बढ़ावा देने में सहायक होते हैं। यदि आप भी हृदय संबंधी समस्‍याओं से परेशान हैं तो अपने नियमित आहार में हरी सब्जियों को विशेष रूप से शामिल करें।
सब्जियों के पोषक तत्‍व –
हम सभी जानते है कि अलग-अलग रंगों की सब्‍जी और फलों को अपने नियमित आहार में शामिल करना स्‍वास्‍थ्‍य के लिए अच्‍छा होता है। ल‍ेकिन अपने आहार में विशेष रूप से हरी सब्जियों को शामिल करना अधिक लाभकारी होता है। क्‍योंकि सभी प्रकार की हरी सब्जियों में विटामिन, प्रोटीन, खनिज पदार्थ, फाइबर आदि की उच्‍च मात्रा होती है। ग्रीन सब्जियों में ल्‍यूटिन और जेक्‍सैंथिन (Lutein and Zeaxanthin) जैसे घटक भी होते हैं। इसके अलावा इन सब्जियों में वसा आदि ना के बराबर होते हैं जो हमारे शरीर के लिए हानिकारक होता है। हरी सब्जियां कार्बोहाइड्रेट की भी अच्‍छी स्रोत मानी जाती हैं जो हमे ऊर्जा प्राप्‍त करने में सहायक होता है।
हरी सब्जियां खाने के लाभ कैंसर से बचने के लिए –
पोषक तत्‍वों की भरपूर मात्रा होने के साथ ही हरी सब्जियों में एंटीऑक्‍सीडेंट की उच्च मात्रा होती है। ये एंटीऑक्‍सीडेंट शरीर में कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोकने और उन्‍हें नष्‍ट करने में सहायक होते हैं। यदि आप भविष्‍य में कैंसर जैसी गंभीर स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं से बचना चाहते हैं तो अपने नियमित आहार में हरी सब्जियों को शामिल करें। नियमित रूप से हरी सब्जियों का सेवन स्‍तन और फेफड़े संबंधी कैंसर की रोकथाम करने में सहायक होते हैं।



टाइप २ डायबिटीज के मरीजों के लिए सहायक
अगर कोई टाइप २ डायबिटीज से ग्रसित है, तो उसके लिए हरी सब्जियां काफी फायदेमंद होती हैं क्योंकि इनमें मैग्नीशियम तो है ही, साथ में कार्बोहायड्रेट कम होता है।
हरी सब्जियों के गुण खनिज पदार्थ की कमी दूर करे
स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याएं अक्‍सर शरीर में विटामिन और खनिज पदार्थों की कमी के कारण होती हैं। लेकिन यदि आप हरी सब्जियों को अपने आहार में शामिल करते हैं तो इस प्रकार की समस्‍याओं से बचा जा सकता है। आप अपने शरीर में खनिज पदार्थों की कमी को दूर करने के लिए सभी प्रकार की हरी सब्जियों को अपने साप्‍ताहिक आहार का हिस्‍सा बना सकते हैं। क्‍योंकि हरी पत्‍तेदार सब्जियों में मैग्‍नीशियम, पोटेशियम, आयरन, फॉस्‍फोरस और कैल्शियम जैसे अन्‍य घटक होते हैं। मैग्‍नीशियम मांसपेशियों के स्वास्‍थ्‍य को बढ़ाने में अहम योगदान देता है।
हरी सब्जियों का उपयोग प्रतिरक्षा शक्ति बढ़ाये –
सभी प्रकार की हरी सब्जियों में प्रमुख घटक के रूप में एंटीऑक्‍सीडेंट उच्‍च मात्रा में होते हैं। ये एंटीऑक्‍सीडेंट हमारे शरीर की कोशिकाओं को फ्री रेडिकल्‍स के प्रभाव से बचाने में सहायक होते हैं। एंटीऑक्‍सीडेंट के अलावा हरी सब्जियों में विटामिन ए भी होता है जो शरीर के प्राकृतिक बचाव और त्‍वचा स्‍वास्‍थ्य के लिए लाभकारी होता है। हरी सब्जियों में विटामिन C और K भी अच्‍छी मात्रा में होते हैं जो हड्डियों के घनत्‍व और विकास दोनों में सहायक होते हैं। इस तरह से आप अपने शरीर की रोग प्रतिरोध क्षमता को बढ़ाने के लिए हरी सब्जियों को अपने नियमित आहार में शामिल कर सकते हैं।
हरी सब्जियां रखें आपकी हड्डियों को मजबूत
क्योंकि हरी सब्जियों में विटामिन के होता है, यह आपकी हड्डियों को भी मजबूत और स्वस्थ रखती हैं।
हरी सब्जियों के गुण चयापचय को बढ़ाये –
शरीर का स्‍वस्‍थ रहना आपके स्‍वस्‍थ्‍य चयापचय पर निर्भर करता है। हरी पत्‍तेदार सब्जियों में आयरन और फाइबर की उच्‍च मात्रा होती है। इसके अलावा हरी सब्जियों में ऐसे अन्‍य खनिज पदार्थ और घटक भी उच्‍च मात्रा में होते हैं जो हमारे चयापचय में सुधार करते हैं। इसके अलावा हरी सब्जियों में मौजूद आयरन विशेष रूप से हमारे शरीर में रक्‍त या लाल रक्‍त कोशिकाओं के उत्‍पादन को बढ़ाने में सहायक होता है। यदि आप भी अपने शरीर स्‍वस्‍थ्‍य रखना चाहते हैं तो अपने नियमित आहार में हारी सब्जियों को प्रमुख खाद्य पदार्थ के रूप में शामिल कर सकते हैं।
हरी सब्जी के लाभ पाचन के लिए –


पाचन संबंधी समस्‍याओं को दूर करने के लिए हरी सब्जियां बहुत ही फायदेमंद होती हैं। ऐसा इसलिए है क्‍योंकि हरी सब्जियों में फाइबर की उच्‍च मात्रा होती है। हरी सब्जियों को फाइबर का सबसे अच्‍छा प्राकृतिक स्रोत माना जाता है। नियमित रूप से सेवन करने के दौरान हरी सब्जियों में मौजूद फाइबर पाचन तंत्र को स्‍वस्‍थ रखता है। इसके अलावा यह उस दर को धीमा करता है जिस पर आपका शरीर चीनी को अवशोषित करता है। इसके अलावा नियमित रूप से आहार के रूप में हरी सब्जियों का सेवन रक्‍त शर्करा के स्‍तर को भी नियंत्रित करता है।
ग्रीन वेजिटेबल्स के फायदे आंखों के लिए –
हरी सब्जियां आंखों के लिए फायदेमंद होती हैं। क्‍योंकि लगभग सभी प्रकार के पोषक तत्‍व, खनिज, विटामिन आदि की पर्याप्‍त मात्रा इनमें मौजूद रहती है। हम पहले ही जान चुके हैं कि अधिकांश हरी सब्जियों में ल्‍यूटिन और जेक्‍सैन्थिन (Lutein and zeaxanthin) की अच्‍छी मात्रा होती है। नियमित रूप से हरी सब्जियों का सेवन करना आपकी आंखों को स्‍वस्‍थ रखने का एक बेहतर विकल्‍प है। ऐसा इसलिए है क्‍योंकि हरी सब्जियों में एंटीऑक्‍सीडेंट, विटामिन ए और विटामिन सी की अच्‍छी मात्रा होती है। विटामिन ए आंखों के लिए बहुत ही आवश्‍यक घटक है। इसके अलावा विटामिन सी और अन्‍य एंटीऑक्‍सीडेंट हमारी आंखों को फ्री रेल्किल्‍स के प्रभाव से बचाने में सहायक होते हैं। इस तरह से आप अपनी आंखों को स्‍वस्‍थ रखने के लिए दैनिक आहार में नियमित रूप से हरी सब्जियों को शामिल कर सकते हैं।
हरी सब्जियों के औषधीय गुण वजन कम करे –
हरी सब्‍जी खाने के लाभ आपकी भूख को नियंत्रित कर सकते हैं। इसलिए बहुत से लोग वजन घटाने के उपाय के रूप में हरी सब्जियों का अधिक सेवन करने की सलाह देते हैं। हरी सब्जियों में मौजूद फाइबर की उच्‍च मात्रा पाचन प्रक्रिया को धीमा करती है जिससे आपको लंबे समय तक समान रूप से ऊर्जा की प्राप्ति होती रहती है। इसके अलावा फाइबर आपको लंबे समय तक पूर्णता का अनुभव कराता है जिससे आपको बार-बार भूख लगने या खाने की समस्‍या से छुटकारा मिल सकता है। हम सभी जानते हैं कि बार-बार भोजन करना या अधिक भोजन करना भी वजन बढ़ने का प्रमुख कारण होता है। इस तरह से आप अपनी भूख को नियंत्रित कर अपने बढ़ते वजन को रोक सकते हैं। हालांकि यदि आप वजन कम करने वाले अन्‍य उपाय अपना रहे हैं तब ऐसी स्थिति में हरी सब्जियों का सेवन आपको अतिरिक्‍त लाभ दिला सकता है।


