28.6.19

पालक खाने के स्वास्थ्य लाभ ,palak ke fayde



पालक हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होती है यह हमारी त्वचा की देखभाल करती है इसके अलावा यह बेहतर दृष्टि, स्वस्थ रक्तचाप, मजबूत मांसपेशियों, उम्र से संबंधित धब्बेदार अध: पतन (AMD), मोतियाबिंद, एथेरोस्लेरोसिस, दिल का दौरा, न्यूरोलॉजिकल लाभ, ऑस्टियोपोरोसिस, विरोधी अल्सरेटिव और कैंसर विरोधी लाभ, स्वस्थ भ्रूण विकास, और शिशुओं के लिएविकास में वृद्धि आदि इसके सम्मलित लाभ है।
आमतौर पर पालक को केवल हिमोग्‍लोबिन बढ़ाने वाली स‍ब्‍जी माना जाता हैं। बहुत कम लोग जानते हैं कि इसमें इसके अलावा भी बहुत से गुण विद्यमान है। पालक में कैलोरी, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फैट, फाइबर और खनिज लवण होता हैं। साथ ही पालक में विभिन्न खनिज लवण जैसे कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन तथा विटामिन ए, बी, सी आदि प्रचुर मात्रा में पाया जाते हैं।
खून की कमी दूर करें
पालक में आयरन की मात्रा बहुत अधिक होती है और इसमें मौजूद आयरन शरीर आसानी से सोख लेता है। इसलिए पालक खाने से हिमोग्लोबिन बढ़ता है। खून की कमी से पीड़ित व्यक्तियों को पालक खाने से काफी फायदा पहुंचता है।
रक्तचाप को बनाए रखता है Maintains blood pressure
पालक में पोटेशियम की बहुत ही उच्च मात्रा और सोडियम की मात्रा कम होती है। पालक का एक बहुत अधिक खतरा है मिनरलों की यह संरचना उच्च रक्तचाप वाले रोगियों के लिए बहुत फायदेमंद है क्योंकि पोटेशियम रक्तचाप कम करती है और सोडियम रक्तचाप बढ़ाता है।
पालक में उपस्थित फोलेट उच्च रक्तचाप की कम करने में योगदान देता है और उचित रक्त प्रवाह बनाए रखने के साथ-साथ रक्त वाहिकाओं को आराम देता है। कार्डियोवास्कुलर सिस्टम की मदद से आप तनाव को कम कर सकते हैं और इष्टतम कार्य क्षमता के लिए शरीर के अंग सिस्टम में ऑक्सीजन बढ़ा सकते हैं।


शरीर को बनाये मजबूत
पालक में मौजूद फ्लेवोनोइड्स एंटीआक्सीडेंट का काम करता हैं। यह तत्‍व रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि करने के अलावा हृदय संबंधी बीमारियों से लड़ने में भी मददगार होता है। इसमें पाया जाने वाला बीटा कैरोटिन और विटामिन सी क्षय होने से बचाता है। सलाद में इसके सेवन से पाचनतंत्र मजबूत होता है और यह भूख बढ़ाने में सहायक होता है।
तंत्रिका संबंधी लाभ Neurological benefits
पोटेशियम, फोलेट और विभिन्न एंटीऑक्सिडेंट आदि पालक के कई घटक है ये लोगों को न्यूरोलॉजिकल परेशानी में लाभ प्रदान करता है जो इसे नियमित रूप से उपभोग करते हैं। न्यूरोलॉजी के अनुसार, उनकी अल्जाइमर की बीमारी के कारण फोलेट कम हो जाती है।
इसलिए पालक उन लोगों के लिए बहुत अच्छा होते है जो तंत्रिका या संज्ञानात्मक गिरावट के उच्च जोखिम वाले लोग हैं। पोटेशियम भी मस्तिष्क स्वास्थ्य का एक अभिन्न अंग है और यह मस्तिष्क और बढ़ी हुयी अनुभूति, एकाग्रता और तंत्रिका गतिविधि में रक्त के प्रवाह में वृद्धि करता है।
मसल्‍स में मजबूती
अगर आप अपनी बाहों को गठीला और मसल्‍स को मजबूत बनाने चाहते हैं तो अपने आहार में पालक को जरूर शामिल करें। स्वीडन के कारोलिंस्का संस्थान के शोधकर्ताओं के अनुसार, पालक में मौजूद अजैविक नाइट्रेट मांसपेशियां को मजबूत बनाते हैं।



मोतियाबिंद के खतरे को रोकता है Prevents Cataract
पालक में मौजूद ल्यूटिन और ज़ेक्सैंटीन दोनों मजबूत एंटीऑक्सिडेंट के रूप में कार्य करते हैं, इस प्रकार यह हमारी आंखों को UV किरणों के कठोर प्रभाव से बचाता है जिससे मोतियाबिंद हो सकता है। ये मुक्त कणों के प्रभाव को भी कम करते हैं, जो मोतियाबिंद और अन्य नेत्र संबंधित बीमारियों का एक प्रमुख कारण हो सकता है।
गर्भवती के लिए फायदेमंद
गर्भवती महिलाओं में अकसर फोलिक एसिड की कमी हो जाती है, इसकी कमी को दूर करने के लिए पालका का सेवन लाभदायक होता है। साथ ही पालक में पाया जाने वाला कैल्शियम बढ़ते बच्चों, बूढ़े व्यक्तियों और गर्भवती व स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए बहुत फायदेमंद होता है। पालक खाने से स्तनपान करानेवाली माताओ के स्तनों में अधिक दूध बनता है।
गर्मी से राहत
गर्मी में होने वाले नजले, सीने और फेफड़े की जलन में भी यह लाभप्रद होता है। साथ ही पित्त को शांत करता है और गर्मी के कारण होने वाले पीलिया और खांसी में भी बहुत लाभदायक होता है।
रूखापन दूर करें
पालक त्‍वचा को रूखा होने से बचाता है। साथ ही चेहरे के कील मुहांसे मिटाने और त्‍वचा को स्‍वस्‍थ रखने में मददगार होता है। पालक का पेस्ट बनाकर चेहरे पर लगाने से चेहरे से झाइयां दूर हो जाती है। या पालक व गाजर के रस में थोड़ा सा नीबू कस रस को मिलाकर पीने से चेहरा सुंदर और कांतिमय होता है।
गैस्ट्रिक अलसर को कम करता है Helps in Gastric ulcer
यह पाया गया है कि पालक और कुछ अन्य सब्जियों में भी पेट की श्लेष्मा झिल्ली(Mucous membrane) की रक्षा करने की क्षमता होती है, जिससे गैस्ट्रिक अल्सर की को रोका जा सकता है।
इसके अलावा, पालक में पाया जाने वाला ग्ल्य्कोग्ल्य्सरोलिपिड (glycoglycerolipids), पाचन तंत्र के अन्दर की ताकत को बढ़ाता है, जिससे शरीर के उस हिस्से में किसी भी प्रकार की अवांछित सूजन नहीं आती है।
हड्डियों के स्वास्थ्य को बनाए रखता है Keeps bones strong
पालक विटामिन का एक अच्छा स्रोत है, जो हड्डी मैट्रिक्स में कैल्शियम को बनाए रखने का कार्य करता है, यह हड्डियों के लिए एक मिनरल है। इसके अलावा, मैंगनीज, तांबे, मैग्नीशियम, जस्ता और फास्फोरस जैसी अन्य मिनरलों से भी मजबूत हड्डियों के निर्माण में मदद मिलती है।
मोतियाबिंद के खतरे में लाभ
पालक का सेवन करने से हृदय रोग में भी फायदा होता है। इसके लिए आधा चम्‍मच चौलाई का रस, एक चम्‍मच पालक का रस और एक चम्‍मच नींबू का रस तीनों को मिलाकर सुबह नियमित रूप से सेवन करने से हृदय रोगी को लाभ होने लगेगा।
आंखों के लिये लाभकारी
पालक आंखो के लिए काफी अच्छी होती है। इसके सेवन से आंखों की रोशनी बढ़ती हैं। ऐसे लोग जो रतौंधी से परेशान है और उन्‍हें हल्के प्रकाश में स्पष्ट दिखाई नहीं देता उनके लिए पालक किसी चमत्‍कार से कम नहीं होता है। ऐसे लोगों को गाजर व टमाटर के रस में बराबर मात्रा में पालक का जूस मिलाकर लेना चाहिए।
पाचन तंत्र के रोग
आधा गिलास कच्‍चे पालक का रस सुबह उठकर नियमित रूप से पीने से कुछ ही दिनों में कब्‍ज की समस्‍या दूर हो जाती है। आंतों के रोगों में पालक की सब्‍जी खाने से लाभ मिलता है। साथ ही पालक के पत्तों का काढ़ा बनाकर पीने से पथरी पिघल जाती है और यूरीन के रास्‍ते इसके कण बाहर निकल जाते हैं।
बालों के लिए उपयोगी
पालक स्‍वास्‍थ्‍य के लिए ही नहीं बल्कि बालों के लिए भी बहत अच्छा होता है। जो लोग बाल गिरने की समस्‍या से परेशान हैं उन्हें पालक को अपने नियमित आहार में शामिल करना चाहिए। क्‍योकि पालक शरीर में आयरन की कमी को पूरा करके बालों को गिरने से रोकता है।
त्‍वचा की समस्‍या में लाभकारी
पालक झाइयां और झुर्रियों को दूर करने में भी आपकी मदद करता हैं। इसके लिए पालक और नीबू के रस में कुछ बूंदे ग्लिसरीन की मिलाकर सोते समय त्‍वचा पर लगाने से लाभ होता है। या फिर पालक का पेस्ट बनाकर चेहरे पर लगाने से चेहरे से झाइयां दूर हो जाती है। त्वचा पर फोड़े व फुन्सी हो जाने पर पालक के पत्तों को पानी में उबालकर धोने से शीघ्र ठीक हो जाते हैं।
आर्थराइटिस में फायदेमंद
शरीर के जोड़ों में होने वाली बीमारी जैसे आर्थराइटिस, ओस्टियोपोरोसिस की भी संभावना को भी घटाता है। साथ ही जोड़ों के दर्द को दूर करने में भी सहायक होता है। जोड़ों के दर्द से राहत पाने के लिए पालक, टमाटर और खीरा आदि सब्जियों को सेवन करना चाहिए या इनका सलाद बनाकर खाना चाहिए।
मोटापा कम करें
पालक के रस में गाजर का रस मिलाकर पीने से चर्बी कम होने लगती है या फिर पालक के रस में नींबू का रस मिलाकर पीने से मोटापा दूर होता है।
  1. पायरिया के घरेलू इलाज
  2. चेहरे के तिल और मस्से इलाज
  3. लाल मिर्च के औषधीय गुण
  4. लाल प्याज से थायराईड का इलाज
  5. जमालगोटा के औषधीय प्रयोग
  6. एसिडिटी के घरेलू उपचार
  7. नींबू व जीरा से वजन घटाएँ
  8. सांस फूलने के उपचार
  9. कत्था के चिकित्सा लाभ
  10. गांठ गलाने के उपचार
  11. चौलाई ,चंदलोई,खाटीभाजी सब्जी के स्वास्थ्य लाभ
  12. मसूड़ों के सूजन के घरेलू उपचार
  13. अनार खाने के स्वास्थ्य लाभ
  14. इसबगोल के औषधीय उपयोग
  15. अश्वगंधा के फायदे
  16. लकवा की चमत्कारी आयुर्वेदिक औषधि वृहत वात चिंतामणि रस
  17. मर्द को लंबी रेस का घोडा बनाने के अद्भुत नुस्खे
  18. सदाबहार पौधे के चिकित्सा लाभ
  19. कान बहने की समस्या के उपचार
  20. पेट की सूजन गेस्ट्राईटिस के घरेलू उपचार
  21. पैर के तलवों में जलन को दूर करने के घरेलू आयुर्वेदिक उपचार
  22. लकवा (पक्षाघात) के आयुर्वेदिक घरेलू नुस्खे
  23. डेंगूबुखार के आयुर्वेदिक नुस्खे
  24. काला नमक और सेंधा नमक मे अंतर और फायदे
  25. कालमेघ जड़ी बूटी लीवर रोगों की महोषधि
  26. हर्निया, आंत उतरना ,आंत्रवृद्धि के आयुर्वेदिक उपचार
  27. पाइल्स (बवासीर) के घरेलू आयुर्वेदिक नुस्खे
  28. चिकनगुनिया के घरेलू उपचार
  29. चिरायता के चिकित्सा -लाभ
  30. ज्यादा पसीना होने के के घरेलू आयुर्वेदिक उपचार
  31. पायरिया रोग के आयुर्वेदिक उपचार
  32. व्हीटग्रास (गेहूं के जवारे) के रस और पाउडर के फायदे
  33. घुटनों के दर्द को दूर करने के रामबाण उपाय
  34. चेहरे के तिल और मस्से हटाने के उपचार
  35. अस्थमा के कारण, लक्षण, उपचार और घरेलू नुस्खे
  36. वृक्क अकर्मण्यता(kidney Failure) की रामबाण हर्बल औषधि
  37. शहद के इतने सारे फायदे नहीं जानते होंगे आप!
  38. वजन कम करने के उपचार
  39. केले के स्वास्थ्य लाभ
  40. लीवर रोगों की महौषधि भुई आंवला के फायदे
  41. हरड़ के गुण व फायदे
  42. कान मे मेल जमने से बहरापन होने पर करें ये उपचार
  43. पेट की खराबी के घरेलू उपचार
  44. शिवलिंगी बीज के चिकित्सा उपयोग
  45. दालचीनी के फायदे
  46. बवासीर के खास नुखे
  47. भूलने की बीमारी के उपचार
  48. आम खाने के स्वास्थ्य लाभ
  49. सोरायसीस के उपचार
  50. गुर्दे की सूजन के घरेलू उपचार




