17.6.19

हृदय रोगों से बचने के उपाय और उपचार


हृदय रोग कई स्थितियों का वर्णन करता है जो आपके दिल को प्रभावित करती हैं। हृदय रोगों के तहत रोगों में रक्त वाहिका रोग शामिल हैं, जैसे कोरोनरी आर्टरी डिजीज, हृदय के धड़कने में समस्‍या होना और जन्मजात हृदय दोष के साथ यह बीमारी पैदा होती है। हृदय रोग आमतौर पर उन स्थितियों को संदर्भित करता है जिसमें संकुचित या अवरुद्ध रक्त वाहिकाएं होती हैं जो दिल का दौरा, सीने में दर्द (एनजाइना) या स्ट्रोक का कारण बन सकती हैं। अन्य हृदय स्थितियां, जैसे कि आपके दिल की मांसपेशियों, वाल्वों या लय को प्रभावित करती हैं, जिन्हें हृदय रोग के रूप भी माना जाता है।
हृदय रोगों से कैसे बचें
जीवन शैली में करें सकारात्मक परिवर्तन
अपने हृदय और हृदय प्रणाली को स्वस्थ रखने की दिशा में कुछ खास बदलाव करें। प्रतिदिन व्यायाम करें। ये तरीके हृदय को स्‍वस्‍थ रखते हैं और हृदय रोगों के खतरे को कम करने में मदद करते हैं। और साथ ही हृदय रोग होने की स्थिति में रोग को गंभीर होने से भी रोकते हैं। ये बदलाव करने से आपको कोई अन्य हृदय रोग होने से बचाव होगा और यदि रोग का उपचार चल रहा है तो उसमें जल्दी लाभ होने में भी सहायता होगी।
संतुलित आहार लें


एक स्वस्थ संतुलित आहार लें जिसमें सभी खाद्य समूहों से खाद्य पदार्थ शामिल होते हैं। वे भोजन जिनमें संतृप्त वसा, ट्रांस वसा और कोलेस्ट्रॉल की मात्रा अधिक होती है, वे शरीर के नुकसानदेह होते हैं। यदि आप हृदय रोगों और समस्याओं से दूर रखना चाहते हैं तो आपको एल्कोहोल का इस्तेमाल भी कम करना होगा।
अन्य स्थितियों पर नजर रखें
हृदय रोग से ग्रसित रोगी अकसर कुछ अन्य रोगों की निदान की प्रक्रियाओं जैसे मधुमेह, उच्च रक्तचाप और उच्च कोलेस्ट्रॉल आदि से भी गुजर रहे होते हैं। इन सभी को नियमित जांच और नियंत्रण कर, आप ह्रदय रोगों के जोखिम कारकों से आसानी से मुकाबला कर पायेंगे। हृदय रोग के मरीजों को चाहिए कि वे अपना रक्त चाप 140/90 से कम रखें। इससे उन्हें हृदय रोग को काबू करने में मदद मिलती है। साथ ही वे रोगी जिन्हें हृदय रोग के साथ डाइबटीज है वे अपनी शुगर की नियमित जांच भी करें।
आवश्यक दवाएं भी लें
कभी-कभी जीवन शैली में बदलाव हृदय रोगों के निदान के लिए काफी नहीं होता है। दवाएं हृदय रोग के लक्षणों के कई प्रकार के इलाज के लिए एक कारगर तरीका है। कुछ दवाएं रक्त को पतला करने तथा कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने का कार्य करती हैं। आपके लिए यह जानना आवश्यक है कि जो दवा आप ले रहे हैं वह आपके दिल की बीमारी के इलाज के लिए कैसे काम करती है। यह दवाएं नीयमित रूप से व ठीक मात्रा और समय पर ली जानी जरूरी होती हैं। अपने डॉक्टर की सलाह के बिना दवाओं का सेवन कतई बंद ना करें, ऐसा करने से आपका रोग और गंभीर हो सकता है।
*हृदय रोग वर्तमान में एक गंभीर समस्या है, लेकिन इससे बचने के लिए तरीकों एवं उपचारों की भी कोई कमी नहीं है। हृदय को स्वस्थ रखने के लिए जानिए दो ऐसे घरेलू रामबाण उपाय, जो आपके लिए मददगार साबित होंगे -



(1) 250 ग्राम घीया (लौकी) छिल्के सहित धोकर उसे कस लें। कसी हुई लौकी को या तो ग्राइंडर में अथवा सिल-बट्टे पर पीस लें। पिसी हुई लौकी का रस ग्राइंडर से अपने आप बाहर आ जाएगा फिर उसे कपड़े से छान लें। लौकी को पीसते समय तुलसी की 7 पत्तियां और पुदीने की 6 पत्तियां डालना न भूलें। घीया के रस में उतनी ही मात्रा में पानी मिला लें। पानी में 4 पिसी हुई कालीमिर्च और 1 ग्राम सेंधा नमक डाल लें। भोजन के आधे घंटे बाद सुबह-शाम और रात को 3 बार इसका सेवन करें। ध्यान रहे कि हर बार रस ताजा ही निकाला जाए। घीया का रस पेट में जो भी पाचन विकार होते हैं, उन्हें दूर कर मलद्वार से बाहर निकाल देता है, संभव है कि इसके सेवन से प्रारंभ के 3-4 दिन पेट में कुछ खलबली या गड़गड़ाहट-सी महसूस हो, परंतु बाद में सब बंद हो जाएगा।
(2) पान, लहसुन, अदरक का 1-1 चम्मच रस और 1 चम्मच शहद- इन चारों को एकसाथ मिला ले और सीधे पी जाएं। इसमें पानी मिलाने की जरूरत नहीं है। इसे दिन में एक बार सुबह और एक बार शाम को पि‍एं, और तनाव लेना बंद कर दें। दिल में कोई कठिनाई महसूस हो तो जो सामान्य दवा लेता हो, वह लेता रहे।प्रयत्न करें कि उसे लेना न पड़े। इस प्रयोग से एक हफ्ते में ही सुधार शुरू हो जाएगा और 21 दिन लेना फायदेमंद होगा।









5.4.19

वजन तेजी से कम करने के उपाय

                                                         
वजन कम करने के लिए लोगो द्वारा कई तरह के प्रयास किये जाते है| जैसे की कुछ लोग तो यह सिद्धांत बना लेते है की कम खाएंगे तो वजन कम होगा| लेकिन जब आप तेजी से वजन कम करना चाहते है, तो केवल डाइटिंग करने से बात नहीं बनेगी| और लम्बे समय तक यदि आपने डाइटिंग को अपनाया तो आप अपना वजन तो नहीं कम कर पाएंगे लेकिन हा कई सारी बीमारियाँ जरूर आपको घेर लेंगी| जल्द से जल्द वजन कम करने के लिए आपको कुछ अतिरिक्त देना होगा|
मोटापा आम तौर पर लाइफ स्टाइल की देन होती है। मोटा शरीर या फिर शरीर में फैट बिल्कुल भी अच्छा नहीं दिखता। अगर आप सिर्फ दो आदतों को रोजाना अपनाते हैं तो आप एक हफ्ते में ही तेजी से वजन घटा सकते हैं।
ये दो वो अचूक उपाय है जिसके लिए ना तो आपको जिम जाने की जरूरत है और ना ही वजन कम करनेवाली दवाइयों की। मोटापा कम करने का सबसे बड़ा सिद्धांत यही है कि आपको अपने शरीर में जमा कैलरी को उसी अनुपात में खर्च करनी होती है।
 
अपने खाने की आदत को बदलें

अगर आप एक हफ्ते के अंदर तेजी से दुबले होने या मोटापा कम करने की शुरुआत करना चाहते हैं तो आपको अपने डेली रुटीन में बदलाव लाना होगा। खाने की आदत में तब्दीली करनी होगी। हम जो खाते हैं वो हमारे शरीर को लगता है। उस प्रकार का खाना जिसमें ज्यादा शुगर, कैलोरी हो खाने से परहेज करना चाहिए। मिसाल के तौर पर बेक्ड चीजें, फ्राइड फूड, स्वीट बेवरेज को अपने आहार में शामिल करने से बचना चाहिए। इन चीजों में बहुत ज्यादा फैट होता है जिससे मोटापा बढ़ता है।