हरी सब्‍जी खाने के लाभ तनाव दूर करे –
अधिक तनाव कई प्रकार की स्‍वास्थ्‍य समस्‍याओं का कारण बन सकता है। यदि आप तनाव प्रबंधन के प्रयास कर रहे हैं तो इसमें हरी सब्जियों के सेवन को भी शामिल करें। क्‍योंकि हरी सब्‍जी खाने के फायदे आपके तनाव को दूर करने और मूड में बदलाव करने में सहायक होते हैं। हरी पत्‍तेदार सब्जियों में फोलेट की उच्च मात्रा होती है। शरीर में फोलेट की उचित मात्रा सेरोटोनिन उत्‍पादन में योगदान देता है। जिससे आपके तनाव को कम करने में मदद मिलती है। यदि आप नियमित व्‍यायाम के साथ हरी सब्जियों को अपने दैनिक आहार में शामिल करते हैं तो आपको अतिरिक्‍त लाभ प्राप्‍त हो सकता है।
हरी सब्‍जी खाने के फायदे त्‍वचा के लिए –
त्‍वचा हमारे शरीर का सबसे बड़ा और संवेदनशील अंग है। अक्‍सर हम अपनी त्वचा संबंधी समस्‍याओं और सुंदरता बढ़ाने के लिए रासायनिक उत्‍पादों का उपयोग करते हैं। लेकिन आप अपनी त्वचा को स्‍वस्‍थ और सुंदर बनाने के लिए हरी सब्जियों का भी इस्‍तेमाल कर सकते हैं। हम यह नहीं कहते कि आप सौंदर्य उत्‍पादों का उपयोग न करें। लेकिन अपने नियमित आहार में हरी सब्जियों को शामिल करें। ऐसा इसलिए है क्‍योंकि इनमें मौजूद एंटीऑक्‍सीडेंट आपकी त्‍वचा को नुकसान पहुंचाने वाले बैक्‍टीरिया और फ्री रेडिकल्‍स के प्रभाव को कम करने में सक्षम होते हैं। आप अपनी त्वचा को प्राकृतिक सुरक्षा दिलाने के लिए और त्‍वचा को सूर्य की क्षति से बचाने के लिए हरी सब्जियों के सेवन को बढ़ा सकते हैं। हरी सब्जियों में मौजूद विटामिन सी, फोलिक एसिड और बीटा-कैरोटीन आपकी क्षतिग्रस्‍त त्‍वचा कोशिकाओं की मरम्‍मत करने में सहायक होते हैं।
हरी सब्जियों के लाभ हाइड्रेट रखें –
आप अपने शरीर में पानी की कमी को दूर करने के लिए भी हरी सब्जियों का नियमित सेवन कर सकते हैं। ऐसा इसलिए है क्‍योंकि इन सब्जियों में पहले से ही पानी की भरपूर मात्रा होती है इसके अलावा इनमें फाइबर की मौजूदगी भी पानी की उचित मात्रा को बनाए रखने में सहायक होता है। हाइड्रेट रहने से आपकी त्वचा और बालों संबंधी परेशानियों को दूर करने में मदद मिलती है।
हरी सब्‍जी का उपयोग रक्‍तचाप के लिए –
नियमित रूप से हरी सब्‍जी और फलों का सेवन करने के फायदे उच्‍च रक्‍तचाप रोगी के लिए होते हैं। ऐसा इसलिए है क्‍योंकि इन प्राकृतिक खाद्य पदार्थों में पोटेशियम की उच्च मात्रा होती है। पोटेशियम शरीर में न केवल सोडियम के स्‍तर को संतुलित करता है बल्कि रक्‍त वाहिकाओं को भी स्‍वस्‍थ रखने में सहायक होता है। जिससे शरीर में स्‍वस्‍थ रक्‍त परिसंचरण को बढ़ावा मिलता है। इसके अलावा पोटेशियम रक्‍त प्रवाह में अवरूद्ध बनने वाले कोलेस्‍ट्रॉल को भी दूर करता है। इसलिए उच्‍च रक्‍तचाप रोगी को नियमित रूप से अपने आहार में हरी सब्जियों और ताजे फलों का सेवन करना चाहिए।
हरी सब्‍जी खाने से फायदा बालों के लिए –
आज अधिकांश लोग चाहे महिला हो या पुरुष बालों संबंधी समस्‍याओं से बहुत ही परेशान रहते हैं। जिसके कारण वे कई प्रकार के रासायनिक उत्पादों का उपयोग करते हैं जो उनके बालों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। जबकि बालों सबंधी समस्‍याओं को दूर करने का सबसे अच्‍छा और प्राकृतिक तरीका हरी सब्जियों का नियमित सेवन है। हरी सब्जियों में विट‍ामिन A, विटामिन C, कैल्शियम और आयरन जैसे घटक अच्‍छी मात्रा में होते हैं। ये घटक सीबम उत्‍पादन में मदद करते हैं। सीबम मोम जैसा पदार्थ है जो सिर की ऊपरी त्‍वचा या स्‍कैल्‍प में जमा होता है। हमारे बालों के लिए सीबम बहुत ही फायदेमंद होता है। इसके अलावा कैल्शियम और आयरन बालों की जड़ों को मजबूत करने और उन्‍हें कमजोर होकर गिरने से रोकते हैं। इस तरह से आप अपने बालों को झड़ने से बचाने के लिए हरी सब्जियों का इस्‍तेमाल कर सकते हैं।



हरी पत्तीदार सब्जियाँ प्रतिदिन वयस्क महिलाओं के लिए 100 ग्राम, वयस्क पुरुषों के लिए 40 ग्राम, स्कूल न जान वाले बालकों के लिए (4-6 वर्ष) 50 ग्राम और 10 वर्ष से अधिक उम्र वाले बालक-बालिकाओं के लिए 50 ग्राम प्रतिदिन आवश्यक है।
सावधानी -

ऐसा माना जाता है कि हरी पत्तीदार सब्जियों के सेवन से बच्चों में अतिसार हो सकता है। इसलिए अधिकांश माताएं अपने बच्चों को इस पोषक तत्व को देने से परहेज करती हैं। कई बैक्टीरिया, कीटाणु, कीट एवं अनचाही वस्तु हरी पत्तीदार सब्जियों को पानी एवं मिट्टी के द्वारा दूषित कर देते हैं और ठीक तरह से सफाई न किये जाने पर ये सब्जियां अतिसार का कारण बन सकती हैं। इसलिए सभी हरी पत्तीदार सब्जियों को दूषित होने से रोकने के लिए उन्हें अच्छी तरह से पानी से धोना चाहिए ताकि अतिसार से बचा जा सके।
हरी पत्तीदार सब्जियों को अच्छी तरह से मिलाकर, पका कर एवं छान कर ही बच्चों को परोसना चाहिए। हरी पत्तीदार सब्जियों के पोषण को बनाये रखने के लिए उन्हें अधिक पकाने से परहेज करना चाहिए। हरी पत्तीदार सब्जियों को पकाने के बाद उनसे निकलनेवाले पानी को फेंकना नहीं चाहिए। हरी पत्तीदार सब्जियों को पकाने में इस्तेमाल किये जानेवाले बर्तन को हमेशा ढ़ंक कर ही रखना चाहिए। पत्तों को सूर्य की रोशनी में न सूखायें, क्योंकि इससे केरोटिन नष्ट हो जाता है। साथ ही पत्तों को अधिक न भूनें फाइबर की उच्च मात्रा होने के कारण अधिक मात्रा में इन सब्जियों का सेवन करने से पेट संबंधी समस्‍याएं जैसे दस्‍त, अपच, बदहजमी और उल्‍टी आदि हो सकती हैं।
कुछ लोग कुछ विशेष प्रकार की सब्जियों के प्रति संवेदनशील होते हैं। ऐसे लोगों को कुछ प्रकार की सब्जियों का सेवन करने से एलर्जी आदि की समस्‍या हो सकती है। ऐसे लोगों को उन सब्जियों का सेवन करने से बचना चाहिए।
हमेशा ताजी सब्जियों का सेवन करना चाहिए। क्‍योंकि हरी सब्जियां जल्‍दी ही खराब हो जाती हैं इन सब्जियों का सेवन करने से आपको कई प्रकार की बीमारियां हो सकती हैं।
उपयोग करने से पहले सभी प्रकार की सब्‍जीयों को अच्‍छी तरह से धो लेना चाहिए। क्‍योंकि इन सब्जियों में कीटनाशक का उपयोग किया जाता है जो आपके स्वास्‍थ्‍य के लिए हानिकारक हो सकते हैं।
हरी सब्जियों का सेवन करने के दौरान यदि किसी प्रकार की स्वास्‍थ्‍य समसया होती है तो आपको तुरंत ही डॉक्‍टर से संपर्क करना चाहिए।








29.6.19

गेहूं के जवारे का रस अच्छे स्वास्थ्य के लिए gehoon ke jaware ka ras

                                             
गेहूं की पौध को गेहूं का ज्‍वारा कहते हैं । यानी गेहूं के बीच जब जमीन में रोपित किए जाते हैं तो 7 से 8 दिन में जो पौध बनकर तैयार होती है वो गेहूं का ज्‍वारा कहलाती है । इसे अंगेजी में Wheat Grass कहते हैं । इसके फायदे अनेक हैं, आयुर्वेद में इसके रस को संजीवनी बूटी कहा गया है । आजकल ये आयुर्वेदिक औषधि के रूप में आसानी से उपलब्‍ध है ।
सेहत के रखवाले हरी दूब और गेहूं के जवारे गेहूं के जवारों के रस को अमृत रस कहा जाता है, इसका उपयोग विकसित देशों में क्यों बढ़ता जा रहा है, पढ़ें ….. दूब घास प्रकृति में एक ऐसी वनस्पति है जो संसार के किसी भी कोने में, किसी भी जलवायु में उपलब्ध है। यूं तो इस घास को सदा से ही पूजनीय माना जाता रहा है अधिक गौर करने वाली बात यह है कि इसका उपयोग मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक है। इसमें कुछ ऐसे मुख्य पोषक तत्व हैं जो प्रकृति ने कूट-कूट कर भर दिये हैं। इसमें मौजूद सभी पोषक तत्वों का पता वैज्ञानिक नहीं लगा पाए हैं, फिर भी कुछ तत्व जिनके बारे में पता है, इस प्रकार हैं: बीटा केरोटीन, फोलिक एसिड, क्लोरोफिल, लौह तत्व, कैल्शियम, मैग्नीशियम, एंटी आॅक्सीडेंट, विटामिन बी काॅम्पलेक्स, विटामिन के आदि। बीटा कैरोटीन: शरीर में बीटा कैरोटीन विटामिन ‘ए’ में परिवर्तित हो जाता है। सभी जानते हैं कि विटामिन ‘ए’ हमारी त्वचा एवं आंखों की रोशनी के लिए कितना महत्वपूर्ण है। फोलिक एसिड: फोलिक एसिड हमारे शरीर में लाल रक्त कणों को परिपक्व करने के लिए एवं रक्त में होमोसिस्टीन नामक रसायन की मात्रा कम करने के लिए जरूरी है। होमोसिस्टीन की रक्त में मात्रा ज्यादा होने से न केवल रक्तचाप बढ़ जाता है अपितु हृदय रोग की भी संभावना बढ़ जाती है। क्लोरोफिल: यह मानव रक्त से बहुत मिलता-जुलता है। इसमें और मानव रक्त में केवल एक फर्क होता है, वह है क्लोरोफिल के केंद्र में मैग्नीशियम कण होता है तो हीम रिंग में लौह कण। शरीर को क्लोरोफिल को रक्त में बदलने के लिए केवल एक रासायनिक क्रिया करनी पड़ती है, मैग्नीशियम कण को निकालकर उसकी जगह लौह कण को डालना होता है और निकाले हुए मैग्नीशियम को शरीर की हड्डियों की मजबूती तथा रक्तचाप(ब्लडप्रेशर) को नियमित (सामान्य) करने के लिए इस्तेमाल में लाया जाता है।

