1.2.17

अमलतास के गुण ,लाभ,उपचार Cassia properties, benefits, treatment


      

     शहरों में उद्यानों और सड़कों के सौंदर्यीकरण के लिए लगाए जाने वाले अमलतास के पेड़ के सभी अंग जैसे छाल, फल और पत्तियों का इस्‍तेमाल प्राचीन काल से ही औषधि के रूप में किया जा रहा है।
   पीले फूलों वाले अमलतास का पेड़ सड़कों के किनारे और बगीचों में प्राय देखने को मिल जाता हैं। इस खूबसूरत पेड़ को शहरों में सड़क के किनारे अक्सर सजावट वाले पेड़ के तौर पर लगाया जाता है। इसकी पत्तियां गहरे हरे रंग की और फूल पीले चमकीले होते है। लेकिन क्‍या आप जानते हैं कि शहरों में उद्यानों और सड़कों के सौंदर्यीकरण के लिए लगाए जाने वाले इस पेड़ के सभी अंगों जैसे छाल, फल और पत्तियों का इस्‍तेमाल प्राचीन काल से ही औषधि के रूप में किया जा रहा है।
     भारत में इसके वृक्ष प्राय: सब प्रदेशों में मिलते हैं। तने की परिधि तीन से पाँच कदम तक होती है, किंतु वृक्ष बहुत उँचे नहीं होते। शीतकाल में इसमें लगनेवाली, हाथ सवा हाथ लंबी, बेलनाकार काले रंग की फलियाँ पकती हैं। इन फलियों के अंदर कई कक्ष होते हैं जिनमें काला, लसदार, पदार्थ भरा रहता है। वृक्ष की शाखाओं को छीलने से उनमें से भी लाल रस निकलता है जो जमकर गोंद के समान हो जाता है। फलियों से मधुर, गंधयुक्त, पीले कलझवें रंग का उड़नशील तेल मिलता है।
इसका प्रयोग कई रोगों को ठीक करने में किया जाता है और इसके मुख्य प्रयोग नीचे दिये है-
   



श्वास कष्ट ठीक करने के लिए-

अस्थमा के रोगी में कफ को निकालने और कब्ज को दूर करने के लिये फलों का गूदा दो ग्राम पानी में घोलकर गुनगुना सेवन करना चहिये ।अस्थमा की शिकायत होने पर पत्तियों को कुचलकर 10 मिली रस पिलाया जाए तो सांस की तकलीफ में काफी आराम मिल जाता है।प्रतिदिन दिन में दो बार लगभग एक माह तक लगातार पिलाने से रोगी को राहत मिल जाती है।


सर्दी जुकाम में लाभकारी-
अमलतास आम सर्दी जुकाम के उपचार में कारगर होता है। जलती अमलतास जड़ का धुआं बहती नाक का इलाज करने में सहायक होता है। यह धुआं बहती नाक को उत्‍तेजित करने के लिए जाना जाता है, और तुरंत राहत प्रदान करता है।
शरीर में जलन होने पर-
पेशाब में जलन होने पर अमलतास के फल के गूदे, अंगूर, और पुनर्नवा की समान मात्रा (प्रत्येक ६ ग्राम) लेकर 250 मिली पानी में उबाला जाता है और 20 मिनिट तक धीमी आँच पर उबाला जाता है। ठंडा होने पर रोगी को दिया जाए तो पेशाब में जलन होना बंद हो जाती है।
घाव ठीक करने के लिए- :
 इसकी छाल के काढ़े का प्रयोग घावों को धोने के लिये किया जाता है । इससे संक्रमण नही होता है ।



बुखार में प्रयोग-

बुखार होने पर अमलतास के गूदे की 3 ग्राम मात्रा दिन में तीन बार 6 दिनों तक लगातार दिया जाए तो बुखार में आराम मिल जाता है और बुखार के साथ होने वाले बदन दर्द में भी राहत मिलती है।
गले की खरास ठीक करने के लिए: -
इसके लिए जड़ की छाल का काढ़ा बनाकर, गुनगुने काढ़े से गरारा करने से फायदा मिलता है |
शुगर के लिए फायदेमंद-
आदिवासी मधुमेह (डायबिटीज़) के रोगियों को प्रतिदिन अमलतास की फल्लियों के गूदे का सेवन करने की सलाह देते हैं। प्रतिदिन सुबह शाम 3 ग्राम गूदे का सेवन गुनगुने पानी के साथ करने से मधुमेह में आराम मिलने लगता है।
एसिडिटी ठीक करने के लिए:-
 फल के गूदे को पानी मे घोलकर हलका गुन्गुना करके नाभी के चारों ओर 10-15 मिनट तक मालिस करें । यह प्रयोग नियमित करने से स्थायी लाभ होता है ।
अमलतास की फल्लियों और छाल के चूर्ण को उबालकर पिया जाए तो आर्थरायटिस और जोड़ दर्द में आराम देता है। 
सूखी खांसी ठीक करने के लिए :-
 इसकी फूलों का अवलेह बनाकर सेवन करने से सूखी खांसी दूर हो जाती है |
आंवला और अमलतास के गूदे की समान मात्रा को मिलाकर 100 मिली पानी में उबाला जाए और जब यह आधा शेष बचे तो इसे छान लिया जाए और रक्त विकारों से ग्रस्त रोगियों को दिया जाए तो विकार शांत हो जाते है।

