23.7.17

स्वास्थ्य दोहावली:Health couplets


पानी में गुड डालिए,बीत जाए जब रात|
सुबह छानकर पीजिए,अच्छे हों हालात||

धनिया की पत्ती मसल,बूंद नैन में डार|
दुखती अँखियां ठीक हों,पल लागे दो-चार||

ऊर्जा मिलती है बहुत,पिएं गुनगुना नीर|
कब्ज खतम हो पेट की,मिट जाए हर पीर||

प्रातः काल पानी पिएं,घूंट-घूंट कर आप|
बस दो-तीन गिलास है,हर औषधि का बाप||

ठंडा पानी पियो मत,करता क्रूर प्रहार|
करे हाजमे का सदा,ये तो बंटाढार||




भोजन करें धरती पर,अल्थी पल्थी मार|
चबा-चबा कर खाइए,वैद्य न झांकें द्वार||

प्रातः काल फल रस लो,दुपहर लस्सी-छांस|
सदा रात में दूध पी,सभी रोग का नाश||

दही उडद की दाल सँग,पपीता दूध के संग|
जो खाएं इक साथ में,जीवन हो बदरंग||

प्रातः- दोपहर लीजिये,जब नियमित आहार|
तीस मिनट की नींद लो,रोग न आवें द्वार||


भोजन करके रात में,घूमें कदम हजार|
डाक्टर, ओझा, वैद्य का ,लुट जाए व्यापार ||

देश,भेष,मौसम यथा,हो जैसा परिवेश|
वैसा भोजन कीजिये,कहते सखा सुरेश||

इन बातों को मान कर,जो करता उत्कर्ष|
जीवन में पग-पग मिले,उस प्राणी को हर्ष||

घूट-घूट पानी पियो,रह तनाव से दूर|
एसिडिटी, या मोटापा,होवें चकनाचूर||

अर्थराइज या हार्निया,अपेंडिक्स का त्रास|
पानी पीजै बैठकर,कभी न आवें पास||

रक्तचाप बढने लगे,तब मत सोचो भाय|
सौगंध राम की खाइ के,तुरत छोड दो चाय||





सुबह खाइये कुवंर-सा,दुपहर यथा नरेश|
भोजन लीजै रात में,जैसे रंक सुरेश|

देर रात तक जागना,रोगों का जंजाल|
अपच,आंख के रोग सँग,तन भी रहे निढाल||

टूथपेस्ट-ब्रश छोडकर,हर दिन दोनो जून|
दांत करें मजबूत यदि,करिएगा दातून||

हल्दी तुरत लगाइए,अगर काट ले श्वान|
खतम करे ये जहर को,कह गए कवि सुजान||

मिश्री, गुड, खांड,ये हैं गुण की खान|
पर सफेद शक्कर सखा,समझो जहर समान||

चुंबक का उपयोग कर,ये है दवा सटीक|
हड्डी टूटी हो अगर,अल्प समय में ठीक||

दर्द, घाव, फोडा, चुभन,सूजन, चोट पिराइ|
बीस मिनट चुंबक धरौ,पिरवा जाइ हेराइ||

हँसना, रोना, छींकना,भूख, प्यास या प्यार|
क्रोध, जम्हाई रोकना,समझो बंटाढार||

सत्तर रोगों कोे करे,चूना हमसे दूर|
दूर करे ये बाझपन,सुस्ती अपच हुजूर||

यदि सरसों के तेल में,पग नाखून डुबाय|
खुजली, लाली, जलन सब,नैनों से गुमि जाय||


भोजन करके जोहिए,केवल घंटा डेढ!
पानी इसके बाद पी,ये औषधि का पेड!!

जो भोजन के साथ ही,पीता रहता नीर!
रोग एक सौ तीन हों,फुट जाए तकदीर!!

पानी करके गुनगुना,मेथी देव भिगाय
सुबह चबाकर नीर पी,रक्तचाप सुधराय

अलसी, तिल, नारियल,घी सरसों का तेल
यही खाइए नहीं तो,हार्ट समझिए फेल

पहला स्थान सेंधा नमक,पहाड़ी नमक सु जान
श्वेत नमक है सागरी,ये है जहर समान

तेल वनस्पति खाइके,चर्बी लियो बढाइ
घेरा कोलेस्टरॉल तो,आज रहे चिल्लाइ

अल्यूमिन के पात्र का,करता है जो उपयोग
आमंत्रित करता सदा ,वह अडतालीस रोग

फल या मीठा खाइके,तुरत न पीजै नीर
ये सब छोटी आंत में,बनते विषधर तीर

चोकर खाने से सदा,बढती तन की शक्ति
गेहूँ मोटा पीसिए,दिल में बढे विरक्ति

नींबू पानी का सदा,करता जो उपयोग!
पास नहीं आते कभी,यकृति-आंत के रोग|

दूषित पानी जो पिए,बिगडे उसका पेट!
ऐसे जल को समझिए,सौ रोगों का गेट||

रोज मुलहठी चूसिए,कफ बाहर आ जाय!
बने सुरीला कंठ भी,सबको लगत सुहाय||

भोजन करके खाइए,सौंफ, गुड, अजवान|
पत्थर भी पच जायगा,जानै सकल जहान||

लौकी का रस पीजिए,चोकर युक्त पिसान|
तुलसी, गुड, सेंधा नमक,हृदय रोग निदान||

हृदय रोग, खांसी औरआंव करें बदनाम|
दो अनार खाएं सदा,बनते बिगडे काम||

चैत्र माह में नीम की,पत्ती हर दिन खावे |
ज्वर, डेंगू या मलेरिया,बारह मील भगावे ||

सौ वर्षों तक वह जिए,लेत नाक से सांस!
अल्पकाल जीवें, करें,मुंह से श्वासोच्छ्वास||

सितम, गर्म जल से कभी,करिये मत स्नान|
घट जाता है आत्मबल,नैनन को नुकसान||

हृदय रोग से आपको,बचना है श्रीमान|
सुरा, चाय या कोल्ड्रिंक,का मत करिए पान||

अगर नहावें गरम जल,तन-मन हो कमजोर|
नयन ज्योति कमजोर हो,शक्ति घटे चहुंओर||

तुलसी का पत्ता करें,यदि हरदम उपयोग|
मिट जाते हर उम्र में,तन के सारे रोग||









22.7.17

काकरोच भगाने के उपाय


     

