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20.6.20

संधिवात,कमरदर्द,गठिया, साईटिका के अचूक हर्बल उपचार

  

संधिवात रोग में शरीर के जोडों और अन्य भागों में सूजन आ जाती है और रोगी दर्द से परेशान रहता है। चलने फ़िरने में तकलीफ़ होती है।यह रोग शरीर के तंतुओं में विकार पैदा करता है,प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है,जोड शोथ युक्त हो जाते हैं,हिलने डुलने में कष्ट होता है।कलाई,घुटनों और ऊंगली ,अंगूठे में संधिवात का रोग ज्यादा देखने में आता है। कभी-कभी बुखार आ जाता है।भूख नहीं लगना भी इस रोग का लक्षण है। समय पर ईलाज नहीं करने पर आंखों,फ़ेफ़डों,हृदय व अन्य अंग दुष्प्रभावित होने लगते हैं।

संधिवात के कारण- 


१)आनुवांशिक कारण
२)खान-पान की असावधानियां
३) जोडों पर ज्यादा शारीरिक दवाब पडना
४) जोडों का कम या जरूरत से अधिक उपयोग करना
५) स्नायविक तंतुओं में विकार आ जाना और मेटाबोलिस्म में व्यवधान पड जाना।
६) सर्द वातावरण में शरीर रखने का कुप्रभाव
७)बुढापा और हार्मोन का असुंतुलन


संधिवात रोगी क्या करें और क्या न करें-

१) सबसे महत्वपूर्ण सलाह यह है कि रोगी २४ घंटे में मौसम के अनुसार ४ से ६ लिटर पानी पीने की आदत डालें। शरीर के जोडों में यूरिक एसीड जमा हो जाता है और इसी से संधिवात रोग जन्म लेता है। ज्यादा पानी पीने से ज्यादा पेशाब होगा और यूरिक एसीड बाहर निकलता रहेगा।
२) फ़ल और हरी सब्जीयां अपने आहार में प्रचुरता से शामिल करें।इनमें भरपूर एन्टीओक्सीडेन्ट तत्व होते हैं जो हमारे इम्युन सिस्टम को ताकतवर बनाते हैं।रोजाना ७५० ग्राम फ़ल या सब्जियां या दोनों मिलाकर उपयोग करते रहें।इनका रस निकालकर पियेंगे तो भी वही लाभ प्राप्त होगा।
३)ताजा गाजर का रस और नींबू का रस बराबर मात्रा में मिश्रण कर १५ मिलि प्रतिदिन लें।
४) ककडी का रस पीना भी संधिवात में लाभकारी है।
५) संधिवात रोगी को चाहिये कि सर्दी के मौसम में धूप में बैठे।
6) चाय,काफ़ी,मांस से संधिवात रोग उग्र होता है इसलिये जल्दी ठीक होना हो तो इन चीजों का इस्तेमाल न करें।
7) शकर का उपयोग हानिकारक होता है।




८) तला हुआ भोजन,नमक,शकर तेज मिर्च-मसाले,शराब छोडेंगे तो जल्दी ठीक होने के आसार बनेगे
९) संधिवात रोगी के लिये यह जरूरी है कि हफ़्ते में दो दिन का उपवास करें।
१०) काड लिवर आईल ५ मिलि की मात्रा में सुबह शाम लेने से संधिवात में फ़ोरन लाभ मिलता है।
११) पर्याप्त मात्रा में केल्शियम और विटामिन डी की खुराकें लेते रहें। ये विटामिन भोजन के माध्यम से लेंगे तो ज्यादा बेहतर रहेगा।
१२) तीन नींबू का रस और ४० ग्राम एप्सम साल्ट आधा लिटर गरम पानी में मिश्रित कर बोतल में भर लें। दवा तैयार है। ५ मिलि दवा सुबह शाम पीयें। यह नुस्खा बेहद कारगर है।
१३) मैने साईटिका रोग में आलू का रस पीने का ईलाज बताया है। संधिवात में भी आलू का रस अशातीत लाभकारी है। २०० मिलि रस रोज पीना चाहिये।
१४) ज्यादा सीढियां चढना हानिकारक है।
१५)अपने काम और विश्राम के बीच संतुलन बनाये रखना जरूरी है।
१६) अदरक का रस पीना संधिवात के दर्द में शीघ्र राहत पहुंचाता है।
१७) अलसी के बीज मिक्सर में चलाकर पावडर बनालें। २० ग्राम सुबह और २० ग्राम शाम को पानीके साथ लें। इसमे ओमेगा फ़ेट्टी एसीड होता है जो इस रोग में अत्यंत हितकर माना गया है।इससे कब्ज का भी निवारण हो जाता है।

