24.12.17

केस्टर आईल (अरंडी के तेल) के गुण,उपयोग, फायदे -डॉ॰आलोक

     कैस्टर ऑयल (अरंडी का तेल) प्रकृति के द्वारा दिया गया एक वरदान है जिसका उपयोग आज के समय में औषधि के रूप में रोगों के उपचार के लिए किया जाता है। इसमें मौजूद प्राकृतिक तत्व ना हमें जानें कितनी प्रकार की बीमारियों से निजात दिलाने में मदद करते है। कैस्टर ऑयल आज के समय की जादुई औषधि ही नहीं है बल्कि कई समस्याओं का भी हल है, वैसे तो हमारे आसपास ऐसे की औषधिय उपचार मौजूद है, पर कैस्टर ऑयल ऐसा प्राकृतिक उपचार है जिसका उपयोग शरीर के रोगों को दूर करने के साथ-साथ बाल, त्वचा एवं शरीर के वजन से संबंधित समस्याओं के निदान के लिए भी किया जा सकता है। जो अन्य तेल नहीं कर सकते है।
कैस्टर ऑयल (अरंडी का तेल) क्या है और यह कैसे बनाया जाता है?

कैस्टर ऑयल एक सुनहरे पीले रंग का तेल है, कैस्टर पौधे के बीज को दबाने से एक ठंडा चिपचिपा पदार्थ निकलता है। इसे रिसिनस कॉम्यूनिस के नाम से भी जाना जाता है। यह पौधा केवल भारत और अफ्रीका के जंगलों में ही पाया जाता है।
कैस्टर ऑयल को विभिन्न क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न नामों से जाना जाता है, जैसे हिन्दी में इसे “अरंडी का तेल” कहा जाता है, तो तेलुगू में आमुडामु, मराठी में एरंडेला तेला, तमिल में कैस्टर ऑयल को अमनक्कु इनने, मलयालम में अवनककेन्ना और बंगाली में रेरिर तेल के नाम से जाना जाता है। इस तेल से अखरोट के समान खुशबू आती है। इसका रंग अरंडी के तेल की मात्रा पर निर्भर करता है।
कैस्टर ऑयल के विभिन्न प्रकार (कौन सा खरीदें)
जब आप कैस्टर ऑयल दुकान में खरीदने जाएंगी तो आपको वहां सुनहरे रंग में कई तरह के तेल देखने को मिलते हैं, जिनके नाम निम्न प्रकार के होते हैं….
*आर्गनिक कैस्टर ऑयल
*रेग्यूलर कैस्टर ऑयल
*जमैकन ब्लैक कैस्टर ऑयल
जमैकन ब्लैक कैस्टर ऑयल और दूसरे कैस्टर ऑयल के बीच होने वाले अंतर?

जमैकन ब्लैक कैस्टर ऑयल तेल बालों के लिए सबसे अच्छा माना जाता है, परतुं जमैकन ब्लैक कैस्टर ऑयल में मौजूद कैस्टर के बीज की राख से यह तेल काफी काला हो जाता है। इस तेल में राख और तेल का मिश्रण होता है, जिसके कारण जमैकन ब्लैक कैस्टर ऑयल को 100% शुद्ध कहना उचित नहीं होगा। इसकी अपेक्षा लोग दूसरे अन्य तेलों को लेना ज्यादा पसंद करते है।
आपको खुद ही इस बात का चुनाव करना होगा कि आपको किस प्रकार के ऑयल को खरीदना है। इसको खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखें कि इसमें किसी प्रकार की मिलावट ना हो और यह पूरी तरह से शुद्ध हो।
कैस्टर ऑयल का कैसे करें उपयोग
कैस्टर ऑयल में एंटी बैक्टीरियल और एंटी फंगल के गुण पाए जाते हैं। इसमें पाए जानें वाले प्राकृतिक औषधिय गुणों की गुणवत्ता को देखकर ही लोग इसका प्रयोग कई तरीकों से करने लगे है। आज के समय में कैस्टर ऑयल का उपयोग सौंदर्य प्रसाधनों के अलावा कई अन्य तरह से भी किया जाने लगा है। इसका साबुन, शैम्पू, कपड़ों के उत्पादन के समय में, दवाइयों के रूप में तथा त्वचा एवं बालों में विभिन्न प्रकार के तेलों के रूप में उपयोग किया जाने लगा है।

कैस्टर ऑयल के सेहत से सम्बन्धित फायदे-
कैस्टर ऑयल हमारे स्वास्थ्य के लिए कई तरह से फायदेमंद होता है, जिसके विषय में हम कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। अरंडी के तेल में पाए जानें वाले प्राकृतिक औषधिय गुण हमारी सेहत के लिए एक वरदान के रूप में जानें जाते है। इसके चमत्कारिक गुणों को जानकर आप भी आश्चर्य में पड़ जाएंगे। इन्हीं गुणों की उपयोगिता को देखकर इसका उपयोग भारत में ही नहीं बल्कि अन्य देशों में भी औषधिय उपचार के रूप में किया जाने लगा है। इसकी इसी उपयोगिता को देखते हुए आज हम बता रहें हैं कि अरंडी के तेल का उपयोग कैसे करें।
कैस्टर ऑयल एक प्राकृतिक औषधि के रूप में सदियों से इस्तेमाल किया जा रहा है। कैस्टर ऑयल के पैक से कब्ज दूर होने के साथ ही पाचन क्रिया में सुधार होता है। इसके अलावा यह शरीर को सुचारू रूप से काम करने में मदद करता है। इससे पाचन क्रिया सही होने से मल त्याग करते समय समस्या नहीं होती है, ना ही कब्जियत होने के दौरान एनीमा की जरूरत पड़ती है। अरंडी के तेल का पैक घर पर बड़ी ही आसानी से तैयार किया जा सकता है। इसके प्रयोग के लिए एक पुराने कपड़े के साथ ही एक शीशी की आवश्यकता पड़ती है, जो कैस्टर ऑयल को एकत्रित करके रखने के काम आती है। तीन दिनों में एक बार एक चम्मच कैस्टर ऑयल का सेवन करने से आप कब्ज की समस्या से राहत पा सकती हैं।

• वैज्ञानिक शोधों के अनुसार कैस्टर ऑयल शरीर में अधिक टी-कोशिकाओं के निर्माण में सहायक होता है, जो शरीर के ट्यूमर को बढ़ने से रोकते हैं। साथ ही यह तेल जोड़ों के दर्द में, मांसपेशियों के दर्द में और शरीर में सूजन होने पर कैस्टर ऑयल को दवा के रूप में प्रयोग किया जाता है। कैस्टर ऑयल का प्रयोग करने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। जिससे श्वेत रूधिर कणिकाएं बढ़ती है।
* जिन लोगों के शरीर में तिल या मस्से अत्यधिक संख्या होती हैं वे लोग कैस्टर ऑयल का उपयोग करके कुछ ही महिने में इस समस्या से छुटकारा पा सकते हैं।
* कैस्टर ऑयल में एंटी बैक्टीरियल, एंटी फंगल और एंटी वायरल गुण पाए जाते है। जो शरीर को बाहरी संक्रमण से बचाने का काम करते हैं।


त्वचा में कैस्टर ऑयल के फायदे-


त्वचा में निखार लाने के लिए कैस्टर ऑयल सबसे अच्छा उपचार माना जाता है। यह शुष्क त्वचा के लिए वरदान के समान है। कैस्टर ऑयल का उपयोग करने से त्वचा में नमी आती है। साथ ही इससे और भी कई तरह के फायदे मिलते है। कैस्टर ऑयल चेहरे पर किस तरह से निखार लाने का काम करता है,
• कैस्टर ऑयल बढ़ती उम्र के प्रभाव के रोककर त्वचा के कोलेजल को बढ़ाता है, जिससे त्वचा जवां दिखने के साथ गोरी और सुंदर बनती है।

• कैस्टर ऑयल में पाए जानें वाले ओमेगा -3 फैटी एसिड मुँहासे के दाग धब्बों को दूर कर त्वचा को साफ सुदर चमकदार बनाने में मदद करते है।
• यदि आपके होंठ काले होने के साथ फट रहें हैं तो आप अरंडी के तेल का उपयोग कर सकती हैं। यह फटे हुए होठों के साथ पैरों की फटी हुई एड़ियों की समस्या को दूर करने में मदद करता है।
• कैस्टर ऑयल के उपयोग से गर्भावस्था के दैरान होने वाले स्ट्रैच मार्कस् को भी दूर किया जाता है। स्टैच मार्कस् को दूर करने के लिए अरंडी के तेल को इस्तेमाल करना एक बेहतर विकल्प है। इसके लिए कैस्टर ऑयल को गुनगुना करके धीरे-धीरे प्रभावित क्षेत्र की मालिश करें, इससे निशान कम होने लगते है।
बालों के लिये कैस्टर ऑयल के फायदे
कैस्टर ऑयल त्वचा के साथ-साथ बालों के लिए भी काफी अच्छा उपचार है। इसका उपयोग करने से बालों में चमत्कारिक फायदे देखने को मिलते है। हम नीचे बता रहें हैं कि कैस्टर ऑयल से बालों में किस प्रकार के फायदे देखने को मिलते हैं।