बरसात के मौसम में घरों में सीलन बढ़ जाती है और कॉकरोचों के पनपने के लिए ये सबसे अनुकूल समय होता है. इनके सबसे अधि‍क पनपने की जगहें किचन और स्टोर रूम होती है.
बाजार में ऐसे कई उत्पाद मौजूद हैं जो ये दावा करते हैं कि उनके इस्तेमाल से कॉकरोच हमेशा के लिए खत्म हो जाएंगे लेकिन इस रासायनिक चीजों का इस्तेमाल स्वास्थ्य के लिए खतरा भी साबित हो सकता है. खासतौर पर तब जब आपके घर में छोटे बच्चों हो. ऐसे में बेहतर होगा कि आप घरेलू उपाय अपनाएं :

* केरोसिन ऑयल के इस्तेमाल से
केरोसिन ऑयल के इस्तेमाल से भी कॉकरोच भाग जाते हैं लेकिन इसकी बदबू से निपटने के लिए आपको तैयार रहना पड़ेगा.
* तेजपत्ते का इस्तेमाल
तेजपत्ते की गंध से कॉकरोच भागते हैं. घर के जिस कोने में कॉकरोच हों वहां तेजपत्ते की कुछ पत्ति‍यों को मसलकर रख दें. कॉकरोच उस जगह से भाग जाएंगे. दरअसल, तेजपत्ते को मसलने पर आपको हाथों में हल्का तेल नजर आएगा. इसी की गंध से कॉकरोच भागते हैं. समय-समय पर पत्ति‍यां बदलते रहें.
*बेकिंग पाउडर और चीनी मिलाकर रखने से
एक कटोरे में बराबर मात्रा में बेकिंग पाउडर और चीनी  मिलाएं और इस मिश्रण को प्रभावित जगह पर छिड़क दें. चीनी का मीठा स्वाद कॉकरोचों को आकर्षि‍त करता है और बेकिंग सोडा उन्हें मारने का. समय-समय पर इसे बदलती रहें.



*. लौंग की गंध

तेज गंध वाला लौंग भी कॉकरोचों को भगाने के लिए एक अच्छा उपाय है. किचन की दराजों और स्टोर रूम की अलमारियों में लौंग की कुछ कलियों को रख दीजिए. इस उपाय से कॉकरोच भाग जाएंगे.
* बोरेक्स के इस्तेमाल से
प्रभावित जगहों पर बोरेक्स पाउडर का छिड़काव कर दें. इससे कॉकरोच भाग जाते हैं लेकिन ये खतरनाक साबित भी हो सकता है. बोरेक्स पाउडर का छिड़काव करने के समय ये ध्यान रखें कि वो बच्चें की पहुंच से दूर हो.



कुछ अन्य टिप्स:

-कॉकरोचों की संख्या बढ़ने से पहले ही हरकत में आ जाएं.
-स्प्रे करने के दौरान अपनी त्वचा को ढककर रखें.
- पानी के निकास वाली सभी जगहों पर जाली लगी होनी चाहिए.
-फल-सब्जी के छिलकों को ज्यादा समय तक घर में न रहने दें|

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19.7.17

धात रोग के कारण और उपचार



  जब भी पुरुष के मन में काम या सेक्स की भावना बढ जाती है! तो लिंग अपने आप ही कठोर हो जाता है और उत्तेजना की अवस्था में आ जाता है! इस अवस्था में व्यक्ति के लिंग से पानी के रंग के जैसी पतली लेस के रूप में निकलने लगती है! लेस बहूत कम होने के कारण ये लिंग से बाहर नहीं आ पाती है, लेकिन जब व्यक्ति काफी अधिक देर तक उत्तेजित रहता है तो ये लेस लिंग के मुहँ के आगे आ जाती है!
   आज के युग में अनैतिक सोच और अश्लीलता के बढ़ने के कारण आजकल युवक और युवती अक्सर अश्लील फिल्मे देखते और पढते है तथा गलत तरीके से अपने वीर्य और रज को बर्बाद करते है! अधिकतर लड़के-लड़कीयां अपने ख्यालों में ही शारीरिक संबंध बनाना भी शुरू कर देते है!
     जिसके कारण उनका लिंग अधिक देर तक उत्तेजना की अवस्था में बना रहता है, और लेस ज्यादा मात्रा में बहनी शुरू हो जाती है! और ऐसा अधिकतर होते रहने पर एक वक़्त ऐसा भी आता है! जब स्थिति अधिक खराब हो जाती है और किसी लड़की का ख्याल मन में आते ही उनका लेस (वीर्य) बाहर निकल जाता है, और उनकी उत्तेजना शांत हो जाती है! ये एक प्रकार का रोग है जिसे शुक्रमेह कहते है!
वैसे इस लेस में वीर्य का कोई भी अंश देखने को नहीं मिलता है! लेकिन इसका काम पुरुष यौन-अंग की नाली को चिकना और गीला करने का होता है जो सम्बन्ध बनाते वक़्त वीर्य की गति से होने वाले नुकसान से लिंग को बचाता है!


किडनी फेल्योर(गुर्दे खराब) रोगी घबराएँ नहीं ,करें ये उपचार

धात रोग का प्रमुख कारण -

अधिक कामुक और अश्लील विचार रखना!
मन का अशांत रहना!
व्यक्ति का शरीर कमजोर होना और उसकी प्रतिरोधक श्रमता की कमी होना!
अक्सर किसी बात का चिंता करना
पौरुष द्रव का पतला होना
यौन अंगो के नसों में कमजोरी आना
अपने पौरुष पदार्थ को व्यर्थ में निकालना व नष्ट करना (हस्तमैथुन अधिक करना)
अक्सर किसी बात या किसी तरह का दुःख मन में होना!
दिमागी कमजोरी होना!
व्यक्ति के शरीर में पौषक पदार्थो और तत्वों व विटामिन्स की कमी हो जाने पर!
किसी बीमारी के चलते अधिक दवाई लेने पर



धात रोग के लक्षण क्या है?

