2.5.10

सफ़ेद दाग से छुटकारा के उपाय Safed Dag home remedies



              
  ल्युकोडर्मा चमडी का भयावह रोग है,जो रोगी की शक्ल सूरत प्रभावित कर शारीरिक के बजाय मानसिक कष्ट ज्यादा देता है।इसे ही श्वेत कुष्ठ कहते हैं। इस रोग में चमडे में रंजक पदार्थ जिसे पिग्मेन्ट मेलानिन कहते हैं,की कमी हो जाती है।चमडी को प्राकृतिक रंग प्रदान करने वाले इस पिग्मेन्ट की कमी से सफ़ेद दाग पैदा होता है।
     यह चर्म विकृति पुरुषों की बजाय स्त्रियों में ज्यादा देखने में आती है।
ल्युकोडर्मा के दाग हाथ,गर्दन,पीठ और कलाई पर विशेष तौर पर पाये जाते हैं। अभी तक इस रोग की मुख्य वजह का पता नहीं चल पाया है।लेकिन चिकित्सा विज्ञानियों ने इस रोग के कारणों का अनुमान लगाया है।पेट के रोग,लिवर का ठीक से काम नहीं करना,दिमागी चिंता ,छोटी और बडी आंर्त में कीडे होना,टायफ़ाईड बुखार, शरीर में पसीना होने के सिस्टम में खराबी होने आदि कारणों से यह रोग पैदा हो सकता है।
शरीर का कोई भाग जल जाने अथवा आनुवांशिक करणों से यह रोग पीढी दर पीढी चलता रहता है।
रोग अगर अधिकांश त्वचा पर व्यापक हो चुका हो तो ठीक होने की संभावना नहीं के बराबर होती है।
    लेकिन सीमित त्वचा आक्रांत होने पर रोग को नियंत्रित करने और चमडी के स्वाभाविक रंग को पुन: लौटाने हेतु कुछ घरेलू उपचार कारगर साबित हुए हैं ,मैं ऐसे ही कतिपय उपचार यहां प्रस्तुत कर रहा हूं---
१) दस लीटर पानी में आधा किलो हल्दी का पावडर मिलाकर तेज आंच पर उबालें जब ४ लीटर के करीब रह जाय तब उतारकर ठंडा करलें और इसमें आधा किलो सरसों का तेल मिला दें,यह दवा सफ़ेद दाग पर दिन में दो बार लगावें। ४-५ माह तक ईलाज चलाने पर अनुकूल परिणाम प्राप्त होते हैं।
२.) बाबची के बीज इस बीमारी की प्रभावी औषधि मानी गई है।५० ग्राम बीज पानी में ३ दिन तक भिगोवें। पानी रोज बदलते रहें।बीजों को मसलकर छिलका उतारकर छाया में सूखालें। पीस कर पावडर बनालें।यह दवा डेढ ग्राम प्रतिदिन पाव भर दूध के साथ पियें। इसी चूर्ण को पानी में घिसकर पेस्ट बना लें। यह पेस्ट सफ़ेद दाग पर दिन में दो बार लगावें। अवश्य लाभ होगा। दो माह तक ईलाज चलावें।
3) बाबची के बीज और ईमली के बीज बराबर मात्रा में लेकर ४ दिन तक पानी में भिगोवें। बाद में बीजों को मसलकर छिलका उतारकर सूखा लें। पीसकर महीन पावडर बनावें। इस पावडर की थोडी सी मात्रा लेकर पानी के साथ पेस्ट बनावें। यह पेस्ट सफ़ेद दाग पर एक सप्ताह तक लगाते रहें। बहुत कारगर नुस्खा है।लेकिन यदि इस पेस्ट के इस्तेमाल करने से सफ़ेद दाग की जगह लाल हो जाय और उसमें से तरल द्रव निकलने लगे तो ईलाज रोक देना उचित रहेगा।