क्लोरोफिल केवल रक्त ही नहीं बनाता अपितु यह एक अति प्रभावी ऐन्टीबायोटिक के रूप में भी कार्य करता है। इससे शरीर कीटाणुओं के संक्रमण से बचा रहता है। गेहूं के जवारों में मौजूद केल्शियम शरीर की हड्डियों एवं दांतों की मजबूती एवं स्वास्थ्य हेतु सामान्य रासायनिक क्रिया के लिए अति लाभप्रद है। इनमें मौजूद मेग्नीशियम रक्तचाप को सामान्य करने के लिए अति आवश्यक है। फ्री रेडिकल: ये अत्यंत क्रियाशील इलेक्ट्राॅन होते हैं, जो हमारे शरीर की सभी कोशिकाओं में रासायनिक क्रियाओं के उपरांत उत्पन्न होते हैं। चूंकि ये इलेक्ट्राॅन असंतृप्त होते हैं, अपने को संतृप्त करने के लिए ये कोशिकाभित्ति से इलेक्ट्राॅन लेकर संतृप्त हो जाते हैं, परंतु कोशिकाभित्ति में असंतृप्त इलेक्ट्राॅन छोड़ जाते हैं। यही असंतृप्त इलेक्ट्राॅन फिर इलेक्ट्राॅन लेकर संतृप्त हो जाते हैं और इस प्रकार से बार बार नये असंतृप्त इलेक्ट्राॅन/फ्री रेडिकल उत्पन्न होते हैं और नष्ट होते रहते हैं। अगर इन फ्री रेडिकलों को संतृप्त करने के लिए समुि चत मात्रा म ंे एन्टी आॅक्सीडटंे नहीं मिलते तो कोशिकाभित्ति क्षतिग्रस्त हो जाती है। यही क्रिया बार-बार होते रहने से कोशिका समूह क्षतिग्रस्त हो जाता है और मनुष्य एक या अनेक रोगों का शिकार हो जाता है। यही एक महत्वपूर्ण कारण माना जा रहा है आजकल की लाइफस्टाइल बीमारियों मधुमेह, हृदय रोग, रक्तचाप, गठिया, गुर्दे और आंखों के काले या सफेद मोतिया रोग इत्यादि का। गेहूं के जवारे इन्हीं फ्री रेडिकलों को नष्ट करने में शरीर की हर संभव सहायता करते हैं। आज अगर प्रकृति में सभी शाकाहारी जानवरों के आहार पर गौर करें तो पाएंगे कि दूब घास उन्हें आहार से होने वाले सभी रोगों से मुक्त रखती है। कुत्ता एक मांसाहारी जानवर होते हुए भी जब बीमार होता है तो प्रकृतिवश भोजन छोड़कर केवल दूब घास खाकर कुछ दिनों में अपने आप को ठीक कर लेता है। मनुष्य साठ की आयु पर पहुंचते ही काम से रिटायर कर दिया जाता है। इसका कारण उसकी बुद्धि तथा याददाश्त कम होना माना जाता है परंतु हथिनी जिसकी आयु मनुष्य के ही बराबर आंकी गयी है, उसकी न तो याददाश्त कम होती है, न ही उसे सफेद या काला मोतिया होता है और न ही उसे 3900-6000 किलोग्राम भार के बावजूद आथ्र्राइटिस (गठिया) रोग होता है। अल्सरेटिव कोलाइटिस: अल्सरेटिव कोलाइटिस ;न्सबमतंजपअम ब्वसपजपेद्ध के रोगी द्वारा जवारों का नियमित प्रयोग करने से दवाओं की मात्रा कम करने के साथ-साथ रोग के लक्षणों में भी कमी आई।

यह बात जानने योग्य है कि इन रोगियों में इस बीमारी से आंत के कैंसर का खतरा 50 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। जवारों से उसका खतरा भी कम हो जाता है। सभी कैंसर रोगों में इन जवारों का उपयोग बहुत लाभकारी है। जवारे तैयार करने की विधि: लगभग 100 ग्राम अच्छी गुणवत्ता वाले गेहूं को साफ पानी से धोकर, फिर भिगोकर 8 से 10 घंटे रख दें। तत्पश्चात इन्हें 1 फुट ग् 1 फुट की क्यारियों या गमलों में बो दें। यह काम रोजाना सात दिनों तक करें। सातवें दिन पहले गमले/क्यारी मे   गेहूं या  जौ के जवारे करीब 8-9 इंच तक लंबे हो जाएंगे। अब उन्हें मिट्टी से ऊपर-ऊपर काट लें, मिक्सी में डालकर साथ में कोई फल जैसे केला, अनानास या टमाटर डालकर मिक्सी को चला लें । फिर इस हरे रस को चाय की छन्नी से छान कर कांच के गिलास में डालकर आधे घंटे के अंदर सेवन करें। आधे घंटे के पश्चात जवारों के रस से मिलने वाले पोषक तत्वों में कमी आ सकती है। जवारों को काटने के बाद जड़ांे को मिट्टी से उखाड़ कर फेंक दें और नई मिट्टी डालकर नये गेहूं बो दें। काटने के बाद जो जवारे दोबारा उग आते हैं उनसे शरीर को कोई लाभ नहीं मिलता है। मसूड़ों की सूजन हो एवं खून आता हो तो जवारों को चबा चबा कर खाने से यह रोग केवल एक महीने में ही काफूर हो जाता है। लू लगने पर: लू लगने पर भी जवारों के रस का सेवन बहुत लाभ पहुचाता है। किसे गेहूं के जवारे न दें: बच्चों को एवं उन लोगों को जिन्हें दस्त हो रहे हों, मितली हो रही हो और आमाशय में तेजाब बनता हो। जिन लोगों को गेहूं से एलर्जी हो, वे जौ के जवारे इस्तेमाल कर सकते हैं। गेहूं के जवारों, दूब घास आदि के नियमित प्रयोग से अन्य फायदे शरीर की प्रतिरोध क्षमता बढ़ जाती है। हिमोग्लोबिन द्वारा आॅक्सीजन ले जाए जाने की मात्रा बढ़ जाती है। जिन लोगों का रात की पार्टी में शराब या नशे के पदार्थों के सेवन से सुबह सिर भारी रहता है, उनको भला चंगा करने के लिए 1 कप जवारों का सेवन कुछ घंटे में जादू का सा असर करता है। कब्ज को दूर करते हैं और कब्ज के कारण होने वाले रोगों जैसे बवासीर, एनल फिशर एवं हर्नियां से बचाते हैं। बढ़े हुए रक्तचाप को कम करते हैं। कैंसर के रोगी का कैंसर प्रसार कम करने में सहायता मिलती है। साथ ही कैंसर उपचार हेतु दवाओं के दुष्प्रभाव भी बहुत हद तक कम होते हंै। ऐनीमिया (अल्परक्तता) के रोगी का हिमोग्लोबिन बढ़ जाता है। थेलेसिमिया नामक बीमारी में बिना खून की बोतल चढ़ाए, हिमोग्लोबीन बढ़ जाता है। भूरे/सफेद हो गए बाल पुनः काले होने लगते हैं। गठिया (ओस्टियोआथ्र्राइटिस) के रोगी बढ़ते ही जा रहे हैं।

वे इन घास/जवारों से अप्रत्याशित लाभ पाते हैं। अगर इसके सेवन के साथ-साथ वे संतुलित, जीवित आहार करें, फास्ट फूड से बचें तथा नियमित योगाभ्यास करें तो बहुत लाभ होगा। लेखक के कुछ अनुभव बेहोश व्यक्ति का होश में आना: यह व्यक्ति उच्च रक्तचाप के कारण दिमाग की रक्त धमनी से रक्त निकलने से बेहोश हो गया था। पूरा बेहोश होने के कारण उसके पोषण हेतु राईल्स नली डालकर घर भेज दिया गया था। उसे दो सप्ताह तक पानी और दूब घास के सेवन से होश आ गया और उसके बाद जीवित शाकाहारी आहार से अब पूर्णतः ठीक है। मधुमेह: रोगी को 1989 से मधुमेह है। अब उन्हें पिछले 4-5 वर्ष से घुटनों में दर्द भी रहना शुरु हो गया था। कारण बताया गया कि ओस्टियोआथ्र्राइटिस हो गया है। रोजमर्रा के घर के कार्य करने में भी परेशानी महसूस होती थी। मेरे कहने पर उन्होंने गेहूं के जवारों को उगाया और जब ये जवारे 8-9 इंच लंबे हो गये तब उन्हें काट कर पीना शुरु किया। साथ में उन्हें पैरों की उंगलियां में सुन्नपन और पिंडलियों में दर्द रहने लगा था। उन्होंने न्यूरोबियोन के 10 इन्जेक्शन लगवाए पर कोई आराम नहीं हुआ। तब उन्होंने गेहूं के जवारे 20 दिन लिये। फिर अगले महीने 20 दिन इन जवारों का रस लिया। बाद में घर में व्यस्तता के कारण जवारों का रस पीना छोड़ दिया। उन्होंने इन्हीं दिनांे अलसी के कच्चे बीज भी 15-20 ग्राम रोज खाने शुरु कर दिये। अब मधुमेह काबू में रहता है, घुटने के दर्द में बहुत आराम हुआ और जो उंगलियां सुन्न पड़ गई थी उनमें, साथ ही पिंडलियों के दर्द में भी बहुत आराम आ गया है। सबसे महत्वपूर्ण बात है कि उन्हें जो एक प्रकार का अवसाद रहने लगा था, लगभग खत्म हो गया है। मोटापा: आज से करीब 7 महीने पहले जब एक सज्जन मेरे पास आए तो उनका वजन 114 किग्रा. था। उन्होंने मेरे कहने पर पका हुआ भोजन बंद कर अंकुरित अनाज, दाल, फल, सलाद एवं दूब घास खाना शुरु कर दिया। शुरु के पहले माह ये सब भोजन खाने में बहुत कष्ट होता था, अपने आपको बहुत काबू में रखना पड़ता था, परंतु जैसे ही पहला महीना गुज़रा उनका वजन 4 कि.ग्रा. कम हो गया। अब उन्हें कच्चे, अपक्व भोजन एवं दूब घास के सेवन में बहुत आनंद आने लगा। दूसरे माह में करीब 7 कि.ग्रावजन कम हो गया। शरीर में इतनी ताकत बढ़ गयी कि जहां 50 कदम चलने से ही सांस फूलने लगता था, रक्तचाप बढ़ा रहता था, अब दोनों में आराम आ गया। अब भी प्रति माह 2 कि. ग्रा. वजन नियमित रूप से कम होता जा रहा है। उनके पूरे परिवार ने अंकुरित कच्चे अनाज एवं फल, सलाद आदि को नियमित भोजन बना लिया है। वेरिकोज़ वेन्ज से उत्पन्न घाव: एक रोगी को रक्त धमनियों के रोग वेरिकोज़ वेन्ज के कारण न भरने वाला घाव बन गया था। तीन महीने घास के रस को पीने तथा जवारे के रस की पट्टी से हमेशा के लिए ठीक हो गया। एक सज्जन को कोई 10-12 वर्ष से सोरियासिस ;च्ेवतपंेपेद्ध नामक चर्म रोग था। उन्होंने मेरे आग्रह पर गेहूं के जवारे खाना तथा जवारों का लेप शुरु कर दिया। पहले महीने में त्वचा के चकत्तांे से खून आना तथा खुजली बंद हो गई। दूसरे माह में ये सभी सूखने शुरु हो गये, साथ ही चकत्तों की परिधि की त्वचा मुलायम होनी शुरु हो गई। इन्होंने प्रेडनीसोलोन नामक दवा खानी बंद कर दी। 4 महीनों में इनकी त्वचा सामान्य हो गयी। चेहरे पर झाइयां हो जाती हों या आंखों के नीचे काले गड्ढे पड़ जाते हों तो इन दोनों ही चर्म रोगों में जवारों का रस पीने के साथ-साथ लेप करने से 3 महीने में अप्रत्याशित लाभ मिलता है। बुखार: एक बच्चा जिसे बार-बार हर महीने बुखार हो जाता था, कई बार एक्सरे कराने एवं रक्त की जांच कराने पर कुछ दोष पता नहीं चलता था। दूब घास के रस को तीन महीने पीने के बाद कभी बुखार नहीं हुआ। जुकाम एवं साइनस: एक रोगी को प्रतिदिन छींक आती रहती थी, जुकाम रहता था तथा साइनस का शिकार हो गया था। जवारों के 6 माह तक नियमित सेवन से रोग खत्म हो गया। इन्फेक्शन से गले की आवाज बैठ ;स्ंतलदहपजपेद्ध गई हो तो भी जवारों का रस या दूब के रस के सेवन से पांच दिनों में पूरा आराम मिलता है। माइग्रेन (आधे सिर का दर्द): माइग्रेन ;डपहतंपदमद्ध के कुछ रोगियों को पहले ही दिन में तीन बार जवारों का रस पीने से 50 प्रतिशत तक लाभ हो जाता है। शारीरिक कमजोरी: एक साहब को रक्तचाप बढ़ जाने से रक्तस्राव होकर अधरंग हो गया था। दवाइयां खाने से अधरंग और रक्तचाप पर तो काबू आ गया परंतु उनका वजन काफी कम हो गया और बहुत शारीरिक कमजोरी हो गई। उन्होंने शिमला में किसी सज्जन की सलाह पर गेहूं के जवारे लेने शुरु कर दिए। 3 माह के अंदर पूरा कायाकल्प हो गया। कमजोरी का नामोनिशान नहीं रहा।जवारे का रस के बनाने की विधि
आप सात बांस की टोकरी  मे अथवा गमलों  मे  मिट्टी भरकर उन मे प्रति दिन बारी-बारी से कुछ उत्तम गेहूँ के दाने बो दीजिए और छाया   मे अथवा कमरे या बरामदे मे रखकर यदाकदा थोड़ा-थोड़ा पानी डालते जाइये, धूप न लगे तो अच्छा है। तीन-चार दिन बाद गेहूँ उग आयेंगे और आठ-दस दिन के बाद 6-8 इंच के हो जायेंगे। तब आप उसमें से पहले दिन के बोए हुए 30-40 पेड़ जड़ सहित उखाड़कर जड़ को काटकर फेंक दीजिए और बचे हुए डंठल और पत्तियों को धोकर साफ सिल पर थोड़े पानी के साथ पीसकर छानकर आधे गिलास के लगभग रस तैयार कीजिए ।
वह ताजा रस रोगी को रोज सवेरे पिला दीजिये। इसी प्रकार शाम को भी ताजा रस तैयार करके पिलाइये आप देखेंगे कि भयंकर रोग दस बीस दिन के बाद भागने लगेगे और दो-तीन महीने मंे वह मरणप्रायः प्राणी एकदम रोग मुक्त होकर पहले के समान हट्टा-कट्ठा स्वस्थ मनुष्य हो जायेगा। रस छानने में जो फूजला निकले उसे भी नमक वगैरह डालकर भोजन के साथ रोगी को खिलाएं तो बहुत अच्छा है। रस निकालने के झंझट से बचना चाहें तो आप उन पौधों को चाकू से महीन-महीन काटकर भोजन के साथ सलाद की तरह भी सेवन कर सकते हैं परन्तु उसके साथ कोई फल न खाइये। आप देखेंगे कि इस ईश्वरप्रदत्त अमृत के सामने सब दवाइयां बेकार हो जायेगी।




