चम्पा (Plumeria) के गुण – यह कसैली, चरपरी, मधुर, शीतल तथा विष, क्रमी, बात, कफ, और पित्त नाशक होती है|
चम्पा की छाल और पत्तियों का उपयोग बुखार उतारने के लिए विशेषकर उन माताओं के जिनकी डिलेवरी अभी हुई है । फूलों का उपयोग कुष्ठ रोग में और पत्तियों का उपयोग पैर दर्द के लिए किया जाता है ।
चंपा का पेड़ औषधीय गुणों से भरपूर होता है। चंपा के पत्तों का ताजा रस 20 ग्राम पीने से पेट के नुकसानदायक कीड़े मर जाते हैं। चंपा के सूखे पत्तों को पीसकर कुष्ठ रोग के घावों में लगाने से कुष्ठ रोग ठीक हो जाता है।
चम्पा का वृक्ष मंदिर परिसर और आश्रम के वातावरण को शुद्ध करने के लिए लगाये जाते है । चम्पा के खूबसूरत, मन्द सुगंधित हल्के सफेद, पीले फूल पूजा में उपयोग किये जाते हैं । चम्पा का मूल उत्पत्ति स्थान भारत में पूर्वी हिमालय तथा तथा इंडोनेशिया है ।
चम्पा के फूल कड़वे , अग्निवर्धक और चर्म रोगों में लाभदायी होते हैं । हृदय और मस्तिष्क को शक्ति देते हैं । कुष्ठ, चोट, रक्त विकार आदि रोगों में इसका लेप लाभप्रद है
चम्पा की कलियां पानी में पीसकर चेहरे पर लगाने से दाग-धब्बे, झाइयां दूर हो जाती हैं । सुजाक में भी चम्पा के फूल लाभदायक हैं ।
चम्पा का वृक्ष दक्षिण-पूर्व एशिया ,चीन, मलेशिया, सुमात्रा, जावा और भारत में पाया जाता है । भारतीय चम्पा के 5 प्रमुख प्रकार हैं 1. सोन चम्पा, 2. नाग चम्पा, 3. कनक चम्पा, 4. सुल्तान चम्पा, 5. कटहरी चम्पा ।
पत्ते लम्बे-लम्बे महुआ के पत्तों की भांति पीले रंग के तथा कोमल होते हैं। इसके फूल पीले 4-5 पंखुड़ियों सहित 5-7 केसरों से युक्त होते हैं। चम्पा फूल तीन रंगों में :- सफेद, लाल और पीले में पाया जाता है ।
पीले रंग की चम्पा को स्वर्ण चम्पा कहा जाता है और ये बहुत कम नजर आता है । चम्पा के वृ़क्ष पर 2 से 3 साल बाद फूल लगने शुरू हो जाते हैं ।
विभिन्न भाषाओं में नाम :-
हिन्दी-चंपा ,मराठी-सोनचम्पा, तमिल-चम्बुगम या चम्बुगा, मणिपुरी-लिहाओ, तेलगु-चम्पानजी, कन्नड-चम्पीजे, बगाली-चंपा, शिंगली -सपु, उड़िया-चोम्पो, इण्डोनेशियाई -कम्पक।
चम्पा को कामदेव के पाँच फूलों में गिना जाता है। देवी माँ ललिता अम्बिका के चरणों में भी चम्पा के फूल को अन्य फूलों जैसे- अशोक, पुन्नाग के साथ सजाया जाता है। पुन्नाग प्रजाति के फूल का सम्बन्ध भगवान विष्णु से माना जाता है। रविन्द्रनाथ टैगोर ने इसे अमर फूल कहा है। चम्पा का वृक्ष वास्तु की दृष्टि से सौभाग्य का प्रतीक माना गया है। इसी कारण दक्षिणी एशिया के बौद्ध मंदिरों में ये बहुतायत से पाए जाते हैं
विदेशी संस्कृति में-
बांग्लादेश में इसके पुष्प को मृत्यु से जोड़ा जाता है। अनेक स्थानीय लोक-मान्यताओं में चम्पा का भूत-प्रेत और राक्षसों को आश्रय प्रदान करने वाला वृक्ष माना जाता है। इसकी सुगन्ध को मलय लोक कथाओं में एक पिशाच से सम्बन्धित माना गया है। फिलीपीन्स में, जहाँ इसे कालाचूची कहते हैं इसे मृत आत्माओं से संबंधित माना गया है, इसकी कुछ प्रजातियों को कब्रिस्तानों में लगाया जाता है। फीजी आदि द्वीप समूह के देशों में महिलाओं द्वारा इसके फूल को रिश्ते के संकेत के रूप में कानों में धारण किया जाता है। दाहिने कान में पहनने का मतलब रिश्ते की माँग और बाँये कान में पहनने का मतलब रिश्ता मिल गया है।
औषधीय गुण :-
* दिल और दिमाग शक्ति शाली बनता है।( चम्पा के फूल सूंघने से ) ।
* जलन में आराम मिलता है। ( चम्पा फूलों को पीसकर शरीर में लेप करने से )।
*आमाशय का घाव एवं दर्द ठीक हो जाता है।( चम्पा के फूलों का काढ़ा पीने से )।
* गठिया के रोगी को चम्पा के फूलों के तेल से मालिश करने से लाभ मिलता है।
* शरीर की शक्ति को बढ़ाने के लिए। ( चम्पा के फूलों का चूर्ण , शहद मिलाकर खाने से )
* रुकी हुई माहवारी । चम्पा की जड़ का चूर्ण 600 मिलीग्राम से 1.80 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम देने से
*सांप के विष पर- बेल की छाल और इसकी की छाल को एक साथ पीस कर उसका रस पीना चाहिए इससे विष का असर खत्म हो जाता है.
*गैस पर-
गैस की परेशानी में सफेद इसके के पत्तों को गरम करके सेकना चाहिए या इनका रस पीना चाहिए इससे गैस की परेशानी दूर हो जाती है.
खुजली में-
खुजली में-
इसके के दूध में नारियल या चन्दन का तेल और कपूर मिला कर लेप करने से खुजली दूर हो जाती है.
गांठें बिठाने के लिए-
गांठें बिठाने के लिए-
चम्पा का दूध लगाने से गाँठ आदि बैठ जाती है.
इसका रस इतना गरम होता है की शरीर पर लगने से छाले पड जाते हैं. इसके फूलों का शाक बनाया जाता है. चम्पा का वृक्ष कुष्ठ, खाज,शूल, कफ, वायु, और उदर का नाश करता है.
इसका रस इतना गरम होता है की शरीर पर लगने से छाले पड जाते हैं. इसके फूलों का शाक बनाया जाता है. चम्पा का वृक्ष कुष्ठ, खाज,शूल, कफ, वायु, और उदर का नाश करता है.
* चेहरा दाग धब्बे रहित और चमकदार हो जाता है। चम्पा फूलों को पीसकर पानी या निम्बू के रस के साथ लगाने से ।
* दूषित रक्त (खून की खराबी) साफ हो जाता है। 3 ग्राम चम्पा की छाल के चूर्ण को दिन में 2 बार पानी के साथ खाने से ।
* दूषित रक्त (खून की खराबी) साफ हो जाता है। 3 ग्राम चम्पा की छाल के चूर्ण को दिन में 2 बार पानी के साथ खाने से ।
सावधानियां
* चम्पा के फूल कड़वे और ठण्डी प्रकृति की होती है।
* चिकित्सा के लिए उपयोग करने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श अवश्य ले लें।
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* चिकित्सा के लिए उपयोग करने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श अवश्य ले लें।