इन्हें हरगिज ना खाएं

इसका मतलब यह हुआ कि आपको केक, कुकीज, कपकेक्स, मफिंस, ब्रेड, पेस्ट्री तो बिल्कुल नहीं खाना चाहिए। साथ ही खाने में साल्टी फूड, स्नैक फूड, फ्रेंच फ्राइज, पोटैटो चिप्स को बिल्कुल भी नहीं खाना चाहिए। इसके अलावा मछली, मीट, पॉल्ट्री के ब्रेडेड प्रोडक्ट के सेवन से आपको बचना चाहिए।

संतुलित और पौष्टिक आहार ले

जैसा की हमने कहा की आप अपने वजन कम करने की राह में भूखे रहने से कामयाब नहीं हो पाएंगे| इसलिए रोज अच्छे से भोजन करे ताकि आपको व्यायाम करने के लिए भरपूर ऊर्जा मिले| रोज भोजन करने की खासियत यह की आप बीमार भी नहीं पड़ेंगे जिससे की आपको अपने लक्ष्य प्राप्ति में रुकावट भी नहीं आएगी| सादा भोजन करने के अलावा कई ऎसे खाद्य पधार्त है जो आपका वजन कम करने में सहायक है|



 तेजी से चलने की आदत डालें

घूमना, टहलना, तेजी से पैदल चलना एक ऐसा एक्सरसाइज है जिसके आपका वजन तेजी से कम होता है। इनकी मदद से आप मनचाहा रिजल्ट भी कुछ दिनों में आसानी से पा लेते हैं। महज चलने मात्र से ही आप 0.46 किलोग्राम यानी कि एक पाउंड वजन कम कर सकते हैं, लेकिन यह सब निर्भर करता है कि आप एक हफ्ते में कितना चलते हैं।
यह सच है कि आप बिना जिम जाए सिर्फ चलने से ही 9 किलो तक अपना वजन आराम से घटा सकते हैं। 10,000 कदम चलने से रोजाना आप अपने वजन में अभूतपूर्व कमी कर सकते हैं और आपको यह असर एक हफ्ते में ही दिखने लगेगा।

क्या करना चाहिए आपको

इसके लिए आप कार पार्किंग एरिया से हमेशा अपना गंतव्य दूर रखें। ताकि इसी बहाने आप पैदल चलने की आदत डाल सकेंगे। आप लिफ्ट की बजाय सीढ़ियों का सहारा लें। यानी अपने रोजाना की दिनचर्या में ही पैदल चलने की आदत डालें।
छोटी दूरियों के लिए गाड़ी लेने की आदत को छोड़ दे। हालांकि एक व्यक्ति को वजन कम करने के लिए 2000 कदम के आस-पास चलने की जरूरत होती है। आप इस बात को समझ लीजिए की एक मील में आपकी 100 कैलोरी बर्न होती है। लेकिन अगर आप 10,000 कदम थोड़े अंतराल पर भी चलने की आदत बना लेते हैं तो आपका वजन तेजी से घटना तय है और आपको इसके लिए जिम जाने की जरूरत बिल्कुल भी नहीं है।
• 1.6 किमी (1 मील) = 2000 कदम + 100 कैलोरी बर्न
• 0.45 किलोग्राम ( 1 पाउंड) = 3500 कैलोरी
• हफ्ते में 0.45 किलोग्राम (1 पाउंड) वजन कम = 500 कैलोरी बर्न रोजाना
• अगर आप 10 हजार स्टेप्स रोजाना चलेंगे तो सप्ताह में 0.45 किलोग्राम (1 पाउंड) वजन कम




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2.4.19

नींद की गोली खाने की आदत हानिकारक है ,जानें कैसे?

  


अक्सर तनाव या कोई मानसिक समस्या होने पर हम नींदकी गोली खा लेते हैं और हमें नींद भी आ जाती है। धीरे धीरे ये बड़ी परेशानी में बदल जाता है। नींद की गोली हमारे दिमाग पर बुरा असर डालती है। यह बात हम नहीं बल्कि बहुत सारे शोधों में कहीं गई है। हाल ही में एक रिसर्च में इस बात का खुलासा किया गया है कि एंटी कोलीनर्जिक युक्त गोलियां और नींद की गोली लेने से मैमरी ( याद्दाश्त) कमजोर हो जाती हैं। व्यक्ति के सोचने समझने की क्षमता बुरी तरह से प्रभावित हो जाती है। दिंमाग काफी धीमी गति से काम करता है। शोधकर्त्ताओं की मानें तो इन गोलियों के सेवन से एसेटिलकोलाइन नामक केमिकल ब्लॉक हो जाता है। वहीं, जामा न्यूरोलॉजी जर्नल में प्रकाशित शोध के मुताबिक, एसेटिलकोलाइन का स्तर कम होने से लोग डिमेंशिया समेत अन्य दिमागी बीमारी की चपेट में आ जाते हैं। यह दवाइयां एक दम से असर नहीं दिखाती ब्लकि लगभग एक माह के बाद इसका असर दिखना शुरू हो जाता है। ये नींद की दवाएं भले कुछ समय के लिए आपको आराम देती हैं लेकिन लंबे समय के लिए ये परेशानी में भी डाल सकती हैं। इस बारे में लखनऊ के न्यूरोलॉजिस्ट एके पांडेय बताते हैं, नींद की दवाइयों का सेवन करना एक सीमा तक सही होता है लेकिन गोलियों का नियमित सेवन बीमारियां बढ़ा सकता है। विश्व में नींद की दवाई लेने वाले व नींद की दवाई का सेवन नहीं करने वाले लोगों की मृत्यु स्तर में अंतर होता है, इन गोलियों के सेवन से ब्लड प्रेशर, हार्ट डिजीज का भी खतरा बना रहता है।
नींद की कोई भी दवाई लेने से पहले आप डॉक्टर से पूछ भी सकते हैं कि आपको इसे कितने समय तक लेना होगा और कितनी मात्रा में। डॉक्टर जब भी इन दवाईयों को देते हैं तो वो उन्हें एक क्रम से देते हैं ताकि आपको उनकी आदत न पड़े और उनका दुष्प्रभाव भी आप पर न हों। लेकिन आपको इन दवाईयों को लेने के अलावा, खुद को सही रखने के लिए वर्कआउट करना चाहिए और कैफीन के सेवन से बचने के लिए चाय या कॉफी को कम पीना चाहिए।



कई बार ये भी देखा जाता है कि सोने या उठने का कोई निर्धारित समय न होना भी पूरा रूटीन खराब कर देता है। जल्दी सोने और उठने की आदत डालें। ऐसा करने से आपको खुद ही अंतर दिखेगा, दिनभर ताजगी रहेगी। सुस्ती या थकान भी कम होगी। सही दिनचर्या पूरे दिनभर के काम पर असर डालती है। टीवी या मोबाइल का देर रात तक इस्तेमाल न करें नींद न आने में सबसे ज्यादा भूमिका मोबाइल, इंटरनेट और टीवी का है। इसमें इंसान देर रात तक व्यस्त रहता है और सुबह देर से उठता है ये पूरी दिनचर्या को खराब कर देता है। इसलिए कोशिश करें कि सोने का एक निश्चित समय हो और उसके हिसाब से ही सोने का माहौल बनाएं। सोते समय हमेशा मन में अच्छे और सकारात्मक विचार रखिए। सोने की जगह शांत हो और लाइट हल्की हो या बंद हो।
नशे से बचें सिगरेट, शराब या गुटखा आदि के नियमित सेवन से भी अनिद्रा की समस्या आती है। ज्यादा नशा करने और नशा न मिलने की वजह से भी नींद नहीं आती है। एल्कोहल से आपके सोने की दिनचर्या पर भी असर पड़ता है। इसे पूरे दिन चिड़चिड़ापन और थकान रहती है। रात में सोने से पहले दूध पिएं, जिससे अच्छी नींद आएगी। चाय या कॉफी का सेवन न करें चाय-कॉफ़ी को नींद का दुश्मन समझा जाता है। बहुत ज्यादा सेवन स्वास्थ्य पर बुरा असर डालता है। इसलिए रात को सोने से पहले तो चाय या कॉफी की आदत न डालें। इसके अलावा दिन में भी दो या तीन से ज्यादा बार न पिएं। तलवे की मसाज करें सोने से पहले हाथ-पैर साफ करें और फिर अपने तलवों की मसाज करें। अच्छी नींद के लिए रोज सोने से पहले इस मसाज से आपकी अनिद्रा की समस्या दूर हो जाएगी। इससे रक्त का संचार सही से होता है। व्यायाम सोने से पहले हल्के फुल्के व्यायाम करें। कुछ योग ऐसे हैं जिनसे अनिद्रा की बीमारी दूर होती है, जैसे शवासन, वज्रासन, भ्रामरी प्राणायम आदि। इन्हें नियमित रूप से करने से नींद अच्छी आती है।