विशिष्ट परामर्श-  

संधिवात,कमरदर्द,गठिया, साईटिका ,घुटनो का दर्द आदि वात जन्य रोगों में जड़ी - बूटी निर्मित हर्बल औषधि ही अधिकतम प्रभावकारी सिद्ध होती है| रोग को जड़ से निर्मूलन करती है| हर्बल औषधि होने के बावजूद यह तुरंत असर चिकित्सा है| सैकड़ों वात रोग पीड़ित व्यक्ति इस औषधि से आरोग्य हुए हैं|  बिस्तर पकड़े पुराने रोगी भी दर्द मुक्त गतिशीलता हासिल करते हैं|औषधि के लिए वैध्य श्री दामोदर से 98267-95656 पर संपर्क कर सकते हैं| 



18.11.19

तनाव चिंता डिप्रेशन मे उपयोगी अश्वगंधा कई रोगों मे फायदे मंद


चिंता, मानव विकास के दौरान संरक्षित की गयी एक सामान्य तनाव प्रतिक्रिया हैं। हालांकि, जब चिंता सामान्य रोजमर्रा की घटनाओं में आती हैं, तब यह एक गंभीर चिंता विकार का रूप ले सकती है। चिंता विकारों के कारण एक व्यक्ति, उनकी शारीरीक या मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य पर संभावित आने वाले खतरे को लेकर अशांति और चिंता की स्थिती में चला जाता हैं। चिंता विकारों के लक्षण अक्सर दीर्घकालीन होते हैं, और उसमे ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई, ज्यादा चिड़चिड़ापन, मांसपेशियों में तनाव, अशांत नींद और चिंताओं पर काबू पाने में परेशानी, आदि शामिल हैं। आयुर्वेदिक चिकित्सा में परंपरागत रुप से विभिन्न रोगों के इलाज के लिए बड़े पैमाने पर उपयोग किये जाने वाली अश्वगंधा एक जड़ी बूटी है। आयुर्वेदिक उपचार में इस पौधे की जड़ें, पत्तियां और फल इस्तेमाल किये जाते हैं। रोमन इसे अपने वाइन में डालते थे ऐसी कहावत हैं। इसका लैटिन नाम 'विथानिआ सोमनिफेरा' है। यह चिंता विकार, अवसाद और अन्य मानसिक विकारों के उपचार में लाभकारी होती हैं, ऐसा माना गया हैं। आयुर्वेदिक उपचारों में वर्षों से इस पौधे की जड़ों, पत्तियों और फलों को इस्तेमाल किया जा रहा हैं। अब वैज्ञानिक अध्ययन ने यह पुष्टि की है कि इसमें कई औषधीय गुण हैं। तनाव कम करें अश्‍वगंधा आधुनिक जीवन नें उच्च स्तरीय नौकरियों में बहुत ज्‍यादा तनाव का निर्माण होता हैं और 80 प्रतिशत लोगों का मानना हैं कि तनाव के कारण उन्‍हें जीवन में बहुत सारी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। इसलिए हमें तनाव को कम और उसका प्रबंधन करने और कोर्टिसोल के स्तर को कम करने के लिए एक स्वस्थ तरीकों की जरूरत हैं। तनाव के हार्मोन के रूप में कोर्टिसोल को जाना जाता हैं। अश्वगंधा किसी भी हानिकारक दुष्प्रभावों के बिना चिंता और तनाव को कम करने का एक प्राकृतिक और सुरक्षित तरीका हैं।    शोध के अनुसार एक अध्ययन में अश्वगंधा के अवसाद विरोधी परिणाम की तुलना, पर्चेवाली अवसाद की दवाओं से की। और दिलचस्प बात यह सामने आयी कि चिंता और अवसाद पर उसके प्रभाव आधुनिक दवाओं के लिए तुलना में बहुत ही अच्‍छे थे। यह आयुर्वेदिक दावा आधुनिक हर्बल अनुसंधान द्वारा किया गया है। अश्वगंधा पर जॉर्ज वॉशिंगटन स्कूल ऑफ मेडिसिन एड हेल्थ साइंस और कुछ अन्य अमेरिकी परीक्षण केंद्रो में नैदानिक परीक्षणों का उपयोग करके उसकी प्रभावशीलता की जांच की गयी हैं। और उन्होने यह प्रमाणित किया है कि अश्वगंधा में किसी भी