मल मूत्र त्याग में दबाव की इच्छा महसूस होना! धात रोग का इशारा करती है!
पेट रोग से परेशान रहना या साफ़ न होना, कब्ज होना!
सांस से सम्बंधित परेशानी, श्वास रोग या खांसी होना!
शरीर की पिंडलियों में दर्द होना!
कम या अधिक चक्कर आना!
शरीर में हर समय थकान महसूस करना!
चुस्ती फुर्ती का खत्म होना!
मन का अप्रसन्न रहना और किसी भी काम में मन ना लगना इसके लक्षणों को दर्शाता है!
लिंग के मुख से लार का टपकना!
पौरुष वीर्य का पानी जैसा पतला होना!
शरीर में कमजोरी आना!
छोटी सी बात पर तनाव में आ जाना!
हाथ पैर या शरीर के अन्य हिस्सों में कंपन या कपकपी होना!
;धात रोग में फायदेमंद आयुर्वेदिक उपाय
कौंच के बीज - 
अगर आपका वीर्य पतला है तो 100 – 100 ग्राम की मात्रा में मखाने (Dryfruit) और कौंच के बीज लेकर उन्हें पीस कर उनका चूर्ण बना लें और फिर उसमे 200 ग्राम पीसी हुई मिश्री मिला लें!
अब इस मिश्रण के रोज (आधा) ½ चम्मच को गुनगुने दूध में मिलाकर पियें! इससे आपका जल्द ही बहूत अधिक लाभ मिलेगा!
शतावरी मुलहठी-: 
 50 ग्राम शतावरी, 50 ग्राम मुलहठी, 25 ग्राम छोटी इलायची के बीज, 25 ग्राम बंशलोचन, 25 ग्राम शीतलचीनी और 4 ग्राम बंगभस्म, 50 ग्राम सालब मिसरी लेकर इन सभी सामग्रियो को सुखाकर बारीक पिस लें! पीसने के बाद इसमे 60 ग्राम चाँदी का वर्क मिलाएं और प्राप्त चूर्ण को (60 ग्राम ) सुबह-शाम गाय के दूध के साथ लें!



गिलोय : धात रोग से मुक्ति प्राप्त करने के लिए 2 चम्मच गिलोय के रस में 1 चम्मच शहद मिलकर लेना चाहिए!

सफ़ेद मुसली -: 
 अगर 10 ग्राम सफ़ेद मुसली का चूर्ण में मिश्री मिलाकर खाया जाए और उसके बाद ऊपर से लगभग 500 ग्राम गाय का दूध पी लें तो अत्यंत लाभ करी होता है! इस उपाय से शरीर को अंदरूनी शक्ति मिलती है और व्यक्ति के शरीर को रोगों से लड़ने के लिए शक्ति मिलती है!
उड़द की दाल - : 
अगर उड़द की दाल को पीसकर उसे खांड में भुन लिया जाए और खांड में मिलाकर खाएं तो भी जबरदस्त लाभ जल्दी ही मिलता है!
आंवले-
 प्रतिदिन सुबह के वक़्त खाली पेट दो चम्मच आंवले के रस को शहद के साथ लें! इससे जल्द ही धात पुष्ट होने लगती है! सुबह शाम आंवले के चूर्ण को दूध में मिला कर लेने से भी धात रोग में बहूत लाभ मिलता है!
तुलसी ( Basil ): 3 से 4 ग्राम तुलसी के बीज और थोड़ी सी मिश्री दोनों को मिलाकर दोपहर का खाना खाने के बाद खाने से जल्दी ही लाभ होता है!
जामुन की गुठली -: 
जामुन की गुठलियों को धुप में सुखाकर उसका पाउडर बना लें और उसे रोज दूध के साथ खाएं! कुछ हफ़्तों में करने पर ही आपका धात गिरना बंद हो जायेगा|
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18.7.17

स्मरण शक्ति याददाश्त बढ़ाने के उपाय/ Remedial measures to increase memory/




कमजोर स्मरण शक्ति कारण व लक्षण: जिन व्यक्तियों के मस्तिष्क और स्नायु दुर्बलता हो जाते हैं उनकी स्मरण शक्ति कमजोर हो जाती है। उन्हे कुछ याद नहीं रहता तथा स्वभाव से भुलक्कड़ हो जाते हैं। विद्यार्थियों को भी यह आम समस्या हो सकती है। उन्हें पढ़ा हुआ याद नहीं रहता और याद रहता है तो कुछ समय तक।
कमजोर स्मरण शक्ति बढ़ाने के उपाय :

बादाम :

बादाम को दिमाग के लिए अमृत के समान माना जाता है। स्मरण शक्ति के विकास के लिए 10 बादाम रात को भिगो दें और सुबह छिलका उतारकर लगभग 10-12 ग्राम मक्खन और मिश्री के साथ खाए। बादाम के नियमित सेवन से दिमाग तेज होकर स्मरणशक्ति बढ़ने लगती है।

सेव :

सेव के सेवन से स्मरण शक्ति बढ़ जाती है। इसके लिए एक या दो सेव बिना छिलके उतारे चबा-चबाकर भोजन से 15 मिनट पहले खाना चाहिए। यह मस्तिष्क को शक्ति देने के साथ-साथ रक्त की कमी भी दूर करता है।

आंवला :

स्मरण शक्ति बढ़ाने के लिए हर रोज आंवले का मुरब्बा खाएं।



बेल :


एक पका हुआ बेल फल का गूदा मिट्टी के सकोरे में डालकर पानी भर दे। ऊपर पतला कपड़ा या छलनी रख दें। सुबह पानी निकालकर मीठा मिलाकर पिए। दिमाग तरोताजा हो जाएगा। सर्दियों के दिनों में बेल का गूदा मिट्टी के पात्र के बजाय कलीदार बर्तन या स्टील के पात्र में रखें। और उसी समय मसलकर गर्म पानी में शहद के साथ घोल कर पी लें। इसके नियमित प्रयोग से दिमागी शक्ति अवश्य बढ़ेगी।

गाजर :

गाजर के रस को गाय के दूध के साथ समान मात्रा में मिलाकर पीने से स्मरण शक्ति बढ़ती है।

लीची :


लीची का प्रयोग करने से मस्तिष्क को बल मिलता है और स्मरण शक्ति बढ़ती है।

चकुंदर :

चुकंदर का रस हर रोज पीने से भी स्मरण शक्ति बढ़ती है।

आम :

दिमाग की कमजोरी से होने वाली स्मरण शक्ति की कमी के लिए एक कप आम का रस थोड़ा सा दूध और एक चम्मच अदरक का रस और चीनी मिलाकर पीने से दिमाग में ताजगी का संचार होता है। दूध में आम का रस मिलाकर पीने से भी दिमाग में तरावट आती है और स्मरण शक्ति बढ़ती है।
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वजन कम करने के लिए कितना पानी कैसे पीएं?