12.2.19

पित्त पथरी(Gall stones) के घरेलू ,हर्बल उपचार



गाल ब्लाडर में पथरी (gallstones) बनना एक भयंकर पीडादायक रोग है। इसे ही पित्त पथरी कहते हैं। पित्ताषय में दो तरह की पथरी बनती है।
प्रथम कोलेस्ट्रोल निर्मित पथरी।
दूसरी पिग्मेन्ट से बननेवाली पथरी।
ध्यान देने योग्य है कि लगभग८०% पथरी कोलेस्ट्रोल तत्व से ही बनती हैं।वैसे तो यह रोग किसी को भी और किसी भी आयु में हो सकता है लेकिन महिलाओं में इस रोग के होने की सम्भावना पुरुषों की तुलना में लगभग दूगनी हुआ करती है।पित्त लिवर में बनता है और इसका भंडारण गाल ब्लाडर में होता है।यह पित्त वसायुक्त भोजन को पचाने में मदद करता है। जब इस पित्त में कोलेस्ट्रोल और बिलरुबिन की मात्रा ज्यादा हो जाती है,तो पथरी निर्माण के लिये उपयुक्त स्थिति बन जाती है।
पथरी रोग में मुख्य रूप से पेट के दायें हिस्से में तेज या साधारण दर्द होता है।भोजन के बाद पेट फ़ूलना,अजीर्ण होना,दर्द और उल्टी होना इस रोग के प्रमुख लक्षण हैं।
प्रेग्नेन्सी,मोटापा,मधुमेह,,अधिक बैठे रेहने की जीवन शैली, तेल घी अधिकता वाले भोजन,और शरीर में खून की कमी से पित्त पथरी रोग होने की सम्भावना बढ जाती है।
दो या अधिक बच्चों की माताओं में भी इस रोग की प्रबलता देखी जाती है।
अब मैं कुछ आसान घरेलू नुस्खे प्रस्तुत कर रहा हूं जिनका उपयोग करने से इस भंयकर रोग से होने वाली पीडा में राहत मिल जाती है और निर्दिष्ट अवधि तक इलाज जारी रखने पर ३ से ४ एम एम तक की पित्त पथरी से मुक्ति मिल जाती है।
१) गाजर और ककडी का रस प्रत्येक १०० मिलिलिटर की मात्रा में मिलाकर दिन में दो बार पीयें। अत्यन्त लाभ दायक उपचार है।
२) नींबू का रस ५० मिलिलिटर की मात्रा में सुबह खाली पेट पीयें। यह उपाय एक सप्ताह तक जारी रखना उचित है।
३) सूरजमुखी या ओलिव आईल ३० मिलि खाली पेट पीयें।इसके तत्काल बाद में १२० मिलि अन्गूर का रस या निम्बू का रस पीयें। इसे कुछ हफ़्तों तक जारी रखने पर अच्छे परिणाम मिलते हैं।
४) नाशपती का फ़ल खूब खाएं। इसमें पाये जाने वाले रसायनिक तत्व से पित्ताषय के रोग दूर होते हैं।
५) विटामिन सी याने एस्कोर्बिक एसिड के प्रयोग से शरीर का इम्युन सिस्टम मजबूत बनता है।यह कोलेस्ट्रोल को पित्त में बदल देता है। ३-४ गोली नित्य लें।
2013 में हुए एक अध्ययन के अनुसार, शरीर में भरपूर मात्रा में विटामिन सी पथरी की समस्‍या कम करता है। एक लाल शिमला मिर्च में लगभग 95 मिलीग्राम विटामिन सी होता है, यह मात्रा पथरी को रोकने के लिए काफी होती है। इसलिए अपने आहार में शिमला मिर्च को शामिल करें।।
६) पित्त पथरी रोगी भोजन में प्रचुर मात्रा में हरी सब्जीयां और फ़ल शामिल करें। ये कोलेस्ट्रोल रहित पदार्थ है।
७) तली-गली,मसालेदार चीजों का परहेज जरुरी है।
8) शराब,चाय,काफ़ी एवं शकरयुक्त पेय हानिकारक है।
९) एक बार में ज्यादा भोजन न करें। ज्यादा भोजन से अधिक मात्रा में कोलेस्ट्रोल निर्माण होगा जो हांनिकारक है।
१०) आयुर्वेद में उल्लेखित कतिपय औषधियां इस रोग में लाभदायक साबित हो सकती हैं।कुटकी चूर्ण,त्रिकटु चूर्ण,आरोग्य वर्धनी वटी,फ़लत्रिकादि चूर्ण,जैतुन का तैल ,नींबू का रस आदि औषधियां व्यवहार में लाई जाती हैं।
११) सर्जरी में पित्त पथरी नहीं निकाली जाती है बल्कि पूरे पित्ताशय को ही काटकर निकाल दिया जाता है जिसके दुष्परिणाम रोगी को जीवन भर भुगतने पड़ते हैं| अत: जहां तक हो सके औषधि से चिकित्सा करना श्रेष्ठ है|
१२) पुदीने में टेरपेन नामक प्राकृतिक तत्‍व होता है, जो पित्त से पथरी को घुलाने के लिए जाना जाता है। यह पित्त प्रवाह और अन्य पाचक रस को उत्तेजित करता है, इसलिए यह पाचन में भी सहायक होता है। पित्त की पथरी के लिए घरेलू उपाय के रूप में पुदीने की चाय का इस्‍तेमाल करें।

विशिष्ट परामर्श-


सिर्फ हर्बल चिकित्सा ही पित्ताशय की पथरी  में सफल परिणाम देती है| दामोदर चिकित्सालय रजिस्टर्ड 
98267-95656 द्वारा निर्मित  हर्बल दवा से बड़ी  साईज़ की  gallstone  में भी आश्चर्यजनक फायदा होता है| मरीज आपरेशन से बच जाता है| पथरी का भयंकर  दर्द जो बड़े अस्पतालों मे महंगे इंजेक्शन से भी बमुश्किल काबू मे आता है ,इस हर्बल औषधि की कुछेक खुराक लेते ही आराम लग जाता है|  औषधि मनी बेक गारंटीयुक्त है |






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15.1.19

हृदय रोगियों के लिए उपकारी है पोटेशियम युक्त आहार

                                        


उच्च-पोटेशियम वाले खाद्य पदार्थ किसी भी संतुलित आहार का एक अनिवार्य हिस्सा हैं। खनिज आपके शरीर के द्रव स्तर, मांसपेशियों के कार्य में सहायक और अपशिष्ट को हटाने में मदद करता है और आपके तंत्रिका तंत्र को ठीक से काम करने के लिए प्रेरित करता है। रिसर्च से पता चलता है कि उच्च रक्तचाप वाले लोगों में पोटेशियम युक्‍त फूड रक्तचाप और स्ट्रोक के जोखिम को कम कर सकता है। यहां हम आपको ऐसे ही कुछ पोटैशियम युक्‍त फूड के बारे में बता रहे हैं जिनका सेवन करना आपके लिए पूरी तरह से सुरक्षित है और स्‍वास्‍थ्‍य के लिए फायदेमंद भी है।
पोटैशियम युक्‍त  आहार 