गेहूँ के पौधे 6-8 इंच से ज्यादा बड़े न होने पायें, तभी उन्हें काम मे  लिया जाय। इसी कारण गमले में या चीड़ के बक्स रखकर बारी-बारी आपको गेहूँ के दाने बोने पड़ेंगे। जैसे-जैसे गमले खाली होते जाएं वैसे-वैसे उनमें गेहूँ बोते चले जाइये। इस प्रकार यह जवारा घर में प्रायः बारहों मास उगाया जा सकता है।
सावधानियाँ

 रस निकाल कर ज्यादा देर नहीं रखना चाहिए।
रस ताजा ही सेवन कर लेना चाहिए। घण्टा दो घण्टा रख छोड़ने से उसकी शक्ति घट जाती है और तीन-चार घण्टे बाद तो वह बिल्कुल व्यर्थ हो जाता है।
ग्रीन ग्रास एक-दो दिन हिफाजत से रक्खी जाएं तो विशेष हानि नहीं पहुँचती है।
रस लेने के पूर्व व बाद मे  एक घण्टे तक कोई अन्य आहार न लें
गमलों में रासायनिक खाद नहीं डाले।
रस में अदरक अथवा खाने के पान मिला सकते हैं इससे उसके स्वाद तथा गुण में वृद्धि हो जाती है।
रस में नींबू अथवा नमक नहीं मिलाना चाहिए।
रस धीरे-धीरे पीना चाहिए।
इसका सेवन करते समय सादा भोजन ही लेना चाहिए। तली हुई वस्तुएं नहीं खानी चाहिए।
तीन घण्टे मे जवारे के रस के पोषक गुण समाप्त हो जाते हैं। शुरु मे कइयों को उल्टी होंगी और दस्त लगेंगे तथा सर्दी मालूम पड़ेगी। यह सब रोग होने की निशानी है। सर्दीं, उल्टी या दस्त होने से शरीर में एकत्रित मल बाहर निकल जायेगा, इससे घबराने की जरुरत नहीं है।
स्वामी रामदेव ने इस रस के साथ नीम गिलोय व तुलसी के 20 पत्तों का रस मिलाने की बात कहीं है|

28.6.19

पालक खाने के स्वास्थ्य लाभ ,palak ke fayde



पालक हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होती है यह हमारी त्वचा की देखभाल करती है इसके अलावा यह बेहतर दृष्टि, स्वस्थ रक्तचाप, मजबूत मांसपेशियों, उम्र से संबंधित धब्बेदार अध: पतन (AMD), मोतियाबिंद, एथेरोस्लेरोसिस, दिल का दौरा, न्यूरोलॉजिकल लाभ, ऑस्टियोपोरोसिस, विरोधी अल्सरेटिव और कैंसर विरोधी लाभ, स्वस्थ भ्रूण विकास, और शिशुओं के लिएविकास में वृद्धि आदि इसके सम्मलित लाभ है।
आमतौर पर पालक को केवल हिमोग्‍लोबिन बढ़ाने वाली स‍ब्‍जी माना जाता हैं। बहुत कम लोग जानते हैं कि इसमें इसके अलावा भी बहुत से गुण विद्यमान है। पालक में कैलोरी, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फैट, फाइबर और खनिज लवण होता हैं। साथ ही पालक में विभिन्न खनिज लवण जैसे कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन तथा विटामिन ए, बी, सी आदि प्रचुर मात्रा में पाया जाते हैं।
खून की कमी दूर करें
पालक में आयरन की मात्रा बहुत अधिक होती है और इसमें मौजूद आयरन शरीर आसानी से सोख लेता है। इसलिए पालक खाने से हिमोग्लोबिन बढ़ता है। खून की कमी से पीड़ित व्यक्तियों को पालक खाने से काफी फायदा पहुंचता है।
रक्तचाप को बनाए रखता है Maintains blood pressure
पालक में पोटेशियम की बहुत ही उच्च मात्रा और सोडियम की मात्रा कम होती है। पालक का एक बहुत अधिक खतरा है मिनरलों की यह संरचना उच्च रक्तचाप वाले रोगियों के लिए बहुत फायदेमंद है क्योंकि पोटेशियम रक्तचाप कम करती है और सोडियम रक्तचाप बढ़ाता है।
पालक में उपस्थित फोलेट उच्च रक्तचाप की कम करने में योगदान देता है और उचित रक्त प्रवाह बनाए रखने के साथ-साथ रक्त वाहिकाओं को आराम देता है। कार्डियोवास्कुलर सिस्टम की मदद से आप तनाव को कम कर सकते हैं और इष्टतम कार्य क्षमता के लिए शरीर के अंग सिस्टम में ऑक्सीजन बढ़ा सकते हैं।


शरीर को बनाये मजबूत
पालक में मौजूद फ्लेवोनोइड्स एंटीआक्सीडेंट का काम करता हैं। यह तत्‍व रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि करने के अलावा हृदय संबंधी बीमारियों से लड़ने में भी मददगार होता है। इसमें पाया जाने वाला बीटा कैरोटिन और विटामिन सी क्षय होने से बचाता है। सलाद में इसके सेवन से पाचनतंत्र मजबूत होता है और यह भूख बढ़ाने में सहायक होता है।
तंत्रिका संबंधी लाभ Neurological benefits
पोटेशियम, फोलेट और विभिन्न एंटीऑक्सिडेंट आदि पालक के कई घटक है ये लोगों को न्यूरोलॉजिकल परेशानी में लाभ प्रदान करता है जो इसे नियमित रूप से उपभोग करते हैं। न्यूरोलॉजी के अनुसार, उनकी अल्जाइमर की बीमारी के कारण फोलेट कम हो जाती है।
इसलिए पालक उन लोगों के लिए बहुत अच्छा होते है जो तंत्रिका या संज्ञानात्मक गिरावट के उच्च जोखिम वाले लोग हैं। पोटेशियम भी मस्तिष्क स्वास्थ्य का एक अभिन्न अंग है और यह मस्तिष्क और बढ़ी हुयी अनुभूति, एकाग्रता और तंत्रिका गतिविधि में रक्त के प्रवाह में वृद्धि करता है।
मसल्‍स में मजबूती
अगर आप अपनी बाहों को गठीला और मसल्‍स को मजबूत बनाने चाहते हैं तो अपने आहार में पालक को जरूर शामिल करें। स्वीडन के कारोलिंस्का संस्थान के शोधकर्ताओं के अनुसार, पालक में मौजूद अजैविक नाइट्रेट मांसपेशियां को मजबूत बनाते हैं।