• कैस्टर ऑयल बालों की ग्रोथ के लिए सबसे अच्छा घरेलू उपचार है। इसका उपयोग करने के लिए आप इस तेल के साथ नारियल के तेल का भी उपयोग कर सकती हैं। दोनों का मिश्रण तैयार करके आप इससे बालों की जड़ों पर मालिश करें। कुछ ही दिनों में आपके बाल सुंदर, घने और मुलायम हो जाएंगे।
• अक्सर देखा जाता है कि कई लोगों के आईब्रो की ग्रोथ काफी कम होती है, आईब्रो की ग्रोथ के लिए भी अरंडी का तेल एक अच्छा उपचार है। इसके तेल से रोज मालिश करने से बाल जल्द ही आने लगते है।
• बालों की खुश्की के साथ ही रूसी को खत्म करने के लिए आप कैस्टर ऑयल का उपयोग कर सकती है। ये बालों की हर समस्या के समाधान का सबसे अच्छा उपचार है। इसकी मदद से आप बालों में जलन और खुजली जैसी समस्याओं से भी निजात पा सकती है। यह तेल बालों के अंदर की परत पर जाकर सूक्ष्मजीवों को बढ़ने से रोकता है।
• यह तेल शुष्क त्वचा पर एक प्राकृतिक मॉइस्चराइजर के रूप में काम करता है, जिससे त्वचा में नमी बनी रहती है।
इसके अलावा यह त्वचा में होने वाले बाहरी संक्रमण को रोककर, त्वचा को बैक्टिरिया मुक्त करता है। इसके साथ ही अरंडी के तेल में मौजूद रासायनिक तत्व बैक्टीरिया से लड़कर हमें कील मुंहासों से निजात दिलाने का काम करते है।

• बरडॉक की जड़ और कैस्टर ऑयल:भारत में पाई जाने वाली बरडॉक की जड़ को यदि आप कैस्टर ऑयल के साथ मिलाकर बालों पर लगाती है, तो इससे बालों की खोई हुई चमक वापस आ जाती है। यह बालों की ग्रोथ के साथ सूजन को भी करने में मदद करता है।
• कैस्टर ऑयल में पाए जानें वाले विटामिन ई के तत्व बालों को पोषित करके उन्हें बेहतर बनाते है। यह एक प्राकृतिक कंडीशनिंग के रूप में भी काम करता है। बालों के उपचार के लिए इस तेल का उपयोग सप्ताह में एक बार अवश्य करें।
• बालों के साथ-साथ आईब्रो में होने वाली रूसी को खत्म करने के लिए कैस्टर ऑयल सबसे अच्छा उपचार है। सोने से पहले इस तेल की कुछ बूंद से भौहों की रगड़ते हुए मालिश करें। एक सप्ताह के अंदर इसके परिणाम देखने को मिल जाएंगे।
• अक्सर लंबे समय तक कंप्यूटर पर काम करते रहने से आंखें सूखने लग जाती है। जिससे काफी थकान भी महसूस होती है। इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए आंखों में अरंडी के तेल की एक बूंद डालें। इस उपाय को आप सोते समय ही करें। इससे आपको काफी आराम मिलेगा।
• इन समस्याओं के अलावा कैस्टर ऑयल को बालों के रंग में सुधार लाने के लिए भी जाना जाता है।
• दोमुंहे बालों से छुटकारा पाने के लिए कैस्टर ऑयल की मालिश सिर पर नियमित रूप से रोज रात को सोने से पहले करें। इससे बाल स्वस्थ होने के साथ ही इनकी अच्छी ग्रोथ होने लगेगी।
बालों की ग्रोथ के लिए किस तरह का कैस्टर ऑयल लेना चाहिए?

जमैकन ब्लैक कैस्टर ऑयल बालों की ग्रोथ को बनाए रखने का सबसे अच्छा उपचार है। जो बड़ी ही आसानी के साथ मार्किट में उपलब्ध हो जाता है। इस तेल में किसी भी प्रकार के कोई रासायनिक तत्वों का प्रयोग नहीं किया गया है। इसके अलावा, जमैकन ब्लैक कैस्टर ऑयल में प्राकृतिक रिसिनोलिक एसिड नामक यौगिक होते है, जो बालों की बाहरी इंफेक्शन से रक्षा करते है और बालों को सूर्य की किरणों से बचाने के लिए एक कवच के रूप में तैयार रहते है। यह तेल त्वचा को बाहरी संक्रमण से बचाने का काम भी करता है। यह त्वचा में होने वाला एक्जिमा, फंगल, तिल और मस्से के साथ अन्य संक्रमणों से त्वचा की रक्षा करता है।
आखों के लिये कैस्टर ऑयल के फायदे
• इस तेल की मालिश आंखों के नीचे और आंखों के चारों ओर करते रहने से, आंखों के नीचे होने वाले काले घेरे दूर हो जाते हैं। यह आंखों के नीचे पढ़ने वाली लाइनों को हटाता है।
• यदि आपकी आंखों पर मोतियाबिंद होने की संभावनाएं नजर आ रही हो तो इसका इलाज आप कैस्टर ऑयल से कर सकती है। यह मोतियाबिंद को भी ठीक करने का सबसे अच्छा उपचार है।
आंखों के उपचार में कैस्टर ऑयल से होने वाले फायदों के बारें में भले ही आप ना जानती हो, पर कैस्टर ऑयल उपयोग दूसरे देशों में, जैसे- मिस्र के फिरौन, फारसी और चीन के लोगों में काफी समय से किया जाता रहा है। कैस्टर ऑयल के इन्हीं आश्चर्यजनक फायदों के बारे में आज हम बात कर रहें हैं।

• कैस्टर ऑयल में विटामिन ई के साथ फैटी एसिड और रिसिनोलिक एसिड पाया जाता है, जो अंदर की गंदगी को बाहर निकालने का काम करता है। यह तेल आंखों की सफाई के लिए सबसे अच्छे एजेंट के रूप में काम करता है।
शरीर के बढ़ते वजन को घटाने के लिए कैस्टर ऑयल के फायदे
अक्सर देखा जाता है कि गर्भावस्था के समय महिलाओं का वजन काफी तेजी से बढ़ने लगता है एक तो वजन दूसरा पेट के खिंचाव से स्ट्रैचमार्क्स, इन सभी समस्याओं के समानधान के लिए कैस्टर ऑयल एक दो धारी तलवार के रूप में काम करता है, जो इस तरह की समस्या का समाधान आसानी से कर सकता है। कैस्टर ऑयल शरीर के वजन कम करने के साथ खिंचाव के निशान को कम करने में मदद करता है।
शरीर के बढ़ते वजन के कम करने के लिए आप रोज सुबह के समय नाश्ते से पहले एक चम्मच अरंडी के तेल का सेवन करें। इसका सेवन आप फलों के रस के साथ भी कर सकती है। इससे पाचन क्रिया ठीक होती है। जिससे कब्जियत नहीं होती और इसका लगातार उपयोग करते रहने से आप एक सप्ताह के अंदर ही अपने वजन को कम करने में सफलता पा सकती है।
कैस्टर ऑयल से पेट की सतह की मालिश करने से पेट की चर्बी घटने लगती है।







19.12.17

वैवाहिक जीवन की मायूसी दूर करें इन जबर्दस्त नुस्खों से


आजकल के नवयुवक यौनशक्ति की दुर्बलता के शिकार आसानी से हो रहे हैं | तनाव भरी ज़िन्दगी , जंक फ़ूड एवं तैलीय मसालेदार भोजन का अधिक प्रयोग , भोजन में पोषक तत्वों की कमी तथा सुस्त जीवन शैली के कारण हमारी यौन ऊर्जा कमजोर पड़ जाती है | कुछ लोग बचपन से ही गलत संगत में पड़कर अपनी यौन शक्ति को बर्बाद कर देते हैं और बाद में पछताते हैं | वीर्य का पतलापन , जननांग में शिथिलता , शरीर में उतेजना की कमी , स्वप्नदोष आदि लक्षण हमारे शरीर में यौन शक्ति की कमी को दिखाते हैं | अलोपेथिक दवाएं शुरआती फायदा पहुंचाती हैं परंन्तु आगे चलकर इनसे साइड इफेक्ट्स होते हैं | कुछ लोग तो भटक कर नशे का शिकार हो जाते हैं और अपनी ज़िन्दगी से खिलवाड़ करते हैं | प्रकृति प्रदत्त आयुर्वेदिक औषधियां ही इस रोग में उपयुक्त उपाय हैं |