27.6.19

लालमिर्च खाने के फायदे और नुकसान



लाल मिर्च लगभग हर घर की रसोई में पाया जाता है और भोजन एवं व्यंजनों में इसका प्रयोग किया जाता है। यह एक तरह से मसाले का कार्य करता है और भोजन के स्वाद को बढ़ा देता है। लाल मिर्च को पोषक तत्वों का पावर हाउस कहा जाता है। यह भोजन के स्वाद को बढ़ाने के साथ ही औषधिक गुणों से भी युक्त होती है। इसमें कई तरह के केमिकल कंपाउंड मौजूद होते हैं जो शरीर के विभिन्न विकारों को दूर करने में सहायक होते हैं। लाल मिर्च कॉपर, मैग्नेशियम, आरयल, मैगनीज और पोटैशियम जैसे खनिजों का अच्छा स्रोत है। साथ ही इसमें विटामिन बी, विटामिन सी, विटामिन ई और विटामिन k भी पाए जाते है।
रेड चिली/लाल मिर्च सोलेनेसी कुल का सदस्या है और कैप्सिकम नामक पौधे का एक फल है। माना जाता है कि लाल मिर्च मैक्सिको की उपज है इसके बाद यह भारत में आयी। लाल मिर्च में कैप्सीकिन एक सक्रिय क्षार पाया जाता है जिसके कारण यह स्वाद में तीखा होता है। यह कच्चा, सूखा और पाउडर आदि रूपों में इस्तेमाल किया जाता है। लाल मिर्च मसालेदार स्वाद वाला होता है और इसमें उच्च मात्रा में विटामिन सी और कैरोटीन पाया जाता है। इसके अलावा इसमें विटामिन ए, विटामिन बी सहित एंटीऑक्सीडेंट भी मौजूद होते हैं।
लाल मिर्च लाल रक्त कोशिकाएं बनाने में सहायक
शरीर में आयरन की कमी के कारण एनीमिया और थकान की समस्या होती है। लाल मिर्च में कॉपर और आयरन पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है जो नई रक्त कोशिकाएं बनाने में मदद करता है। लाल मिर्च में फॉलिक एसिड भी पाया जाता है जो शरीर में लाल रक्त कणिकाओं का निर्माण करता है और खून की कमी को दूर करता है।
लाल मिर्च हृदय रोगों से बचाने में फायदेमंदशरीर में विभिन्न क्रियाओं के संचालन में पोटैशियम नामक खनिज की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। लाल मिर्च में पोटैशियम काफी मात्रा में पाया जाता है जो इन कार्यों में सहायक होता है। फोलेट के साथ पर्याप्त पोटैशियम लेने से हृदय रोगों का खतरा कम हो जाता है। लाल मिर्च में राइबोफ्लैविन और नियासिन भी पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। नियासिन व्यक्ति के शरीर में अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है और हृदय से जुड़ी बीमारियों के खतरे को कम करता है।


लाल मिर्च फायदेमंद दर्द से राहत दिलाने में
ऑस्टियोआर्थराइटिस और डायबिटिक न्यूरोपैथी के कारण होने वाले दर्द को दूर करने में लाल मिर्च बहुत सहायक होता है। यह संवेदी रिसेप्टर को असंवेदनशील बनता है और एंटीइंफ्लैमेटरी गुण होने के कारण सूजन को कम करने में भी सहायता करता है। भोजन में लाल मिर्च का प्रयोग करने से एथरोस्क्लेरोसिस (atherosclerosis) से बचाव होता है।
लाल मिर्च पाउडर के फायदे आंत की बीमारियों में
एंटीबैक्टीरियल एवं एंटी फंगल गुणों से युक्त होने के कारण लाल मिर्च का उपयोग खाद्य संरक्षक  के रूप में किया जाता है। लाल मिर्च में मौजूद कैप्सेकिन एच पाइलोरी  नामक बैक्टीरिया को नष्ट करता है और आंत में सूजन होने की समस्या से बचाता है। इसलिए आंत्र रोगों  से बचने के लिए इसका उपयोग किया जाता है।
लाल मिरची के फायदे स्वस्थ आंखों के लिए
एक रिसर्च में पाया गया है कि प्रतिदिन एक चम्मच लाल मिर्च का सेवन करने से आंखें स्वस्थ रहती हैं। लाल मिर्च में विटामिन ए पाया जाता है जो आंखों की रोशनी को बेहतर बनाने में मदद करता है और रात में आंखों से न दिखने की समस्या को भी दूर करता है।
लाल मिर्च खाने के फायदे लंबी उम्र के लिए
विभिन्न अध्ययनों में यह पाया गया है कि 30 साल की उम्र के बाद प्रतिदिन कम से कम 5 से 6 बार भोजन में लाल मिर्च का प्रयोग करने से व्यक्ति की आयु लंबी होती है। जो लोग प्रतिदिन लाल मिर्च का सेवन नहीं करते हैं उनकी अपेक्षा प्रतिदिन लाल मिर्च का सेवन करने वाले लोगों में मृत्युदर कम पायी जाती है क्योंकि यह खून में आईजीएफ-1 नामक एंटी एजिंग हार्मोन के स्तर को बढ़ाता है।


