3.8.18

मूर्छा (बेहोशी) के के घरेलू ,आयुर्वेदिक उपचार



  शरीर के किसी भी अंग में गड़बड़ी के कारण मूर्च्छा या बेहोशी आ सकती है। अर्थात इस बीमारी के होने के कई पहलू हो सकते है। वैसे दिमाग की चेतन अवस्था शून्य होने के कारण मूर्च्छा या बेहोशी आ सकती है। हालाँकि दिमागी चेतन शून्यता शरीर में होने वाली बहुत सारी दिक्कतों के वजह से होती है।
मानव शरीर का दिमाग एक ब्रम्हांड से कम नही होता है। इसमे न जाने कितनी सारी नशों का तार बिछा होता है। किसी मानसिक समस्या के चलते किसी भी एक नश में खून के बहाव के रुकने से मूर्च्छा या बेहोशी आ सकती है। तथा किसी नश के फटने के कारण ज्यादा खून बह जाने से भी बेहोशी आ जाती है।
मूर्च्छा या बेहोशी का कारण-
ज्यादा मानसिक तनाव के कारण।
असहनीय प्रबल दवाईयों के सेवन के कारण।
स्त्रियों के मासिक धर्म रुकने के कारण।
अत्यधिक नशा के सेवन के कारण।
ह्रदय कमजोरी के कारण।
शारीरिक कमज़ोरी के वज़ह से।
अकस्मात शोक के कारण।
अत्यधिक चिन्ता के कारण।
मूर्च्छा या बेहोशी के लक्षण-
चक्कर आना।

आँखों के सामने धुधुलापन महसूस होना। यानि दृष्टि विहीन होना।
ज्यादा बेचैनी महसूस होना।
काली मिर्च को बारीक पीसकर नाक में डालकर फूँक मारें। मूर्छा खत्म हो जाता है।
काली मिर्च, नमक, शहद और मैनसिल एक साथ मिलाकर बारीक पीसकर काजल की तरह आँखों में लगाने से बेहोशी दूर हो जाती है।

कपूर, चुना और नौसादर इन तीनों को बारीक़ पिसकर मूर्छित व्यक्ति को सुंघाने से बेहोशी ठीक हो जाती है।
अचानक ज्यादा थकावट लगना।
रामबाण घरेलु जड़ी-बूटी उपचार


नाक में लोबान  की धुँआ देने से मूर्च्छा ठीक हो जाता है।

आयुर्वेदिक चिकित्सा उपचार
” अश्वगंधारिष्ट ” रोजाना सुबह शाम खाना खाने के बाद 25-30 मिलीग्राम समान मात्रा में पानी के साथ लेने से, बार-बार आने वाली मूर्च्छा और बेहोशी से छूटकारा मिल जायेगा।
रोजाना ” मांस्यादि क्वाथ ” के सेवन से मूर्च्छा और बेहोशी में फायदा मिलता है।
शरीर के किसी भी अंग में गड़बड़ी के कारण मूर्च्छा या बेहोशी आ सकती है। अर्थात इस बीमारी के होने के कई पहलू हो सकते है। वैसे दिमाग की चेतन अवस्था शून्य होने के कारण मूर्च्छा या बेहोशी आ सकती है। हालाँकि दिमागी चेतन शून्यता शरीर में होने वाली बहुत सारी दिक्कतों के वजह से होती है।
मानव शरीर का दिमाग एक ब्रम्हांड से कम नही होता है। इसमे न जाने कितनी सारी नशों का तार बिछा होता है। किसी मानसिक समस्या के चलते किसी भी एक नश में खून के बहाव के रुकने से मूर्च्छा या बेहोशी आ सकती है। तथा किसी नश के फटने के कारण ज्यादा खून बह जाने से भी बेहोशी आ जाती है।
मूर्च्छा या बेहोशी का कारण
ज्यादा मानसिक तनाव के कारण।
असहनीय प्रबल दवाईयों के सेवन के कारण।
स्त्रियों के मासिक धर्म रुकने के कारण।
अत्यधिक नशा के सेवन के कारण।
ह्रदय कमजोरी के कारण।
शारीरिक कमज़ोरी के वज़ह से।
अकस्मात शोक के कारण।
अत्यधिक चिन्ता के कारण।
रामबाण घरेलु जड़ी-बूटी उपचार
नाक में लोबान (Frankincense) की धुँआ देने से मूर्च्छा ठीक हो जाता है।
काली मिर्च को बारीक पीसकर नाक में डालकर फूँक मारें। मूर्छा खत्म हो जाता है।
काली मिर्च, नमक, शहद और मैनसिल एक साथ मिलाकर बारीक पीसकर काजल की तरह आँखों में लगाने से बेहोशी दूर हो जाती है।
कपूर, चुना और नौसादर इन तीनों को बारीक़ पिसकर मूर्छित व्यक्ति को सुंघाने से बेहोशी ठीक हो जाती है।
आयुर्वेदिक चिकित्सा उपचार
अश्वगंधारिष्ट ” रोजाना सुबह शाम खाना खाने के बाद 25-30 मिलीग्राम समान मात्रा में पानी के साथ लेने से, बार-बार आने वाली मूर्च्छा और
 और बेहोशी में फायदा मिलता है।बेहोशी से छूटकारा मिल जायेगा