उपचार एवं नुस्खे -

5-6 छुहारों को बारक काट लें ,थोड़े काजू और बादाम भी ले लें और इनको दूध में मिश्री के साथ डालकर अच्छी तरह पकाएं | रोज रात को सोते समय यह प्रयोग करें | इसे काम शक्ति में इजाफा होता हैं |
2.गाजर
गाजर यौन शक्ति बढ़ाने में कारगर उपाय हैं | रोज सुबह शाम खाली पेट गाजर का जूस पियें | यौनशक्ति बढ़ेगी | अन्य प्रयोग में खाली पेट गाजर का मेवों से भरपूर एवं शुद्ध घी में बना हलवा खाएं और ऊपर से दूध पी लें | ये भी एक प्रभावकारी उपाय हैं |
3.असगंध और बिधारा दोनों को अलग-अलग कुट पिसकर महीन चूर्ण बना कर बराबर मात्रा में मिला लीजिए हर रोज सुबह एक चम्मच चूर्ण थोड़े से घी में मिलाकर चाट ले और ऊपर से मिश्री मिला दूध पी ले हर सर्दियों में यह प्रयोग 3-4 महीने के लिए करें और इसके साथ नारियल तेल या नारायण तेल की मालिश शरीर पर करें फिर देखे इस नुस्खे का चमत्कार
4.सूखे सिंघाड़े पिसवा लीजिए इसके आटे का हलवा बनाकर सुबह नाश्ते में अपनी पाचन शक्ति के अनुसार खूब चबा-चबा कर खाये यह शरीर को पुषट और शक्तिशाली बनाता है नवविवाहित नोजवानो के लिए यह बहुत ही उपयोगी है इससे धातुपुषट होकर शरीर बलिष्ठ होता है
5.शकरकंदी का हलवा देसी घी में बनाकर हर रोज नाश्ते में खाये इसके गुण सिंघाड़े के आटे के हलवे के बराबर है हर रोज खाने वाला व्यक्ति कभी भी शीघ्रपतन का शिकार नहीं होता
6.उड़द
उडद की दाल का शुद्ध घी में बना लड्डू खाएं | इसके ऊपर में दूध पी लें | इससे धातु पुष्ट होकर शक्ति प्राप्त होती हैं 
7.सफेद मूसली का चूर्ण एक-एक चम्मच सुबह-शाम फांक कर ऊपर से एक गिलास मिश्री मिला दूध पी ले यह प्रयोग 12 महीने करें यह प्रयोग करने से शरीर कभी भी प्रयोग नहीं होगा और बल वीर्य बढ़ेगा और यौन शक्ति बनी रहेगी
8.इमली के बीज चार दिन तक पानी में घोलकर रखे इसके बाद इनका छिलका हटाकर इसकी गिरी के दोगुने वजन के बराबर दो वर्ष पुराण गुड लेकर मिला ले अभी इनको पीसकर बराबर कर ले अभी इसकी छोटे बेर जितनी गोलिया बना ले और छाया में सुखा लीजिए सहवास करने से दो घंटे पहले पानी के साथ निगल ले |

धातु पोष्टिक नुस्खा है-

कोंच के बीज 250 ग्राम, ताल मखाना 100 ग्राम और मिश्री 350 ग्राम इन सबको अलग-अलग पीसकर चूर्ण कर ले और मिलाकर शीशी में भर ले सुबह-शाम इस चूर्ण को एक-एक चम्मच मिश्री वाले दूध के साथ पिए|
10.सफेद या लाल प्याज का रस, शहद, अदरक का रस, देसी घी 6 -6 ग्राम मिलाकर नित्य चाटे एक महीने के सेवन से नपुंसक भी शक्तिशाली हो जाता है नित्य करने से सेक्स पावर बहुत बढ़ जाती है|
11.शिलाजीत
शिलाजीत यौन शक्ति को बढ़ाने वाली अद्भुत औषधि हैं | 2 ग्राम शिलाजीत को गर्म दूध के साथ रात को रोज लें | यह यौनशक्ति तो बढाती ही हैं साथ में सारे यौन विकार भी दूर करती हैं |

पौरूष शक्ति को बढ़ाने के लिए घरेलू उपाय

* हमेंशा सर्दी हो या गर्मी गुड का सेवन अवश्य करें।
* शरीर हमेंशा बलवान रहेगा यदि आप गरम दूध के साथ शतवारी का चूर्ण मिश्री के साथ लेते हैं।
* शरीर की थकान और शरीर को उर्जावान बनाने के लिए पांव के तलवों पर पानी की धार 10 मिनट तक डालें। निश्चित ही फायदा होगा।
*तुलसी के 2 पत्तों को हमेशा खाएं कभी बीमार नहीं पड़ोगे।
* सुबह और शाम गाय के दूध का सेवन करना चाहिए।
* पाचन शक्ति के लिए काली मिर्च, सूखा करी पत्ता, लौंग और सोंठ को पीसकर आधा चम्मच दूध के साथ मिलाकर सेवन करें ।
*ताकत और उर्जा पाने के लिए शिलाजीत को दूध के साथ हमेशा पींये।
* अश्वगंधा का सेवन दूध के साथ लेने से भी आपकी शक्ति बढ़ती है।

आम-

दो से तीन महीने तक आम का रस पीने से नपुंसकता दूर होती है। यह शरीर की कमजोरी को दूर करके आपको उत्तेजित करती है।

गाजर-

गाजर वीर्य को गाढ़ा बनाता है। और इसके सेवन से मर्दों की कमजोरी दूर होती है।
शहद-
दूध के साथ शहद मिलाकर पीने से शरीर को बल मिलता है और यह नपुंसकता को भी दूरत करता है।

छुहारा-

रोज सुबह दूध में भिगोए हुऐ छुहारों को खाने से पुरूष शक्ति बढ़ती है।
नपुंसकता के रोगियों को आयुवेर्दिक उपायों के अलावा अन्य उपाय जैसे खुले मैदान में घूमना, किसी पार्क में घूमना, सूर्य उगने से पहले टहलना और नदी के किनारे घूमना आदि करना चाहिए। प्राकृतिक हवा और पानी आपके अंदर स्फूर्ति और ताकत पैदा करती है।
नपुंसकता के इलाज के लिए आप पांच ग्राम मिश्री के दानें और पांच ग्राम ईसबगोल की भूसी को रोज सुबह के समय खाएं और इसके उपर दूध पी लें। इस उपाय से शीध्रपतन और नपुंसकता दोनों दूर होती हैं।

  • पायरिया के घरेलू इलाज
  • चेहरे के तिल और मस्से इलाज
  • लाल मिर्च के औषधीय गुण
  • लाल प्याज से थायराईड का इलाज
  • जमालगोटा के औषधीय प्रयोग
  • एसिडिटी के घरेलू उपचार
  • नींबू व जीरा से वजन घटाएँ
  • सांस फूलने के उपचार
  • कत्था के चिकित्सा लाभ
  • गांठ गलाने के उपचार
  • चौलाई ,चंदलोई,खाटीभाजी सब्जी के स्वास्थ्य लाभ
  • मसूड़ों के सूजन के घरेलू उपचार
  • अनार खाने के स्वास्थ्य लाभ
  • इसबगोल के औषधीय उपयोग
  • अश्वगंधा के फायदे
  • लकवा की चमत्कारी आयुर्वेदिक औषधि वृहत वात चिंतामणि रस
  • मर्द को लंबी रेस का घोडा बनाने के अद्भुत नुस्खे
  • सदाबहार पौधे के चिकित्सा लाभ
  • कान बहने की समस्या के उपचार
  • पेट की सूजन गेस्ट्राईटिस के घरेलू उपचार
  • पैर के तलवों में जलन को दूर करने के घरेलू आयुर्वेदिक उपचार
  • लकवा (पक्षाघात) के आयुर्वेदिक घरेलू नुस्खे
  • डेंगूबुखार के आयुर्वेदिक नुस्खे
  • काला नमक और सेंधा नमक मे अंतर और फायदे
  • हर्निया, आंत उतरना ,आंत्रवृद्धि के आयुर्वेदिक उपचार
  • पाइल्स (बवासीर) के घरेलू आयुर्वेदिक नुस्खे
  • चिकनगुनिया के घरेलू उपचार
  • चिरायता के चिकित्सा -लाभ
  • ज्यादा पसीना होने के के घरेलू आयुर्वेदिक उपचार
  • पायरिया रोग के आयुर्वेदिक उपचार
  • व्हीटग्रास (गेहूं के जवारे) के रस और पाउडर के फायदे
  • घुटनों के दर्द को दूर करने के रामबाण उपाय
  • चेहरे के तिल और मस्से हटाने के उपचार
  • अस्थमा के कारण, लक्षण, उपचार और घरेलू नुस्खे
  • वृक्क अकर्मण्यता(kidney Failure) की रामबाण हर्बल औषधि
  • शहद के इतने सारे फायदे नहीं जानते होंगे आप!
  • वजन कम करने के उपचार
  • केले के स्वास्थ्य लाभ
  • लीवर रोगों की महौषधि भुई आंवला के फायदे
  • हरड़ के गुण व फायदे
  • कान मे मेल जमने से बहरापन होने पर करें ये उपचार
  • पेट की खराबी के घरेलू उपचार
  • शिवलिंगी बीज के चिकित्सा उपयोग