आलू 

आलू में केले से ज्यादा पोटैशियम होता है। हैरान रह गए न आप? जी हां! एक मीडियम साइज के उबले हुए आलू में 941 मिलीग्राम पोटैशियम होता है। ये दैनिक जरूरत का लगभग 20 प्रतिशत है। लेकिन इसके लिए आलू को उबलने के बाद थोड़ा थंडा हो जाने दीजिए। आलू में मौजूद स्टार्च गठिया रोग में भी फायदेमंद होता है। आलू के अलावा शकरकंद में भी भरपूर पोटैशियम होता है।

पालक

पालक गुणों की खान है और इसमें ढेर सारे मिनरल्स औैर विटामिन्स होते हैं। पालक में पोटैशियम की मात्रा भी भरपूर होती है। एक कप पालक में लगभग 540 मिलीग्राम पोटैशियम होता है। इसके अलावा पालक आयरन और फाइबर का भी महत्वपूर्ण स्रोत है। इसलिए इसके सेवन से शरीर को कई स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं। एनीमिया में पालक के सेवन से लाभ मिलता है।

चुकंदर

चुकंदर में शरीर को फायदा पहुंचाने वाले ढेर सारे तत्व होते हैं। चुकंदर में पोटैशियम भी भरपूर पाया जाता है। एक कप चुकंदर में लगभग 518 मिलीग्राम पोटैशियम होता है जो आपकी दैनिक जरूरत का लगभग 11 प्रतिशत है। चुकंदर में आयरन भी भरपूर होता है इसलिए ये ब्लड में हीमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ाता है और एनीमिया जैसे खून की कमी वाली बीमारियों से बचाता है। 




केला 

यदि आपने किसी पोटेशियम युक्त खाद्य पदार्थ के बारे में सुना है, तो आप शायद जानते होंगे कि केले एक अच्छा स्रोत हैं, जिसमें लगभग 400 मिलीग्राम से अधिक पोटेशियम होता है। केले एक हेल्‍दी और एनर्जी स्नैक हैं। यह विटामिन बी 6 में उच्च होता है और फाइबर और विटामिन सी का एक अच्छा स्रोत है।

शकरकंद

शकरकंद में भरपूर मात्रा में पोटेशियम होता है। एक सामान्‍य आकार की शकरकंद में 694 मिलीग्राम तक पोटेशियम होता है। यह हमारी रोजमर्रा की जरूरत का 15 फीसदी होता है। इसके साथ ही इसमें कैलोरी की मात्रा भी कम होती है। एक शकरकंद में केवल 131 कैलोरी होती हैं। यानी शकरकंद का सेवन हमारी सेहत पर दोतरफा सकारात्‍मक प्रभाव डालता है। इतना ही नहीं शकरकंद में बीटा कोरटेन और विटामिन ए भी भरपूर मात्रा में होता है। इन खूबियों के कारण आप इसे सुपरफूड भी कह सकते हैं। 

संतरे का जूस

संतरे का जूस नाश्‍ते में बेहद फायदेमंद होता है। संतरे को विटामिन सी से भरपूर माना जाता है। लेकिन, इसके साथ ही इसमें भरपूर मात्रा में पोटेशियम भी होता है। इसकी सबसे अच्‍छा बात यह है कि इसे बनाना भी बेहद आसान है। और साथ ही अगर आपको संतरे को यूं ही खाना चाहें तो भी कोई दिक्‍कत नहीं। 

पत्‍तेदार सब्जियां 

यह पत्‍तेदार सब्जी न केवल विटामिन ए और विटामिन 'के' से भरपूर होती है, बल्कि साथ ही इसमें पोटेशियम भी काफी मात्रा में होता है। इसके महज आधे कप में 655 मिलीग्राम पोटेशियम होता है। इसका सेवन करने से पोषण संबंधी आपकी काफी आवश्‍यकतायें पूरी हो सकती हैं। यह सुपरफूड वीटा कोर‍टेन और विटामिन ए से भी भरपूर होता है।

खजूर

अपनी गर्म तासीर के लिए खजूर सर्दियों का खास ड्राई फूट होता है। मूल रूप से मध्‍य एशिया का खजूर स्‍वाद में तो लाजवाब होता ही है साथ ही इसके कई स्‍वास्‍थ्‍य लाभ भी होते हैं। आधा कप खजूर में 584 मिलीग्राम पोटेशियम होता है। खजूर को आप दूध के साथ भी खा सकते हैं। 

टमाटर

टमाटर सलाद से लेकर सब्‍जी तक में इस्‍तेमाल किया जाता है। लाल टमाटर भारत के सतरंगी भोजन का अहम हिस्‍सा है। चौथाई कप टमाटर पेस्‍ट में 2.8 मिलीग्राम विटामिन ई होता है। यह हमारी रोजमर्रा की जरूरत का पांचवां हिस्‍सा होता है। इसके साथ ही इसमें 664 मिलीग्राम पोटेशियम, 34 मिलीग्राम लिकोपिन और 54 कैलोरी होती हैं। अपनी इन खूबियों के कारण इसे सुपरफूड भी कहा जा सकता है। 

दही

दही में कई पोषक तत्‍व होते हैं। इसमें कैल्श्यिम भी भरपूर मात्रा में होता है, जो हमारी हड्डियों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। लेकिन, शायद आपको यह न पता हो कि दही में पोटेशियम भी प्रचुर मात्रा में होता है। करीब 220 ग्राम नॉन-फैट दही में 579 मिलीग्राम तक पोटेशियम होता है।
  • पायरिया के घरेलू इलाज
  • चेहरे के तिल और मस्से इलाज
  • लाल मिर्च के औषधीय गुण
  • लाल प्याज से थायराईड का इलाज
  • जमालगोटा के औषधीय प्रयोग
  • एसिडिटी के घरेलू उपचार
  • नींबू व जीरा से वजन घटाएँ
  • सांस फूलने के उपचार
  • कत्था के चिकित्सा लाभ
  • गांठ गलाने के उपचार
  • चौलाई ,चंदलोई,खाटीभाजी सब्जी के स्वास्थ्य लाभ
  • मसूड़ों के सूजन के घरेलू उपचार
  • अनार खाने के स्वास्थ्य लाभ
  • इसबगोल के औषधीय उपयोग
  • अश्वगंधा के फायदे
  • लकवा की चमत्कारी आयुर्वेदिक औषधि वृहत वात चिंतामणि रस
  • मर्द को लंबी रेस का घोडा बनाने के अद्भुत नुस्खे
  • सदाबहार पौधे के चिकित्सा लाभ
  • कान बहने की समस्या के उपचार
  • पेट की सूजन गेस्ट्राईटिस के घरेलू उपचार
  • पैर के तलवों में जलन को दूर करने के घरेलू आयुर्वेदिक उपचार
  • लकवा (पक्षाघात) के आयुर्वेदिक घरेलू नुस्खे
  • डेंगूबुखार के आयुर्वेदिक नुस्खे
  • काला नमक और सेंधा नमक मे अंतर और फायदे
  • हर्निया, आंत उतरना ,आंत्रवृद्धि के आयुर्वेदिक उपचार
  • पाइल्स (बवासीर) के घरेलू आयुर्वेदिक नुस्खे
  • चिकनगुनिया के घरेलू उपचार
  • चिरायता के चिकित्सा -लाभ
  • ज्यादा पसीना होने के के घरेलू आयुर्वेदिक उपचार
  • पायरिया रोग के आयुर्वेदिक उपचार
  • व्हीटग्रास (गेहूं के जवारे) के रस और पाउडर के फायदे
  • घुटनों के दर्द को दूर करने के रामबाण उपाय
  • चेहरे के तिल और मस्से हटाने के उपचार
  • अस्थमा के कारण, लक्षण, उपचार और घरेलू नुस्खे
  • वृक्क अकर्मण्यता(kidney Failure) की रामबाण हर्बल औषधि
  • शहद के इतने सारे फायदे नहीं जानते होंगे आप!
  • वजन कम करने के उपचार
  • केले के स्वास्थ्य लाभ



  • 9.9.18

    कंधे के दर्द,सूजन से मुक्ति पाने के उपाय

                                                           