25.7.18

सूखे नारियल(खोपरा गोला) के स्वास्थ्य लाभ

                                             



नारियल का हिन्दू धर्म में विशेष महत्त्व है, कोई भी पूजा हो या धार्मिक समारोह उसमें नारियल की उपस्थिति अनिवार्य मानी जाती है। बिना इसके पूजा अधूरी मानी जाती है। धार्मिक महत्व के अलावा नारियल को हम किसी न किसी रूप में अपने खाने में इस्तेमाल भी करते हैं। चाहे वो कच्चे नारियल का पानी हो या पका नारियल हो जिसकी हम गिरी खाते हैं। या हो सूखा नारियल जिसका इस्तेमाल पकवानों में किया जाता है लेकिन क्या आपको सूखे नारियल के फायदों के बारे में पता है ? आज हम आपको बताएंगे सूखे नारियल के फायदे के बारे में।
*एनीमिया से करता है बचाव
शरीर में खून की कमी होना जो की कभी कभी जानलेवा भी साबित होता है। सूखा नारियल खाने से एनीमिया यानी खून की कमी की बिमारी से भी राहत देता है। अक्सर महिलाओं में खून की कमी ज़्यादा होती है और वो कमजोर पड़ जाती हैं और तो और शरीर में जीवाणुओं का हमला भी आराम से हो सकता है जिससे गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। सूखे नारियल में आयरन भारी मात्रा में पाया जाता है और इसके सेवन से एनीमिया पर काबू पाने में आसानी होती है।

 ह्दय के लिए लाभदायक -


ड्राई कोकोनट में डायटरी फाइबर होता है जो कि ह्दय को हेल्दी बनाये रखता है। जैसाकि आप जानते हैं कि पुरूष के शरीर को 38 ग्राम डायटरी फाइबर और महिला के शरीर को 25 ग्राम डायटरी फाइबर चाहिए होता है। ड्राई कोकोनट से शरीर की ये आवश्यकता पूरी हो जाती है।

*मस्तिष्क स्वस्थ रहता है

सूखा नारियल खाने से ब्रेन फंक्शन में सुधार होता है और इलेक्ट्रिकल सिग्नल्स भी बेहतर तरीके से काम करते हैं। ब्रेन में न्यूरॉन्स होते हैं और इस पर एक कवर होता है जिसपर कोई भी क्षति गंभीर न्यरोलॉजिकल समस्या को जन्म दे सकती है। नारियल में मौजूद तत्व इस हिस्से की रक्षा करते हैं।

पुरूषों में प्रजनन क्षमता बढ़ाना -

यह कोई मिथक नहीं है बल्कि एक सत्य है कि नारियल का सेवन करने से पुरूषों में नपुसंकता दूर होती है। मेडीकल साइंस में भी कई परीक्षणों से इस बात को सिद्ध किया जा चुका है। ऐसा इसमें पाये जाने वाले सीलियम के कारण होता है जो पुरूषत्व को मजबूत बना देता है

*कोलेस्ट्रॉल लेवल कम करता है

सूखे नारियल में हेल्दी फैट्स होते हैं जो ब्लड कोलेस्ट्रॉल लेवल भी कम करता है जिससे आर्टरीज़ में ब्लॉकेज के चांस कम हो जाते हैं और दिल भी बेहतर तरीके से काम करता है और दिल के दौरे का खतरा नहीं रहता है|

इम्यून सिस्टम को बूस्ट करना -

इसमें 5.2 माईक्रोग्राम सेलेनियम होता है जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाता है। इसे अपनी खुराक में शामिल करने से शरीर में कई रोग भी नहीं होते हैं।




गठिया ठीक करने में -

ड्राई कोकोनट के सेवन से गठिया ठीक हो जाती है और दर्द से आराम मिलता है। चूंकि इसमें कई मिनरल्स होते हैं ऐसे में ये ऊतकों को स्वस्थ रखते हैं और शरीर को हेल्दी बनाएं रखते हैं।

* मजबूत होती है हड्डियां

टिश्यूज में भरपूर मिनरल्स का होना ज़रूरी होता है क्योंकि इसकी कमी हमारे शरीर के हिस्सों को नुकसान पहुंचाती है जिससे आर्थराइटिस, ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारियां हो सकती हैं। ऐसे में सूखा नारियल खाने से त्वचा, लिगामेंट्स, टेंडन्स और हड्डियों के टिश्यूज़ में मजबूती आती है और टिश्यूज को मिनरल्स भी मिल जाता है ।