मोतियाबिंद के खतरे को रोकता है Prevents Cataract
पालक में मौजूद ल्यूटिन और ज़ेक्सैंटीन दोनों मजबूत एंटीऑक्सिडेंट के रूप में कार्य करते हैं, इस प्रकार यह हमारी आंखों को UV किरणों के कठोर प्रभाव से बचाता है जिससे मोतियाबिंद हो सकता है। ये मुक्त कणों के प्रभाव को भी कम करते हैं, जो मोतियाबिंद और अन्य नेत्र संबंधित बीमारियों का एक प्रमुख कारण हो सकता है।
गर्भवती के लिए फायदेमंद
गर्भवती महिलाओं में अकसर फोलिक एसिड की कमी हो जाती है, इसकी कमी को दूर करने के लिए पालका का सेवन लाभदायक होता है। साथ ही पालक में पाया जाने वाला कैल्शियम बढ़ते बच्चों, बूढ़े व्यक्तियों और गर्भवती व स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए बहुत फायदेमंद होता है। पालक खाने से स्तनपान करानेवाली माताओ के स्तनों में अधिक दूध बनता है।
गर्मी से राहत
गर्मी में होने वाले नजले, सीने और फेफड़े की जलन में भी यह लाभप्रद होता है। साथ ही पित्त को शांत करता है और गर्मी के कारण होने वाले पीलिया और खांसी में भी बहुत लाभदायक होता है।
रूखापन दूर करें
पालक त्‍वचा को रूखा होने से बचाता है। साथ ही चेहरे के कील मुहांसे मिटाने और त्‍वचा को स्‍वस्‍थ रखने में मददगार होता है। पालक का पेस्ट बनाकर चेहरे पर लगाने से चेहरे से झाइयां दूर हो जाती है। या पालक व गाजर के रस में थोड़ा सा नीबू कस रस को मिलाकर पीने से चेहरा सुंदर और कांतिमय होता है।
गैस्ट्रिक अलसर को कम करता है Helps in Gastric ulcer
यह पाया गया है कि पालक और कुछ अन्य सब्जियों में भी पेट की श्लेष्मा झिल्ली(Mucous membrane) की रक्षा करने की क्षमता होती है, जिससे गैस्ट्रिक अल्सर की को रोका जा सकता है।
इसके अलावा, पालक में पाया जाने वाला ग्ल्य्कोग्ल्य्सरोलिपिड (glycoglycerolipids), पाचन तंत्र के अन्दर की ताकत को बढ़ाता है, जिससे शरीर के उस हिस्से में किसी भी प्रकार की अवांछित सूजन नहीं आती है।
हड्डियों के स्वास्थ्य को बनाए रखता है Keeps bones strong
पालक विटामिन का एक अच्छा स्रोत है, जो हड्डी मैट्रिक्स में कैल्शियम को बनाए रखने का कार्य करता है, यह हड्डियों के लिए एक मिनरल है। इसके अलावा, मैंगनीज, तांबे, मैग्नीशियम, जस्ता और फास्फोरस जैसी अन्य मिनरलों से भी मजबूत हड्डियों के निर्माण में मदद मिलती है।
मोतियाबिंद के खतरे में लाभ
पालक का सेवन करने से हृदय रोग में भी फायदा होता है। इसके लिए आधा चम्‍मच चौलाई का रस, एक चम्‍मच पालक का रस और एक चम्‍मच नींबू का रस तीनों को मिलाकर सुबह नियमित रूप से सेवन करने से हृदय रोगी को लाभ होने लगेगा।
आंखों के लिये लाभकारी
पालक आंखो के लिए काफी अच्छी होती है। इसके सेवन से आंखों की रोशनी बढ़ती हैं। ऐसे लोग जो रतौंधी से परेशान है और उन्‍हें हल्के प्रकाश में स्पष्ट दिखाई नहीं देता उनके लिए पालक किसी चमत्‍कार से कम नहीं होता है। ऐसे लोगों को गाजर व टमाटर के रस में बराबर मात्रा में पालक का जूस मिलाकर लेना चाहिए।
पाचन तंत्र के रोग
आधा गिलास कच्‍चे पालक का रस सुबह उठकर नियमित रूप से पीने से कुछ ही दिनों में कब्‍ज की समस्‍या दूर हो जाती है। आंतों के रोगों में पालक की सब्‍जी खाने से लाभ मिलता है। साथ ही पालक के पत्तों का काढ़ा बनाकर पीने से पथरी पिघल जाती है और यूरीन के रास्‍ते इसके कण बाहर निकल जाते हैं।
बालों के लिए उपयोगी
पालक स्‍वास्‍थ्‍य के लिए ही नहीं बल्कि बालों के लिए भी बहत अच्छा होता है। जो लोग बाल गिरने की समस्‍या से परेशान हैं उन्हें पालक को अपने नियमित आहार में शामिल करना चाहिए। क्‍योकि पालक शरीर में आयरन की कमी को पूरा करके बालों को गिरने से रोकता है।
त्‍वचा की समस्‍या में लाभकारी
पालक झाइयां और झुर्रियों को दूर करने में भी आपकी मदद करता हैं। इसके लिए पालक और नीबू के रस में कुछ बूंदे ग्लिसरीन की मिलाकर सोते समय त्‍वचा पर लगाने से लाभ होता है। या फिर पालक का पेस्ट बनाकर चेहरे पर लगाने से चेहरे से झाइयां दूर हो जाती है। त्वचा पर फोड़े व फुन्सी हो जाने पर पालक के पत्तों को पानी में उबालकर धोने से शीघ्र ठीक हो जाते हैं।
आर्थराइटिस में फायदेमंद
शरीर के जोड़ों में होने वाली बीमारी जैसे आर्थराइटिस, ओस्टियोपोरोसिस की भी संभावना को भी घटाता है। साथ ही जोड़ों के दर्द को दूर करने में भी सहायक होता है। जोड़ों के दर्द से राहत पाने के लिए पालक, टमाटर और खीरा आदि सब्जियों को सेवन करना चाहिए या इनका सलाद बनाकर खाना चाहिए।
मोटापा कम करें
पालक के रस में गाजर का रस मिलाकर पीने से चर्बी कम होने लगती है या फिर पालक के रस में नींबू का रस मिलाकर पीने से मोटापा दूर होता है।
  1. पायरिया के घरेलू इलाज
  2. चेहरे के तिल और मस्से इलाज
  3. लाल मिर्च के औषधीय गुण
  4. लाल प्याज से थायराईड का इलाज
  5. जमालगोटा के औषधीय प्रयोग
  6. एसिडिटी के घरेलू उपचार
  7. नींबू व जीरा से वजन घटाएँ
  8. सांस फूलने के उपचार
  9. कत्था के चिकित्सा लाभ
  10. गांठ गलाने के उपचार
  11. चौलाई ,चंदलोई,खाटीभाजी सब्जी के स्वास्थ्य लाभ
  12. मसूड़ों के सूजन के घरेलू उपचार
  13. अनार खाने के स्वास्थ्य लाभ
  14. इसबगोल के औषधीय उपयोग
  15. अश्वगंधा के फायदे
  16. लकवा की चमत्कारी आयुर्वेदिक औषधि वृहत वात चिंतामणि रस
  17. मर्द को लंबी रेस का घोडा बनाने के अद्भुत नुस्खे
  18. सदाबहार पौधे के चिकित्सा लाभ
  19. कान बहने की समस्या के उपचार
  20. पेट की सूजन गेस्ट्राईटिस के घरेलू उपचार
  21. पैर के तलवों में जलन को दूर करने के घरेलू आयुर्वेदिक उपचार
  22. लकवा (पक्षाघात) के आयुर्वेदिक घरेलू नुस्खे
  23. डेंगूबुखार के आयुर्वेदिक नुस्खे
  24. काला नमक और सेंधा नमक मे अंतर और फायदे
  25. कालमेघ जड़ी बूटी लीवर रोगों की महोषधि
  26. हर्निया, आंत उतरना ,आंत्रवृद्धि के आयुर्वेदिक उपचार
  27. पाइल्स (बवासीर) के घरेलू आयुर्वेदिक नुस्खे
  28. चिकनगुनिया के घरेलू उपचार
  29. चिरायता के चिकित्सा -लाभ
  30. ज्यादा पसीना होने के के घरेलू आयुर्वेदिक उपचार
  31. पायरिया रोग के आयुर्वेदिक उपचार
  32. व्हीटग्रास (गेहूं के जवारे) के रस और पाउडर के फायदे
  33. घुटनों के दर्द को दूर करने के रामबाण उपाय
  34. चेहरे के तिल और मस्से हटाने के उपचार
  35. अस्थमा के कारण, लक्षण, उपचार और घरेलू नुस्खे
  36. वृक्क अकर्मण्यता(kidney Failure) की रामबाण हर्बल औषधि
  37. शहद के इतने सारे फायदे नहीं जानते होंगे आप!
  38. वजन कम करने के उपचार
  39. केले के स्वास्थ्य लाभ
  40. लीवर रोगों की महौषधि भुई आंवला के फायदे
  41. हरड़ के गुण व फायदे
  42. कान मे मेल जमने से बहरापन होने पर करें ये उपचार
  43. पेट की खराबी के घरेलू उपचार
  44. शिवलिंगी बीज के चिकित्सा उपयोग
  45. दालचीनी के फायदे
  46. बवासीर के खास नुखे
  47. भूलने की बीमारी के उपचार
  48. आम खाने के स्वास्थ्य लाभ
  49. सोरायसीस के उपचार
  50. गुर्दे की सूजन के घरेलू उपचार




27.6.19

लालमिर्च खाने के फायदे और नुकसान



लाल मिर्च लगभग हर घर की रसोई में पाया जाता है और भोजन एवं व्यंजनों में इसका प्रयोग किया जाता है। यह एक तरह से मसाले का कार्य करता है और भोजन के स्वाद को बढ़ा देता है। लाल मिर्च को पोषक तत्वों का पावर हाउस कहा जाता है। यह भोजन के स्वाद को बढ़ाने के साथ ही औषधिक गुणों से भी युक्त होती है। इसमें कई तरह के केमिकल कंपाउंड मौजूद होते हैं जो शरीर के विभिन्न विकारों को दूर करने में सहायक होते हैं। लाल मिर्च कॉपर, मैग्नेशियम, आरयल, मैगनीज और पोटैशियम जैसे खनिजों का अच्छा स्रोत है। साथ ही इसमें विटामिन बी, विटामिन सी, विटामिन ई और विटामिन k भी पाए जाते है।
रेड चिली/लाल मिर्च सोलेनेसी कुल का सदस्या है और कैप्सिकम नामक पौधे का एक फल है। माना जाता है कि लाल मिर्च मैक्सिको की उपज है इसके बाद यह भारत में आयी। लाल मिर्च में कैप्सीकिन एक सक्रिय क्षार पाया जाता है जिसके कारण यह स्वाद में तीखा होता है। यह कच्चा, सूखा और पाउडर आदि रूपों में इस्तेमाल किया जाता है। लाल मिर्च मसालेदार स्वाद वाला होता है और इसमें उच्च मात्रा में विटामिन सी और कैरोटीन पाया जाता है। इसके अलावा इसमें विटामिन ए, विटामिन बी सहित एंटीऑक्सीडेंट भी मौजूद होते हैं।
लाल मिर्च लाल रक्त कोशिकाएं बनाने में सहायक
शरीर में आयरन की कमी के कारण एनीमिया और थकान की समस्या होती है। लाल मिर्च में कॉपर और आयरन पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है जो नई रक्त कोशिकाएं बनाने में मदद करता है। लाल मिर्च में फॉलिक एसिड भी पाया जाता है जो शरीर में लाल रक्त कणिकाओं का निर्माण करता है और खून की कमी को दूर करता है।
लाल मिर्च हृदय रोगों से बचाने में फायदेमंदशरीर में विभिन्न क्रियाओं के संचालन में पोटैशियम नामक खनिज की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। लाल मिर्च में पोटैशियम काफी मात्रा में पाया जाता है जो इन कार्यों में सहायक होता है। फोलेट के साथ पर्याप्त पोटैशियम लेने से हृदय रोगों का खतरा कम हो जाता है। लाल मिर्च में राइबोफ्लैविन और नियासिन भी पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। नियासिन व्यक्ति के शरीर में अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है और हृदय से जुड़ी बीमारियों के खतरे को कम करता है।


लाल मिर्च फायदेमंद दर्द से राहत दिलाने में
ऑस्टियोआर्थराइटिस और डायबिटिक न्यूरोपैथी के कारण होने वाले दर्द को दूर करने में लाल मिर्च बहुत सहायक होता है। यह संवेदी रिसेप्टर को असंवेदनशील बनता है और एंटीइंफ्लैमेटरी गुण होने के कारण सूजन को कम करने में भी सहायता करता है। भोजन में लाल मिर्च का प्रयोग करने से एथरोस्क्लेरोसिस (atherosclerosis) से बचाव होता है।
लाल मिर्च पाउडर के फायदे आंत की बीमारियों में
एंटीबैक्टीरियल एवं एंटी फंगल गुणों से युक्त होने के कारण लाल मिर्च का उपयोग खाद्य संरक्षक  के रूप में किया जाता है। लाल मिर्च में मौजूद कैप्सेकिन एच पाइलोरी  नामक बैक्टीरिया को नष्ट करता है और आंत में सूजन होने की समस्या से बचाता है। इसलिए आंत्र रोगों  से बचने के लिए इसका उपयोग किया जाता है।
लाल मिरची के फायदे स्वस्थ आंखों के लिए
एक रिसर्च में पाया गया है कि प्रतिदिन एक चम्मच लाल मिर्च का सेवन करने से आंखें स्वस्थ रहती हैं। लाल मिर्च में विटामिन ए पाया जाता है जो आंखों की रोशनी को बेहतर बनाने में मदद करता है और रात में आंखों से न दिखने की समस्या को भी दूर करता है।
लाल मिर्च खाने के फायदे लंबी उम्र के लिए
विभिन्न अध्ययनों में यह पाया गया है कि 30 साल की उम्र के बाद प्रतिदिन कम से कम 5 से 6 बार भोजन में लाल मिर्च का प्रयोग करने से व्यक्ति की आयु लंबी होती है। जो लोग प्रतिदिन लाल मिर्च का सेवन नहीं करते हैं उनकी अपेक्षा प्रतिदिन लाल मिर्च का सेवन करने वाले लोगों में मृत्युदर कम पायी जाती है क्योंकि यह खून में आईजीएफ-1 नामक एंटी एजिंग हार्मोन के स्तर को बढ़ाता है।