लाल मिर्च के गुण कैंसर से बचाने
एक अध्ययन में पाया गया है कि लाल मिर्च ल्यूकेमिया  और कैंसर की कोशिकाओं को खत्म करने में मदद करता है। हल्दी की तरह करी बनाते समय इसमें लाल मिर्च का प्रयोग करने से यह ट्यूमर एवं कैंसर को बढ़ने से रोकता है। इसके अलावा यह स्तन कैंसर  को भी बढ़ने से रोकने में मदद करता है।
 वजन घटाने में फायदेमंद
मोटापा एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है जिसे हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए। नियमित रूप से भोजन में लाल मिर्च या लाल मिर्च पावडर का प्रयोग करने से अधिक भोजन करने की इच्छा घटती है और मेटाबोलिज्म बढ़ता है। लाल मिर्च का सेवन करने के बाद शरीर में गर्मी आती है जिससे एनर्जी बढ़ती है  और अतिरिक्त कैलोरी घटती है। इसलिए शरीर का वजन घटाने के लिए लाल मिर्च बहुत फायदेमंद है।


लाल मिर्च खाने के नुकसान
रेड चिली/लाल मिर्च में कैप्सैकिन होता है जो अधिक मसालेदार प्रकृति का होता है।
लाल मिर्च का सेवन करने से मुंह, जीभ और गले में जलन की समस्या हो सकती है।
लाल मिर्च में पाया जाने वाला कैप्सैकिन मुख गुहा(oral cavity), गले और पेट के संपर्क में आने से सूजन और जलन पैदा कर सकता है।
यदि हाथ में लाल मिर्च लगा हो तो उस हाथ से आंखों को नहीं छूना चाहिए अन्यथा आंखों में जलन  हो सकती है और आंखें लाल हो सकती हैं।
लाल मिर्च में एफ्लैटोक्सिन नामक रसायन यौगिक पाया जाता है जिसके कारण पेट, लिवर और कोलन कैंसर की समस्या हो सकती है।



19.6.19

बहुत काम के हैं संतरे के छिलके

                       
हम सभी संतरा खाने के बाद उसके छिलके को कूड़ेदान में फेंक देते हैं. हमें ये लगता है कि संतरे के छिलका के क्या फायदे हो सकते हैं, पर आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि संतरे का छिलका न केवल स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद है बल्क‍ि खूबसूरती निखारने में भी ये बहुत कारगर है.
संतरे के छिलके में भी पोटैशियम, मैग्नीशियम और कैल्शियम जैसे तत्व मौजूद होते हैं, जिनके इस्तेमाल से आप कई तरह की स्किन से जुड़ी समस्याओं को दूर करने के साथ ही पा सकते हैं ग्लोइंग स्किन। संतरे में मौजूद विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट्स सिर्फ सेहत के लिए ही नहीं बल्कि खूबसूरती को निखारने और उसे बरकरार रखने के लिए भी बहुत ही फायदेमंद होता है।


ये चेहरे पर निखार लाने का काम करता है
संतरे के छिलके के पाउडर को शहद के साथ मिलाकर लगाने से टैनिंग दूर हो जाती है और चेहरे पर निखार आता है.
ऑयली स्किन

ऑयली स्किन सिर्फ देखने में ही खराब नहीं लगती बल्कि चेहरे पर होने वाली कई सारी दूसरी समस्याओं के लिए भी जिम्मेदार होती है। इसे दूर करने का बहुत ही अच्छा उपाय है संतरा। इसका एस्ट्रिंजेंट तत्व स्किन से एक्स्ट्रा ऑयल आसानी से एब्ज़ॉर्ब कर लेता है।

इस्तेमाल का तरीका

इसके लिए 1 बड़े चम्मच संतरे के छिलके के पाउडर को दूध/दही या गुलाबजल में मिलाकर अच्छे से पेस्ट बना लें। अब इसे चेहरे पर लगा लें। हल्का सूखने के बाद गुनगुने पानी से धो लें। हफ्ते में दो बार के इस्तेमाल से ही आपको फर्क नज़र आने लगेगा।

सूक्ष्म रंध्रों को खोलने में मददगार
संतरे के छिलके के पाउडर में कुछ मत्रा दही की मिलाकर इसे चेहरे पर लगाने से सूक्ष्म रंध्र खुल जाते हैं और साथ ही ब्लैक हेड्स भी साफ हो जाते हैं.



डल स्किन

धूप, पॉल्यूशन और बढ़ती उम्र कई सारी वजहों से स्किन अपनी चमक खोने लगती है। तो इसे बरकरार रखने के लिए संतरा खाने के साथ-साथ इसे लगाएं भी।

इस्तेमाल का तरीका

1 बड़े चम्मच संतरे के छिलके को 2 बड़े चम्मच शहद में मिलाकर इसका पेस्ट बनाएं। चेहरे के साथ-साथ गर्दन पर भी लगाएं। सूखने के बाद ठंडे पानी से धो लें। ग्लोइंग और हाइड्रेटेड स्किन के लिए ये फेस पैक है बेस्ट।
बालों के लिए भी फायदेमंद
संतरे का छिलका न केवल त्वचा के लिए फायदेमंद है बल्क‍ि बालों के लिए भी किसी औषधि से कम नहीं है. ये रूसी दूर करने में बहुत ही कारगर है. साथ ही अगर आपके बाल बहुत अधिक गिर रहे हैं और अपनी चमक खो चुके हैं तो भी संतरे का छिलका इस्तेमाल किया जा सकता है.
दाग-धब्बों के लिए

चेहरे पर किसी भी तरह के दाग-धब्बों को दूर करने में भी संतरे का छिलका बहुत ही कारगर है।

इस्तेमाल का तरीका

1 बड़े चम्मच संतरे के छिलके का पाउडर लेकर उसमें बेसन और नींबू का रस मिलाएं। इसे चेहरे पर अच्छी तरह लगाएं और 10 मिनट ठंडे पानी से धो लें। हफ्ते में दो बार इसका इस्तेमाल काफी होगा।
कील मुंहासों की रोकथाम के लिए
संतरे के छिलके का पाउडर त्वचा पर मौजूद सारी गंदगी को साफ कर देता है. इस पाउडर में थोड़ी सी मात्रा गुलाब जल की मिलाकर लगाने से कील-मुंहासों की समस्या में फायदा होता है.
ऐसे बनाएं छिलके से पाउडर

संतरे के छिलकों को धोकर धूप में सूखा लें। पूरी तरह मॉइश्चर खत्म हो जाने के बाद इसे ब्लेंडर में अच्छी तरह पीस लें। फिर किसी एयर टाइट डिब्बे में स्टोर कर लें। सेंसिटिव स्किन है तो इससे बनने वाले किसी भी तरह के पेस्ट को अवॉयड करें।
पुरुष ग्रंथि (प्रोस्टेट) बढ़ने से मूत्र - बाधा का अचूक इलाज 

*किडनी फेल(गुर्दे खराब ) रोग की जानकारी और उपचार*

गठिया ,घुटनों का दर्द,कमर दर्द ,सायटिका के अचूक उपचार 

गुर्दे की पथरी कितनी भी बड़ी हो ,अचूक हर्बल औषधि

पित्त पथरी (gallstone) की अचूक औषधि 






17.6.19

हृदय रोगों से बचने के उपाय और उपचार


हृदय रोग कई स्थितियों का वर्णन करता है जो आपके दिल को प्रभावित करती हैं। हृदय रोगों के तहत रोगों में रक्त वाहिका रोग शामिल हैं, जैसे कोरोनरी आर्टरी डिजीज, हृदय के धड़कने में समस्‍या होना और जन्मजात हृदय दोष के साथ यह बीमारी पैदा होती है। हृदय रोग आमतौर पर उन स्थितियों को संदर्भित करता है जिसमें संकुचित या अवरुद्ध रक्त वाहिकाएं होती हैं जो दिल का दौरा, सीने में दर्द (एनजाइना) या स्ट्रोक का कारण बन सकती हैं। अन्य हृदय स्थितियां, जैसे कि आपके दिल की मांसपेशियों, वाल्वों या लय को प्रभावित करती हैं, जिन्हें हृदय रोग के रूप भी माना जाता है।
हृदय रोगों से कैसे बचें
जीवन शैली में करें सकारात्मक परिवर्तन
अपने हृदय और हृदय प्रणाली को स्वस्थ रखने की दिशा में कुछ खास बदलाव करें। प्रतिदिन व्यायाम करें। ये तरीके हृदय को स्‍वस्‍थ रखते हैं और हृदय रोगों के खतरे को कम करने में मदद करते हैं। और साथ ही हृदय रोग होने की स्थिति में रोग को गंभीर होने से भी रोकते हैं। ये बदलाव करने से आपको कोई अन्य हृदय रोग होने से बचाव होगा और यदि रोग का उपचार चल रहा है तो उसमें जल्दी लाभ होने में भी सहायता होगी।
संतुलित आहार लें