    मनुष्य के शरीर में सभी हिस्से टीम की तरह काम करते हैं। ऐसे में किसी भी एक हिस्से में होने वाली तकलीफ पूरे शरीर को पीड़ा से भर देती है। कंधे का डिसलोकेट हो जाना भी ऐसी ही एक तकलीफ है। जब यह तकलीफ बढ़ जाती है तो गंभीर रूप ले सकती है। समय पर होने वाला इलाज इसमें काफी राहत मिल सकती है।
    हमारे शरीर में कंधे सबसे ज्यादा मूव करने वाले जोड़ के रूप में उपस्थित होते हैं। ये खुद कई दिशाओं में घूमने के साथ ही बांहों को घुमा सकता है, उन्हें सिर तक ऊंचा कर सकता है और आस-पास फैलाने में मदद कर सकता है। ऐसे में कंधे के डिसलोकेट होने से कई सारी गतिविधियों पर रोक लग सकती है। साथ ही तेज दर्द भी हो सकता है। ऐसा कई कारणों से हो सकता है, लेकिन त्वरित उपचार और सही तरीकों से इसे कंट्रोल में किया जा सकता है।
    हमारे कंधे तीन हड्डियों से मिलकर बने होते हैं। ऊपरी बांहों की हड्डी यानी ह्यूमरस, शोल्डर ब्लेड स्कैप्युला तथा कॉलरबोन क्लेविकल। ह्यूमरस का बॉलनुमा सिर, शोल्डर ब्लेड के एक खांचे जैसे सॉकेट 'ग्लेनॉइड' में फिट हो जाता है और इसके आस-पास मौजूद टिशूज इस बॉल को खांचे में फिट बनाए रखने में मदद करते हैं। जब किसी कारण से यह बॉल, सॉकेट से बाहर निकल आती है तो शोल्डर डिसलोकेट हो जाता है और ऐसी हालत में वह अपनी पकड़ स्थाई नहीं रख पाता और बार-बार डिसलोकेट होने लगता है।
    इस स्थिति को क्रॉनिक शोल्डर इनस्टेबिलिटी कहते हैं। ज्यादातर मामलों में इसके पीछे कोई चोट या लगातार कंधों पर पड़ने वाला दबाव जिम्मेदार होता है। कुछ केसेस में मसल्स के कमजोर होने या शोल्डर सॉकेट के सही आकार में न होने पर भी यह तकलीफ पनपती है, तब इसे एट्रॉमेटिक शोल्डर इनस्टेबिलिटी कहा जाता है।
    पीड़ादाई लक्षण-

    शोल्डर के इस स्थिति में आ जाने से उसकी कार्यप्रणाली बाधित हो जाती है और समस्या खड़ी हो जाती है। इसके अलावा अन्य लक्षण जो क्रॉनिक शोल्डर इनस्टेबिलिटी में नजर आते हैं, वे हैं-
    शोल्डर का कुछ विशेष स्थितियों में बार-बार अपनी जगह से खिसक जाना या ढीला महसूस होना। जैसे हाथों को सिर के ऊपर ले जाते हुए ऐसा महसूस होना



    , चिमटी काटने जैसा अहसास

    तेज दर्द
    बांहों में किसी जगह पर सुन्न् होने का अहसास होना
    कमजोर मूवमेंट और मसल्स में कमजोरी, आदि।
    उपचार से मिलती राहत
    सामान्य मामलों में कंधे का खिसक जाना कभी-कभार की घटना हो सकती है लेकिन इसका बार-बार खिसकना गंभीर समस्या का कारण बन सकता है। ऐसे में उपचार जरूरी हो जाता है। इसके लिए सर्जिकल और नॉनसर्जिकल दोनों ही तरह की उपचार पद्धतियां अपनाई जा सकती हैं। नॉनसर्जिकल तरीकों में सबसे पहले सूजन कम करने वाली दवाओं और दर्दनिवारकों के जरिए तकलीफ कम करने का लक्ष्य रखा जाता है। कई बार दर्द के काबू में आने पर कुछ विशेष इंजेक्शन भी दिए जा सकते हैं।
    साथ ही फिजियोथैरेपी की भी नियमित मदद ली जा सकती है। थैरेपीज लगभग 6-8 हफ्तों तक जारी रखी जा सकती है। सर्जरी के जरिए टूटे या खिंचे हुए लिगामेंट्स को रिपेयर करने का प्रयास किया जाता है। साथ ही सॉकेट के हिस्से को भी सुधारने की कोशिश की जाती है। सर्जरी के बाद बताए गए व्यायामों को नियमित करना फायदे को बढ़ाने में मदद करता है।
    कंधे का दर्द काफी समय तक बना रहने पर रोगी को आमतौर पर कंधे के कुछ प्रकार के व्यायाम करने की सलाह दी जाती है। और इस काम में कुछ प्रभावी थेरेपी एक्सरसाइज बेहद मददगार होती हैं।



    कंधे के थेरेपी व्यायाम-


    कंधे का दर्द काफी समय तक बना रहने पर रोगी को आमतौर पर कंधे के कुछ प्रकार के व्यायाम करने की सलाह दी जाती है। इसका उद्देश्य जितना संभव हो, कंधे को जकड़न से मुक्त करना और उसकी गतिशीलता बनाये रखना है। कुछ जटिल मामलों में जब इन सबसे फायदा नहीं होता है, तो डॉक्टर सर्जरी की सलाह भी दे सकते हैं। हालांकि सर्जरी की सलाह केवल कुछ गंभीर मामलों में ही दी जाती है। आमतौर पर तो निम्न प्रभावी थेरेपी एक्सरसाइज की मदद से ही कंधे के दर्द का उपचार हो जाता है।

    फ्रोजन शोल्डर है बड़ा कारण-

    आमतौर पर फ्रोजन शोल्डर के तीन चरण होते हैं। पहले चरण में व्यक्ति को कंधे में दर्द होने लगता है। दूसरे में उसे कंधे को हिलाने-डुलाने या कोई काम करने में परेशानी होती है। वहीं तीसरे चरण में कंधे की मूवमेंट बिल्कुल रुक जाती है। अधिकांश वृद्ध लोगों कोतो बालों में कंघी करने या कपड़े पहनने तक में परेशानी महसूस होती है। ऐसे में कप को उठाने जैसी दैनिक गतिविधियों में भी कंधे में दर्द होता है।