कैंसर के खतरे को कम करना -

यदि आपके परिवार में किसी को पहले कैंसर था तो आपको हमेशा सतर्कता बरतनी चाहिए, खासकर महिलाओं को, जिनके यहां ब्रेस्ट कैंसर का मामला सामने हो। वैसे कोकोनट प्रोस्टेट कैंसर और ब्रेस्ट कैंसर को न होने में मदद करता है। इसलिए आप इसे अपनी खुराक में अवश्य शामिल करें।

पाचन क्रिया को दुरूस्त करना -

ड्राई कोकोनट का सेवन करने से पाचन क्रिया दुरूस्त बनी रहती है और कब्ज, खूनी दस्त और बवासीर की समस्या भी सही हो जाती है। साथ ही इसका कोई दुष्प्रुभाव भी नहीं पड़ता है।






20.7.18

याददाश्त ,स्मरणशक्ति तेज करने के उपाय:smaran shakti badhana


                                                                       


   अच्छी और तीव्र स्मरण शक्ति के लिए हमें मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ, सबल और निरोग रहना होगा | जब तक हम पूरी तरह से स्वस्थ और सबल नहीं रहेंगे हमारी स्मरण शक्ति कभी भी तेज नहीं हो सकतीहैं |
ध्यान रहे कि स्मरण शक्ति हमेशा ध्यान और मन की एकाग्रता पर ही निर्भर होती हैं | हम जिस तरफ जितना अधिक ध्यान केन्द्रित करेंगे उस तरफ हमारी विचार शक्ति उतनी ही अधिक तीव्र हो जायेगी | आप जिस भी कार्य पर जितना अधिक तीव्रता और ध्यान के साथ, स्थिरिता के साथ मन लगायेंगे वह चीज उतनी ही जल्दी हमारे मानस पटल पर, हमारे स्मृति पटल पर अंकित हो जायेगा
बाहरी उपचार भी बुद्धि बढ़ाने में बहुत सहायता पहुँचाते देखे गये हैं। कान के ऊपर वाले कोने से लेकर कनपटी तक की जगह के स्नायु बुद्धि धारण करने के काम में अधिक आते हैं। मस्तिष्क के बुद्धिकोषों का पोषण इनके द्वारा होता है। इन स्नायुओं को परिपुष्ट करने के लिए हलकी मालिश करना बहुत मुफीद है। आँवले के तेल से, कान की ऊपर वाली जड़ से लेकर कनपटी तक की जगह की धीरे-धीरे मालिश करनी चाहिए। इसके लिए प्रातःकाल का समय बहुत अच्छा है।
*स्नान करते समय सिर के ऊपर ठंडे जल की धार छोड़ने से भी बड़ा लाभ होता है। नल के नीचे बैठकर सबसे पहले दस पन्द्रह मिनट सिर के ऊपर ही पानी लिया जाय तो बड़ा अच्छा हो। इस समय धीरे-धीरे सिर को मलते जाना चाहिए। दस पन्द्रह मिनट हो जाने के बाद तब हाथ पाँव एवं शरीर के अन्य स्थानों को धोया जाय। इस प्रकार के स्नान से भी मस्तिष्क को बल मिलता है और बुद्धि तीक्ष्ण होती है।
*पढ़ने-लिखने का काम करने वाले सभी लोग प्रायः सिर में तेल डालते हैं। फैशन की दृष्टि से सुगन्धित तेलों का रिवाज भी चल पड़ा है। हर व्यक्ति की यही कोशिश होती है कि वह खुशबूदार तेल बालों में डाले। इसमें कई प्रकार का खतरा भी होता है। मिट्टी के तेलों पर बनी हुई कई तरह की विलायती सुगंधित शीशियाँ बाजार में बिकती हैं, यह हानिकारक हैं। यह बालों की जड़ों को कमजोर करती है और दिमाग को गर्मी पहुँचाती है। चमेली की खुशबू से बाल जल्दी सफेद हो जाते हैं। मूँगफली, महुआ आदि के सस्ते तेलों में रंग और खुशबू मिलाकर जो सुगन्धित तेल बनते हैं वे भी हानि ही पहुँचाते हैं। इसलिए आयुर्वेदिक रीति के अनुसार बने हुए ब्राह्मी या आँवले के तेलों को सिर में डालना चाहिए। शुद्ध सरसों का तेल लाभ की दृष्टि से बहुत ही उपयोगी है।