विषाक्तता या दुष्प्रभावों के बिना चिंता दूर करने वाले और अवसाद विरोधी गुण होते हैं। एक परीक्षण में, तंत्रिका रोग से पीड़ित 30 रोगियों को एक महीने के लिए प्रति दिन 40 मिलीग्राम अश्वगंधा की खुराक दी गयी। परीक्षण से पता चला कि ज्यादातर चिंता विकार के लक्षण जैसे घबड़ाहट या डर में बहुत कमी आयी। क्योंकि कई लोग अवसाद विरोधी दवा का इस्तेमाल करते हैं, दुष्प्रभावों के बिना प्राकृतिक उपचार का इस्तेमाल सकारात्मक रुप से लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित कर सकता हैं। अश्वगंधा आधुनिक दुनिया के तनावों के लिए प्रतिविष हो सकती हैं। अश्वगंधा ऐसी आयुर्वेदिक औषधि है, जिसे किसी परिचय की जरूरत नहीं है। अनगिनत खुबियों के कारण ही, सदियों से विश्वभर में इसका उपयोग किया जा रहा है। विभिन्न ग्रंथों में भी इसका उल्लेख किया गया है। आज के वैज्ञानिक युग में डॉक्टर भी मान चुके हैं कि अश्वगंधा गुणकारी औषधि है और कई रोगों के उपचार इस अकेली जड़ी-बूटी से संभव हैं। साथ ही साथ इसका इस्तेमाल शक्तिवर्धक दवा के रूप में भी किया जा सकता है। यह जड़ी-बूटी आपको बाजार में पाउडर, कैप्सूल व टैब्लेट आदि रूपों में आसानी से मिल जाएगी। इसमें एंटीऑक्सीडेंट, एंटीइंफ्लेमेटरी, एंटी स्ट्रेस व एंटीबैक्टीरियल जैसे तत्व और इम्यून सिस्टम को बेहतर करने व अच्छी नींद लाने वाले गुण मौजूद हैं। अगर यह कहा जाए कि इसमें हर मर्ज का इलाज छुपा है, तो गलत नहीं होगा अश्वगंधा संपूर्ण शरीर के लिए फायदेमंद है। इसके सेवन से सिर्फ मस्तिष्क की कार्यप्रणाली ही बेहतर नहीं होती, बल्कि मांसपेशियां भी मजबूत होती हैं और शरीर में रक्त का प्रवाह बेहतर होता है। इसके अलावा, यह यौन व प्रजनन क्षमता को बेहतर करने में भी सक्षम है। साथ ही इसके सेवन से तनाव को भी कम किया जा सकता है। यह औषधि श्वेत रक्त कोशिकाओं की संख्या में वृद्धि कर शरीर को तमाम तरह के रोगों से लड़ने के लिए तैयार करती है जैसा कि हमने लेख के शुरुआत में बताया था कि अश्वगंधा में एंटीऑक्सीडेंट तत्व पाया जाता है, तो इस खूबी के कारण ही यह शरीर में फ्री रेडिकल्स को बनने से रोकता है। इस कारण चेहरे पर समय से पूर्व झुर्रियां पड़ने की आशंका कई गुना कम हो जाती है अश्वगंधा में एंटीआक्सीडेंट और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण मौजूद हैं। इस कारण से ही यह ह्रदय से जुड़ी तमाम तरह की समस्याओं को दूर करने में सक्षम है। अगर आप अश्वगंधा का प्रयोग करते हैं, तो ह्रदय की मांसपेशियां मजबूत होती हैं और खराब कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम होता है। कई वैज्ञानिक शोधों में भी पुष्टि की गई है कि अश्वगंधा में भरपूर मात्रा में हाइपोलिपिडेमिक पाया जाता है, जो रक्त में खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता है अनिद्रा अगर आप नींद न आने से परेशान हैं, तो डॉक्टर की सलाह पर अश्वगंधा का सेवन कर सकते हैं। यह हम नहीं, बल्कि 2017 में जापान की त्सुकुबा यूनिवर्सिटी में इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट द्वारा किए गए एक रिसर्च में कहा गया है। इस अध्ययन के अनुसार, अश्वगंधा