  • 18.12.17

    पेट के रोगों को होम्योपैथिक चिकित्सा

    * पेट के रोगों को होम्योपैथिक चिकित्सा, तेज दर्द, हिचकी, पानीदार वमन, ऐंठन, चलने का प्रयास करने पर कंपन, पैरों की पिंडलियों में मरोड़, मध्य रात्रि के बाद अधिक तेज, बिस्तर से उठकर खड़े होने पर राहत महसूस होना - क्यूप्रम आर्सेनिकम 200 - एक खुराक प्रतिदिन।
    * बहुत तेज मिचली, वमन, ठंडा पसीना और अत्यन्त बेचैनी - लॉबीलिया इन्फ्लेटा 6 - दिन में तीन बार।
    * कमजोरी और दुर्बलता, लीवर का बढ़ना - इंसुलिन 3 एक्स - एक खुराक प्रतिदिन।
    * अपेंडिसाइटिस, बाहर से महसूस किया जा सकता है, दाएँ भाग में अत्यन्त पीड़ा - बैप्टीसिया टिंक्टोरिया 3 एक्स - दिन में तीन बार या दिन में एक बार। 
    * अपेंडिसाइटिस, दाएँ भाग में दर्द, चमड़ी छूने तक से अधिक दर्द - बेलाडोना 3 एक्स - दिन में दो बार।
    * क्षुधा-विकार - नेट्रम फॉस्फोरिकम 30 - दिन में तीन बार।
    * भूख में कमी तेजी से दूबले होते जाना और वमन - आयोडियम 30 - दिन में दो बार।

    * गरिष्ठ भोजन के बाद पेट फूलना - नक्स वोमिका 30 - तीन दिनों तक दिन में तीन बार और चौथे दिन पल्सेटिला 200 एक खुराक प्रतिदिन लें।
    * पेटदर्द, पेट से वायु निकालने के लिए - कैल्सकेरिया फॉस्फोरिका 6 - दिन में तीन बार।
    * अम्लता, पेट में खट्टापन महसूस होना, दाँतों को खट्टा बनाने वाला वमन - रोबिना 30 - दिन में दो बार।
    * अम्लता, सीने में जलन, खट्टी डकार और वमन, एलोपैथिक दवाओं में मैग्नीशिया के इस्तेमाल के कारण - मैग्नीशियम कार्बोनिका 6 - दो सप्ताह में एक बार लें।
    * खट्टी डकार, वमन, कलेजे, की जलन के साथ अम्लता - लाइकोपोडियम 30 - दिन में एक खुराक।
    * तीव्र पेचिश - मरक्यूरियस कोरोसिवस 6 या कोलोसिंथ 6 या दोनों अदल-बदलकर दिन में दो दो बार।
    * पेट में जलन, खाने के बाद राहत मिलती है - फॉस्फोरस 200 - एक खुराक।
    विशिष्ट डायरिया के साथ होनेवाले रोग - क्रोटन टिंगलम 30 - दिन में तीन बार।
    * अप्राकृतिक चीजें, जैसे चॉक, मिट्टी, कोयला इत्यादि खाने की इच्छा - कैल्केरिया फॉस्फोरिका 12 एक्स - रोजाना तीन बार।
    * भूख में कमी - केरिका पपाया 30 - हर चार घंटे पर।
    * प्लीहा की बाईं ओर दर्द, पेट में लगातार दर्द - सियोनेंथस - क्यू की दो से पाँच बूँदें, दिन में दो बार।
    * पेट में गड़गड़ाहट, पेट फूल जाता हो - थुजा 30 - दिन में दो बार।
    * बच्चों का पेट बढ़ना - सल्फर 1 एम - दो सप्ताह में एक बार, केवल सुबह के समय।
    * पेट की वायु तथा यकृत (लीवर) में हुए संक्रमण के कारण उत्पन्न पेट के रोग - मल-त्याग तथा पेट से अपानवायु निकलने पर आराम मिलता है- नेट्रम आर्सेनिकम 30 - दिन में तीन बार।
    * उदरशूल (तेज पेटदर्द), गरम सिंकाई से आराम - मैग्नीशिया फॉस्फोरिकम 12 - एक्स हर घंटे।
    * अम्लता (एसिडिटी), सभी खाद्य पदार्थ खट्टे और अप्रिय लगते हैं; जलन में पानी पीने से अस्थायी राहत मिलती है - सेनिक्यूला 30 - दिन में तीन बार।
    * अत्यधिक अम्लता, जीभ के पिछले हिस्से पर पीली परत, खट्टी डकार और वमन - नेट्रम फॉस्फोरिकम 30 - छह-छह घंटे पर।


    विशिष्ट परामर्श-

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    15.12.17

    अदरक का पानी कई बीमारियों मे फायदेमंद



       भोजन को स्वादिष्ट व पाचन युक्त बनाने के लिए अदरक का उपयोग आमतौर पर हर घर में किया जाता है। वैसे तो यह सभी प्रदेशों में पैदा होती है, लेकिन अधिकांश उत्पादन केरल राज्य में किया जाता है। भूमि के अंदर उगने वाला कन्द आर्द्र अवस्था में अदरक, व सूखी अवस्था में सोंठ कहलाता है। गीली मिट्टी में दबाकर रखने से यह काफी समय तक ताजा बना रहता है। इसका कन्द हल्का पीलापन लिए, बहुखंडी और सुगंधित होता है।
    अदरक में अनेक औषधीय गुण होने के कारण आयुर्वेद में इसे महा औषधि माना गया है। यह गर्म, तीक्ष्ण, भारी, पाक में मधुर, भूख बढ़ाने वाला, पाचक, चरपरा, रुचिकारक, त्रिदोष मुक्त यानी वात, पित्त और कफ नाशक होता है।
    वैज्ञानिकों के मतानुसार अदरक की रसायनिक संरचना में 80 प्रतिशत भाग जल होता है, जबकि सोंठ में इसकी मात्रा लगभग 10 प्रतिशत होती है। इसके अलावा स्टार्च 53 प्रतिशत, प्रोटीन 12.4 प्रतिशत, रेशा (फाइबर) 7.2 प्रतिशत, राख 6.6 प्रतिशत, तात्विक तेल (इसेन्शियल ऑइल) 1.8 प्रतिशत तथा औथियोरेजिन मुख्य रूप में पाए जाते हैं। सोंठ (सुखा अदरक) में प्रोटीन, नाइट्रोजन, अमीनो एसिड्स, स्टार्च, ग्लूकोज, सुक्रोस, फ्रूक्टोस, सुगंधित तेल, ओलियोरेसिन, जिंजीवरीन, रैफीनीस, कैल्शियम, विटामिन `बी` और `सी`, प्रोटिथीलिट एन्जाइम्स और लोहा भी मिलते हैं। प्रोटिथीलिट एन्जाइम के कारण ही सोंठ कफ हटाने व पाचन संस्थान में विशेष गुणकारी सिद्ध हुई है।
    अदरक को अधिकतर लोग मसाले के रूप में यूज करते हैं. लेकिन अगर इसके पानी को रेग्युलर पिया जाए तो यह कई बड़ी बीमारियों को भी कंट्रोल करता है. इसमे मौजूद एंटी बैक्टीरियल, एंटी फंगल और एंटी इंफ्लेमेटरी प्रॉपर्टी बॉडी को हेल्दी रखने में मदद करती हैं.
    अदरक का पानी बनाने की विधि :- 1 गिलास पानी में थोडा सा अदरक का टुकड़ा ले और उसको थोड़ी देर गर्म करे. जब पानी उबालकर थोडा कम हो जाए तो उसे ठंडा करके सिप सिप करके पीना है. एक दम से नहीं पीना. थोडा थोडा पीना है जैसे चाय पीते है, जैसे गर्म दूध पीते है, वैसे ही पीना है. आप एक काम और कर सकते है, रात को पानी में अदरक डालकर रख दे और सुबह उसको गर्म करके फिर ठंडा करके पिए और जो टुकड़ा पानी में रह जाता है उसको चबाकर खा ले.
    डायबिटीज कंट्रोल करे : रेगयूलर अदरक का पानी पीने से बॉडी का ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल होता है. इससे डायबिटीज की आशंका कम होती है.
    सिरदर्द दूर करे : अदरक का पानी पीने से ब्रेन सेल्स रिलैक्स होती है. इससे सिरदर्द की प्रॉब्लम दूर होती है.
    स्किन बनाये हेल्दी : रेगयूलर अदरक का पानी पीने से बॉडी के टोक्सिंस बाहर निकलते है. इससे ब्लड साफ होता है और पिम्पल्स, स्किन इन्फेक्शन का खतरा टालता है.
    हार्ट बर्न करे दूर : खाना खाने के 20 मिनट के बाद एक कप अदरक का पानी पिएं. यह बॉडी में एसिड की मात्रा कंट्रोल करता है. इससे हार्ट बर्न की प्रॉब्लम दूर होगी.
    कैंसर से बचाए : अदरक में एंटी कैंसर प्रॉपर्टी पाई जाती है. इसका पानी पीने से लंग्स, प्रोस्ट्रेट, ओवेरियन, कोलोन, ब्रेस्ट, स्किन और पेन्क्रिएटिक कैंसर से बचाव होता है.
    वजन घटाए : अदरक का पानी पीने से बॉडी का मेटाबोलिजम सुधरता है. ऐसे में फैट तेजी से बर्न होता है और वजन घटाने में हेल्प मिलती है.
    मसल्स पेन : अदरक का पानी पीने से बॉडी का ब्लड सर्कुलेशन सुधरता है. इससे मसल्स रिलैक्स होती है और मसल्स पेन दूर होता है.
    डाइजेशन सुधारे : अदरक का पानी बॉडी में डाइजेस्टिव जूस को बढ़ता है. इससे खाना जल्दी डाइजेस्ट करने में हेल्प मिलती हैं.