*जिन्हें खुश्की अधिक रहती है उनके सिर पर खुरट से जमते हैं और सफेद भुसी सी जमा होती रहती है। इसे दूर करने के लिए दही और बेसन से सिर को धोना चाहिए। तेज साबुन, सोडा, खटाई, नमक आदि से सिर धोना हानिकारक है। बिल्कुल बाल न रखना और बहुत बड़े-बड़े केश रखना दोनों ही बातें अहितकर हैं। स्वास्थ्य और सौंदर्य दोनों ही दृष्टि से एक डेढ़ इंच के बाल पर्याप्त हैं। हाँ, जो लोग स्त्रियों की भाँति बालों की सफाई कर पूरा ध्यान दे सकें और उनकी ठीक तरह साज संभाल रखें वे बड़े-बड़े बाल भी रख सकते हैं। कभी-कभी कानों में सरसों का तेल डालना भी उचित है। कानों का भीतरी छिद्र मस्तिष्क तक असर पहुँचाता है और शीतलता एवं पोषण प्रदान करता है। शीर्षासन का व्यायाम मस्तिष्क को पुष्ट करने वाला माना जाता है।
*प्रातःकाल सूर्योदय से घंटा भर पूर्व उठना और नित्यकर्म से निवृत्त होकर हरे भरे शुद्ध वायु के स्थानों में टहलने जाना, बुद्धि को बढ़ाता है। वह बात परीक्षा द्वारा सिद्ध हो चुकी है कि जो लोग बहुत देर में सो कर उठते हैं धूप चढ़े तक चारपाई पर पड़े रहते हैं उनकी बुद्धि मन्द हो जाती है। आपको ऐसा एक भी तीक्ष्ण बुद्धि वाला मनुष्य न मिलेगा जो प्रातःकाल जल्दी ही सो कर न उठ बैठता हो।
*आहार-विहार को ठीक रखना, बुद्धिजीवी मनुष्यों के लिए आवश्यक है। गरम, तीक्ष्ण, रूखी, गरिष्ठ, बासी और मादक वस्तुएं पेट को खराब करती हैं। इनसे हाजमा बिगड़ता है और खून खराब होकर मस्तिष्क में अनावश्यक उष्णता पहुँचती है। अधिक मिर्च मसाले चाट, पकौड़ियाँ, मिठाइयाँ, तले हुए पदार्थ, माँस-मदिरा आदि न तो अच्छी तरह हजम ही होते हैं और न मस्तिष्क को पुष्ट करने लायक शुद्ध रस ही बनाते हैं। इसलिए इनको त्याग देना चाहिए। सादा ताजा, हलका और पौष्टिक भोजन ही सेवनीय है। घी, दूध, फल, मेवे, तरकारियों की मात्रा अधिक होनी चाहिए। जल्दी सोना और जल्दी उठना आवश्यक है। ब्रह्मचर्य की ओर विशेष ध्यान रहना चाहिए। वीर्यपात तभी किया जाय जब उसका पूरा औचित्य दिखाई पड़ता हो वैसा किये बिना हानि की संभावना है। आहार-विहार की उत्तमता का मस्तिष्क पर असर पड़ता है। सात्विक जीवन व्यतीत करने वालों की बुद्धि सदा तीव्र रहेगी और स्मरण शक्ति आदि सब शक्तियाँ ठीक प्रकार काम करती रहेंगी।
*मस्तिष्क को पुष्ट करने के लिए अनेक प्रकार की औषधियाँ बाजार में बिकती हैं। कई प्रकार के पाक और चूर्ण सेवन किये जाते हैं। परन्तु इस जमाने में जब कि लोग सस्ती, खराब और अंटशंट चीजें डालकर नकली दवाएं बेचकर अधिक धन कमाने की कला में अधिक चतुर होते जाते हैं, यह विश्वास करना कठिन है कि कौन सी दवा हितकर होगी। हर एक की परीक्षा करके मत स्थिर करना तो बड़ा कठिन है।
अक्‍सर कहा जाता है कि अधिक उम्र में स्मरणशक्ति साथ नहीं देती है। एक शोध में कहा गया है कि दिमाग के पास इस्‍तेमाल करने के लिए जब ज्यादा ऊर्जा होगी तो वह अधिक सक्रियता से काम करेगा। विशेषज्ञों का कहना है कि 65 साल से अधिक उम्र के लोग की याद्दाश्‍त भी काफी अच्छी हो सकती है

याद शक्ति को बढ़ाने के कारगर और आसान तरीके:

1). सौंफ को मोटा कूट कर उसे छान लें और इसे एक-एक चम्मच सुबह शाम दो बार पानी या दूध के साथ फंकी लें।
2) जीरा, अदरक, और मिश्री को पीसकर उसका पेस्ट बनाकर खाने से याददाशत की कमजोरी दूर होती है।
3) गुलकन्द को रोज दिन में दो से तीन बार खाने से स्मरण शक्ति को लाभ मिलता है।
4) शहद में 10 ग्राम दालचीनी को मिलाकर चाटने से दिमाग तेज होता है।
5) 6 से 7 काली मिर्च में 25 से 30 ग्राम मक्खन और शक्कर मिलाकर रोज खाने से दिमाग तेज होता है और भूलने की बीमारी दूर होती है।
6) गेहूं के पौधे जवारे का रस कुछ दिनों तक रोज पीने से भूलने की बीमारी दूर होती है
7) गाय के घी से सिर पर कुछ दिनों तक मालिश करने से आपकी याद शक्ति बढ़ती है।
8) यदि आप अखरोट खाते हैं तो भी आपकी याददाश्त बढ़ती है। 10 ग्राम किशमिश के साथ 20 ग्राम अखरोट खायें। इससे मानसिक तनाव भी दूर होता है।
9) गाजर का हलुआ खाते रहने से दिमाग की कमजोरी दूर होती है।
10). सुबह खाली पेट आंवले का मुरब्बा खाने से दिमागी विकार दूर होता है।
11) रात को 10 बादामों को पानी में भिगोकर सुबह उनका छिलका उतार लें और इसे 10 ग्राम मक्खन और मिश्री के साथ मिलाकर कुछ दिनों तक खाने से दिमाग की शक्ति बढ़ती है।
12) रात को उड़द की दाल को भिगोकर सुबह पीस लें और इसे दूध और मिश्री के साथ खायें। एैसा करने से दिमाग तेज होता है।
*एक गाजर लें और लगभग 50-60 ग्राम पत्ता गोभी अर्थात 10-12 पत्ते पत्ता गोभी के अच्छी तरह से काटकर एक प्लेट में रख लें और इस पर हरी धनिया काटकर डाल दें , फिर उसके ऊपर से सेंधा नमक, काली मिर्च कर चूर्ण और नीम्बू का रस डाल कर अच्छी तरह से मिला लें फिर इसे नास्ते में खाए, खूब चबाकर कर खाए और भोजन के साथ एक गिलास छाछ भी पिया करें |
ऐसा करने से आपकी स्मरणशक्ति बहुत अधिक बढ़ेगी, और इसका असर आपको बहुत ही जल्द देखने को मिलेगा |
आवश्यक सामग्री –
शंखावली (शंखपुष्पी) को अच्छी तरह से कूट-पीसकर एक शीशी में भर कर रख ले I 2 बादाम, खरबूजा, तरबूज, पतली ककड़ी, खीरा इन सभी के बीज 5-5 ग्राम लें साथ में 2 पिस्ता, 1छुहारा, 4 छोटी इलायची, 5 ग्राम सौंफ, 1 चमच्च मक्खन, 1 गिलास दूध ले |
विधि – 
रात में बादाम, पिस्ता, छुहारा और चारों फलों के बीजों को 1 कप पानी में डालकर रख दें I प्रातःकाल बादाम को 2-4 बूँद पानी में छिलका हटाकर अच्छी तरह से घिस लें और उस लेप को कटोरी में रख लें I फिर बाकी बचे पिस्ता, इलायची के दानों व छुहारे को बारीक काट कर पीस लें और फिर उसे भी बादाम के लेप में मिला लें और चारों बीज भी उसमें ही डाल लें I अब इन्हें खूब अच्छी तरह से चबा-चबा कर खा लें उसके बाद 3 ग्राम शंखावली के महीन चूर्ण को मक्खन में मिलाकर कर चाट लें और ऊपर से एक गिलास गुनगुना दूध धीरे-धीरे पी लें . अंत में बचे हुए सौंफ को मुंह में डालकर धीरे-धीरे 15-20 मिनट तक चूस ले और फिर उसे चबा ले I
लाभ –
यह प्रयोग करने से आपके दिमाग की ताकत, तरावट और स्मरण शक्ति को बढाने के लिए बहुत ही बेजोड़ उपाय हैं | साथ ही साथ यह शरीर में शक्ति और स्फूर्ति भी पैदा करता हैं I इसे लगातार 40 दिनों तक प्रतिदिन सुबह नित्यकर्मों से निवृत होकर खाली पेट प्रयोग में लाने से आपको चमत्कारिक लाभ देखने को मिल सकते हैं |