लाल मिर्च के गुण कैंसर से बचाने
एक अध्ययन में पाया गया है कि लाल मिर्च ल्यूकेमिया  और कैंसर की कोशिकाओं को खत्म करने में मदद करता है। हल्दी की तरह करी बनाते समय इसमें लाल मिर्च का प्रयोग करने से यह ट्यूमर एवं कैंसर को बढ़ने से रोकता है। इसके अलावा यह स्तन कैंसर  को भी बढ़ने से रोकने में मदद करता है।
 वजन घटाने में फायदेमंद
मोटापा एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है जिसे हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए। नियमित रूप से भोजन में लाल मिर्च या लाल मिर्च पावडर का प्रयोग करने से अधिक भोजन करने की इच्छा घटती है और मेटाबोलिज्म बढ़ता है। लाल मिर्च का सेवन करने के बाद शरीर में गर्मी आती है जिससे एनर्जी बढ़ती है  और अतिरिक्त कैलोरी घटती है। इसलिए शरीर का वजन घटाने के लिए लाल मिर्च बहुत फायदेमंद है।


लाल मिर्च खाने के नुकसान
रेड चिली/लाल मिर्च में कैप्सैकिन होता है जो अधिक मसालेदार प्रकृति का होता है।
लाल मिर्च का सेवन करने से मुंह, जीभ और गले में जलन की समस्या हो सकती है।
लाल मिर्च में पाया जाने वाला कैप्सैकिन मुख गुहा(oral cavity), गले और पेट के संपर्क में आने से सूजन और जलन पैदा कर सकता है।
यदि हाथ में लाल मिर्च लगा हो तो उस हाथ से आंखों को नहीं छूना चाहिए अन्यथा आंखों में जलन  हो सकती है और आंखें लाल हो सकती हैं।
लाल मिर्च में एफ्लैटोक्सिन नामक रसायन यौगिक पाया जाता है जिसके कारण पेट, लिवर और कोलन कैंसर की समस्या हो सकती है।



19.6.19

बहुत काम के हैं संतरे के छिलके

                       
हम सभी संतरा खाने के बाद उसके छिलके को कूड़ेदान में फेंक देते हैं. हमें ये लगता है कि संतरे के छिलका के क्या फायदे हो सकते हैं, पर आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि संतरे का छिलका न केवल स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद है बल्क‍ि खूबसूरती निखारने में भी ये बहुत कारगर है.
संतरे के छिलके में भी पोटैशियम, मैग्नीशियम और कैल्शियम जैसे तत्व मौजूद होते हैं, जिनके इस्तेमाल से आप कई तरह की स्किन से जुड़ी समस्याओं को दूर करने के साथ ही पा सकते हैं ग्लोइंग स्किन। संतरे में मौजूद विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट्स सिर्फ सेहत के लिए ही नहीं बल्कि खूबसूरती को निखारने और उसे बरकरार रखने के लिए भी बहुत ही फायदेमंद होता है।


ये चेहरे पर निखार लाने का काम करता है
संतरे के छिलके के पाउडर को शहद के साथ मिलाकर लगाने से टैनिंग दूर हो जाती है और चेहरे पर निखार आता है.
ऑयली स्किन

ऑयली स्किन सिर्फ देखने में ही खराब नहीं लगती बल्कि चेहरे पर होने वाली कई सारी दूसरी समस्याओं के लिए भी जिम्मेदार होती है। इसे दूर करने का बहुत ही अच्छा उपाय है संतरा। इसका एस्ट्रिंजेंट तत्व स्किन से एक्स्ट्रा ऑयल आसानी से एब्ज़ॉर्ब कर लेता है।

इस्तेमाल का तरीका

इसके लिए 1 बड़े चम्मच संतरे के छिलके के पाउडर को दूध/दही या गुलाबजल में मिलाकर अच्छे से पेस्ट बना लें। अब इसे चेहरे पर लगा लें। हल्का सूखने के बाद गुनगुने पानी से धो लें। हफ्ते में दो बार के इस्तेमाल से ही आपको फर्क नज़र आने लगेगा।

सूक्ष्म रंध्रों को खोलने में मददगार
संतरे के छिलके के पाउडर में कुछ मत्रा दही की मिलाकर इसे चेहरे पर लगाने से सूक्ष्म रंध्र खुल जाते हैं और साथ ही ब्लैक हेड्स भी साफ हो जाते हैं.



डल स्किन

धूप, पॉल्यूशन और बढ़ती उम्र कई सारी वजहों से स्किन अपनी चमक खोने लगती है। तो इसे बरकरार रखने के लिए संतरा खाने के साथ-साथ इसे लगाएं भी।

इस्तेमाल का तरीका

1 बड़े चम्मच संतरे के छिलके को 2 बड़े चम्मच शहद में मिलाकर इसका पेस्ट बनाएं। चेहरे के साथ-साथ गर्दन पर भी लगाएं। सूखने के बाद ठंडे पानी से धो लें। ग्लोइंग और हाइड्रेटेड स्किन के लिए ये फेस पैक है बेस्ट।
बालों के लिए भी फायदेमंद
संतरे का छिलका न केवल त्वचा के लिए फायदेमंद है बल्क‍ि बालों के लिए भी किसी औषधि से कम नहीं है. ये रूसी दूर करने में बहुत ही कारगर है. साथ ही अगर आपके बाल बहुत अधिक गिर रहे हैं और अपनी चमक खो चुके हैं तो भी संतरे का छिलका इस्तेमाल किया जा सकता है.
दाग-धब्बों के लिए

चेहरे पर किसी भी तरह के दाग-धब्बों को दूर करने में भी संतरे का छिलका बहुत ही कारगर है।

इस्तेमाल का तरीका

1 बड़े चम्मच संतरे के छिलके का पाउडर लेकर उसमें बेसन और नींबू का रस मिलाएं। इसे चेहरे पर अच्छी तरह लगाएं और 10 मिनट ठंडे पानी से धो लें। हफ्ते में दो बार इसका इस्तेमाल काफी होगा।
कील मुंहासों की रोकथाम के लिए
संतरे के छिलके का पाउडर त्वचा पर मौजूद सारी गंदगी को साफ कर देता है. इस पाउडर में थोड़ी सी मात्रा गुलाब जल की मिलाकर लगाने से कील-मुंहासों की समस्या में फायदा होता है.
ऐसे बनाएं छिलके से पाउडर

संतरे के छिलकों को धोकर धूप में सूखा लें। पूरी तरह मॉइश्चर खत्म हो जाने के बाद इसे ब्लेंडर में अच्छी तरह पीस लें। फिर किसी एयर टाइट डिब्बे में स्टोर कर लें। सेंसिटिव स्किन है तो इससे बनने वाले किसी भी तरह के पेस्ट को अवॉयड करें।
पुरुष ग्रंथि (प्रोस्टेट) बढ़ने से मूत्र - बाधा का अचूक इलाज 

*किडनी फेल(गुर्दे खराब ) रोग की जानकारी और उपचार*

गठिया ,घुटनों का दर्द,कमर दर्द ,सायटिका के अचूक उपचार 

गुर्दे की पथरी कितनी भी बड़ी हो ,अचूक हर्बल औषधि

पित्त पथरी (gallstone) की अचूक औषधि 






17.6.19

हृदय रोगों से बचने के उपाय और उपचार


हृदय रोग कई स्थितियों का वर्णन करता है जो आपके दिल को प्रभावित करती हैं। हृदय रोगों के तहत रोगों में रक्त वाहिका रोग शामिल हैं, जैसे कोरोनरी आर्टरी डिजीज, हृदय के धड़कने में समस्‍या होना और जन्मजात हृदय दोष के साथ यह बीमारी पैदा होती है। हृदय रोग आमतौर पर उन स्थितियों को संदर्भित करता है जिसमें संकुचित या अवरुद्ध रक्त वाहिकाएं होती हैं जो दिल का दौरा, सीने में दर्द (एनजाइना) या स्ट्रोक का कारण बन सकती हैं। अन्य हृदय स्थितियां, जैसे कि आपके दिल की मांसपेशियों, वाल्वों या लय को प्रभावित करती हैं, जिन्हें हृदय रोग के रूप भी माना जाता है।
हृदय रोगों से कैसे बचें
जीवन शैली में करें सकारात्मक परिवर्तन
अपने हृदय और हृदय प्रणाली को स्वस्थ रखने की दिशा में कुछ खास बदलाव करें। प्रतिदिन व्यायाम करें। ये तरीके हृदय को स्‍वस्‍थ रखते हैं और हृदय रोगों के खतरे को कम करने में मदद करते हैं। और साथ ही हृदय रोग होने की स्थिति में रोग को गंभीर होने से भी रोकते हैं। ये बदलाव करने से आपको कोई अन्य हृदय रोग होने से बचाव होगा और यदि रोग का उपचार चल रहा है तो उसमें जल्दी लाभ होने में भी सहायता होगी।
संतुलित आहार लें


एक स्वस्थ संतुलित आहार लें जिसमें सभी खाद्य समूहों से खाद्य पदार्थ शामिल होते हैं। वे भोजन जिनमें संतृप्त वसा, ट्रांस वसा और कोलेस्ट्रॉल की मात्रा अधिक होती है, वे शरीर के नुकसानदेह होते हैं। यदि आप हृदय रोगों और समस्याओं से दूर रखना चाहते हैं तो आपको एल्कोहोल का इस्तेमाल भी कम करना होगा।
अन्य स्थितियों पर नजर रखें
हृदय रोग से ग्रसित रोगी अकसर कुछ अन्य रोगों की निदान की प्रक्रियाओं जैसे मधुमेह, उच्च रक्तचाप और उच्च कोलेस्ट्रॉल आदि से भी गुजर रहे होते हैं। इन सभी को नियमित जांच और नियंत्रण कर, आप ह्रदय रोगों के जोखिम कारकों से आसानी से मुकाबला कर पायेंगे। हृदय रोग के मरीजों को चाहिए कि वे अपना रक्त चाप 140/90 से कम रखें। इससे उन्हें हृदय रोग को काबू करने में मदद मिलती है। साथ ही वे रोगी जिन्हें हृदय रोग के साथ डाइबटीज है वे अपनी शुगर की नियमित जांच भी करें।
आवश्यक दवाएं भी लें
कभी-कभी जीवन शैली में बदलाव हृदय रोगों के निदान के लिए काफी नहीं होता है। दवाएं हृदय रोग के लक्षणों के कई प्रकार के इलाज के लिए एक कारगर तरीका है। कुछ दवाएं रक्त को पतला करने तथा कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने का कार्य करती हैं। आपके लिए यह जानना आवश्यक है कि जो दवा आप ले रहे हैं वह आपके दिल की बीमारी के इलाज के लिए कैसे काम करती है। यह दवाएं नीयमित रूप से व ठीक मात्रा और समय पर ली जानी जरूरी होती हैं। अपने डॉक्टर की सलाह के बिना दवाओं का सेवन कतई बंद ना करें, ऐसा करने से आपका रोग और गंभीर हो सकता है।
*हृदय रोग वर्तमान में एक गंभीर समस्या है, लेकिन इससे बचने के लिए तरीकों एवं उपचारों की भी कोई कमी नहीं है। हृदय को स्वस्थ रखने के लिए जानिए दो ऐसे घरेलू रामबाण उपाय, जो आपके लिए मददगार साबित होंगे -