पेट के रोगों में लाभकारी-

बच्‍चों को अक्‍सर पेट में गैस, दर्द और पेट फूलना जैसी समस्‍याएं होती है। इन समस्‍याओं के होने पर अमलतास के गूदे को नाभि के आस-पास के हिस्‍से में लगाने फायदा होता है। यह प्रयोग नियमित रूप से करने से स्‍थायी रूप से फायदा होता है। इसके अलावा गूदे को बादाम या अलसी के तेल के साथ मिलाकर लेने से मल त्‍याग की समस्‍याओं को दूर करने में मदद मिलती है।|
त्वचा रोग- : 
त्वचा रोगों में इसका गूदा 5 ग्राम इमली और 3 ग्राम पानी में घोलकर नियमित प्रयोग से लाभ होता है | इसके पत्तों को बारीक पीसकर उसका लेप भी साथ-साथ करने से लाभ मिलता गये है |अमलतास की पत्तियों को छाछ के साथ कुचलकर त्वचा पर लगाया जाए तो त्वचा संबंधित अनेक समस्याओं में आराम मिल जाता है। दाद खाज खुजली होने पर अमलतास की फल्लियों के पल्प/ गूदे और मीठे नीम की पत्तियों को साथ में कुचला जाए और संक्रमित त्वचा पर इसे लेपित किया जाए तो आराम मिल जाता है।
कब्ज दूर करने के लिए - 
एक चम्मच फल के गूदे को एक कप पानी में भिगोकर मसलकर छान ले | इसके प्रयोग से कब्ज दूर हो जाता है |
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30.1.17

पलाश(ढाक) के औषधीय गुण//Palash (Dhak) medicinal properties





पलाश (पलास, परसा, ढाक, टेसू, किंशुक, केसू) एक वृक्ष है जिसके फूल बहुत ही आकर्षक होते हैं। इसके आकर्षक फूलो के कारण इसे "जंगल की आग" भी कहा जाता है। प्राचीन काल ही से होली के रंग इसके फूलो से तैयार किये जाते रहे है। भारत भर मे इसे जाना जाता है। एक "लता पलाश" भी होता है। लता पलाश दो प्रकार का होता है। एक तो लाल पुष्पो वाला और दूसरा सफेद पुष्पो वाला। लाल फूलो वाले पलाश का वैज्ञानिक नाम ब्यूटिया मोनोस्पर्मा है। सफेद पुष्पो वाले लता पलाश को औषधीय दृष्टिकोण से अधिक उपयोगी माना जाता है। वैज्ञानिक दस्तावेजो मे दोनो ही प्रकार के लता पलाश का वर्णन मिलता है। सफेद फूलो वाले लता पलाश का वैज्ञानिक नाम ब्यूटिया पार्वीफ्लोरा है जबकि लाल फूलो वाले को ब्यूटिया सुपरबा कहा जाता है। एक पीले पुष्पों वाला पलाश भी होता है।

    जिसकी समिधा यज्ञ में प्रयुक्त होती है, ऐसे हिन्दू धर्म में पवित्र माने गये पलाश वृक्ष को आयुर्वेद ने 'ब्रह्मवृक्ष' नाम से गौरवान्विति किया है। पलाश के पाँचों अंग (पत्ते,फूल, फल, छाल, व मूल) औषधीय गुणों से सम्पन्न हैं। यह रसायन (वार्धक्य एवं रोगों को दूर रखने वाला), नेत्रज्योति बढ़ाने वाला व बुद्धिवर्धक भी है।
*पलाश व बेल के सूखे पत्ते, गाय का घी व मिश्री समभाग मिलाकर धूप करने से बुद्धि शुद्ध होती है |
*वसंत ऋतु में पलाश लाल फूलों से लद जाता है। इन फूलों को पानी में उबालकर केसरी रंग बनायें। यह रंग पानी में मिलाकर स्नान करने से आने वाली ग्रीष्म ऋतु की तपन से रक्षा होती है, कई प्रकार के चर्मरोग भी दूर होते हैं।
इसके पत्तों से बनी पत्तलों पर भोजन करने से चाँदी के पात्र में किये गये भोजन के समान लाभ प्राप्त होते हैं।
*इसके पुष्प मधुर व शीतल हैं। उनके उपयोग से पित्तजन्य रोग शांत हो जाते हैं।
*.पलाश के बीज उत्तम कृमिनाशक व कुष्ठ (त्वचारोग) दूर करने वाले हैं।
.इसकी जड़ अनेक नेत्ररोगों में लाभदायी है।

पलाश के फूलों द्वारा उपचारः

*महिलाओं के मासिक धर्म में अथवा पेशाब में रूकावट हो तो फूलों को उबालकर पुल्टिस बना के पेड़ू पर बाँधें। अण्डकोषों की सूजन भी इस पुल्टिस से ठीक होती है।
*रतौंधी की प्रारम्भिक अवस्था में फूलों का रस आँखों में डालने से लाभ होता है।
*मेह (मूत्र-संबंधी विकारों) में पलाश के फूलों का काढ़ा (50 मि.ली.) मिलाकर पिलायें।
*आँख आने पर (Conjunctivitis) 
फूलों के रस में शुद्ध शहद मिलाकर आँख मे आंजे|

पलाश के बीजों द्वारा उपचारः

*पलाश के बीज आक (मदार) के दूध में पीसकर बिच्छूदंश की जगह पर लगाने से दर्द मिट जाता है।
1.पलाश के बीजों में पैलासोनिन नामक तत्त्व पाया जाता है, जो उत्तम कृमिनाशक है। 3 से 6 ग्राम बीज-चूर्ण सुबह दूध के साथ तीन दिन तक दें । चौथे दिन सुबह 10 से 15 मि.ली. अरण्डी का तेल गर्म दूध में मिलाकर पिलायें, इससे कृमि निकल जायेंगे।
*इसके बीजों को नींबू के रस के साथ पीस कर खुजली तथा एक्जिमा तथा दाद जैसी परेशानियां दूर करने में काम में लिया जाता है।


छाल व पत्तों द्वारा उपचारः

*नाक, मल-मूत्रमार्ग अथवा योनि द्वारा रक्तस्राव होता हो तो छाल का काढ़ा (50 मि.ली.) बनाकर ठंडा होने पर मिश्री मिला के पिलायें।
*.बवासीर में पलाश के पत्तों की सब्जी घी व तेल में बनाकर दही के साथ खायें।
*बालकों की आँत्रवृद्धि (Hernia) में छाल का काढ़ा (25 मि.ली.) बनाकर पिलायें।
*इसकी पत्तियां रक्त, शर्करा ,ब्लड शुगर को कम करती हैं तथा ग्लुकोसुरिया को नियंत्रित करती है, इसलिए मधुमेह की बीमारी में यह खासा आराम देती हैं।