    आइसोमेट्रिक नेक एंड शोल्डर एक्सरसाइज-

    आइसोमेट्रिक नेक एंड शोल्डर एक्सरसाइज घर पर ही दिन में 3 से 4 बार किया जा सकता है। इसे करने के लिये सिर और गर्दन को सीधा करके बैठ जाएं। हाथों को कान के ऊपर रखें और हथेली से सिर पर दबाव डालें। सिर को हिलाए बिना ही इस प्रक्रिया को कम से कम दोनों हाथों से आठ से दस बार करें। इससे अलावा कंधों को मजबूत करने के लिए दोनों हाथों को सामने की ओर दीवार पर रखकर दीवार पर दबाव डालें। पांच से दस सेकेंड के बाद हाथों को वहां से हटा दें। आठ से दस बार इस प्रक्रिया को करें, लाभ होगा।
    समय रहते अगर इस पर ध्‍यान न दिया जाए तो कुछ समय बाद कंधे का दर्द नियमित होता जाता है। ऐसे में दर्द से तो जुझने के साथ ही साथ आपके काम में भी बाधा पहुंचने लगती है।
    कहा जाता है कि ज्यादा नमक खाना सेहत के लिए नुकसानदायक है, लेकिन यह नमक हो सकता है आपके लिए बेहद फायदेमंद। जी हां, आयुर्वेद के अनुसार सेंधा नमक स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद है, इसलिए इसे सर्वोत्तम नमक कहा गया है। सेंधा नमक में लगभग 65 प्रकार के खनिज लवण पाए जाते हैं, जो कई तरह की बीमारियों से बचाने में मददगार होते हैं।
    वहीं इसका एक बढ़ि‍या फायदा यह है कि यह पाचन के लिए फायदेमंद है। चूंकि यह पाचक रसों का निर्माण करता है, इसलिए कब्ज भी दूर करने में सहायक है। यह कोलेस्ट्रॉल कम करने में सहायक है, जिससे दिल के दौरे की संभावना को भी कम करता है। इसके अलावा हाई ब्लडप्रेशर को कंट्रोल करने में भी सेंधा नमक फायदेमंद होता है।
    तनाव अधिक होने पर सेंधा नमक का सेवन करना लाभकारी होगा, यह सेरोटोनिन और मेलाटोनिन हार्मोन्स का स्तर शरीर में बनाए रखता है, जो तनाव से लड़ने में आपकी मदद करते हैं। बढ़ती उम्र में अक्सर ही लोगों को जोड़ों में दर्द की समस्या से जुझना पड़ता है। इन जोड़ों के दर्द में सबसे ज्यादा परेशानी कंधो के दर्द को लेकर होती है।
    कई बार तो अचानक ही कंधे में असहनीय दर्द होने लगता है। लेकिन कुछ समय बाद आप पाते हैं कि कंधे का दर्द नियमित होता जा रहा है। ऐसे में दर्द से तो जुझने के साथ ही साथ आपके काम में भी बाधा पहुंचने लगती है। यह बात भी सही है कि हर किसी के लिए मंहगी डॉक्टरी इलाज का बोझ उठा पाना संभव नहीं होता है। इसलिए यहां पर हम आपको कुछ ऐसे ही आसान तरीके बता रहे हैं जिन्हें अपनाकर आप बढ़ती उम्र में होने वाले कंधे के दर्द से निजात पा सकते हैं।
    सेंधा नमक का इस्तेमाल भी कंधे के दर्द से निपटने का एक आसान सा तरीका है। पिछले काफी समय से लोग इसे उपयोग में ला रहे हैं। लेकिन यह विधि ऊपर दी गई विधियों से काफी अलग है। इसके लिए आप एक टब में हल्का गर्म पानी लेकर उसमें एक या दो कप सेंधा नमक डालें। इसके बाद उसी पानी में पंद्रह मिनट के आस-पास के लिए बैठ जायें। ध्यान रहे कि आपका कंधा भी पानी में डुबा होना चाहिए। सेंधा नमक में मैग्नीशियम सल्फेट पाया जाता है। जो प्राकृतिक रूप से दर्द को कम करके आपकी मांसपेशियों को आराम पहुंचाता है।
    कंधे में दर्द किसी भी उम्र में हो सकता है. लेकिन जो लोग लैपटॉप, टैबलेट और स्मार्टफोन पर अधिक समय बिताते हैं उन्हें कंधे में दर्द की समस्या अधिक रहती है. कुछ घरेलू नुस्खों को अपनाकर आप आसानी से कंधे के दर्द से छुटकारा पा सकते हैं.
    *कंधे के दर्द से छुटकारा पाने के लिए ठंडे पानी से सिंकाई करनी चाहिए. ये दर्द से राहत देने के लिए बहुत फायदेमंद है. एक प्लास्टिक बैग में बर्फ के टुकड़े रखकर बैग को तौलिए में लपेट लो और दर्द की जगह पर 10 से 15 मिनट तक रखों. दिनभर में कई बार और कुछ दिनों तक लगातार ऐसा ही करें. आप तौलिए को ठंडे पानी में भिगोकर भी ऐसा कर सकते हैं. ध्यान रहे, बर्फ को सीधे दर्द की जगह पर ना लगाएं.
    * ठंडे पानी से सिंकाई की तरह ही गर्म सिंकाई भी कंधे के दर्द और सूजन से राहत देती है. कंधे में यदि चोट लग जाए तो 48 घंटे बाद गर्म सेंक का इस्तेमाल करना चाहिए. इससे मसल्स का तनाव भी दूर होगा और मांसपेशियों के तनाव को दूर करने में भी मदद मिलेगी. एक बैग में गर्म पानी भरकर 10 से 15 मिनट दर्द की जगह पर लगाएं. दिनभर में कई बार और कुछ दिनों तक लगातार इसी प्रक्रिया को दोहराएं जब तक दर्द से राहत नहीं मिलती.


    * कंधे में दर्द की जगह पर दबाव बनाएं इससे कंधे की सूजन कम होगी. इलास्टिक बैन्डेज या गर्म पट्टी से कंधे पर दबाव बनाया जा सकता है. दर्द की जगह पर बैन्डेज तब तक बांधें जब तक सूजन और दर्द कम ना हो जाएं. इसके अलावा तकिए की मदद से भी कंधे को सपोर्ट किया जा सकता है. ध्यान रहे, बैन्डेज बहुत टाइट ना बांधें.

    * सेंधा नमक के पानी में नहाने से कंधे के दर्द में आराम मिलेगा. इससे मांसपेशियों का तनाव भी दूर होगा और ब्लड सरकुलेशन भी बढ़ेगा. साथ ही शरीर को भी आराम मिलेगा. बाथटब को गुनगुने पानी से भर लें. इसमें 2 चम्मच सेंधा नमक अच्छे से मिलाएं. 20 से 25 मिनट तक इस पानी में कंधे को डूबोए रखें. सप्ताह में तीन बार ऐसा करें.
    * कंधे के दर्द से राहत पाने के लिए मसाज भी की जा सकती है. मसाज के जरिए कंधे की मांसपेशियों का तनाव कम किया जा सकता है. इससे ब्लड सरकुलेशन भी ठीक रहता है और सूजन भी आसानी से कम हो जाती है. आपको किसी ऐसे व्यक्ति से मसाज करवानी चाहिए जो अच्छी मसाज कर सकें. मसाज के लिए जैतून का तेल, नारियल तेल या सरसों के तेल का इस्तेमाल किया जा सकता है. तेल को हल्का सा गर्म कर लें. इसके बाद हल्के दबाव के साथ मसाज शुरू करें. 10 मिनट मसाज के बाद गर्म तौलिये को दर्द की जगह पर रखें, इससे आपको बेहतर रिजल्ट मिलेगा. इस प्रक्रिया को दिन में कई बार, कई दिन तक दोहराएं.
    * कई बार कंधें में दर्द, मांसपेशियों की कमजोरी की वजह से होने लगता है. ऐसे में आप दर्द को दूर करने के लिए प्रोटीन, कैल्‍शियम और विटामिन का ओरली सेवन करें. इससे राहत मिलेगी.
    * दर्द होने पर भी कई लोग लगातार काम करते रहते हैं, वो काम नहीं करते हैं बल्कि अपने लिए मुसीबत खड़ी कर रहे हैं. जब भी दर्द हो, तो आराम करें. आराम करने से शरीर को राहत मिलेगी.
    * कई बार गलत तकिया लगाने से भी दर्द होने लगता है. कंधे में दर्द होने पर तकिया न लगाएं या फिर सॉफ्ट तकिया लगाएं.
    * अगर आप धूम्रपान करते हैं तो करना छोड़ दें. ऐसा करने से शरीर में रक्‍त का संचार अच्‍छी तरह होगा और दर्द जैसी कई समस्‍याओं से छुटकारा मिल जाएगा.
    * रोजमेरी का ह फूल, कंधे के दर्द में बहुत फायदा करता है. इसे उबाल कर इसका काढ़ा पीने से काफी लाभ मिलता है.
    * कंधें में दर्द होने स्‍ट्रेचिंग करें. इससे आपको दर्द में राहत महसूस होगी. लेकिन भारी वजह उठाने से बचें.