एक स्वस्थ संतुलित आहार लें जिसमें सभी खाद्य समूहों से खाद्य पदार्थ शामिल होते हैं। वे भोजन जिनमें संतृप्त वसा, ट्रांस वसा और कोलेस्ट्रॉल की मात्रा अधिक होती है, वे शरीर के नुकसानदेह होते हैं। यदि आप हृदय रोगों और समस्याओं से दूर रखना चाहते हैं तो आपको एल्कोहोल का इस्तेमाल भी कम करना होगा।
अन्य स्थितियों पर नजर रखें
हृदय रोग से ग्रसित रोगी अकसर कुछ अन्य रोगों की निदान की प्रक्रियाओं जैसे मधुमेह, उच्च रक्तचाप और उच्च कोलेस्ट्रॉल आदि से भी गुजर रहे होते हैं। इन सभी को नियमित जांच और नियंत्रण कर, आप ह्रदय रोगों के जोखिम कारकों से आसानी से मुकाबला कर पायेंगे। हृदय रोग के मरीजों को चाहिए कि वे अपना रक्त चाप 140/90 से कम रखें। इससे उन्हें हृदय रोग को काबू करने में मदद मिलती है। साथ ही वे रोगी जिन्हें हृदय रोग के साथ डाइबटीज है वे अपनी शुगर की नियमित जांच भी करें।
आवश्यक दवाएं भी लें
कभी-कभी जीवन शैली में बदलाव हृदय रोगों के निदान के लिए काफी नहीं होता है। दवाएं हृदय रोग के लक्षणों के कई प्रकार के इलाज के लिए एक कारगर तरीका है। कुछ दवाएं रक्त को पतला करने तथा कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने का कार्य करती हैं। आपके लिए यह जानना आवश्यक है कि जो दवा आप ले रहे हैं वह आपके दिल की बीमारी के इलाज के लिए कैसे काम करती है। यह दवाएं नीयमित रूप से व ठीक मात्रा और समय पर ली जानी जरूरी होती हैं। अपने डॉक्टर की सलाह के बिना दवाओं का सेवन कतई बंद ना करें, ऐसा करने से आपका रोग और गंभीर हो सकता है।
*हृदय रोग वर्तमान में एक गंभीर समस्या है, लेकिन इससे बचने के लिए तरीकों एवं उपचारों की भी कोई कमी नहीं है। हृदय को स्वस्थ रखने के लिए जानिए दो ऐसे घरेलू रामबाण उपाय, जो आपके लिए मददगार साबित होंगे -



(1) 250 ग्राम घीया (लौकी) छिल्के सहित धोकर उसे कस लें। कसी हुई लौकी को या तो ग्राइंडर में अथवा सिल-बट्टे पर पीस लें। पिसी हुई लौकी का रस ग्राइंडर से अपने आप बाहर आ जाएगा फिर उसे कपड़े से छान लें। लौकी को पीसते समय तुलसी की 7 पत्तियां और पुदीने की 6 पत्तियां डालना न भूलें। घीया के रस में उतनी ही मात्रा में पानी मिला लें। पानी में 4 पिसी हुई कालीमिर्च और 1 ग्राम सेंधा नमक डाल लें। भोजन के आधे घंटे बाद सुबह-शाम और रात को 3 बार इसका सेवन करें। ध्यान रहे कि हर बार रस ताजा ही निकाला जाए। घीया का रस पेट में जो भी पाचन विकार होते हैं, उन्हें दूर कर मलद्वार से बाहर निकाल देता है, संभव है कि इसके सेवन से प्रारंभ के 3-4 दिन पेट में कुछ खलबली या गड़गड़ाहट-सी महसूस हो, परंतु बाद में सब बंद हो जाएगा।
(2) पान, लहसुन, अदरक का 1-1 चम्मच रस और 1 चम्मच शहद- इन चारों को एकसाथ मिला ले और सीधे पी जाएं। इसमें पानी मिलाने की जरूरत नहीं है। इसे दिन में एक बार सुबह और एक बार शाम को पि‍एं, और तनाव लेना बंद कर दें। दिल में कोई कठिनाई महसूस हो तो जो सामान्य दवा लेता हो, वह लेता रहे।प्रयत्न करें कि उसे लेना न पड़े। इस प्रयोग से एक हफ्ते में ही सुधार शुरू हो जाएगा और 21 दिन लेना फायदेमंद होगा।









5.4.19

वजन तेजी से कम करने के उपाय

                                                         
वजन कम करने के लिए लोगो द्वारा कई तरह के प्रयास किये जाते है| जैसे की कुछ लोग तो यह सिद्धांत बना लेते है की कम खाएंगे तो वजन कम होगा| लेकिन जब आप तेजी से वजन कम करना चाहते है, तो केवल डाइटिंग करने से बात नहीं बनेगी| और लम्बे समय तक यदि आपने डाइटिंग को अपनाया तो आप अपना वजन तो नहीं कम कर पाएंगे लेकिन हा कई सारी बीमारियाँ जरूर आपको घेर लेंगी| जल्द से जल्द वजन कम करने के लिए आपको कुछ अतिरिक्त देना होगा|
मोटापा आम तौर पर लाइफ स्टाइल की देन होती है। मोटा शरीर या फिर शरीर में फैट बिल्कुल भी अच्छा नहीं दिखता। अगर आप सिर्फ दो आदतों को रोजाना अपनाते हैं तो आप एक हफ्ते में ही तेजी से वजन घटा सकते हैं।
ये दो वो अचूक उपाय है जिसके लिए ना तो आपको जिम जाने की जरूरत है और ना ही वजन कम करनेवाली दवाइयों की। मोटापा कम करने का सबसे बड़ा सिद्धांत यही है कि आपको अपने शरीर में जमा कैलरी को उसी अनुपात में खर्च करनी होती है।
 
अपने खाने की आदत को बदलें

अगर आप एक हफ्ते के अंदर तेजी से दुबले होने या मोटापा कम करने की शुरुआत करना चाहते हैं तो आपको अपने डेली रुटीन में बदलाव लाना होगा। खाने की आदत में तब्दीली करनी होगी। हम जो खाते हैं वो हमारे शरीर को लगता है। उस प्रकार का खाना जिसमें ज्यादा शुगर, कैलोरी हो खाने से परहेज करना चाहिए। मिसाल के तौर पर बेक्ड चीजें, फ्राइड फूड, स्वीट बेवरेज को अपने आहार में शामिल करने से बचना चाहिए। इन चीजों में बहुत ज्यादा फैट होता है जिससे मोटापा बढ़ता है।

इन्हें हरगिज ना खाएं

इसका मतलब यह हुआ कि आपको केक, कुकीज, कपकेक्स, मफिंस, ब्रेड, पेस्ट्री तो बिल्कुल नहीं खाना चाहिए। साथ ही खाने में साल्टी फूड, स्नैक फूड, फ्रेंच फ्राइज, पोटैटो चिप्स को बिल्कुल भी नहीं खाना चाहिए। इसके अलावा मछली, मीट, पॉल्ट्री के ब्रेडेड प्रोडक्ट के सेवन से आपको बचना चाहिए।

संतुलित और पौष्टिक आहार ले

जैसा की हमने कहा की आप अपने वजन कम करने की राह में भूखे रहने से कामयाब नहीं हो पाएंगे| इसलिए रोज अच्छे से भोजन करे ताकि आपको व्यायाम करने के लिए भरपूर ऊर्जा मिले| रोज भोजन करने की खासियत यह की आप बीमार भी नहीं पड़ेंगे जिससे की आपको अपने लक्ष्य प्राप्ति में रुकावट भी नहीं आएगी| सादा भोजन करने के अलावा कई ऎसे खाद्य पधार्त है जो आपका वजन कम करने में सहायक है|



 तेजी से चलने की आदत डालें

घूमना, टहलना, तेजी से पैदल चलना एक ऐसा एक्सरसाइज है जिसके आपका वजन तेजी से कम होता है। इनकी मदद से आप मनचाहा रिजल्ट भी कुछ दिनों में आसानी से पा लेते हैं। महज चलने मात्र से ही आप 0.46 किलोग्राम यानी कि एक पाउंड वजन कम कर सकते हैं, लेकिन यह सब निर्भर करता है कि आप एक हफ्ते में कितना चलते हैं।
यह सच है कि आप बिना जिम जाए सिर्फ चलने से ही 9 किलो तक अपना वजन आराम से घटा सकते हैं। 10,000 कदम चलने से रोजाना आप अपने वजन में अभूतपूर्व कमी कर सकते हैं और आपको यह असर एक हफ्ते में ही दिखने लगेगा।