पलाश के गोंद द्वारा उपचारः

*पलाश का  गोंद गर्म पानी में घोलकर पीने से दस्त व संग्रहणी में आराम मिलता है।
*पलाश का 1 से 3 ग्राम गोंद मिश्रीयुक्त दूध अथवा आँवले के रस के साथ लेने से बल एवं वीर्य की वृद्धि होती है तथा अस्थियाँ मजबूत बनती हैं और शरीर पुष्ट होता है।


*पलाश की गोंद को बंगाल में किनो नाम से भी जाना जाता है और डायरिया व पेचिश जैसे रोगों की चिकित्सा में प्रयोग किया जाता है।
और भी-
*बवासीर के मरीजों को पलाश के पत्तों का साग ताजे दही के साथ खाना चाहिए लेकिन साग में घी ज्यादा चाहिए।
*बुखार में शरीर बहुत तेज दाहक रहा हो तो पलाश के पत्तों का रस लगा लीजिये शरीर पर 15 मिनट में सारी जलन ख़त्म हो जाती है।
*जो घाव भर ही न रहा हो उस पर पलाश की गोंद का बारीक चूर्ण छिड़क लीजिये फिर देखिये।
*फीलपांव या हाथीपाँव में पलाश की जड़ के रस में सरसों का तेल मिला कर रख लीजिये बराबर मात्रा में और फिर सुबह शाम 2-2 चम्मच पीजिये।


*नेत्रों की ज्योति बढानी है तो पलाश के फूलों का रस निकाल कर उसमें शहद मिला लीजिये और आँखों में काजल की तरह लगाकर सोया कीजिए- अगर रात में दिखाई न देता हो तो पलाश की जड़ का अर्क आँखों में लगाइए।
*दूध के साथ प्रतिदिन एक (पलाश) पुष्प पीसकर दूध में मिला के गर्भवती माता को पिलायें-इससे बल-वीर्यवान संतान की प्राप्ति होती है।
*यदि अंडकोष बढ़ गया हो तो पलाश की छाल का 6 ग्राम चूर्ण पानी के साथ निगल लीजिये।
*नारी को गर्भ धारण करते ही अगर गाय के दूध में पलाश के कोमल पत्ते पीस कर पिलाते रहिये तो शक्तिशाली और पहलवान बालक पैदा होगा।
*यदि इसी पलाश के बीजों को मात्र लेप करने से नारियां अनचाहे गर्भ से बच सकती हैं।

*पेशाब में जलन हो रही हो या पेशाब रुक रुक कर हो रहा हो तो पलाश के फूलों का एक चम्मच रस निचोड़ कर दिन में बस 3 बार पी लीजिये।
*नाक-मल-मूत्रमार्ग अथवा योनि द्वारा रक्तस्राव होता हो तो छाल का काढ़ा (50 मि.ली.) बनाकर ठंडा होने पर मिश्री मिला के पिलायें- इसे इन्ही गुणों के कारण ब्रह्मवृक्ष कहना उचित है।
*प्रमेह (वीर्य विकार) : पलाश की मुंहमुदी (बिल्कुल नई) कोपलों को छाया में सुखाकर कूट-छानकर गुड़ में मिलाकर लगभग 10 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम खाने से प्रमेह नष्ट हो जाता है। ◆ टेसू की जड़ का रस निकालकर उस रस में 3 दिन तक गेहूं के दाने को भिगो दें। उसके बाद दोनों को पीसकर हलवा बनाकर खाने से प्रमेह, शीघ्रपतन (धातु का जल्दी निकल जाना) और कामशक्ति की कमजोरी दूर होती है।
*स्तम्भन एवम शुक्र शोधन हेतु : इसके लिए पलाश कि गोंद घी में तलकर दूध एवम मिश्री के साथ सेवन करें। दूध यदि देसी गाय का हो तो श्रेष्ठ है।
वसंत ऋतु में पलाश लाल फूलों से लद जाता है इन फूलों को पानी में उबालकर केसरी रंग बनायें- यह रंग पानी में मिलाकर स्नान करने से आने वाली ग्रीष्म ऋतु की तपन से रक्षा होती है तथा कई प्रकार के चर्मरोग भी दूर होते हैं।
*महिलाओं के मासिक धर्म में अथवा पेशाब में रूकावट हो तो फूलों को उबालकर पुल्टिस बना के पेड़ू पर बाँधें-अण्डकोषों की सूजन भी इस पुल्टिस से ठीक होती है।


पलाश के बीजों में पैलासोनिन नामक तत्त्व पाया जाता है जो उत्तम कृमिनाशक है- 3 से *6 ग्राम बीज-चूर्ण सुबह दूध के साथ तीन दिन तक दें -चौथे दिन सुबह 10 से 15 मि.ली. अरण्डी का तेल गर्म दूध में मिलाकर पिलायें इससे पेट के कृमि निकल जायेंगे।
*पलाश के बीज + आक (मदार) के दूध में पीसकर बिच्छूदंश की जगह पर लगाने से दर्द मिट जाता है
*वाजीकरण (सेक्स पावर) :  5 से 6 बूंद टेसू के जड़ का रस प्रतिदिन 2 बार सेवन करने से अनैच्छिक वीर्यस्राव (शीघ्रपतन) रुक जाता है और काम शक्ति बढ़ती है। 
* टेसू के बीजों के तेल से लिंग की सीवन सुपारी छोड़कर शेष भाग पर मालिश करने से कुछ ही दिनों में हर तरह की नपुंसकता दूर होती है और कामशक्ति में वृद्धि होती है।
*लिंग कि दृढ़ता हेतु : पलाश के बीजों के तेल कि हल्की मालिश लिंग पर करने से वह दृढ होता है। यदि तेल प्राप्त ना कर सकें तो पलाश के बीजों को पीसकर तिल के तेल में जला लें तथा उस तेल को छानकर प्रयोग करें। इससे भी वही परिणाम प्राप्त होते है।

*रतौंधी की प्रारम्भिक अवस्था में फूलों का रस आँखों में डालने से लाभ होता है।
आँख आने पर फूलों के रस में शुद्ध शहद मिलाकर आँखों में आँजें।