    विशिष्ट परामर्श-  

    संधिवात,कमरदर्द,गठिया, साईटिका ,घुटनो का दर्द,  कंधे का दर्द   आदि वात     जन्य रोगों में जड़ी - बूटी निर्मित हर्बल औषधि ही अधिकतम प्रभावकारी सिद्ध होती है| रोग को जड़ से निर्मूलन करती है|औषधि से बिस्तर पकड़े पुराने रोगी भी दर्द मुक्त गतिशीलता हासिल करते हैं| औषधि के लिए वैध्य श्री दामोदर से 98267-95656 पर संपर्क कर सकते हैं| 






    1.9.18

    पैरों के दर्द के आयुर्वेदिक घरेलू उपचार

                                                                        


         हम में से जादातर लोगो को कभी न कभी पैर में दर्द की शिकायत होती है कभी अचानक तो कभी रुक-रुक कर पैर में दर्द होने लगता है। पैर में दर्द के कई कारण हो सकते हैं, मसलन मांसपेशियों में सिकुड़न, मसल्स की थकान, ज्यादा वॉक करना, एक्सरसाइज, स्ट्रेस, ब्लड क्लॉटिंग की वजह से बनी गांठ, घुटनों, हिप्स व पैरों में सही ब्लड सर्कुलेशन न होना, पानी की कमी, खाने में कैल्शियम व पोटेशियम जैसे मिनरल्स और विटामिंस की कमी, किसी प्रकार की गहरी चोट होना, किसी प्रकार का संक्रमण या बीमारी होने के कारण आदि। कई बार शरीर की हड्डियां कमजोर होने से भी पैरों में दर्द की शिकायत हो जाती है।
    हमारे पैर हड्डियों, लिगामेंट्स, टेंडन्स (ligament, tendons) और मांसपेशियों से बने होते हैं। इन चारो का सही से काम न करना पैर में दर्द का कारण बनता है जब भी हम खड़े होते है या चलते है तो हमारे पैरों पर दबाव पड़ता है, जिसकी वजह से पैर में दर्द होना आम बात है।



    पैर के एक या एक से अधिक हिस्सों में होने वाले किसी भी दर्द या परेशानी को पैर दर्द कहा जाता है। पैर के इन हिस्सों में निम्न शामिल हो सकते हैं –
    पैर की उंगलियाँ में दर्द
    एड़ियां में दर्द
    आर्च तलवे की एड़ी और पंजे के बीच के भाग ने दर्द
    तलवे में दर्द आदि
    यह दर्द कम और जादा भी हो सकता है। जादातर पैरों का दर्द जल्दी ठीक हो जाता है, परन्तु कभी-कभी यह समस्या लम्बे समय तक रह सकती है।
    *अगर आपका दर्द लम्बे समय से है और किसी भी तरीके से आराम नहीं लग रहा है तो आपको डॉक्टर से पैर दर्द की जांच करनी चाहिए, खासकर जब यह किसी चोट के कारण शुरू होता है। कई बार चोट का असर बाहर नहीं दीखता है पर अंदरूनी मांशपेशियो पर इस चोट का असर होता है जो बाद में दर्द का कारण बनता है
    इंसान के पैर में कुल 26 हड्डियां होती हैं। इसमें से एड़ी की हड्डी (कैलकेनियस) सबसे बड़ी होती है। इंसान की एड़ी की हड्डी को कुदरती रूप से शरीर का वजन उठाने और संतुलन के उद्देश्‍य से तैयार किया गया है। जब हम पैदल चलते या दौड़ते हैं तो यह उस दबाव को झेलती है जो पैर के जमीन पर पड़ने के बाद उत्‍पन्‍न होता है। और इसके साथ ही यह हमें अगले कदम की ओर धकेलती भी है। आइये जानते है पैर में दर्द से बचने के कुछ आसान उपायों के बारे में-



    *हॉट एंड कोल्‍ड वॉटर थेरेपी पैर में दर्द के इलाज के लिए एक कारगर तरीका है। गर्म पानी ट्रीटमेंट ब्‍लड फ्लों को बढ़ावा देने और ठंडा पानी से ट्रीटमेंट सूजन को कम करने में मदद करता है। दो पानी की बाल्‍टी लें एक में ठंडा पानी और दूसरें में सहने करने योग्‍य गर्म पानी डालें। अपने पैरों को तीन मिनट गर्म पानी की बाल्‍टी में डालें और तीन मिनट के बाद अपने पैरों को 10 सेकंड के लिए ठंडे पानी की बाल्‍टी में डालें। इस प्रक्रिया को 2-3 बार दोहराये। लेकिन ध्‍यान रहें कि आप गर्म पानी से शुरूआत और ठंडे पानी पर समाप्‍त करें। आप पैरों में दर्द को कम करने के लिए 10 मिनट के लिए बारी-बारी गर्म और ठंडा पैक भी लगा सकते हैं।
    *सेंधा नमक एक और प्रभावी घरेलू उपाय है, जो पैरों के दर्द से तत्‍काल राहत प्रदान करने में मदद करता है। गर्म पानी के एक टब में 2-3 बड़े चम्‍मच सेंधा नमक के मिलाकर, इसमें अपने पैरों को 10 से 15 मिनट के लिए डालें। फिर अपने पैरों को ड्राईनेस से बचाने के लिए उनपर मॉश्‍चराइजर लगाये।
    लौंग का तेल सिरदर्द, जोड़ों के दर्द, एथलीट फुट, नेल फंगस और पैरों के दर्द को दूर करने वाला एक अद्भुत तेल है। तुरंत राहत पाने के लिए लौंग के तेल का इस्‍तेमाल पैरों में धीरे-धीरे मालिश करने के लिए करें। मसाज रक्‍त के प्रवाह को उत्‍तेजित करता है और मांसपेशियों को आराम देता है। पैरों में दर्द की समस्या से जल्‍द राहत पाने के लिए एक दिन में कई बार मालिश करें।
    *सरसों के बीज का इस्‍तेमाल शरीर से विषाक्त पानी निकालने, रक्त परिसंचरण में सुधार करने और सूजन को कम करके पैर में दर्द के उपचार के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। कुछ सरसों के बीज लेकर, पीस लें और फिर इन्‍हें गर्म पानी की एक बाल्टी में मिलाये। अपने पैरों को इस पानी में 10 से 15 मिनट के लिए डालें।
    *अगर आपको दबाव, मोच या चोट के कारण पैरों में दर्द का अनुभव हो रहा हैं, तो आप परेशानी से राहत पाने के लिए तेजपात का इस्‍तेमाल कर सकते हैं। इसके अलावा यह पैरों की दुर्गंध को दूर करने में मदद करता है। एक कप सेब के सिरके में एक मुट्ठी तेजपात मिलाकर कुछ मिनट के लिए उबाल लें। अब सूती कपड़े की मदद से दर्द वाले हिस्‍से पर लगाये। पैर में दर्द ठीक होने तक इस उपाय को दनि में कई बार दोहराये।
    *अगर आपकी मांस-पेशियों में किसी तरह की तकलीफ है और वही दर्द की वजह है तो मसाज करना फायदेमंद रहेगा. आप चाहें तो मसाज करने के लिए ऑलिव ऑयल या नारियल तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं. दिन में दो से तीन बार मसाज करना फायदेमंद होगा.
    *पैर के दर्द से छुटकारा पाने के लिए हल्दी का इस्तेमाल करना भी फायदेमंद होता है. हल्दी में एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेट्री गुण पाया जाता है. हल्दी में मिलने वाला करक्यूमिन नाम का यौगिक दर्द को कम करने में बहुत फायदेमंद होता है.


    *अपनी एड़ी को आराम दें और उस पर ज्यादा वजन ना डालें।
    किसी भी एथलीट एक्टिविटी से पहले स्‍ट्रेचिंग व्‍यायाम जरूर करें। क्योंकि आपके पैर का संतुलन बनाएं रखने के लिए जरूरी व्‍यायाम आपकी मदद कर सकते हैं।
    *अच्‍छी क्‍वालिटी के जूते पहनें जो आपके खेल और पैरों के लिहाज से अनुकूल हों।
    कई लोग पैर की एड़ी में दर्द होने पर भी तेजी से चलते या दौड़ते हैं। इसलिए अचानक तेज गति से न मुड़ें। अन्यथा स्थिति गंभीर भी हो सकती है।
    *दौड़, साइक्लिंग और स्‍वमिंग आदि से पैरों और टांगों को मजबूती प्रदान करने वाले व्‍यायाम करें। प्रभावित हिस्से को रगड़ से बचाने के लिए फुट पैड का उपयोग करें
    *जिस पैर में दर्द हो रहा है, उसे थोड़ा ऊपर उठाकर रखें
    *अपने पैर को जितना संभव हो, उतना आराम दें





    31.8.18

    नशा मुक्ति के उपाय:शराब,गाँजा,भांग,बीड़ी,सिगरेट की लत कैसे छोड़ें?