के पत्तों में ट्राइथिलीन ग्लाइकोल नामक यौगिक पाया जाता है, जो गहरी नींद में सोने में मदद करता है। इस रिसर्च के आधार पर कहा जा सकता है कि अनिद्रा के शिकार व्यक्ति को अश्वगंधा का सेवन करने से फायदा हो सकता है आजकल जिसे देखो, वही तनाव में नजर आता है। इस कारण से हम न सिर्फ समय से पहले बूढ़े हो रहे हैं, बल्कि कई बीमारियों का शिकार भी बन रहे हैं। अगर आप इन सभी दुष्परिणामों से बचना चाहते हैं, तो तनाव और चिंताग्रस्त जीवन जीने का प्रयास करें। साथ ही अश्वगंधा का सेवन करें। यह आयुर्वेदिक औषधि आपके तनाव को दूर करने के लिए कारगर साबित हो सकती है। हालांकि, अभी तक वैज्ञानिक तौर पर यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि किन कारणों से अश्वगंधा में एंटी-स्ट्रेस गुण है, लेकिन इतना जरूर कहा जा सकता है कि इसमें तनाव से राहत दिलाने के गुण हैं
यौन क्षमता में वृद्धि कई पुरुषों में यौन इच्छा कम होती है और वीर्य की गुणवत्ता भी अच्छी नहीं होती। इस कारण वो संतान सुख से वंचित रह जाते हैं। ऐसे में अश्वगंधा जैसी शक्तिवर्धक औषधि पुरुषों में यौन क्षमता को बेहतर करने का भी काम करती है। साथ ही वीर्य की गुणवत्ता को भी बेहतर करती है। 2010 में हुए एक अध्ययन के अनुसार, अश्वगंधा का प्रयोग करने से वीर्य की गुणवत्ता के साथ-साथ उसकी संख्या में भी वृद्धि होती है। यह इंडियन जिनसेंग खासकर उन लोगों के लिए वरदान की तरह है, जिनकी यौन क्षमता या फिर वीर्य की गुणवत्ता कम होती है
डायबिटीज आप चाहे कैंसर की बात करें या फिर उच्च रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल जैसी बीमारियों की, आयुर्वेद में हर बीमारी का इलाज संभव है। उसी तरह डायबिटीज का इलाज भी आयुर्वेद के जरिए किया जा सकता है। आयुर्वेद में उल्लेख है कि जो अश्वगंधा का सेवन करता है, उसे जल्द ही डायबिटीज से राहत मिल सकती है। इस तथ्य को बल 2009 में हुए एक अध्ययन के जरिए मिलता है। इसमें डायबिटीज ग्रस्त चूहों पर अश्वगंधा की जड़ और पत्तों का प्रयोग किया गया था। कुछ समय बाद चूहों में सकारात्मक परिवर्तन नजर आए थे। इस लिहाज से विज्ञान प्रमाणित करता है कि अश्वगंधा से डायबिटीज का इलाज किया जा सकता है
थायराइड गले में मौजूद तितली के आकार की थायरायड ग्रंथि जरूरी हार्मोंस का निर्माण करती है। जब ये हार्मोंस असंतुलित हो जाते हैं, तो शरीर का वजन कम या ज्यादा होने लगता है। साथ ही अन्य तरह की परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है। इसी अवस्था को थायराइड कहते हैं। अगर आप भी थायराइड से ग्रस्त हैं, तो आपके लिए यह जानना और भी जरूरी हो जाता है कि अश्वगंधा किस प्रकार आपके लिए लाभकारी है। थायराइड से ग्रस्त चूहों पर हुए एक अध्ययन में पाया गया कि जब चूहों को नियमित रूप से अश्वगंधा की जड़ दवा के रूप में दी गई, तो उनके थायराइड हार्मोंस संतुलन होने लगे। इस आधार पर कहा जा सकता है कि थायराइड की अवस्था में डॉक्टर की सलाह पर अश्वगंधा का सेवन लाभकारी साबित हो सकता है गठिया-