    9.12.17

    दाँत के दर्द के तुरंत असर उपचार



    1॰हल्दी- हल्दी की गांठ भूनकर दाँत मे दबाने से दांत पीड़ा शांत होती है|
    2.लहसुन- दांतों मे छेद होकर काले पड गए हों और दर्द कराते हों तो दो काली लहसुन की सेंककर दर्द वाले दाँत मे दबाकर रखें| तुरंत दर्द दूर होगा|
    3.प्याज-दाँत मे दर्द या मसूढ़ों मे पीड़ा होने पर प्याज चबाकर लुगदी दर्द वाले दाँत के पास रखें|
    4.लौकी 30 ग्राम ,लहसुन 20 ग्राम दोनों को पीसकर एक किलो पानी मे उबालें कि आधा रह जाये |छानकर इस मिश्रण से कुल्ले करने पर दाँत का दर्द ठीक हो जाता है|
    5.प्याज का रस दांतों पर मलने से दांत- शूल शांत होता है|
    6॰चबाने पर दाँत दर्द होता है तो पीसी हल्दी सरसों के तेल मे मिलाकर सोते समय अपने दांतों पर लेप कर लें और सुबह कुल्ला कर लें|
    7.दाँत मे कीड़े लगे हों और दर्द होता हो तो थौड़ी सी हींग दर्द वाले दाँत मे दबा कर रखें|दर्द बंद हो जाएगा|
    8. हींग मिले पानी मे रुई का फ़ोया भरकर दाँत मे लगाने पर दांत-शूल शांत होता है|
    9. अजवाईंन के प्रयोग से हर तरह के दाँत दर्द ठीक हो जाते हैं|आग पर अजवाईंन डालकर दुखते दाँत पर धुनी दें|उबलते पानी मे आधा चम्मच नमक और एक चम्मच आजवाईंन डालकर ढक कर रखें|पानी जब गुनगुना रहे तब इस पानी को मुंह मे लेकर कुछ देर रोक कर रखें फिर कुल्ला थूक दें|दिन मे तीन बार प्रयोग करें|
    10. तुलसी के रस मे काली मिर्च पीसकर गोली बनाएँ|इसे दुखते दान के नीचे दबाकर रखने से तुरंत राहत मिल जाती है|
    11. पुदीना पीसलें इससे मंजन करने से दाँत की पीड़ा समाप्त हो जाती है|
    12.दाँत मे दर्द की टीस उठने पर 3 ग्राम सौंठ पावडर पानी से फांक लें|दर्द दूर होगा|
    13.दाँत मे कीड़ा लगा हो तो तुलसी के रस मे कपूर पीसकर उसमे रुई भिगोकर दाँत पर रखें |दर्द मे तुरंत आराम लगेगा|






    7.12.17

    गाय के घी से दीर्घ यौवन ,कई रोगों मे फायदेमंद,gay ka ghee

        गाय के घी में ऐसे औषधिय गुण होते हैं जो और किसी चीज़ में नहीं मिलते। यहाँ तक की इसमें ऐसे माइक्रोन्यूट्रींस होते हैं जिनमें कैंसर युक्त तत्वों से लड़ने की क्षमता होती है। और तो और अगर आप धार्मिक नजरिये से देखते हैं तो घी से हवन करने पर लगभग 1 टन ताजे ऑक्सीजन का उत्पादन होता है। यही कारण है कि मंदिरों में गाय के घी का दीपक जलाने तथा धार्मिक समारोहों में यज्ञ करने कि प्रथा प्रचलित है।     आयुर्वेद में घी को स्वाद बढ़ाने वाला और ऊर्जा प्रदान करने वाला माना गया है। इसलिए भारतीय घी को सदियों से अपने भोजन का अभिन्न हिस्सा मानते रहे हैं। घी केवल रसायन ही नहीं यह आंखों की ज्योति को भी बढ़ाता है। ठंड में इसके सेवन को विशेष लाभदायी माना गया है। इसके अपने गुणों के कारण ही मक्खन की जगह हम इसका उपयोग कर सकते हैं।
        दरअसल घी में तीन ऐसी खूबियां हैं, जिनकी वजह से इसका इस्तेमाल जरूर करना चाहिए। पहली बात यह कि घी में शॉर्ट चेन फैटी एसिड होते हैं, जिसकी वजह से यह पचने में आसान होता है। ये हमारे हॉर्मोन के लिए भी फायदेमंद होते हैं, जबकि मक्खन में लांग चेन फैटी एसिड ज्यादा होते हैं, जो नुकसानदेह होते हैं। घी में केवल कैलोरी ही नहीं होती। इसमें विटामिन ए, डी और कैल्शियम, फॉस्फोरस, मिनरल्स, पोटैशियम जैसे कई पोषक तत्व भी होते हैं। आईए जानते है घी का सेवन करने के कुछ प्रमुख लाभ-



    1. घी और दूध -

    सर्दियों में दिनभर में एक बार दूध में घी डालकर पीने से सेहत बन जाती है। दवाओं के कारण शरीर में गर्मी होने पर या मुंह में छाले होने पर भी यह रामबाण की तरह काम करता है। खांसी ज्यादा परेशान कर रही हो तो छाती पर गाय का घी मसलें जल्द ही राहत मिलेगी।

    2. युवावस्था बनाए रखता है - 

    आयुर्वेदिक मान्यता है एक गिलास दूध में एक चम्मच गाय का घी और मिश्री मिलाकर पीने से शारीरिक, मानसिक व दिमागी कमजोरी दूर होती है। साथ ही, जवानी हमेशा बनी रहती है। काली गाय के घी से बूढ़े व्यक्ति भी युवा समान हो जाता है। प्रेग्नेंट महिला घी-का सेवन करे तो गर्भस्थ शिशु बलवान, पुष्ट और बुद्धिमान बनता है।

    3. जोड़ो के दर्द में काम करता है - 

    जोड़ों का दर्द हो, या हो त्वचा का रूखापन, या कराना हो पंचकर्म शोधन, आयुर्वेद में हर जगह घी का उपयोग निश्चित है। हम जानते हैं, कि हमारा शरीर अधिकतर पानी में घुलनशील हानिकारक पदार्थों को बाहर निकालता है, लेकिन घी चर्बी में घुलनशील हानिकारक रसायनों को हमारे आहारनाल से बाहर निकालता है। घी को पचाना आसान होता है, साथ ही इसका शरीर में एल्कलाईन फार्म में होने वाला परिवर्तन बहुत ज्यादा एसिडिक खान-पान के कारण होने वाले पेट की सूजन (गेस्ट्राईटीस ) को भी कम करता है।

    4. थकान दूर करता है -

    संभोग के बाद कमजोरी या थकान महसूस हो तो एक गिलास गुनगुने दूध में गाय का घी मिलाकर पी लेने से थकान व कमजोरी बहुत जल्दी दूर हो जाती है।
    5. आंखों के लिए फायदेमंद है - एक चम्मच गाय के घी में एक चौथाई चम्मच काली मिर्च मिलाकर सुबह खाली पेट व रात को सोते समय खाएं। इसके बाद एक गिलास गर्म दूध पिएं। आंखों की हर तरह की समस्या दूर हो जाएगी।