पढ़ते समय सावधानी बरतें –

पढ़ते समय आप हमेशा ध्यान रखे कि आपकी कमर झुकी हुई नहीं होनी चाहिए या फिर आप कभी लेट कर या फिर झुक कर अगर पढने की सोच रहे हैं या फिर आप अगर ऐसा कर रहे हैं तो यह बहुत ही गलत हैं |
अगर आप रात के 9 बजे के बाद भी पढ़ रहे हैं या फिर आपको देर रात तक पढ़ना पड़ता हैं तो आप हर आधे घंटे पर आधा –आधा गिलास ठंडा पानी पीते रहे हैं इससे रात में जागने के कारण होने वाला वात प्रकोप नहीं होगा .| वैसे तो कहा जाता हैं कि रात में 11 बजे से पहले सो जाना चाहिए और सुबह जल्दी उठकर पढायी करनी चाहिए |
पढ़ते समय आलस्य लगने पर चाय या फिर सिगरेट का सेवन कभी न करें यह थोड़ी देर के आलस्य को भगाने के लिए आपको जीवन भर के लिए दिक्कत दे सकती हैं|
*धार्मिक उपायों में ज्ञान, बुद्धि, विद्या, वाणी और कला की देवी मां सरस्वती की उपासना न केवल मानसिक शक्ति को मजबूत बनाने वाली, बल्कि उसके बूते मिली दक्षता, निर्णय क्षमता व कला सफलता की नई-नई ऊंचाईयों पर ले जाने वाली मानी गई है।
*देवी पूजा के विशेष दिन शुक्रवार को माता सरस्वती की उपासना बहुत शुभ मानी गई है। बुद्धि और सफलता की कामना से हर सुबह भी एक विशेष व छोटा-सा मंत्र द्वारा माता सरस्वती का ध्यान बड़ा मंगलकारी सिद्ध होता है। प्रस्तुत है वह मंत्र और पूजा उपाय –
* सुबह स्नान के बाद सफेद वस्त्र पहन माता सरस्वती की प्रतिमा या तस्वीर की केसरिया या सफेद चंदन, अक्षत, केसरिया या पीले फूल माता सरस्वती को अर्पित करें।
* माता को दूध की खीर, तिल्ली या सूखे मेवों से बने पकवानों का भोग लगाएं। सुगंधित धूप व दीप जलाकर महासरस्वती के नीचे लिखे बीज मंत्र ‘ऐं’ युक्त इस असरदार मंत्र को आसन पर बैठकर यथाशक्ति अधिक से अधिक बार तुलसी या चंदन की माला से बुद्धि व विवेक से सफलता की कामना के साथ करें –

ॐ ऐं नम:

*पूजा व मंत्र जप के बाद आरती कर देवी को चढ़ाया प्रसाद स्वयं व परिजनों का खिलाएं।
*ब्रिटेन की यूनीवर्सिटी ऑफ वारविक में हुए अध्‍ययन में कहा गया है कि याद रखने की ताकत बढ़ाने में एक चम्‍मच चीनी मददगार हो सकती है। इससे लोगों को मूड सुधरता है और दिमाग अधिक ताजगी के साथ काम करने लगता है। उम्र चाहे कितनी भी हो, मीठा ड्रिंक पीने के बाद लोग पहले से ज्‍यादा ऊर्जावान, खुश और अच्‍छी याद्दाश्‍त का अनुभव करते हैं। विशेषज्ञों का दावा है कि एक चम्‍मच चीनी के बराबर मीठा खाने से उनका आत्‍म विश्‍वास बढ़ता है, जिससे व्‍यक्‍ति दिमागी रूप से मजबूत होता है।
    शोधकर्ताओं का दावा है कि इस अध्‍ययन से अधिक उम्र में खानपान के तौर-तरीकों को नए तरह से समझने में मदद मिलेगी। विशेषज्ञों का कहना है कि अधिक उम्र में ज्यादा जोश से अपना काम करने के लिए प्रेरणा की जरूरत होती है, जो कम समय के लिए ब्‍लड शुगर का स्‍तर बढ़ने से प्रेरणा मिल सकती है। इस काम में एक चम्‍मच चीनी के बराबर मीठा पेय अच्छा रहता है।
इस अध्‍ययन के लिए विशेषज्ञों ने लोगों को कम मात्रा में ग्‍लूकोज या शक्‍कर वाला पेय पीने को दिया। 65 साल से अधिक उम्र के लोगों ने चीनी पीने के बाद जोश, याद्दाश्‍त और प्रदर्शन में बेहतरी महसूस की, जबकि आर्टिफीशियल स्‍वीटनर लेने वालों के साथ ऐसा नहीं हुआ। 18 से 27 साल की उम्र के लोगों ने भी चीनी या ग्‍लूकोज वाला पेय पीने के बाद जोश, याद्दाश्‍त और प्रर्दशन में इजाफा महसूस किया।
शोधकर्ताओं का कहना है कि अधिक उम्र में मुश्‍किल काम में दिमाग लगाने से उसकी ताकत बढ़ती है। उम्रदराज लोगों में मुश्‍किल कामों की चुनौती लेने के लिए प्रेरित करने में चीनी काफी मददगार हो सकती है। यह अध्‍ययन साइकोलॉजी एंड एजिंग जर्नल में प्रकाशित हो चुका है।














































19.7.18

फलों के छिलके मे छुपा है सेहत का राज:Secrets of health in fruit peels


                                                 

फलों और सब्जियों से कहीं अधिक पौष्टिक और फायदेमंद उनके छिलके होते हैं। फलों तथा सब्जियों को छिलके समेत खाना अत्यधिक स्वास्थ्यवर्धक होता है।