 

आर्थराइटिस(संधिवात)के घरेलू ,आयुर्वेदिक उपचा




19.1.17

मोच, चोट और सूजन के उपाय //Sprains, bruising and inflammation treatment



   


   कई बार काम करते समय, खेलते कूदते सीढ़ी चढ़ते हमें यह मालूम ही नहीं हो पाता कि हमारे हाथ-पाँव या कमर में मोच लग गई है, लेकिन कुछ समय बाद उस जगह दुःखने पर हमें यह पता लगता है। मोच आने पर उस अंग पर सूजन आ जाती है और काफी दर्द होने लगता है , अगर आपको असहनीय दर्द या ज्यादा परेशानी है तो आप तुरंत डॉक्टर को दिखाएँ ,लेकिन यदि मोच छोटी है तो आप उस का घरेलू उपचार भी कर सकते है ।चोट कभी भी लग सकती है और मोच कभी भी आ सकती है और यह ऐसे समय पर
आती है जब आप या तो अपने घर पर होतें हैं या एैसी जगह जो अस्पताल से काफी
दूर होता है एैसे समय पर आप कुछ घरेलू  नुस्खे अपना सकते हैं जो प्राचीन काल
में इस्तेमाल किये जाते रहे हैं और जिनसे मोच, चोट और सूजन में राहत मिल सकती
है।
मोच, चोट और सूजन के लिए घरेलू उपाय

*आक के पत्तों को गरम करके बाँधने से चोट अच्छी हो जाती है। सूजन दूर हो जाती है।
*चोट के कारण कटे हुए स्थान पर पिसी हुई हल्दी भर देने से खून का बहना बंद
हो जाता है तथा हल्दी कीटाणुनाशक भी होती है।
* 2 कली लहसुन, 10 ग्राम शहद, 1 ग्राम लाख एवं 2 ग्राम मिश्री इन सबको चटनी जैसा पीसकर, घी डालकर देने से टूटी हुई अथवा उतरी हुई हड्डी जल्दी जुड़ जाती है।
*लकड़ी-पत्थर आदि लगने से आयी सूजन पर हल्दी एवं खाने का चूना एक साथ पीसकर गर्म लेप करने से अथवा इमली के पत्तों को उबालकर बाँधने से सूजन उतर जाती है।
* यदि आप के पैर में मोच आ गई है तो आप तेजपात को पीसकर मोच वाले स्थान
पर लगायें ।
*मोच अथवा चोट के कारण खून जम जाने एवं गाँठ पड़ जाने पर बड़ के कोमल पत्तों पर शहद लगाकर बाँधने से लाभ होता है।
*अगर आपके पैर या हाथ में मोच आ गई है तो बिना देर किए थोडा सा बर्फ एक कपड़े में रखकर सूजन वाले जगह पर लगायें इससे सूजन कम हो जाता है। बर्फ लगाने से सूजन वाले जगह पर रक्त का संचालन अच्छी तरह से होने लगता है जिससे दर्द धीरे-धीरे कम होने लगता है।
* हल्दी और सरसों के तेल को मिला लें और इसे हल्की आंच में गर्म करके फिर इसे
मोच वाली जगह पर लगाएं और किसी कपड़े से इसे ढक दें।
*अरनी के उबाले हुए पत्तों को किसी भी प्रकार की सूजन पर बाँधने से तथा 1 ग्राम हाथ की पीसी हुई हल्दी को सुबह पानी के साथ लेने से सूजन दूर होती 
* पका हुआ लहसुन और अजवायन को सरसों के तेल में मिलाकर गर्म करें। और फिर इस तेल की मालिश मोच वाले हिस्से पर करें। आपको राहत मिलेगी।
* महुआ और तिल को कपड़े में बांध कर लगाने से हड्डी की मोच ठीक हो सकती
है।
* 1 से 3 ग्राम हल्दी और शक्कर फाँकने और नारियल का पानी पीने से तथा खाने का चूना एवं पुराना गुड़ पीसकर एकरस करके लगाने से भीतरी चोट में तुरंत लाभ होता है|
* एलोवेरा के गूदे को सूजन और मोच वाली जगह पर लगाने से आराम मिलता है।
* इमली की पत्तियों को पीसें और इसे आग में थोड़ा गुनगुना करें। और इसे मोच
वाली जगह पर लगाने से दर्द से तुरंत राहत मिलती है।
* ढ़ाक के गोंद को पानी में मिलाकर उसका लेप करने से चोट में सूजन सही हो
जाती है ।
*मोच को ठीक करने का एक और कारगर उपाय यह है कि आप अनार के पत्ते पीसकर मोच वाली जगह पर मलें।
* चोट किसी भी स्थान पर लगी हो तो आप कपूर और घी की बराबर मात्रा में मिलाकर चोट वाले स्थान पर कपडे से बांधे एैसा करने से कम हो जाता
है तथा रक्त बहना भी बंद हो जाता है।
* सरसों के तेल में नमक को मिला लें और इसे गर्म करके मोच वाली जगह पर लगाएं। एैसा करने मोच में राहत मिलती है।
* हाथ पैरों की ऐठन और पैर की मोच पर अखरोट का तेल लगाने से दर्द से राहत
मिलती है।
* चूने को शहद के साथ मिला लें और इससे मोच वाली जगह पर आराम से मालिश
करें। इस उपाय से भी मोच में बहुत राहत मिलती है।