यह ऐसी पीड़ादायक बीमारी है, जिसमें मरीज का चलना-फिरना और उठना-बैठना मुश्किल हो जाता है। ऐसा लगता है कि मानो जोड़ जम गए हैं। इसी के मद्देनजर वैज्ञानिकों ने 2014 में अश्वगंधा पर शोध किया था। उन्होंने अपने शोध के जरिए बताया कि अश्वगंधा में एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। अगर अश्वगंधा की जड़ के रस का प्रयोग किया जाए, तो न सिर्फ आर्थराइटिस से जुड़े लक्षण कम होते हैं, बल्कि दर्द से भी आराम मिलता है याददाश्त में सुधार इन दिनों हर कोई मल्टीपल काम कर रहा है और तनाव से भी घिरा हुआ है। परिणामस्वरूप, मस्तिष्क की कार्यक्षमता प्रभावित होती है। ऐसे में जानवरों पर किए गए विभिन्न अध्ययनों में पाया गया कि अश्वगंधा ने मस्तिष्क की कार्यप्रणाली और याददाश्त पर सकारात्मक तरीके से असर डाला। साथ ही अश्वगंधा लेने से नींद भी अच्छी आती है, जिससे मस्तिष्क को आराम मिलता है और वह बेहतर तरीके से काम कर पता है
 एंटी एजिंग जैसा कि इस लेख के शुरुआत में बताया गया है कि अश्वगंधा में एंटीऑक्सीडेंट गुण होता है। इस लिहाज से यह आपके लिए काफी लाभकारी है। एंटीऑक्सीडेंट गुण के कारण ही यह शरीर में बनने वाले फ्री रेडिकल्स से लड़ सकता है। ये फ्री रेडिकल्स सूरज की यूवी किरणों के कारण भी हमारे शरीर में बन सकते हैं और एंटी एजिंग का कारण बन सकते हैं। वहीं, अश्वगंधा से बने फेस पैक का प्रयोग किया जाए, तो न सिर्फ समय पूर्व चेहरे पर आने वाली झुर्रियों से छुटकारा मिल सकता है, बल्कि डार्क स्पोर्ट को भी कम किया जा सकता है। इतना ही नहीं, अश्वगंधा के प्रयोग से स्किन कैंसर से भी बचा जा सकता है सामग्री : एक चम्मच अश्वगंधा पाउडर थोड़ा-सा गुलाब जल (आवश्यकतानुसार) कैसे करें प्रयोग : अश्वगंधा पाउडर और गुलाब जल को अच्छी तरह मिक्स करें, ताकि वो पेस्ट की तरह बन जाए। अब इसे साफ हाथों या फिर साफ मेकअप ब्रश से अपने चेहरे पर लगाएं। इस पेस्ट को करीब 15 मिनट लगे रहने दें और फिर पानी से धो लें। कोर्टिसोल के स्तर में कमी कोर्टिसोल एक प्रकार का हार्मोन होता है, जिसे स्ट्रेस हार्मोन भी कहा जाता है। यह हार्मोन आपके शरीर को बताता है कि आपको भूख लग रही है। जब रक्त में इस हार्मोन का स्तर बढ़ता है, तो शरीर में फैट और स्ट्रेस का स्तर भी बढ़ने लगता है। इससे शरीर को विभिन्न प्रकार के नुकसान हो सकते हैं। इसलिए, कोर्टिसोल के स्तर को कम करना जरूरी है। एक शोध में पाया गया है कि अश्वगंधा के प्रयोग से कोर्टिसोल को कम किया जा सकता है 
मजबूत बाल- ऐसे लोगों की कमी नहीं है, जो झड़ते बालों से परेशान हैं। ऐसा बालों के जड़ से कमजोर होने पर होता है। अगर आप भी इस समस्या से परेशान हैं, तो खास अश्वगंधा आपके लिए ही है। बाल न सिर्फ पोषक तत्वों की कमी के कारण झड़ते हैं, बल्कि इसके पीछे तनाव भी एक कारण है। जैसा कि पहले भी बताया गया है कि अश्वगंधा के प्रयोग से स्कैल्प बेहतर होता है और संपूर्ण पोषण मिलता है, उसी तरह यह कोर्टिसोल के स्तर को भी कम करता है। कोर्टिसोल का स्तर कम होने से तनाव दूर होता है और उससे होने वाले दुष्प्रभाव भी कम होते हैं। ऐसे में जब बालों को पूरे पोषक तत्व मिलेंगे और तनाव कम होगा, तो बालों का झड़ना भी कम हो जाएगा| 
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26.3.16