एक और कारगर नुस्खा बताता हूँ-

लाल मिट्टी लावें। यह मिट्टी बरडे- ठरडे और पहाडियों के ढलान पर अक्सर मिल जाती है। अब यह लाल मिट्टी और अदरख का रस बराबर मात्रा में लेकर घोटकर पेस्ट बनालें। यह दवा प्रतिदिन ल्युकोडेर्मा के पेचेज पर लगावें। लाल मिट्टी में तांबे का अंश होता है जो चमडी के स्वाभाविक रंग को लौटाने में सहायता करता है। और अदरख का रस सफ़ेद दाग की चमडी में खून का प्रवाह बढा देता है।
५) श्वेत कुष्ठ रोगी के लिये रात भर तांबे के पात्र में रखा पानी प्रात:काल पीना फ़ायदेमंद है।
६) मूली के बीज भी सफ़ेद दाग की बीमारी में हितकर हैं। करीब ३० ग्राम बीज सिरका में घोटकर पेस्ट बनावें और दाग पर लगाते रहने से लाभ होता है।

७) काली मिर्च ५ दाने सुबह-शाम लेने से सफ़ेद दाग में फ़ायदा होता है।
८) एलोवेरा जेल आधा कप मात्रा में रोज सुबह लेते रहने से सफ़ेद दाग नियंत्रण में आ जाते हैं|
९) उडद को पानी के साथ पीस लें याने पेस्ट जैसा बनालें अब इसे सफ़ेद दाग के चकत्तों पर लगावें। दो तीन माह तक लगाते रहने से सुखद परिणाम की आशा की जा सकती है।यह सफ़ेद दाग का अच्छा उपचार है।
१०) एक चौथाई लिटर दूध में एक चम्मच हल्दी मिलाकर ६ माह तक पीने से सफ़ेद दाग और कई अन्य चर्म रोग नष्ट हो जाते हैं।

अल्ट्रावायलेट किरणों से ईलाज-

अल्ट्रा वायलेट किरणों की सिकाई सफेद दाग के ईलाज का सर्वाधिक सुरक्षित, वैज्ञानिक एवं कारगर तरीका है। अल्ट्रावायलेर किरणों से ईलाज का तरीका सारी दुनिया में प्रचलित है। इस तरह की सिकाई से त्वचा का प्राकृतिक रंग आ जाता है, एवं मेंन्टेनेंस भी किया जा सकता है। 

 सफेद दाग का ईलाज सर्जरी से-

सफेद दाग या ल्यूकोडर्मा का एक ईलाज सर्जरी भी है। जिन सफेद दागों का ६-९ महीने के ईलाज के बाद भी आशानुकूल परिणाम नहीं आता तो उसे सर्जरी से ठीक किया जा सकता है। सर्जरी द्वारा उस हिस्से की स्किन ग्राफ्टिग कर दी जाती है। स्किन ग्राफ्ट फिर से रंग बनाने में मदद करता है। एवं पूरे हिस्से में कुदरती रंग बन जाता है |
१३) सफ़ेद दाग के मामले मे हर्बल चिकित्सा सर्वाधिक संतोषप्रद परिणाम प्रस्तुत करती है | वैध्य दामोदर 98267-95656 की जड़ी - बूटी निर्मित औषधि से सफ़ेद दाग मिटकर चमड़ी का कुदरती रंग बहाल हो जाता है| 
१४) बथुआ के पत्तों का रस दो कप निकालें इसमें आधा कप तिल का तैल मिलाकर धीमी आंच पर पकाएं जब सिर्फ़ तैल ही शेष रह जाए तो आंच से उतारकर शीशी में भरलें। यह दवा सफ़ेद दाग के चकत्तों पर ६ माह तक लगाते रहने से अनुकूल परिणाम प्राप्त होते हैं। धीरज रखें। बथुआ की सब्जी खाएं ।
१५) होम्योपैथिक चिकित्सा का सफ़ेद दाग चिकित्सा में विशेष महत्व है। जिन दवाओं का उपयोग किया जाता है,निम्न हैं।
इग्नेशिया ३०
नेट्रम म्यूर-३०
पल्सेटिला-३०
नक्स वामिका- ३०
किसी रासायनिक पदार्थ के संपर्क में आने से सफ़ेद दाग रोग हुआ हो तो सल्फ़र-३० और अर्सेनिक एल्बम-३० दवाएं उपयोग में लाना उचित है।
आनुवांशिक कारणों से पैदा होने वाले सफ़ेद दाग के लिये सिफ़लिनम-२०० दवा उपयुक्त मानी जाती है। लेकिन आर्सेनिक सल्फ़ फ़्लेवम-६ यह ऐसी दवा है जो किसी भी कारण से होने वाले सफ़ेद दाग के लिये उपयोग की जा सकती है।