मोच, चोट और सूजन मे लेने योग्य आहार

*विटामिन डी आपकी हड्डियों के निर्माण और मरम्मत के लिए, आपके शरीर को कैल्शियम और फॉस्फोरस के अवशोषण में मदद करता है। अंडे, दूध और कुछ प्रकार की मछलियाँ विटामिन डी प्रदान करती हैं; सूर्य के सम्मुख होने पर आपका शरीर भी इसका निर्माण करता है।
*जिंक घाव और ऊतकों की मरम्मत में सहायता करता है और हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। जिंक के उत्तम स्रोत में जौ, गेहूँ, चिकन और पालक आते हैं।
*ओमेगा 3 फैटी एसिड सूजन कम करने में सहायक होते हैं, इन एसिड्स के उत्तम स्रोत में मीठे पानी की मछली, अखरोट, अलसी के बीज और पत्तागोभी आते हैं।
*माँसपेशियों और जोड़ों के स्वास्थ्य के लिए प्रोटीन की आवश्यकता होती है। प्रोटीन के अच्छे स्रोतों में अंडा, चिकन, मछली, मेवे दूध आदि हैं।
*कैल्शियम हड्डियों को पोषण देने वाला खनिज है। कैल्शियमयुक्त भोज्य पदार्थों में ब्रोकोली, दूध, केल, फलियाँ, पनीर, सोयाबीन, दही, मछली आदि हैं।
*बीटा कैरोटीन कोलेजन का, जो कि मोच के दौरान क्षतिग्रस्त स्नायुओं का निर्माण करता है, मुख्य कारक तत्व है। प्राकृतिक बीटा कैरोटीन के अच्छे स्रोतों में गहरे हरे रंग की पत्तेदार सब्जियाँ जैसे पालक या केल, ब्रोकोली, और गाजर आदि हैं।
*विटामिन सी शरीर की सूजन घटाने में सहायक होता है। विटामिन सी के बढ़िया स्रोतों में पत्तागोभी, शिमला मिर्च, कीवी, खट्टे फल जैसे संतरे, नीबू और ग्रेपफ्रूट आदि हैं।



15.1.17

मुंह की बदबू से परेशान है तो अपनाएं ये उपाय //The stench of mouth treatment

   

 भले ही आपने महंगे और अच्छे कपड़े पहन हुए हों और मेकअप भी परफेक्ट हो लेकिन मुंह की दुर्गंध आपकी इस अच्छी-खासी इमेज को मिनटों में बर्बाद कर सकती है.
अगर आपके मुंह से बदबू आ रही है तो न कोई आपके साथ बैठना पसंद करेगा और न ही बात करना. ऐसी स्थिति में आपका आत्मविश्वास भी डगमगा जाता है. कई बार ये खाने-पीने की वजह से होता है तो कई बार मुंह से जुड़ी कुछ बीमारियों की वजह से. पर अच्छी बात ये है कि इसे दूर करने के कुछ घरेलू और असरदार उपाय हैं. इनके इस्तेमाल से आप मुंह की बदबू को दूर कर सकती हैं और अपने दोस्तों संग एकबार फिर से हंस-बोल सकती हैं:
मुंह की दुर्गन्ध की बदबू एक ऐसी स्वास्थ समस्या है जो कई लोगों में पाई जाती है कई बार तो लोग इस समस्या से अंजान होते हैं। साँस की दुर्गंध उन बैक्टीरिया से पैदा होती है, जो मुँह में पैदा होते हैं और दुर्गंध पैदा करते हैं। नियमित रूप से ब्रश नहीं करने से मुँह और दांतों के बीच फंसा भोजन बैक्टीरिया पैदा करता है। इस बदबू के कई कारण होते हैं, जैसे-गंदे दांत, पाचन की समस्या आदि
मुंह की दुर्गन्ध के कारण- 
*भोजन है मुंह की दुर्गन्ध का कारण – 
आपके दांतों में और इसके आसपास भोजन के टुकड़ो के फसने कारण मुंह में बैक्टीरिया पनपने लगते है जिस कारण हमारे मुंह से बदबू आने लगती है इसीलिए भोजन करने के बाद अपने मुंह की अच्छी तरह से सफाई करना आवस्यक है|
ग्रीन टी के इस्तेमाल से
ग्रीन टी के इस्तेमाल से मुंह की बदबू को कम किया जा सकता है. इसमें एंटीबैक्ट‍िरियल कंपोनेंट होते हैं जिससे दुर्गंध दूर होती है.
*निम्बू का रस मुंह की दुर्गन्ध से छुटकारा दिलाए –
नींबू रस का प्रयोग मुंह से बदबू को खत्म करने में किया जा रहा है। नींबू के रस में एक चुटकी काला नमक मिलाकर मुंह की सफाई करने से मुंह की दुर्गन्ध से छुटकारा मिलता है|
अनार की छाल




अनार के छिलके को पानी में उबालकर उस पानी से कुल्ला करने से मुंह की बदबू दूर हो जाती है.
*कच्चा अमरुद मुंह की दुर्गन्ध से छुटकारा दिलाए –
यह मसूढ़े और दातों के स्वास्थ्य को बढ़ाने में सहायता करता है। यह न केवल मुंह की दुर्गंध को रोकता है बल्कि मसूढ़ों से आने वाले खून को भी रोकता है।
*इलायची के दाने चबायें पाए मुंह की दुर्गन्ध से छुटकारा –
अगर आप दुर्गंध सासों से छुटकारा पाना चाहते हैं तो आपको कुछ इलायची बीजों को चबाना चाहिये|.
*लौंग मुंह की दुर्गन्ध से छुटकारा पाने के लिए – 
 हर भोजन के बाद, आप कुछ लौंग निश्चित रूप से खायें। यह दुर्गंध सासों को रोकने का सबसे प्राकृतिक तरीका है।और असरदार भी.
. तुलसी की पत्त‍ियां
तुलसी की पत्ती चबाने से भी मुंह की बदबू दूर हो जाती है. साथ ही मुंह में अगर कोई घाव है तो तुलसी उसके लिए भी फायदेमंद है.
*भोजन के बाद ब्रश जरूर करे 

हमेशा भोजन करने के बाद अपने दांतों को टूथ ब्रश से अवस्य करे हमें दिन में दो बार ब्रश करना चाहिए एस करने से मुंह की दुर्गन्ध में रहत मिलती है
इन सभी उपायो को अपनाकर आप भी अपने मुंह की दुर्गन्ध से छुटकारा प सकते है इसके अलावा आप इन समस्याओं से बचने के लिए कुछ अन्य उपायो को अपना सकते है जैसे भोजन करने के बाद अपने मुंह की अच्छी तरह से सफाई करे दिन में दो बार ब्रश करे आदि|
सरसों के तेल और नमक से मसाज