(1) 250 ग्राम घीया (लौकी) छिल्के सहित धोकर उसे कस लें। कसी हुई लौकी को या तो ग्राइंडर में अथवा सिल-बट्टे पर पीस लें। पिसी हुई लौकी का रस ग्राइंडर से अपने आप बाहर आ जाएगा फिर उसे कपड़े से छान लें। लौकी को पीसते समय तुलसी की 7 पत्तियां और पुदीने की 6 पत्तियां डालना न भूलें। घीया के रस में उतनी ही मात्रा में पानी मिला लें। पानी में 4 पिसी हुई कालीमिर्च और 1 ग्राम सेंधा नमक डाल लें। भोजन के आधे घंटे बाद सुबह-शाम और रात को 3 बार इसका सेवन करें। ध्यान रहे कि हर बार रस ताजा ही निकाला जाए। घीया का रस पेट में जो भी पाचन विकार होते हैं, उन्हें दूर कर मलद्वार से बाहर निकाल देता है, संभव है कि इसके सेवन से प्रारंभ के 3-4 दिन पेट में कुछ खलबली या गड़गड़ाहट-सी महसूस हो, परंतु बाद में सब बंद हो जाएगा।
(2) पान, लहसुन, अदरक का 1-1 चम्मच रस और 1 चम्मच शहद- इन चारों को एकसाथ मिला ले और सीधे पी जाएं। इसमें पानी मिलाने की जरूरत नहीं है। इसे दिन में एक बार सुबह और एक बार शाम को पि‍एं, और तनाव लेना बंद कर दें। दिल में कोई कठिनाई महसूस हो तो जो सामान्य दवा लेता हो, वह लेता रहे।प्रयत्न करें कि उसे लेना न पड़े। इस प्रयोग से एक हफ्ते में ही सुधार शुरू हो जाएगा और 21 दिन लेना फायदेमंद होगा।









5.4.19

वजन तेजी से कम करने के उपाय

                                                         
वजन कम करने के लिए लोगो द्वारा कई तरह के प्रयास किये जाते है| जैसे की कुछ लोग तो यह सिद्धांत बना लेते है की कम खाएंगे तो वजन कम होगा| लेकिन जब आप तेजी से वजन कम करना चाहते है, तो केवल डाइटिंग करने से बात नहीं बनेगी| और लम्बे समय तक यदि आपने डाइटिंग को अपनाया तो आप अपना वजन तो नहीं कम कर पाएंगे लेकिन हा कई सारी बीमारियाँ जरूर आपको घेर लेंगी| जल्द से जल्द वजन कम करने के लिए आपको कुछ अतिरिक्त देना होगा|
मोटापा आम तौर पर लाइफ स्टाइल की देन होती है। मोटा शरीर या फिर शरीर में फैट बिल्कुल भी अच्छा नहीं दिखता। अगर आप सिर्फ दो आदतों को रोजाना अपनाते हैं तो आप एक हफ्ते में ही तेजी से वजन घटा सकते हैं।
ये दो वो अचूक उपाय है जिसके लिए ना तो आपको जिम जाने की जरूरत है और ना ही वजन कम करनेवाली दवाइयों की। मोटापा कम करने का सबसे बड़ा सिद्धांत यही है कि आपको अपने शरीर में जमा कैलरी को उसी अनुपात में खर्च करनी होती है।
 
अपने खाने की आदत को बदलें

अगर आप एक हफ्ते के अंदर तेजी से दुबले होने या मोटापा कम करने की शुरुआत करना चाहते हैं तो आपको अपने डेली रुटीन में बदलाव लाना होगा। खाने की आदत में तब्दीली करनी होगी। हम जो खाते हैं वो हमारे शरीर को लगता है। उस प्रकार का खाना जिसमें ज्यादा शुगर, कैलोरी हो खाने से परहेज करना चाहिए। मिसाल के तौर पर बेक्ड चीजें, फ्राइड फूड, स्वीट बेवरेज को अपने आहार में शामिल करने से बचना चाहिए। इन चीजों में बहुत ज्यादा फैट होता है जिससे मोटापा बढ़ता है।

इन्हें हरगिज ना खाएं

इसका मतलब यह हुआ कि आपको केक, कुकीज, कपकेक्स, मफिंस, ब्रेड, पेस्ट्री तो बिल्कुल नहीं खाना चाहिए। साथ ही खाने में साल्टी फूड, स्नैक फूड, फ्रेंच फ्राइज, पोटैटो चिप्स को बिल्कुल भी नहीं खाना चाहिए। इसके अलावा मछली, मीट, पॉल्ट्री के ब्रेडेड प्रोडक्ट के सेवन से आपको बचना चाहिए।

संतुलित और पौष्टिक आहार ले

जैसा की हमने कहा की आप अपने वजन कम करने की राह में भूखे रहने से कामयाब नहीं हो पाएंगे| इसलिए रोज अच्छे से भोजन करे ताकि आपको व्यायाम करने के लिए भरपूर ऊर्जा मिले| रोज भोजन करने की खासियत यह की आप बीमार भी नहीं पड़ेंगे जिससे की आपको अपने लक्ष्य प्राप्ति में रुकावट भी नहीं आएगी| सादा भोजन करने के अलावा कई ऎसे खाद्य पधार्त है जो आपका वजन कम करने में सहायक है|



 तेजी से चलने की आदत डालें

घूमना, टहलना, तेजी से पैदल चलना एक ऐसा एक्सरसाइज है जिसके आपका वजन तेजी से कम होता है। इनकी मदद से आप मनचाहा रिजल्ट भी कुछ दिनों में आसानी से पा लेते हैं। महज चलने मात्र से ही आप 0.46 किलोग्राम यानी कि एक पाउंड वजन कम कर सकते हैं, लेकिन यह सब निर्भर करता है कि आप एक हफ्ते में कितना चलते हैं।
यह सच है कि आप बिना जिम जाए सिर्फ चलने से ही 9 किलो तक अपना वजन आराम से घटा सकते हैं। 10,000 कदम चलने से रोजाना आप अपने वजन में अभूतपूर्व कमी कर सकते हैं और आपको यह असर एक हफ्ते में ही दिखने लगेगा।

क्या करना चाहिए आपको

इसके लिए आप कार पार्किंग एरिया से हमेशा अपना गंतव्य दूर रखें। ताकि इसी बहाने आप पैदल चलने की आदत डाल सकेंगे। आप लिफ्ट की बजाय सीढ़ियों का सहारा लें। यानी अपने रोजाना की दिनचर्या में ही पैदल चलने की आदत डालें।
छोटी दूरियों के लिए गाड़ी लेने की आदत को छोड़ दे। हालांकि एक व्यक्ति को वजन कम करने के लिए 2000 कदम के आस-पास चलने की जरूरत होती है। आप इस बात को समझ लीजिए की एक मील में आपकी 100 कैलोरी बर्न होती है। लेकिन अगर आप 10,000 कदम थोड़े अंतराल पर भी चलने की आदत बना लेते हैं तो आपका वजन तेजी से घटना तय है और आपको इसके लिए जिम जाने की जरूरत बिल्कुल भी नहीं है।
• 1.6 किमी (1 मील) = 2000 कदम + 100 कैलोरी बर्न
• 0.45 किलोग्राम ( 1 पाउंड) = 3500 कैलोरी
• हफ्ते में 0.45 किलोग्राम (1 पाउंड) वजन कम = 500 कैलोरी बर्न रोजाना
• अगर आप 10 हजार स्टेप्स रोजाना चलेंगे तो सप्ताह में 0.45 किलोग्राम (1 पाउंड) वजन कम




विशिष्ट परामर्श-

यकृत,प्लीहा,आंतों के रोगों मे अचूक असर हर्बल औषधि "उदर रोग हर्बल " चिकित्सकीय गुणों के लिए प्रसिद्ध है|पेट के रोग,लीवर ,तिल्ली की बीमारियाँ ,पीलिया रोग,कब्ज और गैस होना,सायटिका रोग ,मोटापा,भूख न लगना,मिचली होना ,जी घबराना ज्यादा शराब पीने से लीवर खराब होना इत्यादि रोगों मे प्रभावशाली है|बड़े अस्पतालों के महंगे इलाज के बाद भी निराश रोगी इस औषधि से ठीक हुए हैं| औषधि के लिए वैध्य दामोदर से 9826795656 पर संपर्क करें|





वीर्य जल्दी निकलने की समस्या के उपचार

सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस(गर्दन का दर्द) के उपचार

वजन कम करने के लिए कितना पानी कैसे पीएं?

आलू से वजन कम करने के तरीके

प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ने से पेशाब रुकावट की कारगर हर्बल औषधि

सेक्स का महारथी बनाने वाले आयुर्वेदिक नुस्खे


आर्थराइटिस(संधिवात),गठियावात ,सायटिका की तुरंत असर हर्बल औषधि

खीरा ककड़ी खाने के जबर्दस्त फायदे

शाबर मंत्र से रोग निवारण

उड़द की दाल के जबर्दस्त फायदे

किडनी फेल (गुर्दे खराब ) की रामबाण औषधि

मिश्री के सेहत के लिए कमाल के फायदे

महिलाओं मे कामेच्छा बढ़ाने के उपाय

मुँह सूखने की समस्या के उपचार

गिलोय के जबर्दस्त फायदे

पित्ताषय की पथरी के रामबाण हर्बल उपचार

इसब गोल की भूसी के हैं अनगिनत फ़ायदे

कान मे तरह तरह की आवाज आने की बीमारी

छाती मे दर्द Chest Pain के उपचार

सिर्फ आपरेशन नहीं ,किडनी की पथरी की १००% सफल हर्बल औषधि

बाहर निकले पेट को अंदर करने के उपाय

दिल की धड़कन असामान्य हो तो करें ये उपचार

किडनी फेल रोगी का डाईट चार्ट और इलाज

थायरायड समस्या का जड़ से इलाज

एलोवेरा से बढ़ाएँ ब्रेस्ट साईज़

सूखी खांसी के घरेलू आयुर्वेदिक उपचार

अखरोट खाने के स्वास्थ्य लाभ

तिल्ली बढ़ जाने के आयुर्वेदिक नुस्खे

यौन शक्ति बढ़ाने के अचूक घरेलू उपाय/sex power

कई बीमारियों से मुक्ति द‍िलाने वाला है गिलोय


किडनी स्टोन के अचूक हर्बल उपचार

स्तनों की कसावट और सुडौल बनाने के उपाय

लीवर रोगों के अचूक हर्बल इलाज

सफ़ेद मूसली के आयुर्वेदिक उपयोग

दामोदर चिकित्सालय शामगढ़ के आशु लाभकारी उत्पाद

मेथी का पानी पीने के जबर्दस्त फायदे

च्यवनप्राश के स्वास्थ्य लाभ

जावित्री मसाले के औषधीय उपयोग

अनिद्रा की होम्योपैथिक औषधीयां

तुलसी है कई रोगों मे उपयोगी औषधि

2.4.19

नींद की गोली खाने की आदत हानिकारक है ,जानें कैसे?