  • 1.5.10

    कब्ज जड़ से खत्म करेंगे ये घरेलू आयुर्वेदिक उपचार,kabj jad se khatm



          अनुपयुक्त खान-पान के चलते कब्ज लोगों में एक सर्वाधिक प्रचलित रोग बन चुका है। यह पाचन-तन्त्र का प्रमुख विकार है। मनुष्यों मे मल विसर्जन की फ़्रिक्वेन्सी अलग-अलग पाई जाती है। किसी को दिन में एक बार मल विसर्जन होता है तो किसी को २-३ बार होता है। कुछ लोगों को हफ़्ते में २ या ३ बार ही शौचालय जाने से काम चल जाता है।
         ज्यादा कठोर और सूखा मल जिसे बाहर धकेलने के लिये जोर लगाना पडे,यही कब्ज का लक्षण है। ऐसा मल हफ़्ते में ३ बार से भी कम होता है और यह कब्ज का दूसरा मुख्य लक्षण होता है। कब्ज रोगियों में पेट के फ़ूलने की शिकायत भी आमतौर पर मिलती है। वैसे तो यह रोग किसी भी उम्र में हो सकता है लेकिन महिलाओं और बुजुर्गों में कब्ज की प्रधानता पाई जाती है। कुदरती पदार्थों के इस्तेमाल करने से यह रोग जड से खत्म हो जाता है और कब्ज से होने वाले रोगों से भी मुक्ति मिल जाती है।

    १) शरीर में तरल की कमी होना कब्ज का मूल कारण है। पानी की कमी से आंतों में मल सूख जाता है। और मल निष्कासन में जोर लगाना पडता है। इसलिये कब्ज से परेशान रोगियों के लिये सर्वोत्तम सलाह तो यह है कि मौसम के मुताबिक २४ घंटे में ३ से ५ लिटर पानी पीने की आदत डालना चाहिये। सुबह उठते ही सवा लिटर पानी पीयें। फ़िर ३-४ किलोमिटर तेज चाल से भ्रमण करें। शुरू में कुछ अनिच्छा और असुविधा मेहसूस होगी
    लेकिन धीरे-धीरे आदत पड जाने पर कब्ज जड से मिट जाएगी।



    ) भोजन में रेशा की मात्रा ज्यादा रखने से स्थाई रूप से कब्ज मिटाने में मदद मिलती है। सब्जियां और फ़लों में प्रचुर रेशा पाया जाता है। मेरा सुझाव है कि अपने भोजन मे करीब ७०० ग्राम हरी शाक या फ़ल या दोनो चीजे शामिल करें।
    ३) सूखा भोजन ना लें। अपने भोजन में तेल और घी की मात्रा का उचित स्तर बनाये रखें। चिकनाई वाले पदार्थ से दस्त साफ़ आती है।
    ४) पका हुआ बिल्व फ़ल कब्ज के लिये श्रेष्ठ औषधि है। इसे पानी में उबालें। फ़िर मसलकर रस निकालकर नित्य ७ दिन तक पियें। कज मिटेगी।
    ५) रात को सोते समय एक गिलास गरम दूध पियें। मल आंतों में चिपक रहा हो तो दूध में ३ -४ चम्मच केस्टर आईल (अरंडी तेल) मिलाकर पीना चाहिये।