    6. कैंसर रोधी - 

    गाय के घी में कैंसररोधी गुण पाए जाते हैं। इसके रोजाना सेवन से कैंसर होने की संभावना बहुत कम हो जाती है। विशेषकर यह स्तन व आंत के कैंसर में सबसे अच्छे तरीके से काम करता है।

    7. स्त्रियों की समस्या में लाभदायक - 

    स्त्रियों में प्रदर रोग की समस्या में गाय का घी रामबाण की तरह काम करता है। गाय का घी, काला चना व पिसी चीनी तीनों को समान मात्रा में मिलाकर लड्डू बनाकर खाली पेट सेवन करें।

    8. एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है -

    घी बनाते समय घी के तीन लेयर बन जाते हैं ,पहला लेयर पानी से युक्त होता है, जिसे बाहर निकाल लिया जाता है ,इसके बाद दूध के ठोस भाग को निकाला जाता है, जो अपने पीछे एक सुनहरी सेरेटेड चर्बी को छोड़ जाता है। जिसमें कंजुगेटेड लाईनोलीक एसिड पाया जाता है। यह कंजुगेटेड लाईनोलीक एसिड शरीर के संयोजी उतकों को लुब्रीकेट करने व वजन कम होने से रोकने में मददगार के रूप में जाना जाता है। यह भी एक सच है कि, घी एंटीआक्सीडेंट गुणों से भरपूर होता है।
    9. जिस व्यक्ति को हार्ट अटैक की तकलीफ है और चिकनाइ खाने की मनाही है तो गाय का घी खाएं, हर्दय मज़बूत होता है।


    10. गाय के घी से बल बढ़ता है और शारीरिक व मानसिक ताकत में भी इजाफा होता है. गाय के पुराने घी से बच्चों को छाती और पीठ पर मालिश करने से कफ की शिकायत दूर हो जाती है। अगर अधिक कमजोरी लगे, तो एक गिलास दूध में एक चम्मच गाय का घी और मिश्री डालकर पी लें।
    11. ऐसा माना जाता है की गाय का घी नाक में डालने से कान का पर्दा बिना ओपरेशन के ही ठीक हो जाता है। नाक में घी डालने से नाक की खुश्की दूर होती है और दिमाग तरोताजा हो जाता है। यहाँ तक की गाय का घी नाक में डालने से कोमा से बाहर निकल कर चेतना वापस लोट आती है
    12. फफोलो पर गाय का देसी घी लगाने से आराम मिलता है। सांप के काटने पर 100 -150 ग्राम घी पिलायें उपर से जितना गुनगुना पानी पिला सके पिलायें जिससे उलटी और दस्त तो लगेंगे ही लेकिन सांप का विष कम हो जायेगा।
    13. गाय का घी नाक में डालने से बाल झडना समाप्त होकर नए बाल भी आने लगते है। गाय के घी को नाक में डालने से मानसिक शांति मिलती है, याददाश्त तेज होती है।
    14. एक चम्मच गाय का शुद्ध घी में एक चम्मच बूरा और 1/4 चम्मच पिसी काली मिर्च इन तीनों को मिलाकर सुबह खाली पेट और रात को सोते समय चाट कर ऊपर से गर्म मीठा दूध पीने से आँखों की ज्योति बढ़ती है।
    15. यह स्मरण रहे कि गाय के घी के सेवन से कॉलेस्ट्रॉल नहीं बढ़ता है। वजन भी नही बढ़ता, बल्कि वजन को संतुलित करता है । यानी के कमजोर व्यक्ति का वजन बढ़ता है, मोटे व्यक्ति का मोटापा (वजन) कम होता है।
    16.हाथ पाव मे जलन होने पर गाय के घी को तलवो में मालिश करें जलन ठीक होता है। हिचकी के न रुकने पर खाली गाय का आधा चम्मच घी खाए, हिचकी स्वयं रुक जाएगी। गाय के घी का नियमित सेवन करने से एसिडिटी व कब्ज की शिकायत कम हो जाती है।
    1. पायरिया के घरेलू इलाज
    2. चेहरे के तिल और मस्से इलाज
    3. लाल मिर्च के औषधीय गुण
    4. लाल प्याज से थायराईड का इलाज
    5. जमालगोटा के औषधीय प्रयोग
    6. एसिडिटी के घरेलू उपचार
    7. नींबू व जीरा से वजन घटाएँ
    8. सांस फूलने के उपचार
    9. कत्था के चिकित्सा लाभ
    10. गांठ गलाने के उपचार
    11. चौलाई ,चंदलोई,खाटीभाजी सब्जी के स्वास्थ्य लाभ
    12. मसूड़ों के सूजन के घरेलू उपचार
    13. अनार खाने के स्वास्थ्य लाभ
    14. इसबगोल के औषधीय उपयोग
    15. अश्वगंधा के फायदे
    16. लकवा की चमत्कारी आयुर्वेदिक औषधि वृहत वात चिंतामणि रस
    17. मर्द को लंबी रेस का घोडा बनाने के अद्भुत नुस्खे
    18. सदाबहार पौधे के चिकित्सा लाभ
    19. कान बहने की समस्या के उपचार
    20. पेट की सूजन गेस्ट्राईटिस के घरेलू उपचार
    21. पैर के तलवों में जलन को दूर करने के घरेलू आयुर्वेदिक उपचार
    22. लकवा (पक्षाघात) के आयुर्वेदिक घरेलू नुस्खे
    23. डेंगूबुखार के आयुर्वेदिक नुस्खे
    24. काला नमक और सेंधा नमक मे अंतर और फायदे
    25. कालमेघ जड़ी बूटी लीवर रोगों की महोषधि
    26. हर्निया, आंत उतरना ,आंत्रवृद्धि के आयुर्वेदिक उपचार
    27. पाइल्स (बवासीर) के घरेलू आयुर्वेदिक नुस्खे
    28. चिकनगुनिया के घरेलू उपचार
    29. चिरायता के चिकित्सा -लाभ
    30. ज्यादा पसीना होने के के घरेलू आयुर्वेदिक उपचार
    31. पायरिया रोग के आयुर्वेदिक उपचार
    32. व्हीटग्रास (गेहूं के जवारे) के रस और पाउडर के फायदे
    33. घुटनों के दर्द को दूर करने के रामबाण उपाय
    34. चेहरे के तिल और मस्से हटाने के उपचार
    35. अस्थमा के कारण, लक्षण, उपचार और घरेलू नुस्खे
    36. वृक्क अकर्मण्यता(kidney Failure) की रामबाण हर्बल औषधि
    37. शहद के इतने सारे फायदे नहीं जानते होंगे आप!
    38. वजन कम करने के उपचार
    39. केले के स्वास्थ्य लाभ
    40. लीवर रोगों की महौषधि भुई आंवला के फायदे
    41. हरड़ के गुण व फायदे
    42. कान मे मेल जमने से बहरापन होने पर करें ये उपचार
    43. पेट की खराबी के घरेलू उपचार
    44. शिवलिंगी बीज के चिकित्सा उपयोग
    45. दालचीनी के फायदे
    46. बवासीर के खास नुखे
    47. भूलने की बीमारी के उपचार
    48. आम खाने के स्वास्थ्य लाभ
    49. सोरायसीस के उपचार
    50. गुर्दे की सूजन के घरेलू उपचार