हर रोज दिन में एकबार सरसों के तेल में चुटकीभर नमक मिलाकर मसूड़ों की मसाज करने से मसूड़े स्वस्थ रहते हैं और बदबू पनपने का खतरा भी कम हो जाता है.
*दांतों की समस्या के कारण आती है मुँह से दुर्गन्ध –
यदि आप हर दिन ब्रश और कुल्ला नहीं करते हैं, तो भोजन के टुकड़े आपके मुँह में रह जाते हैं और बैक्टीरिया पैदा करते है जिस कारण मुंह में सड़न होने लगती है यह मुंह की बदबू का एक विषेश कारण है
*मुँह सूखने के कारण आती है मुँह से दुर्गन्ध – 
 लार से मुँह में नमी रहने और मुँह को साफ रखने में मदद मिलती है। सूखे मुँह में मृत कोशिकाओं का आपकी जीभ, मसूड़े और गालों के नीचे जमाव होता रहता है। ये कोशिकाएं क्षरित होकर दुर्गंध पैदा कर सकती हैं।
*मुंह की दुर्गन्ध को दूर करे पानी – 
पानी सांसों को ताज़ा बनाए रखने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है। खाना खाने के बाद, आपको अपने मुँह को साफ करना चाहिए , यह आपके दांतों में अटके भोजन के कणों को सफाई करने पर बाहर निकाल देता है। मुँह की दुर्गंध, भोजन के दौरान पानी पीना भी कई मायनों में सहायता कर सकता है। पानी एक अच्छा उपाय है जो आसानी से बुरी सांसों को निकालता है। खूब पानी पीने मुंह से दुर्गन्ध नहीं आती है.|
*मुंह की दुर्गन्ध से छुटकारा दिलाए मैथी – 
एक कप पानी को लेकर इसमें एक चम्मच मेंथी के बीज़ को मिला दें। इस पानी को छानकर दिन में एक बार अवश्य पियें जब तक कि इस समस्या से छुटकारा नहीं मिल जाता है।

*मुंह की दुर्गन्ध के लिए सौंफ 
एक छोटी चम्मच सौंफ लेकर इसे धीरे-धीरे चबाये सौंफ में ताज़ा सांस देने का गुण होता है यह मुंह को ताज़गी प्रदान करता है और मुंह की दुर्गंद को दूर करता है
अमरूद की पत्तियां
अमरूद की कोमल पत्त‍ियों को चबाने से भी मुंह की दुर्गंध पलभर में दूर हो जाती है.
*दालचीनी करे मुंह की दुर्गन्ध को दूर – 
एक चम्मच दालचीनी पाउडर को लेकर एक कप पानी में उबालें। इसमें कुछ इलायची और तेजपत्ते की पत्तियों को भी मिला सकते हैं। इस मिश्रण को छान लें और इससे अपने मुंह को साफ करें जिससे कि आपकी सांसे ताजा रहेंगी।






8.1.17

कद की लंबाई बढ़ाने के लिए घरेलू उपचार,How to Increase Your Height:





व्यक्तित्व को निखारने में हाइट का महत्वपूर्ण योगदान होता हैं जिनकी हाइट कम होती है वे अपनी हाइट को थोडा और बढ़ाना चाहते हैं। हाइट की कमी से आत्मविश्वास में भी कमी देखी जाती है। पुलिस, मॉडलिंग तथा सैन्य जैसी सेवाओं में अच्छी हाइट का होना जरुरी हैं। कई बार यह माना जाता है की लम्बाई एक निश्चित उम्र तक ही बढ़ सकती हैं या माता-पिता की हाइट के अनुसार ही बच्चों की लम्बाई होगी किन्तु यदि संतुलित एवं पौष्टिक आहार,व्यायाम एवं योग का नियमित अभ्यास तथा जीवन शैली में सही आदतें अपनाई जायें तो हम अधिकतम संभव हाइट को प्राप्त कर सकते हैं। 
सूखी नागौरी अश्वगंधा की जड़ को कूटकर चूर्ण बना लें और इसमें उतनी ही मात्रा में खांड मिलाकर कांच की शीशी में रखें। इसे रात को सोने से पहले गाय के दूध (दो चम्मच) के साथ लें। ये लम्बाई और मोटापा बढ़ाने में फायदेमंद होता है साथ ही इससे नया नाखून भी बनना शुरू होता है। इस चूर्ण को लगातार 40 दिन खाएं। सर्दियों में ये ज्यादा फायदेमंद होता है।