फलों के छिलके
हम फलों का सेवन करने के बाद उनके छिलकों फेंक देते हैं। अगर आपकी भी यहीं आदत है तो इसे बदल दीजिए। फलों के साथ इसके छिलके भी बेहद गुणकारी तथा औषधीय तत्वयुक्त पौष्टिक होते है। कई फलों के छिलके शरीर कीप्रतिरोधी क्षमता को बढ़ाते हैं। सभी फलों को छिलकों सहित नहीं खाया जा सकता है। इसके लिए उन्हें उतारने के बाद गूदों को खा जाएं और छिलकों को पानी में उबालकर चाय की तरह सेवन करें।

संतरे का छिलका

लगभग सभी एंटी कोलेस्ट्रोल यौगिक संतरे के छिलके में पाए जाते हैं। ये यौगिक हमारे शरीर में एलडीएल या बुरे कोलेस्ट्रोल से लड़ने में सहायक होते हैं। ये कोलेस्ट्रोल हृदय की धमनियों में थक्के और प्लाक जमने का कारण होते हैं। अत: अपने आहार में संतरे के छिलके शामिल करके आप अपने शरीर में कोलेस्ट्रोल के स्तर को कम कर सकते हैं।
पपीते का छिलका
पपीते के छिलके सौंदर्यवर्धक माने जाते हैं। पपीते को खाने से पेट की समस्याओं का निदान होता है। लेकिन इसकसे छिलके को धूप में सुखाकर बरीक पीस लें और ग्लिसरीन में मिलाकर लेप बनायें और चेहरे पर लगायें। इससे चेहरे की खुसकी दूर होगी और चेहरे पर चमक आयेगी। त्वचा पर लगाने से खुश्की दूर होती है। एड़ियों पर लगाने से वे मुलायम होती हैं।
केला का छिलका
केले के छिलके में सेरोटोनिन हार्मोन को सामान्य बनाए रखने के गुण मौजूद होते हैं। यह हार्मोन खुश रहने के लिए जरूरी होता है। केले के छिलकों में भरपूर मात्रा में पोषक तत्व और कार्बोहाइड्रेट होते हैं। इसमें विटामिन बी-6, बी-12, मैगनीशियम, कार्बोहाइड्रेट, एंटीऑक्सीडेंट, पोटेशियम, मैगनीशियम और मैंगनीज जैसे पोषक तत्व होते हैं जो मेटाबॉलिज्म के लिए बेहद उपयोगी होते हैं।
बेरी-अंगूर
अंगूर के छिलकों में कोलैस्ट्रोल घटाने की क्षमता है । इसलिए मिक्सर में अंगूर व बेरी का जूस तैयार कर पीने के बजाय उन्हें चूसकर खाना चाहिए । जूस बनाने से उनके छिलकों में विद्यमान पौष्टिक तत्व पिसकर नष्ट हो जाते हैं ।इसी प्रकार अमरूद के छिलकों में एंटीआक्सीडैंट गूदे से अधिक मात्रा में पाया जाता है
अनार का छिलका
अनार के छिलकों में भी एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो त्वचा को मुंहासों व संक्रमण से दूर रखने में मदद करते हैं। इसके छिलके को सुखाकर तवे पर भुन लें। ठंडा होने पर मिक्सर में पीसे और पैक की तरह चेहरे पर लगाएं। मुंहासे दूर होंगे। इसके साथ ही छिलके को मुंह में रखकर चूसने से खांसी का वेग शांत होता है। अनार के छिलके के बूरादे को बारीक पीसकर उसमें दही मिलाकर गाढ़ा पेस्ट बनाकर सिर पर लगाने से बाल मुलायम होते हैं।
सेब
सेब के छिलकों में इतने अधिक पोषक तत्व हैं के ये सेहत से जुड़ी कई समस्याओं को दूर कर सकता है। इसलिए ही डॉक्टर सेब को बिना छीले खाने की सलाह देते हैं।सेब के छिलकों में मौजूद क्यूरसेटिन नामक तत्व सांसों से संब‌िधित दिक्कतों जैसे दमा आदि से बचाव में काफी मददगार है। सेब के छिलकों में युरसोलिक एसिड अच्छी मात्रा में होता है जो शरीर में ब्राउन फैट्स की मात्रा बढ़ाता है जिससे फैट्स बर्न होता है और वेट लॉस आसान हो जाता है।


















































16.7.18

चक्कर आने के घरेलू आयुर्वेदिक उपचार

                                                                               
अधिक शारीरिक निर्बलता के कारण सिर में चक्कर आने का रोग होता है। रक्ताल्पता के रोगी चक्कर आने की विकृति से अधिक पीड़ित होते हैं। रोगी बैठे-बैठे अचानक उठकर खड़ा होता है तो उसकी आंखों के आगे अंधेरा छा जाता है और सिर में चक्कर आने लगते हैं।
चक्कर क्यों आता है?
 रोग की उत्पत्ति : 
मानसिक तनाव की अधिकता के कारण चक्कर आने की विकृति हो सकती है। सिर पर चोट लगने से स्नायुओं में रक्त का अवरोध होने से चक्कर आने की उत्पत्ति हो सकती है। रक्ताल्पता होने पर जब शरीर में रक्त की अत्यधिक कमी हो जाती है तो मस्तिष्क को पर्याप्त रक्त नहीं मिल पाता और ऐसे में सिर में चक्कर आने लगते हैं।