सरसों के तेल के फायदे // Benefits of Mustard Oil






    सरसों का तेल हर घर में इस्तेमाल होता है। साथ ही यह तेल प्राचीन समय से आयुर्वेद में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। कड़वा तेल यानि सरसों के तेल में कई गुण हैं जो आपकी सेहत और उम्र दोनों को बेहद फायदा पहुंचाते हैं। सरसों का तेल दर्दनाशक होता है जो गठिया व कान के दर्द से राहत देता है इसलिए सरसों का तेल किसी औषघि से कम नहीं है।
*सरसों का तेल , सर्दी के दिनों में आपके लिए बेहद फायदेमंद हो सकता है। यह न केवल आपके शरीर में गर्माहट पैदा करता है बल्कि अपनी तासीर और गुणों के कारण इसका प्रयोग कई तरह की समस्याओं में औषधि‍ के रूप में किया जाता है।

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*  सरसों के तेल में विटामिन ए, विटामिन ई, प्रोटीन्स तथा एंटी आक्सीडैंट्स मौजूद होते हैं। ये सारे तत्व इसे बालों के लिए लाभदायक बनाते हैं। बालों के विकास के लिए सरसों का तेल एक उत्प्रेरक के तौर पर काम करता है। इसमें मौजूद विटामिन्स इस बात को यकीनी बनाते हैं कि बालों का विकास तेजी से और सेहतमंद  ढंग से हो और बाल गिरें नहीं। सरसों के तेल से बालों की मालिश एक सुरक्षित तथा प्राकृतिक कंडीशनर के तौर पर काम करती है और इससे बाल सिल्की और सॉफ्ट बनते हैं।यह बालों की जड़ों को पोषण देकर रक्तसंचार बढ़ाता है जिससे बालों का झड़ना बंद हो जाता है। इसमें ओलिक एसिड और लीनोलिक एसिड पाया जाता है, जो बालों की ग्रोथ बढ़ाने के लिए अच्छे होते हैं।
*त्वचा संबंधी समस्याओं में भी बेहद फायदेमंद होता है। यह शरीर के किसी भी भाग में फंगस को बढ़ने से रोकता है और त्वचा को स्वस्थ और चमकदार बनाता है।
* सरसों के तेल में एंटी बैक्टीरियल तथा एंटी फंगल गुण मौजूद होते हैं। जब भोजन के माध्यम से सरसों के तेल का सेवन किया जाता है तो यह पाचन प्रणाली के सारे अंगों जैसे पेट, अंतडिय़ों तथा यूरिनरी ट्रैक्ट की इंफैक्शन से हमारा बचाव करता है। इसका इस्तेमाल एंटी बैक्टीरियल तेल के तौर पर भी किया जाता है। फंगल इंफैक्शन से बचने के लिए इसे सीधा त्वचा पर लगाया जा सकता है।

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*वजन कम करना-


सरसों के तेल में मौजूद विटामिन जैसे थियामाइन, फोलेट व नियासिन शरीर के मेटाबाल्जिम को बढ़ाते हैं जिससे वजन आसानी से कम होने लगता है।

*मलेरिया में-

मलेरिया मच्छरों के काटने से होता है। ऐसे में सरसों का तेल रात को सोने से पहले अपने शरीर पर लगाकर सोएं। इस उपाय से मलेरिया के मच्छर नहीं काटते हैं।
*यदि सरसों के तेल का नियमित आधार पर सेवन किया जाए तो यह माइग्रेन के दर्द से राहत देने में बहुत महत्वपूर्ण साबित होता है। यह भी माना जाता है कि यह पाचक रसों की भी पूर्ति करता है जो हमारे उचित पाचन में सहायक होते हैं। जो लोग खांसी-जुकाम, अस्थमा तथा साइनसाइटिस से पीड़ित होते हैं उनमें सरसों का तेल बहुत ही आरामदायक प्रभाव छोड़ता है।
*भूख नहीं लगने पर भी सरसों का तेल आपके लिए बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है। अगर भूख न लगे, तो खाना बनाने में सरसों के तेल का उपयोग करना लाभप्रद होता है। शरीर में पाचन तंत्र को दुरूस्त करने में भी लाभदायक होता है।

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*बालों के रंग के लिए

भूरे बालों से परेशान लोगों के लिए सरसों का तेल किसी दवा से कम नहीं है। सरसों का तेल नियमित लगाने से भूरे बाल काले होने लगते हैं। रात को सोने से पहले नियमित सरसों का तेल लगाएं। थोड़े ही दिनों में बालों का रंग काला होने लगेगा।

*दांत दर्द में-

यदि दातों में किसी प्रकार का दर्द हो रहा हो तो सरसों के तेल में नमक मिलाकर रगड़ें। आपको राहत मिलेगी। और दांत भी मजबूत बनेगें।



*शरीर की क्षमता को बढ़ाता है-


सरसों का तेल शरीर की क्षमता बढ़ाने में एक दवा का काम करता है। शरीर की कमजोरी को दूर करने के लिए और उसकी क्षमता को बढ़ाने के लिए सरसों के तेल की मालिश के बाद नहाने से त्वचा और शरीर दोनों स्वस्थ रहते हैं।सरसों के तेल का नियमित इस्तेमाल करने से कोरोनरी हार्ट डिसीज का खतरा कम होता है। जिन्हें दिल की बीमारी की समस्या हो वे सरसों का तेल खाने में इस्तेमाल करें।इसमें विटामिन ई भी अच्छी मात्रा में पाया जाता है, जो त्वचा को अल्‍ट्रावाइलेट किरणों और पल्‍यूशन से बचाता है। साथ ही यह झाइयों और झुर्रियों से भी काफी हद तक राहत दिलाने में मदद करता है


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*सरसों के तेल की मालिश करने से शरीर की मांसपेशियां मजबूत होती हैं और रक्त संचार भी बेहतर होता है। यह शरीर में गर्माहट पैदा करने में भी मददगार होता है।

*कान दर्द में-

कान के दर्द में सरसों का तेल फायदा करता है। जब भी कान में दर्द हो तब गुनगुने सरसों के तेल को कान में टपकाएं।