प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ने से पेशाब रुकावट की कारगर हर्बल औषधि

सेक्स का महारथी बनाने वाले आयुर्वेदिक नुस्खे


आर्थराइटिस(संधिवात),गठियावात ,सायटिका की तुरंत असर हर्बल औषधि

खीरा ककड़ी खाने के जबर्दस्त फायदे

महिलाओं मे कामेच्छा बढ़ाने के उपाय

मुँह सूखने की समस्या के उपचार

गिलोय के जबर्दस्त फायदे

इसब गोल की भूसी के हैं अनगिनत फ़ायदे

कान मे तरह तरह की आवाज आने की बीमारी

छाती मे दर्द Chest Pain के उपचार

सिर्फ आपरेशन नहीं ,किडनी की पथरी की १००% सफल हर्बल औषधि

किडनी फेल रोगी का डाईट चार्ट और इलाज

तिल्ली बढ़ जाने के आयुर्वेदिक नुस्खे

यौन शक्ति बढ़ाने के अचूक घरेलू उपाय/sex power

कई बीमारियों से मुक्ति द‍िलाने वाला है गिलोय


किडनी स्टोन के अचूक हर्बल उपचार

स्तनों की कसावट और सुडौल बनाने के उपाय

लीवर रोगों के अचूक हर्बल इलाज

सफ़ेद मूसली के आयुर्वेदिक उपयोग

दामोदर चिकित्सालय शामगढ़ के आशु लाभकारी उत्पाद

मेथी का पानी पीने के जबर्दस्त फायदे








गुर्दे खराब की रामबाण औषधि:Kidney failure medicine




  हम गुर्दे या वृक्क (Kidney) के बारे में बहुत ही कम जानते हैं। जिस प्रकार नगरपालिका शहर को स्वच्छ रखती     है वैसे ही गुर्दे शरीर को स्वच्छ रखते हैं। रक्त में से मूत्र बनाने का महत्त्वपूर्ण कार्य गुर्दे करते हैं। शरीर में रक्त में उपस्थित विजातीय व अनावश्यक बच्चों एवं कचरे को मूत्रमार्ग द्वारा शरीर से बाहर निकालने का कार्य गुर्दों का ही है।
गुर्दा वास्तव में रक्त का शुद्धिकरण करने वाली एक प्रकार की 11 सैं.मी. लम्बी काजू के आकार की छननी है जो पेट के पृष्ठभाग में मेरुदण्ड के दोनों ओर स्थित होती हैं। प्राकृतिक रूप से स्वस्थ गुर्दे में रोज 60 लीटर जितना पानी छानने की क्षमता होती है। सामान्य रूप से वह 24 घंटे में से 1 से 2 लीटर जितना मूत्र बनाकर शरीर को निरोग रखती है। किसी कारणवशात् यदि एक गुर्दा कार्य करना बंद कर दे अथवा दुर्घटना में खो देना पड़े तो उस व्यक्ति का दूसरा गुर्दा पूरा कार्य सँभालता है एवं शरीर को विषाक्त होने से बचाकर स्वस्थ रखता है। जैसे नगरपालिका की लापरवाही अथवा आलस्य से शहर में गंदगी फैल जाती है एवं धीरे-धीरे महामारियाँ फैलने लगती हैं, वैसे ही गुर्दों के खराब होने पर शरीर अस्वस्थ हो जाता है।
अपने शरीर में गुर्दे चतुर यंत्रविदों (Technicians) की भाँति कार्य करते हैं। गुर्दा शरीर का अनिवार्य एवं क्रियाशील भाग है, जो अपने तन एवं मन के स्वास्थ्य पर नियंत्रण रखता है। उसके बिगड़ने का असर रक्त, हृदय, त्वचा एवं यकृत पर पड़ता है। वह रक्त में स्थित शर्करा (Sugar), रक्तकण एवं उपयोगी आहार-द्रव्यों को छोड़कर केवल अनावश्यक पानी एवं द्रव्यों को मूत्र के रूप में बाहर फेंकता है। यदि रक्त में शर्करा का प्रमाण बढ़ गया हो तो गुर्दा मात्र बढ़ी हुई शर्करा के तत्त्व को छानकर मूत्र में भेज देता है।
गुर्दों का विशेष सम्बन्ध हृदय, फेफड़ों, यकृत एवं प्लीहा (तिल्ली) के साथ होता है। ज्यादातर हृदय एवं गुर्दे परस्पर सहयोग के साथ कार्य करते हैं। इसलिए जब किसी को हृदयरोग होता है तो उसके गुर्दे भी बिगड़ते हैं और जब गुर्दे बिगड़ते हैं तब उस व्यक्ति का रक्तचाप उच्च हो जाता है और धीरे-धीरे दुर्बल भी हो जाता है।
आयुर्वेद के निष्णात वैद्य कहते हैं कि गुर्दे के रोगियों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। इसका मुख्य कारण आजकल के समाज में हृदयरोग, दमा, श्वास, क्षयरोग, मधुमेह, उच्च रक्तचाप जैसे रोगों में किया जा रहा अंग्रेजी दवाओं का दीर्घकाल तक अथवा आजीवन सेवन है।
इन अंग्रेजी दवाओं के जहरी प्रभाव के कारण ही गुर्दे एवं मूत्र सम्बन्धी रोग उत्पन्न होते हैं। कभी-कभी किसी आधुनिक दवा के अल्पकालीन सेवन की विनाशकारी प्रतिक्रिया (Reaction) के रूप में भी किडनी फेल्युअर (Kidney Failure) जैसे गम्भीर रोग होते हुए दिखाई देते हैं। अतः मरीजों को हमारी सलाह है कि उनकी किसी भी बीमारी में, जहाँ तक हो सके, वे निर्दोष वनस्पतियों से निर्मित एवं विपरीत तथा परवर्ती असर (Side Effect and After Effect) से रहित आयुर्वेदिक दवाओं के सेवन का ही आग्रह रखें। एलोपैथी के डॉक्टर स्वयं भी अपने अथवा अपने सम्बन्धियों के इलाज के लिए आयुर्वेदिक दवाओं का ही आग्रह रखते हैं।
आधुनिक विज्ञान कहता है कि गुर्दे अस्थि मज्जा () बनाने का कार्य भी करते हैं। इससे भी यह सिद्ध होता है कि आज रक्त कैंसर की व्यापकता का कारण भी आधुनिक दवाओं का विपरीत एवं परवर्ती प्रभाव ही हैं।