  


अक्सर तनाव या कोई मानसिक समस्या होने पर हम नींदकी गोली खा लेते हैं और हमें नींद भी आ जाती है। धीरे धीरे ये बड़ी परेशानी में बदल जाता है। नींद की गोली हमारे दिमाग पर बुरा असर डालती है। यह बात हम नहीं बल्कि बहुत सारे शोधों में कहीं गई है। हाल ही में एक रिसर्च में इस बात का खुलासा किया गया है कि एंटी कोलीनर्जिक युक्त गोलियां और नींद की गोली लेने से मैमरी ( याद्दाश्त) कमजोर हो जाती हैं। व्यक्ति के सोचने समझने की क्षमता बुरी तरह से प्रभावित हो जाती है। दिंमाग काफी धीमी गति से काम करता है। शोधकर्त्ताओं की मानें तो इन गोलियों के सेवन से एसेटिलकोलाइन नामक केमिकल ब्लॉक हो जाता है। वहीं, जामा न्यूरोलॉजी जर्नल में प्रकाशित शोध के मुताबिक, एसेटिलकोलाइन का स्तर कम होने से लोग डिमेंशिया समेत अन्य दिमागी बीमारी की चपेट में आ जाते हैं। यह दवाइयां एक दम से असर नहीं दिखाती ब्लकि लगभग एक माह के बाद इसका असर दिखना शुरू हो जाता है। ये नींद की दवाएं भले कुछ समय के लिए आपको आराम देती हैं लेकिन लंबे समय के लिए ये परेशानी में भी डाल सकती हैं। इस बारे में लखनऊ के न्यूरोलॉजिस्ट एके पांडेय बताते हैं, नींद की दवाइयों का सेवन करना एक सीमा तक सही होता है लेकिन गोलियों का नियमित सेवन बीमारियां बढ़ा सकता है। विश्व में नींद की दवाई लेने वाले व नींद की दवाई का सेवन नहीं करने वाले लोगों की मृत्यु स्तर में अंतर होता है, इन गोलियों के सेवन से ब्लड प्रेशर, हार्ट डिजीज का भी खतरा बना रहता है।
नींद की कोई भी दवाई लेने से पहले आप डॉक्टर से पूछ भी सकते हैं कि आपको इसे कितने समय तक लेना होगा और कितनी मात्रा में। डॉक्टर जब भी इन दवाईयों को देते हैं तो वो उन्हें एक क्रम से देते हैं ताकि आपको उनकी आदत न पड़े और उनका दुष्प्रभाव भी आप पर न हों। लेकिन आपको इन दवाईयों को लेने के अलावा, खुद को सही रखने के लिए वर्कआउट करना चाहिए और कैफीन के सेवन से बचने के लिए चाय या कॉफी को कम पीना चाहिए।



कई बार ये भी देखा जाता है कि सोने या उठने का कोई निर्धारित समय न होना भी पूरा रूटीन खराब कर देता है। जल्दी सोने और उठने की आदत डालें। ऐसा करने से आपको खुद ही अंतर दिखेगा, दिनभर ताजगी रहेगी। सुस्ती या थकान भी कम होगी। सही दिनचर्या पूरे दिनभर के काम पर असर डालती है। टीवी या मोबाइल का देर रात तक इस्तेमाल न करें नींद न आने में सबसे ज्यादा भूमिका मोबाइल, इंटरनेट और टीवी का है। इसमें इंसान देर रात तक व्यस्त रहता है और सुबह देर से उठता है ये पूरी दिनचर्या को खराब कर देता है। इसलिए कोशिश करें कि सोने का एक निश्चित समय हो और उसके हिसाब से ही सोने का माहौल बनाएं। सोते समय हमेशा मन में अच्छे और सकारात्मक विचार रखिए। सोने की जगह शांत हो और लाइट हल्की हो या बंद हो।
नशे से बचें सिगरेट, शराब या गुटखा आदि के नियमित सेवन से भी अनिद्रा की समस्या आती है। ज्यादा नशा करने और नशा न मिलने की वजह से भी नींद नहीं आती है। एल्कोहल से आपके सोने की दिनचर्या पर भी असर पड़ता है। इसे पूरे दिन चिड़चिड़ापन और थकान रहती है। रात में सोने से पहले दूध पिएं, जिससे अच्छी नींद आएगी। चाय या कॉफी का सेवन न करें चाय-कॉफ़ी को नींद का दुश्मन समझा जाता है। बहुत ज्यादा सेवन स्वास्थ्य पर बुरा असर डालता है। इसलिए रात को सोने से पहले तो चाय या कॉफी की आदत न डालें। इसके अलावा दिन में भी दो या तीन से ज्यादा बार न पिएं। तलवे की मसाज करें सोने से पहले हाथ-पैर साफ करें और फिर अपने तलवों की मसाज करें। अच्छी नींद के लिए रोज सोने से पहले इस मसाज से आपकी अनिद्रा की समस्या दूर हो जाएगी। इससे रक्त का संचार सही से होता है। व्यायाम सोने से पहले हल्के फुल्के व्यायाम करें। कुछ योग ऐसे हैं जिनसे अनिद्रा की बीमारी दूर होती है, जैसे शवासन, वज्रासन, भ्रामरी प्राणायम आदि। इन्हें नियमित रूप से करने से नींद अच्छी आती है।



12.2.19

पित्त पथरी(Gall stones) के घरेलू ,हर्बल उपचार



गाल ब्लाडर में पथरी (gallstones) बनना एक भयंकर पीडादायक रोग है। इसे ही पित्त पथरी कहते हैं। पित्ताषय में दो तरह की पथरी बनती है।
प्रथम कोलेस्ट्रोल निर्मित पथरी।
दूसरी पिग्मेन्ट से बननेवाली पथरी।
ध्यान देने योग्य है कि लगभग८०% पथरी कोलेस्ट्रोल तत्व से ही बनती हैं।वैसे तो यह रोग किसी को भी और किसी भी आयु में हो सकता है लेकिन महिलाओं में इस रोग के होने की सम्भावना पुरुषों की तुलना में लगभग दूगनी हुआ करती है।पित्त लिवर में बनता है और इसका भंडारण गाल ब्लाडर में होता है।यह पित्त वसायुक्त भोजन को पचाने में मदद करता है। जब इस पित्त में कोलेस्ट्रोल और बिलरुबिन की मात्रा ज्यादा हो जाती है,तो पथरी निर्माण के लिये उपयुक्त स्थिति बन जाती है।
पथरी रोग में मुख्य रूप से पेट के दायें हिस्से में तेज या साधारण दर्द होता है।भोजन के बाद पेट फ़ूलना,अजीर्ण होना,दर्द और उल्टी होना इस रोग के प्रमुख लक्षण हैं।
प्रेग्नेन्सी,मोटापा,मधुमेह,,अधिक बैठे रेहने की जीवन शैली, तेल घी अधिकता वाले भोजन,और शरीर में खून की कमी से पित्त पथरी रोग होने की सम्भावना बढ जाती है।
दो या अधिक बच्चों की माताओं में भी इस रोग की प्रबलता देखी जाती है।
अब मैं कुछ आसान घरेलू नुस्खे प्रस्तुत कर रहा हूं जिनका उपयोग करने से इस भंयकर रोग से होने वाली पीडा में राहत मिल जाती है और निर्दिष्ट अवधि तक इलाज जारी रखने पर ३ से ४ एम एम तक की पित्त पथरी से मुक्ति मिल जाती है।
१) गाजर और ककडी का रस प्रत्येक १०० मिलिलिटर की मात्रा में मिलाकर दिन में दो बार पीयें। अत्यन्त लाभ दायक उपचार है।
२) नींबू का रस ५० मिलिलिटर की मात्रा में सुबह खाली पेट पीयें। यह उपाय एक सप्ताह तक जारी रखना उचित है।
३) सूरजमुखी या ओलिव आईल ३० मिलि खाली पेट पीयें।इसके तत्काल बाद में १२० मिलि अन्गूर का रस या निम्बू का रस पीयें। इसे कुछ हफ़्तों तक जारी रखने पर अच्छे परिणाम मिलते हैं।
४) नाशपती का फ़ल खूब खाएं। इसमें पाये जाने वाले रसायनिक तत्व से पित्ताषय के रोग दूर होते हैं।
५) विटामिन सी याने एस्कोर्बिक एसिड के प्रयोग से शरीर का इम्युन सिस्टम मजबूत बनता है।यह कोलेस्ट्रोल को पित्त में बदल देता है। ३-४ गोली नित्य लें।
2013 में हुए एक अध्ययन के अनुसार, शरीर में भरपूर मात्रा में विटामिन सी पथरी की समस्‍या कम करता है। एक लाल शिमला मिर्च में लगभग 95 मिलीग्राम विटामिन सी होता है, यह मात्रा पथरी को रोकने के लिए काफी होती है। इसलिए अपने आहार में शिमला मिर्च को शामिल करें।।
६) पित्त पथरी रोगी भोजन में प्रचुर मात्रा में हरी सब्जीयां और फ़ल शामिल करें। ये कोलेस्ट्रोल रहित पदार्थ है।
७) तली-गली,मसालेदार चीजों का परहेज जरुरी है।
8) शराब,चाय,काफ़ी एवं शकरयुक्त पेय हानिकारक है।
९) एक बार में ज्यादा भोजन न करें। ज्यादा भोजन से अधिक मात्रा में कोलेस्ट्रोल निर्माण होगा जो हांनिकारक है।
१०) आयुर्वेद में उल्लेखित कतिपय औषधियां इस रोग में लाभदायक साबित हो सकती हैं।कुटकी चूर्ण,त्रिकटु चूर्ण,आरोग्य वर्धनी वटी,फ़लत्रिकादि चूर्ण,जैतुन का तैल ,नींबू का रस आदि औषधियां व्यवहार में लाई जाती हैं।
११) सर्जरी में पित्त पथरी नहीं निकाली जाती है बल्कि पूरे पित्ताशय को ही काटकर निकाल दिया जाता है जिसके दुष्परिणाम रोगी को जीवन भर भुगतने पड़ते हैं| अत: जहां तक हो सके औषधि से चिकित्सा करना श्रेष्ठ है|
१२) पुदीने में टेरपेन नामक प्राकृतिक तत्‍व होता है, जो पित्त से पथरी को घुलाने के लिए जाना जाता है। यह पित्त प्रवाह और अन्य पाचक रस को उत्तेजित करता है, इसलिए यह पाचन में भी सहायक होता है। पित्त की पथरी के लिए घरेलू उपाय के रूप में पुदीने की चाय का इस्‍तेमाल करें।

विशिष्ट परामर्श-


सिर्फ हर्बल चिकित्सा ही पित्ताशय की पथरी  में सफल परिणाम देती है| दामोदर चिकित्सालय रजिस्टर्ड 
98267-95656 द्वारा निर्मित  हर्बल दवा से बड़ी  साईज़ की  gallstone  में भी आश्चर्यजनक फायदा होता है| मरीज आपरेशन से बच जाता है| पथरी का भयंकर  दर्द जो बड़े अस्पतालों मे महंगे इंजेक्शन से भी बमुश्किल काबू मे आता है ,इस हर्बल औषधि की कुछेक खुराक लेते ही आराम लग जाता है|  औषधि मनी बेक गारंटीयुक्त है |






*******