*गठिया दर्द में

सरसों के तेल में कपूर को पीसकर मिलाएं और फिर इसकी गठिया वाली जगह पर मालिश करें। यह गठिया दर्द में राहत देता है।

*कमर दर्द में-

कमर दर्द से छुटकारा पाने के लिए सरसों के तेल में अजवाइन, लहसुन और थोड़ी से हींग को मिलाकर कमर की मालिश करें।

*अस्थमा की रोकथाम-

नियमित रूप से अस्थमा से परेशान लोगों को सरसों का तेल खाने में इस्तेमाल करना चाहिए। सरसों के बीज में मैग्नीशियम ज्यादा होता है। इसके अलावा यह तेल सर्दी और ब्रेस्ट में होने वाली परेशानियों को दूर करता है।

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*बढ़ती उम्र को रोके-
सरसों के तेल में विटामिन ए, सी और के की अधिक मात्रा होती है जो बढ़ती हुई उम्र से होने वाले झुर्रिंयां यानि रिंकल और निशान आदि को दूर करती है। सरसों का तेल एंटीआक्सीडेंट भी होता है। जिससे त्वचा टाइट बनी रहती है।
  
*कैंसर को रोके-

सरसों के तेल में कैंसर को रोकने वाला गुण ग्लुकोजिलोलेट होता है। जो कैंसर के टयूमर व गांठ को शरीर में बनने से रोकता है साथ ही किसी भी तरह के कैंसर को शरीर पर लगने नहीं देता है।
सरसों के तेल को बहुत पौष्टिक माना जाता है, इसलिए इसका प्रयोग खाना बनाने के लिए भी किया जाता है। इसकी तासीर गर्म होने से सर्दियों में यह अत्यंत लाभकारी माना जाता है।

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3.3.16

प्याज के इतने सारे फायदे नहीं जानते होंगे आप Benefits of Onion







 भोजन के साथ सलाद के रूप में खाया जाने वाला कच्चा प्याज हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा होता है। सैंडविच, सलाद या फिर चाट, प्याज सभी के स्वाद को दोगुना कर देता है। यदि आपको डर है कि प्याज खाने से दुर्गंध आएगी तो खाने के बाद माउथ फ्रेशनर खाइए या ब्रश कर लीजिए, लेकिन प्याज जरूर खाइए। आहार विशेषज्ञों की मानें तो यह यौन दुर्बलता को दूर करने में भी बहुत उपयोगी है। यौन शक्ति के संवर्धन एवं संरक्षण के लिए प्याज एक सस्ता एवं सुलभ विकल्प है।
*अगर आप ये सोचते हैं कि प्याज केवल सब्जी बनाने या फिर सलाद में खाने के लिए ही है तो आपको बता दें कि प्याज किसी औषधि‍ से कम नहीं. कई गंभीर बीमारियों के लिए ये रामबाण नुस्खा है. हालांकि इस बात की जानकारी होना भी जरूरी है कि हम इसका इस्तेमाल कब और किस तरह से करें ताकि भरपूर लाभ मिले.-*हरा प्याज खाने के कई फायदे हैं। यह कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम बनाए रखता है। इसमें एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं। एंटी बैक्टीरियल गुण के कारण ही इसे खाने से पाचन में भी सुधार होता है। हरे प्याज में क्रोमियम होता है।
* हरा प्याज खाने से इम्यूनिटी पावर बढ़ता है। हरा प्याज चेहरे की झुर्रियों को दूर करता है। इसे खाने से आंखों की रोशनी बढ़ती है। हरा प्याज मैक्रोन्यूट्रिशयन को बनाए रखता है। हरे प्याज में एंटी-इन्फ्लामेटरी और एंटी- हिस्टामाइन गुण भी होते हैं। इसीलिए यह गठिया और अस्थमा के रोगियों के लिए लाभदायक रहता है।

लू लगने पर

*गर्मियों में लू लग जाना एक आम बात है लेकिन, अगर आप कच्ची प्याज खाती हैं तो आपको लू नहीं लगेगी. लू लगने पर प्याज का रस पीने से फायदा होता है. आपने बड़े-बुजुर्गों को ये कहते भी सुना होगा कि प्याज का टुकड़ा साथ रखने से लू नहीं लगती है.

*झड़ते बालों के लिए फायदेमंद

अगर आपके बाल गिर रहे हैं तो इसमें प्याज का रस बहुत फायदेमंद हो सकता है. साथ ही बालों में प्याज का रस लगाने से बाल चमकदार होते हैं.