    १३) एक और बढिया तरीका है। अलसी के बीज का मिक्सर में पावडर बनालें। एक गिलास पानी मे २० ग्राम के करीब यह पावडर डालें और ३-४ घन्टे तक गलने के बाद छानकर यह पानी पी जाएं। बेहद उपकारी ईलाज है।शरीर को तंदुरस्त रखने के लिये अलसी का उपयोग बेहद उपकारी है।
    १४) पालक का रस या पालक कच्चा खाने से कब्ज नाश होता है। एक गिलास पालक का रस रोज पीना उत्तम है। पुरानी कब्ज भी इस सरल उपचार से मिट जाती है।
    १५) अंजीर कब्ज हरण फ़ल है। ३-४ अंजीर फ़ल रात भर पानी में गलावें। सुबह खाएं। आंतों को गतिमान कर कब्ज का निवारण होता है।
    16) मुनका में कब्ज नष्ट करने के गुण हैं। ७ नग मुनक्का रोजाना रात को सोते वक्त लेने से कब्ज रोग का स्थाई समाधान हो जाता है।
    १७). केस्‍टर ऑयल बड़ों के साथ-साथ बच्‍चों की कब्‍ज को दूर करने वाला बहुत ही अच्‍छा दस्तावर है।
    समस्या होने पर रात को सोने से पहले एक कप गर्म दूध में एक चम्‍मच अरंडी के तेल की मिक्‍स करके पी लें।
    वैकल्पिक रूप से, आप एक चम्‍मच कैस्‍टर ऑयल को गर्म करके इसमें एक चम्‍मच शहद मिलाकर भी सुबह के समय ले सकते हैं।
    १८) जैतून का तेल जिसे हम ऑलिव ऑयल भी कहते है। यह तेल हमारे शरीर को कई रोगों से राहत दिलवाता
    है। यह पाचन तंत्र और पेट को साफ करने की प्रक्रिया में सुधार करने में मदद करता है। जैतून के तेल में नींबू
    के रस का मिलाकर कम से कम एक सप्‍ताह पीने से फायदा होता है।



    १९) पानी या तरल पदार्थों की कमी कब्‍ज का मुख्‍य कारण हैं। इसलिए कब्‍ज की समस्‍या के इलाज के लिए
    भरपूर मात्रा में पानी पीना सबसे अच्‍छा उपाय है। नियमित रूप से सुबह ब्रश करने से पहले एक गिलास
    गुनगुना पानी पीने से लाभ मिलता है।
    २०) केले में पोटेशियम और फाइबर उच्च मात्रा में होता हैं। ये विशिष्ट लक्षण शरीर के इलेक्‍ट्रोलाइट्स में
    संतुलन बनाये रखने में मदद कर सबसे अच्‍छा लेक्साटिव्स बनाते है। यह अच्‍छे बैक्‍टीरिया की वृद्धि को
    प्रोत्साहित कर पेट साफ करने को आसान बनाता है।
    २१) रात को सोने के पहिले गुड खाने से कब्ज की समस्या का निवारण होता है| विटामीन और मिनरल से भरपूर गुड को यदि कुछ गरम करके खाया जाय तो कब्ज में अधिक हितकर होता है|
    २२) काफी पीने से आप बिना देर किये शोचालय पहुँच सकते हैं| काफी से प्रेशर जल्दी बनता है | हर्बल टी ,गर्म पानी ,लेमन जूस ,और हनी वाटर भी कब्ज नाशक पदार्थ हैं|


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    5.12.09

    पित्ताशय की पथरी (गाल ब्लाडर स्टोन) के घरेलू उपचार // Remedies for gallstones.