    शरीर (हाथ-पैर) में कम्पन के लक्षण, कारण और उपचार


          शरीर के किसी अंग का या पूरे शरीर के नियंत्रण खो जाने से कम्पन होता रहता है। यह एक तरह का वात ही है। इसलिए इसे कम्पवात कहते हैं।
    शरीर (हाथ-पैर) में कम्पन एक दिमाग का रोग है जो लम्बे समय दिमाग में पल रहा होता है। इस रोग का प्रभाव धीरे-धीरे होता है। पता भी नहीं पडता कि कब लक्षण शुरू हुए। अनेक सप्ताहों व महीनों के बाद जब लक्षणों की तीव्रता बढ जाती है तब अहसास होता है कि कुछ गडबड है।
    जब यह रोग किसी व्यक्ति को हो जाता है तो रोगी व्यक्ति के हाथ तथा पैर कंपकंपाने लगते हैं। कभी-कभी इस रोग के लक्षण कम होकर खत्म हो जाते हैं। इस रोग से पीड़ित बहुत से रोगियों में हाथ तथा पैरों के कंप-कंपाने के लक्षण दिखाई नहीं देते हैं, लेकिन वह लिखने का कार्य करता है तब उसके हाथ लिखने का कार्य करने में असमर्थ हो जाते हैं।
    यदि रोगी व्यक्ति लिखने का कार्य करता भी है तो उसके द्वारा लिखे अक्षर टेढ़े-मेढ़े हो जाते हैं। रोगी व्यक्ति को हाथ से कोई पदार्थ पकड़ने तथा उठाने में दिक्कत महसूस होती है। इस रोग से पीड़ित रोगी के जबड़े, जीभ तथा आंखे कभी-कभी कंपकंपाने लगती है।
       बहुत सारे मरीज़ों में ‍कम्पन पहले कम रहता है, यदाकदा होता है, रुक रुक कर होता है। बाद में अधिक देर तक रहने लगता है व अन्य अंगों को भी प्रभावित करता है। प्रायः एक ही ओर (दायें या बायें) रहता है, परन्तु अनेक मरीज़ों में, बाद में दोनों ओर होने लगता है।
         जब यह रोग धीरे-धीरे बढ़ता है तो रोगी की विभिन्न मांसपेशियों में कठोरता तथा कड़ापन आने लगता है। शरीर अकड़ जाता है, हाथ पैरों में जकडन होती है। मरीज़ को भारीपन का अहसास हो सकता है। परन्तु जकडन की पहचान चिकित्सक बेहतर कर पाते हैं जब से मरीज़ के हाथ पैरों को मोड कर व सीधा कर के देखते हैं बहुत प्रतिरोध मिलता है। मरीज़ जानबूझ कर नहीं कर रहा होता। जकडन वाला प्रतिरोध अपने आप बना रहता है।
    शरीर (हाथ-पैर) में कम्पन पार्किन्सन रोग के लक्षण -
    आंखें चौडी खुली रहती हैं। व्यक्ति मानों सतत घूर रहा हो या टकटकी लगाए हो ।
    चेहरा भावशून्य प्रतीत होता है बातचीत करते समय चेहरे पर खिलने वाले तरह-तरह के भाव व मुद्राएं (जैसे कि मुस्कुराना, हंसना, क्रोध, दुःख, भय आदि ) प्रकट नहीं होते या कम नज़र आते हैं।
    खाना खाने में तकलीफें होती है। भोजन निगलना धीमा हो जाता है। गले में अटकता है। कम्पन के कारण गिलास या कप छलकते हैं।
       हाथों से कौर टपकता है। मुंह से पानी-लार अधिक निकलने लगता है। चबाना धीमा हो जाता है। ठसका लगता है, खांसी आती है।
       आवाज़ धीमी हो जाती है तथा कंपकंपाती, लड़खड़ाती, हकलाती तथा अस्पष्ट हो जाती है, सोचने-समझने की ताकत कम हो जाती है और रोगी व्यक्ति चुपचाप बैठना पसन्द करताहै।
    नींद में कमी, वजन में कमी, कब्जियत, जल्दी सांस भर आना, पेशाब करने में रुकावट, चक्कर आना, खडे होने पर अंधेरा आना, सेक्स में कमज़ोरी, पसीना अधिक आता है।
    उपरोक्त वर्णित अनेक लक्षणों में से कुछ, प्रायः वृद्धावस्था में बिना पार्किन्सोनिज्म के भी देखे जा सकते हैं । कभी-कभी यह भेद करना मुश्किल हो जाता है कि बूढे व्यक्तियों में होने वाले कम्पन, धीमापन, चलने की दिक्कत, डगमगापन आदि
    शरीर (हाथ-पैर) में कम्पन  पार्किन्सन रोग के कारण :-

    पार्किन्सन रोग  व्यक्ति को अधिक सोच-विचार का कार्य करने तथा नकारात्मक सोच ओर मानसिक तनाव के कारण होता है।
    किसी प्रकार से दिमाग पर चोट लग जाने से भी पार्किन्सन रोग  हो सकता है। इससे मस्तिष्क के ब्रेन पोस्टर कंट्रोल करने वाले हिस्से में डैमेज हो जाता है।
    कुछ प्रकार की औषधियाँ जो मानसिक रोगों में प्रयुक्‍त होती हैं, अधिक नींद लाने वाली दवाइयों का सेवन तथा एन्टी डिप्रेसिव दवाइयों का सेवन करने से भी पार्किन्सन रोग हो जाता है।
    अधिक धूम्रपान करने, तम्बाकू का सेवन करने, फास्ट-फूड का सेवन करने, शराब, प्रदूषण तथा नशीली दवाईयों का सेवन करने के कारण भी पार्किन्सन रोग  हो जाता है।
    शरीर में विटामिन `ई´ की कमी हो जाने के कारण भी पार्किन्सन रोग  हो जाता है।
    तरह -तरह के इन्फेक्शन — मस्तिष्क में वायरस के इन्फेक्शन (एन्सेफेलाइटिस) ।
    मस्तिष्क तक ख़ून पहुंचाने वाले नलियों का अवरुद्ध होना ।
    मैंगनीज की विषाक्तता।
    शरीर (हाथ-पैर) में कम्पन ( पार्किन्सन रोगके प्राकृतिक चिकित्सा में इलाज :-
         पार्किन्सन रोग को ठीक करने के लिए 4-5 दिनों तक पानी में नीबू का रस मिलाकर पीना चाहिए। इसके अलावा इस रोग में नारियल का पानी पीना भी बहुत लाभदायक होता है।
    इस रोग में रोगी व्यक्ति को फलों तथा सब्जियों का रस पीना भी बहुत लाभदायक होता है। रोगी व्यक्ति को लगभग 10 दिनों तक बिना पका हुआ भोजन करना चाहिए।
        सोयाबीन को दूध में मिलाकर, तिलों को दूध में मिलाकर या बकरी के दूध का अधिक सेवन करने से यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
    रोगी व्यक्ति को हरी पत्तेदार सब्जियों का सलाद में बहुत अधिक प्रयोग करना चाहिए।
    रोगी व्यक्ति को जिन पदार्थो में विटामिन `ई´ की मात्रा अधिक हो भोजन के रूप में उन पदार्थों का अधिक सेवन करना चाहिए।
    रोगी व्यक्ति को कॉफी, चाय, नशीली चीज़ें, नमक, चीनी, डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।
    प्रतिदिन कुछ हल्के व्यायाम करने से यह रोग जल्दी ठीक हो जाता है।
    पार्किन्सन रोग से पीड़ित रोगी को अपने विचारों को हमेशा सकरात्मक रखने चाहिए तथा खुश रहने की कोशिश करनी चाहिए।
     प्राकृतिक चिकित्सा से प्रतिदिन उपचार करे तो पार्किन्सन रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।
    जिन व्यक्तियों के शरीर में Vitamin D बड़ी मात्रा में मौजूद है, उनमें पार्किंसन बीमारी होने का ख़तरा कम होता है। सूरज की किरणें Vitamin D का बड़ा स्रोत हैं। बहुत ही कम ऐसे खाद्य पदार्थ हैं जिनमें Vitamin D पाया जाता है। यदि शरीर में Vitamin D की मात्रा कम होती है तो उससे हड्डियों में कमोजरी, कैंसर, दिल की बीमारियों और डायबिटीज हो सकती है, लेकिन अब Vitamin D की कमी पार्किंसन की वजह भी बन सकती है।

    शरीर (हाथ-पैर) में कम्पन ( पार्किन्सन रोग के आयुर्वेदिक और औषधीय उपचार :-

    1. तगर : लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लगभग 1 ग्राम तगर का चूर्ण यशद भस्म के साथ सुबह-शाम सेवन करने से कम्पन के रोगी को लाभ मिलता है।
    हाथ-पैर कांपने पर या किसी दूसरे अंग के अपने आप हिलने पर जटामांसी का काढ़ा 2 चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम नियमित सेवन करना चाहिए।
    3. घी : 10 ग्राम गाय का घी एवं 40 मिलीलीटर दूध को 4 भाग (10-10 मिलीलीटर की मात्रा) लेकर हल्की आंच पर पका लें। इस चारों भागों में 3 से 6 ग्राम की मात्रा में असगंध नागौरी का चूर्ण मिला लें। यह मिश्रण रोजाना सुबह-शाम सेवन करने से कम्पन के रोगी का रोग जल्द ठीक हो जाता है।
    4. कुचला :
     आधा-आधा चम्मच अजवायन और सौंठ का चूर्ण तथा कुचला बीज मज्जा (बीच के हिस्से) का 100 ग्राम चूर्ण मिलाकर सुबह-शाम खायें। इससे शरीर का कांपना ठीक होता है।
     लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग शुद्ध कुचला का चूर्ण सुबह-शाम सेवन करने से कम्पवात में लाभ मिलता है।
    5. दूध : चार कली लहसुन को दूध में अच्छी तरह से उबाल लें, फिर इसमें 2 चम्मच एरण्ड का तेल मिलाकर प्रतिदिन सोने से पहले सेवन करने से अंगुलियों का कम्पन कम हो जाता है।
    6. गाय का घी : गाय का घी और गाय का चार गुना दूध लेकर उबाले फिर उसमें मिश्री मिलाकर 3 से 6 ग्राम असगन्ध नागौरी के चूर्ण के साथ सुबह-शाम पीने से अंगुलियों का कांपना दूर हो जाता है।
    7. जटामांसी : लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लगभग आधा ग्राम जटामांसी को फेंटकर प्रतिदिन दो से तीन बार सेवन करने से लाभ मिलता है।
    8. निर्गुण्डी :