  • मसूड़ों के सूजन के घरेलू उपचार
  • अनार खाने के स्वास्थ्य लाभ
  • इसबगोल के औषधीय उपयोग
  • अश्वगंधा के फायदे
  • लकवा की चमत्कारी आयुर्वेदिक औषधि वृहत वात चिंतामणि रस
  • मर्द को लंबी रेस का घोडा बनाने के अद्भुत नुस्खे
  • सदाबहार पौधे के चिकित्सा लाभ
  • कान बहने की समस्या के उपचार
  • पेट की सूजन गेस्ट्राईटिस के घरेलू उपचार
  • पैर के तलवों में जलन को दूर करने के घरेलू आयुर्वेदिक उपचार
  • लकवा (पक्षाघात) के आयुर्वेदिक घरेलू नुस्खे
  • डेंगूबुखार के आयुर्वेदिक नुस्खे
  • काला नमक और सेंधा नमक मे अंतर और फायदे
  • कालमेघ जड़ी बूटी लीवर रोगों की महोषधि
  • हर्निया, आंत उतरना ,आंत्रवृद्धि के आयुर्वेदिक उपचार
  • पाइल्स (बवासीर) के घरेलू आयुर्वेदिक नुस्खे
  • चिकनगुनिया के घरेलू उपचार
  • चिरायता के चिकित्सा -लाभ
  • ज्यादा पसीना होने के के घरेलू आयुर्वेदिक उपचार
  • पायरिया रोग के आयुर्वेदिक उपचार
  •  व्हीटग्रास (गेहूं के जवारे) के रस और पाउडर के फायदे
  • घुटनों के दर्द को दूर करने के रामबाण उपाय
  • चेहरे के तिल और मस्से हटाने के उपचार
  • अस्थमा के कारण, लक्षण, उपचार और घरेलू नुस्खे
  • वृक्क अकर्मण्यता(kidney Failure) की रामबाण हर्बल औषधि
  • शहद के इतने सारे फायदे नहीं जानते होंगे आप!
  • वजन कम करने के उपचार
  • केले के स्वास्थ्य लाभ
  • लीवर रोगों की महौषधि भुई आंवला के फायदे
  • हरड़ के गुण व फायदे
  • कान मे मेल जमने से बहरापन होने पर करें ये उपचार
  • पेट की खराबी के घरेलू उपचार
  • शिवलिंगी बीज के चिकित्सा उपयोग
  • दालचीनी के फायदे
  • बवासीर के खास नुखे
  • भूलने की बीमारी के उपचार
  • आम खाने के स्वास्थ्य लाभ
  • सोरायसीस के उपचार
  • गुर्दे की सूजन के घरेलू उपचार
  • रोग के अनुसार आयुर्वेदिक उपचार
  • कमर दर्द के उपचार
  • कड़ी पत्ता के उपयोग और फायदे
  • ग्वार फली के फायदे
  • सीने और पसली मे दर्द के कारण और उपचार
  • जायफल के फायदे
  • गीली पट्टी से त्वचा रोग का इलाज
  • मैदा खाने से होती हैं जानलेवा बीमारियां
  • थेलिसिमिया रोग के उपचार
  •  दालचीनी के फायदे
  • भूलने की बीमारी का होम्योपैथिक इलाज
  • गोमूत्र और हल्दी से केन्सर का इयाल्ज़
  • कमल के पौधे के औषधीय उपयोग
  • चेलिडोनियम मेजस के लक्षण और उपयोग
  • शिशु रोगों के घरेलू उपाय
  • वॉटर थेरेपी से रोगों की चिकित्सा
  • काला नमक और सेंधा नमक मे अंतर और फायदे
  • दालचीनी के अद्भुत लाभ
  • वीर्य बढ़ाने और गाढ़ा करने के आयुर्वेदिक उपाय
  • लंबाई ,हाईट बढ़ाने के अचूक उपाय
  • टेस्टेटरोन याने मर्दानगी बढ़ाने के उपाय
  • 30.12.16

    वायरल बुखार के घरेलू उपचार //Home Remedies For Viral Fever

        

     तापमान में अचानक परिवर्तन होने या संक्रमण का दौर होने पर अधिकतर लोग बुखार से पीड़ित होते हैं। ऐसा ही एक मौसमी संक्रमण वाला बुखार होता है वायरल बुखार (Viral Fever)। इस बुखार से निपटने के लिए कुछ एंटीबायोटिक दवाओं या कुछ ओटीसी (ओवर-द-काउंटर) का सहारा लिया जाता है। आप चिकित्सक के पास जाएं उससे पहले कुछ घरेलू नुस्खे आजमाकर भी बुखार को कम या इससे पूरी तरह आराम पाया जा सका है।तेज बुखार अपने आप में कोई बीमारी नहीं है, यह किसी छुपी हुई परिस्थिति का संकेत हो सकता है। आमतौर पर यह बुखार या तबीयत खराब का संकेत हो सकता है। हालांकि, बुखार के कई गैर-संक्रामक कारण भी हो सकते हैं, लेकिन वायरल संक्रमण बुखार का एक सामान्‍य लक्षण हो सकता है। वायरल संक्रमण कई प्रकार के वायरस से हो सकता है। इनमें इंफ्लूएंजा यानी फ्लू सबसे ज्‍यादा प्रचलित है। वायरल शरीर के कई अंगों को प्रभावित कर सकता है जैसे आंत, फेफड़े, वायु मार्ग और अन्‍य कई हिस्‍से। इस बात से कोई अंतर नहीं पड़ता कि आपके शरीर का कौन सा हिस्‍सा इससे प्रभावित हुआ है, आपको सामान्‍य तौर पर बुखार की शिकायत होती है। इसके अलावा सिरदर्द, बहती नाक, गले में सूजन, आवाज बैठना, खांसी, मांसपेशियों में दर्द, पेट में दर्द, डायरिया और/अथवा उल्‍टी जैसी शिकायतें हो सकती हैं। 
    जब आपको बुखार होता है, तो इसका अर्थ है कि बीमारी या संक्रमण की प्रतिक्रिया के रूप में आपके शरीर का तापमान बढ़ गया है। विशेषज्ञ इस बात पर सहमत हैं कि बुखार संक्रमण के प्रति शरीर की कुदरती प्रतिरक्षा का हिस्‍सा है। गर्मी से शरीर संक्रमण को नष्‍ट करने का काम करता है। और यह बात समझ लें कि एंटी बायोटिक्‍स का संक्रमण पर कोई असर नहीं होगा। 
     आइए आपको बताते वायरल बुखार के इलाज के लिए कुछ आसान घरेलू उपचार, जो कि निम्नलिखित हैं-
    मेथी का पानी (Fenugreek Water)
    रसोई घर में आसानी से उपलब्ध, मेथी के बीज में डायेसजेनिन, सपोनिन्स और एल्कलॉइड जैसे औषधीय गुण शामिल है। मेथी के बीजों का प्रयोग अन्य बहुत सी बीमारियों के इलाज में भी किया जाता है और यह वायरल बुखार के लिए बेहतरीन औषधि है।कैसे तैयार करें- आधा कप पानी में में एक बड़ा चमचा मेथी के बीच भिगोएँ। सुबह में, वायरल बुखार के इलाज के लिए नियमित अंतराल पर इस पेय को पिएं। कुछ और राहत के लिए मेथी के बीज, नींबू और शहद का एक मिश्रण तैयार कर उसका प्रयोग भी किया जा सकता है।