क्या करना चाहिए आपको

इसके लिए आप कार पार्किंग एरिया से हमेशा अपना गंतव्य दूर रखें। ताकि इसी बहाने आप पैदल चलने की आदत डाल सकेंगे। आप लिफ्ट की बजाय सीढ़ियों का सहारा लें। यानी अपने रोजाना की दिनचर्या में ही पैदल चलने की आदत डालें।
छोटी दूरियों के लिए गाड़ी लेने की आदत को छोड़ दे। हालांकि एक व्यक्ति को वजन कम करने के लिए 2000 कदम के आस-पास चलने की जरूरत होती है। आप इस बात को समझ लीजिए की एक मील में आपकी 100 कैलोरी बर्न होती है। लेकिन अगर आप 10,000 कदम थोड़े अंतराल पर भी चलने की आदत बना लेते हैं तो आपका वजन तेजी से घटना तय है और आपको इसके लिए जिम जाने की जरूरत बिल्कुल भी नहीं है।
• 1.6 किमी (1 मील) = 2000 कदम + 100 कैलोरी बर्न
• 0.45 किलोग्राम ( 1 पाउंड) = 3500 कैलोरी
• हफ्ते में 0.45 किलोग्राम (1 पाउंड) वजन कम = 500 कैलोरी बर्न रोजाना
• अगर आप 10 हजार स्टेप्स रोजाना चलेंगे तो सप्ताह में 0.45 किलोग्राम (1 पाउंड) वजन कम




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2.4.19

नींद की गोली खाने की आदत हानिकारक है ,जानें कैसे?

  


अक्सर तनाव या कोई मानसिक समस्या होने पर हम नींदकी गोली खा लेते हैं और हमें नींद भी आ जाती है। धीरे धीरे ये बड़ी परेशानी में बदल जाता है। नींद की गोली हमारे दिमाग पर बुरा असर डालती है। यह बात हम नहीं बल्कि बहुत सारे शोधों में कहीं गई है। हाल ही में एक रिसर्च में इस बात का खुलासा किया गया है कि एंटी कोलीनर्जिक युक्त गोलियां और नींद की गोली लेने से मैमरी ( याद्दाश्त) कमजोर हो जाती हैं। व्यक्ति के सोचने समझने की क्षमता बुरी तरह से प्रभावित हो जाती है। दिंमाग काफी धीमी गति से काम करता है। शोधकर्त्ताओं की मानें तो इन गोलियों के सेवन से एसेटिलकोलाइन नामक केमिकल ब्लॉक हो जाता है। वहीं, जामा न्यूरोलॉजी जर्नल में प्रकाशित शोध के मुताबिक, एसेटिलकोलाइन का स्तर कम होने से लोग डिमेंशिया समेत अन्य दिमागी बीमारी की चपेट में आ जाते हैं। यह दवाइयां एक दम से असर नहीं दिखाती ब्लकि लगभग एक माह के बाद इसका असर दिखना शुरू हो जाता है। ये नींद की दवाएं भले कुछ समय के लिए आपको आराम देती हैं लेकिन लंबे समय के लिए ये परेशानी में भी डाल सकती हैं। इस बारे में लखनऊ के न्यूरोलॉजिस्ट एके पांडेय बताते हैं, नींद की दवाइयों का सेवन करना एक सीमा तक सही होता है लेकिन गोलियों का नियमित सेवन बीमारियां बढ़ा सकता है। विश्व में नींद की दवाई लेने वाले व नींद की दवाई का सेवन नहीं करने वाले लोगों की मृत्यु स्तर में अंतर होता है, इन गोलियों के सेवन से ब्लड प्रेशर, हार्ट डिजीज का भी खतरा बना रहता है।
नींद की कोई भी दवाई लेने से पहले आप डॉक्टर से पूछ भी सकते हैं कि आपको इसे कितने समय तक लेना होगा और कितनी मात्रा में। डॉक्टर जब भी इन दवाईयों को देते हैं तो वो उन्हें एक क्रम से देते हैं ताकि आपको उनकी आदत न पड़े और उनका दुष्प्रभाव भी आप पर न हों। लेकिन आपको इन दवाईयों को लेने के अलावा, खुद को सही रखने के लिए वर्कआउट करना चाहिए और कैफीन के सेवन से बचने के लिए चाय या कॉफी को कम पीना चाहिए।



कई बार ये भी देखा जाता है कि सोने या उठने का कोई निर्धारित समय न होना भी पूरा रूटीन खराब कर देता है। जल्दी सोने और उठने की आदत डालें। ऐसा करने से आपको खुद ही अंतर दिखेगा, दिनभर ताजगी रहेगी। सुस्ती या थकान भी कम होगी। सही दिनचर्या पूरे दिनभर के काम पर असर डालती है। टीवी या मोबाइल का देर रात तक इस्तेमाल न करें नींद न आने में सबसे ज्यादा भूमिका मोबाइल, इंटरनेट और टीवी का है। इसमें इंसान देर रात तक व्यस्त रहता है और सुबह देर से उठता है ये पूरी दिनचर्या को खराब कर देता है। इसलिए कोशिश करें कि सोने का एक निश्चित समय हो और उसके हिसाब से ही सोने का माहौल बनाएं। सोते समय हमेशा मन में अच्छे और सकारात्मक विचार रखिए। सोने की जगह शांत हो और लाइट हल्की हो या बंद हो।
नशे से बचें सिगरेट, शराब या गुटखा आदि के नियमित सेवन से भी अनिद्रा की समस्या आती है। ज्यादा नशा करने और नशा न मिलने की वजह से भी नींद नहीं आती है। एल्कोहल से आपके सोने की दिनचर्या पर भी असर पड़ता है। इसे पूरे दिन चिड़चिड़ापन और थकान रहती है। रात में सोने से पहले दूध पिएं, जिससे अच्छी नींद आएगी। चाय या कॉफी का सेवन न करें चाय-कॉफ़ी को नींद का दुश्मन समझा जाता है। बहुत ज्यादा सेवन स्वास्थ्य पर बुरा असर डालता है। इसलिए रात को सोने से पहले तो चाय या कॉफी की आदत न डालें। इसके अलावा दिन में भी दो या तीन से ज्यादा बार न पिएं। तलवे की मसाज करें सोने से पहले हाथ-पैर साफ करें और फिर अपने तलवों की मसाज करें। अच्छी नींद के लिए रोज सोने से पहले इस मसाज से आपकी अनिद्रा की समस्या दूर हो जाएगी। इससे रक्त का संचार सही से होता है। व्यायाम सोने से पहले हल्के फुल्के व्यायाम करें। कुछ योग ऐसे हैं जिनसे अनिद्रा की बीमारी दूर होती है, जैसे शवासन, वज्रासन, भ्रामरी प्राणायम आदि। इन्हें नियमित रूप से करने से नींद अच्छी आती है।