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निम्न रक्तचाप अर्थात लो ब्लड प्रेशर में भी सिर चकराने की विकृति हो सकती है। चिकित्सकों के अनुसार कान में विषाणुओं के संक्रमण से, मस्तिष्क के स्नायुओं को हानि पहुंचने पर चक्कर आने की विकृति हो सकती है।


अत्यधिक मानसिक काम करने वाले स्त्री-पुरुषों को जब पर्याप्त मात्रा में पौष्टिक आहार नहीं मिल पाता तो वे सिर में चक्कर आने की विकृति से पीड़ित होते हैं।

चक्कर के लक्षण क्या है?

लक्षण : रोगी को उठकर खड़े होने पर नेत्रों के सामने कुछ पलों के लिए अंधेरा छाने की विकृति होती है। कभी-कभी नेत्रों के सामने सितारे नाचने लगते हैं। सिर चकराने पर रोगी अपने को लड़खड़ाकर गिरता हुआ अनुभव करता है और आस-पास की दीवार या अन्य वस्तु का सहारा लेता है। अधिक शारीरिक निर्बलता होने पर रोगी लड़खड़ाकर गिर पड़ता है। रक्ताल्पता की अधिकता होने पर सिर चकराने पर रोगी को गिर जाने की अधिक आशंका रहती है। अधिक व्रत-उपवास के कारण भी स्त्री-पुरुषों के चक्कर आने से लड़खड़ाकर गिर पड़ने की स्थिति बन जाती है।

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हिस्टीरिया और मिर्गी रोग में भी सिर चकराने की विकृति होती है और फिर रोगी पर बेहोशी का दौरा पड़ जाता है। अधिक चोट लगने पर रक्त निकल जाने पर रोगी खड़ा नहीं रह पाता और शारीरिक निर्बलता के कारण सिर में चक्कर आने से गिर पड़ता है। रक्त की कमी को पूरा करके रोगी को इस विकृति से सुरक्षित किया जा सकता है।

चक्कर आने पर पथ्य-

*प्रतिदिन भोजन में गाजर, मूली, खीरा, ककड़ी, चुकंदर का सलाद सेवन करें।
*शारीरिक निर्बलता के कारण चक्कर आने पर पौष्टिक खाद्य पदार्थ और मेवों का सेवन करें।
*हरी सब्जियों का अधिक मात्रा में सेवन करें।
*सब्जियों का सूप बनाकर पिएं।
*अंगूर, अनार, आम, सेब, संतरा, मौसमी आदि फलों का सेवन करें या रस पिएं।
*आंवले, फालसे, शहतूत का शरबत पीने से उष्णता नष्ट होने से चक्कर आने की विकृति नष्ट होती है।
*रात को 4-5 बादाम जल में डालकर रखें। प्रातः उनके छिलके उतार करके, बादाम पीसकर, दूध में मिलाकर सेवन करें।


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*प्रतिदिन सुबह-शाम दूध का सेवन करें। दूध में घी डालकर पिएं।

*आंवले, सेब या गाजर का मुरब्बा प्रतिदिन खाएं और दूध पिएं।
*दूध में बादाम का तेल डालकर पिएं।
*सिर के बाल छोटे रखें और ब्राह्मी के तेल की मालिश करें।
*दाल-सब्जी में शुद्ध घी डालकर खाएं।
*हल्के उष्ण जल में नींबू का रस मिलाकर पीने से पेट की गैस नष्ट होने से चक्कर आने की विकृति नष्ट होती है।
*10-15 मुनक्के घी में तवे पर भूनकर खाएं और ऊपर से दूध पिएं।
*ग्रीष्म ऋतु में उष्णता के कारण चक्कर आने पर दिन में कई बार शीतल जल से स्नान करें।
*रक्ताल्पता के कारण निम्न रक्तचाप होने पर चक्कर आने पर अदरक व नमक का सेवन करें।
*टमाटर का सूप बनाकर सेवन करें।

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*सुबह-शाम किसी पार्क में भ्रमण के लिए जाएं और हरी घास पर नंगे पांव चलें।

चक्कर आने पर अपथ्य-

*उष्ण मिर्च-मसालों व अम्लीय रसों से बने खाद्य पदार्थों का सेवन न करें।
*चाइनीज व्यंजन व फास्ट फूड न खाएं।
*एलोपैथी औषधियों के सेवन से चक्कर आने की विकृति हो तो उन औषधियों का सेवन न करें।
*चाय, कॉफी व शराब का सेवन न करें।
*मांस, मछली, अंडों का सेवन न करें।
*ग्रीष्म ऋतु में धूप में अधिक न घूमें।

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