    स्‍नान करें

    गुनगुने या ठंडे पानी के टब में बैठने से आपको बेहतर महसूस होगा।

    सूखी अदरक मिश्रण (Dry ginger mixture)

    अदरक स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी है। इसमें एंटी फ्लेमेबल, एंटीऑक्सिडेंट और वायरल बुखार के लक्षणों को कम करने के लिए Analgesic गुण होते हैं। इसलिए, वायरल बुखार से पीड़ित लोगों को परेशानी को दूर करने के लिए शहद के साथ सूखी अदरक का उपयोग करना चाहिए।कैसे करें तैयार- एक कप पानी में दो मध्यम आकार के सूखे टुकड़े अदरक या सौंठ पाउडर को डालकर उबालें। दूसरे उबाल में अदरक के साथ थोड़ी हल्दी, काली मिर्च, चीनी आदि को उबालें। इसे दिन में चार बार थोड़ा थोड़ा पिएं। इससे वायरल बुखार में आराम मिलता है।

    गर्मी को नियंत्रित रखें

    कमरे के तापमान को कम करें इसके लिए आप खिड़की खोल सकते हैं। और अगर ठंड हो तो अपने पास एक गर्म कंबल रखें। अपने शरीर के तापमान को नियंत्रित करने के लिए उन कपड़ों का इस्‍तेमाल करने के बजाय जिन्‍हें उतारना मुश्किल हो, कंबल का इस्‍तेमाल बेहतर रहता है। ठंडा भोजन करने से भी आपको मदद मिल सकती है।

    चावल स्टार्च (Rice starch)

    वायरल बुखार के इलाज के लिए प्राचीन काल से आम घर उपाय है चावल स्टार्च (हिंदी में कांजी के रूप में जाना जाता है)। यह पारंपरिक उपाय प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ा देता है। यह विशेष रूप से वायरल बुखार से पीड़ित बच्चों और बड़े लोगों के लिए, एक प्राकृतिक पौष्टिक पेय के रूप में कार्य करता है।
    कैसे तैयार करें- एक भाग चावल और आधा भाग पानी डालकर चावल के आधा पकने तक पकाएं। इसके बाद पानी को निथार कर अलग कर लें और इसमें स्वादानुसार नमक मिलाकर, गर्म गर्म ही पिएं। इससे वायरल बुखार में बहुत आराम मिलता है।

    खूब पानी पियें

    वायरल की हालत में आपको खूब पानी पीना चाहिये। इसके अलावा जूस और कैफीन रहित चाय का सेवन करें। ज्‍यादातर फलों में एंटी-ऑक्‍सीडेंट्स पाये जाते हैं जिनका सेवन करने से आपके शरीर की प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है और शरीर से विषैले पदार्थ बाहर निकलते हैं। अगर आपको डायरिया या उल्‍टी की शिकायत है तो इलेक्‍ट्रॉल का सेवन आपके लिए फायदेमंद होगा। इसके अलावा, नींबू, लैमनग्रास, पुदीना, साग, शहद आदि भी आपके लिए फायदेमंद हो सकते हैं।

    धनिया चाय (Coriander Tea)

    धनिया के बीज में phytonutrients होते हैं जो कि शरीर को विटामिन देते हैं और अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को भी बढ़ाते हैं। धनिया में मौजूद एंटीबायोटिक यौगिक वायरल संक्रमण से लड़ने की शक्ति देते हैं।
    कैसे तैयार करें- एक गिलास पानी में एक बड़ा चम्म्च धनिया के बीच डालकर उबाल लें। इसके बाद इसमें थोड़ा दूध और चीनी मिलाएं। धनिया की चाय तैयार है, इसे पीने से वायरल बुखार में बहुत आराम मिलता है।

    नींबू के पानी की जुराब

    एक कप गर्म पानी में एक नींबू का रस निचोड़ लें। इस पानी में रूई के पतले फोहे डुबो लें। अतिरिक्‍त पानी को निचोड़ लें और इसे जुराबों के जोड़े में डालकर रात भर पहनकर सो जाएं।

    तुलसी के पत्ते का काढ़ा (Brew of Basil leaves)

    वायरल बुखार के लक्षण होने पर प्राकृतिक उपचार के लिए सबसे प्रभावी और व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाने वाली औषधि है तुलसी के पत्ते। बैक्टीरियल विरोधी, कीटाणुनाशक, जैविक विरोधी और कवकनाशी गुण तुलसी को वायरल बुखार के लिए सबसे उत्तम बनाते हैं।
    कैसे तैयार करें- आधे से एक चम्मच लौंग पाउडर को करीब 20 ताजा और साफ तुलसी के पत्तों के साथ एक लीटर पानी में डालकर उबाल लें। पानी को तब तक उबालें जब तक कि पानी घट कर आधा न रह जाए। इस काढ़े का हर दो घंटे में सेवन करें।

    लहसुन

    कच्‍चे लहसुन के टुकड़े खायें। आप इस पर शहर लगाकर भी खा सकते हें। इसके अलावा लहसुन की दो कलियों को दो चम्‍मच ऑलिव ऑयल में मिलाकर इसे गर्म कर लें और इससे अपने पैरों के तलों में मसाज करें। अपने पैरों को सारी रात के लिए लपेटकर रखें।

    नींबू

    नींबू को बीच में से काट लें और फिर इस टुकड़े से पैरों के तलों पर मसाज करें। आप चाहें तो नींबू के इस कटे हुए टुकड़े को जुराबों में डालकर सारी रात पहनकर रख सकते हैं।

  • पायरिया के घरेलू इलाज
  • चेहरे के तिल और मस्से इलाज
  • लाल मिर्च के औषधीय गुण
  • लाल प्याज से थायराईड का इलाज
  • जमालगोटा के औषधीय प्रयोग
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  • सांस फूलने के उपचार
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  • चौलाई ,चंदलोई,खाटीभाजी सब्जी के स्वास्थ्य लाभ
  • मसूड़ों के सूजन के घरेलू उपचार
  • अनार खाने के स्वास्थ्य लाभ
  • इसबगोल के औषधीय उपयोग
  • अश्वगंधा के फायदे
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