किडनी विकृति के कारणः

आधुनिक समय में मटर, सेम आदि द्विदलो जैसे प्रोटीनयुक्त आहार का अधिक सेवन, मैदा, शक्कर एवं बेकरी की चीजों का अधिक प्रयोग चाय कॉफी जैसे उत्तेजक पेय, शराब एवं ठंडे पेय, जहरीली आधुनिक दवाइयाँ जैसे – ब्रुफेन, मेगाडाल, आइबुजेसीक, वोवीरॉन जैसी एनालजेसिक दवाएँ, एन्टीबायोटिक्स, सल्फा ड्रग्स, एस्प्रीन, फेनासेटीन, केफीन, ए.पी.सी., एनासीन आदि का ज्यादा उपयोग, अशुद्ध आहार अथवा मादक पदार्थों का ज्यादा सेवन, सूजाक (गोनोरिया), उपदंश (सिफलिस) जैसे लैंगिक रोग, त्वचा की अस्वच्छता या उसके रोग, जीवनशक्ति एवं रोगप्रतिकारक शक्ति का अभाव, आँतों में संचित मल, शारीरिक परिश्रम को अभाव, अत्यधिक शारीरिक या मानसिक श्रम, अशुद्ध दवा एवं अयोग्य जीवन, उच्च रक्तचाप तथा हृदयरोगों में लम्बे समय तक किया जाने वाला दवाओँ का सेवन, आयुर्वेदिक परंतु अशुद्ध पारे से बनी दवाओं का सेवन, आधुनिक मूत्रल (Diuretic) औषधियों का सेवन, तम्बाकू या ड्रग्स के सेवन की आदत, दही, तिल, नया गुड़, मिठाई, वनस्पति घी, श्रीखंड, मांसाहार, फ्रूट जूस, इमली, टोमेटो केचअप, अचार, केरी, खटाई आदि सब गुर्दा-विकृति के कारण है।

सामान्य लक्षणः

गुर्दे खराब होने पर निम्नांकित लक्षण दिखाई देते हैं-

आधुनिक विज्ञान के अनुसारः
आँख के नीचे की पलकें फूली हुई, पानी से भरी एवं भारी दिखती हैं। जीवन में चेतनता, स्फूर्ति तथा उत्साह कम हो जाता है। सुबह बिस्तर से उठते वक्त स्फूर्ति के बदले उबान, आलस्य एवं बेचैनी रहती है। थोड़े श्रम से ही थकान लगने लगती है। श्वास लेने में कभी-कभी तकलीफ होने लगती है। कमजोरी महसूस होती है। भूख कम होती जाती है। सिर दुखने लगता है अथवा चक्कर आने लगते हैं। कइयों का वजन घट जाता है। कइयों को पैरों अथवा शरीर के दूसरे भागों पर सूजन आ जाती है, कभी जलोदर हो जाता है तो कभी उलटी-उबकाई जैसा लगता है। रक्तचाप उच्च हो जाता है। पेशाब में एल्ब्यमिन पाया जाता है।

आयुर्वेद के अनुसारः

सामान्य रूप से शरीर के किसी अंग में अचानक सूजन होना, सर्वांग वेदना, बुखार, सिरदर्द, वमन, रक्ताल्पता, पाण्डुता, मंदाग्नि, पसीने का अभाव, त्वचा का रूखापन, नाड़ी का तीव्र गति से चलना, रक्त का उच्च दबाव, पेट में किडनी के स्थान का दबाने पर पीड़ा होना, प्रायः बूँद-बूँद करके अल्प मात्रा में जलन व पीड़ा के साथ गर्म पेशाब आना, हाथ पैर ठंडे रहना, अनिद्रा, यकृत-प्लीहा के दर्द, कर्णनाद, आँखों में विकृति आना, कभी मूर्च्छा और कभी उलटी होना, अम्लपित्त, ध्वजभंग (नपुंसकता), सिर तथा गर्दन में पीड़ा, भूख नष्ट होना, खूब प्यास लगना, कब्जियत होना – जैसे लक्षण होते हैं। ये सभी लक्षण सभी मरीजों में विद्यमान हों यह जरूरी नहीं।

गुर्दा रोग से होने वाले अन्य उपद्रवः

गुर्दे की विकृति का दर्द ज्यादा समय तक रहे तो उसके कारण मरीज को श्वास (दमा), हृदयकंप, न्यूमोनिया, प्लुरसी, जलोदर, खाँसी, हृदयरोग, यकृत एवं प्लीहा के रोग, मूर्च्छा एवं अंत में मृत्यु तक हो सकती है। ऐसे मरीजों में ये उपद्रव विशेषकर रात्रि के समय बढ़ जाते हैं।
आज की एलोपैथी में गुर्दो रोग का सरल व सुलभ उपचार उपलब्ध नहीं है, जबकि आयुर्वेद के पास इसका सचोट, सरल व सुलभ इलाज है।

आहारः

प्रारंभ में रोगी को 3-4 दिन का उपवास करायें अथवा मूँग या जौ के पानी पर रखकर लघु आहार करायें। आहार में नमक बिल्कुल न दें या कम दें। नींबू के शर्बत में शहद या ग्लूकोज डालकर 15 दिन तक दिया जा सकता है। चावल की पतली घेंस या राब दी जा सकती है। लौकी का जूस आधा गिलास देना शुरू करे। फिर जैसे-जैसे यूरिया की मात्रा क्रमशः घटती जाय वैसे-वैसे, रोटी, सब्जी, दलिया आदि दिया जा सकता है। मरीज को मूँग का पानी, सहजने का सूप, धमासा या गोक्षुर का पानी चाहे जितना दे सकते हैं। किंतु जब फेफड़ों में पानी का संचय होने लगे तो उसे ज्यादा पानी न दें, पानी की मात्रा घटा दें।

विहारः 

गुर्दे के मरीज को आराम जरूर करायें। सूजन ज्यादा हो अथवा यूरेमिया या मूत्रविष के लक्षण दिखें तो मरीज को पूर्ण शय्या आराम (Complete Bed Rest) करायें। मरीज को थोड़े परम एवं सूखे वातावरण में रखें। हो सके तो पंखे की हवा न खिलायें। तीव्र दर्द में गरम कपड़े पहनायें। गर्म पानी से ही स्नान करायें। थोड़ा गुनगुना पानी पिलायें।