    निर्गुण्डी की ताजी जड़ एवं हरे पत्तों का रस निकाल कर उसमें पाव भाग तिल का तेल मिलाकर गर्म करके सुबह-शाम 1-1 चम्मच पीने से तथा मालिश करते रहने से कंपवात, संधियों का दर्द एवं वायु का दर्द मिटता है। स्वर्णमालती की 1 गोली अथवा 1 ग्राम कौंच का पाउडर दूध के साथ लेने से लाभ होता है।
    9. लहसुन : लहसुन के रस में वायविडंग को पकाकर खाने से एवं लहसुन से प्राप्त तेल की मालिश करने से अंगुलियों का कम्पन ठीक हो जाता है।
    10. महानींबू : लगभग 10 से 20 मिलीलीटर महानींबू (चकोतरा) के पत्तों का रस सुबह-शाम सेवन करते रहने से अंगुलियों का कांपना ठीक हो जाता हैं।
    11. सोंठ : महारास्नादि में सोंठ का चूर्ण मिलाकर सुबह-शाम पीने और प्रतिदिन रात को 2 चम्मच एरण्ड तेल को दूध में मिलाकर सोने से पहले सेवन करने से अंगुलियों का कांपना की शिकायत दूर हो जाती है।
    12. कुचला : लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग शुद्ध कुचले का चूर्ण सुबह-शाम सेवन करने से शरीर का कांपनादूर हो जाता है। रोगी को काफी राहत महसूस होती है।
    13. असगंध नागौरी : लगभग 3 से 6 ग्राम असगंध नागौरी को गाय के घी और उसका चार गुना दूध में उबालकर मिश्री मिलाकर प्रतिदिन पीने से अंगुलियों का कांपना दूर हो जाता हैं। इससे रोगी को काफी लाभ मिलता है।
    14. तिल : तिल के तेल में अफीम और आक के पत्ते मिलाकर गरम करके लेप करने से हाथ-पैरों की अंगुलियों की कम्पन दूर हो जाती है।
    15 आशाकन्द : लगभग 2 ग्राम आशाकन्द का चूर्ण दूध के साथ लेने से हाथ-पैरों की अंगुलियों का कम्पन ठीक हो जाता है।
    16. गोरखमुण्डी : हाथ-पैरों की अंगुलियों का कांपना दूर करने के लिए गोरखमुण्डी और लौंग का चूर्ण खाने से रोगी को फायदा मिलता है।
    17. भांगरा : लगभग 20 ग्राम भांगरे के बीजों के चूर्ण में 3 ग्राम घी मिलाकर मीठे दूध के साथ खाने से हाथ-पैरों का कांपना दूर हो जाता है।
    18. बड़ी हरड़ : हाथ-पैरों की अंगुलियों का कम्पन दूर करने के लिए बड़ी हरड़ का चूर्ण खाने से रोगी का रोग ठीक हो जाता है।
    19. लहसुन :
     शरीर का कम्पन दूर करने के लिए बायविडंग एवं लहसुन के रस को पकाकर सेवन करने से रोगी को लाभ मिलता है।
     लहसुन के रस से शरीर पर मालिश करने से रोगी का कंपन दूर होता है।
     4 जावा (कली) लहसुन छिलका हटाकर पीस लें। इसे गाय के दूध में मिलाकर प्रतिदिन सेवन करने से कम्पन के रोगी का रोग ठीक हो जाता है।
     असगन्ध– 
    इसका स्वाद कसैला/कडवा होता है । इसकी जड ही काम में ली जाती है और इसमें घोडे के शरीर के समान गन्ध पाई जाती है । शायद इसीलिये इसे (अश्र्व) असगन्ध कहा जाता है । यह आपको किसी भी जडी-बूटी विक्रेता के यहाँ मिल सकता है । उपरोक्त उपचार हेतु इसके चूर्ण की आवश्यकता होती है । अतः यदि बाजार से चूर्ण तैयार मिल जावे तो अति उत्तम, अन्यथा आप इसे जड रुप में खरीदकर घर पर इसका कूट-पीसकर 100 ग्राम के लगभग बारीक (महीन) चूर्ण बना लें ।
    आमलकी रसायन- 
    आंवले के चूर्ण में आंवले का ही इतना ताजा रस मिलाया जाता है कि चूर्ण करीब-करीब रोटी के लिये उसने हुए आटे से भी कुछ अधिक नरम हो जाता है इसे आयुर्वेद की भाषा में भावना देना कहते हैं । फिर इस रस मिश्रीत चूर्ण को सुखाया जाता है । सूख चुकने पर पुनः इसी प्रकार से इसमें आंवले के ताजे रस की भावना दी जाती है और फिर इसे सुखाया जाता है । इस प्रकार इस चूर्ण में 11 बार आंवले के रस की भावना दी जाती है और हर बार इसे सुखाया जाता है । 11 भावना के पूर्ण हो चुकने पर इसी चूर्ण को आमलकी रसायन कहा जाता है । ये परिचय यहाँ सिर्फ आपकी जानकारी के लिये प्रस्तुत किया गया है बाकि तो आप इसे किसी भी प्रतिष्ठित आयुर्वेदिक औषधि निर्माता कम्पनी का बना हुआ तैयार आमलकी रसायन बाजार से 100 ग्राम मात्रा की पेकिंग में खरीदकर काम में ले सकते हैं ।
     अब असगन्ध व आमलकी रसायन के इन दोनों चूर्ण को आपस में मिलाकर किसी भी एअर टाईट शीशी या डिब्बे में भरकर रख लें और समान मात्रा में मिश्रीत इस चूर्ण को पहले सप्ताह सिर्फ चाय के आधा चम्मच के बराबर मात्रा में लें व इसमें शहद मिलाकर प्रातःकाल इसका सेवन कर लें। एक सप्ताह बाद आप इस आधा चम्मच मात्रा को एक चम्मच प्रतिदिन के रुप में लेना प्रारम्भ कर दें ।
    यदि आप शहद न लेना चाहें तो मिश्री की चाशनी इतनी मात्रा में बनाकर रखलें जितनी 8-10 दिन में समाप्त की जा सके । इस चाशनी में 4-5 इलायची के दाने भी पीसकर डाल दें और इस चाशनी के साथ असगन्ध व आमलकी रसायन का यह चूर्ण उपरोक्तानुसार सेवन करें । लेकिन शुगर (मधुमेह) के रोगियों को इसे चाशनी की बजाय शहद मिलाकर ही लेना उपयुक्त होता है ।

    शरीर (हाथ-पैर) में कम्पन पार्किन्सन रोग मे  प्रभावी योगासन :- 

       कोणासन (विपरीत दंडासन) पश्चिमोत्तानासन का उपासन है। अर्थात,पश्चिमोत्तानासन में हमने शरीर को आगे की ओर झुकाया था। इस बार शरीर को उसके विपरीत खिंचाव दिया गया है। इस आसन के अभ्यास से हमारे हाथ, कंधे, पैर तथा रीढ़ प्रभावित होती है। अत: इन भागों के समस्त दोष समाप्त हो जाते हैं। हाथों तथा टांगों के कम्पन रोग को समाप्त करने में यह आसन बहुत ही उपयोगी है। इस आसन को करने के लिए बैठकर दोनों पैरों को आगे की ओर फैलाएं। एड़ियां व पंजे परस्पर मिले हुए हों। हाथों को मजबूती के साथ नितम्बों के पास जमा दें। गहरी लंबी श्वांस भरते हुए पूरे शरीर को पैर की एड़ियों तथा हाथों के पंजों पर उठा दें। पैरों तथा हाथों को सीधे तानकर रखें। श्वांस की गति सामान्य कर लें। पैरों के पंजों को खींचकर पृथ्वी से मिलाने का प्रयत्न करें। आसन की पूर्ण स्थिति में कुछ समय रुककर ध्यान को मणिपूरक चक्र पर ले जाएं। तत्पश्चात धीरे-धीरे वापस आएं। वापस आकर कुछ क्षण विश्राम करें। इस आसन को लगभग 5-10 बार करें।