12.2.19

पित्त पथरी(Gall stones) के घरेलू ,हर्बल उपचार



गाल ब्लाडर में पथरी (gallstones) बनना एक भयंकर पीडादायक रोग है। इसे ही पित्त पथरी कहते हैं। पित्ताषय में दो तरह की पथरी बनती है।
प्रथम कोलेस्ट्रोल निर्मित पथरी।
दूसरी पिग्मेन्ट से बननेवाली पथरी।
ध्यान देने योग्य है कि लगभग८०% पथरी कोलेस्ट्रोल तत्व से ही बनती हैं।वैसे तो यह रोग किसी को भी और किसी भी आयु में हो सकता है लेकिन महिलाओं में इस रोग के होने की सम्भावना पुरुषों की तुलना में लगभग दूगनी हुआ करती है।पित्त लिवर में बनता है और इसका भंडारण गाल ब्लाडर में होता है।यह पित्त वसायुक्त भोजन को पचाने में मदद करता है। जब इस पित्त में कोलेस्ट्रोल और बिलरुबिन की मात्रा ज्यादा हो जाती है,तो पथरी निर्माण के लिये उपयुक्त स्थिति बन जाती है।
पथरी रोग में मुख्य रूप से पेट के दायें हिस्से में तेज या साधारण दर्द होता है।भोजन के बाद पेट फ़ूलना,अजीर्ण होना,दर्द और उल्टी होना इस रोग के प्रमुख लक्षण हैं।
प्रेग्नेन्सी,मोटापा,मधुमेह,,अधिक बैठे रेहने की जीवन शैली, तेल घी अधिकता वाले भोजन,और शरीर में खून की कमी से पित्त पथरी रोग होने की सम्भावना बढ जाती है।
दो या अधिक बच्चों की माताओं में भी इस रोग की प्रबलता देखी जाती है।
अब मैं कुछ आसान घरेलू नुस्खे प्रस्तुत कर रहा हूं जिनका उपयोग करने से इस भंयकर रोग से होने वाली पीडा में राहत मिल जाती है और निर्दिष्ट अवधि तक इलाज जारी रखने पर ३ से ४ एम एम तक की पित्त पथरी से मुक्ति मिल जाती है।
१) गाजर और ककडी का रस प्रत्येक १०० मिलिलिटर की मात्रा में मिलाकर दिन में दो बार पीयें। अत्यन्त लाभ दायक उपचार है।
२) नींबू का रस ५० मिलिलिटर की मात्रा में सुबह खाली पेट पीयें। यह उपाय एक सप्ताह तक जारी रखना उचित है।
३) सूरजमुखी या ओलिव आईल ३० मिलि खाली पेट पीयें।इसके तत्काल बाद में १२० मिलि अन्गूर का रस या निम्बू का रस पीयें। इसे कुछ हफ़्तों तक जारी रखने पर अच्छे परिणाम मिलते हैं।
४) नाशपती का फ़ल खूब खाएं। इसमें पाये जाने वाले रसायनिक तत्व से पित्ताषय के रोग दूर होते हैं।
५) विटामिन सी याने एस्कोर्बिक एसिड के प्रयोग से शरीर का इम्युन सिस्टम मजबूत बनता है।यह कोलेस्ट्रोल को पित्त में बदल देता है। ३-४ गोली नित्य लें।
2013 में हुए एक अध्ययन के अनुसार, शरीर में भरपूर मात्रा में विटामिन सी पथरी की समस्‍या कम करता है। एक लाल शिमला मिर्च में लगभग 95 मिलीग्राम विटामिन सी होता है, यह मात्रा पथरी को रोकने के लिए काफी होती है। इसलिए अपने आहार में शिमला मिर्च को शामिल करें।।
६) पित्त पथरी रोगी भोजन में प्रचुर मात्रा में हरी सब्जीयां और फ़ल शामिल करें। ये कोलेस्ट्रोल रहित पदार्थ है।
७) तली-गली,मसालेदार चीजों का परहेज जरुरी है।
8) शराब,चाय,काफ़ी एवं शकरयुक्त पेय हानिकारक है।
९) एक बार में ज्यादा भोजन न करें। ज्यादा भोजन से अधिक मात्रा में कोलेस्ट्रोल निर्माण होगा जो हांनिकारक है।
१०) आयुर्वेद में उल्लेखित कतिपय औषधियां इस रोग में लाभदायक साबित हो सकती हैं।कुटकी चूर्ण,त्रिकटु चूर्ण,आरोग्य वर्धनी वटी,फ़लत्रिकादि चूर्ण,जैतुन का तैल ,नींबू का रस आदि औषधियां व्यवहार में लाई जाती हैं।
११) सर्जरी में पित्त पथरी नहीं निकाली जाती है बल्कि पूरे पित्ताशय को ही काटकर निकाल दिया जाता है जिसके दुष्परिणाम रोगी को जीवन भर भुगतने पड़ते हैं| अत: जहां तक हो सके औषधि से चिकित्सा करना श्रेष्ठ है|
१२) पुदीने में टेरपेन नामक प्राकृतिक तत्‍व होता है, जो पित्त से पथरी को घुलाने के लिए जाना जाता है। यह पित्त प्रवाह और अन्य पाचक रस को उत्तेजित करता है, इसलिए यह पाचन में भी सहायक होता है। पित्त की पथरी के लिए घरेलू उपाय के रूप में पुदीने की चाय का इस्‍तेमाल करें।

विशिष्ट परामर्श-


सिर्फ हर्बल चिकित्सा ही पित्ताशय की पथरी  में सफल परिणाम देती है| दामोदर चिकित्सालय रजिस्टर्ड 
98267-95656 द्वारा निर्मित  हर्बल दवा से बड़ी  साईज़ की  gallstone  में भी आश्चर्यजनक फायदा होता है| मरीज आपरेशन से बच जाता है| पथरी का भयंकर  दर्द जो बड़े अस्पतालों मे महंगे इंजेक्शन से भी बमुश्किल काबू मे आता है ,इस हर्बल औषधि की कुछेक खुराक लेते ही आराम लग जाता है|  औषधि मनी बेक गारंटीयुक्त है |






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15.1.19

हृदय रोगियों के लिए उपकारी है पोटेशियम युक्त आहार

                                        


उच्च-पोटेशियम वाले खाद्य पदार्थ किसी भी संतुलित आहार का एक अनिवार्य हिस्सा हैं। खनिज आपके शरीर के द्रव स्तर, मांसपेशियों के कार्य में सहायक और अपशिष्ट को हटाने में मदद करता है और आपके तंत्रिका तंत्र को ठीक से काम करने के लिए प्रेरित करता है। रिसर्च से पता चलता है कि उच्च रक्तचाप वाले लोगों में पोटेशियम युक्‍त फूड रक्तचाप और स्ट्रोक के जोखिम को कम कर सकता है। यहां हम आपको ऐसे ही कुछ पोटैशियम युक्‍त फूड के बारे में बता रहे हैं जिनका सेवन करना आपके लिए पूरी तरह से सुरक्षित है और स्‍वास्‍थ्‍य के लिए फायदेमंद भी है।
पोटैशियम युक्‍त  आहार 

आलू 

आलू में केले से ज्यादा पोटैशियम होता है। हैरान रह गए न आप? जी हां! एक मीडियम साइज के उबले हुए आलू में 941 मिलीग्राम पोटैशियम होता है। ये दैनिक जरूरत का लगभग 20 प्रतिशत है। लेकिन इसके लिए आलू को उबलने के बाद थोड़ा थंडा हो जाने दीजिए। आलू में मौजूद स्टार्च गठिया रोग में भी फायदेमंद होता है। आलू के अलावा शकरकंद में भी भरपूर पोटैशियम होता है।

पालक

पालक गुणों की खान है और इसमें ढेर सारे मिनरल्स औैर विटामिन्स होते हैं। पालक में पोटैशियम की मात्रा भी भरपूर होती है। एक कप पालक में लगभग 540 मिलीग्राम पोटैशियम होता है। इसके अलावा पालक आयरन और फाइबर का भी महत्वपूर्ण स्रोत है। इसलिए इसके सेवन से शरीर को कई स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं। एनीमिया में पालक के सेवन से लाभ मिलता है।

चुकंदर

चुकंदर में शरीर को फायदा पहुंचाने वाले ढेर सारे तत्व होते हैं। चुकंदर में पोटैशियम भी भरपूर पाया जाता है। एक कप चुकंदर में लगभग 518 मिलीग्राम पोटैशियम होता है जो आपकी दैनिक जरूरत का लगभग 11 प्रतिशत है। चुकंदर में आयरन भी भरपूर होता है इसलिए ये ब्लड में हीमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ाता है और एनीमिया जैसे खून की कमी वाली बीमारियों से बचाता है। 




केला 

यदि आपने किसी पोटेशियम युक्त खाद्य पदार्थ के बारे में सुना है, तो आप शायद जानते होंगे कि केले एक अच्छा स्रोत हैं, जिसमें लगभग 400 मिलीग्राम से अधिक पोटेशियम होता है। केले एक हेल्‍दी और एनर्जी स्नैक हैं। यह विटामिन बी 6 में उच्च होता है और फाइबर और विटामिन सी का एक अच्छा स्रोत है।

शकरकंद

शकरकंद में भरपूर मात्रा में पोटेशियम होता है। एक सामान्‍य आकार की शकरकंद में 694 मिलीग्राम तक पोटेशियम होता है। यह हमारी रोजमर्रा की जरूरत का 15 फीसदी होता है। इसके साथ ही इसमें कैलोरी की मात्रा भी कम होती है। एक शकरकंद में केवल 131 कैलोरी होती हैं। यानी शकरकंद का सेवन हमारी सेहत पर दोतरफा सकारात्‍मक प्रभाव डालता है। इतना ही नहीं शकरकंद में बीटा कोरटेन और विटामिन ए भी भरपूर मात्रा में होता है। इन खूबियों के कारण आप इसे सुपरफूड भी कह सकते हैं। 

संतरे का जूस

संतरे का जूस नाश्‍ते में बेहद फायदेमंद होता है। संतरे को विटामिन सी से भरपूर माना जाता है। लेकिन, इसके साथ ही इसमें भरपूर मात्रा में पोटेशियम भी होता है। इसकी सबसे अच्‍छा बात यह है कि इसे बनाना भी बेहद आसान है। और साथ ही अगर आपको संतरे को यूं ही खाना चाहें तो भी कोई दिक्‍कत नहीं। 

पत्‍तेदार सब्जियां 

यह पत्‍तेदार सब्जी न केवल विटामिन ए और विटामिन 'के' से भरपूर होती है, बल्कि साथ ही इसमें पोटेशियम भी काफी मात्रा में होता है। इसके महज आधे कप में 655 मिलीग्राम पोटेशियम होता है। इसका सेवन करने से पोषण संबंधी आपकी काफी आवश्‍यकतायें पूरी हो सकती हैं। यह सुपरफूड वीटा कोर‍टेन और विटामिन ए से भी भरपूर होता है।

खजूर

अपनी गर्म तासीर के लिए खजूर सर्दियों का खास ड्राई फूट होता है। मूल रूप से मध्‍य एशिया का खजूर स्‍वाद में तो लाजवाब होता ही है साथ ही इसके कई स्‍वास्‍थ्‍य लाभ भी होते हैं। आधा कप खजूर में 584 मिलीग्राम पोटेशियम होता है। खजूर को आप दूध के साथ भी खा सकते हैं। 