औषध-उपचारः

गुर्दे के रोगी के लिए कफ एवं वायु का नाश करने वाली चिकित्सा लाभप्रद है। जैसे कि स्वेदन, वाष्पस्नान (Steam Bath), गर्म पानी से कटिस्नान (Tub Bath)।
 रोगी को आधुनिक तीव्र मूत्रल औषधि न दें क्योंकि लम्बे समय के बाद उससे गुर्दे खराब होते हैं। उसकी अपेक्षा यदि पेशाब में शक्कर हो या पेशाब कम होता हो तो नींबू का रस, सोडा बायकार्ब, श्वेत पर्पटी, चन्द्रप्रभा, शिलाजीत आदि निर्दोष औषधियों या उपयोग करना चाहिए। गंभीर स्थिति में रक्त मोक्षण (शिरा मोक्षण) खूब लाभदायी है किंतु यह चिकित्सा मरीज को अस्पताल में रखकर ही दी जानी चाहिए।
सरलता से सर्वत्र उपलब्ध पुनर्नवा नामक वनस्पति का रस, काली मिर्च अथवा त्रिकटु चूर्ण डालकर पीना चाहिए। कुलथी का काढ़ा या सूप पियें। रोज 100 से 200 ग्राम की मात्रा में गोमूत्र पियें। पुनर्नवादि मंडूर, दशमूल, क्वाथ, पुनर्नवारिष्ट, दशमूलारिष्ट, गोक्षुरादि क्वाथ, गोक्षुरादि गूगल, जीवित प्रदावटी आदि का उपयोग दोषों एवं मरीज की स्थिति को देखकर बनना चाहिए।
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विशिष्ट परामर्श 


किडनी फेल रोगी के बढे हुए क्रिएटनिन के लेविल को नीचे लाने और गुर्दे की क्षमता बढ़ाने में हर्बल औषधि सर्वाधिक सफल होती हैं| किडनी ख़राब होने के लक्षण जैसे युरिनरी फंक्शन में बदलाव,शरीर में सूजन आना ,चक्कर आना और कमजोरी,स्किन खुरदुरी हो जाना और खुजली होना,हीमोग्लोबिन की कमी,उल्टियां आना,रक्त में यूरिया बढना आदि  में दुर्लभ जड़ी-बूटियों से निर्मित यह औषधि रामबाण की तरह असरदार सिद्ध होती है|डायलिसिस  पर   आश्रित रोगी भी लाभान्वित हुए हैं| औषधि हेतु  वैध्य दामोदर से 98267-95656 पर संपर्क किया जा सकता है|

लेटेस्ट  केस रिपोर्ट -26/10/2020

नाम किडनी फेल रोगी : अमरसिंगजी जुझार सींगजी  यादव 
स्थान : टाटका ,तहसील -सीतामऊ,जिला मंदसौर,मध्य प्रदेश 
इलाज से पहिले की टेस्ट रिपोर्ट 26/10/2020 के अनुसार 

serum Creatinine :7.18mg/dl

Urea                    :129mg/dl 




 यह औषधि लेते हुए 20 दिन बाद की स्थिति-

दिनांक-  15 /11/2020 की रिपोर्ट 

Serum creatinine :     2.18 mg/dl

urea:                          69  mg/dl  

तेजी से सुधार होते हुए स्थिति नॉर्मल होती जा रही है|
अभी इलाज जारी है| 



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इस औषधि के चमत्कारिक प्रभाव की एक  केस रिपोर्ट प्रस्तुत है-

रोगी का नाम -     राजेन्द्र द्विवेदी  
पता-मुन्नालाल मिल्स स्टोर ,नगर निगम के सामने वेंकेट रोड रीवा मध्यप्रदेश 
इलाज से पूर्व की जांच रिपोर्ट -
जांच रिपोर्ट  दिनांक- 2/9/2017 
ब्लड यूरिया-   181.9/ mg/dl
S.Creatinine -  10.9mg/dl





हर्बल औषधि प्रारंभ करने के 12 दिन बाद 
जांच रिपोर्ट  दिनांक - 14/9/2017 
ब्लड यूरिया -     31mg/dl
S.Creatinine  1.6mg/dl








जांच रिपोर्ट -
 दिनांक -22/9/2017
 हेमोग्लोबिन-  12.4 ग्राम 
blood urea - 30 mg/dl 
सीरम क्रिएटिनिन- 1.0 mg/dl
Conclusion- All  investigations normal 








 केस रिपोर्ट 2-

रोगी का नाम - Awdhesh 

निवासी - कानपुर 

ईलाज से पूर्व की रिपोर्ट

दिनांक - 26/4/2016

Urea- 55.14   mg/dl

creatinine-13.5   mg/dl 










यह हर्बल औषधि प्रयोग करने के 23 दिन बाद 17/5/2016 की सोनोग्राफी  रिपोर्ट  यूरिया और क्रेयटिनिन  नार्मल -
creatinine 1.34 mg/dl
urea 22  mg/dl














लेटेस्ट  केस रिपोर्ट -नाम किडनी फेल रोगी : अमरसिंगजी जुझार सींगजी  यादव 
स्थान : टाटका ,तहसील -सीतामऊ,जिला मंदसौर,मध्य प्रदेश 
इलाज से पहिले की टेस्ट रिपोर्ट 26/10/2020 के अनुसार 

serum Creatinine :7.18mg/dl

Urea                    :129mg/dl 

 यह औषधि पीने के 20 दिन बाद की स्थिति-

दिनांक-
र्ट 
 यह औषधि पीने के 20 दिन बाद की स्थिति-

दिनांक-  15 /11/2020 की रिपोर्ट 

Serum creatinine :     2.18 mg/dl

urea:                          69  mg/dl  

तेजी से सुधार होते हुए स्थिति नॉर्मल होती जा रही है|
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15.7.17

न्यूमोनिया की आयुर्वेदिक चिकित्सा -डॉ॰आलोक






मानसून में होने वाली बीमारियों में निमोनिया एक ऐसी बीमारी है जो कि बच्चों में सामान्यत: पाई जाती है। यदि किसी को लगातार तेज बुखार, सांस लेने में तकलीफ, छती में दर्द, बलगम वाली खांसी और नाड़ी तेज चल रही हो (150 बीट्स प्रति मिनट), तो उसकी देखभाल बहुत जरूरी है, यह निमोनिया हो सकता है।
निमोनिया एक संक्रमण है जो कि फेफड़ों को प्रभावित करता है। फिर भी, बच्चे और बड़ी उम्र के लोग इसे ज्यादा प्रभावित होते हैं क्यों कि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता युवाओं की तुलना में कम होती है। जब भी उनमें यह संक्रमण होता है उन्हें कमजोरी महसूस होती है और उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती करना जरूरी हो जाता है।
निमोनिया एक इन्फ़ैकशन है जो कि बैक्टीरिया, वायरस और कवक से फैलता है। इस बीमारी से दूर रहने के लिए स्वच्छता का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। आज हम आपको निमोनिया के इलाज की 8 प्रभावी औषधियाँ बता रहे हैं, आइए जानें..