                                                          
       गॉल ब्लाडर में पथरी (gallstones)बनना एक भयंकर पीडादायक रोग है। इसे ही पित्त पथरी कहते हैं। पित्ताषय में दो तरह की पथरी बनती है।
    प्रथम कोलेस्ट्रोल निर्मित पथरी।
    दूसरी पिग्मेन्ट से बनने वाली पथरी।
       ध्यान देने योग्य है कि लगभग ८०% पथरी कोलेस्ट्रोल तत्व से ही बनती हैं।वैसे तो यह रोग किसी को भी और किसी भी आयु में हो सकता है लेकिन महिलाओं में इस रोग के होने की सम्भावना पुरुषों की तुलना में लगभग दूगनी हुआ करती है।पित्त लिवर में बनता है और इसका भंडारण गॉल ब्लाडर में होता है।यह पित्त वसायुक्त भोजन को पचाने में मदद करता है। जब इस पित्त में कोलेस्ट्रोल और बिलरुबिन की मात्रा ज्यादा हो जाती है,तो पथरी निर्माण के लिये उपयुक्त स्थिति बन जाती है। प्रेग्नेन्सी,मोटापा,मधुमेह,,अधिक बैठे रेहने की जीवन शैली, तेल घी अधिकता वाले भोजन,और शरीर में खून की कमी से पित्त पथरी रोग होने की सम्भावना बढ जाती है।

       दो या अधिक बच्चों की माताओं में भी इस रोग की प्रबलता देखी जाती है।
    अब मैं कुछ आसान घरेलू नुस्खे प्रस्तुत कर रहा हूं जिनका उपयोग करने से इस भंयकर रोग से होने वाली पीडा में राहत मिल जाती है और निर्दिष्ट अवधि तक इलाज जारी रखने पर रोग से मुक्ति मिल जाती है।
    १) गाजर और ककडी का रस प्रत्येक १०० मिलिलिटर की मात्रा में मिलाकर दिन में दो बार पीयें। अत्यन्त लाभ दायक उपाय है।
    २) नींबू का रस ५० मिलिलिटर की मात्रा में सुबह खाली पेट पीयें। यह उपाय एक सप्ताह तक जारी रखना उचित है।


    ३) हल्दी -

    पथरी के लिए यह एक उत्तम घरेलू उपचार है। यह एंटी ऑक्सीडेंट और एंटी इन्फ्लेमेट्री (प्रदाहनाशक) होती है। हल्दी पित्त, पित्त यौगिकों और पथरी को आसानी से विघटित कर देती है। ऐसा माना जाता है कि एक चम्मच हल्दी लेने से लगभग 80 प्रतिशत पथरी खत्म हो जाती हैं।

    ४) चुकंदर, नाशपाती और सेब का रस-

    इन रसों के द्वारा पथरी का प्राकृतिक तरीके से प्रभावी उपचार किया जा सकता है। विभिन्न रस जैसे चुकंदर का रस, नाशपाती का रस और सेब का रस लीवर को स्वच्छ करते हैं। पथरी बनने से रोकने के लिए इन तीनों रसों के मिश्रण का सेवन करें।



    ५) सूरजमुखी या ओलिव आईल ३० मिलि खाली पेट पीयें।इसके तत्काल बाद में १२० मिलि अन्गूर का रस या निम्बू का रस पीयें। यह प्रक्रिया 3 हफ़्तों तक जारी रखने पर अच्छे परिणाम मिलते हैं।

    ६) पुदीना-

    यह पित्त तथा अन्य पाचक रसों के प्रवाह को उत्तेजित करता है। इसमें टेरपिन नामक यौगिक पाया जाता है जो प्रभावी रूप से पथरी को विघटित करता है। आप पुदीने की पत्तियों को उबालकर पिपरमेंट टी भी बना सकते हैं। पथरी एक लिए यह एक प्रभावी घरेलू उपचार है।

    ७) नीबू का रस

     नीबू का रस या खट्टे फलों का रस पित्ताशय में कोलेस्ट्राल को जमा होने से रोकता है तथा इस प्रकार पथरी बनने से बचाव करता है। दिन में तीन बार नीबू का रस लें।
    ८) नाशपती का फ़ल खूब खाएं। इसमें पाये जाने वाले रसायनिक तत्व से पित्ताषय के रोग दूर होते हैं।