                                       

        किसी भी चीज़ की अधिकता हमारा नुकसान ही करती है, फिर चाहे वह मानसिक हो या शारीरिक नुकसान। नशा एक ऐसी चीज है जिसे यदि जरूरत से अधिक लिया जाए तो यह हमारे शरीर को अंदर से खोखला करने लगती है। वैसे सीमित मात्रा में नशा करने के भी नुकसान हैं, किंतु जैसे ही सीमा बढ़ा दी जाए इसके नकारात्मक प्रभाव कई गुणा बढ़ जाते हैं।
    जब तक लोगों को इसके बुरे होने की बात समझ आने लगती है तब तक काफी देर हो चुकी होती है, शरीर विभिन्न बीमारियों की चपेट में आ जाता है। लेकिन अगर समय से इलाज कर लिया जाए तो बचाव किया जा सकता है।
    आज हम आपको नशा छोड़ने से संबंधित एक अचूक उपाय बताने जा रहे हैं। यह एक प्रकार की दवा है जो हर तरह का नशा छुड़ाने में सहायक सिद्ध होती है। नशा चाहे कोई भी - शराब, गुटखा, तम्बाकू आदि, किसी भी तरह के नशे से छुटकारा पाया जा सकता है।
    इस दवा को तैयार करने के लिए सबसे पहले अदरक के छोटे-छोटे टुकड़े काट लें। अब इन पर सेंधा नमक डालें और साथ ही नीम्बू निचोड़ दें।
    अंत में टुकड़ों को धूप में सूखने के लिए रख दें। जब टुकड़े सूख जाएं तो इन्हें एक डिब्बे में रख लें। लीजिए बन गई नशा छुड़ाने की दवा
    अब जब भी किसी नशे की लत लगे तो ये टुकड़ा निकालें और चूसते रहें। ये अदरक मुंह में घुलती नहीं है और इसे आप सुबह से शाम तक मुंह में रख सकते हैं, यकीन मानिए कि किसी दूसरे नशे को करने का मन भी नहीं करेगा।



    इसके पीछे एक ठोस कारण है... दरअसल नशा युक्त पदार्थों में भारी मात्रा में सल्फर पाया जाता है और अदरक से बनाई गई यह दवा सल्फर युक्त होती है। इसलिए जैसे ही शरीर को सल्फर की मात्रा मिल जाएगी, किसी अन्य नशे को करने का मन नहीं करेगा।

    नशा उतारने के तरीके
    नशा करने वाले व्यक्ति का मानसिक संतुलन बिगड़ जाता है उसे सही गलत का होश नहीं रहता। नशे में व्यक्ति की हरकतें बर्दाश्त के बाहर हो जाती है। इस कारण से दूसरे लोग बहुत परेशान हो जाते है। ऐसे में नशा उतारना जरुरी हो जाता है।
    नशा उतारने के उपाय इस प्रकार है :
    शराब का नशा उतारने का तरीका – 
    * एक कप पानी में एक नीम्बू का रस मिलाकर कर हर दस मिनट में पिलाएं।
    *सेब ( apple ) का जूस पिलाएं।
    * सिर पर ठण्डा पानी डालें।
    * अमरुद खिलाएं।
    * एक गिलास पानी में इमली को भिगोकर मसलकर छान लें। इसमें गुड़ मिलाकर पिलायें।
    *पिसा हुआ धनिया और शक्कर मिलाकर खिलाएं।
    * दो चम्मच देसी घी में दो चम्मच शक्कर मिलाकर खिलाएं।
    भांग का नशा उतारने का तरीका
    * एक गिलास पानी में इमली को भिगोकर मसलकर छान लें। इसमें गुड़ मिलाकर पिलायें।
    * एक गिलास छाछ पिलाएं।
    * एक कटोरी दही खिला दें।
    * नीम्बू का अचार खिलाएं।
    *अमरुद खिलाएं।
    * जामुन के पेड़ की कोमल पत्ती खिलाएं।
    अफीम का नशा उतारने का तरीका –
    * गुनगुने पानी में या छाछ में शुद्ध हींग मिलाकर पिलाएं।
    * हर एक घंटे से एक कप दूध पिलाएं।
    * पानी में थोड़ी फिटकरी मिलाकर पिलाएं।


    * उल्टी कराएँ और सोने मत दें।

    गांजे का नशा उतारने का तरीका – 
    *पोदीने का रस पिलाएं।
    *एक गिलास पानी में इमली को भिगोकर मसलकर छान लें। इसमें गुड़ मिलाकर पिलायें।
    *देसी घी पिलाएं।
    सभी प्रकार के नशे उतारने का तरीका
    *अगूर के रस में नमक , जीरा , कालीमिर्च डालकर पिलाने से हर प्रकार का नशा उतर जाता है।
    * ढाक ( पलाश , केसु ) के पत्ते के दो तीन डंठल मुंह में लेकर चबाने से हर प्रकार का नशा उतर जाता है। ये डंठल पानी के साथ पीस कर छान कर पिलाने से भी नशा उतर जाता है।
    *प्याज का रस पिलाने से हर प्रकार का नशा कम हो जाता है।
    शराब छुड़ाने के घरेलु उपाय
    चार गिलास पानी ( लगभग एक लीटर ) कांच के बर्तन में लें। इसमें 100 ग्राम नई देसी अजवायन दरदरी पीस कर भिगो दें। इसे दो दिन भीगने दें। अब इसे धीमी आंच पर उबालें। पानी एक गिलास जितना रह जाये तब उतार कर ठण्डा कर ले।
    अगले दिन थोड़ा मसल कर छान लें। इसे एक शीशी में भर लें। जब भी शराब पीने की इच्छा हो तो इसमें से चार पाँच चम्मच पी लें। एक महीने तक इस तरह ये पानी पीने से शराब की लत sharab ki lat छूट जाती है। थोड़ी इच्छा शक्ति भी मजबूत रखें।
    दिन में तीन चार बार उबले हुए सेव खाने से शराब के प्रति घृणा उत्पन्न हो जाती है और शराब पीने की आदत छूट जाती है।
    सेव का रस तीन चार बार पीने और सेव अधिक खाने से शराब पीने की तलब नहीं लगती और शराब छोड़ना आसान हो जाता है।
    सिगरेट बीड़ी तम्बाकू छुड़ाने के उपाय – 
    50 ग्राम अजवायन , 50 ग्राम सौंफ और 25 ग्राम काला नमक मिलाकर बारीक पीस लें। इसमें चार चम्मच नीम्बू का रस मिलाकर रात भर के लिए रख दें। अगले दिन सुबह इस चूर्ण को गर्म तवे पर थोड़ा सूखा लें।
    इसे एक शीशी में भर लें। जब भी तम्बाकू या सिगरेट की तलब लगे तो ये चूर्ण थोड़ा सा मुँह में डाल कर चूसें। कुछ दिनों में तम्बाकू की लत tambaku ki lat छूट जाएगी। मन पर काबू रखें।
    सिगरेट की तलब talab लगने पर छोटी हरड़ मुँह में रखकर चूसने से तलब शांत हो जाती है। इस तरह आदत छोड़ सकते है।
    दालचीनी को बारीक पीस कर इसमें शहद मिला लें। तम्बाकू की तलब लगने पर थोड़ा सा ये शहद चाट लें। तलब मिट जाएगी।
    रोजाना चार चम्मच प्याज का रस पीने से तम्बाकू की तलब लगनी बंद हो जाती है। सिगरेट गुटका छूट जाता है।
    सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ,भारत सरकार भी नशा छुड़वाने के लिए प्रयासरत है। शराब और दूसरी नशीली चीजों से मुक्ति पाने के लिए नेशनल टोल फ्री हेल्पलाइन नंबर 1800-11-0031 से भी मदद ली जा सकती है।
    नशे के चंगुल से अवश्य मुक्त हो सकते है। जरुरत है थोड़े धीरज और इच्छा शक्ति की। ये तो आप भी जानते है कि यदि आपने कुछ करने का निश्चय कर लिया तो फिर आपको कोई रोक नहीं सकता। तो फिर देर किस बात की आपके सबसे बड़े दुश्मन नशे की तलब को दबाकर कुचल दीजिये और आजादी का जश्न मनाइये।