टमाटर

टमाटर सलाद से लेकर सब्‍जी तक में इस्‍तेमाल किया जाता है। लाल टमाटर भारत के सतरंगी भोजन का अहम हिस्‍सा है। चौथाई कप टमाटर पेस्‍ट में 2.8 मिलीग्राम विटामिन ई होता है। यह हमारी रोजमर्रा की जरूरत का पांचवां हिस्‍सा होता है। इसके साथ ही इसमें 664 मिलीग्राम पोटेशियम, 34 मिलीग्राम लिकोपिन और 54 कैलोरी होती हैं। अपनी इन खूबियों के कारण इसे सुपरफूड भी कहा जा सकता है। 

दही

दही में कई पोषक तत्‍व होते हैं। इसमें कैल्श्यिम भी भरपूर मात्रा में होता है, जो हमारी हड्डियों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। लेकिन, शायद आपको यह न पता हो कि दही में पोटेशियम भी प्रचुर मात्रा में होता है। करीब 220 ग्राम नॉन-फैट दही में 579 मिलीग्राम तक पोटेशियम होता है।
  • पायरिया के घरेलू इलाज
  • चेहरे के तिल और मस्से इलाज
  • लाल मिर्च के औषधीय गुण
  • लाल प्याज से थायराईड का इलाज
  • जमालगोटा के औषधीय प्रयोग
  • एसिडिटी के घरेलू उपचार
  • नींबू व जीरा से वजन घटाएँ
  • सांस फूलने के उपचार
  • कत्था के चिकित्सा लाभ
  • गांठ गलाने के उपचार
  • चौलाई ,चंदलोई,खाटीभाजी सब्जी के स्वास्थ्य लाभ
  • मसूड़ों के सूजन के घरेलू उपचार
  • अनार खाने के स्वास्थ्य लाभ
  • इसबगोल के औषधीय उपयोग
  • अश्वगंधा के फायदे
  • लकवा की चमत्कारी आयुर्वेदिक औषधि वृहत वात चिंतामणि रस
  • मर्द को लंबी रेस का घोडा बनाने के अद्भुत नुस्खे
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  • कान बहने की समस्या के उपचार
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  • पैर के तलवों में जलन को दूर करने के घरेलू आयुर्वेदिक उपचार
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  • हर्निया, आंत उतरना ,आंत्रवृद्धि के आयुर्वेदिक उपचार
  • पाइल्स (बवासीर) के घरेलू आयुर्वेदिक नुस्खे
  • चिकनगुनिया के घरेलू उपचार
  • चिरायता के चिकित्सा -लाभ
  • ज्यादा पसीना होने के के घरेलू आयुर्वेदिक उपचार
  • पायरिया रोग के आयुर्वेदिक उपचार
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  • वृक्क अकर्मण्यता(kidney Failure) की रामबाण हर्बल औषधि
  • शहद के इतने सारे फायदे नहीं जानते होंगे आप!
  • वजन कम करने के उपचार
  • केले के स्वास्थ्य लाभ



  • 9.9.18

    कंधे के दर्द,सूजन से मुक्ति पाने के उपाय

                                                           


    मनुष्य के शरीर में सभी हिस्से टीम की तरह काम करते हैं। ऐसे में किसी भी एक हिस्से में होने वाली तकलीफ पूरे शरीर को पीड़ा से भर देती है। कंधे का डिसलोकेट हो जाना भी ऐसी ही एक तकलीफ है। जब यह तकलीफ बढ़ जाती है तो गंभीर रूप ले सकती है। समय पर होने वाला इलाज इसमें काफी राहत मिल सकती है।
    हमारे शरीर में कंधे सबसे ज्यादा मूव करने वाले जोड़ के रूप में उपस्थित होते हैं। ये खुद कई दिशाओं में घूमने के साथ ही बांहों को घुमा सकता है, उन्हें सिर तक ऊंचा कर सकता है और आस-पास फैलाने में मदद कर सकता है। ऐसे में कंधे के डिसलोकेट होने से कई सारी गतिविधियों पर रोक लग सकती है। साथ ही तेज दर्द भी हो सकता है। ऐसा कई कारणों से हो सकता है, लेकिन त्वरित उपचार और सही तरीकों से इसे कंट्रोल में किया जा सकता है।
    हमारे कंधे तीन हड्डियों से मिलकर बने होते हैं। ऊपरी बांहों की हड्डी यानी ह्यूमरस, शोल्डर ब्लेड स्कैप्युला तथा कॉलरबोन क्लेविकल। ह्यूमरस का बॉलनुमा सिर, शोल्डर ब्लेड के एक खांचे जैसे सॉकेट 'ग्लेनॉइड' में फिट हो जाता है और इसके आस-पास मौजूद टिशूज इस बॉल को खांचे में फिट बनाए रखने में मदद करते हैं। जब किसी कारण से यह बॉल, सॉकेट से बाहर निकल आती है तो शोल्डर डिसलोकेट हो जाता है और ऐसी हालत में वह अपनी पकड़ स्थाई नहीं रख पाता और बार-बार डिसलोकेट होने लगता है।
    इस स्थिति को क्रॉनिक शोल्डर इनस्टेबिलिटी कहते हैं। ज्यादातर मामलों में इसके पीछे कोई चोट या लगातार कंधों पर पड़ने वाला दबाव जिम्मेदार होता है। कुछ केसेस में मसल्स के कमजोर होने या शोल्डर सॉकेट के सही आकार में न होने पर भी यह तकलीफ पनपती है, तब इसे एट्रॉमेटिक शोल्डर इनस्टेबिलिटी कहा जाता है।
    पीड़ादाई लक्षण-

    शोल्डर के इस स्थिति में आ जाने से उसकी कार्यप्रणाली बाधित हो जाती है और समस्या खड़ी हो जाती है। इसके अलावा अन्य लक्षण जो क्रॉनिक शोल्डर इनस्टेबिलिटी में नजर आते हैं, वे हैं-
    शोल्डर का कुछ विशेष स्थितियों में बार-बार अपनी जगह से खिसक जाना या ढीला महसूस होना। जैसे हाथों को सिर के ऊपर ले जाते हुए ऐसा महसूस होना



    , चिमटी काटने जैसा अहसास

    तेज दर्द
    बांहों में किसी जगह पर सुन्न् होने का अहसास होना
    कमजोर मूवमेंट और मसल्स में कमजोरी, आदि।
    उपचार से मिलती राहत
    सामान्य मामलों में कंधे का खिसक जाना कभी-कभार की घटना हो सकती है लेकिन इसका बार-बार खिसकना गंभीर समस्या का कारण बन सकता है। ऐसे में उपचार जरूरी हो जाता है। इसके लिए सर्जिकल और नॉनसर्जिकल दोनों ही तरह की उपचार पद्धतियां अपनाई जा सकती हैं। नॉनसर्जिकल तरीकों में सबसे पहले सूजन कम करने वाली दवाओं और दर्दनिवारकों के जरिए तकलीफ कम करने का लक्ष्य रखा जाता है। कई बार दर्द के काबू में आने पर कुछ विशेष इंजेक्शन भी दिए जा सकते हैं।
    साथ ही फिजियोथैरेपी की भी नियमित मदद ली जा सकती है। थैरेपीज लगभग 6-8 हफ्तों तक जारी रखी जा सकती है। सर्जरी के जरिए टूटे या खिंचे हुए लिगामेंट्स को रिपेयर करने का प्रयास किया जाता है। साथ ही सॉकेट के हिस्से को भी सुधारने की कोशिश की जाती है। सर्जरी के बाद बताए गए व्यायामों को नियमित करना फायदे को बढ़ाने में मदद करता है।
    कंधे का दर्द काफी समय तक बना रहने पर रोगी को आमतौर पर कंधे के कुछ प्रकार के व्यायाम करने की सलाह दी जाती है। और इस काम में कुछ प्रभावी थेरेपी एक्सरसाइज बेहद मददगार होती हैं।



    कंधे के थेरेपी व्यायाम-


    कंधे का दर्द काफी समय तक बना रहने पर रोगी को आमतौर पर कंधे के कुछ प्रकार के व्यायाम करने की सलाह दी जाती है। इसका उद्देश्य जितना संभव हो, कंधे को जकड़न से मुक्त करना और उसकी गतिशीलता बनाये रखना है। कुछ जटिल मामलों में जब इन सबसे फायदा नहीं होता है, तो डॉक्टर सर्जरी की सलाह भी दे सकते हैं। हालांकि सर्जरी की सलाह केवल कुछ गंभीर मामलों में ही दी जाती है। आमतौर पर तो निम्न प्रभावी थेरेपी एक्सरसाइज की मदद से ही कंधे के दर्द का उपचार हो जाता है।

    फ्रोजन शोल्डर है बड़ा कारण-

    आमतौर पर फ्रोजन शोल्डर के तीन चरण होते हैं। पहले चरण में व्यक्ति को कंधे में दर्द होने लगता है। दूसरे में उसे कंधे को हिलाने-डुलाने या कोई काम करने में परेशानी होती है। वहीं तीसरे चरण में कंधे की मूवमेंट बिल्कुल रुक जाती है। अधिकांश वृद्ध लोगों कोतो बालों में कंघी करने या कपड़े पहनने तक में परेशानी महसूस होती है। ऐसे में कप को उठाने जैसी दैनिक गतिविधियों में भी कंधे में दर्द होता है।