    ९) चुकंदर, खीरा और गाजर का रस

    पित्ताशय की थैली को साफ और मजबूत करने और लीवर की सफाई के लिए चुकंदर का रस, ककड़ी का रस और गाजर के रस को बराबर मात्रा में मिलाये। यह संयोजन आपको पेट और खून की सफाई में भी मदद करता है। खीरे में मौजूद उच्च पानी सामग्री और गाजर में विटामिन सी की उच्च मात्रा मूत्राशय से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालती है।

    १०) विटामिन सी याने एस्कोर्बिक एसिड के प्रयोग से शरीर का इम्युन सिस्टम मजबूत बनता है। विटामिन सी शरीर के कोलेस्ट्राल को पित्त अम्ल में परिवर्तित करती है जो पथरी को विघटित करता है। आप विटामिन सी संपूरक ले सकते हैं या ऐसे खाद्य पदार्थ खा सकते हैं जिनमें विटामिन सी प्रचुर मात्रा में हो जैसे संतरा, टमाटर आदि। पथरी के दर्द के लिए यह एक उत्तम घरेलू उपचार है।

    ११) इसबगोल

    एक उच्च फाइबर आहार, पित्ताशय की थैली की पथरी के इलाज के लिए बहुत आवश्यक है। इसबगोल घुलनशील फाइबर का अच्‍छा स्रोत होने के कारण पित्त में कोलेस्ट्रॉल को बांधता है और पथरी के गठन को रोकने में मदद करता है। आप इसे अपने अन्‍य फाइबर युक्त भोजन के साथ या रात को बिस्‍तर पर जाने से पहले एक गिलास पानी के साथ ले सकते हैं।


    १२) अरंडी का तेल 

    यह पथरी को रोकने और कम करने में सहायक होता है। इसमें प्रदाहनाशक गुण होता है तथा यह दर्द को कम करता है। प्रतिरक्षा और लसिका प्रणाली पर कैस्टर ऑइल का सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। जहाँ पित्ताशय होता है उस स्थान पर हलके हाथों से कैस्टर ऑइल से मालिश करें।

    १३) लाल शिमला मिर्च-

    2013 में हुए एक अध्ययन के अनुसार, शरीर में भरपूर मात्रा में विटामिन सी पथरी की समस्‍या कम करता है। एक लाल शिमला मिर्च में लगभग 95 मिलीग्राम विटामिन सी होता है, यह मात्रा पथरी को रोकने के लिए काफी होती है। इसलिए अपने आहार में शिमला मिर्च को शामिल करें।

    १४) ऐप्पल सीडर विनेगर की अम्लीय प्रकृति लीवर को कोलेस्ट्राल बनाने से रोकती है जो अधिकाँश पथरियों का कारण होता है। यह पथरी को विघटित करने तथा दर्द को समाप्त करने में सहायक होता है।
    १५) पित्त पथरी रोगी भोजन में प्रचुर मात्रा में हरी सब्जीयां और फ़ल शामिल करें। ये कोलेस्ट्रोल रहित पदार्थ है।
    १६) तली-गली,मसालेदार चीजों का परहेज जरुरी है।
    १७) शराब,चाय,काफ़ी एवं शकरयुक्त पेय हानिकारक है।
    १८) एक बार में ज्यादा भोजन न करें। ज्यादा भोजन से अधिक मात्रा में कोलेस्ट्रोल निर्माण होगा जो हानिकारक है।


     विशिष्ट परामर्श-
       

    माडर्न चिकित्सा मे गॉल स्टोन  की कोई सफल औषधि नहीं होने से  सर्जरी  द्वारा रोगी के  पित्ताशय को ही निकाल  दिया जाता है  जिसके दुष्परिणाम  जीवन भर  भुगतने पड़ते हैं|  वैध्य  श्री दामोदर  98267-95656 जड़ी बूटियों की औषधि  से  बड़ी पित्त पथरी  का सफलता से  ईलाज कर रहे हैं|  आपरेशन की जरूरत ही नहीं पड़ती| यह पेट दर्द ,गैस होना ,जी घबराना कब्ज आदि लक्षणो मे भी रामबाण औषधि है|





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