*लहसुन का पेस्ट
लहसुन से शरीर का तापमान कम होता है और यह निमोनिया में प्रभावी है। लहसुन की कुछ पोथियां लें और मसलकर इनका पेस्ट बना लें। इसे छाती पर मसलें।
*लौंग और काली मिर्च
5-6 लौंग और काली मिर्च लें और 1 पानी के गिलास में 1 ग्राम सोडा लेकर इन्हें उबाल लें। इसे दिन में 1-2 बार लें। इससे निमोनिया में राहत मिलेगी।
* हल्दी
यह निमोनिया की आयुर्वेदिक औषधि है। हल्दी को गुनगुने पानी में मिलाएँ, इसे छाती पर लगा दें, अब गरम ईंट पर गरम किया हुआ कपड़ा लगा दें। इससे छाती में उत्तेजना होगी और निमोनिया की सूजन दूर होगी।
* सन के बीज, तिल और शहद मिलाएँ
एक टेबलस्पून सेम के बीज, तिल और शहद मिलाएँ, इसमें एक चुटकी नमक डालें और पानी मिलाएँ। इसका दिन में दो बार सेवन करें। इससे सूजन कम होती है।
* ब्लैक टी और मेथी का मिश्रण
दो टी स्पून मेथी पाउडर में एक कप ब्लैक टी मिलाएँ। यदि आवश्यक हो तो चीनी भी मिलाएँ और दिन में एक बार पियें। इससे निमोनिया दूर होगा।


*तुलसी की पत्तियों का रस

तुलसी की कुछ पत्तियाँ लें, इन्हें मसलकर इनका रस निकाल लें। इसमें थोड़ी काली मिर्च मिलाएँ और 6 घंटे में एक बार पियें। यह भी निमोनिया में कारगर है।
*पुदीने की पत्तियाँ
पुदीने की कुछ पत्तियाँ लें, इन्हें मसलकर रस निकाल लें। इसमें एक टेबल स्पून शहद मिला लें और दो-तीन घंटों के अंतराल से लें।
* त्रिफला और अश्वगंधा
खाने में त्रिफला और अश्वगंधा के साथ थोड़ी अदरक और इलायची मिलाने से भी निमोनिया का इलाज होता है।
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13.7.17

अक्सर होने वाली बीमारियों का घरेलू इलाज ,Home remedies for frequent illnesses/




  वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन की एक मेडिसिन स्ट्रैटजी रिपोर्ट से यह पुष्टि होती है कि, “लाखों लोगों के लिए स्वास्थ्य देखभाल का मुख्य स्रोत हर्बल मेडिसिन, पारंपरिक उपचार और पारपंरिक चिकित्सका है और कभी-कभी यह सिर्फ देखभाल का ही स्रोत होता है। यह देखभाल घरेलू, सुलभ और सस्ती होती है
   हम ज़्यादा गहराई में जाए बिना, लगभग रोज़ होने वाली समस्याओं के बारे में बता रहे हैं। बीमारियां जैसे कफ एंड कोल्ड, छींकना, जलन कुछ ऐसी बीमारियां हैं जो घर के किसी न किसी सदस्य को होती हैं।

*एसिड अटैकः 

क्या आपको छाती और पेट में दर्द, सूजन महसूस होती है? अगर हां, तो आपको एसिडिटी हो सकती है। ऐसे में आप वह कर सकते हैं, जो मैं इतने सालों से करती आ रही हूं- थोड़ा अदरक और नींबू का रस मिलाकर उसे पी लें। नींबू का रस आपकी एसिडिटी को दूर करने में मदद करेगा और अदरक विटामिन सी और मैग्नीशियम से भरपूर एंटी- इंफ्लामेटरी और पेन-किलर का काम करती है।



*कोल्ड एंड कफः

 अक्सर ऐसा कहा जाता है कि ठंड में गीले बालों के साथ बाहर जाने पर आपको कोल्ड होने का डर बना रहता है, लेकिन यह बस एक पुरानी कहावत है। जब आपका इम्यूनिटी सिस्टम कमजोर होता है, तो बदलते मौसम में छींक और कफ साधारण बात है। पेट में दर्द, कोल्ड और कफ कुछ दिनों के लिए ही रहता है और इनका एकदम से इलाज संभव नहीं है। लेकिन यहां कुछ उपचार हैं जिन्हें अगर सही तरीके से लिया जाए तो यह धीरे-धीरे ठीक हो जाता है।



इसके अलावा, हल्के गर्म दूध में हल्दी मिलाकर पिएं। हल्दी एक शक्तिशाली मसाला है। यही नहीं, आयुर्वेद के घरेलू उपचार में भी आप इसे पाएंगे। यह एक शक्तिशाली एंटी- इंफ्लामेटरी, एंटी-फंगल और एंटी- बैक्टीरियल होती है। यह स्वास्थ्य के लिए अच्छी होती है। हल्दी कफ, कोल्ड और बंद छाती को खोलने में भी मददगार है।

*.पेट की परेशानीः 


हम सभी को लगभग हर सुबह पेट की परेशानी होती है, कॉन्सटिपेशन की समस्या हमारा सुबह का बहुत समय ले लेती है, क्योंकि सही से फ्रेश न होने की वजह से हम खुद को काफी देर तक बाथरूम में बंद कर लेते हैं। आयुर्वेद में इनका उपाय बताया गया है। यहां कॉन्सटिपेशन होने के कुछ कारण हैः पूरा दिन ढेर सारा पानी न पीना, ज़्यादा मात्रा में डेयरी प्रॉडक्ट का सेवन करना और ऐसा ही बहुत कुछ। इसके पीछे कुछ भी कारण हो, लेकिन कुछ घरेलू नुस्खे आपको इससे बहुत जल्द निज़ात दिला सकते हैं। रात को सोते समय गर्म पानी के साथ दो से तीन चम्मच त्रिफला लें, जो कि एक घुट्टी की तरह काम करती है और इससे अगली सुबह आपको फ्रेश होने में बिल्कुल भी दिक्कत नहीं होगी। इसके साथ ही, अपनी डाइट में जैतून का तेल, तिल का तेल और घी शामिल करें। यही नहीं, सोने से पहले एक चम्मच अलसी के बीज खाना, त्रिफला की तरह ही काम करता है।
कॉन्सटिपेशन के साथ ही एक अन्य समस्या है पेट में सूजन या फिर पेट का फूलना। यह कॉन्सटिपेशन से ज़्यादा दर्दभरा होता है। इससे निपटने के लिए क्या हमारे पास कोई घरेलू उपचार है? जी हां, बिल्कुल है। पानी में थोड़ा जीरा डालकर उबालें और उसे छानकर पी लें। यह आपके सिस्टम को साफ करके आराम पहुंचाएगा।