*.वीर्यवृद्धि के लिए 

सफेद प्याज के रस के साथ शहद लेने पर फायदा होता है। सफेद *प्याज का रस, शहद, अदरक का रस और घी का मिश्रण 21 दिनों तक लगातार लेने से नपुंसकता दूर हो जाती है। कफ हो जाने पर प्याज के रस में मिश्री मिलाकर चाटने से फायदा मिलता है। प्याज को पीसकर गुड़ मिलाकर खाने से वीर्य वृद्धि होती है।
* 100 ग्राम अजवाइन को सफेद प्याज के रस में भिगोकर सुखा लें। सूख जाने पर फिर यही प्रक्रिया दोहराएं। ऐसा तीन बार करें। अच्छी तरह सूख जाने पर इसका बारीक पाउडर बना लें। अब इस पाउडर को पांच ग्राम घी और पांच ग्राम शक्कर के साथ सेवन करें। इस योग को इक्कीस दिन तक लेने पर शीघ्रपतन की समस्या से राहत मिलती है। एक किलो प्याज का रस, एक किलो शहद और आधा किलो शक्कर मिलाकर डिब्बे में पैक कर लें। इसे पंद्रह ग्राम की मात्रा में एक माह तक नियमित सेवन करें। इस योग के प्रयोग से सेक्शुअल डिजायर में वृद्धि होती है।
*एक किलो प्याज के रस में आधा किलो उड़द की काली दाल मिलाकर पीस कर पेस्ट बना लें। इसे सुखाकर एक किलो प्याज के रस में मिलाकर फिर से पीस लें। इस पेस्ट को दस ग्राम मात्रा में लेकर भैंस के दूध में पकाएं और शक्कर डाल कर पी जाएं। इस योग का सेवन तीस दिन तक नियमित सुबह-शाम सेवन करने से कमजोरी दूर होती है और कामेच्छा में बढ़ोतरी होती है।

कब्ज दूर करे-

प्यज में मौजूद रेशे पेट के लिए बेहद फायदेमंद हैं। प्याज खाने से कब्ज दूर हो जाती है। यदि आपको कब्ज की शिकायत है तो कच्चा प्याज रोज खाना शुरू कर दीजिए।

गले की खराश मिटाए

यदि आप सर्दी, कफ या खराश से पीड़ित हैं तो ताजे प्याज का रस पीजिए। इसमें गुड़ या शहद मिलाकर पीना अधिक फायदेमंद होता है।

पेशाब न होने पर

अगर किसी को रुक-रुक कर पेशाब हो रही हो तो पेट पर प्याज के रस की हल्की मालिश करनी चाहिए. प्याज का रस पीने से पेट संबंधी कई बीमारियों में फायदा होता है.

सर्दी-जुकाम में

प्याज की तासीर गर्म होती है. ऐसे में अगर आपको सर्दी हो गई है तो प्याज आपके लिए दवा का काम करेगी . इसके सेवन से बंद नाक और सर्दी में राहत मिलती है.

लंबी उम्र के लिए

प्याज का रस किसी बूटी से कम नहीं. इससे कई तरह की बीमारियां दूर होती हैं इसलिए ये भी कहा जाता है कि प्याज खाने से इंसान की उम्र बढ़ती है

पथरी रोगी के लिए फायदेमंद

अगर आपको स्टोन की शिकायत है तो प्याज का रस आपके लिए किसी वरदान से कम नहीं. सुबह के समय खाली पेट प्याज का देा चम्मच रस आपको इस मुसीबत से छुटकारा दिला सकता है.

ब्लीडिंग समस्या खत्म करें

नाक से खून बह रहा हो तो कच्चा प्याज काट कर सूंघ लीजिए। इसके अलावा यदि पाइल्स की समस्या हो तो सफेद प्याज खाना शुरू कर दें।

डायबिटीज करे कंट्रोल

रोजाना प्याज खाने से इंसुलिन पैदा होता है। यदि आप डायबिटिक हैं तो इसे खाने के साथ रोज सलाद के रूप में खाएं।

दिल से संबंधित बीमारियां खत्म करें

कच्चा प्याज ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करता है। इसमें मिथाइल सल्फाइड और अमीनो एसिड होता है। इसीलिए यह कोलेस्ट्रॉल को भी काबू में रखता है और दिल को बीमारियों से बचाता है।

एनीमिया ठीक करे

रोजाना प्याज खाने से खून की कमी दूर होती है। 

गठिया के इलाज में
अगर आपके घर में किसी को गठिया या जोड़ो का दर्द है तो प्याज के रस की मालिश करने से आराम मिलेगा. प्याज के रस को सरसों के तेल में मिलाकर मालिश करने से आराम मिलता है.


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