    आइसोमेट्रिक नेक एंड शोल्डर एक्सरसाइज-

    आइसोमेट्रिक नेक एंड शोल्डर एक्सरसाइज घर पर ही दिन में 3 से 4 बार किया जा सकता है। इसे करने के लिये सिर और गर्दन को सीधा करके बैठ जाएं। हाथों को कान के ऊपर रखें और हथेली से सिर पर दबाव डालें। सिर को हिलाए बिना ही इस प्रक्रिया को कम से कम दोनों हाथों से आठ से दस बार करें। इससे अलावा कंधों को मजबूत करने के लिए दोनों हाथों को सामने की ओर दीवार पर रखकर दीवार पर दबाव डालें। पांच से दस सेकेंड के बाद हाथों को वहां से हटा दें। आठ से दस बार इस प्रक्रिया को करें, लाभ होगा।
    समय रहते अगर इस पर ध्‍यान न दिया जाए तो कुछ समय बाद कंधे का दर्द नियमित होता जाता है। ऐसे में दर्द से तो जुझने के साथ ही साथ आपके काम में भी बाधा पहुंचने लगती है।
    कहा जाता है कि ज्यादा नमक खाना सेहत के लिए नुकसानदायक है, लेकिन यह नमक हो सकता है आपके लिए बेहद फायदेमंद। जी हां, आयुर्वेद के अनुसार सेंधा नमक स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद है, इसलिए इसे सर्वोत्तम नमक कहा गया है। सेंधा नमक में लगभग 65 प्रकार के खनिज लवण पाए जाते हैं, जो कई तरह की बीमारियों से बचाने में मददगार होते हैं।
    वहीं इसका एक बढ़ि‍या फायदा यह है कि यह पाचन के लिए फायदेमंद है। चूंकि यह पाचक रसों का निर्माण करता है, इसलिए कब्ज भी दूर करने में सहायक है। यह कोलेस्ट्रॉल कम करने में सहायक है, जिससे दिल के दौरे की संभावना को भी कम करता है। इसके अलावा हाई ब्लडप्रेशर को कंट्रोल करने में भी सेंधा नमक फायदेमंद होता है।
    तनाव अधिक होने पर सेंधा नमक का सेवन करना लाभकारी होगा, यह सेरोटोनिन और मेलाटोनिन हार्मोन्स का स्तर शरीर में बनाए रखता है, जो तनाव से लड़ने में आपकी मदद करते हैं। बढ़ती उम्र में अक्सर ही लोगों को जोड़ों में दर्द की समस्या से जुझना पड़ता है। इन जोड़ों के दर्द में सबसे ज्यादा परेशानी कंधो के दर्द को लेकर होती है।
    कई बार तो अचानक ही कंधे में असहनीय दर्द होने लगता है। लेकिन कुछ समय बाद आप पाते हैं कि कंधे का दर्द नियमित होता जा रहा है। ऐसे में दर्द से तो जुझने के साथ ही साथ आपके काम में भी बाधा पहुंचने लगती है। यह बात भी सही है कि हर किसी के लिए मंहगी डॉक्टरी इलाज का बोझ उठा पाना संभव नहीं होता है। इसलिए यहां पर हम आपको कुछ ऐसे ही आसान तरीके बता रहे हैं जिन्हें अपनाकर आप बढ़ती उम्र में होने वाले कंधे के दर्द से निजात पा सकते हैं।
    सेंधा नमक का इस्तेमाल भी कंधे के दर्द से निपटने का एक आसान सा तरीका है। पिछले काफी समय से लोग इसे उपयोग में ला रहे हैं। लेकिन यह विधि ऊपर दी गई विधियों से काफी अलग है। इसके लिए आप एक टब में हल्का गर्म पानी लेकर उसमें एक या दो कप सेंधा नमक डालें। इसके बाद उसी पानी में पंद्रह मिनट के आस-पास के लिए बैठ जायें। ध्यान रहे कि आपका कंधा भी पानी में डुबा होना चाहिए। सेंधा नमक में मैग्नीशियम सल्फेट पाया जाता है। जो प्राकृतिक रूप से दर्द को कम करके आपकी मांसपेशियों को आराम पहुंचाता है।
    कंधे में दर्द किसी भी उम्र में हो सकता है. लेकिन जो लोग लैपटॉप, टैबलेट और स्मार्टफोन पर अधिक समय बिताते हैं उन्हें कंधे में दर्द की समस्या अधिक रहती है. कुछ घरेलू नुस्खों को अपनाकर आप आसानी से कंधे के दर्द से छुटकारा पा सकते हैं.
    *कंधे के दर्द से छुटकारा पाने के लिए ठंडे पानी से सिंकाई करनी चाहिए. ये दर्द से राहत देने के लिए बहुत फायदेमंद है. एक प्लास्टिक बैग में बर्फ के टुकड़े रखकर बैग को तौलिए में लपेट लो और दर्द की जगह पर 10 से 15 मिनट तक रखों. दिनभर में कई बार और कुछ दिनों तक लगातार ऐसा ही करें. आप तौलिए को ठंडे पानी में भिगोकर भी ऐसा कर सकते हैं. ध्यान रहे, बर्फ को सीधे दर्द की जगह पर ना लगाएं.
    * ठंडे पानी से सिंकाई की तरह ही गर्म सिंकाई भी कंधे के दर्द और सूजन से राहत देती है. कंधे में यदि चोट लग जाए तो 48 घंटे बाद गर्म सेंक का इस्तेमाल करना चाहिए. इससे मसल्स का तनाव भी दूर होगा और मांसपेशियों के तनाव को दूर करने में भी मदद मिलेगी. एक बैग में गर्म पानी भरकर 10 से 15 मिनट दर्द की जगह पर लगाएं. दिनभर में कई बार और कुछ दिनों तक लगातार इसी प्रक्रिया को दोहराएं जब तक दर्द से राहत नहीं मिलती.


    * कंधे में दर्द की जगह पर दबाव बनाएं इससे कंधे की सूजन कम होगी. इलास्टिक बैन्डेज या गर्म पट्टी से कंधे पर दबाव बनाया जा सकता है. दर्द की जगह पर बैन्डेज तब तक बांधें जब तक सूजन और दर्द कम ना हो जाएं. इसके अलावा तकिए की मदद से भी कंधे को सपोर्ट किया जा सकता है. ध्यान रहे, बैन्डेज बहुत टाइट ना बांधें.

    * सेंधा नमक के पानी में नहाने से कंधे के दर्द में आराम मिलेगा. इससे मांसपेशियों का तनाव भी दूर होगा और ब्लड सरकुलेशन भी बढ़ेगा. साथ ही शरीर को भी आराम मिलेगा. बाथटब को गुनगुने पानी से भर लें. इसमें 2 चम्मच सेंधा नमक अच्छे से मिलाएं. 20 से 25 मिनट तक इस पानी में कंधे को डूबोए रखें. सप्ताह में तीन बार ऐसा करें.
    * कंधे के दर्द से राहत पाने के लिए मसाज भी की जा सकती है. मसाज के जरिए कंधे की मांसपेशियों का तनाव कम किया जा सकता है. इससे ब्लड सरकुलेशन भी ठीक रहता है और सूजन भी आसानी से कम हो जाती है. आपको किसी ऐसे व्यक्ति से मसाज करवानी चाहिए जो अच्छी मसाज कर सकें. मसाज के लिए जैतून का तेल, नारियल तेल या सरसों के तेल का इस्तेमाल किया जा सकता है. तेल को हल्का सा गर्म कर लें. इसके बाद हल्के दबाव के साथ मसाज शुरू करें. 10 मिनट मसाज के बाद गर्म तौलिये को दर्द की जगह पर रखें, इससे आपको बेहतर रिजल्ट मिलेगा. इस प्रक्रिया को दिन में कई बार, कई दिन तक दोहराएं.
    * कई बार कंधें में दर्द, मांसपेशियों की कमजोरी की वजह से होने लगता है. ऐसे में आप दर्द को दूर करने के लिए प्रोटीन, कैल्‍शियम और विटामिन का ओरली सेवन करें. इससे राहत मिलेगी.
    * दर्द होने पर भी कई लोग लगातार काम करते रहते हैं, वो काम नहीं करते हैं बल्कि अपने लिए मुसीबत खड़ी कर रहे हैं. जब भी दर्द हो, तो आराम करें. आराम करने से शरीर को राहत मिलेगी.
    * कई बार गलत तकिया लगाने से भी दर्द होने लगता है. कंधे में दर्द होने पर तकिया न लगाएं या फिर सॉफ्ट तकिया लगाएं.
    * अगर आप धूम्रपान करते हैं तो करना छोड़ दें. ऐसा करने से शरीर में रक्‍त का संचार अच्‍छी तरह होगा और दर्द जैसी कई समस्‍याओं से छुटकारा मिल जाएगा.
    * रोजमेरी का ह फूल, कंधे के दर्द में बहुत फायदा करता है. इसे उबाल कर इसका काढ़ा पीने से काफी लाभ मिलता है.
    * कंधें में दर्द होने स्‍ट्रेचिंग करें. इससे आपको दर्द में राहत महसूस होगी. लेकिन भारी वजह उठाने से बचें.

    विशिष्ट परामर्श-  

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