*दाग-धब्बेः 

स्किन पर दाग-धब्बे की परेशानी अक्सर कम लोगों को ही होती है, लेकिन यह निर्भर करता है कि आपने क्या खाया है और आप क्या करते हैं। बहुत ज़्यादा तला हुआ खाना, अनियमित फूड, कॉन्सटिपेशन, गर्मी पैदा करने वाले खाद्य पदार्थ खाने वाले लोगों को अक्सर स्किन की परेशानी हो जाती है। थोड़े-से नीम के पत्ते लेकर उन्हें क्रश कर लें और दाग-धब्बों पर लगाएं। नीम के पत्ते एंटी-बैक्टीरियल और ठंडक पहुंचाने का काम करते हैं। इसके अलावा अच्छे नतीजों के लिए आप संतरे के छिलकों को भी चेहरे पर स्क्रब कर सकते हैं। मेरी दादी ने बचपन में मेरे लिए ऐसा कई बार किया है- वह चंदन पाउडर और गुलाब जल को मिलाकर पैक की तरह दिन में दो बार लगाती थीं।



*उबकाईः 

यहां उबकाई आने के कई कारण हैं- खराब खाना, जरूरत से ज़्यादा खा लेना, खाने का हजम न होना, एलर्जी आदि। ‘आयुर्वेद और पंचकर्म, द साइंस ऑफ हीलिंग एंड रिजूवनैशन’ बुक के लेखक सुनील वी. जोशी का कहना है कि, “ उबकाई एक जरिया है, हमारे शरीर के बारे में बताने का कि हमें खाना सही से हजम नहीं हुआ है और बॉडी उसे बाहर निकालना चाहती है। बहुत बार, लोग उबकाई और जी मिचलाने जैसी समस्याओं से निपटने के लिए कॉफी और एसिडिटी से निपटने वाली चीजों का सेवन कर लेते हैं। ऐसे में उबकाई को सिर्फ कुछ देर के लिए रोका जा सकता है, लेकिन उससे छुटकारा नहीं पाया जा सकता। इससे रात तक आपकी बॉडी में और ज़्यादा एसिडिटी बन जाती है, और यह समय के साथ स्थिति को और बिगाड़ देती है
     इस लेख के माध्यम से दी गयी जानकारी आपको अच्छी और लाभकारी लगी हो तो कृपया लाईक,comment  और शेयर जरूर कीजियेगा । आपके एक शेयर से किसी जरूरतमंद तक सही जानकारी पहुँच सकती है और हमको भी आपके लिये और बेहतर लेख लिखने की प्रेरणा मिलती है|
  1. पायरिया के घरेलू इलाज
  2. चेहरे के तिल और मस्से इलाज
  3. लाल मिर्च के औषधीय गुण
  4. लाल प्याज से थायराईड का इलाज
  5. जमालगोटा के औषधीय प्रयोग
  6. एसिडिटी के घरेलू उपचार
  7. नींबू व जीरा से वजन घटाएँ
  8. सांस फूलने के उपचार
  9. कत्था के चिकित्सा लाभ
  10. गांठ गलाने के उपचार
  11. चौलाई ,चंदलोई,खाटीभाजी सब्जी के स्वास्थ्य लाभ
  12. मसूड़ों के सूजन के घरेलू उपचार
  13. अनार खाने के स्वास्थ्य लाभ
  14. इसबगोल के औषधीय उपयोग
  15. अश्वगंधा के फायदे
  16. लकवा की चमत्कारी आयुर्वेदिक औषधि वृहत वात चिंतामणि रस
  17. मर्द को लंबी रेस का घोडा बनाने के अद्भुत नुस्खे
  18. सदाबहार पौधे के चिकित्सा लाभ
  19. कान बहने की समस्या के उपचार
  20. पेट की सूजन गेस्ट्राईटिस के घरेलू उपचार
  21. पैर के तलवों में जलन को दूर करने के घरेलू आयुर्वेदिक उपचार
  22. लकवा (पक्षाघात) के आयुर्वेदिक घरेलू नुस्खे
  23. डेंगूबुखार के आयुर्वेदिक नुस्खे
  24. काला नमक और सेंधा नमक मे अंतर और फायदे
  25. कालमेघ जड़ी बूटी लीवर रोगों की महोषधि
  26. हर्निया, आंत उतरना ,आंत्रवृद्धि के आयुर्वेदिक उपचार
  27. पाइल्स (बवासीर) के घरेलू आयुर्वेदिक नुस्खे
  28. चिकनगुनिया के घरेलू उपचार
  29. चिरायता के चिकित्सा -लाभ
  30. ज्यादा पसीना होने के के घरेलू आयुर्वेदिक उपचार
  31. पायरिया रोग के आयुर्वेदिक उपचार
  32. व्हीटग्रास (गेहूं के जवारे) के रस और पाउडर के फायदे
  33. घुटनों के दर्द को दूर करने के रामबाण उपाय
  34. चेहरे के तिल और मस्से हटाने के उपचार
  35. अस्थमा के कारण, लक्षण, उपचार और घरेलू नुस्खे
  36. वृक्क अकर्मण्यता(kidney Failure) की रामबाण हर्बल औषधि
  37. शहद के इतने सारे फायदे नहीं जानते होंगे आप!
  38. वजन कम करने के उपचार
  39. केले के स्वास्थ्य लाभ
  40. लीवर रोगों की महौषधि भुई आंवला के फायदे
  41. हरड़ के गुण व फायदे
  42. कान मे मेल जमने से बहरापन होने पर करें ये उपचार
  43. पेट की खराबी के घरेलू उपचार
  44. शिवलिंगी बीज के चिकित्सा उपयोग
  45. दालचीनी के फायदे
  46. बवासीर के खास नुखे
  47. भूलने की बीमारी के उपचार
  48. आम खाने के स्वास्थ्य लाभ
  49. सोरायसीस के उपचार
  50. गुर्दे की सूजन के घरेलू उपचा